#शत्रुध्न सिन्हा
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its-axplore · 4 years ago
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सेवा समर्पित फाउंडेशन की ओर से संचालित राष्ट्रीय महिला कल्याण संस्थान के सदस्यों ने मंगलवार को शहर के शाही कॉलाेनी स्थित संस्थान की जिलाध्यक्ष ममता साहू के आवास पर छठव्रतियों के बीच पूजन एवं श्रृंगार सामग्री के अलावे सूप, फल-फूल, साड़ी कपड़ा आदि का वितरण किया।वहीं संस्थान के सदस्यों ने बुधवार को हाजीपुर के पहेतिया पंचायत के विर्रा गावं में भी जाकर जरूरतमंद छठव्रतियों के बीच पूजन सामग्री का वितरण किया।
पूजन सामग्री वितरण कार्यक्रम की अध्यक्षता राष्ट्रीय महिला कल्याण संस्थान की राष्ट्रीय सचिव सोनल सिंह ने की। कार्यक्रम को सफल बनाने में संस्थान के राष्ट्रीय युवा सचिव जयवर्धन, राष्ट्रीय युवा उपाध्यक्ष आदित्य स��ंह, राष्ट्रीय युवा अध्यक्ष शत्रुध्न कुमार,बिहार अध्यक्ष बबीता मिश्रा,पटना अध्यक्ष रिंकी प्रकाश,वैशाली जिलाध्यक्ष ममता साहू,जिला उपाध्यक्ष बबली सिन्हा,कायनात खातून,माया चौधरी,संयोजक चंदेश्वर राय आदि ने अहम भूमिका निभाई।
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हाजीपुर में छठव्रतियों के बीज पूजन सामग्री का वितरण करती महिला कल्याण संस्थान की सदस्य। मौके पर छठव्रति रहीं मौजूद।
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sanjeevnitodaydotcom · 5 years ago
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synstek · 6 years ago
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लखनऊ से जीत का भरोसा है पूनम सिन्हा को, आखिर मिसेज शाॅटगन के इस कांफिडेंस का राज क्या है? यूपी में लखनऊ लोकसभा सीट पर भी दिलचस्प लड़ाई है। एक तरफ बीजेपी के दिग्गज नेता और केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह यहां से चुनाव लड़ रहे हैं तो दूसरी तरफ कांग्रेस ने आचार्य प्रमोद कृष्णन को मैदान में उतारा है, 2019 के लोकसभा चुनाव से राजनीति में एंट्री करने वाले कांग्रेस नेता शत्रुध्न सिन्हा की पत्नी पूनम सिन्हा को समाजवादी पार्टी ने यहां से उम्मीदवार बनाया है। इस त्रिकोणीय लड़ाई में सबकी निगाहें पूनम सिन्हा पर हीं टिकी है क्योंकि पाॅलटिक्स में डेब्यू करने वाले पूनम सिन्हा के बारे में यह कहा जा रहा है कि उनकी लडाई दिग्गजों से है इसलिए यह लड़ाई आसान नहीं है। लेकिन पूनम सिन्हा को अपनी जीत का भरोसा है। उत्तर प्रदेश में एक इंटरव्यू के दौरान पूनम सिन्हा ने साफ तौर पर कहा कि उनका किसी से मुक़ाबला नहीं है और वो इस चुनाव को बड़ी आसानी से जीत रही हैं.इस सवाल के जवाब पर कि आपके सामने एक ओर केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह हैं जो पिछली बार भी यहीं से चुनाव जीत चुके हैं.
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onlinekhabarapp · 6 years ago
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दबंग गर्ल सोनाक्षीको हट अवतार
त्यसो त ‘दबंग गर्ल’ सोनाक्षी भाग्यमानी अभिनेत्री हुन्, जसको अधिकांश फिल्म सुपरहिट भयो । भाग्यमानी अर्को कारणले पनि कि, उनले यी कुनैपनि फिल्ममा भड्किलो पहिरन लगाउनै परेन ।
उनी साडी, लेहेंगा, जिन्स वा यस्तै सामान्य गेटअपमै रुचाइए । न उनको फिगर हेरियो, न पहिरन ।
हुन त सोनाक्षी फिल्ममा आउनुअघि एकदमै भद्दा थिइन् । ९० किलो हाराहारी तौलकी उनले करिब ३० केजी तौल घटाइन् । यसको पछाडि अभिनेता सलमान खानको खास योगदान छ । उनले नै सोनाक्षीलाई ‘दबंग’बाट हिरोइन बनाएका हुन् ।
‘दबंग’मा सोनाक्षी सिधासादा युवतीको भूमिकामा थिइन् । अक्सर साडी लगाइरहने । उनलाई यस्तै आवरणमा रुचाइयो । र, त्यसपछिका फिल्महरुमा पनि उनी भड्किलो देखिएनन् ।
भर्खरैमात्र सोनाक्षी आइटम गर्लको रुपमा प्रस्तुत भएकी छिन्, फिल्म टोटल धमालबाट । यो फिल्म अहिले पनि चलिरहेकै छ । यससँगै सोनाक्षी ‘दबंग-३’को तयारीमा जुटेको बताइन्छ । ठिक यही मेसोमा यी अविवाहित अभिनेत्रीको ‘हट र सेक्सी’ तस्वीर भने सोशल मिडियामा छायो । खासगरी कालो पहिरनमा ठाँटिएकी सोनाक्षी सोशल मिडियामा भाइरल भइन् ।
