#भगवत
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#FactsAndBeliefsOfJainism
क्या आप जानते हैं महावीर जैन जी की साधना शास्त्र विरुद्ध थी। भगवत गीता में लिखा है कि जो शास्त्रविधि को त्यागकर मनमाना आचरण करते हैं उनकी न कोई गति होती,न मोक्ष।
https://youtu.be/QVENLRJQj40?si=HV4Q4mS6ylY6ScaO
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#हिन्दू_भाई_संभलो
देवकीनंदन जी का यह कहना है की जन्म मरण कभी समाप्त नहीं हो सकता है।
श्रीमद भगवत गीता के अध्याय 15 श्लोक 4-
"ततः, पदम्, तत्, परिमार्गितव्यम्, यस्मिन्, गताः, न, निवर्तन्ति, भूयः, तम्, एव्, च, आद्यम्, पुरुषम्, प्रपद्ये, यतः, प्रवृत्तिः, प्रसृता, पुराणी।।"
Hindu Bhai Dhokhe Mein
#हिन्दू_भाई_संभलो��ेवकीनंदन जी का यह कहना है की जन्म मरण कभी समाप्त नहीं हो सकता है।श्रीमद भगवत ग#पदम्#तत्
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#god kabir#sanewschennal#spritualleader saintrampalji#भगवत गीता अध्याय १५ श्लोक १७ के अनुसार सबका धारण पोषण करने वाला परमात्मा कौन है ?
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10.10.2024, लखनऊ | परम आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के मूल मंत्र "सबका साथ, सबका विकास, सबका प्रयास, सबका विश्वास" एवं राष्ट्रीय एकीकरण की भावना को बढ़ावा देने हेतु, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा करामत हुसैन मुस्लिम गर्ल्स इंटर कॉलेज, निशातगंज, लखनऊ में 571 छात्राओं को पुस्तक 'गीता गर्ल मरियम' का वितरण किया गया ।
पुस्तक वितरण में लखनऊ विश्वविद्यालय के सामाजिक कार्य विभाग के छात्र-छात्राओं श्री अविन्द्र सिंह, सुश्री भूमिका कुमार, श्री शाश्वत शुक्ला, श्री वृन्दावन सिंह एवं हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के स्वयंसेवकों ने अपना महत्वपूर्ण योगदान प्रदान किया । इस अवसर पर करामत हुसैन मुस्लिम गर्ल्स इंटर कॉलेज की प्रधानाचार्या एवं शिक्षकों की गरिमामयी उपस्थिति रही ।
सादर अवगत कराना है कि हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की स्थापना वर्ष 2012 में जनहित और जनकल्याण हेतु लखनऊ, उत्तर प्रदेश में की गई । अपने स्थापना वर्ष से अब तक 12 वर्षों में, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट ने उत्तर प्रदेश में जनकल्याणकारी संस्था के रूप में प्रतिष्ठा अर्जित की है । ट्रस्ट अपने आदरणीय संरक्षकों पद्म भूषण स्वर्गीय गोपाल दास नीरज, पद्म श्री स्वर्गीय अनवर जलालपुरी तथा पद्म श्री अनूप जलोटा के मार्गदर्शन में, स्वसाधनों से समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने हेतु राष्ट्रीय स्तर पर शैक्षिक, सांस्कृतिक और सामाजिक उन्नयन की दिशा में गतिशील है । माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के संकल्प “सबका साथ, सबका विश्वास, सबका विकास और सबका प्रयास” को ध्येय मानते हुए, ट्रस्ट गरीबों और असहायों की मदद हेतु वस्त्र वितरण अभियान, रक्तदान, बाल गोपाल शिक्षा योजना, जनहित के जागरूकता अभियान, सम्मान समारोह और अन्य लाभकारी योजनाओं का निरंतर क्रियान्वयन कर रहा है । विश्वव्यापी कोरो��ा महामारी (COVID-19) के संकट के दौरान, ट्रस्ट ने अपने संसाधनों और हेल्प यू कोरोना वारियर्स की मदद से निराश्रित और जरूरतमंद लोगों के लिए निरंतर भोजन, मास्क, सैनिटाइजर तथा अन्य बचाव सामग्री का वितरण किया ।
हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा साहित्य और साहित्यकारों के प्रोत्साहन के लिए, अध्यात्म और संस्कृति के संवर्धन एवं उत्थान के दृष्टिगत जनहित में पुस्तकों का प्रकाशन भी किया गया है ।
ट्रस्ट लखनऊ, उत्तर प्रदेश में वृद्धा आश्रम, अनाथालय, भगवत गीता सेंटर, हेल्प यू एकेडमी ऑफ स्पिरिचुअल म्यूजिक तथा अन्य जनहित की परियोजनाओं के क्रियान्वयन हेतु प्रयत्नशील है । साथ ही, देश के सभी राज्यों की राजधानियों तथा अन्य देशों में ट्रस्ट के कार्यालय स्थापित कर जनहित के कार्यों को और विकसित करने का प्रयास किया जा रहा है ।
हम जीवन के सभी क्षेत्रों के लोगों की मदद कर रहे हैं । ट्रस्ट की समस्त गतिविधियों और जनकल्याण के कार्यक्रमों का सम्पूर्ण विवरण ट्रस्ट की वेबसाइट www.helputrust.org तथा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स जैसे Facebook, Twitter, LinkedIn, Tumblr, Instagram और YouTube पर आपके अवलोकनार्थ उपलब्ध है ।
आप हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट से जुड़ सकते हैं और ट्रस्ट को अपना बहुमूल्य सहयोग प्रदान कर सकते हैं। यह आवश्यक नहीं है कि आप ट्रस्ट को केवल आर्थिक सहयोग (Donation, Sponsorship, CSR आदि) ही दें, बल्कि आप अपने सेवा क्षेत्र के माध्यम से हमारे सलाहकार, आंतरिक सलाहकार समिति के सदस्य, सद्भावना राजदूत, या संयुक्त तत्वावधान में आयोजन करके भी जनहित में अपना योगदान दे सकते हैं ।
आपसे सादर अनुरोध है कि कृपया ट्रस्ट द्वारा विगत 12 वर्षों से निरंतर किए जा रहे जनहित में समाज उत्थान और समाज कल्याण के कार्यों के दृष्टिगत, लाभार्थियों के हित में तथा ट्रस्ट को प्रभावशाली कार्य करने हेतु अपना बहुमूल्य सहयोग प्रदान करना चाहें |
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#किसभक्तिसेदुर्गाजीदेपूर्णलाभ
श्रीमद्भगवद्गीता श्रीमद्भगवद्गीता क्या उपवास करना शास्त्र विरुद्ध है? उपवास के बारे में भगवत गीता क्या कहती है?
🙏जानने के लिए पवित्र पुस्तक ज्ञान गंगा पढ़ें
Durga Mantra For Success
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🙏🌸🥀🌼बन्दीछोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज जी की जय🌸🥀🌼🙏*
24/09/24
#GodMorningWednesday
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#श्राद्ध_करने_की_श्रेष्ठ_विधि
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1🌀 श्राद्ध किसके लिए निकालते हैं। श्राद्ध उनके लिए करते हैं जो मृत्यु को प्राप्त हो गए यानी प्रेत पित्तर बन गए। गीता अध्याय 9 श्लोक 25 में इसके लिए मना किया गया है।
विष्णु पुराण के अंदर लिखा हुआ है, व्यास जी कह रहे हैं कि हे राजन! श्राद्ध के समय यदि एक हजार ब्राह्मण बैठे हों। भोजन करने आये हों।
और एक तरफ योगी बैठ जा। तो वो ब्राह्मणों समेत, पित्तरों समेत, यजमानों समेत सबका उद्धार कर देता है। व�� योगी कौन है?
