#बादशाह खान
Explore tagged Tumblr posts
Photo
22.05.2023, लखनऊ | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के तत्वावधान में त्याग, बलिदान एवं पराक्रम के प्रतीक 'मेवाड़ मुकुट' महाराणा प्रताप जी की जन्म जयंती के अवसर पर रामायण पार्क, सेक्टर 25, इंदिरा नगर, लखनऊ में "श्रद्धापूर्ण पुष्पांजलि" कार्यक्रम का आयोजन किया गया | कार्यक्रम में महाराणा प्रताप चैरिटेबल ट्रस्ट लखनऊ के अध्यक्ष श्री एस पी रॉय, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी हर्ष वर्धन अग्रवाल, ट्रस्ट के आंतरिक सलाहकार समिति के सदस्य डॉ. एस. के. श्रीवास्तव, सेक्टर 25 के निवासीगण ए. के. त्रिपाठी, जे. पी. गुप्ता, महेश जैसवाल, आर के शर्मा, सरिता शर्मा, के. पी. शर्मा, सुनीता शर्मा, संजय कुमार पाण्डेय तथा हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के स्वयंसेवकों द्वारा महाराणा प्रताप जी के चित्र पर माल्यार्पण एवं पुष्पार्पण किया गया |
इस अवसर पर ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी हर्ष वर्धन अग्रवाल ने अपने विचार व्यक्त करते हुये कहा कि हल्दीघाटी के युद्ध में, दुश्मन में कोहराम मचाया था, देख वीरता राजपूताने की, दुश्मन भी थर्राया था |" भारतीय इतिहास में अनेक महान वीरों ने अपनी शौर्य और बलिदान के माध्यम से हमारे देश को गौरवान्वित किया है, उनमें से एक महान वीर थे "महाराणा प्रताप सिंह" जिनकी जयंती आज हम मना रहे हैं । महाराणा प्रताप सोलहवीं शताब्दी के उदयपुर, मेवाड़ मे सिसोदिया राजपूत राजवंश के महान राजा थे एवं अपनी वीरता, पराक्रम, व शौर्यता के लिए जाने जाते थे । शूरवीर महाराणा प्रताप ने मुगलों के अतिक्रमणों के खिलाफ अनगिनत लड़ाइयां लड़ी थीं | कहा जाता है कि महाराणा प्रताप ने जंगल में घास की रोटी खाई और जमीन पर सोकर रात गुजारी, लेकिन अकबर के सामने कभी हार नहीं मानी | आज महाराणा प्रताप जी की जन्म जयंती पर आइए यह संकल्प लें कि अपने दुश्मनों के सामने कभी घुटने नहीं टेकेगे वह पूरे आत्मविश्वास एवं तन्मयता के साथ अपने देश की रक्षा करेंगे |"
महाराणा प्रताप चैरिटेबल ट्रस्ट लखनऊ के अध्यक्ष एस पी राय ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि अनुपम, अद्वितीय, अपराजेय वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप के स्मरण मात्र से आज भी साहस, शौर्य, स्वाभिमान, समर्पण संघर्ष एवं सफलता की चेतना एक साथ स्वत: हो जाती है l गुहील (गुहिला दित्य) कुल में आज से 483 साल प���ले 9 मई 1540 ईस्वी में कुंभलगढ़ किला में राणा उदय सिंह (द्वितीय) के पुत्र राणा प्रताप (प्रथम) जिन्हें हम महाराणा प्रताप के नाम से जानते हैं का जन्म हुआ था l इस कुल की शुरूआत वर्ष 566 में गुहिला दित्य से हुई, जो इस्लाम धर्म के शुरुआत के कई वर्ष पूर्व हैं और यह वंश अभी तक चला आ रहा है इसीलिए इस वंश (dynasty) को विश्व का सबसे लंबा शासक वंश कहा जाता है | इसी कुल में अनेकों वीर योद्धा हुए जिन्होंने राजपूताना मेवाड़ के साथ अपनी मातृभूमि एवं सनातन धर्म की रक्षा के लिए विदेशी आक्रांताओं से लोहा लिया | वंदनीय बप्पा रावल जिनका शासन 734 से 753 ईसवी तक रहा, ने प्रथम मुस्लिम आक्रांता को खदेड़ कर भारत से बाहर कर दिया | सिसौदा के गहलोत श्रद्धेय राणा हमीर ने अलाउद्दीन खिलजी से जीतकर चित्तौड़ पुनः अपने कब्जे में ले लिया और तभी से इस वंश को सिसोदिया कहा जाने लगा | महाराणा कुंभकरण जो लोगों में कुम्भा के नाम से विख्यात हैं उन्हें “हिंदू सुरत्राण” कहा गया है | जिन्होंने दिल्ली एवं गुजरात के सुल्तानों का कितना ही प्रदेश अपने अधीन किया | मध्यकालीन युग में राणा संग्राम सिंह जिन्हें राणा सांगा के नाम से जाना जाता है, वे मुगल आक्रांता बाबर से लड़ाई लड़े ताकि भारत के पवित्र भूमि पर उसका कब्जा न हो और उसी स्वतंत्र मात्रभूमि की भावना का जीवंत स्वरूप हम महाराणा प्रताप में पाते हैं जिन्होंने मुगल बादशाह अकबर, जिसका आधिपत्य और साम्राज्य समूचे उत्तर भारत पर था, के विरुद्ध वर्ष 1576 में हुए हल्दीघाटी युद्ध के कई वर्षों तक अपने प्रण पर अडिग रहकर लड़ते रहे क्योंकि हल्दीघाटी का युद्ध अनिर्णायक रहा जबकि मुगल के 30,000 सेना फौज के सामने महाराणा का मात्र 5000 सेना की फौज थी | इसी युद्ध में महाराणा का चेतक घायल हो गया था और तभी सामला के राजा मानसिंह झाला ने महाराणा को अपना मुकुट देकर रणभूमि से निकाला ताकि महाराणा प्रताप अकबर से बाद में लोहा ले सके | हल्दीघाटी युद्ध के बाद अकबर 1577, 1578, 1579 एवं 1580 तक विभिन्न सेनापतियों जैसे सहवास हुसैन, बहलोल खान, मानसिंह, अब्दुल रहीम खानखाना के अगुवाई में लगातार बड़ी सेना की टुकड़ी के साथ भेजता रहा मगर सभी युद्ध अनिर्णायक रहा | महाराणा प्रताप गुरिल्ला पद्धति से लड़ाई लड़ते थे 1581 में दानवीर भामाशाह ने धन देकर युद्ध के लिए मार्ग प्रशस्त किए | वर्ष 1582 में विजयादशमी के दिन महाराणा प्रताप ने कोल भील से गठित अकबर के 50,000 सेना पर धा��ा बोल दिया | यह युद्ध देवार युद्ध के नाम से जाना जाता है | और मुगल सेना हार के कारण अपने 36000 सेना महाराणा के सामने आत्मसमर्पण कर दिया | महाराणा का चित्तौड़ छोड़कर पुनः पूरे मेवाड़ पर कब्जा हो गया | इस तरह से विजयादशमी हम भारतीयों के लिए दो खुशियां लेकर आती है एक राजा रामचंद्र के वनवास से अयोध्या लौटने का और इसी सूर्यवंशी कुल में पैदा महाराणा के जीत का | इसी Battle of Dewar में महाराणा ने अपने तलवार से बहलोल खान को एक बार में ही बीचो-बीच टुकड़े कर दिए | मगर Battle of Dewar का इतिहास में स्थान नहीं मिला | 1584 में अकबर स्वयं सेना लेकर आया मगर वह 6 माह बाद निराश होकर आगरा लौट गया वह महाराणा को पराजित नहीं कर सका | महाराणा कुल की महानता इससे भी जाहिर होती है कि राज चिन्ह में भील आदिवासी को राणा के समकक्ष रखा गया है और सूर्य के नीचे “जो दृढ़ राखे धर्म को, तेहि राखे करतार,” की पंक्ति अंकित है जो अपने धर्म की रक्षा का सन्देश देती है |
#महाराणा_प्रताप_जयंती, #maharanapratapjayanti, #MaharanaPratapJayanti, #maharanapratapjayanti2023, #maharanapratap, #rajputana, #rajput, #rajasthan, #maharana, #udaipur, #mewar, #rajasthani, #baisa, #kshatriya, #hindu, #jodhpur, #haldighati, #rajputi, #jaipur, #shivajimaharaj, #rajputs, #jaisalmer, #rajputanaculture, #NarendraModi, #PMOIndia, #HelpUTrust, #HelpUEducationalandCharitableTrust, #KiranAgarwal, #DrRupalAgarwal, #HarshVardhanAgarwal www.helputrust.org
@HelpUEducationalAndCharitableTrust @HelpU.Trust
@KIRANHELPU @HarshVardhanAgarwal.HVA @HVA.CLRS @HarshVardhanAgarwal.HelpUTrust @HelpUTrustDrRupalAgarwal @RupalAgarwal.HELPU @drrupalagarwal @HelpUTrustDrRupal
9 notes
·
View notes
Text
NMACC गाला में झूमे जो पठान पर डांस करते दिखे बादशाह शाहरुख खान….
