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#यूरिक एसिड बढ़ने के लक्षण
cryptoguys657 · 2 years
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यूरिक एसिड क्या है, इसके बढ़ने के लक्षण, और सही इलाज
क्या आपने कभी महसूस किया है कि आपकी माता, पिता या घर के किसी बुजुर्ग के जोड़ों में दर्द की शिकायत रहती है? या उनके पैरों की उंगलियों, एड़ियों और घुटनों में दर्द और सूजन रहती है? या फिर वे गठिया के शिकार हैं ? तो सतर्क हो जाएँ ये सभी लक्षण उनके शरीर में … The post यूरिक एसिड क्या है, इसके बढ़ने के लक्षण, और सही इलाज appeared first on Credihealth Blog. #यरक #एसड #कय #ह #इसक #बढन #क #लकषण #और #सह #इलज
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gamekai · 2 years
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यूरिक एसिड क्या है, इसके बढ़ने के लक्षण, और सही इलाज
क्या आपने कभी महसूस किया है कि आपकी माता, पिता या घर के किसी बुजुर्ग के जोड़ों में दर्द की शिकायत रहती है? या उनके पैरों की उंगलियों, एड़ियों और घुटनों में दर्द और सूजन रहती है? या फिर वे गठिया के शिकार हैं ? तो सतर्क हो जाएँ ये सभी लक्षण उनके शरीर में … The post यूरिक एसिड क्या है, इसके बढ़ने के लक्षण, और सही इलाज appeared first on Credihealth Blog. “title_words_as_hashtags
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cryptosecrets · 2 years
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यूरिक एसिड क्या है, इसके बढ़ने के लक्षण, और सही इलाज
क्या आपने कभी महसूस किया है कि आपकी माता, पिता या घर के किसी बुजुर्ग के जोड़ों में दर्द की शिकायत रहती है? या उनके पैरों की उंगलियों, एड़ियों और घुटनों में दर्द और सूजन रहती है? या फिर वे गठिया के शिकार हैं ? तो सतर्क हो जाएँ ये सभी लक्षण उनके शरीर में … The post यूरिक एसिड क्या है, इसके बढ़ने के लक्षण, और सही इलाज appeared first on Credihealth Blog. #यरक #एसड #कय #ह #इसक #बढन #क #लकषण #और #सह #इलज
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credihealth01 · 2 years
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rudrjobdesk · 2 years
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यूरिक एसिड बढ़ने पर ना खाएं ये दालें, एक्सपर्ट ने बताए कारण, लक्षण
यूरिक एसिड बढ़ने पर ना खाएं ये दालें, एक्सपर्ट ने बताए कारण, लक्षण
Uric Acid Problem: आमतौर पर हमारा शरीर किडनी की सहायता से यूरिक एसिड को फिल्टर करता है, जो कि मूत्र के साथ शरीर से बाहर निकल जाता है. यदि आप भी अपने भोजन में बहुत अधिक प्यूरिन का सेवन कर रहे हैं या आपका शरीर इस यूरिक एसिड को उचित मात्रा में शरीर से बाहर निकाल पाने में असमर्थ है, तो ऐसी स्थिति में शरीर में इसकी मात्रा बढ़ने लगती है और ब्लड में यूरिक एसिड जमा होने लगता है. यदि यूरिक एसिड का लेवल…
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viral-state-news · 2 years
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यूरिक एसिड बढ़ने पर ना खाएं ये दालें, एक्सपर्ट ने बताए कारण, लक्षण
यूरिक एसिड बढ़ने पर ना खाएं ये दालें, एक्सपर्ट ने बताए कारण, लक्षण
यूरिक एसिड की समस्या : आमतौर पर हमारा शरीर किडनी की मदद से यूरिक एसिड को फिल्टर करता है, जो यूरिन के साथ शरीर से बाहर निकल जाता है। यदि आप भी अपने भोजन के माध्यम से बहुत अधिक प्यूरीन प्राप्त करते हैं या आपका शरीर इस यूरिक एसिड को शरीर से सही मात्रा में नहीं निकाल पाता है, तो ऐसी स्थिति में शरीर में मात्रा बढ़ने लगती है और रक्त में यूरिक एसिड गिर जाता है। बंद। होना। जब यूरिक एसिड का स्तर बहुत अधिक…
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kalrasworld · 3 years
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आज के समय में यूरिक एसिड की मात्रा का शरीर में बढ़ना एक आम बात हो गई है । सामान्यत यूरिक एसिड यूरिन के साथ शरीर से बाहर निकल जाता है लेकिन कभी कभी यह शरीर में ही जमा होकर बढ़ने लगता है। जिसकी वजह से पैरों के जोड़ों में दर्द, सूजन उत्पन्न हो जाती है, अंगुलियों में तीव्र दर्द का अहसास हो तो जल्द से जल्द चिकित्सक से सलाह ले लेना चाहिए । नहीं तो यह एक गम्भीर रोग का कारण बन सकता है।
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kisansatta · 4 years
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घुटनो के दर्द को कहे अलविदा हमेशा के लिए
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बढ़ती उम्र में घुटनों में दर्द होना एक आम समस्या है, आमतौर पर घुटनों का दर्द गठिया या आर्थराइटिस बीमारी के कारण ही होता है। शरीर के जोड़ों में सूजन उत्पन्न होने पर गठिया रोग होता है या जोड़ों में उपास्थि (कोमल हड्डी) भंग हो जाती है। शरीर के जोड़ ऐसे स्थल होते हैं जहां दो या दो से अधिक हड्डियाँ एक-दूसरे से मिलती है जैसे कि कूल्हे या घुटने। उपास्थि जोड़ों में गद्दे की तरह होती है जो दबाव से उनकी रक्षा करती है और क्रियाकलाप को सहज बनाती है। जब किसी जोड़ में उपास्थि भंग हो जाती है तो आपकी हड्डियाँ एक-दूसरे के साथ रगड़ खाती हैं, इससे दर्द, सूजन और ऐंठन उत्पन्न होती है और यही घुटनों में दर्द का कारण बन जाता है।
घुटनों में दर्द के लक्षण –
घुटनों या जोड़ों में दर्द होने की समस्या को आप इन लक्षणों से पहचान सकते हैं :
चलने, खड़े होने, हिलने-डुलने और यहां तक कि आराम करते समय भी दर्द।
सूजन और क्रेपिटस
चलते समय जोड़ों का लॉक हो जाना
जोड़ों का कड़ापन, खासकर सुबह में या यह पूरे दिन रह सकता है।
मरोड़।
वेस्टिंग और फेसिकुलेशन
शरीर में अकड़न।
घुटनों और जोड़ों में दर्द होना।
घुटनों के दर्द से बचने के उपाय-
रात के समय चना, भिंडी, अरबी, आलू, खीरा, मूली, दही, राजमा इत्यादि का सेवन भूलकर भी नहीं करें।
दही, चावल, ड्राई फ्रूट्स, दाल और पालक बंद कर दें। इनमें प्रोटीन बहुत ज्यादा होता है।
रात को सोते समय दूध या दाल का सेवन करना हानिकारक है। इससे शरीर में ज्यादा मात्रा में यूरिक एसिड जमा होने लगता है। छिलके वाली दालों से पूरी तरह परहेज करें।
नॉन वेज खाने के शौकीन है तो मीट, अंण्डा, मछली का सेवन तुरन्त बंद करें। इसे खाने से यूरिक एसिड तेजी से बढ़ता है।
बेकरी फूड जैसे कि पेस्ट्री, केक, पैनकेक, क्रीम बिस्कुट इत्यादि ना खाएं। ट्रांस फैट से भरपूर खाना यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ाता है।
पानी पीने के नियम भी जरूर फॉलो करना चाहिए। खाना खाते समय पानी न पीएं। पानी, खाने से डेढ़ घण्टे पहले या बाद में ही पीना चाहिए।
यूरिक एसिड की परेशानी से बचने के लिए सोया मिल्क, जंक फूड, चटपटे खाद्य पदार्थ, ठण्डा पेय, तली-भूनी चीजें न खाएं।
गठिया के रोगी को अधिक तापमान पर पकी चीजों का सेवन करने से भी बचना चाहिए। माइक्रोवेव या ग्रिलर में बना खाना जोड़ों को नुकसान पहुंचाता है।
अधिक मात्रा में मीठी चीजें जैसे- चॉकलेट, केक, सॉफ्ट ड्रिंक और मैदे से बनी चीजों को खाने से शरीर में यूरिक एसिड बढ़ जाता है जो गठिया रोग बढ़ने का कारण बन जाता है।
जंक फूड का भी पीठ दर्द से गहरा नाता होता है। अधिकांश जंक फूड शरीर को पर्याप्त पोषण प्रदान नहीं करते। इनके कारण मांसपेशियां जल्दी थक जाती हैं। दूसरी ओर, साबुत अनाज, प्रोटीन युक्त दही और सब्जियों के रूप मांसपेशियों पर सकारात्मक असर डालते हैं।
घुटनों के दर्द से छुटकारा पाने का घरेलू इलाज –
 हल्दी-चूने का लेप लगाए: हल्दी और चूना दर्द को दूर करने में अधिक लाभदायक साबित होते हैं। हल्दी और चुना को मिलाकर सरसों के तेल में थोड़ी देर तक गर्म करे फिर उस लेप को घुटने में लगाकर रखने से घुटनों का दर्द कम होता है!
हल्दी दूध का सेवन घुटनों के दर्द में फायदेमंद: एक ग्लास दूध में एक चम्मच हल्दी के पाउडर को मिलाकर सुबह-शाम कम से कम दो बार पीने से घुटनों के दर्द में लाभ मिलता है। यह जोड़ों का दर्द दूर करने का सबसे कारगर घरेलू इलाज है।
घुटनोँ का दर्द दूर करने में सहायक हैं अदरक:गर्म प्रकृति होने के कारण यह सर्दी जनित दर्द में फायदेमंद है। सांस संबंधी तकलीफ, घुटनों में दर्द, ऐंठन और सूजन होने पर अदरक का सेवन करना लाभकारी होता है।
एलोवेरा से करें घुटनों के दर्द का घरेलू उपचार : जोड़ों के दर्द, चोट लगने, सूजन, घाव एवं त्वचा संबंधी समस्याओं से होने वाले दर्द में ऐलोवेरा का गूदा, हल्दी के साथ हल्का गर्म करके बांधने पर लाभ होता है। घुटनों में दर्द होने पर भी आप इस घरेलू उपाय को आजमा सकते हैं!
