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#2DaysLeftForKabirPrakatDiwas
He came down as a sahib, not the son of Kahu.
The one who came down as a son is not even that sahib.
Kabir Prakat Diwas 14 June
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⚡️जब कबीर परमेश्वर को नीरू नीमा घर लेकर आये तो उन्हें देखकर कोई कह रहा था कि यह बालक तो कोई देवता का अवतार है। कोई कह रहा था यह तो साक्षात विष्णु जी ही आए लगते हैं। कोई कह रहा था यह भगवान शिव ही अपनी काशी को कृतार्थ करने को उत्पन्न हुए हैं।
#kabirparkatdiwas santrampalji#santrampalji avatarandiwas#teachings_of_lordkabirkabir prakat diwas 14june#2DaysLeftForKabirPrakatDiwas Kabir Prakat Diwas 14 June
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*🔥 LIVE SATSANG 🔥*
1️⃣ पवित्र वेद
2️⃣ पवित्र गीता
3️⃣ पवित्र कुरान
4️⃣ पवित्र बाइबल
5️⃣ पवित्र गुरु ग्रंथ साहिब
6️⃣ पवित्र 6 शास्त्र और 18 पुराण
🌸 इन सभी सदग्रंथो के अनुकूल एकमात्र प्रमाणित सत्संग। 🌸
*🙏🏽🙇🏽 सत नारायण कथा 🙇🏽♂️🙏🏽*
_✨ ��त्संग की आधी घड़ी,तप के वर्ष हजार।_
_✨ तो भी बराबर है नहीं, कहे कबीर विचार।।_
*आप जी से प्रार्थना है कि अपने अनमोल मनुष्य जीवन का लाभ उठाते हुए ��स बेहद अनमोल सत्संग को जरूर सुने जी।*
*Live Satsang Link 👇*
*https://fb.watch/dz20NZ_dqe/*
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
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#कबीरपरमेश्वर_के_अद्भुतचमत्कार
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#कबीरपरमेश्वर_के_अद्भुतचमत्कार
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#कबीरपरमेश्वर_के_अद्भुतचमत्कार🎈*कबीर परमात्मा जी द्वारा 18 लाख लोगों को भंडारा करवाना*
शेखतकी ने कबीर साहेब जी के नाम पर काशी में सभी को झूठी चिट्ठियां डाल दी थी और कबीर परमात्मा ने अपनी लीला के द्वारा काशी में 3 दिन तक विशाल भंडारे का आयोजन किया जिसमें 18 लाख लोगों ने भोजन किया था।🎈कबीर परमेश्वर द्वारा अनहोनी
आदरणीय मलूक दास जी को परमेश्वर कबीर जी मिले और उन्हें सही आध्यात्मिक ज्ञान समझाया मलूक दास जी दो दिनों तक अचेत रहे। जब परमेश्वर ने उनकी आत्मा को सतलोक की सैर करवा दी तब पुनः पृथ्वी पर भेजा।🎈*परमात्मा कबीर जी द्वारा नामदेव की झोपड़ी ठीक करना*
जब जर्जर हुई झोपड़ी की छत को सही करने के लिए नामदेव जी की
माता जी ने नामदेव को घास फूस लाने भेजा, तो रास्ते में नामदेव सत्संग सुनने बैठ गए और घास फूस की व्यवस्था नहीं कर पाये।
🎈कबीर परमात्मा जो चाहे सो करदे
स्वामी रामानंद जी विष्णु जी की काल्पनिक मूर्ति बनाकर मानसिक पूजा करते थे। एक समय ठाकुर की मूर्ति पर माला डालनी भूल गए। तब कबीर परमात्मा जो कि 5 वर्ष के बालक की लीला कर रहे थे
