#ये सच है. आकाश नीला है
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god-entire-disposition · 5 years ago
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मार्ग… (3)
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अपने पूरे जीवन में, मैं हमेशा स्वयं को तन और मन से पूरी तरह से, परमेश्वर को समर्पित करने के लिए तैयार हूँ। इस तरह, मेरे अंतःकरण पर कोई दोष नहीं है और मैं थोड़ी शांति प्राप्त कर सकता हूँ। एक व्यक्ति जो जीवन की खोज करता है, उसे सबसे पहले अपना हृदय पूरी तरह से परमेश्वर को समर्पित कर देना चाहिए। यह एक पूर्व शर्त है। मैं अपने भाइयों और बहनों से चाहूँगा कि वे मेरे साथ परमेश्वर से प्रार्थना करें: "हे परमेश्वर! स्वर्ग में तेरा पवित्रात्मा धरती पर लोगों को अनुग्रह प्रदान करे, ताकि मेरा हृदय पूरी तरह से तेरी ओर मुड़ सके, कि मेरा आत्मा तेरे द्वारा प्रेरित हो सके, और मैं अपने हृदय और अपने आत्मा में तेरी मनोरमता को देख सकूँ, ताकि जो लोग पृथ्वी पर हैं वे तेरी सुंदरता को देख कर धन्य हो सकें। परमेश्वर! तेरा पवित्रात्मा एक बार फिर हमारी आत्माओं को प्रेरित करे ताकि हमारा प्यार चिरस्थायी हो और कभी भी परिवर्तित न हो!" परमेश्वर सबसे पहले हमारे हृदय की परीक्षा लेता है, और जब हम अपना हृदय उसमें उँड़ेल देते हो, तब वह हमारी आत्मा को प्रेरित करना शुरू करता है। केवल पवित्रात्मा में ही कोई परमेश्वर की मनोरमता, सर्वोच्चता, और म���ानता को देख सकता है। यह मानवजाति में पवित्र आत्मा का मार्ग है। क्या तुम्हारा जीवन इस तरह का है? क्या तुमने पवित्र आत्मा के जीवन का अनुभव किया है? क्या तुम्हारी आत्मा परमेश्वर द्वारा प्रेरित की गई है? क्या तुमने देखा है कि पवित्र आत्मा लोगों में किस प्रकार कार्य करता है? क्या तुमने अपना हृदय पूरी तरह से परमेश्वर को समर्पित कर दिया है? जब तुम अपना हृदय पूरी तरह से परमेश्वर को समर्पित कर देते हो, तो तुम सीधे पवित्र आत्मा के जीवन का अनुभव करने में सक्षम हो जाते हो, और उसका कार्य निरंतर तुम्हारे लिए प्रकट हो सकता है। तब तुम एक ऐसे व्यक्ति बन सकते हो जिसे पवित्र आत्मा द्वारा उपयोग किया जाता है। क्या तुम ऐसा व्यक्ति बनने के इच्छुक हो? मुझे याद है, जब मुझे पवित्र आत्मा द्वारा प्रेरित किया गया था और मैंने सबसे पहले परमेश्वर को अपना हृदय दिया, तो मैं उसके सामने गिर गया और चिल्लाया: "हे परमेश्वर! यह तू है तूने मेरी आँखें खोल दी है, ताकि मैं तेरेद्वारा उद्धार को पहचान सकूँ। मैं अपना हृदय पूरी तरह से तुझे समर्पित करने के लिए तैयार हूँ, और मैं इतना ही कहता हूँ कि तेरी इच्छा पूरी हो। मेरी बस यही इच्छा है कि मेरा हृदय तेरी उपस्थिति में तेरा अनुमोदन प्राप्त करे और मैं तेरी इच्छा पूरी करूँ।" यह प्रार्थना मेरे लिए सबसे अविस्मरणीय है; मैं गहराई तक प्रेरित हो गया था, और परमेश्वर के सामने फूट-फूट कर रोया था। परमेश्वर की उपस्थिति में एक व्यक्ति के रूप में वह मेरी पहली सफल प्रार्थना थी जिसे बचाया गया है, और यह मेरी पहली आकांक्षा थी। इसके बाद पवित्र आत्मा द्वारा मुझे बार-बार प्रेरित किया गया था। क्या तुम्हें इस तरह का अनुभव हुआ है? पवित्र आत्मा ने तुम में कैसे कार्य किया है? मुझे लगता है कि जो लोग परमेश्वर से प्यार करना चाहते हैं, उन सभी को, थोड़ा-बहुत इस प्रकार का अनुभव हुआ होगा, लेकिन लोग उनके बारे में भूल जाते हैं। यदि कोई कहता है कि उसे इस तरह का अनुभव नहीं हुआ है, तो यह साबित करता है कि उसे अभी तक बचाया नहीं गया है और वह अभी भी शैतान के अधिकार क्षेत्र में है। पवित्र आत्मा हर किसी में जो कार्य करता है, वही पवित्र आत्मा का मार्ग है, और यह उस व्यक्ति का भी मार्ग है जो परमेश्वर पर विश्वास करता है और उसकी तलाश करता है। पवित्र आत्मा लोगों पर जो कार्य करता है उसका पहला कदम है उनकी आत्माओं को प्रेरित करना। उसके बाद, वे परमेश्वर से प्यार करना और जीवन की खोज करना शुरू करेंगे; इस मार्ग के सभी लोग पवित्र आत्मा की धारा के भीतर हैं। ये न केवल मुख्य भूमि चीन में, बल्कि समस्त विश्व में भी, परमेश्वर की कार्य-पद्धति हैं। वह ऐसा समस्त मानवजाति पर करता है। यदि कोई एक बार भी प्रेरित नहीं किया गया है, तो यह दर्शाता है कि वह इस अच्छा होने की धारा से बाहर है। मैं ईमानदारी से अपने हृदय में परमेश्वर से लगातार प्रार्थना करता रहता हूँ कि वह सभी लोगों को प्रेरित करे, और पूरा जगत उसके द्वारा प्रेरित हो और हर कोई इस मार्ग पर चले। संभवतः यह एक छोटा-सा अनुरोध है जो मैं परमेश्वर से करता हूँ, लेकिन मेरा विश्वास है कि वह इसे पूरा करेगा। मुझे आशा है कि मेरे सभी भा�� और बहन इस बात के लिए प्रार्थना करेंगे, कि परमेश्वर की इच्छा पूरी हो, और उसका कार्य शीघ्र समाप्त हो ताकि स्वर्ग में उसका आत्मा विश्राम कर सके। यह मेरी स्वयं की छोटी सी आशा है।