अश्वगन्धा एवं सोंठ पाउडर से करें घुटनों के दर्द का उपाय: इसके लिये 40 ग्राम नागौरी अश्वगंध पाउडर, 20 ग्राम सोंठ चूर्ण तथा 40 ग्राम की मात्रा में खाण्ड पाउडर लें। तीनों को अच्छी तरह से मिला लें। जोड़ों एवं घुटनों के दर्द में इस चूर्ण को 3-3 ग्राम मात्रा में सुबह शाम गर्म दूध के साथ लेने से जोड़ों के दर्द में और सूजन में बहुत अच्छा आराम मिलता है। गठिया के घरेलू इलाज के रूप में यह नुस्खा काफी प्रचलित है, कई लोग इसे घुटनों के दर्द की आयुर्वेदिक दवा के रूप में इस्तेम��ल करते हैं।
  https://kisansatta.com/say-goodbye-to-knee-pain-forever/ #SayGoodbyeToKneePainForever Say goodbye to knee pain forever In Focus, Life #InFocus, #Life KISAN SATTA - सच का संकल्प
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indianjadibuti · 5 years
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शिलाजीत हिमालय की पहाड़ियों और चट्टानों पर पाया जाने वाला एक चिपचिपा और लसलसा पदार्थ है जो काले या भूरे रंग का होता है। (Shilajit) शिलाजीत का उपयोग करीब पांच हजार सालों से हर तरह की बीमारियों के इलाज में किया जाता है। आयुर्वेद में शिलाजीत के फायदे और गुणों का अधिक महत्व है। इसमें कई तरह के मिनरल पाये जाते हैं जिस वजह से इसे कई असाध्य रोगों के इलाज में भी इस्तेमाल किया जाता है। शिलाजीत का सेवन पुरुषों में यौन शक्ति बढ़ाता है और बढ़ती उम्र को रोकता है। कहा जाता है कि शिलाजीत की खुराक का हजारों मर्ज की एक दवा के रूप में उपयोग किया जाता है। तो आइये जानते हैं कि शिलाजीत के सेवन से किन बीमारियों से बचा जा सकता है और हमारे स्वास्थ्य को इससे क्या क्या फायदे हैं।
शिलाजीत के फायदे –
1. अल्जाइमर के इलाज में शिलाजीत के फायदे – अल्जाइमर दिमाग से जुड़ी बीमारी है जिसमें यादाश्त, व्यवहार और सोचने-समझने की क्षमता पर असर पड़ता है। अल्जाइमर के लक्षणों के इलाज के लिए वैसे तो कई दवाएं मौजूद हैं लेकिन कुछ रिसर्च यह दावा करते हैं कि शिलाजीतअल्जाइमर से बचाने में काफी उपयोगी है और यह धीरे-धीरे अल्जाइमर के लक्षणों को कम कर देता है। शिलाजीत में फुल्विक एसिड नामक एंटीऑक्सीडेंट पाया जाता है जो न्यूरॉन में अधिक टॉ प्रोटीन जमा होने से रोकता है इससे हमारी यादाश्त की क्षमता बढ़ती है। शोधकर्ताओं का मानना है कि शिलाजीत में मौजूद फुल्विक एसिड असामान्य रूप से टॉ प्रोटीन के निर्माण को रोकता है और सूजन को कम करता है जिससे अल्जाइमर के लक्षण कम होने लगते हैं।
2. शिलाजीत के फायदे से बढ़ाएं टेस्टोस्टेरोन के स्तर को – टेस्टोस्टीरॉन पुरुषों में पाया जाने वाला सेक्स हार्मोन है। लेकिन कुछ पुरुषों में इस हार्मोन का स्तर काफी कम होता है। इसकी वजह से सेक्स की इच्छा में कमी, बाल झड़ना, थकान और मोटापा बढ़ने लगता है। पैंतालिस से पचपन साल की उम्र के कुछ पुरूषों पर एक स्टडी की गई जिसमें आधे पुरुषों को प्लेसिबो दवा और आधे को दिन में दो बार 250 मिलीग्राम शिलाजीत की खुराक दी गई। स्टडी में पाया गया कि लगभग तीन महिने में शिलाजीत की खुराक लेने वाले पुरुषों के टेस्टोस्टीरॉन का लेवल बढ़ चुका था।
3. शिलाजीत के लाभ थकान दूर करें – क्रोनिक फॉटिग सिंड्रोम (सीएफएस) एक ऐसी बीमारी है जिसमें व्यक्ति को काफी लंबे समय तक थकान और सुस्ती का अनुभव होता है। सीएफएस से पीड़ित व्यक्ति किसी भी काम को एक्टिव होकर नहीं कर पाता है। शोधकर्ताओं का मानना है कि शिलाजीत की खुराक सीएफएस के लक्षणों को दूर कर एनर्जी स्टोर करने में मदद करती है। सीएफएस शरीर में कोशिकाओं को पर्याप्त ऊर्जा उत्पन्न करने से रोकता है जिससे की माइटोकांड्रिया की कार्यक्षमता प्रभावित होने लगती है। शिलाजीत माइटोकांड्रिया के कार्यक्षमता को मजबूत करने में मदद प्रदान करता है जिससे शरीर में एनर्जी फिर से स्टोर होने लगती है और थकान की समस्या दूर हो जाती है।
4. शिलाजीत के फायदे बढ़ती उम्र का असर करे कम – चूंकि शिलाजीत में पर्याप्त मात्रा में फुल्विक एसिड, एंटीऑक्सीडेंट और एंटी इंफ्लैमेटरी गुण मौजूद होते हैं। इसलिए यह फ्री रेडिकल से हमारी रक्षा करता है और कोशिकाओं को टूटने से बचाता है। शिलाजीत का नियमित सेवन करने से आप बिल्कुल स्वस्थ रहते हैं और यह बुढ़ापे को रोकता है जिससे आप हमेशा जवान दिखते हैं।
5. एनीमिया होने से बचाता है शिलाजीत का सेवन – शरीर को पर्याप्त मात्रा में आयरन न मिलने से खून की कमी हो जाती है। इसकी वजह से थकान, कमजोरी, सिरदर्द, हृदय की गति बढ़ना और हाथ पैर ठंडे पड़ जाते हैं। शिलाजीत की खुराक लेने से शरीर में धीरे-धीरे आयरन की कमी पूरी होने लगती है। यह रेड ब्लड सेल्स की संख्या को बढ़ाता है जिससे एनीमिया की समस्या अपने आप खत्म हो जाती है।
6. शिलाजीत का सेवन बांझपन दूर करता है – पुरुषों में शिलाजीत बांझपन की समस्या को दूर करने में काफी उपयोगी साबित होता है। बांझपन की समस्या से ग्रस्त 60 पुरुषों पर एक स्टडी की गई, जिसमें उन्हें तीन महीनों तक भोजन के बाद दिन में दो बार शिलाजीत की खुराक दी गई। तीन महीने बाद स्टडी में शामिल साठ प्रतिशत पुरुषों के स्पर्म में वृद्धि हो गई।
7. शिलाजीत के फायदे हृदय को रखे मजबूत – नियमित शिलाजीत का सेवन करने से हृदय मजबूत रहता है और हृदय रोगों का खतरा कम हो जाता है। प्रयोगशाला में कुछ चूहों पर किए गए परीक्षण में पाया गया है कि शिलाजीत का रोजाना सेवन करने से हृदय की बीमारियों से छुटकारा मिल जाता है।
शिलाजीत के नुकसान (साइड इफ़ेक्ट )-
अधिकतर शिलाजीत का प्रयोग आयुर्वेदिक औषधि के रूप में किया जाता है इसलिए इसके नुकसान (साइड इफेक्ट) बहुत कम होते हैं लेकिन इसका उपयोग सही तरीके और सही मात्रा में न करने पर आपको शिलाजीत के साइड इफेक्ट भी झेलने पड़ सकते हैं।
शिलाजीत का सेवन के साथ दूसरे आयरन सप्लीमेंट लेने पर इसका साइड इफेक्ट हो सकता है क्योंकि शिलाजीत में अधिक मात्रा में आयरन पाया जाता है। इसके साथ अन्य आयरन सप्लीमेंट लेने पर खून में आयरन की मात्रा बहुत ज्यादा हो जाती है। इससे ब्लड प्रेशर की समस्या हो सकती है।
कभी-कभी शिलाजीत के सेवन से एलर्जी की भी समस्या उत्पन्न हो जाती है। इसलिए यदि आपको खुजली और मिचली का अनुभव हो या हृदय की धड़कन की गति बढ़ जाए तो शिलाजीत के सेवन को तुरंत बंद कर देना चाहिए। हालांकि इस तरह के साइड इफेक्ट कम ही देखने को मिलते हैं।
अगर आप पहले से कोई दवा खा रहे हों तो शिलाजीत का सेवन करने से पहले डॉक्टर से परामर्श ले लें, अन्यथा शिलाजीत का सेवन का साइड इफेक्ट हो सकता है।
शिलाजीत का अधिक मात्रा में सेवन करने पर यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ जाती है जिससे पित्त में परेशानी पैदा हो सकती है। हालांकि ऐसी समस्या शिलाजीत की अधिक खुराक लेने पर ही उत्पन्न होती है।
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lifeatexp · 4 years
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 यूरिक एसिड के स्तर को कम करते हैं  यह  खाद्य पदार्थ । uric acid effect solution tips  मानव शरीर में रक्त, रसायन और पदार्थों का संतुलन होता है, जब तक ये पदार्थ शरीर में संतुलित रहते हैं, तब तक मानव स्वास्थ्य बना रहता है और जब वे बदलने लगते हैं या शरीर में किसी चीज की कमी या वृद्धि होने लगती है।  तो तरह-तरह की बीमारियाँ पैदा होने लगती हैं।  यूरिक एसिड ( uric acid ) भी मानव शरीर में सबसे महत्वपूर्ण पदार्थों और रसायनों में से एक है। यह वास्तव में एक प्रकार का एसिड है जो मानव शरीर में रक्त और मूत्र में परिसंचारी में पाया जाता है।  ओवरडोज कई बीमारियों को जन्म दे सकता है, सबसे विशेष रूप से जोड़ों का दर्द।  यूरिक एसिड महिलाओं की तुलना में पुरुषों में अधिक पाया जाता है। जोड़ों और गठिया के दर्द के अलावा, यह गठिया जैसी बीमारी का कारण बनता है जिसमें रोगी दर्द के साथ-साथ मानसिक भ्रम से ग्रस्त होता है।  गाउट क्या है?  इसे दवा की भाषा में गाउट और आधुनिक चिकित्सा की भाषा में गाउट कहा जाता है। यह पैर के दर्द के लिए एक नाम है।  एक प्रकार का गंभीर दर्द जो पैर और टखनों में होता है। इससे हाथ या पैर में सूजन भी हो जाती है। इसे गठिया और जोड़ों का दर्द भी कहा जाता है। इस बीमारी का मुख्य कारण यूरिक एसिड में वृद्धि है।  उच्च यूरिक एसिड के स्तर का नुकसान  वैसे, यह जोड़ों में दर्द का कारण बनता है और शरीर में बेचैनी का कारण भी बनता है।  इससे प्रभावित व्यक्ति की भूख कम हो जाती है और उसे बार-बार चक्कर आने लगते हैं।  नींद की कमी होती है, पाचन तंत्र गंभीर रूप से प्रभावित होता है, और लगातार पेशाब कम मात्रा में होता है।  यह भी मूत्राशय की पथरी का कारण है और यह गुर्दे में सूजन को भी बढ़ाता है और प्रभावित व्यक्ति को चिड़चिड़ा बनाता है।  यूरिक एसिड में वृद्धि से लगातार बुखार भी होता है जिसमें बुखार कभी-कभी बढ़ जाता है और कभी-कभी गिर जाता है।  आधुनिक चिकित्सा अनुसंधान के अनुसार, शरीर में यूरिक एसिड में वृद्धि या चयापचय सिंड्रोम का एक हिस्सा है। यूरिक एसिड में वृद्धि से गुर्दे की विफलता का खतरा तीन गुना बढ़ जाता है।  यूरिक एसिड के स्तर में वृद्धि से दिल का दौरा और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है।  कैंसर में, रक्त में मात्रा बहुत अधिक होती है, इसलिए यह मूत्र में भी उत्सर्जित होता है।  गुर्दे शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालते हैं, जैसे रक्त से विषाक्त पदार्थ और अतिरिक्त लवण। जैसा कि यूरिक एसिड बनाता है, गुर्दे और मूत्राशय में पत्थर बनते हैं, जो अपशिष्ट उत्पादों के उत्सर्जन को रोकते हैं।  शरीर में ऊंचा यूरिक एसिड का स्तर भी त्वचा को प्रभावित करता है और सोरायसिस जैसी बीमारी त्वचा पर दिखाई देने लगती है।  यूरिक एसिड बढ़ने के लक्षण  शरीर के जोड़ों में बार-बार दर्द होना।  शरीर के विभिन्न भागों पर गांठ।  उंगलियों की सूजन, विशेष रूप से पैर की उंगलियों।  लगातार पेशाब आना  लगातार बुखार रहना।  मतली और प्रकृति का भारीपन।  चिड़चिड़ापन बढ़ गया।  यूरिक एसिड का स्तर  रेड मीट का अत्यधिक सेवन।  घटिया घी और तेल में पकाया गया भोजन  ड्रग्स और ड्रग्स, विशेष रूप से शराब और तंबाकू।  अधिक वसा युक्त दूध का सेवन करें।  खाद्य पदार्थ जो शरीर में यूरिक एसिड का स्तर कम करते हैं  केला  केले में प्राकृतिक तत्व होते हैं जो मानव शरीर में यूरिक एसिड के स्तर को कम करने की क्षमता रखते हैं। केला शरीर में गठिया के गठन को रोकता है और गठिया से पीड़ित लोगों के लिए सबसे अच्छा भोजन है।  एक दिन में आठ से नौ केले खाने से बहुत मदद मिलती है।  नींबू  यूरिक एसिड के स्तर को नियंत्रित करने के लिए विटामिन सी सबसे अच्छा तरीका है और नींबू एक ऐसा फल है जो विटामिन सी से भरपूर होता है।  उच्च यूरिक एसिड के मामले में नींबू का अत्यधिक सेवन चमत्कारिक रूप से गठिया और गाउट से राहत दिलाता है। गुनगुने पानी में नींबू का रस मिलाकर पीने से यूरिक एसिड त्वचा पर नियंत्रण होता है।  सेब  सेब में बड़ी मात्रा में मैलिक एसिड होता है और यह एसिड स्वाभाविक रूप से यूरिक एसिड के प्रभावों को बेअसर करता है और इससे होने वाली बीमारियों से छुटकारा दिलाता है - सर्वोत्तम लाभ प्राप्त करने के लिए दिन में एक सेब खाना आवश्यक है।  ।  चेरी  चेरी में एंथोसायनिन होता है, जो सूजन के लिए प्रतिरोधी है - चेरी न केवल यूरिक एसिड के स्तर को बढ़ने से रोकती है, बल्कि शरीर में विभिन्न रसायनों के मिश्रण को नुकसान से भी बचाती है।  दिन में तीन से चार चेरी खाना बहुत उपयोगी है।  गाजर  यूरिक एसिड को नियंत्रित करने में फाइबर का जादुई प्रभाव होता है। शरीर में यूरिक एसिड के स्तर को नियंत्रित करने के लिए फाइबर में उच्च खाद्य पदार्थों का उपयोग करना।  गाजर एक ऐसी सब्जी है जिसमें फाइबर होता है और इसका उपयोग शरीर में यूरिक एसिड के स्तर को बनाए रखता है और जोड़ों के दर्द में उपयोगी होता है।
http://www.lifeatexp.site/2020/06/uric-acid.html
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khabaruttarakhandki · 4 years
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यूरिक एसिड के कारण लक्षण और उपाय …
यूरिक एसिड के कारण लक्षण और उपाय
यूरिक एसिड होता क्या है?
