#संपत्ति कर दिल्ली
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Property Tax: प्रॉपर्टी टैक्स को लेकर बड़ा बदलाव, जानिये अब कितना देना होगा प्रॉपर्टी टैक्स
जनहित हरियाणा, नई दिल्ली – वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा वित्त वर्ष 2024-2025 के लिए पेश किए गए बजट में कई महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिले हैं। इनमें सबसे बड़ा बदलाव प्रॉपर्टी (Property Tax) और सोने जैसी संपत्तियों पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG) टैक्स से जुड़ा है। इन संपत्तियों पर इंडेक्सेशन का लाभ खत्म कर दिया गया है, और LTCG Tax की दर को भी बदला गया है। 2001 से पहले की संपत्ति पर नया…
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AIUDF चीफ बदरुद्दीन अजमल का बड़ा दावा, कहा, वक्फ बोर्ड की जमीन पर बने है संसद से लेकर एयरपोर्ट
AIUDF चीफ बदरुद्दीन अजमल का बड़ा दावा, कहा, वक्फ बोर्ड की जमीन पर बने है संसद से लेकर एयरपोर्ट #News #NewsUpdate #newsfeed #newsbreakapp
Delhi News: ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (AIUDF) चीफ और पूर्व सांसद बदरुद्दीन अजमल ने बुधवार को एक सनसनीखेज दावा करके विवाद खड़ा कर दिया है कि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में बनी संसद और उसके आसपास के इलाके की बिल्डिंग वक्फ बोर्ड की संपत्ति पर बने हैं। बुधवार को पत्रकारों से बात करते हुए अजमल ने दावा किया कि राष्ट्रीय राजधानी में वसंत विहार से लेकर एयरपोर्ट तक का इलाका वक्फ की संपत्ति पर बना…
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बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम रोक जारी
नयी दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने देशभर में बुलडोजर एक्शन पर रोक को फिलहाल जारी रखा है। मंगलवार को इस मामले में सुनवाई के बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित कर लिया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि किसी भी आदेश की अवमानना करने वालों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी और पीड़ितों की संपत्ति वापस की जाएगी। इसके साथ ही, दोषी अधिकारियों से मुआवजा भी वसूला जाएगा। यह मामला उन याचिकाओं से जुड़ा है, जिनमें आरोप लगाया गया है…
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buladojar nyaay ke khilaaph dishaanirdesh ke lie supreem kort ne maange sujhaav
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को आपराधिक मामलों में आरोपी व्यक्तियों की संपत्ति को ध्वस्त करने के खिलाफ अखिल भारतीय दिशा-निर्देश बनाने पर विचार किया और संबंधित पक्षों को दो सप्ताह के भीतर अपने सुझाव रखने का आदेश दिया। न्यायमूर्ति बी.आर. गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस बात पर जोर दिया कि अनधिकृत निर्माण को भी “कानून के अनुसार” ध्वस्त किया जाना चाहिए और राज्य के अधिकारी सजा के तौर पर आरोपी की संपत्ति को ध्वस्त नहीं कर सकते।
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राहुल गांधी आशंका जताते रहे, अखिलेश के सांसद की ED ने जब्त कर ली संपत्ति, एक्शन से हड़कंप
जौनपुर: उत्तर प्रदेश के जौनपुर से समाजवादी पार्टी सांसद बाबू सिंह कुशवाहा के खिलाफ कार्रवाई की गई है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) की टीम ने लखनऊ के कानपुर रोड में स्कूटर इंडिया स्थित करोड़ों की संपत्ति को ईडी की टीम ने जब्त कर लिया। अब इस एक्शन की चर्चा शुरू हो गई है। इस एक्शन के बाद यूपी की राजनीति में हड़कंप मचा हुआ है। ईडी एक्शन का मामला शुक्रवार सुबह से ही गरमाया हुआ था। दरअसल, इंडिया गठबंधन में शीर्ष पार्टी कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने खुद के खिलाफ ईडी की कार्रवाई से संबंधित आशंका जताई। उन्होंने कहा कि हमारे चक्रव्यूह वाले बयान के बाद ईडी कार्रवाई कर सकती है। हम तैयार हैं। हालांकि, राहुल गांधी के खिलाफ ईडी की कार्रवाई तो नहीं हुई, लेकिन लखनऊ में एक्शन जरूर हो गया।समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव के सांसद बाबू सिंह कुशवाहा इस एक्शन का शिकार हुए। सपा सांसद के खिलाफ ईडी ने बड़ी कार्रवाई की है। अखिलेश यादव भी इंडिया गठबंधन का हिस्सा हैं। ऐसे में राहुल गांधी का पूर्वानुमान शुक्रवार की सुबह तो सही साबित नहीं हुआ। उनके सहयोगी दल के नेता के खिलाफ जरूर कार्रवाई हो गई है। ईडी की ओर से मनी लॉन्ड्रिंग केस ��ें यह कार्रवाई की गई है। 2012 में ��र्ज हुआ था केस मायावती सरकार में मंत्री रहे बाबू सिंह कुशवाहा के खिलाफ कभी अखिलेश यादव और कांग्रेस हमलावर थी। एनएचआरएम केस में बाबू सिंह कुशवाहा का नाम सामने आया था। संपत्तियों के घोटाले के मुख्य आरोपी बसपा सरकार में मंत्री रह बाबू सिंह कुशवाहा और उनके करीबी रहे सौरभ जैन को आरोपी बनाया गया था। एनएचआरएम घोटाले में करोड़ों का घपला किया गया था। इस घोटाले में बाबू सिंह कुशवाहा और उनके सहयोगियों के खिलाफ ईडी ने 14 फरवरी 2012 को प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट 2002 के तहत केस दर्ज किया। इसके बाद ईडी ने छापे मारकर कई दस्तावेज बरामद किए थे।