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त्रेतायुग में कबीर साहेब जी मुनीन्द्र ऋषि के रूप में प्रकट हुए, नल-नील को शरण में लिया और जब रामचन्द्र जी द्वारा सीता जी को रावण की कैद से छुड़वाने की बारी आई तो समुद्र में पुल भी ऋषि मुनीन्द्र रूप में परमात्मा कबीर जी ने बनवाया
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त्रेता युग में कबीर साहेब की मनिंदर ऋषि के रूप में प्रकट हुए नालनल को शरण में लिया और जब रामचंद्र जी द्वारा सीता जी को रावण की कैसे छुड़वाने
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द्वापर में रानी इंद्रावतीद्वापर में रानी इंद्रावती की जान बचाकर उसको शरण में लेना
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कबीर परमेश्वर जी अब्राहिम अधम सुल्तान (बलख बुखारा के राजा) को मिले और सार शब्द का उपदेश कराया।
कबीर सागर के अध्याय "सुल्तान बोध" में पृष्ठ 62 पर प्रमाण है:-
प्रथम पान प्रवाना लेई। पीछे सार शब्द तोई देई ।। तब सतगुरु ने अलख लखाया। करी परतीत परम पद पाया।। सहज चौका कर दीन्हा पाना (नाम)। काल का बंधन तोड़ बगाना ।।
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