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लखनऊ, 24.10.2024 l माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की मुहिम आत्मनिर्भर भारत को साकार करने तथा महिला सशक्तिकरण हेतु गो कैंपेन (अमेरिकन संस्था) के सहयोग से हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा रेड ब्रिगेड ट्रस्ट के संयुक्त तत्वावधान में डॉ आशा स्मृति महाविद्यालय, देवा रोड, लखनऊ में आत्मरक्षा कार्यशाला आयोजित की गई जिसमें 44 छात्राओं ने मेरी सुरक्षा, मेरी जिम्मेदारी मंत्र को अपनाते हुए आत्मरक्षा के गुर सीखे तथा वर्तमान परिवेश में आत्मरक्षा प्रशिक्षण के महत्व को जाना l
कार्यशाला का शुभारंभ राष्ट्रगान से हुआ तथा डॉ आशा स्मृति महाविद्यालय के निदेशक डॉ एस. एन. अवस्थी, मैनेजर डॉ पुनीत अवस्थी, प्राचार्य डॉ पुनीत श्रीवास्तव तथा रेड ब्रिगेड से तंजीम अख्तर, यास्मीन बानो ने दीप प्रज्वलित किया |
डॉ आशा स्मृति महाविद्यालय के निदेशक डॉ एस. एन. अवस्थी ने हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट का धन्यवाद देते हुए कहा कि, "आत्मरक्षा प्रशिक्षण क���सी हमले से खुद को बचाने के लिए सीखे जाने वाले कौशल का एक तरीका है | आत्मरक्षा प्रशिक्षण से लड़कियां और महिलाएं शारीरिक और मानसिक रूप से मज़बूत बनती हैं और खतरों से खुद को बचाने में सक्षम होती हैं | आज समाज में बढ़ते हुए अपराधों के कारण यह हर लड़की और महिला के लिए आवश्यक हो गया है कि वह आत्मरक्षा की तकनीक सीखे और जरूरत पड़ने पर इसका उपयोग करें, जिससे समाज में अपराध की घटनाओं में कमी आए |"
कार्यशाला में रेड ब्रिगेड ट्रस्ट के प्रमुख श्री अजय पटेल ने बालिकाओं को आत्मरक्षा प्रशिक्षण के महत्व को बताते हुए कहा कि, "किसी पर भी अन्याय तथा अत्याचार किसी सभ्य समाज की निशानी नहीं हो सकती हैं, फिर समाज के एक बहुत बड़े भाग यानि स्त्रियों के साथ ऐसा करना प्रकृति के विरुद्ध हैं l महिलाओं एवं बालिकाओं के खिलाफ देश में हो रहे अत्याचारों को रोकने के लिए भारत सरकार द्वारा अनेक कदम उठाए गए हैं तथा सरकार निरंतर महिलाओं को आत्मनिर्भर एवं सशक्त बनाने के लिए कई योजनाएं चला रही है लेकिन यह अत्यंत दुख की बात है कि हमारा समाज 21वीं सदी में जी रहा है लेकिन कन्या भ्रूण हत्या व लैंगिक भेदभाव के कुचक्र से छूट नहीं पाया है l आज भी देश के तमाम हिस्सों में बेटी के पैदा होते ही उसे मार दिया जाता है या बेटी और बेटे में भेदभाव किया जाता है l महिलाओं के साथ घरेलू हिंसा होती है तथा उनको एक स्त्री होने की बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है l आत्मरक्षा प्रशिक्षण समय की जरूरत बन चुका है क्योंकि यदि महिला अपनी रक्षा खुद करना नहीं सीखेगी तो वह अपनी बेटी को भी अपने आत्म सम्मान के लिए लड़ना नहीं सिखा पाएगी l आज किसी भी क्षेत्र में नजर उठाकर देखियें, नारियां पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर प्रगति में समान की भागीदार हैं l फिर उन्हें कमतर क्यों समझा जाता है यह विचारणीय