Tumgik
#भारत चीन अलग
dainiksamachar · 26 days
Text
भारत की तरह बांग्लादेश के पास भी चिकन नेक, गर्दन मरोड़ी तो टूट जाएगा चटगांव से कनेक्शन
ढाका: भारत के चिकन नेक के नाम से मशहूर सिलीगुड़ी कॉरिडोर अक्सर सुर्खियों में छाया रहता है। यह वही कॉरिडोर है, जो शेष भारत को पूर्वोत्तर से जोड़ता है। दशकों से इस कॉरिडोर पर चीन की बुरी नजर है। इसी कारण भारत और चीन में जून 2017 में डोकलाम सैन्य गतिरोध की शुरुआत हुई थी। चीन की कोशिश इस कॉरिडोर के नजदीक पहुंचने की है, जहां से वह भारत के इस संकरे गलियारे पर कब्जा जमा सके। लेकिन, बहुत कम लोगों को पता है कि भारत की तरह बांग्लादेश में भी एक चिकन नेक है, जो सिलीगुड़ी कॉरिडोर की तरह ही संकरा है। यह बांग्लादेश की मुख्य भूमि से उसके सबसे बड़े बंदरगाह शहर चटगांव को अलग करता है। बांग्लादेश का चिकन नेक कितना महत्वपूर्ण बांग्लादेश की इस संकरी पट्टी को बंद करने से उसकी 20 प्रतिशत भूमि देश के बाकी हिस्से से अलग हो सकती है। अगर यह गलियारा कभी बंद हो जाता है तो उसका सबसे बड़ा बंदरगाह और शहर चटगांव अलग-थलग पड़ सकता है। हालांकि, इस गलियारे का महत्व भारत के सिलिगुड़ी कॉरिडोर की तरह उतना गंभीर नहीं है। इसका प्रमुख कारण बांग्लादेश की मुख्य भूमि का चटगांव से समुद्री संपर्क ज्यादा होना है। चटगांव का यह इलाका घने वनों और पानी की धाराओं से भरा हुआ है। अपने भूभाग और द्वीपीय प्रकृति के यह भारत, बांग्लादेश और म्यांमार के विद्रोहियों को सुरक्षित पनाहगाह भी प्रदान करता है। भारत के सिलीगुड़ी कॉरिडोर को जानें भारत का सिलीगुड़ी कॉरिडोर पश्चिम बंगाल में सिलीगुड़ी शहर के पास स्थित है। यह बेहद संकरा गलियारा है, जो शेष भारत को पूर्वोत्तर के राज्यों से जोड़ता है। इस गलियारे के कई संकरे हिस्सों में इसकी चौड़ाई 20 से 22 किमी ही है। यह गलियारा तीन देशों से भी सटा हुआ है। जिसमें नेपाल, बांग्लादेश और भूटान शामिल हैं। पहले सिक्किम साम्राज्य इस गलियारे के उत्तरी किनारे पर स्थित था, हालांकि, 1975 में उसका भारत में विलय हो गया। पश्चिम बंगाल में सिलीगुड़ी शहर इस क्षेत्र का प्रमुख शहर है। http://dlvr.it/TCg1Q2
0 notes
livenews24x7hindi · 2 months
Text
Redmi Note 14 Pro का भारत में लॉन्च करीब, BIS पर लिस्ट हुआ दमदार स्मार्टफोन
अगर आप Xiaomi के दीवाने हैं और कोई नया फ्लैगशिप स्मार्टफोन खरीदना चाहते हैं तो आपके लिए खुशखबरी है। Xiaomi जल्द ही मार्केट में Redmi Note 14 5G सीरीज को पेश कर सकता है। इसके सभी मॉडल अलग-अलग वेबसाइट पर स्पॉट किए जा चुके हैं। अब इसका Pro मॉडल भी देखा गया है। चीन की दिग्गज स्मार्टफोन मेकर कंपनी Xiaomi जल्द ही अपनी फ्लैगशिप सीरीज Redmi Note 14 5G को लॉन्च कर सकती है। इस सीरीज में Xiaomi Redmi Note…
0 notes
techhanunews · 6 months
Text
Xiaomi 14: भारतीय मार्केट में एक शानदार फ्लैगशिप हैंडसेट लॉन्च
Xiaomi 14 ने भारत में अपना फ्लैगशिप हैंडसेट लांच कर चुका है यह फोन दमदार फीचर्स के साथ मार्केट को Cover  कर लिया है इसमें कंपनी ने 50MP+50MP+50MP का ट्रिपल रियर कैमरा सेटअप के साथ पेश किया है,Xiaomi 14 ने इस फोन में 32 MP का रियर कैमरा भी दिया है।
Xiaomi 14 का यह फोन चीन के बाद अब भारत में भी लॉन्च हो चुका है जो की मार्केट में छाया हुआ है Xiaomi 14  स्मार्टफोन के लेटेस्ट प्रोसेसर Snapdragon 8 Gen 3 पर काम करता है. इस फोन के साथ ट्रिपल रियर कैमरा का सेटअप भी साथ में दिया गया है,लास 50 मेगापिक्सल का दिया गया है.
Xiaomi 14
Xiaomi 14 को सबसे पहले चीन में पिछले साल यानी की 2023 में लॉन्च किया गया था यह हैंडसेट 6.36-inch  के LTPO OLED  डिस्प्ले के साथ आता है, ज�� 120 Hz रिफ्रेश रेट सपोर्ट करता है इसमे Corning Gorila Glass Victus की प्रोटेक्शन दी गई है। मैन्युफैक्चरिंग के दौरान इस फोन में रियर साइड में ग्लास  का इस्तेमाल किया गया है जो की एक अलग ही लुक देता है।
Read More
0 notes
astrovastukosh · 8 months
Text
Tumblr media
आज दिनांक - 28 जनवरी 2024 का वैदिक हिन्दू पंचांग
दिन - रविवार
विक्रम संवत् - 2080
अयन - उत्तरायण
ऋतु - शिशिर
मास - माघ
पक्ष - कृष्ण
तिथि - तृतीया 29 जनवरी सुबह 06:10 तक तत्पश्चात चतुर्थी
नक्षत्र - मघा शाम 03:53 तक तत्पश्चात पूर्वाफाल्गुनी
योग - सौभाग्य सुबह 08:51 तक तत्पश्चात शोभन
राहु काल - शाम 05:01 से 06:24 तक
सूर्योदय - 07:21
सूर्यास्त - 06:24
दिशा शूल - पश्चिम
ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:37 से 06:29 तक
निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:27 से 01:18 तक
कीर्तन में ताली क्यों ?
आप जब भगवन्नाम-कीर्तन करते हैं तो ताली बजाते हैं । ताली बजाने से क्या लाभ होता है आपको पता है ?
