#साधु की हत्या की घटना
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jyotis-things · 6 months ago
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#हिन्दूसाहेबान_नहींसमझे_गीतावेदपुराणPart63 के आगे पढिए.....)
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#हिन्दूसाहेबान_नहींसमझे_गीतावेदपुराणpart64
आठवां अध्याय"
"तीर्थ तथा धाम क्या हैं?"
प्रश्न 45 तीर्थों, धामों पर श्रद्धा से दर्शनार्थ तथा पूजा करने से हिन्दू गुरुजन बहुत पुण्य बताते हैं। यह साधना लाभदायक है या नहीं? कृप्या शास्त्रों के अनुसार बताएँ।
उत्तर :- तीर्थ या धाम वे पवित्र स्थान हैं जहाँ पर या तो किसी महापुरूष का जन्म हुआ था या निर्वाण (परलोक वास) हुआ था या किसी साधक ने साधना की थी या कोई अन्य ऋषि या देवी-देव की कथा से जुड़ी यादगारें हैं।
विचार करें: पवित्र तीर्थ तथा पवित्र धाम तो यादगारें हैं कि यहाँ पर ऐसी घटना घटी थी ताकि उनका प्रमाण बना रहे।
उदाहरण: जैसे अमरनाथ धाम है। उसकी कथा का सर्व हिन्दुओं को ज्ञान है कि उस एकान्त स्थान पर श्री शिव जी ने अपनी पत्नी पार्वती जी को नाम दीक्षा दी थी जिसका देवी जी जाप कर रही हैं। जिस मन्त्र की साधना के प्रभाव से उनको अमरत्व प्राप्त हुआ है।
वर्तमान में वह एक यादगार के अतिरिक्त कुछ नहीं है। वह प्रमाण है कि यहाँ पर वास्तव में देवी जी को श्री शिव भगवान ने अमर होने का मन्त्र दिया था। यदि किसी को विश्वास नहीं हो रहा हो तो वहाँ जाकर देखकर भ्रम मिटा सकता है। परन्तु कोई यह कहे कि उस स्थान के दर्शन करने तथा वहाँ दान, धर्म करने से मुक्ति मिलेगी या भक्ति लाभ होगा, ऐसा कुछ नहीं है। रही बात दान धर्म करने की, आप कहीं पर भी धर्म का कार्य करो, आपको उसका फल मिलेगा क्योंकि वह आपको शुभ कर्मों में परमात्मा उसी समय लिख देता है। जैसे कोई व्यक्ति एकान्त स्थान पर कोई हत्या या अन्य अपराध करता है तो उसके अशुभ कर्मों में ��िखा जाता है, उसका फल अवश्य मिलता है। इसलिए पुण्य का कार्य कहीं पर करो। उसका फल तो मिलेगा। पुण्य करने के लिए दूर स्थान तीर्थ पर जाना बुद्धिमता नहीं। यही प्रश्न एक समय जिंदा साधु के रूप में मथुरा में प्रकट परमेश्वर कबीर जी से एक तीर्थ यात्री श्री धर्मदास सेठ द्वारा किया गया था जो मथुरा तीर्थ पर स्नानार्थ तथा दान-धर्म करने के लिए अपने गुरू रूपदास वैष्णव के बताए भक्ति कर्म को करने 'बांधवगढ़' नामक नगर (मध्य प्रदेश) से आया था। परमात्मा ने उसे समझाया था कि यहाँ मथुरा-वृन्दावन में वर्तमान में श्री कृष्ण जी नहीं हैं और विचार कर कि जब श्री कृष्ण जी ही इस स्थान को त्यागकर हजारों कि. मी. दूर द्वारिका में सपरिवार तथा सर्व यादवों को लेकर चले गए थे तो इस स्थान का महत्व ही क्या रह गया? यह तो एक यादगार है कि कभी श्री कृष्ण जी ने कुछ समय यहाँ बिताया था। कंस, केशी तथा चाणूर अन्यायियों को मारा था। परमात्मा ने कहा कि हे धर्मदास ! आप गीता शास्त्र को साथ लिए हो, इसका नित्य पाठ भी करते हो। इसमें कहीं वर्णन है कि तीर्थ जाया कर अर्जुन, बेड़ा पार हो जाएगा। धर्मदास जी ने कहा, नहीं प्रभु ! गीता में कहीं पर भी प्रभु का आदेश ऐसा नहीं लिखा है।
परमेश्वर जी ने कहा कि गीता अध्याय 16 श्लोक 23 को पढ़। उसके अनुसार तो यह तीर्थ यात्रा शास्त्र में वर्णित न होने से व्यर्थ साधना है।
यदि आपके तत्वज्ञानहीन गुरूओं की मानें कि तीर्थ पर जाने से पुण्य लगता है। फिर पुण्य तो एक लगा और पाप लगे करोड़ों - अरबों - खरबों।
यह सुनकर सेठ धर्मदास अंध श्रद्धा भक्ति करने वाला काँप गया और उसका गला सूख गया। बोला कि हे जिंदा ! इतने पाप कैसे लगे? कृपा समझाईये।
• परमेश्वर कबीर जी (जिंदा वेशधारी प्रभु) ने समाधान इस प्रकार कियाः- > कहा कि हे धर्मदास ! आप बांधवगढ़ से मथुरा नगरी में वृंदावन में आए हो। बांधवगढ़ यहाँ से लगभग दो सौ पचास कोस (लगभग सात सौ पचास कि.मी.) है। वहाँ से यहाँ तक पैरों चलकर आने से आपके द्वारा अनेकों जीव हिंसा हो गई है। आपने इस मथुरा तीर्थ के जल में स्नान किया। करोड़ों सूक्ष्म जीव भी तीर्थ के जल में थे जो आपके स्नान करने से रगड़ लगने से मारे गए तथा आप जी ने भोजन बनाने से पहले जो चौंका गॉरा तथा गाय के गोबर से लीपा, उसमें उसी जल का प्रयोग किया तथा पृथ्वी पर उपस्थित जीव चौका लीपते समय करोड़ों जीव मारे गए। यह सब पाप आपको लगे। आप बताओ कि आप लाभ का सौदा कर रहे हो या घाटे का ? धर्मदास जी के मुख से कोई बात नहीं निकली, उत्तर नहीं आया क्योंकि वह भय के कारण ��्तब्ध हो गया था। कुछ क्षण के पश्चात् परमात्मा जिंदा वेशधारी के चरणों में गिर गया तथा यथार्थ शास्त्रोक्त भक्ति बताने की याचना की। परमात्मा कबीर जी ने शास्त्रों में वर्णित साधना करने को बताई तथा अन्य सब आन-उपासना यानि पाखण्ड पूजा त्यागने को कहा। धर्मदास जी विवेकी थे। ढ़ेर सारे प्रश्न-उत्तर करके समझ गए। अपने कल्याण का मार्ग जान लिया ओर अपनी पत्नी को समझाकर सतगुरु कबीर जी से दीक्षा दिलाकर अपना तथा अपने परिवार को शास्त्रोक्त साधना पर लगाया। भक्ति का पूर्ण लाभ प्राप्त किया। • धर्मदास जी को कबीर परमेश्वर जी एक साधु (जिंदा बाबा) के वेश में मिले थे। जो तीर्थों पर भ्रमण कर रहा था तथा सब देवी-देवताओं की पूजा किया करता था। उसे परमेश्वर जी ने समझाया कि हे धर्मदास ! तेरी साधना गलत है। धर्मदास जी ने अनेकों शंकाओं का समाधान जाना।
उनमें से एक यह भी थी कि :-
वैष्णों देवी, नैना देवी, ज्वाला देवी तथा अन्नपूर्णा देवी के मंदिरों की स्थापना"
•••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••
आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। Sant Rampal Ji Maharaj YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
https://online.jagatgururampalji.org/naam-diksha-inquiry
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pradeep-chauhan · 6 months ago
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#हिन्दूसाहेबान_नहींसमझे_गीतावेदपुराणPart63 के आगे पढिए.....)
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#हिन्दूसाहेबान_नहींसमझे_गीतावेदपुराणpart64
आठवां अध्याय"
"तीर्थ तथा धाम क्या हैं?"
