kasooriinchina
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kasooriinchina · 5 years ago
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柏林墙30年:民调显示东欧人担心民主倒退
一项权威民调显示,在柏林墙倒塌引发“苏东波”政治地震、前东欧共产体制崩溃30年后,东欧国家的民众普遍认为民主正在受到威胁,对民主前景感到忧虑。
对七个东欧国家进行的这项调查报告显示,前东欧共产国家的民众普遍对政府、主要政党和主流媒体持不信任的态度。
但是,调查同时也显示年轻一代东欧人不惧权威,充满挑战精神和改变社会的自信心。
权威民调YouGov对来自保加利亚、捷克共和国、德国(前东德)、匈牙利、波兰、罗马尼亚和斯洛伐克的12500人的一项调查显示,受访者中的多数,从51%到61%不等,认为民主正在受到威胁。
保加利亚四分之三的受访者,匈牙利和罗马尼亚超过半数、波兰三分之一、德国五分之一的受访者认为,他们国家的选举既不自由也不公平。
所有7个国家的受访民众都感觉,言论自由、法治社会和抗议示威的权利正在受到攻击。
由乔治·索罗斯的开放社会基金(OSF)公布的这项调查报告说,7个国家的受访者主体都怀疑主流媒体能公平和诚实的报道新闻,也不相信政府发布的信息准确和不偏不倚。
7个东欧国家年龄超过40岁的受访者中,认为今天的世界比1989年柏林墙倒塌前更安全的人还不到四分之一。
保加利亚、匈牙利、罗马尼亚、斯洛伐克和波兰的受访者中的大多数相信,从个人层面看,批评政府会对本人有害。
但是,调查同时显示,尽管民族主义思潮汹涌,对体制的不信任日增,但“强大的持不同政见的精神和随时准备挑战掌权者”依然顽强的生存在东欧国家民众中。
调查报告称,公民社会的概念已经植根于这些前东欧共产国家。公共机构、NGO非政府组织和大学等学术机构对当局提出批评的权利普遍受到公众的支持。
报告称,调查显示,当体制让民众失望的时候,公民社会成为值得信赖的替代者。
报告说,最近发生的斯洛伐克、捷克共和国和罗马尼亚的大规模反腐败示威,波兰发生的对右翼保守政府的大规模抗议,都是鲜明的例子。
调查发现的另一个突出现象是,这些东欧国家中的年轻人,特别是Z世代(18-22岁)和千禧一代(23-37岁),踊跃投身公民社会行动。
报告说,他们自信、相信他们的行为能够带来改变并普遍接受社会公正的价值观。
特别是年轻的女性,是“发生积极变化的主导力量”。调查显示,这些国家中的年轻女性与同龄男性受访者相比,更宽容,更富有同情心,对多元化持更开放的态度。
例如,对性取向少数群体LGBT给予更多的保护,对难民和移民更宽容,持赞同态度的年轻女性都多于男性。
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kasooriinchina · 5 years ago
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IS组织头目巴格达迪可能在叙利亚被美军击毙
一位要求匿名的美国官员向路透社透露,美国军方周六(10月26日)执行了一项针对所谓“伊斯兰国”(IS)领导人巴格达迪(Abu Bakr al-Baghdadi)的打击任务。
美国总统特朗普周六晚间推特上称,“刚刚发生了一件大事。”白宫发言人霍根•吉德利(Hogan Gidley)随后确认,特朗普将在美国东部时间周日早上9点宣布重大声明。
上述匿名官员没有确认这项打击任务是否获得成功,但美国《新闻周刊》引用一位美国官员的话称,巴格达迪已在这次行动中被击毙。行动的地点是叙利亚西北部的伊德利卜省(Idlib),执行任务的美军特种部队收到了相关情报。
路透社联系到的这位官员没有透露行动的细节,白宫也没有立即回应媒体的采访要求,发言人霍根也没有对特朗普即将做出的重大声明相关内容进行说明。
巴格达迪一直被认为躲藏在叙利亚和伊拉克的边境附近,他从2010年开始领导伊斯兰国组织,当时IS还只是基地组织的地下力量。
有报道称,在2003年美军入侵伊拉克的时候他是当地一座清真寺里的神职人员。还有消息称在萨达姆•侯赛因执政时期他就已经是一名“圣战者”,他在美军监狱布卡营(Camp Bucca)被拘禁四年,在此期间转变为激进人士。这座监狱里关押了很多基地组织的高级人员。
巴格达迪2010年成为在伊拉克的基地组织领导人,该组织后来与IS合并。
IS今年早些时候发布了一段据称是巴格达迪本人的视频,在此之前,他自2014年以后就没有露过面。
美军最近从叙利亚东北部撤军的做法在美国国内遭致了批评。有人表示,特朗普的决定会导致伊斯兰国武装重新掌控这一区域并对美国造成威胁。
如果巴格达迪被击毙的消息确实,那将帮助特朗普对这些批评声做出回应。
美国官方还一直担心伊斯兰国在为叙利亚的骚乱提供支持,但也有说法称,伊斯兰国领导人越来越多的举动为美军侦查到他们的行踪提供了帮助。
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kasooriinchina · 5 years ago
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तापसी पन्नू और भूमि पेडनेकर ने 'शूटर दादी' से कैसे सीखी चाल ढाल?
