हेल्प यू एजुकेशनल एंड चै���िटेबल ट्रस्ट कर रहा है रक्तदान महादान के कथन को चरितार्थ - डा० रूपल अग्रवाल
रक्तदान करवा कर लखनऊ में रक्त की कमी को पूरा करना है हमारा लक्ष्य - डा० रूपल अग्रवाल
लखनऊ, 01.12.2023 | हेल्प यू ब्लड डोनर कैंपेन के अंतर्गत विश्व एड्स दिवस 2023 के अवसर पर हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा सहारा अस्पताल के संयुक्त तत्वावधान में रक्तदान शिविर का आयोजन ब्लड सेंटर, सहारा अस्पताल, गोमती नगर लखनऊ में किया गया | शिविर में 8 रक्तदाताओं शशांक श्रीवास्तव, योगेश कश्यप, आयुष वर्मा, सौरभ जयसवाल, संतोष कुमार, राहुल कनौजिया, प्रिंस साहू तथा अंकित चौहान ने स्वैच्छिक रक्तदान किया तथा हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के साथ ब्लड का रिश्ता बनाया |
रक्तदान शिविर का शुभारंभ सहारा श्री स्वर्गीय श्री सुब्रतो रॉय के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर किया गया तत्पश्चात सहारा अस्पताल के निदेशक डॉ मजहर हुसैन, वरिष्ठ सलाहकार श्री अनिल विक्रम सिंह तथा डॉक्टर अंजू शुक्ला, विभागाध्यक्ष, ब्लड बैंक ने दीप प्रज्वलन किया |
सहारा इंडिया परिवार के वरिष्ठ सलाहकार श्री अनिल विक्रम सिंह ने हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट का आभार व्यक्त किया तथा कहा कि "हमारे माननीय अभिभावक सहाराश्री जी की सोच को आगे बढ़ाने की दिशा में समस्त सहारा हॉस्पिटल टीम दिन-रात अग्रसर है । आज वो हमारे बीच में नहीं है परन्तु हर पल उनकी उपस्थिति व आशीर्वाद हम सबके साथ है । उन्होंने मानवता को सदैव सर्वोपरि रखा तथा इसी क्रम में आज रक्तदान शिविर का आयोजन किया जा रहा है जिससे जरूरतमंद लोगों को रक्त की उपलब्धता हो सके|"
इस अवसर पर हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के न्यासी डा० रूपल अग्रवाल ने बताया कि "विश्व एड्स दिवस के अवसर पर हेल्प यू ब्लड डोनर कैंपेन के तहत आज इस रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया है | हेल्प यू ब्लड डोनर कैंपेन का लक्ष्य प्रतिवर्ष 1000 यूनिट रक्तदान करवाने का है जिससे लखनऊ शहर में रक्त की कमी के कारण किसी भी रोगी की मृत्यु ना हो | रक्तदान महादान है क्योंकि किसी के जीवन को बचाने से ज्यादा पुण्य का काम कोई और नहीं हो सकता | हमारी आप सभी से अपील है कि हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा चलाई गई हेल्प यू ब्लड डोनर कैंपेन का हिस्सा बनकर जनहित में अपना महत्वपूर्ण योगदान प्रदान कीजिए | हेल्प यू ब्लड डोनर कैंपेन की संपूर्ण जानकारी ट्रस्ट की सोशल मीडिया https://www.facebook.com/HelpUBloodDonor पर उपलब्ध है |"
रक्तदान शिविर में डॉ मजहर हुसैन, श्री अनिल विक्रम सिंह, डॉ अंजू शुक्ला, डॉ पल्लवी रानी, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की न्यासी डॉ रूपल अग्रवाल तथा स्वयंसेवकों की गरिमामयी उपस्थिति रही |
संत रामपाल जी ने समाज में फैले भेदभाव और असमानता को देखा। जातिगत एवं धार्मिक भेदभाव ने उन्हें भीतर से झकझोर दिया। वे इस सामाजिक कुरीति को समाप्त करने के लिए प्रतिबद्ध हो गए। उन्होंने अपने प्रवचनों में इन मुद्दों को उठाया और लोगों को समानता और भाईचारे का संदेश दिया। उनके प्रयासों से कई लोगों में बदलाव आया और समाज के एक बड़े वर्ग ने उनका समर्थन किया। उनके इस प्रयास से समाज से धार्मिक एवं जातिगत भेदभाव पूर्ण रूप से मिट रहा है। उनका कहना है सभी मानव एक परमात्मा की संतान है:
जीव हमारी जाति है मानव धर्म हमारा।
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई, धर्म कोई नही न्यारा।।
9💠संत रामपाल जी का संघर्ष
अध्यात्म के नाम पर अज्ञान परोसने वाले धर्मगुरुओं के अज्ञान को उजागर कर मानव समाज को शास्त्र अनुकूल ज्ञान देने के लिए संत रामपाल जी महाराज को अनेक संघर्षों का सामना करना पड़ा। यहाँ तक कि सत्यज्ञान के प्रचार लिए उन्होंने अन्य धर्मगुरुओं का विरोध झेला, उन्हें जेल तक जाना पड़ा और बिना रुके, बिना थके आज जेल में रहते हुए भी संत रामपाल जी महाराज का संघर्ष जारी है।
10💠संत रामपाल जी महाराज का जीवन संघर्षों और चुनौतियों से भरा रहा है, लेकिन इन संघर्षों ने उन्हें और भी दृढ़ और साहसी बनाया है। उन्होंने हमेशा समाज की भलाई के लिए काम किया और अंधविश्वास, पाखंडवाद, जातिवाद और सामाजिक बुराइयों के खिलाफ लड़ाई लड़ी है। उनके उपदेशों का मुख्य उद्देश्य समाज में आध्यात्मिक के साथ-साथ नैतिकता, मानवता और सद्भावना का प्रसार करना है। वे अपने अनुयायियों को शास्त्रानुसार भक्ति साधना के साथ-साथ धर्म के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं, जिससे समाज में सकारात्मक परिवर्तन आ रहा है।
11💠सामाजिक सुधार के लिए संघर्ष
संत रामपाल जी महाराज ने न केवल आध्यात्मिकता की बात की है, बल्कि समाज सुधार के लिए भी कई कदम उठाए है। उन्होंने दहेज प्रथा, भ्रष्टाचार और नशा के खिलाफ अभियान चलाए। उनके अनुयायियों ने समाज में जागरूकता फैलाने के लिए विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए। उनके प्रवचनों में इन बुराइयों के खिलाफ आवाज उठाई जाती थी, जिससे लोग जागरूक होकर इन कुरीतियों से दूर होने लगे। उनके प्रयासों से समाज में सकारात्मक बदलाव देखने को मिला। आज उनके करोड़ों समर्थक न दहेज़ लेते हैं और न ही देते हैं। साथ ही, उनका कोई भी अनुयायी किसी भी प्रकार की tनशीली वस्तु को हाथ तक नहीं लगाता।
📜एक भक्त सत्संग में जाने लगा। दीक्षा ले ली, ज्ञान सुना और भक्ति करने लगा। अपने मित्र से भी सत्संग में चलने तथा भक्ति करने के लिए प्रार्थना की। परंतु दोस्त नहीं माना। कह देता कि कार्य से फुर्सत (खाली समय) नहीं है। छोटे-छोटे बच्चे हैं। इनका पालन-पोषण भी करना है। काम छोड़कर सत्संग में जाने लगा तो सारा धँधा चैपट हो जाएगा।