आँख का मोतिया तक दूर हो सकता है ।
ताली बजाकर भगवन्नाम जपने से स्मरणशक्ति में तो बहुत लाभ होता है प्रांत एक्यूप्रेशर का भी फायदा हो जाता है ।
आपके सिर, हाथ, पैर में शरीर की नाड़ियों के स्विचबोर्ड हैं । जैसे घर में कई जगह बिजली से चलनेवाले उपकरण होते हैं और स्विचबोर्ड १-२ जगह पर होते हैं, ऐसे ही तुम्हारी नाभि से लेकर कंधे तक ७२,००० नाड़ियाँ हैं; तुम्हारे पैरों के तलवों और हाथों में इन नाड़ियों के स्विचबोर्ड हैं ।
मानो किसीको सिरदर्द है तो एक्यूप्रेशर केन्द्र (Acupressure point) फलाना-फलाना दबाओ तो थोड़ी देर में सिरदर्द ठीक हो जाना चाहिए । ऐसे ही अलग-अलग तकलीफों के लिए अलग-अलग बिंदु हैं किंतु उनका पता नहीं है तो थोक में ताली बजाओ तो फायदा होगा ।
है हमारे भारत की विद्या लेकिन अब चीन से वह नाम बदलकर प्रचारित हो के आयी है तो अब यहाँ के डॉक्टर उसको बोलते हैं: "वंडरफुल! एक्यूप्रेशर इज वेरी गुड सिस्टम ।" परंतु है भारत की । 'आयोलाल, झूलेलाल, झूले-झूले-झूले झूलेलाल.... गाते और ताली बजाते हैं तो एक्यूप्रेशर हो रहा है, और क्या हो रहा है! अम्बाजी के आगे गरबा नृत्य कर रहे हैं यह क्या हो रहा है ? शरीर की तंदुरुस्ती, मन की प्रसन्नता और बुद्धि में भगवती के प्रति भाव प्रतिष्ठित हो रहे है । पाश्चात्य कल्चरवाले क्लबों में जाते हैं, डिस्को करते हैं, शराब पीते हैं और फिर ठुस्स हो जाते हैं । इससे तो भगवन्नाम जप के महान आत्मा बनना अच्छा है ।
एक साथ मिलकर प्रभु-वंदन और संकीर्तन करने से एक स्वर से उठी हुई तुमुल ध्वनियों वातावरण में पवित्र लहरें ऊत्पन्न करने में समर्थ होती है तथा उस समय मन ध्वनि पर एकाग्र होता है, जिससे स्मरणशक्ति तथा श्रवणशक्ति विकसित होती है ।
प्रेमपूर्वक ताली बजाना है विशेष लाभकारी
जिनको कम अक्ल होती है वे ताली तेजी से (जोर से) बजाते हैं । जितनी तेजी से ताली बजाते हो उतनी ही ज्यादा ऊर्जा खर्च होती है । मूर्ख होते हैं वे, जो ज्यादा शक्ति खर्च करते हैं । प्रेम से ताली बजाते हुए 'हरि ॐ, हरि ॐ होंठों में बोलो । हरिनाम लेकर ताली बजाने से हाथ के सभी रक्तकण पवित्र होते हैं । हरिनाम सुनने से कान पवित्र होते हैं । हरि को प्रेम करने से मनुष्य परमात्मा को प्राप्त होता है ।
श्री रामकृष्ण परमहंस ने कहा है: "ताली बजाकर प्रातःकाल और सायंकाल हरिनाम भजा करो । ऐसा करने से सब पाप दूर हो जायेंगे । जैसे पेड़ के नीचे खड़े होकर ताली बजाने से पेड़ पर की सब चिड़ियाँ उड़ जाती हैं, वैसे ही ताली बजा के हरिनाम लेने से देहरूपी वृक्ष से सब अविद्यारूपी चिड़ियाँ उड़ जाती हैं । कलियुग में भगवन्नाम के समान दूसरा सरल साधन नहीं है । भगवन्नाम लेने से मनुष्य के मन और शरीर दोनों शुद्ध हो जाते हैं ।" #akshayjamdagni #hindu #Hinduism #bharat #hindi #panchang
🚩ज्योतिष, वास्तु एवं अंकशास्त्र से जुड़ी किसी भी प्रकार की जानकारी के लिए हमसे जुड़ें l 🚩👇 👉Whatsapp Link
https://chat.whatsapp.com/BsWPoSt9qSj7KwBvo9zWID
☎️👇
9837376839
0 notes
telnews-in · 1 year
Text
iQOO Z7 Pro 5G को ग्रेफाइट मैट रंग में छेड़ा गया; 31 अगस्त के भारत लॉन्च से पहले विवरण प्रदर्शित करें
iQOO ने 31 अगस्त को भारत और चीन में दो अलग-अलग लॉन्च इवेंट निर्धारित किए हैं। चीनी ओईएम घोषणा करेगा iQOO Z7 प्रो 5G भारत में स्मार्टफोन और चीन में iQOO Z8 सीरीज के स्मार्टफोन. iQOO विभिन्न टीज़र के माध्यम से आगामी स्मार्टफोन के फीचर्स को टीज़ कर रहा है। इससे पहले आज, iQOO बैटरी स्पेसिफिकेशन का खुलासा आगामी iQOO Z8 स्मार्टफोन की। कंपनी हाल ही में पुष्टि की गई चिपसेट विशिष्टताएँ और आगामी Z7 Pro 5G…
Tumblr media
View On WordPress
0 notes
orstube · 1 year
Text
मणिपुर समस्या की जड़ें जानने की इच्छा है तो पढ़ें | Manipur Violence | मणिपुर में हिंसा की पूरी कहानी
Tumblr media
लेख बड़ा हैं लेकिन मणिपुर समस्या की जड़ें जानने की इच्छा है तो पढ़ें 👇
वो लोग जो Manipur का रास्ता नहीं जानते। पूर्वोत्तर के राज्यों की राजधानी शायद जानते हो लेकिन कोई दूसरे शहर का नाम तक नहीं बता सकते उनके ज्ञान वर्धन के लिए बता दूं "मणिपुर समस्या: एक इतिहास" जब अंग्रेज भारत आए तो उन्होंने पूर्वोत्तर की ओर भी कदम बढ़ाए जहाँ उनको चाय के साथ तेल मिला। उनको इस पर डाका डालना था। उन्होंने वहां पाया कि यहाँ के लोग बहुत सीधे सरल हैं और ये लोग वैष्णव सनातनी हैं। परन्तु जंगल और पहाड़ों में रहने वाले ये लोग पूरे देश के अन्य भाग से अलग हैं तथा इन सीधे सादे लोगों के पास बहुमूल्य सम्पदा है। अतः अंग्रेज़ों ने सबसे पहले यहाँ के लोगों को देश के अन्य भूभाग से पूरी तरह काटने को सोचा। इसके लिए अंग्रेज लोग ले आए इनर परमिट और आउटर परमिट की व्यवस्था। इसके अंतर्गत कोई भी इस इलाके में आने से पहले परमिट बनवाएगा और एक समय सीमा से आगे नहीं रह सकता। परन्तु इसके उलट अंग्रेजों ने अपने भवन बनवाए और अंग्रेज अफसरों को रखा जो चाय की पत्ती उगाने और उसको बेचने का काम करते थे। इसके साथ अंग्रेज़ों ने देखा कि इस इलाके में ईसाई नहीं हैं। अतः इन्होने ईसाई मिशनरी को उठा उठा के यहां भेजा। मिशनरीयों ने इस इलाके के लोगों का आसानी से धर्म परिवर्तित करने का काम शुरू किया। जब खूब लोग ईसाई में परिवर्तित हो गए तो अंग्रेज इनको ईसाई राज्य बनाने का सपना दिखाने लगे। साथ ही उनका आशय था कि पूर्वोत्तर से चीन, भारत तथा पूर्वी एशिया पर नजर बना के रखेंगे। अंग्रेज़ों ने एक चाल और चली। उन्होंने धर्म परिवर्तित करके ईसाई बने लोगों को ST का दर्जा दिया तथा उनको कई सरकारी सुविधाएं दी। धर्म परिवर्तित करने वालों को कुकी जनजाति और वैष्णव लोगों को मैती समाज कहा जाता है। तब इतने अलग राज्य नहीं थे और बहुत सरे नगा लोग भी धर्म परिवर्तित करके ईसाई बन गए। धीरे धीरे ईसाई पंथ को मानने वालों की संख्या वैष्णव लोगों से अधिक या बराबर हो गयी। मूल लोग सदा अंग्रेजों से लड़ते रहे जिसके कारण अंग्रेज इस इलाके का भारत से विभाजन करने में नाकाम रहे। परन्तु वो मैती हिंदुओं की संख्या कम करने और परिवर्तित लोगों को अधिक करने में कामयाब रहे। Manipur के 90% भूभाग पर कुकी और नगा का कब्जा हो गया जबकि 10% पर ही मैती रह गए। अंग्रेजों ने इस इलाके में अफीम की खेती को भी बढ़ावा दिया और उस पर ईसाई कुकी लोगों को कब्जा करने दिया। How to Download Gadar 2 (2023) Hindi Audio Complete Movie in Full HD आज़ादी के बाद (Manipur): आज़ादी के समय वहां के राजा थे बोध चंद्र सिंह और उन्होंने भारत में विलय का निर्णय किया। 