#स्कूल की कक्षा का समय
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09.05.2024, लखनऊ | महाराणा प्रताप जी की जन्म जयंती के जयंती के उपलक्ष्य में हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा उच्च प्राथमिक विद्यालय, गाजीपुर, बस्तौली (1-8 कंपोजिट), इन्दिरा नगर, लखनऊ में "पुष्प अर्पण एवं प्रसाद वितरण" कार्यक्रम का आयोजन किया गया | कार्यक्रम के अंतर्गत ट्रस्ट के प्रबंध न्या��ी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल, न्यासी डॉ रूपल अग्रवाल एवं उच्च प्राथमिक विद्यालय प्रधानाध्यापिका श्रीमती मीना यादव द्वारा दीप प्रज्वलित कर महाराणा प्रताप जी के चित्र पर पुष्प अर्पित किए गए तथा उन्हें सादर नमन किया गया | सभी छात्र-छात्राओं ने भी महाराणा प्रताप जी के चित्र पर पुष्प अर्पित किए | कार्यक्रम में "मधुमक्खी वाला, बाराबंकी" द्वारा Mustard Raw Honey उपलब्ध कराया गया, जिसका सभी बच्चों में वितरण किया गया | शहद पाकर बच्चों के चेहरे खुशी से खिल उठे |
इस अवसर पर हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की न्यासी डॉ रूपल अग्रवाल ने कहा कि, “महाराणा प्रताप मेवाड़ के शूरवीर और पराक्रमी राजा थे | उनका जन्म 09 मई 1540 को राजस्थान के चित्तौड़गढ़ में हुआ था | शूरवीर महाराणा प्रताप ने मुगलों के साथ अनेक युद्ध लड़े तथा विजय प्राप्त की, जिसमें उनके घोड़े चेतक ने उनका भरपूर साथ दिया | महाराणा प्रताप ने मुगल शासक अकबर के साथ हल्दीघाटी का प्रसिद्ध युद्ध लड़ा तथा मुगलों को धूल चटा दी । हमें महाराणा प्रताप के जीवन से एक सीख लेनी चाहिए कि हर समय धर्म और न्याय के प्रति समर्पित रहना कितना महत्वपूर्ण है । उनका जीवन हमें सिखाता है कि जीत केवल साहस और संघर्ष से ही नहीं बल्कि निष्ठा और समर्पण से भी मिलती है । ऐसे महान योद्धा की जयंती पर उन्हें शत शत नमन |"
उच्च प्राथमिक विद्यालय की कक्षा 6 की छात्रा रीमा ने श्री श्याम नारायण पांडे द्वारा महाराणा प्रताप के घोड़े चेतक पर लिखी गई कविता "रण–बीच चौकड़ी भर–भरकर, चेतक बन गया निराला था "का पाठ किया जिसने सभी को तालियां बजाने पर मजबूर कर दिया |
अंत में श्री हर्षवर्धन अग्रवाल ने सभी का धन्यवाद करते हुए कहा कि "इस तरह के कार्यक्रम प्रत्येक स्कूल में आयोजित होने चाहिए जिससे विद्यार्थी भारत देश के आध्यात्मिक एवं पौराणिक इतिहास के बारे में जान स��े |"
कार्यक्रम में हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल, न्यासी डॉ रूपल अग्रवाल, उच्च प्राथमिक विद्यालय की प्रधानाध्यापिका श्रीमती मीना यादव, छात्र-छात्राओं तथा ट्रस्ट के स्वयंसेवकों की गरिमामयी उपस्थिति रही |
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"लड़के हमेशा खड़े रहे
खड़ा रहना उनकी कोई मजबूरी नहीं रही
बस उन्हें कहा गया हर बार
चलो तुम तो लड़के हो, खड़े हो जाओ
तुम मलंगों का कुछ नहीं बिगड़ने वाला।
छोटी-छोटी बातों पर ये खड़े रहे कक्षा के बाहर
स्कूल विदाई पर जब ली गई ग्रुप फोटो
लड़कियाँ हमेशा आगे बैठी
और लड़के बगल में हाथ दिए पीछ�� खड़े रहे
वे तस्वीरों में आज तक खड़े हैं।
कॉलेज के बाहर खड़े होकर
करते रहे किसी लड़की का इंतजार
या किसी घर के बाहर घंटों खड़े रहे
एक झलक एक हाँ के लिए
अपने आपको आधा छोड़
वे आज भी वहीं रह गए हैं।
बहन-बेटी की शादी में खड़े रहे मंडप के बाहर
बारात का स्वागत करने के लिए
खड़े रहे रात भर हलवाई के पास
कभी भाजी में कोई कमी ना रहे
खड़े रहे खाने की स्टाल के साथ
कोई स्वाद कहीं खत्म न हो जाए
खड़े रहे विदाई तक दरवाजे के सहारे
और टैंट के अंतिम पाईप के उखड़ जाने तक
बेटियाँ-बहनें जब लौटेंगी
वे खड़े ही मिलेंगे।
वे खड़े रहे पत्नी को सीट पर बैठाकर
बस या ट्रेन की खिड़की थाम कर
वे खड़े रहे बहन के साथ घर के काम में
कोई भारी सामान थामकर
वे खड़े रहे
खुद की औलाद के लिए
कभी अस्पताल में
कभी स्कूल कालेज कोचिंग
के लिए हर जगह खड़े रहे ?
माँ के ऑपरेशन के समय
ओ. टी. के बाहर घंटों
वे खड़े रहे पिता की मौत पर अंतिम लकड़ी के जल जाने तक
वे खड़े रहे दिसंबर में भी
अस्थियाँ बहाते हुए गंगा के बर्फ से पानी में।
अपनी हर जिम्मेदारियों को निभाने के लिए खड़े रहे
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देश के इन राज्यों में बढ़ाई गई स्कूलों की छुट्टियां, जानें कितने दिन बंद रहेंगे स्कूल; समय में भी किया बदलाव
School Holidays: कड़ाके की ठंड, शीतलहर और घने कोहरे को देखते हुए राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार समेत कई राज्यों में स्कूलों की छुट्टियां बढ़ा दी गई हैं। छात्रों को लगातार 4 से 5 दिनों का अवकाश मिलेगा, जिससे उन्हें राहत मिलेगी। राजस्थान में स्कूलों की छुट्टियां राजस्थान के कई जिलों में शीतलहर को ध्यान में रखते हुए कक्षा 8 तक के छात्रों के लिए 11 जनवरी 2025 तक स्कूल बंद रखने के आदेश जारी किए गए…
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#हिन्दूसाहेबान_नहींसमझे_गीतावेदपुराणPart128 के आगे पढिए.....)