प्रश्न 45 तीर्थों, धामों पर श्रद्धा से दर्शनार्थ तथा पूजा करने से हिन्दू गुरुजन बहुत पुण्य बताते हैं। यह साधना लाभदायक है या नहीं? कृप्या शास्त्रों के अनुसार बताएँ।
उत्तर :- तीर्थ या धाम वे पवित्र स्थान हैं जहाँ पर या तो किसी महापुरूष का जन्म हुआ था या निर्वाण (परलोक वास) हुआ था या किसी साधक ने साधना की थी या कोई अन्य ऋषि या देवी-देव की कथा से जुड़ी यादगारें हैं।
विचार करें: पवित्र तीर्थ तथा पवित्र धाम तो यादगारें हैं कि यहाँ पर ऐसी घटना घटी थी ताकि उनका प्रमाण बना रहे।
उदाहरण: जैसे अमरनाथ धाम है। उसकी कथा का सर्व हिन्दुओं को ज्ञान है कि उस एकान्त स्थान पर श्री शिव जी ने अपनी पत्नी पार्वती जी को नाम दीक्षा दी थी जिसका देवी जी जाप कर रही हैं। जिस मन्त्र की साधना के प्रभाव से उनको अमरत्व प्राप्त हुआ है।
वर्तमान में वह एक यादगार के अतिरिक्त कुछ नहीं है। वह प्रमाण है कि यहाँ पर वास्तव में देवी जी को श्री शिव भगवान ने अमर होने का मन्त्र दिया था। यदि किसी को विश्वास नहीं हो रहा हो तो वहाँ जाकर देखकर भ्रम मिटा सकता है। परन्तु कोई यह कहे कि उस स्थान के दर्शन करने तथा वहाँ दान, धर्म करने से मुक्ति मिलेगी या भक्ति लाभ होगा, ऐसा कुछ नहीं है। रही बात दान धर्म करने की, आप कहीं पर भी धर्म का कार्य करो, आपको उसका फल मिलेगा क्योंकि वह आपको शुभ कर्मों में परमात्मा उसी समय लिख देता है। जैसे कोई व्यक्ति एकान्त स्थान पर कोई हत्या या अन्य अपराध करता है तो उसके अशुभ कर्मों में लिखा जाता है, उसका फल अवश्य मिलता है। इसलिए पुण्य का कार्य कहीं पर करो। उसका फल तो मिलेगा। पुण्य करने के लिए दूर स्थान तीर्थ पर जाना बुद्धिमता नहीं। यही प्रश्न एक समय जिंदा साधु के रूप में मथुरा में प्रकट परमेश्वर कबीर जी से एक तीर्थ यात्री श्री धर्मदास सेठ द्वारा किया गया था जो मथुरा तीर्थ पर स्नानार्थ तथा दान-धर्म करने के लिए अपने गुरू रूपदास वैष्णव के बताए भक्ति कर्म को करने 'बांधवगढ़' नामक नगर (मध्य प्रदेश) से आया था। परमात्मा ने उसे समझाया था कि यहाँ मथुरा-वृन्दावन में वर्तमान में श्री कृष्ण जी नहीं हैं और विचार कर कि जब श्री कृष्ण जी ही इस स्थान को त्यागकर हजारों कि. मी. दूर द्वारिका में सपरिवार तथा सर्व यादवों को लेकर चले गए थे तो इस स्थान का महत्व ही क्या रह गया? यह तो एक यादगार है कि कभी श्री कृष्ण जी ने कुछ समय यहाँ बिताया था। कंस, केशी तथा चाणूर अन्यायियों को मारा था। परमात्मा ने कहा कि हे धर्मदास ! आप गीता शास्त्र को साथ लिए हो, इसका नित्य पाठ भी करते हो। इसमें कहीं वर्णन है कि तीर्थ जाया कर अर्जुन, बेड़ा पार हो जाएगा। धर्मदास जी ने कहा, नहीं प्रभु ! गीता में कहीं पर भी प्रभु का आदेश ऐसा नहीं लिखा है।
परमेश्वर जी ने कहा कि गीता अध्याय 16 श्लोक 23 को पढ़। उसके अनुसार तो यह तीर्थ यात्रा शास्त्र में वर्णित न होने से व्यर्थ साधना है।
यदि आपके तत्वज्ञानहीन गुरूओं की मानें कि तीर्थ पर जाने से पुण्य लगता है। फिर पुण्य तो एक लगा और पाप लगे करोड़ों - अरबों - खरबों।
यह सुनकर सेठ धर्मदास अंध श्रद्धा भक्ति करने वाला काँप गया और उसका गला सूख गया। बोला कि हे जिंदा ! इतने पाप कैसे लगे? कृपा समझाईये।
• परमेश्वर कबीर जी (जिंदा वेशधारी प्रभु) ने समाधान इस प्रकार कियाः- > कहा कि हे धर्मदास ! आप बांधवगढ़ से मथुरा नगरी में वृंदावन में आए हो। बांधवगढ़ यहाँ से लगभग दो सौ पचास कोस (लगभग सात सौ पचास कि.मी.) है। वहाँ से यहाँ तक पैरों चलकर आने से आपके द्वारा अनेकों जीव हिंसा हो गई है। आपने इस मथुरा तीर्थ के जल में स्नान किया। करोड़ों सूक्ष्म जीव भी तीर्थ के जल में थे जो आपके स्नान करने से रगड़ लगने से मारे गए तथा आप जी ने भोजन बनाने से पहले जो चौंका गॉरा तथा गाय के गोबर से लीपा, उसमें उसी जल का प्रयोग किया तथा पृथ्वी पर उपस्थित जीव चौका लीपते समय करोड़ों जीव मारे गए। यह सब पाप आपको लगे। आप बताओ कि आप लाभ का सौदा कर रहे हो या घाटे का ? धर्मदास जी के मुख से कोई बात नहीं निकली, उत्तर नहीं आया क्योंकि वह भय के कारण स्तब्ध हो गया था। कुछ क्षण के पश्चात् परमात्मा जिंदा वेशधारी के चरणों में गिर गया तथा यथार्थ शास्त्रोक्त भक्ति बताने की याचना की। परमात्मा कबीर जी ने शास्त्रों में वर्णित साधना करने को बताई तथा अन्य सब आन-उपासना यानि पाखण्ड पूजा त्यागने को कहा। धर्मदास जी विवेकी थे। ढ़ेर सारे प्रश्न-उत्तर करके समझ गए। अपने कल्याण का मार्ग जान लिया ओर अपनी पत्नी को समझाकर सतगुरु कबीर जी से दीक्षा दिलाकर अपना तथा अपने परिवार को शास्त्रोक्त साधना पर लगाया। भक्ति का पूर्ण लाभ प्राप्त किया। • धर्मदास जी को कबीर परमेश्वर जी एक साधु (जिंदा बाबा) के वेश में मिले थे। जो तीर्थों पर भ्रमण कर रहा था तथा सब देवी-देवताओं की पूजा किया करता था। उसे परमेश्वर जी ने समझाया कि हे धर्मदास ! तेरी साधना गलत है। धर्मदास जी ने अनेकों शंकाओं का समाधान जाना।
उनमें से एक यह भी थी कि :-
वैष्णों देवी, नैना देवी, ज्वाला देवी तथा अन्नपूर्णा देवी के मंदिरों की स्थापना"
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आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। Sant Rampal Ji Maharaj YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
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dainiksamachar · 1 year ago
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राजनीतिक रसूख, दबंगई और पुलिस की लापरवाही का परिणाम देवरिया नरसंहार, NBT ग्राउंड रिपोर्ट