हैं l हमें उनका आत्मविश्वास बढाकर, उनका सहयोग करके समाज की उन्नति के लिए उन्हें साहस और हुनर का सही दिशा में उपयोग करना सिखाना चाहिए तभी हमारा समाज प्रगति कर पाएगा l आत्मरक्षा प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित करने का हमारा यही मकसद है कि हम ज्यादा से ज्यादा बालिकाओं और महिलाओं को आत्मरक्षा के गुर सिखा सके तथा समाज में उन्हें आत्म सम्मान के ��ाथ जीना सिखा सके l"
आत्मरक्षा प्रशिक्षण की प्रशिक्षिका तंजीम अख्तर एवं यास्मीन बानो ने लड़कियों को आत्मरक्षा के गुर सिखाते हुए लड़कों की मानसिकता के बारे में अवगत कराया तथा उन्हें हाथ छुड़ाने, बाल पकड़ने, दुपट्टा खींचने से लेकर यौन हिंसा एवं बलात्कार से किस तरह बचा जा सकता है यह अभ्यास के माध्यम से बताया l
कार्यशाला में डॉ आशा स्मृति महाविद्यालय के निदेशक डॉ एस. एन. अवस्थी, मैनेजर डॉ पुनीत अवस्थी, प्राचार्य डॉ पुनीत श्रीवास्तव, शिक्षिकाओं श्रीमती कल्पना रावत, श्रीमती रमा वर्मा, श्रीमती नीतू सिंह, श्रीमती शिल्पी सिंह, श्रीमती ममता तिवारी, श्रीमती सोनिका वर्मा, राबिया बानो जी, श्रीमती लता नेनवानी, श्रीमती श्वेता अवस्थी, श्रीमती अस्मिता सिंह, छात्राओं, रेड ब्रिगेड ट्रस्ट से श्री अजय पटेल, तंजीम अख्तर, यास्मीन बानो तथा हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के स्वयंसेवकों की गरिमामयी उपस्थिति रही l
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"जन्में जहाँ थे रघुपति, जन्मी जहाँ थीं सीता,
श्रीकृष्ण ने सुनाई, वंशी पुनीत गीता,
गौतम ने जन्म लेकर, जिसका सुयश बढ़ाया।
जग को दया दिखाई, जग को दिया दिखाया।
वह युद्धभूमि मेरी, वह बुद्धभूमि मेरी,
वह जन्मभूमि मेरी, वह मातृभूमि मेरी!"
अपनी कालजयी कविताओं के माध्यम से युवाओं में राष्ट्रीय चेतना जागृत करके उनमें देश-भक्ति की भावना भरने वाले महान कवि तथा राष्ट्रकवि की उपाधि सहित पद्मश्री से अलंकृत सोहनलाल द्विवेदी जी की पुण्यतिथि पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि ।
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"जन्में जहाँ थे रघुपति, जन्मी जहाँ थीं सीता,
श्रीकृष्ण ने सुनाई, वंशी पुनीत गीता,
गौतम ने जन्म लेकर, जिसका सुयश बढ़ाया।
जग को दया दिखाई, जग को दिया दिखाया।
वह युद्धभूमि मेरी, वह बुद्धभूमि मेरी,
वह जन्मभूमि मेरी, वह मातृभूमि मेरी!"
अपनी कालजयी कविताओं के माध्यम से युवाओं में राष्ट्रीय चेतना जागृत करके उनमें देश-भक्ति की भावना भरने वाले महान कवि तथा राष्ट्रकवि की उपाधि सहित पद्मश्री से अलंकृत सोहनलाल द्विवेदी जी की पुण्यतिथि पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि ।
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"जन्में जहाँ थे रघुपति, जन्मी जहाँ थीं सीता,
श्रीकृष्ण ने सुनाई, वंशी पुनीत गीता,
गौतम ने जन्म लेकर, जिसका सुयश बढ़ाया।
जग को दया दिखाई, जग को दिया दिखाया।
वह युद्धभूमि मेरी, वह बुद्धभूमि मेरी,
वह जन्मभूमि मेरी, वह मातृभूमि मेरी!"
