Tumgik
#मधुमक्खी अनुसंधान
thebandhu · 2 years
Text
मधुमक्खी पालन  व्यवसाय  की पूरी जानकारी(Bee Farming Business) 
मधुमक्खी पालन  व्यवसाय  की पूरी जानकारी(Bee Farming Business) 
मधुमक्खी किसानों की सबसे अच्छी मित्र कीट है वैज्ञानिक अनुसंधान के अनुसार 77% परागण की क्रिया मधुमक्खियां ही करती हैं इससे जो फसल होने वाली वृद्धि से जो आय होती है,  शहद और मोम से 20 गुना ज्यादा होती है. मधुमक्खी पालन एक ऐसा व्यवसाय है जो पालक के साथ-साथ औरों की जीवन में मिठास घोलता है।  पालन करने में रोजगार का भी सृजन होता है उदाहरण के रुप में, बॉक्स के लिए बढ़ईगिरी ,लोहार को अवसर मिलता है। अतः…
Tumblr media
View On WordPress
0 notes
agromedihome · 3 years
Text
विश्व मधुमक्खी दिवस पर शहद परीक्षण प्रयोगशाला परियोजना का कृषि मंत्री ने लिया शुभारंभ
विश्व मधुमक्खी दिवस पर शहद परीक्षण प्रयोगशाला परियोजना का कृषि मंत्री ने लिया शुभारंभ
दिल्ली, 20 मई/ एग्रोमीडिया   विश्व मधुमक्खी दिवस परएवं भारत की आजादी के अमृत महोत्सव के शुभ संदर्भ में,कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, पूसा, नई दिल्ली में शहद परीक्षण प्रयोगशाला स्थापित करने की परियोजना का शुभारंभ किया। गुरूवार को,राष्ट्रीय मधुमक्खीपालन एवं शहद मिशन के अंतर्गत, मधु एवं मधुमक्खीपालन के अन्य उत्पादों के गुणवत्ता परीक्षण हेतु भारतीय…
Tumblr media
View On WordPress
0 notes
abhay121996-blog · 3 years
Text
एक पक्ष से नुकसान और दूसरे पक्ष से सहायता, किसे चुनेगा भारत? Divya Sandesh
#Divyasandesh
एक पक्ष से नुकसान और दूसरे पक्ष से सहायता, किसे चुनेगा भारत?
बीजिंग| हाल ही में भारत में कोविड-19 महामारी की स्थिति तेजी से बिगड़ रही है, जिस पर न सिर्फ भारतीय जनता को चिंता है, बल्कि विश्व के विभिन्न देशों ने भी काफी ध्यान दिया है। इस लेख में हम बारी-बारी से भारत में महामारी से पैदा गंभीर स्थिति, मौतों की अधिक संख्या, सक्षम चिकित्सा व अंतिम संस्कार सेवा प्रणाली, और बेबस मोदी सरकार की चर्चा नहीं करना चाहते, क्योंकि हम नहीं चाहते कि ऐसा करके केवल भारतीय जनता के घाव पर नमक छिड़का जाए, जिससे वे और उदास व मजबूर हों। यहां हम दो चीनी पुराने मुहावरों के माध्यम से भारत की वर्तमान स्थिति का विश्लेषण करना चाहते हैं। आशा है, चीन की पुरातन सभ्यता से आई बुद्धि से भारतीय जनता को वास्तविक स्थिति समझने और मुसीबतों से निकलने में मदद की जा सकेगी। पहला मुहावरा है ‘लो चि श्या शी’। इसका मतलब है किसी को कुएं में गिरते हुए देखा, और उसको बचाने के बजाय उस पर पत्थर फेंकें। यानी मुसीबतों में फंसे लोगों को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करना। उदाहरण के लिए, जब भारतीय जनता महामारी से पीड़ित है और मदद की आवश्यकता है, तो अमेरिका ने वर्तमान में उन्हें बचाने का एकमात्र उपाय– कोविड-19 रोधी टीके के कच्चे मालों की आपूर्ति को बंद किया।
