#प्रमुख वृंदावन में घूमने की जगह
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travelguruji · 1 year ago
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 प्रमुख वृंदावन में घूमने की जगह
वृंदावन, भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में स्थित एक प्रमुख धार्मिक स्थल है जो हिन्दू धर्म के अनुयायियों के लिए आद्यात्मिकता और भक्ति की अद्वितीय उपयोगीता रखता है। यह स्थल श्रीकृष्ण के बचपन के खेलने की स्थली के रूप में भी प्रसिद्ध है और इसे हर वर्ष लाखों श्रद्धालु और पर्यटक देखने के लिए आते हैं।
वृंदावन के मुख्य आकर्षण:
बांके बिहारी मंदिर: यह मंदिर वृंदावन के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है जो श्रीकृष्ण के विशेष रूप ' बांके बिहारी' की पूजा के लिए जाना जाता है।
श्रीकृष्ण जन्मभूमि: इस स्थल पर भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। यहां एक भव्य मंदिर बनाया गया है जिसमें श्रीकृष्ण के जन्म स्थल को दर्शाया गया है।
प्रेम मंदिर: यह स्थल राधा-कृष्ण के प्रेम की कथाओं से जुड़ा हुआ है और भक्तों को उनके प्रेम के अद्वितीय भाव का अनुभव कराता है।
गोविन्द देव मंदिर: इस मंदिर में विशेष रूप से आराधित होने वाले श्रीकृष्ण के प्रतिमा की विशाल आकर्षण है।
निधिवन: यह एक आध्यात्मिक स्थल है जहां भक्तजन ध्यान और मेधा से भरपूर होते हैं।
श्री राधा वल्लभ मंदिर (वल्लभाचार्या): यह मंदिर भगवान श्री कृष्ण की परम प्रिय भक्त, श्रीमती राधा जी को समर्पित है।
वृंदावन के चिरप्रसिद्ध आयोजन:
होली: वृंदावन में होली का त्योहार विशेष रूप से धूमधाम से मनाया जाता है, जहां श्रद्धालु रंगों के साथ भगवान के नाम का संघर्ष करते हैं।
जानमाष्टमी: भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में यह त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है, जिसमें मंदिरों में भक्ति और आराधना का आयोजन किया जाता है।
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वृंदावन की आपकी यात्रा कैसे योजनित करें:
समय: वृंदावन में यात्रा करने का सबसे अच्छा समय श्राद्धी त्योहारों के समय, जैसे कि होली और जानमाष्टमी, होता है।
स्थान: मुख्य आकर्षणों के पास होटल या आवास की आवश्यकता होती है, इसलिए आपको अपने आवास की बुकिंग समय से करनी चाहिए।
स्थलीय भोजन: वृंदावन में आपको स्थानीय भोजन का आनंद लेना चाहिए, जैसे कि पूरी सब्जी, मिठाइयाँ आदि।
आदर्श यात्रा की अवधि: वृंदावन में आपकी आदर्श यात्रा की अवधि 2-3 दिन की हो सकती है, लेकिन यह आपके यात्रा के उद्देश्य पर भी निर्भर करता है।
वृंदावन एक आद्यात्मिक और भक्तिपूर्ण अनुभव के लिए एक अद्वितीय स्थल है, जो हिन्दू धर्म की धार्मिकता और सांस्कृतिक धरोहर को महत्वपूर्ण बनाता है। यहां आकर्षण, शांति, और आध्यात्मिकता का एक संगम होता है जिसे आपको खुद अनुभव करना चाहिए।
वृंदावन में रुकने की जगह
वृंदावन, भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में स्थित है और यह हिन्दू धर्म के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है, जहां हजारों भक्त और पर्यटक हर साल आते हैं। यहां कई प्रमुख स्थल हैं जहां आप विश्राम और ध्यान के लिए रुक सकते हैं:
