#सब्जी विकास योजना
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lokkesari · 2 years ago
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ऋषिकेश-नीलकंठ महादेव रोपवे परियोजना का निर्माण लोक निजी सहभागिता (पी०पी०पी० मोड) पर किये जाने के सम्बन्ध में निर्णय
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ऋषिकेश-नीलकंठ महादेव रोपवे परियोजना का निर्माण लोक निजी सहभागिता (पी०पी०पी० मोड) पर किये जाने के सम्बन्ध में निर्णय
देहरादून / आज उत्तराखंड कैबिनेट द्वारा लिया गए महत्वपूर्ण निर्णय राज्य में कलस्टर आधारित छोटे पॉलीहाउस (Naturally Ventilated) में सब्जी एवं फूलों की खेती की योजना के संबध में निर्णय। नाबार्ड की आर0आई0डी०एफ० योजनान्तर्गत क्लस्टर आधारित 100 वर्गमीटर आकार के 17648 पॉलीहाउस स्थापना हेतु रू0 304 करोड़ स्वीकृत किये गये है, जिसमें कृषकों को 70 प्रतिशत अनुदान दिया जायेगा। इसके अन्तर्गत राज्य के लगभग 01 लाख कृषकों को प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष रूप से स्वरोजगार के साधन प्राप्त होने के साथ-साथ उनकी आय में भी वृद्धि हो सकेगी, जिससे सामाजिक एवं आर्थिक स्तर मे सुधार होगा तथा पर्वतीय क्षेत्रों में होने वाले पलायन में भी कमी आयेगी एवं सब्जियों के उत्पादन में 15 प्रतिशत व फूलों के उत्पादन में 25 प्रतिशत तक की वृद्धि होगी।
भारत सरकार द्वारा निर्गत तिब्बतन पुनर्वास नीति-2014 के अन्तर्गत राज्य सरकार द्वारा मौजा तरला नांगल, देहरादून में फैले हुए गरीब तिब्बतन शरणार्थीयों को आवास उपलब्ध कराने के लिए आवासीय योजना हेतु निःशुल्क भूमि उपलब्ध कराई गयी है। मौजा तरला नांगल स्थित उक्त भूमि पर गरीब तिब्बतन शरणार्थियों के लिए प्रस्तावित आवासीय योजना में शमन मानचित्र संख्या- एसआर-0277/ 20.21 मैजर नोरबू संयुक्त सचिव एफडेबल हाउसिंग फार तिब्बतन रिफ्यूजी रिहैबीटेसन में विद्यमान निर्माण की प्रशमन / स्वीकृति के क्रम में आंकलित धनराशि रूपये 65,71,068.00 में छूट प्रदान किये जाने का निर्णय।
ऋषिकेश-नीलकंठ महादेव रोपवे परियोजना का निर्माण लोक निजी सहभागिता (पी०पी०पी० मोड) पर किये जाने के सम्बन्ध में निर्णय।
निदेशालय विभागीय लेखा के अन्तर्गत वित्तीय परामर्शदाता, जिला पंचायत कार्यालय उधमसिंह नगर, बागेश्वर, रूद्रप्रयाग तथा चम्पावत जनपदों में सहायक लेखाकार का पद सृजित न होने के कारण उक्त कार्यालयों में शासकीय कार्यों के सुचारू रूप से सम्पन्न किये जाने में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। उक्त समस्या के निराकरण हेतु विभागीय लेखा में लेखाकार के कुल 21 सृजित पदों में निदेशालय एवं कैम्प कार्यालय के लिये सृजित 08 रिक्त पदों में से 04 रिक्त पदों को डाउनग्रेड कर सहायक लेखाकार के पदों में परिवर्तित करते हुए वित्तीय
परामर्शदाता, जिला पंचायत कार्यालय उधमसिंहनगर, बागेश्वर, रूद्रप्रयाग तथा चम्पावत हेतु क्रमशः एक-एक पद आवंटित किये जाने का निर्णय।
उत्तराखण्ड लोक सेवा आयोग के ढाँचे में अस्थाई (निःसंवर्गीय) 30 पदों के सृजन का निर्णय ।
राज्य की बंद पड़ी चीनी मिल गदरपुर की भूमि को सर्किल रेट अथवा बाजार मूल्य पर विक्रय किये जाने के संबंध में मा0 मंत्रिमण्डल की दिनांक 27 जुलाई 2022 को सम्पन्न बैठक में लिये गये निर्णय के अनुपालन में मुख्य सचिव, उत्तराखण्ड की अध्यक्षता में दिनांक 17 अगस्त 2022 एवं दिनांक 23 मार्च 2023 को सम्पन्न बैठक में हुये विचार विमर्शाेपरान्त गदरपुर चीनी मिल की भूमि को कय किये जाने हेतु सिडकुल / औद्योगिक विकास विभाग द्वारा उपलब्ध कराये गये प्रस्ताव के क्रम में सिडकुल को विक्रय कर लिया जाए तथा गदरपुर चीनी मिल की भूमि के विक्रय से प्राप्त धनराशि का सिडकुल द्वारा बैंक खाता खोला जाय तथा सिडकुल के ऑफर प्रपोजल से अधिक धनराशि प्राप्त होने पर प्राप्त अधिक धनराशि को राज्य सरकार / गदरपुर चीनी मिल के कस्टोडियन उत्तराखण्ड शुगर्स को वापस किये जाने के प्रस्ताव को मंजूरी।
जनपदों में कई बार जिला योजना समिति की बैठकों में निर्धारित गणपूर्ति (1/2 सदस्य उपस्थित) न होने के कारण जिला योजना समिति की बैठकें बार बार स्थगित होने के फलस्वरूप विकास सम्बन्धी कार्यों में उत्पन्न होने वाली कठिनाईयों को दूर करने के उद्देश्य से राज्य में लागू उत्तराखण्ड जिला योजना समिति नियमावली, 2010 के नियम 29 (गणपूर्ति) को निम्नानुसार प्रतिस्थापित कर गणपूर्ति हेतु कुल सदस्यों की संख्या 1/2 के स्थान पर 1/3 सदस्यों तथा प्रथम बार गणपूर्ति न होने की दशा में स्थगित बैठक के लिए कम से कम 1/4 सदस्यों की उपस्थिति अनिवार्य किये जाने हेतु उत्तराखण्ड जिला योजना समिति (संशोधन) नियमावली 2023 प्रख्यापित किये जाने के प्रस्ताव को दी गई मंजूरी।
राष्ट्रीय राजमार्ग एवं राजकीय राजमार्ग तथा समस्त स्थानीय निकाय चिन्हित मार्गों के Right of Way के दोनों किनारों से मार्ग के दोनों और पर्वतीय क्षेत्रों में 50 मीटर एवं मैदानी क्षेत्रों में 100 मीटर की हवाई दूरी तक सभी प्रकार के निर्माणों के मानचित्रों की स्वीकृति अनिवार्य होगी। इस चिन्हित क्षेत्र से बाहर, एकल आवासीय निर्माण जिनका भूखण्ड क्षेत्रफल 250 वर्गमीटर तक हो तथा अधिकतम ऊंचाई 9.00 मीटर तक हो तथा समस्त गैर एकल आवासीय निर्माण जिनका भूखण्ड क्षेत्रफल 50 वर्गमीटर तक एवं ऊंचाई 6.00 मीटर तक हो, मानचित्र स्वीकृत स्वप्रमाणन / शपथ पत्र के द्वारा किये जायेंगे। एम०डी०आर०/ ओ०डी०आर० मार्ग, चिन्हित मार्गों के Right of Way के दोनों किनारों से मार्ग के दोनों ओर पर्वतीय क्षेत्रों मे 50 मीटर एवं मैदानी क्षेत्रों में 100 मीटर की हवाई दूरी तक सभी प्रकार के निर्माणों के मानचित्रों की स्वीकृति अनिवार्य होगी। प्राधिकरण को प्राप्त होने वाले शुल्क यथा उप विभाजन शुल्क, विकास शुल्क, पर्यवेक्षण शुल्क इत्यादि पर वर्तमान दरों के सापेक्ष 50 प्रतिशत की छूट प्रदान किये जाने की स्वीकृति।
सिंचाई विभाग के अन्तर्गत शोध अधिकारी/सहायक शोध अधिकारी के पदों का विभागीय संरचनात्मक ढांचे में निर्धारण किये जाने की स्वीकृति।
मा0 उच्च न्यायालय, उत्तराखण्ड नैनीताल द्वारा दिनांक 12.11.2021 को पारित अंतरिम आदेश के दृष्टिगत नगर पंचायत सिरौंलीकलां के गठन सम्बन्धी अधिसूचना को वापस लिये जाने का निर्णय।
कैबिनेट द्वारा निर्णय लिया गया कि प्रदेश में बैंकों के साथ ऐसे लेखपत्र जिनका पंजीकरण किया जाना अनिवार्य नहीं था, को डिजिटल / विधिक रूप में लागू किये जाने हेतु उत्तराखण्ड राज्य में प्रवृत्त ई-स्टाम्प सम्बन्धी नियमों में संशोधन किया जा रहा है। उक्त संशोधन के उपरांत बैंक एवं आम जनता को निम्न सुविधायें प्राप्त होगी- हितधारकों को बैंक ऋण, बैंक गारण्टी, बन्धक इत्यादि के लिये स्टाम्प विक्रेता से स्टाम्प कय नहीं करना पड़ेगा। उक्त डिजिटल ई-स्टाम्प प्रणाली से बैंक स���्बन्धी कार्यवाही बैंक के पटल पर ही सम्पादित हो जायेगी। डिजिटल ई-स्टाम्प प्रणाली के माध्यम से स्टाम्प कय की सुविधा बैंक को अपने ही परिसर में उपलब्ध होगी। उक्त प्रणाली के प्रवृत्त होने के पूर्व बैंक ऋण इत्यादि में प्रयुक्त होने वाले स्टाम्प का विवरण विभाग को उपलब्ध नहीं होता था। डिजिटल ई-स्टाम्प प्रणाली के पश्चात् बैंक में प्रयुक्त होने वाले अभिलेख यथाविधि स्टाम्पिंग होंगे, जिससे विभाग की आय में भी वृद्धि होगी एवं स्टाम्प का लेखा उचित तरीके से संकलित होगा। उक्त प्रक्रिया के सरलीकरण के फलस्वरूप जनहित में EODB प्रणाली को बल मिलेगा।
आपदा के कारण कार्य की संवेदनशीलता, तात्कालिकता एवं जिलाधिकारी चम��ली द्वारा किये गये अनुरोध के क्रम में मा० मुख्यमंत्री जी की घोषणा संख्या-1084/2021 के अन्तर्गत ‘जनपद चमोली के मुख्यालय गोपेश्वर में हल्दापानी लॉ कॉलेज के निकट भू-धंसाव एवं भूस्खलन की रोकथाम हेतु सुरक्षात्मक कार्य’ की प्रथम बार निविदा में सफल एकल निविदादाता के साथ अनुबन्ध गठित करने हेतु अनुमति प्रदान करने के सम्बन्ध में मा० मुख्यमंत्री जी द्वारा विचलन के माध्यम से अनुमोदन प्रदान किया गया था। मंत्रिमण्डल द्वारा इसका अनुमोदन दिया गया है।
उत्तराखण्ड में आधारभूत ढांचागत अर्थव्यवस्था के समग्र विकास को गति प्रदान करने हेतु उत्तराखण्ड निवेश और आधारित संरचना विकास बोर्ड Uttarakhand Investment and Infrastructure Development Board ¼UIIDB½ गठन के संबंध में उत्तराखण्ड निवेश और आधारित संरचना (विकास एवं विनियम) अध्यादेश, 2023 को मंजूरी।
उपनल के माध्यम से प्रायोजित कार्मिकों को दिये जाने वाले त्रैमासिक प्रोत्साहन भत्ते को प्रतिमाह भुगतान किये जाने का निर्णय।
राज्य में संचालित जी०एस०टी० ग्राहक ऑनलाईन ईनाम योजना ‘बिल लाओ ईनाम पाओ’ का एक साल के लिए विस्तार दिये जाने की स्वीकृति।
उत्तराखण्ड राज्य में बिक्री की जाने वाली विदेशी मदिरा पर वर्तमान में 20 प्रतिशत की दर से वैट कर वसूल किये जाने की व्यवस्था है जो कि राज्य के सीमावर्ती राज्यो में प्रचलित दरों से अधिक है जिसके परिणाम स्वरूप राज्य में बिक्री की जाने वाली विदेशी मदिरा का मूल्य सीमावर्ती राज्यो से अधिक होता है। जिससे राज्य में अवैध मदिरा की बिक्री होने की सम्भावना बनी रहती है। जिससे राज्य की राजस्व प्राप्ति पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। उक्त को दृष्टिगत रखते हुए आबकारी विभाग द्वारा उत्तराखण्ड आबकारी नीति विषयक नियमावली, 2023-24 निर्गत की गयी है। जिसके प्रस्तर 12.1 में विदेशी मदिरा के मूल्य को कम करते हुए निर्धारण किये जाने हेतु सूत्र का उल्लेख किया गया है। जिसमें विभिन्न घटको के साथ ही राज्य में विदेशी मदिरा पर लगने वाले वाणिज्य कर की दर 12 प्रतिशत का उल्लेख किया गया है। उक्त उत्तराखण्ड आबकारी नीति, 2023-24 दिनांक 01 अप्रैल, 2023 से राज्य में लागू की गयी है। इस व्यवस्था को भी दी गई मंजूरी।
