#संत राम���ाल जी महाराज
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*🌷बन्दीछोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज जी की जय🌷*
*#हमआपके_दोस्तहैं_दुश्मन_नहीं*
*Sant Rampal Ji Maharaj*
1. हमारी भी तो सुनो, हे बुद्धिमान हिन्दुओं!
श्री देवकीनंदन जी, श्रीहित प्रेमानन्द जी व अन्य कथावाचक कहते है�� ‛राधे राधे’ बोलने से बड़े आध्यात्मिक लाभ होते हैं।
V/S
जबकि राधे -राधे बोलना न वेदों में है, न गीता में है। किसी भी शास्त्र में प्रमाण नहीं है।
पवित्र गीता जी में अध्याय 17 श्लोक 23 में ‛ओम तत सत’ सांकेतिक मंत्रों से ही मोक्ष बताया है जिसका वास्तविक भेद व अधिकार केवल संत रामपाल जी महाराज जी के पास है।
2• हे मेरी कौम के लोगों (हिन्दू )हमारी भी तो सुनो।
हम आपके दोस्त हैं, दुश्मन नहीं!
पवित्र गीता जी पवित्र वेदों का निष्कर्ष है फिर उसमें तो राधे राधे, जय हनुमान, जय श्री राम, आदि मंत्र नही हैं। क्या आप नहीं जानते कि पवित्र गीता जी अध्याय 16 के मंत्र 23 में शास्त्र विरुद्ध साधना करने वाले को कोई लाभ न होने की बात कही है।
इस सच्चाई को जानने के लिए तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज के सत्संग सुनें।
3• हमारी भी तो सुनो, हे बुद्धिमान हिन्दुओं! हम आपके दोस्त हैं, दुश्मन नहीं!
हमारे संत तथा महंतों का मानना है कि पाप कर्म तो भोगना ही पड़ता है।
V/S
तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज ने प्रमाण दिखा कर बताया कि यजुर्वेद अध्याय 8 मंत्र 13 व ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त 82 मंत्र 1, 2 और 3 में प्रमाण है, परमेश्वर हमारे पापों का नाश कर देता है।
4• हमारी भी तो सुनो, हे बुद्धिमान हिन्दुओं!
गीता कहती है, भूत पूजोगे तो भूत बनोगे।
और हमारे धर्म गुरु हर घर में भूत पुजवा रहे हैं, कुछ तो शर्म करो। शास्त्रों के अंदर तो खोल के देख लो।
5• हे मेरी कौम के लोगों (हिन्दू )हमारी भी तो सुनो।
सभी संत व महंत श्री कृष्ण जी को पूर्ण परमात्मा बता रहे हैं ।
V/S
वहीं श्रीमदभगवद्गीता में प्रमाण है कि परम अक्षर ब्रह्म यानि की पूर्ण परमात्मा को गीता अध्याय 8 श्लोक 9 तथा अध्याय 15 श्लोक 17 में गीता ज्ञान देने वाले ने अपने से अन्य बताया है तथा कहा है कि (उत्तम पुरूषः तू अन्य ) पुरूषोत्तम तो मेरे से अन्य है, वही परमात्मा है। सबका धारण-पोषण करने वाला अविनाशी परमेश्वर है।
6• हिंदू भाइयों संभलो
हमारा उद्देश्य:- विश्व के मानव को सत्य ज्ञान सुनाकर सनातनी बनाना है क्योंकि पिछला इतिहास बताता है कि पहले केवल एक सनातन धर्म ही था। तत्त्वज्ञान के अभाव से हम धर्मों में बंटते चले गए जो विश्व में अशांति का कारण बना है। एक-दूसरे के जानी दुःश्मन बन गए हैं।
यह बात विश्व का मानव निर्विरोध मानता है कि सबका मालि�� एक है। परंतु वह कौन है? कैसा है यानि साकार है या निराकार है? मानव रूप में या अन्य रूप में? यह प्रश्न वाचक चिन्ह ❓अभी तक लगा है। अब संत रामपाल जी महाराज ने यह प्रश्नवाचक चिन्ह ( ❓) पूर्ण रूप से हटा दिया है।
7• हे मेरी कौम के लोगों (हिन्दू )हमारी भी तो सुनो।
हम आपके दोस्त हैं, दुश्मन नहीं!
