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💎💎हरि बोल क़ा चमत्कार 💎💎 चैत्यन्य महाप्रभु गौरांग भक्तों के साथ नदी के किनारे कीर्तन करते करते जा रहे थे । एक किनारे मसूद धोबी हुश हुश करते हुए कपडे धो रहा था…गौरांग धोबी को बोले हुश हुश क्या करता है?..हरि बोल हरि बोल… धोबी बोला, बाबा तुम्हारे साथ मैं नाचूँगा तो मेरे कपडे कौन धोएगा ? आप तो बाबा लोगों का ठीक है हरि बोल हरि बोल…मैं हरि बोल करूंगा तो मेरा धंधा कौन करेगा.. गौरांग बोले, तेरा धंधा तो मैं कर लूं .तू हरि बोल..लाओ कपड़ा… गौरांग महा प्रभु कपड़ा धोते-हुश करते ..और धोबी बोलता हरि बोल..हुश!–हरिबो ल..हुश!–हरि बोल…हुश!—- हरि बोल.. हुश हुश करते करते धोबी के सारे कष्ट हुश हो गए… धोबी को तो हरि बोल का रंग लग गया!.. बोला अब तो बाबा आप के साथ ही रहूंगा हरि बोल हरि बोल करूंगा मैं तो..हरि बोल.. हरि बोल… गाँव में खबर फैली कि धोबी तो बावरा हो गया..बाबा लोगों के साथ हरि बोल हरि बोलकर कर रहा है .... धोबी की पत्नी भी आ गयी.. बोली..ऐ रसूल के अब्बा.. धोबी बोले ‘हरि बोल!’ पत्नी बोली, ‘ये क्या करते हो?’..धोबी ने ज़रा हाथ लगाया तो पत्नी भी बोल पड़ी : हरिबोल!हरि बोल!हरि बोल!… गाँव के लोग बोले बाई वो तो दीवाना हो गया तुम क्यों ऐसा करती हो..दूसरी बाई ने धोबी की पत्नी के हाथ पकड़ के समझाया.. तो वो बाई भी लग गयी हरि बोल हरि बोल करने….तीसरे भाई ने रोका तो वो भी हरि बोल हरिबोल करने लग गया.. गाँव के जो भी उन को रोकने आते वो हरि बोल हरि बोल के कीर्तन में रंग जाते..जैसे संक्रामक रोग छूने वाले को लग जाता ऐसे इस हितकारी और पवित्र भगवान के नाम की मस्ती ने गाँव वालों को झूम झूम कर ऐसे पवित्र कर दिया कि इतिहास बोलता है कि वो धोबी धन्य रहा होगा जिसने संत के दर्शन से हरि बोल करते हुए सारे गाँव को पवित्र कर दिया! हरि किस को बोलते है , पता है? जो हर जगह, हर देश में, हर काल में, हर वस्तु में , हर परिस्थिति में जो परमेश्वर मौजूद है उसी का नाम हरि है…और उस का स्मरण करने से सब कष्ट , शोक दुःख हर लिए जाते है..कैसा भी बीमार आदमी हो, उस को हरे कृष्ण महामन्त्र की साधना दे दो..चंगा होने लगेगा! बिलकुल पक्की बात है । तो कीर्तन करते रहिए हरि बोल - हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे।। जय जय श्री राधे💗💗💗 https://www.instagram.com/p/Bo0bxLbAQU8/?utm_source=ig_tumblr_share&igshid=o2rj09jvzjtj
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💞परोपकार से भगवान ! ! ! 💞 रामलाल मोची को रात में भगवान ने सपना दिया और कहा कि कल सुबह मैं तुझसे मिलने तेरी दुकान पर आऊंगा। मोची की छोटी सी दुकान , बहुत कम आमदनी इसके बावजूद वह अपनी जिंदगी से बहुत खुश रहता था। और बहुत ही परोपकार करने वाला इंसान था। कृष्णा ने उसकी परीक्षा लेने का निर्णय लिया! मोची ने सुबह उठते ही तैयारी शुरू कर दी। भगवान को चाय पिलाने के लिए दूध चायपत्ती और नाश्ते के लिए मिठाई ले आया। दुकान को साफ कर वह भगवान का इंतजार करने लगा। उस दिन सुबह से भारी बारिश हो रही थी। थोड़ी देर में उसने देखा कि साफ सफाई करने वाली लीलाबती बारिश के पानी में भीगकर ठिठुर रही है। मोची को उसके ऊपर बड़ी दया आई और भगवान के लिए लाए गये दूध से उसको चाय बनाकर पिलाई। दिन गुजरने लगा। दोपहर एक महिला बच्चे को लेकर आई और कहा कि मेरा बच्चा भूखा है इसलिए पीने के लिए दूध नहीं है । मोची ने सारा दूध उस बच्चे को पीने