#KabirPrakatDiwas 14June
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#सत_भक्ति_संदेष 🔮कबीर परमेश्वर, नानक जी को जिंदा बाबा के रूप में बेई नदी के किनारे मिले और उनके आग्रह करने पर सतलोक दिखाया तब श्री नानक जी ने उनकी महिमा का वर्णन करते हुए कहा,🔮चार दाग से सतगुरु न्यारे, अजरो अमर शरीर।
दास मलूक सलूक कहत है, खोजो कसम कबीर॥
जपो रे मन सतगुरु नाम कबीर।
जपो रे मन परमेश्वर नाम कबीर॥🔮42 वर्ष की आयु में श्री मलूक दास जी को पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी मिले थे, संत मलूक दास जी ने अपनी वाणी में कबीर साहेब की समर्थता का उल्लेख किया है।🔮संत गरीबदास जी महाराज को कबीर परमेश्वर 10 वर्ष की आयु में छुड़ानी में मिले। सच्चाई जानकार गरीबदास जी ने कबीर परमेश्वर की महिमा बताते हुए कहा है कि :-
#KabirPrakatDiwas
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🏮14 जून कबीर प्रकट दिवस के उपलक्ष्य में जरूर जानें विभिन्न संतों की वाणियों में कबीर साहेब की महिमा का उल्लेख🏮
परमेश्वर कबीर साहिब जी अपने ऋतधाम (सतलोक) से चलकर आते है और अपनी प्यारी आत्माओं को आकर मिलते हैं, उन्हें नाम उपदेश देकर सतलोक दिखाकर गवाह बनाते है। फिर वह सन्त/भगत परमात्मा की आँखों देखी महिमा को शब्दों वाणियों दोहो में लिपिबद्ध करते है ताकि आने वाले प्राइम समय भक्ति युग (मोक्ष युग) में परमात्मा के बच्चे परमात्मा को आसानी से पहचान लें और सत्भक्ति करें।
जिन जिन संतों से कबीर परमात्मा आकर मिले उन्होंने कबीर साहेब की कलम तोड़ महिमा गाई है जिनमे से कुछ इस प्रकार है-
जिन मोकूं निज नाम दिया, सोइ सतगुरु हमार।
दादू दूसरा कोई नहीं, कबीर सृजनहार॥
-दादू दयाल जी
सतगुरु पुरुष कबीर हैं, चारों युग प्रवान।
झूठे गुरुवा मर गए, हो गए भूत मसान॥
-गरीबदास जी
वाणी अरबों खरवो, ग्रन्थ कोटी हजार।
करता पुरुष कबीर, रहै नाभे विचार॥
-नाभादास जी
साहेब कबीर समर्थ है, आदी अन्त सर्व काल।
ज्ञान गम्या से दे दिया, कहै रैदास दयाल॥
-रैदास जी
नौ नाथ चौरासी सिद्धा, इनका अन्धा ज्ञान।
अविचल ज्ञान कबीर का, यो गति विरला जान॥
-गोरखनाथ जी
हक्का कबीर क��ीम तू, बेएब परवरदीगार॥
नानक नीच कहै बिचार, ये धाणक रुप रहा करतार॥
-नानक जी
सन्त अनेक संसार में, सतगुरु सत्य कबीर।
जगजीवन आप कहत है, सुरती निरती के तीर॥
-जगजीवन जी
तुम स्वामी मै बाल बुद्धि, भर्म कर्म किये नाश।
कहै रामानन्द निज ब्रह्म तुम, हमरा ढृढ़ विश्वास।।
-रामानन्द जी
कबीर परमेश्वर जी अब्राहिम अधम सुल्तान जी को भी मिले थे और सार शब्द का उपदेश कराया था।
कबीर सागर के अध्याय " सुल्तान बोध" में पृष्ठ 62 पर प्रमाण है:-
प्रथम पान प्रवाना लेई। पीछे सार शब्द तोई देई।।
तब सतगुरु ने अलख लखाया। करी परतीत परम पद पाया।।
सहज चौका कर दीन्हा पाना(नाम)। काल का बंधन तोड़ बगाना।।