यहां और भी कई स्थल हैं जहां आप विश्राम करके ध्यान कर सकते हैं और अपने आध्यात्मिक अनुभव को नौकरशाही से भर सकते हैं। कृपया ध्यान दें कि मेरी जानकारी 2021 तक है, इसलिए वृंदावन में किसी नए स्थल की जानकारी के लिए स्थानीय प्राधिकृत स्रोतों की जाँच करें।
वृंदावन कैसे जाए
वृंदावन भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में स्थित है और यह धार्मिक महत्व के साथ-साथ पर्यटन स्थल के रूप में भी प्रसिद्ध है, खासकर हिन्दू धर्म के अनुयायियों के लिए। वृंदावन को पहुंचने के विभिन्न तरीके हो सकते हैं:
हवाई जहाज़: आप नजदीकी एयरपोर्ट, जैसे कि आगरा या दिल्ली के एयरपोर्ट, पर उतर सकते हैं और फिर वहां से वृंदावन के लिए टैक्सी, बस, या अन्य उचित परिवहन का उपयोग कर सकते हैं।
रेलगाड़ी: वृंदावन के पास मनमोहन स्थानीय रेलवे स्थल है जिससे आप सीधे वृंदावन पहुँच सकते हैं। यदि आप बड़े रेलवे स्थल से आ रहे हैं, तो मथुरा भी एक नजदीकी रेलवे स्थल है और वहां से वृंदावन के लिए टैक्सी या बस का उपयोग कर सकते हैं।
बस: वृंदावन के लिए बस सेवाएं भी उपलब्ध हैं, और यह आपके स्थान से आने के अनुसार विभिन्न बस स्थलों से ��पलब्ध हो सकती हैं।
वृंदावन आकर्षणों, प्राचीन मंदिरों और धार्मिक स्थलों का संग्रहण है, इसलिए यह यात्रा आपके धार्मिक और पर्यटन दोनों के उद्देश्यों को पूरा कर सकती है। पहले आपको वृंदावन पहुँचने के लिए आवश्यक यात्रा व्यवस्थाएँ करने की सलाह दी जाती है।
Reference Link - https://travelgurujiii.blogspot.com/2023/08/blog-post.html
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affiliategk · 3 years ago
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श्री कृष्ण की नगरी मथुरा हमारे देश में ही नही बल्कि दूर के देशो में भी प्रचलित है| मथुरा को भगवान् श्री कृष्ण का जन्म स्थान माना जाता है |मथुरा के बारे में कौन नही सुनना चाहता ,आप अक्सर कृष्ण की कहानियों का चित्रण करते हुए उन प्रतिष्ठित अमर चित्र कथा पुस्तकों को पढ़ते होंगे।
यह आपके घर के बुजुर्ग होंगे , जिन्होंने छोटे कृष्ण और उनके प्रिय नाटको के बारे में सोते समय कहानियाँ सुनाई थीं |मथुरा, उनकी जन्मभूमि हमारे जीवन चक्र के आसपास हमेशा जिवंत रहती है|
मथुरा एक समृद्ध सांस्कृतिक विरासत माना जाता है जो सैकड़ों और हजारों किंवदंतियों और मिथकों के माध्यम से पहचाना जाता है। इस तथ्य में कोई आश्चर्य नहीं, यह पूरे भारत में हिंदुओं द्वारा सात पवित्र शहरों में से एक के रूप में प्रचलित है। इस आधुनिक युग में भी, मथुरा का आकर्षण देश के सभी हिस्सों और उसके विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करता है।
एतिहासिक मंदिरों, धार्मिक संरचनाओं, ऐतिहासिक स्मारकों और शांत घाटों का एक आकर्षक स्थल मथुरा को एक असली सुंदरता देता है जो आपके नियमित पर्यटन स्थलों में मिलना मुश्किल है।
मथुरा में घूमने की प्रसिद्ध जगह श्री कृष्ण जन्मभूमि(Krishna janmbhumi in hindi)
मंदिर को भगवान श्री कृष्ण की जन्मभूमि माना जाता है और इसे मथुरा का सबसे पवित्र स्थान माना गया है। यहां का विशेष आकर्षण भगवान कृष्ण की एक संगमरमर की प्रतिमा है, और यहाँ देवी-देवताओं की प्रतिमाये छोटे मंदिरों के रूप में हैं। दीपावली या होली जैसे प्रमुख त्योहारों में यहाँ बहुत ज्यादा संख्या में भक्तो की भीड़ यहाँ इकठ्ठा होती है ।
