#मीन राशि का अंक शास्त्र
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आज का राशिफल आज का राशिफल 16 मार्च 2022 दैनिक राशिफल दैनिक राशिफल हिंदी में - राशिफल आज 16 मार्च 2022 : मीन, वृहद और वृहद इन तीन राशिफल को लाभ, दैनिक राशिफल
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दैनिक राशिफल | आज का रशीफाली ज्योतिष शास्त्र (ज्योतिष) में राशिफल के अलग-अलग काल-खंडों के बारे में है। जहां दैनिक भविष्यफल की गणना होती है, वे सभी आयु वर्ग, वार्षिक अंक फल में वार्षिक, और की भविष्यफल होंगे। दैनिक राशिफल (दैनिक राशिफल) ग्रह-नक्षत्र की चाल पर बेसादेश है, सभी राशियों (मेष, वृष, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर, कुंभ राशि) का साप्ताहिक भविष्यफल से रोग है। इस राशिफल…
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किन राशियों के लिए ख़ास होगी ये नवरात्री और क्यों?
नवरात्रि का हर दिन माँ दुर्गा को समर्पित है, नवरात्रि के नौ दिनों तक दुर्गा माँ के अलग-अलग नौ रूपों की पूजा की जाती है, एवं kundali matching का अच्छा योग होता है आदि शक्ति की आराधना का पर्व एक वर्ष में चार बार आता है। धर्म ग्रंथों एवं पुराणों के अनुसार, चैत्र नवरात्र भगवती दुर्गाजी की आराधना का श्रेष्ठ समय होता है। हिंदू पंचांग के अनुसार हिंदुओं के नव वर्ष की शुरुआत चैत्र नवरात्रि से होती है। माना जाता है कि चैत्र नवरात्रि में भगवान राम और माँ दुर्गा का जन्म हुआ था।
नवरात्रि में राशि पर प्रभाव :
पंडित राजीव शास्त्री जी के अनुसार kundli making के लिए हर भक्त सभी देवियों की पूजा अर्चना करता है, जिससे उसे देवी माँ की कृपा भी प्राप्त होती है। पर क्या आप जानते हैं कि देवी माँ की पूजा की स्थिति भी आपकी राशि को काफी प्रभावित करती है। जैसे हर कुंडली में एक खास राशि और उसका स्वामी होता है, ऐसे ही हर राशि की एक खास या यूं कहें मुख्य देवी होती हैं। जिनकी पूजा हमें सर्वाधिक फल प्रदान करती है।
चैत्र नवरात्रि में इन 3 राशियों की किस्मत का तारा चमकेगा और उनके लिए हर तरह से लाभ के योग बनेंगे-
· मकर राशि
चैत्र नवरात्रि आपके लिए अनुकूल अवधि होगी| आपको पदोन्नति मिलने की संभावना है| एक उच्च संभावना है कि आपकी वित्तीय स्थिति में सुधार होगा |
· कुंभ राशि
kundli matching in hindi अनुसार आपके सीनियर्स आपके काम से प्रभावित होंगे| आने वाले दिनों में आप पर देवी दुर्गा की कृपा होगी| आपकी कुछ संपत्ति में निवेश करने की संभावना बन रही है और ये आपके लिए भविष्य में अच्छे परिणाम लाएगा|
· मीन राशि
चैत्र नवरात्रि आपके लिए एक अद्भुत अवधि होगी. आपको एक बहुत जरूरी ब्रेक मिलेगा| आप अपने दोस्तों के साथ कुछ आकर्षक स्थान की यात्रा कर सकते हैं| जिनकी पूजा हमें सर्वाधिक फल प्रदान करती है।
नवरात्रि के राशि अनुसार उपाय :
