#भारत चीन लद्दाख
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LAC पर पेट्रोलिंग को लेकर आमने-सामने आए भारत और चीन? भारतीय सेना ने बताई सच्चाई
India China Relations: पूर्वी लद्दाख के देपसांग क्षेत्र में भारत और चीन के बीच सैन्य वार्ता में गतिरोध होने की अटकलों को भारतीय सेना ने खारिज कर दिया है। सेना ने गुरुवार को अपने X (ट्विटर) अकाउंट पर पोस्ट करते हुए कहा कि कोई भी बाधा या विरोध उत्पन्न नहीं हुआ है। सेना ने कुछ मीडिया रिपोर्टों को “काल्पनिक और तथ्यहीन” बताया। सेना के अतिरिक्त महानिदेशक जनसंपर्क ने कहा कि बुधवार और गुरुवार को प्रकाशित…
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LAC पर भारत-चीन ने हटाए 5 टेंट, कई टेंपरेरी स्ट्रक्चर भी तोड़े गए, शुरू हुई डिसइंगेजमेंट की प्रक्रिया https://www.aajtak.in/india/news/story/india-china-disengagement-5-of-the-tents-removed-from-both-sides-at-demchok-ntc-rpti-2080674-2024-10-25
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भारत, चीन ने पूर्वी लद्दाख में सेना की वापसी शुरू की | भारत समाचार
नई दिल्ली: भारतीय और चीनी सैनिकों ने देपसांग में चरणों में पीछे हटने की प्रक्रिया शुरू कर दी है डेमचोक में पूर्वी लद्दाखयहां तक कि रक्षा मंत्री के रूप में भी -राजनाथ सिंह गुरुवार को कहा गया कि समान और पारस्परिक सुरक्षा के सिद्धांतों पर कुछ क्ष���त्रों में “जमीनी स्थिति” बहाल करने के लिए “व्यापक सहमति” बन गई है।एक सूत्र ने टीओआई को बताया, “मई 2020 के बाद दोनों आमने-सामने की जगहों पर बनाई गई…
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भारत- चीन समझौते पर क्यों उठ रहे हैं सवाल, क्या कह रहे हैं एक्सपर्ट
रूस के कज़ान में ब्रिक्स सम्मेलन शुरू होने से ठीक पहले भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान ऐलान किया कि भारत और चीन पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा यानी एलएसी पर गश्त के पैटर्न को लेकर एक समझौते पर पहुंच चुके हैं. विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भी कहा कि कि भारत-चीन सीमा के इस हिस्से में गश्त का पैटर्न अप्रैल 2020 की स्थिति में लौट आएगा. इसके बाद कज़ान में भारत…
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India China News: धूर्त चीन की बौखलाहट
India China News: भारत के सेना प्रमुख व जनरल उपेन्द्र द्विवेदी का यह कहना कि पूर्वी लद्दाख में स्थिति स्थिर है किन्तु सामान्य नहीं, का मतलब बिल्कुल स्पष्ट है कि कूटनीति के मोर्चे पर दोनों देश एक दूसरे को बातचीत में उलझाए हुए हैं जबकि सशस्त्र सेना बल जो उस क्षेत्र में तैनात हैं वह घात लगाए अवसर की तलाश में हैं। जब सैन्य प्रतिष्ठान और सरकार शांति के लिए अपनी शर्तो पर समझौते की रणनीति बनाने में लगी…
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India-China border Clashes Tension: क्या फिर से पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के सैनिक LAC पर भिड़े? सामने आई सच्चाई
India-China border Clashes Tension: काफी समय से सीमा विवाद को लेकर भारत और चीन के बीच विवाद होते रहते हैं. साल 2020 के दौरान पूर्वी लद्दाख में दोनों देशों की सेना अब आमने-सामने आ चुकी है. ऐसे में पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में दोनों देशों की सेनाओं के बीच झड़प भी हुई थी.
