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सफल हुआ महासमागम
627 वें कबीर साहेब प्रकट दिवस के उपलक्ष्य पर 20-21-22 जून 2024 को संत रामपाल जी महाराज के सानिध्य में 11 सतलोक आश्रमों में शांति पूर्वक भंडारा सम्पूर्ण हुआ।
जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी के सानिध्य में कबीर साहेब जी के प्रकट दिवस पर समाज के हित में रक्तदान भी किया गया।
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পবিত্র কোরআনে পুনর্জন্ম সম্পর্কিত প্রকরণ:-
সুরা-অর রুম-৩০ এর আয়াত নম্বর ১১:
আল্লাহ প্রথমবারে সৃষ্টি (খিলকিত) উৎপন্ন করেন। তারপর সে তা পুনরায় সৃষ্টি করবেন। (পুনরাবৃত্তি করবেন।)
पवित्र कुरान में पुनर्जन्म संबंधित प्रकरण
सूरत-अर रूम-30 की आयत नं. 11:-
अल्लाह पहली बार सृष्टि (खिलकित) को उत्पन्न करता है। फिर उसे दोहराएगा। (पुनरावृत्ति करेगा।)
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কবীর পরমাত্মার কাছে হারার পর গোরক্ষনাথ বললেন, "হে ভগবান! আপনি কোন শক্তি? কোথা থেকে এসেছেন? আমার সামনে টিকে থাকতে পারে এমন পৃথিবীতে কেউ নেই।"
পরমাত্মা বললেন:
"অবধূ, অবিগত সে চলা আয়া। রে মেরা ভেদ মরম না পায়া।
না মের জন্ম না গর্ভ বসেরা,বালক বন দিখলায়া। কাশী শহর জল কমল পর ডেরা তহাঁ জুলহে নে পায়া।
कबीर परमात्मा से हारने के बाद गोरखनाथ बोला, हे भगवान! आप कौन शक्ति हो? कहां से आए हो ? मेरे सामने टिकने वाला आज पृथ्वी पर कोई नहीं।
परमात्मा ने कहा
अवधू अविगत से चला आया। रे मेरा भेद मरम ना पाया।।
ना मेरा जन्म ना गर्भ बसेरा, बालक बन दिखलाया। काशी शहर जल कमलपर डेरा, तहां जुलाहे ने पाया।।
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কবীর পরমেশ্বর জি, কাল ব্রহ্মকে দেওয়া প্রতিশ্রুতি অনুযায়ী ত্রেতা যুগে নিজ কৃপায় পাথর হালকা করে দিয়ে রাম সেতু নির্মাণ করিয়েছিলেন।
कबीर परमेश्वर जी ने काल ब्रह्म को दिये वचन अनुसार त्रेतायुग में राम सेतु अपनी कृपा से पत्थर हल्के करके बनवाया।
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শিশু রূপধারী কবীর পরমেশ্বরের সুন্দর শরীর
গরীব, গোদ লিয়া মুখ চুম করি, হেম রূপ ঝলকন্ত |
জগর মগর কায়া করৈ, দমকৈ পদম অনন্ত ||
পরমেশ্বর কবীর জী যখন কাশি শহরের লহরতারা নামক জলাশয়ে বালক রূপে পদ্ম ফুলের উপর অবতরিত হয়েছিলেন তখন নীরু-নিমা দম্পত্তি বালক রুপী কবীর জীকে কোলে নিলেন | তখন ওনার শরীরের শোভা অদ্ভুত ছিল |
शिशु धारी कबीर परमेश्वर का सुंदर शरीर
गरीब, गोद लिया मुख चूम करि, हेम रूप झलकंत।
जगर मगर काया करै, दमकै पदम अनंत।।
परमेश्वर कबीर जी जब काशी के लहरतारा तालाब पर बालक रूप में ��शरीर अवतरित हुए और दंपति नीरू-नीमा ने बालक रूपी कबीर जी को गोद में लिया। तब उनके शरीर की शोभा अद्भुत थी।
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পরমাত্মা কবীর জি জীবন্ত মহাত্মার রূপে এসে শ্রী নানক দেবের সাথে সাক্ষাৎ করেন।তিনি কবীর পরমেশ্বর জির মহিমা লিখেছেন:
গুরুগ্রন্থ সাহেবের ৭২১ পৃষ্ঠা, নিজ আমৃতবাণী মহলা ১ এ শ্রী নানক দেব বলেন:
"হক্কা কবীর করিম তু, বেএব পরবরদিগার।"
परमात्मा कबीर जी जिंदा महात्मा के रूप में श्री नानक जी को मिले।
उन्होंने कबीर परमेश्वर जी की महिमा इस प्रकार लिखी है।
गुरुग्रन्थ साहेब पृष्ठ 721 पर अपनी अमृतवाणी महला 1 में श्री नानक जी ने कहा है कि -
“हक्का कबीर करीम तू, बेएब परवरदीगार।
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भगवान राम व भगवान कृष्ण जी सतयुग में नहीं थे। तब किस राम की भक्ति होती थी?जानने के लिए अवश्य पढ़ें पुस्तक ज्ञान गंगा।
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भगवान राम व भगवान कृष्ण जी सतयुग में नहीं थे। तब किस राम की भक्ति होती थी?जानने के लिए अवश्य पढ़ें पुस्तक ज्ञान गंगा।
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भगवान राम व भगवान कृष्ण जी सतयुग में नहीं थे। तब किस राम की भक्ति होती थी?जानने के लिए अवश्य पढ़ें पुस्तक ज्ञान गंगा।
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