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💞सतगुरु देव की जय💞
*🙏🥀बंदी छोड़ सतगुरु संत रामपाल जी महाराज की जय🥀🙏*
27/09/24
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📚हमारे वेदों,शास्त्रों और पुराणों में सत्य प्रमाण मिलते हैं_कि परम अक्षर पुरुष / पूर्ण ब्रह्म कबीर परमेश्वर ही हम आत्माओं के मूल मालिक हैं!+अनंत ब्रह्मांड के और सृष्टि के रचयिता हैं! + समर्थ सुखसागर हैं!
👑पूर्ण ब्रह्म कबीर परमेश्वर की पूजा करने से ही हमें पूर्ण रूप से सभी प्रकार के शुभ लाभ प्राप्त होते रहते हैं!
कबीर परमेश्वर की सतभक्ति के माध्यम से ही हमें देवी देवताओं के सही मंत्रों की प्राप्ति होती है!, जिससे देवी देवताओं का भी पूर्ण रूप से सत्कार होता है और हम उनके ऋणों से भी मुक्त होते हैं तथा हमें उनसे सभी प्रकार का शुभ लाभ प्राप्त होता रहता है !
सद्भक्ति से ही हमारे पितरों का भी उद्धार होता है!
हमारे वंशजों का भी उद्धार होता है! हमारे आने वाली पीढियां का भी उद्धार होता है! और स्वयं जो आत्मा भक्ति करती है उसका भी मोक्ष होता है! सतभक्ति साधक को पूर्ण रूप से शारीरिक, मानसिक, आर्थिक,सामाजिक और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होते हैं!
*केहरि नाम कबीर का विषम काल गजराज! दादू भजन प्रताप से, भागे सुनत आवाज़!!*
*कबीर,और ज्ञान सब ज्ञानड़ी, कबीर ज्ञान सो ज्ञान!*
*जैसे गोला तोब का, करता चले मैदान!!*
⏬⏬⏬
🙏अवश्य पढ़ें पवित्र पुस्तक 📙
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*📖 हिन्दू साहेबान! नहीं समझे गीता, वेद, पुराण 📖*
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🙏⏩श्राद्ध की सही विधि जानने के लिए और पितरों की सही प्रकार से गति हो इसके लिए अवश्य देखें! ⏬
🙏प्रतिदिन अवश्य देखें!
साधना 📺 चैनल 7:30p.m.
और प्राप्त करें पूर्ण रूप से सत्य प्रमणित आध्यात्मिक शास्त्र अनुकूल जानकारी!
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**📨 संत रामपाल जी महाराज के 74वें अवतार दिवस समारोह के लिए निमंत्रण**
प्रिय पाठक,
हमें आपको और आपके परिवार को जगतगुरु तत्वदर्शी **संत रामपाल जी महाराज** के 74वें अवतार दिवस के भव्य **महासमागम** में आमंत्रित करते हुए प्रसन्नता हो रही है 🙏✨।
📅 यह कार्यक्रम **6 से 8 सितंबर 2024** तक भारत और नेपाल के विभिन्न **सतलोक आश्रमों** में आयोजित किया जा रहा है।
इस कार्यक्रम में शामिल हैं:
- 📖 **3 दिवसीय अखंड पाठ**
- 🛕 **विशाल सत्संग**
- 💍 **दहेज मुक्त विवाह**
- 🍛 **विशाल निशुल्क भोजन भंडारा**
- 🌟 **निःशुल्क नाम दीक्षा**
- 🩸 **रक्तदान शिविर**
इस दिव्य समागम का हिस्सा बनें 🙌। आइए, हम सब मिलकर संत रामपाल जी महाराज के आशीर्वाद और आध्यात्मिक आनंद का अनुभव करें 🌸🙏।
अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें: 📞 **9992600162, 9992600163, 9992600164**
हम इस आध्यात्मिक उत्सव में आपकी उपस्थिति की प्रतीक्षा कर रहे हैं 💐।
**📡 आप ऑनलाइन भी इस कार्यक्रम में शामिल हो सकते हैं!**
**संत रामपाल जी महाराज** के **74वें अवतार दिवस** का सीधा प्रसारण विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर किया जाएगा। आप इसे यहां देख सकते हैं:
- 🎥 **यूट्यूब**: Spiritual Leader Saint Rampal Ji
- 📱 **फेसबुक**: Sant Rampal Ji Maharaj
- 🐦 **ट्विटर/X**: @SaintRampalJiM
इन तिथियों (6 से 8 सितंबर 2024) पर इन प्लेटफार्मों पर लाइव स्ट्रीम के लिए जुड़े रहें 📲।
अपने घर से ही इस कार्यक्रम का आनंद लें! 🏡✨
**सत साहेब🙏
सतगुरु देव जी की जय🙏**
1️⃣. यूट्यूब पर लाइव
👇
https://www.youtube.com/live/9uB9d0VFWnk?feature=shared
2️⃣. फेसबुक पर लाइव
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https://www.facebook.com/spiritualleaderSaintRampalJI
I’m sorry I can’t read all that ( I struggle with Hindi and also this is too long)
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🎋कबीर परमेश्वर चारों युगों में आते हैं।🎋
सतयुग में सतसुकृत कह टेरा, त्रेता नाम मुनिंन्द्र मेरा। द्वापर में करुणामय कहाया कलयुग नाम कबीर धराया।।
इस वाणी में कबीर परमेश्वर ने कहा है कि, में चारों युगों में पृथ्वी पर आता हूं, सतयुग में सतसुकृत नाम से, त्रेतायुग में मुनिनंद्र, द्वापरयुग में करुणामय तथा कलयुग में कबीर नाम से आता हूं।
जिस परमात्मा को हम निराकार मान रहे थे वह परमात्मा साकार है तथा उसका नाम कबीर है। जिसका प्रमाण सद्ग्रंथों के इन मंत्रों में है 👇👇
यजुर्वेद अध्याय 1 मंत्र 15 तथा अध्याय 5 मंत्र 1 में लिखा है कि
"अग्ने: तनूर असि"विष्णवे त्वा सोमस्य तनूर असि" इस मंत्र में दो बार वेद गवाही दे रहा है कि वह सर्वव्यापक, सर्व का पालनहार परमात्मा सशरीर है, साकार है।
तथा
यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 32 में प्रमाण है कि
"कविरंघारि: असि, बम्भारी: असि स्वज्योति ऋतधामा असि" अर्थात कबीर परमेश्वर पापों का शत्रु यानि सर्व पापों से मुक्त करवाकर, सर्व ��ंधनों से छुड़वाता है। वह स्वप्रकाशित सशरीर है और सतलोक में रहता है।
ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त 93 मंत्र 2,
ऋग्वेद मंडल 10 सूक्त 4 मंत्र 3,
यजुर्वेद अध्याय 40 मंत्र 8 में प्रमाण है कि, पूर्ण परमात्मा कभी माता के गर्भ से जन्म नहीं लेता।
ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त 1 मंत्र 9 में प्रमाण है कि,
जब पूर्ण परमात्मा पृथ्वी पर शिशु रुप धारण करके पृथ्वी पर प्रकट होता है,उस समय उसकी परवरिश की लीला कुंवारी गाय के दूध से होती है।
ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96
मंत्र 17 में कहा है कि कविर्देव शिशु रूप धारण कर लेता है। लीला करता हुआ बड़ा होता है। कवियों की तरह आचरण करता हुआ कविताओं द्वारा तत्वज्ञान वर्णन करने के कारण कवि की पदवी प्राप्त करता है अर्थात् उसे ऋषि, संत व कवि कहने लग जाते हैं, वास्तव में वह पूर्ण परमात्मा कविर् ही है। उसके द्वारा रची अमृतवाणी कबीर वाणी (कविर्वाणी) कही जाती है, जो भक्तों के लिए सुखदाई होती है।
पूर्ण परमात्मा कविर्देव (कबीर) चारों युगों में पृथ्वी पर कभी भी कहीं भी प्रकट हो जाते हैं। अच्छी आत्माओं को मिलते हैं।
अपना तत्वज्ञान दोहों, शब्दों तथा कविताओं द्वारा बोलकर सुनाते हैं।
ऐसे ही कुछ महापुरुषों को कलयुग में मिले। जो इस प्रकार है,👇👇👇
