#शिक्षा न्यू��
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latestnewsandjokes · 1 month ago
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गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए न्यू जर्सी के 10 लोकप्रिय पब्लिक हाई स्कूलों पर विचार किया जा सकता है
यूएस न्यूज़ ने सभी 50 राज्यों और कोलंबिया जिले के लगभग 25,000 पब्लिक हाई स्कूलों की राष्ट्रव्यापी रैंकिंग का अनावरण किया है। रैंकिंग में पारंपरिक हाई स्कूलों के साथ-साथ चार्टर, मैग्नेट और एसटीईएम (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित) संस्थान शामिल हैं। आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, लगभग 17,660 स्कूलों को छह प्रमुख कारकों के आधार पर रैंक किया गया था, जिसमें राज्य मूल्यांकन और कॉलेज की तैयारी…
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nageshchandramishra · 2 months ago
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विश्व-स्तरीय तकनीकी शिक्षा लेल मातृभाषा मे पढ़ाई- लिखाई’क अनिवार्यता
(*लेखक: नागेश चन्द्र मिश्र,पूर्व अभियंता प्रमुख,झारखंड बिहार)
(Abstract : The author has emphasised the immediate need of promoting world class quality education through the medium of every individual’s own native languages included in the Eighth Schedule of Indian Constitution without too much dependence on English. He has cited some notable engineers’ own experiences quoting the book, “The English Medium Myth : Dismantling Barriers to India’s Growth” by Sankrant Sanu,an IIT luminary.
All the State Centres of Institution of Engineers ( India ) have been requested to come forward for active cooperation, consultation & participation in preparing appropriate courses of study needed from pre - nursery education to lower,medium, higher education in Engineering curriculum as needed by every individual in their own mother tongues for which Sustainable Development Forum,IEI should coordinate with all state centres , States & Central Government’s New Education Policy Initiatives.
At the end of this essay, the author has quoted the perception of Sustainable Development through the spectrum of two Shlokas of Veda and Upanishad . )
मैथिली मे एकटा कहबी छैक,”ऊपर सँ फ़िट फाट,त’र मे मोकामा घाट”,
अर्थात्, बाहर सँ देखबा’ मे तँ खूब नीक,किंतु भीतर मे फोंक - जेकरा अंग्रेज़ी मे “भैक्विटी” कहैत छैक।सरकार भले आई.आई.टी.; एम्स, इंजीनियरिंग - मेडिकल कॉलेज’क जाल पूरा देश मे बिछा दौ’क , मुदा आजुक पढ़निहार विद्यार्थी आ पढ़ौनिहार शिक्षक कें यदि ठीक से कोनो विषय बुझबा’ आ बुझेबा’ मे दिक़्क़त हेतैन्ह ,तँ “थ्री इडियट्स” सिनेमा वला उपहासजन्य रटन्त विद्या सैह भेटैत रहतैक - ओहेन पढ़ाई- लिखाई सँ देश कें कोन लाभ ? भारत मे, जतेक इंजीनियर सभ विभिन्न संस्थान सँ डिग्री प्राप्त क’ रहल छथि , ओहि मे,लगभग मात्र 20% डिग्रीधारी कें ओहि तरहक योग्यता रहैत छन्हिं जिनका कत्तौ नीक नोकरी-चाकरी भेटैन्ह ।
एतय, प्रसिद्ध शिक्षाविद श्री संक्रांत सानू जे गरूड़ प्रकाशनक सर्वे-सर्वा छथि, हुनक पुस्तक, “द इंगलिश मिडियम मिथ : डिसमैंटलिंग बैरियर्स टू इंडियाज ग्रोथ”क संस्मरण मोन पड़ि रहल अछि । हुनक एक संक्षिप्त विडियोक लिंक अनुलग्न अछि https://youtu.be/Fm6ZjnFsZuY?si=NYjVsnp6Y3AXOAsn , जेकरा अवश्य सुनल जाय । संक्रांत सानू जी , आई.आई.टी. कानपुर सँ कंप्यूटर साइंस मे डिग्री प्राप्त कय लगभग एक दशक माइक्रोसॉफ़्ट कॉरपोरेशन मे नोकरी कयलन्हिं । यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सस,ऑस्टिन सँ छह गोट टेक्नॉलजी पेटेंट हुनक नामे छन्हिं । एक बेर , ओ अपन ‘अल्मा मेटर’ आई.आई. टी. कानपुर’क फोर्थ ईयर कम्प्यूटर साइंस क्लास’क विद्यार्थी सभक बीच आबि हुनका लोकनिक प्रमुख दिक़्क़त सँ अवगत होअए चाहलाह । हुनका ई देखि-सुनि अपार दुख भेलन्हिं जे अधिकांश विद्यार्थी’क सभसँ पैघ अवरोधक, अंग्रेज़ी भाषा छलैक । तहिये से , श्री संक्रांत सानू , अपन देश वापस आबि, भारतीय भाषाक माध्यम सँ स्कूल - कॉलेज मे पढ़ाई-लिखाई होइक - अइ महायज्ञ मे तत्पर छथि ।
वर्तमान सरकार’क “नव शिक्षा नीति” (न्यू एजुकेशन पॉलिसी) मे , सभ क्षेत्रीय भाषाक माध्यम सँ प्राथमिक,माध्यमिक आ उच्च शिक्षा’क पढ़ाई-लिखाई होइक - ई प्रावधान प्रमुखता सँ कयल गेल अछि जेकर हम क़ायल छी ।
वाल्यावस्थे सँ, शिक्षा -साहित्यक सान्निध्य में लालन-पालन भेला सँ मातृभाषा मैथिली सहित हिन्दी-अंग्रेज़ी- संस्कृत आ अन्य सभ क्षेत्रीय भाषा सँ प्रेम अछि । प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक कार्ल रोजर्स’क उक्ति, “व्हाट इज मॉस्ट पर्सनल इज मॉस्ट जेनरल”क अनुभव सँ हमरा ई मानबा मे कोनो संकोच नहिँ अछि जे जहिया सँ होश भेल - तहिये सँ जे कोनो विचार मोन मे पहिने अबैए - ओ मातृभाषा मैथिलीए मे अबैत अछि ; क्रमिक रूप सँ , हिन्दी आ अंग्रेज़ी भाषा में ओकरा रूपान्तरित करबाक अभ्यास भेल गेल । एहेन कतेको ब्रिलियंट सहपाठी कें देखलयैन्ह जे कोनो विषयक पूर्ण ज्ञान रहलाक बादो, अंग्रेज़ी भाषा मे ओकरा पढ़बा- लिखबा मे स्ट्रगल करैत रहलाह ।
हमरा अपनहुँ, अंग्रेज़ी उच्चारण आ ऐक्सेंट बुझबा’ मे स्कूली शिक्षाक दौरान हरदम दिक़्क़त होइते रहल; इंजीनियरिंग कॉलेज मे जहिया पढ़ैत रही आ सिनेमा हॉल मे अंग्रेज़ी सिनेमा देखी - बहुत कम्मे बुझियैक जे कोन पात्र की बजलैक - हॉल मे देखनहार दर्शक सब कोनो सीन कें देखि-सुनि हँसय, तँ बिना बुझनहुँ, हमहूँ हँसय लागी - जे कमज़ोरी अइ बुढ़ारी धरि एखनो विद्यमान अछि - बिना सब-टाइटिल देखने पढ़ने एखनो बहुतो रास डायलॉग ठीक सँ बुझबा मे दिक़्क़त होइते अछि ।
अइ सँ, ई सद्यः अनुभूति कयल जा सकैत अछि जे कोनो मौलिक विषय ठीक सँ बुझबाक लेल जेना हमरा अपन मातृभाषा मैथिलीक कोरा-कंधा’क आवश्यकता पड़ैत अछि - ओहने आवश्यकता कोनो तेलुगू भाषा-भाषी कें सेहो धीया-पूता सँ होइते हेतैन्हि; तेलुगू मे पढ़ाई-लिखाई’क माध्यम सँ प्राथमिक, माध्यमिक आ उच्च - उच्चतर शिक्षा भेटैत रहला पर हुनका कतेक उपयोगी सिद्ध होइत हेतैन्हिं- से स्वत: अनुमान कय सकैत छी ।एहने आवश्यकता विभिन्न क्षेत्रीय भाषा-भाषी कें होइत हेतन्हिं ।
तैं, इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स (इंडिया)क सस्टेनेबल डेवलपमेंट फोरम सँ हम आग्रह करबन्हिं जे प्रत्येक स्टेट सेंटर सँ कॉर्डिनेट कय संप्रति संविधानक अष्टम सूची में शामिल 22 भाषा : Assamese, Bengali, Bodo, Dogri, Gujarati, Hindi, Kannada, Kashmiri, Konkani, Maithili, Malayalam, Manipuri, Marathi, Nepali, Oriya, Punjabi,Santhali, Sanskrit, Sindhi, Tamil, Telugu, Urdu
मे प्राथमिक, माध्यमिक आ उच्च शिक्षा, साइंस टेक्नोलॉजी इंजीनियरिंग वग़ैरह कोर्सक पढाई -लिखाई मे गुणवत्तापूर्ण शिक्षाक उन्नति आ विकास मे सक्रिय योगदान कोना दय सकैत छथि, ताहि पर गंभीरता सँ विचार करबाक कृपा करथि ।