श्री कृष्णा के जन्मोत्सव का जश्न भगवान की जन्म के साथ मध्य रात्रि के दौरान शुरू होता है।मथुरा की यात्रा कभी भी श्री कृष्ण जन्मभूमि मंदिर की यात्रा के बिना पूरी नही मानी जाती है, यहाँ एक ऐसा आकर्षण होता है जो पर्यटकों को मोहित करने में कभी विफल नहीं होता है।
आपको नाम से प्रतीत होता है कि, यह भगवान कृष्ण के जन्म का स्थान है। मथुरा में सबसे पवित्र स्थान के रूप में, मंदिर का निर्माण जेल की कोठरी के चारों ओर किया गया है, इसी स्थान पर माना जाता है कि देवकी ने लगभग 5000 साल पहले कृष्ण को जन्म दिया था।
जबकि मूल मंदिर का निर्माण भगवान कृष्ण के परपोते, राजा वज्र द्वारा कराया गया था, इतिहास के पाठ्यक्रम के अनुसार मंदिर को 17 बार नष्ट किया गया।आज के समय में , यह न केवल मथुरा में, बल्कि पूरे देश में सबसे लोकप्रिय स्थानों में से एक है।
पर्यटक अगर होली या जन्माष्टमी के त्योहारों के दौरान मथुरा घूमने जाते हैं, तो यहाँ लाखों लोगों को आकर्षित करने वाले जीवंत समारोहों का हिस्सा बन सकते हैं। चाहे आप कृष्णा को मानते हो या न हों, इस पवित्र मंदिर में आए बिना शहर नहीं छोड़ना चाहिए।
स्थान: डेग गेट चौराहा के पास, जनम भूमि समय:  शाम 5:00 बजे से 12:00 बजे तक और शाम 4:00 बजे से 09:30 बजे तक (ग्रीष्मकाल)  प्रातः ५:३० से १२.०० बजे और अपराह्न ३:०० बजे से ९ :३० बजे तक (सर्दियो में )
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द्वारकाधीश मंदिर (dwarkadhish temple)
बांसुरी और मोर के पंख के बिना कृष्ण की एक मूर्ति द्वारकाधीश मंदिर में बनाई गयी है, बांसुरी और मोरपंख ये दो विशिष्ट विशेषताएं जिन्हें हम हमेशा उनके साथ जोड़ते हैं| मथुरा में द्वारकाधीश मंदिर में आप देख सकते हैं|
लगभग 200 साल पुराने हिंदू मंदिर को शहर के अन्य मंदिरों से अलग मानने की ख़ास बात यह है कि यहां भगवान कृष्ण की चमकदार काली संगमरमर की मूर्ति को उनकी मनपसंद बांसुरी और मोर पंख के बिना द्वारिकानाथ या द्वारका के राजा के रूप में बनाया गया है।इस मंदिर में उनके साथ उनकी पत्नी राधारानी हैं, जो सफेद संगमरमर से बनी हैं।
मथुरा के सबसे बड़े मंदिरों में से एक, यह मंदिर अपनी असाधारण वास्तुकला और सुंदर नक्काशी के लिए भी जाना जाता है। मंदिर का प्रवेश द्वार, जो स्थापत्य कला की राजस्थानी शैली में निर्मित किया गया है, भव्य रूप से नक्काशीदार स्तंभों के साथ एक खुला प्रांगण बनाया गया है।
मंदिर में जाने का सबसे अच्छा समय जुलाई के दौरान होता है जो हर साल मानसून की शुरुआत में मनाया जाता है।इस विशेष उत्��व के दौरान, इस मूर्ति को एक सुंदर रूप से सजाए गए चांदी के झूले पर रखा जाता है, और पूरे मंदिर को रंगों और फूलो से सजाया जाता है। यह वास्तव में सम्मोहित करने वाला द्रश्य होता है, लेकिनहमेशा याद रखें, इस विशेष आयोजन पर मंदिर में काफी ज्यादा मात्रा में भीड़ उपस्थित होती हैं।
स्थान: राजा धीरज बाजार रोड समय:  सुबह 6:30 से 10:30 और शाम 4.00 बजे से 7:00 बजे (ग्रीष्मकाल)  सुबह 6:30 से 10:30 और शाम 3:30 से 7:00 बजे (सर्दियाँ)
जरूरी सूचना