वह सत्संग में जाने वाला भक्त जब भी सत्संग में चलने के लिए अपने मित्र से कहता तो वह यही कहता कि अभी काम से फुर्सत नहीं है। एक वर्ष पश्चात् उस मित्र की मृत्यु हो गई। उसकी अर्थी उठाकर कुल के लोग तथा नगरवासी चले, साथ-साथ सैंकड़ों नगर-मौहल्ले के व्यक्ति भी साथ-साथ चले। सब बोल रहे थे कि राम नाम सत् है, सत् बोले गत् है। भक्त कह रहा था कि राम नाम तो सत् है परंतु आज भाई को फुर्सत है। नगरवासी कह रहे थे कि सत् बोले गत् है, भक्त कह रहा था कि आज भाई को फुर्सत है। अन्य व्यक्ति उस भक्त से कहने लगे कि ऐसे मत बोल, इसके घर वाले बुरा मानेंगे। भक्त ने कहा कि मैं तो ऐसे ही बोलूँगा। मैंने इस मूर्ख से हाथ जोड़कर प्रार्थना की थी कि सत्संग में चल, कुछ भक्ति कर ले। यह कहता था कि अभी फुर्सत अर्थात् खाली समय नहीं है। आज इसको परमानैंट फुर्सत है। छोटे-छोटे बच्चे भी छोड़ चला जिनके पालन-पोषण का बहाना करके परमात्मा से दूर रहा। भक्ति करता तो खाली हाथ नहीं जाता। कुछ भक्ति धन लेकर जाता। बच्चों का पालन-पोषण तो परमात्मा करता है। भक्ति करने से साधक की आयु भी परमात्मा बढ़ा देता है। भक्तजन ऐसा विचार करके भक्ति करते हैं, कार्य त्यागकर सत्संग सुनने जाते हैं।
भक्त विचार करते हैं कि परमात्मा न करे, हमारी मृत्यु हो जाए। फिर हमारे कार्य कौन करेगा? हम यह मान लेते हैं कि हमारी मृत्यु हो गई। हम तीन दिन के लिए मर गया, यह विचार करके सत्संग में चलें, अपने को मृत मान लें और सत्संग में चले जायें। वैसे तो परमात्मा के भक्तों का कार्य बिगड़ता नहीं, फिर भी हम मान लेते हैं कि हमारी गैर-हाजिरी में कुछ कार्य खराब हो गया तो तीन दिन बाद जाकर ठीक कर लेंगे। यदि वास्तव में टिकट कट गई अर्थात् मृत्यु हो गई तो परमानैंट कार्य बिगड़ गया। फिर कभी ठीक करने नहीं आ सकते। इस स्थिति को जीवित मरना कहते हैं।
वाणी का शेष सरलार्थ:- द्वादश मध्य महल मठ बौरे, बहुर न देहि धरै रे। सरलार्थ:- श्रीमद् भगवत गीता अध्याय 15 श्लोक 4 में कहा है कि तत्वज्ञान की प्राप्ति के पश्चात् परमेश्वर के उस परमपद की खोज करनी चाहिए जहाँ जाने के पश्चात् साधक लौटकर संसार में कभी नहीं आते अर्थात् उनका पुनर्जन्म नहीं होता। वे फिर देह धारण नहीं करते। सूक्ष्मवेद की यह वाणी यही स्पष्ट कर रही है कि वह परम धाम द्वादश अर्थात् 12वें द्वार को पार करके उस परम धाम में जाया जाता है। आज तक सर्व ऋषि-महर्षि, संत, मंडलेश्वर केवल 10 द्वार बताया करते। परंतु परमेश्वर कबीर जी ने अपने स्थान को प्राप्त कराने का सत्यमार्ग, सत्य स्थान स्वयं ही बताया है। उन्होंने 12वां द्वार बताया है। इससे भी स्पष्ट हुआ कि आज तक (सन् 2012 तक) पूर्व के सर्व ऋषियों, संतों, पंथों की भक्ति काल ब्रह्म तक की थी। जिस कारण से जन्म-मृत्यु का चक्र चलता रहा।
वाणी सँख्या 5:- दोजख बहिश्त सभी तै देखे, राजपाट के रसिया।
तीन लोक से तृप्त नाहीं, यह मन भोगी खसिया।।
सरलार्थ:- तत्वज्ञान के अभाव में पूर्णमोक्ष का मार्ग न मिलने के कारण कभी दोजख अर्थात् नरक में गए, कभी बहिश्त अर्थात् स्वर्ग में गए,कभी राजा बनकर आनन्द लिया। यदि इस मानव को तीन लोक का राज्य भी दे दंे तो भी तृप्ति नहीं होती।
उदाहरण:- यदि कोई गाँव का सरपंच बन जाता है तो वह इच्छा करता है कि विधायक बने तो मौज होवे। विधायक इच्छा करता है कि मन्त्राी बनूं तो बात कुछ अलग हो जाएगी। मंत्राी बनकर इच्छा करता है कि मुख्यमंत्राी बनूं तो पूरी चैधर हो। आनन्द ही न्यारा होगा। सारे प्रान्त पर कमांड चलेगी। मुख्यमंत्राी बनने के पश्चात् प्रबल इच्छा होती है कि प्रधानमंत्राी बनूं तो जीवन सार्थक हो। तब तक जीवन लीला समाप्त हो जाएगी। फिर गधा बनकर कुम्हार के लठ (डण्डे) खा रहा होगा। इसलिए तत्वज्ञान में समझाया है कि काल ब्रह्म द्वारा बनाई स्वर्ग-नरक तथा राजपाट प्राप्ति की भूल-भुलईया में सारा जीवन व्यर्थ कर दिया। कहीं संतोष नहीं हुआ, यह मन ऐसा खुसरा (हिजड़ा) है।
आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। Sant Rampal Ji Maharaj YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
आज के युग में हर कोई घर बैठे पैसा कमाना चाहता है और इसलिए वो गूगल पर जा कर जरूर सर्च करता है की घर बैठे पैसे कैसे कमाए और जब वो ऐसा सर्च करता है तो Google Adsense का नाम पहले नंबर पर आता है। अगर आप यूट्यूब या अपनी वेबसाइट से पैसा कमाना चाहते है तो आपके लिए यह जानना बहुत ज्यादा जरुरी है की Google Adsense है क्या ?
Google Adsense एक विज्ञापन कंपनी है जो हमे हमारी वेबसाइट और यूट्यूब पर विज्ञापन चलाने के पैसे देती है। अगर आपको कोई यूट्यूब अकाउंट है या वेबसाइट है तो आप विज्ञापन चला कर अच्छे खासे पैसे कमा सकते है लेकिन आपकी वेबसाइट या चैनल पर अच्छे खासे views आ रहे हो
अब आपके मन में यह प्रश्न आ रहा होगा की google adsense को इससे क्या फायदा होता है ? वो हमे फ्री में पैसे कैसे दे रहा है ? उसके पास इतने पैसे कहा से आते है ? चिंता मत कीजिये इस लेख में आपको हर प्रश्न का जवाब मिलेगा
Google Adsense काम कैसे करता है ?
जिन लोगो को अपने brand, कंपनी, busines या ब्लॉग का प्रमोशन करना होता है तो वो Google Ads का इस्तेमाल करते है और वो गूगल एड्स को पैसे देते है जितने की उन्होंने विज्ञापन दिखाना है। अब गूगल एड्स उस विज्ञापन को उन लोगो की वेबसाइट या यूट्यूब चैनल पर दिखता है जिनके ऊपर अच्छे खासे व्यूज आ रहे होते है और इसके बदले में वो उन पैसो में से जो उसे विज्ञापन चलाने वाले लोगो से मिले थे, कुछ अमाउंट यूटूबेर और वेबसाइट के ओनर को दे देता है क्योकि उनकी वेबसाइट या चैनल पर गूगल एड्स ने विज्ञापन चलाया और यह जो पैसे है वो google adsense देखती है और इसके दवारा ही पैसे लोगो तक भेजे जाते है
Google Adsense से आप कितना कमा सकते है ?