गीता अध्याय 2 श्लोक 53 में बताया है कि अर्जुन जब भिन्न भिन्न प्रकार से भर्मित करने वाले वचनों से तेरी बुद्धि हटकर एक तत्वज्ञान में स्थिर हो जाएगी। तब तो तू योगी बनेगा। तब तू योग को प्राप्त होगा। संत रामपाल जी महाराज जी के शिष्य सारे योगी हैं। और जैसे संत रामपाल जी महाराज जी के आश्रमों में समागम होते हैं उनमें लाखों योगी भोजन करते हैं। वहां दिए गए दान से पितरों का भी उद्धार, भूतों का भी उद्धार और दान करने वालों का भी उद्धार होता है!
🙏🙏🙏
⏩अवश्य भेंट करें! संत रामपाल जी महाराज जी_से_यूट्यूब चैनल_पर!⏩प्रतिदिन देखें साधना 📺 चैनल 7:30 p.m. और प्राप्त करें!_पूर्ण सत्य प्रमाणित आध्यात्मिक जानकारी!
🙏मानव जन्म मोक्ष के लिए मिला है! मानव जाति का सद्भक्ति में ही कल्याण है! शास्त्र के विरुद्ध जो भी क्रियाएं की जाती हैं, वे मनमाना आचरण कहलाती हैं! इसका अर्थ है हम परमात्मा के संविधान को तोड़ते हैं! ज्ञान या अज्ञान से परमात्मा के संविधान को तोड़ने से जीवात्मा अपराधी हो जाती हैं! हमें शास्त्र अनुकूल क्रियाएं करनी चाहिए, जिससे हमें सभी प्रकार का लाभ प्राप्त हो और मोक्ष की प्राप्ति हो! मोक्ष प्राप्ति के लिए पूर्ण सतगुरु की आवश्यकता होती है!
श्रीमद् भगवत गीता के अनुसार तत्वदर्शी संत ही पूर्ण परमात्मा के विषय में जानता है अर्थात तत्वदर्शी संत पूर्ण सतगुरु हैं!
पूर्ण सतगुरु की शरण ग्रहण करके नाम दीक्षा लेकर मर्यादा में रहकर सतभक्ति करने से ही मानव जन्म की सफलता है!
मानव जन्म सतभक्ति के लिए ही मिला है!
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#GodNightMonday
#हिन्दू_भाई_संभलो
देवकीनंदन जी का यह कहना है कि जन्म मरण कभी समाप्त नहीं हो सकता है।
संत रामपाल जी महाराज जी से निःशुल्क नामदीक्षा व निःशुल्क पुस्तक प्राप्त करने के लिये संपर्क सूत्र :
श्रीमद भगवत गीता के अध्याय 15 श्लोक 4- "ततः, पदम्, तत्, परिमार्गितव्यम्, यस्मिन्, गताः, न, निवर्तन्ति, भूयः, तम्, एव्, च, आद्यम्, पुरुषम्, प्रपद्ये, यतः, प्रवृत्तिः, प्रसृता, पुराणी।।"
तथा अध्याय 15 के श्लोक 17- "उत्तमः, पुरुषः, तु, अन्यः, परमात्मा, इति, उदाहृतः, यः, लोकत्रयम् आविश्य, बिभर्ति, अव्ययः, ईश्वरः ।।"
गीता के इन उपरोक्त श्लोकों से संत रामपाल जी महाराज ने यह स्पष्ट किया है कि उत्तम पुरुष परमेश्वर की भक्ति करने वाले भक्तजन कभी भी संसार में लौट कर नहीं आते अर्थात उनका जन्म मृत्यु हमेशा के लिए समाप्त हो जाता है।
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जानिए श्रीमद् भगवत गीता के इस रहस्य को, जो आपकी जिंदगी बदल देगा! Episode...