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#हिन्दूसाहेबान_नहींसमझे_गीतावेदपुराणPart129
"सच्ची शास्त्रानुकूल भक्ति से प्रेतबाधा हुई दूर"
मेरा नाम राजू दास है। मैं गाँव-डाबोदा खुर्द, जिला झज्जर (हरियाणा) से हूँ। पहले मैं पारम्प��िक जैसे मंदिर में जाना, व्रत करना आदि करता था। इसके साथ ही हमने 12 साल पहले अपने मामा जी के माध्यम से सुदर्शनाचार्य जी से नाम दीक्षा ली थी। वो वैष्णव धर्म से थे और बोला करते थे कि वो 7 पीढ़ियों से विष्णु जी की भक्ति कर रहे हैं। उस समय छोटी उम्र होने के कारण मुझे कुछ ज्ञान नहीं था। जब मैं सातवीं कक्षा में पढ़ता था। हमारे गांव में आसाराम नाम के गणित के अध्यापक थे जो संत रामपाल जी महाराज से जुड़े हुए थे। वो बच्चों को पढ़ाते समय कई बार परमात्मा की चर्चा किया करते थे। एक बार उन्होंने कहा कि बच्चों आप कोई भक्ति साधना करते हो क्या? तब हम सबने कहा, हाँ! सर, हम भक्ति करते हैं, मंदिरों में जाते हैं। तब उन्होंने पूछा कि ब्रह्मा, विष्णु, महेश के माता-पिता कौन हैं? उनकी इस बात पर सब बच्चे हँसने लगे। जबकि मुझे इस बात झटका लगा कि उन्होंने ऐसी बात क्यों कही? फिर वो कहने लगे कि ब्रह्मा, विष्णु, महेश के माता दुर्गा जी है व पिता काल ब्रह्म हैं। हम सबने उनकी बातों को ऐसे ही टाल दिया। स्कूल खत्म होने के बाद मैंने उनसे पूछा कि सर आपने ये सब कहाँ से बताया तो उन्होंने कहा कि हमारे धर्मग्रंथों में ही लिखा हुआ है कि ब्रह्मा, विष्णु, महेश के माता-पिता हैं और इनकी जन्म-मृत्यु भी होती है। मास्टर जी ने मुझे "गीता तेरा ज्ञान अमृत" पुस्तक दी। मैं खुद गीता पढ़ता था। फिर मैंने गीता जी और संत रामपाल जी महाराज द्वारा लिखी पुस्तक "गीता तेरा ज्ञान अमृत" दोनों को मिलाया। गीता में प्रमाण देखकर मैं हक्का-बक्का रह गया कि जो मैं साधना कर रहा हूँ, वो तो बिल्कुल गीता जी के विरूद्ध है। फिर मैंने मास्टर जी से कहा कि मेरी तो सारी साधना गलत है। अब मैं क्या करूँ ? उन्होंने कहा कि मुंडका (दिल्ली) में संत रामपाल जी महाराज जी का आश्रम है, वहाँ जाकर नामदीक्षा लो। वहाँ जाकर 2-3 दिन मैंने संत रामपाल जी महाराज का सत्संग सुना और 10 मई 2017 को मैंने संत रामपाल जी महाराज जी से नाम-दीक्षा ली।
संत रामपाल जी महाराज जी से नाम-दीक्षा लेने के बाद बहुत से लाभ हुए। पहला लाभ ये हुआ कि पहले मुझे भूत-प्रेत की समस्या थी, वो समाप्त हो गई। फरीदाबाद से संत सुदर्शन जी से मैंने नाम-दीक्षा ले रखी थी। उन्होंने भी मेरे ऊपर झाड़-फूंक किया। एक हवन भी किया, ताबीज बांधा, लेकिन उससे मुझे कोई भी लाभ नहीं हुआ था। यहाँ तक कि जब मैं रात को सोता था ��ब वो भूत-प्रेत मेरे सोते हुए की चद्दर को फेंक देते थे और मुझे इतनी बुरी तरह दबा लेते थे कि मुझे सांस लेने में भी बहुत ज्यादा तकलीफ होती थी। संत रामपाल जी महाराज की शरण में आने के बाद मुझे ये भी पता नहीं लगा कि भूत-प्रेत की बाधा कब खत्म हो गई। मेरी दादी को गले में कैंसर हो गया था। 3 महीने तक वो तडपती रही और फिर शरीर छोड़ा। शरीर छोड़ने के बाद वो भूत बनी जबकि फरीदाबाद वाले सुदर्शन महाराज कहा करते थे कि हमारी साधना से तुम्हारी जन्म और मृत्यु समाप्त हो जाएगी। वो झूठ कहा करते थे क्योंकि अगर ऐसा होता तो मेरी दादी भूत क्यों बनती ? उनकी साधना करते-करते मेरी दादी को कैंसर हुआ और बुरी तरह तड़फ-तड़फकर उन्होंने शरीर छोड़ा। उनकी साधना शास्त्रविरूद्ध थी। जब घरवालों को पता चला कि मैं संत रामपाल जी महाराज का शिष्य हो गया हूँ तो घरवालों ने सुदर्शन महाराज को फोन करके कहा कि ये संत रामपाल जी महाराज का शिष्य हो गया है। उन्होंने बोला कि इसको आश्रम में लेकर आओ, हम देख लेंगे। उनको लगा कि संत रामपाल ���ी महाराज छोटे-मोटे संत है। उन्होंने मेरे ऊपर पित्तर छोड़ दिये। मेरे दादा जी, मेरे पिता जी को मेरे पीछे कर दिया, ये मानकर कि ये प्रेत बाधा से पीड़ित होगा तो दोबारा हमारे पास ही आएगा। लेकिन संत रामपाल जी महाराज की मेरे ऊपर इतनी दया थी कि वो मेरा कुछ नुकसान नहीं कर पाए। मेरे परिवार में मेरा सबसे ज्यादा मेरा दादी के साथ लगाव था। उन्होंने मेरी दादी को एक बार मेरे पास भेज दिया। मेरी दादी मेरे पास आकर रोने लग गई। मैं बोला दादी तू क्यों रो रही है? तो उसने कहा बेटा ! तू संत रामपाल जी महाराज जी को छोड़कर वापिस उस फरीदाबाद वालों से नाम दीक्षा ले ले। मैंने कहा क्यों? उन्होंने कहा बेटा! तू अगर ऐसा नहीं करेगा तो वो हमें आश्रम से निकाल देंगे? उनकी ये बातें सुनकर मुझे बहुत धक्का लगा। उनकी शास्त्रविरूद्ध साधना ने उन्हें प्रेत बना दिया और प्रेत बनने के बाद भी वो आश्रम में रहते थे और उन्हें आश्रम से निकालने की भी धमकी दे दी। उनको पता था कि अगर ये संत रामपाल जी महाराज की शरण में रहेगा तो हम इसका कुछ बिगाड़ नहीं पाएँगे। इस बात से मुझे और दृढ़ विश्वास हो गया। लेकिन शास्त्रों के विपरीत और गलत गुरू मिलने से मेरी दादी जी का जीवन बर्बाद हो गया था।