आदरणीय संत गरीब दास जी महाराज को सन् 1727 में 10 वर्ष की आयु में गांव छुड़ानी के नला नामक स्थान पर कबीर परमेश्वर जिंदा महात्मा के वेश में मिले। तत्वज्ञान से परिचित कराकर सतलोक दर्शन करवाकर साक्षी बनाया।
अजब नगर में ले गए, हमको सतगुरु आन। झिलके बिम्ब अगाध गति, सूते चादर तान।।
"अनंत कोटि ब्रह्माण्ड का एक रति नहीं भार।
सतगुरु पुरुष कबीर है कुल के सिरजन हार।।
आदरणीय धर्मदास जी को बांधवगढ़ मध्यप्रदेश वाले को पूर्ण परमात्मा कबीर जी मथुरा में जिंदा महात्मा के रूप में मिले, सत्य ज्ञान से परिचित कराया, सतलोक दिखाकर साक्षी बनाया।
धर्मदास जी ने कहा है कि,
आज मोहे दर्शन दियो जी कबीर, सतलोक से चलकर आए, काटन जम की जंजीर।।
रामानंद जी को कबीर परमेश्वर काशी में 104 वर्ष की आयु में मिले। सत्य ज्ञान समझाकर, सतलोक दिखाया।
रामानंद जी ने अपनी अमरवाणी में बताया है कि,
दोहूं ठौर है एक तू, भया एक से दोय।
गरीबदास हम कारने, आए हो मग जोय।।
तुम साहेब तुम संत हो, तुम सतगुरु तुम हंस।
गरीबदास तव रुप बिन और न दूजा अंश।।
बोलत रामानंद जी सुनो कबीर करतार,
गरीबदास सब रुप में,तुम ही बोलनहार।।
मलूक दास जी को 42 वर्ष की आयु में कबीर परमेश्वर मिले। सत्य ज्ञान समझाया, तब मलूक दास जी ने अपनी अमरवाणी में कहा था कि,
जपो रे मन परमेश्वर नाम कबीर।
चार दाग से सतगुरु न्यारा, अजरो अमर शरीर ।
��ास मलूक सलूक कहत हैं, खोजो खसम कबीर।।
नानक देव जी को कबीर परमेश्वर बेई नदी के तट पर जिंदा महात्मा के वेश में मिले। सत्य ज्ञान और सतलोक दिखाया तब नानक देव जी ने कहा था कि,
फाई सुरत मलुकि वेश ऐ ठगवाड़ा ठगी देश।
खरा सियाणा बहुता भार, धाणक रुप रहा करतार।।
दादू साहेब जी को कबीर परमेश्वर मिले, तत्वज्ञान कराया। सत्य ज्ञान से परिचित होकर दादू साहेब ने कहा है कि,
अनंत कोटि ब्रह्माण्ड का एक रति नहीं भार।
सतगुरु पुरुष कबीर हैं, कुल के सिरजन हार।।
इसके अलावा मीरा बाई, अब्राहिम अधम सुल्तान, सिकंदर लोधी, रविदास जी, रंका बंका, नल नील, सेउ समन जैसी अनेकों आत्माओं को मिले।
सर्व बुद्धिजीवी समाज से निवेदन है कि, जिसे हम एक कवि और संत मान रहे थे, वह तो पूर्ण परमात्मा है। उपरोक्त वाणीयों तथा प्रमाणों से भी यहीं सिद्ध होता है। हमारे सदग्रंथो में ऐसे एक नहीं कई प्रमाण है। अपनी शंका दूर करने के लिए आप जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी के आध्यात्मिक सत्संग अवश्य देखें, संत रामपाल जी महाराज जी सर्व धर्मों के पवित्र सदग्रंथो में कबीर साहेब के पूर्ण परमात्मा होने के अनेकों प्रमाण दिखा कर सतभक्ति प्रदान कर रहे हैं।
👇👇
साधना चैनल पर रात 7:30 से 8:30 बजे तक,
M-H. 1श्रद्धा चैनल पर दोपहर 2:00 से 3:00 बजे तक
#SantRampalJiMaharaj
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अधिक जानकारी के लिए "Sant Rampal Ji Maharaj" App Play Store से डाउनलोड करें और "Sant Rampal Ji Maharaj" YouTube Channel पर Videos देखें और Subscribe करें।
संत रामपाल जी महाराज जी से निःशुल्क नाम उपदेश लेने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जायें।
⬇️⬇️
https://online.jagatgururampalji.org/naam-diksha-inquiry
Download करें
पवित्र पुस्तक "कबीर परमेश्वर"
https://bit.ly/KabirParmeshwarBook
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जिन्होने मांस, शराब, तम्बाकू सेवन करना त्याग दिया है तथा अन्य बुराईयों से रहित है। वे देव स्वरूप भक्त आत्माएं शास्त्रविधि रहित पूजा को त्याग कर शास्त्रानुकूल साधना करते हैं। वे भक्ति की कमाई से धनी होकर काल के ऋण से मुक्त होकर अपनी सत्य भक्ति की कमाई के कारण उस सर्व सुखदाई परमात्मा को प्राप्त करते हैं अर्थात् सत्यलोक में चले जाते हैं।
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सृष्टि को हिरण्य कश्यप के अत्याचारों से मुक्त करने वाले भगवान विष्णु के अवतार एवं भक्त प्रह्लाद के आराध्य देव भगवान श्री नरसिंह जी के प्राकट्योत्सव दिवस पर समस्त देश व प्रदेश वासियों को हार्दिक शुभकामनाएं ।
श्री हरि भगवान विष्णु जी से प्रार्थना है कि सभी देश वासियों के रोग-शोक दूर कर आयु-यश में वृद्धि करें ।
#HelpUTrust
#HelpUEducationalandCharitableTrust
www.helputrust.org
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सृष्टि को हिरण्य कश्यप के अत्याचारों से मुक्त करने वाले भगवान विष्णु के अवतार एवं भक्त प्रह्लाद के आराध्य देव भगवान श्री नरसिंह जी के प्राकट्योत्सव दिवस पर समस्त देश व प्रदेश वासियों को हार्दिक शुभकामनाएं ।
श्री हरि भगवान विष्णु जी से प्रार्थना है कि सभी देश वासियों के रोग-शोक दूर कर आयु-यश में वृद्धि करें ।
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सृष्टि को हिरण्य कश्यप के अत्याचारों से मुक्त करने वाले भगवान विष्णु के अवतार एवं भक्त प्रह्लाद के आराध्य देव भगवान श्री नरसिंह जी के प्राकट्योत्सव दिवस पर समस्त देश व प्रदेश वासियों को हार्दिक शुभकामनाएं ।
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पांच हजार वर्ष से भी पूर्व संत शुक देव जी ने राजा परीक्षित को जीवन-मृत्यु के मोह से मुक्त करते हुए जीते जी मोक्ष की प्राप्ति का ज्ञान दिया था जिसे शुक्रताल(Shukratal) कहते है।
उत्तर प्रदेश के मुज़फ्फरनगर जनपद में गंगातट के निकट स्थित वह तीर्थ स्थल है जहाँ अब से पांच हजार वर्ष से भी पूर्व संत शुक देव जी ने राजा परीक्षित को जीवन-मृत्यु के मोह से मुक्त करते हुए जीते जी मोक्ष की प्राप्ति का ज्ञान दिया था जिसे शुक्रताल(Shukratal) कहते है। संत शुक देव जी के नाम से प्रेरित तीर्थ स्थल का नाम शुक्रताल पड़ा। कैसे शुक्रताल एक तीर्थ स्थल के रूप में जाने जाना लगा:- पांच हजार वर्ष से भी पूर्व इस स्थान के बारे में कोई जानता था. इस स्थान की प्रसिद्धि के पीछे एक आध्यात्मिक रहस्य छिपा है। जो यहाँ जाता है वो जान जाता है। आये जानते है इस अद्भुत तीर्थ स्थल के बारे में। महाभारत युद्ध में अभिमन्यू वीरगति को प्राप्त हुए और उनकी पत्नी उत्तरा के गर्भ को नष्ट करने के लिये अश्वत्थामा ने ब्रह्मास्त्र छोड़ा, परंतु श्रीकृष्ण ने सुदर्शन चक्र से उत्तरा के प्रार्थना करने पर उसके गर्भ की रक्षा की. उत्तरा के गर्भ में जो शिशु पल रहा था वह परीक्षित था जो आगे चलकर राजा परीक्षित के रूप में विख्यात हुआ. गर्भावस्था में ही प्रभु के दर्शन होने का सौभाग्य मात्र परीक्षित जी को ही बताया जाता है. Read More
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Shraddha TV Satsang 17-12-2024 || Episode: 2777 || Sant Rampal Ji Mahara...