पहले हमें यह जानना बहुत जरूरी है कि यूरिक एसिड होता क्या है  यूरिक एसिड शरीर में बनने वाला एक ऐसा रसायन होता है जो हमारी पाचन क्रिया के मध्य प्रोटीन के टूटने से बनता है मूसली यूरिक एसिड खून में घोलकर किडनी तक पहुंचता है और वह वहां जाकर वहां की सफाई करता है तथा टॉयलेट के जरिए शरीर से बाहर निकल जाता है बहुत बार ऐसा भी होता है कि यूरिक एसिड  ज्यादा बनने लगता है  तथा वह फिल्टर होकर के शरीर से बाहर नहीं निकल पाता है तथा वह सही के अंदर ही जमा होता रहता है यह  किसी के जमा होने की स्थिति में यह शरीर में किडनी में पथरी की तरह बढ़ता रहता है  यह कई बार आंशिक शारीरिक सक्रियता अधिक मात्रा में नॉनवेज खाने तथा शरीर में यूरिक एसिड बढ़ने की आशंका से होते हैं ऐसे में शुरुआती वक्त में तो पहचान हो जाने पर इस को रोका जा सकता है अगर नहीं रुकते तो इससे शरीर को नुकसान भी होने लगता है इसके लिए हम इसकी जांच भी करवा सकते हैं जांच करवाने से हमें पता चलता है कि हमारे शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा कैसी है
यूरिक एसिड के कारण
हमारे शरीर में यूरिक एसिड का बढ़ाना मोटापा तथा उच्च रक्तचाप को बढ़ाने के साथ-साथ शुगर और हृदय रोगों की भी बढ़ा देता है मूर्ति रिसर्च कहती है कि सामान्य लोगों की अपेक्षा जिन लोगों का यूरिक एसिड अधिक बनता है उनमें टाइप में डायबिटीज होने की ज्यादा आशंका होती है और उन्हें गठिया जोड़ों के दर्द सूजन आ जाती है आमतौर पर रखने में सूजन व दर्द का कारण मुश्किल से चलकर पाना यह सब इसी के कारण ही होता है  इसमें जोड़ों में लालिमा आ जाती है गर्माहट वह दर्द होने लगता है त्वचा पर काले धब्बे भी कई बार देखने को मिलते हैं जवान लोगों में इसका मुख्य कारण अधिक मात्रा में नॉनवेज का खाना तथा शरीर में प्रोटीन की मात्रा का बढ़ना और ज्यादा शराब का या अल्कोहल का सेवन कर लेने से होता है यूरिक एसिड बहुत अधिक बढ़ने पर बड़ा बुरा असर दिखाई देने लगता है किडनी पर इसका ज्यादा प्रभाव पड़ता है कई बार इसके नुकसान से बहुत ज्यादा तकलीफ होती है यूरिक एसिड से हाइपरटेंशन भी बढ़ता है  यूरिक एसिड बढ़ने पर यह जरूरी हो जाता है कि हम अपने वजन को नियंत्रण में रखें मोटापे की स्थिति में जो हमारे शरीर में उत्पन्न वसा ऊतक होते हैं उनको यूरिक एसिड का निर्माण बढ़ा देते हैं रेडमी पोल्ट्री प्रोडक्ट्स तथा मछली का सेवन सीमित ही करें बहुत ज्यादा ना करें  सागर शाकाहारी भोजन का ज्यादा से ज्यादा प्रयोग करें दूध से बने डेहरी प्रोडक्ट आप ले सकते हैं लो फैट दूध लेना ज्यादा अच्छा रहेगा मशरूम पालक तथा हर शहर की दाल का सेवन कम करें क्योंकि इन सब चीजों में प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है अल्कोहल का इस्तेमाल बिल्कुल भी ना करें अधिक फाइबर वाली चीजें खाएं फाइबर युक्त चीजों में यूरिक एसिड को अवशोषित कर लेता है तथा ऐसे शरीर से बाहर निकालने में मदद करता है और ब्रोकली आदि खा सकते हैं विटामिन सी युक्त प्रोडक्ट से भी इनको फायदा होता है पेशाब के रास्ते इसमें से यूरिक एसिड को निकालने की क्षमता अधिक होती है वनस्पति घी की बजाय खाना पकाने में जैतून के तेल का इस्तेमाल कर सकते हैं जैतून के तेल में शरीर में अतिरिक्त यूरिक एसिड के निर्माण को रोकने की ताकत होती है एंटी ऑक्सीडेंट से भरपूर फल व सब्जियां खाएं लाल शिमला मिर्च टमाटर जो विटामिन से भरपूर होते हैं|
यूरिक एसिड के लक्षण
जब शरीर में उठने बैठने में परेशानी हो हर समय थकान बनी रहे यह यूरिक एसिड के बढ़ने के लक्षण हो सकते हैं इसमें हाथों तथा पैरों की उंगलियों में चुभने वाला दर्द होता है जो कभी कभी बहुत असहनीय हो जाता है तो समझ लेना चाहिए कि शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा अधिक हो गई है  इसका पता हम जांच के द्वारा भी लगा सकते हैं  यूरिक एसिड  को कम करने के उपाय है  यूरिक एसिड को कम करने के लिए हम इन अपना उपायों को अपना करके इसे कम कर सकते हैं इसके लिए सबसे पहले हम एक चम्मच सेब के सिरके को एक गिलास पानी में डाल लें अब इस मिश्रण को पूरे दिन में दो से तीन बार पिएं  इसका सेवन तब तक करें जब तक इस समस्या से आपको छुटकारा ना मिल जाए इसके अलावा  आप नींबू के जूस को एक गिलास गर्म पानी में निचोड़ लें फिर इसे सुबह सुबह खाली पेट पी है इस उपाय से कुछ हफ्ते तक जारी रखें इससे आपको आराम मिलेगा इसके अलावा आफ विटामिन सी की सप्लीमेंट्री की ले सकते हैं लेकिन सेवन करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह जरूर कर लें|
यूरिक एसिड को कम करने के उपाय
इसके बाद आप चेरी चेरी में केमिकल्स होते हैं जो यूरिक एसिड को कम करने की मदद करते हैं साथ ही साथ बैंगनी और नीले रंग की बेरी नाम में लोगों ने नामक तत्व होता है जो यूरिक एसिड को कम करता है साथ ही साथ अकड़न और सूजन को भी कंट्रोल करता है  कुछ हफ्तों तक एक या आधा कप चेरी रोजाना खाएं इससे भी आपको आराम मिलेगा तथा इसके अलावा आप एक या दो कप सीरीज उसको भी चार हफ्तों तक पी सकते हैं साथ ही साथ आफ स्ट्रौबरी टमाटर वेलपेपर ब्लूबेरी विटामिन सी एंटी ऑक्सीडेंट फल सब्जियों को भी अपने आहार में शामिल कर सकते हैं तीसरा उपाय है बेकिंग सोडा बेकिंग सोडा को बायको नाइट सोडा भी कहा जाता है यह एक यूरिक एसिड को कम स्तर पर करने के लिए रामबाण उपाय है इसमें गाउट में दर्द भी दूर होता है|
बेकिंग सोडा में प्राकृतिक स्तर को बनाए रखने और यूरिक एसिड को भी घुलनशील बना देता है जिससे यूरिक एसिड किडनी द्वारा आसानी से शरीर के बाहर निकल जाता है सबसे पहले एक या  आधा चम्मच सोडा को एक गिलास पानी में मिला लें अब इस मिश्रण को रोज  हर 2 से 4 घंटे बाद पी सकते हैं इसे लगातार दो हफ्तों तक पिए आपको आराम मिलेगा    जिन लोगों को हाई ब्लड प्रेशर की समस्या है तथा जिनकी उम्र 60 साल से अधिक है वह इनमें चरणों का से 1 दिन में 3 बार से अधिक ना करें  सब्जियों को पकाते समय सब्जियों में तेल बटर के इस्तेमाल की बजाय आप कोल्डप्रेस्ड जैतून के तेल का इस्तेमाल कर सकते हैं जैतून के तेल में सोशल फैट होता है जो गर्म करने के बाद भी वैसा वैसा का वैसा ही रहता है  जैतून के तेल के प्रयोग करने से आपके शरीर को भोजन में कोई नुकसान नहीं पहुंचता है
  इसके साथ ही साथ आप रोजाना ज्यादा से ज्यादा पानी पिए जिससे यूरिक एसिड को शरीर से बाहर निकलने में मदद मिलेगी पानी यूरिक एसिड को पतला करता है और किडनी को उत्तेजित करता है जिसके कारण शरीर से यूरिक एसिड मूत्र के माध्यम से बाहर निकल जाता है इसलिए जितना हो सके ज्यादा से ज्यादा पानी पीएं और यूरिक एसिड को अपने शरीर से बाहर निकालने में मदद करें पूरे दिन में आठ से 10 गिलास पानी जरूर पिएं साथ ही साथ कई तरल पदार्थों का भी अपने आहार में शामिल करें जैसे फलों और सब्जियों का जूस इससे आपके शरीर में से यूरिक एसिड को बाहर निकलने में  आसानी होगी खाद्य पदार्थों में जैसे फाइबर से युक्त पदार्थ यूरिक एसिड के स्तर को के अवशेषों को करके शरीर से उन्हें निकालने में मदद करते हैं
आप स्टार्ट वाले कार्बोहाइड्रेट से समृद्ध आहार भी खा सकते हैं इसमें पूरींस की मात्रा भी अधिक होती है साबुत अनाज सेब संतरे चौधरी जैसे आया है जो फाइबर से भरपूर हैं स्टार ची कार्बोहाइड्रेट वाले पदार्थों के सेवन जैसे चावल साबुत अनाज वाला पास्ता साबूदाना आलू और और केला भी आप खा सकते हैं  डेरी प्रोडक्ट मैं आप रोजाना एक से पांच कप मलाईदार दूध पी सकते हैं तथा आप कम वसा वाली दही और अन्य डेयरी प्रोडक्ट का भी इस्तेमाल कर सकते हैं  शराब के सेवन को आप नियंत्रित करें क्योंकि इससे यूरिक एसिड कम करने में दिक्कत होती है रोजाना व्यायाम करें और स्वस्थ वजन बनाए रखें यूरिक एसिड की समस्याओं में संतुलित आहार खाएं जो कार्बोहाइड्रेट में उच्च हो और प्रोटीन में कम हो इरफान कार्बोहाइड्रेट बने हाथ ना खाएं जैसे व्हाइट ब्रेड केक और कैंडी  यह सब सावधानियां बरतने से ���पको जो शरीर में यूरिक एसिड की बढ़ी हुई मात्रा से दूर होने में आसानी होगी |
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gethealthy18-blog · 5 years
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पथरी (किडनी स्टोन) के कारण, लक्षण और घरेलू इलाज – Kidney Stone Symptoms and Home Remedies in Hindi
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पथरी (किडनी स्टोन) के कारण, लक्षण और घरेलू इलाज – Kidney Stone Symptoms and Home Remedies in Hindi
Nripendra Balmiki April 10, 2019
क्या आप जानते हैं, पेट के निचले हिस्से में होने वाला दर्द पथरी की समस्या भी हो सकती है। यह गलत खानपान और अनियंत्रित जीवनशैली का नकारात्मक प्रभाव है। इसे किडनी स्टोन के नाम से जाना जाता है। अगर समय रहते इसका इलाज न करवाया जाए, तो यह समस्या आपके लिए गंभीर साबित हो सकती है।
विषय सूची
इस लेख में हम आपको किडनी स्टोन संबंधी महत्वपूर्ण जानकारी और इससे छुटकारा पाने के सबसे आसान घरेलू उपायों के बारे में बताने जा रहे हैं। आइए, सबसे पहले जानते हैं कि आखिर किडनी स्टोन है क्या?