आप वास्तव में यह नहीं जान सकते कि आप इससे कितना पैसा कमा सकते है जब तक आप इसे आजमाते नहीं है
राशि कई कारकों पर निर्भर करती है, जैसे:
आपको कितना ट्रैफिक मिलता है
आपकी केटेगरी कौन सी है
Searches कहाँ से हो रही है
आपकी वेबसाइट की कोन सी जगह पर ad show हो रहे है
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परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी लगभग आज से 600 वर्ष पहले इस धरती पर आये और बहुत सी लीलाएं करके चले गए। कबीर साहेब की लीलाओं का जिक्र कबीर सागर में भी मिलता है। परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी के 64 लाख शिष्य थे, यह अपने आप में एक बहुत बड़ी बात है।
परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी ने यथार्थ भक्ति मार्ग बताया, जिसको अपनाकर भक्तों को अविश्वसनीय लाभ प्राप्त हुए । कबीर साहेब ने एक साधारण जुलाहे की भूमिका की और जो भी पैसा बचता तो उसको धर्म भंडारे में लगा दिया करते । भोजन भंडारा धर्म यज्ञ में आता है।
एक बार शेखतकी जो कि कबीर साहेब से ईर्ष्या करता था। वह परमात्मा को स्वीकार नहीं करना चाहता था साथ ही अलग अलग प्रकार से नीचा दिखाने की योजनाएं बनाता रहता था। इस बात का फायदा काशी के नकली पंडितों ने भी उठाना चाहा क्योंकि कबीर साहेब के सत्य ज्ञान से उनकी ढोंग की दुकान बंद हो रही थी। सबने मिलकर झूठे पत्र लिखे और सिकन्दर लोदी समेत 18 लाख लोगों को भंडारे में आमंत्रित किया, चिट्ठी में यह भी लिखा कि प्रत्येक भोजन करने वाले को एक दोहर और एक स्वर्ण मोहर भी मिलेगी। ऐसा उन्होंने यह सोचकर किया कि एक जुलाहा इतने लोगों को कैसे भंडार कराएगा। किन्तु जुलाहे की भूमिका करते हुए पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी ने 18 लाख साधु संतों लोगों को भोजन कराया। सारा भोजन भंडारा सतलोक से लाये तथा प्रत्येक भोजन करने वाले को एक दोहर और एक मोहर दी एवं सूखा सीधा भी दिया। वह अलौकिक भंडारा लगातार तीन दिनों तक चलता रहा।
उन्होंने अपनी जुलाहे की भूमिका करते हुए यह बताया कि अगर आप भी इस तरह से परमात्मा पर विश्वास करके भक्ति करोगे तो परमात्मा आपके लिए कुछ भी कर सकता है।
कबीर, कल्पे कारण कौन है, कर सेवा निष्काम।
मन इच्छा फल देऊंगा, जब पड़े मेरे से काम।।
आज हमारे बीच परमेश्वर कबीर बंदीछोड़ जी के अवतार जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल की महाराज आये हुए हैं जो वही चमत्कार करके सुख दे रहे हैं जैसे परमेश्वर कबीर देते थे। पूर्ण तत्वदर्शी संत से नामदीक्षा शारीरिक, मानसिक और आर्थिक लाभ तो देती ही है साथ ही पूर्ण मोक्ष भी देती है।
#दिव्य_धर्म_यज्ञ_दिवस
7-8-9 November
दिव्य धर्म यज्ञ दिवस पर देखिये विशेष कार्यक्रम का सीधा प्रसारण
09 नवंबर 2022
सुबह 09:15 बजे से।
साधना Tv और पॉपकॉर्न Tv पर।
इस प्रोग्राम को आप Youtube Channel "Sant Rampal Ji Maharaj" पर भी देख सकते हैं।
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कौन थे जय गुरुदेव पंथ के प्रवर्तक बाबा तुलसी दास | SA News Chhattisgarh
जय गुरुदेव पंथ के प्रवर्तक बाबा तुलसीदास का जन्म वर्ष 1896 में ग्राम किटौरा, जिला इटावा, उत्तर प्रदेश में हुआ था। तुलसीदास जी के माता-पिता का देहांत उनके बचपन में ही हो गया था। तुलसीदास जी का बचपन से ही आध्यात्म की ओर झुकाव था। माता-पिता की मृत्यु के बाद तुलसीदास जी मंदिर के पुजारी के पास रहने लगे। वहाँ रहते हुए उन्होंने कुछ आध्यात्मिक पुस्तकों का अध्ययन किया। उन्हें पढ़ने के बाद उन्हें विश्वास हो गया कि ईश्वर तो है, लेकिन वह कहाँ है? और ईश्वर को पाने का तरीका क्या है? इसका उन पुस्तकों में कहीं उल्लेख नहीं था। जय गुरुदेव एक पुण्यात्मा थे। संभवतः वे अपने पिछले मानव जन्मों में कोई ऋषि/महर्षि रहे होंगे। उनके पहले के शुभ कर्म प्रबल थे। उन्हें ईश्वर को पाने की प्रबल इच्छा थी। वे भक्ति के लिए भटकते रहे।
एक दिन किसी ने उसे बताया कि भगवान मस्जिद में आएंगे और नमाज पढ़ेंगे। इसके बाद वह रोज मस्जिद जाने लगा। उसने बताया कि एक दिन उसने लोगों को बकरा काटते देखा, जिससे उसे बहुत दुख हुआ और फिर उसने नमाज पढ़ना बंद कर दिया। उसके बाद किसी ने उसे बताया कि शरीर में 'संख चक्र गदा' का टैटू बनवाने से भगवान की प्राप्ति होती है। उसने अपने शरीर पर टैटू बनवा लिए। उसे ईश्वर की प्राप्ति तो नहीं हुई, लेकिन उसे बहुत शारीरिक पीड़ा सहनी पड़ी।
फिर तुलसीदास जी अपने घर वापस आए जहाँ उनकी मुलाक़ात एक पंडित से हुई जिनका नाम घूरेलाल जी था। तुलसीदास जी ने उनसे दीक्षा ली। घूरेलाल जी ने उन्हें हठ योग (जबरन पूजा) करने को कहा और फिर तुलसीदास जी दिन में 18 घंटे हठ योग करने लगे। बाद में उन्होंने 10 जुलाई 1952 से 1971 तक दीक्षा देना शुरू किया। उनके एक करोड़ अनुयायी थे।
जय गुरुदेव उर्फ़ तुलसीदास जी ने कई भविष्यवाणी की है जो उनके समर्थकों के लिए राज़ बनकर रह गई। उन्होंने एक महान संत के बारे में भविष्यवाणी की है।
संदर्भ: 'शाकाहारी पत्रिका (न्यूज़लैटर) बालसंघ' में 'जय गुरुदेव की अमर वाणी', प्रकाशक दिव्या शर्मा, 88, साकेत कॉलोनी, मथुरा-यूपी, मुद्रक अर्जेंट प्रिंटर्स, पुराना बस स्टैंड, मथुरा-यूपी, पृष्ठ 50, दिनांक: 7 सितम्बर 1971
जय गुरुदेव पंथ के संत तुलसीदास जी ने 1971 में एक और महान संत के बारे में भविष्यवाणी की थी और उन्हें पूर्ण संत कहकर संबोधित किया था। उन्होंने उस संत की उम्र और अन्य विशेषताओं का बहुत अच्छा वर्णन किया था। संत तुलसी दास जी ने 7 सितंबर 1971 को अपने समाचार पत्र जय गुरुदेव की अमरवाणी में इस बारे में विस्तार से लिखा था कि जिस अवतार का पूरी दुनिया बेसब्री से इंतजार कर रही है, वह भारत के एक छोटे से गांव में जन्म ले चुका है। आज उसकी उम्र 20 साल हो गई है। अगर मैं उसका पता बताऊं तो सब उसके पीछे पड़ जाएंगे। आज की तारीख में मुझे इस बात का खुलासा करने की कोई ईश्वरीय अनुमति नहीं है। मैं सही समय का इंतजार कर रहा हूं, जैसा कि सभी महापुरुषों ने किया है। जब समय आएगा, तो सबको सब पता चल जाएगा।'
इसी पुस्तक में गुरुदेव पंथ के संस्थापक ने अपनी पुस्तक 'जय गुरुदेव की भविष्यवाणी' - भाग 2 के पृष्ठ 22 पर कोरोन बीमारी की भी भविष्यवाणी की थी।