*🌴बन्दीछोड़ सतगुरु संत रामपाल जी महाराज जी की जय हो🌴*
♦♦♦
17/12/24
👑📚👑📚👑
*कबीर परमात्मा पाप विनाशक हैं!*
🌺🌼🌺🌸🌺🌼🌺
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📕📚📙📚📗📚
#दुख_दूरकरे_सुख_दे_वहप्रभुकौन
👑📚👑📚👑
Supreme God Kabir
#SupremeGodKabir
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1🔸परमेश्वर कबीर जी अकाल मृत्यु को भी टाल सकते हैं। जिसका प्रमाण सामवेद मंत्र संख्या 822, ऋग्वेद मण्डल 10 सूक्त 161 मंत्र 2 में स्पष्ट लिखा है कि परमेश्वर कबीर जी मृत्यु प्राप्त साधक को पुनः जीवित कर उसकी आयु भी बढ़ा सकता है।
2🔸पूर्ण परमात्मा
पवित्र क़ुरआन सूरह फुर्कान 25 आयत 58 में लिखा है कि कबीर अल्लाह ही पाप विनाशक हैं और पूजा के योग्य हैं।
3🔸यजुर्वेद अध्याय 8 मंत्र 13 व ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त 82 मंत्र 1, 2 और 3 में प्रमाण है, परमेश्वर हमारे पापों का नाश कर देता है।
4🔸पाप नाशक परमात्मा
ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 82 मंत्र 1-2, ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 86 मंत्र 86-27 और ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 20 मंत्र 1 में स्पष्ट लिखा है कि पापों का नाश करने वाला, विघ्नों अर्थात संकटों का निवारण करने वाला कबीर परमेश्वर है।
5🔸संत रामपाल जी महाराज जी यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 32 और अध्याय 8 मंत्र 13 से प्रमाणित करके बताते हैं कि कविर्देव अर्थात कबीर परमेश्वर घोर से घोर पाप का भी नाश कर देता है तथा काल के कर्मबंधनों से मुक्त कराकर मोक्ष प्रदान करता है।
6🔸यजुर्वेद अध्याय 8 मंत्र 13 व ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त 82 मंत्र 1, 2 और 3 में प्रमाण है, परमेश्वर हमारे पापों का नाश करते हुए हमें प्राप्त होते हैं।
7🔸आदरणीय धर्मदास जी को कबीर प्रभु अपने विधान अनुसार लगभग आज से 600 वर्ष पहले आकर मिले और सतलोक से तथा सर्व सृष्टि रचना के ज्ञान से परिचित करवाया।
फिर आदरणीय धर्मदास जी ने अपनी वाणी में प्रमाण दिया:-
आज मोहे दर्शन दियो जी कबीर। सत्यलोक से चलकर आए काटन जम की जंजीर। थारे दर्शन से म्हारे पाप कटत हैं निर्मल होवे जी शरीर।
8🔸सामवेद अध्याय नंबर 4 के खंड नंबर 25 का श्लोक नंबर 8 में लिखा है कि
वह परमात्मा कबीर विशाल शक्ति युक्त है और अपना तेज पुंज का शरीर बनाकर प्रकट होता है काल के पाप रूपी कर्म बंधनों को तोड़ने वाला है।
9🔸यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 32 के अनुसार, कबीर साहेब सबसे शक्तिशाली भगवान हैं, जो सभी पापों को नष्ट करने और काल के कर्म बंधनों से छुड़वाने वाले हैं।
10🔸पवित्र क़ुरआन (सुरत फुकार्नि 25, आयत 59)
अल्ल्जी खलकस्समावा��ि वल्अर्ज व मा बैनहुमा फी सित्तति अय्यामिन् सुम्मस्तवा अलल्अर्शि शशि अरर्ह्मानु फस्अल् बिही खबीरन्(कबीरन्)।।
हजरत मुहम्मद को क़ुरआन बोलने वाला प्रभु (अल्लाह) कह रहा है कि वह कबीर प्रभु वही है जिसने सर्व सृष्टि की रचना छः दिन में की तथा सातवें दिन ऊपर अपने सत्यलोक में सिंहासन पर विराजमान हो (बैठ) गया। उसके विषय में जानकारी किसी बाखबर से पूछो।
इससे यह स्पष्ट है कि सर्व सृष्टि रचनहार, सर्व पाप विनाशक परमात्मा कबीर है।
📙🌺📕🌸📗🌼📚
*हमारे धर्म ग्रंथो में प्रमाण हैं_ कबीर देव भगवान हैं!
👑📚👑📚👑📚
*परम अक्षर पुरुष_पूर्ण ब्रह्म कबीर परमेश्वर_समर्थ परमेश्वर_ पाप भंजन भगवान_बंधनों से छुड़ाने वाले बंदीछोड़ भगवान*
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💰 दहेज के लालच में हो रही है बेटी की हत्या
लेकिन अब नहीं जाएगी दहेज के लिए बेटी की जान।
क्योंकि संत रामपाल जी महाराज बना रहे हैं दहेज मुक्त भारत अभियान।
💰 दहेज के अत्याचारों से गयी बहू की जान।
अब नहीं सहेंगी बेटियाँ दहेज का अपमान।
संत रामपाल जी महाराज चला रहे हैं सफलतम दहेज मुक्त भारत अभियान
💰जहां समाज में आज भी दहेज के लिए बहू को जला दिया जाता है।
वहीं संत रामपाल जी महाराज जी के शिष्य आध्यात्मिक ज्ञान को समझने के बाद यह जान चुके हैं कि दहेज विष के समान है। और दहेज मुक्त अंतर्जातीय विवाह करके समाज से इस कुरीति को जड़ से खत्म कर रहे हैं
💰 मानसिक परेशानी का कारण है अपनी परंपराएं।
यह भार व्यर्थ के लिए खड़े हैं जैसे बड़ी कोठी-बडी़ मंहगी कार, मंहगे आभूषण (स्वर्ण के आभूषण), संग्रह करना, विवाह में दहेज लेना-देना, बैंड-बाजे, डीजे बजाना, घुड़चढ़ी के समय पूरे परिवार का बेशर्मों की तरह नाचना।
💰माया का नशा जीव पर हावी है। जैसे दहेज यानी पराया धन प्राप्त करने की व्यर्थ परम्परा
अध्यात्म ज्ञान रूपी औषधि सेवन करने से जीव का नशा उतर जाता है।
फिर वह भक्ति के सफर पर चलता है क्योंकि उसे परमात्मा के पास पहुँचना है जो उसका अपना पिता है।
💰 दहेज के लिए जहां नव विवाहिताओं को जिंदा जला दिया जाता है।
वहीं संत रामपाल जी महाराज के आशीर्वाद से हो रही हैं दहेज मुक्त शादी।
अब दहेज रूपी दानव की भेंट नहीं चढ़ेगी बेटियां।
संत रामपाल जी महाराज का सपना दहेज मुक्त हो भारत अपना।
💰दहेज नहीं तो निकाह नहीं, दहेज से किया जा रहा है बेटियों का मोल।
वहीं संत रामपाल जी महाराज जी के आशीर्वाद से हो रहे हैं अंतर्जातीय दहेज मुक्त विवाह। धर्म और जाति की बेड़ियों को तोड़कर कर रहे हैं बेटियों का जीवन खुशहाल।
💰मानव समाज में आज दहेज प्रथा के कारण गरीब से गरीब व्यक्तियों को जीवन जीने में परेशानी हो रही है।
वहीं दूसरी तरफ संत रामपाल जी महाराज जी के शिष्य बिना दहेज रमैनी(शादी )करके सुखमय जीवन जी रहे हैं।
संत रामपाल जी महाराज जी के सानिध्य में बन रहा है दहेज मुक्त भारत।
💰एक तरफ जहां दहेज न देने पर महिलाओं को मार दिया जाता है।
वहीं दूसरी तरफ संत रामपाल जी महाराज जी के अनुयायी अंतर्जातीय व दहेज मुक्त विवाह करके एक नये मानव समाज का निर्माण कर रहे हैं।
💰 जहां दहेज नहीं मिलने पर परिवार के सामने जला दिया जाता है बहू को।
संत रामपाल जी महाराज जी के सानिध्य में रमैनी के माध्यम से सम्पन्न हो रहे हैं दहेज मुक्त विवाह, जिससे लाखों लोगों को दहेज रूपी राक्षस से मिल रहा है छुटकारा। संत रामपाल जी के सानिध्य में बन रहा है दहेज मुक्त भारत।
