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fancybonkoperatorbailiff · 4 years ago
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fancybonkoperatorbailiff · 4 years ago
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Check out this post… " शिक्षा का आभामंडल और उसकी समीक्षा".
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fancybonkoperatorbailiff · 4 years ago
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fancybonkoperatorbailiff · 4 years ago
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Development journey of school level education in India, present stage and future requirements
Development journey of school level education in India, present stage and future requirements
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fancybonkoperatorbailiff · 4 years ago
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Development journey of school level education in India, present stage and future requirements
Development journey of school level education in India, present stage and future requirements
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fancybonkoperatorbailiff · 4 years ago
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भारत में विद्यालय स्तरीय शिक्षा की विकास यात्रा वर्तमान अवस्था एवं भविष्य की आवश्यकताएं
प्रथम सोपान /अर्वाचीन भारत
भारत में शिक्षा की यात्रा वैदिक काल के स्वर्णिम युग से आरंभ हुई जो गुरु शिष्य परंपरा के आधार पर ऋषि यों के आश्रम में ,गणतंत्र के संरक्षण एवं प्रोत्साहन में भारतीय सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक और राजनीतिक आवश्यकताओं को कुशलता पूर्वक पूर्ण करती रही। शिक्षा एवं ज्ञान का विकास श्रुति और स्मृति के माध्यम से गतिशील रहा।
भारतीय शिक्षा की गुणवत्ता और विश्वस्तरीय स्वीकार्यता का प्रमाण तक्षशिला एवं ��ालंदा विश्वविद्यालय के रूप में आज भी अपनी विजय पताका को स्वर्णिम अक्षरों के रूप में प्रस्तुत करता है।
भगवान महावीर स्वामी तथा भगवान गौतम बुद्ध के प्रभाव मंडल ने भी इस शिक्षा प्रणाली की गतिशीलता में कोई अवरोध नहीं डाला।
मौर्य काल, विशेषकर चंद्रगुप्त मौर्य काल तक शिक्षा की यह यात्रा निर्बाध रूप में अपने मूल गुणों के साथ संस्कृत, प्राकृत तथा पाली भाषा के माध्यम से भारतीय समाज का गौरव बनी रही।
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fancybonkoperatorbailiff · 4 years ago
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भारत में विद्यालय स्तरीय शिक्षा की विकास यात्रा वर्तमान अवस्था एवं भविष्य की आवश्यकताएं
प्रथम सोपान /अर्वाचीन भारत
भारत में शिक्षा की यात्रा वैदिक काल के स्वर्णिम युग से आरंभ हुई जो गुरु शिष्य परंपरा के आधार पर ऋषि यों के आश्रम में ,गणतंत्र के संरक्षण एवं प्रोत्साहन में भारतीय सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक और राजनीतिक आवश्यकताओं को कुशलता पूर्वक पूर्ण करती रही। शिक्षा एवं ज्ञान का विकास श्रुति और स्मृति के माध्यम से गतिशील रहा।
भारतीय शिक्षा की गुणवत्ता और विश्वस्तरीय स्वीकार्यता का प्रमाण तक्षशिला एवं नालंदा विश्वविद्यालय के रूप में आज भी अपनी विजय पताका को स्वर्णिम अक्षरों के रूप में प्रस्तुत करता है।
भगवान महावीर स्वामी तथा भगवान गौतम बुद्ध के प्रभाव मंडल ने भी इस शिक्षा प्रणाली की गतिशीलता में कोई अवरोध नहीं डाला।
मौर्य काल, विशेषकर चंद्रगुप्त मौर्य काल तक शिक्षा की यह यात्रा निर्बाध रूप में अपने मूल गुणों के साथ संस्कृत, प्राकृत तथा पाली भाषा के माध्यम से भारतीय समाज का गौरव बनी रही।
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