क्या होता है किडनी स्टोन – What is Kidney Stone in Hindi
किडनी स्टोन को पथरी और नेफ्रोलिथियासिस के रूप में भी जाना जाता है। दरअसल, पथरी एक प्रकार का ठोस अपशिष्ट पदार्थ है, जो किडनी में बनना शुरू होता है और क्रिस्टल के रूप में विकसित होता है।
किडनी स्टोन कई प्रकार के होते हैं, जिनमें से 80 प्रतिशत कैल्शियम और ऑक्सालेट के कारण बनते हैं। वहीं, अन्य स्टोन के बनने का कारण स्ट्रवाइट, यूरिक एसिड व सिस्टीन जैसे पदार्थ होते हैं (1)। किडनी स्टोन आकार में छोटे या बड़े हो सकते हैं।
आमतौर पर छोटी पथरी से ज्यादा समस्या नहीं होती, लेकिन अगर इनका आकार बड़ा है, तो मूत्र प्रणाली में रूकावट हो सकती है। कुछ मामलों में किडनी स्टोन से पीड़ित इंसान अहसनीय दर्द, उल्टी और रक्तस्राव (Bleeding) का सामना करता है।
अध्ययन से पता चलता है कि जिसे एक बार स्टोन की समस्या हो जाए, उसके ठीक होने बाद अगले 10 वर्ष में फिर से यह समस्या हो सकती है (2)। नीचे दिए गए बिंदुओं के माध्यम से पथरी के लक्षणों के बारे में जानते हैं –
पथरी के लक्षण – Symptoms of Kidney Stone in Hindi
पथरी के लक्षणों में निम्नलिखित बिंदु शामिल हैं-
पीठ, बाजू, पेट के निचले हिस्से में तेज दर्द।
गुलाबी, लाल या भूरे रंग का पेशाब आना।
लगातार पेशाब लगना।
पेशाब करते समय दर्द होना।
पेशाब करने में दिक्कत या कम मात्रा में मूत्र निकलना।
बदबूदार मूत्र।
इन लक्षणों का मतलब हो सकता है कि आपको किडनी स्टोन की समस्या हो चुकी है। अगर आपका दर्द ज्यादा समय तक रहता है, तो आपको ये परेशानियां हो सकती हैं –
जी मिचलाना
उल्टी
बुखार
ठंड लगना आदि
पथरी के लक्षण जानने के बाद आगे जानिए किडनी स्टोन के कारणों के बारे में –
पथरी (किडनी स्टोन) के कारण – Causes of Kidney Stone Hindi
किडनी स्टोन नीचे बताए जा रहे कारणों की वजह से हो सकता है (3) –
मूत्र में कैल्शियम, ऑक्सालेट व यूरिक एसिड जैसे पदार्थों का स्तर बढ़ जाने से किडनी स्टोन की समस्या हो सकती है।
किडनी रोग, कैंसर और एचआईवी के इलाज के लिए ली जा रही दवाओं से भी पथरी हो सकती है।
उन चिकित्सीय स्थितियों के कारण भी पथरी विकसित हो सकती है, जो शरीर में कैल्शियम, ऑक्सालेट व यूरिक एसिड का स्तर बढ़ा देते हैं।
किडनी स्टोन का पता लगते ही इसका सटीक इलाज जरूरी है। डॉक्टरी इलाज के अलावा आप पथरी का घरेलू इलाज भी कर सकते हैं। नीचे जानिए पथरी का इलाज कैसे किया जाए –
1. सेब का सिरका
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सामग्री
दो बड़े चम्मच सेब का सिरका
एक गिलास पानी
कैसे करें इस्तेमाल
पानी में सिरका मिलाएं और इसे पिएं।
कितनी बार करें
पथरी का देसी इलाज करने के लिए रोजाना भोजन से पहले सेब के सिरके का सेवन करें। भविष्य में पथरी से बचे रहने के लिए सप्ताह में एक या दो बार सेब के सिरके का पानी पी सकते हैं।
कैसे है लाभदायक
सेब के सिरके को किडनी के लिए सुपरफूड कहा जाता है। यह किडनी को साफ करने का काम करता है (4)। सिरके में मौजूद रासायनिक तत्व पथरी को नरम कर बाहर निकालने का काम कर सकते हैं। सेब के सिरके में मौजूद एसिड भविष्य में किडनी स्टोन को विकसित होने से रोक सकता है। पथरी से निजात पाने का यह सबसे सटीक घरेलू उपाय है।
सावधानी : सेब का सिरका दांत की परत को नुकसान पहुंचा सकता है। इसलिए, इसका सेवन करने से पहले पानी में पतला कर लें। रक्तचाप और डायबिटीज की दवा ले रहे मरीज इसका सेवन न करें।
2. नींबू का रस और-जैतून का तेल
सामग्री
एक बड़ा चम्मच जैतून का तेल
एक बड़ा चम्मच नींबू का रस
60-80 ml पानी
कैसे करें इस्तेमाल
पानी में नींबू का रस और जैतून का तेल मिलाएं।
अब इस मिश्रण को पी लें।
कितनी बार करें
अगर समस्या अधिक है, तो इस मिश्रण को एक दिन में दो से तीन बार ले सकते हैं।
कैसे है लाभदायक
पथरी का इलाज करने के लिए नींबू का उपाय कारगर रहेगा। नींबू के रस में मौजूद सिट��रिक एसिड किडनी स्टोन को बाहर निकालने में मदद कर सकता है। वहीं, ��ैतून तेल की चिकनाई पथरी को मूत्रमार्ग से निकालने में मदद करेगी (5)।
सावधानी : इस उपाय को तीन दिन तक प्रयोग करें, अगर कुछ फायदा नहीं मिलता है, तो डॉक्टर से संपर्क करें।
3. अनार का जूस
सामग्री
1 अनार
कैसे करें इस्तेमाल
सबसे पहले अनार के दानों को बाहर निकाल लें।
अब अनार के दानों को जूसर में डालें। जूस ठीक से बने, इसलिए आप थोड़े पानी का इस्तेमाल कर सकते हैं।
कैसे है लाभदायक
पथरी की दवा के रूप में आप अनार का जूस पी सकते हैं। इसका शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट प्रभाव शरीर को किडनी को डिटॉक्स करने का काम कर सकता है। यह मूत्र प्रणाली को रेगुलेट करने और पेशाब की जलन को कम करने का काम भी कर सकता है।
किडनी के लिए अनार का जूस फायदेमंद है, क्योंकि यह नेफ्रोटोक्सिटी (किडनी में होने वाली विषाक्तता) से बचाव करता है। अनार का नियमित सेवन किडनी स्टोन को बाहर निकालने में मदद कर सकता है (6)।
4. राजमा (किडनी बीन्स)
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सामग्री
एक कप किडनी बीन्स
कैसे करें इस्तेमाल
फली से बीन्स निकाल लें और फली के छोटे-छोटे स्लाइस कर लें।
लगभग 60 ग्राम कटी हुई फली को 4 लीटर पानी में चार घंटे तक उबालें। उबालते समय आंच को धीमा रखें।
अब पानी को मलमल के साफ कपड़े से छान लें और लगभग 8 घंटे के लिए ठंडा होने के लिए रख दें।
अब मरीज को एक गिलास बीन्स की फली का पानी एक दिन के लिए हर दो घंटे के अंतराल में दें। इसके बाद फली का पानी हफ्ते में तीन-चार बार लिया जा सकता है।
नोट : एक बार फली का पानी उबालने के बाद इसका सेवन 24 घंटे के अंदर कर लें।
कैसे है लाभदायक
पथरी का उपचार करने के लिए राजमा का सेवन एक कारगर विकल्प हो सकता है। राजमा जिसे किडनी बीन्स के नाम से भी जाना जाता है, वह स्टोन को निकालने का काम कर सकती है (7)।
5. तुलसी
सामग्री
पांच-छह तुलसी के पत्ते
एक कप गर्म पानी
शहद स्वादानुसार
कैसे करें इस्तेमाल
पत्तियों को 10 मिनट के लिए गर्म पानी में डूबा रहने दें।
स्वादानुसार शहद मिलाएं।
अब आराम से तुलसी की चाय का आनंद लें।
कितनी बार करें
आप एक दिन में दो-तीन कप तुलसी की चाय पी सकते हैं।
कैसे है लाभदायक
पथरी का आयुर्वेदिक उपचार करने के लिए आप तुलसी का सहारा ले सकते हैं। तुलसी को भारतीय जड़ी-बूटियों में विशेष स्थान प्राप्त है। किडनी स्टोन के लिए भी आप इसका सेवन कर सकते हैं। यह एक प्राकृतिक उपाय है, जो आपको पथरी की समस्या से निजात दिलाने का काम करेगा (8)।
6. तरबूज
किडनी स्टोन से निजात पाने के लिए आप तरबूज का सेवन कर सकते हैं। तरबूज एक खास फल है, जिसमें पानी की मात्रा अधिक होती है। तरबूज साइट्रिक एसिड और पोटैशियम तत्व से समृद्ध होता है, जो पथरी को बाहर निकालने का काम कर सकता है। पथरी से पीड़ित मरीज रोजाना तरबूज खा सकते हैं या इसका जूस पी सकते हैं (9), (10)।
7. अंगूर
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गुर्दे की पथरी को ठीक करने के लिए अंगूर का सेवन एक कारगर विकल्प हो सकता है। अंगूर भी साइट्रिक गुणों से समृद्ध होता है और इसमें पानी की मात्रा अधिक होती है (10)। अंगूर को अपने डिटॉक्सीफाइंग गुणों के लिए भी जाना जाता है। किडनी स्टोन से पीड़ित मरीज रोजाना अंगूर का सेवन कर सकते हैं (11)।
8. सिंहपर्णी
सामग्री
एक चम्मच सिंहपर्णी जड़
एक कप गर्म पानी