प्रारम्भिक शिक्षा की गुणवत्ता के अन्तर्गत शिक्षण अधिगम हेतु अनुकूल वातावरण तैयार किये जाने हेतु राजकीय प्राथमिक/उच्च प्राथमिक विद्यालयों के मध्य उत्कृष्ट विद्यालय (Centre for excellence) स्थापित किया जाना प्रस्तावित है। इसमें 05 की.मी. की परिधि में राज्य के 603 प्राथमिक तथा 76 उच्च प्राथमिक स्कूलों को उत्कृष्ट विद्यालयों मे रूप में विकसित एवं सुविधा सम्पन्न बनाये जाने पर दी गई सहमति।
पर्यटन विभाग के अन्तर्गत संचालित दीनदयाल उपाध्याय गृह आवास (होमस्टे) विकास योजना में निर्णय लिया गया कि अब ��गर निगम एवं नगरपालिका क्षेत्रों में संचालित होम स्टे योजना सब्सिडी नही दि��े जाने पर सहमति। ग्रामीण एवं अन्य क्षेत्रों हेतु योजना पूर्ववत रहेगी।
तकनीकी शिक्षा विभाग के अन्तर्गत संचालित 06 इंजीनियरिंग संस्थानों कमशः प्रौद्योगिकी संस्थान, गोपेश्वर, महिला प्रौद्योगिकी संस्थान, देहरादून, डा. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम प्रौद्योगिकी संस्थान, टनकपुर, नन्ही परी सीमान्त प्रौद्योगिकी संस्थान, पिथौरागढ एवं टी. एच. डी.सी. – आई.एच.ई.टी. नई टिहरी तथा बौन इंजीनियरिंग कालेज, उत्तरकाशी को As is where is basis के आधार पर वीर माधों सिंह भण्डारी उत्तराखण्ड प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, देहरादून के अधीन कैम्पस कालेज के रुप में संचालित किये जाने की कतिपय शर्ताे के अधीन मा० मंत्रिमण्डल द्वारा अनुमति प्रदान की गयी है। उक्त के फलस्वरुप सभी स्ववित्त पोषित संस्थानों को राज्य सरकार से वित्तीय सहायता प्रदान नहीं की जायेगी तथा सभी स्ववित्त पोषित संस्थानों में बी. ओ.जी. यथावत कार्य करती रहेगी।
नैनीसैनी हवाई अड्डा पिथौरागढ का संचालन वायुसेना द्वारा लिये जाने का निर्णय। जब तक वायुसेना द्वारा इसका विधिवत संचालन नही किया जाता तब तक इसके संचालन हेतु एयर पोर्ट अथॉरिटी से एम.ओ.यू. किये जाने की स्वीकृति।
गैरसैण में आयोजित हुये विधान सभा सत्र के सत्रावसान का कैबिनेट द्वारा किया गया औपचारिक अनुमोदन।
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prabudhajanata · 2 years ago
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भोपाल - मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) ने कहा है कि उज्जैन में 18 फरवरी को महाशिवरात्रि का पर्व दीपावली की तरह मनाया जाएगा। श्री महाकाल महालोक का स्वरूप देश सहित सम्पूर्ण विश्व में चर्चा का विषय है। महाशिवरात्रि पर अवंतिका वासी 21 लाख दीप प्रज्ज्वलित कर महाकाल के प्रति अपनी प्रतिबद्धता प्रकट करेंगे। समाज और शासन की सहभागिता से ही यह अभूतपूर्व आयोजन संभव होगा। मुख्यमंत्री श्री चौहान उज्जैन में 18 फरवरी महाशिवरात्रि पर 21 लाख दीप प्रज्ज्वलन के महाअभियान की तैयारियों की समीक्षा कर रहे थे। मुख्यमंत्री निवास स्थित समत्व भवन में हुई बैठक में अपर मुख्य सचिव गृह डॉ. राजेश राजौरा, प्रमुख सचिव श्री सुखबीर सिंह, संचालक संस्कृति तथा संस्कृति विभाग के अधिकारी सम्मिलित हुए। उज्जैन से उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव, कमिश्नर, कलेक्टर तथा ��न्य अधिकारी वर्चुअली जुड़े। जीरो वेस्ट के सिद्धांत पर होगा आयोजन जानकारी दी गई कि महाशिवरात्रि दीपोत्सव को "शिव ज्योति अपर्णम् 2023" का नाम दिया गया है। पर्व पर 21 लाख दीप प्रज्ज्वलित कर गिनीज़ वर्ल्ड रिकार्ड बनाया जाएगा। इससे पहले उज्जैन में वर्ष 2022 में महाशिवरात्रि पर 11 लाख 71 हजार 78 दीये प्रज्ज्वलित करने का विश्व रिकार्ड बनाया गया था। इसके बाद अयोध्या में वर्ष 2022 में ही दीपावली पर 15 लाख 76 हजार दीये प्रज्ज्वलित कर नया विश्व रिकार्ड बनाया गया था। उज्जैन में महाशिवरात्रि पर 21 लाख दीये प्रज्ज्वलित करने की योजना है। यह संपूर्ण आयोजन जीरो वेस्ट के सिद्धांत पर होगा। मंदिर, घाट और शहर के प्रमुख स्थलों पर होगी साज-सज्जा उज्जैन में शिव ज्योति अपर्णम् में क्षिप्रा नदी के घाटों सहित शहर के मंदिर, समस्त व्यावसायिक स्थल और घर-घर में दीप प्रज्ज्वलित किए जाएंगे। विद्युत साज-सज्जा के साथ प्रमुख स्थानों पर रंगोली और साज-सज्जा के अन्य उपक्रम भी होंगे। क्षिप्रा नदी के तट पर केदारेश्वर घाट पर 3 लाख 10 हजार, सुनहरी घाट पर 1 लाख 75 हजार, दत्त अखाड़ा पर 4 लाख 50 हजार, राम घाट से बंबई धर्मशाला पर 2 लाख 50 हजार, बंबई धर्मशाला से नरसिंह मंदिर तक 3 लाख 75 हजार और भूखी माता मंदिर की ओर माली घाट पर 4 लाख 75 हजार दीप प्रज्ज्वलित करने की योजना है। इस कार्य में लगभग 20 हजार स्वयं-सेवकों की भागीदारी होगी। जन-सहभागिता के लिए संकल्पित हैं उज्जैनवासी दीप प्रज्ज्वलन में जन-सहभागिता के लिए उज्जैनवासियों द्वारा संकल्प-पत्र भरा जा रहा है। सोशल मीडिया पर हैशटैग 'शिव ज्योति अपर्णम्' से लोगों को अभियान से जोड़ा जा रहा है। उज्जैन में जारी विकास यात्राओं में भी अभियान की जानकारी दी जा रही है। शहर के प्रमुख मंदिर महाकालेश्वर, मंगलनाथ, काल भैरव, गढ़कालिका, सिद्धवट, हरसिद्धि, चिंतामण गणेश और टॉवर चौराहा पर दीप प्रज्ज्वलित किए जाएंगे। नगर के प्रमुख व्यावसायिक परिसर जैसे दवा बाजार, शहीद पार्क, फव्वारा चौक, वी.डी. क्लॉथ मार्केट, सराफा, पटनी बाजार, चिमनगंज मंडी, सब्जी मंडी, नानाखेड़ा हाट और लखेरवाड़ी में दीप प्रज्ज्वलन के साथ विशेष साज-सज्जा होगी। आयोजन में शासकीय विभागों सहित व्यापारी एसोसिएशन, सामाजिक-धार्मिक संस्थाएँ और विक्रम विश्वविद्यालय सक्रिय रूप से भागीदारी कर रहे हैं।
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4rtheyenews · 2 years ago
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बाड़ी विकास योजना से समूह की दीदियां हो रही आत्मनिर्भर
बाड़ी विकास योजना से समूह की दीदियां हो रही आत्मनिर्भर
बिल्हा ब्लॉक के सेलर की महिलाएं सुराजी योजना से ��त्मनिर्भर हो रही हैं। उन्हें आजीविका का नया जरिया मिल गया है। इन्हीं महिलाओं में जय माता सराई श्रृंगार महिला स्व-सहायता समूह की दीदियां भी शामिल है। बाड़ी विकास का कार्य कर सफलता की नयी सीढिय़ां चढ़ रही है। बाडिय़ो में सब्जी लगाकर अपनी आर्थिक गतिविधियों को सुदृढ़ कर अपना जीवन संवारने के साथ ही अपने गांवों की अन्य महिलाओं के लिए भी प्रेरणा स्त्रोत…
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merikheti · 2 years ago
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बदलते मौसम और जनसँख्या के लिए किसानों को अपनाना होगा फसल विविधिकरण तकनीक : मध्यप्रदेश सरकार
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केंद्र सरकार किसानों के लिए विभिन्न प्रकार की योजना बना रही है, जिससे न सिर्फ किसानों की आय बढ़ेगी, बल्कि इससे पर्यावरण भी सुरक्षित रहेगा। हाल ही के दिनों में एक ऐसे योजना की शुरुआत हुई है, जिसको जान कर किसान हैरान रह जायेंगे। इस योजना में आपको बताया जायेगा कि अब एक साथ आप कैसे विभिन्न प्रकार की खेती कर सकते हैं ताकि आपक�� आय बढ़कर तिगुना हो जाए। इस योजना का नाम है “फसल विविधिकरण” (Crop Diversification)।
इस बदलते समय और बढ़ते जनसँख्या के लिए यह फसल विविधिकरण योजना एक बहुत ही आवश्यक कदम है। इस योजना से न सिर्फ किसानों की आय बढ़ेगी, बल्कि यह उनके खेत का भी स्वास्थ्य ठीक करेगा जिससे अन्य फसलें भी अच्छे से उग सकेंगी। इस योजना पर केंद्र सरकार बहुत जोर दे रही है, लेकिन आपको आश्चर्य होगा कि मध्य प्रदेश सरकार ने इस तरह की योजना की शुरुआत बहुत पहले कर दी थी, जिसमें धान, गेहूं और अन्य पारंपरिक खेती के अलावा सरकार अब फूल, सब्जी और मसाला की खेती पर काफी जोर दे रही है। इसके साथ-साथ फल पौधा रोपण और क्रॉप डायवर्सिफिकेशन पर भी सरकार नजर बनाये हुए है।
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गौरतलब है कि साल 2022-23 में 2 हज़ार हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में फल पौधा रोपण अभियान के तहत विभिन्न प्रकार के पौधे लगाये गए हैं, जिसमें आम, अमरुद, संतरा, निम्बू, काजू, अनार, ड्रैगन फ्रूट, स्ट्रॉबेरी, केला जैसे पौधे शामिल थे। इन फलों का उत्पादन शुरू हो चुका है। इसके अलावा सब्जी उत्पादन के क्षेत्र में फसल विविधिकरण का उपयोग किया जा रहा है, खीरा, शिमला मिर्च, लौकी, भिन्डी और अन्य सब्जी का उत्पादन किया जा रहा है। आपको बता दे कि फसल विविधिकरण का उपयोग कर पिछले वर्ष के मुकाबले इस वर्ष सब्जी, मसाला और फूल के उत्पादन में 6.45 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। आपको मालूम हो कि इस योजना को और मजबूती प्रदान करने के लिए राज्य के 137 से अधिक नर्सरी को स्वयं सहायता समूह से जोड़ा गया है, जिससे हजारों पौधे तैयार किए गए है।
मध्य प्रदेश के उद्यानिकी और खाद्य प्रसंस्करण विभाग के कार्यों की समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा की इस वर्ष कोल्ड स्टोरेज का 25 लाख मीट्रिक टन क्षमता वृद्धि का लक्ष्य रखा गया है। उसी समीक्षा बैठक में अधिकारियों को निर्देश दिया गया कि “एक जिला एक उत्पादन” के तहत बागवानी फसलो और उत्पादों की मार्केटिंग एक मिशन की तरह की जाएँ, जिससे किसानों को लाभ हो और पर्यावरण संरक्षण में भी मदद मिल सके।
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किसानों को मिलेगा प्रशिक्षण
मुख्यमंत्री ने अधिकारीयों को निर्देशित किया कि किसानों के विशेष प्रशिक्षण की व्यवस्था की जाये, जिसमे उनको ड्रिप इर्रेगेशन (drip irrigation), जैविक बागवानी, माली प्रशिक्षण आदि के बारे में उनको बताया जाए ताकि उनकी आय बढे। इसके लिए जगह जगह प्रशिक्षण केंद्र व मुरौना में सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस प्रारंभ भी किया जाएगा। प्रदेश के दस जिलों को ग्रीन क्लस्टर हाउस के रूप में विकसत करने की भी बात कही गयी है, इसमें भोपाल, सीहोर, उज्जैन, रतलाम, नीमच, बड़वानी, खण्डवा, खरगौन जबलपुर और छिंदवाड़ा शामिल हैं। दस जिलों में बनेंगे ग्रीन हाउस क्लस्टर।
