#पेरिस में वित्तीय कार्रवाई कार्य बल की बैठक
Explore tagged Tumblr posts
Link
पृष्ठभूमि
संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना एक अंतरराष्ट्रीय संगठन के रूप में वर्ष 1945 में की गई थी। इसके 6 प्रमुख अंग हैं, जिनमें से एक संयुक्त राष्ट्र महासभा है। महासभा, संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रमुख अंगों में सर्वाधिक वृहत एवं महत्वपूर्ण अंग है। इसीलिए इसे विश्व की ‘लघु संसद’ भी कहा जाता है।
यह संयुक्त राष्ट्र का एकमात्र ऐसा अंग है, जिसमें सभी सदस्य राष्ट्रों को समान प्रतिनिधित्व हासिल है और प्रत्येक राष्ट्र को एक मत देने का अधिकार प्राप्त है।
प्रत्येक वर्ष सितंबर माह में न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा के वार्षिक अधिवेशन का आयोजन किया जाता है, जिसमें सभी सदस्य देश भाग लेते हैं।
वर्तमान में महासभा के सदस्य देशों की संख्या 193 है।
महासभा के प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं – संयुक्त राष्ट्र संघ का बजट पास करना, सुरक्षा परिषद तथा अन्य संस्थाओं व संगठनों की रिपोर्ट पर विचार करना, न्यास परिषद पर निरीक्षण रखना, अंतरराष्ट्रीय सहयोग के उद्देश्य से आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक शिक्षा तथा स्वास्थ्य के विषय में अध्ययन एवं जांच-पड़ताल करवाना वद`िविषयक सिफारिशें करना, प्रत्येक व्यक्ति को बिना जाति, लिंग, भाषा व धर्म के मानव अधिकार तथा मौलिक स्वतंत्रता का उपयोग करने में सहायता करना इत्यादि।
महासभा अपना कार्य संचालन 6 प्रमुख समितियों के माध्यम से करती है, जो इस प्रकार से हैं – राजनीतिक एवं सुरक्षा समिति, आर्थिक और वित्त समिति, सामाजिक मानवीय एवं सांस्कृतिक समिति, न्यास समिति, प्रशासनिक एवं बजट समिति, कानूनी समिति।
सितंबर, 2018 में महासभा के 73वें अधिवेशन में भारत का प्रतिनिधित्व तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने किया था।
वर्तमान परिप्रेक्ष्य
17-30 सितंबर, 2019 के मध्य संयुक्त राष्ट्र महासभा का 74वां अधिवेशन संयुक्त राज्य अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में संपन्न हुआ।
74वें अधिवेशन की अध्यक्षता अफ्रीकी देश नाइजीरिया के राजनयिक और अकादमिक से संबंधित तिज्जानी मुहम्मद-बंदे (Tijjane Muhammad Bande) ने की।
इससे पूर्व उन्होंने वर्ष 2016 में संयुक्त राष्ट्र महासभा के 71वें अधिवेशन में उपाध्यक्ष का पद संभाला था।
उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा की अध्यक्षता का पद महासभा के 73वें अधिवेशन की अध्यक्षा मारिया फर्नांडा एस्पिनोसा से ग्रहण किया।
27 सितंबर, 2019 को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महासभा के 74वें अधिवेशन को संबोधित किया। इससे पहले उन्होंने 23 सितंबर, 2019 को जलवायु कार्रवाई शिखर वार्ता को संबोधित किया था।
जनरल डिबेट
24-30 सितंबर, 2019 के मध्य प्रतिवर्ष आयोजित होने वाली महासभा का उच्चस्तरीय खंड, जिसे ‘जनरल डिबेट’ (General Debate) के नाम से जाना जाता है, आयोजित हुआ।
महासभा के 74वें अधिवेशन का विषय-‘गरीबी उन्मूलन, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, जलवायु कार्रवाई और समावेशन के लिए बहुपक्षीय प्रयासों को बढ़ावा देना’ (Galvanizing Multilateral Efforts for Poverty Eradication, Quality Eduction, Climate Action and Inclusion) था।
74वें अधिवेशन के दौरान 192 सदस्य राष्ट्रों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
अधिवेशन में 82 देशों के राष्ट्र प्रमुखों (Heads of State) तथा 43 देशों के सरकार के प्रमुखों (Heads of Government) ने भाग लिया। इसके अतिरिक्त 67 अन्य सदस्य देशों के प्रतिनिधियों ने भी भागीदारी की।
