#भारतीय_पुरातत्व_सर्वेक्षण
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*#भारतीय_पुरातत्व_सर्वेक्षण (ASI) विभाग वर्तमान समय मे उत्खनन से मिले अवशेषो को आज की ब्राह्मणी व्यवस्था से जोडकर #ब्राह्मण_पुरातन_स्थापित करने वाला विभाग बनकर रह गया है|* *चित्र संख्या >>1 को देखिये कि किस प्रकार से अष्टकोणीय स्तम्भनुमा आकृति को #शिव_लिंग बताकर जनता को दिञभ्रमित किया जा रहा है|* *जबकि इस प्रकार का स्तम्भ निर्माण गुप्तकाल मे किया जाता था|* *#महाराजा_सिरि_कुमार_गुप्त भगवान बुद्ध के अनुयाई थे, और #धम्म के प्रचार करने हेतु स्वयं ���ीवर धारण करते हुए भिक्खु बन गए थे|* *चित्र संख्या >>2, जो #महाराजा_सिरि_कुमार_गुप्त की है, जिस मूर्ति के बेस पर उनका नाम अंकित है|* *भगवान बुद्ध ने दुख मुक्ति का जो #अष्टांगिक_मार्ग बताए थे, उसी अष्टांगिक मार्ग को प्रतीकात्मक रूप से महाराजा सिरि कुमार गुप्त ने अष्टकोणीय स्तम्भ के रूप मे अपने कार्यकाल मे स्थापित किए थे| ऐसे कई स्तम्भो पर उन्होने अपना नाम भी गुप्तकालीन बाह्मी लिपि द्वारा उतीर्ण करवाये थे* *जिसे* *चित्र संख्या >>3 मे देखे, जिस पर #राजाधिराज_सिरि_कुमार_गुप्तस्य लिखा हुआ है|* *अभिलेखो मे गुप्तकाल बुद्ध काल का अनुयाई रहा है लेकिन ASI @Archaeological Survey of India और तथाकथित कुछ लेखको ने पुस्तको मे गुप्तकाल को ब्राह्मणी काल का अनुयाई बताकर लोगो को दिञभ्रमित कर दिया है|* लेख मा. Rajeev Patel साहब की फेसबुक वॉल से साभार https://www.instagram.com/p/Coc-uEbMhKk/?igshid=NGJjMDIxMWI=
#भारतीय_पुरातत्व_सर्वेक्षण#ब्राह्मण_पुरातन_स्थापित#शिव_लिंग#महाराजा_सिरि_कुमार_गुप्त#धम्म#अष्टांगिक_मार्ग#राजाधिराज_सिरि_कुमार_गुप्तस्य
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*#भारतीय_पुरातत्व_सर्वेक्षण संग्रहालय, ग्वालियर बडा सा #मुंह_फाडे खडी है| जैसे ही वहां कोई जाता है, उसे भ्रमवंशियो का कट्टर अनुयाई बना देता है| #चित्र संख्या👉1* *संग्रहालय के अंदर जाने पर गुप्तकालीन #अष्टकोणीय स्तम्भ रखा है, जो नरेसर और अमरोल से मिला है, परंतु दर्शको मे भ्रमण के दौरान भ्रम पैदा करने हेतु शिवलिंग लिखा हुआ है|* *अब #प्रश्न बनता है कि ASIभारतीय पुरातत्व विभाग को कैसे पता चला कि यह शिव जी का लिंग ही है? क्या उस आकृति पर लिखित कोई अभिलेख मिला या भ्रमवंश के लोग पूर्व से ही उस लिंग से परिचित थे? #चित्र संख्या👉2* *थोडा और आगे बढेंगे, तो गुप्तकाल के #बोधिसत्व की आकृति स्तम्भ पर बनी रखी है, जो नरेसर से मिला है| यहां भी दर्शको मे भ्रम पैदा करने हेतु, उसपर #महापशुपति_शिवलिंग लिखा है| जबकि उस आकृति मे बने व्यक्ति जिस प्रकार से बैठा है, बैठने का वह तरीका भगवान बुद्ध का #ध्यान_आसन है| #देखे चित्र संख्या👉3* *संग्रहालय के बगल मे जहांगीर किला की ओर चलते है, वहां किला की दीवारो पर #भगवान_बुद्ध और #बोधिवृक्ष के दोनो ओर हाथी की कलाकृति बनी है| #देखे चित्र संख्या👉4* *किले के प्रवेशद्वार पर स्तम्भ है, जिस स्तम्भ पर नक्कासी बनी है, उस नक्कासी पर ध्यान दे, मछलीनुमा आकृति अपने मुंह मे #त्रिरत्न पकडे है| #चित्र संख्या👉5* *ASIभारतीय पुरातत्व विभाग मे तथाकथित भ्रमवंश के लोग इन सब बातो पर चुप्पी साध लेता है| आखिर भ्रमवंशियो का छुपा एजेंडा जो है कि लोगो को कट्टर हिंदुत्व के ढांचे मे ढालकर, उसपर शासन और शोषण-दोहन दोनो करना है|* फोटो साभार Bharat Dodiya जी से आर्टिकल👇 - Rajeev Patel जी के फेसबुक वॉल से साभार https://www.instagram.com/p/CoW7rs7sSy9/?igshid=NGJjMDIxMWI=
#भारतीय_पुरातत्व_सर्वेक्षण#मुंह_फाडे#चित्र#अष्टकोणीय#प्रश्न#बोधिसत्व#महापशुपति_शिवलिंग#ध्यान_आसन#देखे#भगवान_बुद्ध#बोधिवृक्ष#त्रिरत्न
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