बाबू सिंह कुशवाहा के खिलाफ पिछले 12 सालों में कई बार कार्रवाई हुई। दिल्ली, लखनऊ और जौनपुर में उनके खिलाफ कार्रवाई हुई है। पीएमएलए के तहत सपा के वर्तमान सांसद के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। भाजपा का इस संबंध में कहना है कि पूर्व के समय में दर्ज केस में जांच एजेंसी की कार्रवाई चल रही है। चर्चा में आई है ईडी प्रवर्तन निदेशालय इन दिनों खासी चर्चा में है। कांग्रेस सांसद और नेता प्रतिपक्ष ने संसद के बजट सत्र के दौरान ईडी को भाजपा के चक्रव्यूह का हिस्सा बताया था। वहीं, भाजपा के खिलाफ लगातार वह आरोप लगा रहे थे। शुक्रवार को राहुल गांधी ने अपने खिलाफ ईडी की कार्रवाई की बात कर सनसनी मचा दी। हालांकि, अब उनके सहयोगी अखिलेश यादव के करीबी के खिलाफ ईडी का एक्शन हो गया है। इस पर चर्चा गरमा गई है। संसद में अखिलेश यादव भी इन दिनों भाजपा के खिलाफ जबर्दस्त हमले कर रहे हैं। अब इस प्रकार की कार्रवाई को विवाद में फंसाया जा रहा है। http://dlvr.it/TBP3pt
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Asset Own By Narendra Modi: Modi has only 52000 cash
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को अपने नामांकन पत्र में कुल 3.02 करोड़ रुपये की संपत्ति घोषित की, जो उन्होंने वाराणसी लोकसभा सीट से दाखिल किया था। पोल पेपर के मुताबिक, पीएम मोदी के पास कोई घर या कार नहीं है और उनके पास 52,920 रुपये नकद हैं। इसके अतिरिक्त, उनके पास बैंक जमा के रूप में 2.85 करोड़ हैं। प्रधानमंत्री के सोने का निवेश 2.67 लाख रुपये है, जो चार सोने की अंगूठियों के रूप में रखा गया है।
शिक���षा अनुभाग में, प्रधान मंत्री ने घोषणा की है कि उन्होंने 1978 में दिल्ली विश्वविद्यालय से कला स्नातक और 1983 में गुजरात विश्वविद्यालय से कला में स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी की। उन्होंने कहा है कि उनके खिलाफ कोई आपराधिक मामला लंबित नहीं है। दिन में पहले वाराणसी निर्वाचन क्षेत्र से अपना नामांकन दाखिल करते हुए, जहां से वह सांसद के रूप में तीसरी बार प्रयास कर रहे हैं, प्रधान मंत्री ने कहा, "मैं अभिभूत और भावुक हूं|
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ईडी और सीबीआइ को संसद के दायरे में लाया जाएगा, वाम दलों का...
नई दिल्ली। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव डी. राजा ने लोकसभा चुनाव के लिए पार्टी सहयोगियों के साथ घोषणापत्र जारी किया। घोषणापत्र में पार्टी ने वादा किया कि भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) का लक्ष्य ईडी और सीबीआइ जैसी केंद्रीय जांच एजेंसियों को संसद के दायरे में लाना है ताकि कार्यपालिका जांच एजेंसियों का दुरुपयोग न कर सके। अग्निपथ योजना खत्म करने का किया वादा:पार्टी ने संपत्ति कर, विरासत…
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Jharkhand shibu soren appeal rejected : आय से अधिक संपत्ति के मामले में शिबू सोरेन की याचिका दिल्ली हाईकोर्ट से खारिज, याचिका खारिज होने के बाद फिर शुरू हो सकती है मामले की सीबीआइ जांच
रांची/नई दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट ने आय से अधिक संपत्ति की जांच के आदेश के विरुद्ध झामुमो सुप्रीमो सह राज्यसभा सांसद शिबू सोरेन द्वारा दायर कराई गई याचिका खारिज कर दी है. इसके बाद उनके खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले की जांच पर लगी रोक भी हट गई है और सीबीआइ एक बार फिर उक्त मामले में जांच शुरू कर सकती है. (नीचे भी पढ़ें) बताते चलें कि झामुमो अध्यक्ष सर राज्यसभा सांसद शिबू सोरेन ने अपने विरुद्ध…
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Noida Big News : गौतमबुद्ध नगर नोएडा के सबसे बड़े सरिया तस्कर और स्क्रैप माफिया रवि काना पर कमिश्नरेट पुलिस की लगातार कार्रवाई चल रही है। पुलिस रवि काना की आर्थिक कमर तोड़ रही है । बीते दिन रवि काना की करीब 100 करोड़ रुपए की संपत्ति को सील किया गया था। वहीं अब पुलिस कमिश्नर लक्ष्मी सिंह ने माफिया रवि काना पर फिर से एक बड़ी कार्रवाई करते हुए, उसकी न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी, दिल्ली में 80 करोड रुपए की कोठी को सील कर दिया है। दिल्ली में बनी इस कोठी में रवि काना की महिला दोस्त रहा करती थी, जिसे अब पुलिस ने सील कर दिया है।
नोएडा पुलिस रवि काना की आर्थिक कमर तोड़ रही नोएडा पुलिस की ओर से इसके अलावा अब तक की गई कार्रवाई में रवि काना की करीब 50 से ज्यादा ठिकानों पर छापेमारी की थी। जिसमें रवि काना की 100 करोड़ रुपए की संपत्ति को जब्त कर लिया गया था। आपको बता दें सरिया तस्कर और स्क्रैप माफिया रवि काना के खिलाफ पिछले 2 दिनों से पुलिस लगातार कार्रवाई कर रही है। इस पुरी कार्रवाई पर जानकारी देते हुए डीसीपी ग्रेटर नोएडा साद मियां खान ने बताया कि मंगलवार की देर रात को रवि काना की करीब 100 करोड़ की संपत्ति सील की गई है।
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Todays Gold Rate On 13 Nov 2023
भारत में आज सोने का भाव क्या है?