ई. अजय कुमार सिन्हा, चेयरमैन,सस्टेनेबल डेवलपमेंट फोरम,इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स (इंडिया) सँ ई जानि परम आनंदित भेलहुँ जे इंस्टीट्यूशनक पत्रिका “अभियंता- बंधु”क आगामी विशेष अंक मे विभिन्न क्षेत्रीय भाषाक उपयुक्त लेख प्रकाशित हेतैक जाहि हेतु , हमरो नोत भेटल जे ��ैथिली मे एक लेख लिखि पठाबी - प्रिय अजय बाबूक प्रति हम आभार प्रगट करैत छी ( इंस्टिट्यूशन सँ एकटा विशेष अनुरोध जे ‘अभियंता बहीन’ लोकनिक सम्मान आ ‘जेण्डर मेनस्ट्रिमिंग’क ख़ातिर, अइ पत्रिका’क नाम “अभियंता बंधु_बांधवी” जँ राखल जा’ सकय - तँ, अपने लोकनि कृपया विचार करियैक )।
अंत मे , ‘सस्टेनेबल डेवलपमेंट’क जे स्वरूप हमर मोन मे अभरैत अछि, ओहि वेद-उपनिषद्’क निम्नांकित दू गोट श्लोक कें उद्धरित कए , अपन लेख कें समेट रहल छी :-
पश्येम शरद: शतम्
जीवेम शरद: शतम्
बुद्ध्येम शरद: शतम्
रोहेम शरद: शतम्
पूषेम शरद: शतम्
भवेम शरद: शतम्
भूयेम शरद: शतम्
भूयसी शरद: शतात्
( अथर्व वेद , काण्ड 19 , सूक्त 67 )
यानि ,  – सौ बर्ष धरि देखी; सौ बर्ष धरि जीबी ; सौ बर्ष धरि बुद्धि सक्षम रहए; सौ वर्ष धरि वृद्धि होइत रहए ; सौ वर्ष पुष्टि-पोषण होइत रहए ; सौ वर्ष धरि आभामंडल बनल रहए ;सौ वर्ष धरि पवित्रता बनल रहए;सौ वर्षक आगुओ, ई सब कल्याणकारी योग बनल रहए ।
“ॐ पूर्णमदः पूर्णमिदं पूर्णात्पूर्णमुदच्यते ।
पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते ॥
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥”
( बृहदकारण्य उपनिषद् )
( ओ पूर्ण छल /सृष्टि उत्पत्ति से पहिनहुँ सँ , उत्पत्ति के बादो ई पूर्ण अछि , माने जे एक पूर्ण सँ दोसर पूर्ण उत्पन्न भेल ओहो पूर्ण अछि। पूर्ण से पूर्ण निकालि दियौ, तैयो, बाद मे जे बचल अछि - ओहो पूर्ण अछि ! ओम्! शांति! शांति! शांति! )
🇮🇳जय हिन्द🇮🇳
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*Nagesh Chandra Mishra, Former Engineer-In-Chief, Drinking Water & Sanitation Department ( P.H.E.D. ) & Executive Director, ( PMU ) HRD/IEC , Jharkhand & Bihar is the Life Member of Institution of Engineers since 1970s . He is Founder Chairman, Indian Water Works Association, Bihar as well that of Jharkhand. He Founded Visvesvaraya Sanitation & Water Academy ( ViSWA ) at Ranchi with the active support of State & Central Govt. along with UNICEF.
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rightnewshindi · 3 months ago
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लेक्चरर कॉमर्स के पदों की भर्ती परीक्षा का परिणाम हुआ जारी, यहां देखें चयनित अभ्यर्थियों की पूरी सूची
Himachal News: हिमाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग ने उच्च शिक्षा विभाग में लेक्चरर (स्कूल न्यू) कॉमर्स के पदों के लिए आयोजित भर्ती परीक्षा का परिणाम घोषित कर दिया है। आयोग ने लिखित वस्तुनिष्ठ और विषय योग्यता परीक्षण के बाद दस्तावेज सत्यापन में उनके प्रदर्शन के आधार पर लेक्चरर कॉमर्स के पदों पर नियुक्ति के लिए योग्यता क्रम में 47 उम्मीदवारों की सूची की सिफारिश की है। अनुशंसित उम्मीदवारों की अंतिम…
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sharpbharat · 4 months ago
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Jharkhand deoghar shikshak divas : देवघर न्यू फ्रेंड्स टेक्नोलॉजी एंड कंप्यूटर इंस्टिच्यूट में हर्षोल्लास के साथ मना शिक्षक दिवस, छात्र-छात्राओं ने विविध सांस्कृतिक कार्यक्रमों से समारोह में लगाये चार चांद
देवघर : देवघर न्यू फ्रेंड्स टेक्नोलॉजी एंड कंप्यूटर इंस्टिट्यूट की ओर से स्टेशन रोड स्थित होटल आइ टाउन में शिक्षक दिवस समारोह आयोजित हुआ. संस्थ��न के निदेशक शकील अहमद ने डॉ राधाकृष्णन के चित्र पर माल्यार्पण कर कार्यक्रम की शुरुआत की एवं बताया कि यह संस्थान 1981 से तकनीकी शिक्षा प्रदान कर रहा है. संस्थान के सभी शिक्षकों ने शिक्षक दिवस की महत्ता पर प्रकाश डाला. नीरज सिन्हा, सीमा, एजाज, अमन, पीयूष,…
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infohotspot · 6 months ago
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डी फार्मेसी कोर्स: एक विस्तृत मार्गदर्शिका डी फार्मेसी (Diploma in Pharmacy) एक पेशेवर डिग्री कोर्स है, जो फार्मास्युटिकल साइंस के क्षेत्र में एक ठोस आधार प्रदान करता है। यह कोर्स छात्रों को औषधियों की जानकारी, उनकी तैयारी, और उनके वितरण के बारे में सिखाता है। यदि आप फार्मेसी के क्षेत्र में करियर बनाने के इच्छुक हैं, तो डी फार्मेसी आपके लिए एक अच्छा विकल्प हो सकता है। इस लेख में, हम डी फार्मेसी कोर्स के विभिन्न पहलुओं, जैसे कोर्स की संरचना, योग्यता, प्रवेश प्रक्रिया, करियर के अवसर, और अधिक को विस्तार से जानेंगे। डी फार्मेसी कोर्स का परिचय डी फार्मेसी एक दो वर्षीय डिप्लोमा कोर्स है, जिसे फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया (PCI) द्वारा अनुमोदित किया गया है। इस कोर्स का उद्देश्य छात्रों को फार्मास्युटिकल साइंस के मूलभूत ज्ञान से लैस करना है, ताकि वे फार्मेसी तकनीशियन, फार्मासिस्ट, और अन्य संबंधित क्षेत्रों में सफलतापूर्वक काम कर सकें। कोर्स की संरचना डी फार्मेसी कोर्स को चार सेमेस्टर में विभाजित किया गया है। प्रत्येक सेमेस्टर में विभिन्न विषयों का अध्ययन किया जाता है, जो निम्नलिखित हैं: पहला वर्ष फार्मास्युटिक्स-I: इस विषय में औषधियों की तैयारी और वितरण की प्रक्रिया का अध्ययन किया जाता है। इसमें ड्रग्स की विभिन्न फॉर्मुलेशन, जैसे टैबलेट, कैप्सूल, इंजेक्शन आदि के निर्माण की विधियों को सिखाया जाता है। फार्मास्यूटिकल केमिस्ट्री-I: इसमें औषधियों के रासायनिक गुण और उनके संश्लेषण के बारे में जानकारी दी जाती है। इसमें औषधियों के निर्माण में उपयोग होने वाले रासायनिक तत्वों और यौगिकों का अध्ययन किया जाता है। फार्माकोग्नोसी: यह विषय प्राकृतिक स्रोतों से औषधियों की पहचान और उनके उपयोग के बारे में है। इसमें पौधों, जानवरों, और खनिजों से प्राप्त औषधियों का अध्ययन किया जाता है। बायोकैमिस्ट्री और क्लिनिकल पैथोलॉजी: इसमें शरीर में होने वाली जैव रासायनिक प्रक्रियाओं और रोगों के निदान का अध्ययन किया जाता है। इसमें विभिन्न एंजाइम, हार्मोन, और मेटाबोलिक प्रक्रियाओं का अध्ययन शामिल है। ह्यूमन एनाटॉमी और फिजियोलॉजी: इस विषय में मानव शरीर की संरचना और उसके विभिन्न अंगों के कार्य का अध्ययन किया जाता है। इसमें हड्डियों, मांसपेशियों, तंत्रिकाओं, और अंग प्रणालियों का गहन अध्ययन किया जाता है। हेल्थ एजुकेशन और कम्युनिटी फार्मेसी: इसमें स्वास्थ्य शिक्षा और सामुदायिक स्वास्थ्य के पहलुओं पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। इसमें स्वास्थ्य समस्याओं के बारे में जागरूकता फैलाना और उनके समाधान के लिए समुदाय को शिक्षित करना शामिल है। दूसरा वर्ष फार्मास्युटिक्स-II: इसमें औषधियों की उन्नत तैयारी और वितरण की प्रक्रिया का अध्ययन किया जाता है। इसमें ड्रग्स की विभिन्न डिलीवरी सिस्टम, जैसे ट्रांसडर्मल, नैनोपार्टिकल्स, आदि का अध्ययन किया जाता है। फार्मास्यूटिकल केमिस्ट्री-II: इसमें उन्नत रासायनिक गुण और औषधियों के संश्लेषण का अध्ययन किया जाता है। इसमें न्यू ड्रग डेवलपमेंट और ड्रग डिजाइनिंग की प्रक्रिया का अध्ययन किया जाता है। फार्माकोलॉजी और टॉक्सिकोलॉजी: इसमें औषधियों के प्रभाव और विषाक्तता