संत रामपाल जी महाराज ही कबीर परमात्मा हैं। उनका ज्ञान, शास्त्रों पर आधारित है। वो जो भक्ति मंत्र दे रहे हैं, वो भी प्रमाणित है। जिनकी गवाही गीता, वेद आदि सब धर्मग्रंथ देते हैं। उनके मंत्रों के जाप से हर समस्या का निवारण होता है तथा भूत-प्रेत निकट नहीं आते। संत रामपाल जी महाराज की भक्ति-साधना में बहुत शक्ति है जिससे आपका कोई कुछ भी गलत नहीं कर सकता।
मैं भक्त समाज ये यही कहना चाहूँगा कि आप सभी से मेरा निवेदन है कि संत रामपाल जी महाराज कि शरण में आओ और अपने मनुष्य जीवन का कल्याण करवाओ।
भक्त राजू ��ास
गाँव-डाबोदा खुर्द, झज्जर (हरियाणा)
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आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। Sant Rampal Ji Maharaj YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
https://online.jagatgururampalji.org/naam-diksha-inquiry
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Jamshedpur abhibhavak sangh - झारखंड में बढ़ी ठंड, स्कूल के समय में परिवर्तन करने की मांग, जमशेदपुर अभिभावक संघ मिले उपायुक्त से
जमशेदपुर : जमशेदपुर अभिभावक संघ के अध्यक्ष डॉ उमेश कुमार के नेतृत्व में अभिभावक संघ का प्रतिनिधिमंडल शनिवार को उपायुक्त से मिलकर बढ़ती ठंड को ध्यान में रखते हुए समय परिवर्तन कनरे की मांग की है. उन्होंने कहा है कि जमशेदपुर का न्यूनतम पारा 10 डिग्री से नीचे जा चुका है. पूरे झारखंड कनकनी की चपेट में है. वहीं आने वाले दिनों में शीतलहरी के चलने की भी संभावना है. इसे ध्यान में रखते हुए नर्सरी से कक्षा 5…
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वह महिला जिसने 'टीच फॉर इंडिया' का निर्माण किया और लाखों लोगों को प्रभावित किया
“आप बड़े होकर क्या बनना चाहते हैं?” टीच फॉर इंडिया में एक स्वयंसेवक के रूप में अपने समय के दौरान, इस साल की शुरुआत में, मैंने दिल्ली के छतरपुर के एक पब्लिक स्कूल में अपनी कक्षा के 13 वर्षीय लड़कों से यह प्रश्न पूछा था। अगला घंटा 15 कलमों द्वारा विचारों पर स्याही डालने के शोर से भरा था। बाद में उनके काम की ग्रेडिंग करते समय, मुझे प्रश्न में संभावित ग़लतफ़हमी का एहसास हुआ। मैंने उनके सपनों के पेशे…
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बिहार बोर्ड कक्षा 10 परीक्षा तिथि 2025: बीएसईबी मैट्रिक परीक्षा का पूरा शेड्यूल देखें
बिहार बोर्ड कक्षा 10 परीक्षा तिथि 2025: बिहार स्कूल एग्जामिनेशन बोर्ड (बीएसईबी) ने कक्षा 10 की बोर्ड परीक्षा 2025 के लिए डेट शीट की घोषणा कर दी है। छात्र बीएसईबी की आधिकारिक वेबसाइटों: biharboardonline.bihar.gov.in और bsebmatric.org पर शेड्यूल देख सकते हैं।परीक्षा की तारीखें और शिफ्टजारी समय सारिणी के अनुसार, कक्षा 10 की बोर्ड परीक्षाएं 17 फरवरी से 25 फरवरी, 2025 तक होंगी। कक्षा 10 के लिए…
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#हिन्दूसाहेबान_नहींसमझे_गीतावेदपुराणPart128 के आगे पढिए.....)
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"सच्ची शास्त्रानुकूल भक्ति से प्रेतबाधा हुई दूर"
मेरा नाम राजू दास है। मैं गाँव-डाबोदा खुर्द, जिला झज्जर (हरियाणा) से हूँ। पहले मैं पारम्परिक जैसे मंदिर में जाना, व्रत करना आदि करता था। इसके साथ ही हमने 12 साल पहले अपने मामा जी के माध्यम से सुदर्शनाचार्य जी से नाम दीक्षा ली थी। वो वैष्णव धर्म से थे और बोला करते थे कि वो 7 पीढ़ियों से विष्णु जी की भक्ति कर रहे हैं। उस समय छोटी उम्र होने के कारण मुझे कुछ ज्ञान नहीं था। जब मैं सातवीं कक्षा में पढ़ता था। हमारे गांव में आसाराम नाम के गणित के अध्यापक थे जो संत रामपाल जी महाराज से जुड़े हुए थे। वो बच्चों को पढ़ाते समय कई बार परमात्मा की चर्चा किया करते थे। एक बार उन्होंने कहा कि बच्चों आप कोई भक्ति साधना करते हो क्या? तब हम सबने कहा, हाँ! सर, हम भक्ति करते हैं, मंदिरों में जाते हैं। तब उन्होंने पूछा कि ब्रह्मा, विष्णु, महेश के माता-पिता कौन हैं? उनकी इस बात पर सब बच्चे हँसने लगे। जबकि मुझे इस बात झटका लगा कि उन्होंने ऐसी बात क्यों कही? फिर वो कहने लगे कि ब्रह्मा, विष्णु, महेश के माता दुर्गा जी है व पिता काल ब्रह्म हैं। हम सबने उनकी बातों को ऐसे ही टाल दिया। स्कूल खत्म होने के बाद मैंने उनसे पूछा कि सर आपने ये सब कहाँ से बताया तो उन्होंने कहा कि हमारे धर्मग्रंथों में ही लिखा हुआ है कि ब्रह्मा, विष्णु, महेश के माता-पिता हैं और इनकी जन्म-मृत्यु भी होती है। मास्टर जी ने मुझे "गीता तेरा ज्ञान अमृत" पुस्तक दी। मैं खुद गीता पढ़ता था। फिर मैंने गीता जी और संत रामपाल जी महाराज द्वारा लिखी पुस्तक "गीता तेरा ज्ञान अमृत" दोनों को मिलाया। गीता में प्रमाण देखकर मैं हक्का-बक्का रह गया कि जो मैं साधना कर रहा हूँ, वो तो बिल्कुल गीता जी के विरूद्ध है। फिर मैंने मास्टर जी से कहा कि मेरी तो सारी साधना गलत है। अब मैं क्या करूँ ? उन्होंने कहा कि मुंडका (दिल्ली) में ��ंत रामपाल जी महाराज जी का आश्रम है, वहाँ जाकर नामदीक्षा लो। वहाँ जाकर 2-3 दिन मैंने संत रामपाल जी महाराज का सत्संग सुना और 10 मई 2017 को मैंने संत रामपाल जी महाराज जी से नाम-दीक्षा ली।
