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khatronkaykhilari-blog · 5 years ago
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पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान भिड़ते क्यों रहते हैं
पाकिस्तान ने अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी काबुल में मौजूद अपने दूतावास के वीज़ा सेक्शन को अनिश्चित काल के लिए बंद करने का ऐलान किया है.
इस घोषणा के बाद से अफ़ग़ान नागरिकों को वीज़ा दिए जाने की प्रक्रिया भी रोक दी गई है. इसके पीछे पाकिस्तान ने सुरक्षा कारणों का हवाला दिया है.
यह घोषणा उस समय की गई है जब काबुल में अफ़ग़ान अधिकारियों द्वारा पाकिस्तानी राजनयिकों के कथित उत्पीड़न की दो घटनाएं सामने आई थीं.
इसके अलावा, कुछ दिन पहले पाक-अफ़ग़ान सीमा पर दोनों देशों के सुरक्षाब��ों की ओर से गोलीबारी भी हुई थी जिसमें पाकिस्तानी इलाक़े में पांच लोग ज़ख़्मी हो गए थे.
काबुल में पाकिस्तानी दूतावास की ओर से जारी एक संक्षिप्त बयान में कहा गया है कि वीज़ा सेक्शन सुरक्षा कारणों से सोमवार से बंद रहेगा. इसके अलावा और कोई जानकारी नहीं दी गई.
दो दिन पहले, अफ़ग़ानिस्तान में तैनात पाकिस्तानी राजनयिकों ने आरोप लगाया था कि अफ़ग़ान अधिकारी उन्हें काबुल में परेशान कर रहे हैं. उनका कहना था कि पाकिस्तानी राजनयिकों के वाहनों को कई बार रोका गया और वापस दूतावास भेज दिया गया.
पाकिस्तानी प्रशासन ने मीडिया को एक वीडियो भी जारी किया जिसमें अफ़ग़ान प्रशासन के लोग काबुल में उप राजदूत हसन वज़ीर और एक अन्य राजनयिक की गाड़ी को रोक रहे हैं.
पाकिस्तानी राजनयिकों का दावा है कि उन्हें अपनी मर्ज़ी से काबुल स्थिति दूतावास से बाहर भी नहीं निकलने दिया जा रहा, जिससे उन्हें कई समस्याएं हो रही हैं.
पाकिस्तान ने बाद में इस्लामाबाद में अफ़ग़ानिस्तान के कूटनीतिक प्रतिनिधि को विदेश मंत्रालय बुलाया और अपने राजनयिकों से हो रहे व्यवहार को लेकर चिंता जताई.
हालांकि, चार नवंबर को अफ़ग़ानिस्तान के विदेश मंत्री की ओर से जारी बयान में दावा किया गया है कि पाकिस्तान में अफ़ग़ान राजनयिक को आईएसआई ने बुलाया और उनके साथ दुर्व्यवहार किया.
पाकिस्तान ने अभी तक इस आरोप पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. न तो कोई पुष्टि की गई है और न ही इसका खंडन किया गया है.
यह ध्यान देने वाली बात है कि पेशावर में अफ़ग़ान वाणिज्य दूतावास भी पिछले तीन हफ्तों में बंद है जिसके कारण अफ़ग़ानिस्तान जाने की इच्छा रखने वाले पाकिस्तानियों को वीज़ा लेने में दिक्कत हो रही है.
अफ़ग़ान सरकार का कहना है कि पेशावर में अफ़ग़ान बाज़ार से अफ़ग़ानिस्तान का झंडा जबरन उतारे जाने के विरोध में उसने अपने इस दफ़्तर को बंद किया है.
अफ़ग़ान सरकार लंबे समय से इस बाज़ार पर अपने मालिकाना हक़ का दावा करती है जबकि एक पाकिस्तानी नागरिक ने दावा किया कि उसके पूर्वजों ने इस बाज़ार को लीज़ पर अफ़ग़ान सरकार को दिया था. मगर बाद में मामला कोर्ट में चला गया जहां फ़ैसला पाकिस्तानी नागरिक के पक्ष में आया.
पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान के रिश्ते अधिकतर समय तनाव भरे रहे हैं. अगर ऐतिहासिक तौर पर देखें तो दोनों पड़ोसियों के बीच कई मामले अनसुलझे हैं.
अक्सर देखा गया है कि इ�� अनसुलझी समस्याओं के कारण ही कई बार गंभीर समस्याएं खड़ी हो जाती हैं.
पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान के बीच मुख्य मुद्दा है सीमा का, जिसे डूरंड रेखा कहते हैं. इसे लेकर दोनों देशों के बीच विवाद रहता है.
अफ़ग़ानिस्तान शुरू से ही इस रेखा को मानने से इनकार करता है जबकि पाकिस्तान मानता है कि यह अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त सीमा है.
दोनों देशों के बीच लंबी सीमा है और आरोप लगते हैं कि डूरंड रेखा के दोनों ओर मौजूद चरमपंथी इधर-उधर आते-जाते रहते हैं और एक-दूसरे के इलाक़ों में हमले करते हैं.
हालांकि, दिसंबर 2014 में पेशावर के आर्मी पब्लिक स्कूल पर हुए हमले के बाद पाकिस्तान ने सीमा पर कई इंतज़ाम किए थे. इनमें बाड़ लगाने और अफ़ग़ान नागरिकों को क़ानूनी ढंग से ही पाकिस्तान आने की इजाज़त देना प्रमुख हैं.
फिर भी, सीमा पर तनाव कम होने के कोई संकेत नहीं मिले. हाल के समय में दोनों देशों के बीच सीमा में फ़ायरिंग हुई है और पाकिस्तान के क्षेत्र में लोग भी जख़्मी हुए हैं.
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khatronkaykhilari-blog · 5 years ago
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पूर्वी चीन सागर में नमक के आख़िरी किसान
पूर्वी चीन सागर में झेजियांग प्रांत के तट से दूर 18 हज़ार छोटे-बड़े द्वीप बिखरे हुए हैं. ज़्यादातर द्वीप इतने छोटे हैं कि उन पर कोई नहीं रहता.
उनमें से एक द्वीप अन्य के मुक़ाबले समुद्र तल से ज़्यादा उठा हुआ है. वह है हुआओ द्वीप.
चीन और चीन से बाहर क़रीब 13 वर्ग किलोमीटर में फैले हुआओ की पहचान यहां की क़ुदरती चट्टानों की वजह से है, जिन्हें अजूबा माना जाता है.
��ह पूर्वी चीन सागर का एकमात्र ऐसा द्वीप है, जहां नमक तैयार किया जाता है.
कुछ साल पहले तक झेजियांग के कई द्वीपों पर नमक तैयार किया जाता था. अब नमक का उत्पादन करने वाले लोग और उनके फ़ार्म सिर्फ़ हुआओ द्वीप पर बचे हैं.
नमक क़रीब साढ़े छह करोड़ साल पुराने इस द्वीप की 'नक़दी फ़सल' है. यहां के किसान पिछले 1,300 साल से समुद्री नमक की फ़ार्मिंग कर रहे हैं और आज तक उनकी तकनीक में कोई बदलाव नहीं आया.
भूरे रंग की चट्टानी पहाड़ियों से घिरे इस द्वीप में नमक के चौकोर खेत हैं. छोटे-बड़े आकार के आयताकार खेतों के बीच में रास्ते बने हुए हैं. कुछ रास्ते इतने चौड़े हैं कि उन पर मोटर गाड़ियां भी चल सकती हैं.
नमक के खेतों के रंग अलग-अलग दिखते हैं. ऊपर से देखने पर कुछ खेत समुद्री पानी की तरह नीले रंग के दिखते हैं तो कुछ के रंग भूरे नज़र आते हैं.
रंग से उनके पानी में नमक के गाढ़ेपन का पता चलता है. गाढ़ापन बढ़ने पर पानी का रंग बदलने लगता है.
हुआओ द्वीप पर नमक के खेत 400 हेक्टेयर में फैले हैं. इनको आप अपनी सुविधा से नमक के तालाब भी कह सकते हैं.