कहते हैं सपने देखने की कोई उम्र नहीं होती, इस कहावत को सच कर दिखाया उत्तरप्रदेश में बागपत के जोहरी गांव में रहने वाली तोमर परिवार की बहू चन्द्रो और प्रकाशी तोमर ने.
इन्होंने हमेशा ही अपने घर का काम किआ, अपने पतिओं की सेवा की, खेत जोता और ज़्यादा कुछ ख़ास कर नहीं पाईं. लेकिन अपनी पोती का डर दूर करने गयी चंद्रो दादी ने जब पिस्तौल उठायी तब उनकी ज़िंदगी बदल गयी.
अब उनकी ज़िंदगी पर फ़िल्म भी बन गई है.
25 अक्तूबर को रिलीज़ होने वाली फ़िल्म 'सांड की आँख' में चंद्रो तोमर का किरदार निभा रही हैं भूमि पेडनेकर और प्रकाशी तोमर का किरदार निभा रही हैं तापसी पन्नू.
बीबीसी से ख़ास बातचीत की बागपत की 'शूटर दादी' चंद्रो और प्रकाशी तोमर ने.
चंद्रो तोमर की पोती शूटिंग रेंज के माहौल से घबरा गयी और रोने लगी थीं तब अपनी पोती को रोते देख उसका डर दूर करने के लिए चंद्रो तोमर ने पिस्तौल उठाई और कहा ''देख बेटी डरने की ज़रूरत नहीं है, मैं चलाके दिखाती हूँ और तब मेरा पहला ही निशाना टारगेट पर लगा, सबने कहा दादी तूने तो कमाल कर दिया.'' शायद इसी वाक्य ने उनकी ज़िंदगी बदल दी.
प्रकाशी तोमर से जब पूछा गया कि कैसे उन्होंने अपने घर गृहस्थी को साइड रख कर पिस्तौल हाथ में उठा लिया, तब उनका जवाब था, ''हमने तो अपने बच्चों का एडमिशन कराना था, हम तो बस उनके साथ जाया करते थे. 1 -2 दिन हो गए थे बैठ कर देखते थे, कैसे पिस्तौल भरते हैं, कैसे शूट करते हैं. फिर अचानक मुझे भी शौक़ चढ़ा सोचा एक बार मैं भी चला के देखूं. मेरा पहला ही छर्रा टारगेट पर लग गया तो सबने कहा दादी तू रोज़ प्रैक्टिस किया कर, तू बड़ी अच्छी है इसमें.''
फ़िल्म में तापसी पन्नू और भूमि पेडनेकर ने अपनी उम्र से बड़ी महिलाओं का किरदार निभाया है. फ़िल्म का निर्देशन तुषार हिरानंदानी ने किया है.
प्रकाशी तोमर से जब पूछा गया कि उनकी इतनी अच्छी सेहत का राज़ क्या है?
इसप वो कहती हैं, ''हम घर का खाना खाते हैं जैसे दाल चावल. बस खाने के बाद मीठा चाहिए होता है, जब घर होते हैं तो गुड़ शक्कर और जब बाहर होटल में होते हैं तो गुलाब जामुन और दूध. दूध के बिना हमसे रहा नहीं जाता.''
सांड कि आँख फ़िल्म के ट्रेलर में दिखाया गया है कि दोनों शूटर दादिओं ने अपना पहनावा नहीं छोड़ा.
इस पर चंद्रो तोमर कहती हैं, ''हमें अपनी बोली पर, अपनी पहनावे पर गर्व है, हमने अपना पहनावा कभी नहीं छोड़ा, हमने किसी की परवाह नहीं की. बस काम करने की लगन होनी चाहिए, हिम्मत करे इंसान तो सहायता करे भगवान.''