जय गुरुदेव ने अपने भविष्यवाणी में अवतारी पुरुष का संकेत दिया था तथा बताया था कि वह मानवता के गिरते स्तर को फिर से ऊपर उठाएगा। वह अवतार नास्तिकता को पूरी तरह से नष्ट कर देगा। इतना ही नहीं वह अवतार स्वर्ण युग लाएगा और विश्व में शांति और भाईचारा स्थापित करेगा। फिर सारा विश्व एक होकर कबीर परमेश्वर जी की सच्ची भक्ति करेगा। वह अवतार इस समय भारत में जन्म ले चुका है और वह अवतार कोई और नहीं संत रामपाल जी महाराज जी ही हैं। अब वह दिन दूर नहीं जब पूरा विश्व संत रामपाल जी को पहचानेगा और सभी संत रामपाल जी महाराज जी की बताई सतभक्ति करेंगे।
वह अवतार और कोई नहीं संत रामपाल जी महाराज जी है। 7 सितंबर 1971 को संत रामपाल जी महाराज पूरे 20 वर्ष के हो चुके थे। संत रामपाल जी महाराज ही कलयुग में पुनः सतयुग की स्थापना करने जा रहे। 2011 में संत रामपाल जी महाराज जी ने जय गुरुदेव उर्फ़ तुलसीदास जी को अपनी की हुई भविष्यवाणी अर्थात् वह तारणहार कौन है उजागर करने को कहा था, परंतु तब तक उनकी दिव्यदृष्टि काम नहीं कर रही थी। 2012 में 116 वर्ष की आयु में तुलसीदास जी बीमारी के कारण मृत्यु को प्राप्त हुए। अधिक जानकारी के लिए visit करें, SA News YouTube Channel
संत रामपाल जी महाराज का उद्देश्य है कि सारा विश्व बुराइयों से मुक्त हो, जिससे विश्व में शांति स्थापित हो सके। आपसी भाईचारा कायम हो, धरती स्वर्ग समान बने, हर इंसान सुखी हो। इसके लिए संत रामपाल जी महाराज दिन-रात संघर्ष कर रहे हैं और इस संघर्ष का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि संत रामपाल जी तथा उनके अनुयायियों पर झूठे मुकदमे तक लगाए गए, उन्हें जेल तक जाना पड़ा।
संत रामपाल जी ने अपना पूरा जीवन मानव समाज तक सतभक्ति और सत्यज्ञान पहुँचने के लिए न्योछावर कर दिया। इसी कड़ी में उन्होंने सर्वप्रथम अपनी नौकरी से त्यागपत्र दिया व उसके बाद दिन-रात संघर्ष कर घर-घर जाकर सत्यज्ञान की अलख जगाई। वास्तव में संत रामपाल जी महाराज का जीवन मानव कल्याण के लिए संघर्ष का पर्याय बन गया।
संत रामपाल जी ने समाज में फैले भेदभाव और असमानता को देखा। जातिगत एवं धार्मिक भेदभाव ने उन्हें भीतर से झकझोर दिया। वे इस सामाजिक कुरीति को समाप्त करने के लिए प्रतिबद्ध हो गए। उन्होंने अपने प्रवचनों में इन मुद्दों को उठाया और लोगों को समानता और भाईचारे का संदेश दिया। उनके प्रयासों से कई लोगों में बदलाव आया और समाज के एक बड़े वर्ग ने उनका समर्थन किया। उनके इस प्रयास से समाज से धार्मिक एवं जातिगत भेदभाव पूर्ण रूप से मिट रहा है। उनका कहना है सभी मानव एक परमात्मा की संतान है:
संत रामपाल जी महाराज का जीवन संघर्षों और चुनौतियों से भरा रहा है, लेकिन इन संघर्षों ने उन्हें और भी दृढ़ और साहसी बनाया है। उन्होंने हमेशा समाज की भलाई के लिए काम किया और अंधविश्वास, पाखंडवाद, जातिवाद और सामाजिक बुराइयों के खिलाफ लड़ाई लड़ी है। उनके उपदेशों का मुख्य उद्देश्य समाज में आध्यात्मिक के साथ-साथ नैतिकता, मानवता और सद्भावना का प्रसार करना है। वे अपने अनुयायियों को शास्त्रानुसार भक्ति साधना के साथ-साथ धर्म के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं, जिससे समाज में सकारात्मक परिवर्तन आ रहा है।
अध्यात्म के नाम पर अज्ञान परोसने वाले धर्मगुरुओं के अज्ञान को उजागर कर मानव समाज को शास्त्र अनुकूल ज्ञान देने के लिए संत रामपाल जी महाराज को अनेक संघर्षों का सामना करना पड़ा। यहाँ तक कि सत्यज्ञान के प्रचार लिए उन्होंने अन्य धर्मगुरुओं का विरोध झेला, उन्हें जेल तक जाना पड़ा और बिना रुके, बिना थके आज जेल में रहते हुए भी संत रामपाल जी महाराज का संघर्ष जारी है।
संत रामपाल जी महाराज ने न केवल आध्यात्मिकता की बात की है, बल्कि समाज सुधार के लिए भी कई कदम उठाए है। उन्होंने दहेज प्रथा, भ्रष्टाचार और नशा के खिलाफ अभियान चलाए। उनके अनुयायियों ने समाज में जागरूकता फैलाने के लिए विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए। उनके प्रवचनों में इन बुराइयों के खिलाफ आवाज उठाई जाती थी, जिससे लोग जागरूक होकर इन कुरीतियों से दूर होने लगे। उनके प्रयासों से समाज में सकारात्मक बदलाव देखने को मिला। आज उनके करोड़ों समर्थक न दहेज़ लेते हैं और न ही देते हैं। साथ ही, उनका कोई भी अनुयायी किसी भी प्रकार की नशीली वस्तु को हाथ तक नहीं लगाता।
आज समाज में नशे रुपी राक्षस का प्रहार तेजी से फैलता नजर आ रहा है। एक इंसान नशा करने के बाद अपनी इंसानियत भूलकर गलत कदम उठा लेता है और अपराध कर बैठता है। सिर्फ आध्यात्मिक ज्ञान से ही इससे छुटकारा पाया जा सकता है। संत रामपाल जी महाराज का ज्ञान सुनकर लोग नशे की लत से दूर हो रहे हैं। लेकिन नशा मुक्ति केंद्र खोलने के बावजूद सरकारें समाज से नशा को समाप्त करने में लाचार दिखतीं हैं। तो वहीं संत रामपाल जी महाराज ने समाज सुधारक का काम करते हुए नशा मुक्त समाज तैयार करने का बीड़ा उठा रखा है। वे अपने सत्संगों में भगवान का विधान बताते हैं:
मदिरा पीवै कड़वा पानी, सत्तर जन्म श्वान के जानी।
भांग तम्बाकू छोतरा आफु और शराब।
गरीबदास कौन करे बंदगी ये तो करे खराब।
अमल आहारी आत्मा, कबहु न उतरे पार।
जिससे प्रभावित होकर संत रामपाल जी महाराज के शिष्य भांग, तम्बाकू, शराब आदि किसी भी तरह के नशे को किसी को लाकर देना तो दूर रहा उसे हाथ तक नहीं लगाते। इस तरह संत रामपाल जी महाराज ने नशे की लत से लाखों उजड़े परिवारों को मात्र ज्ञान आधार से एक बार पुनः नशा मुक्त कर उन्हें सुखी बनाया है।
आज समाज में नशे रुपी राक्षस का प्रहार तेजी से फैलता नजर आ रहा है। एक इंसान नशा करने के बाद अपनी इंसानियत भूलकर गलत कदम उठा लेता है और अपराध कर बैठता है। सिर्फ आध्यात्मिक ज्ञान से ही इससे छुटकारा पाया जा सकता है। संत रामपाल जी महाराज का ज्ञान सुनकर लोग नशे की लत से दूर हो रहे हैं। लेकिन नशा मुक्ति केंद्र खोलने के बावजूद सरकारें समाज से नशा को समाप्त करने में लाचार दिखतीं हैं। तो वहीं संत रामपाल जी महाराज ने समाज सुधारक का काम करते हुए नशा मुक्त समाज तैयार करने का बीड़ा उठा रखा है। वे अपने सत्संगों में भगवान का विधान बताते हैं:
मदिरा पीवै कड़वा पानी, सत्तर जन्म श्वान के जानी।
भांग तम्बाकू छोतरा आफु और शराब।
गरीबदास कौन करे बंदगी ये तो करे खराब।
अमल आहारी आत्मा, कबहु न उतरे पार।
जिससे प्रभावित होकर संत रामपाल जी महाराज के शिष्य भांग, तम्बाकू, शराब आदि किसी भी तरह के नशे को किसी को लाकर देना तो दूर रहा उसे हाथ तक नहीं लगाते। इस तरह संत रामपाल जी महाराज ने नशे की लत से लाखों उजड़े परिवारों को मात्र ज्ञान आधार से एक बार पुनः नशा मुक्त कर उन्हें सुखी बनाया है।