अब हम एक साथ देखें कि अमेरिका, जो खुद को ‘विश्व रक्षक’ मानता है, ने क्या किया? जो बाइडेन ने अमेरिकी राष्ट्रपति बनने के बाद फौरन राष्ट्रीय रक्षा उत्पादन अधिनियम के हवाले से टीके के उत्पादन में काम आने वाली प्रमुख सामग्रियों के निर्यात को बंद किया, ताकि इस बात को सुनिश्चित किया जा सके कि अमेरिका में फाइजर जैसे वैक्सीन निर्माता कंपनी सभी मौसम का उत्पादन करने के लिए पर्याप्त कच्चे माल की आपूर्ति प्राप्त कर सकते हैं। अमेरिका की इस कार्रवाई के प्रति भारतीय ेएए न्यूज ने बड़ा गुस्सा जताया और इसे ‘टीका माफिया कार्रवाई’ करार दिया। साथ ही, भारतीय वेब स्क्रॉल के अनुसार, अगर अमेरिका भारत को टीके के उत्पादन में काम आने वाली 37 आवश्यक सामग्रियां नहीं देगा, तो भारत में टीके की उत्पादन लाइनें कई हफ्तों के भीतर काम करना बंद कर देंगी। यहां तक कि विश्व में सबसे बड़े वैक्सीन निर्माता भारतीय सीरम अनुसंधान प्रतिष्ठान (एसआईआई) के सीईओ आदर पूनावाला ने हाल ही में ट्विटर पर अमेरिकी राष्ट्रपति से भारत से टीके के कच्चे मालों के निर्यात पर लगा प्रतिबंध हटाने की मांग भी की। लेकिन खेद की बात है कि ह्वाइट हाउस द्वारा आयोजित नियमित संवाददाता सम्मेलन में इस मामले पर संवाददाताओं ने दो बार सवाल पूछा, लेकिन अमेरिका से कोई जवाब नहीं मिला।
शायद किसी व्यक्ति ने अमेरिका के लिए यह समझाया कि वर्तमान में अमेरिका में महामारी की स्थिति भी गंभीर है, इसलिए उसे सबसे पहले अपनी मांग को पूरा करना चाहिए। लेकिन वास्तविकता ऐसी नहीं है। संबंधित आंकड़ों के अनुसार, अब अमेरिका विश्व में दूसरा बड़ा कोविड-19 रोधी टीके का उत्पादन देश है। लेकिन उसके द्वारा उत्पादित टीके मुख्य तौर पर निर्यात नहीं किए जाते हैं। अमेरिकी न्यूज वेब एक्सिओस की रिपोर्ट के अनुसार, इधर विश्व में अरबों लोग बेसब्री से टीके का इंतजार कर रहे हैं, उधर 3 करोड़ टीके अमेरिका के ओहियो स्टेट के गोदाम में संग्रहीत हैं। यह कहा जा सकता है कि भारतीय जनता के प्रति अमेरिका की कार्रवाई तो ‘लो चि श्या शी’ का सच्चा प्रदर्शन है। अच्छा, अब हम इस मुहावरे के विपरीत शब्द ‘श्वेए चोंग सुंग थेन’ का परिचय देंगे। इसका मतलब है बर्फीले दिनों में लोगों को चारकोल देकर उनमें गर्माहट लाना। यानी आपातकालीन समय पर दूसरों को सामग्री या आध्यात्मिक मदद देना। उदाहरण के लिए टीके से जुड़ी सहायता में चीन ने न सिर्फ स्नेहपूर्ण बातों से लोगों के दिल को गर्म बनाया, बल्कि अपनी वास्तविक कार्रवाई से भी विश्व के सामने अपनी सच्चाई दिखाई है।
यह खबर भी पढ़ें: आखिर क्यों मधुमक्खी से डरते हैं हाथी, जानिए हैरान कर देने वाली वजह