शूटर दादियों ने तापसी और भूमि को अपनी चाल ढाल कैसे सिखाई, इस सवाल के जवाब में चंद्रो तोमर कहती हैं, ''हाँ मैं और प्रकाशी को वो बात करते ��िखाया करती थीं, हमने उनको हमारी बोली बोलना सिखाया, तापसी पन्नू और भूमि पेडनेकर ने हमारे किरदारों को ख़ूब अच्छे से निभाया है.''
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kasooriinchina · 5 years ago
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इमरान ख़ान के चीन दौरे का सबसे बड़ा एजेंडा क्या है
लगभग 14 महीने पहले प्रधानमंत्री बने इमरान ख़ान तीसरी बार चीन के दौरे पर मंगलवार को बीजिंग पहुंचे. चीन की राजधानी पहुंचने से पहले कुछ घंटे पहले पाकिस्तान के सैन्य प्रवक्ता ने ट्विटर पर बताया कि चीन के सेना प्रमुख क़मर जावेद बाजवा चीनी सैन्य नेतृत्व के साथ बैठक करने पहुंचे हैं. ट्वीट में लिखा गया कि इमरान ख़ान के साथ चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और प्रधानमंत्री ली केक़ियांग की बैठक में बाजवा भी शामिल होंगे.
पाकिस्तान और चीन अपनी दोस्ती को हिमालय से भी मजबूत और शहद से भी मीठा बताते रहे हैं.
हालांकि, पाकिस्तानी नेतृत्व का यह दौरा चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के भारत दौरे से ठीक पहले हुआ है. उधर भारत प्रशासित कश्मीर में 5 अगस्त से भारत सरकार की लगाई पाबंदियों के दो महीने पूरे हो चुके हैं लिहाजा विश्लेषक सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण इमरान के इस दौरे में बहुत दिलचस्पी ले रहे हैं..
बीबीसी से बातचीत में पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद क़ुरैशी ने कहा कि दोनों देशों के बीच आर्थिक सहयोग, ख़ासकर चीन-पाकिस्तान के बीच आर्थिक गलियारे पर दूसरे चरण की बातचीत इस दौरे का सबसे बड़ा एजेंडा है.
हालांकि, उन्होंने कहा कि चीन और पाकिस्तान सभी मसलों पर एक दूसरे से सहयोग करते हैं, जिसमें द्विपक्षीय समेत सभी वैश्विक मुद्दे भी हैं, लिहाजा इस दौरे को एक निरंतर चली आ रही प्रक्रिया के रूप में देखा जाना चाहिए, ख़ासकर चीन के राष्ट्रपति के भारत दौरे से पहले.
क़ुरैशी ने कहा, "भारत जाने से पहले राष्ट्रपति शी जिनपिंग पाकिस्तान से सलाह लेना चाहते हैं, वे पाकिस्तान के नज़रिए से पूरी तरह वाकिफ़ होना चाहते हैं."
��ाकिस्तान के विदेश मंत्री का मानना है कि इस तरह के मुद्दों पर बाचतीत हो सकती है जिससे राष्ट्रपति जिनपिंग को भारत जाने से पहले पाकिस्तान की स्थिति का भलीभांति ज्ञान हो. उनका इशारा कश्मीर में अनुच्छेद 370 और 35ए के निरस्त किए जाने के बाद से ताज़ा राजनीतिक माहौल और सैन्य झड़पों की तरफ था.
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय से जारी इस दौरे के विस्तृत ब्योरे के अनुसार प्रधानमंत्री इमरान ख़ान अपने तीन दिवसीय इस दौरे के दौरान आर्थिक सहयोग के कई समझौते और मसौदे पर हस्ताक्षर करेंगे.
आधिकारिक बयान के मुताबिक प्रधानमंत्री इमरान ख़ान 5 अगस्त 2019 के बाद से भारतीय प्रशासित कश्मीर में पैदा हुए शांति और सुरक्षा के मुद्दे से जुड़ी स्थिति समेत क्षेत्रीय विकास पर विचारों का आदान प्रदान करेंगे.
पाकिस्तान चीन इंस्टीट्यूट के अध्यक्ष, मुशाहिद हुसैन सैय्यद का मानना ​​है कि राजनीतिक और कूटनीतिक दृष्टि से इमरान ख़ान का यह दौरा बेहद महत्वपूर्ण है.