मेरा मानना है कि चूँकि परमेश्वर अपने कार्य को दुष्टों के एक शहर में पूरा कर सकता है, तो वह ब्रह्मांड भर में दुष्टों के अनगिनत शहरों में अपने कार्य को पूरा करने में निश्चित रूप से सक्षम है। हममें से अंतिम युग के लोग परमेश्वर की महिमा का दिन निश्चित रूप से देखेंगे। यह "अंत तक अनुसरण करने का परिणाम उद्धार होगा।" कहलाता है। कोई भी परमेश्वर के कार्य के इस चरण की जगह नहीं ले सकता है—केवल परमेश्वर स्वयं ही ऐसा कर सकता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि यह असाधारण है; यह विजय के कार्य का एक चरण है, और मनुष्य अन्य मनुष्यों को नहीं जीत सकता है। यह केवल परमेश्वर स्वयं के मुँह के वचन और वे कार्य हैं जो वह व्यक्तिगत रूप से करता है, वही मानवजाति को जीत सकती हैं। सम्पूर्ण विश्व में से, परमेश्वर एक परीक्षण भूमि के रूप में बड़े लाल अजगर के देश का उपयोग कर रहा है। इसके बाद, वह अन्य हर जगह इस कार्य को शुरू करेगा। इसका अर्थ है कि परम���श्वर पूरे विश्व में और भी बड़ा कार्य करेगा, और विश्व के सभी लोग परमेश्वर के विजय के कार्य को प्राप्त करेंगे। हर धर्म और हर संप्रदाय के लोगों को कार्य के इस चरण को स्वीकार अवश्य करना चाहिए। यह ऐसा मार्ग है जिसे अवश्य लिया जाना चाहिए—कोई भी इससे बच नहीं सकता है। क्या तुम इसे स्वीकार करने के लिए तैयार हो जो तुम्हें परमेश्वर द्वारा सौंपा गया है? मुझे हमेशा लगता है कि पवित्र आत्मा द्वारा सौंपी गई किसी चीज़ों को स्वीकार करना एक शानदार कार्य है। जिस तरह से मैं इसे देखता हूँ, यह सबसे बड़ा भरोसा है जो परमेश्वर मानवजाति में रखता है। मैं अपने भाइयों और बहनों से मेरे साथ-साथ कड़ी मेहनत करने और इसे परमेश्वर की ओर से स्वीकार करने की आशा करता हूँ, ताकि समस्त विश्व में परमेश्वर की महिमा गाई जा सके, और हमारी ज़िंदगी व्यर्थ नहीं होगी। हमें परमेश्वर के लिए कुछ करना चाहिए, या हमें शपथ लेनी चाहिए। यदि कोई परमेश्वर पर विश्वास करता है लेकिन खोज का कोई उद्देश्य नहीं है, तो उसका जीवन शून्य हो आता है, और जब उसकी मृत्यु का समय आता है, तो उसके पास देखने के लिए केवल नीला आकाश और धूल भरी पृथ्वी होती है। क्या यह एक सार्थक जीवन है? यदि तुम जीवित रहते हुए परमेश्वर की अपेक्षाओं को पूरा करने में सक्षम हो, तो क्या यह एक सुंदर बात नहीं है? तुम हमेशा मुसीबत क्यों ढूँढते रहते हो, और उदास क्यों रहते हो? इस तरह से क्या तुम परमेश्वर से कुछ भी प्राप्त करते हो? और क्या परमेश्वर तुमसे कुछ प्राप्त कर सकता है? उन वादों के अंदर जो मैने परमेश्वर से किए हैं, मैं बस उसे अपना हृदय देता हूँ और अपने वचनों से उसे बेवकूफ़ नहीं बनाता हूँ। मैं ऐसा कुछ नहीं करूँगा—मैं परमेश्वर को केवल इतनी दिलासा देने की इच्छा रखता हूँ कि मैं उसे हृदय से प्रेम करता हूँ, ताकि स्वर्ग में उसके आत्मा को ढांढ़स मिल सके। हृदय मूल्यवान हो सकता है लेकिन प्यार अधिक बहुमूल्य है। मैं परमेश्वर को अपने हृदय का सबसे अनमोल प्रेम देने के लिए तैयार हूँ ताकि वह जिस चीज से सबसे अधिक आनंदित हो वह मेरी सबसे सुंदर चीज हो, ताकि वह उस प्रेम से भरापूरा हो जो मैं उसे अर्पित करता हूँ। क्या तुम परमेश्वर के आनंद के लिए अपना प्यार अर्पित करने को तैयार हो? क्या तुम जीवित रहने के लिए इसे अपना सिद्धान्त बनाने को तैयार हो? मैं अपने अनुभव से देखता हूँ कि मैं जितना अधिक प्यार परमेश्वर को देता हूँ, उतना ही अधिक मैं आनंदित महसूस कर रहा हूँ, और मुझमें असीम ताकत है, मैं अपने पूरे तन और मन का त्याग करने के लिए तैयार हूँ और हमेशा महसूस करता हूँ कि संभवतः मैं परमेश्वर को पर्याप्त रूप से प्यार नहीं कर पा रहा हूँ। तो क्या तुम्हारा प्यार एक नगण्य प्यार है, या यह अनंत, अथाह है? यदि तुम वास्तव में परमेश्वर से प्यार करना चाहते हो, तो उसे वापस देने के लिए तुम्हारे पास हमेशा अधिक प्यार होगा। यदि ऐसा है, तो कौन सा व्यक्ति और कौन सी चीज परमेश्वर के लिए तुम्हारे प्यार के आड़े आ सकती है?