22 अप्रैल को चीनी विदेश मंत्रालय द्वारा आयोजित संवाददाता सम्मेलन में भारत में महामारी की गंभीर स्थिति की चर्चा में चीनी प्रवक्ता वांग वनबिन ने कहा कि कोविड-19 महामारी मानव का समान दुश्मन है। अंतर्राष्ट्रीय समाज को मिलजुल कर महामारी का मुकाबला करना चाहिए। चीन ने हाल ही में भारत में महामारी की गंभीर स्थिति पर बड़ा ध्यान दिया और पता लगाया कि भारत में महामारी की रोकथाम के लिए चिकित्सा आपूर्ति की अस्थायी कमी मौजूद है। चीन भारत को महामारी की रोकथाम करने के लिए आवश्यक समर्थन व सहायता देना चाहता है। गौरतलब है कि चीन ने टीके की सहायता में नारे लगाने के साथ वास्तविक कार्रवाई भी की। अब तक विश्व में चीन ��्वारा उत्पादित दो कोविड-19 रोधी टीकों की आपूर्ति 10 करोड़ खुराक से अधिक हो गई है। विभिन्न देशों की मांग से यह संख्या और बढ़ेगी। साथ ही, चीन ने विश्व स्वास्थ्य संगठन की कोवैक्स योजना में भी भाग लिया। अब चीन 80 देशों व 3 अंतर्राष्ट्रीय संगठनों को टीका सहायता दे रहा है, और 40 से अधिक देशों को टीके का निर्यात करने के साथ दस से अधिक देशों के साथ टीके से जुड़े अनुसंधान व उत्पादन में सहयोग कर रहा है। इसके अलावा, चीन ने संयुक्त राष्ट्र संघ के आह्वान के जवाब में दुनिया भर के शांति रक्षकों को टीके प्रदान किए हैं। चीन की हर एक कार्रवाई से उसकी मानवीय भावना और एक बड़े देश के रूप में उसकी जिम्मेदारी जाहिर हुई है।
Download app: अपने शहर की तरो ताज़ा खबरें पढ़ने के लिए डाउनलोड करें संजीवनी टुडे ऐप
0 notes
Photo
Tumblr media
*🙏🙏🌹🌹🕉🕉👏👏February 9🌹श्रीमद् भागवत महापुराण अमृत कथा 🌹हरिबोल 🌹ॐ नमो भगवते वासुदेवाय 🌹ॐ श्री लक्ष्मीनारायणाय नमः 🌹ॐ श्री राधावल्लभाय नमः 🌹प्रेम से बोलो सच्चिदानंद भक्तवत्सल भगवान की जय 🌹जय जय श्री राधे 🌹श्रीशुकदेवजी ने कहा - परीक्षित! महामुनि दत्तात्रेय जी ने भक्त प्रह्लाद से कहा - दैत्यराज! यह शरीर तो प्रारब्ध के अधीन है। इसके द्वारा जो सुख की कामना करता है वह अंधकार में भटकता रहता है। उसके द्वारा किए गए कर्म तब तक असफल होते रहते हैं जब तक आत्मा उन्हें सफल करना नहीं चाहती। प्रायः यह मनुष्य शारीरिक और मानसिक दुःखों से आक्रान्त रहता है। इस मरणशील शरीर से धन और भोग का संग्रह कब तक उसका साथ दे सकता है? जितना भौतिक संसाधनो का संग्रह कर निर्जीव वस्तुओं से सुख धन और भोग की कामना करते हैं।(Make true love with the god, love human beings, serve the poor, old needy all living beings and stop loving non-living things, perhaps u might get true peace happiness in future) यही उसके दुःख का कारण बन जाता है। भय और असुरक्षा की भावना से सदैव त्रस्त रहता है। उसे ठीक से नींद नहीं आती। प्रत्येक निकट आने वाले व्यक्ति पर उसे संदेह होने लगता है। इस प्रकार जो जीवन और धन के लोभी हैं वे राजा चोर शत्रु और अपने ही भय सदैव डरते हैं कि उनका