सोनाक्षीका लागि यस्तो हट फोटोशूट अलि दुर्लभ नै हो । यसअघि उनले ��ातो पहिरनमा यस्तै फोटोशुट गराएकी थिइन् ।
बेलाबखत बलिउड इभेन्टमा पनि उनी निकै हट पहिरनमा झुल्कने गरेकी छिन् । केही समयअघि दीपिका पादुकोण र रणवीर सिंहको तेस्रो मुम्बई रिसेप्शनमा पनि सोनाक्षी पहिरनकै कारण चर्चामा आएकी थिइन् ।
संभवत सोनाक्षीले आफ्नो पारिवारिक मर्यादालाई बुझेरै धेरै भड्किलो पहिरन लगाएकी छैनन् । यद्यपी ग्ल्यामर वल्र्डमा प्रवेश गरेपछि केही चमकदमक पेश गर्नैपर्छ । सेलिब्रेटी हुनुको नाताले उनीसँग बाध्यता छ, ग्ल्यामरस पहिरनमा ठाँटिन । तर, उनले पारिवारिक मर्यादा भने नाघेकी छै्रनन् ।
किनभने सोनाक्षी सिन्हाका पिता शत्रुध्न सिन्हा छोरीलाई त्यस रुपमा पटक्कै रुचाउँदैनन् । उनले सोनाक्षीलाई फिल्ममा प्रवेश गराउन चाहेकै थिएनन् । तर, सलमान खानको जिद्दी सामुन्ने उनी हारे । छोरी सोनाक्षी हिरोइन बनिन् ।
जतिबेला सोनाक्षी ‘दबंग’का लागि सुटिङमा जाने गर्थिन्, धेरैजसो समय पिता शत्रुध्न सिन्हा पनि साथै हुन्थे ।
सोनाक्षीले फिल्ममा आउनुअघि नै प्रण गरेकी थिइन् कि, उनले परिवारको मान-सम्मानलाई पूर्ण ध्यान दिनेछिन् । यसैले उनले भड्किलो पहिरन नलगाएको बताइन्छ । उनले घर परिवारसँग बिकिनी नलगाउने र चुम्बनको दृश्य नदिने बताएकी थिइन् । यी सर्तहरु मञ्जुर भएपछि मात्र कुनैपनि फिल्ममा साइन गर्ने उनको वाचा थियो ।
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toldnews-blog · 6 years ago
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Newswrap:ममता गरजीं- मोदी सरकार की एक्सपायरी डेट खत्म, पढ़ें शनिवार शाम की 5 बड़ी खबरें - Newswrap west bengal chief minister mamta banerjee blasts at prime minister narendra modi in kolkata rally
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पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के खिलाफ आयोजित की गई विपक्षी दलों की रैली में विपक्षी दलों का जमावड़ा दिखा. रैली में शामिल विपक्षी नेताओं ने जमकर केंद्र में नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार पर जमकर निशाना साधा. ममता ने कहा कि मोदी सरकार की एक्सपायरी डेट निकल गई है. अगर वह सत्ता में आई तो देश का विनाश होगा.
ममता के साथ विपक्ष ने दिखाई ताकत, कहा- मोदी सरकार की एक्सपायरी डेट खत्म
कोलकाता के ब्रिगेड ग्राउंड में आयोजित यूनाइटेड इंडिया रैली में बीजेपी के बागी नेता शत्रुध्न सिन्हा और अरुण शौरी भी शामिल हुए. बीजू जनता दल (बीजद) और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) नीत वाम मोर्चे के अलावा सभी मुख्य विपक्षी पार्टियों के नेताओं ने रैली में हिस्सा लिया.
ममता की रैली में गरजे BJP के 3 बागी, PM मोदी से कहा- ज्यादतियां मत करो
शनिवार को कोलकाता के बिग्रेड मैदान में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की मेगा रैली में बीजेपी के बागी सांसद शत्रुघ्न सिन्हा और अरुण शौरी पहुंचे. उनके साथ बीजेपी के पूर्व नेता यशवंत सिन्हा भी मौजूद थे. रैली में अपनी ही पार्टी के खिलाफ सबसे ज्यादा मुखर बीजेपी सांसद शत्रुघ्न सिन्हा दिखे. आते ही मंच पर उन्होंने अपने ही अंदाज में दहाड़ लगाई.
महागठबंधन की रैली पर पीएम मोदी ने किया तंज, कहा- वाह क्या सीन है!
जहां एक ओर पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में तृणमूल कांग्रेस (TMC) की अध्यक्ष ममता बनर्जी के नेतृत्व में एकजुट विपक्ष ने एक सुर में मोदी सरकार पर निशाना साधा, तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दमन-दीव और दादर-नागर हवेली के सिलवासा से विपक्ष पर करारा हमला बोला. उन्होंने कहा कि विपक्ष का महागठबंधन सिर्फ पीएम मोदी के ही खिलाफ नहीं, बल्कि भारत की जनता के भी खिलाफ है. इस दौरान उन्होंने महागठबंधन की एकजुटता पर भी चुटकी ली.