https://indiacorenews.in/shah-rukh-khan-dances-to-jhoome-jo-pathaan-at-nmacc-gala/
#pathan #shahrukhkhan #varundhawan #NMACC #ambanifamily #bollywood #bollywoodsongs #bollywoodstars #bollywoodstyle #celebrities
#icnewsnetwork #indiacorenews #ankshree
#indiacorenews#ankshree#news#google news#update#breaking news#icnewsnetwork#onlinenews#world news#onlinenewsportal
2 notes
·
View notes
Text
इस फिल्म का नाम सुन चिढ़ जाते होंगे शाहरुख खान, जबरदस्ती बनाए गए थे ‘हीरो’
बॉलीवुड एक्टर शाहरुख खान को यूंही ‘बादशाह’ नहीं कहा जाता. उन्होंने अपनी मेहनत और शानदार एक्टिंग के बलबूते ये जगह हासिल की है. जो स्टारडम आज शाहरुख के पास है, लोग केवल उसके सपने देखते हैं. उनकी फैन फॉलोइंग और स्टारडम का स्तर क्या है ये तो तभी समझ आ गया था जब चार साल के बाद किंग खान ने बड़े पर्दे पर वापसी की और ‘जवान’ और ‘पठान’ रिलीज हुई. शाहरुख ने अपने करियर में कई ऐसी फिल्में की हैं जो आज के दौर…
0 notes
Text
History 2 November; आज के दिन 1965 में हुआ था किंग खान का जन्म, पढ़ें 2 नवंबर का इतिहास
History 2 November: नवंबर माह का ये दूसरा दिन बॉलीवुड के बादशाह शाह रुख खान के नाम दर्ज है. 2 नवंबर साल 1965 में आज ही के दिन किंग खान का जन्म हुआ था. टेलीविजन धारावाहिक से अपनी करियर की शुरुआत करने वाले शाह रुख आज फिल्म इंडस्ट्री के बादशाह हैं. बॉलीवुड के ‘रोमांस किंग’ ने न सिर्फ बतौर हीरो, बल्कि कुछ एक फिल्मों में विलेन का किरदार भी निभाया. ‘फिर भी दिल है हिन्दुस्तानी’, ‘राजू बन गया जेंटलमैन’…
0 notes
Video
youtube
बॉलीवुड के बादशाह शाहरुख खान दिखे अपने परिवार के साथ। #shahrukhkhan #bol...
0 notes
Text
शाहरुख खान बने सबसे ज्यादा टैक्स भरने वाले नंबर 1 इंडियन सेलेब, चुकाया इतने करोड़ रुपये का कर
बालीवुड के किंग खान यानी शाहरुख खान हमेशा सुर्खियों में छाए रहते हैं। अभिनेता की पिछले साल बैक-टू-बैक तीन फिल्मों पठान, जवान और डंकी ने बॉक्स ऑफिस पर धमाल मचाया था। वहीं अब शाहरुख खान बॉलीवुड के सबसे ज्यादा टैक्स भरने वाले अभिनेता ��न गए हैं। इस मामले में बालीवुड के बादशाह ने सलमान खान और अमिताभ बच्चन को भी पछाड़ दिया है। दरअसल फाच्र्यूून इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक शाहरुख खान ने वित्त वर्ष…
0 notes
Text
गोविंदा की फिल्मों के लिए सिनेमा हॉल के बाहर दर्शकों की लंबी लाइन
जहां एक ओर सनी देओल, सलमान खान और शाहरुख खान जैसे सितारों को बॉक्स ऑफिस का बादशाह माना जाता है, वहीं दूसरी ओर गोविंदा भी उन अभिनेताओं में से हैं, जिनकी फिल्में 90 के दशक में शानदार कमाई करके दिखा चुकी हैं।
#ShameOnYouStudioGreen#PakistanCricket#Darshan#Telegram#FREEDUROV#KrishnaJanmashtami#सत्संग_क्यों_सुनें#36YearsOfSalmanKhanEra#Israel#AEWAllIn#BBNaijaS9#RutoMustGo
1 note
·
View note
Text
*यह राजा और उसका परिवार एक बार फिर से जंगल पर राज करेगा!*
youtube
*शाहरुख़ खान, आर्यन खान और अबराम खान पहली बार एक साथ आए हैं डिज्नी की बहुप्रतीक्षित पारिवारिक मनोरंजन फिल्म "मुफ़ासा: द लायन किंग" के हिंदी संस्करण में अपनी आवाज देने के लिए!*
*निर्देशक बैरी जेनकिंस की "मुफ़ासा: द लायन किंग" भारत में 20 दिसंबर 2024 को अंग्रेजी, हिंदी, तमिल और तेलुगु में रिलीज की जाएगी*
अब समय आ गया है जंगल के असली राजा मुफ़ासा: द लायन किंग की विरासत को जानने का, जिसे अब तक की सबसे बड़ी कास्टिंग के साथ हिंदी में पेश किया गया है, जिसमें *कोई और नहीं बल्कि दिग्गज शाहरुख खान और उनके बेटे आर्यन खान और अबराम हैं।* 2019 की ब्लॉकबस्टर लाइव-एक्शन द लॉयन किंग की सफलता के बाद, शाहरुख़ खान मुफ़ासा के रूप में वापस आ रहे हैं, दर्शकों को जंगल के असली राजा की उत्पत्ति में ले जाने के लिए। उनके साथ हैं उनके बच्चे, आर्यन के रूप में सिम्बा और अबराम के रूप में छोटे मुफ़ासा। इस साल ��ी सबसे प्रतीक्षित रिलीज़, भव्य लाइव-एक्शन मुफ़ासा: द लायन किंग का हिंदी ट्रेलर जारी कर दिया गया है, जिसे भारतीय सिनेमा के बादशाह और उनके परिवार की गम्भीरता से समृद्ध किया गया है।
सवाना के दिल में इस अद्भुत यात्रा के लिए तैयार हो जाइए! इस साल की सबसे प्रत्याशित रिलीज़, दृश्यात्मक रूप से शानदार लाइव-एक्शन मुफ़ासा: द लायन किंग, का हिंदी ट्रेलर जारी हो गया है, जिसे भारतीय सिनेमा के किंग खान और उनके बच्चों की प्रभावशाली उपस्थिति से समृद्ध किया गया है।
इस सहयोग के बारे में बात करते हुए, *शाहरुख़ खान* कहते हैं, “मुफ़ासा की अद्वितीय विरासत है और वह जंगल के असली राजा के रूप में स्थापित हैं, जो अपने बेटे सिम्बा को अपनी समझ प्रदान करता है। एक पिता के रूप में उनसे गहराई से जुड़ता हूँ और फिल्म में मुफ़ासा की यात्रा से भी मेरा गहरा संबंध है। *‘मुफ़ासा: द लायन किंग’*, मुफ़ासा के बचपन से लेकर एक अद्भुत राजा बनने तक के जीवन को चित्रित करता है, और इस किरदार को फिर से निभाना असाधारण रहा है। यह मेरे लिए डिज्नी के साथ एक विशेष सहयोग है, खासकर इसलिए कि मेरे बेटे आर्यन और अबराम इस यात्रा का हिस्सा हैं और उनके साथ यह अनुभव साझा करना वास्तव में बहुत मायने रखता है।”
“उग्र मुफ़ासा सिर्फ एक काल्पनिक चरित्र नहीं है, वह एक ऐसी भावना का प्रतीक है जो पीढ़ियों को प्रेरित करती रहती है, और यही गुण हर कहानी में डिज़्नी लाने की कोशिश करता है। जब मुफ़ासा: द लायन किंग की घोषणा की गई थी, तो हम शाहरुख़ खान और आर्यन खान के अलावा किसी और को मुफ़ासा और सिम्बा के रूप में हमारी पारिवारिक मनोरंजन फिल्म में वापस नहीं देख सकते थे। अब, अबराम के कास्ट में शामिल होने के साथ, यह फिल्म हमारे लिए और भी खास बन गई है। हमारा प्रयास है कि लाखों भारतीय दर्शक इस अद्भुत कहानी को अपने परिवारों के साथ आनंद लें!” *डिज्नी स्टार के स्टूडियो हेड बिक्रम दुग्गल ने कहा।*
नए और प्रशंसकों के पसंदीदा पात्रों को जीवंत करते हुए और लाइव-एक्शन फिल्म निर्माण तकनीकों को फोटोरियल कंप्यूटर-जनरेटेड इमेजरी के साथ मिलाते हुए, "मुफ़ासा: द लायन किंग" का निर्देशन बैरी जेनकिंस द्वारा किया गया है।
फिल्म के बारे में: "मुफासा: द लायन किंग" में राफ़िकी को प्राइड लैंड्स के प्रिय राजा के अप्रत्याशित उदय की कहानी सुनाने के लिए शामिल किया गया है। यह फिल्म एक अनाथ शावक मुफ़ासा को प्रस्तुत करती है, ताका नामक एक सहानुभूतिपूर्ण शेर—जो एक शाही वंश का उत्तराधिकारी है—और उनके साथ एक असाधारण समूह उनकी विस्तृत यात्रा का परिचय कराती है।
निर्देशक - बैरी जेनकिंस; मूल गीत: लिन-मैनुअल मिरांडा
अंग्रेजी आवाज़ें:
आरोन पियरे मुफासा हैं, डोनाल्ड ग्लोवर सिम्बा हैं और ब्रेलिन रैंकिन्स यंग मुफासा हैं।
*मुफासा: द लायन किंग 20 दिसंबर, 2024 को अंग्रेजी, हिंदी, तमिल और तेलुगु में भारतीय सिनेमाघरों में आएगी।*
फिल्म के बारे में अधिक जानकारी के लिए कृपया फॉलो करें:
Insta - @disneyfilmsindia
X- @DisneyStudiosIN
YT - @WaltDisneyStudiosIndia
0 notes
Text
��ास को देख भावुक हुईं फराह खान, पैर छूकर किया स्वागत, बोलीं- 'एक मां ही बची हैं'
फराह खान की मां मे��का ईरानी का पिछले महीने निधन हो गया था, जिसके बाद इंडस्ट्री से कई सेलेब्स और दोस्त फराह के घर पहुंचे थे। बॉलीवुड के बादशाह शाहरुख खान भी फराह के मुश्किल वक्त में उनसे मिलने पहुंचे और अपनी दोस्त को सांत्वना देते नजर आए। फराह खान ने पिछले महीने अपनी मां को खो दिया। कोरियोग्राफर और फिल्म निर्माता की मां मेनका ईरानी का 26 जुलाई को निधन हो गया। वह लंबे समय से बीमार थीं। मां के निधन…
0 notes
Text
#varanasi #kashi
#GodKabirPrakatDiwas #mantra #delhi #delhidiaries #ibrahim #Sultan
#KabirParmatma_Prakat Diwas
#KabirPrakatDiwas #KabirisGod #kabir
#SaintRampalJiQuotes
#SaintRampalJi #SantRampalJiMaharaj
#veda #iraq #durga #krishna #mahadev
#KabirParmatma_Prakat Diwas #mantra
#KabirPrakatDiwas #KabirisGod
#trendingnow #ravan #reelsvideo
#SaintRampalJi #SantRampalJiMaharaj
#SaintRampalJiQuotes
#Satlok
#SatlokAshram
#SantRampalJiMaharaj
#KabirisGod
#SupremeGodKabir
⭐
Sa news channel⤵️
https://instagram.com/sanewschannel?igshid=1i62qh1cup6s8
Spiritual leader Saint Rampal Ji ⤵️
https://instagram.com/spiritualleadersaintrampalji?igshid=1uxkqykueu1j7
Satlok Ashram
https://instagram.com/satlokashram001?igshid=MzRl
👑सर्वशक्तिमान कबीर जी ने दिल्ली के बादशाह सिकंदर लोदी के असाध्य जलन के रोग को जो कि किसी भी प्रकार की औषधि सेवन से और भी जंतर मंत्र किसी से भी ठीक नहीं हुआ लेकिन कबीर साहेब के आशीर्वाद से ठीक हो गया था और भी बहुत से चमत्कार देखकर सिकंदर लोदी ने कबीर साहेब जी से नाम उपदेश लिया, उनके शिष्य बने।
👑एक समय की बात है काशी के राजा बीर देव सिंह बघेल ने जब परमात्मा कबीर जी को पहली बार सत्संग स्थल में निकट से देखा तो कबीर जी पृथ्वी से सवा हाथ ऊपर बैठे दिखाई दिए। यह लीला देखकर राजा समझ गया कि परमात्मा आए हैं। चरणों में शीश रखा और ब्राह्मणों के साथ ज्ञान चर्चा को पूरा सुनकर राजा-रानी ने परमेश्वर कबीर जी से उपदेश लिया।
👑बिजली खान पठान मगहर रियासत नवाब था एक समय मगहर नगर के आसपास यानि मगहर रियासत में दुर्भिक्ष पड़ा। त्राहि-त्राहि मच गई। सर्व जन्त्र-मंत्र, पाठ, हवन कर-करा लिए, परंतु व्यर्थ रहा। कबीर परमात्मा के आशीर्वाद से मगहर में बहुत वर्षा हुई फिर बिजली खान पठान ने कबीर जी से उपदेश लिया उनके शिष्य बने।
👑सुल्तान इब्राहिम इब्न अधम जो कि इराक में बल्ख का राजा था कबीर परमात्मा ने अन्य रूप धारण करके बहुत सारे चमत्कार दिखाकर उस राजा को ज्ञान समझाकर अपना शिष्य बनाया।
👑क्या आप जानते हो सुल्तान इब्राहिम इब्न अधम की सोलह हज़ार रानियां थीं, 18 लाख घोड़े, अरबों-खरबों का खज़ाना था लेकिन जब परमात्मा कबीर जी के ज��ञान को समझा तो सब कुछ छोड़कर भक्ति करने लगे थे।
👑परमात्मा कबीर जी त्रेतायुग में मुनींद्र ऋषि के रूप में आये हुए थे। मुनींद्र ऋषि के कई शिष्य थे जिनमें लंका पति रावण के भाई विभीषण भी शामिल है। उनकी गति त्रेतायुग में मुनींद्र ऋषि के तत्वज्ञान और बताई गई भक्ति विधि करने से हुई।
👑क्या आप जानते हो मीरा बाई जिनका विवाह चित्तौड़गढ़ के महाराजा भोजराज जी से हुआ थ। राजा की पत्नी होते हुए भी उन्होंने पहले संत रविदास जी और बाद में परमात्मा कबीर जी से नाम उपदेश लिया था ओर अपना कल्याण करवाया।
👑द्वापरयुग में राजा चन्द्रविजय और उसकी पत्नी इन्द्रमति दोनों को ही कबीर परमात्मा ने शरण में लिया और उनको मोक्ष प्रदान किया। द्वापरयुग में कबीर परमात्मा करुणामय नाम से आए थे।
👑राजा जगजीवन का एक नौलखा बाग था। वह बारह वर्ष से सूखा हुआ था। परमेश्वर कबीर जी उस सूखे बाग में जाकर बैठ गए। जिससे वह बाग हरा-भरा हो गया। इस चमत्कार को सुन राजा परमात्मा की शरण में आया। परमात्मा ने ज्ञान समझाया। पूरे परिवार 12 रानियों ने, चार पुत्रों और राजा ने दीक्षा ली। राजा को परमेश्वर ने सतलोक दिखाया। सबने आजीवन भक्ति की और सतलोक में अमर शरीर पूर्ण मोक्ष प्राप्त किया।
👑परमेश्वर कबीर जी राजा भोपाल के चौंक में जिंदा बाबा के रूप में प्रकट हुए और परमेश्वर ने राजा का महल सोने का बना दिया। इस चमत्कार को देख राजा ने जिन्दा बाबा के चरण छूए और अपनी शरण में लेने की इच्छा व्यक्त की। तब परमेश्वर ने उसे ज्ञान समझाया और राजा को सतलोक लेकर गए। इस तरह राजा भोपाल के पूरे परिवार के सर्व सदस्यों ने नाम लिया, मोक्ष करवाया।
👑परमेश्वर कबीर जी ने बताया कि मैं अमरपुरी नगरी के राजा भोपाल के महल के मध्य में बनी ड्योडी में पहुँचा। उस समय मैंने अपने शरीर का सोलह सूर्यों जितना प्रकाश बनाया। राजा को पता चला तो उठकर महल में आया। मेरे चरण पकड़कर पूछा कि क्या आप ब्रह्मा, विष्णु, शिव में से एक हो या परब्रह्म हो? मैंने कहा कि मैं इनसेे भी ऊपर के स्थान सतलोक से आया हूँ। राजा को विश्वास नहीं हुआ तो मैं अंतर्ध्यान हो गया। राजा पाँच दिन तक विलाप करता रहा। तब पाँचवें दिन मैं फिर उसी प्रकाशमय शरीर में प्रकट हुआ और राजा-रानी ने ज्ञान समझा, दीक्षा ली तथा अपना कल्याण करवाया।
👑राजस्थान में गीगनौर नामक शहर के राजा पीपा जी देवी दुर्गा के परम भक्त थे। उन्हें देवी दुर्गा प्रत्यक्ष दर्शन दिया करती थी। एक दिन राजा को पता चला कि कबीर साहेब के गुरु रामानंद जी माता दुर्गा से ऊपर परम���त्मा बताते हैं और कहते हैं कि दुर्गा की शक्ति से जन्म-मरण तथा चौरासी लाख प्राणियों के शरीरों में कष्ट उठाना समाप्त नहीं हो सकता। जिसके बाद राजा ने माता से यही प्रश्न किया और सच्चाई को जान पीपा जी ने रामानंद जी को गुरू धारण किया। हालांकि बाद में कबीर साहेब की समर्थता से परिचित होकर वे कबीर जी के शिष्य बन गए थे।
#varanasi #kashi
#GodKabirPrakatDiwas #mantra #delhi #delhidiaries #ibrahim #Sultan
#KabirParmatma_Prakat Diwas
#KabirPrakatDiwas #KabirisGod #kabir
#SaintRampalJiQuotes
#SaintRampalJi #SantRampalJiMaharaj
#veda #iraq #durga #krishna #mahadev
#KabirParmatma_Prakat Diwas #mantra
#KabirPrakatDiwas #KabirisGod
#trendingnow #ravan #reelsvideo
#SaintRampalJi #SantRampalJiMaharaj
#SaintRampalJiQuotes
#Satlok
#SatlokAshram
#SantRampalJiMaharaj
#KabirisGod
#SupremeGodKabir
⭐
Sa news channel⤵️
https://instagram.com/sanewschannel?igshid=1i62qh1cup6s8
Spiritual leader Saint Rampal Ji ⤵️
https://instagram.com/spiritualleadersaintrampalji?igshid=1uxkqykueu1j7
Satlok Ashram
https://instagram.com/satlokashram001?igshid=MzRl
👑सर्वशक्तिमान कबीर जी ने दिल्ली के बादशाह सिकंदर लोदी के असाध्य जलन के रोग को जो कि किसी भी प्रकार की औषधि सेवन से और भी जंतर मंत्र किसी से भी ठीक नहीं हुआ लेकिन कबीर साहेब के आशीर्वाद से ठीक हो गया था और भी बहुत से चमत्कार देखकर सिकंदर लोदी ने कबीर साहेब जी से नाम उपदेश लिया, उनके शिष्य बने।