परमेश्वर समस्त मानवजाति के प्यार को बहुमूल्य समझता है; वह उन सभी पर तो आशीर्वाद की वर्षा ही कर देता है जो उससे प्यार करते हैं। इसका कारण यह है कि मनुष्य का प्यार पाना बहुत मुश्किल होता है, यह बहुत ही अल्पमात्रा में होता है, लगभग नहीं के बराबर्। विश्व भर में, परमेश्वर यह अपेक्षा करता रहा है कि लोग उसे प्यार लौटाएँ, लेकिन अब तक किसी भी युग में, परमेश्वर को सच्चा प्यार लौटाने वाले बहुत कम हैं—उनकी संख्या बहुत थोड़ी-सी है। जहाँ तक मुझे याद है, केवल पतरस ही ऐसा था, लेकिन उसे भी यीशु ने व्यक्तिगत रूप से मार्गदर्शन दिया था और ऐसा केवल उसकी मृत्यु के समय हुआ जब उसने अपने जीवन को समाप्त करते हुए, परमेश्वर को अपना पूरा प्यार दे दिया। इसलिए इस तरह की प्रतिकूल परिस्थितियों में परमेश्वर ने प्रदर्शन के रूप में महान लाल अजगर के देश का उपयोग करते हुए, विश्व में अपने कार्य का दायरा संकुचित कर दिया है। वह अपनी समस्त ऊर्जा और अपने प्रयासों को एक ही स्थान पर केंद्रित कर रहा है। यह अधिक अनुकूल परिणाम देगा और उसके गवाहों के लिए अधिक ��ाभदायक होगा। इन दो स्थितियों के अन्तर्गत परमेश्वर ने सम्पूर्ण विश्व के अपने कार्य को मुख्य भूमि चीन के सबसे कमज़ोर क्षमता वाले लोगों में स्थानांतरित कर दिया और विजय का अपना प्यारा कार्य शुरू किया ताकि इन लोगों के उसे प्यार करने योग्य हो जाने के बाद, वह अपने कार्य के अगले चरण को कार्यान्वित कर सके। यह परमेश्वर की योजना है। उसके कार्य का फल इस तरह से महानतम होगा। उसके कार्य का दायरा केन्द्रित और निहित है। यह स्पष्ट है कि परमेश्वर ने हम पर अपना कार्य पूरा करने के लिए कितना मूल्य चुकाया है और उसने कितने प्रयास किए हैं, तब जाकर हमारा दिन आया है। यह हमारे लिए आशीर्वाद है। अच्छे स्थान पर पैदा होने के कारण पाश्चात्य लोग हमसे ईर्ष्या करते हैं, इसलिए यह मानवीय अवधारणाओं के अनुरूप नहीं है। लेकिन हम सभी अपने आप को दीन-हीन और निम्न के रूप में देखते हैं। क्या यह परमेश्वर द्वारा हमारा उत्थान करना नहीं है? बड़े लाल अजगर के वंशज, जिन्हें हमेशा कुचला गया है, पाश्चात्य लोगों द्वारा आदर के साथ देखे जाते हैं—यह सच में हमारा आशीर्वाद है। जब मैं इस बारे में सोचता हूँ, तो मैं परमेश्वर की दया के, उसकी प्रीति और घनिष्ठता के वशीभूत हो जाता हूँ। इससे यह देखा जा सकता है कि परमेश्वर जो करता है वह सब मानवीय अवधारणाओं के अनुरूप नहीं है, और यद्यपि ये सभी लोग शापित हैं, किन्तु वह कानून की बाध्यताओं के अधीन नहीं है और उसने जानबूझकर पृथ्वी के इस भाग के आसपास अपना कार्य केंद्रित किया है। यही कारण है कि मैं आनन्दित हूँ, असीम सुख महसूस करता हूँ। किसी ऐसे व्यक्ति के रूप में जो कार्य में प्रमुख भूमिका निभाता है, इस्राएलियों के बीच मुख्य पादरियों की तरह, मैं सीधे पवित्रात्मा के कार्य को पूरा करने और सीधे परमेश्वर के आत्मा का कार्य करने में सक्षम हूँ; यह मेरा आशीर्वाद है। इस तरह की बात सोचने की हिम्मत कौन करेगा? किन्तु आज, यह अप्रत्याशित रूप से हम पर आ गया है। यह वास्तव में एक बहुत बड़ा आनन्द है जो हमारे लिए उत्सव के योग्य है। मुझे आशा है कि परमेश्वर हमें आशीर्वाद देना और हमें ऊपर उठाना जारी रखेगा ताकि हम में से जो कीचड़ में धँसे हैं उन्हें परमेश्वर द्वारा महान उपयोग में लाया जा सके, और हमें उसका प्यार चुकाने का अवसर मिल सके।
परमेश्वर के प्रेम का प्रतिदान वह मार्ग है जिस पर मैं अब चल रहा हूँ, लेकिन मुझे महसूस होता है कि यह परमेश्वर की इच्छा नहीं है, न ही यह वह मार्ग है जिस पर मुझे चलना चाहिए। मेरे लिए परमेश्वर की इच्छा है कि उसके द्वारा मेरा महान उपयोग किया जाए—यह पवित्र आत्मा का मार्ग है। शायद मुझसे भूल हुई है। मुझे लगता है कि यही वह रास्ता है जिस पर मैं चल रहा हूँ, क्योंकि मैंने परमेश्वर के साथ अपना संकल्प बहुत समय पहले स्थापित कर लिया था। मैं परमेश्वर द्वारा मार्गदर्शन किए जाने ��े लिए तैयार हूँ ताकि मैं यथाशीघ्र उस मार्ग पर आ सकूँ जिस पर मुझे होना चाहिए, और यथाशीघ्र परमेश्वर की इच्छा को पूरा करूँ। इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता है कि दूसरे लोग क्या सोच सकते हैं, मेरा मानना है कि परमेश्वर की इच्छा पूरी करना अत्यंत महत्वपूर्ण है और यह मेरी जिंदगी का सबसे महत्वपूर्ण कार्य है। मुझे इस अधिकार से कोई भी वंचित कर सकता है—यह मेरा व्यक्तिगत दृष्टिकोण है, और शायद कुछ ऐसे भी लोग हैं जो इसे समझ न सकें, लेकिन मेरा मानना है कि मुझे इसे सही साबित करने की आवश्यकता नहीं है। मैं वही मार्ग लूँगा जो मुझे लेना चाहिए—एक बार जब मैं उस मार्ग को पहचान लूँ जिस पर मुझे चलना चाहिए तब मैं इसे ले ही लूँगा और पीछे नहीं हटूँगा। इस लिए मैं इन वचनों पर वापस आता हूँ: मैं परमेश्वर की इच्छा को पूरा करने पर अपने मन को लगा देता हूँ। मुझे