baktetbaadi
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baktetbaadi · 2 years ago
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baktetbaadi · 2 years ago
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baktetbaadi · 2 years ago
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Mig-21 भारतीय वायुसेना का पहला सुपरसोनिक विमान, अब बन जायेगा इतिहास
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baktetbaadi · 3 years ago
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baktetbaadi · 3 years ago
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Poem:--सत्ता को संदेश
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baktetbaadi · 3 years ago
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Poem:--अक्सर
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baktetbaadi · 3 years ago
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Poem:--- लौट जाना चाहता हूँ मैं वापिस उन्हीं लम्हों में
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baktetbaadi · 3 years ago
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Poem:-- यादें
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baktetbaadi · 3 years ago
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मुझे पसंद है गाँव
#poem
#poetry
#baktetbaadi#writer
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baktetbaadi · 3 years ago
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इंसान है तो सपने होंगे हीं
सपने हैं तो टूटेंगे हीं
फिर सपनों के टूट जाने का डर कैसा!!
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baktetbaadi · 4 years ago
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कभी - कभी सोचता हूँ मैं
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ये जो उजड़े हुए ख्वाब हैं
   उसे बुनना जानता हूँ मैं
   ये जो बिखरे हुए सपनों के महीन से धागे हैं
   उसे जोड़ना जानता हूँ मैं
जानता हूँ कि कई गलतियों हुई है मुझसे,
  इस कमबख्त जिंदगी में
  पर उन गलतियों से सबक सीखना जानता हूँ मैं
  ये जो टूट गए रिश्ते मेरे और तुम्हारे बीच के ,
  ये जो दरारें पैदा हुई है मेरे और तुम्हारे रिश्तों के बीच में ,
  ये जो गलतफहमियों पैदा हो गयी है मेरे और तुम्हारे बीच में ,
  इन गलतफहमियों को दूर करना जानता हूँ मैं 
  उन दरारों को भरना जानता हूँ मैं
  उन टूट गए रिश्तों को फिर से बुनना जानता हूँ मैं।
  पर मैं ऐसा क्यों करूँ??
  क्या उजड़े हुए ख्वाबों के साथ नहीं जिया जा सकता??
  क्या टूटे हुए र���श्तों के साथ नहीं रहा जा सकता??
   शायद हाँ ! शायद ना!
   ये जो झूठे अफवाहें फैलते रहती है अक्सर मेरे बारे में
   उन अफ़वाहों को दबाना जानता हूँ मैं
   ये जो झूठे इल्ज़ाम लगते रहते हैं अक्सर मुझपर
   उन इल्ज़ामों को नकारना जानता हूँ मैं
   पर मैं ऐसा क्यों करूँ??
   कभी - कभी सोचता हूँ कि
   काश कभी उजड़े हीं नहीं होते मेरे ख्वाब
   काश कभी बिखरे हीं नहीं होते मेरे सपने
   काश कभी टूटे हीं नहीं होते रिश्ते मेरे और तुम्हारे बीच के
   काश कभी कोई इल्ज़ाम हीं नहीं लगता मुझपर
   तो कैसी होती वो मेरी दुनिया??
   तो क्या सबकुछ ठीक होता??
   शायद हाँ! शायद ना !
   पर मैं क्यों सोचूँ??
   जो टूट गए वो टूट गए , उसे टूटना हीं था
   जो बिखर गए वो बिखर गए ,उसे बिखरना हीं था
   जो उजड़ गए  वो उजड़ गए , उसे उजड़ना हीं था
   जो अफवाहें फैलनी थी वो फैल गयी , उसे फैलना हीं था
  जो इल्ज़ाम लग गए वो लग गए , उसे लगना हीं था
   फिर क्यों सोचूँ मैं ??
   पर फिर भी अक्सर सोचता हूँ मैं
  कि काश ऐसा न हुआ होता तो कैसी होती मेरी दुनिया??
इसी उधेड़बुन में , अक्सर खामोशी से,
नींद की आगोश में पहुँच जाता हूँ मैं
कि काश ऐसा ना हुआ होता तो कैसी होती मेरी दुनिया  !!
