Tumgik
nctripathi-blog · 4 years
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जम्मू कश्मीर में सियासत जारी है । धारा 370 अस्थायी व्यवस्था थी । संविधान में इसे हटाये जानें का प्रावधान था । जिन लोगों नें 70 वर्षो से अधिक समय तक सत्ता सुख भोगा और इसे अपनी बपौती मान बैठे थे ,धारा 370 को संवैधानिक व्यवस्था के तहत हटाये जाने से बिलबिला गये ।इनका मुखौटा हट गया है । ये रा्ष्ट्र द्रोही चीन से सांठगांठ कर धारा 370 को पुनर्जीवित करना चाहते हैं । अब तक ये पाकिस्तान के साथ मिलकर राज्य में आतंकवाद का पोषण कर रहे थे । सभी भारतीयों को एकजुट होकर इनकी साजिश को नाकाम करना होगा । साथ ही उन राजनैतिक व सामाजिक संगठनों को भी सबक सिखाना होगा ,जो इन्हें समर्थन देते हैं ।
हिंदुस्तान जिंदाबाद.
भारत माता की जै .
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nctripathi-blog · 5 years
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हिंदू और हिंदुत्व
आज कल ऐसी अफवाहों का जोर है कि सरकार भारत को हिंदू राष्ट्र बनाना चाहती है। कुछ लोगों को हिंदू शब्द से ही घृणा है।वे अपना मानसिक संतुलन खो बैठते हैं और समाज में नफरत के बीज बोने लगते हैं।
इन्हें हिन्दू का अर्थ ही मालूम नहीं है ।मालूम होता तो ये कहते कि हिंदुत्व सम्पूर्ण विश्व में होना चाहिए । वसुधैव कुटुम्बकम हिंदुत्व की आत्मा है । वेदों ,उपनिषदों, रामायण ,गीता ,श्री मद्भागवत में किसी भी धर्म ,पंथ ,संप्रदाय ,जाति का कोई भेद ही नहीं मिलता ।इनमें सर्वोपरि है मानव धर्म और इसका मूलमंत्र है सर्वे भवन्तु सुखिनः ,सर्वे संतु निरामयाः........। इससे अधिक उदारता कहाँ है ? यदि आलोचक पहले हिंदुत्व को समझ लें तो फिर वे आलोचना बंद कर देंगें ।
नरेश चन्द्र त्रिपाठी
जबलपुर.
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nctripathi-blog · 5 years
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गंदी राजनीति
इन दिनों CAA, NPR और NRC को लेकर गंदी राजनीति का दौर जारी है । एक सच्चे भारतीय को इनमें कोई बुराई नजर नहीं आ सकती है ।
CAA भारतीय संस्कृति की आत्मा है ।शोषितों ,पीड़ितों और शरण में आये लोगों को शरण देना , मानवता का मूल तत्व है । CAA का विरोध करनेवाले जरा सोचें ,अगर वे किसी देश से भगाये गये होते , तब क्या होता ?
NPR हमेशा की तरह हर 10 वर्षों के बाद होने वाली जनगणना की प्रक्रिया है ।हमेशा नये प्रश्न शामिल होते रहे हैं।
बदलते परिवेश में यह आवश्यक भी है ,क्योंकि नये प्रश्नों के आधार पर जो आंकड़े प्राप्त होंगे ,वह भावी नियोजन का आधार होंगे । ......तो फिर बवाल क्यों ?
NCR किसी भी सच्चे भारतीय को नागरिक रजिस्टर से परहेज क्यों होना चाहिए ? जिन्हें भी मतदान का अधिकार मिला है , जो राष्ट्र निर्माण में बरसों से संलग्न है ,वह तो भारत का नागरिक है ही । फिर ये नाम रजिस्टर होने में हर्ज क्या है ? यदि आप विरोधी हैं तो कुछ गड़बड़ जरूर है , दाल में क���छ काला तो नहीं है ? आपको तीन गवाह भी नहीं पा रहे हैं क्या ? तो फिर आप हैं कौन ? और भारत में क्या कर रहे हैं ?
यदि आप भारतीय हैं तो आपको इनके समर्थन से परहेज़ क्यों ?
कहीं आप गंदी राजनीति तो नहीं कर रहे हैं ?