जाकिर नाईक पर ED का शिकंजा, करोड़ों की संपत्ति जब्त
विवादित इस्लामिक प्रचारक जाकिर नाईक पर केन्द्रीय एजेंसियों का डंडा चला है. प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने धन शोधन निरोधक अधिनियम (PMLA) के तहत जाकिर नाईक की 16 करोड़ 40 लाख की संपत्ति जब्त कर ली है. जाकिर नाईक की ये जायदाद मुंबई और पुणे में स्थित है.
‘कॉफी विद करण’ विवाद के बाद पहली बार नजर आए हार्दिक पंड्या
टीम इंडिया के निलंबित ऑलराउंडर हार्दिक पंड्या शनिवार को अपने बड़े भाई क्रुणाल पंड्या के साथ मुंबई एयरपोर्ट पर नजर आए. सस्पेंड होने के बाद हार्दिक पंड्या अपने घर पर ही है. पंड्या को बीच ऑस्ट्रेलियाई दौरे से ही भारत वापस बुला लिया गया था. हार्दिक पंड्या टीम के साथी केएल राहुल के साथ करण जौहर के चैट शो ‘कॉफी विद करण’ में एक साथ दिखाई दिए थे, जिन्होंने महिलाओं के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणियां की थीं.
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factbulletin · 4 years ago
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बॉलीवुड की दबंग गर्ल सोनाक्षी सिन्हा आज 33 वर्ष की हो गयी।
बॉलीवुड की दबंग गर्ल सोनाक्षी सिन्हा आज 33 वर्ष की हो गयी।
मुंबई 02 जून बॉलीवुड की दबंग गर्ल सोनाक्षी सिन्हा आज 33 वर्ष की हो गयी। 02 जून 1987 को बिहार के पटना शहर में जन्मी सोनाक्षी सिन्हा को अभिनय की कला विरासत में मिली है। सोनाक्षी के पिता शत्रुध्न सिन्हा जाने माने अभिनेता है।सोनाक्षी ने मुंबई के आर्य विद्या मंदिर से स्कूली शिक्षा प्राप्त की और मुंबई के ही नाथीबाई दामोदर ठाकरे महिला विश्वविद्यालय से फैशन डिजाइनिंग में स्नातक की डिग्री हासिल की।…
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bollywoodpapa · 5 years ago
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धोखाधड़ी के मामले में पूछताछ करने सोनाक्षी सिन्हा के घर पहुंची, शत्रुघ्न सिन्हा ने फोन कर कही ये बात!
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धोखाधड़ी के मामले में पूछताछ करने सोनाक्षी सिन्हा के घर पहुंची, शत्रुघ्न सिन्हा ने फोन कर कही ये बात!
दोस्तों बॉलीवुड फिल्म जगत की दबंग गर्ल अभिनेत्री सोनाक्षी सिन्हा पर धोखाधड़ी का एक केस दर्ज किया गया है। इस मामले में मुरादाबाद की पुलिस टीम मुंबई पहुंची, लेकिन यहां पुलिस टीम को सोनाक्षी सिन्हा नहीं मिलीं, क्योंकि सोनाक्षी इन दिनों शूटिंग के सिलसिले में हैदराबाद में हैं। बता दें, सोनाक्षी सिन्हा पर एक कार्यक्रम के नाम पर लाखों रुपये लेकर भी कार्यक्रम में न आने का आरोप है और मुरादाबाद के थाने कटघर कोतवाली में सोनाक्षी सहित 5 लोगों पर धोखाधड़ी का मामला दर्ज है।
खबरों की माने तो धोखाधड़ी के केस में जांच करने के लिए मुंबई पहुंचे जांच अधिकारी अजय पाल सिंह ने बताया कि मुंबई स्थित जुहू में सोनाक्षी सिन्हा का परिवार रहता है। गुरुवार को पुलिस की टीम जुहू पुलिस से संपर्क करने के बाद सोनाक्षी के फ्लैट तक पहुंची। घर पर सोनाक्षी की मां पूनम सिन्हा मिलीं। उन्होंने पूछा कि किस सिलसिले में मुरादाबाद पुलिस का वहां तक जाना हुआ है। पुलिस ने पूरे घटनाक्रम की जानकारी दी। 
 सोनाक्षी सिन्हा के बयान लेने के लिए मुंबई पहुंची मुरादाबाद पुलिस को फिलहाल मायूसी हाथ लगी है। इसकी वजह मौजूद वक्त में सोनाक्षी का घर के बजाय शूटिंग लिए हैदराबाद होना है। पुलिस की मुलाकात अभी सोनाक्षी सिन्हा से नहीं हो सकी है। पूनम सिन्हा ने बताया कि सोनाक्षी तो फिलहाल शूटिंग के लिए हैदराबाद गई हैं। ऐसे में अभी बात नहीं हो सकती है। सोनाक्षी के बयान के  लिए इंतजार करना पडे़गा। पूनम सिन्हा ने जांच अधिकारी की बात सोनाक्षी सिन्हा के पिता शत्रुघ्न सिन्हा से करवाई।