सोने की महंगाई दरे�� जब भी बदल सकती हैं, और इसकी प्रति ग्राम कीमत विभिन्न बाजारों और शहरों में भिन्न हो सकती है। इसलिए, भारत में सोने की दर को लेकर नवीनतम जानकारी प्राप्त करने के लिए स्थानीय ज्वेलर, बैंक, या वित्तीय समाचार वेबसाइट की जाँच करना अच्छा होता है। सोने की दरें विभिन्न कारकों पर आधारित होती हैं, जैसे कि ग्लोबल वित्तीय घटक, सोने का मांग और पूर्ति, रुपये के मूल्य की तरह। 2023 के शुरुआत में, सोने की कीमतें चांदी की तरह विपरित दिशा में चल रही हैं, जब भी विश्व मार्केट में आर्थिक संकट और ग्लोबल घटकों के प्रभाव का सामना कर रही है। वित्तीय सामग्रियों के मूल्य की तरह, सोने की कीमतें भी निवेशकों और सोने को खरीदने वालों के लिए महत्वपूर्ण हो सकती हैं, क्योंकि यह निवेशकों के लिए एक मान्य निवेश विकल्प हो सकता है। यदि आप सोने की विस्तारित जानकारी चाहते हैं, तो आपको निवेश की नीतियों, सोने की मूल्यों के आधार पर निवेश करने के फायदों और हानियों की जानकारी के साथ एक वित्तीय सलाहकार से परामर्श लेना भी उपयुक्त हो सकता है। याद रखें कि सोने के बाजार में मूल्य सुविधाजनक हैं और वे नियमित रूप से बदलते रह सकते हैं, इसलिए आपको निवेश या खरीदारी के फैसले से पहले अच्छे से जांच लेनी चाहिए। कैरेट1 ग्राम10 ग्राम24 कैरेट₹ 6,024₹ 60,24022 कैरेट₹ 5,569₹ 55,69018 कैरेट₹ 4,915₹ 49,150
सोने की कीमत भारत में कैसे निर्धारित होती है?
भारत में सोने की कीमत कई कारकों से निर्धारित होती है, जिनमें शामिल हैं: - अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमत: भारत दुनिया में सबसे बड़े सोने के उपभोक्ताओं में से एक है, इसलिए अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमत का घरेलू बाजार पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमत बढ़ती है, तो भारत में सोने की कीमत भी बढ़ती है, और इसके विपरीत। - रुपये की विनिमय दर: सोने को अंतरराष्ट्रीय बाजार में अमेरिकी डॉलर में खरीदा और बेचा जाता है। इसलिए, रुपये की विनिमय दर का सोने की कीमत पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। जब रुपया कमजोर होता है, तो सोने की कीमत बढ़ती है, और इसके विपरीत। - आयात शुल्क: भारत में सोने पर आयात शुल्क लगाया जाता है। आयात शुल्क में किसी भी बदलाव का सोने की कीमत पर प्रत्यक्ष प्रभाव पड़ता है। आयात शुल्क बढ़ने से सोने की कीमत बढ़ जाती है, और इसके विपरीत। - मांग और आपूर्ति: भारत में सोने की मांग और आपूर्ति भी सोने की कीमत निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जब मांग बढ़ती है और आपूर्ति अपरिवर्तित रहती है, तो सोने की कीमत बढ़ जाती है। और जब आपूर्ति बढ़ती है और मांग अपरिवर्तित रहती है, तो सोने की कीमत ��ट जाती है। -
You can check live prices of gold here भारत में सोने की मांग भारत में सोने की मांग बहुत अधिक है। सोने को भारतीय संस्कृति और परंपराओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है। इसे अक्सर शुभ माना जाता है और इसे निवेश के रूप में भी देखा जाता है। दिवाली, धनतेरस, और अक्षय तृतीया जैसे त्योहारों के दौरान सोने की मांग विशेष रूप से अधिक होती है। भारत में सोने की आपूर्ति भारत में सोने की आपूर्ति काफी हद तक आयात पर निर्भर करती है। भारत दुनिया में सोने का सबसे बड़ा आयातक है। भारत में सोने का उत्पादन बहुत कम है। सोने की कीमत पर अन्य कारकों का प्रभाव सोने की कीमत पर अन्य कारकों का भी प्रभाव पड़ता है, जैसे कि: - केंद्रीय बैंकों की खरीदारी: केंद्रीय बैंक सोने को अपने भंडार में रखते हैं। जब केंद्रीय बैंक सोना खरीदते हैं, तो यह सोने की कीमत को बढ़ाता है। - आर्थिक अनिश्चितता: जब आर्थिक अनिश्चितता होती है, तो निवेशक सोने की ओर रुख करते हैं, क्योंकि इसे एक सुरक्षित-संपत्ति माना जाता है। इससे सोने की कीमत बढ़ती है। - भू-राजनीतिक तनाव: भू-राजनीतिक तनाव भी सोने की कीमत को बढ़ा सकते हैं।
सोने की कीमत कैसे निर्धारित की जाती है?