हिन्दू मुसलमान को बांट रहे हैं?
निवेदक
नरेश चन्द्र त्रिपाठी
जबलपुर.
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nctripathi-blog · 5 years
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CAA
सीएए पास होने के बाद देश भर में हिंसा का दौर शुरु हुआ ।
सुनियोजित तरीक़े से हिंसा के साथ सरकारी सम्पत्तियों को जलाया गया ,पुलिसकर्मियों पर हमला किया गया ।विरोध करने वालों को यह भी नहीं मालूम था कि वे विरोध क्यों कर रहे हैं ।विरोध करने वालों को मस्जिदों से निर्देश मिल रहे थे ।
सेकुलरिज्म की दुहाई देने वाले राजनीति में धार्मिक उन्माद का तडका लगा रहे थे।
गांधी के देश में सह अस्तित्व ,सहिष्णुता को नकार दिया गया और और धर्मांधता हावी हो गयी ।शरणार्थियों को संरक्षण प्रदान करने का विरोध किया जाने लगा । भारत की सांस्कृतिक विरासत पर चोट की जाने लगी । हर किसी को भारत से निकाले जाने का भय सताने लगा ।केन्द्र सरकार द्वारा बार बार आश्वासन देने कि यह एक्ट नागरिकता देने वाला है ,खतम करनेवाला नहीं, कोई सुनने को तैयार नहीं। संविधान को खतरे में बताने वाले खुद संविधान का गला घोंट रहे थे।
जरा ठंडे दिमाग से सोचिए कि प्रधानमंत्री कह रहे हैं कि किसी के पास यदि नागरिकता साबित करनेवाले कागजात नहीं होंगे तो तीन गवाह काफी होगें ।अब और क्या चाहिए ।
अब तो समझ में आ जाना चाहिए ।
नरेश चन्द्र त्रिपाठी
जबलपुर
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nctripathi-blog · 5 years
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आज की राजनीति बिना राज धर्म के है।राज धर्म राज नीति की रीढ़ है।सोचिये रीढ़ के बिना क्या होता है? और क्या हो गयी है, हमारे देश की राज नीति ?हर राजनेता देश और समाज की सेवा का दम भरता है ।लेकिन हकीकत हमारे सामने है। अपवाद स्वरूप कुछ को छोड़ दें तो अधिकांश राजनेताओं का कोई धर्म नहीं है।इनका कोई आदर्श है तो निजी हित।इन्होंने न तो राम राज्य से कुछ सीखा और न ही भरत के 14 वर्षों की राज्य व्यवस्था से। जिसमें भरत ने राम की खड़ाऊं सिंहासन पर रखकर राज्य शासन व्यवस्था संभाली थी। राम और भरत के राज्य की बात करना तो सांप्रदायिक विचार हो जाता है।
नरेश चन्द्र त्रिपाठी
जबलपुर
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nctripathi-blog · 5 years
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हमारे दुःखों के कारण
हमारे दुःखों के तीन कारण होते हैं: 1. हम स्वयं 2.हमारे आस पास के लोग 3. प्राकृतिक आपदाएं। 1.हमारा अहंकार ,काम ,क्रोध और लोभ । इससे हम सदैव दूसरों से अपनी तुलना करते हैं और जब यह विचार मन में लाते हैं कि अमुक मुझसे अधिक धनवान है, उसकी सम्पत्तियों अधिक हैं ,उसका सम्मान अधिक है ....आदि अपेक्षाए और चिंतायें ये सब हमें ईर्ष्यालु बनाते और दुःख का कारण बन जाते हैं। 2.हमारे आस पास के लोगों के साथ हमारे सम्बंध कैसे हैं ?यह भी महत्वपूर्ण है ।क्योंकि सम्बंध अच्छे नहीं होने पर हमें कष्ट हो सकता है । 3. प्राकृतिक आपदाएं भी हमारे कष्ट का कारण हो सकती हैं।यद्यपि इन पर हमारा नियंत्रण नहीं होता है। इन सभी का समाधान एक है , वह है, हम स्वयं का मन और प्रकृति के साथ तादात्म्य स्थापित करें और तटस्थ भाव से चिंतन करें ।निरंतर अभ्यास से समाधान अवश्य मिलेगा। निवेदक :नरेश चन्द्र त्रिपाठी.
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