💰’’विवाह कैसे करें‘‘
जैसे श्री देवी दुर्गा जी ने अपने तीनों पुत्रों (श्री ब्रह्मा जी, श्री विष्णु जी तथा श्री शिव जी) का विवाह किया था। मेरे (संत रामपाल जी के) अनुयाई ऐसे ही करते हैं। 17 मिनट की असुर निकंदन रमैणी है। फेरों के स्थान पर उसको बोला जाता है जो करोड़ गायत्री मंत्र से उत्तम तथा लाभदायक है। जिसमें विश्व के सर्व देवी-देव तथा पूर्ण परमात्मा का आह्वान तथा स्तुति-प्रार्थना है। जिस कारण से सर्व शक्तियां उस विवाह वाले जो���़े की सदा रक्षा तथा सहायता करते हैं। इससे बेटी बची रहेगी। जीने की सुगम राह हो जाएगी।
- जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज।
💰विवाह में प्रचलित वर्तमान परंपरा का त्याग :-
विवाह में व्यर्थ का खर्चा त्यागना पड़ेगा। जैसे बेटी के विवाह में बड़ी बारात का आना, दहेज देना, यह व्यर्थ परंपरा है।
- जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज।
💰दहेज के कारण बेटी परिवार पर भार मानी जाने लगी है और उसको गर्भ में ही मारने का सिलसिला शुरू है।जो माता-पिता के लिए महापाप का कारण बनता है। बेटी देवी का स्वरूप है। हमारी कुपरम्पराओं ने बेटी को दुश्मन बना दिया।
- जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज।
💰श्री देवीपुराण के तीसरे स्कंद में प्रमाण है कि इस ब्रह्माण्ड के प्रारम्भ में तीनों देवताओं का जब इनकी माता श्री दुर्गा जी ने विवाह किया, उस समय न कोई बाराती था, न कोई भाती था। न कोई भोजन-भण्डारा किया गया था। न डी.जे बजा था, न कोई नृत्य किया गया था। श्री दुर्गा जी ने अपने बड़े पुत्र श्री ब्रह्मा
जी से कहा कि हे ब्रह्मा! यह सावित्री नाम की लड़की तुझे तेरी पत्नी रूप में दी जाती है। इसे ले जाओ और अपना घर बसाओ। इसी प्रकार अपने बीच वाले पुत्र श्री विष्णु जी से लक्ष्मी जी तथा छोटे बेटे श्री शिव जी को पार्वती जी को देकर कहा ये तुम्हारी पत्नियां हैं। इनको ले जाओ और अपना-अपना घर बसाओ। तीनों अपनी-अपनी पत्नियों को लेकर अपने-अपने लोक में चले गए जिससे विश्व का विस्तार हुआ।
💰दहेज लेना व देना अपराध है, पाप है
जब मानव को परमात्मा के विधान का ज्ञान होगा, तब वह सर्व पापों से बचेगा। अपराध करना विष खाने के तुल्य समझेगा। वह संत रामपाल जी महाराज के सत्संगों से हो सकता है। सत्संग के माध्यम से अच्छे विचार जनता को सुनने को मिलेंगे तो इस समस्या का समाधान पूर्ण रूप से हो जाएगा। संत रामपाल जी महाराज द्वारा दिए जा रहे सत्संग-विचार के वचनों का जादुई प्रभाव पड़ता है।
💰निर्धनता तथा समाज में फैली कुरीतियाँ जैसे दहेज प्रथा, विवाह पर अनाप-सनाप खर्च करना, मृत्यु भोज, बड़ी बारात आदि-आदि तथा अन्य बुराईयाँ जैसे नशा आदि-आदि के कारण निर्धन व्यक्ति कर्ज तथा गंभीर बीमारी से परेशान होकर तथा अपनी कन्याओं के विवाह व मँहगी पढ़ाई के कारण आत्महत्या तक परिस्थिति उत्पन्न हो जाती है।
इन सब परेशानियों का खात्मा संत रामपाल जी महाराज जी के सत्संग वचनों व सतभक्ति से ही हो सकता है। संत रामपाल जी महाराज जी ही दहेज मुक्त भारत का निर्माण कर रहे हैं।
💰आत्महत्या तथा हत्या दोनों परमात्मा के विधानानुसार घोर अपराध हैं। यह किसी भी परिस्थिति में नहीं होना चाहिए। अज्ञानता तथा सामाजिक कुरीतिओं (दहेज, भात, छुछक तक बेटी का खर्च करना, बारात का अधिक आना-बुलाना) के कारण कितनी मासूम कन्याओं की हत्या तथा आत्महत्या हुई है। हम चाहते हैं कि ऐसी गलती कोई ना दोहराए। इसलिए संत रामपाल जी महाराज के सत्संग वचन सुनकर उनसे निःशुल्क जुड़ें ताकि हमारी तरह आप भी सुखी हों, उनसे जुड़ने के बाद जीवन यापन के लिए थोड़ी कमाई से ही काम चल जाएगा। निर्धनता खत्म हो जाएगी। जीवन के सभी दुःख समाप्त हो जाऐंगे।
💰दहेज के कारण मासूम लड़कियों को गर्भ में ही मार दिया ��ाता है। लेकिन, अब बेटी बोझ नहीं।
क्योंकि संत रामपाल जी महाराज दहेज मुक्त भारत बना रहे हैं।
संत रामपाल जी महाराज के शिष्य बिना दहेज के 17 मिनट में रमैनी (शादी) करके, खुशहाल जीवन जी रहे हैं।
💰संत रामपाल जी महाराज की दी गई शिक्षा से हो रहा है दहेज का खात्मा।
संत रामपाल जी महाराज का ज्ञान करेगा दहेज मुक्त भारत का निर्माण।
💰दहेज न देने पर जहां समाज में बेटी को प्रताड़ित किया जाता है।
वहीं संत रामपाल जी महाराज जी के ज्ञान से सादगी से हो रहे हैं दहेज मुक्त विवाह। सास-ससुर द्वारा बहू को घर में दिया जाता है बेटी के समान दर्जा।
💰एक तरफ जहां दहेज की मांग पूरी करने में असमर्थ पिता आत्महत्या कर लेता है वहीं परम संत रामपाल जी महाराज जी दहेज प्रथा जैसी सामाजिक बुराई को जड़ से खत्म करते हुए एक सबसे बड़े समाज सुधारक की भूमिका निभा रहे हैं। संत रामपाल जी महाराज जी के अनुयायी कर रहे हैं 17 मिनट में दहेज मुक्त विवाह अथवा रमैनी। जिससे अब माता पिता के ऊपर बेटी बोझ नहीं बनत
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💰 दहेज के लालच में हो रही है बेटी की हत्या
लेकिन अब नहीं जाएगी दहेज के लिए बेटी की जान।
क्योंकि संत रामपाल जी महाराज बना रहे हैं दहेज मुक्त भारत अभियान।
💰 दहेज के अत्याचारों से गयी बहू की जान।
अब नहीं सहेंगी बेटियाँ दहेज का अपमान।
संत रामपाल जी महाराज चला रहे हैं सफलतम दहेज मुक्त भारत अभियान
💰जहां समाज में आज भी दहेज के लिए बहू को जला दिया जाता है।
वहीं संत रामपाल जी महाराज जी के शिष्य आध्यात्मिक ज्ञान को समझने के बाद यह जान चुके हैं कि दहेज विष के समान है। और दहेज मुक्त अंतर्जातीय विवाह करके समाज से इस कुरीति को जड़ से खत्म कर रहे हैं
💰 मानसिक परेशानी का कारण है अपनी परंपराएं।
यह भार व्यर्थ के लिए खड़े हैं जैसे बड़ी कोठी-बडी़ मंहगी कार, मंहगे आभूषण (स्वर्ण के आभूषण), संग्रह करना, विवाह में दहेज लेना-देना, बैंड-बाजे, डीजे बजाना, घुड़चढ़ी के समय पूरे परिवार का बेशर्मों की तरह नाचना।
💰माया का नशा जीव पर हावी है। जैसे दहेज यानी पराया धन प्राप्त करने की व्यर्थ परम्परा
अध्यात्म ज्ञान रूपी औषधि सेवन करने से जीव का नशा उतर जाता है।
फिर वह भक्ति के सफर पर चलता है क्योंकि उसे परमात्मा के पास पहुँचना है जो उसका अपना पिता है।
💰 दहेज के लिए जहां नव विवाहिताओं को जिंदा जला दिया जाता है।