बता दे कि शत्रुध्न सिन्हा फोन पर बात करते हुए सामान्य थे, जांच अधिकारी का कहना है कि शत्रुघ्न सिन्हा ने परिचय पूछा। इसके बाद बेटी के शूटिंग में होने की ��ानकारी दी। उन्होंने पुलिस से कहा कि सोनाक्षी तक आपका संदेश पहुंचा दिया जाएगा। जैसे ही उनको शूटिंग से छुट्टी मिलेगी, तब बात हो सकेगी। करीब दो घंटे तक जांच अधिकारी सोनाक्षी के घर मौजूद रहे। उन्होंने केस के बारे में पूरी जानकारी सोनाक्षी की मां को दी। 
खबरों की माने तो सोनाक्षी को बीते वर्ष सिंतबर 2018 में एक इवेंट में परफॉर्म करने जाना था। इसके लिए उन्होंने बतौर मेहनताना 24 लाख रुपए भी लिए थे लेकिन वो उस कार्यक्रम में नहीं आईं। इसके चलते कार्यक्रम के आयोजकों का बड़ा नुकसान हुआ। इसके बाद आयोजकों ने पुलिस में सोनाक्षी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर दी।
बता दे की सोनाक्षी सिन्हा कुछ समय पहले रिलीज़ हुई फिल्म कलंक में नजर आई थी और अब सोनाक्षी सिन्हा की आने वाली फिल्म ‘खानदानी शफाखाना’ है। बता दें कि इस फिल्म के निर्माता भूषण कुमार, महावीर जैन, मृगदीप सिंह लांबा और दिव्या खोसला कुमार हैं और यह 2 अगस्त को रिलीज होगी। वहीं सोनाक्षी फिल्म ‘दबंग 3’ की शूटिंग में भी व्यस्त चल रही हैं। सलमान खान और सोनाक्षी सिन्हा स्टारर फिल्म ‘दबंग 3’ इसी साल 20 दिसंबर को रिलीज होगी।
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vartha24-blog · 6 years ago
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बिहार में एनडीए उम्मीदवारों की सूची जारी
बिहार में एनडीए उम्मीदवारों की सूची जारी
बिहार में एनडीए ने लोकसभा चुनावों के लिए उम्मीदवारों की सूची जारी की, भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद पटना साहिब, राधा मोहन सिंह पूर्वी चंपारण, बेगूसराय से गिरिराज सिंह, बक्सर से अश्विनी चौबे और जमुई से एलजेपी नेता चिराग पासवान लड़ेंगे चुनाव।
बिहार में एनडीए के उम्मीदवारों का ऐलान हो गया। हालांकि 40 में अभी 39 सीटों पर ही प्रत्याशी घोषित हुए हैं। पटना साहिब से जहां शत्रुध्न सिन्हा का टिकट काटकर…
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fuzzyflapdeputyangel · 6 years ago
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" जली को आग कहते है ,बुझी को राख कहते है ,उस राख से बनी बारूद को विश्वनाथ कहते है " अभिनेता , राजनेता , पूर्व जहाजरानी मंत्री शत्रुध्न सिन्हा साहब को जन्मदिन की लख लख बधाई व अनन्त शुभकामनाये !! आप जियो हजारो साल यही रब से दुआ करते है !! (at Hyderabad) https://www.instagram.com/p/BrKyELEhRy7/?utm_source=ig_tumblr_share&igshid=hql7xlalo1e9
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indiawriters-blog · 6 years ago
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भारतीय राजनीति से अटल का कूच, अब लौटने की गुंजाइश नहीं कुछ अवसर ऐसे होते हैं जब किसी के बारे में कुछ भी कह पाना या लिख पाना सहज नहीं होता. विचारों का अंतरनाद भर आए टब में पानी के थपेड़ों की तरह कोरों से टकराता रहता है. अंतरमन में कहीं एक दुख पसरता महसूस होता है और फिर असहमतियां खोदी हुई मिट्टी की तरह गंध देने लगती हैं. अटल नहीं रहे. राजनीति में जिन लोगों के लिए सहमतियों असहमतियों के बावजूद एक सम्मान का स्थान रहा, वो अब नहीं हैं. एक ऐसा व्यक्ति जिसके फिर जग उठने और बोल उठने का इंतज़ार मैंने 2004 से अबतक किया है, वो व्यक्ति उम्मीद की दीवारों को लांघकर व्योम में विलीन हो गया. अक्सर अपने ऐसे परिचितों से, जिनका ताल्लुक संघ या भाजपा से है, मज़ाक में कहा करता था कि एक दिन अटल बिहारी वाजपेयी ज़ोर से छींककर जाग उठेंगे. और कहेंगे कि गाड़ी निकालो, रेस कोर्स चलो. फिर देखना तुम्हारे आज के सेनापति अपने ही सबसे बड़े नायक के आगे परास्त खड़े न��़र आएंगे. इस चुहल को दोहरा पाने की गुंजाइश सदा के लिए खत्म हो गई है. जिस घर मैं जन्मा, वहां पिता समाजवादी और मां राष्ट्रवादी राजनीति से जुड़ी रहीं. संघ से परिचय भी बचपन में ही हो गया. शाखा गया. गीत गाए. किशोरों की शाखा लगवाई. घोष सीखा. कबड्डी