1949 में उन्होंने नेहरू को बोला कि मूल वैष्णव जो कि 10% भूभाग में रह गए है उनको ST का दर्जा दिया जाए। नेहरू ने उनको जाने को कह दिया। फिर 1950 में संविधान अस्तित्व में आया तो नेहरू ने मैती समाज को कोई छूट नहीं दिया। 1960 में नेहरू सरकार द्वारा लैंड रिफार्म एक्ट लाया जिसमे 90% भूभाग वाले कुकी और नगा ईसाईयों को ST में डाल दिया गया। इस एक्ट में ये प्रावधान भी था जिसमे 90% कुकी - नगा वाले कहीं भी जा सकते हैं, रह सकते हैं और जमीन खरीद सकते हैं परन्तु 10% के इलाके में रहने वाले मैती हिंदुओं को ये सब अधिकार नहीं था। यहीं से मैती लोगों का दिल्ली से विरोध शुरू हो गया। नेहरू एक बार भी पूर्वोत्तर के हालत को ठीक करने करने नहीं गए। उधर ब्रिटैन की MI6 और पाकिस्तान की ISI मिलकर कुकी और नगा को हथियार देने लगी जिसका उपयोग वो भारत विरुद्ध तथा मैती वैष्णवों को भागने के लिए करते थे। मैतियो ने उनका जम कर बिना दिल्ली के समर्थन के मुकाबला किया। सदा से इस इलाके में कांग्रेस और कम्युनिस्ट लोगों की सरकार रही और वो कुकी तथा नगा ईसाईयों के समर्थन में रहे। चूँकि लड़ाई पूर्वोत्तर में ट्राइबल जनजातियों के अपने अस्तित्व की थी तो अलग अलग फ्रंट बनाकर सबने हथियार उठा लिया।
Tumblr media
पूरा पूर्वोत्तर ISI के द्वारा एक लड़ाई का मैदान बना दिया गया। जिसके कारण Mizo जनजातियों में सशत्र विद्रोह शुरू हुआ। बिन दिल्ली के समर्थन जनजातियों ने ISI समर्थित कुकी, नगा और म्यांमार से भारत में अनधिकृत रूप से आये चिन जनजातियों से लड़ाई करते रहे। जानकारी के लिए बताते चलें कि कांग्रेस और कम्युनिस्ट ने मिशनरी के साथ मिलकर म्यांमार से आये इन चिन जनजातियों को Manipur के पहाड़ी इलाकों और जंगलों की नागरिकता देकर बसा दिया। ये चिन लोग ISI के पाले कुकी तथा नगा ईसाईयों के समर्थक थे तथा वैष्णव मैतियों से लड़ते थे। पूर्वोत्तर का हाल ख़राब था जिसका पोलिटिकल सलूशन नहीं निकाला गया और एक दिन इन्दिरा गाँधी ने आदिवासी इलाकों में air strike का आर्डर दे दिया जिसका आर्मी तथा वायुसेना ने विरोध किया परन्तु राजेश पायलट तथा सुरेश कलमाड़ी ने एयर स्ट्राइक किया और अपने लोगों की जाने ली। इसके बाद विद्रोह और खूनी तथा सशत्र हो गया। 1971 में पाकिस्तान विभाजन और बांग्ला देश अस्तित्व आने से ISI के एक्शन को झटका लगा परन्तु म्यांमार उसका एक खुला एरिया था। उसने म्यांमार के चिन लोगों का मणिपुर में एंट्री कराया जिसका कांग्रेस तथा उधर म्यांमार के अवैध चिन लोगों ने जंगलों में डेरा बनाया और वहां ओपियम यानि अफीम की खेती शुरू कर दिया। पूर्वोत्तर के राज्य मणिपुर, मिजोरम और नागालैंड दशकों तक कुकियों और चिन लोगों के अफीम की खेती तथा तस्करी का खुला खेल का मैदान बन गया। मयंमार से ISI तथा MI6 ने इस अफीम की तस्करी के साथ हथियारों की तस्करी का एक पूरा इकॉनमी खड़ा कर दिया। जिसके कारण पूर्वोत्तर के इन राज्यों की बड़ा जनसँख्या नशे की भी आदि हो गई। नशे के साथ हथियार उठाकर भारत के विरुद्ध युद्ध फलता फूलता रहा। 2014 के बाद Manipur की परिस्थिति: मोदी सरकार ने एक्ट ईस्ट पालिसी के अंतर्गत पूर्वोत्तर पर ध्यान देना शुरू किया, NSCN - तथा भारत सरकार के बीच हुए "नागा एकॉर्ड" के बाद हिंसा में कमी आई। भारत की सेना पर आक्रमण बंद हुए। भारत सरकार ने अभूतपूर्व विकास किया जिससे वहां के लोगों को दिल्ली के करीब आने का मौका मिला। धीरे धीरे पूर्वोत्तर से हथियार आंदोलन समाप्त हुए। भारत के प्रति यहाँ के लोगों का दुराव कम हुआ। रणनीति के अंतर्गत पूर्वोत्तर में भाजपा की सरकार आई। वहां से कांग्रेस और कम्युनिस्ट का लगभग समापन हुआ। इसके कारण इन पार्टियों का एक प्रमुख धन का श्रोत जो कि अफीम तथा हथियारों की तस्करी था वो चला गया। इसके कारण इन लोगों के लिए किसी भी तरह पूर्वोत्तर में हिंसा और अशांति फैलाना जरूरी हो गया था। जिसका ये लोग बहुत समय से इंतजार कर रहे थे। हाल ही Manipur में दो घटनाए घटीं:
Tumblr media
1. Manipur उच्च न्यायालय ने फैसला किया कि अब मैती जनजाति को ST का स्टेटस मिलेगा। इसका परिणाम ये होगा कि नेहरू के बनाए फार्मूला का अंत हो जाएगा जिससे मैती लोग भी 10% के सिकुड़े हुए भूभाग की ज���ह पर पूरे Manipur में कहीं भी रह, बस और जमीन ले सकेंगे। ये कुकी और नगा को मंजूर नहीं। 2. Manipur के मुख्यमंत्री बिरेन सिंह ने कहा कि सरकार पहचान करके म्यांमार से आए अवैद्य चिन लोगों को बाहर निकलेगी और अफीम की खेती को समाप्त करेगी। इसके कारण तस्करों का गैंग सदमे में आ गया। इसके बाद ईसाई कुकियों और ईसाई नगाओं ने अपने दिल्ली बैठे आकाओं, कम्युनिस्ट लुटियन मीडिया को जागृत किया। पहले इन लोगों ने अख़बारों और मैगजीन में गलत लेख लिखकर और उलटी जानकारी देकर शेष भारत के लोगों को बरगलाने का काम शुरू किया। उसके बाद दिल्ली से सिग्नल मिलते ही ईसाई कुकियों और ईसाई नगाओं ने मैती वैष्णव लोगों पर हमला बोल दिया। जिसका जवाब मैतियों दुगुना वेग से दिया और इन लोगों को बुरी तरह कुचल दिया जो कि कुकी - नगा के साथ दिल्ली में बैठे इनके आकाओं के लिए भी unexpected था। लात खाने के बाद ये लोग अदातानुसार विक्टम कार्ड खेलकर रोने लगे। अभी भारत की मीडिया का एक वर्ग जो कम्युनिस्ट तथा कोंग्रस का प्रवक्ता है अब रोएगा क्योंकि पूर्वतर में मिशनरी, अवैध घुसपैठियों और तस्करों के बिल में मणिपुर तथा केंद्र सरकार ने खौलता तेल डाल दिया है। Read the full article
0 notes
kisanofindia · 1 year
Text
सोलर चलित धान थ्रेसिंग मशीन (Paddy Threshing Machine): छोटे किसानों के लिए कैसे है फ़ायदेमंद?