ज्योतिष आचार्य राजीव शास्त्री जी अनुसार यदि नवरात्रि में राशि अनुसार विशेष उपाय किए जाएं तो माता की कृपा से भक्त की हर मनोकामना पूरी हो सकती है। इनमें से एक है अपनी मुख्य देवी की पूजा। जानकारों के अनुसार हर राशि की एक मुख्य देवी होती हैं, जिनकी पूजा करने से इस राशि के जातक को जल्दी और खास लाभ मिलते हैं|
मेष- इस राशि के लोगों के लिए मां स्कंदमाता की अराधना काफी फलदायी मानी जाती है। नवरात्र के नौ दिन दुर्गा सप्तशती या दुर्गा चालीसा का पाठ करें|
वृषभ- आपको माँ दुर्गा के महागौरी स्वरूप की उपासना करनी चाहिए। नवरात्र में ललिता सहस्र नाम का पाठ करें।
मिथुन- इस राशि के लोगों को मां ब्रह्मचारिणी की उपासना करनी चाहिए। साथ ही तारा कवच का रोज पाठ करना चाहिए।
कर्��- कर्क राशि के लोगों को मां शैलपुत्री की पूजा करनी चाहिए और नवरात्र में लक्ष्मी सहस्रनाम का पाठ करना चाहिए|
लेखक का परिचय
ज्योतिष आचार्य राजीव शास्त्री जी जाने-माने kundli maker ज्योतिषियों में से एक हैं। वह ज्योतिष केंद्र,एस्ट्रोलॉजी,ज्योतिष शास्त्र सहित अंक ज्योतिष और जातकों को दोषमुक्त करने में उनकी सहायता की है| ये ज्ञान ज्योतिष द्वारा करते है एवं लोगों की समस्याओं का समाधान करते है|
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लग्न कुंडली विवेचना:
लग्न कुंडली विवेचना:
किसी जातक की विवेचना लग्न कुंडली, चन्द्र कुडंली व् नवांश कुंडली तीनो को देख कर ही करना उत्तम होता है | उक्त बातों से स्पष्ट है कि सामान्यतः मात्र जन्म कुंडली को देख कर या मात्र राशि के आधार पर कुछ बातें बता कर दूसरों को प्रभावित करना मनोरंजन का साधन मात्र है | इसी प्रकार नित्य प्रातः समाचार पत्र आदि में केवल राशि के अनुसार फल देखकर प्रसन्न हो जाना भी आपका मनोविलास ही है | इस बात का वास्तविक ज्योतिष विज्ञान से कोई सम्बन्ध नहीं है |
भावेश :
अब आपने कुंडली बनाना तो सीख लिया अब समझते हैं कि इसमें प्रयुक्त विभिन्न शब्दावली या अन्कावली और भावों का क्या तात्पर्य है ? जैसा हम जानते हैं कि कुंडली में जो अंक लिखे हैं वह राशि बताते हैं उदाहरण के लिए यदि उपरोक्त लग्न कुंडली में 5 नंबर लिखा है अतः कहा जा सकता है कि लग्न या प्रथम भाव में 5 अर्थात सिंह राशि पड़ी है | हम पहले से ही जानते हैं कि सिंह राशि का स्वामी ग्रह सूर्य है | अतः ज्योतिषीय भाषा में कहेंगे कि प्रथम भाव का स्वामी सूर्य है (क्योंकि पहले घर में 5 लिखा है) भाव के स्वामी को भावेश भी कहते हैं (कह सकते हैं कि राशि के स्वामी को उस भाव का भावेश कहते हैं) | प्रथम भाव के स्वामी को प्रथमेश या लग्नेश भी कहते हैं | इसी प्रकार द्वितीय भाव के स्वामी को द्वितीयेश, तृतीय भाव के स्वामी को तृतीयेश इत्यादि कहते हैं |