कैसे करें इस्तेमाल
सिंहपर्णी की जड़ को गर्म पानी में डालें और इसे लगभग 10 मिनट तक पानी में रहने दें।
अब पानी को छान लें और चाय की तरह धीरे-धीरे पिएं।
कितनी बार करें
एक दिन में दो-तीन कप।
कैसे है लाभदायक
पथरी का इलाज करने के लिए सिंहपर्णी की जड़ कारगर रहेगी। सिंहपर्णी की जड़ एंटीइंफ्लेमेटरी गुणों से समृद्ध होती है, जो दर्द-सूजन से राहत दिला सकती है। साथ ही इसमें मौजूद पोटैशियम किडनी स्टोन की स्थिति में आपकी सहायता कर सकता है। सिंहपर्णी मूत्र को बढ़ाने का काम भी करती है (12)।
सावधानी : मधुमेह, उच्च रक्तचाप और गॉल ब्लैडर संबंधी रोग की स्थिति में सिंहपर्णी का यह उपाय न करें।
9. सेलेरी
सामग्री
कच्ची सेलेरी (इतना कि एक कप रस निकल सके)
कैसे करें इस्तेमाल
ब्लेंडर की मदद से सेलेरी का जूस निकालें।
जूस का सेवन सुबह खाली पेट करें।
कितनी बार करें
हफ्ते में तीन बार ले सकते हैं।
कैसे है लाभदायक
सेलेरी का जूस मूत्रवर्धक के रूप में काम करता है, जिससे किडनी स्टोन को बाहर निकालने में मदद मिलेगी। इसमें एंटीबैक्टीरियल गुण भी होता, जो आपको संक्रमण से दूर रखता है (13)।
10. बिच्छू पत्ती
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सामग्री
दो बड़े चम्मच सूखी बिच्छू पत्तियां
एक कप गर्म पानी
कैसे करें इस्तेमाल
सूखी बिच्छू पत्तियों को गर्म पानी में डालें और लगभग 10 मिनट तक पानी में रहने दें।
अब चाय की तरह इसे आराम से पिएं।
कितनी बार करें
एक दिन में 2-3 कप पिएं।
कैसे है लाभदायक
किडनी स्टोन के लिए आप बिच्छू की पत्तियों का उपाय कर सकते हैं। बिच्छू की पत्तियां मूत्रवर्धक का काम करती हैं। साथ ही शरीर के भीतर इलेक्ट्रोलाइट को संतुलित बनाए रखने में मदद करती हैं। मूत्र की मात्रा बढ़ने से पथरी आसानी से बाहर निकल जाती है (14)।
11. नारियल का पानी
किडनी स्टोन के लिए आप नारियल पानी का रोजाना सेवन कर सकते हैं। समस्या के दिनों में दिन में तीन-चार बार नारियल का पानी पिएं। इससे शरीर में मूत्र की मात्रा बढ़ेगी, जिससे पथरी आसानी से बाहर निकल सकती है (15)।
12. बेकिंग सोडा
सामग्री
आधा चम्मच बेकिंग सोडा
एक गिलास गुनगुना पानी
कैसे करें इस्तेमाल
पानी में बेकिंग सोडा मिलाएं और इसे तुरंत पी लें।
कितनी बार करें
दिन में दो से तीन बार पिएं।
कैसे है लाभदायक
बेकिंग सोडे (Sodium Bicarbonate) की क्षारीयता (Alkaline) मूत्र में मौजूद अम्लीय सामग्री (Acidic Content) को कम करने का काम करती है। इस प्रकार पथरी आसानी से पेशाब के रास्ते निकल सकती है (16), (17)। इस अम्लीय सामग्री के कारण ही किडनी स्टोन का निर्माण होता है।
13. शतावरी
किडनी स्टोन के लिए शतावरी एक कारगर विकल्प हो सकता है। आप समस्या के दिनों में शतावरी को अपने दैनिक आहार में स्थान दें। आप शतावरी की सब्जी बनाकर या वेजिटेबल सलाद में डालकर खा सकते हैं। शतावरी में ऐस्पेराजीन नामक तत्व होता है, जो किडनी स्टोन को तोड़ने का काम करता है और पेशाब का उत्पादन बढ़ाता है, जिससे पथरी आसानी से मूत्र के रास्ते निकल जाती है (18)।
14. मूली का जूस
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सामग्री
एक सफेद मूली
कैसे करें इस्तेमाल
मूली के डंठल को हटाकर छोटा-छोटा काट लें।
अब जूसर की मदद से मूली का जूस निकाल लें।
सुबह खाली पेट लगभग 100ml मूली का जूस पिएं।
कितनी बार करें
समस्या के दिनों में रोजाना मूली के जूस का सेवन करें।
कैसे है लाभदायक
मूली एक खास सब्जी है, जो शरीर को डिटॉक्स करने का काम करती है। किडनी स्टोन को बाहर निकालने के लिए इसका रस आपकी मदद कर सकता है। मूली विटामिन-ए, बी, सी, पोटैशियम और डाइजेस्टिव एंजाइम्स से समृद्ध होती है, जो पेशाब व पाचन क्रिया में सुधार करने का काम करती है (19)।
15. हॉर्सटेल
सामग्री
दो-चीन चम्मच हॉर्सटेल
एक कप गर्म पानी
कैसे करें इस्तेमाल
एक कप गर्म पानी में हॉर्सटेल हर्ब को आठ से दस मिनट तक डुबो कर रखें।
अब धीरे-धीरे इसका सेवन करे।
कितनी बार करें
दिन में दो-तीन बार पिएं।
कैसे है लाभदायक
किडनी स्टोन का इलाज करने के लिए आप हॉर्सटेल का सहारा ले सकते हैं। हॉर्सटेल एक प्रभावी जड़ी-बूटी है, जो एंटीऑक्सीडेंट और एंटीइंफ्लेमेटरी गुणों से समृद्ध होती है। इसे यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन के साथ-साथ किडनी और ब्लाडर स्टोन के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है। हॉर्सटेल में मौजूद रसायन इसे एक कारगर मूत्रवर्धक बनाने का काम करते हैं। मूत्र की मात्रा बढ़ने से पथरी आसानी से बाहर निकल सकती है (20)।
पथरी (किडनी स्टोन) से बचाव – Prevention Tips for Kidney Stone in Hindi
भविष्य में किडनी स्टोन से बचे रहने के लिए आप निम्नलिखित टिप्स को जरूर अपनाएं –
हाइड्रेट रहें, पानी पीने की प्रक्रिया दिन भर जानी रखें।
अत्यधिक नमक का सेवन न करें।
ऑक्सालेट एक केमिकल कंपाउंड है, जो बहुत से खाद्य पदार्थों में पाया जाता है। ऑक्सालेट की अत्यधिक मात्रा किडनी स्टोन के निर्माण कर सकती है। इसलिए, जितना हो सके अधिक ऑक्सालेट युक्त खाद्य सामग्री का सेवन न करें। पालक, चॉकलेट, कॉफी, स्वीट पोटैटो व मूंगफली आदि में अधिक ऑक्सालेट पाया जाता है (21)।
एनिमल प्रोटीन जैसे बीफ, पोर्क, फिश व चिकन आदि का सेवन कम करें।
किडनी स्टोन की समस्या उम्र के किसी भी पड़ाव में आपको परेशान कर सकती है। पथरी का होना ज्यादातर भोजन पर निर्भर करता है। भोजन में नमक, एसिड व ऑक्सालेट की मात्रा बढ़ने से पथरी की आशंका बढ़ जाती है। अगर आप भी किडनी स्टोन से पीड़ित हैं, तो लेख में बताए गए किसी भी प्राकृतिक उपाय का चुनाव कर सकते हैं। ध्यान रहे कि आप अपने शरीर के प्रति जितना जागरूक रहेंगे बीमारियां आप से उतना दूर रहेंगी। किडनी स्टोन पर लिखा हमारा यह लेख आपको कैसा लगा, हमें कमेंट बॉक्स में बताना न भूलें।
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Source: https://www.stylecraze.com/hindi/pathri-ke-karan-lakshan-aur-gharelu-ilaj-in-hindi/
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rajatgarg79 · 6 years
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यूरिक एसिड टेस्ट - Uric Acid Blood Test in Hindi
यूरिक एसिड एक केमिकल उत्पादित पदार्थ होता है, जो शरीर द्वारा जैविक यौगिकों वाले खाद्य पदार्थों को तोड़ने पर बनता है। यूरिक एसिड की ज्यादातर मात्रा खून में घुल जाती है, जिसको गुर्दों द्वारा फिल्टर किया जाता है और मूत्र के द्वारा शरीर से बाहर निकाल दिया जाता है। कई बार शरीर अत्याधिक मात्रा में यूरिक एसिड का उत्पादन करने लगता है, जिसको गुर्दे फिल्टर नहीं कर पाते। यूरिक एसिड की अधिक मात्रा शरीर में गाउट (Gout) जैसी समस्या से जुड़ी होती है। गाउट, गठिया का एक रूप होता है, जो जोड़ों में दर्द व सूजन पैदा करता है, खासकर यह पैरों और पैरों की बड़ी उंगलियों में सूजन पैदा करता है।
(और पढ़ें - यूरिक एसिड बढ़ने के लक्षण)
from myUpchar.com के स्वास्थ्य संबंधी लेख via https://www.myupchar.com/tests/uric-acid-blood-test
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khabaruttarakhandki · 4 years
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यूरिक एसिड के कारण लक्षण और उपाय …
यूरिक एसिड के कारण लक्षण और उपाय
यूरिक एसिड होता क्या है?
