#सिनेमा हॉल
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विश्व-स्तरीय तकनीकी शिक्षा लेल मातृभाषा मे पढ़ाई- लिखाई’क अनिवार्यता
(*लेखक: नागेश चन्द्र मिश्र,पूर्व अभियंता प्रमुख,झारखंड बिहार)
(Abstract : The author has emphasised the immediate need of promoting world class quality education through the medium of every individual’s own native languages included in the Eighth Schedule of Indian Constitution without too much dependence on English. He has cited some notable engineers’ own experiences quoting the book, “The English Medium Myth : Dismantling Barriers to India’s Growth” by Sankrant Sanu,an IIT luminary.
All the State Centres of Institution of Engineers ( India ) have been requested to come forward for active cooperation, consultation & participation in preparing appropriate courses of study needed from pre - nursery education to lower,medium, higher education in Engineering curriculum as needed by every individual in their own mother tongues for which Sustainable Development Forum,IEI should coordinate with all state centres , States & Central Government’s New Education Policy Initiatives.
At the end of this essay, the author has quoted the perception of Sustainable Development through the spectrum of two Shlokas of Veda and Upanishad . )
मैथिली मे एकटा कहबी छैक,”ऊपर सँ फ़िट फाट,त’र मे मोकामा घाट”,
अर्थात्, बाहर सँ देखबा’ मे तँ खूब नीक,किंतु भीतर मे फोंक - जेकरा अंग्रेज़ी मे “भैक्विटी” कहैत छैक।सरकार भले आई.आई.टी.; एम्स, इंजीनियरिंग - मेडिकल कॉलेज’क जाल पूरा देश मे बिछा दौ’क , मुदा आजुक पढ़निहार विद्यार्थी आ पढ़ौनिहार शिक्षक कें यदि ठीक से कोनो विषय बुझबा’ आ बुझेबा’ मे दिक़्क़त हेतैन्ह ,तँ “थ्री इडियट्स” सिनेमा वला उपहासजन्य रटन्त विद्या सैह भेटैत रहतैक - ओहेन पढ़ाई- लिखाई सँ देश कें कोन लाभ ? भारत मे, जतेक इंजीनियर सभ विभिन्न संस्थान सँ डिग्री प्राप्त क’ रहल छथि , ओहि मे,लगभग मात्र 20% डिग्रीधारी कें ओहि तरहक योग्यता रहैत छन्हिं जिनका कत्तौ नीक नोकरी-चाकरी भेटैन्ह ।
एतय, प्रसिद्ध शिक्षाविद श्री संक्रांत सानू जे गरूड़ प्रकाशनक सर्वे-सर्वा छथि, हुनक पुस्तक, “द इंगलिश मिडियम मिथ : डिसमैंटलिंग बैरियर्स टू इंडियाज ग्रोथ”क संस्मरण मोन पड़ि रहल अछि । हुनक एक संक्षिप्त विडियोक लिंक अनुलग्न अछि https://youtu.be/Fm6ZjnFsZuY?si=NYjVsnp6Y3AXOAsn , जेकरा अवश्य सुनल जाय । संक्रांत सानू जी , आई.आई.टी. कानपुर सँ कंप्यूटर साइंस मे डिग्री प्राप्त कय लगभग एक दशक माइक्रोसॉफ़्ट कॉरपोरेशन मे नोकरी कयलन्हिं । यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सस,ऑस्टिन सँ छह गोट टेक्नॉलजी पेटेंट हुनक नामे छन्हिं । एक बेर , ओ अपन ‘अल्मा मेटर’ आई.आई. टी. कानपुर’क फोर्थ ईयर कम्प्यूटर साइंस क्लास’क विद्यार्थी सभक बीच आबि हुनका लोकनिक प्रमुख दिक़्क़त सँ अवगत होअए चाहलाह । हुनका ई देखि-सुनि अपार दुख भेलन्हिं जे अधिकांश विद्यार्थी’क सभसँ पैघ अवरोधक, अंग्रेज़ी भाषा छलैक । तहिये से , श्री संक्रांत सानू , अपन देश वापस आबि, भारतीय भाषाक माध्यम सँ स्कूल - कॉलेज मे पढ़ाई-लिखाई होइक - अइ महायज्ञ मे तत्पर छथि ।
वर्तमान सरकार’क “नव शिक्षा नीति” (न्यू एजुकेशन पॉलिसी) मे , सभ क्षेत्रीय भाषाक माध्यम सँ प्राथमिक,माध्यमिक आ उच्च शिक्षा’क पढ़ाई-लिखाई होइक - ई प्रावधान प्रमुखता सँ कयल गेल अछि जेकर हम क़ायल छी ।