👑एक समय की बात है काशी के राजा बीर देव सिंह बघेल ने जब परमात्मा कबीर जी को पहली बार सत्संग स्थल में निकट से देखा तो कबीर जी पृथ्वी से सवा हाथ ऊपर बैठे दिखाई दिए। यह लीला देखकर राजा समझ गया कि परमात्मा आए हैं। चरणों में शीश रखा और ब्राह्मणों के साथ ज्ञान चर्चा को पूरा सुनकर राजा-रानी ने परमेश्वर कबीर जी से उपदेश लिया।
👑बिजली खान पठान मगहर रियासत नवाब था एक समय मगहर नगर के आसपास यानि मगहर रियासत में दुर्भिक्ष पड़ा। त्राहि-त्राहि मच गई। सर्व जन्त्र-मंत्र, पाठ, हवन कर-करा लिए, परंतु व्यर्थ रहा। कबीर परमात्मा के आशीर्वाद से मगहर में बहुत वर्षा हुई फिर बिजली खान पठान ने कबीर जी से उपदेश लिया उनके शिष्य बने।
👑सुल्तान इब्राहिम इब्न अधम जो कि इराक में बल्ख का राजा था कबीर परमात्मा ने अन्य रूप धारण करके बहुत सारे चमत्कार दिखाकर उस राजा को ज्ञान समझाकर अपना शिष्य बनाया।
👑क्या आप जानते हो सुल्तान इब्राहिम इब्न अधम की सोलह हज़ार रानियां थीं, 18 लाख घोड़े, अरबों-खरबों का खज़ाना था लेकिन जब परमात्मा कबीर जी के ज्ञान को समझा तो सब कुछ छोड़कर भक्ति करने लगे थे।
👑परमात्मा कबीर जी त्रेतायुग में मुनींद्र ऋषि के रूप में आये हुए थे। मुनींद्र ऋषि के कई शिष्य थे जिनमें लंका पति रावण के भाई विभीषण भी शामिल है। उनकी गति त्रेतायुग में मुनींद्र ऋषि के तत्वज्ञान और बताई गई भक्ति विधि करने से हुई।
👑क्या आप जानते हो मीरा बाई जिनका विवाह चित्तौड़गढ़ के महाराजा भोजराज जी से हुआ थ। राजा की पत्नी होते हुए भी उन्होंने पहले संत रविदास जी और बाद में परमात्मा कबीर जी से नाम उपदेश लिया था ओर अपना कल्याण करवाया।
👑द्वापरयुग में राजा चन्द्रविजय और उसकी पत्नी इन्द्रमति दोनों को ही कबीर परमात्मा ने शरण में लिया और उनको मोक्ष प्रदान किया। द्वापरयुग में कबीर परमात्मा करुणामय नाम से आए थे।
👑राजा जगजीवन का एक नौलखा बाग था। वह बारह वर्ष से सूखा हुआ था। परमेश्वर कबीर जी उस सूखे बाग में जाकर बैठ गए। जिससे वह बाग हरा-भरा हो गया। इस चमत्कार को सुन राजा परमात्मा की शरण में आया। परमात्मा ने ज्ञान समझाया। पूरे परिवार 12 रानियों ने, चार पुत्रों और राजा ने दीक्षा ली। राजा को परमेश्वर ने सतलोक दिखाया। सबने आजीवन भक्ति की और सतलोक में अमर शरीर पूर्ण मोक्ष प्राप्त किया।
👑परमेश्वर कबीर जी राजा भोपाल के चौंक में जिंदा बाबा के रूप में प्रकट हुए और परमेश्वर ने राजा का महल सोने का बना दिया। इस चमत्कार को देख राजा ने जिन्दा बाबा के चरण छूए और अपनी शरण में लेने की इच्छा व्यक्त की। तब परमेश्वर ने उसे ज्ञान समझाया और राजा को सतलोक लेकर गए। इस तरह राजा भोपाल के पूरे परिवार के सर्व सदस्यों ने नाम लिया, मोक्ष करवाया।
👑परमेश्वर कबीर जी ने बताया कि मैं अमरपुरी नगरी के राजा भोपाल के महल के मध्य में बनी ड्योडी में पहुँचा। उस समय मैंने अपने शरीर का सोलह सूर्यों जितना प्रकाश बनाया। राजा को पता चला तो उठकर महल में आया। मेरे चरण पकड़कर पूछा कि क्या आप ब्रह्मा, विष्णु, शिव में से एक हो या परब्रह्म हो? मैंने कहा कि मैं इनसेे भी ऊपर के स्थान सतलोक से आया हूँ। राजा को विश्वास नहीं हुआ तो मैं अंतर्ध्यान हो गया। राजा पाँच दिन तक विलाप करता रहा। तब पाँचवें दिन मैं फिर उसी प्रकाशमय शरीर में प्रकट हुआ और राजा-रानी ने ज्ञान समझा, दीक्षा ली तथा अपना कल्याण करवाया।
👑राजस्थान में गीगनौर नामक शहर के राजा पीपा जी देवी दुर्गा के परम भक्त थे। उन्हें देवी दुर्गा प्रत्यक्ष दर्शन दिया करती थी। एक दिन राजा को पता चला कि कबीर साहेब के गुरु रामानंद जी माता दुर्गा से ऊपर परमात्मा बताते हैं और कहते हैं कि दुर्गा की शक्ति से जन्म-मरण तथा चौरासी लाख प्राणियों के शरीरों में कष्ट उठाना समाप्त नहीं हो सकता। जिसके बाद राजा ने माता से यही प्रश्न किया और सच्चाई को जान पीपा जी ने रामानंद जी को गुरू धारण किया। हालांकि बाद में कबीर साहेब की समर्थता से परिचित होकर वे कबीर जी के शिष्य बन गए थे।
0 notes
Text
[07/06, 7:09 am] +91 83078 98929: सर्वशक्तिमान कबीर जी ने दिल्ली के बादशाह सिकंदर लोदी के असाध्य जलन के रोग को जो कि किसी भी प्रकार की औषधि सेवन से और भी जंतर मंत्र किसी से भी ठीक नहीं हुआ लेकिन कबीर साहेब के आशीर्वाद से ठीक हो गया था और भी बहुत से चमत्कार देखकर सिकंदर लोदी ने कबीर साहेब जी से नाम उपदेश लिया, उनके शिष्य बने।
#mantra
#KabirPrakatDiwas #KabirisGod
#trendingnow #ravan #reelsvideo
#SaintRampalJi #SantRampalJiMaharaj
#SaintRampalJiQuotes
[07/06, 7:09 am] +91 83078 98929: एक समय की बात है काशी के राजा बीर देव सिंह बघेल ने जब परमात्मा कबीर जी को पहली बार सत्संग स्थल में निकट से देखा तो कबीर जी पृथ्वी से सवा हाथ ऊपर बैठे दिखाई दिए। यह लीला देखकर राजा समझ गया कि परमात्मा आए हैं। चरणों में शीश रखा और ब्राह्मणों के साथ ज्ञान चर्चा को पूरा सुनकर राजा-रानी ने परमेश्वर कबीर जी से उपदेश लिया।
#veda #iraq #durga #krishna #mahadev
#KabirParmatma_Prakat Diwas #Satlok
#SupremeGodKabir
[07/06, 7:09 am] +91 83078 98929: बिजली खान पठान मगहर रियासत नवाब था एक समय मगहर नगर के आसपास यानि मगहर रियासत में दुर्भिक्ष पड़ा। त्राहि-त्राहि मच गई। सर्व जन्त्र-मंत्र, पाठ, हवन कर-करा लिए, परंतु व्यर्थ रहा। कबीर परमात्मा के आशीर्वाद से मगहर में बहुत वर्षा हुई फिर बिजली खान पठान ने कबीर जी से उपदेश लिया उनके शिष्य बने।
#KabirParmatma_Prakat Diwas
#KabirPrakatDiwas #KabirisGod #kabir
#SaintRampalJiQuotes
#SaintRampalJi #SantRampalJiMaharaj
[07/06, 7:09 am] +91 83078 98929: सुल्तान इब्राहिम इब्न अधम जो कि इराक में बल्ख का राजा था कबीर परमात्मा ने अन्य रूप धारण करके बहुत सारे चमत्कार दिखाकर उस राजा को ज्ञान समझाकर अपना शिष्य बनाया।
#varanasi #kashi
#GodKabirPrakatDiwas #mantra #delhi #delhidiaries #ibrahim #Sultan
#SatlokAshram
#SantRampalJiMaharaj
#KabirisGod
[07/06, 7:09 am] +91 83078 98929: क्या आप जानते हो सुल्तान इब्राहिम इब्न अधम की सोलह हज़ार रानियां थीं, 18 लाख घोड़े, अरबों-खरबों का खज़ाना था लेकिन जब परमात्मा कबीर जी के ज्ञान को समझा तो सब कुछ छोड़कर भक्ति करने लगे थे।
#mantra
#KabirPrakatDiwas #KabirisGod
#trendingnow #ravan #reelsvideo
#SaintRampalJi #SantRampalJiMaharaj
#SaintRampalJiQuotes
[07/06, 7:09 am] +91 83078 98929: परमात्मा कबीर जी त्रेतायुग में मुनींद्र ऋषि के रूप में आये हुए थे। मुनींद्र ऋषि के कई शिष्य थे जिनमें लंका पति रावण के भाई विभीषण भी शामिल है। उनकी गति त्रेतायुग में मुनींद्र ऋषि के तत्वज्ञान और बताई गई भक्ति विधि करने से हुई।
#veda #iraq #durga #krishna #mahadev
#KabirParmatma_Prakat Diwas #Satlok