के लिए दे दिया। इस तरह से शाम के चार बज गए। मोची दिन भर बड़ी बेसब्री से भगवान का इंतजार करता रहा। तभी एक बूढ़ा आदमी जो चलने से लाचार था आया और कहा कि मै भूखा हूं , मगर कुछ खाने को नहीं है । मोची ने उसकी बेबसी को समझते हुए मिठाई उसको दे दी। इस प्रकार दिन बीत गया और रात हो गई। रात होते ही मोची ने भगवान को कहा ' भगव�� सुबह से रात हो इंतजार में। लेकिन आप नहीं आए क्या मुझसे कोई भूल हो गयी ? तभी भगवान ने कहा कि मैं आज तेरे पास एक बार नहीं तीन बार आया और तीनों बार तेरी सेवाओं से बहुत खुश हुआ और तू मेरी परीक्षा में भी पास हुआ है। तेरे मन में परोपकार और त्याग का भाव सामान्य मानव की सीमाओं से परे हैं।मैं बहुत खुश हूँ तुझसे । तू मेरा सच्चा भक्त है । मैं तुझे वरदान देता हूँ तू हमेशा खुश रहेगा और तुझे जीवन में किसी भी तरह का अभाव नहीँ रहेगा ! भगवान ना जाने किस किस रूप में हमसे मिलने आते हैं परन्तु परोपकार के अभाव में हम उनको नही जान पाते हैं। 💥अतः भगवान की कृपा के लिए कु़छ न कु़छ परोपकार हमेशा करते रहें।💥 जय जय श्री राधे राधे जी💗💗💗 (at Vrindavan - वृन्दावन, UP, India) https://www.instagram.com/p/BoyuT6MAxSF/?utm_source=ig_tumblr_share&igshid=nnbpipqvlnca
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💗💗नवरात्रों पर गुलाबी संकल्प 💗💗 गुरु जी ने गुरुकुल में पढ़ रहे छात्रों को कुछ टमाटर लाने को कहा। हर टमाटर को एक सफेद लिफ़ाफ़े में पैक करना था और उस लिफ़ाफ़े पर उस व्यक्ति का नाम लिखना था जिससे छात्र को घृणा या नाराज़गी हो।यदि किसी छात्र को किसी एक से घृणा या नाराज़गी है तो वह एक टमाटर और जिसको अधिक से है तो वह अधिक टमाटर लाएगा।इस तरह जितने व्यक्तियों से घृणा या नाराज़गी हो उतने ही टमाटर छात्र को लाने हैं। अगले दिन सभी छात्र बढ़िया सफेद लिफाफों में टमाटर डाल कर लाये।सभी लिफाफों पर छात्रों द्वारा गुरु जी के निर्देशानुसार उस व्यक्ति का नाम अंकित किया गया था जिससे छात्र को घृणा या नाराज़गी थी। कोई छात्र 1 तो कोई 2 तो कोई 4 तो कोई 8 और कुछ छात्र तो 15 20 टमाटर युक्त लिफ़ाफ़े लेकर शाला पँहुच गए। कुछ छात्र ऐसे भी थे जो कोई लिफाफा कोई टमाटर नहीं लाये थे। पूछने पर उन्होंने बताया कि उन्हें किसी से कोई नाराज़गी या घृणा नहीं है। गुरु जी ने सभी छात्रों को एक एक कपड़े का थैला देते हुए अपने लिफ़ाफ़े उसमें रखने के निर्देश दिए। जो छात्र टमाटर नहीं लाये थे उन्हें गुरु जी ने थैले में गुलाब के फूल रख दिए। गुरु जी ने ��देश दिया ये थैले जिसमें टमाटर या गुलाब हैं इन्हें अच्छी तरह से बन्द कर एक सप्ताह तक लगातार अपने पास रखना है जँहा भी जाएँ यह थैला अपने साथ रखें। एक सप्ताह बाद गुरु जी ने पूछा, "क्यों बच्चों थैला साथ रख रहे हो न? कैसा लग रहा है?" टमाटर लिए छात्र दुःखी स्वर से बोल उठे,"गुरु जी टमाटरों की दुर्गन्ध और वज़न से परेशानी हो रही है।" जबकि गुलाब लिए छात्र बोले "गुरु जी, हमें भीनी भीनी खुशबू आ रही है जो बड़ी आनंददायक है।" अब गुरु जी ने छात्रों को समझाया,जिनके पास घृणा या नाराज़गी रूपी टमाटर थे वे सभी दुर्गंध व वजन से परेशान -दुखी रहे । जबकि जिनके पास गुलाब थे वे सब् खुश हैं। 💜गुरु जी कथा सार बताया 💜 यदि हम लोगोँ के प्रति घृणा या नाराज़गी रखेंगे तो तनाव का वज़न और दुर्गन्ध रूपी दुख उठाने पड़ेंगे । वंही यदि किसी से प्रेम, अपनापन रखेंगे तो हल्कापन और सुगन्ध रूपी प्रसन्नता मिलेगी। घृणा , नाराज़गी का जहर हमको धीरे धीरे बीमारियों से पीड़ित कर देगा , जबकि प्रेम और अपनापन हमको हमेशा निरोग प्रसन्न रखेंगे। जब तुम एक सप्ताह में ही टमाटरों की दुर्गन्ध और वज़न से दुखी हो गए तो सोचो प्रतिदिन तुम जो अपने साथ घृणा नफरत और नारा���गी रूपी दुर्गन्ध और वज़न रखते हो तो तुम कितना दुखी जीवन जीते होंगे । जय जय श्री राधे 💗💗💗 (at Vrindavan) https://www.instagram.com/p/BovQs3hAG1i/?utm_source=ig_tumblr_share&igshid=1e2rza5x20wnc
