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khabarbharat · 8 hours
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Maharashtra Rain: मुंबईत मुसळधार, राज्यातील अन्य भागांतही अतिवृष्टीचा इशारा, वाचा नेमका कुठे किती पाऊस
मुंबई : नागरिकांनो सतर्क राहा! पुढील २ दिवसांसाठी हवामान विभागाने महाराष्ट्रात धो-धो पाऊस बरसणार असल्याचे सूचित केले आहे. शुक्रवारी हवामान विभागाने मुंबईमध्ये यलो अलर्ट जारी केला होता, अशीच पुढील दोन ते तीन दिवस मुंबईमध्ये स्थिती राहणार आहे. तर राज्यातील अन्य काही भागांत ऑरेंज अलर्ट जारी करण्यात आला आहे. मुंबईत गेल्या काही दिवसांपासून पावसाचा लपंडाव सुरु आहे. पण आता मुसळधार पावसाचा अंदाज व्यक्त…
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studycarewithgsbrar · 2 years
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रजनीकांत ने ट्विटर पर आर माधवन की रॉकेट्री की तारीफ करते हुए इसे 'मस्ट वॉच फिल्म' बताया
रजनीकांत ने ट्विटर पर आर माधवन की रॉकेट्री की तारीफ करते हुए इसे ‘मस्ट वॉच फिल्म’ बताया
मेगास्टार रजनीकांत ने आर माधवन की उत्कृष्ट कृति ‘रॉकेटरी: द नाम्बी इफेक्ट’ की प्रशंसा की और उन्होंने अपनी प्रशंसा साझा करने के लिए ट्विटर का सहारा लिया। इसे अवश्य देखना चाहिए, उन्होंने माधवन के निर्देशन में पहली फिल्म के लिए प्रशंसा की और कहा कि उनका काम सर्वश्रेष्ठ निर्देशकों के बराबर है। तमिल में लिखे एक नोट में, रजनीकांत ने कहा, “रॉकेटरी हर किसी के लिए एक जरूरी फिल्म है – खासकर युवाओं के लिए।…
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dailyhantnews · 2 years
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ओरिस ने लॉन्च की 'विंग्स ऑफ होप' पायलट वॉच
ओरिस ने लॉन्च की ‘विंग्स ऑफ होप’ पायलट वॉच
JustLuxe कंटेंट पार्टनर iW मैगज़ीन की ओर से ओरिस ने मानवीय और पर्यावरणीय कारणों के अच्छे कारणों के लिए अपनी उद्योग-अग्रणी प्रतिबद्धता का विस्तार करना जारी रखा है क्योंकि यह अपने बहुचर्चित कैलिबर 401 द्वारा संचालित दो सीमित-संस्करण पायलट घड़ियों को लॉन्च करता है। स्टेनलेस स्टील में 40 मिमी ओरिस विंग्स ऑफ होप लिमिटेड संस्करण (1,000 का)। नई ओरिस विंग्स ऑफ होप लिमिटेड एडिशन घड़ियाँ स्वतंत्र स्विस…
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rajendradass · 7 months
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swarn005 · 9 months
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Bhaktamar Stotra Hindi
श्री प. हेमराज जी
आदिपुरुष आदीश जिन, आदि सुविधि करतार। धरम-धुरंधर परमगुरु, नमों आदि अवतार॥
सुर-नत-मुकुट रतन-छवि करैं, अंतर पाप-तिमिर सब हरैं। जिनपद बंदों मन वच काय, भव-जल-पतित उधरन-सहाय॥1॥
श्रुत-पारग इंद्रादिक देव, जाकी थुति कीनी कर सेव। शब्द मनोहर अरथ विशाल, तिस प्रभु की वरनों गुन-माल॥2॥
विबुध-वंद्य-पद मैं मति-हीन, हो निलज्ज थुति-मनसा कीन। जल-प्रतिबिंब बुद्ध को गहै, शशि-मंडल बालक ही चहै॥3॥
गुन-समुद्र तुम गुन अविकार, कहत न सुर-गुरु पावै पार। प्रलय-पवन-उद्धत जल-जन्तु, जलधि तिरै को भुज बलवन्तु॥4॥
सो मैं शक्ति-हीन थुति करूँ, भक्ति-भाव-वश कछु नहिं डरूँ। ज्यों मृगि निज-सुत पालन हेतु, मृगपति सन्मुख जाय अचेत॥5॥
मैं शठ सुधी हँसन को धाम, मुझ तव भक्ति बुलावै राम। ज्यों पिक अंब-कली परभाव, मधु-ऋतु मधुर करै आराव॥6॥