देवरिया: देवरिया जिले के रूद्रपुर कोतवाली क्षेत्र के फतेहपुर गांव के लेड़हा टोला में हुई घटना पूर्व जिला पंचायत सदस्य प्रेम यादव के राजनीतिक रसूख और उसकी दबंगई का परिणाम है। पुलिस भी इस मामले में कम दोषी नहीं है। क्योंकि साल 2014 से शुरू हुए इस विवाद में दोनों पक्षों के बीच कई बार विवाद हुआ और मामला पुलिस तक भी पहुंचा। मगर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। जिसका नतीजा इस नरसंहार के रूप में सामने आया। रुद्रपुर थाने पर भी प्रेम यादव की अच्छी पहुंच थी। जमीनों को दबंगई से कब्जा करता था पूर्व जिला पंचायत सदस्य फतेहपुर गांव के अभयपुर टोला निवासी पूर्व जिला पंचायत सदस्य प्रेम यादव काफी दबंग किस्म का व्यक्ति था। उसकी मां दो बार गांव की प्रधान रही है। प्रेम यादव एक बार जिला पंचायत सदस्य भी रहा है। गांव में प्रेम का काफी दबदबा है।बताया जाता है कि प्रेम इलाके की विवादित जमीनों को औने पौने दाम पर खरीद कर जबरिया उस पर कब्जा करता है और महंगे दामों में बेचता था। गांव का कोई भी व्यक्ति उसके खिलाफ बोलने की हिम्मत नहीं जुटा पाता।रुद्रपुर थाने पर भी प्रेम यादव की गहरी पहुंच थी। क्योंकि एडीजी जोन अखिल कुमार के सामने रुद्रपुर के कोतवाल नवीन सिंह ने इस बात को स्वीकार किया है कि प्रेम यादव अक्सर थाने पर काफी आना जाना था। सत्य प्रकाश दुबे के भाई की 10 बीघा जमीन प्रेम ने कर लिया था बैनामा साल 2014 में प्रेम यादव ने फतेहपुर गांव के ही लेड़हा टोला के निवासी सत्य प्रकाश दुबे के भाई साधू दूबे की लगभग 10 बीघा जमीन औने पौने दाम पर अपने नाम बैनामा करा लिया। साधु दूबे शादी नहीं हुई थी।बताया जाता है कि जमीन बैनामा कराने के बाद प्रेम यादव ने कुछ दिनों तक साधू को अपने घर में रखा और बाद में गुजरात भगा दिया। इधर साधु और उनके भाई सत्य प्रकाश दुबे के बीच जमीन का कागजी बंटवारा ना होने की वजह से प्रेम ने सत्य प्रकाश के हिस्से की कुछ जमीन पर भी कब्जा करने की फिराक में था।बैनामा के खिलाफ सत्य प्रकाश दूबे ने तहसील में आपत्ति भी दाखिल किया था। मगर प्रेम यादव ने प्रभाव के चलते आपत्ति खारिज दाखिल करवा लिया। सत्य प्रकाश दुबे ने इस मामले में दीवानी में मुकदमा भी दाखिल किया था।बताया जाता है कि मुकदमा वापस लेने के लिए प्रेम यादव सत्य प्रकाश को धमकी देता था। इस बात को लेकर दोनों पक्षों में कई बार विवाद भी हुआ और मामला पुलिस तक भी पहुंचा। मगर प्रेम के रसूख के चलते कोई विशेष कार्यवाही नहीं हुई। सोमवार की सुबह सत्य प्रकाश दुबे के घर पहुंचा था प्रेम सोमवार की सुबह प्रेम UP 52 बीपी 9731 नंबर की बाइक से सत्य प्रकाश दुबे के घर पहुंचा था। हालांकि प्रेम यादव की पत्नी के मुताबिक दुबे परिवार के लोगों ने फोन करके प्रेम को अपने घर बुलाया था। मगर दबी जुबान से कुछ लोगों ने बताया कि प्रेम दुबे के घर मुकदमा वापस करने के लिए दबाव बनाने पहुंचा था। जहां सत्य प्रकाश और प्रेम के बीच विवाद शुरू हो गया।विवाद के दौरान ही प्रेम यादव की सत्य प्रकाश दुबे के दरवाजे पर हत्या हो गई। इस बात की खबर मिलते ही प्रेम पक्ष के दर्जनों लोग राइफल बंदूक और लाठी डंडों से लैस होकर सत्य प्रकाश के घर पहुंचे और हमला बोल दिया।इस घटना में सत्य प्रकाश दुबे का पूरा परिवार ही समाप्त हो गया। सत्य प्रकाश उनकी पत्नी,दो बेटियां और एक बेटे की हमलावर ने मौके पर ही हत्या कर दी। जबकि उनका एक 8 वर्षीय बेटा अनमोल गंभीर रूप से घायल हो गया। गोरखपुर मेडि��ल कॉलेज में उसका इलाज चल रहा है। http://dlvr.it/SwvC2C
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karanaram · 3 years ago
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🚩बॉबी देओल और प्रकाश झा को जनता ने दौड़ा दौड़ा कर पीटा, किया मुंह काला - 25 अक्टूबर 2021
🚩भारत में षड्यंत्र के तहत 'आश्रम' नाम से एक वेब सरीज चल रही है, जिसके 2 पार्ट रिलीज हो चुके हैं, इस वेब सीरीज में त्याग-तपस्या से जीने वाले हिन्दू संतों का अपमान किया गया है, उन्हें हर गलत काम करने वाला बताया गया है, लेकिन अब जनता जागरूक हो चुकी है, उनको लग रहा है कि भारत के साधु-संतों को षड्यंत्र के तहत खत्म करने की साजिश चल रही है, इसीको ले कर जनता में भारी रोष है।
🚩इसी वेब सीरीज के पार्ट 3 के लिए भोपाल में शूटिंग चल रही थी। जैसे ही जनता को इस बात की भनक लगी लोग शूटिंग के स्थान पर पहुंच गए, डायरेक्टर प्रकाश झा और एक्टर बॉबी देओल से लोगों ने सवाल जवाब करने शुरू कर दिए। जनता ने पूछा- आप ऐसी वेब सीरीज दूसरे धर्मों के प्रचारकों पर क्यों नहीं बनाते? कई मौलाना मदरसों में बच्चों के साथ गलत काम करते और बलात्कार करते पकड़े गए हैं तो वहीं मुंबई के मिशनरी स्कूल में फादर पर बच्चों से अनैतिक काम करने और बिशप पर बलात्कार का आरोप लग चुका है, इसपर आप वेब सीरीज क्यों नहीं बनाते ?
लेकिन जनता के इन सवालों का जवाब देने के बजाए डायरेक्टर साहब और सुपरस्टार साहब ने उल्टे सीधे भड़काऊ जवाब देते हुए एक बार फिर हिन्दू संत परंपरा और साधु-संतों को बुरा भला कहना शुरू कर दिया। उनके घृणित बयानों को सुनकर जनता और उत्तेजित हो गई और डायरेक्टर प्रकाश झा और एक्टर बॉबी देओल की जमकर धुनाई कर दी, इसके बाद डायरेक्टर प्रकाश झा का मुंह काला कर दिया गया।
अपने आपको बड़ा डायरेक्टर समझने वाले और अपने आपको सुपरस्टार समझने वाले स्थिति की गंभीरता का अंदाजा नहीं लगा पाए थे; उन्हें लगा था जनता इनके पैर की जूती है। जैसे ही जनता ने इनकी धुनाई की इनका भूत काफूर हो गया और पूरी टीम सर पर पैर रख कर भाग खड़ी हुई।
🚩आशा करते हैं कि इस घटना से बाकी के डायरेक्टर और एक्टर भी सबक लेंगे और देश की बहुसंख्यक जनता की भावनाओं का ख्याल रखकर फिल्में एवं वेब सीरीज बनाएंगे क्योंकि अब जनता जागरूक हो चुकी है; इसे हल्के में लेने की गलती जो भी करेगा वो अंजाम भुगतेगा।
🚩देखा जाए तो चर्चों में बलात्कार के हजारों किस्से आ चुके हैं, मदरसों में भी यौन शोषण के कई किस्से आ चुके हैं पर अभी तक उसपर फ़िल्म कोई न बनाता है और न ही कोई हिम्मत करता है क्योंकि उसके लिए एक तो फंडिंग नहीं होगी और दूसरी ओर कमलेश तिवारी की तरह हत्या किए जाने का भय है; इसलिए वास्तव में जहाँ पर गड़बड़ी हो रही है उसपर वे ध्यान नहीं देते हैं पर हिंदू सहिष्णु हैं और उनके खिलाफ षड्यंत्र रचने के लिए भारी फंडिंग होती है इसके कारण प्रकाश झा जैसे जयचंद हिंदू विरोधी फिल्में बनाते हैं।
🚩वास्तवि��ता तो यह है कि कितने साधु-संतों ने घोर तपस्या की है फिर वे समाज में आकर सबको सही मार्ग दिखाते हैं, समाज को व्यसनमुक्त बनाने का प्रयास करते हैं, समाज को संयमी और सदाचारी बनाते हैं, गरीबों-आदिवासियों की सहायता करते हैं, गौ माता की रक्षा करते हैं। बच्चों, युवाओं व महिलाओं के उत्थान के लिए केंद्र खोलते हैं। धर्मान्तरण पर रोक लगाते हैं। चिंता, टेंशन में रह रहे लोगों को शांति देते हैं, स्वदेशी का प्रचार करते हैं, सभी को स्वस्थ, सुखी और सम्मानित जीवन जीने की कला सिखाते हैं। राष्ट्र व धर्म की रक्षा के लिए अपना संपूर्ण जीवन समर्पित कर देते हैं।
🚩सभी देशवासियों को आश्रम जैसी वेब सीरीज और हिंदू विरोधी फिल्मों का सम्पूर्ण तरीके से बहिष्कार करना चाहिए।
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manojdasblog · 3 years ago
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#कबीर_बड़ा_या_कृष्ण_Part50
‘‘तीर्थ तथा धाम क्या हैं?’’
