#10 लोगों के डूबने का अनुमान
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uttranews · 4 years ago
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बड़ा हादसा (Accident)- सवारियों से भरी पिकअप वैन नदी में​ गिरी, 10 लोगों के डूबने का अनुमान
बड़ा हादसा (Accident)- सवारियों से भरी पिकअप वैन नदी में​ गिरी, 10 लोगों के डूबने का अनुमान
उत्तरा न्यूज डेस्क, 23 अप्रैल 2021- बिहार की राजधानी पटना में आज सुबह एक दर्दनाक हादसा (Accident) हुआ है। सवारियों से भरी एक पिकअप वैन गंगा नदी में समा गई। हादसे में 10 लोगों की मौत की बात सामने आ रही है। राहत व बचाव कार्य जारी है। प्राप्त जानकारी के मुताबि​क हादसा दानापुर के समीप बने पीपा पुल पर हुआ। हादसे के काफी देर बाद एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीमें बचाव के लिए पहुंचीं। करीब 3 घंटे की मशक्‍कत…
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god-entire-disposition · 5 years ago
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उस दिन आकाश विशेष रूप से साफ़ और उजला था (भाग 1)
टियान यिंग, चीन
मैं चीन में थ्री-सेल्फ कलीसिया की एक विश्वासी हुआ करती थी। जब मैंने पहली बार सभाओं में भाग लेना शुरू किया, तो पादरी अक्सर हमसे ��हा करता थे: “भाइयों और बहनों, यह बाइबल में कहा गया है कि: ‘क्योंकि धार्मिकता के लिये मन से विश्‍वास किया जाता है, और उद्धार के लिये मुँह से अंगीकार किया जाता है’ (रोमियों 10:10)। हमें विश्वास के कारण उचित ठहराया गया है। चूँकि हम यीशु में विश्वास करते हैं, हम बचाए गए हैं। अगर हम किसी अन्य में विश्वास करते हैं, तो हम नहीं बचाए जाते…।” मैंने पादरी के इन शब्दों पर ध्यान दिया। नतीजतन, मैंने दृढ़ता से इसका अनुसरण किया और सक्रिय रूप से सभाओं में भाग लिया और मैंने प्रभु के आने और स्वर्ग के राज्य में मुझे ले जाने की प्रतीक्षा की। बाद में, जब कलीसिया में गैरकानूनी कर्म हो रहे थे, मैं उन सभाओं से तंग आ गई। वे पादरी लोग परस्पर विभाजित और बंटे हुए थे, उनमें से प्रत्येक स्वयं को गुट के शीर्ष पर स्थापित करने और स्वतंत्र राज्यों की स्थापना करने की कोशिश कर रहा था। पादरी के उपदेशों को संयुक्त मोर्चा कार्य विभाग (यू.एफ.डब्ल्यू.डी.) का अनुपालन करना पड़ता था। यू.एफ.डब्ल्यू.डी. ने उन्हें प्रकाशितवाक्य की पुस्तक पर चर्चा करने की इजाज़त नहीं दी थी, इस डर से कि यह जन साधारण की भावना को उत्तेजित करेगा, और इसलिए पादरी इसका प्रचार नहीं करते थे। पादरी अक्सर दान के बारे में प्रचार किया करते थे, और कहते थे कि कोई जितना अधिक दान करता है, वह परमेश्वर से उतना ही अधिक आशीर्वाद प्राप्त करेगा…। तो जब मैंने देखा कि कलीसिया में ये परिस्थितियाँ थीं तो मुझे बहुत परेशानी महसूस हुई: कलीसिया इस वर्तमान रूप में क्यों बदल गई? क्या पादरी प्रभु में विश्वास नहीं करते हैं? वे प्रभु के वचन का पालन क्यों नहीं करते हैं? प्रभु के प्रति उनके दिल में सम्मान क्यों नहीं है? तब से मैंने थ्री-सेल्फ कलीसिया की सभाओं में और जाना नहीं चाहा, क्योंकि मुझे लगा कि वे वास्तव में परमेश्वर पर विश्वास नहीं करते थे, कि वे झूठे चरवाहे थे जो भाइयों और बहनों की कड़ी मेहनत से अर्जित की गई धनराशि को हड़पने के लिए परमेश्वर में विश्वास करने का ढोंग किया करते थे।
1995 के उत्तरार्ध में, बिना किसी हिचकिचाहट के, मैंने कलीसिया छोड़ दी और एक घरेलु कलीसिया (सोला फाइड के अनुयायियों) में शामिल हो गई। शुरू में, मैंने महसूस किया कि उनके उपदेश राष्ट्रीय सरकार के प्रतिबंधों के अधीन नहीं थे, और वे प्रकाशितवाक्य की पुस्तक को समाहित करते हुए अंत के दिनों की, प्रभु की वापसी आदि की भी चर्चा करते थे। थ��री-सेल्फ कलीसिया के पादरियों की तुलना में उनका प्रचार बहुत बेहतर था, और मुझे लगा कि थ्री-सेल्फ कलीसिया के सभा की तुलना में यहाँ की सभा में होना अधिक आनंदमय था, और इससे मैं बहुत खुश हुई। लेकिन कुछ समय बाद, मैंने पाया कि यहाँ भी सहकर्मियों में कुछ ऐसे लोग थे जो ईर्ष्यालु थे, विवाद किया करते थे और उस समूह को तोड़ना चाहते थे। भाइयों और बहनों में से कोई भी प्रभु की अपेक्षाओं को पूरा नहीं कर रहा था, वे उस प्रेम के बिना थे जो पहले उनके पास हुआ करता था…। जब मैंने देखा कि इस कलीसिया और थ्री-सेल्फ कलीसिया के बीच कोई वास्तविक अंतर नहीं था, तो मुझे बहुत निराशा हुई, लेकिन मुझे यह पता नहीं था कि एक ऐसी कलीसिया को खोजने के लिए जिसमें पवित्र आत्मा का कार्य हो, मैं कहाँ जा सकती थी। एक बेहतर विकल्प के अभाव में, मैं इतना ही कर सकती थी कि सोला फाइड के इन अनुयायियों के साथ रह लूँ। पहले की तरह, मैं सभाओं में भाग लेती रही। पादरी और सभी प्रचारक कहा करते थे, “एक बार बचाया जाना हमेशा के लिए बचाया जाना है” और “जब तक तुम अंत तक अपने धैर्य को बनाये रखते हो, परमेश्वर के लिए परिश्रम करते हो और प्रभु के मार्ग की रक्षा करते हो तो तुम स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करने में सक्षम होगे”। इसलिए मैं उस समय मन ही मन सोचते रही: चाहे अन्य लोग जैसे भी हों, जब तक कि मैं प्रभु यीशु में अपने विश्वास को जारी रखती हूँ और प्रभु के मार्ग से विचलित नहीं होती हूँ, तो जब भी प्रभु लौटेगा, मुझे स्वर्गारोहण कर स्वर्ग के रा���्य में प्रवेश करने का मौका मिलेगा।