आज समाज में नशे रुपी राक्षस का प्रहार तेजी से फैलता नजर आ रहा है। एक इंसान नशा करने के बाद अपनी इंसानियत भूलकर गलत कदम उठा लेता है और अपराध कर बैठता है। सिर्फ आध्यात्मिक ज्ञान से ही इससे छुटकारा पाया जा सकता है। संत रामपाल जी महाराज का ज्ञान सुनकर लोग नशे की लत से दूर हो रहे हैं। लेकिन नशा मुक्ति केंद्र खोलने के बावजूद सरकारें समाज से नशा को समाप्त करने में लाचार दिखतीं हैं। तो वहीं संत रामपाल जी महाराज ने समाज सुधारक का काम करते हुए नशा मुक्त समाज तैयार करने का बीड़ा उठा रखा है। वे अपने सत्संगों में भगवान का विधान बताते हैं:
मदिरा पीवै कड़वा पानी, सत्तर जन्म श्वान के जानी।
भांग तम्बाकू छोतरा आफु और शराब।
गरीबदास कौन करे बंदगी ये तो करे खराब।
अमल आहारी आत्मा, कबहु न उतरे पार।
जिससे प्रभावित होकर संत रामपाल जी महाराज के शिष्य भांग, तम्बाकू, शराब आदि किसी भी तरह के नशे को किसी को लाकर देना तो दूर रहा उसे हाथ तक नहीं लगाते। इस तरह संत रामपाल जी महाराज ने नशे की लत से लाखों उजड़े परिवारों को मात्र ज्ञान आधार से एक बार पुनः नशा मुक्त कर उन्हें सुखी बनाया है।
माननीय प्रधानमंत्री परम आदरणीय श्री नरेंद्र मोदी जी के "सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास" मंत्र की प्रेरणा से हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के पूर्व संरक्षक पदम श्री स्वर्गीय अनवर जलालपुरी की 76वीं जन्म जयंती के अवसर पर हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा "दास्तान गोई, साज-ए-गजल तथा सेमिनार" का आयोजन कैफी आज़मी अकादमी, निशातगंज, लखनऊ में किया गया | कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में माननीय डॉ दिनेश शर्मा, पूर्व उपमुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश सरकार की गरिमामई उपस्थिति रही |
कार्यक्रम का शुभारंभ राष्ट्रगान तथा मुख्य अतिथि माननीय डॉ दिनेश शर्मा जी, पूर्व उपमुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश सरकार, श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल, संस्थापक एवं प्रबंध न्यासी, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट, पदमश्री स्वर्गीय अनवर जलालपुरी के परिवार के सदस्यों शाहरयार जलालपुरी, शाहकार जलालपुरी, डॉ जानिसार आलम तथा ट्रस्ट के आंतरिक सलाहकार समिति के सदस्यों ने दीप प्रज्वलन करके किया |
हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के संस्थापक एवं प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल तथा पदमश्री स्वर्गीय अनवर जलालपुरी के परिवार के सदस्यों शहरयार जलालपुरी, शाहकार जलालपुरी, डॉ जानिसार आलम तथा ट्रस्ट के आंतरिक सलाहकार समिति के सदस्यों ने प्रतीक चिन्ह, पुष्प गुच्छ तथा अंग वस्त्र से माननीय मुख्य अतिथि डॉ दिनेश शर्मा जी का स्वागत एवं सम्मान किया | तत्पश्चात मुख्य अतिथि माननीय डॉ दिनेश शर्मा ने अपने कर कमलों से कार्यक्रम "दास्तान गोई, साज-ए-गजल तथा सेमिनार" के प्रतिभागियों का सम्मान किया |
इस अवसर पर हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने सभागार में उपस्थित सभी लोगों का अभिवादन करते हुए कहा कि, "आज के कार्यक्रम के माध्यम से हमारा उद्देश्य राष्���्रीय एकीकरण की भावना को प्रबल करना है और माननीय प्रधानमंत्री परम आदरणीय श्री नरेंद्र मोदी जी के मूल मंत्र "सबका साथ, सबका विकास, सबका प्रयास, सबका विश्वास" को जन-जन तक पहुंचा कर, आम जनमानस को देश हित में कार्य करने के लिए प्रोत्साहित करना है |
पदम श्री अनवर जलालपुरी वास्तव में मोहब्बत के सफ़ीर थे | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के साथ उनका बहुत गहरा नाता था | उसी नाते हमारे बीच अनवर जी के तीनो बेटे शहरयार जलालपुरी, शाहकार जलालपुरी तथा डॉ जानिसार आलम उपस्थित है | अनवर जी ने भगवत गीता को उर्दू में अनुवादित करके पूरे विश्व को भाईचारे और सौहार्द्र का संदेश दिया और इसकी जीती जागती मिसाल अनवर जी द्वारा लिखित पुस्तक “उर्दू शायरी में गीता” का महान संत परम श्रद्धेय मुरारी बापू द्वारा विमोचन है | मुरारी बापू कहते है अनवर जलालपुरी ने सम्पूर्ण गीता को बेहद आकर्षक ढंग से पाठको के लिए प्रस्तुत किया है | मेरा यकीन है कि “उर्दू शायरी में गीता” मदीने को काशी और काशी को मदीने तक ले जाएगी | मै कहता हूँ कि श्लोक को लोक तक जाना चाहिए | अनवर जलालपुरी ने इसी काम की शुरुआत की है |
यह हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट का सौभाग्य है कि हमें उर्दू शायरी में गीता के विमोचन कार्यक्रम रूहानी संगम को आयोजित करने का अवसर प्राप्त हुआ | रूहानी संगम कार्यक्रम में, आज के हमारे मुख्य अतिथि परम आदरणीय डॉ दिनेश शर्मा जी तथा हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के पूर्व संरक्षक पद्मभूषण स्वर्गीय गोपाल दास नीरज जी उपस्थित थे |
पद्मभूषण स्वर्गीय गोपाल दास नीरज जी कहते है कि मैंने गीता के हिंदी और अंग्रेजी भाषाओ के कई अनुवाद पढ़े है लेकिन जैसा अनुवाद अनवर जलालपुरी ने किया है वैसा मुझे अन्य कही देखने को नहीं मिला |
परम आदरणीय डॉ दिनेश शर्मा जी का आशीर्वाद हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट को ट्रस्ट की स्थापना से पूर्व से निरंतर प्राप्त है | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की उपलब्धियां परम आदरणीय डॉ दिनेश शर्मा जी के मार्गदर्शन का नतीजा है | आज हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट जो भी जन सेवा कर रहा है उसका श्रेय परम आदरणीय डॉ दिनेश शर्मा जी को जाता है | यह परम आदरणीय डॉ दिनेश शर्मा जी का ही आशीर्वाद था जिसके कारण पदमश्री स्वर्गीय अनवर जलालपुरी जी के साहित्य कार्यो से माननीय प्रधानमंत्री परम आदरणीय श्री नरेन्द्र मोदी जी अवगत हुए |
माननीय प्रधानमंत्री परम आदरणीय श्री नरेन्द्र मोदी जी ने हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के माध्यम से अनवर जलालपुरी जी द्वारा रचित “उर्दू शायरी में गीता” के ऑडियो संस्करण पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि श्री अनूप जलोटा जी के स्वर में सजने वाला यह संस्करण निश्चय ही कर्णप्रिय और मनोहारी होगा | माननीय प्रधानमंत्री परम आदरणीय श्री नरेन्द्र मोदी जी कहते है श्रीमद् भगवतगीता मनुष्य को सत्य के मार्ग पर चलने की सीख देती है | विपरीत परिस्थितियो में भी मन व मस्तिस्क को नियंत्रित करके सफलता पाने का अचूक मन्त्र देती है श्रीमद् भगवतगीता |