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LAC पर चीन के साथ क्यों नहीं बन पा रही बात? नो-पेट्रोलिंग या फिर नियंत्रित पेट्रोलिंग, जानें कहां है गतिरोध
नई दिल्ली : ईस्टर्न लद्दाख में LAC पर भारत और चीन के बीच गतिरोध खत्म करने के लिए एक बार फिर बुधवार को इंडिया- चीन बॉर्डर अफेयर्स पर WMCC की मीटिंग हुई। WMCC यानी वर्किंग मेकेनिजम फॉर कंसल्टेशन एंड कॉर्डिनेशन। अब उम्मीद की जा रही है कि जल्दी ही भारत और चीन की सेना के बीच कोर कमांडर स्तर की मीटिंग होगी। डेपसांग और डेमचॉक दो ऐसे पॉइंट हैं जहां अब भी विवाद बना हुआ है। हर मीटिंग में इन दो पॉइंट को लेकर बातचीत हो रही है। पेट्रोलिंग हो या नहीं इस पर अटकी है बात सूत्रों के मुताबिक बातचीत इस पर अटकी हुई है कि विवाद के इन दो पॉइंट यानी डेपसांग और डेमचॉक में पेट्रोलिंग यानी सैनिकों की गश्ती हो या नहीं। सूत्रों के मुताबिक चीन की तरफ से हर मीटिंग में यह कहा जा रहा है कि यहां नो-पेट्रोलिंग जोन बना दिया जाए यानी न तो चीनी सैनिक गश्ती करें ना ही भारतीय सैनिक। लेकिन भारत की तरफ से कहा जा रहा है कि नो-पेट्रोलिंग की बजाय कंट्रोल्ड पेट्रोलिंग यानी नियंत्रित पेट्रोलिंग की जाए। इसी बिंदु पर बात अटकी है। सूत्रों का कहना है कि भारत नहीं चाहता कि वहां नो-पेट्रोलिंग जोन बनाया जाए। अब तक कोर कमांडर स्तर की 21 मीटिंग हो चुकी हैं। 21 वें दौर की मीटिंग फरवरी में हुई थी। उसमें भी बात नहीं बनी। हालांकि दोनों तरफ से बयान जारी कर कहा गया कि दोनों पक्ष गतिरोध को बातचीत के जरिए सुलझाने के लिए प्रतिबद्ध हैं और लगातार बातचीत जारी रहेगी साथ ही दोनों पक्ष जमीनी स्तर पर शांति बनाए रखने पर राजी हैं। चार जगह पहले ही बने हैं नो-पेट्रोलिंग जोन मई 2020 में ईस्टर्न लद्दाख में एलएसी पर भारत और चीन के बीच तनाव शुरु हुआ था, जब चीनी सैनिक कई जगहों पर आगे आ गए थे। बातचीत के बाद चार जगहों पर डिसइंगेजमेंट हुआ। यानी दोनों देशों के सैनिकों ने अपने सैनिकों को पीछे किया। सबसे पहले पैंगोंग एरिया यानी फिंगर एरिया और गलवान में पीपी-14 में डिसइंगेजमेंट हुआ, फिर गोगरा में पीपी-17 से सैनिक हटे, फिर गोगरा-हॉट स्प्रिंग एरिया में पीपी-15 से सैनिक पीछे हटे । जिन जगहों पर डिसइंगेजमेंट हुआ वहां पर नो-पेट्रोलिंग जोन बने हैं। यानी जब तक दोनों देश मिलकर कुछ रास्ता नहीं निकाल लेते तब तक इन चारों जगहों पर 1 किलोमीटर से लेकर 3 किलोमीटर तक का एरिया नो-पेट्रोलिंग जोन है यानी यहां कोई पेट्रोलिंग (गश्ती) नहीं करेगा। स्थिति सामान्य होने में लगेगा लंबा वक्त ईस्टर्न लद्दाख में स्थिति पहले की तरह सामान्य होने में लंबा वक्त लगेगा। जब तक दोनों देश सैनिकों को पीछे हटाकर और हथियारों को तैनाती से हटाकर पीस पोजिशन नहीं भेज देते तब तक स्थिति सामान्य नहीं कही जा सकती। डिसइंगेजमेंट के बाद की प्रक्रिया है डी-एस्केलेशन। जिसका मतलब है कि दोनों देशों के सैनिक और सैन्य साजोसामान जो इस तरह तैनात किया गया है कि जरूरत पड़ने पर कभी भी एक दूसरे पर हमला हो सकता है, उसे सामान्य स्थिति में लाना। जिन चार पॉइंट पर डिसइंगेजमेंट हुआ हैं वहां अभी भी सैनिक और हथियार दोनों एक दूसरे की रेंज पर हैं। डिसइंगेजमेंट और डीएस्केलेशन के बाद की प्रकिया होगी डी-इंडक्शन। यानी जो भारी तादाद में सैनिक और सैन्य साजो सामान वहां तैनात है उसे वापस अपनी पुरानी पोजिशन में भेजना। अभी वहां दोनों तरफ से 50-50 हजार से ज्यादा सैनिक तैनात हैं। http://dlvr.it/TBMnLC