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प्रदेश में फसलों की उत्पादकता में वृद्धि और विविधीकरण, कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर के प्रयास, प्रमाणित जैविक उत्पादन में वृद्धि, कृषि एवं उद्यानिकी उत्पादों का मूल्य संवर्धन पर भी चर्चा की गयी।  बैतूल जिले में शेडनेट निर्माण का क्लस्टर विकसित किया गया है। प्रदेश के दस जिलों भोपाल, सीहोर, उज्जैन, रतलाम, नीमच, बड़वानी, खण्डवा, खरगौन जबलपुर और छिंदवाड़ा में ग्रीन हाउस क्लस्टर विकसित किए जाएंगे। इस साल सीहोर, ग्वालियर और मुरैना में इनक्यूबेशन सेंटर्स का भूमि-पूजन किया गया है। अतिरिक्त रोजगार के लिए मत्स्यपालन, रेशम पालन विकास और मधुमक्खी पालन के कार्यों को बढ़ावा देने की बात भी कही गयी है।
Source बदलते मौसम और जनसँख्या के लिए किसानों को अपनाना होगा फसल विविधिकरण तकनीक : मध्यप्रदेश सरकार
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ashokgehlotofficial · 3 years ago
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मुख्यमंत्री निवास पर विभिन्न प्रतिनिधिमण्डलों ने मुलाकात कर कल्याणकारी बजट घोषणाओं के लिए आभार व्यक्त किया। प्रदेश के दूर दराज से भी बड़ी संख्या में लोग पहुंचे एवं बजट घोषणाओं के लिए अभिनंदन किया।
संविदा आयुर्वेद चिकित्सक, पूर्व सैनिकों, समायोजित शिक्षकों, राजस्थान शिक्षक संघ, फल-सब्जी व्यापारियों, कॉलेज शिक्षकों, पैरा खिलाड़ियों, दिव्यांगों, नगर निगम कर्मचारियों, पेंशनर्स सहित विभिन्न वर्गों के प्रतिनिधिमण्डलों ने राज्य बजट में की गई जनहितकारी घोषणाओं के लिए आभार जताया।
आभार व्यक्त करने आए लोगों ने कहा कि राज्य बजट में हर वर्ग और समुदाय के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं। इससे प्रदेश विकास के पथ पर आगे बढ़ने के साथ हर वर्ग का उत्थान सुनिश्चित होगा।
कर्मचारी संगठनों के प्रतिनिधियों ने पूर्व पेंशन योजना, पदोन्नति के लिए कैडर पुनर्गठन, वेतन विसंगति दूर करने सहित कर्मचारी कल्याण से जुड़ी अन्य घोषणाओं के लिए आभार व्यक्त किया। पूर्व पेंशन योजना लागू करना राज्य बजट की ऐतिहासिक घोषणा है। इससे कर्मचारी वर्ग एवं उनके परिवारजनों में खुशी का माहौल है।
इस अवसर पर तकनीकी शिक्षा राज्यमंत्री डॉ. सुभाष गर्ग, राज्य स्तरीय सैनिक कल्याण सलाहकार समिति के अध्यक्ष श्री मानवेन्द्र सिंह, राज्य बीज निगम के अध्यक्ष श्री धीरज गुर्जर, राज्य समाज कल्याण बोर्ड की अध्यक्ष श्रीमती अर्चना शर्मा, महापौर जयपुर हेरिटेज श्रीमती मुनेश गुर्जर, विशेष योग्यजन आयुक्त श्री उमाशंकर शर्मा सहित विभिन्न संगठनों एवं संस्थाओं के पदाधिकारी तथा अन्य जनप्रतिनिधि भी उपस्थित थे।
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poonamranius · 3 years ago
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PM Mudra Loan Yojana – Latest Update : मिलेंगे 3 प्रकार के लोन , जाने आपके लिए कौनसा लोन है परफेक्ट
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PM Mudra Loan Yojana – Latest Update : MUDRA का म��लब माइक्रो यूनिट्स डेवलपमेंट एंड रिफाइनेंस एजेंसी लिमिटेड है और यह पूरे भारत में छोटे व्यवसायों और सूक्ष्म उद्यमों को स्थापित करने और विकसित करने के लिए दिया गया एक ऋण है। मुद्रा ऋण  PM मुद्रा लोन योजना ( PM Mudra Loan Yojana ) के तहत उपलब्ध है। गैर-कृषि सूक्ष्म उद्यमों और छोटे गैर-कॉर्पोरेट व्यवसायों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए 8 अप्रैल 2015 से ऋण ( Loan ) शुरू किया गया था। PM Mudra Loan Yojana – Latest Update PM Mudra Loan Yojana – Latest Update ऋण ( Loan ) एनबीएफसी, वाणिज्यिक बैंक, छोटे वित्त बैंक और आरआरबीएस द्वारा प्रदान किए जाते हैं, और PM मुद्रा लोन योजना ( PM Mudra Loan Yojana )  के आधार पर 10 लाख रुपये तक के ऋण का लाभ उठाया जा सकता है। मुद्रा ऋण की प्राथमिक भूमिका स्थायी व्यवसाय विकास और ग्रामीण या छोटे पैमाने के उद्यमियों को वित्त देना है। में वित्तीय वर्ष 2020-21 , देश भर में मंजूर MUDRA ऋण की कुल संख्या 24530897. इस साल के भीतर है, कुल ऋण राशि अधिकृत रुपये 147478.66 करोड़ रुपए था। मुद्रा ऋण ( Loan ) के तत्वावधान में, अधिकांश सूक्ष्म उद्यमों और छोटे व्यवसायों को फलने-फूलने और बढ़ने का मौका मिलता है। यह ज्यादातर आय पैदा करने वाले उद्यमों के लिए प्रदान किया जाता है और विविध डोमेन पर लागू होता है। यह PM मुद्रा लोन योजना ( PM Mudra Loan Yojana ) मुख्य रूप से व्यापार, निर्माण और द्वितीयक संबद्ध व्यवसायों में शामिल व्यावसायिक संस्थाओं को ऋण प्रदान करता है। PM मुद्रा लोन योजना ( PM Mudra Loan Yojana ) व्यक्तियों, साझेदार फर्मों या छोटी निजी कंपनियों को प्रदान किए जाते हैं। यह सब्जी या फल विक्रेताओं, दुकानदारों, मरम्मत या सर्विसिंग की दुकानों, मशीन ऑपरेटरों, कारीगरों, खाद्य प्रसंस्करणकर्ताओं, खाद्य सेवा व्यवसायों आदि तक भी विस्तारित है। यह ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में छोटी कंपनियों के लिए लागू है। ऋण आवेदन के लिए पात्रता मानदंड -  18 वर्ष से अधिक आयु के सभी भारतीय नागरिक, जो आने वाले छोटे विनिर्माण, व्यापार, या सेवा क्षेत्र के व्यवसाय के मालिक हैं, ऋण ( Loan ) के लिए आवेदन करने के लिए पात्र हैं। - इसे व्यक्ति, व्यापारियों, निर्माताओं, एमएसएमई, व्यवसाय के मालिकों, दुकानदारों, स्टार्ट-अप सूक्ष्म उद्यमों और छोटे पैमाने के उद्योगपतियों द्वारा लागू किया जा सकता है। मुद्रा ऋण के प्रकार ( PM Mudra Loan Yojana – Latest Update ) PM मुद्रा लोन योजना ( PM Mudra Loan Yojana ) के तहत मुद्रा ऋण की तीन श्रेणियां हैं। प्रत्येक श्रेणी की एक अलग वित्तीय ( Loan ) सीमा होती है और एक छोटे व्यवसाय की वित्तीय जरूरतों को पूरा करने में मदद करती है। Shishu MUDRA Loan : इस श्रेणी के तहत 50,000 रुपये तक का ऋण ( Loan ) स्वीकृत किया जाता है। PM मुद्रा लोन योजना ( PM Mudra Loan Yojana ) में यह लोन उनके लिए है जो बिजन��स शुरू कर रहे हैं या उनके पास बिजनेस प्लान है। Kishor MUDRA Loan : इस श्रेणी के तहत 50,000 रुपये से 5 लाख रुपये की सीमा के भीतर ऋण ( Loan ) स्वीकृत किया जाता है। यह लोन उन लोगों के लिए है जिनके पास एक स्थापित व्यवसाय है और उन्हें अपने व्यवसाय के विस्तार और विकास के लिए वित्तीय सहायता की आवश्यकता है। तरुण मुद्रा ऋण : PM मुद्रा लोन योजना ( PM Mudra Loan Yojana ) में इस श्रेणी के तहत, 5 लाख रुपये से 10 लाख रुपये की सीमा के भीतर ऋण ( Loan ) स्वीकृत किया जाता है। यह ऋण उन उद्यमों या व्यवसायों के लिए है जो अपने व्यवसाय डोमेन का विस्तार करना और उसमें विविधता लाना चाहते हैं। मुद्रा ऋण का ऑनलाइन आवेदन - पहला कदम सही ऋणदाता ढूंढना है, जिसमें वाणिज्यिक बैंक, एनबीएफसी, आरआरबी आदि शामिल हैं। ऋण ( Loan ) दाता वित्तीय संस्थान के लिए आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं और फॉर्म डाउनलोड करें। मुद्रा लोन की तीन श्रेणियों के लिए फॉर्म अलग है। - ऑनलाइन फॉर्म में व्यक्तिगत और व्यवसाय से संबंधित सभी विस्तृत जानकारी भरें। सुनिश्चित करें कि प्रदान की गई सभी जानकारी सही है। - ऋण की जांच और प्रक्रिया के लिए वित्तीय संस्थान द्वारा आवश्यक सभी दस्तावेजों के साथ आवेदन करें। - आवेदन पत्र और संलग्न दस्तावेजों की जांच की जाती है, सत्यापित किया जाता है, और यदि ऋण ( Loan ) सफलतापूर्वक स्वीकृत हो जाता है, तो इसे संवितरण राशि के लिए संसाधित किया जाएगा। एक मुद्रा कार्ड प्री-लोडेड स्वीकृत ऋण राशि के साथ जारी किया जाता है। इसका उपयोग क्रेडिट कार्ड के रूप में किया जा सकता है। मुद्रा ऋण ( Loan ) ने छोटे और सूक्ष्म-उद्यमी उद्यमों और व्यवसायों का समर्थन करके “मेक इन इंडिया” अभियान को बढ़ावा देने में मदद की है। इसने वित्तीय सहायता में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs) के सामने आने वाली अड़चन को तोड़ने में भी मदद की है। छोटें उद्यमों और व्यवसायों को इस PM मुद्रा लोन योजना ( PM Mudra Loan Yojana ) से बहुत फायदा हुआ है ! Read the full article
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abhay121996-blog · 3 years ago
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मुख्यमंत्री तीरथ ने किया हरित हरिद्वार योजना का शुभारंभ Divya Sandesh
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मुख्यमंत्री तीरथ ने किया हरित हरिद्वार योजना का शुभारंभ
हरिद्वार। मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने रविवार को शान्तिकुंज में गंगा दशहरा के पावन अवसर पर हरिद्वार जनपद के वृहद पौधरोपण अभियान का शुभारंभ किया। “हरित हरिद्वार’’ योजना को आगे बढ़ाते हुए  भाजपा प्रदेश अध्यक्ष  मदन कौशिक, जिलाधिकारी सी. रविशंकर ने हरकीपैड़ी के गंगा सभा कार्यालय से प्रथम चरण के रूफ टाॅप गार्डनिंग अभियान की शुरुआत की और कार्यालय की छत के गमलों में लौकी, कद्दू, करेला एवं तोरी के बीजों का रोपण  किया। 
इस अवसर पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष  मदन कौशिक ने कहा कि यह योजना एचआरडीए और नामामि गंगे दोनों संयुक्त रूप से संचालित कर रहे हैं। इसमें सामाजिक क्षेत्र में कार्य करने वाले लोग भी हैं। इनके माध्यम से हर घर में लौकी, कद्दू, तोरी, करेला के बीजों का वितरण किया जाएगा। 
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इससे लोगों को आर्गेनिक सब्जी घर में ही प्राप्त होगी। जिलाधिकारी ने कहा कि इस योजना का मकसद प्रत्येक घर के रूफ टाॅप को ग्रीन बनाना है। इसके लिए विभिन्न सब्जियों के बीज और आर्गेनिक खाद का वितरण किया जाएगा। कुछ समय बाद पूरा हरिद्वार  ऊपर से देखने पर हराभरा दिखेगा।