आशा है कि मेरे भाई और बहनें मेरी आलोचना नहीं करेंगे! कुल मिलाकर, जैसा कि मैं व्यक्तिगत रूप से देखता हूँ, अन्य लोग जो चाहें कह सकते हैं, लेकिन मुझे लगता है कि परमेश्वर की इच्छा को पूरा करना महत्वपूर्ण है और मुझे इसके आस-पास की बाधाओं के अधीन नहीं होना चाहिए। जब मैं उसकी इच्छा पूरी करता हूँ, तब मैं गलती नहीं कर सकता हूँ, और ऐसा करने की योजना अपने हितों के आधार पर नहीं बनायी जा सकती है! मेरा मानना है कि परमेश्वर ने मेरे हृदय के अंदर देख लिया है! तो तुम्हें इसे कैसे समझना चाहिए? क्या तुम स्वयं को परमेश्वर के लिए अर्पित करने के इच्छुक हो? क्या तुम परमेश्वर के उपयोग में आने के इच्छुक हो? क्या परमेश्वर की इच्छा पूरी करने का तुम्हारा संकल्प है? मुझे आशा है कि मेरे सभी भाई और बहनें मेरे वचनों से कुछ मात्रा में सहायता प्राप्त करने में सक्षम हैं। यद्यपि मेरा अपना दृष्टिकोण बहुत सतही है, तब भी मैं वह कहता हूँ जो मैं कह सकता हूँ ताकि हम सभी सभी बाधाओं से मुक्त होकर स्वच्छंद एवं आंतरिक बातचीत कर सकें, ताकि परमेश्वर हमेशा के लिए हमारे बीच बना रहे। ये मेरे हृदय के वचन हैं। ठीक है! यह सब दिल की गहराइयों से निकली बातें थीं। आज के लिए बस इतना ही। मुझे आशा है कि मेरे भाई और बहनें कड़ी मेहनत करना जारी रखेंगे, और मुझे आशा है कि परमेश्वर का आत्मा हमेशा हमारी देखभाल करता है!
                                                    स्रोत: सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया
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bhoobhransh · 6 years ago
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उपन्यास “सारा आकाश“ पर विचार | Ruminations on Hindi Novel “Saara Akaash“
आज राजेन्द्र यादव की "सारा आकाश" ख़त्म की (यहाँ खरीदें). ये रिव्यु जैसा कुछ है जो लिखते ही, बिना एडिट किये पोस्ट कर दे रहा हूँ:
** spoiler alert ** ======================
पता नहीं अज्ञेय को ऐसा क्यों लगा कि इस उपन्यास के प्रारंभिक और अंतिम हिस्से आवश्यक नहीं थे और एकबारगी राजेंद्र यादव ने उनकी बात मान भी ली. धर्मांध लोगों के आतंरिक अंधेपन का सती-भक्त हुज़ूमी उन्माद बनना तो सबसे बेहतरीन अंत है. शायद अज्ञेय उन लोगों में से थे जिन्हें वाकई में भारतीयों के अंतर्मुखी होने पर गर्व हुआ करता है. और फिर यह कोई अनूठे शिल्प वाला, अक्लमंद उपन्यास तो है नहीं. अपने समय की एक भयावह समस्या को जड़ से नेरेट करता हुआ उपन्यास है. अगर मैं इसका झकझोर देने वाला अंत न पढता तो शायद इस किताब का मुझपर उतना गहरा असर न होता.
कहानी का मुख्य पात्र निहायत जाहिल और आसानी से बह जाने वाला आदमी है जिसके मन के विचार बस औरों की कही बातों की प्रतिध्वनि भर है. सामाजिक-राजनैतिक बहस का आदर्श मस्तिष्कहीन कड़ाह, जिसमें किसी नए विचार के लिए सम्मान "ये तो मैंने सोचा ही नहीं" के रूप में कौंधता है. फिरकापरस्ती कि तालीम लेते "राह भटके युवक" के लिए वह एक आदर्श स्कैफोल्ड होता है, पर डिप्रेशन के मारे आत्महन्ता को दया करके थोड़ा और बुद्धिमान बना देना चाहिए. वैसे हिन्दू फिरकापरस्तों के लिए "राह भटके युवक" वाली कहानी की बहुत ज़रूरत है. हिन्दू आतंकवादियों (अभी जो पालने में पैर दिखा रहे हैं) को बस एक संगठन की छाया बनाकर दिखा दिया जाता है; उनको समझने की आवश्यकता किसी को महसूस नहीं होती (मैंने बहुत सारी किताबें नहीं पढ़ीं है. यदि आपकी नज़र में कोई हो तो ज़रूर बताएं).
खैर, अब टिन के डब्बे की तरह पराये विचारों को गड़गड़ाते इस मूरख नारसिसिस्ट को सुनते सुनते, उपन्यास के अंत तक आते आते आदमी के कान थकने लगते हैं. शिरीष. नायक के कड़ाह में तलते विचारों का एकमात्र स्रोत (हमारे देश के बुद्धिजीवियों के विचार में समाज का अकेला औथोराईज्ड स्रोत). अगर उसकी जगह प्रवीण तोगड़िया होता तो हमारा नायक त्रिपुंड लगा, खड्ग लिए भी निकल पड़ता. उसके इम्पल्स का नतीज़ा बेचारी प्रभा भुगतती रहती है. तब समर का अपने आपको यह प्रश्न पूछना अच्छा लगता है कि क्या वो वाकई में प्रभा से प्रेम करता है? हालाँकि, वो प्रश्न भी उसके दिमाग में किसी और ने ही डाला है. पर फिर मुन्नी और प्रभा के चरित्रों की तकलीफें उतनी ही ज़्यादा प्रभावित करतीं हैं क्योंकि उनका गला समाज तो घोट ही रहा है, उपन्यास ने भी कोई कसर नहीं छोड़ी है. मेरे विचार में यह जान-बूझकर किया गया है और उपन्यास का वह तत्व है जो इसे एक अच्छी और ज़रूरी किताब की श्रेणी में ला रखता है. प्रेत बना नायक, पुलिस, अनमने श्रद्धालू और खिडकियों से झांकती सहमी औरतें. हमारा समाज सचमुच इनेक्शन का मारा था. लोग अन्याय के खिलाफ दंगे के भय से नहीं बोलते थे. आज के जमाने की स्त्रियाँ तो लिंगभेद के ऐसे स्पष्ट आचरण कि ईंट से ईंट बजा डालें. हालाँकि, वो प्रवृति आज मैं हिन्दू-मुसलमान के मामले में देखता हूँ.
