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तुम्हारे साथ रहकर
अक्सर मुझे ऐसा महसूस हुआ है
कि दिशाएं पास आ गई हैं
हर रास्ता छोटा हो गया है
दुनिया सिमटकर एक आंगन सी बन गई है
जो खचाखच भरा है
कहीं भी एकांत नही
न बाहर, न भीतर
हर एक चीज का आकार घट गया है
पेड़ इतने छोटे हो गए हैं
कि मैं उनके शीश पर हाथ रख
आशीष दे सकता हूं
आकाश छाती से टकराता है
मैं जब चाहूं बादलों में हूं छुपा सकता हूं
तुम्हारे साथ रहकर
अक्सर मुझे महसूस हुआ है
कि हर बात का एक मतलब होता है
यहां तक की घास के हिलने का भी
हवा का खिड़की से आने का
और धूप का दीवार पर चढ़कर चले जाने का
तुम्हारे साथ रहकर
अक्सर मुझे लगता है
कि हम असर्मथताओं से नहीं
संभावनाओं से घिरे हैं
हर दीवार में द्वार बन सकता है
और हर द्वार से पूरा का पूरा
पहाड़ गुजर सकता है
शक्ति अगर सीमित है
तो हर चीज अशक्त भी है
भुजाएं अगर छोटी हैं
तो सागर भी सिमटा हुआ है
सामर्थ्य केवल इच्छा का दूसरा नाम है
जीवन और मृत्यु के बीच जो भूमि है
वह नियति की नहीं मेरी है !
~ सर्वेश्वर दयाल सक्सेना ❣
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Celebration of Life
"Open a smile, spread peace, share happiness and it will multiply in your life."🌹
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