अपनी कालजयी कविताओं के माध्यम से युवाओं में राष्ट्रीय चेतना जागृत करके उनमें देश-भक्ति की भावना भरने वाले महान कवि तथा राष्ट्रकवि की उपाधि सहित पद्मश्री से अलंकृत सोहनलाल द्विवेदी जी की पुण्यतिथि पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि ।
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"जन्में जहाँ थे रघुपति, जन्मी जहाँ थीं सीता,
श्रीकृष्ण ने सुनाई, वंशी पुनीत गीता,
गौतम ने जन्म लेकर, जिसका सुयश बढ़ाया।
जग को दया दिखाई, जग को दिया दिखाया।
वह युद्धभूमि मेरी, वह बुद्धभूमि मेरी,
वह जन्मभूमि मेरी, वह मातृभूमि मेरी!"
अपनी कालजयी कविताओं के माध्यम से युवाओं में राष्ट्रीय चेतना जागृत करके उनमें देश-भक्ति की भावना भरने वाले महान कवि तथा राष्ट्रकवि की उपाधि सहित पद्मश्री से अलंकृत सोहनलाल द्विवेदी जी की पुण्यतिथि पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि ।
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एक अनीह अरूप अनामा अज सच्चिदानंद पर धामा
ब्यापक बिस्वरूप भगवाना तेहिं धरि देह चरित कृत नाना
जो परमेश्वर एक है जिनके कोई इच्छा नहीं है जिनका कोई रूप और नाम नहीं है जो अजन्मा सच्चिदानन्द और परमधाम है और जो सबमें व्यापक एवं विश्व रूप हैं उन्हीं भगवान ने दिव्य शरीर धारण करके नाना प्रकार की लीला की है
सो केवल भगतन हित लागी परम कृपाल प्रनत अनुरागी
जेहि जन पर ममता अति छोहू जेहिं करुना करि कीन्ह न कोहू
वह लीला केवल भक्तों के हित के लिए ही है क्योंकि भगवान परम कृपालु हैं और शरणागत के बड़े प्रेमी हैं जिनकी भक्तों पर बड़ी ममता और कृपा है जिन्होंने एक बार जिस पर कृपा कर दी उस पर फिर कभी क्रोध नहीं किया
गई बहोर ग़रीब नेवाजू सरल सबल साहिब रघुराजू
बुध बरनहिं हरि जस अस जानी करहिं पुनीत सुफल निज बानी
वे प्रभु श्री रघुनाथजी गई हुई वस्तु को फिर प्राप्त कराने वाले ग़रीब नवाज (दीनबन्धु) सरल स्वभाव सर्वशक्तिमान और सबके स्वामी हैं यही समझकर बुद्धिमान लोग उन श्री हरि का यश वर्णन करके अपनी वाणी को पवित्र और उत्तम फल (मोक्ष और दुर्लभ भगवत्प्रेम) देने वाली बनाते हैं
जय श्री राम🏹ᕫ🌷🙏
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Bhaktamar Stotra Hindi
श्री प. हेमराज जी
आदिपुरुष आदीश जिन, आदि सुविधि करतार। धरम-धुरंधर परमगुरु, नमों आदि अवतार॥
सुर-नत-मुकुट रतन-छवि करैं, अंतर पाप-तिमिर सब हरैं। जिनपद बंदों मन वच काय, भव-जल-पतित उधरन-सहाय॥1॥
श्रुत-पारग इंद्रादिक देव, जाकी थुति कीनी कर सेव। शब्द मनोहर अरथ विशाल, तिस प्रभु की वरनों गुन-माल॥2॥