वहीं संत रामपाल जी महाराज के आशीर्वाद से हो रही हैं दहेज मुक्त शादी।
अब दहेज रूपी दानव की भेंट नहीं चढ़ेगी बेटियां।
संत रामपाल जी महाराज का सपना दहेज मुक्त हो भारत अपना।
💰दहेज नहीं तो निकाह नहीं, दहेज से किया जा रहा है बेटियों का मोल।
वहीं संत रामपाल जी महाराज जी के आशीर्वाद से हो रहे हैं अंतर्जातीय दहेज मुक्त विवाह। धर्म और जाति की बेड़ियों को तोड़कर कर रहे हैं बेटियों का जीवन खुशहाल।
💰मानव समाज में आज दहेज प्रथा के कारण गरीब से गरीब व्यक्तियों को जीवन जीने में परेशानी हो रही है।
वहीं दूसरी तरफ संत रामपाल जी महाराज जी के शिष्य बिना दहेज रमैनी(शादी )करके सुखमय जीवन जी रहे हैं।
संत रामपाल जी महाराज जी के सानिध्य में बन रहा है दहेज मुक्त भारत।
💰एक तरफ जहां दहेज न देने पर महिलाओं को मार दिया जाता है।
वहीं दूसरी तरफ संत रामपाल जी महाराज जी के अनुयायी अंतर्जातीय व दहेज मुक्त विवाह करके एक नये मानव समाज का निर्माण कर रहे हैं।
💰 जहां दहेज नहीं मिलने पर परिवार के सामने जला दिया जाता है बहू को।
संत रामपाल जी महाराज जी के सानिध्य में रमैनी के माध्यम से सम्पन्न हो रहे हैं दहेज मुक्त विवाह, जिससे लाखों लोगों को दहेज रूपी राक्षस से मिल रहा है छुटकारा। संत रामपाल जी के सानिध्य में बन रहा है दहेज मुक्त भारत।
💰’’विवाह कैसे करें‘‘
जैसे श्री देवी दुर्गा जी ने अपने तीनों पुत्रों (श्री ब्रह्मा जी, श्री विष्णु जी तथा श्री शिव जी) का विवाह किया था। मेरे (संत रामपाल जी के) अनुयाई ऐसे ही करते हैं। 17 मिनट की असुर निकंदन रमैणी है। फेरों के स्थान पर उसको बोला जाता है जो करोड़ गायत्री मंत्र से उत्तम तथा लाभदायक है। जिसमें विश्व के सर्व देवी-देव तथा पूर्ण परमात्मा का आह्वान तथा स्तुति-प्रार्थना है। जिस कारण से सर्व शक्तियां उस विवाह वाले जोड़े की सदा रक्षा तथा सहायता करते हैं। इससे बेटी बची रहेगी। जीने की सुगम राह हो जाएगी।
- जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज।
💰विवाह में प्रचलित वर्तमान परंपरा का त्याग :-
विवाह में व्यर्थ का खर्चा त्यागना पड़ेगा। जैसे बेटी के विवाह में बड़ी बारात का आना, दहेज देना, यह व्यर्थ परंपरा है।
- जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज।
💰दहेज के कारण बेटी परिवार पर भार मानी जाने लगी है और उसको गर्भ में ही मारने का सिलसिला शुरू है।जो माता-पिता के लिए महापाप का कारण बनता है। बेटी देवी का स्वरूप है। हमारी कुपरम्पराओं ने बेटी को दुश्मन बना दिया।
- जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज।
💰श्री देवीपुराण के तीसरे स्कंद में प्रमाण है कि इस ब्रह्माण्ड के प्रारम्भ में तीनों देवताओं का जब इनकी माता श्री दुर्गा जी ने विवाह किया, उस समय न कोई बाराती था, न कोई भाती था। न कोई भोजन-भण्डारा किया गया था। न डी.जे बजा था, न कोई नृत्य किया गया था। श्री दुर्गा जी ने अपने बड़े पुत्र श्री ब्रह्मा
जी से कहा कि हे ब्रह्मा! यह सावित्री नाम की लड़की तुझे तेरी पत्नी रूप में दी जाती है। इसे ले जाओ और अपना घर बसाओ। इसी प्रकार अपने बीच वाले पुत्र श्री विष्णु जी से लक्ष्मी जी तथा छोटे बेटे श्री शिव जी को पार्वती जी को देकर कहा ये तुम्हारी पत्नियां हैं। इनको ले जाओ और अपना-अपना घर बसाओ। तीनों अपनी-अपनी पत्नियों को लेकर अपने-अपने लोक में चले गए जिससे विश्व का विस्तार हुआ।
💰दहेज लेना व देना अपराध है, पाप है
जब मानव को परमात्मा के विधान का ज्ञान होगा, तब वह सर्व पापों से बचेगा। अपराध करना विष खाने के तुल्य समझेगा। वह संत रामपाल जी महाराज के सत्संगों से हो सकता है। सत्संग के माध्यम से अच्छे विचार जनता को सुनने को मिलेंगे तो इस समस्या का समाधान पूर्ण रूप से हो जाएगा। संत रामपाल जी महाराज द्वारा दिए जा रहे सत्संग-विचार के वचनों का जादुई प्रभाव पड़ता है।
💰निर्धनता तथा समाज में फैली कुरीतियाँ जैसे दहेज प्रथा, विवाह पर अनाप-सनाप खर्च करना, मृत्यु भोज, बड़ी बारात आदि-आदि तथा अन्य बुराईयाँ जैसे नशा आदि-आदि के कारण निर्धन व्यक्ति कर्ज तथा गंभीर बीमारी से परेशान होकर तथा अपनी कन्याओं के विवाह व मँहगी पढ़ाई के कारण आत्महत्या तक परिस्थिति उत्पन्न हो जाती है।
इन सब परेशानियों का खात्मा संत रामपाल जी महाराज जी के सत्संग वचनों व सतभक्ति से ही हो सकता है। संत रामपाल जी महाराज जी ही दहेज मुक्त भारत का निर्माण कर रहे हैं।
💰आत्महत्या तथा हत्या दोनों परमात्मा के विधानानुसार घोर अपराध हैं। यह किसी भी परिस्थिति में नहीं होना चाहिए। अज्ञानता तथा सामाजिक कुरीतिओं (दहेज, भात, छुछक तक बेटी का खर्च करना, बारात का अधिक आना-बुलाना) के कारण कितनी मासूम कन्याओं की हत्या तथा आत्महत्या हुई है। हम चाहते हैं कि ऐसी गलती कोई ना दोहराए। इसलिए संत रामपाल जी महाराज के सत्संग वचन सुनकर उनसे निःशुल्क जुड़ें ताकि हमारी तरह आप भी सुखी हों, उनसे जुड़ने के बाद जीवन यापन के लिए थोड़ी कमाई से ही काम चल जाएगा। निर्धनता खत्म हो जाएगी। जीवन के सभी दुःख समाप्त हो जाऐंगे।
💰दहेज के कारण मासूम लड़कियों को गर्भ में ही मार दिया जाता है। लेकिन, अब बेटी बोझ नहीं।
क्योंकि संत रामपाल जी महाराज दहेज मुक्त भारत बना रहे हैं।
संत रामपाल जी महाराज के शिष्य बिना दहेज के 17 मिनट में रमैनी (शादी) करके, खुशहाल जीवन जी रहे हैं।
💰संत रामपाल जी महाराज की दी गई शिक्षा से हो रहा है दहेज का खात्मा।
संत रामपाल जी महाराज का ज्ञान करेगा दहेज मुक्त भारत का निर्माण।
💰दहेज न देने पर जहां समाज में बेटी को प्रताड़ित किया जाता है।
वहीं संत रामपाल जी महाराज जी के ज्ञान से सादगी से हो रहे हैं दहेज मुक्त विवाह। सास-ससुर द्वारा बहू को घर में दिया जाता है बेटी के समान दर्जा।
💰एक तरफ जहां दहेज की मांग पूरी करने में असमर्थ पिता आत्महत्या कर लेता है वहीं परम संत रामपाल जी महाराज जी दहेज प्रथा जैसी सामाजिक बुराई को जड़ से खत्म करते हुए एक सबसे बड़े समाज सुधारक की भूमिका निभा रहे हैं। संत रामपाल जी महाराज जी के अनुयायी कर रहे हैं 17 मिनट में दहेज मुक्त विवाह अथवा रमैनी। जिससे अब माता पिता के ऊपर बेटी बोझ नहीं बनती।
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#अद्भूत_लीला_सतगुरूदेवजी_की...