किफ़ायती और कम वज़न की उपयोगी मशीन
धान की बुवाई और कटाई के साथ ही इसकी थ्रेसिंग का काम भी बहुत मेहनत वाला होता है। पहाड़ी इलाकों और छोटे किसानों तक धान थ्रेसिंग मशीन पहुंचाने के लिए वैज्ञानिकों ने पैडल वाली और सोलर चालित थ्रेसिंग मशीनें विकसित की हैं, जो किफ़ायती और हल्की हैं।
Tumblr media
सोलर चलित धान थ्रेसिंग मशीन (Paddy Threshing Machine): चावल उत्पादन में चीन के बाद भारत का दूसरा स्थान आता है। उत्पादन के साथ ही यहां चावल की खपत भी अधिक है। पश्चिम बंगाल, उड़ीसा और असम के लोगों का ये मुख्य भोजन है। हमारे देश में चावल का सबसे अधिक उत्पादन पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, आन्ध्र प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और तमिलनाडु में होता है। कड़ी मेहनत के बावजूद धान की खेती से छोटे किसानों को अधिक फ़ायदा नहीं हो पाता है, क्योंकि वो पारंपरिक तरीके से खेती करते हैं।
कृषि की आधुनिक महंगी मशीनों तक उनकी पहुंच नहीं होती है। धान की थ्रेसिंग का काम भी बहुत सी जगहों पर किसान खुद ही करते हैं। इसमें समय और श्रम दोनों अधिक लगता है। साथ ही पहाड़ी इलाकों में भारी थ्रेसिंग मशीन को पहुंचाना भी संभव नहीं होता। इसके अलावा सभी इलाकों में बिजली न होना भी एक अलग समस्या है। इन सभी समस्याओं को ध्यान में रखते हुए वैज्ञानिकों ने सोलर चलित और पैडल से चलने वाली धान थ्रेसिंग मशीन बनाई है, जो अच्छे से चावल के दानों को बिना टूटे अलग करता है।
क्या होती है थ्रेसिंग?
थ्रेसिंग का मतलब होता है भूसी से अनाज को अलग करना। धान की थ्रेसिंग (Paddy Threshing) करके भूसी से चावल को अलग किया जाता है। पारंपरिक विधि में किसान हाथ से ही थ्रेसिंग का काम करते थे, लेकिन धीरे-धीरे श्रम की कमी की समस्या को दूर करने और समय की बचत के लिए कई थ्रेसिंग मशीनें बनाई गईं।
हालांकि, ये मशीनें महंगी होती हैं और वज़न अधिक होने के कारण एक स्थान से दूसरे स्थान पर आसानी से लाना संभव नहीं होता है। इसलिए वैज्ञानिकों ने किफ़ायती, हल्की और सौर ऊर्जा से चलने वाली थ्रेसिंग मशीन बनाई। इसकी ख़ासियत ये है कि अगर कभी खराब मौसम के कारण सौर ऊर्जा न मिले, तो इसे पैडल से भी चलाया जा सकता है।
Tumblr media
छोटे किसान और पहाड़ों के लिए उपयुक्त
सोलर चलित ख़ास धान थ्रेसि���ग मशीन में सोलर पैनल लगा हुआ है और एक बैटरी भी है, जो सौर ऊर्जा से चार्ज होती है।
और पढ़ें.....
0 notes
Text
Tumblr media
।।रिश्ता।।
-राजेश चन्द्रा-
चीन में एक परम्परा है कि जब लड़के वाले शादी के लिए लड़की को देखने आते हैं तो लड़की सबसे पुराने रखे चीनी मिट्टी के बर्तन में पेय लेकर आती है और बताती है कि यह प्याला मेरी दादी के समय का या परदादी के समय का या और भी पुराना है तो वह बताती है। जो लड़की जितनी पुरानी पीढ़ी का प्याला बताती है उसके रिश्ता तय होने की सम्भावना उतनी ही प्रबल होती जाती है। अगर किसी लड़की ने यह बता दिया कि यह प्याला सात पीढ़ी पुराना है तो रिश्ता पक्का ही हो जाता है।
मान्यता यह है कि जो चीनी मिट्टी के बर्तनों को सम्भाल के रख सकती है वह रिश्तों को भी सम्भाल के रखेगी।
आज यूज-एण्ड-थ्रो के जमाने में लोग रिश्ता बनाने और निभाने में भी ऐसे ही हो गये हैं।
• समाजशास्त्रीय शोध के आकड़े हैं कि अमेरिका में 50% शादियों का अन्त तलाक पर होता है।
• शोधकर्ता बता रहे हैं अमेरिका में कि 41% तलाक तो अभिलिखित हैं, शेष जोड़े बिना विधिक प्रक्रिया के अलग हो जाते हैं।
• तलाकशुदा जोड़े पुनर्विवाह करते हैं। उनमें से 60% पुनर्विवाहों का अन्त भी तलाक पर होता है।
• खण्डित पुनर्विवाहित जोड़े तीसरी शादी करते हैं। तीसरा विवाह करने वाले जोड़ों की तलाक की दर भी 73% है।
• विश्व में तलाक की न्यूनतम दर भारत में है, मात्र 1%। यह कदाचित इस लिए है कि भारत की सांस्कृतिक जड़ों में मङ्गलसूत्र है।
मङ्गलसूूत्र अर्थात पत्नी के गले में पहनाया जाने वाला एक आभूषण नहीं बल्कि गृहस्थों को दिया गया भगवान बुद्ध का उपदेश- महामङ्गल सुत्त- जिसमें एक गाथा कहती है:
माता-पितु उपट्ठानं पुत्तदारस्स सङ्गहो।
अनाकुला च कम्मन्ता, एतं मङ्गलमुत्तमं।।
- माता-पिता की सेवा करना, पत्नी-बच्चों का भरण-पोषण करना और कुल में दाग लगाने वाले काम न करना - एतं मङ्गलमुत्तमं - यह उत्तम मङ्गल है।
भगवान ने ऐसी अड़तीस मङ्गलकारी बातें गृहस्थ उपासकों के लिए बतायी हैं जिसे महामङ्गल सुत्त कहते हैं। बौद्घ काल में हर गृहस्थ को विवाह के समय यह मङ्गल सुत्त का उपदेश दिया जाता था। समय के साथ भगवान का मङ्गल सुत्त तो लोग भूल गये, जिसका अपभ्रंशित रुप गले में मङ्गल सूत्र के रूप में आज भी विद्यमान है।
यह मङ्गल सूत्र रिश्तों को अटूट रखे है।
इस देश को भगवान बुद्ध के महामङ्गल सुत्त का स्मरण हो जाए तो तलाक की 1% दर भी शून्य हो जाएगी।
0 notes
newsdaynight · 1 year
Text
भारत पहुंच तो रहे हैं बिलावल, लेकिन 'जयशंकर मिसाइल' से पाकिस्तान है परेशान
Delhi: नई दिल्ली: बिलावल भुट्टो जरदारी को गोवा में रेड कार्पेट वेलकम की उम्मीद नहीं करनी चाहिए क्योंकि भारत और पाकिस्तान के रिश्ते ऐसे नहीं हैं। बिलावल भारत तो आ रहे हैं लेकिन पाकिस्तान के पूर्व डिप्लोमेट्स को अलग ही चिंता सता रही है। जी हां, वे मोदी सरकार के 'मिसाइल मिनिस्टर' एस. जयशंकर को लेकर बेचैन हैं। राजदूत तारिक जमीर ने एक डिबेट में चिंता जताते हुए कहा कि इंटरनेशनल फोरम पर पाकिस्तान को जलील करने के लिए भारत ने पूरी तैयारी कर रखी है। कई पूर्व राजनयिकों ने आशंका जाहिर की है कि गोवा में अंतरराष्ट्रीय बैठक में भारत के विदेश मंत्री जयशंकर पाकिस्तान को खरी-खोटी सुना सकते हैं। और वहां सामने बैठे बिलावल को सब कुछ सुनना पड़ेगा। मलीहा लोधी ने यहां तक कह दिया कि बिलावल के भारत जाने से रिश्तों पर जमी बर्फ नहीं पिघलने वाली। ऐसे में समझा जा सकता है कि 'गोवा वाले बीच' का माहौल दो दिनों के लिए गर्म बना रह सकता है। नहीं, यह कोई मौसम की भविष्यवाणी नहीं है बल्कि पाकिस्तान, चीन समेत SCO के विदेश