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#KabirIsGod
#SaintRampalJi
समर्थ परमेश्वर अध्यात्म ज्ञान अपने मुख से बोलकर बताता है। परंतु सर्व मानव ने एक बात की रट लगा रखी है कि प्रभु निराकार है जबकि सर्व धर्मों के पवित्र ग्रन्थों में प्रमाण है कि खुदा मानव जैसा साकार है।
पवित्र पुस्तक ज्ञान गंगा निःशुल्क पायें | अपना नाम, पूरा पता भेजें +91 7496801823
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🌷 *जीने की राह* 🌷
*(Part-10)*
*आज भाई को फुरसत*
*(Part -A)*
*Today Brother Has Time (Way of Living)*
📜एक भक्त सत्संग में जाने लगा। दीक्षा ले ली, ज्ञान सुना और भक्ति करने लगा। अपने मित्र से भी सत्संग में चलने तथा भक्ति करने के लिए प्रार्थना की। परंतु दोस्त नहीं माना। कह देता कि कार्य से फुर्सत (खाली समय) नहीं है। छोटे-छोटे बच्चे हैं। इनका पालन-पोषण भी करना है। काम छोड़कर सत्संग में जाने लगा तो सारा धँधा चैपट हो जाएगा।
वह सत्संग में जाने वाला भक्त जब भी सत्संग में चलने के लिए अपने मित्र से कहता तो वह यही कहता कि अभी काम से फुर्सत नहीं है। एक वर्ष पश्चात् उस मित्र की मृत्यु हो गई। उसकी अर्थी उठाकर कुल के लोग तथा नगरवासी चले, साथ-साथ सैंकड़ों नगर-मौहल्ले के व्यक्ति भी साथ-साथ चले। सब बोल रहे थे कि राम नाम सत् है, सत् बोले गत् है। भक्त कह रहा था कि राम नाम तो सत् है परंतु आज भाई को फुर्सत है। नगरवासी कह रहे थे कि सत् बोले गत् है, भक्त कह रहा था कि आज भाई को फुर्सत है। अन्य व्यक्ति उस भक्त से कहने लगे कि ऐसे मत बोल, इसके घर वाले बुरा मानेंगे। भक्त ने कहा कि मैं तो ऐसे ही बोलूँगा। मैंने इस मूर्ख से हाथ जोड़कर प्रार्थना की थी कि सत्संग में चल, कुछ भक्ति कर ले। यह कहता था कि अभी फुर्सत अर्थात् खाली समय नहीं है। आज इसको परमानैंट फुर्सत है। छोटे-छोटे बच्चे भी छोड़ चला जिनके पालन-पोषण का बहाना करके परमात्मा से दूर रहा। भक्ति करता तो खाली हाथ नहीं जाता। कुछ भक्ति धन लेकर जाता। बच्चों का पालन-पोषण तो परमात्मा करता है। भक्ति करने से साधक की आयु भी परमात्मा बढ़ा देता है। भक्तजन ऐसा विचार करके भक्ति करते हैं, कार्य त्यागकर सत्संग सुनने जाते हैं।
भक्त विचार कर��े हैं कि परमात्मा न करे, हमारी मृत्यु हो जाए। फिर हमारे कार्य कौन करेगा? हम यह मान लेते हैं कि हमारी मृत्यु हो गई। हम तीन दिन के लिए मर गया, यह विचार करके सत्संग में चलें, अपने को मृत मान लें और सत्संग में चले जायें। वैसे तो परमात्मा के भक्तों का कार्य बिगड़ता नहीं, फिर भी हम मान लेते हैं कि हमारी गैर-हाजिरी में कुछ कार्य खराब हो गया तो तीन दिन बाद जाकर ठीक कर लेंगे। यदि वास्तव में टिकट कट गई अर्थात् मृत्यु हो गई तो परमानैंट कार्य बिगड़ गया। फिर कभी ठीक करने नहीं आ सकते। इस स्थिति को जीवित मरना कहते हैं।