पलक झपकते ही जैसे 1997 का उत्तरार्ध आ गया था, और जहाँ हम रहते थे वहाँ तक परमेश्वर के राज्य का सुसमाचार पहले ही फैल चुका था, और कलीसिया एक अराजक दृश्य में बदल चुकी थी। नेता ली ने हमसे कहा: “आजकल एक समूह उभरा है जो पूर्वी बिजली का प्रचार कर रहा है, वे विभिन्न संप्रदायों से भेड़ें चुरा रहे हैं, और वे कह रहे हैं कि प्रभु यीशु लौट चुका है और वह कार्य का एक नया चरण पूरा कर रहा है। प्रभु यीशु को हमारे लिए क्रूस पर चढ़ाया गया था, उसने पहले ही हमारे छुटकारे के लिए अपने जीवन के रूप में इसकी क़ीमत चुका दी है। हम पहले से ही बचाये जा चुके हैं, हमें केवल अंत तक धैर्यपूर्वक इंतज़ार करने की ज़रूरत है, और जब भी प्रभु वापस आता है तो हम निश्चित रूप से स्वर्ग के राज्य में स्वर्गारोहण कर लेंगे। इसलिए, हमें ध्यान देना होगा और हम पूर्वी बिजली के इन लोगों का स्वागत नहीं कर सकते हैं। जो भी उन्हें स्वीकार करता है उसे कलीसिया से नि��्कासित कर दिया जाएगा! साथ ही, तुम्हें यह सुनिश्चित करना होगा कि वे जो भी कहते हैं, उसे सुनना नहीं, और तुम्हें यह भी सुनिश्चित करना होगा कि उनकी पुस्तक न पढ़ें…।” ऐसा लगता था कि मानो लगभग सभी सभाओं में, सभी स्तरों के सहकर्मी इसी के बारे में बातें कर रहे थे। उन्हें सुनने के बाद, मुझे लगा कि पूर्वी बिजली के संबंध में मेरे अंदर अनजाने में परस्पर विरोधी विचार उठ रहे थे। मुझे लगा कि मुझे उनके खिलाफ़ सुरक्षा करने और बहुत सावधानी बरतने की ज़रूरत थी, क्योंकि मुझे डर था कि मैं पूर्वी बिजली के द्वारा चुरा ली जाऊँगी और स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करने का अवसर खो दूँगी।
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बहरहाल, 1998 का नव वर्ष अभी शुरू ही हुआ था कि एक दिन अप्रत्याशित रूप से मेरी मुलाक़ात सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के किसी व्यक्ति से हुई और पहली बार पूर्वी बिजली के मार्ग के बारे में मुझे सुनने का सौभाग्य मिला। उस दिन, मेरी बड़ी बहन ने मुझे फोन किया और मुझे अपने घर पर आमंत्रित किया। उसने अपने गाँव से बहन ह्यू को भी आने के लिए आमंत्रित किया था, और जब उसने मुझे देखा तो वह मुस्कुराई और बोली: “ओह, अच्छा हुआ कि तुम आई हो, मेरी दूर की एक रिश्तेदार जो एक विश्वासी है, आ रही है, चलो हम सब साथ मिलते हैं।” मैं खुशी से सहमत हो गई। जल्द ही, बहन ह्यू अपने रिश्तेदार को लेकर लौट आई। जब बहन ने हमें देखा तो उसने उत्साह से हमारा स्वागत किया। हालांकि मैं उससे पहले कभी नहीं मिली थी, मुझे उसके साथ एक घनिष्टता महसूस हुई। उसने कहा: “आजकल कलीसिया में व्यापक उजाड़ है। प्रचारकों के पास ऐसा कुछ भी नया नहीं है जिसके बारे में वे उपदेश दे सकें, और हर सभा में जब वे पूर्वी लाइटनिंग का विरोध करने के बारे में ��र्चा नहीं कर रहे होते हैं, तो सिर्फ टेप सुनना और गीत गाना ही होता है। ये सभाएँ ऐसी होती हैं। सहकर्मी एक-दूसरे से ईर्ष्या करते हैं और विवादों में पड़ते हैं, वे आपस में साजिश और साँठ-गाँठ करते हैं, वे सभी अत्यंत आत्म-तुष्ट हैं और कोई किसी की बात मानना नहीं चाहता है; भाई-बहन नकारात्मक और कमज़ोर हैं, और उनमें विश्वास और प्यार नहीं हैं। बहुत से लोगों ने संसार में लौटकर पैसे कमाने के लिए परमेश्वर को छोड़ दिया है।” मेरे अंदर गहराई में मुझे भी वैसा ही लगा, और अपने सिर को सहमति में हिलाते हुए मैंने बहन से कहा: “जहाँ मैं जाया करती हूँ, वहाँ भी ऐसा ही है। हमारी मासिक बैठकों में पहले 20-30 लोग हुआ करते थे, लेकिन अब कुछ ही एल्डर्स आते हैं, यहाँ तक कि प्रचारक भी पैसे कमाने के लिए संसार में चले गए हैं! सभाओं में अब कोई आनंद नहीं रहा है।” बहन ने सहमत होकर अपना सिर हिलाया और कहा: “इस तरह की स्थिति अब सिर्फ कुछ कलीसियाओं में ही नहीं है, यह धार्मिक दुनिया भर की एक व्यापक घटना है। इससे पता चलता है कि पवित्र आत्मा का कार्य अब कलीसिया के भीतर नहीं मिलता है, इसलिए गैरकानूनी कर्म हमेशा उभरते रहेंगे। यह प्रभु की वापसी का संकेत है। यह व्यवस्था के युग के अंत की तरह है, जब मंदिर एक ऐसा स्थान बन गया था जिसमें पशुओं को बेचा जाता था और धन का आदान-प्रदान किया जाता था। ऐसा इसलिए था क्योंकि परमेश्वर ने मंदिर में अपना कार्य करना बंद कर दिया था। इसके बजाय, परमेश्वर ने मंदिर के बाहर कार्य का एक नया चरण पूरा करने के लिए प्रभु यीशु के रूप में देहधारण किया था।” मैंने ध्यान से सुना और अक्सर सहमति प्रकट की। बहन ने आगे कहा: “बहन, लूका 17: 24-26 में कहा गया है: ‘क्योंकि जैसे बिजली आकाश के एक छोर से कौंध कर आकाश के दूसरे छोर तक चमकती है, वैसे ही मनुष्य का पुत्र भी अपने दिन में प्रगट होगा। परन्तु पहले अवश्य है कि वह बहुत दु:ख उठाए, और इस युग के लोग उसे तुच्छ ठहराएँ। जैसा नूह के दिनों में हुआ था, वैसा ही मनुष्य के पुत्र के दिनों में भी होगा।