दोस्तों अगर आप मथुरा की यात्रा पर है तो आप हमारी वेबसाइट के माध्यम से होटल बुकिंग और फ्लाइट बुकिंग कर सकते हैं यहां पर आपको travelpayout के माध्यम से बिग डिस्काउंट और सभी टिकट बुकिंग कंपनियों के रेट एक ही प्लेटफार्म के माध्यम से दिखाई देते हैं जिससे आप आसानी से सस्ते टिकट और रूम बुक कर सकते हैं हमारी वेबसाइट के साइड में और पोस्ट के नीचे आपको हमारीtravelpayout का ड���स्प्ले शो हो रहा उस पर जाकर आप अपनी क्वेरी सर्च कर सकते हैं।
कुसुम सरोवर (kusum sarovar)
ये वो सरोवर है जाहा राधा जी और श्री कृष्णा की रास लीला की सुरुआत हुई है जहाँ राधा फूल लेने और अपने प्यारे कृष्ण से मिलने जाती थी|कृष्ण प्रेमी सरोवर की यात्रा जरुर करते है , इस सरोवर का एक और प्रमुख आकर्षण जो पर्यटकों के बीच मथुरा की लोकप्रियता को बढ़ाता है।
यह विशाल सरोवर 450 फीट लंबा और लगभग 60 फीट गहरा है। भरतपुर के शासकों की कब्रों को घेरने वाले कदंब के पेड़ और खूबसूरती से उकेरे गए यहाँ के पत्थर अपनी प्राकृतिक सुंदरता में चार चांद लगाते हैं। मथुरा के इस लोकप्रिय स्थान पर अपनी यात्रा के दौरान अपना कैमरा ले जाना नही भूलना चाहिये |
स्थान: राधा कुंड समय: सभी दिन के माध्यम से
कंस किला (kans Qila)
कंस किला वो किला है जो हिंदू और इस्लामी स्थापत्य शैली की सुंदरता और कालातीतता की सजीव नमूना है। हालांकि इस किले का एकमात्र महत्वपूर्ण पहलू यही है। कथनों के अनुसार, यह कभी मथुरा के अत्याचारी राजा कंस का घर था।
यमुना नदी के तट पर स्थित ये प्राचीन किला अब आज अपनी सबसे अच्छी स्थिति में नहीं है। परन्तु फिर भी , यह शहर में आने वाले पर्यटकों के लिए एक बहुत बड़ा आकर्षण है। कहा जाता है कि इस प्राचीन किले में एक बार वेधशाला रखी गई थी, लेकिन अब इसका कोई संकेत नहीं मिलता है।
हालांकि, इसकी किलेबंद दीवारें और विशाल संरचना इसे आपके पर्यटन के लायक बनाती हैं।
स्थान: रतनकुंड समय: सुबह 8:00 से शाम 4:30 ��क
नन्द भवन (nand bhavan)
श्री कृष्ण का जन्म तो मथुरा में हुआ था, परन्तु उन्होंने अपना बचपन अपने पालक माता-पिता, यशोदा और नंद राय के घर गोकुल में बिताया। गोकुल को कई सुंदर संरचनाओं और स्थानों के साथ बनाया गया है जहाँ आप कृष्ण के बचपन की झलक देख सकते हैं।
नन्द भवन गोकुल में घूमने के लिए प्रमुख स्थानों में से एक है| नंद भवन के बारे में कहा जाता है है कि एक विशाल हवेली है जहाँ कृष्ण और उनके भाई बलराम पले बढ़े थे। एक पहाड़ी पर स्थित विशाल भवन ,यह आसपास के क्षेत्रों का एक अद्भुत दृश्य प्रदान करता है|
इस प्रकार, यहा आप फोटोग्राफी का भी आनंद ले सकते है। वर्तमान में , आप उस स्थान पर जा सकते हैं जहाँ बालकृष्ण ने अपने साथियों के साथ बहुत पहले खेला होगा और यशोदा ने उन्हें उनकी पसंद का मक्खन खिलाया होगा।
स्थान: महाबन बांगर, गोकुल समय:   शाम 5:00 बजे से 12:00 बजे और दोपहर 2:00 बजे से रात 9:00 बजे तक (ग्रीष्मकाल)   सुबह 6:00 से 12:00 और दोपहर 2:00 से 8:30 बजे (सर्दियाँ)
प्रेम मंदिर (prem mandir)
प्रेम मंदिर मथुरा में हाल ही में बने श्रेष्ठ मंदिरों में गिना जाता है। प्रेम मंदिर 54 एकड़ की विशाल भूमि पर स्थित, सन 2012 में जनता के लिए खोला गया था। लेकिन, इस मंदिर की खूबसूरती एसी है कि इस थोड़े समय के भीतर ही , यह मथुरा की सैर करने वाले पर्यटकों के लिए सबसे अधिक देखी जाने वाली जगहों में से एक बन गया है|