इस अधिवेशन में उज्बेकिस्तान, संयुक्त राष्ट्र संघ का एकमात्र ऐसा सदस्य था, जिसका कोई भी प्रतिनिधि भाग नहीं लिया।
कुल 192 देशों के प्रतिनिधियों में से केवल 16 महिलाएं थीं, जो भाग लेने वाले कुल प्रतिनिधियों का केवल 8.2 प्रतिशत थीं। इनमें से केवल दो महिला राष्ट्र प्रमुख तथा एक सरकार प्रमुख ने भाग लिया।
भारत की तरफ से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस अधिवेशन में भाग लिया।
74वें अधिवेशन के दौरान ‘जनरल डिबेट’ के समानांतर कई महत्वपूर्ण शिखर वार्ताएं एवं बैठकें भी हुईं, जिनसे सतत विकास लक्ष्यों को हासिल ��रने के प्रयासों और महत्वाकांक्षी जलवायु कार्रवाई को मजबूती मिली।
युवा जलवायु शिखर वार्ता
21 सितंबर, 2019 को 74वें अधिवेशन के दौरान विश्वभर से आए युवा कार्यकर्ताओं, अभिनव अन्वेषकों, उद्यमियों और परिवर्तन लाने वाले युवाओं ने न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में शिरकत की।
इस शिखर वार्ता में विश्वभर के 1,000 से अधिक युवाओं ने स्वयं इस सम्मेलन में भाग लिया। इसके अतिरिक्त विश्वभर में भारी संख्या में युवा ऑनलाइन के जरिए इस सम्मेलन का हिस्सा बने।
इस शिखर वार्ता का मकसद विश्व नेताओं पर जलवायु परिवर्तन की रोकथाम के लिए ठोस कार्रवाई करने के लिए दबाव बनाना था।
गौरतलब है कि पूरे विश्व में इस समय युवाओं की आबादी लगभग 1 अरब 80 करोड़ है। ये अब तक के इतिहास में युवाओं की सबसे बड़ी संख्या है।
जलवायु कार्रवाई शिखर वार्ता
23 सितंबर, 2019 को जलवायु कार्रवाई शिखर वार्ता न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में संपन्न हुई। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस (Antonio Guterres) ने इस सम्मेलन की मेजबानी की।
लुईस अल्फांसो डी अल्बा (Luis Alfanso de Alba) इस शिखर वार्ता के लिए संयुक्त राष्ट्र महासचिव के विशेष दूत थे।
इस शिखर वार्ता की थीम ‘अ रेस वी कैन विन, अ रेस वी मस्ट विन’ (A Race we can win, A Race we must win) थी।
इस शिखर वार्ता के दौरान विभिन्न देशों द्वारा किए गए वादे और घोषणाएं निम्न प्रकार से हैं –
फ्रांस ने यह घोषणा की कि वह उन देशों के साथ किसी भी तरह के व्यापार समझौते में प्रवेश नहीं करेगा, जिनकी नीतियां पेरिस समझौते के विरुद्ध हैं।
जर्मनी ने वर्ष 2050 तक कार्बन तटस्थता के लिए प्रतिबद्धता व्यक्त की।
12 देशों ने ग्रीन क्लाइमेट फंड के प्रति वित्तीय प्रतिबद्धताएं व्यक्त कीं।
यूनाइटेड किंगडम ने वर्ष 2020-25 की अवधि के लिए अंतरराष्ट्रीय जलवायु वित्तीय सहायता को पहले की अपेक्षा दोगुना बढ़ाकर 11.6 बिलियन करने की घोषणा की।
चीन ने यह घोषणा की कि वह उच्च गुणवत्ता वाले विकास तथा निम्न-कार्बन विकास के मार्ग पर आगे बढ़ेगा।
सार्वजनिक स्वास्थ्य कवरेज पर उच्चस्तरीय बैठक
23 सितंबर, 2019 को 74वें अधिवेशन के दौरान सार्वजनिक स्वास्थ्य कवरेज पर उच्चस्तरीय बैठक का आयोजन किया गया।
इस उच्चस्तरीय बैठक की थीम ‘सभी के लिए स्वास्थ्य कवरेज : एक स्वस्थ दुनिया बनाने के लिए एक साथ आगे बढ़ना’ (Universal Health Coverage : Moving Together to Build a Helthier World) थी।
महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देशों से सभी के लिए स्वास्थ्य सेवा को वर्ष 2030 तक सार्वभौमिक अधिकार बनाए जाने की अपील की।
सतत विकास लक्ष्यों पर उच्चस्तरीय राजनीतिक फोरम
24-25 सितंबर, 2019 को 74वें अधिवेशन के दौरान राष्ट्र प्रमुख और सरकार के प्रमुख वर्ष 2030 के लिए लक्ष्यित सतत विकास लक्ष्यों (Sustainable Development Goals) के कार्यान्वयन में प्रगति की समीक्षा के लिए न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में उपस्थित हुए।