भारत में सोने की कीमत मुंबई और दिल्ली के दो प्रमुख बुलियन एक्सचेंजों में निर्धारित की जाती है। ये एक्सचेंज सोने की कीमतों को निर्धारित करने के लिए एक पारदर्शी नीलामी प्रक्रिया का उपयोग करते हैं।
निष्कर्ष
भारत में सोने की कीमत कई कारकों से निर्धारित होती है, जिनमें अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमत, रुपये की विनिमय दर, आयात शुल्क और मांग और आपूर्ति शामिल हैं। अन्य कारकों जैसे कि केंद्रीय बैंकों की खरीदारी, आर्थिक अनिश्चितता और भू-राजनीतिक तनाव का भी सोने की कीमत पर प्रभाव पड़ता है। To read here use this link Read the full article
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रियल एस्टेट बूम: जयपुर संपत्ति की कीमत पर एक नजदीकी नजर
जयपुर एक जीवंत और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध शहर है जिसने सदियों से लोगों को आकर्षित किया है। यह अपने राजसी किलों, महलों, हलचल भरे बाजारों और रंगीन त्योहारों के लिए जाना जाता है। हाल ही में, जयपुर में रियल एस्टेट बाजार तेजी से बढ़ रहा है, जिसने खरीदारों और निवेशकों का ध्यान आकर्षित किया है। इस ब्लॉग में, हम राजस्थान में संपत्ति की कीमतों में वृद्धि में योगदान देने वाले कारकों का पता लगाते हैं और संभावित खरीदारों और निवेशकों के लिए अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं।
जयपुर के रियल एस्टेट बाजार का विकास
जयपुर का रियल एस्टेट उद्योग एक पारंपरिक बाजार से एक जीवंत और आकर्षक रियल एस्टेट गंतव्य के रूप में विकसित हुआ है। बुनियादी ढांचे में सरकार के निवेश, डेवलपर्स को आकर्षित करने के कारण जयपुर का जुड़ाव बढ़ा है। स्मार्ट शहरों के विकास से होटल और अवकाश गृहों के निर्माण को बढ़ावा मिला है, जिससे रियल एस्टेट गतिविधि में वृद्धि हुई है। कम लागत वाले आवास, भव्य अपार्टमेंट और वाणिज्यिक क्षेत्रों की परियोजनाओं की संख्या में वृद्धि हुई है।
जयपुर संपत्ति की कीमत को प्रभावित करने वाले कारक
कई कारक जयपुर में संपत्ति की कीमतों को प्रभावित करते हैं। यहां पांच प्रमुख कारक हैं:
स्थान: किसी संपत्ति की कीमत उसके स्थान से काफी प्रभावित होती है। सुविधाओं, सुविधाओं और रोजगार केंद्रों तक बेहतर पहुंच वाले क्षेत्रों में संपत्ति की लागत आम तौर पर अधिक होती है।
बुनियादी ढाँचा विकास: संपत्ति के मूल्य किसी क्षेत्र में बुनियादी ढाँचे के विकास के स्तर से प्रभावित हो सकते हैं। अच्छी सड़कों, परिवहन विकल्पों और बुनियादी सुविधाओं तक पहुंच वाले क्षेत्रों में संपत्ति की लागत अधिक होती है।
मांग और आपूर्ति: संपत्ति की कीमतें रियल एस्टेट बाजार में आपूर्ति और मांग की गतिशीलता से भी प्रभावित होती हैं। यदि संपत्तियों की मांग आपूर्ति से अधिक हो जाती है, तो कीमतें बढ़ने की संभावना है, और इसके विपरीत भी।
आर्थिक स्थितियाँ: संपत्ति के मूल्य बाजार की धारणा और सामान्य आर्थिक स्थितियों से प्रभावित हो सकते हैं। संपत्ति की कीमतें जीडीपी वृद्धि, मुद्रास्फीति और ब्याज दरों जैसे चर से प्रभावित हो सकती हैं।
नीति परिवर्तन: संपत्ति की कीमतें सरकारी कानून, नीतियों और कराधान में बदलाव से प्रभावित हो सकती हैं। रियल एस्टेट निवेश नीतियां बाजार की गतिशीलता पर प्रभाव डाल सकती हैं और, परिणामस्वरूप, संपत्ति के मूल्यों पर।
जयपुर में संपत्ति की कीमतों का आकलन करते समय इन कारकों पर विचार करन��� महत्वपूर्ण है क्योंकि वे बाजार के रुझानों में अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं और सूचित निर्णय लेने में मदद करते हैं।
निवेश क्षमता: जयपुर एक रियल एस्टेट हॉटस्पॉट के रूप में
भारत का सबसे बड़ा राज्य, राजस्थान, निवेश के स्थान के रूप में अधिक से अधिक लोकप्रिय हो गया है, खासकर रियल एस्टेट बाजार में। जयपुर अपने सुविधाजनक स्थान, विकासशील बुनियादी ढांचे और विस्तारित अर्थव्यवस्था के कारण रियल एस्टेट हॉटस्पॉट के रूप में बड़ी निवेश क्षमता प्रस्तुत करता है। निम्नलिखित कुछ तत्व हैं जो इसकी अपील को बढ़ाते हैं:
आर्थिक विकास: हाल के वर्षों में, जयपुर की अर्थव्यवस्था लगातार बढ़ी है। औद्योगीकरण, व्यापार और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए, राज्य सरकार ने कई नीतियां और कार्यक्रम लागू किए हैं। इससे रोजगार के अधिक अवसर पैदा हुए हैं और मध्यम वर्ग में वृद्धि हुई है, जिसके परिणामस्वरूप घरों और व्यवसायों की मांग बढ़ी है।
पर्यटन क्षमता: कई घरेलू और विदेशी पर्यटक अपने प्रसिद्ध महलों, किलों और सांस्कृतिक विरासत के कारण राजस्थान आते हैं। जयपुर, उदयपुर, जैसलमेर और जोधपुर जैसे शहरों में लक्जरी होटल, ऐतिहासिक रिसॉर्ट और गेस्टहाउस बहुतायत में पाए जा सकते हैं। राजस्थान में, रियल एस्टेट में निवेश करना जो पर्यटकों की जरूरतों को पूरा करता है, जैसे कि होटल, रिसॉर्ट्स और छुट्टियों के किराये, काफी लाभदायक हो सकते हैं।