इस मंदिर में राधा कृष्ण और राम सीता की पूजा की जाती है। लालित्य और स्थापत्य भव्यता का एक उत्कृष्ट उदाहरण इस मंदिर में देखने को मिलता है| इस विशाल मंदिर को भगवान के प्रेम के मंदिर के रूप में भी जाना जाता है।
इटली के सफेद संगमरमर से बनाया हुआ, 125 फीट ऊंचा मंदिर भगवान कृष्ण की विस्तृत नक्काशी और मूर्तियों से सुशोभित है जो कृष्णा जीवन से विभिन्न रोचक घटनाओं को दर्शाते हैं।
रात के समय इस मंदिर की यात्रा अधिक मनोरम मानी जाती है ,और यहा रंगीन रोशनी से जगमगाते हुए इसके शानदार नजारे को देखकर मंत्रमुग्ध हो जाएंगे। मंदिर में हर शाम होने वाले म्यूजिकल फाउंटेन शो का भी आनंद ले सकते हैं।
स्थान: रमन रीति समय: मंदिर: सुबह ५:०० बजे से १२:०० बजे और शाम ४:३० से to:३० बजे तक म्यूजिकल फाउंटेन: शाम 7:00 बजे (सर्दियां) और शाम 7:30 बजे (ग्रीष्मकाल)
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कृष्णा बलराम मंदिर(krishna balram mandir)
वृंदावन में कृष्ण बलराम मंदिर भगवान कृष्ण के भक्तों के बीच एक विशेष महत्व रखता है|यह मंदिर इस्कॉन (कृष्ण चेतना के लिए इंटरनेशनल सोसायटी) द्वारा प्रशासित है| कृष्णा बलराम मंदिर पर्यटकों के लिए, प्रभावशाली मंदिर आश्चर्यजनक वास्तुकला और असली सुंदरता का एक उदाहरण माना गया है। मंदिर के प्रमुख देवता कृष्ण बलराम, राधा स्यामसुंदरा और गौरा निताई हैं। मंदिर का मुख्य आकर्षण यह है कि यहा 24 घंटे कीर्तन की मधुर संगीत बजता रहता है।
स्थान: रमन रीति समय: 4:10 बजे से 8:45 बजे (ग्रीष्मकाल) 4:10 बजे से रात 8:15 बजे तक (सर्दियां)
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jodhpurnews24 · 6 years ago
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जन्माष्टमी के दिन करें इनमें से किसी भी एक मंदिर के दर्शन, जाग जाएगा सोया हुआ भाग्य
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हिंदू धर्म के सबसे बड़े त्यौहारों में से एक जन्माष्टमी है। जन्माष्टमी भादो माह की कृष्ण अष्टमी को मानाया जाता है। इस दिन भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के 8वें अवतार श्रीकृष्ण ने जन्म लिया था। इस साल यह पावन पर्व 2 सितंबर को मनाया जाएगा। जन्माष्टमी की धूम व तैयारियां लगभग पूरे देश में शुरु हो चुकी है। जन्माष्टमी को भारत देश के लगभग हर राज्य में बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है। लेकिन इसकी असल रौनक भगवान श्री कृष्ण की जन्मभूमी पर देखने को मिलती है। भगवान श्री कृष्ण की जन्मभूमी मथुरा-वृंदावन में इस पर्व को लेकर लोगों में खासा उत्साह देखने को मिलता है। वहीं देश के प्रसिद्ध कृष्ण मंदिरों में कई दिनों पहले से तैयारिया जोरों से शुरु हो जाती है। जन्माष्टमी पर यदि कहीं घूमने का प्लान बना रहे हैं और पर्व की असल रौनक देखना चाहते हैं तो आप इस प्रमुख मंदिरों के दर्शन कर सकते हैँ। आइए आपको देशभर के कुछ ऐसे प्रसिद्ध मंदिरों के बारे में बताते हैं जहां जन्माष्टमी पर्व बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है….