जिस भाव में, जो राशि लिखी होती है उस राशि का स्वामी ग्रह उस भाव का भावेश कहलाता है | भावेश अपनी राशि वाले भाव में बैठा हो सका है और किसी अन्य राशि वाले भाव में भी बैठा हो सकता है | उदाहरण के लिए उपरोक्त लग्न कुंडली में प्रथम भाव सिंह राशि लिखी है | सिंह राशि का स्वामी ग्रह सूर्य है जो चौथे भाव में वृश्चिक राशि में बैठा है | कहा जाएगा कि लग्न भावेश चतुर्थ भाव में बैठा है | यदि कोई ग्रह अपनी ही राशि में बैठा हो तो कहा जायेगा कि भावेश अपने भाव में बैठे हैं | इसी प्रकार सभी भावों के बारे में जान सकते हैं |
स्वामी ग्रह होने का अभिप्राय ये है कि जो ग्रह जिस राशि का स्वामी ग्रह कहा जाता है, उसका उस राशि पर विशेष अधिकार रहना कहा गया है | उदाहरणार्थ जैसे ग्रामाधिपति को अपने ग्राम से प्रेम होता है और उस ग्राम वाले का भी अपने स्वामी से एक विशेष सम्बन्ध होता है और जब ग्रामाधिपति अपने स्थान में रहता है तो वह विशेष रूप से पराक्रमी और संतुष्ट रहता है | ज्योतिष शास्त्र में ग्रहाधिपत्य से वैसा ही अनुमान बताया गया है | राशियों के स्वामियों को याद करने के लिए एक आसान तरीका निम्न प्रकार है |
सूर्य जातक में कहा गया है :
अहम् राजा शशि राज्ञी नेता भूमिसुतः खगः | सौम्यः कुमारो मंत्री च गुरुस्तद्वल्ल्भा भृगुः ||
प्रेष्यास्त्थेव सम्प्रोक्तः सर्वदा तनुजो मम |
अर्थात सूर्य राजा और चंद्रमा रानी है | बु�� युवराज, मंगल ना��क, बृहस्पति देवमंत्री, शुक्र दैत्यमंत्री और शनि दास है | (ऊपर के श्लोक में च्गुरुस्तद्वल्ल्भा भृगुःछ का अर्थ होता है, बृहस्पति की प्रियतमा शुक्र है परन्तु यह भाव न तो पुराणोक्त ही है और न ही ज्योतिष शास्त्र में पाया जाता है |)
भाव :
यद्यपि कुंडली में एकैक राशि का एकैक स्थान होता है, परन्तु एक भाव ठीक एक ही राशि का सर्वदा नहीं होता | इसका कारण यह है कि लग्न स्पष्ट 15 अंश पूर्व और 15 अंश बाद का एक भाव (प्रथम भाव) होता है | यों समझिये कि किसी का जन्म मेष के १२ अंश २० कला पर था तो उस कुंडली का प्रथम भाव उसके लगभग १५ अंश पूर्व से अर्थात मीन के 27 अंश २० कला से प्रारंभ होकर लग्न स्पष्ट से 15 अंश बाद तक अर्थात मेष के 27 अंश २० कला तक हुआ | साधारणतः इसी प्रकार द्वितीय भाव मेष के 27 अंश २० कला के बाद, वृष के 27 अंश २० कला पर्यंत हुआ | इस से बोध होता है कि यद्यपि अन्य स्थानों में भी प्रत्यक्ष रूप से लग्न की एक ही राशि मालूम होती है तथापि उस भाव के विचारते समय दूसरी राशि का भी सम्बन्ध हो जाना संभव है | इस कारण उस दूसरी राशि में बैठे हुए ग्रहों का भी सम्बन्ध हो सकता है | अतएव फलित ज्योतिष में भाव का साधन तथा भाव कुंडली का प्रयोग समय समय पर अत्यावश्यक हो जाता है |
भाव संधि :