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इस योजना के शुभारम्भ अवसर पर श्री गंगा सभा के अध्यक्ष  प्रदीप झा, महामंत्री तन्मय वशिष्ठ,  नितिन गौतम,  सिद्धार्थ चक्रपाणि, हरिद्वार-रूड़की विकास प्राधिकरण के सचिव डाॅ. ललित नारायण मिश्र, मुख्य नगर आयुक्त जय भारत सिंह, डीएफओ  नीरज कुमार, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी राजेन्द्र सिंह कठैत, बीइंग भागीरथी संस्था के शिखर पालिवाल, डाॅ. एम.आर. शर्मा आदि उपस्थित रहे।  Download app: अपने शहर की तरो ताज़ा खबरें पढ़ने के लिए डाउनलोड करें संजीवनी टुडे ऐप
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sablogpatrika · 4 years ago
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आजाद भारत के असली सितारे - 24
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चिपको के रहनुमा : सुन्दरलाल बहुगुणा        चिपको आन्दोलन की शुरुआत उत्तराखण्ड (तत्कालीन उत्तर प्रदेश) के चमोली जिले में 1970 में हुई थी। इसकी पृष्ठभूमि में उसी वर्ष आयी अलकनंदा नदी की प्रलयकारी बाढ़ थी जिसकी तबाही ने उत्तराखण्ड के जनजीवन को बुरी तरह अस्त-व्यस्त कर दिया था। इस बाढ़ में अलकनंदा का जलस्तर 538 मीटर तक बढ़ चुका था। पर्यावरणविशेषज्ञों का मानना था कि अलकनंदा की इस बाढ़ का मुख्य कारण मानव जनित कृत्य ही हैं। बाढ़ को रोकने में जंगलों की प्रमुख भूमिका होती है। इसलिए जंगलों को बचाने के लिए पहाड़ के प्रबुद्ध नागरिकों ने कमर कस ली थी। इसी बीच 1972 में वन विभाग ने चमोली जिले में टेनिस रैकेट बनाने के लिए जंगल से 300 पेड़ काटने का ठेका इलाहाबाद स्थित साइमन कंपनी को दे दिया। क्षेत्र में इसका कड़ा विरोध हुआ और कांट्रैक्ट खत्म कर दिया गया। फिर भी 1973 ई. में शासन ने जंगलों को काटकर अकूत राजस्व बटोरने की नीति बनाई।  जंगल कटने का सर्वाधिक असर महिलाओं पर पड़ा। उनके लिए घास और लकड़ी की कमी होने लगी। हिंसक जंगली जानवर गावों में आने लगे। धरती खिसकने व धँसने लगी। गाँव के लोगों और खासकर महिलाओं का विरोध जारी रहा। इसके बावजूद वन विभाग ने बड़ी चालाकी से जनवरी 1974 में पेड़ों की कट��ई का फिर से ठेका दे दिया। गाँव वालों ने फिर से इसका विरोध किया। किन्तु इस बार ठेकेदार ने गाँव वालों से छल किया। जनवरी का महीना था। रैंणी गाँव के वासियों को जब पता चला कि उनके इलाके से गुजरने वाली सड़क-निर्माण के लिए 2451 पेड़ों का छपान (काटने के लिए चुने गये पेड़) हुआ है तो पेड़ों को अपना भाई-बहन मानने वाले गाँववासियों में इससे हड़कंप मच गयी और वे हर परिस्थिति में इसे रोकने को कटिबद्ध हो गये। ठेकेदार को पेड़ काटने की हिम्मत नहीं हो रही थी।
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23 मार्च 1974 के दिन रैंणी गाँव में कटान के आदेश के खिलाफ, गोपेश्वर में एक रैली का आयोजन हुआ था। रैली में गौरा देवी, महिलाओं का नेतृत्व कर रही थीं। प्रशासन ने सड़क निर्माण के दौरान हुई क्षति का मुआवजा देने की तारीख 26 मार्च तय की थी, जिसे लेने के लिए गाँववालों को चमोली जाना था। दरअसल यह वन विभाग की एक सुनियोजित चाल थी। उनकी योजना थी कि 26 मार्च को चूँकि गाँव के सभी पुरुष चमोली में रहेंगे तो सामाजिक कार्यकर्ताओं को वार्ता के बहाने गोपेश्वर बुला लिया जाएगा और इसी दौरान ठेकेदारों से कहा जाएगा कि 'वे मजदूरों को लेकर चुपचाप रैंणी पहुँचें और कटाई शुरू कर दें। ' इस तरह नियत कार्यक्रम के अनुसार प्रशासनिक अधिकारियों के इशारे पर ठेकेदार मजदूरों को साथ लेकर देवदार के जंगलों को काटने निकल पड़े। उनकी इस हलचल को एक लड़की ने देख लिया। उसे ये सब कुछ असामान्य लगा। उसने दौड़कर यह खबर गौरा देवी को दिया। गौरा देवीने कार्यवाही में कोई विलंब नहीं किया। उस समय, गाँव में मौजूद 27 महिलाओं और कुछ बच्चों को लेकरवे भी जंगल की ओर चल पड़ीं। देखते ही देखते महिलाएँ मजदूरों के झुंड के पास पहुँच गयीं। उस समय मजदूर अपने लिए खाना बना रहे थे। गौरा देवी ने उनसे कहा, “भाइयों, ये जंगल हमारा मायका है। इससे हमें जड़ी-बूटी, सब्जी-फल और लकड़ी मिलती है। जंगल को काटोगे तो बाढ़ आएगी, हमारा सबकुछ बह जाएगा। , आप लोग खाना खा लो और फिर हमारे साथ चलो, जब हमारे मर्द लौटकर आ जाएँगे तो फैसला होगा। “ ठेकेदार और उनके साथ चल रहे वन विभाग के लोगों ने महिलाओं को धमकाया और गिरफ्तार करने की धमकी दी। लेकिन महिलाएँ अडिग थीं। ठेकेदार ने बंदूक निकालकर डराना चाहा तो गौरा देवी ने अपनी छाती तानकर गरजते हुए कहा, 'लो मारो गोली और काट लो हमारा मायका', इस पर सारे मजदूर सहम गये। गौरा देवी के इस अदम्य साहस और आह्वान पर सभी महिलाएँ पेड़ों से चिपक कर खड़ी हो गयीं और उन्होंने कहा, 'इन पेड़ों के साथ हमें भी काट डालो। '
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देखते ही देखते, काटने के लिए चिह्नितपेड़ों को पकड़कर महिलाएँ तैनात हो गयीं। ठेकेदार के आदमियों ने गौरा देवी को हटाने की हर कोशिश की लेकिन गौरा देवी ने आपा नहीं खोया और अपने विरोध पर अडिग रहीँ। आखिरकार थक-हारकर मजदूरों को लौटना पड़ा और इन महिलाओं का मायका कटने बच गया। अगले दिन यह खबर चमोली मुख्यालय तक पहुंची। पेड़ों से चिपकने का ये नायाब तरीका अखबारों की सुर्खियां बन गयीं। इस आन्दोलन ने सरकार के साथ-साथ वन प्रेमियों का भी ध्यान आकर्षित किया। इस तरह अलकनंदा की घाटी में शुरू हुआ यह आन्दोलन धीरे धीरे अल्मोड़ा, नैनीताल आदि जिलों में दूर दूर तक में फैल गया। मामले की गंभीरता को समझते हुए सरकार ने डॉ. वीरेंद्र कुमार की अध्यक्षता में एक जाँच समिति गठित की। जाँच में पाया गया कि रैंणी के जंगलों के साथ ही अलकनंदा में बाईं ओर मिलने वाली समस्त नदियों, ऋषि गंगा, पाताल गंगा, गरुड़ गंगा, विरही और नंदाकिनी के जल ग्रहण क्षेत्रों और कुंवारी पर्वत के जंगलों की सुरक्षा पर्यावरणीय दृष्टि से बहुत आवश्यक है। पाँचवीं क्लास तक प���ी चमोली जिले की इस आदिवासी महिला को दुनिया भर में ‘चिपको वूमेन फ्रॉम इंडिया’ कहा जाने लगा। इस तरह चिपको आन्दोलन' गौरा देवी के अदम्य साहस और सूझबूझ की कहानी है। चिपको आन्दोलन' का आप्तवाक्य है- “क्या हैं जंगल के उपकार, मिट्टी, पानी और बयार। मिट्टी, पानी और बयार, जिन्दा रहने के आधार। “ धीरे-धीरे एक दशक के भीतर ही यह आन्दोलन समूचे उत्तराखण्ड में फैल गया। इसे आगे ले जाने में सुन्दरलाल बहुगुणा (जन्म-9.1.1927) और उनके सहयोगियों-चंडी प्रसाद भट्ट,गौरा देवी,गोविंद सिंह रावत, वासवानंद नौटियाल और हयात सिंहकी प्रमुख भूमिका थी। इस आन्दोलन की सबसे खास बात यह थी कि इसमें स्त्रियों ने बड़ी संख्य़ा में भाग लिया था। सुन्दरलाल बहुगुणा ने अपना पूरा जीवन चिपको आन्दोलन को समर्पित कर दिया चिपको आन्दोलन से पहले 1730 ई. में जोधपुर के खेजड़ली गाँव में अमृतादेवी विश्वनोई के नेतृत्व में इसी तरह का एक आन्दोलन हो चुका था जिसमें जोधपुर के महाराजा के आदेश के विरुद्ध बिश्नोई समाज की महिलाएँ पेड़ से चिपक गयी थीं और उन्होंने पेड़ों को काटने से रोक दिया था किन्तु इस आन्दोलन में 630 लोगों ने अपना बलिदान दिया था। चमोली के चिपको आन्दोलन को विश्वनोई समाज के इस आन्दोलन से अवश्य प्रेरणा मिली होगी।
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सुन्दरलाल बहुगुणा का जन्म देवों की भूमि उत्तराखण्ड के सिल्यारा नामक स्थान पर हुआ। उनके पिता का नाम अम्बादत्त बहुगुणा और माँ का नाम पूर्णा देवी था। अम्बादत्त बहुगुणा टिहरी रियासत के वन अधिकारी थे। सुन्दरलाल अपने माता पिता की छठीं संतान थे। उनसे बड़े तीन भाई और दो बहनें थीँ। बचपन से ही सुन्दरलाल बहुगुणा को पढ़ने- लिखने का खूब शौक था किन्तु संयोग से बचपन में ही वे श्रीदेव सुमन के सम्प���्क में आ गये। श्रीदेव सुमन टिहरी रियासत की राजशाही के विरुद्ध विद्रोह क��ने वाले भारत के अमर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी हैं। श्रीदेव सुमन को जब गिरफ्तार किया गया तब टिहरी जेल से उनका एक वक्तव्य राष्ट्रीय दैनिक ‘हिन्दुस्तान’ और ‘वीर अर्जुन’ में छपा। टिहरी की जेल से दिल्ली तक यह वक्तव्य पहुचाने में मुख्य भूमिका सुन्दरलाल बहुगुणा की थी। उन्हें इसके लिए जेल की सजा भी हुई। प्रधानाध्यापक के आग्रह पर पुलिस की निगरानी में उन्होंने उस वर्ष परीक्षा दी थी और उसके बाद उन्हें नरेन्द्रनगर जेल भेज दिया गया जहाँ उन्हें कठोर यातनाएं दी गयी। वहाँ से वे गुप-चुप तरीके से लाहौर भाग गये। लाहौर में सुन्दरलाल बहुगुणा ने सनातन धर्म कॉलेज से बी.ए. की पढ़ाई की। लाहौर में टिहरी गढ़वाल के रहने वाले लोगों ने ‘प्रजामंडल’ की एक शाखा बनाई थी जिसमें सुन्दरलाल बहुगुणा ने सक्रिय रूप से भागीदारी की। इस बीच टिहरी से भागे सुन्दरलाल बहुगुणा के लाहौर होने की खबर पुलिस तक पहुँच गयी और लाहौर में खोज शुरू हुई। इससे बचने के लिये सुंदरलाल बहुगुणा ने अपना पूरा हुलिया बदल लिया और लाहौर से दो सौ किमी दूर स्थित एक गाँव लायपुर में सरदार मान सिंह के नाम से रहने लगे। यहाँ अपनी आजीविका के लिये वे सरदार घुला सिंह के तीन बेटे और दो बेटियों को पढ़ाने लगे। 1947 में लाहौर से बी.ए. की परीक्षा पासकर सुन्दरलाल बहुगुणा टिहरी वापस लौट आये। समाज सेवा उनका स्वभाव था। सन 1949 में वे मीराबेन तथा ठक्कर बाप्पा के सम्पर्क में आए। वे गाँधी जी के पक्के अनुयायी बन गये। उन दिनों राजनीति में भी उनकी गहरी रुचि थी, किन्तु 1956 में शादी के बाद वे राजनीति से दूर हो गये और गाँव में रहते हुए सामाजिक कार्यों से अपने को पूरी तरह जोड़ दिया। उनकी पत्नी विमला, सरला बहन की सबसे प्रिय शिष्या थी और वे स्वयं मीराबेन के शिष्य थे। दोनों ने मिलकर बालगंगा नदी के किनारे सिल्यारा गाँव में अपने लिये झोंपड़ी बनाई और वहीँ बच्चों को पढ़ाना शुरू कर दिया। सुन्दरलाल बहुगुणा लड़कों को पढ़ाते और उनकी पत्नी विमला नौटियाल लड़कियों को पढ़ातीं। दोनों के प्रयास से यहीं ‘'पर्वतीय नवजीवन मण्डल' की नीव पड़ी। बाद में सरला बहन की सलाह पर ही यह नवजीवन मंडल ‘नवजीवन आश्रम’ में बदल गया। यह संगठन स्थानीय लोगों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए काम करने लगा। वे दलित समुदाय के विद्यार्थियों के उत्थान के लिए काम करने लगे और उनके लिए उन्होंने टिहरी में ‘ठक्कर बाप्पा होस्टल’ की स्थापना की। उन्होंने दलितों को मंदिर में प्रवेश का अधिकार दिलाने के लिए आन्दोलन छेड़ा और शराब की दुकानों को बंद करने के लिए उन्होंने सोलह दिन तक अनशन किया। 