पहले हमें यह जानना बहुत जरूरी है कि यूरिक एसिड होता क्या है  यूरिक एसिड शरीर में बनने वाला एक ऐसा रसायन होता है जो हमारी पाचन क्रिया के मध्य प्रोटीन के टूटने से बनता है मूसली यूरिक एसिड खून में घोलकर किडनी तक पहुंचता है और वह वहां जाकर वहां की सफाई करता है तथा टॉयलेट के जरिए शरीर से बाहर निकल जाता है बहुत बार ऐसा भी होता है कि यूरिक एसिड  ज्यादा बनने लगता है  तथा वह फिल्टर होकर के शरीर से बाहर नहीं निकल पाता है तथा वह सही के अंदर ही जमा होता रहता है यह  किसी के जमा होने की स्थिति में यह शरीर में किडनी में पथरी की तरह बढ़ता रहता है  यह कई बार आंशिक शारीरिक सक्रियता अधिक मात्रा में नॉनवेज खाने तथा शरीर में यूरिक एसिड बढ़ने की आशंका से होते हैं ऐसे में शुरुआती वक्त में तो पहचान हो जाने पर इस को रोका जा सकता है अगर नहीं रुकते तो इससे शरीर को नुकसान भी होने लगता है इसके लिए हम इसकी जांच भी करवा सकते हैं जांच करवाने से हमें पता चलता है कि हमारे शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा कैसी है
यूरिक एसिड के कारण
हमारे शरीर में यूरिक एसिड का बढ़ाना मोटापा तथा उच्च रक्तचाप को बढ़ाने के साथ-साथ शुगर और हृदय रोगों की भी बढ़ा देता है मूर्ति रिसर्च कहती है कि सामान्य लोगों की अपेक���षा जिन लोगों का यूरिक एसिड अधिक बनता है उनमें टाइप में डायबिटीज होने की ज्यादा आशंका होती है और उन्हें गठिया जोड़ों के दर्द सूजन आ जाती है आमतौर पर रखने में सूजन व दर्द का कारण मुश्किल से चलकर पाना यह सब इसी के कारण ही होता है  इसमें जोड़ों में लालिमा आ जाती है गर्माहट वह दर्द होने लगता है त्वचा पर काले धब्बे भी कई बार देखने को मिलते हैं जवान लोगों में इसका मुख्य कारण अधिक मात्रा में नॉनवेज का खाना तथा शरीर में प्रोटीन की मात्रा का बढ़ना और ज्यादा शराब का या अल्कोहल का सेवन कर लेने से होता है यूरिक एसिड बहुत अधिक बढ़ने पर बड़ा बुरा असर दिखाई देने लगता है किडनी पर इसका ज्यादा प्रभाव पड़ता है कई बार इसके नुकसान से बहुत ज्यादा तकलीफ होती है यूरिक एसिड से हाइपरटेंशन भी बढ़ता है  यूरिक एसिड बढ़ने पर यह जरूरी हो जाता है कि हम अपने वजन को नियंत्रण में रखें मोटापे की स्थिति में जो हमारे शरीर में उत्पन्न वसा ऊतक होते हैं उनको यूरिक एसिड का निर्माण बढ़ा देते हैं रेडमी पोल्ट्री प्रोडक्ट्स तथा मछली का सेवन सीमित ही करें बहुत ज्यादा ना करें  सागर शाकाहारी भोजन का ज्यादा से ज्यादा प्रयोग करें दूध से बने डेहरी प्रोडक्ट आप ले सकते हैं लो फैट दूध लेना ज्यादा अच्छा रहेगा मशरूम पालक तथा हर शहर की दाल का सेवन कम करें क्योंकि इन सब चीजों में प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है अल्कोहल का इस्तेमाल बिल्कुल भी ना करें अधिक फाइबर वाली चीजें खाएं फाइबर युक्त चीजों में यूरिक एसिड को अवशोषित कर लेता है तथा ऐसे शरीर से बाहर निकालने में मदद करता है और ब्रोकली आदि खा सकते हैं विटामिन सी युक्त प्रोडक्ट से भी इनको फायदा होता है पेशाब के रास्ते इसमें से यूरिक एसिड को निकालने की क्षमता अधिक होती है वनस्पति घी की बजाय खाना पकाने में जैतून के तेल का इस्तेमाल कर सकते हैं जैतून के तेल में शरीर में अतिरिक्त यूरिक एसिड के निर्माण को रोकने की ताकत होती है एंटी ऑक्सीडेंट से भरपूर फल व सब्जियां खाएं लाल शिमला मिर्च टमाटर जो विटामिन से भरपूर होते हैं|
यूरिक एसिड के लक्षण
जब शरीर में उठने बैठने में परेशानी हो हर समय थकान बनी रहे यह यूरिक एसिड के बढ़ने के लक्षण हो सकते हैं इसमें हाथों तथा पैरों की उंगलियों में चुभने वाला दर्द होता है जो कभी कभी बहुत असहनीय हो जाता है तो समझ लेना चाहिए कि शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा अधिक हो गई है  इसका पता हम जांच के द्वारा भी लगा सकते हैं  यूरिक एसिड  को कम करने के उपाय है  यूरिक एसिड को कम करने के लिए हम इन अपना उपायों को अपना करके इसे कम कर सकते हैं इसके लिए सबसे पहले हम एक चम्मच सेब के सिरके को एक गिलास पानी में डाल लें अब इस मिश्रण को पूरे दिन में दो से तीन बार पिएं  इसका सेवन तब तक करें जब तक इस समस्या से आपको छुटकारा ना मिल जाए इसके अलावा  आप नींबू के जूस को एक गिलास गर्म पानी में निचोड़ लें फिर इसे सुबह सुबह खाली पेट पी है इस उपाय से कुछ हफ्ते तक जारी रखें इससे आपको आराम मिलेगा इसके अलावा आफ विटामिन सी की सप्लीमेंट्री की ले सकते हैं लेकिन सेवन करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह जरूर कर लें|
यूरिक एसिड को कम करने के उपाय
इसके बाद आप चेरी चेरी में केमिकल्स होते हैं जो यूरिक एसिड को कम करने की मदद करते हैं साथ ही साथ बैंगनी और नीले रंग की बेरी नाम में लोगों ने नामक तत्व होता है जो यूरिक एसिड को कम करता है साथ ही साथ अकड़न और सूजन को भी कंट्रोल करता है  कुछ हफ्तों तक एक या आधा कप चेरी रोजाना खाएं इससे भी आपको आराम मिलेगा तथा इसके अलावा आप एक या दो कप सीरीज उसको भी चार हफ्तों तक पी सकते हैं साथ ही साथ आफ स्ट्रौबरी टमाटर वेलपेपर ब्लूबेरी विटामिन सी एंटी ऑक्सीडेंट फल सब्जियों को भी अपने आहार में शामिल कर सकते हैं तीसरा उपाय है बेकिंग सोडा बेकिंग सोडा को बायको नाइट सोडा भी कहा जाता है यह एक यूरिक एसिड को कम स्तर पर करने के लिए रामबाण उपाय है इसमें गाउट में दर्द भी दूर होता है|
बेकिंग सोडा में प्राकृतिक स्तर को बनाए रखने और यूरिक एसिड को भी घुलनशील बना देता है जिससे यूरिक एसिड किडनी द्वारा आसानी से शरीर के बाहर निकल जाता है सबसे पहले एक या  आधा चम्मच सोडा को एक गिलास पानी में मिला लें अब इस मिश्रण को रोज  हर 2 से 4 घंटे बाद पी सकते हैं इसे लगातार दो हफ्तों तक पिए आपको आराम मिलेगा    जिन लोगों को हाई ब्लड प्रेशर की समस्या है तथा जिनकी उम्र 60 साल से अधिक है वह इनमें चरणों का से 1 दिन में 3 बार से अधिक ना करें  सब्जियों को पकाते समय सब्जियों में तेल बटर के इस्तेमाल की बजाय आप कोल्डप्रेस्ड जैतून के तेल का इस्तेमाल कर सकते हैं जैतून के तेल में सोशल फैट होता है जो गर्म करने के बाद भी वैसा वैसा का वैसा ही रहता है  जैतून के तेल के प्रयोग करने से आपके शरीर को भोजन में कोई नुकसान नहीं पहुंचता है
  इसके साथ ही साथ आप रोजाना ज्यादा से ज्यादा पानी पिए जिससे यूरिक एसिड को शरीर से बाहर निकलने में मदद मिलेगी पानी यूरिक एसिड को पतला करता है और किडनी को उत्तेजित करता है जिसके कारण शरीर से यूरिक एसिड मूत्र के माध्यम से बाहर निकल जाता है इसलिए जितना हो सके ज्यादा से ज्यादा पानी पीएं और यूरिक एसिड को अपने शरीर से बाहर निकालने में मदद करें पूरे दिन में आठ से 10 गिलास पानी जरूर पिएं साथ ही साथ कई तरल पदार्थों का भी अपने आहार में शामिल करें जैसे फलों और सब्जियों का जूस इससे आपके शरीर में से यूरिक एसिड को बाहर निकलने में  आसानी होगी खाद्य पदार्थों में जैसे फाइबर से युक्त पदार्थ यूरिक एसिड के स्तर को के अवशेषों को करके शरीर से उन्हें निकालने में मदद करते हैं
आप स्टार्ट वाले कार्बोहाइड्रेट से समृद्ध आहार भी खा सकते हैं इसमें पूरींस की मात्रा भी अधिक होती है साबुत अनाज सेब संतरे चौधरी जैसे आया है जो फाइबर से भरपूर हैं स्टार ची कार्बोहाइड्रेट वाले पदार्थों के सेवन जैसे चावल साबुत अनाज वाला पास्ता साबूदाना आलू और और केला भी आप खा सकते हैं  डेरी प्रोडक्ट मैं आप रोजाना एक से पांच कप मलाईदार दूध पी सकते हैं तथा आप कम वसा वाली दही और अन्य डेयरी प्रोडक्ट का भी इस्तेमाल कर सकते हैं  शराब के सेवन को आप नियंत्रित करें क्योंकि इससे यूरिक एसिड कम करने में दिक्कत होती है रोजाना व्यायाम करें और स्वस्थ वजन बनाए रखें यूरिक एसिड की समस्याओं में संतुलित आहार खाएं जो कार्बोहाइड्रेट में उच्च हो और प्रोटीन में कम हो इरफान कार्बोहाइड्रेट बने हाथ ना खाएं जैसे व्हाइट ब्रेड केक और कैंडी  यह सब सावधानियां बरतने से आपको जो शरीर में यूरिक एसिड की बढ़ी हुई मात्रा से दूर होने में आसानी होगी |
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गठिया (आर्थराइटिस) के लक्षण, इलाज और घरेलू उपचार – Arthritis Symptoms and Home Remedies in Hindi
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गठिया (आर्थराइटिस) के लक्षण, इलाज और घरेलू उपचार – Arthritis Symptoms and Home Remedies in Hindi
Anuj Joshi April 9, 2019
इस बात से तो आप सहमत ही होंगे कि अब न तो पहले जैसा रहन-सहन रहा है और न ही खानपान। इस कारण से हमारी हड्डियां, जोड़ और मांंसपेशियां कमजोर हो रही हैं। परिणामस्वरूप, गठिया (आर्थराइटिस) का सामना करना पड़ता है। जहां, पहले यह समस्या अमूमन 60 वर्ष के बाद होती थी, वहीं अब युवा भी इसका शिकार हो रहे हैं। गठिया का सबसे ज्यादा असर घुटनों, कूल्हों व हाथों की उंगुलियों पर दिखाई देता है। इस अवस्था में मरीज का चलना-फिरना और उठना-बैठना तक मुश्किल हो जाता है।
विषय सूची
आखिर गठिया रोग क्या है, इससे जुड़े तमाम जवाब आपको इस लेख में मिलेंगे। बेशक, हालात गंभीर होने पर डॉक्टरी उपचार ही काम आता है, लेकिन कुछ ऐसे घरेलू उपचार भी हैं, जो गठिया में फायदेमंद साबित हो सकते हैं। इन घरेलू नुस्खों से आपका दर्द काफी हद तक कम हो सकता है।