का अध्ययन किया जाता है। इसमें ड्रग्स के विभिन्न फार्माकोडायनामिक और फार्माकोकाइनेटिक गुणों का अध्ययन किया जाता है। फार्मास्युटिकल ज्यूरिस्प्रूडेंस: इसमें फार्मेसी कानून और नैतिकता का अध्ययन किया जाता है। इसमें औषधि अधिनियम, नशीले पदार्थ नियंत्रण अधिनियम, और फार्मेसी प्रैक्टिस रेगुलेशंस का अध्ययन शामिल है। ड्रग स्टोर और बिजनेस मैनेजमेंट: इसमें औषधि ���ंडारण और व्यापार प्रबंधन के बारे में जानकारी दी जाती है। इसमें ड्रग स्टोर के संचालन, इन्वेंटरी मैनेजमेंट, और बिजनेस स्ट्रेटेजीज का अध्ययन किया जाता है। हॉस्पिटल और क्लिनिकल फार्मेसी: इसमें अस्पताल और क्लिनिकल फार्मेसी के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन किया जाता है। इसमें मरीजों की औषधि आवश्यकताओं का मूल्यांकन, औषधियों का वितरण, और मरीजों की देखभाल का अध्ययन शामिल है। योग्यता डी फार्मेसी कोर्स में प्रवेश के लिए उम्मीदवार को निम्नलिखित योग्यता मानदंड पूरे करने होते हैं: शैक्षणिक योग्यता: उम्मीदवार को किसी मान्यता प्राप्त बोर्ड से 10+2 परीक्षा उत्तीर्ण होना चाहिए। अनिवार्य विषयों में भौतिकी, रसायन विज्ञान, और जीवविज्ञान/गणित शामिल हैं। न्यूनतम अंक: सामान्य श्रेणी के उम्मीदवारों को 10+2 में कम से कम 50% अंक प्राप्त होने चाहिए। आरक्षित श्रेणियों के लिए न्यूनतम अंक आवश्यकताएँ भिन्न हो सकती हैं। आयु सीमा: उम्मीदवार की न्यूनतम आयु 17 वर्ष होनी चाहिए। प्रवेश प्रक्रिया डी फार्मेसी कोर्स में प्रवेश के लिए निम्नलिखित प्रक्रिया का पालन किया जाता है:
प्रवेश परीक्षा: कई राज्यों और संस्थानों में प्रवेश के लिए एक प्रवेश परीक्षा का आयोजन किया जाता है। उदाहरण के लिए, महाराष्ट्र में डी फार्मेसी में प्रवेश के लिए 'MH CET' परीक्षा आयोजित की जाती है। मेरिट लिस्ट: प्रवेश परीक्षा के परिणाम के आधार पर मेरिट लिस्ट तैयार की जाती है। काउंसलिंग: मेरिट लिस्ट में शामिल उम्मीदवारों को काउंसलिंग प्रक्रिया में भाग लेना होता है, जहाँ वे अपने पसंदीदा कॉलेज और कोर्स का चयन कर सकते हैं। करियर के अवसर डी फार्मेसी कोर्स सफलतापूर्वक पूरा करने के बाद, कई करियर विकल्प उपलब्ध होते हैं: फार्मासिस्ट: आप अस्पताल, क्लिनिक, और निजी फार्मेसी में फार्मासिस्ट के रूप में काम कर सकते हैं। फार्मासिस्ट के रूप में, आप मरीजों को औषधियों के बारे में सला�� देते हैं और उनके सुरक्षित उपयोग को सुनिश्चित करते हैं। फार्मेसी तकनीशियन: आप विभिन्न औषधि कंपनियों में फार्मेसी तकनीशियन के रूप में कार्य कर सकते हैं। तकनीशियन के रूप में, आप औषधियों के निर्माण, पैकेजिंग, और गुणवत्ता नियंत्रण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ड्रग इंस्पेक्टर: आप सरकारी क्षेत्र में ड्रग इंस्पेक्टर के रूप में काम कर सकते हैं। ड्रग इंस्पेक्टर के रूप में, आप औषधियों की गुणवत्ता और सुरक्षा की निगरानी करते हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि वे सभी कानूनी और नियामक मानकों का पालन कर रहे हैं। फार्मास्युटिकल कंपनियों में कार्य: आप विभिन्न फार्मास्युटिकल कंपनियों में प्रोडक्शन, क्वालिटी कंट्रोल, और मार्केटिंग में काम कर सकते हैं। इन भूमिकाओं में, आप औषधियों के उत्पादन, उनकी गुणवत्ता की जांच, और उनके बाजार में वितरण में शामिल होते हैं। उच्च शिक्षा: आप बी फार्मेसी (Bachelor of Pharmacy) या एम फार्मेसी (Master of Pharmacy) जैसी उच्च शिक्षा के लिए जा सकते हैं। उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद, आप शिक्षण, अनुसंधान, और विकास के क्षेत्र में भी करियर बना सकते हैं। डी फार्मेसी के विभिन्न क्षेत्र डी फार्मेसी कोर्स पूरा करने के बाद, आप निम्नलिखित क्षेत्रों में विशेषज्ञता प्राप्त कर सकते हैं: क्लिनिकल फार्मेसी: इसमें मरीजों की औषधि आवश्यकताओं का मूल्यांकन, औषधियों का वितरण, और मरीजों की देखभाल का अध्ययन शामिल है। क्लिनिकल फार्मासिस्ट मरीजों की चिकित्सा टीम के महत्वपूर्ण सदस्य होते हैं। फार्मास्युटिकल केमिस्ट्री: इसमें औषधियों के रासायनिक गुण, उनके संश्लेषण, और उनके निर्माण की प्रक्रिया का अध्ययन किया जाता है। इस क्षेत्र में अनुसंधान और विकास में भी करियर के अवसर होते हैं। फार्माकोलॉजी: इसमें औषधियों के प्रभाव और उनके उपयोग का अध्ययन किया जाता है। फार्माकोलॉजिस्ट औषधियों की प्रभावशीलता और सुरक्षा का मूल्यांकन करते हैं। फार्मास्युटिकल मार्केटिंग: इसमें औषधियों के विपणन और वितरण की प्रक्रिया का अध्ययन किया जाता है। इस क्षेत्र में, आप औषधियों के प्रचार और बिक्री में शामिल होते हैं। फार्मास्युटिकल प्रोडक्शन: इसमें औषधियों के उत्पादन की प्रक्रिया का अध्ययन किया जाता है। इस क्षेत्र में, आप उत्पादन संयंत्रों में औषधियों के निर्माण और गुणवत्ता नियंत्रण में शामिल होते हैं। अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs) 1. डी फार्मेसी कोर्स की अवधि कितनी होती है? डी फार्मेसी कोर्स की अवधि 2 वर्ष होती है। 2. डी फार्मेसी कोर्स के लिए न्यूनतम योग्यता क्या है? उम्मीदवार को 10+2 परीक्षा में भौतिकी, रसायन विज्ञान, और जीवविज्ञान/गणित के साथ उत्तीर्ण होना चाहिए। 3. क्या डी फार्मेसी कोर्स के बाद रोजगार के अच्छे अवसर मिलते हैं? हाँ, डी फार्मेसी कोर्स के बाद कई करियर विकल्प उपलब्ध होते हैं, जैसे फार्मासिस्ट, फार्मेसी तकनीशियन, ड्रग इंस्पेक्टर आदि। 4. क्या डी फार्मेसी कोर्स के बाद उच्च शिक्षा के अवसर होते हैं? हाँ, डी फार्मेसी कोर्स के बाद आप बी फार्मेसी और एम फार्मेसी जैसी उच्च शिक्षा के लिए जा सकते हैं। 5. डी फार्मेसी कोर्स में प्रवेश के लिए किस प्रकार की परीक्षा होती है? कई राज्यों और संस्थानों में प्रवेश के लिए एक प्रवेश परीक्षा का आयोजन किया जाता है, जैसे 'MH CET'। 6. डी फार्मेसी कोर्स के दौरान इंटर्नशिप होती है? हाँ, कई संस्थानों में डी फार्मेसी कोर्स के दौरान इंटर्नशिप का भी प्रावधान होता है, जहाँ छात्रों को व्यावहारिक अनुभव प्राप्त होता है। 7. डी फार्मेसी कोर्स की फीस क्या होती है? डी फार्मेसी कोर्स की फीस विभिन्न संस्थानों में भिन्न हो सकती है, लेकिन सामान्यतः यह 50,000 रुपये से 1,00,000 रुपये प्रति वर्ष के बीच हो सकती है। 8. क्या डी फार्मेसी कोर्स के बाद सरकारी नौकरी मिल सकती है? हाँ, डी फार्मेसी कोर्स के बाद सरकारी क्षेत्र में भी नौकरी के अवसर होते हैं, जैसे सरकारी अस्पतालों में फार्मासिस्ट, ड्रग इंस्पेक्टर आदि।
9. क्या डी फार्मेसी कोर्स के बाद फार्मेसी खोल सकते हैं? हाँ, डी फार्मेसी कोर्स के बाद आप अपनी खुद की फार्मेसी खोल सकते हैं, लेकिन इसके लिए आपको संबंधित राज्य फार्मेसी काउंसिल से लाइसेंस प्राप्त करना होगा। निष्कर्ष डी फार्मेसी कोर्स फार्मास्युटिकल क्षेत्र में एक मजबूत आधार प्रदा�� करता है। यह कोर्स छात्रों को औषधियों की जानकारी, उनकी तैयारी, और उनके वितरण के बारे में गहन ज्ञान प्रदान करता है। यदि आप फार्मेसी के क्षेत्र में एक सफल करियर बनाना चाहते हैं, तो डी फार्मेसी कोर्स आपके लिए एक उत्कृष्ट विकल्प हो सकता है। इसके अलावा, इस कोर्स के बाद उच्च शिक्षा के कई अवसर भी उपलब्ध होते हैं, जिससे आप अपने ज्ञान और कौशल को और भी अधिक उन्नत कर सकते हैं। डी फार्मेसी कोर्स न केवल एक व्यावसायिक डिग्री प्रदान करता है, बल्कि यह समाज में स्वास्थ्य सेवा में महत्वपूर्ण योगदान देने का अवसर भी प्रदान करता है।