वे कहते हैं, "जिस तरह 5 अगस्त के बाद से चीन ने पाकिस्तान की स्थिति का समर्थन किया है, इस दौरे का ख़ास उद्देश्य राष्ट्रपति शी जिनपिंग के भारत दौरे से पहले पाकिस्तान और चीन के बीच राजनीतिक और रणनीतिक समन्वय बनाना है."
मुशाहिद हुसैन सैय्यद ने बताया, "हमें चीन के समन्वय में कश्मीर पर अपनी रणनीति बनाने की ज़रूरत है क्योंकि इस विवाद में चीन भी एक पक्ष है. भारत ने अवैध तरीके से लद्दाख में चीन की ज़मीन पर कब्जा कर रखा है और इस क्षेत्र को नए केंद्र शासित प्रदेश में शामिल किया गया है. लिहाजा चीन और पाकिस्तान का नेतृत्व एक रणनीतिक सोच को लेकर एक साथ इस मुद्दे पर आगे बढ़ेगा."
हालांकि, राजनीतिक विशेषज्ञ डॉ. नज़ीर अहमद के अनुसार "शिनजियांग और हांगकांग के रिकॉर्ड को देखते हुए साफ़ है कि चीन इस स्थिति में नहीं है कि वो 5 अगस्त को कश्मीर से हटाए गए अनुच्छेद 370 की बहाली या फिर कर्फ़्यू को हटाने को लेकर अभी भारत पर दबाव बना सके."
वे कहते हैं, "किसी भी दो देशों के द्विपक्षीय रिश्ते की स्थिति को कोई तीसरा देश निर्धारित नहीं कर सकता. चीन का भारत के साथ राजनीतिक और आर्थिक संबंध है. भारत के साथ उसके 120 अरब डॉलर के व्यापार हैं लिहाजा ये बातें बहुत मायने रखती हैं."
हालांकि डॉ. नज़ीर मानते हैं कि कश्मीर में भारत की कार्रवाई से चीन को भी तल्खी ज़रूर ह��ई है. वे लद्दाख में बनाई जा रही हवाई पट्टी और उसके तह में छिपी बातों पर आई एक रिपोर्ट का उल्लेख करते हैं.
चीन इस विवादित क्षेत्र में हो रही कार्रवाइयों से खुश नहीं है. इसलिए शी जिनपिंग अपने भारत दौरे का उपयोग इस बाबत चीज़ों को बेहतर बनाने में कर सकते हैं. लेकिन समस्या यह है कि भारत ने इस पर कदम उठा लिए हैं और वो इस पर अड़ा हुआ है."
विश्लेषक कहते हैं कि जिनपिंग के भारत दौरे से ठीक पहले इमरान ख़ान और जनरल बाजवा का यह दौरा मोदी के साथ उनकी होने वाली बातचीत पर अपने असर डालेगा लेकिन पाकिस्तान वास्तविकता में इससे कुछ हासिल नहीं कर सकेगा. शी जिनपिंग का समर्थन महज बयानों तक ही सीमित रहेगा, वे अपने देश की रणनीति को ही तरजीह देंगे और भारत के दौरे में अपने देशहित को ही सबसे आगे रखेंगे.
कुछ हद तक पाकिस्तान भी इससे ज़्यादा कुछ उम्मीदें नहीं करता है और उसे पता है कि कूटनीतिक दिखावे और राजनीतिक दृष्टि से इसका कितना महत्व है.
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kasooriinchina · 5 years ago
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«Вежливые люди» заставили отряд шамана Габышева прекратить поход на Москву
Представители правоохранительных структур заставили отказаться от идеи похода на Москву сторонников шамана Александра Габышева, которому предъявлено обвинение в призывах к экстремистской деятельности. Его группа поддержки уверяет, что они боятся получить статус "террористической организации". Ранее задержание Габышева после выборов 8 сентября стало причиной массовых протестов в Бурятии.
Сторонники шамана из Якутии Александра Габышева завершили свой поход в Иркутской области, рассказал Znak.com один из участников мероприятия.
Причиной прекращения похода стали действия неких «вежливых людей». Данные силовики доставили в отделение полиции нескольких участников похода и пригрозили им обвинением в «терроризме» и возможным штурмом лагеря. Также сообщается, что участники были доставлены полицией из-за нарушения правил дорожного движения.
Ранее Габышев был задержан, сейчас он находится под подпиской о невыезде. Психическая экспертиза признала его вменяемым.
Глава ассоциации шаманов России Артур Цыбиков подчеркнул ранее, что бурятские шаманы не поддержали Габышева, но пытавшиеся его остановить «поступили не по-шамански».