स्वयं पदम श्री अनवर जलालपुरी जी कहते है कि है योग वाले कृष्णा जहां, जहां पर है अर्जुन के तीरों कमा, वही फतहमंदी, मसर्रत वही, सभी के लिए शानो शौकत वही |
आपकी जानकारी में लाना है कि “उर्दू शायरी में गीता” का ऑडियो हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के Youtube Channel पर उपलब्ध है |
पदम श्री स्वर्गीय अनवर जलालपुरी के सुपुत्र डॉ जानिसार आलम ने कहा कि, "आज हमारे वालिद मरहूम पद्मश्री अनवर जलालपुरी के 76वें जन्म जयंती के अवसर पर हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा यह कार्यक्रम आयोजित किया गया है | मैं ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी हर्ष वर्धन अग्रवाल तथा न्यासी डॉ रूपल अग्रवाल का बहुत शुक्रिया अदा करता हूं कि उन्होंने इस कार्यक्रम को आयोजित करने में हमारा मार्गदर्शन किया तथा मैं आज के कार्यक्रम के मुख्य अतिथि माननीय डॉ दिनेश शर्मा जी, पूर्व उपमुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश सरकार का तहे दिल से स्वागत करता हूं और आप सभी विद्वानों एवं श्रोताओं का भी स्वागत करता हूं |"
मुख्य अतिथि माननीय दिनेश शर्मा पूर्व उपमुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा कि, "अनवर जलालपुरी से मेरा हृदय का संबंध था और मैं हर्ष वर्धन अग्रवाल को एवं उनके ट्रस्ट को साधुवाद देता हूं कि उन्होंने उनके तमाम कार्यक्रम कराए और उन तमाम कार्यक्रम में मुझे जाने का अवसर मिला l मुझे याद है अनवर साहब ने जब गीता को उर्दू शायरी में लिखने की बात की तो सबसे पहले मेरे साथ भेंट हुई | उस समय मेरे मन में यह आशंका थी कि इतनी अच्छी उर्दू बोलने वाला व्यक्ति, अरबी का ज्ञाता व्यक्ति जिसकी जुबान पर उर्दू शायरी बसी हुई हो, वह संस्कृत के श्लोकों का अर्थ कैसे करेगा और उसके भावार्थ को अपनी जुबान में जनमानस को कैसे समझाएगा l अनवर साहब ने मेरी यह आशंका तुरंत दूर कर दी तो मुझे लगा कि यह व्यक्ति आम जनमानस की भावनाओं को समझने की क्षमता रखने वाला व्यक्ति है | श्रीमद्भगवद्गीता को अनवर साहब इंसानियत का सबसे बड़ा ग्रंथ मानते थे जो भटके हुए व्यक्ति को सही राह दिखा सकती है | आज इस कार्यक्रम में मैं यही कहना चाहूंगा कि सभी लोग अपनी परंपरा का पूरा सम्मान करते हुए आगे बढ़े | अगर हम हिंदू हैं तो हम खूब पूजा पाठ, जो कुछ भी कर सकते हैं, उसमें अडिग रहे | अगर हम मुस्लिम है तो पांचों वक्त की जो अजान करते हैं वह करें, उस पर कोई रोक टोक नहीं होनी चाहिए | लेकिन यह जो प्रोग्रेसिव नेचर है जो अनवर जलालपुरी साहब का था कि सबके साथ साथ युवाओं का सुनहरा भविष्य कहां से आए इस पर हमें चिंतन करना है | अभी जो हर्ष वर्धन अग्रवाल जी कह रहे थे "सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास" | इसका मतलब है जितने लोग हैं सब मिलकर इस मुल्क की तरक्की के लिए काम करें और उसके लिए यह जरूरी है कि हम, जो भी कुरीतियां हैं चाहे जिस धर्म की हो, उस पर विचार करते हुए क्या संशोधन कर सकते हैं और साथ में दूसरे धर्म ग्रंथ चाहे वह बाइबल हो चाहे गुरु ग्रंथ साहब चाहे कुरान हो चाहे गीता या रामायण हो, हम सब के बारे में अच्छाइयों को पढ़ें तो निश्चय ही समाज में सकारात्मक परिवर्तन आएगा | आज अनवर जलालपुरी जैसे लोगो की बहुत जरूरत है | अनवर साहब जैसे व्यक्तित्व को कभी भुलाया नहीं जा सकता वह हमारी अंत: चेतना में हमेशा जीवित रहेंगे |
दास्तान गो शुजाउर रहमान तथा शाजिया खान ने दास्तान गोई (दास्तान-ए-गीता) की प्रस्तुतीकरण किया जिसके अंतर्गत उन्होंने पदम श्री स्वर्गीय अनवर जलालपुरी जी की अनुवादित पुस्तक उर्दू शायरी में गीता के श्लोकों को कहानी और शायरी के अनोखे मिश्रण से प्रस्तुत किया |
साज-ए-गजल में पदम श्री स्वर्गीय अनवर जलालपुरी जी की मशहूर गजलों को गजल गायक प्रदीप अली तथा आकांक्षा सिंह ने अपनी कर्णप्रिय आवाज में प्रस्तुत किया | प्रदीप अली ने "मैंकदे से देर से काबा से रुखसत हो गए", "हवा हो तेज तो शाखों से पत्ते टूट जाते हैं" तथा आकांक्षा सिंह ने "हम्द ना यह दिन ना यह रात बाकी रहेगी " गाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया तथा अनवर साहब को श्रद्धांजलि अर्पित की |
अनवर जलालपुरी: मोहब्बत के सफीर विषयक सेमिनार में सम्मानित वक्ता गणों ने पदमश्री स्वर्गीय अनवर जलालपुरी के कृतित्व एवं व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला |
जाने माने उर्दू शायर जनाब वासिफ फारुकी ने अनवर जलालपुरी की शायरी और अदबी ख़िदमात व उनकी शख्सियत पर रोशनी डालते हुए क���ा कि, "अनवर जलालपुरी साहब उच्च कोटि के साहित्यकार, मानवता के पैरोकार, शायर और नाजिम-ए-मुशायरा थे।"
जनाब मनीष शुक्ला ने कहा कि, "पद्मश्री अनवर जलालपुरी साहब अपने आप में मुशायरों की निज़ामत का एक अलग और अज़ीम स्कूल थे |"
मौलाना आज़ाद विश्वविद्यालय की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ इशरत नाहीद ने कहा कि, "अनवर जलालपुरी ने राष्ट्रीय एकता को मजबूती देने अपना एक अहम किरदार निभाया है | वह आधुनिक दौर के शुद्ध हिन्दुस्तानी संत थे | वह एक ऐसे संत थे जिनकी वाणी ने लोगों के दिलों को आकर्षित ही नहीं किया बल्कि राष्ट्रीयता और मानव प्रेम की भावना को लोगों में जागृत किया | उन्होंने राष्ट्रीय एकता के साथ साथ धार्मिक और सांस्कृतिक एकता का भी भरपूर प्रयास करते हुए पवित्र क़ुरआन शरीफ़ और श्रीमद् भगवत गीता का उर्दू में काव्यात्मक अनुवाद करके एक दूसरे को समझाने का प्रयास किया |"
अमेरिकन सेंटर लखनऊ के निदेशक डॉक्टर एहतेशाम अहमद खान ने बताया कि, "लेखनी भाषा का एक अहम और बहुत ही खास हिस्सा है | एक सफल लेखक और एक कामयाब शायर अपनी लेखनी या तहरीर में भाषा से चित्रकारी का काम लेता है | लेकिन अपनी आवाज़ से हयात व् कायनात की तस्वीर बनाने का फ़न अगर किसी को क़ुदरत ने निहायत ख़ूबसूरती के साथ बख्शा था तो वह यक़ीनन पदमश्री अनवर जलालपुरी थे |