वाणी का शेष सरलार्थ:- द्वादश मध्य महल मठ बौरे, बहुर न देहि धरै रे। सरलार्थ:- श्रीमद् भगवत गीता अध्याय 15 श्लोक 4 में कहा है कि तत्वज्ञान की प्राप्ति के पश्चात् परमेश्वर के उस परमपद की खोज करनी चाहिए जहाँ जाने के पश्चात् साधक लौटकर संसार में कभी नहीं आते अर्थात् उनका पुनर्जन्म नहीं होता। वे फिर देह धारण नहीं करते। सूक्ष्मवेद की यह वाणी यही स्पष्ट कर रही है कि वह परम धाम द्वादश अर्थात् 12वें द्वार को पार करके उस परम धाम में जाया जाता है। आज तक सर्व ऋषि-महर्षि, संत, मंडलेश्वर केवल 10 द्वार बताया करते। परंतु परमेश्वर कबीर जी ने अपने स्थान को प्राप्त कराने का सत्यमार्ग, सत्य स्थान स्वयं ही बताया है। उन्होंने 12वां द्वार बताया है। इससे भी स्पष्ट हुआ कि आज तक (सन् 2012 तक) पूर्व के सर्व ऋषियों, संतों, पंथों की भक्ति काल ब्रह्म तक की थी। जिस कारण से जन्म-मृत्यु का चक्र चलता रहा।
वाणी सँख्या 5:- दोजख बहिश्त सभी तै देखे, राजपाट के रसिया।
तीन लोक से तृप्त नाहीं, यह मन भोगी खसिया।।
सरलार्थ:- तत्वज्ञान के अभाव में पूर्णमोक्ष का मार्ग न मिलने के कारण कभी दोजख अर्थात् नरक में गए, कभी बहिश्त अर्थात् स्वर्ग में गए,कभी राजा बनकर आनन्द लिया। यदि इस मानव को तीन लोक का राज्य भी दे दंे तो भी तृप्ति नहीं होती।
उदाहरण:- यदि कोई गाँव का सरपंच बन जाता है तो वह इच्छा करता है कि विधायक बने तो मौज होवे। विधायक इच्छा करता है कि मन्त्राी बनूं तो बात कुछ अलग हो जाएगी। मंत्राी बनकर इच्छा करता है कि मुख्यमंत्राी बनूं तो पूरी चैधर हो। आनन्द ही न्यारा होगा। सारे प्रान्त पर कमांड चलेगी। मुख्यमंत्राी बनने के पश्चात् प्रबल इच्छा होती है कि प्रधानमंत्राी बनूं तो जीवन सार्थक हो। तब तक जीवन लीला समाप्त हो जाएगी। फिर गधा बनकर कुम्हार के लठ (डण्डे) खा रहा होगा। इसलिए तत्वज्ञान में समझ���या है कि काल ब्रह्म द्वारा बनाई स्वर्ग-नरक तथा राजपाट प्राप्ति की भूल-भुलईया में सारा जीवन व्यर्थ कर दिया। कहीं संतोष नहीं हुआ, यह मन ऐसा खुसरा (हिजड़ा) है।
•••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••
आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। Sant Rampal Ji Maharaj YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
https://online.jagatgururampalji.org/naam-diksha-inquiry
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श्रीमद् भगवत गीता के अनुसार व्रत करना चाहिए या नहीं | Factful Debates
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*श्रीमद् भगवत गीता के अनुसार व्रत करना चाहिए या नहीं |*
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आप युगों-युगों से भगवत-प्राप्ति के लिए लगे हुए हो | Sant Rampal Ji Satsang | Satlok Ashram
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05.10.2024, लखनऊ | परम आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के मूल मंत्र "सबका साथ, सबका विकास, सबका प्रयास, सबका विश्वास" एवं राष्ट्रीय एकीकरण की भावना को बढ़ावा देने हेतु, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा सुन्नी इंटर कॉलेज, विक्टोरियागंज, लखनऊ में 1100 छात्र-छात्राओं को पुस्तक 'गीता गर्ल मरियम' का वितरण किया गया ।