यह बहुत सच बात है कि हमारा समाज अतीतजीवी और पलायनवादी है पर यह भी सनद रहे कि भारत के प्राचीन विज्ञान को ग्रीक और इजिप्शियन समाज के योगदानों जैसा सम्मान कभी नहीं मिला है. बात वहीँ आ जाती है कि आखिर लट्ठ के दम पर किसको कभी सम्मान मिला है!
शायद यही बेस्ट सेलर मटेरियल होता है -- जो कि किसी भी भाषा के साहित्य का बहुत जरूरी हिस्सा है, और हमने इसे खो दिया है. अगर आप इस प्रकार के आम अपील वाले कथानकों को प्रकाशित नहीं करेंगे तो उनकी जगह गुलशन नंदा जैसे लोग ले लेंगे. पॉप सेंसिबिलिटी को चित्रित करते लेखकों को मेरा पूरा समर्थन प्राप्त है.
राजेन्द्र यादव और मन्नू भंडारी को बराबर महत्वपूर्ण आँका जाता है -- जिससे मैं असहमत हूँ क्योंकि मन्नू भंडारी के कथानकों और चरित्��ों में जो गहराई और निशब्द विस्तार होता है, राजेंद्र यादव के इस उपन्यास में तो नहीं है. अब अगर कोई कहता है कि मन्नू भंडारी का लेखन जनमानस की सशक्त अभिव्यक्ति नहीं है तो भैया, हमारे लिए तो ढंग से चित्रित फूल-पत्ती ही अच्छी. अंतरिक्ष के अँधेरे में चमकता नीला पिक्सलेटेड बिंदु किसने देखा है (जुमला  Zakir Khan  का है).
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god-entire-disposition · 5 years ago
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मसीह के वचन जैसे वह कलीसियाओं में चला (Ⅰ) -मार्ग... (3)
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अपने पूरे जीवन में, मैं हमेशा स्वयं को तन और मन से पूरी तरह से, परमेश्वर को समर्पित करने के लिए तैयार हूँ। इस तरह, मेरे अंतःकरण पर कोई दोष नहीं है और मैं थोड़ी शांति प्राप्त कर सकता हूँ। एक व्यक्ति जो जीवन की खोज करता है, उसे सबसे पहले अपना हृदय पूरी तरह से परमेश्वर को समर्पित कर देना चाहिए। यह एक पूर्व शर्त है। मैं अपने भाइयों और बहनों से चाहूँगा कि वे मेरे साथ परमेश्वर से प्रार्थना करें: "हे परमेश्वर! स्वर्ग में तेरा पवित्रात्मा धरती पर लोगों को अनुग्रह प्रदान करे, ताकि मेरा हृदय पूरी तरह से तेरी ओर मुड़ सके, कि मेरा आत्मा तेरे द्वारा प्रेरित हो सके, और मैं अपने हृदय और अपने आत्मा में तेरी मनोरमता को देख सकूँ, ताकि जो लोग पृथ्वी पर हैं वे तेरी सुंदरता को देख कर धन्य हो सकें। परमेश्वर! तेरा पवित्रात्मा एक बार फिर हमारी आत्माओं को प्रेरित करे ताकि हमारा प्यार चिरस्थायी हो और कभी भी परिवर्तित न हो!" परमेश्वर सबसे पहले हमारे हृदय की परीक्षा लेता है, और जब हम अपना हृदय उसमें उँड़ेल देते हो, तब वह हमारी आत्मा को प्रेरित करना शुरू करता है। केवल पवित्रात्मा में ही कोई परमेश्वर की मनोरमता, सर्वोच्चता, और महानता को देख सकता है। यह मानवजाति में पवित्र आत्मा का मार्ग है। क्या तुम्हारा जीवन इस तरह का है? क्या तुमने पवित्र आत्मा के जीवन का अनुभव किया है? क्या तुम्हारी आत्मा परमेश्वर द्वारा प्रेरित की गई है? क्या तुमने देखा है कि पवित्र आत्मा लोगों में किस प्रकार कार्य करता है? क्या तुमने अपना हृदय पूरी तरह से परमेश्वर को समर्पित कर दिया है? जब तुम अपना हृदय पूरी तरह से परमेश्वर को समर्पित कर देते हो, तो तुम सीधे पवित्र आत्मा के जीवन का अनुभव करने में सक्षम हो जाते हो, और उसका कार्य निरंतर तुम्हारे लिए प्रकट हो सकता है। तब तुम एक ऐसे व्यक्ति बन सकते हो जिसे पवित्र आत्मा द्वारा उपयोग किया जाता है। क्या तुम ऐसा व्यक्ति बनने के इच्छुक हो? मुझे याद है, जब मुझे पवित्र आत्मा द्वारा प्रेरित किया गया था और मैंने सबसे पहले परमेश्वर को अपना हृदय दिया, तो मैं उसके सामने गिर गया और चिल्लाया: "हे परमेश्वर! यह तू है तूने मेरी आँखें खोल दी है, ताकि मैं तेरेद्वारा उद्धार को पहचान सकूँ। मैं अपना हृदय पूरी तरह से तुझे समर्पित करने के लिए तैयार हूँ, और मैं इतना ही कहता हूँ कि तेरी इच्छा पूरी हो। मेरी बस यही इच्छा है कि मेरा हृदय तेरी उपस्थिति में तेरा अनुमोदन प्राप्त करे और मैं तेरी इच्छा पूरी करूँ।" यह प्रार्थना मेरे लिए सबसे अविस्मरणीय है; मैं गहराई तक प्रेरित हो गया था, और परमेश्वर के सामने फूट-फूट कर रोया था। परमेश्वर की उपस्थिति में एक व्यक्ति के रूप में वह मेरी पहली सफल प्रार्थना थी जिसे बचाया गया है, और यह मेरी पहली आकांक्षा थी। इसके बाद पवित्र आत्मा द्वारा मुझे