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✨✨✨ *संपर्क और संजोग* ✨✨✨
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एक साधु का न्यूयार्क का बड़ा पत्रकार इंटरव्यू ले रहा था
पत्रकार ने जैसा प्लान किया था वैसे ही इंटरव्यू लेना शुरू किया।
पत्रकार-सर, आपने अपने लास्ट लेक्चर में संपर्क (Contact) और संजोग (Connection) पर स्पीच दिया लेकिन यह बहुत कन्फ्यूज करने वाला था। क्या आप इसे समझा सकते हैं??
साधु मुस्कुराये और उन्होंने उल्टा प्रश्न से कुछ अलग पत्रकार से ही पूछना शुरू कर दिया।
"आप न्यूयॉर्क से हैं?"
पत्रकार: *"Yeah..."*
सन्यासी: "आपके घर मे कौन कौन हैं?"
पत्रकार को लगा कि साधु उनका सवाल टालने की कोशिश कर रहा है क्योंकि उनका सवाल बहुत व्यक्तिगत और उसके सवाल के जवाब से अलग था।
फिर भी पत्रकार बोला: मेरी "माँ अब नही हैं, पिता हैं तथा 3 भाई और एक बहिन हैं जो सब शादीशुदा हैं".
साधु ने चेहरे पे एक मुस्कान के साथ पूछा: "आप अपने पिता से बात करते हैं?"
पत्रकार चेहरे से गुस्से में लगने लगा...
साधु ने पूछा, "आपने अपने फादर से last कब बात की?"
पत्रकार ने अपना गुस्सा दबाते हुए जवाब दिया : "शायद एक महीने पहले".
साधु ने पूछा: "क्या आप भाई-बहिन अक़्सर मिलते हैं?
लास्ट आप सब कब मिले एक परिवार की तरह?"
इस सवाल पर पत्रकार के माथे पर पसीना आ गया कि इंटरव्यू मैं ले रहा हूँ या ये साधु?
ऐसा लगा साधु,पत्रकार का इंटरव्यू ले रहा है?
एक आह के साथ पत्रकार बोला: "क्रिस्मस पर 2 साल पहले".
साधु ने पूछा: "कितने दिन आप सब साथ में रहे?"
पत्रकार अपनी आँखों से निकले आँसुओं को पोंछते हुये बोला: "3 दिन..."
साधु: "कितना वक्त आप भाई बहनों ने अपने पिता के बिल्कुल करीब बैठ कर गुजारा??
पत्रकार हैरान और शर्मिंदा दिखा और एक कागज़ पर कुछ लिखने लगा...
साधु ने पूछा: " क्या आपने पिता के साथ नाश्ता, लंच या डिनर लिया?
क्या आपने अपने पिता से पूछा के वो कैसे हैँ?
माता की मृत्यु के बाद उनका वक्त कैसे गुज़र रहा है??
पत्रकार की आँखों से आँसू छलकने लगे।
साधु ने पत्रकार का हाथ पकड़ा और कहा:" शर्मिंदा, परेशान या दुखी मत होना।
मुझे खेद है अगर मैंने आपको अनजाने में चोट पहुंचाई है ... लेकिन ये ही आपके सवाल का जवाब है
*"संपर्क और संजोग"*
*(Contact and Connection)*
आप अपने पिता के सिर्फ संपर्क (Contact) में हैं पर आपका उनसे कोई 'Connection' (संजोग) नहीं है. *You are not connected to him..* आप अपने father से संपर्क में हैं जुड़े नहीं हैं।
*Connection हमेशा आत्मा से आत्मा का होता है। heart से heart होता है...*
एक साथ बैठना, भोजन साझा करना और एक दूसरे की देखभाल करना, स्पर्श करना, हाथ मिलाना, आँखों का संपर्क होना, कुछ समय एक साथ बिताना ...
आप अपने पिता, भाई और बहनों के संपर्क ('Contact') में हैं लेकिन आपका आपस में कोई'संजोग'(Connection) नहीं है".