Правоохранители обнаружили мертвым 6-месячного ребенка, которого ранее, как считает следствие, похитила 23-летняя няня Виктория Айметдинова. Девушка ранее была дважды судима за нападение на полицейского и избиение несовершеннолетней. Она была задержана рядом с лесополосой.
Как сообщает издание Znak.com, пока причина смерти ребенка не называются. По данным СМИ, девушка убила ребенка в лесу и намеревалась скрыться автостопом, но ее успели схватить.
Ранее сообщалось, что няня пропала вместе с ребенком 24 сентября в поселке Заводоуковск Тюменской области. По данным местных СМИ, няня могла похитить ребенка из мести. Оказалось, что девушки около трех лет встречалась со старшим сыном родителей похищенного младенца. Однако накануне похищения пара распалась.
Родители ребенка в тот день поехали на похороны и оставили грудничка с няней, а когда вернулись, то нашли дом пустым.
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kasooriinchina · 5 years ago
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क्या यूपी को इन तीन हिस्सों में तोड़ने वाली है सरकार? फ़ैक्ट चेक
सोशल मीडिया पर उत्तर प्रदेश के ज़िला मुख्यालयों की एक लिस्ट इस दावे के साथ शेयर की जा रही है कि 'सरकार ने यूपी के बंटवारे का मसौदा तैयार कर लिया है'.
इस लिस्ट के हवाले से फ़ेसबुक, ट्विटर और वॉट्सऐप के बहुत से यूज़र यह दावा कर रहे हैं कि 'यूपी को तीन राज्यों में बाँटा जाने वाला है. इनका नाम होगा उत्तर प्रदेश, बुंदेलखण्ड और पूर्वांचल. पहले की राजधानी लखनऊ, दूसरे की प्रयागराज और तीसरे की राजधानी गोरखपुर होगी.'
इस वायरल लिस्ट में यह भी दावा किया गया है कि यूपी के कुछ ज़िलों को उत्तराखण्ड, दिल्ली और हरियाणा में शामिल करने की योजना बनाई गई है और इसकी घोषणा जल्द ही की जाएगी.
इन दावों में कितनी सच्चाई है? यह जानने के लिए बीबीसी के तीन सौ से ज़्यादा पाठकों ने वॉट्सऐप के ज़रिये यह लिस्ट हमें भेजी है.
सोशल मीडिया पर वायरल हो रही इस लिस्ट के बारे में हमने यूपी के सीएम आदित्यनाथ योगी के सूचना सलाहकार मृत्युंजय कुमार से बात की.
उन्होंने बीबीसी से कहा, "उत्तर प्रदेश के बँटवारे की कोई योजना नहीं है. यूपी सरकार के सामने इस तरह का कोई प्रस्ताव नहीं है. सोशल मीडिया पर इससे संबंधित जो भी ख़बरें घूम रही हैं, वो फ़र्ज़ी हैं. लोग ऐसी अफ़वाहों पर ध्यान ना दें."
वहीं भारत के गृह मंत्रालय की ओर से प्रेस से बात करने वाले एक वरिष्ठ अधिकारी ने भी इस बात से इनकार किया कि 'यूपी के बँटवारे की कोई योजना' बनाई गई है.
उन्होंने कहा, "केंद्र सरकार के सामने ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं आया है. सोशल मीडिया पर शेयर की जा रही लिस्ट फ़र्ज़ी है."
उत्तर प्रदेश का एक बँटवारा 9 नवंबर 2000 को किया जा चुका है जिसके बाद भारत का 27वा�� राज्य उत्तराखण्ड बना था. इस राज्य में अब 13 ज़िले हैं.
लेकिन इसके बाद भी उत्तर प्रदेश के कुछ और टुकड़े करने की माँग समय-समय पर उठती रही है.
बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख और यूपी की तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने 2012 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से ठीक पहले यूपी को चार भागों में बाँटने का प्रस्ताव पास किया था.
मायावती सरकार ने 21 नवंबर 2011 को विधानसभा में भारी हंगामे के बीच बिना चर्चा यह प्रस्ताव पारित कर दिया था कि उत्तर प्रदेश का चार राज्यों: अवध प्रदेश, बुंदेलखण्ड, पूर्वांचल और पश्चिम प्रदेश में बँटवारा होना चाहिए.
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kasooriinchina · 5 years ago
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Август смертей в Афганистане. Что показало расследование Би-би-си
Би-би-си выяснила, что в августе в Афганистане ежедневно погибало в среднем 74 человека, в том числе женщины и дети.