प्रश्न:- तीर्थों, धामों पर श्रद्धा से दर्शनार्थ तथा पूजा करने से हिन्दू गुरुजन बहुत पुण्य बताते हैं। यह साधना लाभदायक है या नहीं? कृप्या शास्त्रों के अनुसार बताऐं।
उत्तर:- तीर्थ या धाम वे पवित्र स्थान हैं जहाँ पर या तो किसी महापुरूष का जन्म हुआ था या निर्वाण (परलोक वास) हुआ था या किसी साधक ने साधना की थी या कोई अन्य ऋषि या देवी-देव की कथा से जुड़ी यादगारें हैं।
विचार करें:- पवित्र तीर्थ तथा पवित्र धाम तो यादगारें हैं कि यहाँ पर ऐसी घटना घटी थी ताकि उनका प्रमाण बना रहे।
उदाहरण:- जैसे अमरनाथ धाम है। उसकी कथा का सर्व हिन्दुओं को ज्ञान है कि उस एकान्त स्थान पर श्री शिव जी ने अपनी पत्नी पार्वती जी को नाम दीक्षा दी थी जिसका देवी जी जाप कर रही हैं। जिस मन्त्र की साधना के प्रभाव से उनको अमरत्व प्राप्त हुआ है। वर्तमान में वह एक यादगार के अतिरिक्त कुछ नहीं है। वह प्रमाण है कि यहाँ पर वास्तव में देवी जी को श्री शिव भगवान ने अमर होने का मन्त्र दिया था। यदि किसी को विश्वास नहीं हो रहा हो तो वहाँ जाकर देखकर भ्रम मिटा सकता है। परन्तु कोई यह कहे कि उस स्थान के दर्शन करने तथा वहाँ दान-धर्म करने से मुक्ति मिलेगी या भक्ति लाभ होगा, ऐसा कुछ नहीं है। रही बात दान धर्म करने की, आप कहीं पर भी धर्म का कार्य करो, आपको उसका फल मिलेगा क्योंकि वह आपको शुभ कर्मों में परमात्मा उसी समय लिख देता है। जैसे कोई व्यक्ति एकान्त स्थान पर कोई हत्या या अन्य अपराध करता है तो उसके अशुभ कर्मों में लिखा जाता है, उसका फल अवश्य मिलता है।
इसलिए पुण्य का कार्य कहीं पर करो। उसका फल तो मिलेगा। पुण्य करने के लिए दूर स्थान तीर्थ पर जाना बुद्धिमता नहीं। यही प्रश्न एक समय जिंदा साधु के रूप में मथुरा में प्रकट परमेश्वर कबीर जी से एक तीर्थ यात्री श्री धर्मदास सेठ द्वारा किया गया था जो मथुरा तीर्थ पर स्नानार्थ तथा दान-धर्म करने के लिए अपने गुरू रूपदास वैष्णव के बताए भक्ति कर्म को करने ‘बांधवगढ़’ नामक नगर (मध्य प्रदेश) से आया था। परमात्मा ने उसे समझाया था कि यहाँ मथुरा-वृन्दावन में वर्तमान में श्री कृष्ण जी नहीं हैं और विचार कर कि जब श्री कृष्ण जी ही इस स्थान को त्यागकर हजारों कि.मी. दूर द्वारिका में सपरिवार तथा सर्व यादवों को लेकर चले गए थे तो इस स्थान का महत्व ही क्या रह गया? यह तो एक यादगार है कि कभी श्री कृष्ण जी ने कुछ समय यहाँ बिताया था। कंस, केशी तथा चाणूर अन्यायियों को मारा था। परमात्मा ने कहा कि हे धर्मदास! आप गीता शास्त्रा को साथ लिए हो, इसका नित्य पाठ भी करते हो। इसमें कहीं वर्णन है कि तीर्थ जाया कर अर्जुन, बेड़ा पार हो जाएगा। धर्मदास जी ने कहा, नहीं प्रभु! गीता में कहीं पर भी प्रभु का आदेश ऐसा नहीं लिखा है। परमेश्वर जी ने कहा कि गीता अध्याय 16 श्लोक 23 को पढ़ें। उसके अनुसार तो यह तीर्थ यात्र शास्त्र में वर्णित न होने से व्यर्थ साधना है।
यदि आपके तत्वज्ञानहीन गुरूओं की मानें कि तीर्थ पर जाने से पुण्य लगता है। फिर पुण्य तो एक लगा और पाप लगे करोड़ों-अरबों-खरबों। यह सुनकर सेठ धर्मदास अंध श्रद्धा भक्ति करने वाला काँप गया और उसका गला सूख गया। बोला कि हे जिंदा! इतने पाप कैसे लगे? कृपा समझाईये।
परमेश्वर कबीर जी (जिंदा वेशधारी प्रभु) ने समाधान इस प्रकार किया:- कहा कि हे धर्मदास! आप बांधवगढ़ से मथुरा नगरी में वृंदावन में आए हो। बांधवगढ़ यहाँ से लगभग दो सौ पचास कोस (लगभग सात सौ पचास कि.मी.) है। वहाँ से यहाँ तक पैरों चलकर आने से आपके द्वारा अनेकों जीव हिंसा हो गई है। आपने इस मथुरा तीर्थ के जल में स्नान किया। करोड़ों सूक्ष्म जीव भी तीर्थ के जल में थे जो आपके स्नान करने से रगड़ लगने से मारे गए तथा आप जी ने भोजन बनाने से पहले जो चैंका गाॅरा तथा गाय के गोबर से लीपा, उसमें उसी जल का प्रयोग किया तथा पृथ्वी पर उपस्थित जीव चैंका लीपते समय करोड़ों जीव मारे गए। यह सब पाप आपको लगे। आप बताओ कि आप लाभ का सौदा कर रहे हो या घाटे का? धर्मदास जी के मुख से कोई बात नहीं निकली, उत्तर नहीं आया क्योंकि वह भय के कारण स्तब्ध हो गया था। कुछ क्षण के पश्चात् परमात्मा जिंदा वेशधारी के चरणों में गिर गया तथा यथार्थ शास्त्रोक्त भक्ति बताने की याचना की। परमात्मा कबीर जी ने शास्त्रों में वर्णित साधना करने को बताई तथा अन्य सब आन-उपासना यानि पाखण्ड पूजा त्यागने को कहा। धर्मदास जी विवेकी थे। ढ़ेर सारे प्रश्न-उत्तर करके समझ गए। अपने कल्याण का मार्ग जान लिया ओर अपनी पत्नी को समझाकर सतगुरू कबीर जी से दीक्षा दिलाकर अपना तथा अपने परिवार को शास्त्रोक्त साधना पर लगाया। भक्ति का पूर्ण लाभ प्राप्त किया।
धर्मदास जी को कबीर परमेश्वर जी एक साधु (जिंदा बाबा) के वेश में मिले थे। जो तीर्थों पर भ्रमण कर रहा था तथा सब देवी-देवताओं की पूजा किया करता था। उसे परमेश्वर जी ने समझाया कि हे धर्मदास! तेरी साधना गलत है। धर्मदास जी ने अनेकों शंकाओं का समाधान जाना।
•••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••
आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। Sant Rampal Ji Maharaj YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
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todaypostlive · 3 years ago
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चार बच्चो की मां की पत्थर से कूचकर हत्या, पुलिस जांच में जुटी
चार बच्चो की मां की पत्थर से कूचकर हत्या, पुलिस जांच में जुटी
गुमला।अज्ञात अपराधियों ने गुरूवार को एक महिला सुनीता उरांव (32) की पत्थर से कूचकर हत्या कर दी। हत्या के पश्चात महिला का धारदार हथियार से गला रेतने की भी बात सामने आया है। घटना की सूचना मिलने पर शुक्रवार को पहुंची पुलिस घटना का निरीक्षण कर शव को थाने परिसर में लाया गया, जहां उसकी पहचान ग्राम दोदांग निवासी श्यामदेव उरांव की बहन के रूप में किया गया। घटना घाघरा थाना क्षेत्र के हापामुनी साधु टोंगरी …
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khsnews · 3 years ago
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बेटे को पंखे से लटका देख परिजनों को सूचना दी, चाचा ने हत्या का आरोप लगाया, ससुराल वाले मौके से फरार हो गए। पंखे से लटका देख बेटे ने परिजनों को दी सूचना, चाचाओं ने लगाया हत्या का आरोप, ससुराल वाले मौके से फरार हो गए.
बेटे को पंखे से लटका देख परिजनों को सूचना दी, चाचा ने हत्या का आरोप लगाया, ससुराल वाले मौके से फरार हो गए। पंखे से लटका देख बेटे ने परिजनों को दी सूचना, चाचाओं ने लगाया हत्या का आरोप, ससुराल वाले मौके से फरार हो गए.