नमक के ये मैदान या समुद्री पानी के वाष्पीकरण के लिए बने उथले तालाब सिर्फ़ ऐतिहासिक अवशेष नहीं हैं. ये चीन और बाहर के कई देशों की नमक की मांग पूरी करते हैं.
हुआओ द्वीप पर क़रीब 1,000 लोग रहते हैं. उनमें से सिर्फ़ 40 लोग ही नमक के खेतों में काम करते हैं.
ये किसान खेतों में बने पूल में मोटर पंप के ज़रिये समुद्र का खारा पानी लाते हैं. सूरज की रोशनी पड़ने पर पानी भाप बनकर उड़ना शुरू हो जाता है.
इसके बाद किसानों की मेहनत शुरू होती है. वे तपती धूप में पानी को हिलोरते हैं और तलछट को निकालते रहते हैं ताकि खेतों में गंदगी न रहने पाए.
पानी में नमक का गाढ़ापन बढ़ने पर वहां समुद्री नमक की परत बनने लगती है. किसान और नमक बनने का इंतज़ार करते हैं और फिर खेत में बचे हुए पानी को वापस समुद्र में बहा देते हैं.
वहां बचे हुए नमक को इकट्ठा किया जाता है. उसे छानकर साफ किया जाता है और फिर पानी के जहाजों से झेजियांग तट की ओर भेज दिया जाता है.
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khatronkaykhilari-blog · 5 years ago
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भाजपा सिर्फ़ चुनाव के असल मुद्दों से ध्यान भटकाती है: शरद पवार
महाराष्ट्र चुनावों के मद्देनज़र राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के अध्यक्ष शरद पवार ने अनुच्छेद 370, राष्ट्रवाद और कांग्रेस के साथ संबंधों समेत कई मुद्दों पर अपनी बात रखी है.
बीबीसी को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि इस बार का चुनाव किसान आत्महत्या, बुनियादी ढांचे, औद्योगिक क्षेत्र का घाटा, बेरोज़गारी, शिक्षा की स्थिति जैसे ज़रूरी मुद्दों पर केंद्रित होगा.
उन्होंने इशारों इशारों में कहा कि कुश्ती के बारे में मुझे कोई न सिखाए क्योंकि मैं कुश्ती की संस्था का अध्यक्ष हूं.
देखिये अभी स्थिति यह है कि 370 हट चुका है. 370 हटने के ख़िलाफ़ जम्मू-कश्मीर के कुछ लोगों की अलग भावना ज़रूर थी. लेकिन अधिकतर लोगों ने इसका कोई विरोध नहीं किया. कांग्रेस या अन्य लोगों ने सिर्फ़ यह बात कही थी कि कश्मीर के लोगों को विश्वास में लेकर इस क़दम को उठाइये.
370 तो अब हटाने का फ़ैसला ले लिया गया है इसका प्रभाव यह पड़ा है कि भारत के अन्य राज्यों के लोगों को वहां जो ज़मीन ख़रीदने की अनुमति नहीं थी वो मिल गयी है. लेकिन अगर आप महाराष्ट्र चुनाव की बात करें तो यहां किसानों की अलग समस्याएं हैं.
यहां सबसे बड़ी समस्या किसान आत्महत्या की है. यहां के औद्योगिक क्षेत्रों का भी हाल बुरा है. कई मज़दूरों की नौकरी जा रही है और बेरोज़गारी बढ़ रही है.
ऐसे में जो भी महाराष्ट्र में सरकार बनाएगा उसकी पहली ज़िम्मेदारी इन समस्याओं को हल करना है. 370 पर फ़ैसला आ चुका है. अब चुनाव इन मुद्दों पर होना चाहिए.
लेकिन नरेंद्र मोदी और अमित शाह अपनी सभाओं में आपको चुनौती दे रहें हैं कि आपको 370 पर अपनी भूमिका साफ़ करनी चाहिए? मैं कहता हूं कि 370 हटाया अच्छी बात है लेकिन 371 भी हटाइये और उत्तर-पूर्वी क्षेत्रों में जो प्रतिबंध है वो भी हटाने पर अब बात होनी चाहिए.