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💎जाकी रही भावना जैसी ....💎 सीमा रोज मंदिर जाती थी ! आज मंदिर से वापस घर जाने से पहले सीमा ने पुजारी से कहा अब मैं मंदिर नही आया करूँगी ! इस पर पुजारी ने पूछा -- क्यों ? तब सीमा बोली -- मैं देखती हूँ लोग मंदिर परिसर में अपने फोन से अपने व्यापार की बात करते हैं ! कुछ ने तो मंदिर को ही गपशप करने का स्थान चुन रखा है ! कुछ पूजा कम पाखंड,दिखावा ज्यादा करते हैं ! मंदिर के आसपास गंदगी बहुत हो गयी है । यहाँ के भक्त और दूसरे कर्मचारियों का व्यवहार भी रूखा है । मंदिर में लोगों ने विभिन्न दुकान खोल कर एक व्यापर केन्द्र बना लिया है । ये सब मुझसे देखा नहीं जाता । इसलिए अब मैं मंदिर नहीं आया करूँगी ! इस पर पुजारी कुछ देर तक चुप रहे फिर कहा -- सही है ! परंतु अपना अंतिम निर्णय लेने से पहले क्या आप मेरे कहने से कुछ कर सकती हैं ! सीमा बोली -आप बताइए क्या करना है ? पुजारी ने कहा -- एक गिलास पानी भर लीजिए और 2 बार मंदिर परिसर के अंदर परिक्रमा लगाइए । शर्त ये है कि गिलास का पानी गिरना नहीं चाहिये ! सीमा बोली -- मैं ऐसा कर सकती हूँ ! सीमा ने कुछ समय उपरांत परिक्रमा पूर्ण करली ! उसके बाद मंदिर के पुजारी ने महिला से 3 सवाल पूछे - 1.क्या आपने किसी को फोन पर बात करते देखा? 2.क्या आपने किसी को मंदिर में गपशप करते देखा? 3.क्या किसी को पाखंड करते देखा? 4 . क्या आपका ध्यान किन्हीं और बातों पर गया ? सीमा बोली -- नहीं ! फिर पुजारी बोले --- जब आप परिक्रमा लगा रही थीं तो आपका पूरा ध्यान गिलास पर था कि इसमें से पानी न गिर जाए इसलिए आपको कुछ दिखाई नहीं दिया| अब जब भी आप मंदिर आयें तो अपना ध्यान सिर्फ भगवान कृष्ण में ही लगाना फिर आपको कुछ दिखाई नहीं देगा| सिर्फ भगवान ही सर्वत्र दिखाई देगें| '' जाकी रही भावना जैसी .. प्रभु मूरत देखी तिन तैसी|'' इसी तरह जब हम जीवन मे सुखों पर ध्यान न देकर दुखों पर ध्यान देते हैं तो चारो तरफ दुख के कारण नजर आते हैं इस के लिए कौन जिम्मेदार है ? ना परिवार के सदस्य ना भगवान, ना गृह-नक्षत्र, ना भाग्य, ना रिश्तेदार, ना पडोसी, ना सरकार, जिम्मेदार हम स्वयं है| क्यूँ क़ि जो हम देख रहे होते हैं वही दिखाई देता है ! आपका जीवन प्रकाशमय हो जय जय श्री राधे .....💗💗💗 (at Vrindavan) https://www.instagram.com/p/Bosl8MuAbLX/?utm_source=ig_tumblr_share&igshid=pe1cu178asi4
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*🌱आपके पास क्या है देने को ? *🌱 गोपाल के घर में हरा भरा सुन्दर फल फूलों का बगीचा था , उसके पडौस में रमेश का घर था जिसमे कई सदस्य रहते थे ! आज सुबह जब गोपाल ने अपने घर का दरवाजा खोला तो देखा कि पडौस ��े घर से किसी ने बाल्टी भर कूड़ा , उसके घर के दरवाजे के सामने डाल दिया है ! शाम को गोपाल ने एक बाल्टी ली., उसमे अपने बगीचे के ताजे फल रखे और फिर पड़ौसी रमेश के घर की घंटी बजाई ! रमेश के घर के लोगों ने जब झांककर देखा तो बेचैन हो गये और वो सोचने लगे कि ...