lalitmohan007chandrashekhar
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Chandra Shekhar
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श्लोक या देवी सर्वभूतेषु विद्यारूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
अर्थात 'हे विद्या की देवी सरस्वती! आप विद्या, ज्ञान, चेतना के रूप में सभी प्राणियों में व्याप्त हैं. आपको बार-बार नमन है'।
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"वंदे मातरम् गणतंत्र दिवस, २०२५ के शुभ अवसर पर विधान भवन, लखनऊ, उत्तर प्रदेश से आप सभी के समक्ष सपरिवार इस राष्ट्रीय पर्व पर आप सभी को बधाई जय हिंद"
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lalitmohan007chandrashekhar · 2 months ago
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"मैं डर को अपने ऊपर हावी नहीं होने देता। मैं अपने नियम खुद बनाता हूँ और अपने सपनों का पीछा करता हूँ।"
“I don’t let fear hold me back. I make my own rules and follow my dreams.”
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lalitmohan007chandrashekhar · 2 months ago
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ढल गया दिन बीत गया ये पहर,
शाम ए अवध लखनऊ की सहर।
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lalitmohan007chandrashekhar · 2 months ago
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गुरु शिष्य परंपरा आज भी विद्यमान,
यही सिखाए मेरे देश का संविधान।
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lalitmohan007chandrashekhar · 3 months ago
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'Seeing you smile makes me smile'
"Him@bhi"
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lalitmohan007chandrashekhar · 3 months ago
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ख़ामोशी से भरती हुई लबों की मेरी स्याही,
रिश्ता जुड़ती नया तुम जबसे हम से ब्याही।
धड़कनों को ज़ज़्बातों से जोड़ती मेरी तनहाई,
कोरे जीवन को रंगीन करती ही मेरी हमराही।
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lalitmohan007chandrashekhar · 3 months ago
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ज़िन्दगी भर यूँ साथ गतिमान रहेगा अपना ये सफर,
जन्मदिन की तहे दिल से तुमको बधाई मेरे हमसफ़र।
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lalitmohan007chandrashekhar · 5 months ago
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प्रोन्ननति
समस्त गुरूवरों के दिये अनमोल आशीर्वाद के आज फलस्वरूप,
नव दिवस पर नव पद से रचता हूँ आज भी अपना ये आत्मस्वरूप।
जिनके दिखाये नेकी के पथ पर अपना सारा जीवन किया ही बलिहारी,
अब आपके समक्ष पुन: सेवा करने आया मैं सहायक समीक्षा अधिकारी।
समर्पित
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lalitmohan007chandrashekhar · 9 months ago
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अनजान
दरिया का आगाज़,
दरख्तों की छांव।
जबल भी वहीं,
जहाँ आशियां हमारा।
खुला है आसमाँ,
ठंडी है पवन,
आब की निर्मलता।
वहाँ रहती निशानियाँ।
कोयल की कूक से शुरू होता सहर,
देखने चलो मेरे संग यह है मेरा शहर।
मिलेगा तुमको यहाँ हर पल नया सफर,
रहने वाले लोगो की बोली में होती शकर।
कुछ इस तरह से अपनी कविता लिखकर,
आप के सामने पेश किया उसको देखकर।
मैंने लफ़्ज़ों को आज ही मिलाया समन्दर,
बस इन्ही बातों से अंजाम पे पहुँचा सिकन्दर।