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abhinews1 · 9 months ago
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संस्कृति विवि के विद्यार्थियों को न्यू एलनबैली वर्क्स में मिली नौकरी
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संस्कृति विवि के विद्यार्थियों को न्यू एलनबैली वर्क्स में मिली नौकरी
मथुरा। संस्कृति विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों को न्यू एलनबैरी वर्क्स कंपनी में नौकरी मिली है। प्रसिद्ध आटोमोबाइल कंपनियों के लिए गेयर और शाफ्ट बनाने वाली कंपनी ने संस्कृति विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों को आफर लैटर जारी करते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने विद्यार्थियों की इस सफलता पर हर्ष व्यक्त करते हुए उनकी मेहनत, पढ़ाई के प्रति गंभीरता और लगन की सराहना की है। कंपनी द्वारा संस्कृति विश्वविद्यालय में कैंपस प्लेसमेंट के दौरान संस्कृति विवि के विद्यार्थियों का तीन चरणों में योग्यता परीक्षण करने के बाद 18 विद्यार्थियों को न्यू एलन बैरी वर्क्स लि. में काम करने का मौका दिया है। कंपनी के महाप्रबंधक एचआर प्रोडक्शन बीके कुंतिया ने बताया कि "न्यू एलनबेरी वर्क्स" कंपनी एक मजबूत उद्यमशीलता संस्कृति का लाभ उठाते हुए, भविष्योन्मुखी इंजन और ट्रांसमिशन अनुप्रयोगों के लिए ऑटोमोटिव गियर और शाफ्ट बनाती है। सिद्ध क्षमताओं और ठोस संसाधनों के साथ, पिछले 40 वर्षों में, स्वदेशी मांग को पूरा करने की अपनी प्रतिबद्धता पर खरा उतरा है और वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धा करने के लिए सामने आया है। उन्होंने बताया कि संस्कृति विवि के छात्र-छात्राओं का चयन एक निर्धारित योग्यतापरक चयन प्रक्रिया के तहत हुआ। विवि के विद्यार्थियों ने अपनी योग्यता परिचय देकर इंटरव्यू क्वालीफाई किया है। इन सभी बच्चों को कंपनी ने नौकरी के लिए चुना है। उन्होंने बताया कि संस्कृति विवि के बी.टेक.के छात्र लक्ष्मी नारायन, जयंत जादौन, रंजन कुमार पटेल, नीरज शर्मा, सौरव, विष्णु, मैकेनिकल इंजीनियरिंग डिप्लोमा के छात्र चेतराम, आमिर खान, प्रवीर कुमार, गौरव, प्रथम सिंह, ऋषिराज सिंह, दुष्यंत, जसवीर, सूरज, सौरभ धनगर, सचिन कुमार को कंपनी ने आफर लैटर प्रदान किए हैं। विवि की सीईओ मीनाक्षी शर्मा ने चयनित छात्र-छात्राओं को उनके प्लेसमेंट पर बधा�� देते हुए कहा कि अपने ज्ञान और कौशल से नियोक्ता कंपनी के विकास में अपना सारा श्रम समर्पित करें। कंपनी की प्रगति ही आपके यश में वृद्धि करेगी। संस्कृति विश्वविद्यालय की कौशल और नवाचार से ओतप्रोत शिक्षा का ही यह प्रभाव है कि विवि के विद्यार्थियों को नामी-गिरामी कंपनियों द्वारा हाथों-हाथ लिया जा रहा है।
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wdeehnews · 1 year ago
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Business ideas – सिर्फ 10X10 की दुकान और 2 लाख की मशीनों से 1 लाख महीने की कमाई
Business ideas : 10वीं पास होने से लेकर ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट तक, चाहे वह इंजीनियरिंग की डिग्री हो या MBA किया हो, सफलता वहीं मिलती है जो अपने न्यू स्टार्टअप व्यवसाय को पूरी तरह से सिस्टमाइटिक तरीके से चलाता है। आज के व्यापारिक विचार का मूल मंत्र है, “जीतने वाले कुछ अलग नहीं करते, वह अलग तरह से सोचते है।” अर्थात, वह व्यक्ति कोई अलग काम नहीं करता, बल्��ि वह हर काम को अलग तरीके से करता है। उसका खुद का तरीका ही उसे सफलता और लाभ दिलाएगा। 
business opportunities in india 
कोकोनट, यानी नारियल, अब पूरी दुनिया में उपयोगिता के साथ पहचाना जाता है। यह एक सुपरफूड है और डिहाइड्रेशन से लेकर करीब 150 बीमारियों में उपयोग किया जा सकता है, इसका मुख्य स्रोत कोकोनट वाटर है। इस विशेष उपादान के साथ, नारियल पानी वास्तव में अमृत के समान है।
आपकी नई व्यवसाय विचार में ABC The Coconut Shop के रूप में जाना जाएगा, जिसमें “ABC” आपकी पहचान और प्राथमिकता को दर्शाने के रूप में आपके चयनित शब्द का प्रतीक होगा। इसके तहत, नारियल को धारदार हाथियारों से नहीं काटा जाएगा, बल्कि मशीनों की मदद से कटा जाएगा और इसका पानी उसे बिल्कुल वैसे ही सुरक्षित और स्वादिष्ट रूप में निकाला जाएगा जैसे कि दूसरे फलों के रस को उनके आकर्षक कांच के गिलासों में पेश किया जाता है।
दुकान के इंटीरियर डेकोरेशन का नया अंदाज होगा, जिसमें ग्रीन कलर का जादू होगा और वह कोकोनट की थीम पर आधारित होगा, जो लोगों को खींचेगा। अगर कोई नारियल पानी खरीदने आता है, तो हम उसे एक शानदार पेपर कप में पैक करके देंगे, जिसमें वो बड़े से खूबसूरती से मशीन से पैक होगा। बाजार में कोकोनट आसानी से मिल जाते हैं, लेकिन कोकोनट मिल्क की कमी होती है, हालांकि बच्चों से लेकर बूढ़ों तक कोकोनट मिल्क सभी को पसंद आता है और इसके स्वास्थ्य लाभ भी होते हैं। हमारा कोकोनट मिल्क विशेष डिजाइन वाले गिलास में होगा, जिससे वह खुद में एक क्रांतिकारी और श्रेष्ठता का प्रतीक बन जाएगा।
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Business Idea
हालांकि, आजकल कोकोनट ऑयल की परिभाषा में बड़ा बदलाव आया है.
खासकर कुकिंग के लिए एक प्रकार का कोकोनट ऑयल उपलब्ध है.
साथ ही, त्वचा के लिए भी अलग प्रकार का कोकोनट ऑयल उपयोग किया जा सकता है.
अब आपकी दुकान पर विशेष कोकोनट ऑयल की पूरी विस्तृत रेंज उपलब्ध है.
कुछ ग्राहक खुद कोकोनट ऑयल बनाना पसंद करते हैं, जबकि कुछ बड़ी ब्रांडेड कंपनियों के प्रोडक्ट्स पसंद करते हैं.
आप उन्हें इन विकल्पों में से चुनने की स्वतंत्रता दे सकते हैं और उनकी आवश्यकताओं को पूरी कर सकते हैं.
इससे आपकी दुकान की प्रस्तुति में वृद्धि होगी और ग्राहकों का विश्वास भी बढ़ेगा.
उचित जानकारी और उत्कृष्ट गुणवत्ता से बनाया गया कोकोनट ऑयल आपके व्यवसाय को नई ऊँचाइयों तक पहुँचा सकता है.
अब आप ग्राहकों को सबसे अच्छा और उपयुक्त कोकोनट ऑयल प्रदान कर सकते हैं, जो उनकी आवश्यकताओं को पूरी करता है
The Coconut Shop
The Coconut Shop पर कोकोनट से बने उत्पादों की एक विशेष रेंज होगी, जो अनूठे और मूल्य��र्धित होंगे।
नारियल पानी को ₹50 के बजाय ₹100 पर बेचकर हम उच्च गुणवत्ता और मूल्य बढ़ा सकते हैं।
हम नारियल पानी कोकोनट से बने उत्पादों के साथ बेचने का आकर्षक अद्वितीय स्थान बना सकते हैं।
जैसे कि कॉफी चेन CCD ₹30 की कॉफी को ₹150 में बेचता है, हमारी दुकान भी अपनी विशेष सेवाओं के साथ मूल्य में वृद्धि कर सकती है।
CCD की तरह हम भी उच्च गुणवत्ता, सफाई, और सेवा को प्राथमिकता देंगे, जो हमारे ग्राहकों को आकर्षित करेगा।
youth entrepreneurship ideas in india 
कॉलेज छात्रों और युवाओं के लिए यह व्यापारिक अवसर बहुत लाभकारी हो सकता है।
इसका ब्रांड वृद्धि करने पर फ्रेंचाइज़ भी दिला सकता है।
क्रॉकरी और मशीनों की लागत मात्र ₹200,000 से अधिक नहीं होती है।
यह व्यवसाय कोकोनट से नया दिशा देता है और विशेष हो सकता है।
business ideas for women in india 
चाहे आप खाद्य उत्पादों की बात करें या स्वास्थ्य और सौंदर्य के उत्पादों की, घरेलू महिलाएं उन्हें आसानी से प्रबंधित करती हैं.