संत रामपाल जी महाराज जी से नाम-दीक्षा लेने के बाद बहुत से लाभ हुए। पहला लाभ ये हुआ कि पहले मुझे भूत-प्रेत की समस्या थी, वो समाप्त हो गई। फरीदाबाद से संत सुदर्शन जी से मैंने नाम-दीक्षा ले रखी थी। उन्होंने भी मेरे ऊपर झाड़-फूंक किया। एक हवन भी किया, ताबीज बांधा, लेकिन उससे मुझे कोई भी लाभ नहीं हुआ था। यहाँ तक कि जब मैं रात को सोता था तब वो भूत-प्रेत मेरे सोते हुए की चद्दर को फेंक देते थे और मुझे इतनी बुरी तरह दबा लेते थे कि मुझे सांस लेने में भी बहुत ज्यादा तकलीफ होती थी। संत रामपाल जी महाराज की शरण में आने के बाद मुझे ये भी पता नहीं लगा कि भूत-प्रेत की बाधा कब खत्म हो गई। मेरी दादी को गले में कैंसर हो गया था। 3 महीने तक वो तडपती रही और फिर शरीर छोड़ा। शरीर छोड़ने के बाद वो भूत बनी जबकि फरीदाबाद वाले सुदर्शन महाराज कहा करते थे कि हमारी साधना से तुम्हारी जन्म और मृत्यु समाप्त हो जाएगी। वो झूठ कहा करते थे क्योंकि अगर ऐसा होता तो मेरी दादी भूत क्यों बनती ? उनकी साधना करते-करते मेरी दादी को कैंसर हुआ और बुरी तरह तड़फ-तड़फकर उन्होंने शरीर छोड़ा। उनकी साधना शास्त्रविरूद्ध थी। जब घरवालों को पता चला कि मैं संत रामपाल जी महाराज का शिष्य हो गया हूँ तो घरवालों ने सुदर्शन महाराज को फोन करके कहा कि ये संत रामपाल जी महाराज का शिष्य हो गया है। उन्होंने बोला कि इसको आश्रम में लेकर आओ, हम देख लेंगे। उनको लगा कि संत रामपाल जी महाराज छोटे-मोटे संत है। उन्होंने मेरे ऊपर पित्तर छोड़ दिये। मेरे दादा जी, मेरे पिता जी को मेरे पीछे कर दिया, ये मानकर कि ये प्रेत बाधा से पीड़ित होगा तो दोबारा हमारे पास ही आएगा। लेकिन संत रामपाल जी महाराज की मेरे ऊपर इतनी दया थी कि वो मेरा कुछ नुकसान नहीं कर पाए। मेरे परिवार में मेरा सबसे ज्यादा मेरा दादी के साथ लगाव था। उन्होंने मेरी दादी को एक बार मेरे पास भेज दिया। मेरी दादी मेरे पास आकर रोने लग गई। मैं बोला दादी तू क्यों रो रही है? तो उसने कहा बेटा ! तू संत रामपाल जी महाराज जी को छोड़कर वापिस उस फरीदाबाद वालों से नाम दीक्षा ले ले। मैंने कहा क्यों? उन्होंने कहा बेटा! तू अगर ऐसा नहीं करेगा तो वो हमें आश्रम से निकाल देंगे? उनकी ये बातें सुनकर मुझे बहुत धक्का लगा। उनकी शास्त्रविरूद्ध साधना ने उन्हें प्रेत बना दिया और प्रेत बनने के बाद भी वो आश्रम में रहते थे और उन्हें आश्रम से निकालने की भी धमकी दे दी। उनको पता था कि अगर ये संत रामपाल जी महाराज की शरण में रहेगा तो हम इसका कुछ बिगाड़ नहीं पाएँगे। इस बात से मुझे और दृढ़ विश्वास हो गया। लेकिन शास्त्रों के विपरीत और गलत गुरू मिलने से मेरी दादी जी का जीवन बर्बाद हो गया था।
संत रामपाल जी महाराज ही कबीर परमात्मा हैं। उनका ज्ञान, शास्त्रों पर आधारित है। वो जो भक्ति मंत्र दे रहे हैं, वो भी प्रमाणित है। जिनकी गवाही गीता, वेद आदि सब धर्मग्रंथ देते हैं। उनके मंत्रों के जाप से हर समस्या का निवारण होता है तथा भूत-प्रेत निकट नहीं आते। संत रामपाल जी महाराज की भक्ति-साधना में बहुत शक्ति है जिससे आपका कोई कुछ भी गलत नहीं कर सकता।
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जन्म जयंती महाराणा प्रताप : पुष्प अर्पण एवं प्रसाद वितरण | Birth Anniversary Maharana Pratap
09.05.2024, लखनऊ | महाराणा प्रताप जी की जन्म जयंती के जयंती के उपलक्ष्य में हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा उच्च प्राथमिक विद्यालय, गाजीपुर, बस्तौली (1-8 कंपोजिट), इन्दिरा नगर, लखनऊ में "पुष्प अर्पण एवं प्रसाद वितरण" कार्यक्रम का आयोजन किया गया | कार्यक्रम के अंतर्गत ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल, न्यासी डॉ रूपल अग्रवाल एवं उच्च प्राथमिक विद्यालय प्रधानाध्यापिका श्रीमती मीना यादव द्वारा दीप प्रज्वलित कर महाराणा प्रताप जी के चित्र पर पुष्प अर्पित किए गए तथा उन्हें सादर नमन किया गया | सभी छात्र-छात्राओं ने भी महाराणा प्रताप जी के चित्र पर पुष्प अर्पित किए | कार्यक्रम में "मधुमक्खी वाला, बाराबंकी" द्वारा Mustard Raw Honey उपलब्ध कराया गया, जिसका सभी बच्चों में वितरण किया गया | शहद पाकर बच्चों के चेहरे खुशी से खिल उठे |
इस अवसर पर हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की न्यासी डॉ रूपल अग्रवाल ने कहा कि, “महाराणा प्रताप मेवाड़ के शूरवीर और पराक्रमी राजा थे | उनका जन्म 09 मई 1540 को राजस्थान के चित्तौड़गढ़ में हुआ था | शूरवीर महाराणा प्रताप ने मुगलों के साथ अनेक युद्ध लड़े तथा विजय प्राप्त की, जिसमें उनके घोड़े चेतक ने उनका भरपूर साथ दिया | महाराणा प्रताप ने मुगल शासक अकबर के साथ हल्दीघाटी का प्रसिद्ध युद्ध लड़ा तथा मुगलों को धूल चटा दी । हमें महाराणा प्रताप के जीवन से एक सीख लेनी चाहिए कि हर समय धर्म और न्याय के प्रति समर्पित रहना कितना महत्वपूर्ण है । उनका जीवन हमें सिखाता है कि जीत केवल साहस और संघर्ष से ही नहीं बल्कि निष्ठा और समर्पण से भी मिलती है । ऐसे महा��� योद्धा की जयंती पर उन्हें शत शत नमन |"