वाल्यावस्थे सँ, शिक्षा -साहित्यक सान्निध्य में लालन-पालन भेला सँ मातृभाषा मैथिली सहित हिन्दी-अंग्रेज़ी- संस्कृत आ अन्य सभ क्षेत्रीय भाषा सँ प्रेम अछि । प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक कार्ल रोजर्स’क उक्ति, “व्हाट इज मॉस्ट पर्सनल इज मॉस्ट जेनरल”क अनुभव सँ हमरा ई मानबा मे कोनो संकोच नहिँ अछि जे जहिया सँ होश भेल - तहिये सँ जे कोनो विचार मोन मे पहिने अबैए - �� मातृभाषा मैथिलीए मे अबैत अछि ; क्रमिक रूप सँ , हिन्दी आ अंग्रेज़ी भाषा में ओकरा रूपान्तरित करबाक अभ्यास भेल गेल । एहेन कतेको ब्रिलियंट सहपाठी कें देखलयैन्ह जे कोनो विषयक पूर्ण ज्ञान रहलाक बादो, अंग्रेज़ी भाषा मे ओकरा पढ़बा- लिखबा मे स्ट्रगल करैत रहलाह ।
हमरा अपनहुँ, अंग्रेज़ी उच्चारण आ ऐक्सेंट बुझबा’ मे स्कूली शिक्षाक दौरान हरदम दिक़्क़त होइते रहल; इंजीनियरिंग कॉलेज मे जहिया पढ़ैत रही आ सिनेमा हॉल मे अंग्रेज़ी सिनेमा देखी - बहुत कम्मे बुझियैक जे कोन पात्र की बजलैक - हॉल मे देखनहार दर्शक सब कोनो सीन कें देखि-सुनि हँसय, तँ बिना बुझनहुँ, हमहूँ हँसय लागी - जे कमज़ोरी अइ बुढ़ारी धरि एखनो विद्यमान अछि - बिना सब-टाइटिल देखने पढ़ने एखनो बहुतो रास डायलॉग ठीक सँ बुझबा मे दिक़्क़त होइते अछि ।
अइ सँ, ई सद्यः अनुभूति कयल जा सकैत अछि जे कोनो मौलिक विषय ठीक सँ बुझबाक लेल जेना हमरा अपन मातृभाषा मैथिलीक कोरा-कंधा’क आवश्यकता पड़ैत अछि - ओहने आवश्यकता कोनो तेलुगू भाषा-भाषी कें सेहो धीया-पूता सँ होइते हेतैन्हि; तेलुगू मे पढ़ाई-लिखाई’क माध्यम सँ प्राथमिक, माध्यमिक आ उच्च - उच्चतर शिक्षा भेटैत रहला पर हुनका कतेक उपयोगी सिद्ध होइत हेतैन्हिं- से स्वत: अनुमान कय सकैत छी ।एहने आवश्यकता विभिन्न क्षेत्रीय भाषा-भाषी कें होइत हेतन्हिं ।
तैं, इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स (इंडिया)क सस्टेनेबल डेवलपमेंट फोरम सँ हम आग्रह करबन्हिं जे प्रत्येक स्टेट सेंटर सँ कॉर्डिनेट कय संप्रति संविधानक अष्टम सूची में शामिल 22 भाषा : Assamese, Bengali, Bodo, Dogri, Gujarati, Hindi, Kannada, Kashmiri, Konkani, Maithili, Malayalam, Manipuri, Marathi, Nepali, Oriya, Punjabi,Santhali, Sanskrit, Sindhi, Tamil, Telugu, Urdu
मे प्राथमिक, माध्यमिक आ उच्च शिक्षा, साइंस टेक्नोलॉजी इंजीनियरिंग वग़ैरह कोर्सक पढाई -लिखाई मे गुणवत्तापूर्ण शिक्षाक उन्नति आ विकास मे सक्रिय योगदान कोना दय सकैत छथि, ताहि पर गंभीरता सँ विचार करबाक कृपा करथि ।
ई. अजय कुमार सिन्हा, चेयरमैन,सस्टेनेबल डेवलपमेंट फोरम,इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स (इंडिया) सँ ई जानि परम आनंदित भेलहुँ जे इंस्टीट्यूशनक पत्रिका “अभियंता- बंधु”क आगामी विशेष अंक मे विभिन्न क्षेत्रीय भाषाक उपयुक्त लेख प्रकाशित हेतैक जाहि हेतु , हमरो नोत भेटल जे मैथिली मे एक लेख लिखि पठाबी - प्रिय अजय बाबूक प्रति हम आभार प्रगट करैत छी ( इंस्टिट्यूशन सँ एकटा विशेष अनु��ोध जे ‘अभियंता बहीन’ लोकनिक सम्मान आ ‘जेण्डर मेनस्ट्रिमिंग’क ख़ातिर, अइ पत्रिका’क नाम “अभियंता बंधु_बांधवी” जँ राखल जा’ सकय - तँ, अपने लोकनि कृपया विचार करियैक )।
अंत मे , ‘सस्टेनेबल डेवलपमेंट’क जे स्वरूप हमर मोन मे अभरैत अछि, ओहि वेद-उपनिषद्’क निम्नांकित दू गोट श्लोक कें उद्धरित कए , अपन लेख कें समेट रहल छी :-
पश्येम शरद: शतम्
जीवेम शरद: शतम्
बुद्ध्येम शरद: शतम्
रोहेम शरद: शतम्
पूषेम शरद: शतम्
भवेम शरद: शतम्
भूयेम शरद: शतम्
भूयसी शरद: शतात्
( अथर्व वेद , काण्ड 19 , सूक्त 67 )