1960 के बाद उन्होंने अपना ध्यान पेड़ों की र��्षा पर केन्द्रित किया। चिपको आन्दोलन के कारण वे विश्वभर में ‘वृक्षमित्र’ के नाम से प्रसिद्ध हो गये। चिपको आन्दोलन की मान्यता है कि वनों का संरक्षण और संवर्धन केवल कानून बनाकर या प्रतिबंधात्मक आदेशों के द्वारा नहीं किया जा सकता है। वनों के पतन के लिए वन प्रबन्धन सम्बन्धी नीतियाँ ही दोषपूर्ण हैं। एक ओर सरकारी संरक्षण में वन की उपजों को ऊँची कीमत पर बेचा जाता है तो दूसरी तरफ वनों में रहने वाले लोगों की जलाऊ लकड़ी, चारा पत्ती जैसी आवश्यकताएँ जो कानून से उन्हें प्राप्त है, आज की सरकारी नीतियों द्वारा छीन ली गयी हैं चिपको आन्दोलन ने ग्रामीण महिलाओं में न केवल पर्यावरण संरक्षण की चेतना विकसित की है बल्कि व्यवस्था में भागीदारी के लिए नेतृत्व का विकास भी किया है। अब वन पंचायतों पर महिलाओं का भी कब्जा होने लगा है। आज के वनों के संरक्षण में सबसे अगली कतार में महिलाएँ स्वत: स्फूर्त रूप में खड़ी हैं। चिपको आन्दोलन प्रारम्भ में त्वरित आर्थिक लाभ का विरोध करने का एक सामान्य आन्दोलन था किन्तु बाद में यह पर्यावरण सुरक्षा तथा स्थाई अर्थव्यवस्था का एक अभिनव आन्दोलन बन गया। चिपको आन्दोलन से पूर्व वनों का महत्व मुख्य रूप से वाणिज्यिक था। व्यापारिक दृष्टि से ही वनों का बड़े पैमाने पर दोहन किया जाता था। चिपको आन्दोलनकारियों द्वारा वनों के पर्यावरणीय महत्व की जानकारी सामान्य जन तक पहुँचाई जाने लगी। इस आन्दोलन की धारणा के अनुसार वनों की पर्यावरणीय उपज है, ईंधन, चारा, खाद, फल और रेशा। इसके अतिरिक्त मिट्टी तथा जल वनों की दो अन्य प्रमुख पर्यावरणीय उपज हैं जो मनुष्य के जिन्दा रहने का आधार हैं। इस तरह यह आन्दोलन वनों की अव्यावहारिक कटान रोकने और वनों पर आश्रित लोगों के वनाधिकारों की रक्षा का आन्दोलन था। चिपको आन्दोलन की मान्यता है कि वनों के संरक्षण के लिए लोकशिक्षण को आधार बनाया जाना चाहिए जिससे और अधिक व्यापक स्तर पर जनमानस को जागरूक किया जा सके। इस प्रकार, चिपको आन्दोलन में पेड़ों की रक्षा के साथ- साथ, वन संसाधनों का वैज्ञानिक ��रीके से उपयोग, समुचित संरक्षण और वृक्षारोपण आदि को भी शामिल किया गया। यह आन्दोलन अब केवल पेड़ों से चिपकने तथा उनको बचाने का ही आन्दोलन नहीं है अपितु यह एक ऐसा आन्दोलन बन गया है जो वनों की स्थिति के प्रति जागृति पैदा करने, संपूर्ण वन-प्रबन्ध को एक स्वरूप प्रदान करने और जंगलों एवं वनवासियों की समृद्धि के साथ ही धरती की समृद्धि के प्रति चेतना प्रदान करने वाला आन्दोलन है।
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चिपको आन्दोलन यह संदेश देता है कि वनों से हमारा गहरा रिश्ता है। वन हमारे वर्तमान और भविष्य के संरक्षक हैं। यदि वनों का अस्तित्व नहीं होगा तो हमारा अस्तित्व भी समाप्त हो जाएगा। मनुष्य का यह अधिकार है कि वह अपनी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए प्राकृतिक संसाधनों का भरपूर उपयोग करे लेकिन निर्ममता के साथ नहीं। प्राकृतिक संतुलन बिगाड़ने की कीमत परनहीं। चिपको आन्दोलन के निरंतर प्रयास के कारण संपूर्ण देश में अब लोग यह समझने और स्वीकार करने लगे हैं कि अगर उन्हें अपनी खोई हुई खुशहाली को फिर से लौटाना है तो उसके लिए उन्हें वनरहित भूमि को पुनः हरियाली से ढकना होगा। इस आन्दोलन का संदेश अब देश की सीमा से बाहर फैल चुका है। उत्तर प्रदेश (वर्तमान उत्तराखण्ड) में इस आन्दोलन ने 1980 में तब एक बड़ी जीत हासिल की, जब तत्कालीन प्रधानमन्त्री इंदिरा गांधी ने प्रदेश के हिमालयी वनों में वृक्षों की कटाई पर 15 वर्षों के लिए रोक लगा दी। इस तरह इस आन्दोलन की मुख्य उपलब्धि यह है कि इसने केंद्रीय राजनीति के एजेंडे में पर्यावरण को एक सघन मुद्दा बना दिया। धीरे-धीरे यह आन्दोलन पूर्व में बिहार, पश्चिम में राजस्थान, उत्तर में हिमाचल प्रदेश, दक्षिण में कर्नाटक और मध्य भारत में विंध्य तक फैला गया। सुंदरलाल बहुगुणा ने 1981 से 1983 के बीच पर्यावरण को बचाने का संदेश लेकर, चंबा के लंगेरा गाँव से हिमालयी क्षेत्र में करीब 5000 किलोमीटर की पदयात्रा की थी। यह यात्रा 1983 में विश्वस्तर पर सुर्खियों में रही। उन्होंने यात्रा के दौरान गाँवों का दौरा किया और लोगों के बीच पर्यावरण सुरक्षा का संदेश फैलाया। बहुगुणा ने टिहरी बाँध के खिलाफ आन्दोलन में भी अहम भूमिका निभाई थी। उनका मानना था कि 100 मेगावाट से अधिक क्षमता का बाँध नहीं बनना चाहिए। वे जगह-जगह जो जलधाराएँ हैं, उन पर छोटी-छोटी बिजली परियोजनाएँ बनाये जाने के पक्ष में थे। उनका कहना था कि इससे सिर्फ धनी किसानों को फायदा होगा और टिहरी के जंगल बर्बाद हो जाएँगे। उन्होंने कहा कि भले ही बाँध भूकम्प का ��ामना कर ले लेकिन वहाँ की पहाड़ियाँ नहीं कर पाएँगी। उन्होंने आगाह किया कि पहले से ही पहाड़ियों में दरारें पड़ गयी हैं। अगर बाँध टूटा तो 12 घंटे के अंदर बुलंदशहर तक का इलाका उसमें डूब जाएगा। उन्होंने इसके लिए कई बार भूख हड़ताल की। तत्कालीन प्रधानमन्त्री पी.वी.नरसिम्हा राव के शासनकाल में उन्होंने डेढ़ महीने तक भूख हड़ताल की थी। सालों तक शांतिपूर्ण प्रदर्शन के बाद 2004 में बाँध पर फिर से काम शुरू किया गया। उनकी भविष्यवाणी का असर अब दिखने लगा है। आजकल नदियों को आपस में जोड़कर पानी की समस्या के हल का सुक्षाव दिया जा रहा है। इस प्रस्ताव से सुन्दरलाल बहुगुणा सहमत नहीं है। उनकी दृष्टि में नदियों को आपस में जोड़ना अप्राकृतिक है। इसे वे मनुष्‍य के स्‍वार्थ की पराकाष्‍ठा कहते है। नदियों को जोड़ने से लगभग एक करोड़ लोग विस्‍थापित होंगे। विकास के नाम पर हो रहे नये प्रयोगों से आम इन्सान वैसे ही अत्यधिक परेशान हैं। पश्चिम इस समस्‍या को भुगत रहा है। अब वह इस मानव विरोधी विकास को हम पर थोप रहा है। इसी तरह बाँधों के बारे में वे कहते हैं कि बाँध पानी की समस्या का हल नहीं है। बाँध का पानी मृत पानी है और नदियों का पानी जिन्दा पानी है। गाँधी जी ने भी बड़े बाँधों के विचार को नकार दिया था। बड़े बाँध तबाही के मंजर हैं। टिहरी बाँध से एक लाख लोगों का विस्थापन हुआ था। विस्थापन सबसे बड़ी मानवीय त्रासदी है। विस्थापित मनुष्य का मनोवैज्ञानिक पुनर्वास कभी भी नहीं हो सकता। बहुगुणा संभावनाव्यक्त करते हैं कि अगला विश्वयुद्ध पानी को लेकर होगा। भूस्तर से जल दूर होता जा रहा है। उनके अनुसार आजकल भूमंडलीकरण, उदारीकरण, निजीकरण के नाम पर विकास की जो आँधी चल रही है यह भोगवादी सभ्यता हमें विनाश की ओर ले जा रही है। बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ हमारे प्राकृतिक संसाधनों का सिर्फ दोहन कर रही हैं। आज धरती माँ को हम प्यार की नजरों से नहीं, अपितु कसाई की भाँति देखते हैं किन्तु जो समाज प्रकृति को माँ के समान देखेगा वही बचेगा।
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बहुगुणा के अनुसार, “अमेरिका बड़ी शक्ति है जो पूरी दुनिया पर छाना चाहता है। इसलिए भय व खतरा उत्पन्न करके अपना हथियार गरीब देशों में बेचना चाहता है। भारत को कहता है कि पाकिस्तान तुम्हारा दुश्मन है, कभी भी हमला कर सकता है इसलिए हथियार खरीदो। .... व्यापारिक हितों से यूरोपियन देशों ने महासंघ बना लिया। परमाणु ऊर्जा से पर्यावरण का विनाश ही होगा। भारत तो भाग्यशाली देश रहा है। सूर्य यहाँ रोज उगता है। इसलिए ऊर्जा संकट के लिए सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, जलशक्ति ऊर्जा, मनुष्य ऊर्जा और पशु ऊर्जा से हम आत्मनिर्भर हो सकते हैं। हाँ इन स्रोतों से प्राप्त ऊर्जा विकेंद्रित होनी चाहिए, जिससे इसका लाभ आम व्यक्ति को भी मिल सके। “ (अमित कुमार विश्वास द्वारा लिए गये एक साक्षात्कार से, हिन्दी समय डाट काम ) उन्होंने कहा है, “वर्तमान ��ौर में भूमंडलीकरण, उदारीकरण, निजीकरण के नाम पर जो विकास की आंधी चली है, यह मनुष्य को खतरनाक मोड़ पर ले जा रही है। आज का विकास प्रकृति के शोषण पर टिका है जिसमें गरीब, आदिवासी को प्राकृतिक संसाधनों से बेदखल किए जाने का षड्यंत्र रचा जा रहा है। भोगवादी सभ्यता ने हम सभी को बाजार में खड़ा कर दिया है। “(https://www.amarujala.com/channels/downloads) बहुगुणा के कार्यों से प्रभावित होकर अमेरिका की ‘फ्रेंड ऑफ नेचर’ नामक संस्था ने 1980 में इनको पुरस्कृत किया। इन्हें और भी अनेक पुरस्कार मिले। 1981 में इन्हें पद्मश्री पुरस्कार दिया गया जिसे उन्होंने यह कह कर अस्वीकार कर दिया कि जब तक पेड़ों की कटाई जारी है, मैं अपने को इस सम्मान के योग्य नहीं समझता हूँ। चिपको आन्दोलन ने इको-सोशलिज्म और इको-फेमिनिज्म जैसे शब्दों को गढ़ा और इन्हें अंतरराष्ट्रीय बनाया। चिपको आन्दोलन की 45 वीं वर्षगाँठ के अवसर पर गूगल ने डूडल बनाया जिसमें जंगल के एक एक बड़े पेड़ को घेरकर चार औरतें खड़ी हैं और आस पास जंगली जानवर दिखाई दे रहे है। ‘अमर उजाला’ (देहरादून) के 18 दिसम्बर 2020 के अंक में प्रकाशित खबर के अनुसार उन्होंने ती�� कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसान आन्दोलन का समर्थन किया है। आज सुन्दरलाल बहुगुणा का 94वाँ जन्मदिन है। उन्हें हम जन्मदिन की हार्दिक बधाई देते हैं और उनके स्वस्थ व सक्रिय जीवन की कामना करते हैं। . Read the full article
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agromedihome · 4 years ago
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एकीकृत बागवानी विकास मिशन (MIDH) योजना के अतिरिक्त लक्ष्य तय
एकीकृत बागवानी विकास मिशन (MIDH) योजना के अतिरिक्त लक्ष्य तय