उच्च प्राथमिक विद्यालय की कक्षा 6 की छात्रा रीमा ने श्री श्याम नारायण पांडे द्वारा महाराणा प्रताप के घोड़े चेतक पर लिखी गई कविता "रण–बीच चौकड़ी भर–भरकर, चेतक बन गया निराला था "का पाठ किया जिसने सभी को तालियां बजाने पर मजबूर कर दिया |
अंत में श्री हर्षवर्धन अग्रवाल ने सभी का धन्यवाद करते हुए कहा कि "इस तरह के कार्यक्रम प्रत्येक स्कूल में आयोजित होने चाहिए जिससे विद्यार्थी भारत देश के आध्यात्मिक एवं पौराणिक इतिहास के बारे में जान सके |"
कार्यक्रम में हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल, न्यासी डॉ रूपल अग्रवाल, उच्च प्राथमिक विद्यालय की प्रधानाध्यापिका श्रीमती मीना यादव, छात्र-छात्राओं तथा ट्रस्ट के स्वयंसेवकों की गरिमामयी उपस्थिति रही |
#महाराणा_प्रताप #Maharanapratap #सम्राट_पृथ्वीराज_चौहान #Rajputana #Rajput #Rajasthan #Maharana #India #Rajasthani #Baisa #Bannaji #Hindu #Haldighati #Shivajimaharaj #Rajputs #Jaisalmer #Rajputanaculture
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जन्म जयंती महाराणा प्रताप : पुष्प अर्पण एवं प्रसाद वितरण | Birth Anniversary Maharana Pratap
09.05.2024, लखनऊ | महाराणा प्रताप जी की जन्म जयंती के जयंती के उपलक्ष्य में हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा उच्च प्राथमिक विद्यालय, गाजीपुर, बस्तौली (1-8 कंपोजिट), इन्दिरा नगर, लखनऊ में "पुष्प अर्पण एवं प्रसाद वितरण" कार्यक्रम का आयोजन किया गया | कार्यक्रम के अंतर्गत ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल, न्यासी डॉ रूपल अग्रवाल एवं उच्च प्राथमिक विद्यालय प्रधानाध्यापिका श्रीमती मीना यादव द्वारा दीप प्रज्वलित कर महाराणा प्रताप जी के चित्र पर पुष्प अर्पित किए गए तथा उन्हें सादर नमन किया गया | सभी छात्र-छात्राओं ने भी महाराणा प्रताप जी के चित्र पर पुष्प अर्पित किए | कार्यक्रम में "मधुमक्खी वाला, बाराबंकी" द्वारा Mustard Raw Honey उपलब्ध कराया गया, जिसका सभी बच्चों में वितरण किया गया | शहद पाकर बच्चों के चेहरे खुशी से खिल उठे |
इस अवसर पर हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की न्यासी डॉ रूपल अग्रवाल ने कहा कि, “महाराणा प्रताप मेवाड़ के शूरवीर और पराक्रमी राजा थे | उनका जन्म 09 मई 1540 को राजस्थान के चित्तौड़गढ़ में हुआ था | शूरवीर महाराणा प्रताप ने मुगलों के साथ अनेक युद्ध लड़े तथा विजय प्राप्त की, जिसमें उनके घोड़े चेतक ने उनका भरपूर साथ दिया | महाराणा प्रताप ने मुगल शासक अकबर के साथ हल्दीघाटी का प्रसिद्ध युद्ध लड़ा तथा मुगलों को धूल चटा दी । हमें महाराणा प्रताप के जीवन से एक सीख लेनी चाहिए कि हर समय धर्म और न्याय के प्रति समर्पित रहना कितना महत्वपूर्ण है । उनका जीवन हमें सिखाता है कि जीत केवल साहस और संघर्ष से ही नहीं बल्कि निष्ठा और समर्पण से भी मिलती है । ऐसे महान योद्धा की जयंती पर उन्हें शत शत नमन |"
उच्च प्राथमिक विद्यालय की कक्षा 6 की छात्रा रीमा ने श्री श्याम नारायण पांडे द्वारा महाराणा प्रताप के घोड़े चेतक पर लिखी गई कविता "रण–बीच चौकड़ी भर–भरकर, चेतक बन गया निराला था "का पाठ किया जिसने सभी को तालियां बजाने पर मजबूर कर दिया |
अंत में श्री हर्षवर्धन अग्रवाल ने सभी का धन्यवाद करते हुए कहा कि "इस तरह के कार्यक्रम प्रत्येक स्कूल में आयोजित होने चाहिए जिससे विद्यार्थी भारत देश के आध्यात्मिक एवं पौराणिक इतिहास के बारे में जान सके |"
कार्यक्रम में हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल, न्यासी डॉ रूपल अग्रवाल, उच्च प्राथमिक विद्यालय की प्रधानाध्यापिका श्रीमती मीना यादव, छात्र-छात्राओं तथा ट्रस्ट के स्वयंसेवकों की गरिमामयी उपस्थिति रही |
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प्रकृति का संरक्षण करना हैं हम सभी की जिम्मेदारी - डॉ रूपल अग्रवाल
लखनऊ, 28.07.2023 | लोगों को प्रकृति संरक्षण हेतु प्रेरित करने के लिए "विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस- 2023" के अवसर पर हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट एवं नवयुग रेडियंस सीनियर सेकेंडरी स्कूल के संयुक्त तत्वावधान में "चित्रकला प्रदर्शनी एवं सम्मान समारोह" का आयोजन नवयुग रेडियंस सीनियर सेकेंडरी स्कूल, राजेंद्र नगर, लखनऊ में किया गया | कार्यक्रम मे "विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस 2023" के अंतर्गत "Conserve Nature, Conserve Life" विषय पर दो वर्गों (6 वर्ष से 10 वर्ष एवं 11 वर्ष से 16 वर्ष) में विभाजित 180 प्रतिभागियों द्वारा बनाए गए चित्रों /पोस्टरों को श्रीमती पल्लवी आशीष, मैं पलाश चित्रकार एवं वर्ल्ड