तुम जस जंपत जन छिनमाहिं, जनम-जनम के पाप नशाहिं। ज्यों रवि उगै फटै तत्काल, अलिवत नील निशा-तम-जाल॥7॥
तव प्रभावतैं कहूँ विचार, होसी यह थुति जन-मन-हार। ज्यों जल-कमल पत्रपै परै, मुक्ताफल की द्युति विस्तरै॥8॥
तुम गुन-महिमा हत-दुख-दोष, सो तो दूर रहो सुख-पोष। पाप-विनाशक है तुम नाम, कमल-विकाशी ज्यों रवि-धाम॥9॥
नहिं अचंभ जो होहिं तुरंत, तुमसे तुम गुण वरणत संत। जो अधीन को आप समान, करै न सो निंदित धनवान॥10॥
इकटक जन तुमको अविलोय, अवर-विषैं रति करै न सोय। को करि क्षीर-जलधि जल पान, क्षार नीर पीवै मतिमान॥11॥
प्रभु तुम वीतराग गुण-लीन, जिन परमाणु देह तुम कीन। हैं तितने ही ते परमाणु, यातैं तुम सम रूप न आनु॥12॥
कहँ तुम मुख अनुपम अविकार, सुर-नर-नाग-नयन-मनहार। कहाँ चंद्र-मंडल-सकलंक, दिन में ढाक-पत्र सम रंक॥13॥
पूरन चंद्र-ज्योति छबिवंत, तुम गुन तीन जगत लंघंत। एक नाथ त्रिभुवन आधार, तिन विचरत को करै निवार॥14॥
जो सुर-तिय विभ्रम आरंभ, मन न डिग्यो तुम तौ न अचंभ। अचल चलावै प्रलय समीर, मेरु-शिखर डगमगै न धीर॥15॥
धूमरहित बाती गत नेह, परकाशै त्रिभुवन-घर एह। बात-गम्य नाहीं परचण्ड, अपर दीप तुम बलो अखंड॥16॥
छिपहु न लुपहु राहु की छांहि, जग परकाशक हो छिनमांहि। घन अनवर्त दाह विनिवार, रवितैं अधिक धरो गुणसार॥17॥
सदा उदित विदलित मनमोह, विघटित मेघ राहु अविरोह। तुम मुख-कमल अपूरव चंद, जगत-विकाशी जोति अमंद॥18॥
निश-दिन शशि रवि को नहिं काम, तुम मुख-चंद हरै तम-धाम। जो स्वभावतैं उपजै नाज, सजल मेघ तैं कौनहु काज॥19॥
जो सुबोध सोहै तुम माहिं, हरि हर आदिक में सो नाहिं। जो द्युति महा-रतन में होय, काच-खंड पावै नहिं सोय॥20॥
(हिन्दी में) नाराच छन्द : सराग देव देख मैं भला विशेष मानिया। स्वरूप जाहि देख वीतराग तू पिछानिया॥ कछू न तोहि देखके जहाँ तुही विशेखिया। मनोग चित-चोर और भूल हू न पेखिया॥21॥
अनेक पुत्रवंतिनी नितंबिनी सपूत हैं। न तो समान पुत्र और माततैं प्रसूत हैं॥ दिशा धरंत तारिका अनेक कोटि को गिनै। दिनेश तेजवंत एक पूर्व ही दिशा जनै॥22॥
पुरान हो पुमान हो पुनीत पुण्यवान हो। कहें मुनीश अंधकार-नाश को सुभान हो॥ महंत तोहि जानके न होय वश्य कालके। न और मोहि मोखपंथ देय तोहि टालके॥23॥
अनन्त नित्य चित्त की अगम्य रम्य आदि हो। असंख्य सर्वव्यापि विष्णु ब्रह्म हो अनादि हो॥ महेश कामकेतु योग ईश योग ज्ञान हो। अनेक एक ज्ञानरूप शुद्ध संतमान हो॥24॥
तुही जिनेश बुद्ध है सुबुद्धि के प्रमानतैं। तुही जिनेश शंकरो जगत्त्रये विधानतैं॥ तुही विधात है सही सुमोखपंथ धारतैं। नरोत्तमो तुही प्रसिद्ध अर्थ के विचारतैं॥25॥
नमो करूँ जिनेश तोहि आपदा निवार हो। नमो करूँ सुभूरि-भूमि लोकके सिंगार हो॥ नमो करूँ भवाब्धि-नीर-राशि-शोष-हेतु हो। नमो करूँ महेश तोहि मोखपंथ देतु हो॥26॥
चौपाई तुम जिन पूरन गुन-गन भरे, दोष गर्वकरि तुम परिहरे। और देव-गण आश्रय पाय, स्वप्न न देखे तुम फिर आय॥27॥
तरु अशोक-तर किरन उदार, तुम तन शोभित है अविकार। मेघ निकट ज्यों तेज फुरंत, दिनकर दिपै तिमिर निहनंत॥28॥
सिंहासन मणि-किरण-विचित्र, तापर कंचन-वरन पवित्र। तुम तन शोभित किरन विथार, ज्यों उदयाचल रवि तम-हार॥29॥
कुंद-पुहुप-सित-चमर ढुरंत, कनक-वरन तुम तन शोभंत। ज्यों सुमेरु-तट निर्मल कांति, झरना झरै नीर उमगांति ॥30॥
ऊँचे रहैं सूर दुति लोप, तीन छत्र तुम दिपैं अगोप। तीन लोक की प्रभुता कहैं, मोती-झालरसों छवि लहैं॥31॥