‘ तुम पवित्रशास्त्र की इन पंक्तियों की व्याख्या कैसे करती हो?” मैंने थोड़ी देर के लिए उनके बारे में गंभीरता से सोचा, और एक अजीब मुस्कुराहट के साथ मैंने कहा:”बहन, क्या पवित्रशास्त्र की ये पंक्तियाँ प्रभु के आगमन की बात नहीं कर रही हैं?” बहन ने जवाब दिया: “पवित्रशास्त्र की ये पंक्तियाँ प्रभु के आगमन की चर्चा कर रही हैं, परन्तु, वे उस समय के दौरान आए प्रभु यीशु की बात नहीं कर रही हैं। बल्कि, वे अंत के दिनों के प्रभु के आगमन का ज़िक्र कर रही हैं। जहाँ यह कहा गया है, ‘परन्तु पहले अवश्य है कि वह बहुत दु:ख उठाए, और इस युग के लोग उसे तुच्छ ठहराएँ,’ यहाँ ‘और’ शब्द इस बात की पुष्टि करता है कि प्रभु लौट रहा है। बहन, अभी कलीसिया में विश्वासियों का विश्वास ठंडा हो गया है, वे नकारात्मक और कमज़ोर हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि ��क बार फिर कार्य के एक नए चरण को पूरा करने के लिए परमेश्वर देह बन गया है। “परमेश्वर का कार्य आगे बढ़ रहा है, और हर कोई जो परमेश्वर के नए कार्य का अनुसरण नहीं करता है, वह पवित्र आत्मा का कार्य खो देगा…।” जैसे ही मैंने बहन को यह कहते हुए सुना कि प्रभु यीशु पहले ही लौट चुका है, मैंने तुरंत अनुमान लगाया कि वह पूर्वी बिजली से जुड़ी हुई है, और मेरा दिल तुरंत डूबने लगा। मेरे चेहरे पर से मुस्कुराहट भी गायब हो गई क्योंकि जिन नेताओं ने कलीसिया की घेराबंदी की थी, उनके शब्द तुरंत मेरे सिर में तैरने लगे: “यीशु में विश्वास करना बचाया जाना है, एक बार बचाया जाना हमेशा के लिए बचाया जाना है! …पूर्वी बिजली से उनको प्राप्त न करो! …” जैसे ही मैंने अपने नेताओं के इन शब्दों के बारे में सोचा, मैं घर व��पस भागना चाहती थी। लेकिन जब यह विचार मेरे दिमाग में आया, तो प्रभु ने मुझे एक गीत की इस पंक्ति को याद कराकर प्रबुद्ध किया: “यीशु हमारी शरण है, जब तुम्हारे पास परेशानियाँ हों, तो उसके साथ छिप लो, जब परमेश्वर और तुम एक साथ होगे, तब तुम्हें किस का डर होगा?” बस, बात इतनी ही है! अगर मेरे पास प्रभु है तो मुझे किसका डर होगा? जिन चीज़ों से मैं डरती हूँ वे परमेश्वर से नहीं आती हैं, वे शैतान से आती हैं। उस समय, बहन ने कहा: “यदि किसी के पास कोई प्रश्न है, तो आगे बढ़ो और उन्हें साझा करो, परमेश्वर का वचन हमारी सभी समस्याओं और कठिनाइयों को हल करने में समर्थ होगा।” जब मैंने बहन को यह कहते हुए सुना, तो मैंने मन ही मन सोचा: मुझे आशा है कि तुम मेरे सवालों से मात नहीं खा जाओगी! आज मैं इस बारे में सुनना चाहूँगी कि पूर्वी बिजली में वास्तव में क्या प्रचार किया गया है, जो कि “अच्छी भेड़ों” को चुरा ले जाने में सक्षम है।”
जब मैंने इस बारे में सोचा, तो मैंने पूछना शुरू किया: “हमारे नेता हमेशा यह कह रहे हैं कि प्रभु यीशु को हमारे लिए क्रूस पर चढ़ाया गया था, और उसने हमें छुड़ाने के लिए पहले ही अपने जीवन के रूप में क़ीमत अदा कर दी है, इसलिए हम पहले ही बचा लिए गए हैं। पवित्रशास्त्र में यह दर्ज किया गया है: ‘क्योंकि धार्मिकता के लिये मन से विश्‍वास किया जाता है, और उद्धार के लिये मुँह से अंगीकार किया जाता है’ (रोमियों 10:10)। चूँकि हम एक बार बचाए गए हैं, हम हमेशा के लिए बचाए गए हैं, जब तक कि हम अंत तक धैर्य का अभ्यास करते हैं और प्रभु की वापसी की प्रतीक्षा करते हैं, तो हम निश्चित रूप से स्वर्ग के राज्य में स्वर्गारोहण कर लेंगे। यह वो वादा है जो प्रभु ने हमसे किया है। इसलिए, हमें परमेश्वर द्वारा किए गए किसी भी नए कार्य को ��्वीकार करने की आवश्यकता नहीं है।”
मेरी इस बात को सुनने के बाद, बहन मुस्कुराई और मुझसे बोली: “बहुत से विश्वासियों को लगता है कि प्रभु यीशु को उनके लिए क्रूस पर पहले ही चढ़ाया जा चुका गया है, और चूँकि उन्होंने अपने जीवन से इसकी क़ीमत का भुगतान कर दिया है, इसलिए उन्हें छुड़ाया जा चुका है और वे बचा लिए गए हैं। वे सोचते हैं कि एक बार बचाये जाने का अर्थ हमेशा के लिए बचाया जाना है, कि उन्हें केवल इतना करना है कि वे अंत तक धैर्य का अभ्यास करें, प्रभु की वापसी की प्रतीक्षा करें जब वे निश्चित रूप से स्वर्ग के राज्य में स्वर्गारोहण करेंगे, और उन्हें परमेश्वर द्वारा किए गए किसी भी नए काम को स्वीकार करने की आवश्यकता नहीं है। लेकिन क्या सोचने का यह तरीक़ा वास्तव में सही है? क्या यह वास्तव में प्रभु की इच्छा के अनुरूप है? असल में, यह विचार कि ‘एक बार बचाया जाना हमेशा के लिए बचाया जाना है, और जब प्रभु लौटता है तो हम स्वर्ग के राज्य में स्वर्गारोहण कर लेंगे’ सिर्फ मनुष्य की अवधारणा और कल्पना है, यह प्रभु के वचन के अनुरूप बिलकुल नहीं है। प्रभु यीशु ने एक बार भी यह नहीं कहा था कि ‘जो लोग अपने विश्वास से बचाए गए हैं वे स्वर्ग के राज्य में प्रवेश कर सकते हैं,’ बल्कि उसने कहा, ‘परन्तु वही जो मेरे स्वर्गीय पिता की इच्छा पर चलता है‘ (मत्ती 7:21)। ‘बचाया जाना’ और ‘स्वर्ग के पिता की इच्छा पर चलना’ एक ही बात नहीं है। जब हम ‘तुम्हारे विश्वास से बचाये जाने’ की बात करते हैं, तो यह ‘बचाया जाना’ तुम्हारे पापों के लिए क्षमा किये जाने को संदर्भित करता है। कहने का तात्पर्य है, अगर किसी व्यक्ति को व्यवस्था के अनुसार मृत्यु-दंड मिलना था, लेकिन फिर वह प्रभु के सामने आया और उसने पश्चाताप किया, उसने प्रभु की कृपा को प्राप्त किया और अपने पापों के लिए प्रभु की क्षमा पा ली, तो यह व्यक्ति व्यवस्था की सजा से बच जाएगा, और अब उसे व्यवस्था के अनुसार मौत की सज़ा नहीं दी जाएगी। यह ‘बचाये जाने’ का असली अर्थ है। लेकिन बचाये जाने का मतलब यह नहीं है कि कोई व्यक्ति पाप से दूर हो गया है और शुद्ध हो गया है। हम सभी अनुभव के माध्यम से इस गहन सच्चाई को जानते हैं। भले ही हमने कई वर्षों से परमेश्वर में विश्वास किया हो, हम अक्सर हमारे पापों को परमेश्वर के सामने स्वीकार करते हैं और हम पश्चाताप करते हैं, और हमारे पापों के