खेलने के बाद घर-घर घूमकर पत्रक बांटे और स्वदेशी का प्रचार किया. शिविरों में गया और संघ को और करीब से जाना. लेकिन जानने के इस क्रम में जो सबसे उत्प्रेरक बात थी, वो थी अटल जी के भाषण. डॉ मुरली मनोहर जोशी पिताजी के परिचित थे. लेकिन सबसे ज़्यादा प्यार पूरे परिवार में अटल जी ही किए जाते थे. इस स्नेह की वजह थी उनकी ईमानदारी. उनका प्रभावशाली व्यक्तित्व. अद्वितीय भाषण कला. शब्दों का चयन और विचारधारा के प्रति उनकी निष्ठा. पसीने से लथपथ, हर तरह के मौसम और स्थान पर उसी सहजता से बोलने वाले अटल जी. मां सहमति और पिता असहमतियों के बावजूद उन्हें सुनते थे. हम अटल जी को सुनते हुए ऐसे ही बड़े हुए. जहां एक ओर खानपान, आचरण और परस्पर व्यवहार में संघ एक अति औपचारिक और सीमित जगह दिखता था, वहीं अटल जी के बारे में सुनी कहानियां- उनका खानपान, उनके मित्र, सबसे संवाद की सहजता हमेशा उनकी ओर और आकर्षित करती थी. 1990 में मैंने आठ साल की उम्र में अपना पहला राजनीतिक भाषण दिया. इसके बाद यह सिलसिला रुका नहीं. यहां तक कि अटल जी के मंच से भी दो बार भाषण देने का मौका मिला. सामने हज़ारों की भीड़ और मैं खुद में इस व्यक्ति को महसूस करते हुए भाषण देता रहता था. किसी ने मिनी अटल कहा तो किसी ने भविष्य का नेता. पर मेरे बालमन में अटल एक नायक थे और मैं उनका अनुसरणकर्ता. 1991 से लेकर 1993 तक हर वर्ष उनसे मिला. कभी दिल्ली के लाजपत नगर में शत्रुध्न सिन्हा के प्रचार के दौरान तो कभी रायबरेली, कानपुर में किसी जनसभा के समय या फुरसतगंज हवाईअड्डे पर उनकी अगवानी करते हुए. एक धोती-कुर्ता पहले छोटे से बालक को वो भी बालसुलभ कौतुहल से ही देखते थे और हंसकर पीठ थपथपाते थे. 1992 में बाबरी मस्जिद के विध्वंस के साथ-साथ दंगों के जो बिंब उभरकर आए उससे संघ का तिलिस्म टूटने लगा. संघ में भीतर तक कूट-कूटकर भरी जातिवादिता उसे और गहरा करती गई. अंबेडकर ��ो पढ़ना शुरू किया तो भाजपा और संघ की सच्चाई प्याज़ के छिलकों की तरह उतरने लगी. पिता ने इस आग में घी डाला और समझाया कि कैसे कार्यकर्ताओं को खाद की तरह इस्तेमाल करने वाली यह पार्टी और संगठन केवल व्यापारियों, पंडितों और ठाकुरों की जागीर है. यहां समर्पण नहीं, पैसा बोलता है. यहां त्याग नहीं, गुरुदक्षिणा अहम है. 1994 में नौंवी क्लास में सरस्वती विद्या मंदिर का यह छात्र फिर राजकीय इंटर कालेज चला आया और संघ, भाजपा के लिए यहीं से उम्मीद जाती रही. अबतक संघ और भाजपा से मैं दूर जा चुका था. कुछ राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय पदाधिकारियों से मिलने जाता था. उनसे बहस करता रहता था. संघ के अंदर खोखली होती नैतिकताओं से लेकर जाति और कार्यकर्ता के महत्व पर सवाल उठाता रहा. इसी क्रम में 1999 का चुनाव आया. पिताजी के पुराने मित्र अरुण नेहरू रायबरेली आए तो सबसे पहले हमारे घर पहुंचे. उन्होंने कहा कि तुम्हें मेरे लिए प्रचार करना है. वो भाजपा प्रत्याशी थे. ऐसा ही वादा अमेठी से आकर संजय सिंह भी ले गए. दोनों कमल निशान पर चुनाव लड़ रहे थे. दोनों के लिए प्रचार किया. अटल जी से अंतिम मुलाकात इसी दौरान रायबरेली में उनकी रैली के मंच पर हुई. मेरे भाषण के बाद अटल जी मंच पर आए और उनका भाषण हम सबने सुना. हालांकि अगली शाम उसी मैदान में प्रियंका गांधी की रैली हुई और प्रियंका के भाषण ने चुनाव बदल दिया. अरुण नेहरू हार गए. इसके बाद अटल जी प्रधानमंत्री थे और मैं उनका विरोधी. विनिवेश से लेकर निजीकरण तक मैं उनसे असहमत था. मुझे अटल जी की सरकार अपने मूल सिद्धांतों के खिलाफ जाती दिख रही थी. मुझे दिख रहा था कि जो नारे संघ ने स्वदेशी के नाम पर हमसे गली-गली लगवाए, जो गीत गाने को कहे और जिस देश को, उसके संसाधनों को मां समझकर पूजा करवाई, वो उसी के खिलाफ खड़ी है. तब से लेकर आजतक मैं भाजपा की राजनीति से सहमत नहीं हो सका. मुझे भाजपा में कांग्रेस का ही विस्तारीकरण दिखा. ऊपर से उनका सांप्रदायिक एजेंडा और असहमतियों को रौंदने की आज