सिकंदर
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lalitmohan007chandrashekhar · 9 months ago
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" गठबंधन
him@bhi"
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lalitmohan007chandrashekhar · 10 months ago
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श्लोकः ध्यायेदाजानुबाहुं धृतशरधनुषं बद्धपद्मासनस्थं
पीतं वासो वसानं नवकमलदलस्पर्धिनेत्रं प्रसन्नम्।
वामाङ्कारूढसीतामुखकमलमिलल्लोचनं नीरदाभं
नानालङ्कारदीप्तं दधतमुरुजटामण्डलं रामचन्द्रम् ।।
अर्थात- जो धनुष-बाण धारण किये हुए हैं, बद्धपद्मासन में विराजमान हैं, पीताम्बर वस्त्र पहने हुए हैं, जिनके प्रसन्न नयन नवीन कमलदल से स्पर्धा करते हैं तथा वाम भाग में विराजमान सीताजी के मुखकमल से मिले हुए हैं; उन आजानुबाहु (जिनके बाहु बहुत लंबे हैं), मेघश्याम (जिनका वर्ण बरसने वाले मेघ जैसा है), नाना प्रकार के अलंकारों से विभूषित तथा विशाल जटाजूटधारी श्रीरामचन्द्रजी का ध्यान करें।
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lalitmohan007chandrashekhar · 11 months ago
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Accept
आज भी तुम से ही होना नूर,
कल भी हम से न होना दूर।
आप का आना कुदरत को मंजूर,
तय की मोहब्बत कर जाना हुज़ूर।
Him@bhi
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अनजान आहट
चुप हो कर भी मुस्कुरा रहा है अपना कोई,
यही आदत मुझे आज उसकी भा गई।
आज क्यूँ हैं खामोश उसके ये प्या रे से लब,
देर हो गयी है सनम घर जाने को अब।
हम अपने चेहरे पर आने वाली हर एक शिकन से,
सारे राज जो दिल में दफन पर करते है यूँ बयॉं।
आसूँ जो निकले हैं ऑंखो से उकेरे हैं कोरे कागज पर,
तेरे आने की आहट मुझे अभी से एहसास होने लगी है।
हर रिश्ता जुड़ता है परवरदिग���र के दरबार में,
अर्जी लगी थी मेरी पूरी हुई ख्वाहिश मेरी भी।
मेरी जिन्दगी में तुम्हारा ही तो स्वागत करता हूँ,
इसे कभी एहसान कहने की गलती मत करना है।
आज न जाने कितने भी दिन की तमाम शिकायत करोगी,
जानता हूँ फिर भी खुदा से मेरी सलामत की दुआ मॉंगोगी।
चलो अब किस का पक्ष पड़ेगा किस पर कितना है भारी,
अगाज हुआ सफर का तेरे साथ जो है अभी और रहेगा जारी।
जब थम जायें जिस्मे से हम दोनों की सॉसें,
मिट्टी में मिल जायेगी हसीन यादें दोनों की।
तस्वीर को देखकर ही कहेंगी आने वाली नस्लें,
यही होती है उनकी बेदाग सच्ची सी मोहब्बत।
फिजा़ में रहती है मोहब्बत की निशानी,
यह दास्ता न किसको अब है सुनानी,
तेरा हमदम बनकर लिखता हूँ कहानी।
प्रेम का नाम है अंकित और हिमानी।
अंकित हिमानी
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05-12-2022
बीते साल की आपसे वो हसीन मुलाकात, आज देखो आप हो गयी हमारी हमसफ़र।
02-05-2023
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"दीपावली-२०२३
दिन हुआ था रोशन रातें हैं काली,
देखो आयी है खुशियों की दिवाली।
प्रज्वलित हुए हैं मेरे मन के दीपक,
नवीनतम सौगात लायी है दिवाली।
लिखकर पुरे विश्व को है अपनी बात सुनानी,
इसके आगे भी आयेगी हमारी नयी कहानी।
तबतक के लिए ख़ुशियाँ आपके ही मुखानी,
आपको देते हैं बधाई अभिषेक संग हिमानी।
अभिषेक हिमानी"
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ये मोड़ वो है कि परछाइयाँ भी देंगी न साथ,
मुसाफ़िरों से कहो उस की रहगुज़र आई।
मायूसियों की गोद में दम तोड़ता है इश्क़,
अब भी कोई बना ले तो बिगड़ी नहीं है बात।
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