लिए क्षमा पाने की खुशी और सुरक्षा का आनंद भी लेते हैं, हम फिर भी अनैच्छिक रूप से पाप करते रहते हैं, हम अपने पापों से बंध जाते हैं। यह एक सच्चाई है। उदाहरण के लिए: हमारा अहंकार, लालच, हमारी कुटिलता, स्वार्थपरता, बुराई और हमारे भ्रष्ट स्वभाव के अन्य हिस्से अभी भी मौजूद हैं; हम अभी भी दुनिया की रुझानों, धन और प्रसिद्धि, और देह के सुख को भोगते हैं, और पापपूर्ण सुखों से चिपके रहते हैं। व्यक्तिगत हितों की रक्षा के लिए हम अक्सर झूठ बोलने और दूसरों को धोखा देने में भी सक्षम होते हैं। इसलिए, ‘बचाये जाने’ का मतलब यह नहीं है कि किसी ने पूर्ण उद्धार प्राप्त कर लिया है। यह एक तथ्य है। यह पवित्रशास्त्र में दर्ज किया गया है: ‘��सलिये तुम पवित्र बनो, क्योंकि मैं पवित्र हूँ‘ (लैव्य. 11:45)। परमेश्वर पवित्र है, लेकिन क्या वह उन लोगों को स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करने के लिए अनुमति दे सकता है जो अक्सर पाप करते हैं और परमेश्वर का विरोध करते हैं? यदि तुम मानते हो कि जो लोग अपने विश्वास से बचाए गए हैं वे स्वर्ग के राज्य में प्रवेश कर सकते हैं, तो प्रभु यीशु निम्नलिखित वचनों को क्यों कहता है? ‘जो मुझ से, ‘हे प्रभु! हे प्रभु!’ कहता है, उनमें से हर एक स्वर्ग के राज्य में प्रवेश न करेगा, परन्तु वही जो मेरे स्वर्गीय पिता की इच्छा पर चलता है। उस दिन बहुत से लोग मुझ से कहेंगे, ‘हे प्रभु, हे प्रभु, क्या हम ने तेरे नाम से भविष्यद्वाणी नहीं की, और तेरे नाम से दुष्‍टात्माओं को नहीं निकाला, और तेरे नाम से बहुत से आश्‍चर्यकर्म नहीं किए?’ मैं उनसे खुलकर कह दूँगा, ‘मैं ने तुम को कभी नहीं जाना। हे कुकर्म करनेवालो, मेरे पास से चले जाओ’‘ (मत्ती 7: 21-23)। ऐसा क्यों कहा जाता है कि जब प्रभु लौटता है तो वह बकरियों को भेड़ों से और गेहूं को जंगली दानों के पौधों से अलग कर देगा? हम मानते हैं कि यह कहना पूरी तरह से अमान्य है कि ‘जो लोग अपने विश्वास से बचाए गए हैं वे स्वर्ग के राज्य में प्रवेश कर सकते हैं!’ यह पूरी तरह से प्रभु यीशु के शब्दों से हटकर है! ये वो शब्द हैं जो प्रभु के वचनों का विरोध करते हैं! इसलिए, अगर हम प्रभु के वचन को प्राप्त नहीं करते और उनमें विश्वास नहीं करते हैं, बल्कि पादरी और एल्डर्स द्वारा प्रचारित भ्रांतियों पर ध्यान देते हैं, यदि हम परमेश्वर पर हमारे विश्वास में अपनी ही अवधारणाओं और कल्पना पर भरोसा करते हैं, तो हम कभी भी परमेश्वर की अपेक्षाओं को हासिल करने में सक्षम नहीं होंगे, और हम कभी भी स्वर्ग के राज्य में स्वर्गारोहण करने में सक्षम नहीं होंगे।”
स्रोत: सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया
मसीही जीवन के इस भाग से।से ईसाइयों को पारस्परिक संबंधों, विवाह, अपने बच्चों को शिक्षित करने, प्रार्थना कैसे करें, आदि के बारे में सवालों के जवाब खोजने में मदद मिलेगी।
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उस दिन आकाश विशेष रूप से साफ़ और उजला था (भाग 1)
मैं चीन में थ्री-सेल्फ कलीसिया की एक विश्वासी हुआ करती थी। जब मैंने पहली बार सभाओं में भाग लेना शुरू किया, तो पादरी अक्सर हमसे कहा करता थे: "भाइयों और बहनों, यह बाइबल में कहा गया है कि: 'क्योंकि धार्मिकता के लिये मन से विश्‍वास किया जाता है, और उद्धार के लिये मुँह से अंगीकार किया जाता है' (रोमियों 10:10)। हमें विश्वास के कारण उचित ठहराया गया है। चूँकि हम यीशु में विश्वास करते हैं, हम बचाए गए हैं। अगर हम किसी अन्य में विश्वास करते हैं, तो हम नहीं बचाए जाते...।" मैंने पादरी के इन शब्दों पर ध्यान दिया। नतीजतन, मैंने दृढ़ता से इसका अनुसरण किया और सक्रिय रूप से सभाओं में भाग लिया और मैंने प्रभु के आने और स्वर्ग के राज्य में मुझे ले जाने की प्रतीक्षा की। बाद में, जब कलीसिया में गैरकानूनी कर्म हो रहे थे, मैं उन सभाओं से तंग आ गई। वे पादरी लोग परस्पर विभाजित और बंटे हुए थे, उनमें से प्रत्येक स्वयं को गुट के शीर्ष पर स्थापित करने और स्वतंत्र राज्यों की स्थापना करने की कोशिश कर रहा था। पादरी के उपदेशों को संयुक्त मोर्चा कार्य विभाग (यू.एफ.डब्ल्यू.डी.) का अनुपालन करना पड़ता था। यू.एफ.डब्ल्यू.डी. ने उन्हें प्रकाशितवाक्य की पुस्तक पर चर्चा करने की इजाज़त नहीं दी थी, इस डर से कि यह जन साधारण की भावना को उत्तेजित करेगा, और इसलिए पादरी इसका प्रचार नहीं करते थे। पादरी अक्सर दान के बारे में प्रचार किया करते थे, और कहते थे कि कोई जितना अधिक दान करता है, वह परमेश्वर से उतना ही अधिक आशीर्वाद प्राप्त करेगा...। तो जब मैंने देखा कि कलीसिया में ये परिस्थितियाँ थीं तो मुझे बहुत परेशानी महसूस हुई: कलीसिया इस वर्तमान रूप में क्यों बदल गई? क्या पादरी प्रभु में विश्वास नहीं करते हैं? वे प्रभु के वचन का पालन क्यों नहीं करते हैं? प्रभु के प्रति उनके दिल में सम्मान क्यों नहीं है? तब से मैंने थ्री-सेल्फ कलीसिया की सभाओं में और जाना नहीं चाहा, क्योंकि मुझे लगा कि वे वास्तव में परमेश्वर पर विश्वास नहीं करते थे, कि वे झूठे चरवाहे थे जो भाइयों और बहनों की कड़ी मेहनत से अर्जित की गई धनराशि को हड़पने के लिए परमेश्वर में विश्वास करने का ढोंग किया करते थे।