की प्रवृत्ति उसे और भी विकृत कर देती है. अलग थे अटल लेकिन यहां सवाल अटल जी का है. और अटल को समझने के लिए कुछ देर के लिए उन्हें प्रतिबद्धताओं के उस चश्मे से देखना होगा जिससे किसी भी कार्यकर्ता को देखा जाना चाहिए, फिर चाहे वो वाम का हो या दक्षिण का. अटल अपनी विचारधारा के प्रति प्रतिबद्ध रहे. ईमानदार रहे. लेकिन राजनीति के प्रति भी एक प्रतिबद्धता उनमें थी. देश और लोकतं��्र के प्रति भी थी. इसीलिए विचारधारा को आंगीकार करके आगे बढ़ते अटल दूसरी विचारधाराओं को सुनते रहे, उनसे सदा एक संवाद रखा. विपक्ष में रहते हुए भी पूरे सदन को सुना और पूरे सदन का विश्वास पाया. राजनीति में यह एक बड़ी बात है. सिर पर इस्लामिक टोपी पहनने की बात हो, खान-पान में खुलेपन की बात हो, पाकिस्तानी कलाकारों का इलाज कराना या ईमानदार छवि के अधिकारियों को बचाना. वाजपेयी ऐसा बहुत कुछ करते रहे जो उनकी पार्टी के किसी और नेता के चरित्र में कभी शामिल नहीं रहा. उन्होंने संघ को भी सुना और संतुष्ट रखा लेकिन संघ के बाहर के नेताओं को भी पार्टी में जगह दी और मजबूत किया. राजनीति में समझौते करने पड़ते हैं और वो समझौते उन्हें भी करने पड़े. लेकिन ये समझौते और साथ लेकर चलने की गुंजाइश ही तो लोकतंत्र की ताकत है. वाजपेयी अपनों के बीच अकेले थे क्योंकि वो परायों को अपनाने में पीछे नहीं रहे. जिन्हें अपनाय़ा उन्हें सम्मान भी दिया और स्थान भी. भाजपा में रहते हुए उनसे बार-बार कहा जाता रहा कि वो एक सही नेता हैं जो गलत पार्टी में हैं. ऐसा कई बार प्रतीत भी होता है. लेकिन भाजपा के अबतक के सबसे जनप्रिय कवि राजनीतिज्ञ ने बड़ा होकर भी पार्टी को कभी छोटा नहीं किया. संघ से कई असहमतियों के बावजूद संघ को इतना कमज़ोर नहीं किया कि वो उनपर आश्रित हो जाए. आज भाजपा और संघ एक व्यक्ति विशेष का कुर्ता और पजामा बन चुके हैं. उस आदमी को हटाते ही दोनों जमीन पर आ गिरने जैसे हैं. किसी भी लोकतंत्र में स्मरणीय नायक वही बन पाते हैं जो टिम्बर के पेड़ों की तरह सीधे आकाश की ओर न भागें बल्कि आम के, पीपल के वृक्ष बनें. जिनमें झुकने की गुंजाइश हो. शालीनता और शर्म हो. जो भाषा और संवाद में एक बुनियादी नैतिकता बनाए रखें. जिनके पास एक मुंह हो तो दो कान भी हों. अटल अपनी विचारधारा को निभाते हुए कम से कम वो आम के पेड़ तो बने ही रहे. युद्ध के भी नियम होते हैं. उसकी भी एक नैतिकता होती है. आज अनेक असहमतियों के बावजूद अटल जी के प्रति सम्मान भी है और उनके जाने का दुख भी. मौत के चुटकुले दरअसल, दुनिया में कोई भी आलोचना से परे नहीं है. यह अपनी दृष्टि है कि आप उस बुरे से भी क्या भलाई ले पाते हैं. अटल की मृत्यु की खबर आने के बाद से ही शोक के साथ-साथ आलोचनाओं का भी ज्वार देखने को मिल रहा है. शोक देखता हूं तो पाता हूं कि हर राजनीतिक दल और विचारधारा के लोग उन्हें याद कर रहे हैं. सबसे आश्चर्यजनक है पाकिस्तान में उनके लिए शोक की लहर. लोग सीमाओं के आर-पार लोगों के आने-जाने की गुंजाइश पैदा करने वाले नेता को याद कर रहे हैं. आलोचना भी हो रह�� हैं और होनी भी चाहिए. लेकिन आलोचना करते हुए अनैतिक हो जाना वही भूल है जिसके लिए हम अपने विरोधी को कोसते ��ैं. अगर हमारी आलोचना की भाषा हमें फासीवादी बना रही है तो बेहतर है कि चुप रहा जाए. अटल के सामने भले ही हम एक असहमत समाज हों लेकिन इतना तो सीख ही सकते हैं कि विचारधारा और देश को कैसे निभाया जा सकता है. कैसे वो गुंजाइश रखी जा सकती है जो आज न तो भाजपा में है और न ही कांग्रेस में. वामदलों में भी नहीं. विचारधाराओं की कई डालियों पर अबतक उड़ता हुआ मैं बार-बार पहुंचा हूं. कूपमंडूकता हमारे समय की राजनीति का सच है. हर ओर खेमेबाज़ी है, हर ओर संवादहीनता का नशा. वाम वाले अपने खेमे में भाषण देकर खुश हैं. कांग्रेस वाले किसी नए को अपना नहीं पा रहे. भाजपा के लिए तो वे हैं ही नहीं जो उनके नहीं हैं. अगर हैं तो देशद्रोही हैं, दुश्मन हैं. इसीलिए चाह कर भी किसी का हो नहीं सका. लपकना सबने चाहा, लेकिन मैं कुंए में जानबूझकर गिरा नहीं. वाजपेयी होना राजनीति में इसी गुंजाइश का बचा होना है. वाजपेयी का जाना भारतीय राजनीति से उसी गुंजाइश का निर्वाण है. राजनीतिक दलों को अब अपने अंदर के वाजपेयी खोजने होंगे ताकि प्रतिबद्धताएं भी बची रहें और लोकतंत्र भी. लोकतंत्र- संगठन का भी और देश का भी