मंत्रियों के दक्षिण गोवा पहुंचने से माहौल ऐसा रह सकता है। कश्मीर पर जहर उगलने वाले पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी (34) आज भारत आ रहे हैं। उन्होंने पाकिस्तान से रवाना होने से पहले एक वीडियो भी जारी किया है। दोपहर 12 बजे के करीब उनका प्लेन कराची से गोवा के लिए उड़ गया है। SCO के विदेश मंत्रियों की दो दिवसीय बैठक आज से गोवा के एक आलीशान 'बीच रिसॉर्ट' में शुरू हो रही है। वैसे, मुख्य चर्चा कल होगी लेकिन आज विदेश मंत्री जयशंकर चीन और रूस के अपने समकक्षों के साथ द्विपक्षीय चर्चा करेंगे। जबकि भारत बिलावल की यात्रा को तवज्जो नहीं दे रहा है। खबर है कि विदेश मंत्री जयशंकर और बिलावल भुट्टो के बीच कोई द्विपक्षीय चर्चा प्रस्तावित नहीं है। बिलावल का भारत दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब कुछ दिन पहले ही पुंछ में सेना के एक ट्रक को निशाना बनाकर आतंकियों ने हमला किया था। इस हमले में पांच सैनिक शहीद हो गए थे। इससे पहले हिना रब्बानी खार 2011 में भारत आई थीं, तब एसएम कृष्णा विदेश मंत्री थे। उसके बाद पहली बार पाकिस्तान के किसी विदेश मंत्री का दौरा हो रहा है। खार इस समय विदेश राज्य मंत्री हैं। दिसंबर 2016 में पाकिस्तान के विदेश मामलों के सलाहकार सरताज अजीज के बाद पाकिस्तान से पहला उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल भारत आ रहा है। http://dlvr.it/SnW2Vh
0 notes
emkanews7 · 1 year
Text
जितना शोर विराट जैसे खिलाड़ियों के शतक पर नही होता, उतना तो इस खिलाडी के सिर्फ ग्राउंड मे आने से होता है
Tumblr media
जितना शोर विराट जैसे खिलाड़ियों के शतक पर नही होता, उतना तो इस खिलाडी के सिर्फ ग्राउंड मे आने से होता है हेलो दोस्तों! आज हम आपको बताने जा रहे है एक ऐसे खिलाड़ी के बारे मे जिसको देखने के लिए लाखो फैन्स इंतजार करते रहते है क्रिकेट की दुनिया मे अपनी एक अलग पहचान बनाने वाले इस खिलाड़ी के अंतिम दौर मे भारत के हर एक मैदान मे हजारों की संख्या मे लोग सिर्फ इसी खिलाड़ी की कुछ झलकियों को देखने के लिए आते है। हम आपको बता दें उस खिलाड़ी का नाम है महेंद्र सिंह धोनी जी हाँ दोस्तों महेंद्र सिंह धोनी इस वक़्त आईपीएल मे चेन्नई सुपर किंग्स की कप्तानी कर रहे है। जब भी चेन्नई का मैच किसी भी टीम से होता है तो एक से एक बड़े खिलाड़ी मैदान मे होते है जो इस समय अपनी टॉप फॉर्म मे चल रहे है लेकिन महेंद्र सिंह धोनी के फेन्स इतनी अधिक तादाद मे स्टेडियम मे आते है की किसी और खिलाड़ी का क्रेज दिखाई ही नहीं देता है।
जडेजा के आउट होने की दुआ करते है चेन्नई के फेन्स
हम आपको बता दें की रावेन्द्र जडेजा चेन्नई सुपर किंग्स के मुख्य खिलाड़ियों मे से एक है वह भारत के नाम चीन ऑल राउंडर प्लेयर है रविन्द्र जडेजा हमेशा धोनी से एक नम्बर पहले बल्लेबाजी करने के लिए आते है लेकिन माहौल कुछ ऐसा होता है की चेन्नई सुपर किंग्स कर ही समर्थक जडेजा के आउट होने की दुआ मांगते है। यहाँ तक की चेन्नई का पिछला मैच जो कोलकाता नाईट राइडर्स से हुआ था उसमे स्टेडियम मे मौजूद एक फैन ऐसा पोस्टर लिए हुए था जिसमे लिखा हुआ था " Jaddu can you please lose your wicket on the first ball We want to see mahi " जिसको देखकर सभी लोग यह सोचने लगे की ऐसा क्या है इस महेंद्र सिंह धोनी मे जिनको सिर्फ देखने के लिए लोग मरे जा रहे है।
जिओ सिनेमा पर आ जाते है करोड़ो यूजर
जानकारी के लिए हम आपको बता दें की इस आईपीएल से पहले किसी खिलाड़ी को देखने के लिए ऑनलाइन सबसे ज्यादा यूजर आने का रिकॉर्ड विराट कोहली के नाम था लेकिन इस साल महेंद्र सिंह धोनी ने यह रिकॉर्ड तोड़ दिया उनकी बल्लेबाजी देखने के लिए एक बार मे जिओ सिनेमा पर 1.8 करोड़ यूजर आने का रिकॉर्ड भी दर्ज है।
कोलकाता के होम ग्राउंड पर थे चेन्नई के ज्यादा समर्थक
चेन्नई सुपर किंग्स का पिछला मैच कोलकाता नाईट राइडर्स से कोलकाता के ही होम ग्राउंड इडेन गार्डन मे हुआ था जिसमे स्टेडियम मे कोलकाता के पर्पल रंग से ज्यादा चेन्नई का येलो रंग दिखाई दें रहा था मैच मे कही भी ऐसा नहीं लगा की यह मैच कोलकाता के ही होम ग्राउंड पर हो रहा है। यह सिर्फ हो रहा है तो महेंद्र सिंह धोनी की वजह से धोनी के लिए इतने सारे लोग हर जगह जाते है।
Tumblr media
जितना शोर विराट जैसे खिलाड़ियों के शतक पर नही होता, उतना तो इस खिलाडी के सिर्फ ग्राउंड मे आने से होता है इस मैच मे चेन्नई सुपर किंग्स को जीत हासिल हुयी चेन्नई ने इस मैच मे पहले बल्लेबाजी करते हुए सीजन का सबसे बड़ा स्कोर 235 रन बनाया था जिसमे शिवम दुबे, रहाणे और कान्वें ने अर्धशतक लगाए थे। 235 रन के जवाब मे कोलकाता सिर्फ 186 रन ही बना पायी थी और चेन्नई को 49 रनो से जीत हासिल हुयी थी। RR vs RCB Highlight: रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर ने राजस्थान पर की 7 रनो से रोमांचिक जीत हासिल LSG vs GT Highlight: 134 रन के लो स्कोरिंग मैच मे गुजरात ने लखनऊ को 7 रन से हराया Read the full article
0 notes
dainiksamachar · 26 days
Text
ब्रिटेन अब ग्रेट नहीं, भारत कौ सौंप दे UNSC की अपनी सीट... पीएम मोदी के दौरे से पहले सिंगापुर के राजनयिक का बड़ा बयान