रिकॉर्ड होल्डर द्वारा जज किया गया | प्रतिभागियों ने अपने चित्रों मे वर्तमान समय में प्रकृति के साथ हो रहे खिलवाड़ उसका मानव जीवन पर दुष्प्रभाव का चित्रण किया तथा साथ ही आगामी पीढ़ी को सुरक्षित रखने के लिए किस तरह से प्रकृति के साधनों का दोहन किया जा सकता है एवं उन्हें बचाया जा सकता है इस पर भी प्रकाश डाला | प्रतिभागियों ने "Save Nature and Nature will Save Your Life", "Conservation is all about safeguarding the poetry of life" जैसे स्लोगन के माध्यम से आमजन से प्रकृति को बचाने की अपील की| दोनों वर्गों से श्रेष्ठ 5-5 प्रतिभागियों को ��ेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की न्यासी डॉ रूपल अग्रवाल द्वारा स्मृति चिन्ह व प्रमाण पत्र से सम्मानित किया गया | चित्रकला प्रतियोगिता में प्रतिभागिता करने वाले सभी प्रतिभागियों को प्रतिभागिता प्रमाण पत्र से सम्मानित किया गया |
स्मृति चिह्न व प्रमाण पत्र से सम्मानित होने वाले प्रतिभागियों की सूची निम्नलिखित है I
प्रथम वर्ग ( 6 से 10 वर्ष) –
वैष्णवी गौतम, कक्षा-6 C - प्रथम पुरस्कार
मदीहा अंसारी, कक्षा-8 D - द्वितीय पुरस्कार
अक्षिता त्रिपाठी, कक्षा-8 D - तृतीय पुरस्कार
आराध्या गुप्ता, कक्षा-3 A - सांत्वना पुरस्कार
जैनब फातिमा, कक्षा-1 B - सांत्वना पुरस्कार
द्वितीय वर्ग ( 11 से 16 वर्ष)-
रोशनी सार्थक पटेल, कक्षा-11 C - प्रथम पुरस्कार
प्रार्थना सिंह, कक्षा-12 C - द्वितीय पुरस्कार
गायत्री गौर, कक्षा-12 B - तृतीय पुरस्कार
यशिका राजपूत, कक्षा-10 E - सांत्वना पुरस्कार
आराध्या पांडेय, कक्षा-11 F - सांत्वना पुरस्कार
हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की न्यासी डॉ० रूपल अग्रवाल ने नवयुग रेडियंस सीनियर सेकेंडरी स्कूल की प्रधानाध्यापिका, श्रीमती बी सिंह का आभार व्यक्त किया तथा सभी प्रतिभागियों को बधाई देकर उनके उज्जवल भविष्य की कामना की | उन्होंने कहा कि "प्रकृति हमारे जीवन के हर पहलू से जुड़ी है । वृक्ष, वन्यजीवन, जल, जलवायु, और भूमि समेत सभी प्राकृतिक संसाधन हमारी जरूरतों को पूरा करने में मदद करते हैं । अतः प्रकृति का संरक्षण करना हम सभी की जिम्मेदारी है, क्योंकि इसे संरक्षित रखने से हम अपने आगामी पीढ़ियों के लिए सुरक्षित और स्वच्छ वातावरण सुनिश्चित कर सकते हैं । आज विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस पर आइए यह संकल्प लें कि हम सभी मिलकर अपनी प्रकृति की रक्षा करेंगे | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट विभिन्न विषयों पर निरंतर जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन करता रहता है व आगे भी करता रहेगा |"
इस अवसर पर नवयुग रेडियंस सीनियर सेकेंडरी स्कूल की शिक्षिकाओं श्रीमती रचना साहनी, शहाना जैदी, श्रीमती रत्ना श्रीधर, श्रीमती रुचि श्रीवास्तव, छात्राओं तथा ट्रस्ट के स्वयंसेवकों की गरिमामयी उपस्थिति रही |
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जन्म जयंती महाराणा प्रताप : पुष्प अर्पण एवं प्रसाद वितरण | Birth Anniversary Maharana Pratap
09.05.2024, लखनऊ | महाराणा प्रताप जी की जन्म जयंती के जयंती के उपलक्ष्य में हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा उच्च प्राथमिक विद्यालय, गाजीपुर, बस्तौली (1-8 कंपोजिट), इन्दिरा नगर, लखनऊ में "पुष्प अर्पण एवं प्रसाद वितरण" कार्यक्रम का आयोजन किया गया | कार्यक्रम के अंतर्गत ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल, न्यासी डॉ रूपल अग्रवाल एवं उच्च प्राथमिक विद्यालय प्रधानाध्यापिका श्रीमती मीना यादव द्वारा दीप प्रज्वलित कर महाराणा प्रताप जी के चित्र पर पुष्प अर्पित किए गए तथा उन्हें सादर नमन किया गया | सभी छात्र-छात्राओं ने भी महाराणा प्रताप जी के चित्र पर पुष्प अर्पित किए | कार्यक्रम में "मधुमक्खी वाला, बाराबंकी" द्वारा Mustard Raw Honey उपलब्ध कराया गया, जिसका सभी बच्चों में वितरण किया गया | शहद पाकर बच्चों के चेहरे खुशी से खिल उठे |
इस अवसर पर हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की न्यासी डॉ रूपल अग्रवाल ने कहा कि, “महाराणा प्रताप मेवाड़ के शूरवीर और पराक्रमी राजा थे | उनका जन्म 09 मई 1540 को राजस्थान के चित्तौड़गढ़ में हुआ था | शूरवीर महाराणा प्रताप ने मुगलों के साथ अनेक युद्ध लड़े तथा विजय प्राप्त की, जिसमें उनके घोड़े चेतक ने उनका भरपूर साथ दिया | महाराणा प्रताप ने मुगल शासक अकबर के साथ हल्दीघाटी का प्रसिद्ध युद्ध लड़ा तथा मुगलों को धूल चटा दी । हमें महाराणा प्रताप के जीवन से एक सीख लेनी चाहिए कि हर समय धर्म और न्याय के प्रति समर्पित रहना कितना महत्वपूर्ण है । उनका जीवन हमें सिखाता है कि जीत केवल साहस और संघर्ष से ही नहीं बल्कि निष्ठा और समर्पण से भी मिलती है । ऐसे महान योद्धा की जयंती पर उन्हें शत शत नमन |"