Непрекращающееся насилие охватило почти всю страну, в то время как переговоры США о выводе оттуда вооруженных сил зашли в тупик.
Би-би-си удалось подтвердить 611 инцидентов, в которых погибло 2307 человек.
И движение "Талибан" (запрещено в России), и правительство Афганистана поставили под сомнение точность данных, полученных Би-би-си.
В большинстве случаев люди погибли в ходе боевых действий (при этом число погибших боевиков "Талибана" оказалось выше ожидаемого показателя), но пятая часть погибших - мирные жители.
Статистика гибели людей - лишь небольшой индикатор того, что происходит в Афганистане. Но она рисует неприглядную картину в то время, когда президент США Дональд Трамп стремится довести до конца свою внешнеполитическую цель по выводу из страны американских сил.
Примерно неделю назад Трамп прекратил переговоры между США и "Талибаном", хотя возобновление диалога не исключается.
Но прекращение огня даже не обсуждалось, и сотни афганцев продолжают гибнуть каждую неделю. Есть опасения, что перед президентскими выборами, которые пройдут в конце месяца, проявлений насилия станет больше.
После первой недели августа, унесшей жизни многих людей, "Талибан" и правительственные силы три дня не вели боевых действий во время мусульманского праздника Ид аль-Фитр.
Но Би-би-си удалось получить подтверждение гибели 90 человек во время праздника - с вечера 10 августа до захода солнца 13 августа.
Больше всего людей погибло 27 августа. Подтверждена гибель 162 человек, 47 человек получили ранения - в основном боевики "Талибана", попавшие под обстрел боевых дронов.
Больше всего мирных жителей - 112 человек - погибло 18 августа. Большинство из них стали жертвами взрыва смертника на свадьбе в Кабуле - 92 погибших и 142 раненых.
Ответственность за содеянное взяла на себя запрещенная в России группировка "Исламское государство".
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kasooriinchina · 5 years ago
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Окно в мир. Почему Гонконг жизненно важен для Китая
Китай - вторая экономика в мире и соревнуется за лидерство с США. Выходит, коммунистическая система не хуже демократии позволяет большой стране разбогатеть, и можно забыть о правах человека, независимых судах и мягком бизнес-климате?
Не выходит. Потому что у Китая есть Гонконг - островок свободы, скроенной по западному образцу. Окно в мир, через которое в обе стороны дует живительный денежный ветер, ободряя и китайскую, и мировую экономику.
Западные компании много инвестируют в Китай: собирают телефоны, шьют одежду. А Китай активно вкладывается на Западе: строит электростанции, дороги и мосты, покупает компании и банки. Счет идет на сотни миллиардов долларов в год, и большая часть этих денег проходит через Гонконг: почти 60% китайских внешних прямых инвестиций и более 70% привлеченного капитала.
Но через 20 лет после возвращения под власть Пекина над бывшей британской территорией сгущаются тучи: Китай все теснее сжимает автономию в своих объятьях, выращивает ей конкурентов и демонстрирует силу, стягивая тан��и для острастки недовольных этим сближением.
Китайское окно в мир грозит захлопнуться. Это чревато пробл��мами не только для самой населенной страны планеты, но и для всей мировой экономики. Русская служба Би-би-си разбиралась, почему Гонконг жизненно важен для Китая именно в том виде, в котором он существует сейчас.
Вернув Гонконг в конце прошлого века, Китай не стал перекраивать жизнь острова по коммунистическим лекалам и оставил все как есть, следуя заветам отца китайского экономического чуда Дэн Сяопина.
В Гонконге другие законы, политическая система, паспорта и даже язык. Судебная система независима и действует по образу английской. Жителям автономии сохранили свободу слова, вероисповедания и собраний.
К тому же Гонконг - отдельный и равноправный член Всемирной торговой организации, у него своя валюта, торговая политика и финансовое регулирование.
Благодаря этому Гонконг, как шлюз, соединяет две радикально противоположные политические системы - коммунистическую китайскую и демократическую западную. Он позволяет им торговать друг с другом и инвестировать друг в друга, поскольку живет по правилам, которые обеспечивают сохранность денег, конкуренцию и защиту от произвола лучше, чем политбюро и народный суд Китая.
Этого достаточно для того, чтобы Гонконг был третьей мировой финансовой столицей после Нью-Йорка и Лондона и вот уже четверть века ежегодно признавался самой свободной экономикой в мире.
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