1995 के उत्तरार्ध में, बिना किसी हिचकिचाहट के, मैंने कलीसिया छोड़ दी और एक घरेलु कलीसिया (सोला फाइड के अनुयायियों) में शामिल हो गई। शुरू में, मैंने महसूस किया कि उनके उपदेश राष्ट्रीय सरकार के प्रतिबंधों के अधीन नहीं थे, और वे प्रकाशितवाक्य की पुस्तक को समाहित करते हुए अंत के दिनों की, प्रभु की वापसी आदि की भी चर्चा करते थे। थ्री-सेल्फ कलीसिया के पादरियों की तुलना में उनका प्रचार बहुत बेहतर था, और मुझे लगा कि थ्री-सेल्फ कलीसिया के सभा की तुलना में यहाँ की सभा में होना अधिक आनंदमय था, और इससे मैं बहुत खुश हुई। लेकिन कुछ समय बाद, मैंने पाया कि यहाँ भी सहकर्मियों में कुछ ऐसे लोग थे जो ईर्ष्यालु थे, विवाद किया करते थे और उस समूह को तोड़ना चाहते थे। भाइयों और बहनों में से कोई भी प्रभु की अपेक्षाओं को पूरा नहीं कर रहा था, वे उस प्रेम के बिना थे जो पहले उनके पास हुआ करता था...। जब मैंने देखा कि इस कलीसिया और थ्री-सेल्फ कलीसिया के बीच कोई वास्तविक अंतर नहीं था, तो मुझे बहुत निराशा हुई, लेकिन मुझे यह पता नहीं था कि एक ऐसी कलीसिया को खोजने के लिए जिसमें पवित्र आत्मा का कार्य हो, मैं कहाँ जा सकती थी। एक बेहतर विकल्प के अभाव में, मैं इतना ही कर सकती थी कि सोला फाइड के इन अनुयायियों के साथ रह लूँ। पहले की तरह, मैं सभाओं में भाग लेती रही। पादरी और सभी प्रचारक कहा करते थे, "एक बार बचाया जाना हमेशा के लिए बचाया जाना है" और "जब तक तुम अंत तक अपने धैर्य को बनाये रखते हो, परमेश्वर के लिए परिश्रम करते हो और प्रभु के मार्ग की रक्षा करते हो तो तुम स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करने में सक्षम होगे"। इसलिए मैं उस समय मन ही मन सोचते रही: चाहे अन्य लोग जैसे भी हों, जब तक कि मैं प्रभु यीशु में अपने विश्वास को जारी रखती हूँ और प्रभु के मार्ग से विचलित नहीं होती हूँ, तो जब भी प्रभु लौटेगा, मुझे स्वर्गारोहण कर स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करने का मौका मिलेगा।
पलक झपकते ही जैसे 1997 का उत्तरार्ध आ गया था, और जहाँ हम रहते थे वहाँ तक परमेश्वर के राज्य का सुसमाचार पहले ही फैल चुका था, और कलीसिया एक अराजक दृश्य में बदल चुकी थी। नेता ली ने हमसे कहा: "आजकल एक समूह उभरा है जो पूर्वी बिजली का प्रचार कर रहा है, वे विभिन्न संप्रदायों से भेड़ें चुरा रहे हैं, और वे कह रहे हैं कि प्रभु यीशु लौट चुका है और वह कार्य का एक नया चरण पूरा कर रहा है। प्रभु यीशु को हमारे लिए क्रूस पर चढ़ाया गया था, उसने पहले ही हमारे छुटकारे के लिए अपने जीवन के रूप में इसकी क़ीमत चुका दी है। हम पहले से ही बचाये जा चुके हैं, हमें केवल अंत तक धैर्यपूर्वक इंतज़ार करने की ज़रूरत है, और जब भी प्रभु वापस आता है तो हम निश्चित रूप से स्वर्ग के राज्य में स्वर्गारोहण कर लेंगे। इसलिए, हमें ध्यान देना होगा और हम पूर्वी बिजली के इन लोगों का स्वागत नहीं कर सकते हैं। जो भी उन्हें स्वीकार करता है उसे कलीसिया से निष्कासित कर दिया जाएगा! साथ ही, तुम्हें यह सुनिश्चित करना होगा कि वे जो भी कहते हैं, उसे सुनना नहीं, और तुम्हें यह भी सुनिश्चित करना होगा कि उनकी पुस्तक न पढ़ें...।" ऐसा लग��ा था कि मानो लगभग सभी सभाओं में, सभी स्तरों के सहकर्मी इसी के बारे में बातें कर रहे थे। उन्हें सुनने के बाद, मुझे लगा कि पूर्वी बिजली के संबंध में मेरे अंदर अनजाने में परस्पर विरोधी विचार उठ रहे थे। मुझे लगा कि मुझे उनके खिलाफ़ सुरक्षा करने और बहुत सावधानी बरतने की ज़रूरत थी, क्योंकि मुझे डर था कि मैं पूर्वी बिजली के द्वारा चुरा ली जाऊँगी और स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करने का अवसर खो दूँगी।
बहरहाल, 1998 का नव वर्ष अभी शुरू ही हुआ था कि एक दिन अप्रत्याशित रूप से मेरी मुलाक़ात सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के किसी व्यक्ति से हुई और पहली बार पूर्वी बिजली के मार्ग के बारे में मुझे सुनने का सौभाग्य मिला। उस दिन, मेरी बड़ी बहन ने मुझे फोन किया और मुझे अपने घर पर आमंत्रित किया। उसने अपने गाँव से बहन ह्यू को भी आने के लिए आमंत्रित किया था, और जब उसने मुझे देखा तो वह मुस्कुराई और बोली: "ओह, अच्छा हुआ कि तुम आई हो, मेरी दूर की एक रिश्तेदार जो एक विश्वासी है, आ रही है, चलो हम सब साथ मिलते हैं।" मैं खुशी से सहमत हो गई। जल्द ही, बहन ह्यू अपने रिश्तेदार को लेकर लौट आई। जब बहन ने हमें देखा तो उसने उत्साह से हमारा स्वागत किया। हालांकि मैं उससे पहले कभी नहीं मिली थी, मुझे उसके साथ एक घनिष्टता महसूस हुई। उसने कहा: "आजकल कलीसिया में व्यापक उजाड़ है। प्रचारकों के पास ऐसा कुछ भी नया नहीं है जिसके बारे में वे उपदेश दे सकें, और हर सभा में जब वे पूर्वी लाइटनिंग का विरोध करने के बारे में चर्चा नहीं कर रहे होते हैं, तो सिर्फ टेप सुनना और गीत गाना ही होता है। ये सभाएँ ऐसी होती हैं। सहकर्मी एक-दूसरे से ईर्ष्या करते हैं और विवादों में पड़ते हैं, वे आपस में साजिश और साँठ-गाँठ करते हैं, वे सभी अत्यंत आत्म-तुष्ट हैं और कोई किसी की बात मानना नहीं चाहता है; भाई-बहन नकारात्मक और कमज़ोर हैं, और उनमें विश्वास और प्यार नहीं हैं। बहुत से लोगों ने संसार में लौटकर पैसे कमाने के लिए परमेश्वर को छोड़ दिया है।" मेरे अंदर गहराई में मुझे भी वैसा ही लगा, और अपने सिर को सहमति में हिलाते हुए मैंने बहन से कहा: "जहाँ मैं जाया करती हूँ, वहाँ भी ऐसा ही है। हमारी मासिक बैठकों में पहले 20-30 लोग हुआ करते थे, लेकिन अब कुछ ही एल्डर्स आते