blogofsyahi
blogofsyahi
स्याही
6 posts
Don't wanna be here? Send us removal request.
blogofsyahi · 7 years ago
Photo
Tumblr media
एक शायरी Candid Wordist के नाम… तारीख 10 जून 2017 😅 #CandidWordist
1 note · View note
blogofsyahi · 7 years ago
Photo
Tumblr media
Loads of love#CandidWordist 🖤
1 note · View note
blogofsyahi · 7 years ago
Photo
Tumblr media
बिछड़ा हुआ यार मेरा बिछड़ा हुआ यार मेरा वह बचपन का, लौट आया है। . सारी शिकायतें, नाराज़गियाँ भूलाकर, फिर आज दोस्ती का हाथ बढ़ाया है, बिछड़ा हुआ यार मेरा वह बचपन का लौट आया है। . एक दिन मुँह मोड़कर, खुद रोकर, कुछ मुझे रुलाकर, जो चला गया था कोसों दूर, गलतफहमियों के रास्तों से राह बनाकर, लौट आया है, एहसास का रास्ता लेकर! बिछड़ा हुआ यार मेरा वह बचपन का लौट आया है। . जिस मुहाने छोड़ गया था वह न जाने किस ओर, खड़ी थी आज भी वहीं राह ताकती, भान भी न थी ज़रा-सी कि वह लौट आएगा! लौटा एहसास के राह के रोड़ों को लाँघकर। आकर लिपट गया फिर आज गले, वहीं, उस मुहाने पर, जहाँ से दो राह निकल गए थे दो दिलों को बाँटकर! . बिछड़ा हुआ यार मेरा वह बचपन का लौट आया है। . #CandidWordist 💙💙💙 #keepsupporting #candidfeelings #poetry #friendship#friendshipforlife #childhoodfriends #hindipoems #poetrylovers #overcomingmisunderstandings
1 note · View note
blogofsyahi · 7 years ago
Text
মাতৃভাষা দিবস বলতে কি বোঝেন ?
21 শে ফেব্রুয়ারি, রক্তিম একটা দিন, ভাষার জন্য প্রাণ দেওয়া শহিদ বর্গ, নিজের মাতৃভাষা, মাতৃভাষার প্রতি হঠাৎ উপচে পড়া ভালোবাসা, টান আর না জানি কত কি!
কিন্তু এই যে ইউনেস্কো এই আন্তর্জাতিক মাতৃভাষা দিবস টি নিজেদের নিজেদের মতো করে মাত্র নিজেদের মাতৃভাষার প্রতি প্রেম উদ্যাপন করার জন্য নয় বরং বিশ্বের বহুভাষিকতা, ভাষিক ও সাংস্কৃতিক বৈচিত্র্য কে উদ্যাপন করার দিন হিসেবে ধার্য করেছে, সেইটা আমার ক'জনে মনে রাখি?
আমরা কি করি? আমারা বাকি দিনগুলোতে তো বটেই, আজকের দিনে বিশেষ করে নিজের মাতৃভাষা কে শ্রেষ্ঠ প্রতিপাদিত করার জন্য এগিয়ে থাকি!
আজ বিশ্বে মাত্র 57% ভাষা বেঁচে আছে আর এই বেঁচে থাকাটা ও আজ ইংরেজি ভাষার আধিপত্যে খুবই ভয়াবহ ভাবে!
কিন্তু আমাদের তাতে কি? আমার ভাষা তো আর মরেনি!
ভাষাদের মৃত্যুর কারণ অনেক। কিন্তু ব্যক্তিগত ভাবে আমার মনে হয় ভাষারা তাদের প্রতি 'উপেক্ষা', 'অপমান', 'সংকীর্ণ মনোভাব' ও তাদের 'অব্যবহার' এ মরে।
নিজের মাতৃভাষা কে অবশ্যই ভালোবাসুন কিন্তু অন্য ভাষাকে অসম্মান করে নয়। 😊
1 note · View note
blogofsyahi · 7 years ago
Text
भविष्य दर्शन
आज सुबह जब नींद टूटी तो माँ बरस रहीं थीं " कीप स्लीपिंग, यू डोंट नीड टू गो टू याॅर काॅलेज ! "
मैं भौंचक्काई, घबराई, सकपकाई और फिर किसी तरह संभलकर उठी।
नहा धोकर जब खाने के लिए बैठी तो माँ ने बस दो सैंडविच और एक गिलास जूस परोसा!
मैं हैरान परेशान, समय की कमी के कारण, इन परिवर्तनों से अनजान, भूखे पेट किसी तरह,दौड़ते भागते काॅलेज के लिए निकली।
मैं बस में चढ़ी और फोन में हेडफोन लगाकर अपने प्रिय बाॅलीवुड गानों को शफल कर दिया। गाना बजने लगा "आई एक्सेप्टेड वी आर नाॅट फ्रेंड्स"। मैं फिर भौंचक्काई और गाना बदल दिया। अगला गाना बजने लगा " दिस थ्रेड आॅफ एनचान्टमेन, गाॅट पज़्जल्ड अप विथ याॅर फिंगरस"!