विदिशा, 10 मार्च/ एग्रोमीडिया उद्यानिकी विभाग द्वारा वर्ष 2020-21 के लिए विभिन्न घटकों में संकर सब्जी क्षेत्र विस्तार, जैविक खेती वर्मी बेड,बागवानी यंत्रिकरण नेपसैक स्प्रेससर/विद्युत चलित स्प्रेयर, एवं पोर्टेबल स्प्रिंकलर के अतिरिक्त वर्गवार लक्ष्य प्राप्त हुए हैं। एकीकृत बागवानी विकास मिशन योजना के तहत वर्ष 2020-21 के अतिरिक्त प्राप्त भौतिक वर्गवार लक्ष्यों की पूर्ति मॉलल विकास खण्ड में…
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baba85 · 4 years ago
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मिशन शक्ति के अंतर्गत महिला किसानों की बैठक हुई सम्पन्न
मिशन शक्ति के अंतर्गत महिला किसानों की बैठक हुई सम्पन्न
देवरिया जिले के लार ब्लाक में स्थित स्थानीय विकास खण्ड के दक्षिणांचल के खेमादेई गांव में गुरुवार को मिशन शक्ति योजना अंतर्गत महिला / महिला किसानों का बैठक किया गया ,जिसमें महिलाओं को समूह बनाने, क्षमता विकास पर चर्चा हुई। महिला समूह को फल फूल सब्जी आदि की खेती पर वैज्ञानिक जानकारी प्रदान की गई ,साथ ही je/aes अर्थात दिमागी बुखार से बचाव पर भी चर्चा की गई। वह चूहा नियंत्रण पर भी जानकारी प्रदान की…
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its-axplore · 4 years ago
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सूबे में बच्चों के नाटेपन में काफी कमी आई है। यानी, बच्चाें की औसत लंबाई बढ़ रही है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण- 5 की रिपाेर्ट के अनुसार पिछले 5 वर्षाें में पूरे बिहार में नाटापन (उम्र के हिसाब से लंबाई का कम होना) में 5.4% की कमी आई है। 2015-16 में हुए सर्वेक्षण-4 की रिपाेर्ट के अनुसार सूबे में 48.3% बच्चाें की औसत लंबाई उम्र के हिसाब से कम थी।
जो 2019-20 में हुए सर्वेक्षण- 5 के अनुसार घट कर 42.9% रह गई है। नाटापन में आई कमी का मुख्य कारण पाेषण काे लेकर लगातार चलाए गए अभियान काे माना गया है। कुपोषण व संक्रमण जैसे कारकों के कारण बच्चे नाटापन के शिकार हाेते हैं। इससे उनका ��ारीरिक व बौद्धिक विकास भी अवरुद्ध हाेता है। मुजफ्फरपुर में नाटेपन से ग्रसित हैं 47.9% बच्चे
सूबे मेें अव्वल शिवहर जिले में सर्वेक्षण-4 के अनुसार 53% बच्चे औसत से कम लंबाई के थे, जबकि सर्वेक्षण-5 में 18.6% घट कर यह आंकड़ा 34.4% रह गया है। यह कमी राज्य के औसत से 3 गुना अधिक है। वैशाली जिला 15.2% कमी के साथ दूसरे नंबर पर है। यहां 38.3% बच्चे नाटापन से ग्रसित हैं। 15% कमी के साथ खगड़िया तीसरे, 11.5% के साथ नालंदा चाैथे, 11.1% कमी के साथ मुंगेर जिला 5वें नंबर पर है। मुजफ्फरपुर जिले में मात्र 5.3 फीसदी की कमी आई है। सर्वेक्षण-4 में यहां 47.9 फीसदी बच्चे नाटापन से ग्रसित थे और सर्वेक्षण-5 में यह 42.6% है।
बेहतर पोषण ही उपाय बच्चे के विकास में माता-पिता का भी प्रभाव हाेता। पर, यह बेहतर पाेषण से ठीक हो सकता है। कुछ रोग बच्चे के विकास को प्रभावित ताे कर सकते हैं, लेकिन समय पर ध्यान देने से तबीयत ठीक होते ही सब नॉर्मल हाे जाता है। बाल कुपोषण मुक्त बिहार अभियान बना सूत्रधार
सूबे में 2014 से बाल कुपोषण समाप्ति का अभियान चल रहा है। इसके तहत हुए प्रयासों से नाटापन में लगातार कमी अा रही है। इसके अलावा मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना, समेकित बाल विकास सेवा सुदृढ़ीकरण व पोषण सुधार योजना (आईएसएसएनपी), पोषण अभियान व ओडीएफ़ जैसे कार्यक्रमों का बेहतर क्रियान्वयन भी नाटापन में कमी लाने में सकारात्मक प्रभाव डाला है। बच्चे की लंबाई के साथ वजन का भी अनुपात में बढ़ना जरूरी
बच्चे का वजन और लंबाई दोनों साथ बढ़ना जरूरी है। न तो सिर्फ लंबाई, न ही सिर्फ वजन का ही बढ़ना ठीक है। वजन और लंबाई दोनों का उचित विकास जरूरी है। ऐसे में चिकित्सकाें की सलाह है कि इस दाैरान उनके आहार व रूटीन का पूरा ध्यान रखा जाए।
बच्चे के विकास को प्रभावित करने वाले ये हैं प्रमुख कारक
गर्भावस्था में मां का हेल्थ: गर्भावस्था में मां का स्वास्थ्य बच्चे के विकास की एक महत्वपूर्ण कड़ी है। बल्कि, मां की डाइट, वजन और लाइफस्टाइल का जन्म के एक साल तक बच्चे पर प्रभाव पड़ता है। एक गर्भवती महिला जो कुछ खाती है वह बच्चे काे भी ग्रहण हाेता है।
जन्म के समय बच्चे का वजन: जन्म के समय बच्चे का वजन इस बात का सूचक है कि गर्भ में उसे कितना पोषण मिला था। यदि उनका जन्म के समय वजन अधिक होता है, तो वे धीरे-धीरे बढ़ते हैं और अगर कम होता है तो इसके विपरीत उनका विकास तेजी से होता है।
स्तनपान व उचित आहार: जन्म के छह महीने तक सर्व���धिक पोषण स्तनपान से मिलता है। यह बहुत हद तक शारीरिक विकास निर्धारित करता है। मां का दूध बच्चे के लिए सर्वोत्तम आहार है। इसके साथ 6 माह के बाद अर्ध-ठोस या ठोस आहार जरूरी होता है।
लंबाई व वजन ठीक रखने के लिए बचपन से ही उनकी डायट का रखा जाना चाहिए पूरा ध्यान: दूध बच्चों का बेस्ट फूड ऑप्शन है। हर दिन सोने से पहले बच्चे को दूध पिलाने से उनकी हड्डियां मजबूत होती हैं। पालक आयरन का अच्छा सोर्स है। यदि वे इसे सब्जी में न लेना चाहें ताे पालक सेंडविच या दाल में डाल कर खिला सकते हैं। इनके अलावा अंडा, सोयाबीन समेत प्राेटीन बढ़ानेवाले अन्य चीजें भाेजन में शामिल करें।
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The average length of children in the state has been increasing; Natepan decreased by 5.4% in the state
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merikheti · 2 years ago
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बदलते मौसम और जनसँख्या के लिए किसानों को अपनाना होगा फसल विविधिकरण तकनीक : मध्यप्रदेश सरकार
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केंद्र सरकार किसानों के लिए विभिन्न प्रकार की योजना बना रही है, जिससे न सिर्फ किसानों की आय बढ़ेगी, बल्कि इससे पर्यावरण भी सुरक्षित रहेगा। हाल ही के दिनों में एक ऐसे योजना की शुरुआत हुई है, जिसको जान कर किसान हैरान रह जायेंगे। इस योजना में आपको बताया जायेगा कि अब एक साथ आप कैसे विभिन्न प्रकार की खेती कर सकते हैं ताकि आपकी आय बढ़कर तिगुना हो जाए। इस योजना का नाम है “फसल विविधिकरण” (Crop Diversification)।
इस बदलते समय और बढ़ते जनसँख्या के लिए यह फसल विविधिकरण योजना एक बहुत ही आवश्यक कदम है। इस योजना से न सिर्फ किसानों की आय बढ़ेगी, बल्कि यह उनके खेत का भी स्वास्थ्य ठीक करेगा जिससे अन्य फसलें भी अच्छे से उग सकेंगी। इस योजना पर केंद्र सरकार बहुत जोर दे रही है, लेकिन आपको आश्चर्य होगा कि मध्य प्रदेश सरकार ने इस तरह की योजना की शुरुआत बहुत पहले कर दी थी, जिसमें धान, गेहूं और अन्य पारंपरिक खेती के अलावा सरकार अब फूल, सब्जी और मसाला की खेती पर काफी जोर दे रही है। इसके साथ-साथ फल पौधा रोपण और क्रॉप डायवर्सिफिकेशन पर भी सरकार नजर बनाये हुए है।
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गौरतलब है कि साल 2022-23 में 2 हज़ार हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में फल पौधा रोपण अभियान के तहत विभिन्न प्रकार के पौधे लगाये गए हैं, जिसमें आम, अमरुद, संतरा, निम्बू, काजू, अनार, ड्रैगन फ्रूट, स्ट्रॉबेरी, केला जैसे पौधे शामिल थे। इन फलों का उत्पादन शुरू हो चुका है। इसके अलावा सब्जी उत्पादन के क्षेत्र में फसल विविधिकरण का उपयोग किया जा रहा है, खीरा, शिमला मिर्च, लौकी, भिन्डी और अन्य सब्जी का उत्पादन किया जा रहा है। आपको बता दे कि फसल विविधिकरण का उपयोग कर पिछले वर्ष के मुकाबले इस वर्ष सब्जी, मसाला और फूल के उत्पादन में 6.45 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। आपको मालूम हो कि इस योजना को और मजबूती प्रदान करने के लिए राज्य के 137 से अधिक नर्सरी को स्वयं सहायता समूह से जोड़ा गया है, जिससे हजारों पौधे तैयार किए गए है।
मध्य प्रदेश के उद्यानिकी और खाद्य प्रसंस्करण विभाग के कार्यों की समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा की इस वर्ष कोल्ड स्टोरेज का 25 लाख मीट्रिक टन क्षमता वृद्धि का लक्ष्य रखा गया है। उसी समीक्षा बैठक में अधिकारियों को निर्देश दिया गया कि “एक जिला एक उत्पादन” के तहत बागवानी फसलो और उत्पादों की मार्केटिंग एक मिशन की तरह की जाएँ, जिससे किसानों को लाभ हो और पर्यावरण संरक्षण में भी मदद मिल सके।
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किसानों को मिलेगा प्रशिक्षण
मुख्यमंत्री ने अधिकारीयों को निर्देशित किया कि किसानों के विशेष प्रशिक्षण की व्यवस्था की जाये, जिसमे उनको ड्रिप इर्रेगेशन (drip irrigation), जैविक बागवानी, माली प्रशिक्षण आदि के बारे में उनको बताया जाए ताकि उनकी आय बढे। इसके लिए जगह जगह प्रशिक्षण केंद्र व मुरौना में सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस प्रारंभ भी किया जाएगा। प्रदेश के दस जिलों को ग्रीन क्लस्टर हाउस के रूप में विकसत करने की भी बात कही गयी है, इसमें भोपाल, सीहोर, उज्जैन, रतलाम, नीमच, बड़वानी, खण्डवा, खरगौन जबलपुर और छिंदवाड़ा शामिल हैं। दस जिलों में बनेंगे ग्रीन हाउस क्लस्टर।
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प्रदेश में फसलों की उत्पादकता में वृद्धि और विविधीकरण, कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर के प्रयास, प्रमाणित जैविक उत्पादन में वृद्धि, कृषि एवं उद्यानिकी उत्पादों का मूल्य संवर्धन पर भी चर्चा की गयी।  बैतूल जिले में शेडनेट निर्माण का क्लस्टर विकसित किया गया है। प्रदेश के दस जिलों भोपाल, सीहोर, उज��जैन, रतलाम, नीमच, बड़वानी, खण्डवा, खरगौन जबलपुर और छिंदवाड़ा में ग्रीन हाउस क्लस्टर विकसित किए जाएंगे। इस साल सीहोर, ग्वालियर और मुरैना में इनक्यूबेशन सेंटर्स का भूमि-पूजन किया गया है। अतिरिक्त रोजगार के लिए मत्स्यपालन, रेशम पालन विकास और मधुमक्खी पालन के कार्यों को बढ़ावा देने की बात भी कही गयी है।
Source बदलते मौसम और जनसँख्या के लिए किसानों को अपनाना होगा फसल विविधिकरण तकनीक : मध्यप्रदेश सरकार
