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गोस्वामी तुलसीदासजी (पोस्ट.०१)
सच्चा सुधारक गोस्वामी तुलसीदासजी (पोस्ट.०१) स्वामी रामतीर्थजी ने एक बार कहा था कि ‘एफ़ोर्मेर्स, नोत ओफ़ ओथेर्स बुत ओफ़ थेम्सेल्वेस, व्हो एअर्नेद नो उनिवेर्सित्य दिस्तिन्च्तिओन बुत चोन्त्रोल ओवेर थे लोचल सेल्फ़’ अर्थात् हमें ऐसे सुधारक चाहिये जो दूसरों का नहीं, पर अपना सुधार करना चाहते हैं, जिन्हें विश्वविद्यालय की उपाधियां प्राप्त नहीं हैं, पर जो अपने आत्मा पर शासन कर सकते हैं ।* संसार में जिन…
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माता तुलसी और वृंदा से जुड़ी अनोखी कहानी :
माता तुलसी और वृंदा से जुड़ी अनोखी कहानी : श्रीमद भागवत में माता तुलसी और वृंदा की आपस में सम्बंधित संपूर्ण कथा को विस्तारित रूप से वर्णन किया गया है। देवी भागवत में भी वृंदा से जुड़े तुलसी माता की दिव्य लीला कथा उपलब्ध है। दोनों पुराणों के अनुसार एक बार शिवजी ने अपने तेज को समुद्र में फैंक दिया था, जिससे एक तेजस्वी बालक ने जन्म लिया। यह बालक का नाम जलन्धर रखा गया था, जो आगे चलकर अपने नाम से एक…
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श्रीमद्भागवत महापुराणम्एकादशः स्कन्धः अथैकत्रिंशोऽध्यायः श्रीभगवान् का स्वधाम गमन…(भाग 2)
श्रीमद्भागवत महापुराणम्एकादशः स्कन्धः अथैकत्रिंशोऽध्यायः श्रीभगवान् का स्वधाम गमन…(भाग 2)देवादयो ब्रह्ममुख्या न विशन्तं स्वधामनि । अविज्ञातगतिं कृष्णं ददृशुश्चातिविस्मिताः ।।८ सौदामन्या यथाऽऽकाशे यान्त्या हित्वाभ्रमण्डलम् । गतिर्न लक्ष्यते मत्र्यैस्तथा कृष्णस्य दैवतैः ।।९ ब्रह्मरुद्रादयस्ते तु दृष्ट्वा योगगतिं हरेः । विस्मितास्तां प्रशंसन्तः स्वं स्वं लोकं ययुस्तदा ।।१० राजन् परस्य…
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साधना के पात्र
साधना के पात्रएकबार रामकृष्ण परमहंस से एक शिष्य ने पूछा–”गुरुदेव! क्या कारण है कि एक मंत्र, एक ही उपासना प्रक्रिया को अपनाते हुए भी एक व्यक्ति चमत्कारी सामर्थ्य प्राप्त कर लेता है, ऋद्धियों, सिद्धियों का स्वामी बन जाता है जबकि दूसरे को कोई विशेष लाभ नहीं मिल पाता?” परमहंस ने उत्तर में एक कथा सुनायी जो इस प्रकार थी– ‘‘किसी राज्य के मन्त्री ने अपने जप, तप से विशेष आध्यात्मिक शक्ति अर्जित करली।…
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संक्षिप्त श्रीस्कन्द महापुराणउत्कलखण्ड या पुरुषोत्तमक्षेत्र-महात्म्यअश्वमेध की पूर्ति, आकाशवाणी, भगवान् की काष्ठमयी प्रतिमा का निर्माण, संस्कार तथा स्तवन…(भाग 1)
संक्षिप्त श्रीस्कन्द महापुराणउत्कलखण्ड या पुरुषोत्तमक्षेत्र-महात्म्यअश्वमेध की पूर्ति, आकाशवाणी, भगवान् की काष्ठमयी प्रतिमा का निर्माण, संस्कार तथा स्तवन…(भाग 1)जैमिनिजी कहते हैं- तदनन्तर राजाके अश्वमेध यज्ञमें सुत्या (सोमरस निकालने) का उत्सव प्रारम्भ हुआ। उसमें दीनोंको बेरोक-टोक मनोवांछित ��ान दिये जाने लगे। उस समय नारदजी ने नृपश्रेष्ठ इन्द्रद्युम्न से कहा- ‘राजन् ! अब पूर्णाहुति का कार्य समाप्त…