उपरोक्त सभी महापुरुषों के विवरणों से स्पष्ट होता है कि उन सभी को कबीर परमात्मा जिंदा महात्मा के रूप में मिले तथा सत्यलोक दिखाकर यह स्पष्ट कर दिया है कि अविनाशी परब्रह्म कोई और नहीं सिर्फ कबीर साहेब है तथा वह अविनाशी स्थान जो हमारा वास्तविक स्थान है वह सत्यलोक है जहां सद्भक्ति के माध्यम से पहुंचा जा सकता है तथा वर्तमान समय में वह सद भक्ति संत रामपाल जी द्वारा शास्त्रों के अनुसार प्रमाणित विधि से दी जाती है।
#KabirPrakatDiwas
#SaintRampalJi
अधिक जानकारी के लिए अवश्य download करें
पवित्र पुस्तक "कबीर परमेश्वर"
https://bit.ly/KabirParmeshwarBook
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♦️14 जून कबीर प्रकट दिवस के उपलक्ष्य में जरूर जानें नानक देव जी को मिले पूर्ण परमात्मा और उन्होंने कबीर परमेश्वर की कलमतोड़ महिमा गाई।♦️
नानक जी का जन्म कालूराम मेहता के घर पर कार्तिक शुक्ल की पूर्णिमा को तलवंडी (वर्तमान पाकिस्तान) में हुआ था। नानक जी वाली आत्मा ही त्रेतायुग में राजा जनक की आत्मा थी। नानक जी मे पूर्व भक्ति संस्कार के कारण परमात्मा प्राप्ति की चाह थी। नानक जी प्रतिदिन बेई नदी में स्नान करने जाते थे। ऐसे ही एक दिन वे स्नान हेतु गए और वहाँ उन्हें परमात्मा के दर्शन हुए। नानक जी ने डुबकी लगाई और परमेश्वर कबीर जी उनके शरीर को सुरक्षित रख कर, सतलोक लेकर गए।
अपनी वास्तविक स्थिति से परिचित करवाया एवं काशी में अपने कबीर साहेब रूप से दीक्षा लेने का आदेश देकर उन्हें पृथ्वी पर छोड़ा। नानक जी को लोगों ने डुबकी से वापस न आया देखकर मृत मान लिया था। नानक जी वपास आये और आकर उन्होंने परमात्मा की खोज प्रारंभ कर दी। जब वे खोजते-खोजते काशी में कबीर परमात्मा के समक्ष पहुँचे तब उन्होंने पाया कि ये तो वही मोहिनी सूरत है जिसे सतलोक में देखा था। तब नानक जी ने कबीर परमेश्वर की महिमा के बारे में कहा-
एक सुआन दुई सुआनी नाल,भलके भौंकही सदा बिआल ।
कुड़ छुरा मुठा मुरदार, धाणक रूप रहा करतार ।।
मै पति की पंदि न करनी की कार, उह बिगड़ै रूप रहा बिकराल ।
तेरा एक नाम तारे संसार, मैं ऐहा आस एहो आधार ।
मुख निंदा आखा दिन रात,पर घर जोही नीच मनाति ।।
काम क्रोध तन वसह चंडाल,धाणक रूप रहा करतार ।
फाही सुरत मलूकी वेस, यह ठगवाड़ा ठगी देस ।
खरा सिआणां बहता भार, धाणक रूप रहा करतार ।।
मैं कीता न जाता हरामखोर, उह किआ मुह देसा दुष्ट चोर ।
नानक नीच कह बिचार, धाणक रूप रहा करतार ।।
नानक जी की वाणियों में स्पष्ट प्रमाण है कि उनके गुरु धाणक रूपी कबीर परमात्मा थे। वही मोहिनी सूरत में उन्हें सतलोक में मिले जो उन्हें धाणक रूप में काशी में मिले थे। परमेश्वर कबीर अपना अस्तित्व छुपा कर एक सेवक बन कर आते हैं। काल या आम व्यक्ति उन्हें पहचान नहीं सकता इसलिए नानक जी ने उन्हें प्रेम से ठगवाड़ा कहा है।
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