गोपाल उनसे सुबह की घटना के लिये लड़ने आया है ! अतः वे पहले से ही तैयार हो गये और बुरा - भला , सोचने लगे ! मगर जैसे ही उन्होने दरवाजा खोला , उन्होंने देखा - रसीले ताजे फलों की भरी बाल्टी के साथ चेहरे पर मुस्कान लिए पडोसी गोपाल सामने खडा था...! अब सब हैरान - परेशान थे ! उसने अंदर आने की इजाजत मांग घुसते ही कहा - " हरे कृष्णा , जो मेरे पास था , वही मैं आपके लिये लाया हूँ कृपया इसे स्वीकार कर मुझे धन्य करें ! " 💎यही जीवन का सच है ... *जिसके पास जो है , वही तो वह दूसरे को दे सकता है*.! और जो आप दुसरों को दोगे वो लौटकर कहीं न कहीं से , किसी न किसी के द्वारा आपके पास अवश्य आएगा । *प्यार बाँटो प्यार मिलेगा *खुशियाँ बाँटो तो खुशियाँ मिलेंगी ... इसके विपरीत घृणा , क्रोध , निंदा ...बाँटोगे तो यही मिलेगा ! 💎जरा सोचिये , कि आपके पास दूसरों को देने के लिये क्या है कूड़ा करकट या फल -फूल . .? 🌿 🌷 🌷 🌿 जय जय श्री राधे ....💜💜💜 (at Vrindavan) https://www.instagram.com/p/BoqBYBwgZDg/?utm_source=ig_tumblr_share&igshid=18kp0ok5yoxcd
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💎सिर्फ हरे कृष्ण महामंत्र ही क्यूँ ?💎 सभी शास्त्रों एवं श्री चैतन्य महाप्रभु ने कलियुग में हरे कृष्ण महामंत्र कीर्तन ही बताया है । *अथर्ववेद की अनंत संहिता में – षोडषैतानि नामानि द्वत्रिन्षद्वर्णकानि हि | कलौयुगे महामंत्र: सम्मतो जीव तारिणे || अर्थात : सोलह नामों तथा बत्तीस वर्णों से युक्त महामंत्र का कीर्तन ही कलियुग में जीवों के उद्धार का एकमात्र उपाय है| *यजुर्वेद क�� कलि संतारण उपनिषद् में - इ��ि षोडषकं नाम्नाम् कलि कल्मष नाशनं | नात: परतरोपाय: सर्व वेदेषु दृश्यते || अर्थात : सोलह नामों वाले महामंत्र का कीर्तन ही कलियुग में कल्मष का नाश करने में सक्षम है| इस मन्त्र को छोड़ कर कलियुग में उद्धार का अन्य कोई भी उपाय चारों वेदों में कहीं भी नहीं है | *अथर्ववेद के चैतन्योपनिषद में - स: ऐव मूलमन्त्रं जपति हरेर इति कृष्ण इति राम इति | अर्थात : भगवन गौरचन्द्र सदैव महामंत्र का जप करते हैं जिसमे पहले ‘हरे’ नाम, उसके बाद ‘कृष्ण’ नाम तथा उसके बाद ‘राम’ नाम आता है| ऊपर वर्णित क्रम के अनुसार महामंत्र का सही क्रम यही है क़ि यह मंत्र ‘हरे कृष्ण हरे कृष्ण...’ से शुरू होता है | *पद्मपुराण में - द्वत्रिन्षदक्षरं मन्त्रं नाम षोडषकान्वितं | प्रजपन् वैष्णवो नित्यं राधाकृष्ण स्थलं लभेत् || जो वैष्णव नित्य बत्तीस वर्ण वाले तथा सोलह नामों वाले महामंत्र का जप तथा कीर्तन करते हैं– उन्हें श्रीराधाकृष्ण के दिव्य धाम गोलोक की प्राप्ति होती है | जय जय श्री राधे ....💗💗💗 (at Vrindavan) https://www.instagram.com/p/Bonf5eRApHK/?utm_source=ig_tumblr_share&igshid=9pvccbubd0uv
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💎कर्म बंधनों से मुक्ति का उपाय 💎 रामनाथ भक्त को खाने , पीने , या कुछ अन्य कार्य करने से पहले ' कृष्ण अर्पण' कहने की अटूट आदत पड़ गयी थी । एक दिन घर का कूड़ा फेंकते हुए कहा क़ि "कृष्ण अर्पण""कृष्ण अर्पण" ,नारद मुनि ने जब यह सुना तो प्रकट होकर उस भक्त को थप्पड़ मारा क़ि कृष्ण को कूड़ा अर्पण कर रहा है। फैक कूड़ा रहा है और कह रहा है कि कृष्ण अर्पण" राम नाथ भक्त कृष्ण के प्रेम में रंगे हुये थे । कहने लगे नारद मुनि तुमने जो थप्पड़ मारा है वो थप्पड़ भी "कृष्ण