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दलाली की दुकान बंद होने पर कथित भाजपा नेता भड़का बदायूं जिले के एक नेता की दलाली की दुकान नहीं चली, साथ ही भाजपा से दूर कर दिया गया तो, बदनाम कथित नेता भाजपा के विरुद्ध लामबंदी करने में जुट गया। कुछेक लोगों के साथ बैठक कर कथित बदनाम नेता ने भाजपा और भाजपा नेताओं के विरुद्ध जमकर जहर उगला और भाजपा को मिटाने का संकल्प लिया। शहर में एक व्यक्ति अचानक से भाजपा नेता के रूप में उभरा था। पुलिस-प्रशासन पर हावी होने के बाद जिले भर में दलाली शुरू कर दी। सपा और बसपा से जुड़े माफिया, ठेकेदार और हर दो नंबर का धंधा करने वाले तेजी से कथित भाजपा नेता की गोद में जाकर बैठ गये थे। हालात इतने भयावह हो गये कि कथित भाजपा नेता भाजपा के विधायकों के बारे में भी अमर्यादित टिप्पणियाँ करने लगा। भाजपा जिलाध्यक्ष हरीश कुमार शाक्य को अपने अधीन बताने लगा। कथित भाजपा नेता की कारगुजारियां और बातें जिलाध्यक्ष हरीश कुमार शाक्य तक पहुंची तो, उन्होंने शिकंजा कस दिया। हरीश कुमार शाक्य ने कथित भाजपा नेता के फन पर पैर रख दिया तो, कथित भाजपा नेता को सांस आना बंद हो गई। तमाम लोगों के पैरों में गिर कर हरीश कुमार शाक्य से मुक्त कराने की गुहार लगाता रहा लेकिन, हरीश कुमार शाक्य ने कहा की भाजपा करोड़ों लोगों के बलिदान से खड़ी हुई है, जिसे इस तरह के लोग उनके रहते बर्बाद नहीं कर सकते। हरीश कुमार शाक्य कथित भाजपा नेता के नाटक से प्रभावित नहीं हुए, जिससे कथित नेता की भाजपा में अकाल मृत्यु हो गई। कथित भाजपा नेता शुरुआती झटके में एक-दो करोड़ रूपये की दलाली कर चुका था, जिससे उसे चैन नहीं पड़ रहा था। हरीश कुमार शाक्य की दहशत में जिले को छोड़ गया लेकिन, दूसरे रास्ते से ब्रज क्षेत्र की टीम में घुसने का प्रयास करने लगा। लोगों से दावा करने लगा कि उसे बड़ा दायित्व मिलने वाला है। झूठ बोल कर अफसरों पर रौब झाड़ता रहा लेकिन, ब्रज क्षेत्र की टीम में जगह न मिलने पर उसके दावों और झूठ की पोल खुल गई। बताते हैं कि कथित भाजपा नेता ने सपा, बसपा से जुड़े ठेकेदारों, माफियाओं और बदनाम लोगों को बीती रात अपने घर पर बुलाया और उनके सामने कहा कि उसे भाजपा ने धोखा दिया है, जिसका बदला भाजपा को जिले से खत्म कर लिया जायेगा। बताते हैं कि कथित भाजपा नेता भाजपा के विद्रोही नेता और अभिनेता शत्रुध्न सिन्हा का कार्यक्रम लगवाने में जुट गया है। सूत्रों का कहना है की कथित भाजपा नेता जद यू में जाने का प्रयास कर रहा है। हालाँकि कथित भाजपा नेता की छवि ऐसी है, जिसके साथ दिख जायेगा, वह नेता और दल स्वतः ही समाप्त हो जायेगा लेकिन, कथित भाजपा नेता की छवि का दुष्प्रभाव जद यू पर नहीं पड़ेगा, क्योंकि जद यू तो पहले से ही यहाँ नहीं है। हाल-फिलहाल कथित भाजपा नेता की बचकानी हरकतें और औकात से बड़ी बातें चर्चाओं का विषय बनी हुई हैं। (गौतम संदेश की खबरों से अपडेट रहने के लिए एंड्राइड एप अपने मोबाईल में इन्स्टॉल कर सकते हैं एवं गौतम संदेश को फेसबुक और ट्वीटर पर भी फ़ॉलो कर सकते हैं, साथ ही वीडियो देखने के लिए गौतम संदेश चैनल को सबस्क्राइब कर सकते हैं)
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thekitabwala-blog · 7 years ago
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शत्रुध्न सिंहा को बाबुल सुप्रियो ने दिया जवाब
शत्रुध्न सिंहा को बाबुल सुप्रियो ने दिया जवाब  पंजाब केसरी
बाबुल सुप्रियो ने शत्रुघ्‍न सिन्हा को कहा- खामोश  Webdunia Hindi
आपको बीजेपी से दिक्कत है तो तीन तलाक दे दीजिए, शत्रुघ्न सिन्हा से बोले बाबुल सुप्रियो  Oneindia Hindi