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मोदी सरकार चीनी मंसूबों के आगे घुटने टेक चुकी है:कांग्रेस
नई दिल्ली:भारत माता के वीर सपूत एवं परम वीर चक्र से सम्मानित, 1962 रेजांग-ला युद्ध के महानायक, मेजर शैतान सिंह के चुशूल, लद्दाख स्थित मेमोरियल को ध्वस्त किये जाने की ख़बर पर कांग्रेस अध्यक्ष मलिकार्जुन खड़गे ने भारत सरकार की नाकामी पर सवाल उठाते हुए कड़ा प्रहार किया है।उन्होंने एक्स पर लिखा कि चीन पर “लाल ऑंख” तो ली मूँद।अपमानित की वीर जाँबाज़ों के बलिदान की हर बूँद !भारत माता के वीर सपूत एवं परम…
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China behind fresh insurgency in india : भारत के खिलाफ पाकिस्तानी आतंकवाद को चीन दे रहा है हवा! शी जिनपिंग ने भी हार मानते हुए पकड़ी पाक के जनरल भुट्टो की राह?
नई दिल्ली : जम्मू-कश्मीर में समाप्ति के कगार पर खड़े आतंकवाद में इन दिनों तेजी आई है. हाल के दिनों में जम्मू-कश्मीर में एक के बाद एक कई आतंकी घटनाएं साम��े आई हैं. गौर करनेवाली बात यह है कि यह बढ़ोतरी तब देखने को मिल रही है जब भारतीय सेना ने 2020 में चीन की आक्रामकता का जवाब देने के लिए राष्ट्रीय राइफल्स (आरएआर) को लद्दाख में तैनात कर दिया. राष्ट्रीय राइफल्स को स्पेशल काउंटर इन्सर्जेंसी फोर्स के…
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चीन ने जारी किया नया नक्शा, भारत ने की आपत्ति
नई दिल्ली। चीन हमेंशा से अपनी सम्राज्यवादी नीतियों के चलते अपने पडोसी देशों को घेरने का प्रयास करता रहता हैं। वहीं मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक चीन ने अपना नया नक्शा जारी किया हैं। जिसमें अरूणाचल प्रदेश और लद्दाख को नक्शे में शामिल किया हैं। वहीं चीन के इस कदम पर भारत ने भारत ने कड़ी आपत्ति जताई हैं।
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LAC के लिए 'रिजर्व' सैनिक ले रहे हैं लद्दाख में ट्रेनिंग, आखिर क्या जरूरत आ पड़ी है?
Delhi: एलएसी पर लंबे समय से गतिरोध बना हुआ है। चीन एलएसी पर अपनी ताकत बढ़ा रहा है। भारत भी उसे मुंहतोड़ जवाब देने के लिए तैयार है। एलएसी के लिए रिजर्व सैनिक ट्रेनिंग में जुटे हैं। इस तरह की ट्रेनिंग में सैनिकों को हाई एल्टीट्यूड में जंग लड़ने के पहलुओं के बारे में तैयार किया जाता है। http://dlvr.it/SvcvvH
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चीनी सैनिकों की दिवाली की मिठाई खिलाने के बाद भारतीय सेना ने डेमचोक में शुरू की गश्त, जानें कितने बदले हालत
LAC News: पूर्वी लद्दाख में टकराव वाले दो बिंदुओं से भारतीय और चीनी सैनिकों की पूरी तरह वापसी के कुछ दिन बाद भारतीय सेना ने शुक्रवार को डेमचोक में गश्त शुरू कर दी। सेना के सूत्रों ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि देपसांग में गश्त जल्द ही फिर शुरू हो सकती है। सेना के सूत्रों ने बुधवार को बताया था कि भारत और चीन के बीच एक महत्वपूर्ण समझौते के बाद पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी)…
