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तीर्थों से नहीं होता लाभ
सूक्ष्मवेद में कहा गया है:
कबीर, तीर्थ कर-कर जग मुआ, ऊडै़ पानी न्हाय।
सत्यनाम जपा नहीं, काल घसीटें जाय।।
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तत्वज्ञानहीन गुरूओं की मानें कि तीर्थ पर जाने से पुण्य लगता है। फिर पुण्य तो एक लगा और पाप लगे करोड़ों-अरबों-खरबों। क्योंकि तीर्थों में आने जाने में पैरों के नीचे अनेकों जीव मारे जाते हैं जिसका पाप भी लगता है। इस संदर्भ में सूक्ष्मवेद में कहा गया है:
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तीर्थों से लाभ संभव नहीं है। क्योंकि गीता अध्याय 16 श्लोक 23 कहा गया है कि जो व्यक्ति शास्त्र विधि को त्यागकर मनमाना आचरण करते हैं उन्हें न सुख मिलता है, न उनकी गति होती। अर्थात तीर्थ यात्रा शास्त्र में वर्णित न होने से व्यर्थ साधना है।
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सर्वश्रेष्ठ तीर्थ, तत्वदर्शी संत का सत्संग
तीर्थ जैसे अमरनाथ, केदारनाथ, वैष्णो देवी आदि तो यादगारें हैं कि यहाँ पर ऐसी घटना घटी थी ताकि उनका प्रमाण बना रहे। जबकि श्रीमद्देवी भागवत (देवी पुराण) के छठे स्कन्ध, अध्याय 10 पृष्ठ 417 पर चित्तशुद्ध तीर्थ यानि तत्वदर्शी संत के सत्संग रूपी तीर्थ को सर्वश्रेष्ठ बताया गया है।
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तीर्थ, वे पवित्र स्थान हैं जहाँ पर किसी महापुरूष का जन्म या निर्वाण हुआ था या किसी साधक ने साधना की थी या किसी ऋषि या देवी-देव की कथा से जुड़ी यादगारें हैं तीर्थ। जिससे लाभ नहीं होता। लेकिन सद्ग्रंथों में किस तीर्थ को श्रेष्ठ बताया गया है?
जानने के ल���ए पढें "हिन्दू साहेबान नहीं समझे गीता, वेद, पुराण"
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जब तक सच्चे गुरु (सतगुरू) की प्राप्ति नहीं होती है तब तक गुरु बदलते रहना चाहिए।
जब तक गुरु मिले ना सांचा। तब तक करो गुरु दस पांचा।।
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जो भी संत शास्त्रों के अनुसार भक्ति साधना बताता है और भक्त समाज को मार्ग दर्शन करता है तो वह पूर्ण संत है अन्यथा वह भक्त समाज का घोर दुश्मन है जो शास्त्रो के विरूद्ध साधना करवा रहा है। इस अनमोल मानव जन्म के साथ खिलवाड़ कर रहा है। ऐसे गुरु या संत को भगवान के दरबार में घोर नरक में उल्टा लटकाया जाएगा।
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��ंत रामपाल जी महाराज ही एकमात्र सच्चे सतगुरु हैं जो शास्त्रों के बताए अनुसार तीन समय की भक्ति एवं तीन प्रकार के मंत्र जाप अपने साधकों को देते हैं जिससे उन्हें सर्व सुख मिलता है तथा उनका मोक्ष का मार्ग भी आसान हो जाता है।
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गीता अध्याय 15 श्लोक 1 में गीता ज्ञान दाता ने तत्वदर्शी संत (सच्चा सतगुरु) की पहचान बताते हुए कहा है कि वह संत संसार रूपी वृक्ष के प्रत्येक भाग अर्थात जड़ से लेकर पत्ती तक का विस्तारपूर्वक ज्ञान कराएगा।
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तत्वदर्शी सन्त वह होता है जो वेदों के सांकेतिक शब्दों को पूर्ण विस्तार से वर्णन करता है जिससे पूर्ण परमात्मा की प्राप्ति होती है वह वेद के जानने वाला कहा जाता है।
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अब नशा मुक्त होगा समाज अपना
संत रामपाल जी महाराज जी ने स्वच्छ समाज का निर्माण किया है जो नशे जैसी बुराइयों से कोसों दूर है। अगर विश्वास नहीं होता तो ज़रूर पहुंचे 20-22 जून 2024 को संत रामपाल जी महाराज जी के आशीर्वाद से रखे गए विशाल भंडारे में और देखें संत रामपाल जी महाराज जी ने कैसे नशा मुक्त और सभ्य समाज का निर्माण किया है।
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संत रामपाल जी महाराज के सानिध्य में कबीर परमेश्वर के 627 वें प्रकट दिवस के उपलक्ष्य में तीन दिवसीय विशाल भंडारे का आयोजन 20-22 जून 2024 को किया जा रहा है। इस विशाल भंडारे का निमंत्रण संत रामपाल जी महाराज के अनुयायियों द्वारा देश विदेश में भी दिया जा रहा है। इसके साथ ही समाज को कबीर साहेब के सत्य ज्ञान के आधार पर बुराईयों से दूर रहने के लिए जागरूक किया जा रहा है।
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लाखों की संख्या में श्रद्धालु, लेकिन जात पात का नामो निशान नहीं मिलेगा
संत रामपाल जी महाराज ने ऐसा समाज तैयार किया है जो आपसी भाईचारे की एक मिसाल कायम करता है। जिनके अंदर जात पात का भेदभाव नहीं है। अगर आप भी देखना चाहते हैं ऐसा समाज तो जरूर पहुंचे कबीर परमेश्वर प्रकट दिवस(20-22 जून 2024) के उपलक्ष्य में रखे गए तीन दिवसीय विशाल भंडारे में।
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रक्त दान की ऐसी होड़ दूसरी जगह नज़र नहीं आयेगी
20-22 जून 2024 कबीर परमेश्वर प्रकट दिवस के उपलक्ष्य में रखे विशाल भंडारे में विशाल रक्त दान शिविर भी रखा गया है। रक्त की कमी से कोई मौत न हो इस सोच के साथ संत रामपाल जी महाराज जी के शिष्यों में रक्त देने की होड़ लग जाती है।
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बंदीछोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज जी की कृपा से 627 वें कबीर साहेब प्रकट दिवस के उपलक्ष्य में विशाल भंडारा एवं स्वैच्छिक रक्तदान शिविर तथा दहेज मुक्त विवाह का आयोजन 20-22 जून 2024 को आयोजित किया जा रहा है। आप सभी इस कार्यक्रम में सादर आमंत्रित हैं।
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दहेज मुक्त और सादगी पूर्ण सैंकड़ों विवाह एक ही दिन में बिना किसी खर्च के होंगे और ये पावन अवसर है कबीर साहेब प्रकट दिवस जो 20-22 जून 2024 को आयोजित किया जा रहा है। आप भी यहां पहुँचकर इस ऐतिहासिक दिन का हिस्सा बनें।
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कबीर परमेश्वर प्रकट दिवस के उपलक्ष्य में संत रामपाल जी महाराज जी के सभी आश्रमों में 20-22 जून 2024 को रखे गए तीन दिवसीय विशाल भंडारे में सैंकड़ों दहेज मुक्त शादियां भी होंगी जो दहेज लोभियों और देखा देखी दहेज प्रथा जैसी बुराई का पालन कर रहे लोगों के लिय प्रेरणा का कारण बनेंगी।
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