# voice of aryavarta
#poetry
#poem
#aksar
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baktetbaadi · 4 years ago
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यादों की दुनिया
यादे ले जाती हैं अक्सर हमें उन टूटे- फूटे लम्हों में, कुछ खट्टे - मीठे पलों में
जहाँ कभी होठों में मुस्कुराहटें छा जाती हैं
तो कभी आँखों से आंसुओं की धाराएँ फूट पड़ती है
यादें बड़ी कमाल की चीज होती है
चाहे वो बचपन की हों या जवानी की या फिर दोस्ती की
पता हीं नहीं चलता कि कब कोई बातें यादें बन गयी ,
 बस ये तो हमारी जहन में बस जाने वाले जीवन के कुछ पल हैं।
कुछ बातें जो बस हमारे दिलों में बस जाती हैं ,
कुछ बातें जो बस हमारे आँसुओं से होकर बह जाती हैं,
बस यही बातें तैरती रह जाती है, हमारी यादों के समंदर में।
यादें ले जाती हैं अक्सर हमें उन टूटे - फूटे लम्हों में, कुछ खट्टे - मीठे पलों में
बातें जो घर छोड़ते वक्त पिता ने कही होती है ,
बातें जो घर से विदा लेते वक्त माँ के आँसुओं के साथ निकलती है 
बातें जो कभी दोस्तों से किया करते थे, उनसे बिछुड़ने से पहले
कहीं बयाँ नहीं किया जा सकता उन बातों को शब्दों में
बस वो बातें हैं यादे बन जाती हैं , जो तैरती  रहती है,
हमारे यादों के समंदर में,
 और अक्सर उन्हीं यादों में कभी हँसते , कभी रोते , 
कभी खामोशी में खो जाते हैं हम
 यादों को अक्सर याद करते हुए।।
https://saurabhk2015.blogspot.com/2021/04/blog-post.html
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baktetbaadi · 5 years ago
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चलो कोई नया शहर ढूँढते हैं
चलो कोई नया शहर ढूँढते हैं
चलो कोई नया आशियाना ढूँढते हैं
यह शहर अब रास नहीं आ रहा
चलो कोई नया शहर ढूँढते हैं।
पक्षियों की कलरव ध्वनि से सुबह होती हो जहाँ
प्रेम और भाईचारे में सच्चाई हो जहाँ
लोग एक - दूसरे को दुश्मन नहीं, दोस्त समझते हो जहाँ
चलो ऐसा कोई शहर ढूँढते हैं
चलो कोई नया आशियाना ढूँढते हैं।
जहाँ गोलियों की तड़तड़ाहट की जगह
शंखों की मधुर ध्वनि सुनाई देती हो
जहाँ हवन के धुओं से वातावरण सुगंधित होता हो
जहाँ इंसान को इंसान समझा जाता हो
चलो ऐसा कोई शहर ढूँढते हैं
यह शहर अब रास नहीं आ रहा।
जहाँ महिलाओं को देवी समझा जाये
जहाँ जात- पात का भेद न हो
जहाँ ईर्ष्या और द्वेष न हो
चलो ऐसा कोई शहर ढूँढते हैं
चलो एक नया आशियाना ढूँढते हैं
यह शहर अब रास नहीं आ रहा।
जहाँ लोग एक- दूसरे की मदद बिना किसी दिखावे
के करते हों
जहाँ भाई को भाई समझा जाता हो
जहाँ माता- पिता को परम पूज्य समझा जाता हो
चलो ऐसा कोई शहर ढूँढते हैं
चलो एक नया आशियाना ढूँढते हैं
यह शहर अब रास नहीं आ रहा।
जहाँ समाज में समानता का भाव हो
जहाँ ऊँच- नीच का कोई भेद न हो
जहाँ बड़े - बुजुर्गों का सम्मान होता हो
जहाँ कोई अनाथालय और वृद्धाश्रम न हो
चलो ऐसा कोई शहर ढूँढते हैं
चलो एक नया आशियाना ढूँढते हैं
यह शहर अब रास नहीं आ रहा ।
जहाँ हर किसी के पास दो वक्त की रोटियों हों
जहाँ लोग भुखमरी और बेरोजगारी से न मरते हों
जहाँ किसान आत्महत्या न करते हों
जहाँ हर पेशे वालों का सम्मान होता हो
चलो कोई ऐसा शहर ढूँढते हैं
चलो एक नया आशियाना ढूँढते हैं
यह शहर अब रास नहीं आ रहा
चलो कोई नया शहर ढूँढते हैं
चलो कोई नया आशियाना ढूँढते हैं।।
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