दुंदुभि-शब्द गहर गंभीर, चहुँ दिशि होय तुम्हारे धीर। त्रिभुवन-जन शिव-संगम करै, मानूँ जय जय रव उच्चरै॥32॥
मंद पवन गंधोदक इष्ट, विविध कल्पतरु पुहुप-सुवृष्ट। देव करैं विकसित दल सार, मानों द्विज-पंकति अवतार॥33॥
तुम तन-भामंडल जिनचन्द, सब दुतिवंत करत है मन्द। कोटि शंख रवि तेज छिपाय, शशि निर्मल निशि करे अछाय॥34॥
स्वर्ग-मोख-मारग-संकेत, परम-धरम उपदेशन हेत। दिव्य वचन तुम खिरें अगाध, सब भाषा-गर्भित हित साध॥35॥
दोहा : विकसित-सुवरन-कमल-दुति, नख-दुति मिलि चमकाहिं। तुम पद पदवी जहं धरो, तहं सुर कमल रचाहिं॥36॥
ऐसी महिमा तुम विषै, और धरै नहिं कोय। सूरज में जो जोत है, नहिं तारा-गण होय॥37॥
(हिन्दी में) षट्पद : मद-अवलिप्त-कपोल-मूल अलि-कुल झंकारें। तिन सुन शब्द प्रचंड क्रोध उद्धत अति धारैं॥ काल-वरन विकराल, कालवत सनमुख आवै। ऐरावत सो प्रबल सकल जन भय उपजावै॥ देखि गयंद न भय करै तुम पद-महिमा लीन। विपति-रहित संपति-सहित वरतैं भक्त अदीन॥38॥
अति मद-मत्त-गयंद कुंभ-थल नखन विदारै। मोती रक्त समेत डारि भूतल सिंगारै॥ बांकी दाढ़ विशाल वदन में रसना लोलै। भीम भयानक रूप देख जन थरहर डोलै॥ ऐसे मृग-पति पग-तलैं जो नर आयो होय। शरण गये तुम चरण की बाधा करै न सोय॥39॥
प्रलय-पवनकर उठी आग जो तास पटंतर। बमैं फुलिंग शिखा उतंग परजलैं निरंतर॥ जगत समस्त निगल्ल भस्म करहैगी मानों। तडतडाट दव-अनल जोर चहुँ-दिशा उठानों॥ सो इक छिन में उपशमैं नाम-नीर तुम लेत। होय सरोवर परिन मैं विकसित कमल समेत॥40॥
कोकिल-कंठ-समान श्याम-तन क्रोध जलन्ता। रक्त-नयन फुंकार मार विष-कण उगलंता॥ फण को ऊँचा करे वेग ही सन्मुख धाया। तब जन होय निशंक देख फणपतिको आया॥ जो चांपै निज पगतलैं व्यापै विष न लगार। नाग-दमनि तुम नामकी है जिनके आधार॥41॥
जिस रन-माहिं भयानक रव कर रहे तुरंगम। घन से गज गरजाहिं मत्त मानों गिरि जंगम॥ अति कोलाहल माहिं बात जहँ नाहिं सुनीजै। राजन को परचंड, देख बल धीरज छीजै॥ नाथ तिहारे नामतैं सो छिनमांहि पलाय। ज्यों दिनकर परकाशतैं अन्धकार विनशाय॥42॥
मारै जहाँ गयंद कुंभ हथियार विदारै। उमगै रुधिर प्रवाह वेग जलसम विस्तारै॥ होयतिरन असमर्थ महाजोधा बलपूरे। तिस रनमें जिन तोर भक्त जे हैं नर सूरे॥ दुर्जय अरिकुल जीतके जय पावैं निकलंक। तुम पद पंकज मन बसैं ते नर सदा निशंक॥43॥
नक्र चक्र मगरादि मच्छकरि भय उपजावै। जामैं बड़वा अग्नि दाहतैं नीर जलावै॥ पार न पावैं जास थाह नहिं लहिये जाकी। गरजै अतिगंभीर, लहर की गिनति न ताकी॥ सुखसों तिरैं समुद्र को, जे तुम गुन सुमराहिं। लोल कलोलन के शिखर, पार यान ले जाहिं॥44॥
महा जलोदर रोग, भार पीड़ित नर जे हैं। वात पित्त कफ कुष्ट, आदि जो रोग गहै हैं॥ सोचत रहें उदास, नाहिं जीवन की आशा। अति घिनावनी देह, धरैं दुर्गंध निवासा॥ तुम पद-पंकज-धूल को, जो लावैं निज अंग। ते नीरोग शरीर लहि, छिनमें होय अनंग॥45॥
पांव कंठतें जकर बांध, सांकल अति भारी। गाढी बेडी पैर मांहि, जिन जांघ बिदारी॥ भूख प्यास चिंता शरीर दुख जे विललाने। सरन नाहिं जिन कोय भूपके बंदीखाने॥ तुम सुमरत स्वयमेव ही बंधन सब खुल जाहिं। छिनमें ते संपति लहैं, चिंता भय विनसाहिं॥46॥
महामत गजराज और मृगराज दवानल। फणपति रण परचंड नीरनिधि रोग महाबल॥ बंधन ये भय आठ डरपकर मानों नाशै। तुम सुमरत छिनमाहिं अभय थानक परकाशै॥ इस अपार संसार में शरन नाहिं प्रभु कोय। यातैं तुम पदभक्त को भक्ति सहाई होय॥47॥