मुशायरे की दुनिया में अपनी पुरकैफ़ आवाज़ से श्रोताओं की समाअत में सुरूर घोलने का फ़न पद्मश्री अनवर जलालपुरी से बेहतर नहीं मिलता है | वह अंतर्राष्टीय ख्याति प्राप्त उर्दू कवि एवं शायर, मंच संचालक, बेहतरीन वक्ता, टीवी सीरियल संवाद एवं गीत लेखक, शिक्षाविद, बुद्धिजीवी और सबसे बढ़कर एक बेहतरीन इंसान थे | आज जब हमारे समाज में हर इंसान अपनी ज़ात और धर्म के हिसार में क़ैद होता जा रहा है, आपसी सौहार्द और मुहब्बत समाप्त होती जा रही है ऐसे में हमें पदमश्री अनवर जलालपुरी की शिक्षा को याद करना बेहद अहम है:
मेरी बस्ती के लोगो! अब न रोको रास्ता मेरा
मैं सब कुछ छोड़कर जाता हूँ देखो हौसला मेरा |"
जनाब आतिफ हनीफ ने कहा कि, "गंगा जमुनी तहज़ीब के अलंबरदार अनवर जलालपुरी | अनवर जलालपुरी ने अपनी शायरी के जरिए हिंदुस्तानी तहजीब, संस्कृति एवं राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने की भरपूर कोशिश की है | वह भारत के ऐसे अनूठे साहित्यकार हैं जिन्होंने श्रीमद भगवत गीता के संस्कृत श्लोकों को उर्दू शायरी का लिबास पहनाया, और इसके जरिए धार्मिक और भाषाई एकता का प्रतीक बन गए | आज के समय में पद्मश्री अनवर जलालपुरी की रचनाओं की प्रासंगिकता और भी बढ़ गई है |"
जनाब अतहर हुसैन सिद्दीकी ने अनवर जलालपुरी जी की जो शख्सियत है वह वाकई काबिले तारीफ है | उन्होंने श्रीमद्भगवद्गीता के श्लोक का उर्दू में अनुवाद किया तथा गीता के भावार्थ को मुल्क के कोने-कोने तक पहुंचाया | यह अनवर साहब ही थे जिन्हें हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू हर विषय में महारत हासिल थी | जैसा कि आज की सेमिनार का विषय है अनवर जलालपुरी : मोहब्बत के सफीर, मैं मानता हूं कि अनवर साहब वास्तव में मोहब्बत के सफीर थे और उन्होंने उर्दू शायरी में गीता के माध्यम से संपूर्ण देश में अमन व भाईचारे की भावना को फैलाया | आज उनकी 76वी जन्म जयंती के अवसर पर मैं उन्हें सलाम करता हूं |
डॉ मसीहुद्दीन खान ने अनवर जलालपुरी साहब की शख्सियत और उनकी शायरी की अहमियत पर रोशनी डाली |
शहरयार जलालपुरी ने सभी का आभार व्यक्त किया |
कार्यक्रम का सफल संचालन डॉक्टर मसीहुद्दीन खान ने किया |
आज समाज में नशे रुपी राक्षस का प्रहार तेजी से फैलता नजर आ रहा है। एक इंसान नशा करने के बाद अपनी इंसानियत भूलकर गलत कदम उठा लेता है और अपराध कर बैठता है। सिर्फ आध्यात्मिक ज्ञान से ही इससे छुटकारा पाया जा सकता है। संत रामपाल जी महाराज का ज्ञान सुनकर लोग नशे की लत से दूर हो रहे हैं। लेकिन नशा मुक्ति केंद्र खोलने के बावजूद सरकारें समाज से नशा को समाप्त करने में लाचार दिखतीं हैं। तो वहीं संत रामपाल जी महाराज ने समाज सुधारक का काम करते हुए नशा मुक्त समाज तैयार करने का बीड़ा उठा रखा है। वे अपने सत्संगों में भगवान का विधान बताते हैं:
मदिरा पीवै कड़वा पानी, सत्तर जन्म श्वान के जानी।
भांग तम्बाकू छोतरा आफु और शराब।
गरीबदास कौन करे बंदगी ये तो करे खराब।
अमल आहारी आत्मा, कबहु न उतरे पार।
जिससे प्रभावित होकर संत रामपाल जी महाराज के शिष्य भांग, तम्बाकू, शराब आदि किसी भी तरह के नशे को किसी को लाकर देना तो दूर रहा उसे हाथ तक नहीं लगाते। इस तरह संत रामपाल जी महाराज ने नशे की लत से लाखों उजड़े परिवारों को मात्र ज्ञान आधार से एक बार पुनः नशा मुक्त कर उन्हें सुखी बनाया है।
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राधास्वामी पंथ को मानने वाले श्रद्धालु ज़रा विचार करें कि जब पंथ प्रवर्तक ही प्रेत बनकर अपनी शिष्या बुक्की में बोला करता था। तो उनके द्वारा बताई गई जो भक्ति साधना राधास्वामी पंथ में चल रही है उससे आपका क्या होगा ! जीवन चरित्र स्वामीजी महाराज७९८०
वनचरित्र स्वामीजी महाराज
का रस लेते हुए या कथा कहने को बैठते थे, तो बुक्कीजी महाराज के चरनों का अंगूठा मुँह में रक्खे हुए घंटों चरनामृत का रस लेती रहती थीं। और जब कोई मत्था टेकने के वास्ते हटाना चाहता तो वे चरन नहीं छोड़ना चाहती थीं। तब मत्था टेकने वाले से कह दिया जाता था कि तुम दूसरे चरन पर मत्था टेक लो और उस प्यासी को मत हटाओ। और वह बयान किया करती थीं कि मुझे इसमें ऐसा रस आता है कि जैसे कोई दूध पीता है। इनके भजन का यह हाल था कि आठ घंटे नौ घंटे रोज़ भजन किया करती थीं। इन को स्वामीजी महाराज के दर्शनों का पूरा आधार हो गया था और सुरत भी ऊँचे देश में पहुँचती थी। जब स्वामीजी महाराज अंतर्द्धन हुए, तब बुक्कीजी की यह कैफ़ियत हुई कि दिन रात बेहोश पड़ी रहती थी और दो दो दिन हाजात जरूरी' को भी रफ़ा करने नहीं जाती थीं। और सुरत स्वामीजी महाराज के चरणों में लगी
रहती थी। करीब डेढ़ महीने के यह हाल रहा। सब को खौफ़ हुआ कि शायद इनकी देह छूट जावे । तब स्वामीजी महाराज ने इनको दर्शन दिये और फ़रमाया कि जिस तरह तुम सेवा पेश्तर किया करती थी, उसी तरह से करो। और फिर उसी रोज़ से बुक्कीजी भोग भी तैयार करती थीं और मेरे पन्नी गली के मकान पर पहिले दस्तूर के माफ़िक़ पलंग बिछाती और हुक़्क़ा भरती थीं। वह पलंग अभी तक बिछा रहता है। गरज कि जिस तरह से कि पेश्तर सेवा किया करती थीं, उसी तरह से कुल काम करने लगीं । और स्वामीजी महाराज उनको ध्यान के समय में प्रगट दर्शन देते थे और कुल सेवा उसी तरह क़बूल फ़रमाते थे, जैसा कि अंतर्द्धन होने के पेश्तर करते थे। बुक्कीजी को महाराज उनके अखीर दम तक प्रगट रहे, यहाँ तक कि जिस किसी को जब कोई बात स्वामीजी महाराज से अर्ज करनी होती थी तो वे बुक्कीजी के ज़रिये से दरियाफ्त कर लिया करते थे. यानी बक्किजी अभ्यास के समय स्वामीजी अधिक जानकारी के लिए यूट्यूब पर सर्च करें
#हिन्दूसाहेबान_नहींसमझे_गीतावेदपुराणPart55 के आगे पढिए.....)
📖📖📖
#हिन्दूसाहेबान_नहींसमझे_गीतावेदपुराणPart56
* पवित्र मार्कण्डेय पुराण में प्रमाण :-
"श्राद्ध-पिण्डदान के प्रति रूची ऋषि का वेदमत"
मार्कण्डेय पुराण में "रौच्य ऋषि के जन्म" की कथा आती है। एक रुची ऋषि था। वह ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए वेदों अनुसार साधना करता था। विवाह नहीं कराया था। रुची ऋषि के पिता, दादा, परदादा तथा तीसरे दादा सब पित्तर (भूत) योनि में भूखे-प्यासे भटक रहे थे। जिस समय रूची ऋषि की आयु चालीस वर्ष थी, तब उन चारों ने रुची ऋषि को दर्शन दिए तथा कहा कि बेटा! आप ने विवाह क्यों नहीं किया? विवाह करके हमारे श्राद्ध करना। रुची ऋषि ने कहा कि हे पितामहो! वेद में इस श्राद्ध-पिण्डोदक आदि कर्मों को अविद्या कहा है यानि मूखों का कार्य कहा ह���। फिर आप मुझे इस कर्म को करने को क्यों कह रहे हो?