🌼🌼🌼 सतगुरू देव जी बतलाते हैं कि पूर्ण सतगुरू का रोल वह #पूर्णब्रम्ह_परमेश्वर स्वयं ही करते हैं और एकमात्र पूरे सतगुरू को ही नाम उपदेश देने का ही अधिकार होता हैं और नाम उपदेश देने का मतलब होता हैं कि समर्पित और आस्थावान अर्थात् योग्य शिष्य को भवसागर से पार लगाना लेकिन अपने सभी शिष्यों को वह सतगुरू भवसागर से पार नहीं कर सकता हैं क्योंकि लाखों की भीड़ में ऐसे श्रद्धाहिन लाखों अधुरे शिष्य भी होते हैं जो पार होने के योग्य नहीं होते हैं ,और जब तक यह श्रद्धाहिन शिष्य पार होने लायक नहीं हो जाते हैं तब तक सतगुरू को भी बार बार जन्म लेना पड़ता हैं और ऐसा ना करना पड़े इसीलिए ऐसा एक लीला करना सतगुरू के लिए जरूरी/मज़बूरी हो जाता हैं कि नकली,अधूरे और श्रद्धाहिन शिष्य अपने सतगुरू देव जी से स्वतः ही नफ़रत करने लग जाए,अपने गुरू के प्रति उनके मन में कोई श्रद्धा ही ना रह जाए और ऐसे शिष्य जब अपने सतगुरू में खोट देखकर उनसे विमुख हो जाते हैं तो ऐसे लाखों अयोग्य शिष्य के भार से वह सतगुरू पूर्णतः मुक्त हो जाता हैं।
गरीबदास जी महाराज अपने सतगुरू,अपने परमेश्वर कबीर साहेब के उस अद्भुत लीला के विषय में कहते हैं कि....
गरीब,चांडाली के चौंक में,सतगुरू बैठे जाय |
चौसठ लाख गारत गये,दो रहे सतगुरू पाय ||
भड़वा भड़वा सब कहे,जानत नाहिं खोज |
दास गरीब कबीर करम,बांटत सिर का बोझ ||
इसलिए भक्तसमाज से निवेदन हैं कि सच्चे सद्गुरू और सच्चे खूदा को पहचान कर उनके शरणागत होकर के देव दूर्लभ अपने अनमोल मानव जीवन को सफल सुखद बनाएं....
और अधिक जानकारी के लिए सपरिवार देखिए श्रद्धा टीवी चैनल दोपहर दो बजे से.....
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#हिन्दूसाहेबान_नहींसमझे_गीतावेदपुराणPart122 के आगे पढिए.....)
📖📖📖
#हिन्दूसाहेबान_नहींसमझे_गीतावेदपुराणPart123
"तेरहवां अध्याय"
काल ब्रह्म क्यों भ्रमित साधना-पूजा का भ्रम जाल फैलाता है?
कृपया पढ़ें वह कारण :-
"कबीर परमेश्वर जी की काल से वार्ता"
जब परमेश्वर ने सर्व ब्रह्मण्डों की रचना की और अपने लोक में विश्राम करने लगे। उसके बाद हम सभी काल के ब्रह्मण्ड में रह कर अपना किया हुआ कर्मदण्ड भोगने लगे और बहुत दुःखी रहने लगे। सुख व शांति की खोज में भटकने लगे और हमें अपने निज घर सतलोक की याद सताने लगी तथा वहां जाने के लिए भक्ति प्रारंभ की। किसी ने चारों वेदों को कंठस्थ किया तो कोई उग्र तप करने लगा ��र हवन यज्ञ, ध्यान, समाधि आदि क्रियाएं प्रारम्भ की, लेकिन अपने निज घर सतलोक नहीं जा सके क्योंकि उपरोक्त क्रियाएं करने से अगले जन्मों में अच्छे समृद्ध जीवन को प्राप्त होकर (जैसे राजा-महाराजा, बड़ा व्यापारी, अधिकारी, देव महादेव, स्वर्ग-महास्वर्ग आदि) वापिस लख चौरासी भोगने लगे। बहुत परेशान रहने लगे और परमपिता परमेश्वर से प्रार्थना करने लगे कि हे दयालु ! हमें निज घर का रास्ता दिखाओ। हम हृदय से आपकी भक्ति करते हैं। आप हमें दर्शन क्यों नहीं दे रहे हो?