क्या है गठिया? – What is Arthritis
हड्डियों के जोड़ों में यूरिक एसिड जमा होने या फिर कैल्शियम की कमी होने पर उनमें सूजन व अकड़न आ जाती है। साथ ही जोड़ों में गांठ, कांटे चुभने जैसा महसूस होता है। साथ ही जोड़ों में मौजूद टिशू भी टूटकर नष्ट होने लगते हैं। इस अवस्था को ही गठिया कहा जाता है। जोड़ उन्हें कहा जाता है, जहां दो हड्डियां आपस में मिलती हैं, जैसे – कोहनियां व घुटने (1)।
गठिया रोग क्या है, यह जानने के बाद आगे पता करते हैं कि गठिया होता क्यों है।
गठिया (आर्थराइटिस) के कारण – Causes of Arthritis Hindi
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गठिया होने के विभिन्न कारण हो सकते हैं, जिनमें से प्रमुख कारणों के बारे में यहां बताया जा रहा है (2):
कार्टिलेज : जोड़ों में कार्टिलेज (एक प्रकार का टिशू) होता है, जो हड्डियों के लिए कुशन का काम करता है। इसके नष्ट होने पर जोड़ आपस में रगड़ खाने लगते हैं, जिससे गठिया की समस्या हो सकती है।
आनुवंशिक : अगर परिवार में किसी को कभी गठिया की समस्या रही है, तो हो सकता है कि आपको भी इसका सामना करना पड़े।
आयु : वैसे तो 60 वर्ष के आसपास पहुंचने पर यह समस्या होने लगती है, लेकिन आजकल युवा भी इसका शिकार हो रहे हैं।
लिंग : पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में गठिया की समस्या ज्यादा देखने को मिलती है, क्योंकि महिलाओं में कैल्शियम की कमी उम्र बढ़ने के साथ-साथ कम होने लगती है। साथ ही एस्ट्रोजन हार्मोन के असंतुलित होने पर भी ऐसा हो सकता है।
पुरानी चोट : अगर आपको पहले कभी हड्डियों के जोड़ में चोट लगी है, तो भविष्य में आर्थराइटिस की समस्या होने की आशंका बढ़ जाती है।
मोटापा : वजन का अधिक होना भी आर्थराइटिस का अहम कारण माना गया है। शरीर का वजन जरूरत से ज्यादा होने पर घुटनों, कूल्हों व कमर पर ज्यादा बोझ पड़ता है। आगे चलकर इससे गठिया हो सकता है।
संक्रमण : शरीर में किसी बैक्टीरिया या वायरस के पनपने पर भी गठिया हो सकता है।
गठिया रोग के लक्षण जानने के लिए पढ़ते रहें यह लेख।
गठिया के लक्षण – Symptoms of Arthritis in Hindi
जोड़ों में सूजन और दर्द गठिया रोग के लक्षण है। इसके अलावा, अन्य लक्षण भी हो सकते हैं, जिनके बारे में हम यहां विस्तार से बता रहे हैं (2):
सूजन व दर्द के कारण चलना-फिरना मुश्किल हो जाता है।
कुछ लोगों में सुबह के समय यह दर्द ज्यादा होता है।
प्रभावित जगह लाल रंग की हो जाती है।
जिस जगह गठिया हुआ है, उस जोड़ में भारीपन महसूस हो सकता है।
जल्दी थकान हो जाना और इम्यून सिस्टम का कमजोर होना।
पीड़ित व्यक्ति को बार-बार बुखार आ सकता है।
जोड़ों के आसपास गांठें भी बन सकती हैं।
आइए, अब गठिया के विभिन्न प्रकार भी जान लेते हैं।
गठिया (आर्थराइटिस) के प्रकार – Types of Arthritis Hindi
अभी तक 100 प्रकार के आर्थराइटिस की पहचान हो चुकी है। इनमें से सबसे अहम ऑस्टियो आर्थराइटिस और रूमेटाइड आर्थराइटिस है। ज्यादातर लोग इन्हीं दो का शिकार होते हैं। ऑस्टियो आर्थराइटिस का शिकार 40 वर्ष से अधिक उम्र के लोग होते हैं और खासकर महिलाएं इसका ज्यादा शिकार होती हैं (3)। वहीं, रूमेटाइड आर्थराइटिस के लक्षण अधिकतर युवाओं में नजर आते हैं। यह भी पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को ज्यादा होता है (4)। आर्थराइटिस के अन्य प्रकार कुछ तरह से हैं :
गाउट : शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा ज्यादा हो जाने से जोड़ों के कार्टिलेज नष्ट होने लगते हैं। साथ ही यूरिक एसिड जोड़ों व नसों में जम जाता है, जिससे आर्थराइटिस की समस्या होती है (4)।
एंकलोजिंग स्पोंडिलाइटिस : इसमें कमर की हड्डी व जोड़ प्रभावित होते हैं। इस अवस्था में पीठ में सूजन व दर्द होने लगती है (5)।
जुवेनाइल आर्थराइटिस : इसका शिकार बच्चे होते हैं, इसलिए इसे जुवेनाइल आर्थराइटिस कहा जाता है। यह 16 साल से कम उम्र के बच्चों को होता है। स्पष्ट तौर पर बताना मुश्किल है कि यह किस कारण से होता है, ऐसा अनुमान है कि ऑटोइम्यून सिस्टम खराब होने के कारण ऐसा हो सकता है। इसमें शरीर के स्वस्थ्य टिशू नष्ट हो जाते हैं (6)।
सोराइटिक आर्थराइटिस : यह त्वचा संबंधी विकार सोराय���िस के कारण होता है। सोरायसिस से प्रभावित 7 से 42 प्रतिशत मरीज इसकी चपेट में आते हैं (7)।
रिएक्टिव आर्थराइटिस : यह जोड़ों, आंखों, यूरिन मार्ग व जेनिटल एरिया को प्रभावित कर सकता है। इन जगहों पर सूजन व दर्द महसूस होती है। यह समस्या संक्रमण के कारण होती है (8)।
ओस्टियोसोराइसिस : यह आनुवंशिक हो सकता है, जो उम्र बढ़ने के साथ-साथ सामने आता है। यह मुख्य रूप से कमर, घुटनों और पैरों को प्रभावित करता है।
लेख के इस भाग में जानिए, गठिया के कारगर घरेलू इलाज।
गठिया के घरेलू इलाज – Home Remedies for Arthritis in Hindi
1. हल्दी
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लाभ : हल्दी को प्राकृतिक एंटीसेप्टिक माना गया है। चोट लगने पर हल्दी का प्रयोग किया जाए, तो जल्द राहत मिलती है। इसमें करक्यूमिन नामक तत्व पाया जाता है, जो शरीर में सूजन को कम करने में मदद करता है। साथ ही आर्थराइटिस के असर को धीरे-धीरे कम कर सकता है (9)। इसलिए, गठिया की दवा के रूप में आप हल्दी का इस्तेमाल कर सकते हैं।
कैसे करें प्रयोग : दो-तीन ग्राम हल्दी को पानी में डालकर उबाल लें। इसके बाद जब पानी सामान्य हो जाए, तो इसका सेवन करें। आप प्रतिदिन के भोजन में भी थोड़ी-सी हल्दी का प्रयोग कर सकते हैं।
2. अदरक
लाभ : सर्दी-जुकाम से लेकर थकान मिटाने, पेट संबंधी विकारों और मासिक धर्म से जुड़ी समस्याओं को दूर करने के लिए सदियों से अदरक का प्रयोग किया जा रहा है। इसके अलावा, यह सूजन को दूर करने के भी काम आता है। यह शरीर में प्रोस्टाग्लैंडीन के स्तर को कम कर आर्थराइटिस से राहत दिलाता है। कई शोधों में इस बात की पुष्टि की गई है कि दर्द व सूजन को कम करने के लिए किसी दवा के मुकाबले अदरक तेजी से काम करता है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट व एंटीइंफ्लेमेटरी गुण होते हैं (10) (11)। गठिया रोग के लिए अदरक बेहतर है। आयुर्वेद में भी इसके कई गुणों का उल्लेख है।
कैसे करें प्रयोग : आप अदरक के तेल से मालिश कर सकते हैं। इसके अलावा अदरक की चाय बनाकर इसका सेवन कर सकते हैं। हर लिहाज से अदरक फायदेमंद साबित होगा। ध्यान रहे कि इसका अधिक सेवन न करें, क्योंकि इससे पेट में गर्मी हो सकती है।
3. मेथी
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लाभ : जहां मेथी खाने का स्वाद बढ़ा देती है, वहीं यह कई प्रकार की बीमारियों से लड़ने में हमारी मदद करती है। इसे एंंटीइंफ्लेमेटरी और एंटी आर्थराइटिक का प्रमुख स्रोत माना गया है। वैज्ञानिकों के अनुसार मेथी के दानों में पेट्रोलियम ईथर एक्सट्रेक्ट होता है, जिस कारण ये गठिया के चलते जोड़ों में आई सूजन को कम करने में मदद कर सकते हैं। साथ ही इसमें सैचुरेटेड और अनसैचुरेटेड फैटी एसिड भी होता है। इस कारण से भी यह सूजन और दर्द को कम कर सकते हैं (12) (13)। इसलिए, अगर आपको गठिया का दर्द है, तो मेथी के दानों का सेवन गठिया की दवा के रूप में कर सकते हैं।
कैसे करें प्रयोग : मेथी के दानों को पानी में डालकर उबाल लें। फिर पानी को छानकर उसमें नींबू व शहद मिलाकर चाय की तरह पिएं। साथ ही आप मेथी के दानों को पीसकर पाउडर बना सकते हैं और फिर इसे सब्जियों व सूप में डालकर सेवन करें। इसके अलावा, मेथी के दानों को पानी में भिगोकर अंकुरित कर लें और फिर सलाद की तरह खा सकते हैं।
4. अरंडी का तेल
लाभ : अरंडी का तेल शरीर में लिम्फोसाइट को बढ़ाने में मदद करता है। यह एक प्रकार के टी सेल यानी श्वेत रक्त कोशिकाएं होती हैं, जो किसी भी तरह की बीमारी से लड़ने में हमारी मदद करती हैं। अरंडी के तेल से मालिश करने से 24 घंटे में श्वेत रक्त कोशिकाओं की संख्या कई गुना बढ़ जाती है। यह शरीर में लगने वाली चोटों से भी उबरने में मदद करती हैं। साथ ही अरंडी के तेल में रिसिनोलिक एसिड पाया जाता है, जो एंटीइंफ्लेमेटरी की तरह काम करता है (14)। गठिया रोग के लिए अरंडी का तेल इस्तेमाल किया जा सकता है।
कैसे करें प्रयोग : अरंडी के तेल में अजवाइन व कपूर मिलाकर गर्म कर लें। फिर तेल के हल्का गुनगुना होने पर दर्द वाली जगह पर हल्के-हल्के हाथों से 15-20 मिनट मालिश करें। इस तरह मसाज करने से जोड़ों में दर्द व अकड़न से राहत मिलेगी।
5. लहसुन
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लाभ : कई अध्यनों में पाया गया है कि लहसुन में एंटीइंफ्लेमेटरी गुण होता है, जिस कारण यह जोड़ों में दर्द व सूजन को कम कर सकता है (15)। इसके अलावा, अदरक में डायलाइल डाइसल्फाइड नामक तत्व भी होता है, जो एंटीइंफ्लेमेटरी की तरह प्रभावी असर दिखाता है। यह आर्थराइटिस के कारण होने वाले दर्द व सूजन को कम करने और नष्ट कार्टिलेज को ठीक करने का काम करता है (16)। इसलिए, लहसुन को गठिया की दवा के रूप में खाएं।
कैसे करें प्रयोग : आर्थराइटिस जैसी समस्या में आप रोज सुबह तीन-चार लहसुन की कच्ची कलियों का सेवन कर सकते हैं।
6. बुरडॉक की जड़