बार-बार प्रेरित किया गया था। क्या तुम्हें इस तरह का अनुभव हुआ है? पवित्र आत्मा ने तुम में कैसे कार्य किया है? मुझे लगता है कि जो लोग परमेश्वर से प्यार करना चाहते हैं, उन सभी को, थोड़ा-बहुत इस प्रकार का अनुभव हुआ होगा, लेकिन लोग उनके बारे में भूल जाते हैं। यदि कोई कहता है कि उसे इस तरह का अनुभव नहीं हुआ है, तो यह साबित करता है कि उसे अभी तक बचाया नहीं गया है और वह अभी भी शैतान के अधिकार क्षेत्र में है। पवित्र आत्मा हर किसी में जो कार्य करता है, वही पवित्र आत्मा का मार्ग है, और यह उस व्यक्ति का भी मार्ग है जो परमेश्वर पर विश्वास करता है और उसकी तलाश करता है। पवित्र आत्मा लोगों पर जो कार्य करता है उसका पहला कदम है उनकी आत्माओं को प्रेरित करना। उसके बाद, वे परमेश्वर से प्यार करना और जीवन की खोज करना शुरू करेंगे; इस मार्ग के सभी लोग पवित्र आत्मा की धारा के भीतर हैं। ये न केवल मुख्य भूमि चीन में, बल्कि समस्त विश्व में भी, परमेश्वर की कार्य-पद्धति हैं। वह ऐसा समस्त मानवजाति पर करता है। यदि कोई एक बार भी प्रेरित नहीं किया गया है, तो यह दर्शाता है कि वह इस अच्छा होने की धारा से बाहर है। मैं ईमानदारी से अपने हृदय में परमेश्वर से लगातार प्रार्थना करता रहता हूँ कि वह सभी लोगों को प्रेरित करे, और पूरा जगत उसके द्वारा प्रेरित हो और हर कोई इस मार्ग पर चले। संभवतः यह एक छोटा-सा अनुरोध है जो मैं परमेश्वर से करता हूँ, लेकिन मेरा विश्वास ​​है कि वह इसे पूरा करेगा। मुझे आशा है कि मेरे सभी भाई और बहन इस बात के लिए प्रार्थना करेंगे, कि परमेश्वर की इच्छा पूरी हो, और उसका कार्य शीघ्र समाप्त हो ताकि स्वर्ग में उसका आत्मा विश्राम कर सके। यह मेरी स्वयं की छोटी सी आशा है।
मेरा मानना ​​है कि चूँकि परमेश्वर अपने कार्य को दुष्टों के एक शहर में पूरा कर सकत��� है, तो वह ब्रह्मांड भर में दुष्टों के अनगिनत शहरों में अपने कार्य को पूरा करने में निश्चित रूप से सक्षम है। हममें से अंतिम युग के लोग परमेश्वर की महिमा का दिन निश्चित रूप से देखेंगे। यह "अंत तक अनुसरण करने का परिणाम उद्धार होगा।" कहलाता है। कोई भी परमेश्वर के कार्य के इस चरण की जगह नहीं ले सकता है—केवल परमेश्वर स्वयं ही ऐसा कर सकता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि यह असाधारण है; यह विजय के कार्य का एक चरण है, और मनुष्य अन्य मनुष्यों को नहीं जीत सकता है। यह केवल परमेश्वर स्वयं के मुँह के वचन और वे कार्य हैं जो वह व्यक्तिगत रूप से करता है,वही मानवजाति को जीत सकती हैं। सम्पूर्ण विश्व में से, परमेश्वर एक परीक्षण भूमि के रूप में बड़े लाल अजगर के देश का उपयोग कर रहा है। इसके बाद, वह अन्य हर जगह इस कार्य को शुरू करेगा। इसका अर्थ है कि परमेश्वर पूरे विश्व में और भी बड़ा कार्य करेगा, और विश्व के सभी लोग परमेश्वर के विजय के कार्य को प्राप्त करेंगे। हर संप्रदाय और हर मजहब के लोगों को कार्य के इस चरण को स्वीकार अवश्य करना चाहिए। यह ऐसा मार्ग है जिसे अवश्य लिया जाना चाहिए—कोई भी इससे बच नहीं सकता है। क्या तुम इसे स्वीकार करने के लिए तैयार हो जो तुम्हें परमेश्वर द्वारा सौंपा गया है? मुझे हमेशा लगता है कि पवित्र आत्मा द्वारा सौंपी गई किसी चीज़ों को स्वीकार करना एक शानदार कार्य है। जिस तरह से मैं इसे देखता हूँ, यह सबसे बड़ा भरोसा है जो परमेश्वर मानवजाति में रखता है। मैं अपने भाइयों और बहनों से मेरे साथ-साथ कड़ी मेहनत करने और इसे परमेश्वर की ओर से स्वीकार करने की आशा करता हूँ, ताकि समस्त विश्व में परमेश्वर की महिमा गाई जा सके, और हमारी ज़िंदगी व्यर्थ नहीं होगी। हमें परमेश्वर के लिए कुछ करना चाहिए, या हमें शपथ लेनी चाहिए। यदि कोई परमेश्वर पर विश्वास करता है लेकिन खोज का कोई उद्देश्य नहीं है, तो उसका जीवन शून्य हो आता है, और जब उसकी मृत्यु का समय आता है, तो उसके पास देखने के लिए केवल नीला आकाश और धूल भरी पृथ्वी होती है। क्या यह एक सार्थक जीवन है? यदि तुम जीवित रहते हुए परमेश्वर की अपेक्षाओं को पूरा करने में सक्षम हो, तो क्या यह एक सुंदर बात नहीं है? तुम हमेशा मुसीबत क्यों ढूँढते रहते हो, और उदास क्यों रहते हो? इस तरह से क्या तुम परमेश्वर से कुछ भी प्राप्त करते हो? और क्या परमेश्वर तुमसे कुछ प्राप्त कर सकता है? उन वादों