#SupremeGodKabir
[07/06, 7:09 am] +91 83078 98929: क्या आप जानते हो मीरा बाई जिनका विवाह चित्तौड़गढ़ के महाराजा भोजराज जी से हुआ थ। राजा की पत्नी होते हुए भी उन्होंने पहले संत रविदास जी और बाद में परमात्मा कबीर जी से नाम उपदेश लिया था ओर अपना कल्याण करवाया।
#KabirParmatma_Prakat Diwas
#KabirPrakatDiwas #KabirisGod #kabir
#SaintRampalJiQuotes
#SaintRampalJi #SantRampalJiMaharaj
[07/06, 7:09 am] +91 83078 98929: द्वापरयुग में राजा चन्द्रविजय और उसकी पत्नी इन्द्रमति दोनों को ही कबीर परमात्मा ने शरण में लिया और उनको मोक्ष प्रदान किया। द्वापरयुग में कबीर परमात्मा करुणामय नाम से आए थे।
#varanasi #kashi
#GodKabirPrakatDiwas #mantra #delhi #delhidiaries #ibrahim #Sultan
#SatlokAshram
#SantRampalJiMaharaj
#KabirisGod
[07/06, 7:09 am] +91 83078 98929: राजा जगजीवन का एक नौलखा बाग था। वह बारह वर्ष से सूखा हुआ था। परमेश्वर कबीर जी उस सूखे बाग में जाकर बैठ गए। जिससे वह बाग हरा-भरा हो गया। इस चमत्कार को सुन राजा परमात्मा की शरण में आया। परमात्मा ने ज्ञान समझाया। पूरे परिवार 12 रानियों ने, चार पुत्रों और राजा ने दीक्षा ली। राजा को परमेश्वर ने सतलोक दिखाया। सबने आजीवन भक्ति की और सतलोक में अमर शरीर पूर्ण मोक्ष प्राप्त किया।
#mantra
#KabirPrakatDiwas #KabirisGod
#trendingnow #ravan #reelsvideo
#SaintRampalJi #SantRampalJiMaharaj
#SaintRampalJiQuotes
[07/06, 7:09 am] +91 83078 98929: परमेश्वर कबीर जी राजा भोपाल के चौंक में जिंदा बाबा के रूप में प्रकट हुए और परमेश्वर ने राजा का महल सोने का बना दिया। इस चमत्कार को देख राजा ने जिन्दा बाबा के चरण छूए और अपनी शरण में लेने की इच्छा व्यक्त की। तब परमेश्वर ने उसे ज्ञान समझाया और राजा को सतलोक लेकर गए। इस तरह राजा भोपाल के पूरे परिवार के सर्व सदस्यों ने नाम लिया, मोक्ष करवाया।
#veda #iraq #durga #krishna #mahadev
#KabirParmatma_Prakat Diwas #Satlok
#SupremeGodKabir
[07/06, 7:09 am] +91 83078 98929: राजस्थान में गीगनौर नामक शहर के राजा पीपा जी देवी दुर्गा के परम भक्त थे। उन्हें देवी दुर्गा प्रत्यक्ष दर्शन दिया करती थी। एक दिन राजा को पता चला कि कबीर साहेब के गुरु रामानंद जी माता दुर्गा से ऊपर परमात्मा बताते हैं और कहते हैं कि दुर्गा की शक्ति से जन्म-मरण तथा चौरासी लाख प्राणियों के शरीरों में कष्ट उठाना समाप्त नहीं हो सकता। जिसके बाद राजा ने माता से यही प्रश्न किया और सच्चाई को जान पीपा जी ने रामानंद जी को गुरू धारण किया। हालांकि बाद में कबीर साहेब की समर्थता से परिचित होकर वे कबीर जी के शिष्य बन गए थे।
#varanasi #kashi
#GodKabirPrakatDiwas #mantra #delhi #delhidiaries #ibrahim #Sultan
#SatlokAshram
#SantRampalJiMaharaj
#KabirisGod
0 notes
Text
Who Is Faizan Khan: कौन है फैजान खान? जिसके मोबाइल से शाहरुख को मिली धमकी, मामले में अब तक क्या-क्या हुआ?
Shah rukh Khan Death Threat: 5 नवंबर को मुंबई के बांद्रा पुलिस स्टेशन के लैंडलाइन नंबर पर एक फोन कॉल आता है. ये फोन कॉल भले ही पुलिस थाने में आता है, लेकिन ये बॉलीवुड के बादशाह शाहरुख खान को धमकी देने के लिए होता है. कॉल करने वाला शख्स 50 लाख रुपये की फिरौती मांगता है. पैसा देने से इनकार करने पर वो जान से मारने की धमकी देता है. फोन करने वाला कहता है- मैं बैंडस्टैंड वाले शाहरुख खान को मार दूंगा.…
0 notes
Text
youtube
महाराणा प्रताप जन्म जयंती : एस पी रॉय | Maharana Pratap Birth Anniversary : S P Roy
22.05.2023, लखनऊ | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के तत्वावधान में त्याग, बलिदान एवं पराक्रम के प्रतीक 'मेवाड़ मुकुट' महाराणा प्रताप जी की जन्म जयंती के अवसर पर रामायण पार्क, सेक्टर 25, इंदिरा नगर, लखनऊ में "श्रद्धापूर्ण पुष्पांजलि" कार्यक्रम का आयोजन किया गया | कार्यक्रम में महाराणा प्रताप चैरिटेबल ट्रस्ट लखनऊ के अध्यक्ष श्री एस पी रॉय, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी हर्ष वर्धन अग्रवाल, ट्रस्ट के आंतरिक सलाहकार समिति के सदस्य डॉ. एस. के. श्रीवास्तव, सेक्टर 25 के निवासीगण ए. के. त्रिपाठी, जे. पी. गुप्ता, महेश जैसवाल, आर के शर्मा, सरिता शर्मा, के. पी. शर्मा, सुनीता शर्मा, संजय कुमार पाण्डेय तथा हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के स्वयंसेवकों द्वारा महाराणा प्रताप जी के चित्र पर माल्यार्पण एवं पुष्पार्पण किया गया |
इस अवसर पर ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी हर्ष वर्धन अग्रवाल ने अपने विचार व्यक्त करते हुये कहा कि हल्दीघाटी के युद्ध में, दुश्मन में कोहराम मचाया था, देख वीरता राजपूताने की, दुश्मन भी थर्राया था |" भारतीय इतिहास में अनेक महान वीरों ने अपनी शौर्य और बलिदान के माध्यम से हमारे देश को गौरवान्वित किया है, उनमें से एक महान वीर थे "महाराणा प्रताप सिंह" जिनकी जयंती आज हम मना रहे हैं । महाराणा प्रताप सोलहवीं शताब्दी के उदयपुर, मेवाड़ मे सिसोदिया राजपूत राजवंश के महान राजा थे एवं अपनी वीरता, पराक्रम, व शौर्यता के लिए जाने जाते थे । शूरवीर महाराणा प्रताप ने मुगलों के अतिक्रमणों के खिलाफ अनगिनत लड़ाइयां लड़ी थीं | कहा जाता है कि महाराणा प्रताप ने जंगल में घास की रोटी खाई और जमीन पर सोकर रात गुजारी, लेकिन अकबर के सामने कभी हार नहीं मानी | आज महाराणा प्रताप जी की जन्म जयंती पर आइए यह संकल्प लें कि अपने दुश्मनों के सामने कभी घुटने नहीं टेकेगे वह पूरे आत्मविश्वास एवं तन्मयता के साथ अपने देश की रक्षा करेंगे |"
महाराणा प्रताप चैरिटेबल ट्रस्ट लखनऊ के अध्यक्ष एस पी राय ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि अनुपम, अद्वितीय, अपराजेय वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप के स्मरण मात्र से आज भी साहस, शौर्य, स्वाभिमान, समर्पण संघर्ष एवं सफलता की चेतना एक साथ स्वत: हो जाती है l गुहील (गुहिला दित्य) कुल में आज से 483 साल पहले 9 मई 1540 ईस्वी में कुंभलगढ़ किला में राणा उदय सिंह (द्वितीय) के पुत्र राणा प्रताप (प्रथम) जिन्हें हम महाराणा प्रताप के नाम से जानते हैं का जन्म हुआ था l इस कुल की शुरूआत वर्ष 566 में गुहिला दित्य से हुई, जो इस्लाम धर्म के शुरुआत के कई वर्ष पूर्व हैं और यह वंश अभी तक चला आ रहा है इसीलिए इस वंश (dynasty) को विश्व का सबसे लंबा शासक वंश कहा जाता है | इसी कुल में अनेकों वीर योद्धा हुए जिन्होंने राजपूताना मेवाड़ के साथ अपनी मातृभूमि एवं सनातन धर्म की रक्षा के लिए विदेशी आक्रांताओं से लोहा लिया | मध्यकालीन युग में राणा संग्राम सिंह जिन्हें राणा सांगा के नाम से जाना जाता है, वे मुगल आक्रांता बाबर से लड़ाई लड़े ताकि भारत के पवित्र भूमि पर उसका कब्जा न हो और उसी स्वतंत्र मात्रभूमि की भावना का जीवंत स्वरूप हम महाराणा प्रताप में पाते