लाभ : यह सदियों से प्रयोग की जा रही आयुर्वेदिक औषधि है। इसमें भी एंटीइंफ्लेमेरी गुण पाए जाते हैं। यह जड़ बाजार में सूखे पाउडर, काढ़े या फिर रस के रूप में मिल जाएगी। इसके सेवन से न सिर्फ घुटनों व अन्य जोड़ों में आई सूजन कम होती है, बल्कि ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस का स्तर भी कम होता है (17)। बुरडॉक की जड़ को गठिया का आयुर्वेदिक इलाज माना गया है।
कैसे करें प्रयोग : अगर आपके पास इसका पाउडर है, तो इसे करीब 200 मिलीलीटर पानी में डालकर उबाल लें और फिर पानी को सामान्य होने दें। इसके बाद दिन में दो-तीन बार इस मिश्रण का सेवन करें। दिन में दो बार इसका सेवन करें।
7. मुलेठी
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लाभ : इस आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी में ग्लाइसिराइजिन नामक प्रमुख तत्व पाया जाता है, जो एंटीइंफ्लेमेटरी की तरह काम करता है। यह शरीर में फ्री रेडिकल्स को बनने से रोकता है और शरीर में सूजन का कारण बनने वाले एंजाइम को जड़ से खत्म करता है (18)। यह भी गठिया का आयुर्वेदिक इलाज है।
कैसे करें प्रयोग : बाजार में मुलेठी सूखी छड़, पाउडर, टेब्लेट, कैप्सूल या फिर जेल के रूप में मिल जाएगी। आप इसका सेवन किसी भी रूप में कर सकते हैं।
8. आलू का रस
लाभ : आपको यह जानकर हैरानी हो सकती है कि आलू के रस से भी गठिया का इलाज संभव है। बेशक, आलू खाने से फैट बढ़ता है, लेकिन इसका रस बेहद गुणकारी है। आलू के रस में विभिन्न प्रकार के खनिज और कार्बनिक नमक मौजूद होता है। इसे पीने से शरीर में जमा यूरिक एसिड बाहर निकल जाता है, जिस कारण आर्थराइटिस से आराम मिलता है (19)।
कैसे करें प्रयोग : आप आलू को छिलकर बारीक टुकड़ों में काट लें और फिर रातभर के लिए पानी में डालकर रख दें। अगली सुबह इस पानी को खाली पेट पिएं। इसके अलावा, आप आलू के रस और पानी को बराबर मात्रा में लेकर मिक्स कर लें और फिर सेवन करें।
9. अश्वगंधा
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लाभ : इस आयुर्वेदिक जड़ी-बूडी के सेवन से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहतर होती है और ताकत मिलती है। साथ ही यह दर्द और सूजन को भी कम करता है। इसके पौधे के पत्तों व जड़ की गंध अश्व के मूत्र जैसी होती है, इसलिए इसका नाम अश्वगंधा पड़ा है। ध्यान रहे कि रुमेटी आर्थराइटिस से पीड़ित मरीज अश्वगंधा का सेवन न करे। इससे उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली बढ़ सकती है। इस प्रकार कहा जा सकता है कि गठिया रोग का इलाज अश्वगंधा से किया जा सकता है।
कैसे करें प्रयोग : गठिया के मरीज इसकी चाय बनाकर इसका सेवन कर सकते हैं।
10. विलो की छाल
लाभ : आर्थराइटिस के लिए विलो (एक प्रकार का पेड़) की छाल का प्रयोग किया जा सकता है। इससे गठिया का इलाज संभव है। इसके प्रयोग से शरीर में सूजन कम होती है। पुराने समय में लोग दर्द को कम करने के लिए इस पेड़ की छाल को चबाया करते थे। इसमें एस्पिरिन जैसे गुण होते हैं, जो जोड़ों में होने वाले दर्द को कम करने में सक्षम है (20)। गठिया के उपचार के लिए आप विलो की छाल का इस्तेमाल कर सकते हैं।
कैसे करें प्रयोग : आप या तो इस छाल को चबा सकते हैं या फिर इसकी चाय बना सकते हैं। इसका सेवन सप्लीमेंट्स की तरह भी किया जा सकता है। ध्यान रहे कि इसे अधिक मात्रा में लेने से शरीर पर रैशेज या फिर किसी अन्य तरह की एलर्जी हो सकती है।
11. नेटल्स
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लाभ : हिमालय के पहाड़ी क्षेत्र में कंडाली नामक औषधीय पौधा पाया जाता है। आम भाषा में इसे नेटल्स या फिर बिच्छू बूटी कहते हैं, क्योंकि इस पौधे को छूने पर शरीर में उसी प्रकार झनझनाहट होती है, जिस प्रकार बिच्छू के काटने पर होती है। इस आयुर्वेदिक औषधि की मदद से हर प्रकार के आर्थराइटिस को ठीक किया जा सकता है। इसमें तमाम तरह के पोषक तत्व और एंटीइंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो आर्थराइटिस के दर्द को कम कर हड्डियों को मजबूत बनाने में मदद करते हैं (21) (22)। गठिया रोग के घरेलू उपचार में आप नेटल्स भी प्रयोग कर सकते हैं।
कैसे करें प्रयोग : इसके पत्तों के ऊपर छोटे-छोटे बाल जैसे होते हैं, जिनमें सिलिकॉन की मात्रा ज्यादा होती है। जब इन पत्तों को त्वचा से स्पर्श किया जाता है, तो इन बालों के तीखे कोनों के साथ सिलिकॉन तत्व त्वचा में प्रवेश कर जाता है। बाद में यह तत्व दर्द कम करने में मदद करता है।
12. गर्म सिकाई
लाभ : आर्थराइटिस में गर्म सिकाई करने से जोड़ों में आई अकड़न कम होती है और मांसपेशियां भी नरम होती हैं। इससे रक्त का प्रवाह अच्छी तरह हो पाता है। ऐसा करने से आपको जोड़ों में हो रहे दर्द से आराम मिलेगा। साथ ही जरूरी पोषक तत्वों को भी प्रभावित मांसपेशियों तक पहुंचने का रास्ता मिल जाता है (23)। इससे गठिया का इलाज आसानी से किया जा सकता है।
कैसे करें प्रयोग : आप अपनी पसंद के अनुसार गीले या सूखे तरीके से गर्म सिकाई कर सकते हैं। आप या तो गर्म पानी से नहा लें या फिर बाथ टब में गर्म पानी भरकर उसमें कुछ देर बैठ सकते हैं। इसके अलावा, आप करीब 20 मिनट के लिए हीटिंग पैड का इस्तेमाल कर सकते हैं।
लेख के इस अंतिम भाग में हम गठिया से बचने कुछ अन्य उपाय भी जान लेते हैं।
गठिया (आर्थराइटिस) से बचाव – Prevention Tips for Arthritis in Hindi
जोड़ों के दर्द से बचने के लिए दिनभर में कम से कम तीन-चार लीटर पानी जरूर पीना चाहिए। इससे शरीर में जमा विषाक्त पदार्थ मूत्र मार्ग के जरिए बाहर निकल जाते हैं।
नियमित रूप से व्यायाम करना जरूरी है। इससे शरीर की मांसपेशियां व हड्डियां ठीक प्रकार से काम कर पाती हैं।
व्यायाम के साथ-साथ समय निकालकर योग करना भी जरूरी है। इससे आपकी मांसपेशियां मजबूत होंगी और आप दिनभर ऊर्जावान बने रहेंगे।
अपनी डाइट में दूध, दही और पनीर जैसे डेयरी उत्पादों को शामिल करें। इससे शरीर को पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम मिलता है, जिससे हड्डियां मजबूत बनी रहती हैं। अगर आपको डेयरी उत्पादों से एलर्जी है, तो डॉक्टर की सलाह पर अन्य खाद्य पदार्थों का सेवन करें।
कैल्शियम की तरह ही विटामिन की भी जरूरत होती है। हड्डियों के लिए मुख्य रूप से विटामिन-सी और डी चाहिए होता है। सर्दियों में सुबह कुछ देर धूप में बैठने से शरीर को पर्याप्त मात्रा में विटामिन-डी मिलता है। इसके अलावा, आप इनके सप्लीमेंट्स भी ले सकते हैं।
सर्दियों में सुबह उठते ही कमरे से बाहर न जाएं, बल्कि कुछ मिनट शरीर को सामान्य होने दें और गर्म कपड़े पहनकर ही बाहर निकलें।
जरूरत से ज्यादा वजन होने पर भी आर्थराइटिस की समस्या हो सकती है। वजन अधिक होने पर घुटनों व कूल्हों पर अतिरिक्त भार पड़ता है। इसलिए, अपने वजन को नियंत्रित रखें।
अगर आपके किसी जोड़ पर लगातार चोट लगती है, तो सावधान हो जाएं। आगे चलकर इससे भी आर्थराइटिस की समस्या हो सकती है।
अधिक शराब, धूम्रपान और तंबाकू के सेवन से भी हड्डियों और मांसपेशियों पर विपरित असर पड़ता है। इन सभी चीजों का गठिया रोग में परहेज करने से आपको फायदा होगा।
बेशक, यहां बताए गए सभी घरेलू उपचार आर्थराइटिस के मरीजों के लिए फायदेमंद हैं, लेकिन ध्यान रहे कि इनके उपयोग से सिर्फ सूजन व दर्द कम हो सकती है। साथ ही ये बीमारी से उबरने में आपकी मदद कर सकते हैं। बेहतर गठिया के इलाज के लिए आपको अच्छे डॉक्टर से संपर्क करना होगा। इसके अलावा, आपको संतुलित दिनचर्या व खानपान का पालन करना होगा। आपको यह लेख कैसा लगा, हमें नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं।
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Anuj Joshi
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पेट से जुड़ी समस्याओ में से एक है दस्त या लूस मोशन। दस्त का इलाज (Loose motion remedies in Hindi) करने में हम घरेलु उपायों के मदद भी ले सकते है। इस लेख में हम बात करेंगे दस्त के ऐसे ही कुछ घरेलु उपाय, कारन और लक्षण के बारेमे। विस्तारित जानने के लिए ज़रूर पढ़े…
टी ट्री ऑयल के 25 फायदे, उपयोग और नुकसान – Tea Tree Oil Benefits, Uses and Side Effects in Hindi
टी ट्री ऑयल के अनोखे फायदे जानने के लिए पढ़े ये लेख। (Tea tree oil benefits in Hindi) न सिर्फ त्वचा और बालो के लिए, टी ट्री ऑयल लिए भी बोहोत उपकारी साबित हो सकता है। विस्तारित जानने के लिए ज़रूर पढ़े…
सिरदर्द का इलाज और 15 आसान घरेलू उपाय – Headache (Sir Dard) Home Remedies in Hindi
सिरदर्द का इलाज करने के लिए दवा लेने से अच्छा है घरेलु उपायों को आज़माना। (Headache Home Remedies in Hindi) यहाँ इस लेख में हम आपके लिए लाये है अदरक, तुलसी, पुदीने जैसे सर दर्द कम करने के कुछ आसान और प्रमानित घरेलु तरीके…
चिया बीज के फायदे, उपयोग और नुकसान – Chia Seeds Benefits, Uses and Side Effects in Hindi
‘छोटा पैकेट बड़ा धमाका’, यह डायलॉग चिया बीज पर बिल्कुल फिट बैठता है। वहीं, अगर चीया बीज के लिए यह कहा जाए कि ‘देखन में छोटन लगे, असर करे भरपूर’, तो गलत नहीं होगा। यह छोटा सा दिखने वाला चीया बीज असल में गुणों का खजाना है। स्टाइलक्रेज के इस लेख में हम आपको चिया बीज के फायदे बता
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