के अंदर जो मैने परमेश्वर से किए हैं, मैं बस उसे अपना हृदय देता हूँ और अपने वचनों से उसे बेवकूफ़ नहीं बनाता हूँ। मैं ऐसा कुछ नहीं करूँगा—मैं परमेश्वर को केवल इतनी दिलासा देने की इच्छा रखता हूँ कि मैं उसे हृदय से प्रेम करता हूँ, ताकि स्वर्ग में उसके आत्मा को ढांढ़स मिल सके। हृदय मूल्यवान हो सकता है लेकिन प्यार अधिक बहुमूल्य है। मैं परमेश्वर को अपने हृदय का सबसे अनमोल प्रेम देने के लिए तैयार हूँ ताकि वह जिस चीज से सबसे अधिक आनंदित हो वह मेरी सबसे सुंदर चीज हो, ताकि वह उस प्रेम से भरापूरा हो जो मैं उसे अर्पित करता हूँ। क्या तुम परमेश्वर के आनंद के लिए अपना प्यार अर्पित करने को तैयार हो? क्या तुम जीवित रहने के लिए इसे अपना सिद्धान्त बनाने को तैयार हो? मैं अपने अनुभव से देखता हूँ कि मैं जितना अधिक प्यार परमेश्वर को देता हूँ, उतना ही अधिक मैं आनंदित महसूस कर रहा हूँ, और मुझमें असीम ताकत है, मैं अपने पूरे तन और मन का त्याग करने के लिए तैयार हूँ और हमेशा महसूस करता हूँ कि संभवतः मैं परमेश्वर को पर्याप्त रूप से प्यार नहीं कर पा रहा हूँ। तो क्या तुम्हारा प्यार एक नगण्य प्यार है, या यह अनंत, अथाह है? यदि तुम वास्तव में परमेश्वर से प्यार करना चाहते हो, तो उसे वापस देने के लिए तुम्हारे पास हमेशा अधिक प्यार होगा। यदि ऐसा है, तो कौन सा व्यक्ति और कौन सी चीज परमेश्वर के लिए तुम्हारे प्यार के आड़े आ सकती है?
परमेश्वर समस्त मानवजाति के प्यार को बहुमूल्य समझता है; वह उन सभी पर तो आशीर्वाद की वर्षा ही कर देता है जो उससे प्यार करते हैं। इसका कारण यह है कि मनुष्य का प्यार पाना बहुत मुश्किल होता है, यह बहुत ही अल्पमात्रा में होता है, लगभग नहीं के बराबर्। विश्व भर में, परमेश्वर यह अपेक्षा करता रहा है कि लोग उसे प्यार लौटाएँ, लेकिन अब तक किसी भी युग में, परमेश्वर को सच्चा प्यार लौटाने वाले बहुत कम हैं—उनकी संख्या बहुत थोड़ी-सी है। जहाँ तक मुझे याद है, केवल पतरस ही ऐसा था, लेकिन उसे भी यीशु ने व्यक्तिगत रूप से मार्गदर्शन दिया था और ऐसा केवल उसकी मृत्यु के समय हुआ जब उसने अपने जीवन को समाप्त करते हुए, परमेश्वर को अपना पूरा प्यार दे दिया। इसलिए इस तरह की प्रतिकूल परिस्थितियों में परमेश्वर ने प्रदर्शन के रूप में महान लाल अजगर के देश का उपयोग करते हुए, विश्व में अपने कार्य का दायरा संकुचित कर दिया है। वह अपनी समस्त ऊर्जा और अपने प्रयासों को एक ही स्थान पर केंद्रित कर रहा है। यह अधिक अनुकूल परिणाम देगा और उसके गवाहों के लिए अधिक लाभदायक होगा। इन दो स्थितियों के अन्तर्गत परमेश्वर ने सम्पूर्ण विश्व के अपने कार्य को मुख्य भूमि चीन के सबसे कमज़ोर क्षमता वाले लोगों में स्थानांतरित कर दिया और विजय का अपना प्यारा कार्य शुरू किया ताकि इन लोगों के उसे प्यार करने योग्य हो जाने के बाद, वह अपने कार्य के अगले चरण को कार्यान्वित कर सके। यह परमेश्वर की योजना है। उसके कार्य का फल इस तरह से महानतम होगा। उसके कार्य का दायरा केन्द्रित और निहित है। यह स्पष्ट है कि परमेश्वर ने हम पर अपना कार्य पूरा करने के लिए कितना मूल्य चुकाया है और उसने कितने प्रयास किए हैं, तब जाकर हमारा दिन आया है। यह हमारे लिए आशीर्वाद है। अच्छे स्थान पर पैदा होने के कारण पाश्चात्य लोग हमसे ईर्ष्या करते हैं, इसलिए यह मानवीय अवधारणाओं के अनुरूप नहीं है। लेकिन हम सभी अपने आप को दीन-हीन और निम्न के रूप में देखते हैं। क्या यह परमेश्वर द्वारा हमारा उत्थान करना नहीं है? बड़े लाल अजगर के वंशज, जिन्हें हमेशा कुचला गया है, पाश्चात्य लोगों द्वारा आदर के साथ देखे जाते हैं—यह सच में हमारा आशीर्वाद है। जब मैं इस बारे में सोचता हूँ, तो मैं परमेश्वर की दया के, उसकी प्रीति और घनिष्ठता के वशीभूत हो जाता हूँ। इससे यह देखा जा सकता है कि परमेश्वर जो करता है वह सब मानवीय अवधारणाओं के अनुरूप नहीं है, और यद्यपि ये सभी लोग शापित हैं, किन्तु वह कानून की बाध्यताओं के अधीन नहीं है और उसने जानबूझकर पृथ्वी के इस भाग के आसपास अपना कार्य केंद्रित किया है। यही कारण है कि मैं आनन्दित हूँ, असीम सुख महसूस करता हूँ। किसी ऐसे व्यक्ति के रूप में जो कार्य में प्रमुख भूमिका निभाता है, इस्राएलियों के बीच मुख्य पादरियों की तरह, मैं सीधे पवित्रात्मा के कार्य को पूरा करने और सीधे परमेश्वर के आत्मा का कार्य करने में सक्षम हूँ; यह मेरा आशीर्वाद है। इस तरह की बात सोचने की हिम्मत कौन करेगा? किन्तु आज, यह अप्रत्याशित रूप से हम पर आ गया है। यह वास्तव में एक बहुत बड़ा आनन्द है जो हमारे लिए उत्सव के योग्य है। मुझे आशा है कि परमेश्वर हमें आशीर्वाद देना और हमें ऊपर उठाना जारी रखेगा ताकि हम में से जो कीचड़ में धँसे हैं उन्हें परमेश्वर द्वारा महान उपयोग में लाया जा सके, और हमें उसका प्यार चुकाने का अवसर मिल सके।