हैं जिन्होंने मुगल बादशाह अकबर, जिसका आधिपत्य और साम्राज्य समूचे उत्तर भारत पर था, के विरुद्ध वर्ष 1576 में हुए हल्दीघाटी युद्ध के कई वर्षों तक अपने प्रण पर अडिग रहकर लड़ते रहे क्योंकि हल्दीघाटी का युद्ध अनिर्णायक रहा जबकि मुगल के 30,000 सेना फौज के सामने महाराणा का मात्र 5000 सेना की फौज थी | इसी युद्ध में महाराणा का चेतक घायल हो गया था और तभी सामला के राजा मानसिंह झाला ने महाराणा को अपना मुकुट देकर रणभूमि से निकाला ताकि महाराणा प्रताप अकबर से बाद में लोहा ले सके | हल्दीघाटी युद्ध के बाद अकबर 1577, 1578, 1579 एवं 1580 तक विभिन्न सेनापतियों जैसे सहवास हुसैन, बहलोल खान, मानसिंह, अब्दुल रहीम खानखाना के अगुवाई में लगातार बड़ी सेना की टुकड़ी के साथ भेजता रहा मगर सभी युद्ध अनिर्णायक रहा | महाराणा प्रताप गुरिल्ला पद्धति से लड़ाई लड़ते थे 1581 में दानवीर भामाशाह ने धन देकर युद्ध के लिए मार्ग प्रशस्त किए | वर्ष 1582 में विजयादशमी के दिन महाराणा प्रताप ने कोल भील से गठित अकबर के 50,000 सेना पर धावा बोल दिया | यह युद्ध देवार युद्ध के नाम से जाना जाता है | और मुगल सेना हार के कारण अपने 36000 सेना महाराणा के सामने आत्मसमर्पण कर दिया | महाराणा का चित्तौड़ छोड़कर पुनः पूरे मेवाड़ पर कब्जा हो गया | इस तरह से विजयादशमी हम भारतीयों के लिए दो खुशियां लेकर आती है एक राजा रामचंद्र के वनवास से अयोध्या लौटने का और इसी सूर्यवंशी कुल में पैदा महाराणा के जीत का | इसी Battle of Dewar में महाराणा ने अपने तलवार से बहलोल खान को एक बार में ही बीचो-बीच टुकड़े कर दिए | मगर Battle of Dewar का इतिहास में स्थान नहीं मिला | 1584 में अकबर स्वयं सेना लेकर आया मगर वह 6 माह बाद निराश होकर आगरा लौट गया वह महाराणा को पराजित नहीं कर सका | महाराणा कुल की महानता इससे भी जाहिर होती है कि राज चिन्ह में भील आदिवासी को राणा के समकक्ष रखा गया है और सूर्य के नीचे “जो दृढ़ राखे धर्म को, तेहि राखे करतार,” की पंक्ति अंकित है जो अपने धर्म की रक्षा का सन्देश देती है |
#महाराणा_प्रताप_जयंती #maharanapratapjayanti #MaharanaPratapJayanti #maharanapratapjayanti2023 #maharanapratap #rajputana #rajput #rajasthan #maharana #udaipur #mewar #rajasthani #baisa #kshatriya #hindu #jodhpur #haldighati #rajputi #jaipur #shivajimaharaj #rajputs #jaisalmer #rajputanaculture
#NarendraModi #PMOIndia
#HelpUTrust #HelpUEducationalandCharitableTrust
#KiranAgarwal #DrRupalAgarwal #HarshVardhanAgarwal
www.helputrust.org
0 notes
Text
youtube
महाराणा प्रताप जन्म जयंती : एस पी रॉय | Maharana Pratap Birth Anniversary : S P Roy
22.05.2023, लखनऊ | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के तत्वावधान में त्याग, बलिदान एवं पराक्रम के प्रतीक 'मेवाड़ मुकुट' महाराणा प्रताप जी की जन्म जयंती के अवसर पर रामायण पार्क, सेक्टर 25, इंदिरा नगर, लखनऊ में "श्रद्धापूर्ण पुष्पांजलि" कार्यक्रम का आयोजन किया गया | कार्यक्रम में महाराणा प्रताप चैरिटेबल ट्रस्ट लखनऊ के अध्यक्ष श्री एस पी रॉय, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी हर्ष वर्धन अग्रवाल, ट्रस्ट के आंतरिक सलाहकार समिति के सदस्य डॉ. एस. के. श्रीवास्तव, सेक्टर 25 के निवासीगण ए. के. त्रिपाठी, जे. पी. गुप्ता, महेश जैसवाल, आर के शर्मा, सरिता शर्मा, के. पी. शर्मा, सुनीता शर्मा, संजय कुमार पाण्डेय तथा हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के स्वयंसेवकों द्वारा महाराणा प्रताप जी के चित्र पर माल्यार्पण एवं पुष्पार्पण किया गया |
इस अवसर पर ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी हर्ष वर्धन अग्रवाल ने अपने विचार व्यक्त करते हुये कहा कि हल्दीघाटी के युद्ध में, दुश्मन में कोहराम मचाया था, देख वीरता राजपूताने की, दुश्मन भी थर्राया था |" भारतीय इतिहास में अनेक महान वीरों ने अपनी शौर्य और बलिदान के माध्यम से हमारे देश को गौरवान्वित किया है, उनमें से एक महान वीर थे "महाराणा प्रताप सिंह" जिनकी जयंती आज हम मना रहे हैं । महाराणा प्रताप सोलहवीं शताब्दी के उदयपुर, मेवाड़ मे सिसोदिया राजपूत राजवंश के महान राजा थे एवं अपनी वीरता, पराक्रम, व शौर्यता के लिए जाने जाते थे । शूरवीर महाराणा प्रताप ने मुगलों के अतिक्रमणों के खिलाफ अनगिनत लड़ाइयां लड़ी थीं | कहा जाता है कि महाराणा प्रताप ने जंगल में घास की रोटी खाई और जमीन पर सोकर रात गुजारी, लेकिन अकबर के सामने कभी हार नहीं मानी | आज महाराणा प्रताप जी की जन्म जयंती पर आइए यह संकल्प लें कि अपने दुश्मनों के सामने कभी घुटने नहीं टेकेगे वह पूरे आत्मविश्वास एवं तन्मयता के साथ अपने देश की रक्षा करेंगे |"
महाराणा प्रताप चैरिटेबल ट्रस्ट लखनऊ के अध्यक्ष एस पी राय ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि अनुपम, अद्वितीय, अपराजेय वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप के स्मरण मात्र से आज भी साहस, शौर्य, स्वाभिमान, समर्पण संघर्ष एवं सफलता की चेतना एक साथ स्वत: हो जाती है l गुहील (गुहिला दित्य) कुल में आज से 483 साल पहले 9 मई 1540 ईस्वी में कुंभलगढ़ किला में राणा उदय सिंह (द्वितीय) के पुत्र राणा प्रताप (प्रथम) जिन्हें हम महाराणा प्रताप के नाम से जानते हैं का जन्म हुआ था l इस कुल की शुरूआत वर्ष 566 में गुहिला दित्य से हुई, जो इस्लाम धर्म के शुरुआत के कई वर्ष पूर्व हैं और यह वंश अभी तक चला आ रहा है इसीलिए इस वंश (dynasty) को विश्व का सबसे लंबा शासक वंश कहा जाता है | इसी कुल में अनेकों वीर योद्धा हुए जिन्होंने राजपूताना मेवाड़ के साथ अपनी मातृभूमि एवं सनातन धर्म की रक्षा के लिए विदेशी आक्रांताओं से लोहा लिया | मध्यकालीन युग में राणा संग्राम सिंह जिन्हें राणा सांगा के नाम से जाना जाता है, वे मुगल आक्रांता बाबर से लड़ाई लड़े ताकि भारत के पवित्र भूमि पर उसका कब्जा न हो और उसी स्वतंत्र मात्रभूमि की भावना का जीवंत स्वरूप हम महाराणा प्रताप में पाते हैं जिन्होंने मुगल बादशाह अकबर, जिसका आधिपत्य और साम्राज्य समूचे उत्तर भारत पर था, के विरुद्ध वर्ष 1576 में हुए हल्दीघाटी युद्ध के कई वर्षों तक अपने प्रण पर अडिग रहकर लड़ते रहे क्योंकि हल्दीघाटी का युद्ध अनिर्णायक रहा जबकि मुगल के 30,000 सेना फौज के सामने महाराणा का मात्र 5000 सेना की फौज थी | इसी युद्ध में महाराणा का चेतक घायल हो गया था और तभी सामला के राजा मानसिंह झाला ने महाराणा को अपना मुकुट देकर रणभूमि से निकाला ताकि महाराणा प्रताप अकबर से बाद में लोहा ले सके | हल्दीघाटी युद्ध के बाद अकबर 1577, 1578, 1579 एवं 1580 तक विभिन्न सेनापतियों जैसे सहवास हुसैन, बहलोल खान, मानसिंह, अब्दुल रहीम खानखाना के अगुवाई में लगातार बड़ी सेना की टुकड़ी के साथ भेजता रहा मगर सभी युद्ध अनिर्णायक रहा | महाराणा प्रताप गुरिल्ला पद्धति से लड़ाई