यानि , – सौ बर्ष धरि देखी; सौ बर्ष धरि जीबी ; सौ बर्ष धरि बुद्धि सक्षम रहए; सौ वर्ष धरि वृद्धि होइत रहए ; सौ वर्ष पुष्टि-पोषण होइत रहए ; सौ वर्ष धरि आभामंडल बनल रहए ;सौ वर्ष धरि पवित्रता बनल रहए;सौ वर्षक आगुओ, ई सब कल्याणकारी योग बनल रहए ।
“ॐ पूर्णमदः पूर्णमिदं पूर्णात्पूर्णमुदच्यते ।
पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते ॥
ॐ शान्ति��� शान्तिः शान्तिः ॥”
( बृहदकारण्य उपनिषद् )
( ओ पूर्ण छल /सृष्टि उत्पत्ति से पहिनहुँ सँ , उत्पत्ति के बादो ई पूर्ण अछि , माने जे एक पूर्ण सँ दोसर पूर्ण उत्पन्न भेल ओहो पूर्ण अछि। पूर्ण से पूर्ण निकालि दियौ, तैयो, बाद मे जे बचल अछि - ओहो पूर्ण अछि ! ओम्! शांति! शांति! शांति! )
🇮🇳जय हिन्द🇮🇳
————————————————————————————————
*Nagesh Chandra Mishra, Former Engineer-In-Chief, Drinking Water & Sanitation Department ( P.H.E.D. ) & Executive Director, ( PMU ) HRD/IEC , Jharkhand & Bihar is the Life Member of Institution of Engineers since 1970s . He is Founder Chairman, Indian Water Works Association, Bihar as well that of Jharkhand. He Founded Visvesvaraya Sanitation & Water Academy ( ViSWA ) at Ranchi with the active support of State & Central Govt. along with UNICEF.
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घर पर सिनेमा हॉल का मजा! लॉन्च हुआ 85-Inch Elista Google TV
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किशोर नाइट नाइट में गूंजे तराने अमन कला केंद्र
किशोर नाइट नाइट में गूंजे तराने अमन कला केंद्र द्वारा बुधवार को टाउन हॉल में हिंदी सिनेमा के जाने-माने पार्श्व गायक किशोर कुमार की 37 वी पुण्यतिथि व मोहम्मद रफी शताब्दी वर्ष के अवसर पर मोहम्मद रफ़ी व किशोर कुमार के फिल्मी गीतों का रंगारंग कार्यक्रम किशोर कुमार नाइट 2024 कार्यक्रम आयोजित किया गया संस्था के अध्यक्ष एम रफीक कादरी ने बताया कि कार्यक्रम के मुख्य अतिथि इकबाल हुसैन समेजा डायरेक्टर होटल…
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jharkhand governor meeting for army welfare : राज्यपाल ने की सैनिक कल्याण निदेशालय की बैठक, सेना के बंद सिनेमा हॉल बनेगा मॉल, कैंटीन का संचालन बेहतर हो��ा, भूतपूर्व सैनिकों को ��वंटित दुकानें अभी खाली नहीं करायी जायेगी, ये सारे फैसले लिये गये
रांची : झारखंड के राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार की अध्यक्षता में गुरुवार को राज भवन में सैनिक कल्याण निदेशालय, झारखण्ड की 16वीं राज्य प्रबंध समिति की बैठक आहूत की गई. राज्यपाल ने कहा कि सैनिक कल्याण बोर्ड प्रस्ताव तक सिर्फ सीमित नहीं रहे, बल्कि अपने कार्यों में तेजी लायें. उन्होंने कहा कि जहां कहीं भी कैंट है, वहाँ आपस में विभिन्न विषयों पर चर्चा होनी चाहिए तथा वहां की समस्याओं का समाधान होना…
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गोविंदा की फिल्मों के लिए सिनेमा हॉल के बाहर दर्शकों की लंबी लाइन
जहां एक ओर सनी देओल, सलमान खान और शाहरुख खान जैसे सितारों को बॉक्स ऑफिस का बादशाह माना जाता है, वहीं दूसरी ओर गोविंदा भी उन अभिनेताओं में से हैं, जिनकी फिल्में 90 के दशक में शानदार कमाई करके दिखा चुकी हैं।
#ShameOnYouStudioGreen#PakistanCricket#Darshan#Telegram#FREEDUROV#KrishnaJanmashtami#सत्संग_क्यों_सुनें#36YearsOfSalmanKhanEra#Israel#AEWAllIn#BBNaijaS9#RutoMustGo
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सिनेमा हॉल में हु��� संत रामपाल जी का सत्संग | SA NEWS