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1. उडुपी कृष्ण मंदिर (मैसूर)
उडुपी में कृष्ण मंदिर दक्षिण भारत में प्रसिद्ध तीर्थस्थलों में से एक है। हजारों श्रद्धालु भगवान कृष्ण की एक झलक पाने के लिए मंदिर की यात्रा करते हैं। इस मंदिर की विशेषता यह है कि, भगवान कृष्ण की मूर्ति एक खिड़की में नौ छेदों से दिखाई देती है। माना जाता है कि, नौ छेद से प्रभु को देखना समृद्धि लाता है। भगवान कृष्ण की मूर्ति पर सजावट अति सुंदर है। कभी कभी यह सुनहरे जवाहरातों के साथ और अगले दिन हीरे के कवच के साथ सजाया जाता है। मंदिर का इतिहास 1500 से अधिक वर्षों का है, जो इसे भारत के इस हिस्से में प्राचीन मंदिरों में से एक भी बनाता है। वैभव के साथ इस मंदिर में कृष्ण जन्माष्टमी का त्यौहार बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है। इस पर्व पर मंदिर की सुंदरता देखने लायक होती है।
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2. द्वारकाधीश मंदिर (गुजरात)
यह है गुजरात स्‍थ‌ित द्वारिकाधीश मंद‌िर। मथुरा छोड़कर श्री कृष्‍ण ने यहां अपनी नगरी बसाई थी। सागर तट पर बना यह मंद‌िर द्वारिकाधीश श्रीकृष्‍ण का राजमहल माना जाता है। आज यह स्‍थान व‌िष्‍णु भक्तों के ल‌िए मोक्ष का द्वार माना जाता है। आसमान को छूता मंद‌िर का ध्वज श्री कृष्‍ण की व‌िशालता को दर्शाता है। द्वारकाधीश मंदिर आम जनता के लिए सुबह 7 बजे से रात 9:30 बजे तक खुला रहता है। यह दोपहर 12:30 से शाम 5 बजे तक बंद रहता है। वहीं जन्माष्टमी के दिन भगवान के दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ती है। यहां जन्माष्टमी पर श्री कृष्ण का श्रृंगार और मंदिर की सजावट काफी अद्भुत व सुंदर होती है।
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  3. राधा रमण मंदिर (मथुरा)
जन्माष्टमी के मौके पर अगर आप मथुरा जा रहे हैं तो राधा रमण मंदिर के दर्शन करने जरूर जाएं। भव्य और प्राचीन इस मंदिर की सुंदरता देखते ही बनती है। इस मंदिर का निर्माण 1542 में किया गया था। इस मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण और राधारानी शालिग्रान के रूप में स्थापित हैं। इस मंदिर में जन्माष्टमी के दिन काफी भीड़ होती है। आरती से लेकर जन्मोत्सव तक सारे कार्यक्रम यहां बहुत भव्य तरीके से किए जाते हैं।
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4. श्री कृष्णजन्म भूमि मंदिर (मथुरा)
श्रीकृष्ण का जन्म कारागार में हुआ था। मथुरा में इसी जगह पर भगवान कृष्ण के सबसे प्राचीन मंदिर का निर्माण करवाया गया है जिसे श्रीकृष्णजन्मभूमि मंदिर के नाम से जाना जाता है। यह मंदिर मथुरा के बिल्कुल बीचोबीच स्थित है। बताया जाता है कि यहां पहला मंदिर 80-57 ईसा पूर्व बनाया गया था। इस विषय पर महाक्षत्रप सौदास के समय में मिले एक शिलालेख से ज्ञात होता है कि किसी वसु नामक व्यक्ति ने यह मंदिर बनाया था। जबकि दूसरा मंदिर सन् 800 में विक्रमादित्य के काल में बनाया गया था। वर्तमान समय में महामना पंडित मदनमोहन मालवीय की प्रेरणा से यह एक भव्य और आकर्षण मन्दिर के रूप में स्थापित है। इस मंदिर का असल रंग जन्माष्टमि पर देखने को मिलता है। जगह-जगह भोग, प्रसाद और सांस्कृतिक कार्यक्रम आपका मन मोह लेंगे।
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  5. बांके बिहारी मंदिर (वृंदावन)
वृंदावन में एक मंदिर और है जो भगवान के सुन्दर रूप को दर्शाने के साथ देश-विदेश सभी जगह बेहद फेमस है। कहा जाता है की इस मंदिर के बिना वृंदावन की यात्रा अधूरी रह जाती है। जब भी आप वृंदावन जाएं तो बांके बिहारी मंदिर के दर्शन जरुर कर लें। यहां होने वाले अलग-अलग तरह के श्रृंगार की वजह देश-विदेश से कई भक्त दर्शन करने आते हैं। जन्माष्टमी के एक सप्ताह पहले से ही मंदिर में तैयारियां जोर-शोर से शुरू हो जाती है।
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source http://hindi-news.krantibhaskar.com/latest-news/hindi-news/15585/
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