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ashokgehlotofficial · 3 years ago
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निवास से वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से कृषि विपणन विभाग की बजट घोषणाओं एवं विभागीय योजनाओं की प्रगति की समीक्षा की। कृषि उपज की कीमतों को ज्यादा प्रतियोगी बनाने हेतु मंडियों में ऑनलाइन व्यापार को बढ़ावा दें व ई-पेमेंट को प्रोत्साहित करें। किसानों को ई-पेमेंट के फायदों की जानकारी होगी तो वे आगे बढ़कर इसे अपनाएंगे।
कृषि उपज की कीमतों को ज्यादा प्रतियोगी बनाने के लिए मंडियों में ऑनलाइन व्यापार को बढ़ावा दें और ई-पेमेंट को प्रोत्साहित करें। किसानों को ई-पेमेंट के फायदों की जानकारी होगी, तो वे स्वयं आगे बढ़कर इसे अपनाएंगे। इसके लिए किसानों को जागरूक करने की आवश्यकता है।
कृषि उत्पादों का मूल्य संवर्धन करने एवं किसानों को उपज की उचित कीमत दिलाने के लिए आधारभूत संरचना का विकास जरूरी है। इसके लिए काश्तकारों को ई-पेमेंट वाली सफलतम मंडियों की विजिट कराई जाए। साथ ही, कृषि विपणन विभाग पायलट प्रोजेक्ट के तहत मंडियों का चयन कर किसानों को जागरूक करे और मंडी विशेष को शत-प्रतिशत ई-पेमेंट आधारित बनाने के लिए अभियान चलाएं।
केन्द्र सरकार के कृषि कानूनों को वापस लेने के बाद अब नई स्वतंत्र मंडियों के गठन की प्र��्रिया को चरणबद्ध रूप से तेजी से आगे बढ़ाया जाए। मंडी शुल्क एवं अन्य दरों में किसी प्रकार के संशोधन के सम्बन्ध में निर्णय लेने से पहले हितबद्ध समूहों से विस्तृत चर्चा की जाए।
कृषि प्रसंस्करण, कृषि व्यवसाय एवं कृषि निर्यात प्रोत्साहन नीति-2019 काश्तकारों के खेत में ही कृषि उत्पादों का प्रसंस्करण कर मूल्य संवर्धन के माध्यम से उनकी आय बढ़ाने के लिए शुरू की गई थी। इस नीति के उद्देश्य को पूरा करने के लिए किसानों को प्रसंस्करण इकाइयां लगाने के लिए बैंकों से आसानी से लोन दिलवाना सुनिश्चित किया जाए। हर जिले में एक-एक नोडल अधिकारी की नियुक्ति करने को कहा। यह नोडल अधिकारी किसानों को तकनीकी और वित्तीय सहायता दिलवाने में मदद करेंगे।
कृषि मंत्री श्री लालचन्द कटारिया ने कहा कि मंडियों में ऑनलाइन व्यापार एवं ई-पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए किसानों को कार्यशालाओं के माध्यम से एवं इस मॉडल की सफल मंडियों का भ्रमण कराकर जागरूक करना चाहिए। उन्होंने फल-सब्जी मंडियों में आने वाले काश्तकारों के लिए भोजन व्यवस्था की आवश्यकता जताई।
सहकारिता मंत्री श्री उदयलाल आंजना ने कहा कि किसानों की आय बढ़ाकर उन्हें आर्थिक आत्मनिर्भर बनाने के लिए लगातार नवाचार करने चाहिए। कृषि विपणन राज्य मंत्री श्री मुरारीलाल मीणा ने कहा कि किसानों को उपज का उचित मूल्य दिलाने के लिए विभाग द्वारा ऑनलाइन व्यापार एवं कृषि प्रसंस्करण को बढ़ावा दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इसके लिए किसानों को जागरूक करना आवश्यक है।
कृषि विपणन विभाग के प्रमुख शासन सचिव श्री दिनेश कुमार ने विभागीय प्रगति का प्रस्तुतीकरण दिया। उन्होंने बताया कि राज्य की 145 कृषि उपज मंडियों में से 144 को ई-नाम से जोड़ दिया गया है और हनुमानगढ़ मंडी की डीपीआर बनाकर प्रस्ताव केन्द्र सरकार को भिजवा दिया गया है। ई-पेमेंट को प्रोत्साहित करने के लिए मंडियों में आईटी सिस्टम को मजबूत किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि कृषि प्रसंस्करण, कृषि व्यवसाय एवं कृषि निर्यात प्रोत्साहन नीति-2019 के तहत कृषि प्रसंस्करण इकाइयों तथा आधारभूत संरचनाओं के 477 प्रकरणों में 165 करोड़ रूपए अनुदान स्वीकृत किया गया है, जिनमें से 127 इकाइयां किसानों ने स्थापित की हैं, जिन्हें 48 करोड़ रूपए का अनुदान दिया गया है। कृषि विपणन विभाग के आयुक्त श्री सोहनलाल शर्मा ने बताया कि मंडियों में ई-पेमेंट का बढ़ावा देने के लिए किसान उपहार योजना शुरू की गई है। किसानों को पुरस्कार राशि देने के लिए लगभग 4 करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है।
बैठक में मुख्य सचिव श्री निरंजन आर्य तथा कृषि एवं विपणन विभाग के अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
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poonamranius · 3 years ago
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PM Mudra Loan Yojana – Latest Update : मिलेंगे 3 प्रकार के लोन , जाने आपके लिए कौनसा लोन है परफेक्ट
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PM Mudra Loan Yojana – Latest Update : MUDRA का मतलब माइक्रो यूनिट्स डेवलपमेंट एंड रिफाइनेंस एजेंसी लिमिटेड है !यह पूरे भारत में छोटे व्यवसायों और सूक्ष्म उद्यमों को स्थापित करने और विकसित करने के लिए दिया गया एक ऋण है ! मुद्रा ऋण  PM मुद्रा लोन योजना ( PM Mudra Loan Yojana ) के तहत उपलब्ध है ! गैर-कृषि सूक्ष्म उद्यमों और छोटे गैर-कॉर्पोरेट व्यवसायों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए 8 अप्रैल 2015 से ऋण ( Loan ) शुरू किया गया था ! PM Mudra Loan Yojana Latest Update ऋण ( Loan ) एनबीएफसी, वाणिज्यिक बैंक, छोटे वित्त बैंक और आरआरबीएस द्वारा प्रदान किए जाते हैं ! और PM मुद्रा लोन योजना ( PM Mudra Loan Yojana )  के आधार पर 10 लाख रुपये तक के ऋण का लाभ उठाया जा सकता है ! मुद्रा ऋण की प्राथमिक भूमिका स्थायी व्यवसाय विकास और ग्रामीण या छोटे पैमाने के उद्यमियों को वित्त देना है ! में वित्तीय वर्ष 2020-21 , देश भर में मंजूर MUDRA ऋण की कुल संख्या 24530897. इस साल के भीतर है, कुल ऋण राशि अधिकृत रुपये 147478.66 करोड़ रुपए था ! मुद्रा ऋण ( Loan ) के तत्वावधान में, अधिकांश सूक्ष्म उद्यमों और छोटे व्यवसायों को फलने-फूलने और बढ़ने का मौका मिलता है ! यह ज्यादातर आय पैदा करने वाले उद्यमों के लिए प्रदान किया जाता है और विविध डोमेन पर लागू होता है ! यह PM मुद्रा लोन योजना ( PM Mudra Loan Yojana ) मुख्य रूप से व्यापार, निर्माण और द्वितीयक संबद्ध व्यवसायों में शामिल व्यावसायिक संस्थाओं को ऋण प्रदान करता है ! PM मुद्रा लोन योजना ( PM Mudra Loan Yojana ) व्यक्तियों, साझेदार फर्मों या छोटी निजी कंपनियों को प्रदान किए जाते हैं ! यह सब्जी या फल विक्रेताओं, दुकानदारों, मरम्मत या सर्विसिंग की दुकानों, मशीन ऑपरेटरों, कारीगरों, खाद्य प्रसंस्करणकर्ताओं, खाद्य सेवा व्यवसायों आदि तक भी विस्तारित है ! यह ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में छोटी कंपनियों के लिए लागू है ! ऋण आवेदन के लिए पात्रता मानदंड -  18 वर्ष से अधिक आयु के सभी भारतीय नागरिक, जो आने वाले छोटे विनिर्माण, व्यापार, या सेवा क्षेत्र के व्यवसाय के मालिक हैं, ऋण ( Loan ) के लिए आवेदन करने के लिए पात्र हैं ! - इसे व्यक्ति, व्यापारियों, निर्माताओं, एमएसएमई, व्यवसाय के मालिकों, दुकानदारों, स्टार्ट-अप सूक्ष्म उद्यमों और छोटे पैमाने के उद्योगपतियों द्वारा लागू किया जा सकता है ! मुद्रा ऋण के प्रकार ( PM Mudra Loan Yojana – Latest Update ) PM मुद्रा लोन योजना ( PM Mudra Loan Yojana ) के तहत मुद्रा ऋण की तीन श्रेणियां हैं ! प्रत्येक श्रेणी की एक अलग वित्तीय ( Loan ) सीमा होती है ! और एक छोटे व्यवसाय की वित्तीय जरूरतों को पूरा करने में मदद करती है ! Shishu MUDRA Loan : इस श्रेणी के तहत 50,000 रुपये तक का ऋण ( Loan ) स्वीकृत किया जाता है ! PM मुद्रा लोन योजना ( PM Mudra Loan Yojana ) में यह लोन उनके लिए है ! जो बिजनेस शुरू कर रहे हैं या उनके पास बिजनेस प्लान है ! Kishor MUDRA Loan : इस श्रेणी के तहत 50,000 रुपये से 5 लाख रुपये की सीमा के भीतर ऋण ( Loan ) स्वीकृत किया जाता है ! यह लोन उन लोगों के लिए है जिनके पास एक स्थापित व्यवसाय है और उन्हें अपने व्यवसाय के विस्तार और विकास के लिए वित्तीय सहायता की आवश्यकता है ! तरुण मुद्रा ऋण : PM मुद्रा लोन योजना ( PM Mudra Loan Yojana ) में इस श्रेणी के तहत, 5 लाख रुपये से 10 लाख रुपये की सीमा के भीतर ऋण ( Loan ) स्वीकृत किया जाता है ! यह ऋण उन उद्यमों या व्यवसायों के लिए है जो अपने व्यवसाय डोमेन का विस्तार करना और उसमें विविधता लाना चाहते हैं ! मुद्रा ऋण का ऑनलाइन आवेदन - पहला कदम सही ऋणदाता ढूंढना है, जिसमें वाणिज्यिक बैंक, एनबीएफसी, आरआरबी आदि शामिल हैं ! ऋण ( Loan ) दाता वित्तीय संस्थान के लिए आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं और फॉर्म डाउनलोड करें ! मुद्रा लोन की तीन श्रेणियों के लिए फॉर्म अलग है ! - ऑनलाइन फॉर्म में व्यक्तिगत और व्यवसाय से संबंधित सभी विस्तृत जानकारी भरें ! सुनिश्चित करें कि प्रदान की गई सभी जानकारी सही है ! - ऋण की जांच और प्रक्रिया के लिए वित्तीय संस्थान द्वारा आवश्यक सभी दस्तावेजों के साथ आवेदन करें ! - आवेदन पत्र और संलग्न दस्तावेजों की जांच की जाती है ! सत्यापित किया जाता है, और यदि ऋण ( Loan ) सफलतापूर्वक स्वीकृत हो जाता है, तो इसे संवितरण राशि के लिए संसाधित किया जाएगा ! एक मुद्रा कार्ड प्री-लोडेड स्वीकृत ऋण राशि के साथ जारी किया जाता है ! इसका उपयोग क्रेडिट कार्ड के रूप में किया जा सकता है ! मुद्रा ऋण ( Loan ) ने छोटे और सूक्ष्म-उद्यमी उद्यमों और व्यवसायों का समर्थन करके “मेक इन इंडिया” अभियान को बढ़ावा देने में मदद की है ! इसने वित्तीय सहायता में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs) के सामने आने वाली अड़चन को तोड़ने में भी मदद की है ! छोटें उद्यमों और व्यवसायों को इस PM मुद्रा लोन योजना ( PM Mudra Loan Yojana ) से बहुत फायदा हुआ है ! Read the full article
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kisansatta · 4 years ago
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देश में दूसरी हरित क्रांति की बयार