सिंगापुर: सिंगापुर के पूर्व राजनयिक और जानेमाने शिक्षाविद किशोर महबूबानी ने (यूएनएससी) में तत्काल सुधार की मांग की है। साथ ही उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया है कि भारत को स्थायी सदस्यता मिले। उन्होंने कहा कि भारत परिषद में स्थायी सीट की हकदार है और उसे ये हक मिलना चाहिए। किशोर महबूबानी का ये बयान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सिंगापुर यात्रा से ठीक पहले आया है। भारत भी अलग-अलग मंचों से बीते कई वर्षों से लगातार यूएनएससी में स्थायी सीट की मांग करता रहा है। एनडीटीवी के साथ एक साक्षात्कार में महबूबानी ने कहा कि अगर फिलहाल काउंसिल का विस्तार नहीं हो रहा है तो यूके के बजाय भारत इसका स्थायी सदस्य बने। उन्होंने कहा, 'भारत आज के समय में अमेरिका और चीन के बाद दुनिया का तीसरा सबसे शक्तिशाली देश है। वहीं ग्रेट ब्रिटेन अब 'ग्रेट' नहीं रह गया है। ऐसे में यूके को यूएनएससी की अपनी स्थायी सीट भारत को दे देनी चाहिए।' ब्रिटेन को अपनी सीट छोड़ने का फायदा ही होगा: महबूबानी महबूबानी ने अपनी बात रखते हुए कहा कि ब्रिटेन ने बीते कई दशक से यूएनएससी में अपनी वीटो शक्ति का प्रयोग नहीं किया है। ब्रिटेन वीटो का इस्तेमाल करने पर होने वाली प्रतिक्रिया से डरता है। ऐसे में ब्रिटेन के लिए तार्किक कदम यही है कि वह अपनी सीट भारत को सौंप दे। वैसे भी अगर ब्रिटेन अपनी सीट छोड़ देता है तो उसे वैश्विक मंच पर अधिक स्वतंत्र रूप से काम करने की स्वतंत्रता मिलेगी। उन्होंने कहा कि यूएनएससी को आज की महान शक्तियों का प्रतिनिधित्व करना चाहिए ना कि अतीत की शक्तियां ही इसमें बनी रहनी चाहिए। यूएनएससी में व्यापक सुधारों की आवश्यकता प महबूबानी ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के संस्थापकों ने संगठन को अपने समय की प्रमुख शक्तियों को शामिल करने के लिए डिजाइन किया था। ऐसा इन देशों की प्रभावशीलता को बनाए रखने के स्वार्थ के तहत किया गया। उनका ये बयान भारत के पक्ष से मिलता है। भारत भी ये कहता रहा है कि यूएनएससी में स्थायी-पांच सदस्य देशों के विशेषाधिकार 1945 में दूसरे विश्व युद्ध बाद की मानसिकता को दिखाता है। इस स्थिति में बदलाव किया जाना चाहिए। वर्तमान में यूएनएससी के पांच स्थायी सदस्य- चीन, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन और अमेरिका हैं। यूएनएससी में केवल स्थायी सदस्यों के पास ही किसी प्रस्ताव पर वीटो करने की शक्ति है। ऐसे में भारत काउंसिल में स्थायी सीट चाहता है। हालांकि तमाम जतन के बावजूद भारत अपनी कोशिश में फिलहाल कामयाब होता नहीं दिख रहा है। http://dlvr.it/TCfCV0
0 notes
easyhindiblogs · 2 years
Text
Mount Everest Facts
Mount Everest पृथ्वी पर सबसे ऊंचा पर्वत है, और यह हिमालय की महालंगुर हिमाल उप-श्रेणी में स्थित है। चीन-नेपाल सीमा ठीक एवरेस्ट के शिखर बिंदु के साथ-साथ चलती है। Mount Everest की ऊंचाई (8,848.86 मीटर या 29029 फीट ऊंची) हाल ही में चीनी और नेपाली अधिकारियों द्वारा निर्धारित की गई थी।
Tumblr media
माउंट एवेरेस्ट को क्यों कहा जाता है दुनिया का सबसे ऊंचा पर्वत?
Mount Everest दुनिया का सबसे ऊंचा पर्वत है। यह नेपाल में तिब्बत की सीमा पर स्थित है। इसे पहले पीक XV के नाम से जाना जाता था। 1856 में, भारत के महान त्रिकोणमितीय सर्वेक्षण में, Mount Everest की ऊंचाई, जो कि 8840 मीटर (29,002 फीट) तक थी, को पहली बार प्रकाशित किया गया था। 1850 में कंचनजंघा को सबसे ऊंचा पर्वत माना जाता था, लेकिन अब यह दुनिया की तीसरी सबसे ऊंची चोटी है, इसकी ऊंचाई 8586 मीटर (28,169 फीट) है। माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई का पता लगाने में वैज्ञानिकों को थोड़ी दिक्कत हुई, क्योंकि इसके आसपास की चोटियां काफी ऊंची हैं।
माउंट एवरेस्ट की प्रमुख विशेषताएँ (Mount Everest features)
इसकी कुछ प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार हैं –
पहाड़ की ऊंचाई समुद्र तल से 8848 मीटर है। इसका मतलब है कि यह करीब 29,029 फीट ऊंचा है।
Mount Everest के पास पहली चोटी ल्होत्से है, जो 8516 मीटर (27940 फीट) की ऊंचाई पर है, दूसरी नुप्त्से है, जो 7855 मीटर (27771 फीट) पर है, और तीसरी चांगत्से है, जो 7580 मीटर (24870 फीट) पर है।
वैज्ञानिकों ने अपने एक अध्ययन में पाया कि इसकी ऊंचाई हर साल 2 सेंटीमीटर बढ़ रही है।
नेपाल में इसे सागरमाथा के नाम से जाना जाता है, यह शब्द नेपाली इतिहासकार बाबू राम आचार्य ने 1930 में दिया था।
इसे तिब्बत में चोमोलंगमा के नाम से भी जाना जाता है। चोमोलंगमा विश्व की देवी हैं, जबकि सागरमाथा आकाश की देवी हैं। यह उच्च शिखर दोनों देशों के लोगों द्वारा पूजनीय है।
संस्कृत में Mount Everest को देवगिरी के नाम से जाना जाता है। इसके आकार के कारण इसे विश्व का ताज भी कहा जाता है।
यह दुनिया के सात अजूबों में से एक है।
क्या है माउंट एवरेस्ट का इतिहास?
1802 में अंग्रेजों ने दुनिया की सबसे ऊंची चोटी की खोज शुरू की। पहले नेपाल उन्हें घुसने देने के लिए तैयार नहीं था, इसलिए उन्होंने तराई नामक स्थान से अपनी खोज शुरू की। लेकिन भारी बारिश के कारण मलेरिया फैल गया और तीन सर्वेक्षण अधिकारियों की मौत हो गई। हिमालय की सबसे ऊँची चोटी Mount Everest से भी ऊँची है, जिसका नाम चिम्बोराजी शिखर है। अंतरिक्ष से देखेंगे तो धरती से सिर्फ चिंबोराजी चोटी ही दिखाई देगी। चिंबोराजी पर्वत शिखर एवरेस्ट शिखर से लगभग 15 फीट ऊंचा दिखता है, लेकिन चूंकि पहाड़ों की ऊंचाई समुद्र तल से मापी जाती है, इसलिए Mount Everest को सर्वोच्च शिखर का दर्जा प्राप्त है। पर्वतारोहण के इतिहास में प्रसिद्ध पर्वतारोही अन्द्रेज़ जावड़ा ने अभियान में प्रथम आठ हजार सिंदर पर कब्जा किया, जो पर्वतारोहण के लिए इतिहास बन गया।
कैसे हुई माउंट एवरेस्ट की खोज?
1830 में इंग्लैंड के सर्वेक्षण वैज्ञानिक जॉर्ज एवरेस्ट ने Mount Everest को खोजने की कोशिश की। बाद में 1865 में एंड्रयू वॉ ने भारत की सबसे ऊंची चोटी के सर्वेक्षण के दौरान इस कार्य को पूरा किया। उन्होंने इस पर्वत का नाम माउंट  एवरेस्ट के नाम पर रखा, लेकिन नेपाल के स्थानीय लोगों को यह नाम पसंद नहीं आया। वे इस पर्वत का कोई स्थानीय नाम रखना चाहते थे, इसलिए उन्हें यह विदेशी नाम पसंद नहीं आया। 1885 में, अल्पाइन क्लब के अध्यक्ष क्लिंटन थॉमस डेंट ने अपनी पुस्तक एबव द स्नो लाइन में एवरेस्ट पर चढ़ने का एक संभावित तरीका सुझाया। 1921 में, ब्रिटिश पुरुष जॉर्ज मैलोरी और गाइ गाइ बुलॉक, ब्रिटिश टोही अभियान ने उत्तरी कोण से पहाड़ पर चढ़ने का फैसला किया। वे 7005 मीटर (लगभग 22982 फीट) की ऊंचाई तक चढ़े, जिससे वे इतनी ऊंचाई पर पैर रखने वाले पहले व्यक्ति बन गए। इसके बाद वे अपनी टीम के साथ उतरे।
क्या है माउंट एवरेस्ट की भौगोलिक विशेषताएं?