विबुध-वंद्य-पद मैं मति-हीन, हो निलज्ज थुति-मनसा कीन�� जल-प्रतिबिंब बुद्ध को गहै, शशि-मंडल बालक ही चहै॥3॥
गुन-समुद्र तुम गुन अविकार, कहत न सुर-गुरु पावै पार। प्रलय-पवन-उद्धत जल-जन्तु, जलधि तिरै को भुज बलवन्तु॥4॥
सो मैं शक्ति-हीन थुति करूँ, भक्ति-भाव-वश कछु नहिं डरूँ। ज्यों मृगि निज-सुत पालन हेतु, मृगपति सन्मुख जाय अचेत॥5॥
मैं शठ सुधी हँसन को धाम, मुझ तव भक्ति बुलावै राम। ज्यों पिक अंब-कली परभाव, मधु-ऋतु मधुर करै आराव॥6॥
तुम जस जंपत जन छिनमाहिं, जनम-जनम के पाप नशाहिं। ज्यों रवि उगै फटै तत्काल, अलिवत नील निशा-तम-जाल॥7॥
तव प्रभावतैं कहूँ विचार, होसी यह थुति जन-मन-हार। ज्यों जल-कमल पत्रपै परै, मुक्ताफल की द्युति विस्तरै॥8॥
तुम गुन-महिमा हत-दुख-दोष, सो तो दूर रहो सुख-पोष। पाप-विनाशक है तुम नाम, कमल-विकाशी ज्यों रवि-धाम॥9॥
नहिं अचंभ जो होहिं तुरंत, तुमसे तुम गुण वरणत संत। जो अधीन को आप समान, करै न सो निंदित धनवान॥10॥
इकटक जन तुमको अविलोय, अवर-विषैं रति करै न सोय। को करि क्षीर-जलधि जल पान, क्षार नीर पीवै मतिमान॥11॥
प्रभु तुम वीतराग गुण-लीन, जिन परमाणु देह तुम कीन। हैं तितने ही ते परमाणु, यातैं तुम सम रूप न आनु॥12॥
कहँ तुम मुख अनुपम अविकार, सुर-नर-नाग-नयन-मनहार। कहाँ चंद्र-मंडल-सकलंक, दिन में ढाक-पत्र सम रंक॥13॥
पूरन चंद्र-ज्योति छबिवंत, तुम गुन तीन जगत लंघंत। एक नाथ त्रिभुवन आधार, तिन विचरत को करै निवार॥14॥
जो सुर-तिय विभ्रम आरंभ, मन न डिग्यो तुम तौ न अचंभ। अचल चलावै प्रलय समीर, मेरु-शिखर डगमगै न धीर॥15॥
धूमरहित बाती गत नेह, परकाशै त्रिभुवन-घर एह। बात-गम्य नाहीं परचण्ड, अपर दीप तुम बलो अखंड॥16॥
छिपहु न लुपहु राहु की छांहि, जग परकाशक हो छिनमांहि। घन अनवर्त दाह विनिवार, रवितैं अधिक धरो गुणसार॥17॥
सदा उदित विदलित मनमोह, ��िघटित मेघ राहु अविरोह। तुम मुख-कमल अपूरव चंद, जगत-विकाशी जोति अमंद॥18॥
निश-दिन शशि रवि को नहिं काम, तुम मुख-चंद हरै तम-धाम। जो स्वभावतैं उपजै नाज, सजल मेघ तैं कौनहु काज॥19॥
जो सुबोध सोहै तुम माहिं, हरि हर आदिक में सो नाहिं। जो द्युति महा-रतन में होय, काच-खंड पावै नहिं सोय॥20॥
(हिन्दी में) नाराच छन्द : सराग देव देख मैं भला विशेष मानिया। स्वरूप जाहि देख वीतराग तू पिछानिया॥ कछू न तोहि देखके जहाँ तुही विशेखिया। मनोग चित-चोर और भूल हू न पेखिया॥21॥
अनेक पुत्रवंतिनी नितंबिनी सपूत हैं। न तो समान पुत्र और माततैं प्रसूत हैं॥ दिशा धरंत तारिका अनेक कोटि को गिनै। दिनेश तेजवंत एक पूर्व ही दिशा जनै॥22॥