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श्री शिव महापुराणश्रीवायवीय संहिता (पूर्वार्द्ध) तीसवां अध्यायज्ञानोपदेश…(भाग 1)
श्री शिव महापुराणश्रीवायवीय संहिता (पूर्वार्द्ध) तीसवां अध्यायज्ञानोपदेश…(भाग 1)वायुदेव बोले- हे मुनियो ! सज्जनों को सिर्फ भगवान शिव से ही प्रीति रखनी चाहिए, किसी अन्य से नहीं। भगवान शिव तो सर्वज्ञाता हैं। उनका अनादर करने वाले मनुष्य को संसार में कहीं भी सुख प्राप्त नहीं हो सकता। हम परमात्मा की साकार व निराकार मूर्ति दोनों की आराधना करते हैं परंतु निराकार मूर्ति का ध्यान नहीं किया जा सकता, इसलिए…
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।। श्रीहनुमते नमः ।
।। श्रीहनुमते नमः । मंगलवार को हनुमानजी की पूजा करने से हनुमान जी अधिक प्रसन्न होते है। इस दिन पूजा-अर्चना को सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। अगर आप के ऊपर कोई संकट आ रहा है तो इन संकटों से निजात पाने के लिए हनुमान जी की उपासना करनी चाहिए। हनुमान जी एक ऐसे देवता हैं जो थोड़ी सी प्रार्थना और पूजा से शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं। शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति हो जो इन्हें न जानता हो। हनुमान जी भगवान राम के अनन्य…
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।। वन्दउँ सीताराम पद ।।
।। वन्दउँ सीताराम पद ।। ।। वन्दउँ सीताराम पद ।। राममन्त्रस्य रां बीजे सीताआकारात्मिकोच्यते।भवभीत्यार्तजीवानां शरण्यैका तदाप्तये।।(वही, श्लोक २३) श्रीराममन्त्र के ‘राम’ बीज में सीताजी ‘आ’ कार रूप में विद्यमान हैं, सन्सारभय से व्याकुल प्राणियों को भगवत्प्राप्ति कराने के लिए एकमात्र वे ही शरणदायिका हैं। सीतारामावुभावेकावखण्ड्औ ज्ञानविग्रहौ।तयोर्भेदं न पश्यन्ति…
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काली–सहस्रनाम स्तोत्रं
काली–सहस्रनाम स्तोत्रंकालिका सहस्रनाम का पाठ करने की अनेक गुप्त विधियाँ हैं, जो विभिन्न कामनाओं के अनुसार पृथक पृथक हैं और गुरु-परम्परा प्राप्त हैं । इस चमत्कारी एवं स्वयंसिद्ध कालीका सहस्त्रनाम का पाठ सिर्फ रात्रि मे ही करना अनुकुल माना जाता है। क्युके रात्रि मे महाविद्याओ कि समस्त शक्तियाँ जाग्रत होती है और उन्हे साधक प्रसन्न करके मनचाहा वरदान प्राप्त कर सकता है। यहा एक गोपनीय विधान दे रहा…
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।। भगवान शिवकृत- दुर्गास्तोत्र ।।
।। भगवान शिवकृत- दुर्गास्तोत्र ।। श्रीमहादेव उवाच-रक्ष रक्ष महादेवि दुर्गे दुर्गतिनाशिनि।मां भक्त मनुरक्तं च शत्रुग्रस्तं कृपामयि।। विष्णुमाये महाभागे नारायणि सनातनि।ब्रह्मस्वरूपे परमे नित्यानन्दस्वरूपिणी।। त्वं च ब्रह्मादिदेवानामम्बिके जगदम्बिके।त्वं साकारे च गुणतो निराकारे च निर्गुणात्।। मायया पुरुषस्त्वं च मायया प्रकृति: स्वयम्।तयो: परं ब्रह्म परं त्वं बिभर्षि सनातनि।। वेदानां जननी त्वं च…
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श्रीमद्देवीभागवत महापुराण ।।(देवी गीता षष्ठम् अध्याय)