फिरोजाबादएक घंटे पहले लिंक की प्रतिलिपि करें पुलिस मामले की जांच कर रही है। उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद में विवाहिता का शव पंखे से लटका मिला। चाचा ने ससुराल वालों पर हत्या का आरोप लगाया है। घटना के बाद से ससुराल वाले फरार चल रहे हैं। पूरा मामला माखनपुर थाना क्षेत्र के जहांगीरपुर गली का है. साधु गंज शिकोहाबाद निवासी 27 वर्षीय अर्चना बेट्टी पप्पू की शादी करीब आठ साल पहले जहांगीरपुर स्ट्रीट निवासी…
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aloksharmamzn · 4 years ago
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*मेरठ में साधु को ईंट से कूचकर मार डाला:मारने के बाद मेन रोड पर शव फेंककर भाग खड़े हुए हत्यारे, तोंबी मठ की देखभाल करते थे चंद्रपाल; आक्रोशित भीड़ ने पुलिस अफसरों को घेरा* मेरठ में सोमवार की रात तोंबी मठ के साधु को ईंट से कूचकर मार डाला गया। शव को मेन रोड पर फेंककर हत्यारे भाग खड़े हुए। सुबह लोगों ने शव देखा तो हंगामा शुरू हो गया। मौके पर पहुंचे पुलिस अफसरों का लोगों ने घेराव कर दिया। अभी तक हत्या का कारण और हत्यारों के बारे में कुछ पता नहीं चल पाया है। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। *खाली पड़े मकान में मारा और लाश सड़क पर फेंक दी* घटना मुंडाली थाना क्षेत्र के बढला कैथवाड़ा की है। यहां रहने वाले चंद्रपाल उर्फ सुक्की (45) चंडी बाबा मंदिर के पास तोंबी मठ के साधु थे। सोमवार देर रात गांव के बीच स्थित जगपाल कश्यप के बरसों से खाली पड़े मकान में इनकी ईंट और पत्थर से पीटकर हत्या कर दी गई। घटना के बाद शव को मकान के बाहर मेन रोड पर फेंककर हत्यारे भाग खड़े हुए। लोगों ने हंगामा किया तो CO किठौर ने लेागों को समझाया। पूरे मामले में फॉरेंसिक एक्सपर्ट और पुलिस की टीमें जांच में जुट गईं हैं। *भारी पुलिस फोर्स मौके पर पहुंचा* साधु की हत्या की सूचना पर SO मुंडाली रवि चंद्रवाल फोर्स के साथ मौके पर पहुंचे। इस दौरान ग्रामीणों ने नारेबाजी शुरू कर दी। CO किठौर बृजेश सिंह भी मौके पर पहुंच गए और ग्रामीणों को समझाने का प्रयास किया। इसके बाद डॉग स्क्वाड और फोरेंसिक एक्सपर्ट टीम को मौके पर बुलाया गया। अन्य थानों से भी फोर्स लगा दी गई है। कुछ दूरी पर पुलिस को मौके से शराब, कोल्ड ��्रिंक की बोतल और भांग की पुड़िया भी मिली है। *कोई रंजिश नहीं थी* मकान में खून पड़ा देख वहीं पर हत्या की आशंका जताई जा रही है। पुलिस की तमाम टीमें मामले की जांच पड़ताल में लगी हैं। साधू बढला कैथवाड़ा के ही मूल निवासी थे। पांच भाईयों में दूसरे नंबर के सुक्की महाराज अविवाहित थे। उनकी गांव में कोई रंजिश नही थी। अक्सर जंगल में रहने वाले सुक्की महाराज सोमवार को गांव में देखे गए थे। जो 15 साल से मंदिर के मठ पर पूजा करते थे। C0 बृजेश सिंह का कहना है कि मामले की जांच की जा रही है। सिर में चोट के निशान मिले हैं। ऐसे में जांच में यह लग रहा है कि ईट या किसी अन्य ठोस वस्तु से पीटकर हत्या को अंजाम दिया गया है। *4 किलोमीटर दूर है मंदिर का मठ* बदला कैथवाड़ा निवासी साधु लंबे समय से मठ की देखरेख करते थे। जो कम ही अपने मूल गांव या अन्य स्थानों पर जाते थे। रात में मठ के पास ही रहते थे। उनके गांव से करीब 4 किलोमीटर https://www.instagram.com/p/CQuI-DmrjmQ/?utm_medium=tumblr
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jyotis-things · 6 months ago
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#हिन्दूसाहेबान_नहींसमझे_गीतावेदपुराणPart63 के आगे पढिए.....)
📖📖📖
#हिन्दूसाहेबान_नहींसमझे_गीतावेदपुराणpart64
आठवां अध्याय"
"तीर्थ तथा धाम क्या हैं?"
प्रश्न 45 तीर्थों, धामों पर श्रद्धा से दर्शनार्थ तथा पूजा करने से हिन्दू गुरुजन बहुत पुण्य बताते हैं। यह साधना लाभदायक है या नहीं? कृप्या शास्त्रों के अनुसार बताएँ।
उत्तर :- तीर्थ या धाम वे पवित्र स्थान हैं जहाँ पर या तो किसी महापुरूष का जन्म हुआ था या निर्वाण (परलोक वास) हुआ था या किसी साधक ने साधना की थी या कोई अन्य ऋषि या देवी-देव की कथा से जुड़ी यादगारें हैं।
विचार करें: पवित्र तीर्थ तथा पवित्र धाम तो यादगारें हैं कि यहाँ पर ऐसी घटना घटी थी ताकि उनका प्रमाण बना रहे।
उदाहरण: जैसे अमरनाथ धाम है। उसकी कथा का सर्व हिन्दुओं को ज्ञान है कि उस एकान्त स्थान पर श्री शिव जी ने अपनी पत्नी पार्वती जी को नाम दीक्षा दी थी जिसका देवी जी जाप कर रही हैं। जिस मन्त्र की साधना के प्रभाव से उनको अमरत्व प्राप्त हुआ है।
वर्तमान में वह एक यादगार के अतिरिक्त कुछ नहीं है। वह प्रमाण है कि यहाँ पर वास्तव में देवी जी को श्री शिव भगवान ने अमर होने का मन्त्र दिया था। यदि किसी को विश्वास नहीं हो रहा हो तो वहाँ जाकर देखकर भ्रम मिटा सकता है। परन्तु कोई यह कहे कि उस स्थान के दर्शन करने तथा वहाँ दान, धर्म करने से मुक्ति मिलेगी या भक्ति लाभ होगा, ऐसा कुछ नहीं है। रही बात दान धर्म करने की, आप कहीं पर भी धर्म का कार्य करो, आपको उसका फल मिलेगा क्योंकि वह आपको शुभ कर्मों में परमात्मा उसी समय लिख देता है। जैसे कोई व्यक्ति एकान्त स्थान पर कोई हत्या या अन्य अपराध करता है तो उसके अशुभ कर्मों में लिखा जाता है, उसका फल अवश्य मिलता है। इसलिए पुण्य का कार्य कहीं पर करो। उसका फल तो मिलेगा। पुण्य करने के लिए दूर स्थान तीर्थ पर जाना बुद्धिमता नहीं। यही प्रश्न एक समय जिंदा साधु के रूप में मथुरा में प्रकट परमेश्वर कबीर जी से एक तीर्थ यात्री श्री धर्मदास सेठ द्वारा किया गया था जो मथुरा तीर्थ पर स्नानार्थ तथा दान-धर्म करने के लिए अपने गुरू रूपदास वैष्णव के बताए भक्ति कर्म को करने 'बांधवगढ़' नामक नगर (मध्य प्रदेश) से आया था। परमात्मा ने उसे समझाया था कि यहाँ मथुरा-वृन्दावन में वर्तमान में श्री कृष्ण जी नहीं हैं और विचार कर कि जब श्री कृष्ण जी ही इस स्थान को त्यागकर हजारों कि. मी. दूर द्वारिका में सपरिवार तथा सर्व यादवों को लेकर चले गए थे तो इस स्थान का महत्व ही क्या रह गया? यह तो एक यादगार है कि कभी श्री कृष्ण जी ने कुछ समय यहाँ बिताया था। कंस, केशी तथा चाणूर अन्यायियों को मारा था। परमात्मा ने कहा कि हे धर्मदास ! आप गीता शास्त्र को साथ लिए हो, इसका नित्य पाठ भी करते हो। इसमें कहीं वर्णन है कि तीर्थ जाया कर अर्जुन, बेड़ा पार हो जाएगा। धर्मदास जी ने कहा, नहीं प्रभु ! गीता में कहीं पर भी प्रभु का आदेश ऐसा नहीं लिखा है।
परमेश्वर जी ने कहा कि गीता अध्याय 16 श्लोक 23 को पढ़। उसके अनुसार तो यह तीर्थ यात्रा शास्त्र में वर्णित न होने से व्यर्थ साधना है।
यदि आपके तत्वज्ञानहीन गुरूओं की मानें कि तीर्थ पर जाने से पुण्य लगता है। फिर पुण्य तो एक लगा और पाप लगे करोड़ों - अरबों - खरबों।
यह सुनकर सेठ धर्मदास अंध श्रद्धा भक्ति करने वाला काँप गया और उसका गला सूख गया। बोला कि हे जिंदा ! इतने पाप कैसे लगे? कृपा समझाईये।