आपने नागपुर में एक सभा में कहा कि बालाकोट में जो एयर स्ट्राइक हुई थी उसमें सभी विपक्षी दलों ने इस बात का समर्थन किया था कि कार्रवा�� होनी चाहिए तो क्या आपका ये कहना है कि जो क्रेडिट अकेले स��कार ले रही है असल में वो क्रेडिट विपक्षी पार्टी और आपका भी है? नहीं हम क्रेडिट की बात नहीं मानते. लेकिन यह सच है कि विपक्षी पार्टियों को सरकार द्वारा उस समय सीमा पर हो रही गतिविधियों की ब्रीफिंग की गयी थी. उसके बाद बहस हो गयी जिसमें सभी पार्टियों ने एकमत होकर इस बात को कहा कि सेना जो भी क़दम उठाना चाहती है उठाए और सभी पार्टियां इस पर सरकार के साथ हैं.
हम देश की रक्षा के मुद्दे पर कोई राजनीति नहीं करना चाहते थे. इस पर सभी राजनितिक दल सरकार के निर्णय के साथ थे. इसका क्रेडिट सिर्फ़ हवाई दल को लेना चाहिए बाक़ी लोग अपनी छाती ठोकने लगे और 56 इंच की बात करने लगे. ये सब बिलकुल बचपना लगता है.
मुख्यमंत्री फडणवीस के साथ भी आपके बयानबाज़ी की चर्चा हो रही है, इसपर आप क्या कहेंगें? उन्होंने कहा कि उनके पास पहलवान तैयार हैं लेकिन सामने कोई पहलवान नहीं है.
सच्चाई देखें तो महाराष्ट्र में जो कुश्ती की संस्था है उसका अध्यक्ष मैं हूं इसलिए मुझे कुश्ती के बारे में कोई न सिखाए. कुश्ती अपने बराबर के या आसपास के पहलवान से होती है.
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khatronkaykhilari-blog · 5 years ago
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微软CEO:阻断美企在中国的研发弊大于益
微软在中国所做的研发,比美国以外任何地方都多。但是,随着中美关系在贸易和网络安全等问题上持续恶化,微软与中国间长达数十年的关系正在受到严密审查。
微软首席执行官萨蒂亚·纳德拉(Satya Nadella)向BBC表示,尽管出于国家安全考虑,但是退出中国,损失的东西还是要比解决的问题多。
“许多人工智能研究都是公开进行的,整个世界都将从这些公开的知识中获益。”
“对我来说,这一点从文艺复兴和科学革命以来都是如此。因此我认为,设置障碍很可能在实际上伤害多于提升,无论在哪里。”
微软在中国的第一个办事处由创始人兼首席执行官比尔·盖茨(Bill Gates)于1992年开设。主要位于北京,聘用超过200名科学家,并有超过300多名访问学者和学生。目前,它正在招聘机器学习等领域的研究人员。
据《金融时报》 4月报道,微软的研究人员正在与中国国防科技大学的团队合作,从事人工智能项目,一些外部观察者警告,这些项目可能被用作压迫手段。
美国共和党参议员特德·克鲁兹(Ted Cruz)向媒体表示,“美国公司需要明白,在中国开展业务会带来巨大且不断加深的风险。”
他补充说,“除了可能被中共以间谍活动为由打压外,美国公司也可能暴露在助长中共的人权暴行的风险之中。”
“问题是,你如何确保这些武器不被制造出来?我认为有多种机制。首先,作为创造者,我们应该从设计一套道德原则开始,确保我们所创造的人工智能是公平的、安全的、私密的和没有偏见的。”
纳德拉称,他感觉微软有足够的控制权,来决定如何使用那些有争议的新兴技术。他还表示,由于技术上的不可行性或者出于道德考量,微软曾经拒绝过中国及其他国家对一些项目的要求。
“我们的确可以控制谁来使用我们的技术。我们也有原则。不只是如何创造技术,还有人们如何使用它,我们通过使用条款来控制。而且我们还在不断完善使用条款。”
“我们也认识到,无论是在美国,在中国,还是在英国,都会对自己接受或者不接受的东西进行立法,我们也都将遵守。”
保尔森研究所(Paulson Institute)的马特·希恩(Matt Sheehan)研��了加利福尼亚的技术领域与中国经济之间的关系。他说,微软的努力,特别是其北京办事处,产生了巨大的影响。
“它极大地推动了该领域的发展,并帮助美国和欧洲最好的AI研究实验室进一步发展。”
“但是同样的进步也进入了计算机视觉领域,这是中国监视设备的关键技术。”
他还特地引用了一篇论文,强调与中国合作以及在中国工作的复杂性。《图像识别中的深度残差学习》(Deep Residual Learning for Image Recognition)于2016年发布,由微软的四位中国研究人员撰写。
根据谷歌学术搜索的论文索引,这篇论文在2014-2018年间被引用超过25256次,比其他任何研究领域的任何论文都要多。
“论文的主要作者现在为一家位于加利福尼亚州的美国科技公司工作。”希恩根据“脸书”上的发现称。
“另外两位在一家中国公司工作,这家公司涉及与监控有关的业务。最后一位作者试图在中国制造自动驾驶汽车。”
“所有这些应该让我们怎么想呢?老实说,这让我挠头和疑惑,我认为其他人也应该为此挠头和疑惑。”
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khatronkaykhilari-blog · 5 years ago
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Верховный суд Испании одобрил эксгумацию останков Франко
Верховный суд Испании принял решение по одному из самых громких процессов последнего времени, одобрив эксгумацию и перезахоронение останков Франсиско Франко.