यह वृतान्त कबीर साहेब ने धर्मदास जी को बताते हुए कहा कि धर्मदास इन जीवों की पुकार सुनकर मैं अपने सतलोक से जोगजीत का रूप बनाकर काल लोक में आया। तब इक्कीसवें ब्रह्मण्ड में जहां काल का निज घर है वहां पर तप्तशिला पर जीवों को भूनकर सुक्ष्म शरीर से गंध निकाला जा रहा था। मेरे पहुंचने के बाद उन जीवों की जलन समाप्त को गई। उन्होंने मुझे देखकर कहा कि हे पुरुष! आप कौन हो? आपके दर्शन मात्र से ही हमें बड़ा सुख व शांति का आभास हो रहा है। फिर मैंने बताया कि मैं पारब्रह्म परमेश्वर कबीर हूं। आप सब जीव मेरे लोक से आकर काल ब्रह्म के लोक में फंस गए हो। यह काल रोजाना एक लाख मानव के सुक्ष्म शरीर से गंध निकाल कर खाता है और बाद में नाना प्रकार की योनियों में दण्ड भोगने के लिए छोड़ देता है। तब वे जीवात्माएं कहने लगी कि हे दयालु परमश्वर ! हमें इस काल की जेल से छुड़वाओ। मैंने बताया कि यह ब्रह्मण्ड काल ने तीन बार भक्ति करके मेरे से प्राप्त किए हुए हैं जो आप यहां सब वस्तुओं का प्रयोग कर रहे हो ये सभी काल की हैं और आप सब अपनी इच्छा से घूमने के लिए आए हो। इसलिए अब आपके ऊपर काल ब्रह्म का बहुत ज्यादा ऋण हो चुका है और वह ऋण मेरे सच्चे नाम के जाप के बिना नहीं उतर सकता। जब तक आप ऋण मुक्त नहीं हो सकते तब तक आप काल ब्रह्म की जेल से बाहर नहीं जा सकते। इसके लिए आपको मुझसे नाम उपदेश लेकर भक्ति करनी होगी। तब मैं आपको छुड़वा कर ले जाऊंगा। हम यह वार्ता कर ही रहे थे कि वहां पर काल ब्रह्म प्रकट हो गया और उसने बहुत क्रोधित होकर मेरे ऊपर हमला बोला। मैंने अपनी शब्द शक्ति से उसको मुर्छित कर दिया। फिर कुछ समय बाद वह होश में आया। मेरे चरणों में गिरकर क्षमा याचना करने लगा और बोला कि आप मुझ से बड़े हो, मुझ पर कुछ दया करो और यह बताओ कि आप मेरे लोक में क्यों आए हो? तब मैंने काल पुरुष को बताया कि कुछ जीवात्माएं भक्ति करके अपने निज घर सतलोक में वापिस जाना चाहती हैं। उन्हें सतभक्ति मार्ग नहीं मिल रहा है। इसलिए वे भक्ति करने के बाद भी इसी लोक में रह जाती हैं। मैं उनको सतभक्ति मार्ग बताने के लिए और तेरा ��ेद देने के लिए आया हूं कि तूं काल है, एक लाख जीवों का आहार करता है और सवा लाख जीवों को उत्पन्न करता है तथा भगवान बन कर बैठा है। मैं इनको बताऊंगा कि तुम जिसकी भक्ति करते हो वह भगवान नहीं, काल है। इतना सुनते ही काल बोला कि यदि सब जीव वापिस चले गए तो मेरे भोजन का क्या होगा? मैं भूखा मर जाऊंगा। आपसे मेरी प्रार्थना है कि तीन युगों में जीव कम संख्या में ले जाना और सबको मेरा भेद मत देना कि मैं काल हूँ, सबको खाता हूँ। जब कलियुग आए तो चाहे जितने जीवों को ले जाना। ये वचन काल ने मुझसे प्राप्त कर लिए। कबीर साहेब ने धर्मदास को आगे बताते हुए कहा कि सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग में भी मैं आया था और बहुत जीवों को सतलोक लेकर गया लेकिन इसका भेद नहीं बताया। अब मैं कलियुग में आया हूं और काल से मेरी वार्ता हुई है। काल ब्रह्म ने मुझ से कहा कि अब आप चाहे जितना जोर लगा लेना, आपकी बात कोई नहीं सुनेगा। प्रथम तो मैंने जीव को भक्ति के लायक ही नहीं छोड़ा है। उनमें बीड़ी, सिगरेट, शराब, मांस आदि दुर्व्यसन की आदत डाल कर इनकी वृति को बिगाड़ दिया है। नाना प्रकार की पाखण्ड पूजा में जीवात्माओं को लगा दिया है। दूसरी बात यह होगी कि जब आप अपना ज्ञान देकर वापिस अपने लोक में चले जाओगे। उससे पहले मैं (काल) अपने दूत भेजकर आपके पंथ से मिलते-जुलते बारह पंथ चलाकर जीवों को भ्रमित कर दूंगा। महिमा सतलोक की बताएंगे, आपका ज्ञान कथेंगे लेकिन नाम-जाप मेरा करेंगे, जिसके परिणामस्वरूप मेरा ही भोजन बनेंगे। यह बात सुनकर कबीर साहेब ने कहा कि आप अपनी कोशिश करना, मैं सतमार्ग बताकर ही वापिस जाऊंगा और जो मेरा ज्ञान सुन लेगा वह तेरे बहकावे में कभी नहीं आएगा।
सतगुरु कबीर साहेब ने कहा कि हे निरंजन ! यदि मैं चाहूं तो तेरे सारे खेल को क्षण भर में समाप्त कर सकता हूँ, परंतु ऐसा करने से मेरा वचन भंग होता है। यह सोच कर मैं अपने प्यारे हंसों को यथार्थ ज्ञान देकर शब्द का बल प्रदान करके सतलोक ले जाऊंगा और कहा कि :-
कह कबीर सुनो धर्मराया, हम शंखों हंसा पद परसाया। जिन लीन्हा हमरा प्रवाना, सो हंसा हम किए अमाना ।।
(पवित्र कबीर सागर में जीवों को काल ब्रह्म द्वारा भूल-भूलइयां में डालने के लिए तथा अपनी भूख को मिटाने के लिए तरह-तरह के तरीकों का वर्णन)
द्वादस पंथ करूं मैं साजा, नाम तुम्हारा ले करूं अवाजा।
द्वादस यम संसार पठहो, नाम तुम्हारे पंथ चलैहो ।।
प्रथम दूत मम प्रगटे जाई, पीछे अंश तुम्हारा आई ।।
यही विधि जीवनको भ्रमाऊं, पुरुष नाम जीवन समझाऊं ।।
द्वादस पंथ नाम ज�� लैहे, सो हमरे मुख आन समै है।।
कहा तुम्हारा जीव नहीं माने, हमारी ओर होय बाद बखानै ।।
मैं दृढ़ फंदा रची बनाई, जामें जीव रहे उरझाई ।।
देवल देव पाषान पूजाई, तीर्थ व्रत जप-तप मन लाई ।।
यज्ञ होम अरू नेम अचारा, और अनेक फंद में डारा ।। जो ज्ञानी
जाओ संसारा, जीव न मानै कहा तुम्हारा।।
(सतगुरु वचन)
ज्ञानी कहे सुनो अन्याई, काटो फंद जीव ले जाई ।।
जेतिक फंद तुम रचे विचारी, सत्य शबद तै सबै बिंडारी ।।
जौन जीव हम शब्द दृढावै, फंद तुम्हारा सकल मुकावै ।।
चौका कर प्रवाना पाई, पुरुष नाम तिहि देऊं चिन्हाई ।।
ताके निकट काल नहीं आवै, संधि देखी ताकहं सिर नावै ।।
उपरोक्त विवरण से सिद्ध होता है कि जो अनेक पंथ चले हुए हैं। जिनके पास कबीर साहेब द्वारा बताया हुआ सतभक्ति मार्ग नहीं है, ये सब काल प्रेरित हैं। अतः बुद्धिमान को चाहिए कि सोच-विचार कर भक्ति मार्ग अपनांए क्योंकि मनुष्य जन्म अनमोल है, यह बार-बार नहीं मिलता। कबीर साहेब कहते हैं कि :- कबीर मानुष जन्म दुर्लभ है, मिले न बारम्बार । तरूवर से पत्ता टूट गिरे, बहुर न लगता डारि ।।
•••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••
आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। Sant Rampal Ji Maharaj YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
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#हिन्दूसाहेबान_नहींसमझे_गीतावेदपुराणPart122 के आगे पढिए.....)
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"तेरहवां अध्याय"
काल ब्रह्म क्यों भ्रमित साधना-पूजा का भ्रम जाल फैलाता है?
कृपया पढ़ें वह कारण :-
"कबीर परमेश्वर जी की काल से वार्ता"
जब परमेश्वर ने सर्व ब्रह्मण्डों की रचना की और अपने लोक में विश्राम करने लगे। उसके बाद हम सभी काल के ब्रह्मण्ड में रह कर अपना किया हुआ कर्मदण्ड भोगने लगे और बहुत दुःखी रहने लगे। सुख व शांति की खोज में भटकने लगे और हमें अपने निज घर सतलोक की याद सताने लगी तथा वहां जाने के लिए भक्ति प्रारंभ की। किसी ने चारों वेदों को कंठस्थ किया तो कोई उग्र तप करने लगा और हवन यज्ञ, ध्यान, समाधि आदि क्रियाएं प्रारम्भ की, लेकिन अपने निज घर सतलोक नहीं जा सके क्योंकि उपरोक्त क्रियाएं करने से अगले जन्मों में अच्छे समृद्ध जीवन को प्राप्त होकर (जैसे राजा-महाराजा, बड़ा व्यापारी, अधिकारी, देव महादेव, स्वर्ग-महास्वर्ग आदि) वापिस लख चौरासी भोगने लगे। बहुत परेशान रहने लगे और परमपिता परमेश्वर से प्रार्थना करने लगे कि हे दयालु ! हमें निज घर का रास्ता दिखाओ। हम हृदय से आपकी भक्ति करते हैं। आप हमें दर्शन क्यों नहीं दे रहे हो?