पुस्तक वितरण में लखनऊ विश्वविद्यालय के सामाजिक कार्य विभाग के छात्र-छात्राओं सुश्री आकृति कुमारी, सुश्री विनीता सिंह, सुश्री रवनीत कालरा, खुसरू निजामी, अब्दुल अहद एवं हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के स्वयंसेवकों ने अपना महत्वपूर्ण योगदान प्रदान किया । इस अवसर पर सुन्नी इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य एवं शिक्षकों की गरिमामयी उपस्थिति रही ।
सादर अवगत कराना है कि हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की स्थापना वर्ष 2012 में जनहित और जनकल्याण हेतु लखनऊ, उत्तर प्रदेश में की गई । अपने स्थापना वर्ष से अब तक 12 वर्षों में, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट ने उत्तर प्रदेश में जनकल्याणकारी संस्था के रूप में प्रतिष्ठा अर्जित की है । ट्रस्ट अपने आदरणीय संरक्षकों पद्म भूषण स्वर्गीय गोपाल दास नीरज, पद्म श्री स्वर्गीय अनवर जलालपुरी तथा पद्म श्री अनूप जलोटा के मार्गदर्शन में, स्वसाधनों से समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने हेतु राष्ट्रीय स्तर पर शैक्षिक, सांस्कृतिक और सामाजिक उन्नयन की दिशा में गतिशील है । माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के संकल्प “सबका साथ, सबका विश्वास, सबका विकास और सबका प्रयास” को ध्येय मानते हुए, ट्रस्ट गरीबों और असहायों की मदद हेतु वस्त्र वितरण अभियान, रक्तदान, बाल गोपाल शिक्षा योजना, जनहित के जागरूकता अभियान, सम्मान समारोह और अन्य लाभकारी योजनाओं का निरंतर क्रियान्वयन कर रहा है । विश्वव्यापी कोरोना महामारी (COVID-19) के संकट के दौरान, ट्रस्ट ने अपने संसाधनों और हेल्प यू कोरोना वारिय��्स की मदद से निराश्रित और जरूरतमंद लोगों के लिए निरंतर भोजन, मास्क, सैनिटाइजर तथा अन्य बचाव सामग्री का वितरण किया ।
हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा साहित्य और साहित्यकारों के प्रोत्साहन के लिए, अध्यात्म और संस्कृति के संवर्धन एवं उत्थान के दृष्टिगत जनहित में पुस्तकों का प्रकाशन भी किया गया है ।
ट्रस्ट लखनऊ, उत्तर प्रदेश में वृद्धा आश्रम, अनाथालय, भगवत गीता सेंटर, हेल्प यू एकेडमी ऑफ स्पिरिचुअल म्यूजिक तथा अन्य जनहित की परियोजनाओं के क्रियान्वयन हेतु प्रयत्नशील है । साथ ही, देश के सभी राज्यों की राजधानियों तथा अन्य देशों में ट्रस्ट के कार्यालय स्थापित कर जनहित के कार्यों को और विकसित करने का प्रयास किया जा रहा है ।
हम जीवन के सभी क्षेत्रों के लोगों की मदद कर रहे हैं । ट्रस्ट की समस्त गतिविधियों और जनकल्याण के कार्यक्रमों का सम्पूर्ण विवरण ट्रस्ट की वेबसाइट www.helputrust.org तथा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स जैसे Facebook, Twitter, LinkedIn, Tumblr, Instagram और YouTube पर आपके अवलोकनार्थ उपलब्ध है ।
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आपसे सादर अनुरोध है कि कृपया ट्रस्ट द्वारा विगत 12 वर्षों से निरंतर किए जा रहे जनहित में समाज उत्थान और समाज कल्याण के कार्यों के दृष्टिगत, लाभार्थियों के हित में तथा ट्रस्ट को प्रभावशाली कार्य करने हेतु अपना बहुमूल्य सहयोग प्रदान करना चाहें |