अर्पण" अब नारद जी ने दूसरे गाल पर थप्पड़ मारते हुए कहा कि बेकूफ़ आदमी तू थप्पड़ को भी कृष्ण अर्पण कह रहा है । लेकिन उस भक्त ने फिर यही कहा आपका मारा यह थप्पड़ भी "कृष्ण अर्पण"। जब नारद मुनि ये बात बताने कृष्ण लोक में पहुँचे तो क्या देखते है कि कृष्ण के दोनों गालों पर उँगलिय��ं के निशान बने हुए थे " , नारद पूछने लगे कि"भगवन यह क्या हो गया" ? आप के चेहरे पर यह निशान कैसे पड़े", तब कृष्ण कहने लगे कि "नारद मुनि थप्पड़ मारे भी तू और पूछे भी तू" , नारद जी कहने लगे क़ि "मैं आप को थप्पड़ कैसे मार सकता हूँ"?, कृष्ण कहने लगे, "नारद मुनि जिस भक्त ने कूड़ा फेंकते हुए यह कहा था क़ि कृष्ण अर्पण और तुमने उस को थप्पड़ मारा था तो वह थप्पड़ सीधे मुझे ही लगा था , क्योकि वह मुझे अर्पण था"... सार :-जब हम कर्म करते समय कर्ता का भाव निकाल लेते हैं । और अपने हर काम में , मै , मेरी, मेरा की भावना हटा कर कृष्ण को आगे रखते हैं तो सभी कर्म कृष्ण को अर्पित हो जाते हैं और हम कर्मों के पाप पुण्य बंधन से मुक्त रहते हैं ! और यही भक्ति का मूल तात्पर्य है । जय जय श्री राधे💗💗💗 https://www.instagram.com/p/Boi8bXdAdvi/?utm_source=ig_tumblr_share&igshid=mkemdr4cgrvl
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💜सर्वश्रेष्ठ सेवा कृष्ण से जोडना 💜 अगर हम आज किसी की जरूरत पूरी कर दें तो कल उसकी दूसरी जरूरत पैदा हो जायेगी । अगर हम आज किसी भूखे को खाना खिला दें तो उसको कल फिर भूख लग आयेगी ! लेकिन अगर हम किसी को कृष्ण से जोड़ दें तो उसकी जन्म जन्म की जरूरतें पूरी हो जाएँगी और उसकी भूख हमेशा के लिए शाँत हो जायेगी ! ! ! जय जय श्री राधे ...💗💗💗 https://www.instagram.com/p/BohAPo0ACNX/?utm_source=ig_tumblr_share&igshid=qr02xclcg6d7
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💎सबके लिए माँगने का फल 💎 सुरेश भक्त ने प्रभुपाद से कहा कि मैं आपके सभी उपदेशों को स्वीकार करता हूँ , लेकिन एक बात मानना बहुत कठिन है । आप कहते हैं कि जब तुम प्रार्थना करो तो अपनी मत सोचो, अपने लिए मत कुछ मांगो ; सदा यही कहो कि मेरी प्रार्थना से जो फल आए वह सबको मिले, उसका आनंद सब में बंट जाए । सुरेश ने कहा, यह बात भी ठीक है, लेकिन मैं इसमें एक अपवाद करना चाहूंगा । और वह यह कि प्रार्थना का फल मेरे एक शत्रु रमेश को न मिले है । उसको छोड़कर सबको प्राप्त हो । तब प्रभूपाद ने सुरेश से कहा कि तो तुम्हारी प्रार्थना करना व्यर्थ है । अगर तुम अपनी प्रार्थना का फल सबको बांटने को तैयार नहीं हो तो उसका कुछ भी पुण्य फल तुमको प्राप्त नहीं होगा । और अगर प्रार्थना का फल सबमें बांट दोगे तो सबका फल तुमको प्राप्त होगा । तात्पर्य :- जब हम सबकी सुख समृद्धि औऱ सफलता के लिए प्रार्थना करेँगे तो हमको भगवान से अलग से कुछ माँगने की जरूरत नहीं क्यूँ क़ि सबके लिए प्रार्थना में हम स्वतः ही शामिल हैं । लेकिन अगर हम किसी एक व्यक्ति को भी अपना शत्रु मानते हैं और उसको कृपा से वंचित रखते हैं तो सबसे पहले हम अपने को ही कृपा से वंचित कर देते हैं । 💜प्रेम से बोलें जय जय श्री राधे ....💜 https://www.instagram.com/p/BodgGk-gQnE/?utm_source=ig_tumblr_share&igshid=1mddfnt8z8h24