पत्रकार ने आँखें पोंछी और बोला: *"मुझे एक अच्छा और अविस्मरणीय सबक सिखाने के लिए धन्यवाद".*
वो तब का न्यूयार्क था पर आज ये भारत की भी सच्चाई हो चली है, at home और society में सबके हज़ारो संपर्क (contacts) हैं पर कोई connection नही. कोई विचार-विमर्श नहीं... हर आदमी अपनी नकली दुनिया में खोया हुआ है।
👉 *हमें केवल "संपर्क" नहीं बनाए रखना चाहिए अपितु "कनेक्टेड" भी रहना चाहिये। हमें हमारे सभी प्रियजनों की देखभाल करना, उनके सुख-दुख को साझा करना और साथ में समय व्यतीत करना चाहिए।*
*वो साधु और कोई नहीं "पूज्य स्वामी विवेकानंद" थे।*
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
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चर्चा हुई जब ऊपरवाले की मेहरबानियों की,
तो मैंने खुद को बेहद ख़ुशनसीब पाया,
जब ज़िन्दगी में जरूरत पड़ी एक अच्छे दोस्त की,
ऊपरवाला खुद ही दोस्त बनकर चला आया🙏
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यथार्थ व यक्ष प्रश्नों पर भी, चहरे पर जल की बूंदे ज़ोर से पड़नी चाहिए। निद्रा भंग होनी चाहिए। प्रत्यक्ष प्रभाव व दूरस्थ प्रभाव की तन्द्रा से बाहर होना होगा। विकास की राह ज..या कर से निर्धारित नहीं हो सकता। बीच की राह जरूर होगी। *"आशान्वित जनता"*
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बुधु बक्से का पिटारा है,
जन मानस का खुराना है।
हल का हलाहल कराना है,
नप न पाया नृप का कहना है।।
जय हो🙏
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फकीरी की फेरी है,
आज तेरी कल मेरी है।
मुफलिसी की देरी है,
जहाँ तेरी वहाँ मेरी है।।
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विदेशी नाम संस्करण करना चलन में है,
अपना अपनाना ना के संस्करण चलन में है,
आ ज के संस्करण भविष्य के भवँर में है,
उजाले से अंधेरे के संस्करण बक्से में हैं।
जय हो
महादेव
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इंतजार है या करार है,
चिंघाड़ है या दहाड़ है,
शांत है या व्याकुल है,
कूल है या प्रतिकूल है,
वक़्त है या बेवक़्त है,
बन्द है या पाबन्द है।
जय हो
हर हर महादेव
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कंधे हमारे थे,
तब आप,
ऊपर चढ़े थे।
अब समझे,
कमजोर शायद।
मूसर घटे है,
सब झुके है।
😉🙂🙃😉
जय हो
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स्थान एक,
बांधे हुए,
दो धाराओ को,
अभय हो,
बैठ गंग के,
भंग में।
जय हो
हर हर महादेव
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राज करने की नीति
के चलते कुछ पुरनिये,
फिर कुछ कह गए
लोग सोये हैं सोच
फिर कुछ कह गए।।
नई पीढ़ी की नीति
के चलते कुछ पुरनिये
फिर कुछ कह गए,
नए जागे है *सोच*
फिर भी ढीठ रह गए।
नीति गई है *सो*
फिर भी ढीठ रह गए।।
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भीड़ बहुत हो गई, जंग बहुत हो गई,
संग बहुत हो गई, पीर बहुत हो गई।
दर्द बहुत हो गई, जद बहुत हो गई,
कर्ज बहुत हो गई, लीज बहुत हो गई।
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बरसात आने से पहले चीटियां बहुत निकलती हैं, सड़क, मकान, दुकान पर चीनी बिखेर दें। चीटियां सन्तुष्ट होंगी तभी शुगर और चिकित्सक दूर रहेंगे।
जय हो
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चइत की *महामारी* थी,
*व्यसन* रोज़ की कहानी थी,
फेरी पर *व्यंग* हमारी थी,
पूस की *छुईंता* भारी थी।
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