• परमेश्वर कबीर जी (जिंदा वेशधारी प्रभु) ने समाधान इस प्रकार कियाः- > कहा कि हे धर्मदास ! आप बांधवगढ़ से मथुरा नगरी में वृंदावन में आए हो। बांधवगढ़ यहाँ से लगभग दो सौ पचास कोस (लगभग सात सौ पचास कि.मी.) है। वहाँ से यहाँ तक पैरों चलकर आने से आपके द्वारा अनेकों जीव हिंसा हो गई है। आपने इस मथुरा तीर्थ के जल में स्नान किया। करोड़ों सूक्ष्म जीव भी तीर्थ के जल में थे जो आपके स्नान करने से रगड़ लगने से मारे गए तथा आप जी ने भोजन बनाने से पहले जो चौंका गॉरा तथा गाय के गोबर से लीपा, उसमें उसी जल का प्रयोग किया त��ा पृथ्वी पर उपस्थित जीव चौका लीपते समय करोड़ों जीव मारे गए। यह सब पाप आपको लगे। आप बताओ कि आप लाभ का सौदा कर रहे हो या घाटे का ? धर्मदास जी के मुख से कोई बात नहीं निकली, उत्तर नहीं आया क्योंकि वह भय के कारण स्तब्ध हो गया था। कुछ क्षण के पश्चात् परमात्मा जिंदा वेशधारी के चरणों में गिर गया तथा यथार्थ शास्त्रोक्त भक्ति बताने की याचना की। परमात्मा कबीर जी ने शास्त्रों में वर्णित साधना करने को बताई तथा अन्य सब आन-उपासना यानि पाखण्ड पूजा त्यागने को कहा। धर्मदास जी विवेकी थे। ढ़ेर सारे प्रश्न-उत्तर करके समझ गए। अपने कल्याण का मार्ग जान लिया ओर अपनी पत्नी को समझाकर सतगुरु कबीर जी से दीक्षा दिलाकर अपना तथा अपने परिवार को शास्त्रोक्त साधना पर लगाया। भक्ति का पूर्ण लाभ प्राप्त किया। • धर्मदास जी को कबीर परमेश्वर जी एक साधु (जिंदा बाबा) के वेश में मिले थे। जो तीर्थों पर भ्रमण कर रहा था तथा सब देवी-देवताओं की पूजा किया करता था। उसे परमेश्वर जी ने समझाया कि हे धर्मदास ! तेरी साधना गलत है। धर्मदास जी ने अनेकों शंकाओं का समाधान जाना।
उनमें से एक यह भी थी कि :-
वैष्णों देवी, नैना देवी, ज्वाला देवी तथा अन्नपूर्णा देवी के मंदिरों की स्थापना"
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आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। Sant Rampal Ji Maharaj YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
https://online.jagatgururampalji.org/naam-diksha-inquiry
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karanaram · 3 years ago
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🚩 उदयपुर की घटना हिंदुओं के…………..29 जून 2022
🚩राजस्थान में तालिबानी हुकूमत है या कांग्रेस का लोकतंत्र ❓❓
🚩उदयपुर में मोहम्मद रियाज अंसारी और मोहम्मद गौस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दी धमकी बोले आज कन्हैयालाल की गर्दन काटी है, कल मोदी की गर्दन भी काट देंगे।
🚩देश के सभी हिंदुओं की मांग है कि ऐसे मुसलमानों को 24 घंटे के अंदर फाँसी दो।
🚩राजस्थान के उदयपुर में 10 दिन पहले नूपुर शर्मा के समर्थन में सोशल मीडिया पर पोस्ट डालने वाले 8 साल के बालक के पिता कन्हैयालाल को 28 जून 2022 मंगलवार को 2 मुसलमानों ने तालिबानी तरीके से मर्डर कर दिया गया। 2 हमलावर मंगलवार को दिनदहाड़े उसकी दुकान में घुसे। तलवार से कई वार किए और उसका गला काट दिया। इस पूरे हमले का वीडियो भी बनाया। इतना ही नहीं, आरोपियों ने घटना के बाद सोशल मीडिया पर पोस्ट डालकर हत्या की जिम्मेदारी भी ली है।
🚩इन मुसलमानों का कहना कि हम नूपुर शर्मा जैसे हर हिंदूवादी,रामभक्त, शिवभक्त की ऐसी ही गला काटकर हत्या करेंगे,ये तो राजस्थान के कांगेस शासन में ही ऐसी हिम्मत कर सकते है,अगर BJP शासन योगी राज में करते तो अब तक ऐसे मुस्लिम दरिंदो के ऊपर बुलडोजर चल गया होता।
🚩उदयपुर के 7 थाना क्षेत्रों में कर्फ्यू लगाया गया है। इसमें धानमंडी, घंटाघर, हाथीपोल, अंबामाता, सूरजपोल, भुपालपुरा और सवीना थाना क्षेत्र शामिल हैं। साथ ही, धारा 144 लागू कर दिया गया है। आरोपियों ने वीडियो के माध्यम से PM नरेंद्र मोदी तक को धमकी दे डाली है। दोनों आरोपी रियाज अंसारी और मोहम्मद गौस को राजसमंद के भीम से शाम 7 बजे गिरफ्तार किया गया है। दोनों उदयपुर के सूरजपोल क्षेत्र के निवासी ।
🚩घटना के बाद हिन्दू संगठनों में आक्रोश व्याप्त हो गया। विभिन्न संगठनों के कार्यकर्ताओं ने देहली गेट पर एकत्रित होकर प्रदर्शन किया और हत्यारों का पुतला फूंका। उन्होंने हत्यारों को फांसी की सजा की मांग की है।
🚩आपको बता दें कि कन्हैयालाल तेली की मालदास स्ट्रीट में भूतमहल के पास सुप्रीम टेलर्स नाम से दुकान है। जहां कपड़ो की नाप देने का बहाने दो मुस्लिम लोगों ने प्रवेश किया और कन्हैयालाल कुछ समझ पाता, उससे पहले उन्होंने उसके उपर हमला कर दिया। गर्दन पर कई वारों के चलते कन्हैयालाल की मौत मौके पर ही हो गई और उसके बाद दोनों लोग फरार हो गए। उन लोगों ने घटना का वीडियो भी बनाया और वायरल भी किया।
🚩वीडियो में दोनों मुसलमानों ने पीएम मोदी की हत्या की धमकी देते हुए कहता है, ”नरेंद्र मोदी सुन ले, आग तूने लगाई है और बुझाएंगे हम, इंसाअल्लाह मैं रब से दुआ करता हूं कि यह छुरा तेरी गर्दन तक भी जरूर पहुंचेगा। उदयपुर वालों नारा लगाओ गुस्ताखे नबी की एक ही सजा, सर तन से जुदा। दुआओं में याद रखना।”
🚩भारत में हिंदुविरोधी ताकतों के मंसूबे इतने बढ़ गए हैं, की पूरे भारत में राज्यों के स्तर पर खूनी खेला चला रहा है!
🚩कश्मीर, केरल, पश्चिम बंगाल के बाद अब राजस्थान की कांग्रेस शासित सरकार मैडम और मौलानाओं को खुश करने के लिए हिंदुओं के खून से हाथ रंगने वाले जेहादियों की पनाहगाह बन रही है!?
🚩जहां अकेले मई के महीने कश्मीर में 7 हिंदुओं की हत्या की गई, जिनमें 3 पुलिस वाले और 3 सामान्य नागरिक थे,वहीं पश्चिम बंगाल में सामूहिक बलात्कार और जनसंहार का खेला पिछले साल मई से को शुरू हुआ था, वो अभी तक थमा नहीं हैं!?
🚩सड़कों पर हिंदुओं का खून ऐसे ही बहेगा तो आखिर कब तक वो केवल हिंदुओं का ही रहेगा?
🚩क्या भारत में कानून नाम की चिड़िया है अभी या शरिया चल रहा है!?
🚩सोशल मीडिया चिल्ला चिल्लाकर याद दिला रहा है…की एक दो जगह नहीं पूरे भारत में मुसलमानों द्वारा हिंदुओं की सिलेक्टिव किलिंग करवाई जा रही है, और पुलिस, सेना, सरकार, हिंदुत्ववादी संगठनों को खुलेआम जेहादी गरिया रहे हैं, गाली दे रहे हैं!?
🚩क्या 2002 की गुजरात की स्थिति आज 2022 में पूरे भारत में दोहराई जायेगी, तब शांति होगी!?
🚩क्या मोपला, नोआखली की तरह हिंदुओं के सब्र का इम्तिहान ले रही है सरकारें या फिर हिंदू सड़कों पर आ जाएं यही उद्देश्य है!?
🚩एक जरूरी बात उदयपुर के वीडियो ने साबित कर दिया है की, हिंदुओं के वोटों से सत्ता शीर्ष पर पहुंचे मोदी का भारतीय मुसलमान युवाओं के बारे में वक्तव्य बि���कुल गलत निकला जैसा वो कहते थे कि मुसलमानों के एक हाथ में कुरान है, और दूसरे में कंप्यूटर है! साफ दिखाई देता है, ये बिल्कुल गलत है, इनके दोनों हाथों में कलमा पढ़ा हुआ छुरा है, तलवार है,सर पर मौलाना की टोपी और चेहरे पर मूंछ साफ दाढ़ी जेहादी हिंदू हत्यारों की पहचान है!
🚩आखिर कब तक हम केवल हिंदू युवक, युवतियों, साधु, संत, समान्य भारतीय जनता के शवों की केवल गिनती करते रहेंगे!?
🚩सत्ता की राजनीति से सनातन धर्म को बचाना है तो राष्ट्रनीति का यही समय है, सही समय है!