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💗💗💗कीर्तन कृष्ण का घर 💗💗💗 बिहारी जी के एक परम प्रिय भक्त थे रामसुख वह नित्य प्रति बिहारी जी का कीर्तन करता थे । उनके ह्रदय का ऐसा भाव था कि बिहारी जी नित्य कीर्तन सुनने आते थे। एक दिन स्वप्न में बिहारी जी ने रामसुख से शिकायत करते हुए कहा- " तुम नित्य कीर्तन करते हो और मैं नित्य सुनने आता भी हूं लेकिन आसन ना होने के कारण मुझे कीर्तन में खड़े रहना पड़ता है जिस कारण मेरे पांव दुख जाते है, अब तू ही मुझे मेरे योग्य कोई आसन दे जिस पर बैठ मैं तेरा कीर्तन सुन सकूँ।" तब भक्त ने कहा-" प्रभु ! स्वर्ण सिंहासन पर मैं आपको बैठा सकूं इतना मुझमें सामर्थ्य नहीं और भूमि पर आपको बैठने के लिए कह नहीं सकता यदि कोई ऐसा आसन है जो आपके योग्य है तो वो है मेरे ह्रदय का आसन आप वहीं बैठा कीजिये प्रभु । " बिहारी जी ने हंसते हुए कहा-"वाह ! मान गया तेरे प्रेम भक्ति भाव को ! मैं तुझे ये वचन देता हूं जो भी भक्त प्रेम भाव से मेरा कीर्तन करेगा मैं उसके ह्रदय में सदा निवास करूँगा "। बिहारी जी का कथन है , वह ना बैकुंठ में रहते है ना योगियों के योग में और ना ध्यानियों के ध्यान में वह तो प्रेम भाव से कीर्तन करने वाले के ह्रदय में रहते हैं । इसलिए अगर कृष्ण को अपने ह्रदय में विराजमान करना है तो उसका सबसे आसान औऱ सनातन तरीका है ....हरीनाम संकीर्तन ! 💗प्रेम से बोलो जय-जय श्री राधे...💗 (at Vrindavan) https://www.instagram.com/p/BobG1GeAW2N/?utm_source=ig_tumblr_share&igshid=5vorwg8cqbeo
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💎💎💎संसार की रीत 💎💎💎 राजनगर के मशहूर चित्रकार गोविन्द ने एक बहुत सुन्दर तस्वीर बनाई और उसे नगर के चौराहे मे लगा दिया और नीचे लिख दिया कि जिस किसी को , जहाँ भी इस में कमी नजर आये वह वहाँ निशान लगा दे । जब उसने शाम को तस्वीर देखी , उसकी पूरी तस्वीर जगह जगह निशानों से ख़राब हो चुकी थी । यह देख वह बहुत दुखी हुआ । उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था। कि अब क्या करे वह दुःखी बैठा हुआ था । तभी उसका मित्र प्रकाश वहाँ से गुजरा उसने उस के दुःखी होने का कारण पूछा तो उसने उसे पूरी घटना बताई । उसने कहा एक काम करो कल दूसरी तस्वीर बनाना और उस मे लिखना कि जिस किसी को इस तस्वीर मे जहाँ कहीं भी कोई कमी नजर आये उसे सही कर दे । उसने अगले दिन यही किया । शाम को जब उसने अपनी तस्वीर देखी तो उसने देखा कि तस्वीर पर किसी ने कुछ नहीं किया । वह संसार की # रीति समझ गया । "कमी निकालना , निंदा करना , बुराई करना ये आ�� लोगों की आदत होती है । इसलिए लोगों की परवाह किए बगैर अपने लक्ष्य की ओर आगे बढ़ते रहिए । हरे कृष्णा https://www.instagram.com/p/BoYNCYCA4uN/?utm_source=ig_tumblr_share&igshid=124hwdfkt0ijj
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अशोक राजा अपनी प्रजा का हाल-चाल पूछने के लिए गाँवों के दौरे पर निकले । घूमते-घूमते उसके कुर्ते का बटन टूट गया! उसने अपने मंत्री को कहा कि इस गांव में कौन सा दर्जी है,जो मेरे बटन को सिल सके। गोपाल दर्जी, जो कपडे सिलने का काम करता था, उसको राजा के सामने ले जाया गया । राजा ने कहा कि तुम मेरे कुर्ते का बटन सी सकते हो ? दर्जी ने कहा यह कोई मुश्किल काम थोड़े ही है ! उसने मन्त्री से बटन ले लिया, धागे से उसने राजा के कुर्ते का बटन फौरन टांक दिया। क्योंकि बटन भी राजा का था, सिर्फ उसने अपना धागा प्रयोग किया था, राजा ने दर्जी से पूछा कि कितने पैसे दूं ? उसने कहा :-" महाराज रहने दो, छोटा सा काम था।" उसने मन में सोचा कि बटन राजा के पास था, उसने तो सिर्फ धागा ही लगाया है । राजा ने फिर से दर्जी को कहा कि नहीं नहीं,बोलो कितने दूं ? दर्जी ने सोचा की दो रूपये मांग लेता हूँ। फिर मन में सोच कहीं राजा यह न सोचे कि बटन टांकने के मेरे से दो रुपये ले रहा है तो गाँव बालों से कितना लेता होगा, क्योंकि उस जमाने में दो रुपये की कीमत बहुत होती थी। दर्जी ने राजा से कहा कि :-- " " "महाराज जो भी आपकी इच्छा हो, दे दो।" अब राजा तो राजा था। उसको अपने हिसाब से देना था। कहीं देने में उसकी इज्जत ख़राब न हो जाये। उसने अपने मंत्री को कहा कि इस दर्जी को दो गांव दे दो! कहाँ दर्जी सिर्फ दो रुपये की मांग कर रहा था पर राजा ने उसको दो गांव दे दिए । इसी तरह जब हम प्रभु कृष्ण पर सब कुछ छोड़ते हैं तो वह अपने हिसाब से देता है। और जब हम मांगते हैं तो सिर्फ हम मांगने में कमी कर जाते हैं । देने वाला तो पता नहीं क्या देना चाहता है, अपनी हैसियत से, और हम बड़ी तुच्छ वस्तु मांग लेते हैं । इसी लिए गुरु , संत और शास्त्र कहते हैं ,कि श्री कृष्ण के चर��ों में अपना सब कुछ सर्मपण कर दो, उनसे कभी कुछ न मांगों, जो वो अपने आप दें, बस उसी से खुश रहो। फिर देखो उसकी लीला। वारे के न्यारे हो जाएंगे। हमको वो सब मिल जाएगा जिसकी कभी हमने कल्पना तक नहीं की होती है ! जय जय श्री राधे .... https://www.instagram.com/p/BoVfWDgAwO6/?utm_source=ig_tumblr_share&igshid=19uof3e95xzmr
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💜💜💜सदैव खुश कैसे रहें💜💜💜 *जंगल में एक कौआ रहता था..* *जो अपने जीवन से पूर्णतया संतुष्ट था..* *लेकिन एक दिन उसने बत्तख देखी और सोचा : -* *“यह बत्तख कितनी सफ़ेद है और मैं कितना काला हूँ. यह बत्तख तो संसार की सबसे ज़्यादा खुश पक्षी होगी....!”* *उसने अपने विचार बत्तख को बतलाए..* *बत्तख ने उत्तर दिया : - “दरअसल मुझे भी* *ऐसा ही लगता था कि मैं सबसे अधिक खुश पक्षी हूँ जब तक मैंने दो रंगों वाले तोते को नहीं देखा था..* *अब मेरा ऐसा मानना है कि तोता सृष्टि का सबसे अधिक खुश पक्षी है...!”* *फिर कौआ तोते के पास गया..* *तोते ने उसे समझाया : -* *“मोर को मिलने से पहले तक मैं भी एक अत्यधिक खुशहाल ज़िन्दगी जीता था..* *परन्तु मोर को देखने के बाद मैंने जाना कि मुझमें तो केवल दो रंग हैं जबकि मोर में विविध रंग हैं...!”* *तोते को मिलने के बाद वह कौआ चिड़ियाघर में मोर से मिलने गया..* *वहाँ उसने देखा कि उस मोर को देखने के लिए हज़ारों लोग एकत्रित थे..* *सब लोगों के चले जाने के बाद कौआ मोर के पास गया और* *बोला : -* *“प्रिय मोर...! तुम तो बहुत ही खूबसूरत हो. तुम्हें देखने प्रतिदिन हज़ारों लोग आते हैं. पर जब लोग मुझे देखते हैं तो तुरन्त ही मुझे भगा देते हैं. मेरे अनुमान से तुम भूमण्डल के सबसे अधिक खुश पक्षी हो...!”* *मोर ने जवाब दिया : - “मैं हमेशा सोचता था* *कि मैं भूमण्डल का सबसे खूबसूरत और खुश पक्षी हूँ.* *परन्तु मेरी इस सुन्दरता के कारण ही मैं इस चिड़ियाघर में फँसा हुआ हूँ..* *मैंने चिड़ियाघर का बहुत ध्यान से निरीक्षण किया है और तब मुझे यह अहसास हुआ कि इस पिंजरे में केवल कौए को ही नहीं रखा गया है..* *इसलिए पिछले कुछ दिनों से मैं इस सोच में हूँ कि अगर मैं कौआ होता तो मैं भी खुशी से हर जगह घूम सकता था...!”* 💎💎💎💎💎💎💎💎💎💎💎💎ये कथा इस संसार में हम सबकी परेशानियों का सार प्रस्तुत करती है. कौआ सोचता है कि बत्तख खुश है! बत्तख को लगता है कि तोता खुश है! तोता सोचता है कि मोर खुश है! जबकि मोर को लगता है कि कौआ सबसे खुश है! 