एवरेस्ट 6 करोड़ साल पुराना है और यहां लगातार बर्फबारी होती रहती है। Mount Everest का निर्माण तब हुआ जब लॉरेशिया महाद्वीप अलग हो गया और उत्तर की यात्रा के दौरान एशिया से टकरा गया। पृथ्वी की पपड़ी की दो प्लेटों के बीच समुद्र का तल फट गया, जिससे भारत को उत्तर की ओर बढ़ने की अनुमति मिली, जिससे Mount Everest और हिमालय पर्वत का उदय हुआ। पहाड़ के चारों ओर नदियाँ हैं, और पहाड़ की पिघलती बर्फ नदियों के लिए पानी की एक महत्वपूर्ण आपूर्ति है, जो वहाँ के पर्यावरण संतुलन को बनाए रखने के लिए आवश्यक है। माउंट एवरेस्ट कई प्रकार के पत्थरों से बना है, जिनमें शेल, चूना पत्थर और संगमरमर शामिल हैं। सालों से Mount Everest की चोटी बर्फ से ढकी हुई है।.
पहाड़ की जलवायु बहुत ठंडी होती है, इसलिए यहाँ कोई वनस्पति नहीं है। लेकिन कौवे जैसे कुछ जानवर वहां रहते हैं। यह पर्वत जिस ऊंचाई पर स्थित है, वह 20,000 फीट से अधिक है, इसलिए उस क्षेत्र में कोई वन्यजीव नहीं है।
कैसा होता है माउंट एवरेस्ट पर मौसम? (Mount Everest Temperature)
माउंट एवरेस्ट की अत्यधिक ऊंचाई के कारण यहां ऑक्सीजन की कमी है। लगभग हर साल एवरेस्ट पर बर्फ से भरी हवाएं चलती रहती हैं। हर साल वहां का तापमान 80 डिग्री फारेनहाइट तक बना रहता है। मई के महीने में शक्तिशाली जेट वायु धाराएं होती हैं, जिसके कारण तापमान में वृद्धि होती है। वहाँ हवा 200 मीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलती है।
Mount Everest पर 18 अलग-अलग तरीकों के माध्यम से चढ़ाई की जा सकती है। एवरेस्ट पर चढ़ने वालों को धन मिलता है, और उस पर चढ़ने की इच्छा हमेशा बनी रहती है। चढ़ते समय लोग केवल वही लाते हैं जिसकी उन्हें आवश्यकता होती है। पर्वतारोही 66% से कम ऑक्सीजन वाली परिस्थितियों में 40 दिनों तक प्रशिक्षण लेते हैं। उनके पास नायलॉन की रस्सी होती है जिससे वे गिरने से बचते हैं। वे एक विशेष जूते पहनते है  जो उन्हें बर्फ पर फिसलने से बचाते  है. गर्म रहने के लिए वह एक विशिष्ट सूट भी पहनते है , और अधिकांश पर्वतारोही चावल या नूडल्स खाते हैं। 26,000 फीट की ऊंचाई तक पहुंचने पर उपयोग करने के लिए प्रत्येक पर्वतारोही के पास ऑक्सीजन की एक बोतल होती है।
चोटी पर चढ़ने वाले लोगों में ज्यादातर नेपाल के हैं। वहां के शेरपा पर्वतारोहियों की मदद करते हैं। शेरपा की भूमिका पर्वतारोहियों के लिए भोजन और टेंट की आपूर्ति करना है। निगरानी के लिए चार शिविर हैं। शेरपा एक ऐसे व्यक्ति का नाम है जो ज्यादातर नेपाल के पश्चिम में रहता है। वे इस कार्य को पूरा करके एक नौकरी प्राप्त करते हैं, जिससे उन्हें अपने परिवार का भरण-पोषण करने में मदद मिलती है। इतनी ऊंची चोटी पर कुशांग शेरपा ने चारों दिशाओं से चढ़ाई की है। वह एक पर्वतारोही शिक्षक हैं।
माउंट एवेरेस��ट को लेकर हुए विवादों की चर्चा
नेपाल और चीन ने Mount Everest के लिए अलग-अलग ऊंचाई की सूचना दी, जिसके परिणामस्वरूप दोनों सरकारों के बीच असहमति और संघर्ष हुआ। फिलहाल भारतीय सर्वेक्षण, जो 1955 के सर्वेक्षण में आया था और जिसे चीन ने 1975 के अपने सर्वेक्षण में स्वीकार किया था, ने चोटी की ऊंचाई बताई है, जो 8 हजार 8 सौ 48 है। जब चीन ने 2005 में ऊंचाई मापी, यह 8844.43 मीटर आया, लेकिन नेपाल ने यह दावा करते हुए इसे मानने से इनकार कर दिया कि ऊंचाई को बर्फ की ऊंचाई से मापा जाना चाहिए, लेकिन चीन का इरादा चट्टान की ऊंचाई से मापने का था। 2005 से 2010 तक दोनों के बीच करीब 5 साल तक अनबन रही। अंतत: एक समझौते पर पहुंचने के बाद दोनों देशों ने माउंट एवरेस्ट की वर्तमान ऊंचाई को मान्यता दी।
माउंट एवरेस्ट का खतरनाक सच
Mount Everest दुनिया की सबसे ऊंची चोटी है। बहुत सारे लोग इस पर चढ़ने की कोशिश करते हैं, लेकिन उनमें से बहुत से लोग शीर्ष पर नहीं पहुंच पाते हैं। कुछ लोग शीर्ष पर पहुंचने की कोशिश करते हुए मर जाते हैं, और इसलिए यह इतना खतरनाक है।
पहाड़ का बहुत अधिक मौत का कारण बनने का एक लंबा इतिहास रहा है। इतने सारे लोग यह पता लगाने में रुचि रखते हैं कि प्रत्येक वर्ष कितने लोग एवरेस्ट पर मरते हैं। दुर्भाग्य से, इस प्रश्न का सटीक उत्तर देना असंभव है।
इस ब्लॉग पोस्ट में, हम उस प्रश्न की निराशाजनक प्रतिक्रिया के साथ-साथ इन आपदाओं में योगदान देने वाले कारणों को देखेंगे।
For Full Information, Please Read Our Full Blog :
0 notes
vocaltv · 2 years
Text
मोदी का चीन पर अलग प्रभाव जाने क्यों है, इतना प्रभावशाली
मोदी का चीन पर अलग प्रभाव जाने क्यों है, इतना प्रभावशाली #PMMODI
भारत और चीन के बीच चल रहे सीमा विवाद के बावजूद चीन के लोगों के दिलों में देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर एक अलग सम्मान की भावना व्याप्त है. अमेरिका की पत्रिका डिप्लोमैट में प्रकाशित एक लेख के मुताबिक चीनी लोगों द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आदर पूर्वक ‘मोदी लाओक्सियन कहा जाता है. जिसका अर्थ होता है मोदी अमर है. गौरतलब है कि मौजूदा समय में दोनों देशों के संबंध मुश्किल दौर से…
Tumblr media
View On WordPress
0 notes
webvartanewsagency · 2 years
Text
Indian Army Ammunation: ड्रैगन-पाक और बांग्लादेश का बड़ा प्लान! जानें क्यों इंडियन आर्मी खरीद रही ₹70 हजार करोड़ के हथियार