सितंबर, 2015 में सतत विकास लक्ष्य-2030 एजेंडा को अपनाने के बाद एस.डी.जी. (SDG) पर संयुक्त राष्ट्र का यह पहला शिखर सम्मेलन था।
इस उच्चस्तरीय फोरम में ‘सतत विकास के लिए कार्रवाई और वितरण के एक दशक तक कमर कसना’ (Gearing up for a decade of action and delivery for sustainable Development) नामक शीर्षक से एक राजनीतिक घोषणा-पत्र को अपनाया गया।
विकास के लिए वित्तीय संसाधन जुटाने पर उच्चस्तरीय संवाद
26 सितंबर, 2019 को 74वें अधिवेशन के दौरान ‘अदिश अबाबा एक्शन एजेंडा’ (Addis Ababa Action Agenda) को अपनाने के बाद महासभा द्वारा विकास के लिए वित्तपोषण पर पहला उच्चस्तरीय संवाद (High-level Dialogue on Financing for Development) किया गया।
‘अदिस अबाबा एक्शन एजेंडा’ विकास के लिए वित्तपोषण पर एक वैश्विक फ्रेमवर्क है।
परमाणु हथियार उन्मूलन पर उच्चस्तरीय बैठक
26 सितंबर, 2019 को 74वें अधिवेशन के दौरान महासभा द्वारा परमाणु हथियारों के पूर्ण उन्मूलन के लिए अंतरराष्ट्रीय दिवस मनाने और बढ़ावा देने के लिए उच्चस्तरीय पूर्ण बैठक का आयोजन किया गया।
इस उच्चस्तरीय बैठक को महासभा के 74वें अधिवेशन के अध्यक्ष तिज्जानी मुहम्मद-बंदे और संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने संबोधित किया।
लघुद्वीपीय विकासशील देशों के लिए समर्थन जुटाने पर बैठक
27 सितंबर, 2019 को 74वें अधिवेशन के दौरान महासभा द्वारा ‘स्माल आइलैंड डेवलपिंग स्टेट्स एक्सीलरेटेड मॉडेलिटीज ऑफ एक्शन-समोआ पाथवे’ (Small Island Developing States Accelerated Modalities of Action-Samoa Pathway) की समीक्षा के लिए बैठक आयोजित की गई।
इस कार्यक्रम का आयोजन आयरलैंड की ओर से किया गया।
इस बैठक में जलवायु परिवर्तन से जूझते लघुद्वीपीय देशों को प्रभावी मदद पहुंचाने के रास्तों पर चर्चा की गई।
गौरतलब है कि सितंबर, 2014 में समोआ में संपन्न ‘लघुद्वीपीय विकासशील देशों पर तीसरे अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन’ में ‘समोआ पाथवे’ को अपनाया गया। इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में द्वीपीय देशों के विकास के लिए विशिष्ट जरूरतों और उनकी संवेदनशीलता की ओर विश्व का ध्यान आकृष्ट करने का प्रयास किया गया।
अन्य महत्वपूर्ण बैठक
सुरक्षा परिषद में सुधार पर जी-4 देशों का संयुक्त प्रेस वक्तव्य
26 सितंबर, 2019 को 74वें अधिवेशन के दौरान जी-4 देशों (ब्राजील, जर्मनी, जापान और भारत) के विदेश मंत्रियों द्वारा संयुक्त प्रेस वक्तव्य जारी किया गया।
संयुक्त प्रेस वक्तव्य ब्राजील के विदेश मंत्री एर्नेस्टो अराजो (Ernesto Araujo), जर्मनी के संघीय विदेश मंत्री हेको मास (Heiko Maas), भारत के विदेश मंत्री सुब्रह्मण्यम जयशंकर तथा जापान के विदेश मंत्री मोतेगी तोशिमित्सु (Motegi Toshimitsu) द्वारा संयुक्त रूप से जारी किया गया।
संयुक्त प्रेस वक्तव्य में जी-4 देशों के विदेश मंत्रियों ने सुरक्षा परिषद में शीघ्र और व्यापक सुधार के प्रति अपनी दृढ़ प्रतिबद्धता को दोहराया। उन्होंने इस बात पर भी बल दिया कि सुरक्षा परिषद का विस्तार इस निकाय को अधिक प्रतिनिधि, वैध और प्रभावी बनाने के लिए अपरिहार्य है।
विदेश मंत्रियों ने संयुक्त प्रेस वक्तव्य में यह भी कहा कि सुरक्षा परिषद में सुधार इस संस्था को अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के प्रश्नों पर आने वाली जटिल चुनौतियों से निपटने की इसकी क्षमता को बढ़ाने में सहायक होगा।
महासभा का 74वां अधिवेशन और भारत
74वें अधिवेशन के दौरान 23 सितंबर, 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जलवायु कार्रवाई शिखर वार्ता (Climate action Summit), 2019 को संबोधित किया।
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में निम्नलिखित बिंदुओं की चर्चा की