💎💎💎💎💎💎💎💎💎💎💎💎 संदेश :- *दूसरों से तुलना हमें सदा दुखी करती है.हमें दूसरों के लिए खुश होना चाहिए, तभी हमें भी खुशी मिलेगी. हमारे पास जो है* *उसके लिए हमें सदा आभारी रहना चाहिए.* *खुशी हमारे मन में होती है.हमें जो दिया गया है उसका हमें सर्वोत्तम उपयोग करना चाहिए. हम दूसरों के जीवन का अनुमान नहीं लगा सकते. हमें सदा कृतज्ञ रहना चाहिए.* *जब हम जीवन के इस तथ्य को समझ लेंगें तो सदा प्रसन्न रहेंगें........!* 💗जय जय श्री राधे ....💗 (at Vrindavan) https://www.instagram.com/p/BoTRQLwgstB/?utm_source=ig_tumblr_share&igshid=1n3g7ba7j8p6p
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💗प्रेम का मूल है अपनापन💗 जिसको हम अपना मान लेते हैं उसमे हमारी प्रियता हो जाती है उसकी याद अपने आप आती है । उसको याद करना नहीं पड़ता ! उसको हम कभी भूल नहीं सकते । मरते समय भी वो याद रहता है । इसी प्रकार यदि हम कृष्णा को अपना मान लें तो कृष्ण में हमारी प्रियता हो जायेगी । कृष्ण अपने आप याद रहेंगे । कृष्ण को याद करना नहीं पड़ेगा । कृष्ण को हम कभी भूल नहीं सकते । मरते समय भी कृष्ण हमको याद रहेंगे । और जब मरते समय कृष्ण याद रहेंगे तो हम अवश्य कृष्णधाम पहुँच जाएँगे । जय जय श्री राधे ... (at Vrindavan) https://www.instagram.com/p/BoQnLfigf4b/?utm_source=ig_tumblr_share&igshid=1qa7xazp3nrz5
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https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=585369005216833&id=100012312164296 (at Vrindavan) https://www.instagram.com/p/BoO2lcCANkO/?utm_source=ig_tumblr_share&igshid=7z0ouwst1c0w
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🍁 अगर हमको स्वयं का बोध है! 🍁 कि हम एक आत्मा हैं ! आत्मा न स्त्री होती है न पुरुष। तब हमको कोई चरित्रहीन कहे या चरित्रवान। अच्छा कहे या बुरा। .. ऐसे बाह्य गौण शब्द, परिभाषा या ठप्पे हमको हिला नही सकते । बाहरी लोगों के शब्द हमको तब तक हिलाते हैं जब तक हमको स्वयं का बोध नहीं हो जाता । असली आनन्द तो स्वयं हमारी आत्मा मे है। और... इस आनन्द का स्विच ऑन ऑफ हमारे अंतरमन में है दूसरों के शब्दों में नहीं । इसलिए अपने आप स्वयं का बोध करें । लोगों की चिंता छोड़े । हरे कृष्ण (at Vrindavan) https://www.instagram.com/p/BoHC5QSg8RN/?utm_source=ig_tumblr_share&igshid=1d9lwliowj7u3
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🍁🍁🍁दिव्य गुण...!🍁🍁🍁 "सहनशीलता, करुणा , दया , नम्रता" ये दिव्य गुण हैं, जितना ये बढेंगे उतनी ही हमारी भक्ति और आगे बढ़ेगी । एक व्यक्ति ने एक बुरा वाक्य कह दिया और हमको बुरा लग जाता है तो हमारी भक्ति शून्य है । इतनी अधिक दीनता हो कि - कोई बुरा बोले और हमको बिल्कुल फील न हो तो हम आसानी से बिना विचलित हुए भक्ति कर सकते हैं । विचलित होने से भक्ति नहीं हो सकती । हमारे सामने कोई कहे तू स्वार्थी है, मक्कार है, ��ूर्त है, लोभी है , बहुत बुरा व्यक्ति है और हम अंदर से उसको धन्यवाद दें और कहें ठीक तो कह रहे हो तुम! फिर इस मन में केवल दिव्य हरि गुण रहेंगे, न राग , न द्वेष , न कोई घृणा फिर हमेशा कृष्ण हमारे मन में रहेंगे। हरे कृष्णा (at Vrindavan) https://www.instagram.com/p/Bn71_iDA-iS/?utm_source=ig_tumblr_share&igshid=1gs6ev904guaq
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