हैं, यहाँ तक कि प्रचारक भी पैसे कमाने के लिए संसार में चले गए हैं! सभाओं में अब कोई आनंद नहीं रहा है।" बहन ने सहमत होकर अपना सिर हिलाया और कहा: "��स तरह की स्थिति अब सिर्फ कुछ कलीसियाओं में ही नहीं है, यह धार्मिक दुनिया भर की एक व्यापक घटना है। इससे पता चलता है कि पवित्र आत्मा का कार्य अब कलीसिया के भीतर नहीं मिलता है, इसलिए गैरकानूनी कर्म हमेशा उभरते रहेंगे। यह प्रभु की वापसी का संकेत है। यह व्यवस्था के युग के अंत की तरह है, जब मंदिर एक ऐसा स्थान बन गया था जिसमें पशुओं को बेचा जाता था और धन का आदान-प्रदान किया जाता था। ऐसा इसलिए था क्योंकि परमेश्वर ने मंदिर में अपना कार्य करना बंद कर दिया था। इसके बजाय, परमेश्वर ने मंदिर के बाहर कार्य का एक नया चरण पूरा करने के लिए प्रभु यीशु के रूप में देहधारण किया था।" मैंने ध्यान से सुना और अक्सर सहमति प्रकट की। बहन ने आगे कहा: "बहन, लूका 17: 24-26 में कहा गया है: 'क्योंकि जैसे बिजली आकाश के एक छोर से कौंध कर आकाश के दूसरे छोर तक चमकती है, वैसे ही मनुष्य का पुत्र भी अपने दिन में प्रगट होगा। परन्तु पहले अवश्य है कि वह बहुत दु:ख उठाए, और इस युग के लोग उसे तुच्छ ठहराएँ। जैसा नूह के दिनों में हुआ था, वैसा ही मनुष्य के पुत्र के दिनों में भी होगा।' तुम पवित्रशास्त्र की इन पंक्तियों की व्याख्या कैसे करती हो?" मैंने थोड़ी देर के लिए उनके बारे में गंभीरता से सोचा, और एक अजीब मुस्कुराहट के साथ मैंने कहा:"बहन, क्या पवित्रशास्त्र की ये पंक्तियाँ प्रभु के आगमन की बात नहीं कर रही हैं?" बहन ने जवाब दिया: "पवित्रशास्त्र की ये पंक्तियाँ प्रभु के आगमन की चर्चा कर रही हैं, परन्तु, वे उस समय के दौरान आए प्रभु यीशु की बात नहीं कर रही हैं। बल्कि, वे अंत के दिनों के प्रभु के आगमन का ज़िक्र कर रही हैं। जहाँ यह कहा गया है, 'परन्तु पहले अवश्य है कि वह बहुत दु:ख उठाए, और इस युग के लोग उसे तुच्छ ठहराएँ,' यहाँ 'और' शब्द इस बात की पुष्टि करता है कि प्रभु लौट रहा है। बहन, अभी कलीसिया में विश्वासियों का विश्वास ठंडा हो गया है, वे नकारात्मक और कमज़ोर हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि एक बार फिर कार्य के एक नए चरण को पूरा करने के लिए परमेश्वर देह बन गया है। "परमेश्वर का कार्य आगे बढ़ रहा है, और हर कोई जो परमेश्वर के नए कार्य का अनुसरण नहीं करता है, वह पवित्र आत्मा का कार्य खो देगा...।" जैसे ही मैंने बहन को यह कहते हुए सुना कि प्रभु यीशु पहले ही लौट चुका है, मैंने तुरंत अनुमान लगाया कि वह पूर्वी बिजली से जुड़ी हुई है, और मेरा दिल तुरंत डूबने लगा। मेरे चेहरे पर से मुस्कुराहट भी गायब हो गई क्योंकि जिन नेताओं ने कलीसिया की घेराबंदी की थी, उनके शब्द तुरंत मेरे सिर में तैरने लगे: "यीशु में विश्वास करना बचाया जाना है, एक बार बचाया जाना हमेशा के लिए बचाया जाना है! ...पूर्वी बिजली से उनको प्राप्त न करो! ..." जैसे ही मैंने अपने नेताओं के इन शब्दों के बारे में सोचा, मैं घर वापस भागना चाहती थी। लेकिन जब यह विचार मेरे दिमाग में आया, तो प्रभु ने मुझे एक गीत की इस पंक्ति को याद कराकर प्रबुद्ध किया: "यीशु हमारी शरण है, जब तुम्हारे पास परेशानियाँ हों, तो उसके साथ छिप लो, जब परमेश्वर और तुम एक साथ होगे, तब तुम्हें किस का डर होगा?" बस, बात इतनी ही है! अगर मेरे पास प्रभु है तो मुझे किसका डर होगा? जिन चीज़ों से मैं डरती हूँ वे परमेश्वर से नहीं आती हैं, वे शैतान से आती हैं। उस समय, बहन ने कहा: "यदि किसी के पास कोई प्रश्न है, तो आगे बढ़ो और उन्हें साझा करो, परमेश्वर का वचन हमारी सभी समस्याओं और कठिनाइयों को हल करने में समर्थ होगा।" जब मैंने बहन को यह कहते हुए सुना, तो मैंने मन ही मन सोचा: मुझे आशा है कि तुम मेरे सवालों से मात नहीं खा जाओगी! आज मैं इस बारे में सुनना चाहूँगी कि पूर्वी बिजली में वास्तव में क्या प्रचार किया गया है, जो कि "अच्छी भेड़ों" को चुरा ले जाने में सक्षम है।"
जब मैंने इस बारे में सोचा, तो मैंने पूछना शुरू किया: "हमारे नेता हमेशा यह कह रहे हैं कि प्रभु यीशु को हमारे लिए क्रूस पर चढ़ाया गया था, और उसने हमें छुड़ाने के लिए पहले ही अपने जीवन के रूप में क़ीमत अदा कर दी है, इसलिए हम पहले ही बचा लिए गए हैं। पवित्रशास्त्र में यह दर्ज किया गया है: 'क्योंकि धार्मिकता के लिये मन से विश्‍वास किया जाता है, और उद्धार के लिये मुँह से अंगीकार किया जाता है' (रोमियों 10:10)। चूँकि हम एक बार बचाए गए हैं, हम हमेशा के लिए बचाए गए हैं, जब तक कि हम अंत तक धैर्य का अभ्यास करते हैं और प्रभु की वापसी की प्रतीक्षा करते हैं, तो हम निश्चित रूप से स्वर्ग के राज्य में स्वर्गारोहण कर लेंगे। यह वो वादा है जो प्रभु ने हमसे किया है। इसलिए, हमें परमेश्वर द्वारा किए गए किसी भी नए कार्य को स्वीकार करने की आवश्यकता नहीं है।"