उच्च प्राथमिक विद्यालय की कक्षा 6 की छात्रा रीमा ने श्री श्याम नारायण पांडे द्वारा महाराणा प्रताप के घोड़े चेतक पर लिखी गई कविता "रण–बीच चौकड़ी भर–भरकर, चेतक बन गया निराला था "का पाठ किया जिसने सभी को तालियां बजाने पर मजबूर कर दिया |
अंत में श्री हर्षवर्धन अग्रवाल ने सभी का धन्यवाद करते हुए कहा कि "इस तरह के कार्यक्रम प्रत्येक स्कूल में आयोजित होने चाहिए जिससे विद्यार्थी भारत देश के आध्यात्मिक एवं पौराणिक इतिहास के बारे में जान सके |"
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शीतकालीन अवकाश वाले स्कूलों की परीक्षाओं को लेकर बोर्ड ने की बड़ी घोषणा, जानें किस पैटर्न पर होंगे एग्जाम
Himachal Board: हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड ने घोषणा की है कि इस साल शीतकालीन अवकाश वाले स्कूलों की तीसरी, पांचवीं और आठवीं कक्षा की वार्षिक परीक्षाएं पुराने पैटर्न पर ही होंगी। इन परीक्षाओं में बहुविकल्पीय प्रश्नों (MCQ) के लिए ओएमआर शीट उपलब्ध नहीं कराई जाएगी। बोर्ड का कहना है कि समय की कमी के कारण यह निर्णय लिया गया है। अगले स्कूल अवधि से होगा पैटर्न चेंज शीतकालीन स्कूलों की परीक्षाएं…
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बिहार: हाथ-पैर फूलना मतलब समय पर दारू का न मिलना! सरकारी स्कूल में टीचर के 'ज्ञान' से हड़कंप
मोतिहारी/पटना: बिहार के पूर्वी चंपारण जिले के एक सरकारी स्कूल में चौथी कक्षा के बच्चों को हिंदी पढ़ाते समय एक महिला शिक्षिका ने मुहावरों के अर्थ समझाने के लिए शराब से जुड़े उदाहरणों का उपयोग किया, जिससे शिक्षा विभाग में हड़कंप मच गया है। यह घटना जमुआ मध्य विद्यालय, ढाका प्रखंड की है, जहां शिक्षिका विनीता कुमारी ने ब्लैकबोर्ड पर ‘हाथ-पैर फूलना’ का अर्थ ‘समय पर दारू का न मिलना’, ‘कलेजा ठंडा होना’…
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छात्र क्लबों में शामिल होने के लाभ: पाठ्येतर गतिविधियां कैसे सफलता बढ़ाती हैं कॉलेज अनुप्रयोगों को बढ़ावा देने के लिए हाई स्कूल के छात्रों के लिए सर्वोत्तम पाठ्येतर गतिविधियाँ
कॉलेज अनुप्रयोगों को बढ़ावा देने के लिए हाई स्कूल के छात्रों के लिए सर्वोत्तम पाठ्येतर गतिविधियाँपाठ्येतर गतिविधियाँ छात्रों के समग्र विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, जो शैक्षिक गतिविधियों से दूर रहने के अलावा और भी बहुत कुछ प्रदान करती हैं। इन खेलों में खेल गतिविधियों और मानविकी से लेकर क्लबों और सामुदायिक प्रदाताओं तक व्यापक प्रकार की रुचियां शामिल हैं, प्रत्येक छात्र के विकास में विशिष्ट योगदान देता है। यह संपूर्ण मार्गद��्शिका पाठ्येतर खेलों में सहयोग करने के असंख्य लाभों की पड़ताल करती है और यह जानकारी देती है कि छात्र व्यक्तिगत और व्यावसायिक विकास के लिए अपनी भागीदारी को अधिकतम कैसे कर सकते हैं।
व्यापक क्षितिज विविध अनुभवों का मूल्य पाठ्येतर खेलों के नंबर एक लाभों में से एक पारंपरिक शैक्षिक पाठ्यक्रम से परे गतिविधियों की खोज करने की संभावना है। चाहे वह वाद-विवाद क्लब में शामिल होना हो, रोबोटिक्स समूह में भाग लेना हो, या पर्यावरण की वकालत में शामिल होना हो, ये गतिविधियाँ कॉलेज के छात्रों को अपने जुनून का पता लगाने और उसे विकसित करने की अनुमति देती हैं। यह अन्वेषण महत्वपूर्ण है क्योंकि यह छात्रों को उनकी ताकत, विकल्प और क्षमता वाले करियर पथ खोजने में मदद करता है।उदाहरण के लिए, वाद-विवाद सदस्यता में भाग लेने वाला एक छात्र अतिरिक्त रूप से उन्नत सार्वजनिक भाषण और आलोचनात्मक सोचने की क्षमताओं को बढ़ा सकता है, जो किसी भी विशेषज्ञ क्षेत्र में मूल्यवान हैं। इसी तरह, ट्रैक समूह में शामिल होने से रचनात्मकता और टीम सहयोग बढ़ सकता है। ये अध्ययन विद्यार्थी के भाग्य, पेशे और व्यक्तिगत विकास को आकार देने में सहायक होते हैं।
कौशल विकास: कक्षा से परे
पाठ्येतर गतिविधियाँ कॉलेज के छात्रों को उन क्षमताओं की एक श्रृंखला का विस्तार करने का मौका देती हैं जिन पर अक्सर पारंपरिक अध्ययन कक्ष सेटिंग्स में जोर नहीं दिया जाता है। इसमे शामिल है
नेतृत्व कौशल कई पाठ्येतर खेल, जिनमें छात्र सरकार या गतिविधियों का आयोजन शामिल है, में कॉलेज के छात्रों को नेतृत्व की भूमिका निभाने की आवश्यकता होती है। ये अध्ययन टीमों का नेतृत्व करने, कार्यों का प्रबंधन करने और विकल्प चुनने के तरीके का अध्ययन करने के लिए सार्थक हैं।
समय प्रबंधन शैक्षिक दायित्वों के साथ पाठ्येतर प्रतिबद्धताओं को संतुलित करना कॉलेज के छात्रों को कर्तव्यों को प्राथमिकता देने, अपने समय को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने और समय सीमा को पूरा करने का तरीका सिखाता है।
टीम वर्क और सहयोग खेल टीमों, थिएटर एजेंसियों और शैक्षिक क्लबों के साथ गतिविधियाँ एक सामान्य उद्देश्य की दिशा में सामूहिक रूप से काम करने के महत्व पर जोर देती हैं। ये समीक्षाएँ टीम वर्क, संचार और पारस्परिक क्षमताओं को बढ़ावा देती हैं। समस्या-समाधान क्षमताएँ कोडिंग क्लब या तकनीकी ज्ञान समारोह जैसे खेलों में भागीदारी छात्रों को जटिल समस्याओं से निपटने और रचनात्मक तरीके से सोचने के लिए प्रोत्साहित करती है। ये समस्या-समाधान दक्षताएँ निर्देशात्मक और व्यावसायिक दोनों सेटिंग्स में महत्वपूर्ण हैं।
