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मेरा पता ।
आज मैंने
अपने घर का नम्बर मिटाया है
और गली के माथे पर लगा
गली का नाम हटाया है
और हर सड़क की
दिशा का नाम पोंछ दिया है
पर अगर आपको मुझे ज़रूर पाना है
तो हर देश के, हर शहर की,
हर गली का द्वार खटखटाओ
यह एक शाप है, यह एक वर है
और जहाँ भी
आज़ाद रूह की झलक पड़े,
समझना वह मेरा घर है।
- अमृता प्रीतम ।
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स्त्री तो खुद डूब जाने को तैयार रहती है, समंदर अगर उसकी पसन्द का हो ।
- अमृता प्रीतम ।
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जिंदगी तुम्हारे उसी गुण का इम्तिहान लेती है, जो तुम्हारे भीतर मौजूद है…. मेरे अंदर इश्क़ था।
- अमृता प्रीतम ।
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ऐसी कई कहानियां हैं जो कागजों में नहीं हैं, बल्कि औरतों के शरीर और उनके अंदर लिखी हुई हैं।
- अमृता प्रीतम।
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जब कोई पुरुष महिलाओं की शक्ति को नकराता है, तो वह अपने ही अवचेतन को नकार रहा होता है।
- अमृता प्रीतम।
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‘Hey, there, I was looking for you’ does something to me.
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‘Krishna Sada Sahayate’ bolkar hi chal raha hai bas jeevan.
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I have written down dreams and forget them,
Years later as it manifests, Kanha says quietly to me, Do you remember this, my love?
Happy Birthday Madhav. Aap Sarthi ho toh aur kya chahiye <3
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I circle the walls of the house of Laila, Sometimes I kiss this wall, sometimes I kiss that one It is not love for these walls that has infatuated my heart, But the love of who lives within them.
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❤️
oh okay
your 12th emoji is how you'll die
☕️
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Um baaki sab toh theek hai but somebody actually wrote this for me HEHEHEHE
तुम इश्क़ का लिबाज़ हो
या इश्क़ की किताब हो
जो पह���ु तो पानी सा
जो पढ़लू तो आँधी सा
जो पहनु तो आशिक़
जो पढ़लू तो कातिल
ये सब कहकें भी तेरे होटों की गथन नामुमकिन सा है
तेरे हुस्न की सच्चाई मेरे इश्क के अहसास से मिलती कहा है
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मैं तुम्हें इसलिए प्यार नहीं करता
कि तुम बहुत सुंदर हो,
और मुझे बहुत अच्छी लगती हो।
मैं तुम्हें इसलिए प्यार करता हूँ
कि जब मैं तुम्हें देखता हूँ,
तो मुझे लगता है कि क्रांति होगी।
तुम्हारा सौंदर्य मुझे बिस्तर से समर की ओर ढकेलता है।
और मेरे संघर्ष की भावना
सैकड़ों तो क्या,
सहस्त्रों गुना बढ़ जाती है।
मैं सोचता हूँ
कि तुम कहो तो मैं तलवार उठा लूँ,
तुम कहो तो मैं दुनिया को पलट दूँ,
तुम कहो तो मैं तुम्हारे क़दमों में जान दे दूँ,
ताकि मेरा नाम इस दुनिया में रह जाए।
मैं सोचता हूँ,
तुम्हारे हाथों में बंदूक़ बहुत सुंदर लगेगी,
और उसकी एक भी गोली
बर्बाद नहीं जाएगी।
वह वहीं लगेगी,
जहाँ तुम मारोगी।
लेकिन मेरे पास तुम्हारे लिए
इससे भी सुंदर परिकल्पना है प्रिये!
जब तुम्हें गोली लगेगी,
और तुम्हारा ख़ून धरती पर बहेगा,
तो क्रांति पागल की तरह उन्मत्त हो जाएगी,
लाल झंडा लहराकर भहरा पड़ेगा
दुश्मन के वक्षस्थल पर,
और
तब मैं तुम्हारा अकिंचन
प्रेमी कवि—
अपनी क़मीज़ फाड़कर
तुम्हारे घावों पर महरमपट्टी करने के अलावा
और क्या कर सकता हूँ।
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So let’s be kind to the people in our own existence. Let’s occasionally look up from the spot in which we are because, wherever we happen to be standing, the sky above goes on for ever. Yesterday I knew I had no future, and that it was impossible for me to accept my life as it is now. And yet today, that same messy life seems full of hope. Potential. The impossible, I suppose, happens via living. Will my life be miraculously free from pain, despair, grief, heartbreak, hardship, loneliness, depression? No. But do I want to live? Yes. Yes. A thousand times, yes.
Matt Haig, The Midnight Library
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