किफायती संपत्ति की कीमतें: मुंबई, दिल्ली और बैंगलोर जैसे बड़े क्षेत्रों की तुलना में राजस्थान में रियल एस्टेट की लागत तुलनात्मक रूप से कम है। अपनी लागत के कारण, यह निवेशकों और अंतिम-उपयोगकर्ताओं दोनों को आकर्षित कर रहा है। राज्य कम लागत वाले अपार्टमेंट से लेकर सुरुचिपूर्ण विला और वाणिज्यिक स्थानों तक संपत्तियों की एक विविध श्रेणी प्रदान करता है, जो खरीदार श्रेणियों की एक विस्तृत श्रृंखला को पूरा करता है।
सरकारी पहल: रियल एस्टेट क्षेत्र में निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए, राज्य सरकार ने कई निवेशक-अनुकूल नियम और सुधार लागू किए हैं। इनमें एकल-खिड़की समाशोधन प्रणाली, सरल अनुमोदन प्रक्रियाएं, कर छूट और भूमि अधिग्रहण परिवर्तन शामिल हैं। इस तरह की गतिविधियां रियल एस्टेट डेवलपर्स और निवेशकों के लिए अनुकूल माहौल बनाती हैं, जिससे उन्हें जयपुर में अवसरों की जांच करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।
औद्योगिक और वाणिज्यिक विकास: कपड़ा, हस���तशिल्प, खनन, सूचना प्रौद्योगिकी और ऑटोमोटिव में जयपुर में औद्योगिक और वाणिज्यिक गतिविधियों में वृद्धि देखी गई है। जयपुर, जोधपुर, कोटा और उदयपुर जैसे शहरों में औद्योगिक पार्क, विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईजेड), और तकनीकी पार्क स्थापित किए गए हैं।
भविष्य में विकास की संभावनाएं: राज्य में वर्तमान और संभावित प्रगति के साथ, जयपुर के रियल एस्टेट क्षेत्र का भविष्य उज्ज्वल है। स्मार्ट सिटी विकास, किफायती आवास परियोजनाओं और पर्यावरण-पर्यटन को बढ़ावा देने जैसी पहलों पर सरकार का जोर एक अनुकूल निवेश माहौल को बढ़ावा देता है। इसके अलावा, जयपुर की दिल्ली से निकटता -मुंबई इंडस्ट्रियल कॉरिडोर (डीएमआईसी) और डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (डीएफसी) औद्योगिक और लॉजिस्टिक्स-संबंधी रियल एस्टेट परियोजनाओं के लिए इसकी क्षमता को बढ़ाते हैं।
अंत में, जयपुर का रियल एस्टेट उद्योग निवेशकों, घर खरीदारों और डेवलपर्स के लिए एक रोमांचक संभावना प्रदान करता है। व्यक्ति संपत्ति की कीमतें बढ़ाने वाले अंतर्निहित चरों को जानकर और लगातार बदलते बाजार की गतिशीलता पर नजर रखकर जयपुर के तेजी से बढ़ते रियल एस्टेट क्षेत्र का लाभ उठाने के लिए सूचित निर्णय ले सकते हैं। चाहे आप सपनों का घर तलाश रहे हों, व्यावसायिक स्थान, या बुद्धिमान निवेश, जयपुर के संपत्ति बाजार में हर किसी के लिए कुछ न कुछ है।
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Gauri Khan's Birthday: एक स्टाइलिश स्टार पत्नी से एक सफल बिजनेसवुमन तक
जन्मदिन मुबारक हो गौरी खान! बॉलीवुड के बादशाह शाहरुख खान की पत्नी गौरी खान सिर्फ एक स्टार पत्नी ही नहीं बल्कि एक सफल बिजनेसवुमन भी हैं। फिल्मों के निर्माण से लेकर कई मशहूर हस्तियों के लिए घर डिजाइन करने तक, गौरी खान ने अपने हर प्रयास में उत्कृष्टता हासिल की है। गौरी खान की कुल संपत्ति: आज उनके 53वें जन्मदिन पर आइए एक नजर डालते हैं कि गौरी खान एक निर्माता और इंटीरियर डिजाइनर कैसे बनीं और उनकी संपत्ति कितनी है। दिल्ली में जन्मी गौरी छिब्बर का जन्म 8 अक्टूबर 1970 को एक पंजाबी परिवार में हुआ था। उन्होंने अपनी शिक्षा दिल्ली में पूरी की और लेडी श्री राम कॉलेज से इतिहास में ऑनर्स की डिग्री के साथ स्नातक की उपाधि प्राप्त की। इसके बाद, उन्होंने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी (NIFT) से फैशन डिजाइनिंग में छह महीने का कोर्स किया। हालाँकि, फैशन डिजाइनिंग से इंटीरियर डिजाइनिंग तक का उनका सफर दिलचस्प है। गौरी दिल्ली में प्रोड्यूसर कैसे ब��ीं? गौरी छिब्बर ने 1991 में बॉलीवुड सुपरस्टार शाहरुख खान के साथ शादी कर ली और उनके साथ मुंबई चली गईं। मुंबई में प्रसिद्धि और भाग्य हासिल करने के बाद, शाहरुख खान ने अपनी पत्नी के साथ, 2002 में अपनी प्रोडक्शन कंपनी, रेड चिलीज़ एंटरटेनमेंट की स्थापना की। गौरी खान ने फिल्म "मैं हूं ना" के साथ एक निर्माता के रूप में हिंदी सिनेमा में अपना पहला कदम रखा। फराह खान द्वारा निर्देशित। शाहरुख खान, अमृता राव और सुष्मिता सेन अभिनीत यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर हिट रही। इसकी सफलता के बाद, गौरी ने "ओम शांति ओम," "पहेली," "बिल्लू," "चेन्नई एक्सप्रेस," "बदला," "रईस," और "जवां" जैसी फिल्में बनाईं। "जवां" की सफलता के बाद, गौरी खान वर्तमान में अपनी अगली फिल्म "डनकी" का निर्माण कर रही हैं, जिसमें शाहरुख खान मुख्य भूमिका निभा रहे हैं। फैशन से इंटीरियर डिजाइनिंग तक संक्रमण प्रोड्यूसर बनने के बाद गौरी खान ने इंटीरियर डिजाइनिंग में अपना करियर बनाया। उनकी यात्रा उनके भव्य घर, मन्नत के नवीनीकरण के साथ शुरू हुई, जिसे शाहरुख खान ने 2001 