पुरान हो पुमान हो पुनीत पुण्यवान हो। कहें मुनीश अंधकार-नाश को सुभान हो॥ महंत तोहि जानके न होय वश्य कालके। न और मोहि मोखपंथ देय तोहि टालके॥23॥
अनन्त नित्य चित्त की अगम्य रम्य आदि हो। असंख्य सर्वव्यापि विष्णु ब्रह्म हो अनादि हो॥ महेश कामकेतु योग ईश योग ज्ञान हो। अनेक एक ज्ञानरूप शुद्ध संतमान हो॥24॥
तुही जिनेश बुद्ध है सुबुद्धि के प्रमानतैं। तुही जिनेश शंकरो जगत्त्रये विधानतैं॥ तुही विधात है सही सुमोखपंथ धारतैं। नरोत्तमो तुही प्रसिद्ध अर्थ के विचारतैं॥25॥
नमो करूँ जिनेश तोहि आपदा निवार हो। नमो करूँ सुभूरि-भूमि लोकके सिंगार हो॥ नमो करूँ भवाब्धि-नीर-राशि-शोष-हेतु हो। नमो करूँ महेश तोहि मोखपंथ देतु हो॥26॥
चौपाई तुम जिन पूरन गुन-गन भरे, दोष गर्वकरि तुम परिहरे। और देव-गण आश्रय पाय, स्वप्न न देखे तुम फिर आय॥27॥
तरु अशोक-तर किरन उदार, तुम तन शोभित है अविकार। मेघ निकट ज्यों तेज फुरंत, दिनकर दिपै तिमिर निहनंत॥28॥
सिंहासन मणि-किरण-विचित्र, तापर कंचन-वरन पवित्र। तुम तन शोभित किरन विथार, ज्यों उदयाचल रवि तम-हार॥29॥
कुंद-पुहुप-सित-चमर ढुरंत, कनक-वरन तुम तन शोभंत। ज्यों सुमेरु-तट निर्मल कांति, झरना झरै नीर उमगांति ॥30॥
ऊँचे रहैं सूर दुति लोप, तीन छत्र तुम दिपैं अगोप। तीन लोक क�� प्रभुता कहैं, मोती-झालरसों छवि लहैं॥31॥
दुंदुभि-शब्द गहर गंभीर, चहुँ दिशि होय तुम्हारे धीर। त्रिभुवन-जन शिव-संगम करै, मानूँ जय जय रव उच्चरै॥32॥
मंद पवन गंधोदक इष्ट, विविध कल्पतरु पुहुप-सुवृष्ट। देव करैं विकसित दल सार, मानों द्विज-पंकति अवतार॥33॥
तुम तन-भामंडल जिनचन्द, सब दुतिवंत करत है मन्द। कोटि शंख रवि तेज छिपाय, शशि निर्मल निशि करे अछाय॥34॥
स्वर्ग-मोख-मारग-संकेत, परम-धरम उपदेशन हेत। दिव्य वचन तुम खिरें अगाध, सब भाषा-गर्भित हित साध॥35॥
दोहा : विकसित-सुवरन-कमल-दुति, नख-दुति मिलि चमकाहिं। तुम पद पदवी जहं धरो, तहं सुर कमल रचाहिं॥36॥
ऐसी महिमा तुम विषै, और धरै नहिं कोय। सूरज में जो जोत है, नहिं तारा-गण होय॥37॥
(हिन्दी में) षट्पद : मद-अवलिप्त-कपोल-मूल अलि-कुल झंकारें। तिन सुन शब्द प���रचंड क्रोध उद्धत अति धारैं॥ काल-वरन विकराल, कालवत सनमुख आवै। ऐरावत सो प्रबल सकल जन भय उपजावै॥ देखि गयंद न भय करै तुम पद-महिमा लीन। विपति-रहित संपति-सहित वरतैं भक्त अदीन॥38॥
अति मद-मत्त-गयंद कुंभ-थल नखन विदारै। मोती रक्त समेत डारि भूतल सिंगारै॥ बांकी दाढ़ विशाल वदन में रसना लोलै। भीम भयानक रूप देख जन थरहर डोलै॥ ऐसे मृग-पति पग-तलैं जो नर आयो होय। शरण गये तुम चरण की बाधा करै न सोय॥39॥