भावनात्मक और सामाजिक विकास: आत्मविश्वास और मित्रता का निर्माण पाठ्येतर गतिविधियाँ कॉलेज के बच्चों को आत्म-विश्वास बनाने और सार्थक रिश्ते बनाने के लिए एक मंच प्रदान करती हैं। स्कूल के बाहर की गतिविधियों में शामिल होने से कॉलेज के छात्रों को मदद मिल सकती है
आत्म-सम्मान बनाएँ किसी संग्रह या मिशन में सफलतापूर्वक सहयोग करना और योगदान देना एक छात्र के आत्म-सम्मान और आत्म-विश्वास को काफी हद तक बढ़ा सकता है। यह नया आत्म-आश्वासन नियमित रूप से बेहतर शैक्षिक समग्र प्रदर्शन और निजी बातचीत में तब्दील होता है।सामाजिक कौशल विकसित करेंपाठ्येतर खेल समान समय बिताने वाले साथियों से मिलने, नई दोस्ती को बढ़ावा देने और सामाजिक कौशल में सुधार करने के कई अवसर प्रदान करते हैं। इन अंतःक्रियाओं के परिणामस्वरूप एक अतिरिक्त समावेशी और सहायक सामाजिक वातावरण बन सकता है।
तनाव का प्रबंधन करें मनोरंजन या खेल-कूद में संलग्न होना एक प्रभावी तनाव-निवारक के रूप में काम कर सकता है। इन गतिविधियों से प्राप्त उपलब्धि और अवकाश की भावना छात्रों को निर्देशात्मक दबावों से निपटने और स्वस्थ स्थिरता बनाए रखने में मदद कर सकती है। कॉलेज और कैरियर की संभावनाओं को बढ़ाना: ��क मजबूत छाप छोड़ना कॉलेज और नियोक्ता अधिक से अधिक उम्मीदवारों की दयालुता को महत्व देते हैं। पाठ्येतर गतिविधियों में सक्रिय भागीदारी कई प्रकार के गुणों का प्रदर्शन करके छात्र की उपयोगिता को बढ़ा सकती है प्रतिबद्धता और समर्पण किसी चयनित गतिविधि में दीर्घकालिक भागीदारी प्रतिबद्धता और एक मजबूत कार्य नीति का सुझाव देती है। इस इच्छाशक्ति को प्रवेश समितियों और नियोक्ताओं द्वारा अत्यधिक महत्व दिया जाता है।
पाठ्येतर गतिविधियाँ एक छात्र के कई अतीत और दक्षताओं को प्रदर्शित करती हैं, जिससे उनका अनुप्रयोग विशिष्ट हो जाता है। उदाहरण के लिए, प्रत्येक बहस और नेटवर्क वाहक में अनुभव वाला एक छात्र बहुमुखी प्रतिभा और एक पूर्ण चरित्र का प्रदर्शन करता है।
वास्तविक दुनिया का अनुभव छात्र एजेंसियों में इंटर्नशिप, स्वयंसेवा, या प्रबंधन भूमिकाओं से युक्त गतिविधियाँ व्यावहारिक आनंद प्रदान करती हैं जो सीधे नियति कैरियर की इच्छाओं पर लागू हो सकती हैं। ये अध्ययन अतिरिक्त रूप से मूल्यवान नेटवर्किंग संभावनाएं प्रदान करते हैं।
#कॉलेज अनुप्रयोगों को बढ़ावा देने के लिए हाई स्कूल के छात्रों के लिए सर्वोत्तम पाठ्येतर गतिविध#पाठ्येतर गतिविधियाँ जो छात्रों को वास्तविक दुनिया का अनुभव बनाने में मदद करती हैं पाठ्येतर गत
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कक्षा पांचवीं (संस्मरण)
हमारी आज की यथार्थता की कल्पना दस साल पहले किसी ने न की होगी;कौन क्या करेगा, कहाँ रहेगा किसी ने न समझा होगा और दस साल बाद की हमारी यथार्थता की भविष्यवाणी भी कोई नहीं कर सकता.
हम कक्षा पाँचवी में तेरह थे:आठ लड़के और पाँच लड़कियाँ.हम में से सभी हेड थे और एक बॉसगिरी सभी के स्वभाव को घेरी थी.मेरा एक दोस्त बंशीवाला है:वो जी.एम तथा कक्षा का मॉनिटर था,पाँचों लड़कियाँ प्रायः प्रार्थना वादन की साक्षात देवियाँ थी, गंगाराम भाई लकड़ियाँ इकट्ठी करवाने वाला मैनेजर था क्योंकि सरकारी स्कूल में खाना बनने की योजना है और खाना पकाने के लिए लकड़ियाँ ले जानी पड़ती है.पाँच वालों को बिना लकड़ी के स्कूल आने की विशेष छूट थी.
स्कूल का सफाई मंत्रालय हमारे ही हाथों में था,हम तब सफाई करवाने में विश्वास रखते थे,स्वयं करने में नहीं.नटवर घंटी बजाने का बड़ा शौकीन था, घंटी बजाने के लिए उसने बहुत संघर्ष किया:कक्षा चार वालों में अपना खौफ जमाया,अपने नित्य दिन के सवा नौ से पोने दस बजे तक के समय को घंटी के सामने ही बैठकर गुजारा,उसमें घंटी बजाने के प्रति असीम धैर्य भी था तो त्याग भी.
इंटरवेल में खाना खाने के बाद जूठी थाली धोने की पंक्ति हम से ही शुरू होती थी,चाहे सबसे आखिरी में ही क्यों न खाया हो हमारे लिए विशेष प्रावधान था.चोर-पुलिस खेलते हुए हम सदैव चोर ही रहे और कक्षा चार वालों को ठगाते रहे,छुट्टी होने पर हम ही विद्यालय बंद करने वाले होते थे,गुरुजी के लिए दाल-सब्जी और घी-दूध का बन्दोबस्त करना हमारा ही ठेका था,कभी अचानक किसी की तबीयत खराब हो जाय तो हम ही संकटमोचन थे,कुल मिलाकर हम बहुत कुछ थे.
डोट पेन से लिखना उन दिनों ऐसा अपराध माना जाता था जैसा कि किसी पुलिस वाले को ऑन ड्यूटी थप्पड़ मारना, लेकिन फिर भी दो-चार ऐसे भी थे जो स्कूल में डोट पेन लाया करते थे; प्यारेलाल भाई रामपाल भाई का नाम उस लिस्ट में उल्लेखनीय था,हालांकि डोट पेन से लिखने का दुस्साहस वे भी न कर पाते थे महज एक शौक था,एक जज्बा था किसी के आगे न झुकने का,एक दिखावा था कि हम भी डोट पेन खरीद सकते हैं.
पंकज बिंदास
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