भारत वर्ष 2022 तक अपनी अक्षय ऊर्जा क्षमता को 175 गीगावॉट तक बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है। वर्ष 2022 के बाद इसे बढ़ाकर 450 गीगावॉट तक ले जाने की योजना है।
भारत ने जल संरक्षण, रेन वाटर हार्वेस्टिंग और जल संसाधन विकास के लिए ‘मिशन जल जीवन’ को प्रारंभ किया है, जिस पर अगले कुछ वर्षों में लगभग 50 बिलियन डॉलर खर्च करने की योजना है।
भारत के नेतृत्व वाले अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (International Solar Alliance) में लगभग 80 देश शामिल हो चुके हैं।
भारत और स्वीडन ने अन्य देशों के साथ मिलकर ‘उद्योग के संक्रमण के लिए नए नेतृत्व समूह’ (Leadership Group for Industry Transition) की घोषणा की। इस समूह का उद्देश्य विश्व के सबसे अधिक ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन करने वाले उद्योगों को कम कार्बन वाली अर्थव्यवस्था की ओर ले जाना है।
भारत ने ‘आपदा प्रतिरोधी संरचना के लिए गठबंधन’ (Coalition for Disaster Resilient Infrastructure-CDRI) की शुरुआत करने की घोषणा की। यह गठबंधन अंतरराष्ट्रीय अनुभवों एवं संसाधनों का उपयोग करके बुनियादी ढांचे को इस तरह से निर्माण करने को प्रोत्साहित करेगा, जिससे वैश्विक स्तर पर प्राकृतिक आपदाओं को रोका जा सके।
23 सितंबर, 2019 क�� प्रधानमंत्री ने ‘सभी के लिए स्वास्थ्य कवरेज पर उच्चस्तरीय बैठक’ को संबोधित किया।
उन्होंने इस दिशा में भारत द्वारा उठाए गए कदमों को रेखांकित करते हुए कहा कि भारत ने इस विषय पर एक समग्र दृष्टिकोण अपनाया है और भारत सरकार स्वास्थ्य देखभाल के चार प्रमुख आयामों पर कार्य कर रही है –
रोग-निरोधी स्वास्थ्य देखभाल (Preventive Health Care)
किफायती स्वास्थ्य सुविधा (Affordable Health Care)
आपूर्ति को बेहतर बनाना (Supply Side Intervention)
मिशन मोड में कार्यान्वयन (Mission Mode Intervention)
भारत वर्ष 2025 तक तपेदिक (T.B.) को समाप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है। गौरतलब है कि भारत ने वैश्विक लक्ष्य 2030 से 5 वर्ष पहले ही इसे प्राप्त करने का लक्ष्य रखा है।
भारत अन्य देशों को टेलीमेडिसिन के माध्यम से किफायती स्वास्थ्य देखभाल सुविधा प्रदान कर रहा है।
भारत ‘आयुष्मान भारत’ के जरि�� देश के 5 करोड़ गरीब परिवारों को प्रतिवर्ष 5 लाख रुपये तक की निःशुल्क चिकित्सा सुविधा प्रदान कर रहा है।
निष्कर्ष
अगले वर्ष 24 अक्टूबर, 2020 को संयुक्त राष्ट्र संघ अपनी स्थापना की 75वीं वर्षगांठ मनाएगा। अपनी स्थापना के बाद से संयुक्त राष्ट्र संघ ने शीत युद्ध के दौरान एवं शीतयुद्धोतर वैश्विक व्यवस्था में वैश्विक शांति बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। शीत युद्ध के दौरान इसने वर्ष 1962 में क्यूबा मिसाइल संकट को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, वहीं शीतयुद्धोतर एकल-ध्रुवीय वैश्विक व्यवस्था में कुछ अपवादों को छोड़कर विभिन्न राष्ट्रों के स्वतंत्र संप्रभु अस्तित्व को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अपनी इन महत्वपूर्ण भूमिकाओं के बावजूद संयुक्त राष्ट्र आज तक सुरक्षा परिषद में जी-4 देशों को यथोचित प्रतिनिधित्व देने में विफल रहने के कारण अपनी प्रासंगिकता को धीरे-धीरे खोने लगा है। आज विश्व के समक्ष वैश्विक आतंकवाद परमाणु हमले का खतरा, जातीय, धार्मिक व क्षेत्रीय संघर्ष, गरीबी जैसी चुनौतियां मुंह खोलकर खड़ी हैं, अगर इन चुनौतियों का सही मायने में समाधान करना है, तो संयुक्त राष्ट्र की कार्यपालिका कही जाने वाली सुरक्षा परिषद को विस्तार देकर अधिक समावेशी बनाना होगा, तभी संयुक्त राष्ट्र वर्तमान चुनौतियों के संदर्भ में अपनी प्रासंगिकता को सही मायने में सिद्ध कर पाएगा।
0 notes