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सिनेमा हॉल में हुआ संत रामपाल जी का सत्संग | SA NEWS
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रीगल सिनेमा के निर्माण के लिए होलकर रियासत ने जमीन आवंटित की थी।
रीगल सिनेमा के निर्माण के लिए होलकर रियासत ने जमीन आवंटित की थी। रीगल टॉकीज की स्थापना 7 अप्रैल 1934 में की गई थी। इसकी स्थापना के समय में यह ड्रामा हॉल था। जिसे 1936 में टॉकीज में कन्वर्ट किया गया था। इसके प्रारंभिक समय में रीगल सिनेमा के मैनेजर एक अंग्रेज मिस्टर स्मिथ थे। महाराजा यशवंत राव होलकर द्वितीय अंग्रेजी फिल्मो के बड़े शौकीन थे। कई बार पैलेस से फिल्म प्रोजेक्टर सिनेमा हॉल मे लगवाया जाता…
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आरम्भ समिति के सदस्यों ने आई म्यूजिक सिनेमा हॉल के सामने किया हनुमान चालीसा का पाठ
सतना। समाजसेवी संस्था आरम्भ युवाओं की एक नई सोच समिति द्वारा लगातार आदिपुरुष पिक्चर का विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है इसके पहले समिति द्वारा ओम रावत का पुतला दहन किया गया और आज समिति के सदस्यों ने सिनेमा घर के सामने इकट्ठा होकर हनुमान चालीसा का पाठ किया एवं म���ोज मुंन्ताशिर मुर्दाबाद के नारे लगाए गए जैसा की आप सभी को ज्ञात है मनोज मुंन्ताशिर ने हनुमान जी को भगवान ना कहकर सिर्फ भक्त कहा जिससे हम सभी…
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कुछ चीज़ें आप भूल नहीं पाते हैं।
विष्णु टॉकीज, एक ज़माने में रांची का जाना माना सिनेमा हॉल हुआ करता था। संध्या सिनेमा हॉल के अलावा अगर संत पुरुलिया रोड के स्कूल या कॉलेज में पढ़ने वाले छात्र किसी हॉल में सबसे अधिक देखे जाते थे तो वह विष्णु टॉकीज ही था।
ये सिनेमा हॉल कबका बंद हो गया और उस जगह पर एक होटल खुल गया जिसका स्वामित्व बदला और नाम भी बदला। अगर कुछ नहीं बदला तो वो विष्णु टॉकीज के नाम पर पड़े इस गली का नाम।
क्या शहर में ऐसा कुछ और ऐसा है जो अब तो नहीं रहा लेकिन उसके नाम से आज भी स्थान के पहचान है।
RanchiBlogger #Ranchi #Jharkhand #RanchiUpdates #RanchiNews #JharkhandNews #ranchi_the_heart_of_jharkhand
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विश्व-स्तरीय तकनीकी शिक्षा लेल मातृभाषा मे पढ़ाई- लिखाई’क अनिवार्यता
(*लेखक: नागेश चन्द्र मिश्र,पूर्व अभियंता प्रमुख,झारखंड बिहार)
(Abstract : The author has emphasised the immediate need of promoting world class quality education through the medium of every individual’s own native languages included in the Eighth Schedule of Indian Constitution without too much dependence on English. He has cited some notable engineers’ own experiences quoting the book, “The English Medium Myth : Dismantling Barriers to India’s Growth” by Sankrant Sanu,an IIT luminary.
All the State Centres of Institution of Engineers ( India ) have been requested to come forward for active cooperation, consultation & participation in preparing appropriate courses of study needed from pre - nursery education to lower,medium, higher education in Engineering curriculum as needed by every individual in their own mother tongues for which Sustainable Development Forum,IEI should coordinate with all state centres , States & Central Government’s New Education Policy Initiatives.