लड़ते थे 1581 में दानवीर भामाशाह ने धन देकर युद्ध के लिए मार्ग प्रशस्त किए | वर्ष 1582 में विजयादशमी के दिन महाराणा प्रताप ने कोल भील से गठित अकबर के 50,000 सेना पर धावा बोल दिया | यह युद्ध देवार युद्ध के नाम से जाना जाता है | और मुगल सेना हार के कारण अपने 36000 सेना महाराणा के सामने आत्मसमर्पण कर दिया | महाराणा का चित्तौड़ छोड़कर पुनः पूरे मेवाड़ पर कब्जा हो गया | इस तरह से विजयादशमी हम भारतीयों के लिए दो खुशियां लेकर आती है एक राजा रामचंद्र के वनवास से अयोध्या लौटने का और इसी सूर्यवंशी कुल में पैदा महाराणा के जीत का | इसी Battle of Dewar में महाराणा ने अपने तलवार से बहलोल खान को एक बार में ही बीचो-बीच टुकड़े कर दिए | मगर Battle of Dewar का इतिहास में स्थान नहीं मिला | 1584 में अकबर स्वयं सेना लेकर आया मगर वह 6 माह बाद निराश होकर आगरा लौट गया वह महाराणा को पराजित नहीं कर सका | महाराणा कुल की महानता इससे भी जाहिर होती है कि राज चिन्ह में भील आदिवासी को राणा के समकक्ष रखा गया है और सूर्य के नीचे “जो दृढ़ राखे धर्म को, तेहि राखे करतार,” की पंक्ति अंकित है जो अपने धर्म की रक्षा का सन्देश देती है |
#महाराणा_प्रताप_जयंती #maharanapratapjayanti #MaharanaPratapJayanti #maharanapratapjayanti2023 #maharanapratap #rajputana #rajput #rajasthan #maharana #udaipur #mewar #rajasthani #baisa #kshatriya #hindu #jodhpur #haldighati #rajputi #jaipur #shivajimaharaj #rajputs #jaisalmer #rajputanaculture
#NarendraModi #PMOIndia
#HelpUTrust #HelpUEducationalandCharitableTrust
#KiranAgarwal #DrRupalAgarwal #HarshVardhanAgarwal
www.helputrust.org
0 notes
Text
youtube
महाराणा प्रताप जन्म जयंती : एस पी रॉय | Maharana Pratap Birth Anniversary : S P Roy
22.05.2023, लखनऊ | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के तत्वावधान में त्याग, बलिदान एवं पराक्रम के प्रतीक 'मेवाड़ मुकुट' महाराणा प्रताप जी की जन्म जयंती के अवसर पर रामायण पार्क, सेक्टर 25, इंदिरा नगर, लखनऊ में "श्रद्धापूर्ण पुष्पांजलि" कार्यक्रम का आयोजन किया गया | कार्यक्रम में महाराणा प्रताप चैरिटेबल ट्रस्ट लखनऊ के अध्यक्ष श्री एस पी रॉय, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी हर्ष वर्धन अग्रवाल, ट्रस्ट के आंतरिक सलाहकार समिति के सदस्य डॉ. एस. के. श्रीवास्तव, सेक्टर 25 के निवासीगण ए. के. त्रिपाठी, जे. पी. गुप्ता, महेश जैसवाल, आर के शर्मा, सरिता शर्मा, के. पी. शर्मा, सुनीता शर्मा, संजय कुमार पाण्डेय तथा हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के स्वयंसेवकों द्वारा महाराणा प्रताप जी के चित्र पर माल्यार्पण एवं पुष्पार्पण किया गया |
इस अवसर पर ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी हर्ष वर्धन अग्रवाल ने अपने विचार व्यक्त करते हुये कहा कि हल्दीघाटी के युद्ध में, दुश्मन में कोहराम मचाया था, देख वीरता राजपूताने की, दुश्मन भी थर्राया था |" भारतीय इतिहास में अनेक महान वीरों ने अपनी शौर्य और बलिदान के माध्यम से हमारे देश को गौरवान्वित किया है, उनमें से एक महान वीर थे "महाराणा प्रताप सिंह" जिनकी जयंती आज हम मना रहे हैं । महाराणा प्रताप सोलहवीं शताब्दी के उदयपुर, मेवाड़ मे सिसोदिया राजपूत राजवंश के महान राजा थे एवं अपनी वीरता, पराक्रम, व शौर्यता के लिए जाने जाते थे । शूरवीर महाराणा प्रताप ने मुगलों के अतिक्रमणों के खिलाफ अनगिनत लड़ाइयां लड़ी थीं | कहा जाता है कि महाराणा प्रताप ने जंगल में घास की रोटी खाई और जमीन पर सोकर रात गुजारी, लेकिन अकबर के सामने कभी हार नहीं मानी | आज महाराणा प्रताप जी की जन्म जयंती पर आइए यह संकल्प लें कि अपने दुश्मनों के सामने कभी घुटने नहीं टेकेगे वह पूरे आत्मविश्वास एवं तन्मयता के साथ अपने देश की रक्षा करेंगे |"
महाराणा प्रताप चैरिटेबल ट्रस्ट लखनऊ के अध्यक्ष एस पी राय ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि अनुपम, अद्वितीय, अपराजेय वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप के स्मरण मात्र से आज भी साहस, शौर्य, स्वाभिमान, समर्पण संघर्ष एवं सफलता की चेतना एक साथ स्वत: हो जाती है l गुहील (गुहिला दित्य) कुल में आज से 483 साल पहले 9 मई 1540 ईस्वी में कुंभलगढ़ किला में राणा उदय सिंह (द्वितीय) के पुत्र राणा प्रताप (प्रथम) जिन्हें हम महाराणा प्रताप के नाम से जानते हैं का जन्म हुआ था l इस कुल की शुरूआत वर्ष 566 में गुहिला दित्य से हुई, जो इस्लाम धर्म के शुरुआत के कई वर्ष पूर्व हैं और यह वंश अभी तक चला आ रहा है इसीलिए इस वंश (dynasty) को विश्व का सबसे लंबा शासक वंश कहा जाता है | इसी कुल में अनेकों वीर योद्धा हुए जिन्होंने राजपूताना मेवाड़ के साथ अपनी मातृभूमि एवं सनातन धर्म की रक्षा के लिए विदेशी आक्रांताओं से लोहा लिया | मध्यकालीन युग में राणा संग्राम सिंह जिन्हें राणा सांगा के नाम से जाना जाता है, वे मुगल आक्रांता बाबर से लड़ाई लड़े ताकि भारत के पवित्र भूमि पर उसका कब्जा न हो और उसी स्वतंत्र मात्रभूमि की भावना का जीवंत स्वरूप हम महाराणा प्रताप में पाते हैं जिन्होंने मुगल बादशाह अकबर, जिसका आधिपत्य और साम्राज्य समूचे उत्तर भारत पर था, के विरुद्ध वर्ष 1576 में हुए हल्दीघाटी युद्ध के कई वर्षों तक अपने प्रण पर अडिग रहकर लड़ते रहे क्योंकि हल्दीघाटी का युद्ध अनिर्णायक रहा जबकि मुगल के 30,000 सेना फौज के सामने महाराणा का मात्र 5000 सेना की फौज थी | इसी युद्ध में महाराणा का चेतक घायल हो गया था और तभी सामला के राजा मानसिंह झाला ने महाराणा को अपना मुकुट देकर रणभूमि से निकाला ताकि महाराणा प्रताप अकबर से बाद में लोहा ले सके | हल्दीघाटी युद्ध के बाद अकबर 1577, 1578, 1579 एवं 1580 तक विभिन्न सेनापतियों जैसे सहवास हुसैन, बहलोल खान, मानसिंह, अब्दुल रहीम खानखाना के अगुवाई में लगातार बड़ी सेना की टुकड़ी के साथ भेजता रहा मगर सभी युद्ध अनिर्णायक रहा | महाराणा प्रताप गुरिल्ला पद्धति से लड़ाई लड़ते थे 1581 में दानवीर भामाशाह ने धन देकर युद्ध के लिए मार्ग प्रशस्त किए | वर्ष 1582 में विजयादशमी के दिन महाराणा प्रताप ने कोल भील से गठित अकबर के 50,000 सेना पर धावा बोल दिया | यह युद्ध देवार युद्ध के नाम से जाना जाता है | और मुगल सेना हार के कारण अपने 36000 सेना महाराणा के सामने आत्मसमर्पण कर दिया | महाराणा का चित्तौड़ छोड़कर पुनः पूरे मेवाड़ पर कब्जा हो गया | इस तरह से विजयादशमी हम भारतीयों के लिए दो खुशियां लेकर आती है एक राजा रामचंद्र के वनवास से अयोध्या लौटने का और इसी सूर्यवंशी कुल में पैदा महाराणा के जीत का | इसी Battle of Dewar में महाराणा ने अपने तलवार से बहलोल खान को एक बार में ही बीचो-बीच टुकड़े कर दिए | मगर Battle of Dewar का इतिहास में स्थान नहीं मिला | 1584 में अकबर स्वयं सेना लेकर आया मगर वह 6 माह बाद निराश होकर आगरा लौट गया वह महाराणा को पराजित नहीं कर सका | महाराणा कुल की महानता इससे भी जाहिर होती है कि राज चिन्ह में भील आदिवासी को राणा के समकक्ष रखा गया है और सूर्य के नीचे “जो दृढ़ राखे धर्म को, तेहि राखे करतार,” की पंक्ति अंकित है जो अपने धर्म की रक्षा का सन्देश देती है |