🚩ऐसे में भारत सरकार को चाहिए की वो आतंकवाद की निगरानी के लिए एक टास्क फोर्स बनाएं, साथ ही घटना को अंजाम दे रहे ऐसे आतंकी संगठनों के स्लीपर सेल का सफाया किया जाए।
🚩जागों हिन्दू जागों और हिन्दुओ के हत्यारों ��े आर्थिक व्यवहार बंद करो।
🚩भारत के सभी हिन्दू इन मुसलमानों से आर्थिक व्यवहार बन्द कर ,इनकी दुकानों से सामान लेना बन्द करके, इनके पत्थर बाजी , देशी बम का जवाब इनकी दुकानों से सामान लेना बंद करके दे।
🚩इतना तो हर हिन्दू कर सकता हैं।
🚩अब समय आ गया है जब सभी राष्ट्रवादी हिन्दू संगठन एकजुट होकर कट्टरपन्त के विरुद्ध, सत्य के पक्ष में आगे आएं।
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vilaspatelvlogs · 5 years ago
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पालघर साधु हत्याकांड: चार्जशीट दाखिल, जानें CID ने घटना की मुख्य वजह क्या बताई
पालघर साधु हत्याकांड: चार्जशीट दाखिल, जानें CID ने घटना की मुख्य वजह क्या बताई
[ad_1] पालघर साधु हत्याकांड में अब तक 165 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है. साधुओं की हत्या के मामले में 808 संदिग्धों से पूछताछ हुई.  
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countryinsidenews · 5 years ago
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मेरठ, (उत्तर प्रदेश) की एक शिव मंदिर कमिटी के उपाध्यक्ष तथा पुजारी की हत्या का हिन्दू जनजागृति समिति इस हत्या का तीव्र शब्दों में निंदा करती है अब्दुलापुर बाजार (मेरठ, उत्तर प्रदेश) की एक शिव मंदिर कमिटी के उपाध्यक्ष तथा पुजारी के रूप में कार्यरत  साधु कांती प्रसादजी की धर्मांध मुसलमान युवकों ने दिनदहाडे हत्या की । हिन्दू जनजागृति समिति इस हत्या का तीव्र शब्दों में निषेध करती है । साधु कांती प्रसादजी ने भगवा वस्त्र परिधान किया था, इसलिए अनस कुरैशी नामक धर्मांध ने उनका  उपहास कर विरोध किया । इस धर्मांध ने निर्ममता से मार-पीटकर साधु की हत्या कर डाली । इससे ध्यान में आता है कि हिन्दुबहुल भारत में भगवा वस्त्र परिधान करनेवालों को जानबूझकर लक्ष्य किया जा रहा है । हम इसे साधु पर नहीं; अपितु भगवे एवं हिन्दू धर्म पर आक्रमण मानते हैं । इससे धर्मांधों का हिन्दूद्व���ष और भगवाद्वेष ही दिखाई देता है । अनस कुरैशी की गिरफ्तारी हुई है, परंतु उस पर द्रुतगति (फास्ट ट्रॅक) न्यायालय में तुरंत अभियोग चलाकर उसे कठोर दंड दिया जाए तथा इस घटना के पीछे जानबूझकर धार्मिक कलह निर्माण करने का षडयंत्र तो नहीं है न, इसकी भी जांच हो, ऐसी मांग हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. 
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chaitanyabharatnews · 5 years ago
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महाराष्ट्र में फिर हुई साधु और एक शख्स की बेरहमी से हत्या, आश्रम से शव ले जाने की फिराक में था हत्यारा
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चैतन्य भारत न्यूज नांदेड़. महाराष्ट्र (Maharashtra) में लगातार साधुओं को निशाना बनाया जा रहा है। पालघर में दो साधुओं की हत्या का मामला अब तक शांत भी नहीं हुआ था कि अब राज्य के नांदेड़ से एक साधु की हत्या का मामला सामने आया है। साधु के पास से ही एक और शख्स की लाश मिली है। जानकारी के मुताबिक, महाराष्ट्र के नादेंड़ के उमरी तालुका के नागठाना में बदमाशों ने शनिवार रात को बाल ब्रह्मचारी शिवाचार्य की हत्या कर दी। यह घटना शनिवार रात 12 से 12:30 बजे के बीच की है। साधु को पशुपति महाराज के नाम से भी जाना जाता था। शिवाचार्य के शव के पास ही भगवान राम शिंदे नाम के शख्स की भी लाश मिली है। दोनों के शव आश्रम के बाथरूम के पास मिले हैं। हत्या गलारेत कर दी गई है। हालांकि इस शख्स की पहचान हत्यारोपी साईनाथ के साथी के रूप में हुई है। कैसे हुई हत्या? शनिवार रात हत्यारोपी साईनाथ दरवाजा खोलकर आश्रम में दाखिल हुआ। दरवाजा अंदर से खुला है, लेकिन यह कैसे हुआ फिलहाल इसकी कोई जानकारी नहीं मिली है। साधु की हत्या करने के बाद आरोपी साईनाथ ने उनके शव को ठिकाने लगाने की भी कोशिश की थी। उसने साधु के शव को उनकी ही कार में रखकर ले जाने की कोशिश की लेकिन कार गेट में ही फंस गई। इससे मठ के छत पर मौजूद आश्रम के दो सेवादार जाग गए। उन्होंने भागकर आरोपी को पकड़ने की कोशिश की लेकिन वह भागने में कामयाब रहा। सु��ह जब शिष्यों ने उन्हें आश्रम में मृत देखा तो तुरंत पुलिस को सूचना दी। घटना की सूचना पाकर मौके पर पहुंची पुलिस ने अभी जांच शुरू ही की थी कि किसी ने बताया कि आश्रम की सेवा करने वाले एक सेवादार का शव गांव में आश्रम से कुछ ही दूरी पर मिला है। पुलिस को शुरुआती जांच में हत्या का कारण चोरी लग रहा है। पुलिस के मुताबिक, आश्रम में जिस तरह से सारा सामान बिखरा पड़ा था उसे देखकर लग रहा है कि चोरी का विरोध करने पर साधु और उसके सेवक की हत्या की गई है। पुलिस ने शव का कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। पुलिस आरोपियों की तलाश में जुट गई है। ये भी पढ़े... बुलंदशहर: मंदिर परिसर में 2 साधुओं की सोते वक्त निर्मम हत्या, चिमटा चुराने का था विवाद, आरोपी बोला- भगवान की इच्छा थी पालघर मॉब लिंचिंग: एक अफवाह ने ले ली दो साधुओं समेत तीन बेगुनाहों की जान, अखाड़ा परिषद ने दी आंदोलन की चेतावनी Read the full article
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karanaram · 4 years ago
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🚩 बैसाखी के अवसर पर हिन्दू समाज के लिए खास संदेश... 15 अप्रैल 2021
🚩 मुगल शासनकाल के दौरान बादशाह औरंगज़ेब का आतंक बढ़ता ही जा रहा था। चारों ओर औरंगज़ेब की दमनकारी नीति के कारण हिन्दू जनता त्रस्त थी। सदियों से मुस्लिम आक्रांताओं के झुंड पर झुंड का सामना करते हुए हिंदू समाज अपना आत्मविश्वास खो बैठा था। मगर अत्याचारी थमने का नाम भी नहीं ले रहे थे। जनता पर हो रहे अत्याचार को रोकने के लिए सिख पंथ के गुरु गोविन्द सिंह ने बैसाखी पर्व पर आनन्दपुर साहिब के विशाल मैदान में अपनी संगत को आमंत्रित किया। जहां गुरुजी के लिए एक तख्त बिछाया गया और तख्त के पीछे एक तम्बू लगाया गया। गुरु गोविन्द सिंह के दायें हाथ में नंगी तलवार चमक रही थी। गोविन्द सिंह नंगी तलवार लिए मंच पर पहुंचे और उन्होंने ऐलान किया- मुझे एक आदमी का सिर चाहिए। क्��ा आप में से कोई अपना सिर दे सकता है? यह सुनते ही वहां मौजूद सभी शिष्य आश्चर्यचकित रह गए और सन्नाटा छा गया। उसी समय दयाराम नामक एक खत्री आगे आये जो लाहौर निवासी थे और बोले- आप मेरा सिर ले सकते हैं। गुरुदेव उसे पास ही बनाए गए तम्बू में ले गए। कुछ देर बाद तम्बू से खून की धारा निकलती दिखाई दी। तंबू से निकलते खून को देखकर पंडाल में सन्नाटा छा गया। गुरु गोविन्द सिंह तंबू से बाहर आए, नंगी तलवार से ताजा खून टपक रहा था। उन्होंने फिर ऐलान किया- मुझे एक और सिर चाहिए। मेरी तलवार अभी भी प्यासी है। इस बार धर्मदास नामक जाट आगे आये जो सहारनपुर के जटवाडा गांव के निवासी थे। गुरुदेव उन्हें भी तम्बू में ले गए और पहले की तरह इस बार भी