At the end of this essay, the author has quoted the perception of Sustainable Development through the spectrum of two Shlokas of Veda and Upanishad . )
मैथिली मे एकटा कहबी छैक,”ऊपर सँ फ़िट फाट,त’र मे मोकामा घाट”,
अर्थात्, बाहर सँ देखबा’ मे तँ खूब नीक,किंतु भीतर मे फोंक - जेकरा अंग्रेज़ी मे “भैक्विटी” कहैत छैक।सरकार भले आई.आई.टी.; एम्स, इंजीनियरिंग - मेडिकल कॉलेज’क जाल पूरा देश मे बिछा दौ’क , मुदा आजुक पढ़निहार विद्यार्थी आ पढ़ौनिहार शिक्षक कें यदि ठीक से कोनो विषय बुझबा’ आ बुझेबा’ मे दिक़्क़त हेतैन्ह ,तँ “थ्री इडियट्स” सिनेमा वला उपहासजन्य रटन्त विद्या सैह भेटैत रहतैक - ओहेन पढ़ाई- लिखाई सँ देश कें कोन लाभ ? भारत मे, जतेक इंजीनियर सभ विभिन्न संस्थान सँ डिग्री प्राप्त क’ रहल छथि , ओहि मे,लगभग मात्र 20% डिग्रीधारी कें ओहि तरहक योग्यता रहैत छन्हिं जिनका कत्तौ नीक नोकरी-चाकरी भेटैन्ह ।
एतय, प्रसिद्ध शिक्षाविद श्री संक्रांत सानू जे गरूड़ प्रकाशनक सर्वे-सर्वा छथि, हुनक पुस्तक, “द इंगलिश मिडियम मिथ : डिसमैंटलिंग बैरियर्स टू इंडियाज ग्रोथ”क संस्मरण मोन पड़ि रहल अछि । हुनक एक संक्षिप्त विडियोक लिंक अनुलग्न अछि https://youtu.be/Fm6ZjnFsZuY?si=NYjVsnp6Y3AXOAsn , जेकरा अवश्य सुनल जाय । संक्रांत सानू जी , आई.आई.टी. कानपुर सँ कंप्यूटर साइंस मे डिग्री प्राप्त कय लगभग एक दशक माइक्रोसॉफ़्ट कॉरपोरेशन मे नोकरी कयलन्हिं । यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सस,ऑस्टिन सँ छह गोट टेक्नॉलजी पेटेंट हुनक नामे छन्हिं । एक बेर , ओ अपन ‘अल्मा मेटर’ आई.आई. टी. कानपुर’क फोर्थ ईयर कम्प्यूटर साइंस क्लास’क विद्यार्थी सभक बीच आबि हुनका लोकनिक प्रमुख दिक़्क़त सँ अवगत होअए चाहलाह । हुनका ई देखि-सुनि अपार दुख भेलन्हिं जे अधिकांश विद्यार्थी’क सभसँ पैघ अवरोधक, अंग्रेज़ी भाषा छलैक । तहिये से , श्री संक्रांत सानू , अपन देश वापस आबि, भारतीय भाषाक माध्यम सँ स्कूल - कॉलेज मे पढ़ाई-लिखाई होइक - अइ महायज्ञ मे तत्पर छथि ।
वर्तमान सरकार’क “नव शिक्षा नीति” (न्यू एजुकेशन पॉलिसी) मे , सभ क्षेत्रीय भाषाक माध्यम सँ प्राथमिक,माध्यमिक आ उच्च शिक्षा’क पढ़ाई-लिखाई होइक - ई प्रावधान प्रमुखता सँ कयल गेल अछि जेकर हम क़ायल छी ।
वाल्यावस्थे सँ, शिक्षा -साहित्यक सान्निध्य में लालन-पालन भेला सँ मातृभाषा मैथिली सहित हिन्दी-अंग्रेज़ी- संस्कृत आ अन्य सभ क्षेत्रीय भाषा सँ प्रेम अछि । प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक कार्ल रोजर्स’क उक्ति, “व्हाट इज मॉस्ट पर्सनल इज मॉस्ट जेनरल”क अनुभव सँ हमरा ई मानबा मे कोनो संकोच नहिँ अछि जे जहिया सँ होश भेल - तहिये सँ जे कोनो विचार मोन मे पहिने अबैए - ओ मातृभाषा मैथिलीए मे अबैत अछि ; क्रमिक रूप सँ , हिन्दी आ अंग्रेज़ी भाषा में ओकरा रूपान्तरित करबाक अभ्यास भेल गेल । एहेन कतेको ब्रिलियंट सहपाठी कें देखलयैन्ह जे कोनो विषयक पूर्ण ज्ञान रहलाक बादो, अंग्रेज़ी भाषा मे ओकरा पढ़बा- लिखबा मे स्ट्रगल करैत रहलाह ।
हमरा अपनहुँ, अंग्रेज़ी उच्चारण आ ऐक्सेंट बुझबा’ मे स्कूली शिक्षाक दौरान हरदम दिक़्क़त होइते रहल; इंजीनियरिंग कॉलेज मे जहिया पढ़ैत रही आ सिनेमा हॉल मे अंग्रेज़ी सिनेमा देखी - बहुत कम्मे बुझियैक जे कोन पात्र की बजलैक - हॉल मे देखनहार दर्शक सब कोनो सीन कें देखि-सुनि हँसय, तँ बिना बुझनहुँ, हमहूँ हँसय लागी - जे कमज़ोरी अइ बुढ़ारी धरि एखनो विद्यमान अछि - बिना सब-टाइटिल देखने पढ़ने एखनो बहुतो रास डायलॉग ठीक सँ बुझबा मे दिक़्क़त होइते अछि ।