#महाराणा_प्रताप_जयंती #maharanapratapjayanti #MaharanaPratapJayanti #maharanapratapjayanti2023 #maharanapratap #rajputana #rajput #rajasthan #maharana #udaipur #mewar #rajasthani #baisa #kshatriya #hindu #jodhpur #haldighati #rajputi #jaipur #shivajimaharaj #rajputs #jaisalmer #rajputanaculture
#NarendraModi #PMOIndia
#HelpUTrust #HelpUEducationalandCharitableTrust
#KiranAgarwal #DrRupalAgarwal #HarshVardhanAgarwal
www.helputrust.org
0 notes
Text
youtube
महाराणा प्रताप जन्म जयंती : एस पी रॉय | Maharana Pratap Birth Anniversary : S P Roy
22.05.2023, लखनऊ | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के तत्वावधान में त्याग, बलिदान एवं पराक्रम के प्रतीक 'मेवाड़ मुकुट' महाराणा प्रताप जी की जन्म जयंती के अवसर पर रामायण पार्क, सेक्टर 25, इंदिरा नगर, लखनऊ में "श्रद्धापूर्ण पुष्पांजलि" कार्यक्रम का आयोजन किया गया | कार्यक्रम में महाराणा प्रताप चैरिटेबल ट्रस्ट लखनऊ के अध्यक्ष श्री एस पी रॉय, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी हर्ष वर्धन अग्रवाल, ट्रस्ट के आंतरिक सलाहकार समिति के सदस्य डॉ. एस. के. श्रीवास्तव, सेक्टर 25 के निवासीगण ए. के. त्रिपाठी, जे. पी. गुप्ता, महेश जैसवाल, आर के शर्मा, सरिता शर्मा, के. पी. शर्मा, सुनीता शर्मा, संजय कुमार पाण्डेय तथा हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के स्वयंसेवकों द्वारा महाराणा प्रताप जी के चित्र पर माल्यार्पण एवं पुष्पार्पण किया गया |
इस अवसर पर ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी हर्ष वर्धन अग्रवाल ने अपने विचार व्यक्त करते हुये कहा कि हल्दीघाटी के युद्ध में, दुश्मन में कोहराम मचाया था, देख वीरता राजपूताने की, दुश्मन भी थर्राया था |" भारतीय इतिहास में अनेक महान वीरों ने अपनी शौर्य और बलिदान के माध्यम से हमारे देश को गौरवान्वित किया है, उनमें से एक महान वीर थे "महाराणा प्रताप सिंह" जिनकी जयंती आज हम मना रहे हैं । महाराणा प्रताप सोलहवीं शताब्दी के उदयपुर, मेवाड़ मे सिसोदिया राजपूत राजवंश के महान राजा थे एवं अपनी वीरता, पराक्रम, व शौर्यता के लिए जाने जाते थे । शूरवीर महाराणा प्रताप ने मुगलों के अतिक्रमणों के खिलाफ अनगिनत लड़ाइयां लड़ी थीं | कहा जाता है कि महाराणा प्रताप ने जंगल में घास की रोटी खाई और जमीन पर सोकर रात गुजारी, लेकिन अकबर के सामने कभी हार नहीं मानी | आज महाराणा प्रताप जी की जन्म जयंती पर आइए यह संकल्प लें कि अपने दुश्मनों के सामने कभी घुटने नहीं टेकेगे वह पूरे आत्मविश्वास एवं तन्मयता के साथ अपने देश की रक्षा करेंगे |"
महाराणा प्रताप चैरिटेबल ट्रस्ट लखनऊ के अध्यक्ष एस पी राय ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि अनुपम, अद्वितीय, अपराजेय वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप के स्मरण मात्र से आज भी साहस, शौर्य, स्वाभिमान, समर्पण संघर्ष एवं सफलता की चेतना एक साथ स्वत: हो जाती है l गुहील (गुहिला दित्य) कुल में आज से 483 साल पहले 9 मई 1540 ईस्वी में कुंभलगढ़ किला में राणा उदय सिंह (द्वितीय) के पुत्र राणा प्रताप (प्रथम) जिन्हें हम महाराणा प्रताप के नाम से जानते हैं का जन्म हुआ था l इस कुल की शुरूआत वर्ष 566 में गुहिला दित्य से हुई, जो इस्लाम धर्म के शुरुआत के कई वर्ष पूर्व हैं और यह वंश अभी तक चला आ रहा है इसीलिए इस वंश (dynasty) को विश्व का सबसे लंबा शासक वंश कहा जाता है | इसी कुल में अनेकों वीर योद्धा हुए जिन्होंने राजपूताना मेवाड़ के साथ अपनी मातृभूमि एवं सनातन धर्म की रक्षा के लिए विदेशी आक्रांताओं से लोहा लिया | मध्यकालीन युग में राणा संग्राम सिंह जिन्हें राणा सांगा के नाम से जाना जाता है, वे मुगल आक्रांता बाबर से लड़ाई लड़े ताकि भारत के पवित्र भूमि पर उसका कब्जा न हो और उसी स्वतंत्र मात्रभूमि की भावना का जीवंत स्वरूप हम महाराणा प्रताप में पाते हैं जिन्होंने मुगल बादशाह अकबर, जिसका आधिपत्य और साम्राज्य समूचे उत्तर भारत पर था, के विरुद्ध वर्ष 1576 में हुए हल्दीघाटी युद्ध के कई वर्षों तक अपने प्रण पर अडिग रहकर लड़ते रहे क्योंकि हल्दीघाटी का युद्ध अनिर्णायक रहा जबकि मुगल के 30,000 सेना फौज के सामने महाराणा का मात्र 5000 सेना की फौज थी | इसी युद्ध में महाराणा का चेतक घायल हो गया था और तभी सामला के राजा मानसिंह झाला ने महाराणा को अपना मुकुट देकर रणभूमि से निकाला ताकि महाराणा प्रताप अकबर से बाद में लोहा ले सके | हल्दीघाटी युद्ध के बाद अकबर 1577, 1578, 1579 एवं 1580 तक विभिन्न सेनापतियों जैसे सहवास हुसैन, बहलोल खान, मानसिंह, अब्दुल रहीम खानखाना के अगुवाई में लगातार बड़ी सेना की टुकड़ी के साथ भेजता रहा मगर सभी युद्ध अनिर्णायक रहा | महाराणा प्रताप गुरिल्ला पद्धति से लड़ाई लड़ते थे 1581 में दानवीर भामाशाह ने धन देकर युद्ध के लिए मार्ग प्रशस्त किए | वर्ष 1582 में विजयादशमी के दिन महाराणा प्रताप ने कोल भील से गठित अकबर के 50,000 सेना पर धावा बोल दिया | यह युद्ध देवार युद्ध के नाम से जाना जाता है | और मुगल सेना हार के कारण अपने 36000 सेना महाराणा के सामने आत्मसमर्पण कर दिया | महाराणा का चित्तौड़ छोड़कर पुनः पूरे मेवाड़ पर कब्जा हो गया | इस तरह से विजयादशमी हम भारतीयों के लिए दो खुशियां लेकर आती है एक राजा रामचंद्र के वनवास से अयोध्या लौटने का और इसी सूर्यवंशी कुल में पैदा महाराणा के जीत का | इसी Battle of Dewar में महाराणा ने अपने तलवार से बहलोल खान को एक बार में ही बीचो-बीच टुकड़े कर दिए | मगर Battle of Dewar का इतिहास में स्थान नहीं मिला | 1584 में अकबर स्वयं सेना लेकर आया मगर वह 6 माह बाद निराश होकर आगरा लौट गया वह महाराणा को पराजित नहीं कर सका | महाराणा कुल की महानता इससे भी जाहिर होती है कि राज चिन्ह में भील आदिवासी को राणा के समकक्ष रखा गया है और सूर्य के नीचे “जो दृढ़ राखे धर्म को, तेहि राखे करतार,” की पंक्ति अंकित है जो अपने धर्म की रक्षा का सन्देश देती है |
#महाराणा_प्रताप_जयंती #maharanapratapjayanti #MaharanaPratapJayanti #maharanapratapjayanti2023 #maharanapratap #rajputana #rajput #rajasthan #maharana #udaipur #mewar #rajasthani #baisa #kshatriya #hindu #jodhpur #haldighati #rajputi #jaipur #shivajimaharaj #rajputs #jaisalmer #rajputanaculture
#NarendraModi #PMOIndia
#HelpUTrust #HelpUEducationalandCharitableTrust
#KiranAgarwal #DrRupalAgarwal #HarshVardhanAgarwal
www.helputrust.org
1 note
·
View note