पित्तरों ने भी माना और कहा कि यह बात सत्य है कि कर्मकांड यानि श्राद्ध आदि कर्म को वेदों में अविद्या अर्थात मूर्खों का कार्य ही कहा है। आप जिस मार्ग पर लगे हो वह मोक्ष मार्ग है। फिर उन पित्तरों ने वेद विरूद्ध ज्ञान बताकर रूची ऋषि को भ्रमित कर दिया क्योंकि मोह ही अज्ञान की जड़ है। रूची ने विवाह करवाया। फिर श्राद्ध-पिण्डोदक क्रियाएँ करके अपना जन्म भी नष्ट किया।
मार्कण्डेय पुराण के प्रकरण से सिद्ध हुआ कि वेदों में तथा वेदों के ही संक्षिप्त रुप गीता में श्राद्ध-पिण्डोदक आदि भूत पूजा के कर्मकाण्ड को निषेध बताया है, नहीं करना चाहिए। उन मूर्ख ऋषियों ने अपने पुत्र को भी श्राद्ध करने के लिए विवश किया। उसने विवाह कराया, उससे रौच्य ऋषि का जन्म हुआ, बेटा भी पाप का भागी बना लिया।
रूची ऋषि भी ब्राह्मण थे। उन्होंने वेदों को कुछ ठीक से समझा था। अपनी आत्मा के कल्याणार्थ शास्त्र विरूद्ध सर्व मनमाना आचरण त्यागकर शास्त्रोक्त केवल एक ब्रह्म की भक्ति कर रहा था। जो उसके पिता तथा उनके पहले तीन दादा जी शास्त्रविधि त्यागकर यही कर्मकाण्ड करते-कराते थे जिसका परिणाम गीता अध्याय 9 श्लोक 25 वाला होना ही था कि पित्तर पूजने वाले पित्तरों को प्राप्त होंगे, वही हुआ। अब वर्तमान की शिक्षित जनता को अंध श्रद्धा भक्ति त्यागकर विवेक से काम लेकर गीता अध्याय 16 श्लोक 24 में कहे आदेश का पालन करना चाहिए। जिसमें कहा है कि इससे तेरे लिए अर्जुन शास्त्र ही प्रमाण है यानि जो शास्त्रों में करने को कहा है, वही करें। जो शास्त्रों में प्रमाणित नहीं है, उसे त्याग दें। गीता में परमात्मा का बताया विधान है तथा पुराणों में ऋषियों का अनुभव है। यदि पुराणों में श्रद्ध आदि कर्मकाण्ड करने को लिखा है तो वह गीता विरूद्ध होने से अमान्य है।
उदाहरण: एक व्यक्ति की दोस्ती थानेदार से थी। एक दिन उस व्यक्ति ने अपने मित्र दरोगा को बताया कि मेरे को मेरे गाँव का एक दबंग व्यक्ति परेशान करता रहता है। दरोगा ने कहा कि उसको लठ मार, मैं आप निपट लूँगा। कोई मुकदमा नहीं बनने दूँगा। उस व्यक्ति ने दरोगा के आदेशानुसार गाँव के उस व्यक्ति को लठ मारा जो सिर में लगा और व्यक्ति की मृत्यु हो गई। हत्या का मुकदमा दरोगा के मित्र पर बना। उस क्षेत्र के थाने का प्रभारी होने के कारण उसी दरोगा मित्र ने मुकदमा बनाया और हत्या के कारण उसको मृत्युदंड मिला।
* विचार करें राजा का विधान है कि किसी से झगड़ा मत करो। कानूनी कार्यवाही करो। उस व्यक्ति ने अधिकारी दरोगा का आदेश पालन किया जो राजा के संविधान के विपरीत था। जिस कारण से जीवन से हाथ धो बैठा यानि दण्ड का भागी बना। इसी प्रकार ऋषियों या पित्तरों का श्राद्ध करने, पिण्डदान आदि करने को कहने का आदेश परमात्मा के शास्त्रोक्त विधान के विरूद्ध है। उसका पालन करने से परमात्मा का विधान भंग होने के कारण मोक्ष के स्थान पर भूत-पित्तर, पशु-पक्षियों के शरीर धारण करके अनेकों कष्ट उठाते हैं।
आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। Sant Rampal Ji Maharaj YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में 181 देशों की सूची में भारत 159वें पायदान पर। जो भारतीय मीडिया की पत्रकारिता पर बहुत बड़ा प्रश्न चिन्ह खड़ा करती है।
🚫News 18 UP Uttarakhand बेनक़ाब
न्यूज़18 उत्तरप्रदेश उत्तराखंड की एंकर आस्था कौशिक आपने संत रामपाल जी के बारे में झूठ दिखाया कि वे दूध से नहाते थे। यदि तुम इतने पाक साफ हो तो सबूत भी दिखाओ। ऐसे फर्जी आरोप तो हम आप पर भी लगा सकते हैं।
🚫Kanak News के झूठ से उठा पर्दा
उड़िया न्यूज़ चैनल Kanak News तुमने फर्जी ख़बर चलाई कि संत रामपाल जी के पास हजारों ब्लैक कमांडों थे। आपके पास इसके क्या साक्ष्य हैं जनता के सामने साक्ष्य पेश करो अन्यथा फर्जी ख़बर दिखाकर देश की जनता को गुमराह करने के लिए माफी मांगो।
🚫ABP News के मखौटे से उठा पर्दा
ABP News, जब अदालत ने 29 अगस्त 2017 को संत रामपाल जी को बंधक बनाने वाले केस में बरी कर दिया तो फिर फर्जी खबरें क्यों?
🚫ABP News फर्जी ख़बर इंटरनेट पर प्रसारित करना मीडिया को शोभा नहीं देता।
जब सरकारी काम में बाधा डालने वाले मामले में संत रामपाल जी व उनके अनुयायी 29 अगस्त 2017 को दोषमुक्त ही हो गए तो फिर उन्होंने कब सुरक्षा बलों पर गोलियां चलाईं, ABP News जबाब दो?
🚫ABP News के मखौटे से उठा पर्दा
ABP News, आपके पास क्या प्रमाण है कि संत रामपाल जी ने लोगों को अवैध हिरासत में रखा था।
ABP News बेशर्मी भी की हद होती है। क्या आपके चैनल को पता नहीं कि अदालत ने निर्दोष मानते हुए संत रामपाल जी व उनके अनुयायियों को बंधक बना��े वाले केस में 29 अगस्त 2017 को बाइज्जत बरी कर दिया था। फिर भी फर्जी खबरें चला रहे हो।
🚫ABP News का भंडाफोड़
ABP News, आपके पास क्या सबूत है कि संत रामपाल जी ने दंगे कराए।
जबकि सच तो यह है कि संत रामपाल जी दंगे वाले मामले में 29 अगस्त 2017 को बाइज्जत बरी हो चुके हैं। जिससे पता चलता है कि तुमने जनता को गुमराह करने का ठेका ले रखा है।
🚫बेनकाब हुआ नवभारत टाइम्स,
मीडिया को झूठ फैलाना शोभा नहीं देता
नवभारत टाइम्स, संत रामपाल जी बंधक बनाने और अवैध हथियार रखने जैसे मामलों में 29 अगस्त 2017 को बरी हो चुके हैं। लेकिन आज भी तुम सच न दिखाकर फर्जी ख़बर चला रहे हो।
🚫प्रोपेगैंडा: YouTube पर Molitics की पॉलिटिकल नारी Nivedita Sandilya झूठ फैला रही है कि संत रामपाल जी के आश्रम में गर्भपात सेंटर चल रहा था, हथियार, आपत्तिजनक दवाइयाँ जप्त हुईं थीं।
सच्चाई: इन्हें यहीं मालूम नहीं है कि सरकारी काम में बाधा डालने से लेकर ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक केस में संत रामपाल जी क्रमशः 2017 व 2021 में बरी हो चुके हैं और उन पर किसी तरह का आरोप गर्भपात सेंटर चलाने का नहीं है।
🚫Nivedita Sandilya के झूठ का पर्दाफाश
झूठ: YouTube पर Molitics की पॉलिटिकल नारी Nivedita Sandilya झूठ फैला रही है कि संत रामपाल जी के आश्रम में आपत्तिजनक दवाइयाँ मिली थीं।
सच: पॉलिटिकल नारी Nivedita Sandilya को पता ही नहीं है कि ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक केस में संत रामपाल जी व उनके समर्थकों को हिसार कोर्ट द्वारा 26 जुलाई 2021 को बाइज्जत बरी कर दिया गया है।
🚫प्रोपेगैंडा: YouTube पर Molitics की पॉलिटिकल नारी Nivedita Sandilya झूठ फैला रही है कि संत रामपाल जी के आश्रम में हथियार मिले थे, इनके शिष्यों ने पुलिस पर हमला किया था। यानी सरकारी काम में बाधा पहुंचाई थी।
सच्चाई: पॉलिटिकल नारी Nivedita Sandilya आपको तो यहीं मालूम नहीं है कि सरकारी काम में बाधा डालने वाले केस में संत रामपाल जी व उनके अनुयायी 29 अगस्त 2017 को बाइज्जत बरी हो चुके हैं। तो आप फर्जी ख़बर दिखाकर देश की जनता को क्यों मूर्ख बना रहे हो।
🚫प्रोपेगैंडा: YouTube पर Molitics की पॉलिटिकल नारी Nivedita Sandilya झूठ फैला रही है कि संत रामपाल जी के आश्रम में गर्भपात सेंटर चल रहा था।
सच्चाई: इन्हें यहीं मालूम नहीं है कि एफआईआर में ऐसा कोई आरोप ही दर्ज नहीं है। तो ये अलग से फर्जी ख़बर कहाँ से ला रहे हैं। Nivedita जी ऐसे फर्जी आरोप तो आप पर भी लगाए जा सकते हैं
🚫मीडिया वालों कुछ तो शर्म करो!
आज तक संत रामपाल जी महाराज के ख़िलाफ़ कोई भी सबूत नहीं मिले। क्योंकि वह कभी ग़लत थे ही नहीं। संत रामपाल जी महाराज जी की छवि को ख़राब करना बंद करें।
शेखतकी ने कहा कि कबीर का तोप से गोले मारकर काम तमाम कर दो। ऐसा ही किया गया तोप यंत्र से गोले चलाए गए परंतु परमेश्वर कबीर साहेब जी के पास एक भी नहीं गया। कोई तो वहीं गंगा जल में जाकर गिर जाय। कई दूसरे किनारे पर जाकर गंगा किनारे शांत हो जाएं। कोई कुछ दूर तालाब में जाकर गिरे। परन्तु परमेश्वर के निकट एक भी न जाय। इस प्रकार शेखतकी 4 पहर (12 घंटे) तक यह जुल्म करता रहा।
तब परमेश्वर कबीर साहेब जी अंतर्ध्यान होकर रविदास जी की कुटिया पर गए और दोनों परमात्मा की चर्चा करने लगे।