Социалистическое правительство страны во главе с Педро Санчесом добивалось этого решения, чтобы перенести останки из государственного мавзолея в более подходящее место, а именно на кла��бище Эль-Пардо.
Семья Франко выступала против эксгумации и даже подала встречный иск в суд. Единственный вариант для перезахоронения, на который были согласны родственники Франко - это семейная усыпальница в соборе Альмудена в центре Мадрида. Но испанское правительство отказалось от этой идеи, сославшись на проблемы с обеспечением безопасности.
Его останки покоятся в огромном мавзолее около Мадрида, в Долине Павших, вместе с останками десятков тысяч погибших в годы гражданской войны. Многие считают этот мемориал памятником торжеству фашизма.
По мнению левых политиков, прах Франко не может покоиться в Долине Павших: мемориал должен стать местом примирения после гражданской войны, а не поклонения диктатору. Социалисты говорили также о том, что по закону об исторической памяти от 2007 года, в Долине Павших могут покоиться только останки людей, погибших в ходе испанской гражданской войны, Франко же умер своей смертью.
Франко пришел к власти в конце гражданской войны 1936-1939 годов, с одной стороны которой выступали фалангисты - силы Франко, а с другой - республиканцы. Франко руководил страной как каудильо Испанского государства в период с 1939-го до своей смерти в 1975 году. После его кончины в стране была восстановлена монархия.
Вопрос о перезахоронении останков Франко разделил Испанию на два лагеря - и все это на фоне подготовки страны к всеобщим выборам, которые намечены на 10 ноября.
После смерти Франко испанские политические силы договорились о так называемом негласном пакте забвения - соглашении, призванном оставить все, что происходило при Франко, в прошлом.
Новая конституция Испании, принятая 27 декабря 1978 года, провозгласила демократические свободы и закрепила принцип разделения властей.
В 1977 году был принят закон об амнистии, запретивший уголовные расследования дел, относящихся к франкистскому периоду.
Памятники Франко были убраны с улиц испанских городов, многие улицы были переименованы.
В 2007 году был принят закон об исторической памяти, который признал наличие жертв гражданской войны с обеих сторон и гарантировал помощь выжившим жертвам диктатуры Франко и их семьям.
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khatronkaykhilari-blog · 5 years ago
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Нетаньяху против экс-главы генштаба: Израиль голосует второй раз за пять месяцев
В Израиле проходят вторые за последние пять месяцев всеобщие выборы. Премьер-министр Биньямин Нетаньяху назначил повторное голосование после того, как после весенних выборов ему не удалось сформировать правящую коалицию.
Согласно опросам общественного мнения, примерно одинаковое количество избирателей поддерживают его партию "Ликуд" и оппозиционную партию "Кахоль-лаван", которую возглавляет бывший глава генштаба Бени Ганц.