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#मेरे_अज़ीज़_हिंदुओं_स्वयं_पढ़ो_अपने_ग्रंथ
अयोध्या राम मंदिर में फूलों से भगवत गीता जी के 17वें अध्याय के 23वें श्लोक को लिखा गया। (ओम तत सत ) यह भगवान और मोक्ष प्राप्ति का मंत्र है जोकि सांकेतिक है। लेकिन इस मंत्र को जपने की विधि तत्वदर्शी संत ही बता सकता है। तत्वदर्शी संत की पहचान गीता जी के 15वें अध्याय के श्लोक 1से 4 में बताई गई है कि जो संत उल्टे लटके हुए संसार रुपी वृक्ष को जड़ से लेकर पत्तों तक इसके प्रत्येक विभाग को जानता है वह वेद के तात्पर्य को जानने वाला अर्थात तत्वदर्शी संत है। वर्तमान में इस उल्टे वृक्ष की जानकारी संत रामपाल जी महाराज ने दी है। संत रामपाल जी महाराज ही तत्वदर्शी संत हैं।
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📚वेदों में प्रमाण है सर्व सृष्टि के रचनहार अनंत ब्रह्मांड के मालिक सभी आत्माओं के वास्तविक स्वामी पूर्ण ब्रह्म कबीर परमेश्वर जी ही हैं!,
जिन्हें 📙श्रीमद् भगवत गीता में परम अक्षर पुरुष कहकर संबोधित किया गया है और परम अक्षर पुरुष का पता जानने के लिए तत्वदर्शी संत को खोजने की बात कही गई है वर्तमान में तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी ही हैं!
संत रामपाल जी महाराज जी पूर्ण सतगुरु और पूर्ण संत हैं!,जो शास्त्र अनुकूल सद्भक्ति प्रदान करते हैं भक्ति मुक्ति के दाता हैं !नाम दीक्षा देने के अधिकारी पुरुष हैं! सच्चे समाज सुधारक हैं! पूर्ण ब्रह्म कबीर परमेश्वर ने अपनी वाणी में कहा है_"सतगुरु पूर्ण ब्रह्म हैं, सतगुरु आप अलेख !
सतगुरु रमता राम हैं, या में मीन मेंख"!!
पूर्ण सतगुरु के शब्द और आशीर्वाद में पूर्ण शक्ति होती है!
पूर्ण सतगुरु के लक्षण शास्त्र अनुकूल होते हैं हमारे वेदों ग्रंथों के अनुसार संत रामपाल जी महाराज जी ही इसमें खरे उतरते हैं ! भविष्यवाणियों के अनुसार भी संत रामपाल जी महाराज जी खरे उतरते हैं!
हमें अपने मूल मालिक पूर्ण ब्रह्म कबीर परमेश्वर की ही भक्ति करनी चाहिए, जिससे हमें देवी देवता भी लाभ प्रदान करें !
मानुष जन्म अनमोल है! कृपया इस बात को मध्य नजर रखते हुए संत रामपाल जी महाराज को हल्के में ना तोलें!
🙏अवश्य जानें कि संत रामपाल जी किस परम सत्य के लिए संघर्ष कर रहे हैं!
सतगुरु की शरण में जाने पर जब हम मर्यादा में रहकर भक्ति करते हैं,तो सतगुरु और परमात्मा जो एक रूप हैं हम उस परम सत्य को जान पाते हैं!
इससे पहले हमें सतगुरु आम मानव जैसा ही प्रतीत होता है!
पूर्ण सतगुरु हमारी सभी पीड़ा को हर सकते हैं+ हमारे पाप कर्मों को काट सकते हैं + हमें भक्ति कराके पुण्य से भर सकते हैं+ हमारा मोक्ष कर सकते हैं, इसमें किंचित मात्र भी संदेह नहीं है!
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श्रीमद् भगवत गीता के अनुसार व्रत करना चाहिए या नहीं | Factful Debates
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