अइ सँ, ई सद्यः अनुभूति कयल जा सकैत अछि जे कोनो मौलिक विषय ठीक सँ बुझबाक लेल जेना हमरा अपन मातृभाषा मैथिलीक कोरा-कंधा’क आवश्यकता पड़ैत अछि - ओहने आवश्यकता कोनो तेलुगू भाषा-भाषी कें सेहो धीया-पूता सँ होइते हेतैन्हि; तेलुगू मे पढ़ाई-लिखाई’क माध्यम सँ प्राथमिक, माध्यमिक आ उच्च - उच्चतर शिक्षा भेटैत रहला पर हुनका कतेक उपयोगी सिद्ध होइत हेतैन्हिं- से स्वत: अनुमान कय सकैत छी ।एहने आवश्यकता विभिन्न क्षेत्रीय भाषा-भाषी कें होइत हेतन्हिं ।
तैं, इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स (इंडिया)क सस्टेनेबल डेवलपमेंट फोरम सँ हम आग्रह करबन्हिं जे प्रत्येक स्टेट सेंटर सँ कॉर्डिनेट कय संप्रति संविधानक अष्टम सूची में शामिल 22 भाषा : Assamese, Bengali, Bodo, Dogri, Gujarati, Hindi, Kannada, Kashmiri, Konkani, Maithili, Malayalam, Manipuri, Marathi, Nepali, Oriya, Punjabi,Santhali, Sanskrit, Sindhi, Tamil, Telugu, Urdu
मे प्राथमिक, माध्यमिक आ उच्च शिक्षा, साइंस टेक्नोलॉजी इंजीनियरिंग वग़ैरह कोर्सक पढाई -लिखाई मे गुणवत्तापूर्ण शिक्षाक उन्नति आ विकास मे सक्रिय योगदान कोना दय सकैत छथि, ताहि पर गंभीरता सँ विचार करबाक कृपा करथि ।
ई. अजय कुमार सिन्हा, चेयरमैन,सस्टेनेबल डेवलपमेंट फोरम,इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स (इंडिया) सँ ई जानि परम आनंदित भेलहुँ जे इंस्टीट्यूशनक पत्रिका “अभियंता- बंधु”क आगामी विशेष अंक मे विभिन्न क्षेत्रीय भाषाक उपयुक्त लेख प्रकाशित हेतैक जाहि हेतु , हमरो नोत भेटल जे मैथिली मे एक लेख लिखि पठाबी - प्रिय अजय बाबूक प्रति हम आभार प्रगट करैत छी ( इंस्टिट्यूशन सँ एकटा विशेष अनुरोध जे ‘अभियंता बहीन’ लोकनिक सम्मान आ ‘जेण्डर मेनस्ट्रिमिंग’क ख़ातिर, अइ पत्रिका’क नाम “अभियंता बंधु_बांधवी” जँ राखल जा’ सकय - तँ, अपने लोकनि कृपया विचार करियैक )।
अंत मे , ‘सस्टेनेबल डेवलपमेंट’क जे स्वरूप हमर मोन मे अभरैत अछि, ओहि वेद-उपनिषद्’क निम्नांकित दू गोट श्लोक कें उद्धरित कए , अपन लेख कें समेट रहल छी :-
पश्येम शरद: शतम्
जीवेम शरद: शतम्
बुद्ध्येम शरद: शतम्
रोहेम शरद: शतम्
पूषेम शरद: शतम्
भवेम शरद: शतम्
भूयेम शरद: शतम्
भूयसी शरद: शतात्
( अथर्व वेद , काण्ड 19 , सूक्त 67 )
यानि , – सौ बर्ष धरि देखी; सौ बर्ष धरि जीबी ; सौ बर्ष धरि बुद्धि सक्षम रहए; सौ वर्ष धरि वृद्धि होइत रहए ; सौ वर्ष पुष्टि-पोषण होइत रहए ; सौ वर्ष धरि आभामंडल बनल रहए ;सौ वर्ष धरि पवित्रता बनल रहए;सौ वर्षक आगुओ, ई सब कल्याणकारी योग बनल रहए ।
“ॐ पूर्णमदः पूर्णमिदं पूर्णात्पूर्णमुदच्यते ।
पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते ॥
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥”
( बृहदकारण्य उपनिषद् )
( ओ पूर्ण छल /सृष्टि उत्पत्ति से पहिनहुँ सँ , उत्पत्ति के बादो ई पूर्ण अछि , माने जे एक पूर्ण सँ दोसर पूर्ण उत्पन्न भेल ओहो पूर्ण अछि। पूर्ण से पूर्ण निकालि दियौ, तैयो, बाद मे जे बचल अछि - ओहो पूर्ण अछि ! ओम्! शांति! शांति! शांति! )
🇮🇳जय हिन्द🇮🇳
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*Nagesh Chandra Mishra, Former Engineer-In-Chief, Drinking Water & Sanitation Department ( P.H.E.D. ) & Executive Director, ( PMU ) HRD/IEC , Jharkhand & Bihar is the Life Member of Institution of Engineers since 1970s . He is Founder Chairman, Indian Water Works Association, Bihar as well that of Jharkhand. He Founded Visvesvaraya Sanitation & Water Academy ( ViSWA ) at Ranchi with the active support of State & Central Govt. along with UNICEF.