में मुंबई में अपनी मेहनत की कमाई से खरीदा था। एक साक्षात्कार में, शाहरुख खान ने खुलासा किया कि हालांकि उन्होंने भव्य हवेली खरीदी थी, लेकिन वे ऐसा नहीं कर सके। मैं इसे समय पर प्रस्तुत करने का जोखिम नहीं उठा सकता। उस समय, शाहरुख खान ने अपनी पत्नी गौरी को छह मंजिला घर के नवीनीकरण की जिम्मेदारी लेने के लिए कहा। गौरी की रचनात्मकता और डिजाइन कौशल ने मन्नत को आज के प्रतिष्ठित निवास में बदल दिया। यह अब एक पर्यटन स्थल बन गया है। यहीं से गौरी खान की रुचि इंटीरियर डिजाइनिंग में बढ़ी। गौरी खान ने 2010 में अपने जुनून को पेशेवर रूप से आगे बढ़ाया और अपनी दोस्त सुजैन खान के साथ एक इंटीरियर प्रोजेक्�� पर काम किया। गौरी और सुजैन ने मिलकर मुंबई में द चारकोल प्रोजेक्ट फाउंडेशन लॉन्च किया। मशहूर हस्तियों के लिए घर डिजाइन करना 2014 में, गौरी खान ने वर्ली, मुंबई में "द डिज़ाइन सेल" नाम से अपना पहला कॉन्सेप्ट स्टोर लॉन्च किया। तीन साल बाद, उन्होंने अपना डिज़ाइन स्टूडियो, "गौरी खान डिज़ाइन्स" लॉन्च किया। गौरी खान ने कई बॉलीवुड हस्तियों के लिए घर डिजाइन किए हैं। उनके ग्राहकों में मुकेश और नीता अंबानी का एंटीलिया, करण जौहर का बंगला, आलिया भट्ट की वैनिटी वैन और सिद्धार्थ मल्होत्रा का घर शामिल हैं। गौरी खान की कुल संपत्ति क्या है? 150 करोड़ के स्टोर की मालकिन गौरी खान को बॉलीवुड की सबसे अमीर स्टार पत्नियों में से एक माना जाता है। लाइफस्टाइल एशिया के मुताबिक, गौरी खान की कुल संपत्ति लगभग 1600 करोड़ रुपये है। उनके पास मुंबई, दिल्ली, अलीबाग, लंदन, दुबई और लॉस एंजिल्स में करोड़ों रुपये की संपत्ति है। कारों के मामले में, उनके पास बेंटले कॉन्टिनेंटल जीटी जैसी लक्जरी गाड़ियां हैं। यह भी जानिए - Fuel Prices Surge: वाणिज्यिक एलपीजी सिलेंडर में ₹209 की बढ़ोतरी, एटीएफ दरें 5% बढ़ीं Read the full article
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परिवार में किसी और के नाम करनी है प्रॉपर्टी तो अपनाएं ये प्रोसेस, नहीं होगा किसी तरह का विवाद
अगर प्रॉपर्टी को लेकर कोई वसीयत नहीं बनाई गई हो, या किसी को प्रॉपर्टी में नॉमिनेट न किया गया हो, या कोई अन्य वैध दस्तावेज न हो तो फिर बंटवारे के समय विवाद होने लगता है. इसलिए बेहतर है कि समय रहते इस मसले से बचने के लिए आपको कुछ काम जरूर कर लेना चाहिए।
हाइलाइट्स:
आप नॉमिनेशन के जरिए अपने बच्चों के बीच प्रॉपर्टी का बंटवार��� कर सकते हैं।
माता-पिता अपनी प्रॉपर्टी को बच्चों में ��ांटने के लिए वसीयत भी बना सकते हैं।
प्रॉपर्टी ट्रांसफर में किसी विवाद से बचने के लिए सभी डॉक्यूमेंट होना जरूरी है।
नई दिल्ली. हर परिवार में एक समय के बाद संपत्तियों का बंटवारा होता है. बुढ़ापे में हर माता-पिता अपने बच्चों को अपनी प्रॉपर्टी ट्रांसफर कर देते हैं ताकि किसी तरह का कोई विवाद नहीं हो. हालांकि, प्रॉपर्टी ट्रांसफर करने का एक प्रोसेस है, जिसका पालन करना होता है. नॉमिनेशन के जरिए पैरेंट्स अपने बच्चों के नाम संपत्ति ट्रांसफर कर सकते हैं. इसके साथ ही अगर माता-पिता चाहें तो कभी भी नॉमिनेशन में बदलाव कर किसी और का नाम भी दर्ज करवा सकते हैं. आइये जानते हैं इसका प्रोसेस।
अगर आप भी अपनी प्रॉपर्टी को अपने बच्चों या परिवार में किसी और के नाम करने का प्लान बना रहे हैं तो हम आपको प्रॉपर्टी ट्रांसफर करने के तरीकों के बारे में बता रहे हैं. इन तरीकों को अपनाकर आप बिना किसी विवाद के अपनी प्रॉपर्टी बच्चों को ट्रांसफर कर सकते हैं।
नॉमिनेशन के जरिए प्रॉपर्टी ट्रांसफर
माता-पिता नॉमिनेशन के जरिए अपन�� बच्चों के बीच प्रॉपर्टी का बंटवारा कर सकते हैं. इस तरीके से आप अपनी प्रॉपर्टी को सभी बच्चों में बराबर बांट सकते हैं. नॉमिनेशन के जरिए माता-पिता अपनी प्रॉपर्टी ट्रांसफर कर सकते हैं, साथ ही अगर वे अपना नॉमिनेशन बदलना चाहते हैं तो फिर वे किसी और नाम को भी रजिस्टर कर सकते हैं. इस तरीके से प्रॉपर्टी ट्रांसफर करने पर विवाद उत्पन्न होने की गुंजाइश काफ़ी कम रहती है।
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भाजपा के प्रदेश कार्य समिति सदस्य पवन मिश्रा ने महागठबंधन को लेकर दिया बड़ा बयान
भाजपा के प्रदेश कार्य समिति सदस्य पवन मिश्रा ने महागठबंधन को लेकर दिया बड़ा बयान
भाजपा के कार्य समिति सदस्य पवन मिश्रा ने राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव, सहित परिवारों पर निशाना साधते हुए कहा, जिस तरह E D ने राजद सुप्रीमो पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद के परिवार का करोड़ों की अटैच संपत्ति जप्त किया है । बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव से इस्तीफा का मांग कर रहे हैं। RCTC घटोला में लालू परिवार के सभी सदस्य घटोलौ में संलिप्त जिस तरह दिल्ली गाजियाबाद के कई ठिकानों पर,ED के द्वारा संपत्ति जप्त किया गया है। इससे साफ होता हैं। अपने परिवार को बचाने के लिए 26 दलों की मिलकर इंडिया गठबंधन बनाया है। इसमें देश के बेईमान पार्टी के सभी नेता जांच एजेंसी से बचने के लिए अपनी जमात खड़ा कर रहा है। पवन मिश्रा ने यह भी कहा , नीतीश कुमार जी को भी नैतिकता के आधार पर इस्तीफा देना चाहिए । इससे पहले 2015 में ऐसा करके दिखाएं हैं। नहीं तो आने वाले 2024 लोकसभा और 2025 विधानसभा के चुनाव में जनता खुद निर्णय लेगी। और बिहार में कमल खिलाने का काम करेंगी।