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परिवर्तन हमारे गतिशील ग्रह की नैसर्गिक प्रक्रिया है। जिस भी सभ्यता ने परिवर्तन की इस प्रक्रिया के प्रति निषेधी दृष्टिकोण अपनाया,जैसे-यूनान, रोम, मिस्र एवं सीरिया आदि, वो सभी इतिहास की राख तले दफन हो गई। भारतीय सभ्यता की कभी न खत्म होने वाली जीवनशक्ति का मूल रहस्य परिवर्तन की प्रक्रिया के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण है। आजादी के बाद नवनिर्माण की उत्कंठा से प्रेरित होकर सार्वजनिक क्षेत्र के नेतृत्व में औद्योगीकरण एवं सेवा क्षेत्र के आधुनिकीकरण की प्रक्रिया आरंभ हुई। वहीं 1947 में देश की 36 करोड़ आबादी के लिए पर्याप्त खाद्यान्न (508 लाख टन) न होने के कारण आयात पर निर्भरता से मुक्ति के लिए आजादी के दूसरे दशक मे हरित क्रांति का आयोजन हुआ। जिससे देष को खाद्यान्न में आत्मनिर्भरता प्राप्त हो गयी। किंतु कृषि एवं उद्योग की यह वृद्धि मन्द गति की थी। इसलिए 1991 में उदारवादी नीति के तहत लाइसेंस राज्य समाप्त कर अंतर्राष्ट्रीय व्यापार, निवेश एवं प्रतिस्पर्धा के लिए भारतीय बाजार को मुक्त किया गया। परिणामतः भारत ने धीमी विकास दर (हिंदू विकास दर) से आगे बढ़कर तीव्र विकास दर हासिल की और तीन दशकों में ही प्रति व्यक्ति आय में चार गुना वृद्धि अर्जित की। लेकिन कृषि को उदारवाद की इस प्रक्रिया से वंचित रखा गया।
हाल ही में भारतीय संसद द्वारा पारित तीन कृषि विधेयको – 1. कृषि उपज व्यापार व वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक 2020, 2. कृषक (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन समझौता और कृषि सेवाए विधेयक 2020, 3. आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक 2020, ने सुधार की बहुप्रतीक्षित प्रक्रिया से भारतीय कृषि को जोड़ दिया है। इससे जापान के 1868 में मेईजी युग के नव सुधारो की तर्ज पर कृषि की उत्पादकता, समृद्धि एवं विकास प्रत्येक स्तर पर नए युग की शुरुआत होगी।
प्रकृति ने स्वयं ही भारतीय जीवन में कृषि को सर्वप्रमुखता प्रदान की है। वैश्विक स्तर पर मात्र 11 प्रतिषत भूमि कृषि योग्य है। चीन के पास 12.9 प्रतिषत अमेरिका के पास 17.1 प्रतिषत वहीं भारत के पास 57 प्रतिषत कृषि योग्य भूमि है। यही कारण है कि चीन के सकल बुवाई क्षेत्र 166 मिलियन हेक्टेयर की तुलना में उससे तीन गुना छोटे भारत का सकल बुवाई क्षेत्र 198 मिलीयन हेक्टेयर है। भारत दुग्ध उत्पादन, भैंस के मांस, पालतू पशु, मोटे अनाज के उत्पादन स्तर पर विश्व में शीर्ष स्थान पर है। फलों, सब्जियों के उत्पादन में भारत दुनिया में दूसरे स्थान पर है। वही दुनिया मे दूसरा सबसे बड़ा गेहूं उत्पादक तथा तीसरा सबसे बड़ा चावल उत्पादक दर्जा भी इसे हासिल है। समस्या उपज की कम उत्पादकता है। चीन में चावल की उपज 6.7 टन प्रति हेक्टेयर है, तो भारत में यह 3.6 टन प्रति हेक्टेयर है। गेहूं उत्पादन में भी भारत मे प्रति हेक्टेयर 3145 किग्रा है, जबकि चीन 4838 किग्रा है। इस कम उत्पादकता के लिए कृषि संबंधी अनुसंधान विकास के लिए निवेश की उपेक्षा भी जिम्मेदार है। वर्ष 2018-19 में कृषि संबंधी अनुसंधान और विकास पर भारत में 1.4 बिलियन डालर का निवेश हुआ, वही इसी अवधि में चीन में 7.8 बिलियन डालर का निवेश किया। ध्यातव्य है कृषि अनुसंधान विकास पर दस लाख का निवेश करने से 328 लोगों को गरीबी रेखा से बाहर निकाला जा सकता है।
बाढ़ – अकाल जैसी मौसम की मार और नियति की टकराहट के मध्य विपरीत परिस्थिति में अपने खून पसीने से भारतीय किसान अधिशेष उपज पैदा करता है। किन्तु इस उपज का बड़ा अंश भंडारण के अभाव में नष्ट होता है। इस समय सरकार के पास 608 लाख टन गेहूं- चावल का भंडार है, जो आवश्यक बफर स्टॉक के मानक से दोगुना ज्यादा है। लेकिन भारत में 21 सौ करोड़ किग्रा गेहूं रखरखाव की अभाव के कारण नष्ट हो जाता है, जो ऑस्ट्रेलिया की सकल वार्षिक गेहूं पैदावार के बराबर है। इसी तरह 23 करोड़ टन दाल, 12 करोड़ टन फल, 21 करोड़ टन सब्जियां वितरण प्रणाली की खराबी के कारण नष्ट हो जाती हैं। भंडारण एवं प्रसंस्करण की कमी के कारण देश में कुल 90 हजार करोड़ रूपया सालाना का नुकसान होता है। भारत में दुग्ध उत्पादन आबादी बढ़ने की दर से चार गुना तेजी से बढ़ रहा है। वैश्विक क्रेडिट एजेंसी “क्रिसिल” के अनुमान के अनुसार 2021 तक दुग्ध उत्पादन, संग्रहण एवं वितरण के लिए रूपये 140 अरब निवेश की आवश्यकता है। ऐसे ही निवेश की आवश्यकता फल एवं सब्जी के भंडारण प्रसंस्करण के लिए भी है। पीएसई (उत्पादक सहायता अनुमान) की पद्धति में कृषि उपज से प्राप्त निर्गत मूल्य की गणना की जाती है जो किसान को मुक्त व्यापार की स्थिति में प्राप्त होती है। विश्व के 52 देशों ने इस पद्धति को अपनाया है, जिनका विश्व की कुल कृषि उपज में 3/4 हिस्सा है। भारत की पीएसई गणना नेगेटिव है। इसका अर्थ है कि प्रतिबंधित बाजार तथा व्यापार नीतियों के कारण किसान को सही कीमत प्राप्त नहीं हो रही है जो उसे मुक्त व्यापार की परिस्थितियों में प्राप्त होती। इस गणना के आधार पर चीन के किसानों की तुलना में भारतीय किसान को अपनी उपज पर तीन गुना नुकसान हो रहा है।
न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) किसानों को बाजार में कीमत मे गिरावट से होने वाले नुकसान को रोकने की एक सार्थक पहल है। सरकार की एमएसपी के घोषित मूल्य पर उपज क्रय की बाध्यता है। स्वामीनाथन आयोग की मूल भावना से प्रेरित होकर सरकार ने फसलों की लागत प्लस 50 प्रतिषत के सिद्धांत पर रबी और खरीफ की अनेक फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में अच्छी वृद्धि की है। किंतु मंडियों के गैर पेशेवर आचरण, लघु सीमांत किसानों के अल्प अधिशेष एवं भंडारण की कमी आदि कारण से बहुसंख्यक किसान एमएसपी के लाभ से वंचित है। 2015 में गठित “शांता कुमार समिति” ने सदन को बताया कि केवल 6 प्रतिषत किसान ही एमएसपी की दर पर अपनी उपज मंडियों में बेचते हैं। शेष 94 प्रतिषत किसान वंचित है।
वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के आग्रह से प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (पीएम आशा) तहत किसानों की बाजार तक पहुंच बढ़ाने एवं जोखिमों से बचाने के लिए “ई -नाम” (ई राष्ट्रीय कृषि बाजार) स्थापित किया गया है। जिसमें 16 राज्यों की 585 मंडियों को एकीकृत कर एक प्लेटफार्म दिया गया है। सिंचाई सुविधा के विस्तार के लिए प्रधानमंत्री सिंचाई योजना लागू है। वहीं नीम कोटेड यूरिया से यूरिया की कालाबाजारी समाप्त हुई है। मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना के द्वारा किसानों को मृदा के अनुकूल उर्वरक के प्रयोग की सम्यक जानकारी उपलब्ध होती है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना फसलों की रक्षा कवच बन रही है। प्रधानमंत्री किसान सम्��ान निधि योजना के तहत साढे़ चैदह करोड़ किसानों के खाते में रूपये 6000 जमा हुआ हैं। इस सीधी सहायता से किसान के जीवन में आशा का संचार हुआ है।
भारत में कृषि मूलतः निजी क्षेत्र का पेशा है। किंतु प्रतिबंधित बाजार तथा व्यापार की नीतियों के कारण किसान मुक्त रूप से अपनी उपज की बिक्री नहीं कर पाता है। न ही उद्यमी किसान ��ी उपज के भंडारण एवं निवेश कर पाते है। इन विधेयकों से अब किसान अपनी उपज राज्य के अंदर या बाहर कहीं बेच सकते हैं। उन्हें मंडी के आढतियो एवं दलालों के बंधन से मुक्ति मिल गई है। कंपनियां किसानों से अनुबंध कर सकती हैं और बदले में उन्हें गुणवत्ता के बीज, खाद, कीटनाशक उपलब्ध हो सकेंगे। अनाज, दाल, तिलहन प्याज और आलू आदि आवश्यक सूची की वस्तुओं से हटा दिए गए हैं, इनके भंडारण की सीमा पर लगा प्रतिबंध भी हट गया है। इससे अब भारतीय गांव में कंपनियां अपने कोल्ड स्टोरेज की श्रृंखला विकसित कर सकेंगी, खाद्य-प्रसंस्करण उद्योग में अभूतपूर्व तेजी आएगी। उक्त कृषि विधेयकों से किसानों में वह आवेग पैदा होगा, जो दूसरी हरित क्रांति की प्रस्तावना लिखेगा। आज देश के नौ करोड किसान परिवार रिकॉर्ड 28 मिलियन टन खाद्यान्न पैदा कर रहे है। आईटी क्रांति की तरह ही हमारे कर्मशील किसान उन्नत प्रौद्योगिकी हासिल कर कृषि को वैश्विक स्तर पर प्रतिष्ठित कर देंगे। वैश्विक खाद्य निर्यात में हमारी 2.3 प्रतिषत की हिस्सेदारी बढ़कर 23 प्रतिषत हो सकेगी।
लेखक : जय प्रकाश पाण्डेय
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abhay121996-blog · 4 years ago
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कोलकाता में 5 रुपये में गरीबों को भरपेट अंडा चावल खिलाएगी ममता सरकार Divya Sandesh
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कोलकाता में 5 रुपये में गरीबों को भरपेट अंडा चावल खिलाएगी ममता सरकार
कोलकाता। पश्चिम बंगाल में आसन्न विधानसभा चुनाव से पहले गरीब तबके को खुश करने की कवायद में ममता बनर्जी की सरकार कोलकाता में  “मां की रसोई” नाम से एक योजना शुरू करने जा रही है। इसके तहत 5 रुपये में गरीबों को भरपेट अंडा चावल खिलाया जाएगा।
राज्य सरकार की ओर से बताया गया है कि फिलहाल यह योजना कोलकाता नगर निगम के  144 वार्डो में शुरू होगी। इसके बाद पूरे राज्य में इसकी शुरुआत की जाएगी। कोलकाता नगर निगम की ओर से सोमवार को इसकी शुरुआत होगी। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी राज्य सचिवालय से इस योजना का वर्चुअल उद्घाटन करेंगीं। बीते पांच फरवरी को विधानसभा में अंतरिम बजट पेश करते हुए ममता ने इसकी घोषणा की थी। 
कोलकाता नगर निगम के प्रशासक व राज्य के शहरी विकास मंत्री फिरहाद हकीम ने बताया है कि इस योजना के तहत पांच रुपये में गरीबों को 200 ग्राम चावल, दाल, सब्जी के अलावा अंडा भी मिलेगा। मंगलवार से प्रतिदिन दोपहर एक से दो बजे के बीच भोजन आवंटित होगा, जिसका हर गरीब लाभ उठा सकता है। इधर, विपक्षी दलों का कहना है कि यह राज्य सरकार का चुनावी स्टंट है। 
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