यह वृतान्त कबीर साहेब ने धर्मदास जी को बताते हुए कहा कि धर्मदास इन जीवों की पुकार सुनकर मैं अपने सतलोक से जोगजीत का रूप बनाकर काल लोक में आया। तब इक्कीसवें ब्रह्मण्ड में जहां काल का निज घर है वहां पर तप्तशिला पर जीवों को भूनकर सुक्ष्म शरीर से गंध निकाला जा रहा था। मेरे पहुंचने के बाद उन जीवों की जलन समाप्त को गई। उन्होंने मुझे देखकर कहा कि हे पुरुष! आप कौन हो? आपके दर्शन मात्र से ही हमें बड़ा सुख व शांति का आभास हो रहा है। फिर मैंने बताया कि मैं पारब्रह्म परमेश्वर कबीर हूं। आप सब जीव मेरे लोक से आकर काल ब्रह्म के लोक में फंस गए हो। यह काल रोजाना एक लाख मानव के सुक्ष्म शरीर से गंध निकाल कर खाता है और बाद में नाना प्रकार की योनियों में दण्ड भोगने के लिए छोड़ देता है। तब वे जीवात्माएं कहने लगी कि हे दयालु परमश्वर ! हमें इस काल की जेल से छुड़वाओ। मैंने बताया कि यह ब्रह्मण्ड काल ने तीन बार भक्ति करके मेरे से प्राप्त किए हुए हैं जो आप यहां सब वस्तुओं का प्रयोग कर रहे हो ये सभी काल की हैं और आप सब अपनी इच्छा से घूमने के लिए आए हो। इसलिए अब आपके ऊपर काल ब्रह्म का बहुत ज्यादा ऋण हो चुका है और वह ऋण मेरे सच्चे नाम के जाप के बिना नहीं उतर सकता। जब तक आप ऋण मुक्त नहीं हो सकते तब तक आप काल ब्रह्म की जेल से बाहर नहीं जा सकते। इसके लिए आपको मुझसे नाम उपदेश लेकर भक्ति करनी होगी। तब मैं आपको छुड़वा कर ले जाऊंगा। हम यह वार्ता कर ही रहे थे कि वहां पर काल ब्रह्म प्रकट हो गया और उसने बहुत क्रोधित होकर मेरे ऊपर हमला बोला। मैंने अपनी शब्द शक्ति से उसको मुर्छित कर दिया। फिर कुछ समय बाद वह होश में आया। मेरे चरणों में गिरकर क्षमा याचना करने लगा और बोला कि आप मुझ से बड़े हो, मुझ पर कुछ दया करो और यह बताओ कि आप मेरे लोक में क्यों आए हो? तब मैंने काल पुरुष को बताया कि कुछ जीवात्माएं भक्ति करके अपने निज घर सतलोक में वापिस जाना चाहती हैं। उन्हें सतभक्ति मार्ग नहीं मिल रहा है। इसलिए वे भक्ति करने के बाद भी इसी लोक में रह जाती हैं। मैं उनको सतभक्ति मार्ग बताने के लिए और तेरा भेद देने के लिए आया हूं कि तूं काल है, एक लाख जीवों का आहार करता है और सवा लाख जीवों को उत्पन्न करता है तथा भगवान बन कर बैठा है। मैं इनको बताऊंगा कि तुम जिसकी भक्ति करते हो वह भगवान नहीं, काल है। इतना सुनते ही काल बोला कि यदि सब जीव वापिस चले गए तो मेरे भोजन का क्या होगा? मैं भूखा मर जाऊंगा। आपसे मेरी प्रार्थना है कि तीन युगों में जीव कम संख्या में ले जाना और सबको मेरा भेद मत देना कि मैं काल हूँ, सबको खाता हूँ। जब कलियुग आए तो चाहे जितने जीवों को ले जाना। ये वचन काल ने मुझसे प्राप्त कर लिए। कबीर साहेब ने धर्मदास को आगे बताते हुए कहा कि सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग में भी मैं आया था और बहुत जीवों को सतलोक लेकर गया लेकिन इसका भेद नहीं बताया। अब मैं कलियुग में आया हूं और काल से मेरी वार्ता हुई है। काल ब्रह्म ने मुझ से कहा कि अब आप चाहे जितना जोर लगा लेना, आपकी बात कोई नहीं सुनेगा। प्रथम तो मैंने जीव को भक्ति के लायक ही नहीं छोड़ा है। उनमें बीड़ी, सिगरेट, शराब, मांस आदि दुर्व्यसन की आदत डाल कर इनकी वृति को बिगाड़ दिया है। नाना प्रकार की पाखण्ड पूजा में जीवात्माओं को लगा दिया है। दूसरी बात यह होगी कि जब आप अपना ज्ञान देकर वापिस अपने लोक में चले जाओगे। उससे पहले मैं (काल) अपने दूत भेजकर आपके पंथ से मिलते-जुलते बारह पंथ चलाकर जीवों को भ्रमित कर दूंगा। महिमा सतलोक की बताएंगे, आपका ज्ञान कथेंगे लेकिन नाम-जाप मेरा करेंगे, जिसके परिणामस्वरूप मेरा ही भोजन बनेंगे। यह बात सुनकर कबीर साहेब ने कहा कि आप अपनी कोशिश करना, मैं सतमार्ग बताकर ही वापिस जाऊंगा और जो मेरा ज्ञान सुन लेगा वह तेरे बहकावे में कभी नहीं आएगा।
सतगुरु कबीर साहेब ने कहा कि हे निरंजन ! यदि मैं चाहूं तो तेरे सारे खेल को क्षण भर में समाप्त कर सकता हूँ, परंतु ऐसा करने से मेरा वचन भंग होता है। यह सोच कर मैं अपने प्यारे हंसों को यथार्थ ज्ञान देकर शब्द का बल प्रदान करके सतलोक ले जाऊंगा और कहा कि :-
कह कबीर सुनो धर्मराया, हम शंखों हंसा पद परसाया। जिन लीन्हा हमरा प्रवाना, सो हंसा हम किए अमाना ।।
(पवित्र कबीर सागर में जीवों को काल ब्रह्म द्वारा भूल-भूलइयां में डालने के लिए तथा अपनी भूख को मिटाने के लिए तरह-तरह के तरीकों का वर्णन)
द्वादस पंथ करूं मैं साजा, नाम तुम्हारा ले करूं अवाजा।
द्वादस यम संसार पठहो, नाम तुम्हारे पंथ चलैहो ।।
प्रथम दूत मम प्रगटे जाई, पीछे अंश तुम्हारा आई ।।
यही विधि जीवनको भ्रमाऊं, पुरुष नाम जीवन समझाऊं ।।
द्वादस पंथ नाम जो लैहे, सो हमरे मुख आन समै है।।
कहा तुम्हारा जीव नहीं माने, हमारी ओर होय बाद बखानै ।।
मैं दृढ़ फंदा रची बनाई, जामें जीव रहे उरझाई ।।
देवल देव पाषान पूजाई, तीर्थ व्रत जप-तप मन लाई ।।
यज्ञ होम अरू नेम अचारा, और अनेक फंद में डारा ।। जो ज्ञानी
जाओ संसारा, जीव न मानै कहा तुम्हारा।।
(सतगुरु वचन)
ज्ञानी कहे सुनो अन्याई, काटो फंद जीव ले जाई ।।
जेतिक फंद तुम रचे विचारी, सत्य शबद तै सबै बिंडारी ।।
जौन जीव हम शब्द दृढावै, फंद तुम्हारा सकल मुकावै ।।
चौका कर प्रवाना पाई, पुरुष नाम तिहि देऊं चिन्हाई ।।
ताके निकट काल नहीं आवै, संधि देखी ताकहं सिर नावै ।।
उपरोक्त विवरण से सिद्ध होता है कि जो अनेक पंथ चले हुए हैं। जिनके पास कबीर साहेब द्वारा बताया हुआ सतभक्ति मार्ग नहीं है, ये सब काल प्रेरित हैं। अतः बुद्धिमान को चाहिए कि सोच-विचार कर भक्ति मार्ग अपनांए क्योंकि मनुष्य जन्म अनमोल है, यह बार-बार नहीं मिलता। कबीर साहेब कहते हैं कि :- कबीर मानुष जन्म दुर्लभ है, मिले न बारम्बार । तरूवर से पत्ता टूट गिरे, बहुर न लगता डारि ।।
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