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क्या राहुल को गिरफ्तार कर सकती है ED, मोदी सरकार ने कैसे चालाकी से दी थी एजेंसी को ताकत
नई दिल्ली: लोकसभा में विपक्ष के नेता ने शुक्रवार को दावा किया कि संसद में उनके 'चक्रव्यूह' वाले भाषण के बाद (ED) के जरिए उनके खिलाफ छापेमारी की योजना बनाई जा रही है। राहुल ने कहा कि वह खुली बांहों के साथ ईडी अधिकारियों का इंतजार कर रहे हैं। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में राहुल गांधी ने लिखा-जाहिर है, 2 में से 1 को मेरा चक्रव्यूह वाला भाषण अच्छा नहीं लगा। ईडी के अंदरूनी सूत्रों ने मुझे बताया है कि छापेमारी की तैयारी हो रही है। मैं ईडी का खुली बांहों से इंतजार कर रहा हूं। चाय और बिस्कुट मेरी तरफ से... इतना ही नहीं राहुल ने अपने इस पोस्ट में प्रवर्तन निदेशालय के आधिकारिक एक्स हैंडल को टैग भी किया है। राहुल के इस पोस्ट के बाद यह अटकलें लग रही हैं कि क्या राहुल गांधी के आवास पर प्रवर्तन निदेशालय छापेमारी करेगा। क्या राहुल गिरफ्तार भी हो सकते हैं। ऐसे सभी सवालों के जवाब जानते हैं एक्सपर्ट से और इसे समझते हैं। जब भाजपा सरकार ने चालाकी से PMLA में कर दिया बदलाव सुप्रीम कोर्ट में एडवोकेट अनिल सिंह श्रीनेत बताते हैं कि 2019 की बात है, जब राज्यसभा में भाजपा के पास बहुमत नहीं था। इसके बाद भी मोदी सरकार ने पीएमएलए में बदलाव के लिए इसे धन विधेयक की तरह पेश किया था। दरअसल, धन विधेयक को राज्यसभा में पेश नहीं करना पड़ता है। इसे सीधे राष्ट्रपति की मंजूरी लेकर लोकसभा में पेश किया जाता है और जहां बहुमत से पास होने के बाद यह कानून बन जाता है। उस वक्त विपक्ष ने इस मामले पर बहुत हंगामा मचाया था। विपक्ष का कहना था कि पीएमएलए में मनी बिल जैसी कोई बात नहीं है। जानबूझकर इसे मनी बिल के तहत लोकसभा से पारित कराया गया, ताकि केंद्र की सत्तारूढ़ भाजपा सरकार इसका इस्तेमाल सियासी दुश्मनी को साधने में करना चाहती है। जब यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तो उसने भी संशोधन को सही ठहराया। प्रवर्तन निदेशालय के 10 साल के कामकाज का लेखा-जोखा मार्च, 2023 में लोकसभा में वित्त मंत्रालय ने बताया था कि 2004 से लेकर 2014 तक प्रवर्तन निदेशालय ने 112 जगहों पर छापेमारी की और 5,346 करोड़ की संपत्ति जब्त की गई। वहीं, 2014 से लेकर 2022 के 8 साल के मोदी सरकार के दौरान एजेंसी ने 3,010 छापेमारी की। इन छापेमारियों में करीब 1 लाख करोड़ की संपत्ति अटैच की गई। बीते 8 सालों में राजनीतिक लोगों के खिलाफ ईडी के मामले चार गुना बढ़े हैं। साल 2014 से 2022 के बीच 121 बड़े राजनेताओं से जुड़े मामलों की जाँच ईडी कर रही है। इनमें से 115 नेता विपक्षी पार्टियों से हैं। वहीं, 2004 से लेकर 2014 के 10 साल में 26 नेताओं की जांच ईडी ने की। इनमें से 14 नेता विपक्षी पार्टियों के थे। प्रवर्तन निदेशालय का सियासी हित साधने में ज्यादा इस्तेमाल सुप्रीम कोर्ट में एडवोकेट अनिल सिंह श्रीनेत कहते हैं कि प्रवर्तन निदेशालय के नियमों में जब बड़ा बदलाव किया गया तो इसके बाद से ही इसके राजनीतिक इस्तेमाल करने के बार-बार आरोप लगते रहे हैं। बीते 10 सालों में ईडी की ऐसी कार्रवाइयां बढ़ी हैं। चाहे वो दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार हो या पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार। महाराष्ट्र में भी इसका खूब इस्तेमाल किया गया है। इसीलिए महाराष्ट्र को एजेंसी का टेस्टिंग ग्राउंड भी कहा जाता है। यूपीए सरकार ने जब खत्म कर दी 30 लाख की लिमिट कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए सरकार के संशोधन से पहले 30 लाख रुपए या इससे ज्यादा की रकम में हेर-फेर के मामलों में ही मनी लॉन्ड्रिंग के तहत मामले दर्ज होते थे। ऐसे में 2012 तक मनी लॉन्ड्रिंग के 165 मामले ही थे। मगर, 2013 में किए गए संशोधन में 30 लाख की लिमिट खत्म कर दी गई। अब 30 लाख से कम या ज्यादा की रकम से जुड़ा मनी लॉन्ड्रिंग का मामला होने पर जांच के दायरे में लाया गया। मोदी सरकार के ED में इस बदलाव ने दी स्पेशल पावर एडवोकेट अनिल सिंह के अनुसार, 2019 में सरकार ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) में सबसे गंभीर बदलाव किए गए। इस बदलाव ने इसे काफी ताकतवर बना