Поскольку за всю историю существования Израиля ни одна партия ни разу не набрала большинства мест в Кнессете и страной всегда правили коалиции, то сейчас все внимание обращено на то, сколько именно голосов и депутатских мест получат менее крупные партии.
Переговоры между партиями о создании новой коалиции начнутся немедленно по окончанию голосования вечером во вторник, после того как будут опубликованы экзитполы.
На апрельских выборах как "Ликуд", так и "Кахоль-лаван" заручились 35 депутатскими мандатами. Всего в израильском парламенте 120 депутатов.
Тогда Биньямин Нетаньяху объявил о победе, и на какой-то момент казалось, что ему удастся создать правящую коалицию при помощи менее крупных правых и религиозных партий.
Но несколько недель переговоров между партиями не привели к результату и Кнессет самораспустился в основном потому, что партия "Наш дом Израиль", которая считается представительницей интересов русскоязычных израильтян, отказалась сотрудничать с религиозными партиями.
На первый взгляд это кажется результатом столкновений ценностей религиозных и нерелигиозных партий, говорит корреспондент Би-би-си Том Бейтман из Иерусалима.
Но у Нетаньяху было все меньше возможностей сколотить коалицию, так как его политические позиции ослаблены целым рядом обвинений в получении взяток, мошенничестве и злоупотреблении доверием. Сам Нетаньяху категорически отрицает все обвинения.
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khatronkaykhilari-blog · 5 years ago
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Проказовых не стали лишать родительских прав. Второй за день суд о детях на митингах
Лефортовский суд Москвы не стал лишать родительских прав Дмитрия и Ольгу Проказовых, которые пришли на протестную акцию 27 июля в Москве со своим годовалым сыном. Как и в случае с семьей Хомских, суд вынес Проказовым предупреждение.
"В иске прокуратуры судья полностью отказала. Проказовым также вынесли предупреждение ", - приводит Интерфакс слова адвоката Максима Пашкова.
Весь судебный процесс - включая оглашение решения - проходил в закрытом режиме. Суд решил, что это может затрагивать права и интересы несовершеннолетнего.
Сами Проказовы в суд не пришли, так как им нужно было присутствовать на школьной линейке, сообщает РИА Новости.
Ранее в понедельник Никулинский суд Москвы вынес аналогичное решение по иску прокуратуры о лишении родительских прав семьи Петра и Елены Хомских, которые пришли на протестную акцию 3 августа в Москве со своими маленькими дочерями.
Суд предупредил их, что если они будут ходить с детьми на акции протеста или окажутся в центре города во время их проведения, то ситуация может повториться.
Защита Проказовых, возможно, обжалует предупреждение прокуратуры. "Мы пока не имеем полного текста решения", - сказал адвокат Пашков. Защита супругов Хомских сразу заявила, что опротестует решение суда.
О том, что московская прокуратура обратилась в суд с иском о лишении родительских прав семьи Проказовых, стало известно 6 августа.
"В ходе митинга родители передали малолетнего ребенка , находящегося в силу возраста в беспомощном состоянии, третьему лицу, что подвергло опасности здоровье и жизнь мальчика. Таким образом, супруги, эксплуатируя ребенка, злоупотребили своими родительскими правами в ущерб интересам сына", - говорилось в сообщении прокуратуры.
"Третье лицо", которое упоминает прокуратура, - это Сергей Фомин, который проходит обвиняемым по части 2 статьи 212 УК РФ (участие в массовых беспорядках) за акцию 27 июля и сейчас находится под арестом.
По словам Дмитрия Проказова, Фомин - не посторонний человек, а близкий друг их семьи.
"Сергей - мой лучший друг, друг детства, он крестный моего старшего сына, двоюродный брат моей жены, он мой родственник. У меня даже мысли мне было, что я делаю что-то близко даже неправильное. Это просто естественно, в какой-то момент я попросил Серегу понести ребенка и мы вместе дошли до метро, спустились в метро, поехали домой", - объяснил он Би-би-си ситуацию, о которой говорится в сообщении прокуратуры.
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