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सिनेमाघरों में आदिपुरुष की स्क्रीनिंग पर रोक, मुंबई में डॉयलॉग राइटर को मिली सुरक्षा
NCG NEWS DESK काठमांडू : फिल्म आदिपुरुष में सीता के जन्मस्थान को लेकर शुरू हुए विवाद के बाद नेपाल में फिल्म की स्क्रीनिंग बंद कर दी गई है। नेपाल में फिल्म के एकमात्र वितरक मनोज राठी ने बताया कि पूरे देश में स्क्रीनिंग रोक दी गई है। काठमांडू के मेयर बालेन शाह ने 15 जून को नेपाल की राजधानी में सिनेमा हॉल को निर्देश दिया था कि जब तक निर्माता सीता के जन्मस्थान की गलती को सुधार नहीं लेते, तब तक फिल्म…
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हम सफर मेरे हम सफर पंख तु परवाज़ हम" गीत संगीत कार्यक्रम के बैनर का हुआ विमोचन
बीकानेर। हिंदी सिनेमा जगत के मशहूर पार्श्व गायक मुकेश की आगामी 22 जुलाई को 101 जयंती के अवसर पर श्री विश्वकर्मा नाट्य कला संगीत संस्था के अध्यक्ष मेघराज नागल द्वारा “हम सफर मेरे हम सफर पंख तु परवाज़ हम” स्वरांजली कार्यक्रम का आयोजन स्थानीय टाउन हॉल में रखा गया है। जिसके बैनर का विमोचन शनिवार की शाम बी सेठिया गली स्थित गणपति प्लाजा के पास कोलासर वाले महाराज रामकिशन उपाध्याय के सानिध्य में हुआ। इस…
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west singhbhum police jawan salutes - शहीद जवान रामदेव महतो का पार्थिव शरीर पहुंचा चक्रधरपुर,लोगों ने दी नम आंखों से श्रद्धांजलि
रामगोपाल जेना(चक्रधरपुर) :जमशेदपुर मानगो में अपराधियों से लोहा लेते शहीद हुए जवान रामदेव महतो का पार्थिव शरीर शनिवार चक्रधरपुर पहुंचने पर टेटोमिक कुड़मी समाज छोटानागपुर के द्वारा प्रभात सिनेमा हॉल के पास हनुमान चौक एवं पवन चौक पर भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं ने पार्थिव शरीर पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि देने के ��िए भारी भीड़ उमड़ी. श्रद्धांजलि देते हुए लोगों ने आरोपी को फांसी देने की मांग की,…
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ध्यान दें: फ्री मूवीज डाउनलोड करने से खाली हो सकता है आपका बैंक अकाउंट, जानिए कैसे । patrikahindi.com
आप कभी न कभी सिनेमा हॉल में फिल्म देखने जरूर जाते होंगे? या अब फिल्में भी ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज होती हैं। फर्क सिर्फ इतना है कि सिनेमा हॉल में आपको फिल्म देखने के लिए टिकट खरीदना पड़ता है। वहीं, ओटीटी प्लेटफॉर्म पर आपको सब्सक्रिप्शन खरीदना होगा। वहीं दूसरी तरफ कई लोग फ्री में मूवी देखने के लिए कई वेबसाइट या ऐप से फ्री में मूवी डाउनलोड करते हैं। इससे पैसों की बचत तो जरूर होती है, लेकिन क्या आप…
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Movie Theaters Business Model
Movie Theaters Business Model : वर्तमान समय, महामारी और उसके बाद के जीवन ने इस संस्कृति को प्रभावित नहीं किया है। दैनिक जीवन की धूल से हमारा बचना आज भी किसी न किसी रूप में कला के रूप में छिपा है। संगीत, फिल्में हमारी कला के शीर्ष पसंदीदा हैं। अगर आप फिल्मों के शौकीन हैं तो फर्स्ट डे फर्स्ट शो आपके लिए बहुत महत्वपूर्ण होगा। यहीं पर आपकी प्यास बुझाने के लिए सिनेमा हॉल और मूवी थिएटर आते हैं। वे सिनेप्रेमियों के लिए मंदिर हैं।
क्या आपने कभी सोचा है कि ये कैसे काम करते हैं? राष्ट्रीय स्तर पर एक फिल्म कैसे रिलीज़ होती है? क्या कहते हैं अंक और चार्ट? यह Movie Theaters के बिजनेस मॉडल के बारे में एक लेख है। फिल्में कैसे कमाती हैं और सिनेमा कैसे चलते हैं, यह जानने के लिए आगे पढ़ें। वर्तमान अभूतपूर्व समय हमारे मूवी अनुभव को कैसे बदल रहा है।
मूवी थियेटर कैसे काम करते है (How Movie Theaters Works)