परमेश्वर के प्रेम का प्रतिदान वह मार्ग है जिस पर मैं अब चल रहा हूँ, लेकिन मुझे महसूस होता ह�� कि यह परमेश्वर की इच्छा नहीं है, न ही यह वह मार्ग है जिस पर मुझे चलना चाहिए। मेरे लिए परमेश्वर की इच्छा है कि उसके द्वारा मेरा महान उपयोग किया जाए—यह पवित्र आत्मा का मार्ग है। शायद मुझसे भूल हुई है। मुझे लगता है कि यही वह रास्ता है जिस पर मैं चल रहा हूँ, क्योंकि मैंने परमेश्वर के साथ अपना संकल्प बहुत समय पहले स्थापित कर लिया था। मैं परमेश्वर द्वारा मार्गदर्शन किए जाने के लिए तैयार हूँ ताकि मैं यथाशीघ्र उस मार्ग पर आ सकूँ जिस पर मुझे होना चाहिए, और यथाशीघ्र परमेश्वर की इच्छा को पूरा करूँ। इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता है कि दूसरे लोग क्या सोच सकते हैं, मेरा मानना ​​है कि परमेश्वर की इच्छा पूरी करना अत्यंत महत्वपूर्ण है और यह मेरी जिंदगी का सबसे महत्वपूर्ण कार्य है। मुझे इस अधिकार से कोई भी वंचित कर सकता है—यह मेरा व्यक्तिगत दृष्टिकोण है, और शायद कुछ ऐसे भी लोग हैं जो इसे समझ न सकें, लेकिन मेरा मानना ​​है कि मुझे इसे सही साबित करने की आवश्यकता नहीं है। मैं वही मार्ग लूँगा जो मुझे लेना चाहिए—एक बार जब मैं उस मार्ग को पहचान लूँ जिस पर मुझे चलना चाहिए तब मैं इसे ले ही लूँगा और पीछे नहीं हटूँगा। इस लिए मैं इन वचनों पर वापस आता हूँ: मैं परमेश्वर की इच्छा को पूरा करने पर अपने मन को लगा देता हूँ। मुझे आशा है कि मेरे भाई और बहनें मेरी आलोचना नहीं करेंगे! कुल मिलाकर, जैसा कि मैं व्यक्तिगत रूप से देखता हूँ, अन्य लोग जो चाहें कह सकते हैं, लेकिन मुझे लगता है कि परमेश्वर की इच्छा को पूरा करना महत्वपूर्ण है और मुझे इसके आस-पास की बाधाओं के अधीन नहीं होना चाहिए। जब मैं उसकी इच्छा पूरी करता हूँ, तब मैं गलती नहीं कर सकता हूँ, और ऐसा करने की योजना अपने हितों के आधार पर नहीं बनायी जा सकती है! मेरा मानना ​​है कि परमेश्वर ने मेरे हृदय के अंदर देख लिया है! तो तुम्हें इसे कैसे समझना चाहिए? क्या तुम स्वयं को परमेश्वर के लिए अर्पित करने के इच्छुक हो? क्या तुम परमेश्वर के उपयोग में आने के इच्छुक हो? क्या परमेश्वर की इच्छा पूरी करने का तुम्हारा संकल्प है? मुझे आशा है कि मेरे सभी भाई और बहनें मेरे वचनों से कुछ मात्रा में सहायता प्राप्त करने में सक्षम हैं। यद्यपि मेरा अपना दृष्टिकोण बहुत सतही है, तब भी मैं वह कहता हूँ जो मैं कह सकता हूँ ताकि हम सभी सभी बाधाओं से मुक्त होकर स्वच्छंद एवं आंतरिक बातचीत कर सकें, ताकि परमेश्वर हमेशा के लिए हमारे बीच बना रहे। ये मेरे हृदय के वचन हैं। ठीक है! यह सब दिल की गहराइयों से निकली बातें थीं। आज के लिए बस इतना ही। मुझे आशा है कि मेरे भाई और बहनें कड़ी मेहनत करना जारी रखेंगे, और मुझे आशा है कि परमेश्वर का आत्मा हमेशा हमारी देखभाल करता है!
                    से: सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया-वचन देह में प्रकट होता है
सम्बन्धित पठन: प्रश्न 38: हाल के वर्षों में, धार्मिक संसार में विभिन्न मत और संप्रदाय अधिक से अधिक निराशाजनक हो गए हैं, लोगों ने अपना मूल विश्वास और प्यार खो दिया है और वे अधिक से अधिक नकारात्मक और कमज़ोर बन गए हैं। हम उत्साह का मुरझाना भी देखते हैं और हमें लगता है कि हमारे पास प्रचार करने के लिए कुछ नहीं है और हम सभी ने पवित्र आत्मा के कार्य को खो दिया है। कृपया हमें बताओ, पूरी धार्मिक दुनिया इतनी निराशाजनक क्यों है? क्या परमेश्वर वास्तव में इस दुनिया से नफरत करता है और क्या उसने इसे त्याग दिया है? हमें 'प्रकाशित वाक्य' पुस्तक में धार्मिक दुनिया के प्रति परमेश्वर के शाप को कैसे समझना चाहिए?
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