यह गुनमाल विशाल नाथ तुम गुनन सँवारी। विविधवर्णमय पुहुपगूंथ मैं भक्ति विथारी॥ जे नर पहिरें कंठ भावना मन में भावैं। मानतुंग ते निजाधीन शिवलक्ष्मी पावैं॥ भाषा भक्तामर कियो, हेमराज हित हेत। जे नर पढ़ैं, सुभावसों, ते पावैं शिव���ेत॥48॥
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prabhupadanugas · 1 year
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Bhagavad Gita Chapter 10, Verse 1: श्रीभगवानुवाच भूय एव महाबाहो श‍ृणु मे परमं वच: । यत्तेऽहं प्रीयमाणाय वक्ष्यामि हितकाम्यया ॥ १ ॥ śrī-bhagavān uvāca bhūya eva mahā-bāho śṛṇu me paramaṁ vacaḥ yat te ’haṁ prīyamāṇāya vakṣyāmi hita-kāmyayā The Supreme Personality of Godhead said: Listen again, O mighty-armed Arjuna. Because you are My dear friend, for your benefit I shall speak to you further, giving knowledge that is better than what I have already explained. https://vedabase.io/en/library/bg/10/1/ https://vanisource.org/wiki/760308_-_Morning_Walk_-_Mayapur https://prabhupadavani.org/transcriptions/?audio=Has+audio&type=Bhagavad-gita&chapter=9 https://prabhupada.io https://prabhupada.io/books/bg/10 https://bookchanges.com/wp-content/uploads/2009/09/Bg-Chapter-10-diff.htm http://www.govindadasi.com https://www.facebook.com/govinda.dasi.9 https://vaniquotes.org/wiki/Main_Page https://youtube.com/user/AmritanandadasRPS https://sites.google.com/view/sanatan-dharma https://m.facebook.com/HDG.A.C.Bhaktivedanta.Svami.Srila.Prabhupada.Uvaca/ https://www.bhagavad-gita.us/famous-reflections-on-the-bhagavad-gita/ #bhagavatam #srimadbhagavatam #vishnu #vishnupuran #harekrishna #harekrsna #harekrishna #harekrisna #prabhupada #bhagavadgita #bhagavadgitaasitis #bhagavadgītā #srilaprabhupada #srilaprabhupad #srilaprabhupadaquotes #asitis #india #indian #wayoflife #religion #goals #goaloflife #spiritual #bhakti #bhaktiyoga #chant #prasadam #picoftheday #photo #beautiful #usa https://www.instagram.com/p/Co1PYXNoOb5/?igshid=NGJjMDIxMWI=
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123soni · 2 months
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जो मानुष गृह धर्म युत, राखै शील विचार ।
गुरुमुख बानी साधु संग, मन वच सेवा सार ।।
#GodMorningSunday
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mahadeosposts · 2 months
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जो मानुष गृह धर्म युत, राखै शील विचार ।
गुरुमुख बानी साधु संग, मन वच सेवा सार
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sushildas1989 · 2 months
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जो मानुष गृह धर्म युत, राखै शील विचार ।
गुरुमुख बानी साधु संग, मन वच सेवा सार ।।
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जो मानुष गृह धर्म युत, राखै शील विचार ।
गुरुमुख बानी साधु संग, मन वच सेवा सार ।।
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khabarbharat · 1 day
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विधानसभेसाठी काँग्रेसची शत प्रतिशत तयारी सुरु, 'या' तारखेपर्यंत मविआच्या जागा होणार निश्चित, वाचा सविस्तर...
