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तुझ में ओर मुझ में बस फर्क ईतना सा है।
तुम ख्व़ाब देखते हो,हम हकीकत देखते है।
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वो कस्ती समुन्दर में,आज भी पडी है जनाव ।
दरिया का सफर,जिस से कल किया करता था।।
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बडी मुश्किल काम था,ग़म को समेटना।
मैं ख़ुद को बांधने में कई बार टुट गया।।
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मजाक-मजाक मै वो,क्या कुछ नहीं कह गये।
हम सोचते रहे ओर वो सब कुछ कह गये।।
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नाराजगी तेरी थी,तलाश मेरी थी।
वो मिली भी तो ऐसी हाल में मिली ,की आशुओ बरसात हो गई।।
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बात छोटी थी,पर मान कैसे जाता। अपनी Ego(अहंकार)ही सबसे बडी Problem (समस्या)थी।।
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दिल तोड़ने की सजा,हम नही देंगे तुम्हे।
दर्द सहने की दबा,हम नही देंगे तुम्हे।
तुम रोऐगी एक दिन,हमे याद करके,
ये मौका द्वारा लोट अने की,हम नही देगा तुम्हे।।
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माहोल देख कर मैं भी रंग बदलता हूँ ।
मुझ से,सराफत की बात ना करों,
ये तो माहोलो तय करती है,कौन सा रंग अच्छा रहेगा।।
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क्यों की? तेरे दिये जख्मो के निशां ही इतने है,
ना तेरे जाने का गम रहेगा,ना तेरे आने का।
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दिल तोड़ने की सजा,हम नही देंगे तुम्हे।
दर्द सहने की दबा,हम नही देंगे तुम्हे।
तुम रोऐगी एक दिन,हमे याद करके,
ये मौका द्वारा लोट अने की,हम नही देगा तुम्हे।।
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