नई दिल्ली, (वेब वार्ता)। एक बड़ी खबर के अनुसार केंद्र सरकार ने सेना (Indian Army) के लिए 70 हजार 584 करोड़ के डिफेंस इक्विपमेंट की खरीद को जरुरी मंजूरी दी है। जी हां, डिफेंस मिनिस्टर राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में DAC (डिफेंस एक्वजिशन काउंसिल) ने इस खरीद को मंजूरी दी। जानकारी के अनुसार इन खरीदे जा रहे हथियारों में नेवी के लिए 60 मेड इन इंडिया यूटिलिटी मरीन हेलिकॉप्टर और 200 ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल भी शामिल होंगे। इसके साथ ही आर्मी को 307 हॉवित्जर तोपें दी जाएंगी। वहीं साथ ही एयरफोर्स के लिए ख़ास ��ौर पर लॉन्ग रेंज स्टैंड-ऑफ वेपन खरीदे जाएंगे। ख़ास बात यह होगी कि, इन वेपन्स को सुखोई- 30 फाइटर जेट्स से अटैच किया जाएगा। इसके साथ ही इंडियन कोस्ट गार्ड्स के लिए भी एडवांस लाइट हेलिकॉप्टर्स खरीदे जा रहे हैं। इसे खास तौर पर हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) बनाएगी। Defence Ministry has approved proposals worth over Rs 70,000 crore for buying different weapon systems for the Indian defence forces: Defence officials pic.twitter.com/3jFPr59xOW — ANI (@ANI) March 16, 2023 क्यों जरुरी है ये प्रपोजल जी हां, मोदी सरकार अब देश की सेना को जरुरी सैन्य आयुध से और भी सुसज्जित और पुख्ता करेगी। अब सेना के लिए 70, 584 करोड़ के हथियार खरीदे जाएंगे। यह फैसला इस लिहाज से भी अहम है क्योंकि बीते तीन साल से पूर्वी लद्दाख में मौजूद लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर चीन के साथ आज भी तनाव जारी है। दरअसल डिफेंस एक्वजिशन काउंसिल ने AoN (एक्सेप्टेंस) ऑफ नेसेसिटी के तहत डील का प्रपोजल रखा था। ऐसे में केंद्र सरकार द्वारा यह पैसा इसी के तहत जारी होगा, यह एक स्पेशल और बहुत ख़ास प्रोग्राम है। इसका मकसद भारत में बने उपकरण का अब हथियार में शामिल करना है। वहीं फाइनेंशियल ईयर 2022-23 के लिए अब कुल 2,71,538 करोड़ रुपए मंजूर किए जा चुके हैं। इसका 98।9% हिस्सा भारत में बने सामान खरीदने पर ही खर्च होगा। पाकिस्तान-बांग्लादेश चीन से खरीद रहे हथियार जानकारी हो कि, दुनिया के अलग-अलग देशों के बीच युद्ध, शस्त्रीकरण, शस्त्रों पर नियंत्रण और निरस्त्रीकरण में शोध के लिए काम करने वाली स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) की एक ख़ास रिपोर्ट के अनुसार भारत के ‘नॉट-सो-फ्रेंडली’ पड़ोसियों का झुकाव भी अब चीन की तरफ बढ़ रहा है। वहीं बीते पांच सालों, यानी 2018 से 2022 के दौरान पाकिस्तान ने 2013-17 की तुलना में हथियारों का 14% ज़्यादा आयात किया, और अपनी ज़रूरत का तीन-चौथाई से भी ज़्यादा हिस्सा पाकिस्तान ने चीन से ही मंगवाया है। पाकिस्तान-बांग्लादेश और चीन क्या बना रहे कोई बड़ा प्लान  वहीं बांग्लादेश भी अपने कुल आयात का लगभग तीन-चौथाई, यानी 74% हिस्सा चीन से ही खरीदता है। वहीं चीन के कुल हथियार निर्यात का 12%हिस्सा बांग्लादेश ही खरीदता है।इस रिपोर्ट के अनुसार, चीन हथियार निर्यात के मामले में दुनिया में इस वक़्त चौथे पायदान पर है, और समूचे विश्व में होने वाले हथियार निर्यात का 5.2% हिस्सा वही बेचता है, लेकिन अहम तथ्य यह है कि उसके कुल निर्यात का 54% हिस्सा पाकिस्तान को ही जाता है। Read the full article
0 notes
manishbloggistan · 2 years
Text
MG Electric Car: OMG! जल्द ही मार्केट में गदर मचाने आ रही एमजी की ये छोटी EV कार, सिंगल चार्ज में दौड़ेगी 300KM
MG Electric Car: जल्द ही इंडियन मार्केट में एमजी मोटर (MG Motor) अपनी एक नई इलेक्ट्रिक कार को लॉन्च करने के फिराक में है. कंपनी ने पिछले साल ही बताया था कि, वह जल्द ही ग्राहकों के लिए किफायती हैचबैक कार लॉन्च कर सकती है. साथ ही एमजी ने यह भी बताया था कि यह इलेक्ट्रिक कार चीन में बिकने वाली वुलिंग एयर ईवी (Wuling Air Ev) पर बेस्ड होगी.
हाल ही में एमजी की इस इलेक्ट्रिक कार को भारतीय सड़को पर टेस्टिंग के दौरान स्पॉट कोई गया. जिससे अनुमान लगाया जा रहा है कि कंपनी इस अपकमिंग कार को जल्द ही पेश करने वाली है.आपकी जानकारी के लिए बता दें कि वुलिंग अपनी मिनी इलेक्ट्रिक कार एयर ईवी की बिक्री कुछ चुनिंदा दक्षिण एशियाई देशों में कर रही है. हालांकि, इसे भारत में कुछ अलग नाम से लॉन्च किया जाएगा.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इस अपकमिंग कार का डिजाइन वुलिंग एयर ईवी के जैसा है, जिसमे कम्पनी द्वारा कोई बदलाव नहीं किया जायेगा. वही यह कार टाटा Tiago और पीएमवी ईएएस-ई माइक्रो इलेक्ट्रिक कार को जोरदार टक्कर देगी.
MG Electric Car: बैटरी
अगर बात इस कार के बैटरी की करें तो अनुमान लगाया जा रहा है कि इस कार में कंपनी दो बैटरी पैक का इस्तेमाल कर सकती है, जिसमें 17.3 kWh और 26.7 kWh बैटरी पैक मॉडल शामिल होंगे. बता दे 17.3 kWh वाली बैटरी सिंगल चार्ज में 200 किलोमीटर का रेंज देगी, जबकि 36.7kWh वाली बैटरी फुल चार्ज में 300 किलोमीटर का दूरी तय करेगी. दोनों मॉडलों में इलेक्ट्रिक मोटर को रियर एक्सेल में लगाया जाएगा जो क्रमशः 41 बीएचपी की पॉवर जनरेट करने में सक्षम होगी.
कब तक होगी लॉन्च
अगर बात इस कार की लॉन्चिंग की करें तो बता दे इस कार को जनवरी के महीना में ही लॉन्च किया जाना था, लेकिन यह कार अभी तक अपनी टेस्टिंग स्टेज में ही है. इसलिए अनुमान लगाया जा रहा है कि इसे जून तक भारतीय मार्केट में पेश किया जायेगा. वही कम्पनी इस कार की कीमत को लेकर कोई जानकारी नहीं दी है.
0 notes
sharpbharat · 2 years
Text
corona alert- पूरी दुनिया में कोरोना संक्रमण में आयी तेजी को लेकर भारत में अलर्ट, केंद्र सरकार ने नेजल वैक्सीन को दी मंजूरी, रजिस्ट्रेशन शुरू
corona alert- पूरी दुनिया में कोरोना संक्रमण में आयी तेजी को लेकर भारत में अलर्ट, केंद्र सरकार ने नेजल वैक्सीन को दी मंजूरी, रजिस्ट्रेशन शुरू
नयी दिल्ली: पूरी दुनिया में कोरोना के बढ़ते मामलों ने एक बार फिर से लोगों की टेंशन बढ़ा दी है. कोरोना का प्रकोप खासकर चीन, जापान व लैटिन अमेरिका के देशों में काफी तेजी से फैल रहा है. यहां पर मरने वालों की संख्या में काफी है. इस बार कोरोना के ओमीक्रोन ने अलग अलग स्वरुप में तेजी से फैल रहा है. भारत सरकार ने भी इससे निपटने के लिए एक्शन मोड में आ गयी है. सरकार कोरोना को बढ़ने से रोकने के लिए हर तरह ठोस…
Tumblr media
View On WordPress
0 notes