मैंने तीसरी और आखिरी बार के लिए गाना बदला और इस बार बजने लगा "कलर मी अप इन रेड ओ नंद'स सन" इस बार मैं बेहद डर गई। मैंने हेडफोन उतार दिया!
अब बस में चल रहा शोर कानों में पड़ने लगा । पर यह शोर किसी और दिन की तरह नहीं थ���। इस शोर में एक अजीब तरह का अजनबीपन था। शोर को भेदते हुए क��डक्टर ने जब कहा "याॅर फेयर प्लीज़ मैम" मेरा दिल दहल गया!
काॅलेज आते ही मैं मानो जान बँचाकर भागती हुई अपने विभाग पहुँची।
आज विभाग का परिवेश भी कुछ बदला हुआ था। छात्राएँ तो छात्राएँ, यहाँ तक कि विभाग की अध्यापिकाएँ भी जीन्स या फ्राॅक में थीं!
मुझे ज़ोर का रोना आ रहा था। लग रहा था मैं अचानक किसी दूसरे देश में पहुँच गई हूँ। मैं रूयांसा चेहरा लेकर अपने कक्षा के दरवाजे़ पर खड़ी एेसा सोच ही रही थी कि कक्षा में उपस्थित अध्यापक ने फटकारा "डू यू वंट टू एटेंड द क्लास और यू वंट टू स्पोयल इट"।
.
डाँट सूनकर मैं फूटकर रो पड़ी।
.
*भविष्य दर्शन *
और मैंने अपनी माँ की फटकार सूनी "हैं ओई कोर गूमिए गूमिए छागोलेर मोतो कांद। काॅलेजे जावार तो दोरकार नेई!"
मैं धम से उठ बैठी, छाती पर हाथ रखा और एक लंबी साँस ली।
घड़ी में सुबह के 8 बज रहे थे और मुझे काॅलेज के लिए तैयार होकर निकलना था।
#আন্তরজাতিক_মাতৃভাষা_দিবস
#अंतरराष्ट्रीय_मातृभाषा_दिवस
1 note · View note
blogofsyahi · 7 years ago
Text
*हीरोगीरी*
घर लौट रही थी कि एक महिला को Royal Enfield (Thunderbird 350) चलाकर मुहल्ले में घुसते देखा। आस पास के लोग बड़े ताज्जुब होकर उसे देख रहे थें और वह दनदनाती, अपने भ्रूम भ्रूम करते बाईक का धुआँ उड़ाती आगे निकलती जा रही थी । और तो और कुछ और लोग मुड़ मुड़कर देखने का भी प्रयास कर रहे थें!
हमारे मुहल्ले में एक और औरत है और वह भी एक वाहन चलाती है, रोज़ाना। वह गरीब है, दो बच्चों की माँ है और उसका पति शराबी है। ज़ाहिर है उसका वाहन कोई शान - श���कत का प्रतीक, लाख रुपयों का कोई आलीशान वाहन नहीं हो सकता। पर वह बड़े शान से भाड़े पर लिया गया अपना रिक्शा चलाती है।
सुबह छह से आठ बजे तक एक घर में घरेलू काम (domestic help) करती है, आठ से बारह बजे तक रिक्शा चलाती है। कुछ साल पहले तक वह ठेले पर सब्जियाँ भी बेचती थी, आजकल नहीं बेचती। ठेले पर अपने बच्चों को बैठा लेती थी और दुकान से एक पांव रोटी खरीदकर खुद आधा और बच्चों को बाकी आधा पकड़ा देती थी। पहले उसे हम कभी-कभार फूल बेचते हुए भी पाते थें। पर आजकल शायद स्थिति थोड़ी बेहतर हुई है, सो वह केवल रिक्शा चला लेती है और सुबह domestic help का दायित्व निभाती है। पैसों की तंगी होने पर किसी किसी दिन उसे शाम को भी रिक्शा लेकर निकलना पड़ता है।
पर बाईक वाली महिला की तरह उसे ताज्जुब होकर कोई नहीं देखता! आप कहेंगे शायद इसलिए कि वह रोज़ रिक्शा लेकर निकलती है, मुहल्ले के सभी लोग उसे रोज़ाना देखते हैं और सभी उसकी स्थितियों से अवगत हैं। हो सकता है कि आप कुछ हद तक सही हों।
पर मेरी मानिए तो हीरो वह होता है जो सबके जैसे सबके बीच रहकर कुछ अनोखा कर जाता है, किसी की वाहवाही पाने के लिए या ठाठ दिखाकर खुद को अलग प्रमाण करने के लिए नहीं, बल्कि इसलिए कि वह दूसरों के लिए कुछ कर सके।
हमारी रिक्शावाली दीदी भी अपने परिवार और बच्चों को पालने के लिए, यात्रियों को गंतव्य तक पहुँचाकर उनकी मदद करते हुए, चुपचाप हीरोगीरी करतीं हैं। 😃
3 notes · View notes