इसके परिणामस्वरूप, आपकी शिक्षा की गुणवत्ता पहले के मुकाबले कम नहीं होगी.
आप अपनी पहचान बना सकते हैं, और इससे समाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं.
business ideas for retired employees in india 
सरकारी नौकरी से रिटायर होने के बाद 5 लाख रुपए का निवेश करना एक अच्छा विचार है।
आपका नौकरी के दौरान अधिक अनुभव और जीवन का एक्सपीरियंस होता है।
यदि आप कोकोनट शॉप खोलते हैं, तो आपको आपके रूचि के अनुसार क्रिएटिव होने का मौका मिलता है।
आपके प्रोडक्ट का सही चयन जनस्वास्थ्य के समर्थन में आपकी मदद कर सकता है।
इससे आपके व्यवसाय में उचित मार्केटिंग और समर्थन के बावजूद, लोग आपकी सेवाओं की सराहना करेंगे।
आपके कोकोनट शॉप से आपको आपके जीवन का एक नया दिशा देने का अवसर मिलता है।
यह आपके नौकरी के दौरान की अद्भुत कौशलों का सही उपयोग करता है और समाज के लिए सामाजिक उत्थान का समर्थन करता है।
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profitable business ideas in india 
नारियल के ₹50 के मूल्य में ₹25 का प्रॉफिट होता है, जिससे दुकान की कीमत कम होती है.
अगर आपकी दुकान फ़ाइव स्टार होती है, तो प्रॉफिट भी उसके स्तर पर होगा.
अच्छी शुद्धता और विश्वास के साथ ग्राहक की प्राथमिकता होती है, जो दुकान को बेहद महत्वपूर्ण बनाता है.
ग्राहक क्वालिटी और विश्वास पर ध्यान देते हैं, जिससे ��न्हें कीमत से कम मायने रखती है.
आपकी दुकान पर उच्च मानक और विश्वासयोग्यता की गारंटी है, जो ग्राहकों को आकर्षित करेगी.
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prabhatprakashan12 · 1 year ago
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हीलिंग इज द न्यू हाई 
हीलिंग इज द न्यू हाई 
वेक्स किंग सबसे कठिन क्षण
मेरे जीवन के सबसे कठिन क्षणों को मेरे शरीर ने भी महसूस किया था। जब मैं उस ब्रेकअप से गुजरा तो मुझे जो दर्द महसूस हुआ, वह केवल भावनात्मक नहीं था। सड़क पर चलते हुए मैंने कई बार ऐसा कुछ देखा, जो मुझे मेरी पूर्व प्रेमिका की याद दिलाता था—कोई महिला, जो उसके समान कपड़े पहने हुए थी या बहस करता कोई जोड़ा, जिन्हें देखकर वह मेरे कान में कुछ फुसफुसाती थी। ऐसा कुछ भी देखकर मेरा दिल भारी हो जाता था। लगता, जैसे छाती पर कोई बोझ रहा है। साँस लेना मुश्किल हो जाता और फिर मैं बीमार महसूस करने लगता। मेरे पैर अचानक भारी हो जाते और चलना मुश्किल हो जाता। ऐसा महसूस होता, जैसे मेरे अंग दूसरे के साथ सद्भाव में काम करना भूल गए हैं।
वेक्स किंग  की  पुस्तक  योजना
अगर कहूँ तो  मैं जब  हीलिंग इज द न्यू हाई  बना रहा था, तब मैं इसमें योग दर्शन के कुछ सिद्धांत शामिल करना चाहता था; क्योंकि इन सिद्धांतों ने सच में मेरी यात्रा में शानदार ढंग से मुझे मार्ग दिखाया है। कई लोग योग के शारीरिक आसनों का अभ्यास शुरू करते हैं और उसके बाद योग दर्शन की जानकारी पाते हैं; लेकिन मैंने पहले इस दर्शन को जाना। मैं इस बात से प्रेरित हुआ था कि बहुत बड़ी संख्या में लोगों ने अपने बेहतर जीवन या उपचार या विकास के कुछ हिस्से का श्रेय अपने योग अभ्यास को दिया था।
अतः एक दिन मैंने हीलिंग इज द न्यू हाई खरीदी, जिसका शीर्षक था—‘द योग सूत्राज ऑफ पतंजलि’, यानी ‘पतंजलि के योग सूत्र’। संस्कृत के ‘सूत्र’ शब्द का अंग्रेजी अर्थ ‘थ्रेड’, यानी धागा होता है और यह पुस्तक ज्ञान या शिक्षा के धागों क��� खोज है, जो योग के समग्र अभ्यास को सक्षम बनाते हैं। सूत्रों के अंग्रेजी अनुवाद के साथ यह पुस्तक यह मार्गदर्शन भी करती है कि कैसे हर व्यक्ति योग अभ्यासी को उसके ‘स्व’ की ओर—ज्ञानोदय की ओर ले जाने में मदद कर सकता है।
आंतरिक उपचार कैसा दिखता है?
जब मैं स्व-उपचार के बारे में बात करता हूँ, तो मुझसे अकसर पूछा जाता है कि सही मायने में यह कैसा दिखता है? और यह वास्तव में एक कठिन प्रश्न है। मैं आपको यह नहीं बताना चाहता कि आपको कैसा महसूस करना चाहिए, या आपको किस परिणाम के लिए लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए, क्योंकि इस मामले में ‘चाहिए’ जैसा कुछ नहीं होता। अलग-अलग लोग अलग-अलग चीजें महसूस करते हैं। जब वे अपने आंतरिक कार्य में गहराई में डूबते हैं तो विभिन्न परिवर्तनों और विकास पैटर्न का अनुभव करते हैं।
मुझे लगता है कि यह थोड़ा सा अस्वीकरण है। लेकिन इस प्रक्रिया में आप कुछ सामान्य प्रभाव अनुभव कर सकते हैं। इन्हें इस समझ के साथ पढ़ें कि आपकी यह यात्रा बस, आपके लिए अनूठी है। यदि आप इनमें से किसी भी चीज का अनुभव नहीं करते हैं, या यदि आप पूरी तरह से अलग-अलग चीजों का अनुभव करते हैं तो इसका मतलब यह नहीं है कि आप इसे गलत कर रहे हैं ………..