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भारत ने चीन से पुन: जोर देकर कहा कि जब तक चीन पूर्वी लद्दाख में सीमा संबंधी लंबित मुद्दों का समाधान नहीं करता दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय रिश्ते सामान्य नहीं हो सकते। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने यहां शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के विदेश मंत्रियों की परिषद की बैठक में भाग लेने आये चीन के विदेश मंत्री चिन गांग के साथ द्विपक्षीय बैठक में इस बात पर ज़ोर दिया। डॉ जयशंकर ने रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव और उज़्बेकिस्तान के विदेश मंत्री बख्तियार सैदोव से भी द्विपक्षीय बैठक की। विदेश मंत्री डॉ जयशंकर ने एससीओ विदेश मंत्री परिषद की बैठक के इतर सबसे पहले पूर्वाह्न में एससीओ महासचिव झांग मिंग के साथ मुलाकात की। सूत्रों के अनुसार श्री झांग मिंग एससीओ को मजबूत करने में भारत की भूमिका के बारे में बहुत सकारात्मक थे। दोपहर के भोज के बाद सबसे पहले रूस के विदेश मंत्री श्री लावरोव के साथ बैठक हुई। विदेश मंत्री ने ट्वीट में कहा, “रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के साथ हमारे द्विपक्षीय, वैश्विक और बहुपक्षीय सहयोग की व्यापक समीक्षा की और भारत की एससीओ अध्यक्षता के लिए रूस के समर्थन की सराहना की। साथ ही जी-20 और ब्रिक्स से जुड़े मुद्दों पर भी चर्चा की। ” उधर रूसी दूतावास ने भी एक बयान में दोनों विदेश मंत्रियों की द्विपक्षीय मुलाकात का विवरण साझा करते हुए कहा कि द्विपक्षीय संबंधों के मुख्य मुद्दों पर विश्वास आधारित विचारों का आदान-प्रदान हुआ, जिसमें आगामी संपर्कों की समय-सारणी के साथ-साथ वैश्विक और क्षेत्रीय एजेंडे पर सामयिक मुद्दे शामिल थे। मंत्रियों ने हमारे देशों के बीच विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी के प्रमुख क्षेत्रों में सहयोग की गतिशीलता की प्रशंसा की। एससीओ, ब्रिक्स, यूएन और जी20 सहित सबसे महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय मंचों पर बातचीत के ढांचे के भीतर आम दृष्टिकोण विकसित करने के लिए समन्वय को और मजबूत करने के इरादे की पुष्टि की गई। इसके अलावा दोनों पक्ष देशों के बीच संबंधों की निष्पक्ष बहुध्रुवीय व्यवस्था के निर्माण की प्रक्रिया को जारी रखने पर सहमत हुए। चीनी विदेश मंत्री के साथ मुलाकात के बारे में डॉ जयशंकर ने एक ट्वीट में कहा,“ हमारे द्विपक्षीय संबंधों पर चीन के स्टेट काउंसलर और विदेश मंत्री चिन गांग के साथ विस्तृत चर्चा हुई। हमारा ध्यान लंबित मुद्दों को हल करने और सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति सुनिश्चित करने पर केंद्रित है। हमने एससीओ, जी-20 और ब्रिक्स पर भी चर्चा की। ” उज़्बेक विदेश मंत्री के साथ मुलाकात के बारे में विदेश मंत्री ने कहा,“ उज़्बेकिस्तान के विदेश मंत्री की हैसियत से भारत की अपनी पहली यात्रा पर आये श्री बख्तियार सैदोव का स्वागत किया। एससीओ में भारत की अध्यक्षता के लिए उज्बेकिस्तान के मजबूत समर्थन की सराहना की।" "हमारे दीर्घकालिक बहुपक्षीय सहयोग को भी मान्यता दी। हमें विश्वास है कि विभिन्न क्षेत्रों में हमारी द्विपक्षीय साझेदारी बढ़ती रहेगी। ”
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SCO Meeting S Jaishankar Holds Bilateral Talks With Chinese Foreign Minister Qin Gang In Goa