हमारे धर्म गुरु स्वर्ग से ऊपर कुछ जानते ही नहीं हैं
V/S
सूक्ष्मवेद में बताया है कि विश्व के सभी जीवात्मा परमशांति वाले सनातन परम धाम में उस परमात्मा के पास रहते थे जिसके विषय में गीता अध्याय 18 श्लोक 62 में कहा है कि हे भारत! तू सर्वभाव से उस परमेश्वर की शरण में जा, उसकी कृपा से ही तू परमशांति को तथा (शाश्वतम् स्थानम्)सनातन परम धाम यानि सत्यलोक को प्राप्त होगा। जो 16 शंख कोस दूर है।
8• हिंदू भाई धोखे में अब न रहो !
श्रीमदभगवद्गीता जी का ज्ञान श्री कृष्ण तक ही सीमित नहीं है। इसका गूढ़ रहस्य समझो।
गीता अध्याय 8 श्लोक 1 में अर्जुन ने प्रश्न किया कि {आपने गीता अध्याय 7 श्लोक 29 में जो तत् ब्रह्म कहा है} वह तत् ब्रह्म क्या है? जिसका उत्तर देते हुए गीता अध्याय 8 श्लोक 3, 8, 9, 10, गीता अध्याय 15 श्लोक 4 तथा 17 आदि में कहा है। जिस लोक में वह तत् ब्रह्म यानि परम अक्षर ब्रह्म (सत्यपुरूष) रहता है, उसमें परमशांति है यानि महासुख है। उस सनातन परम धाम में गए साधक फिर लौटकर संसार में नहीं आते। जबकि स्वर्ग आदि लोकों में जाने के बाद वापस आना पड़ता है ।
अपने शास्त्रों को समझने के लिए संत रामपाल जी महाराज का सत्संग सुनें।
9• हमारी भी तो सुनो, हे बुद्धिमान हिन्दुओं! और संभल जाओ।
आज आपको छणिक सुख और मानसिक शांति के लिए गुरुओं और पंथों द्वारा ध्यान (मैडिटेशन) कराया जा रहा है जो शास्त्र विरुद्ध है आप स्वयं देखिए प्रमाण-
गीता अध्याय 17 श्लोक 5 - 6 में इस प्रकार कहा है:- जो मनुष्य शास्त्रविधि रहित यानि शास्त्रविधि को त्यागकर केवल मन कल्पित घोर तप को तपते हैं, वे शरीर में प्राणियों व कमल चक्रों में विराजमान शक्तियों को तथा हृदय में स्थित मुझको भी कृश करने वाले हैं। उन अज्ञानियों को तू आसुर स्वभाव के जान।
10• हे मेरी कौम के लोगों (हिन्दू )हमारी भी तो सुनो।
हम आपके दोस्त हैं, दुश्मन नहीं!
देखिए प्रमाण गीता के विपरीत साधना का:- गीता अध्याय 9 श्लोक 25 में गीता ज्ञान दाता ने कहा है कि जो पित्तर पूजता है, पित्तरों को प्राप्त होगा यानि पित्तर बनेगा। भूत पूजने वाला भूतों को प्राप्त होगा यानि भूत बनेगा। देवताओं को पूजने वाला, देवताओं को प्राप्त होगा यानि देवताओं के पास जाएगा। मेरा भक्त मुझे प्राप्त होगा।
यदि पवित्र हिन्दू धर्म की पूजाओं पर दृष्टि दौड़ाई जाए तो पता चलता है कि लगभग पूरा हिन्दू समाज पित्तर पूजा, भूत पूजा, देवी-देवताओं की पूजा करता है जो शास्त्रविधि त्यागकर मनमाना आचरण होने से गीता अध्याय 16 श्लोक 23 के अनुसार व्यर्थ प्रयत्न है।
हिंदू भाइयों संभल जाओ, संत रामपाल जी महाराज का ज्ञान समझो।
11• हिंदू भइयों संभल जाओ
हिन्दू धर्म गुरूजन मूर्ति पूजा करने की राय देते हैं। यह काल ब्रह्म द्वारा दिया गलत ज्ञान है जो वेदों व गीता के विरूद्ध साधना होने से व्यर्थ है।
सूक्ष्मवेद में कबीर परमेश्वर जी ने आन-उपासना निषेध बताया है। उपासना का अर्थ है अपने ईष्ट देव के निकट जाना यानि ईष्ट की पूजा करना।
आन-उपासना वह पूजा है जो शास्त्रों में वर्णित नहीं है। मूर्ति-पूजा आन-उपासना है ।
इस विषय पर सूक्ष्मवेद में कबीर साहेब ने इस प्रकार स्पष्ट किया है:-
कबीर, पत्थर पूजें हरि मिले, तो मैं पूजूँ पहार।
तातें तो चक्की भली, पीस खाए संसार।।
बेद पढ़ैं पर भेद ना जानें, बांचें पुराण अठारा।
पत्थर की पूजा करें, भूले सिरजनहारा।।
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Watch "Satsang Ishwar TV | 17-07-2023 | Episode: 2056 | Sant Rampal Ji Maharaj Live Satsang" on YouTube