और पढ़ें: हीलिंग इज द न्यू हाई
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venkteshwara · 1 year ago
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वेंक्टेश्वरा में स्कूल आॅफ नर्सिंग ओर से नवप्रेशित छात्र-छात्राओ के लिए ओरिन्टेशन प्रोग्राम ’’अनूगूंज-2023’’ (न्यू बिगनिंग) का शानदार आयोजन। नयी शिक्षा नीति में युवाओ के लिए ढेरो सभ्भावनाऐं, लेकिन नर्सिंग दुनिया का सबसे पुनीत एवं मानवीय क्षेत्र-डाॅ0 सुधीर गिरि, चेयरमैन, वेंक्टेश्वरा समूह। अन्तर्राष्ट्रीय डिमाण्ड के अनुसार विशेष रूप से नर्सिंग क्षेत्र में ट्रैण्ड प्रोफेशनल्स तैयार कर रहा है वेंक्टेश्वरा समूह- डाॅ0 राजीव त्यागी, प्रतिकुलाधिपति, श्री वेंक्टेश्वरा विश्वविद्यालय। स्कूल आॅफ नर्सिंग पाठयक्रमों का मानव स्वास्थ एवं चिकित्सा सेवाओ में अहम रोल- डाॅ0 एना ऐरिक ब्राउन, डीन/प्रिंसिपल, स्कूल आॅफ नर्सिंग। छात्र-छात्राओ ने विभिन्न कार्यक्रम आयोजित कर ’’अनूगूंज-2023’’ को यादगार बना दिया। आज राष्ट्रीय राजमार्ग बाईपास स्थित श्री वेंक्टेश्वरा विश्वविद्यालय/संस्थान में ’’स्कूल आॅफ नर्सिंग सत्र-2023’’ में नवप्रवेशित छात्र-छात्राओ के लिए ओरिन्टेशन प्रोग्राम ’’अनूगूंज-2023’’ का शानदार आयोजन किया गया, जिसमें संस्थान प्रबन्धन एवं प्रशासन ने नवाॅन्तुक नर्सिंग छात्र-छात्राओ का स्वागत करते हुए उन्हे अपने अन्तर्राष्ट्रीय डिमाण्ड के अनुरूप तैयार करने की शपथ दिलाते हुए देश सेवा में जुडने का आवहृान किया। इस अवसर पर पुराने छात्र-छात्राओ ने शानदार सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित कर समारोह को यादगार बना दिया। समूह चेयरमैन डाॅ0 सुधीर गिरि ने सभी नवप्रवेशित नर्सिंग छात्र-छात्राओ को नये सुनहरे भविष्य की शुभकामनाऐं देते हुए उनसे अपना शत्-प्रतिशत देते हुए देश सेवा में जुड़ने का आवहृान किया। वेंक्टेश्वरा संस्थान के टैगौर भवन में आयोजित ’’अनूगूंज-2023’’ कार्यक्रम का शुभारम्भ चेयरमैन डाॅ0 सुधीर गिरि, प्रतिकुलाधिपति डाॅ0 राजीव त्यागी, प्रधान सलाहकार वी0पी0एस0 अरोड़ा, सी0ई0ओ0 अजय श्रीवास्तव, प्रभारी कुलपति डाॅ0 राकेश यादव, नर्सिंग प्रिंसीपल डाॅ0 ऐना ऐरिक ब्राउन आदि ने सरस्वती माँ की प्रतिमा के सम्मुख दीप प्रज्जवलित करके किया। अपने सम्बोधन में समूह चेयरमैन डाॅ0 सुधीर गिरि ने कहा कि नयी शिक्षा नीति बहुत ही शानदार है जिसमें सभी क्षेत्रो के युवाओ के लिए ढेरो रोजगार की सम्भावनाऐं निहित है, लेकिन नर्सिंग जैसा पुनीत एवं मानवीय सेवा जैसा कोई दूसरा प्रोफेशन हो ही नहीं सकता। नर्सिंग प्रोफेशनल्स का रोल किसी भी मायने में चिकित्सक से कमतर नहीं है। वेंक्टेश्वरा समूह पिछले एक दशक में विभिन्न क्षेत्रों में हजारो स्किल्ड नर्सिंग प्रोफेशनल्स तैयार कर चुका है। ये बडे गौरव की बात है कि संस्थान के नर्सिंग प्रोफेशनल्स युवा आज देश एवं दुनिया के विभिन्न हाॅस्पीटल्स/स्वास्थय संस्थानो में कार्य कर रहे है। लकिन बदलते परिवेश में हमें युवाओ की नयी शिक्षा नीति के अनुरूप राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय जरूरतों के हिसाब से प्रशिक्षित करना होगा ताकि ये युवा राष्ट्रीय/अन्तर्राष्ट्रीय मंचो पर अपनी प्रभावी उपस्थित दर्ज कर सके। प्रतिकुलाधिपति डाॅ0 राजीव त्यागी ने कहा कि पिछले एक दशक में भारतीय युवाओ ने विशेष रूप से नर्सिंग/पैरामेडिकल एवं मेडिकल्स प्रोफेशनल्स ने शानदार तरीके से काम करके भारत का गौरव बढाने का काम किया है। हम अपने यहां प्रवेशित नर्सिंग छात्र-छात्राओ को एक सफल एवं सुरक्षित कैरियर देने के लिए प्रतिबद्ध है। अनूगूंज-2023 कार्यक्रम को कुलपति डाॅ0 राकेश यादव, कुलसचिव डाॅ0 पीयूष पाण्डेय, संयुक्त कुलसचिव डाॅ0 राजेश सिंह ने सम्बोधित किया। इस अवसर पर मेरठ परिसर से डाॅ0 प्रताप सिंह, सी0एफ0ओ0 विकास भाटिया, एच0आर0 हेड बालाजी मलय्यपन, डाॅ0 सी0पी0 कुशवाह, डाॅ0 विव���क सचान, डाॅ0 मोहित शर्मा, मारूफ चैधरी, मंजरी राणा, अनुष्का, रूविना, संजीव कुमार, रश्मि राणा, पूजा ऐरी, नीमा विष्ट, प्रतिभा, रीना नेगी, हरप्रीत कौर, हिमानी, सुमनदीप, पूजा कुमारी, जुनैद, पूजा सिवाली, अलका सिंह, ब्रजपाल सिंह, दीपक कुमार, प्रीतपाल एवं मीडिया प्रभारी विश्वास राणा आदि लोग उपस्थित रहे।
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nationalistbharat · 2 years ago
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शमायल अहमद की भारत के शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से मुलाकात
पटना/भुनेश्वर:शमायल अहमद राष्ट्रीय अध्यक्ष प्राइवेट स्कूलस एंड चिल्ड्रन वेलफेयर एसोसिएशन ने आज उड़ीसा राज्य स्थित भुवनेश्वर शहर के होटल न्यू मैरियन में भारत सरकार के शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान जी से मुलाकात की!इस खास मुलाकात के दौरान उन्होंने भारत सरकार के शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान का ध्यान केंद्रित करते हुए बताया कि नई शिक्षा नीति के अंतर्गत 3 से 5 वर्ष की आयु वर्ग के बच्चों के लिए प्री…
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nageshchandramishra · 2 months ago
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विश्व-स्तरीय तकनीकी शिक्षा लेल मातृभाषा मे पढ़ाई- लिखाई’क अनिवार्यता
(*लेखक: नागेश चन्द्र मिश्र,पूर्व अभियंता प्रमुख,झारखंड बिहार)
(Abstract : The author has emphasised the immediate need of promoting world class quality education through the medium of every individual’s own native languages included in the Eighth Schedule of Indian Constitution without too much dependence on English. He has cited some notable engineers’ own experiences quoting the book, “The English Medium Myth : Dismantling Barriers to India’s Growth” by Sankrant Sanu,an IIT luminary.
All the State Centres of Institution of Engineers ( India ) have been requested to come forward for active cooperation, consultation & participation in preparing appropriate courses of study needed from pre - nursery education to lower,medium, higher education in Engineering curriculum as needed by every individual in their own mother tongues for which Sustainable Development Forum,IEI should coordinate with all state centres , States & Central Government’s New Education Policy Initiatives.
At the end of this essay, the author has quoted the perception of Sustainable Development through the spectrum of two Shlokas of Veda and Upanishad . )
मैथिली मे एकटा कहबी छैक,”ऊपर सँ फ़िट फाट,त’र मे मोकामा घाट”,