नागपूर: लोकसभा निवडणुकीत मिळालेल्या घवघवीत यशानंतर काँग्रेसने विधानसभा निवडणुकीसाठी आक्रमक पवित्रा घेत आघाडी घेतली. सर्व २८८ मतदारसंघातील इच्छुकांकडून अर्ज मागवले आहेत. काँग्रेसचेही शत प्रतिशतची तयारी, चाचपणी की संघटन बांधणी याची चर्चा सुरू झाली आहे. काँग्रेस, राष्ट्रवादी काँग्रेस आणि शिवसेना (ठाकरे गट) यांच्यात चर्चा सुरू झाली आहे. महाआघाडीत आणखी कोणते पक्ष सहभागी होतात आणि सूत्र अद्याप स्पष्ट…
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studycarewithgsbrar · 2 years
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Apple आज करेगा बड़ा इवेंट, iPhone 14 के साथ iPad और स्मार्ट वॉच भी होगी लॉन्च - Punjab News Latest Punjabi News Update Today
Apple आज करेगा बड़ा इवेंट, iPhone 14 के साथ iPad और स्मार्ट वॉच भी होगी लॉन्च – Punjab News Latest Punjabi News Update Today
एपल एक के बाद एक शानदार फोन लॉन्च कर रही है। कंपनी आज (7 सितंबर) रात 10.30 बजे एक इवेंट आयोजित करने जा रही है। जिसमें iPhone 14 Max के साथ-साथ Watch 8 और Watch 8 Pro भी शामिल हो सकते हैं। अभी तक आईफोन के रेगुलर और प्लस वर्जन के डिस्प्ले साइज में अंतर है। एपल एक के बाद एक शानदार फोन लॉन्च कर रही है। इसके साथ ही iPhone 14 Max भी लॉन्च होने वाला है। iPhone 14 सीरीज को लेकर कई लोग काफी एक्साइटेड…
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dailyhantnews · 2 years
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ओप्पो वॉच रिव्यू: अल्टीमेट वेयरओएस स्मार्टवॉच?
ओप्पो वॉच रिव्यू: अल्टीमेट वेयरओएस स्मार्टवॉच?
ओप्पो वॉच कंपनी की पहली स्मार्टवॉच है जिसका लक्ष्य अपने वजन से ऊपर पंच करना है। पहली नज़र में, यह Apple वॉच से बहुत परिचित लगता है। जबकि ओप्पो की स्मार्टवॉच Google के वेयरओएस ���र चलती है, डिज़ाइन ऐप्पल की किताब से अपने स्वयं के स्पिन के साथ एक या दो पेज लेता है। ओप्पो वॉच मजबूत महसूस करती है और जब आप इसे अपने हाथ में रखते हैं तो प्रीमियम महसूस होता है, जो कि सभी एंड्रॉइड स्मार्टवॉच के लिए नहीं कहा…
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ashok8295 · 2 months
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जो मानुष गृह धर्म युत, राखै शील विचार ।
गुरुमुख बानी साधु संग, मन वच सेवा सार ।।
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mellowsoulwizard · 2 months
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जो मानुष गृह धर्म युत, राखै शील विचार ।
गुरुमुख बानी साधु संग, मन वच सेवा सार ।।
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mahadeosposts · 2 months
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जो मानुष गृह धर्म युत, राखै शील विचार ।
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