SCO Meeting In Goa: भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर और चीन के विदेश मंत्री चिन गांग के बीच गोवा में शंघाई सहयोग सम्मेलन (एससीओ) से इतर द्विपक्षीय बैठक शुरू हो गई है. दोनों नेताओं के बीच पिछले दो महीनों में यह दूसरी द्विपक्षीय बैठक है. चीनी विदेश मंत्री मार्च में जी-20 विदेश मंत्रियों की बैठक में भाग लेने के लिए भारत आए थे. इस दौरान एस जयशंकर ने चिन गांग से कहा कि पूर्वी लद्दाख में लंबे समय से जारी…
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भारत के दर्रे
भारत के दर्रे
दर्रे पर्वतो व पहाड़ियों के बीच एक संपर्क मार्ग है। यह विभिन्न उद्देश्यों के लिए देश के विभिन्न हिस्सों और पड़ोसी देशों के साथ भी जुड़ने का एक प्रवेश द्वार है। भारत का भूगोल :भारत का परिचय (Introduction to India) भारत के पर्वत व पहाड़िया (Indian Mountains and Hills) भारत के महत्त्वपूर्ण दर्रो की सूची- उत्तर भारत के दर्रे जम्मू - कश्मीर के दर्रे बुर्जिला दर्रा - यह दर्रा श्रीनगर को लेह से जोड़ता है। जोजिला दर्रा - यह दर्रा भी श्रीनगर को लेह से जोड़ता है। बनिहाल दर्रा - यह दर्रा बनिहाल को क़ाज़ीगुंड से जोड़ता है। -प्रसिद्ध जवाहर सुरंग इसी दर्रे से गुजरती है। -यह पीर पंजाल श्रेणी में स्थित है। लद्दाख के दर्रे थांगला दर्रा - यह दर्रा लद्दाख में स्थित है । चांगला दर्रा - यह दर्रा भी लद्दाख को तिब्बत से जोड़ता है। काराकोरम दर्रा - भारत का सबसे ऊँचा दर्रा। हिमाचल प्रदेश के दर्रे बारालाचा-��ा दर्रा - यह दर्रा भी मंडी को लेह से जोड़ता है। शिपकिला दर्रा - यह दर्रा भी शिमला को तिब्बत से जोड़ता है। रोहतांग दर्रा - यह दर्रा कुल्लू , स्पीति और लाहुल को आपस में जोड़ता है। उत्तराखंड के दर्रे नीति-ला दर्रा - यह दर्रा भी भारत को तिब्बत से जोड़ता है। माना-ला दर्रा - यह दर्रा भी शिमला को तिब्बत से जोड़ता है। लिपुलेख दर्रा - कैलाश मानसरोवर का रास्ता इसी दर्रे से होकर गुजरता है। उत्तर-पूर्वी भारत के दर्रे सिक्किम के दर्रे जेलेप- ला दर्रा - यह दर्रा भारत को ल्हासा (तिब्बत की राजधानी ) से जोड़ता है। नाथुला दर्रा - यह भारत और चीन के बीच व्यापारिक सीमा चौकियों में से एक है। यह दर्रा भारत को चीन से जोड़ता है। अरुणाचल प्रदेश के दर्रे दिफू दर्रा - दिफू दर्रा भारत, चीन और म्यांमार की विवादित क्षेत्र में स्थित दर्रा है। यह मैकमोहन रेखा पर स्थित है। बोमडिला दर्रा - यह दर्रा भारत (अरुणाचल प्रदेश ) को ल्हासा (तिब्बत की राजधानी ) से जोड़ता है। बुमला दर्रा चांगयाप दर्रा मणिपुर का दर्रे तुफु दर्रा - यह दर्रा भारत को म्यांमार से जोड़ता है। प्रायद्वीप / दक्षिण भारत के दर्रे दक्षिण भारत के सभी दर्रे पश्चिमी घाट में स्थित है। महाराष्ट्र के दर्रे थालघाट दर्रा - यह दर्रा भी मुंबई को नासिक से जोड़ता है। भोरघाट दर्रा - यह दर्रा भी मुंबई को पुणे से जोड़ता है। केरल के दर्रे पालघाट दर्रा - यह दर्रा नीलगिरि और अन्नामलाई के बीच स्थित है । सनकोटा दर्रा - यह दर्रा अन्नामलाई व कार्डमम के बीच स्थित है । Read the full article
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Indian Army Ammunation: ड्रैगन-पाक और बांग्लादेश का बड़ा प्लान! जानें क्यों इंडियन आर्मी खरीद रही ₹70 हजार करोड़ के हथियार