थोड़ी देर में खून की धारा बाहर निकलने लगी। बाहर आकर गोविन्द सिंह ने अपनी तलवार की प्यास बुझाने के लिए एक और व्यक्ति के सिर की मांग की। इस बार जगन्नाथ पुरी के हिम्मत राय झींवर (पानी भरने वाले) खड़े हुए। गुरुजी उन्हें भी तम्बू में ले गए और फिर से तम्बू से खून की धारा बाहर आने लगी। गुरुदेव पुनः बाहर आए और एक और सिर की मांग की, तब द्वारका के युवक मोहकम चन्द दर्जी आगे आए। इसी तरह पांचवी बार फिर गुरुदेव द्वारा सिर मांगने पर बीदर निवासी साहिब चन्द नाई सिर देने के लिए आगे आये। मैदान में इतने लोगों के होने के बाद भी वहां सन्नाटा पसर गया, सभी एक-दूसरे का मुंह देख रहे थे। किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था। तभी तम्बू से गुरु गोविन्द सिंह केसरिया बाना पहने पांचों नौजवानों के साथ बाहर आए। पांचों नौजवान वही थे जिनके सिर काटने के लिए गुरु गोविन्द सिंह तम्बू में ले गए थे। गुरुदेव और पांचों नौजवान मंच पर आए, गुरुदेव तख्त पर बैठ गए। पांचों नौजवानों ने कहा- गुरुदेव हमारे सिर काटने के लिए हमें तम्बू में नहीं ले गए थे, बल्कि वह हमारी परीक्षा थी। तब गुरुदेव ने वहां उपस्थित सिक्खों से कहा- आज से ये पांचों मेरे पंज प्यारे हैं। गुरु गोविन्द सिंह के महान संकल्प से खालसा की स्थापना हुई। हिन्दू समाज अत्याचार का सामना करने हेतु संगठित हुआ। यह घटना एक मनोवैज्ञानिक प्रयोग था। गुरु साहिबान ने अपनी योग्यता के अनुसार यह प्रयोग कर हिन्दुओं को संगठित करने का प्रयास किया।
🚩 पञ्च प्यारों में सभी जातियों के प्रतिनिधि शामिल हुए थे। इसका अर्थ यही था कि अत्याचार का सामना करने के लिए हिन्दू समाज को जात-पांत मिटाकर संगठित होना होगा। तभी अपने से बलवान शत्रु का सामना किया जा सकेगा। खेद है कि हिन्दुओं ने गुरु गोविन्द सिंह के सन्देश पर अमल नहीं किया। जात-पांत के नाम पर बंटे हुए हिन्दू समाज में संगठन भावना शून्य है। गुरु गोविन्द सिंह ने स्प��्ट सन्देश दिया कि कायरता भूलकर, स्व-बलिदान देना जब तक हम नहीं सीखेंगे, तब तक देश, धर्म और जाति की सेवा नहीं कर सकेंगे। अपने आपको समर्थ बनाना ही एक मात्र विकल्प है। धर्मानुकूल व्यवहार, सदाचारी जीवन,आध्यात्मिकता, वेदादि शास्त्रों का ज्ञान जीवन को सफल बनाने के एकमात्र विकल्प हैं।
🚩 1. आज हमारे देश में सेक्युलरवाद के नाम पर, अल्पसंख्यकों के नाम पर तुष्टिकरण का सहारा लेकर अवैध बांग्लादेशियों को बसाया जा रहा है।
🚩 2. हज सब्सिडी दी जा रही है, मदरसों को अनुदान और मौलवियों को मासिक खर्च दिया जा रहा है, आगे आरक्षण देने की तैयारी है।
🚩 3. वेद, दर्शन, गीता के स्थान पर क़ुरान और बाइबिल को आज के लिए धर्म ग्रन्थ बताया जा रहा है।
🚩 4. हमारे अनुसरणीय राम-कृष्ण के स्थान ग़रीब नवाज, मदर टेरेसा को बढ़ावा दिया जा रहा है।
🚩 5. ईसाईयों द्वारा हिन्दुओं के धर्मान्तरण को सही और उसका प्रतिरोध करने वालों को कट्टर बताया जा रहा है।
🚩 6. गौरी-ग़जनी को महान और शिवाजी और प्रताप को भगोड़ा बताया जाता रहा है।
🚩 7.1200 वर्षों के भयानक और निर्मम अत्याचारों की अनदेखी कर बाबरी और गुजरात दंगों को चिल्ला-चिल्ला कर भ्रमित किया जा रहा है।
🚩 8. हिन्दुओं के दाह संस्कार को प्रदूषणकारक और जमीन में गाड़ने को सही ठहराया जा रहा है।
🚩 9. दीवाली-होली को प्रदूषण करनेवाला और बकरीद को त्योहार बताया जा रहा है।
🚩 10. वन्दे मातरम, भारत माता की जय बोलने पर आपत्ति और कश्मीर में भारतीय सेना को बलात्कारी बताया जा रहा है।
🚩 11. विश्व इतिहास में किसी भी देश पर हमला कर अत्याचार न करनेवाले हिन्दू समाज को अत्याचारी और समस्त विश्व में इस्लाम के नाम पर लड़कियों को गुलाम बनाकर बेचनेवालों को शांतिप्रिय बताया जा रहा है।
🚩 12. संस्कृत भाषा को मृत और उसके स्थान पर उर्दू, अरबी, हिब्रू और जर्मन जैसी भाषाओं को बढ़ावा दिया जा रहा है।
🚩 13. देश, धर्म व संस्कृति के हीत में कार्य करनेवाले हिंदूनिष्ठों व साधु-संतों को जेल भेजा जा रहा अथवा उनकी हत्या कर दी जा रही है।
🚩 हमारे देश, हमारी आध्यात्मिकता, हमारी आस्था, हमारी श्रेष्ठता, हमारी विरासत, हमारी महानता, हमारे स्वर्णिम इतिहास- सभी को मिटाने के लिए सुनियोजित षड़यंत्र चलाया जा रहा है। गुरु गोविन्द सिंह के पावन सन्देश का पालन करते हुए जातिवाद और कायरता का त्याग कर संगठित होने मात्र से हिन्दू समाज का हित संभव है।
🚩 आईये, बैसाखी पर एक बार फिर से देश, धर्म और जाति की रक्षा का संकल्प लें। - डॉ. विवेक आर्य
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mastereeester · 5 years ago
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भगवे रंग का गमछा पहनने पर साधु की हत्या, भड़कीं Kangana Ranaut ने दिया ये रिएक्शन
भगवे रंग का गमछा पहनने पर साधु की हत्या, भड़कीं Kangana Ranaut ने दिया ये रिएक्शन
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नई दिल्ली: कुछ वक्त पहले महाराष्ट्र (Maharashtra) के पालघर (Palghar) में दो साधुओं की पीट-पीटकर हत्या कर दी थी। इस घटना ने पूरे देश को हिला कर रख दिया था। अब ऐसी ही एक और घटना सामने आई है। दरअसल, उत्तर प्रदेश के मेरठ (Meerut Sadhu Lynching Case) में एक साधु की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई। हत्या का आरोप एक विशेष समुदाय के लोगों पर लगा है। इस घटना पर लोगों का गुस्सा फूट पड़ा है। वहीं, हर मुद्दे पर…
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kisansatta · 5 years ago
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महाराष्ट्र: फिर नांदेड़ में साधु और सेवक की बेरहमी से हत्या
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नई दिल्ली। महाराष्ट्र में अभी पालघर में दो साधुओं की हत्या का मामला शांत नही हुआ था तब तक फिर एक दो साधुओं की हत्या कर दी गई महाराष्ट्र के नांदेड़ के आश्रम में साधु व सेवक की हत्या कर दी, चोरी के शक में हुये हत्या, बताया जाता है कि साधु का शव आश्रम में मिला है जबकि उनकी सेवा करने वाले सेवादार का शव आश्रम से कुछ दूर पर पड़ा मिला है। घटना की सूचना पाकर मौके पर पहुंची पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। पुलिस मामले की जांच में जुटी हुई है।
इससे पहले का मामला शांत नही हुआ था, तो वही फिर एक बार ये हो गया, एक बार ​फिर महाराष्ट्र के नांदेड़ में एक आश्रम के अंदर साधु की हत्या कर दी गई। सद्गुरु शिवाचार्य नागठणकर नांदेड के आश्रम में अपने शिष्यों के साथ रहा करते थे। शनिवार देर रात शिवाचार्य नागठणकर की हत्या कर दी गई। सुबह ज​ब शिष्यों ने उन्हें आश्रम में मृत देखा तो तुरंत पुलिस को सूचना दी।
घटना की सूचना पाकर मौके पर पहुंची पुलिस ने अभी जांच शुरू ही की थी कि किसी ने बताया कि आश्रम की सेवा करने वाले एक सेवादार का शव गांव में आश्रम से कुछ ही दूरी पर मिला है। पुलिस के मुताबिक चोरी का विरोध करने पर साधू और उसके सेवक की हत्या की गई है। पुलिस ने शव का कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। पुलिस आरोपियों की तलाश में जुट गई है।
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