सिनेमा हॉल
फिल्म का सफर निर्देशक के दिमाग में एक कहानी के साथ शुरू होता है। जिसे एकदम सही फिट के लिए कई बार EDIT किया गया है। ड्राफ्ट और ड्राफ्ट और अधिक ड्राफ्ट। चरित्र भूमिकाओं के लिए अभिनेताओं और अभिनेत्रियों का ऑडिशन लिया जाता है, और उत्पादन शुरू करने के लिए एक बड़े दल को इकट्ठा किया जाता है।
एक बार फिल्म बन जाने के बाद, इसके Distribution का समय आ गया है। किसी भी फिल्म के लिए सबसे पहला वितरण चैनल हमेशा ‘सिनेमा हॉल’ रहा है। अभिनेताओं और निर्माताओं ने जो उत्पादन किया है, उसे बांटने का यह सदियों पुराना तरीका है।
मॉडल भी काफी अपरिवर्तित है, लोग हॉल में प्रवेश करने के लिए शुल्क का भुगतान करते हैं। हॉल में सीटें हैं, बहुत सारी सीटें हैं और फिल्म को प्रोजेक्टर के माध्यम से फ्रंट स्क्रीन पर दिखाया जाता है। स्क्रीन काफी बड़ी है जिसे थिएटर के चारों ओर से देखा जा सकता है।
यह बहुत लंबे समय से एक सिनेमा हॉल का बिजनेस मॉडल रहा है। हालाँकि, इसे कुछ ट्वीक्स के साथ जोड़ा जाता है, जैसे जलपान और स्नैक्स। यह मॉडल Unchanged है।
दर्शक गद्देदार स��टों पर बैठते हैं। दर्शकों के लिए दृश्यता बढ़ाने के लिए ��धिकांश थिएटरों में सीटों को एक ढलान वाले फर्श पर संरेखित किया जाता है। उस ढलान का सबसे ऊंचा हिस्सा थिएटर के पीछे है। मूवी थिएटर अक्सर ज्यादातर स्नैक्स जैसे पॉपकॉर्न, कार्बोनेटेड ड्रिंक्स वगैरह बेचते हैं। कुछ क्षेत्रों में, भत्ते और लाइसेंस वाले मूवी थिएटर भी नशीला पेय पदार्थ सकते हैं।
फिल्मों का वितरण (Movies Distribution)
वितरण हमेशा मुख्य रूप से सिनेमा हॉल में होता है लेकिन यह कुछ नियमों और शर्तों के अनुसार होता है। किसी फिल्म का निर्माण और समापन पूरी बड़ी तस्वीर का सिर्फ एक हिस्सा है।
उत्पादन के बाद, फिल्म को विभिन्न चैनलों के माध्यम से वितरित किया जाता है। सिनेमा पहली सुरंग है लेकिन उसके बाद भी फिल्म बाजार में घूमती है। उन्हें डीवीडी में बदल दिया जाता है, कुछ स्ट्रीमिंग सेवा के तरीके का अनुसरण करते हैं। लेकिन ट्रेन के अगले स्टेशन पर जाने से पहले कुछ निर्णय लिए जाते हैं। इन्हें इन फिल्मों के लाइसेंस के बारे में नियम और शर्तों के रूप में जाना जाता है।
राजस्व बंटवारे और फिल्म रिलीज के समय के संबंध में शर्तें भी पहले से तय की जाती हैं। इससे पहले कि हम आगे बढ़ें, हमें कुछ तकनीकी शब्दों को जानने की आवश्यकता है जो हमें इस बारे में अधिक स्पष्ट दृष्टिकोण प्राप्त करने में मदद करेंगे कि प्रक्रिया कैसी दिखती है
निर्माता
एक निर्माता वह व्यक्ति होता है जो एक फिल्म के निर्माण में निवेश करता है। वह निवेश करने वाला आदमी है जो असफलता का जोखिम उठाता है और फिल्म की सफलता का लाभ उठाता है। वे प्रोडक्शन हाउस के नाम से फिल्मों में पैसा लगाते हैं। उदाहरण के लिए, करण जौहर “धर्मा प्रोडक्शंस” नामक एक प्रोडक्शन हाउस के माध्यम से निवेश करते हैं।
वितरक (Distributor)
Distributor वह व्यक्ति होता है जो सिनेमाघरों के माध्यम से फिल्म का Distribution करता है। वितरक सीधे निर्माता से “वितरण अधिकार” खरीदता है। ज्यादातर मामलों में, वह शुरुआत में ही अधिकार खरीद लेता है, कभी-कभी फाइनल कट देखने के बाद। वितरक कई प्रकार के हो सकते हैं। वे संख्या में भी भिन्न हो सकते हैं।
अगर हम एक बड़े बजट की फिल्म के बारे में बात कर रहे हैं तो एक घरेलू Distributor हो सकता है जो फिल्म निर्माण के देश में वितरण के लिए जिम्मेदार हो। अन्य एक विदेशी Distributor हो सकते हैं जो शेष विश्व में वितरण के लिए जिम्मेदार हैं। आमतौर पर वितरक निर्माता के साथ कैसे व्यवहार करता है, इसके कुछ रूप हैं, यहां हम वितरकों के प्रकारों पर चर्चा करते हैं
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