अर्थात्, बाहर सँ देखबा’ मे तँ खूब नीक,किंतु भीतर मे फोंक - जेकरा अंग्रेज़ी मे “भैक्विटी” कहैत छैक।सरकार भले आई.आई.टी.; एम्स, इंजीनियरिंग - मेडिकल कॉलेज’क जाल पूरा देश मे बिछा दौ’क , मुदा आजुक पढ़निहार विद्यार्थी आ पढ़ौनिहार शिक्षक कें यदि ठीक से कोनो विषय बुझबा’ आ बुझेबा’ मे दिक़्क़त हेतैन्ह ,तँ “थ्री इडियट्स” सिनेमा वला उपहासजन्य रटन्त विद्या सैह भेटैत रहतैक - ओहेन पढ़ाई- लिखाई सँ देश कें कोन लाभ ? भारत मे, जतेक इंजीनियर सभ विभिन्न संस्थान सँ डिग्री प्राप्त क’ रहल छथि , ओहि मे,लगभग मात्र 20% डिग्रीधारी कें ओहि तरहक योग्यता रहैत छन्हिं जिनका कत्तौ नीक नोकरी-चाकरी भेटैन्ह ।
एतय, प्रसिद्ध शिक्षाविद श्री संक्रांत सानू जे गरूड़ प्रकाशनक सर्वे-सर्वा छथि, हुनक पुस्तक, “द इंगलिश मिडियम मिथ : डिसमैंटलिंग बैरियर्स टू इंडियाज ग्रोथ”क संस्मरण मोन पड़ि रहल अछि । हुनक एक संक्षिप्त विडियोक लिंक अनुलग्न अछि https://youtu.be/Fm6ZjnFsZuY?si=NYjVsnp6Y3AXOAsn , जेकरा अवश्य सुनल जाय । संक्रांत सानू जी , आई.आई.टी. कानपुर सँ कंप्यूटर साइंस मे डिग्री प्राप्त कय लगभग एक दशक माइक्रोसॉफ़्ट कॉरपोरेशन मे नोकरी कयलन्हिं । यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सस,ऑस्टिन सँ छह गोट टेक्नॉलजी पेटेंट हुनक नामे छन्हिं । एक बेर , ओ अपन ‘अल्मा मेटर’ आई.आई. टी. कानपुर’क फोर्थ ईयर कम्प्यूटर साइंस क्लास’क विद्यार्थी सभक बीच आबि हुनका लोकनिक प्रमुख दिक़्क़त सँ अवगत होअए चाहलाह । हुनका ई देखि-सुनि अपार दुख भेलन्हिं जे अधिकांश विद्यार्थी’क सभसँ पैघ अवरोधक, अंग्रेज़ी भाषा छलैक । तहिये से , श्री संक्रांत सानू , अपन देश वापस आबि, भारतीय भाषाक माध्यम सँ स्कूल - कॉलेज मे पढ़ाई-लिखाई होइक - अइ महायज्ञ मे तत्पर छथि ।
वर्तमान सरकार’क “नव शिक्षा नीति” (न्यू एजुकेशन पॉलिसी) मे , सभ क्षेत्रीय भाषाक माध्यम सँ प्राथमिक,माध्यमिक आ उच्च शिक्षा’क पढ़ाई-लिखाई होइक - ई प्रावधान प्रमुखता सँ कयल गेल अछि जेकर हम क़ायल छी ।
वाल्यावस्थे सँ, शिक्षा -साहित्यक सान्निध्य में लालन-पालन भेला सँ मातृभाषा मैथिली सहित हिन्दी-अंग्रेज़ी- संस्कृत आ अन्य सभ क्षेत्रीय भाषा सँ प्रेम अछि । प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक कार्ल रोजर्स’क उक्ति, “व्हाट इज मॉस्ट पर्सनल इज मॉस्ट जेनरल”क अनुभव सँ हमरा ई मानबा मे कोनो संकोच नहिँ अछि जे जहिया सँ होश भेल - तहिये सँ जे कोनो विचार मोन मे पहिने अबैए - ओ मातृभाषा मैथिलीए मे अबैत अछि ; क्रमिक रूप सँ , हिन्दी आ अंग्रेज़ी भाषा में ओकरा रूपान्तरित करबाक अभ्यास भेल गेल । एहेन कतेको ब्रिलियंट सहपाठी कें देखलयैन्ह जे कोनो विषयक पूर्ण ज्ञान रहलाक बादो, अंग्रेज़ी भाषा मे ओकरा पढ़बा- लिखबा मे स्ट्रगल करैत रहलाह ।
हमरा अपनहुँ, अंग्रेज़ी उच्चारण आ ऐक्सेंट बुझबा’ मे स्कूली शिक्षाक दौरान हरदम दिक़्क़त होइते रहल; इंजीनियरिंग कॉलेज मे जहिया पढ़ैत रही आ सिनेमा हॉल मे अंग्रेज़ी सिनेमा देखी - बहुत कम्मे बुझियैक जे कोन पात्र की बजलैक - हॉल मे देखनहार दर्शक सब कोनो सीन कें देखि-सुनि हँसय, तँ बिना बुझनहुँ, हमहूँ हँसय लागी - जे कमज़ोरी अइ बुढ़ारी धरि एखनो विद्यमान अछि - बिना सब-टाइटिल देखने पढ़ने एखनो बहुतो रास डायलॉग ठीक सँ बुझबा मे दिक़्क़त होइते अछि ।
अइ सँ, ई सद्यः अनुभूति कयल जा सकैत अछि जे कोनो मौलिक विषय ठीक सँ बुझबाक लेल जेना हमरा अपन मातृभाषा मैथिलीक कोरा-कंधा’क आवश्यकता पड़ैत अछि - ओहने आवश्यकता कोनो तेलुगू भाषा-भाषी कें सेहो धीया-पूता सँ होइते हेतैन्हि; तेलुगू मे पढ़ाई-लिखाई’क माध्यम सँ प्राथमिक, माध्यमिक आ उच्च - उच्चतर शिक्षा भेटैत रहला पर हुनका कतेक उपयोगी सिद्ध होइत हेतैन्हिं- से स्वत: अनुमान कय सकैत छी ।एहने आवश्यकता विभिन्न क्षेत्रीय भाषा-भाषी कें होइत हेतन्हिं ।
तैं, इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स (इंडिया)क सस्टेनेबल डेवलपमेंट फोरम सँ हम आग्रह करबन्हिं जे प्रत्येक स्टेट सेंटर सँ कॉर्डिनेट कय संप्रति संविधानक अष्टम सूची में शामिल 22 भाषा : Assamese, Bengali, Bodo, Dogri, Gujarati, Hindi, Kannada, Kashmiri, Konkani, Maithili, Malayalam, Manipuri, Marathi, Nepali, Oriya, Punjabi,Santhali, Sanskrit, Sindhi, Tamil, Telugu, Urdu
मे प्राथमिक, माध्यमिक आ उच्च शिक्षा, साइंस टेक्नोलॉजी इंजीनियरिंग वग़ैरह कोर्सक पढाई -लिखाई मे गुणवत्तापूर्ण शिक्षाक उन्नति आ विकास मे सक्रिय योगदान कोना दय सकैत छथि, ताहि पर गंभीरता सँ विचार करबाक कृपा करथि ।
ई. अजय कुमार सिन्हा, चेयरमैन,सस्टेनेबल डेवलपमेंट फोरम,इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स (इंडिया) सँ ई जानि परम आनंदित भेलहुँ जे इंस्टीट्यूशनक पत्रिका “अभियंता- बंधु”क आगामी विशेष अंक मे विभिन्न क्षेत्रीय भाषाक उपयुक्त लेख प्रकाशित हेतैक जाहि हेतु , हमरो नोत भेटल जे मैथिली मे एक लेख लिखि पठाबी - प्रिय अजय बाबूक प्रति हम आभार प्रगट करैत छी ( इंस्टिट्यूशन सँ एकटा विशेष अनुरोध जे ‘अभियंता बहीन’ लोकनिक सम्मान आ ‘जेण्डर मेनस्ट्रिमिंग’क ख़ातिर, अइ पत्रिका’क नाम “अभियंता बंधु_बांधवी” जँ राखल जा’ सकय - तँ, अपने लोकनि कृपया विचार करियैक )।
अंत मे , ‘सस्टेनेबल डेवलपमेंट’क जे स्वरूप हमर मोन मे अभरैत अछि, ओहि वेद-उपनिषद्’क निम्नांकित दू गोट श्लोक कें उद्धरित कए , अपन लेख कें समेट रहल छी :-
पश्येम शरद: शतम्
जीवेम शरद: शतम्
बुद्ध्येम शरद: शतम्
रोहेम शरद: शतम्
पूषेम शरद: शतम्
भवेम शरद: शतम्
भूयेम शरद: शतम्
भूयसी शरद: शतात्
( अथर्व वेद , काण्ड 19 , सूक्त 67 )
यानि ,  – सौ बर्ष धरि देखी; सौ बर्ष धरि जीबी ; सौ बर्ष धरि बुद्धि सक्षम रहए; सौ वर्ष धरि वृद्धि होइत रहए ; सौ वर्ष पुष्टि-पोषण होइत रहए ; सौ वर्ष धरि आभामंडल बनल रहए ;सौ वर्ष धरि पवित्रता बनल रहए;सौ वर्षक आगुओ, ई सब कल्याणकारी योग बनल रहए ।
“ॐ पूर्णमदः पूर्णमिदं पूर्णात्पूर्णमुदच्यते ।
पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते ॥
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥”
( बृहदकारण्य उपनिषद् )
( ओ पूर्ण छल /सृष्टि उत्पत्ति से पहिनहुँ सँ , उत्पत्ति के बादो ई पूर्ण अछि , माने जे एक पूर्ण सँ दोसर पूर्ण उत्पन्न भेल ओहो पूर्ण अछि। पूर्ण से पूर्ण निकालि दियौ, तैयो, बाद मे जे बचल अछि - ओहो पूर्ण अछि ! ओम्! शांति! शांति! शांति! )
🇮🇳जय हिन्द🇮🇳
————————————————————————————————
*Nagesh Chandra Mishra, Former Engineer-In-Chief, Drinking Water & Sanitation Department ( P.H.E.D. ) & Executive Director, ( PMU ) HRD/IEC , Jharkhand & Bihar is the Life Member of Institution of Engineers since 1970s . He is Founder Chairman, Indian Water Works Association, Bihar as well that of Jharkhand. He Founded Visvesvaraya Sanitation & Water Academy ( ViSWA ) at Ranchi with the active support of State & Central Govt. along with UNICEF.