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तीन देव की जो करते भक्ति, उनकी कभी ना होती मुक्ति | तीन गुणों की भक्ति में भूल पढ़ो संसार ,कहे कबीर निज नाम बिना कैसे उत्तरे पार🙏
केवल पूर्ण परमेश्वर कबीर जी की सत् भक्ति से ही मनुष्य मोक्ष प्राप्त कर सकता है 🙏 सत्संग मोक्ष की धारा कोई समझे राम का प्यारा 🥀सत्संग से हमारी विचारधारा सुंदर और ऊंची हो जाती है🥀 हम विकारों और बुराइयों से ��ूर हो जाते हैं🥀 संत का संग और सत्संग भाग्य में आई मौत भ�� ट|ल देता है सत्संग से हमें अपने कर्तव्य और अकर्तव्य कर्मों का ज्ञान हो जाता है इससे मानवता को बल मिलता है समाज में सुधार होता है
गीता अध्याय 14 श्लोक 3 से 5 में गीता ज्ञान दाता ब्रह्म (क्षर पुरुष/काल) कह रहा है कि प्रकृति (दुर्गा) तो मेरी पत्नी है। मैं इसकी योनी (गर्भाधान स्थान) में बीज स्थापना करता हूँ, जिससे सर्व प्राणियों की उत्पत्ति होती है। मैं सर्व (इक्कीस ब्रह्मण्ड के प्राणियों) का पिता हूँ तथा प्रकृति (दुर्गा/अष्टांगी) सर्व की तीनों गुण (रजगुण ब्रह्मा, सतगुण विष्णु तथा तमगुण शिव) अन्य प्राणियों को कर्मों के बंधन में बाँधते हैं |
आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए Sant Rampal Ji Maharaj YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे।
संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।🙏
https://online.jagatgururampalji.org/naam-diksha-inquiry
Kabir सर्वोच्च परमात्मा और सर्वोच्च पर्मेश्वर् हैं🙏
सभी धर्मों के धार्मिक ग्रंथ 100% सत्य प्रमाण के साथ प्रमाणित करते हैं कबीर परमेश्वर सहशरीर हैं सतलोक से चलकर चारों युग में इस
धरती पर आते हैं और सत्य तत्वज्ञान से आत्मा को जगा कर उसे सत भक्ति देते हैं काल के द्वारा फैलाई हुई 3 गुण की माया के अंतर्गत फंसे हुए प्राणियों आत्माओं को पाप कर्म बंधन से मुक्त करते हैं तीनों ताप का नाश करते हैं सत्य भक्ति के लिए सुख देते हैं और मोक्ष प्रदान करते हैं अपनी सतगुरु महिमा को उज्जवल रखते हैं
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#आदिराम_का_संदेश
रावण कोई व्यक्ति विशेष नहीं बल्कि अपने अंदर के काम,क्रोध, लोभ,मोह, अहंकार रूपी रावण को मारो और ये रावण केवल आदि राम कबीर साहेब जी की सतभक्ति पूर्ण संत रामपाल जी महाराज से प्राप्त करके सतभक्ति करने ही मरेंगें।
Sant Rampal Ji Maharaj ल
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Watch "Live : Sudarshan News 17-6-2023 || Episode:678 || Sant Rampal Ji Maharaj Satsang" on YouTube
#सत्संग_से_सुख_है
Sant Rampal Ji Maharaj
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तीन देव की जो करते भक्ति, उनकी कभी ना होती मुक्ति | तीन गुणों की भक्ति में भूल पढ़ो संसार ,कहे कबीर निज नाम बिना कैसे उत्तरे पार🙏
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गीता अध्याय 14 श्लोक 3 से 5 में गीता ज्ञान दाता ब्रह्म (क्षर पुरुष/काल) कह रहा है कि प्रकृति (दुर्गा) तो मेरी पत्नी है। मैं इसकी योनी (गर्भाधान स्थान) में बीज स्थापना करता हूँ, जिससे सर्व प्राणियों की उत्पत्ति होती है। मैं सर्व (इक्कीस ब्रह्मण्ड के प्राणियों) का पिता हूँ तथा प्रकृति (दुर्गा/अष्टांगी) सर्व की तीनों गुण (रजगुण ब्रह्मा, सतगुण विष्णु तथा तमगुण शिव) अन्य प्राणियों को कर्मों के बंधन में बाँधते हैं |
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