मेरी इस बात को सुनने के बाद, बहन मुस्कुराई और मुझसे बोली: "बहुत से विश्वासियों को लगता है कि प्रभु यीशु को उनके लिए क्रूस पर पहले ही चढ़ाया जा चुका गया है, और चूँकि उन्होंने अपने जीवन से इसकी क़ीमत का भुगतान कर दिया है, इसलिए उन्हें छुड़ाया जा चुका है और वे बचा लिए गए हैं। वे सोचते हैं कि एक बार बचाये जाने का अर्थ हमेशा के लिए बचाया जाना है, कि उन्हें केवल इतना करना है कि ��े अंत तक धैर्य का अभ्यास करें, प्रभु की वापसी की प्रतीक्षा करें जब वे निश्चित रूप से स्वर्ग के राज्य में स्वर्गारोहण करेंगे, और उन्हें परमेश्वर द्वारा किए गए किसी भी नए काम को स्वीकार करने की आवश्यकता नहीं है। लेकिन क्या सोचने का यह तरीक़ा वास्तव में सही है? क्या यह वास्तव में प्रभु की इच्छा के अनुरूप है? असल में, यह विचार कि 'एक बार बचाया जाना हमेशा के लिए बचाया जाना है, और जब प्रभु लौटता है तो हम स्वर्ग के राज्य में स्वर्गारोहण कर लेंगे' सिर्फ मनुष्य की अवधारणा और कल्पना है, यह प्रभु के वचन के अनुरूप बिलकुल नहीं है। प्रभु यीशु ने एक बार भी यह नहीं कहा था कि 'जो लोग अपने विश्वास से बचाए गए हैं वे स्वर्ग के राज्य में प्रवेश कर सकते हैं,' बल्कि उसने कहा, 'परन्तु वही जो मेरे स्वर्गीय पिता की इच्छा पर चलता है' (मत्ती 7:21)। 'बचाया जाना' और 'स्वर्ग के पिता की इच्छा पर चलना' एक ही बात नहीं है। जब हम 'तुम्हारे विश्वास से बचाये जाने' की बात करते हैं, तो यह 'बचाया जाना' तुम्हारे पापों के लिए क्षमा किये जाने को संदर्भित करता है। कहने का तात्पर्य है, अगर किसी व्यक्ति को व्यवस्था के अनुसार मृत्यु-दंड मिलना था, लेकिन फिर वह प्रभु के सामने आया और उसने पश्चाताप किया, उसने प्रभु की कृपा को प्राप्त किया और अपने पापों के लिए प्रभु की क्षमा पा ली, तो यह व्यक्ति व्यवस्था की सजा से बच जाएगा, और अब उसे व्यवस्था के अनुसार मौत की सज़ा नहीं दी जाएगी। यह 'बचाये जाने' का असली अर्थ है। लेकिन बचाये जाने का मतलब यह नहीं है कि कोई व्यक्ति पाप से दूर हो गया है और शुद्ध हो गया है। हम सभी अनुभव के माध्यम से इस गहन सच्चाई को जानते हैं। भले ही हमने कई वर्षों से परमेश्वर में विश्वास किया हो, हम अक्सर हमारे पापों को परमेश्वर के सामने स्वीकार करते हैं और हम पश्चाताप करते हैं, और हमारे पापों के लिए क्षमा पाने की खुशी और सुरक्षा का आनंद भी लेते हैं, हम फिर भी अनैच्छिक रूप से पाप करते रहते हैं, हम अपने पापों से बंध जाते हैं। यह एक सच्चाई है। उदाहरण के लिए: हमारा अहंकार, लालच, हमारी कुटिलता, स्वार्थपरता, बुराई और हमारे भ्रष्ट स्वभाव के अन्य हिस्से अभी भी मौजूद हैं; हम अभी भी दुनिया की रुझानों, धन और प्रसिद्धि, और देह के सुख को भोगते हैं, और पापपूर्ण सुखों से चिपके रहते हैं। व्यक्तिगत हितों की रक्षा के लिए हम अक्सर झूठ बोलने और दूसरों को धोखा देने में भी सक्षम होते हैं। इसलिए, 'बचाये जाने' का मतलब यह नहीं है कि किसी ने पूर्ण उद्धार प्राप्त कर लिया है। यह एक तथ्य है। यह पवित्रशास्त्र में दर्ज किया गया है: 'इसलिये तुम पवित्र बनो, क्योंकि मैं पवित्र हूँ' (लैव्य. 11:45)। परमेश्वर पवित्र है, लेकिन क्या वह उन लोगों को स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करने के लिए अनुमति दे सकता है जो अक्सर पाप करते हैं और परमेश्वर का विरोध करते हैं? यदि तुम मानते हो कि जो लोग अपने विश्वास से बचाए गए हैं वे स्वर्ग के राज्य में प्रवेश कर सकते हैं, तो प्रभु यीशु निम्नलिखित वचनों को क्यों कहता है? 'जो मुझ से, 'हे प्रभु! हे प्रभु!' कहता है, उनमें से हर एक स्वर्ग के राज्य में प्रवेश न करेगा, परन्तु वही जो मेरे स्वर्गीय पिता की इच्छा पर चलता है। उस दिन बहुत से लोग मुझ से कहेंगे, 'हे प्रभु, हे प्रभु, क्या हम ने तेरे नाम से भविष्यद्वाणी नहीं की, और तेरे नाम से दुष्‍टात्माओं को नहीं निकाला, और तेरे नाम से बहुत से आश्‍चर्यकर्म नहीं किए?' मैं उनसे खुलकर कह दूँगा, 'मैं ने तुम को कभी नहीं जाना। हे कुकर्म करनेवालो, मेरे पास से चले जाओ'' (मत्ती 7: 21-23)। ऐसा क्यों कहा जाता है कि जब प्रभु लौटता है तो वह बकरियों को भेड़ों से और गेहूं को जंगली दानों के पौधों से अलग कर देगा? हम मानते हैं कि यह कहना पूरी तरह से अमान्य है कि 'जो लोग अपने विश्वास से बचाए गए हैं वे स्वर्ग के राज्य में प्रवेश कर सकते हैं!' यह पूरी तरह से प्रभु यीशु के शब्दों से हटकर है! ये वो शब्द हैं जो प्रभु के वचनों का विरोध करते हैं! इसलिए, अगर हम प्रभु के वचन को प्राप्त नहीं करते और उनमें विश्वास नहीं करते हैं, बल्कि पादरी और एल्डर्स द्वारा प्रचारित भ्रांतियों पर ध्यान देते हैं, यदि हम परमेश्वर पर हमारे विश्वास में अपनी ही अवधारणाओं और कल्पना पर भरोसा करते हैं, तो हम कभी भी परमेश्वर की अपेक्षाओं को हासिल करने में सक्षम नहीं होंगे, और हम कभी भी स्वर्ग के राज्य में स्वर्गारोहण करने में सक्षम नहीं होंगे।"
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abhay121996-blog · 3 years ago
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हिमाचल में मानसून ने ली 213 जानें, 632 करोड़ रुपये का नुकसान Divya Sandesh
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हिमाचल में मानसून ने ली 213 जानें, 632 करोड़ रुपये का नुकसान
शिमला। हिमाचल प्रदेश में इस वर्ष मानसून कहर बरपा रहा है। मानसून सीजन में बड़े पैमाने पर जान-माल का नुकसान हुआ है। राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की रिपोर्ट के अनुसार मानसून सीजन में अब तक बारिश से जुड़ी घटनाओं के चलते 213 लोगों की मौत हो गई, जबकि 12 लोग लापता हुए। 
मानसूनी बारिश के कारण 110 मौतें सड़क हादसों में हुई हैं। भूस्खलन से 21, फ्लैश फ्लड और बादल फटने की घटनाओं में नौ, नदी-नालों में बहने व डूबने से 19, आगजनी में दो, सर्पदंश में सात, करंट लगने से चार, फिसलने व गिर���े से 27 तथा अन्य कारणों से 14 लोगों की जान गई है। शिमला में सबसे अधिक 33 और हमीरपुर मेें सबसे कम पांच लोगों की मृत्यु हुई है।
राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने 13 जून से पहली अगस्त को बारिश से उपजी आपदा से हुए नुकसान के ये आंकड़े जारी किए।
आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की रिपोर्ट में कहा गया है कि मानसून में आई आपदाओं में 440 जानवर मारे गए। मानसून सीजन में 112 मकान पूरी तरह से तबाह हो गए। 522 मकानों को आंशिक क्षति पहुंची है। कांगड़ा में सबसे ज्यादा 212 मकानों को नुकसान पहुंचा है। इसके अलावा बारिश से राज्य में आठ दुकानें, 10 पुल एवं 458 गौशालाएं क्षतिग्रस्त हुईं।
आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की रिपोर्ट के मुताबिक मानसून सीजन में आपदा के चलते 632 करोड़ की चल-अचल संपति ध्वस्त हुई है। लोकनिर्माण विभाग को सर्वाधिक 432 करोड़, जलशक्ति विभाग को 183 करोड़, उर्जा विभाग को 91 लाख व सामुदायिक संपति को 18 लाख का नुकसान पहु��चा है।
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इस बीच बीते 24 घंटों के दौरान राज्य में बारिश से संबंधित हादसों में दो लोगों ने दम तोड़ा। इनमें लाहौल-स्पीति व उना जिलों में सड़क हादसों में एक-एक व्यक्ति की जान गई। वहीं भूस्खलन के कारण 47 सड़कें बंद रहीं। इसके अलावा 12 ट्रांसफार्मर, 58 पानी की स्कीमें प्रभावित हुई हैं। बारिश की वजह से 15 घरों को नुकसान पहुंचा वहीं सात गौशालाएं ध्वस्त हुईं।
मौसम विज्ञान केंद्र शिमला के अनुसार पिछले 24 घंटों में नादौन में 35 मिमी बारिश हुई। इसके अतिरिक्त डल्हौजी में 34, बलद्वारा में 29, चंबा में 19, कसौली व बिजाई में 17-17, पांवटा साहिब में 14 मिमी बारिश दर्ज की गई।
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मौसम विज्ञान केंद्र शिमला के निदेशक सुरेंद्र पाल ने बताया कि सात अगस्त तक राज्य में बादलों के बरसने का अनुमान है। उन्होंने कहा कि आगामी 24 घंटों यानी सोमवार को मैदानी व मध्य पर्वतीय इलाकों में भारी बारिश का येलो अलर्ट जारी किया है। इन इलाकों में चार व पांच अगस्त को भी भारी बारिश का येलो अलर्ट जारी रहेगा।
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abhay121996-blog · 4 years ago
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नोएडा: अपहरण के 3 घंटे बाद ही दक्ष को जिंदा नहर में फेंका! 'घरवाला' ही शक के घेरे में Divya Sandesh
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नोएडा: अपहरण के 3 घंटे बाद ही दक्ष को जिंदा नहर में फेंका! 'घरवाला' ही शक के घेरे में
नोएडा ग्रेटर नोएडा के दक्ष किडनैपिंग-मर्डर केस की तफ्तीश में पुलिस जुटी है। अपहरण के 5वें दिन दक्ष का शव बुलंदशहर नहर में मिला था। बच्चे के शरीर पर किसी प्रकार के चोट के निशान नहीं थे। पुलिस को आशंका है कि अपहरण के करीब 3 घंटे बाद ही बच्चे को जिंदा नहर में डाल दिया गया। पानी में डूबने से उसकी मौत हुई है। पुलिस को इस वारदात में किसी करीबी रिश्तेदार या परिवार के संबंधी के होने की आशंका है। वहीं पीड़ित परिवार को सांत्वना दे��े के लिए घर पर लोगों का तांता लगा है।
बता दें कि रेलवे रोड वेद विहार कॉलोनी निवासी बिजली कर्मचारी मुनेंद्र कुमार के साढ़े तीन साल के छोटे बेटे दक्ष का घर के सामने से अपहरण हुआ था। 31 मार्च को सुबह करीब 10 बजे उसे अगवा करने के बाद नहर में डाल दिया गया था। 4 अप्रैल रविवार की सुबह बुलंदशहर की सीमा में नहर से शव बरामद हुआ। सोमवार को समादवादी पार्टी जिलाध्यक्ष वीर सिंह यादव, राजकुमार भाटी, महेश भाटी, श्यामसिंह भाटी, कुलदीप भाटी भी पहुंचे। सपा नेताओं ने प्रदेश में कानून-व्यवस्था को लेकर नाराजगी जाहिर की।
दादरी छोड़कर वापस जाना चाहते हैं गांव दक्ष की हत्या के बाद पिता ने दादरी छोड़कर फिर गांव वापस जाने का मन बना लिया है। हालांकि दादरी में करीब 20 साल से मुनेंद्र दो भाइयों समेत परिवार के साथ रहते थे। मुनेंद्र कुमार ने बताया कि अब दादरी में रहने का मन नहीं है। पुलिस आरोपी को गिरफ्तार करे भले ही मेरे परिवार या रिश्तेदार क्यों न हो। वह पुलिस की मदद को तैयार हैं।
पुलिस ने कॉलोनी के सभी घरों की ली थी तलाशी 31 मार्च को अपहरण के बाद बच्चे को जिंदा जारचा की सीमा की नहर और सिकंदराबाद गुलावठी रोड सन्नौटा के पास गंग नहर में डालने की आशंका है। शव करीब 5 दिन पुराना था इससे अनुमान लगाया जा रहा कि अपहरण के दिन ही उसे पानी में डाल दिया गया। लापता बच्चे को ढूंढने के लिए कॉलोनी के सभी घरों की तलाशी ली गई थी। कॉलोनी के बाहर निकलकर सभी रूटों पर लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज को भी खंगाला गया था।
रेकी की गई थी होली के त्योहार पर पीड़ित परिवार के साथ अपने पैत्रक गांव मुरादगढ़ी गया था, वापस 30 को लौटकर दादरी घर पहुंचा था। पीड़त ने बताया कि आरोपी ने दादरी आने तक की पूरी रेकी की उसके बाद ही बच्चे का अपहरण किया है।
दादरी कोतवाली के एसएचओ राजवीर सिंह चौहान का कहना है कि पुलिस की टीम आरोपी की गिरफ्तारी के लिए लगी है। तीन दिन के अंदर मामले का खुलासा हो जाएगा। बच्चे की पानी में डूबने से मौत हुई है। अपहरण के रोज ही उसे नहर में डाल दिया गया था।
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