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mewaruniversity · 2 years ago
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मेवाड़ विश्वविद्यालय के फार्मेसी संकाय ने राष्ट्रीय प्रतियोगी परीक्षा जीपीएटी -23 का मॉक टेस्ट आयोजित करवाया |मेवाड़ विश्वविद्यालय के फार्मेसी संकाय ने राष्ट्रीय प्रतियोगी परीक्षा 2023 का मॉक टेस्ट आयोजित करवाया। यह टेस्ट दो चरणों में 5 अप्रैल एवं 10 अप्रैल 2023 को बी.फार्मा अंतिम वर्ष एवं तृतीय वर्ष के छात्र- छात्राओं के लिए आयोजित किया गया। यह मॉक टेस्ट छात्र- छात्राओं के विकास एवं उनकी अच्छी तैयारी तथा उनके आत्मविश्वास को बढ़ाने के लिए कराया जाता है। गौरतलब है कि प्रतिवर्ष जीपीएटी ( ग्रेजुएट फार्मेसी एप्टीट्यूड टेस्ट) परीक्षा का राष्ट्रीय आयोजन नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (न्यू दिल्ली) द्वारा कराया जाता है। जिसमें चयनित होने वाले छात्र-छात्राओं को उच्च शिक्षा के लिए छात्रवृत्ति एवं देश के विभिन्न फार्मेसी शिक्षण संस्थानों में अ��्ययन का अवसर मिलता है। इस मॉक टेस्ट का आयोजन मेवाड़ विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डॉ. अशोक कुमार गदिया की प्रेरणा, फार्मेसी संकाय के डीन प्रोफ़ेसर डॉ. कौशल किशोर चंद्ररुल के दिशा निर्देशन एवं फार्मेसी संकाय के विभागाध्यक्ष डॉ. गौरव कुमार शर्मा के सहयोग से संपूर्ण कराया गया।
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crazynewsindia · 2 years ago
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हिमाचल प्रदेश के शिक्षा विभाग में भरे जाएंगे 8000पद
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Shimla, 20February शिक्षा विभाग में करीब 8000पद भरे जाएंगे। दरअसल कांग्रेस की एक लाख सरकारी रोजगार की गारंटी को पूरा करने के लिए बनाई गई कैबिनेट सब कमेटी ने सभी विभागों से भरे जाने वाले पदों की संख्या मांगी थी। इसके जवाब में प्रारंभिक शिक्षा विभाग ने अपनी वैकेंसी बता दी है। हालांकि अभी उच्च शिक्षा विभाग का डाटा आना बाकी है। दोनों विभागों को 25 दिसंबर, 2022 की स्थिति के अनुसार आंकड़े देने को कहा गया था । शिक्षा विभाग की समीक्षा बैठक के बाद भी शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने कहा था कि सबसे पहले भर्तियां करेंगे। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू भी कह चुके हैं कि अप्रैल के महीने से भर्तियों की शुरुआत हो जाएगी और कहा है की मार्च महीने में  हमीरपुर कमीशन पर भी फैसला आ जाएगा। सरकार को भेजा गया डाटा के अनुसार 4000पद शिक्षा विभाग में भरे जाएंगे। जबकि अप्रूवल के लिए 2462 अभी भेजे गए है। टीजीटी में आट्र्स के 1159, नॉन मेडिकल के 831 और मेडिकल के 472 पद हैं। उच्च शिक्षा विभाग में भी स्कूल लेक्चरर न्यू के 471 पदों की भर्ती का मामला लोक सेवा आयोग ने तकनीकी कारणों से लौटा दिया था। इस क्वेरी का जवाब देते हुए केस दोबारा आयोग को भेज दिया है, लेकिन इस कैटेगरी में भी अभी कुछ और पद जोड़े जाने हैं। 12 दिसंबर, 2022 के फैसले के अनुसार नई सरकार ने स्वायत्त विश्वविद्यालयों में भी हो रही भर्तियों को रोक दिया था। उनके पद भी अभी इसमें जोड़े जाने बाकी हैं। इसलिए कुल आंकड़ा 8000 के आसपास बनेगा। इसमें बैचवाइज भर्ती भी शामिल है।   ये हैं भर्तियां टीजीटी 2462 जेबीटी 2521 शास्त्री 494 ड्राइंग मास्टर 285 हायर एजुकेशन 1870 प्रस्तावित भर्तियों के बावजूद राज्य सरकारों से जेबीटी, कला अध्यापक और स्कूल लेक्चरर इन्फार्मेशन प्रैक्टिस के डिप्लोमा या डिग्रीधारक नाराज हैं। वजह यह है कि जेबीटी भर्तियों का मामला लंब��� समय तक कोर्ट में उलझा रहा। 2021 में भेजी गई 810 पदों को भरने की अप्रूवल भी ऐसे ही पड़ी है। दूसरी तरफ कला अध्यापक लंबे समय से भर्तियां न होने के कारण परेशान हैं। स्कूल लेक्चरर इन्फॉर्मेशन प्रैक्टिस के मामले में कोर्ट में केस है और पांच साल से लटका हुआ है।   Read the full article
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prabudhajanata · 2 years ago
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रायपुर । छत्तीसगढ़ के खलखंब खिलाड़ियों ने मध्यप्रदेश के उज्जैन में आयोजित ‘खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2022’ में 6 पदक प्राप्त कर राज्य का नाम रोशन किया है। राज्य के मलखंब खिलाड़ियों ने 01 स्वर्ण, 01 रजत और 04 कांस्य पदक प्राप्त किए हैं (Sports and Youth) खेल एवं युवा कल्याण विभाग द्वारा आज इन सभी पदक विजेता मलखंब खिलाड़ियों का स्वागत न्यू सर्किट हाउस में किया गया। खेल एवं युवा कल्याण विभाग की समीक्षा बैठक न्यू सर्किट हाउस में आयोजित की गई। इस बैठक के दौरान इन खिलाड़ियों का स्वागत खेल विभाग की अपर मुख्य सचिव श्रीमती रेणु जी. पिल्ले, सचिव श्री नीलम नामदेव एक्का और संचालक श्रीमती श्वेता श्रीवास्तव सिन्हा के द्वारा किया गया। इस अवसर पर अधिकारियों ने इन खिलाड़ियों को बधाई और शुभकामनाएं दी। इस अवसर पर मलखंब प्रशिक्षक मनोज सिंह के साथ पदक प्राप्त करने वाले खिलाड़ी राकेश कुमार वरदा, मानू ध्रुव, मोनू नेताम, श्यामला, संतोष सोरी रविन्द्र तथा बालिका वर्ग में सरिता पोयाम, दुर्गेश्वरी कुमेटी, संताय पोटाई, जयंती, हिमांशी और शिक्षा दिनकर उपस्थित थी।
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abhinews1 · 1 year ago
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बहन ने की बड़े भाई की अंतिम इच्छा पूरी
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बहन ने की बड़े भाई की अंतिम इच्छा पूरी
बहन ने अपने बड़े भाई की अंतिम इच्छा पूरी कर समाज के सामने एक नजीर पेश की है। 60 सेवा सदन, हिम्मतपुरा, मथुरा निवासी उमा शर्मा (73 वर्ष) ने अपने बड़े भाई तिलकेश्वर शर्मा (89) की मृतदेह के.डी. मेडिकल कॉलेज-हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेण्टर के एनोटॉमी विभाग को देकर उनकी अंतिम इच्छा पूरी की। स्वर्गीय तिलकेश्वर शर्मा ताउम्र राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े रहे और उन्होंने राष्ट्रहित के लिए शादी भी नहीं की। ज्ञातव्य है कि तिलकेश्वर शर्मा (89) पुत्र स्वर्गीय रामस्वरूप शर्मा निवासी सेण्ट्रल रेलवे वेस्टर्न कॉलोनी रोड, नियर न्यू बस स्टैंड, शांतिनगर मथुरा का विगत दिवस निधन हो गया। उनकी अंतिम इच्छा पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार करने की बजाय मृतदेह किसी चिकित्सालय को देने की थी। मृत्यु से पूर्व तिलकेश्वर शर्मा ने यह इच्छा अपनी बहन उमा शर्मा को जताई थी। बड़े भाई की अंतिम इच्छा पूरी करने के लिए उमा शर्मा ने के.डी. मेडिकल कॉलेज-हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेण्टर प्रबंधन से बात की। स्वीकृति मिलने के बाद उन्होंने भाई की मृतदेह के.डी. हॉस्पिटल को देकर समाज के सामने नजीर पेश की है। दरअसल, चिकित्सा जगत के लिए मृतदेह अमूल्य है, सिर्फ जनरल पढ़ाई-लिखाई ही नहीं, आगे के शोध और जटिल ऑपरेशन में दिग्गज सर्जनों के लिए भी यह देह रोशनी का काम कर कई जिंदगियां बचाती है। फिलहाल हमारे देश में देहदान के बारे में विशेष जागृति ��हीं है। मथुरा में के.डी. मेडिकल कॉलेज खुलने के बाद इस दिशा में जन जागरूकता बढ़ाने की कोशिशें की जा रही हैं। अब तक यहां एक दर्जन से अधिक लोग देहदान के प्रपत्र भर चुके हैं। के.डी. मेडिकल कॉलेज के डीन और प्राचार्य डॉ. आर.के. अशोका का कहना है कि रक्तदान, नेत्रदान की तरह ही मृतदेह भी चिकित्सा क्षेत्र के लिए बहुत जरूरी है। पर्याप्त संख्या में मानव मृतदेह नहीं मिलने से मेडिकल छात्र-छात्राओं को मानव शरीर के अंगों के अध्ययन में काफी परेशानी आती है। डॉ. अशोका का कहना है कि देहदान के प्रति जागरूकता लाने के लिए सरकारी स्तर पर प्रयास हुए हैं, लेकिन अभी भी समाज में जागरूकता की काफी कमी है। उन्होंने बताया कि देहदान की कमी का सीधा असर चिकित्सा शिक्षा की गुणवत्ता पर पड़ता है। डॉ. अशोका का कहना है कि मेडिकल ऑपरेशन में जब भी कोई नई तकनीक आती है, तो उसे सीखने और प्रैक्टिकल कर देखने के लिए कडैवेरिक वर्कशॉप (मानव शरीर पर प्रयोग) के लिए भी बॉडी का उपयोग किया जाता है। शरीर के मृत होने पर तीन घंटे में आंख के कॉर्निया का दान हो सकता है। डॉ. अशोका का कहना है कि बिना पोस्टमार्टम मृत देह एनोटॉमी विभाग में रसायनों के जरिए वर्षों तक सुरक्षित रखी जा सकती है लेकिन पोस्टमार्टम के बाद शव लम्बे समय तक सुरक्षित नहीं रखा जा सकता। आर.के. एज्यूकेशन ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल का कहना है कि देहदान सबसे बड़ा धर्म है। यदि मृतदेह किसी के काम आए तो उससे अच्छा आखिर क्या हो सकता है। प्रबंध निदेशक मनोज अग्रवाल ने उमा शर्मा के साहसिक फैसले की सराहना करते हुए ब्रजवासियों से अधिकाधिक देहदान का आग्रह किया है।
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sharpbharat · 2 years ago
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Adityapur tree plantation : आदित्यपुर उत्क्रमित उच्च विद्यालय के पास लगाये गये अशोक के पौधे, समाजसेवी योगेंद्र यादव की स्मृति में उनकी पत्नी ने लगाये पौधे
आदित्यपुर : गायत्री शिक्षा निकेतन एवं 111 सेव लाइफ अस्पताल के संस्थापक समाजसेवी स्व योगेंद्र प्रसाद यादव की स्मृति में सोमवार को न्यू कॉलोनी उत्क्रमित उच्च विद्यालय के पास पौधा रोपण किया गया. आदित्यपुर नगर परिषद के पूर्व उपाध्यक्ष पुरेंद्र नारायण सिंह के नेतृत्व में आदित्यपुर विकास समिति की ओर से आयोजित कार्यक्रम में स्व योगेंद्र यादव की धर्मपत्नी गायत्री देवी ने अशोक के पौधे लगाये. गायत्री देवी…
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