कोई धन संपदा न हड़प/छीन ले। बुद्धिमान पुरूष वही है जो उस संपत्ति और जीवन से मोह नहीं करता और भौतिक सुख संसाधनो का त्याग कर देता है। मधुमक्खी जैंसे मधु इकट्ठा करती है वैंसे ही लोग बड़े कष्ट से धन आदि का संग्रह करते हैं परंतु दूसरा ही उसके स्वामी को मारकर वह धन छीन लेता है। प्रह्लाद! सत्य का अनुसंधान करने वाले व्यक्ति को नाना प्रकार के पदार्थों का संग्रह न कर अपने अहंकार को नष्ट कर सभी भौतिक सुखों का त्याग कर अपने आत्म साक्षात्कार द्वारा आत्म स्वरूप परमात्मा में स्थिर होकर अपने आने वाले समय में आध्यात्मिक रूप से सुंदर और सुखमय बनाना चाहिए। नारदजी ने युधिष्ठिर से कहा - राजन! इस प्रकार भगवान दत्तात्रेय मुनि से परमहंस विद्वानों के धर्म को श्रवण करके राजा प्रह्लाद ने उनकी पूजा-अर्चना की और आशीर्वाद लेकर अपनी राजधानी को चले गए। राजा युधिष्ठिर ने पूछा - देवर्षि नारदजी! परिवारिक मोह में पड़े हुए मेरे जैंसे गृहस्थ को बिना श्रम के परमात्मा का परम पद कैंसे प्राप्त हो सकता है कृपया बताने की कृपा करें..... To be continued... आरती श्रीमद् भागवत अमृत महापुराण की।आरती अति पावन पुरान की ।धर्म भक्ति विज्ञान खान की ।कलि मल मथनि त्रिताप निवारिनि।जन्म मृत्यु मय भव https://www.instagram.com/p/B8Uz1LRgr4X/?igshid=wjqrx5is4050
0 notes
thesandhyadeepme · 5 years
Text
  प्रत्येक किसान प्रगतिशील किसान बने : तोमर
https://ift.tt/31YAJM3
नयी दिल्ली 26 अगस्त (वार्ता) कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने किसानों की आय दोगुनी करने के लिए प्रत्येक किसान को प्रगतिशील किसान बनने तथा केवल फसलों के उत्पादन की जगह पशुपालन , डेयरी , मत्स्य पालन , बागवानी और मधुमक्खी पालन करने पर जोर दिया है।
श्री तोमर ने सोमवार को यहां भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की ओर से आयोजित ‘मध्य प्रदेश एवं छत्तीसगढ़ में किसानों की समृद्धि के लिए तकनीकी नवाचार और रणनीतियां’ विषय पर आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि सरकार ने वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। यह केवल सरकार से नहीं बल्कि किसानों के सहयोग से ही होगा।
  आरटीआई पोर्टल संबंधी याचिका पर केंद्र, राज्यों को नोटिस
उन्होंने कृषि में चुनौती की चर्चा करते हुए कहा कि इसके लिए केन्द्र , राज्य और कृषि से जुड़ी संस्थाओं को ‘कृषिदूत’ बनना होगा और हरेक गांव के किसान को प्रगतिशील किसान बनना होगा। प्रगतिशील किसान अपने परीश्रम , बुद्धिमत्ता , जोखिम की क्षमता तथा आधुनिक तरीकों को अपनाकर बने हैं जिसमें कृषि विज्ञान केन्द्र का भारी योगदान है।
The post   प्रत्येक किसान प्रगतिशील किसान बने : तोमर appeared first on The Sandhyadeep.
from The Sandhyadeep https://ift.tt/2HrW5bJ
0 notes