नई दिल्ली, (वेब वार्ता)। एक बड़ी खबर के अनुसार केंद्र सरकार ने सेना (Indian Army) के लिए 70 हजार 584 करोड़ के डिफेंस इक्विपमेंट की खरीद को जरुरी मंजूरी दी है। जी हां, डिफेंस मिनिस्टर राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में DAC (डिफेंस एक्वजिशन काउंसिल) ने इस खरीद को मंजूरी दी। जानकारी के अनुसार इन खरीदे जा रहे हथियारों में नेवी के लिए 60 मेड इन इंडिया यूटिलिटी मरीन हेलिकॉप्टर और 200 ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल भी शामिल होंगे। इसके साथ ही आर्मी को 307 हॉवित्जर तोपें दी जाएंगी। वहीं साथ ही एयरफोर्स के लिए ख़ास तौर पर लॉन्ग रेंज स्टैंड-ऑफ वेपन खरीदे जाएंगे। ख़ास बात यह होगी कि, इन वेपन्स को सुखोई- 30 फाइटर जेट्स से अटैच किया जाएगा। इसके साथ ही इंडियन कोस्ट गार्ड्स के लिए भी एडवांस लाइट हेलिकॉप्टर्स खरीदे जा रहे हैं। इसे खास तौर पर हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) बनाएगी। Defence Ministry has approved proposals worth over Rs 70,000 crore for buying different weapon systems for the Indian defence forces: Defence officials pic.twitter.com/3jFPr59xOW — ANI (@ANI) March 16, 2023 क्यों जरुरी है ये प्रपोजल जी हां, मोदी सरकार अब देश की सेना को जरुरी सैन्य आयुध से और भी सुसज्जित और पुख्ता करेगी। अब सेना के लिए 70, 584 करोड़ के हथियार खरीदे जाएंगे। यह फैसला इस लिहाज से भी अहम है क्योंकि बीते तीन साल से पूर्वी लद्दाख में मौजूद लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर चीन के साथ आज भी तनाव जारी है। दरअसल डिफेंस एक्वजिशन काउंसिल ने AoN (एक्सेप्टेंस) ऑफ नेसेसिटी के तहत डील का प्रपोजल रखा था। ऐसे में केंद्र सरकार द्वारा यह पैसा इसी के तहत जारी होगा, यह एक स्पेशल और बहुत ख़ास प्रोग्राम है। इसका मकसद भारत में बने उपकरण का अब हथियार में शामिल करना है। वहीं फाइनेंशियल ईयर 2022-23 के लिए अब कुल 2,71,538 करोड़ रुपए मंजूर किए जा चुके हैं। इसका 98।9% हिस्सा भारत में बने सामान खरीदने पर ही खर्च होगा। पाकिस्तान-बांग्लादेश चीन से खरीद रहे हथियार जानकारी हो कि, दुनिया के अलग-अलग देशों के बीच युद्ध, शस्त्रीकरण, शस्त्रों पर नियंत्रण और निरस्त्रीकरण में शोध के लिए काम करने वाली स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) की एक ख़ास रिपोर्ट के अनुसार भारत के ‘नॉट-सो-फ्रेंडली’ पड़ोसियों का झुकाव भी अब चीन की तरफ बढ़ रहा है। वहीं बीते पांच सालों, यानी 2018 से 2022 के दौरान पाकिस्तान ने 2013-17 की तुलना में हथियारों का 14% ज़्यादा आयात किया, और अपनी ज़रूरत का तीन-चौथाई से भी ज़्यादा हिस्सा पाकिस्तान ने चीन से ही मंगवाया है। पाकिस्तान-बांग्लादेश और चीन क्या बना रहे कोई बड़ा प्लान वहीं बांग्लादेश भी अपने कुल आयात का लगभग तीन-चौथाई, यानी 74% हिस्सा चीन से ही खरीदता है। वहीं चीन के कुल हथियार निर्यात का 12%हिस्सा बांग्लादेश ही खरीदता है।इस रिपोर्ट के अनुसार, चीन हथियार निर्यात के मामले में दुनिया में इस वक़्त चौथे पायदान पर है, और समूचे विश्व में होने वाले हथियार निर्यात का 5.2% हिस्सा वही बेचता है, लेकिन अहम तथ्य यह है कि उसके कुल निर्यात का 54% हिस्सा पाकिस्तान को ही जाता है। Read the full article
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