।। श्रीमद्देवीभागवत महापुराण ।।(देवी गीता षष्ठम् अध्याय) श्री देवी गीता श्रीमद्देवी महापुराण में है, जिसमें माता आदिशक्ति ने पर्वत रा�� हिमालय को ज्ञान दिया है। इसमें दस अध्याय हैं। यह षष्ठम् अध्याय है। देवी भक्त, इन अध्याय का पाठ नवरात्रि में मां भगवती की प्रसन्नता और कृपा हेतु प्रतिदिन कर सकते हैं। बाकी यह कभी भी प्रत्येक माह के शुक्ल पक्ष में या संपूर्ण पाठ किसी भी शुभ दिन कर सकते हैं। देवी…
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श्रीदुर्गासप्तशती_बीजमंत्रात्मक_साधना
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।। पावन पर्व- विजयदशमी ।।(दशहरा)
।। पावन पर्व- विजयदशमी ।।(दशहरा) दशहरा शक्ति पूजन का दिन है, प्राचीन शास्त्रीयपरंपरा के अनुरूप आज तक क्षत्रिय-क्षत्रपों के यहां शक्ति के पूजन के रूप में अस्त्र-शस्त्रों का अर्चन-पूजन होता है। सभी कार्यों में सिद्धि प्रदान करने वाला पर्व दशहरा है, जो सभी मनोवांछित फल प्रदान करता है। आश्विन मास के शुक्ल पक्ष में दशमी तिथि को ‘विजया’ कहते हैं, जो सभी कार्यों में सिद्धि प्रदान करती है। अत: इस दिन…
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श्री दुर्गा सप्तशती भाषा(हिन्दी पाठ) तेरहवाँ अध्याय
श्री दुर्गा सप्तशती भाषा(हिन्दी पाठ) तेरहवाँ अध्यायऊँ नमश्चण्डिकायै नम: ध्यानम् ॐ बालार्कमण्डलाभासां चतुर्बाहुं त्रिलोचनाम्। पाशाङ्कुशवराभीतीर्धारयन्तीं शिवां भजे।। (राजा सुरथ और वैश्य को देवी का वरदान) महर्षि मेधा ने कहा-हे राजन्! इस प्रकार देवी के उत्तम माहात्म्य का वर्णन मैने तुमको सुनाया। जगत को धारण करने वाली इस देवी का ऎसा ही प्रभाव है, वही देवी ज्ञान को देने वाली है और भगवान विष्णु की…
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अर्गलास्तोत्र से मिलती है विजय दूर होते हैं कष्ट ::-
अर्गलास्तोत्र से मिलती है विजय दूर होते हैं कष्ट ::- ∆∆∆∆∆∆∆∆∆ श्रीदुर्गासप्तशती में देवी कवच के बाद अर्गला स्तोत्र पढ़ने का विधान है। अर्गला कहते हैं अग्रणी या अगड़ी। सारी बाधाओं को दूर करने वाला। किसी भी कार्य की सिद्धि के लिए आवश्यक है कि आप आगे बढ़कर अपना और दूसरों का मार्ग प्रशस्त करें। संसार में कोई ऐसी समस्या नहीं है, जिसका समाधान देवी न करती हों। बस, उनको सच्चे दिल से पुकारने की…
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श्री दुर्गाष्टमी/नवमी सरल हवन विधि
श्री दुर्गाष्टमी/नवमी सरल हवन विधिनवरात्रि के पावन पर्व पर देवीसाधको के समक्ष आसान हवन विधि बता रहे है इस हवन को आप किसी पुरोहित के बिना भी कर सकते है। आशा है आप सभी इसका लाभ उठाएंगे। हवन सामग्री👉 1- हवन कुंड, हवन सामग्री, काले,लाल, सफेद तिल, आम की लकड़ी, साबूत चावल, जौ, पीली सरसों, चना, काली उडद साबुत, गुगुल, अनारदाना, ��ेलपत्र, गुड़, शहद। 2- गाय का घी, कर्पूर, दीपक, घी की आहुति के लिये लंबा लकड़ी…
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