दिया। यूपीए ने अगर पीएमएलए के दायरे को बढ़ाया तो मोदी सरकार ने इसे और सख्त बना दिया। इस एक्ट के सेक्शन 45 में यह जोड़ा गया कि ईडी के अफसर किसी भी व्यक्ति को बिना वॉरंट के गिरफ़्तार कर सकते हैं। PMLA में बदलाव कर आवास पर रेड और गिरफ्तारी की शक्ति दी एडवोकेट अनिल सिंह श्रीनेत बताते हैं कि पीएमएलए के सेक्शन 17 के सब-सेक्शन (1) में और सेक्शन 18 में बदलाव कर दिया गया और ईडी को ये ताकत दी गई कि वह इस क़ानून के तहत लोगों के आवास पर छापेमारी, सर्च और गिरफ्तारी कर सकती है। साथ ही ईडी खुद ही एफआईआर दर्ज करके गिरफ्तारी कर सकती थी। वहीं, इससे पहले कांग्रेस सरकार के दौरान किसी जांच एजेंसी की ओर से दर्ज की गई एफआईआर और चार्जशीट में PMLA की धाराएं लगने पर ही ईडी जांच कर सकती थी। प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से… http://dlvr.it/TBNldd
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अगर काम में ही “राजनीति” दिखाई देगी तो जस्टिस चंद्रचूड़ की ट्रोलिंग होगी ही। मणिपुर पर एक बयान में मोदी के लिए एलर्जी की पराकाष्ठा दिखाई दे गई, फिर पब्लिक प्रतिकार तो होगा ही।
अभी 2 दिन पहले एक दैनिक अख़बार के यूट्यूब चैनल पर उसका पत्रकार तड़प तड़प कर चीख रहा था कि CJI चंद्रचूड़ को सोशल मीडिया में ट्रोल किया जा रहा है और बता रहा था कि लोग उनके लिए कैसी कैसी भाषा का प्रयोग कर रहे हैं। वो पत्रकार चीख रहा था कि चंद्रचूड़ ने तो जरूरत के अनुसार हमेशा सख्त कदम उठाए हैं और बंगाल में केंद्रीय बलों को भी पंचायत चुनाव में निगरानी के लिए भेजा।
उस पत्रकार को सबसे बड़ी आपत्ति थी कि किसी ने ट्विटर पर कोर्ट के लिए “सुप्रीम कोठा” लिख दिया जबकि उस पत्रकार को यह नहीं पता ऐसा कहन��� वाले एक नहीं सैंकड़ों है। अजीत भारती खुलेआम सुप्रीम कोर्ट को “कोठा” कहता है परंतु सितंबर, 2021 में उस पर अवमानना कार्रवाई शुरू करने को AG द्वारा अनुमति देने के बाद भी उस पर सुप्रीम कोर्ट अवमानना की कार्रवाई शुरू नहीं कर रहा।
सोशल मीडिया पर आखिर चंद्रचूड़ की ट्रोलिंग क्यों हो रही है, इस पर स्वयं चंद्रचूड़, उनके साथी जजों और विधिक समुदाय को सोचना होगा। केवल मणिपुर के लिए चंद्रचूड़ ने बयान देकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सीधा निशाने पर लिया जिससे उनकी नरेंद्र मोदी के प्रति एलर्जी की पराकाष्ठा साफ़ नज़र आ रही थी क्योंकि अन्य किसी राज्य के लिए चंद्रचूड़ ने कभी स्वतः संज्ञान नहीं लिया चाहे वहां कैसी भी आग लगती रही हो और महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार हुआ हो।
राजस्थान बंगाल में हमेशा चंद्रचूड़ शांत रहे। मणिपुर पर बयान देने के बाद बंगाल के पंचायत चुनाव में महिला प्रत्याशी के साथ घिनौना काम किया ममता की पार्टी के लोगों ने। लेकिन चंद्रचूड़ को “गुस्सा” केवल मणिपुर के लिए आया।
चंद्रचूड़ की ट्रोलिंग का एक बड़ा कारण उनकी कश्मीरी हिन्दुओं पर हुई बर्बरता पर खामोश रहना था। जो लोग जांच की मांग के लिए सुप्रीम कोर्ट गए, उन्हें चंद्रचूड़ ने विज्ञापन के लिए काम करने वाले बता दिया और जांच की मांग यह कह कर ठुकरा दी कि 25 साल बाद क्या सबूत मिल सकते हैं। 5 लाख हिन्दुओं और उनकी महिलाओं की पीड़ा के लिए चंद्रचूड़ के दिल में कोई दर्द नहीं था।
आपको मणिपुर पर “गुस्सा” आए तो ठीक है लेकिन लोगों को भी तो आप और आपकी हरकतों पर “गुस्सा” आ सकता है और इसलिए ही आपकी ट्रोलिंग हुई है। आप लखनऊ में दंगा कर सरकार की संपत्ति राख करने वाल��ं का साथ देंगे तो लोग क्या आप पर “गुस्सा” नहीं करेंगे।
“गुस्सा” तो आम जनमानस को उस दिन आया था ��ो “असहनीय” था जब आपकी कोर्ट के चीफ जस्टिस यूयू ललित समेत 3 जजों की बेंच ने (जिसमें एक महिला भी थी) एक 4 साल की बच्ची के बलात्कारी और हत्यारे की फांसी की सजा 20 वर्ष के कारावास में बदल दी यह कह कर कि “हर पापी का एक भविष्य है”। कोई कल्पना नहीं कर सकता कि लोग इस फैसले पर कितने “गुस्से” में थे वह भी तब, जब फैसला लिखने वाली महिला जज थी।
“गुस्सा” तो चंद्रचूड़ जी उस दिन भी लोगों को बहुत आया था जब आपकी कोर्ट के 2 जजों ने नूपुर शर्मा की आबरू भरी अदालत में तार तार कर दी थी। क्या मिला उन बेशर्म निर्लज्ज जजों को ऐसा करके जो मजे से कोर्ट जाते हैं लेकिन नूपुर को घर में बिठा दिया मगर भगवान शंकर का अपमान करने वाले मौलाना को दोनों जजों ने छुआ तक नहीं।
अभी कुछ दिन पहले दिल्ली हाई कोर्ट के जज जस्टिस नजमी वजीरी ने रिटायर होने के बाद कहा है कि सोशल मीडिया पर लोगों के बोलने से जजों को कोई फर्क नहीं पड़ता। एक बार अपने साथी जजों से पूछ कर देखिए कि क्या अंदर तक हिल नहीं जाते निंदा सुन कर।
इसलिए यदि जजों के बयानों से राजनीति छलकती दिखाई देगी तो ट्रोलिंग तो होगी और उसे जजों को सहना भी होगा।
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