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ipsyadav-blog · 7 years ago
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#2019_का_चुनाव_हम_हार_जाएंगे हिमाचल प्रदेश के कसौली में आयोजित खुशवंत सिंह लिटफेस्ट में सभा को संबोधित करते हुए भाजपा नेता शत्रुध्न सिन्हा ने कहा कि यदि यही हालात रहे कि 2019 का चुनाव हम हार जाएंगे। वो इस सभा में उनसे पहले अरुण शौरी के भाषण का समर्थन कर रहे थे। शौरी ने कहा था कि मोदी को समर्थन करना उनकी जिंदगी की बड़ी भूल है। सिन्हा ने समर्थन में सिर हिलाया।  भाजपा सांसद शत्रुघ्न सिन्हा ने अरुण शोरी की ताल में ताल मिलाते हुए कहा कि केंद्र सरकार बातें और वायदे तो बहुत कर रही है लेकिन भाषण देने से कुछ नहीं होता। कुछ कर के दिखाना होता है। उन्होंने कहा कि वास्तविकता वर्तमान में हालात से अलग है। अगर यही हालात रहते हैं, तो 2019 में होने वाले चुनावों में जीत हासिल करना टेडी खीर होगी। शत्रुघ्न सिन्हा, यही नहीं रुके, उन्होंने शंका जताई कि ताजा हालात ऐसे हैं कि 2019 से भी पहले चुनाव हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि हालात को दरुस्त करने की आवश्यकता है, वर्ना इसका फर्क उन राज्यों पर भी पड़ेगा, जिनमें अभी चुनाव होने वाले हैं।
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synstek · 6 years ago
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नामांकन के बाद गायब हुए शत्रुध्न सिन्हा! थाने में प्राथमिकी दर्ज कराने पहुंच गया कांग्रेसी नेता बीजेपी से लंबी बगावत के बाद कांग्रेस ज्वाईन करने वाले शत्रुध्न सिन्हा को भले हीं कांग्रेस ने पटना साहिब का टिकट थमा दिया हो लेकिन कांग्रेस में उनका विरोध भी हो रहा है। यूपी के लखनऊ से सपा प्रत्याशी और अपनी पत्नी पूनम सिन्हा का प्रचार करने वे लखनऊ गये तो उनकी हीं पार्टी के नेता खुलकर उनका विरोध करने लगे और अब खबर यह आ रही है कि एक कांग्रेसी नेता तो थाने में प्राथमिकी दर्ज कराने पहुंच गये हैं। दरअसल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डाॅक्टर विनय कुमार सिंह उर्फ बिहारी भईया का आरोप है कि शत्रुध्न सिन्हा नामांकन के बाद गायब हैं। इसको लेकर वे थाने में प्राथमिकी दर्ज कराने जा पहुचे हैं.
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theresistancenews-blog · 7 years ago
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शत्रुघ्न सिन्हा : 2019 का चुनाव हम हार जाएंगे
शत्रुघ्न सिन्हा : 2019 का चुनाव हम हार जाएंगे
बीजेपी सरकार के अपने ही नेता आए दिन सरकार द्वारा लिए जा रहे फैसलों और पूरे न किए जाने वाले वादों पर अपने बयान दे रहे है । हालही में बीजेपी नेता शत्रुध्न सिन्हा ने बीजेपी के हालात को बताते हुये आने वाले चुनाव हार ने कि बात कही है । इससे पहले भी बीजेपी नेता यशवंत सिन्हा , अरुण शौरी जैसे बड़े नेताओं ने भी बीजेपी सरकार की कार्यनीति के खिलाफ होकर अपने बयान दिये हैं । दरअसल ,शत्रुध्न सिन्हा हिमाचल…
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filmysansaar · 7 years ago
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ढिशुम अंतर्राष्ट्रीय भोजपुरी फिल्म अवार्ड समारोह से मिला भोजपुरी को अंतरराष्ट्रीय प्लेटफॉर्म
ढिशुम अंतर्राष्ट्रीय भोजपुरी फिल्म अवार्ड समारोह से मिला भोजपुरी को अंतरराष्ट्रीय प्लेटफॉर्म
रविवार 30 जुलाई को लंदन में आयोजित ढिशुम अंतर्राष्ट्रीय भोजपुरी फिल्म अवार्ड समारोहमें भोजपुरिया फिल्मी हस्तियों की मौजूदगी ने जहाँ एक ओर भोजपुरी की आवाज को बिहार से निकाल कर सात समन्दर पार परदेस में लाकर चर्चित कर दिया, वहीं दूसरी ओर भोजपुरी की दुनियां को विस्तार देते हुए अंतरराष्ट्रीय प्लेटफॉर्म दिया है. शत्रुध्न सिन्हा, गोविन्दा, रवि किशन, मनोज तिवारी, दिनेशलाल यादव निरहुआ, पवन सिंह, मालिनी…
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