जैसे बताया गया है, कि प्रत्येक भाव अपने भावस्फुट से लगभग 15 अंश पूर्व और 15 अंश पश्चात तक होता है और जहां से एक भाव का अंत और दुसरे का प्रारंभ होता है, उसे संधि कहते हैं | इसे दो भावों का योगस्थान समझ सकते हैं | भावों की संधि मालूम करना बड़ा सुगम है | किसी भाव के स्फुट को उसके आगामी भाव स्फुट में जोड़कर उसका अर्द्ध कर देने से उन दोनों भावों की संधिस्फुट हो जायेगी | जैसे मान किसी कुंडली में घ्लग्न स्फुटङ 0|12|20 और द्वितीय भाव स्फुट 1|8|50 है | इन दोनों का योग 1|12|10 जिसका आधा 0|25|35 हुआ और यही प्रथम और द्वितीय भावों की संधि हुई | ऐसे ही अन्य भी निकाली जा सकती है |
अब यदि कोई ग्रह मीन राशि में 25 अंश 35 कला के बाद है तो यद्यपि प्रत्यक्ष रूप से मीन राशि में होने के कारण द्वादश भाव में प्रतीत होगा परन्तु मीन के 25 अंश 35 कला के बाद रहने के कारण उस ग्रह को लग्न या प्रथम भाव में रहने का फल होगा | इसी प्रकार द्वितीय भाव के मेष के 25 अंश 35 कला से वृष के 22 अंश 5 कला पर्यंत चला गया है | यदि कोई ग्रह मेष के 26 अथवा 27 अंशो में रहे तो यह प्रत्यक्ष रूप से लग्न में मालूम होगा पर वह द्वितीय भाव का फल होगा |
भाव की अवधि ज्ञ् हम कुंडली के १२ भावों को २४ घंटो में बाँट सकते हैं और कह सकते हैं कि एक भाव २ घंटे का होता है |
सूर्य, चन्द्र तथा शनि ग्रह की स्थिति :
कुंडली में भावों में सभी ग्रह महवपूर्ण होते हैं और उनकी स्थिति फलादेश को प्रभावित करती है | किन्तु सूर्य, चन्द्र एवं शनि ग्रहों की स्थिति से व्यक्ति के जीवन के कुछ विशिष्ट तथ्यों का आसानी से पता लग जाता है | भाव में सूर्य की स्थिति से जन्म के समय का ज्ञान हो जाता है | सूर्य एवं चन्द्र दोनों की भाव स्थिति से जन्म की तिथि, जन्म के पक्ष और जन्म के मास का पता लग जाता है | शनि ग्रह की स्थिति से व्यक्ति की वर्तमान आयु का अनुमान हो जाता है | नीचे की दो कुंडलियों से हम उपरोक्त तथ्य मिलायेंगे और पायेंगे कि हम पता कर सकते हैं, कुंडली ठीक बनी है या नहीं |
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आज का राशिफल आज का राशिफल 13 मार्च 2022 दैनिक राशिफल दैनिक राशिफल हिंदी में - राशिफल आज 13 मार्च 2022: मीन, कर्क और सिंह तीन राशि के लोगों के लिए 24, अगला का राशिफल
आज का राशिफल आज का राशिफल 13 मार्च 2022 दैनिक राशिफल दैनिक राशिफल हिंदी में – राशिफल आज 13 मार्च 2022: मीन, कर्क और सिंह तीन राशि के लोगों के लिए 24, अगला का राशिफल
दैनिक राशिफल | आज का रशीफाली ज्योतिष शास्त्र (ज्योतिष) में राशिफल के अलग-अलग काल-खंडों के बारे में है। जहां दैनिक भविष्यफल की गणना हो, तो वै भविष्यवक्ता, वार्षिक अंक फल में वार्षिक, और की भविष्यफल होगा। दैनिक राशिफल (दैनिक राशिफल) ग्रह-नक्षत्र की चाल पर बेसादेश है, सभी राशियों (मेष, वृष, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर, कुंभ राशि) का साप्ताहिक भविष्यफल से रोग है। इस राशिफल को…
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