प्रलय-पवनकर उठी आग जो तास पटंतर। बमैं फुलिंग शिखा उतंग परजलैं निरंतर॥ जगत समस्त निगल्ल भस्म करहैगी मानों। तडतडाट दव-अनल जोर चहुँ-दिशा उठानों॥ सो इक छिन में उपशमैं नाम-नीर तुम लेत। होय सरोवर परिन मैं विकसित कमल समेत॥40॥
कोकिल-कंठ-समान श्याम-तन क्रोध जलन्ता। रक्त-नयन फुंकार मार विष-कण उगलंता॥ फण को ऊँचा करे वेग ही सन्मुख धाया। तब जन होय निशंक देख फणपतिको आया॥ जो चांपै निज पगतलैं व्यापै विष न लगार। नाग-दमनि तुम नामकी है जिनके आधार॥41॥
जिस रन-माहिं भयानक रव कर रहे तुरंगम। घन से गज गरजाहिं मत्त मानों गिरि जंगम॥ अति कोलाहल माहिं बात जहँ नाहिं सुनीजै। राजन को परचंड, देख बल धीरज छीजै॥ नाथ तिहारे नामतैं सो छिनमांहि पलाय। ज्यों दिनकर परकाशतैं अन्धकार विनशाय॥42॥
मारै जहाँ गयंद कुंभ हथियार विदारै। उमगै रुधिर प्रवाह वेग जलसम विस्तारै॥ होयतिरन असमर्थ महाजोधा बलपूरे। तिस रनमें जिन तोर भक्त जे हैं नर सूरे॥ दुर्जय अरिकुल जीतके जय पावैं निकलंक। तुम पद पंकज मन बसैं ते नर सदा निशंक॥43॥
नक्र चक्र मगरादि मच्छकरि भय उपजावै। जामैं बड़वा अग्नि दाहतैं नीर जलावै॥ पार न पावैं जास थाह नहिं लहिये जाकी। गरजै अतिगंभीर, लहर की गिनति न ताकी॥ सुखसों तिरैं समुद्र को, जे तुम गुन सुमराहिं। लोल कलोलन के शिखर, पार यान ले जाहिं॥44॥
महा जलोदर रोग, भार पीड़ित नर जे हैं। वात पित्त कफ कुष्ट, आदि जो रोग गहै हैं॥ सोचत रहें उदास, नाहिं जीवन की आशा। अति घिनावनी देह, धरैं दुर्गंध निवासा॥ तुम पद-पंकज-धूल को, जो लावैं निज अंग। ते नीरोग शरीर लहि, छिनमें होय अनंग॥45॥
पांव कंठतें जकर बांध, सांकल अति भारी। गाढी बेडी पैर मांहि, जिन जांघ बिदारी॥ भूख प्यास चिंता शरीर दुख जे विललाने। सरन नाहिं जिन कोय भूपके बंदीखाने॥ तुम सुमरत स्वयमेव ही बंधन सब खुल जाहिं। छिनमें ते संपति लहैं, चिंता भय विनसाहिं॥46॥
महामत गजराज और मृगराज दवानल। फणपति रण परचंड नीरनिधि रोग महाबल॥ बंधन ये भय आठ डरपकर मानों नाशै। तुम सुमरत छिनमाहिं अभय थानक परकाशै॥ इस अपार संसार में शरन नाहिं प्रभु कोय। यातैं तुम पदभक्त को भक्ति सहाई होय॥47॥
यह गुनमाल विशाल नाथ तुम गुनन सँवारी। विविधवर्णमय पुहुपगूंथ मैं भक्ति विथारी॥ जे नर पहिरें कंठ भावना मन में भावैं। मानतुंग ते निजाधीन शिवलक्ष्मी पावैं॥ भाषा भक्तामर कियो, हेमराज हित हेत। जे नर पढ़ैं, सुभावसों, ते पावैं शिवखेत॥48॥
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यह महासमागम आत्मिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति के लिए एक अनमोल अवसर है! संत रामपाल जी महाराज जी के सान्निध्य में इस भव्य आयोजन में सम्मिलित होकर परमेश्वर कबीर साहेब जी की कृपा प्राप्त करें।
🔹 दिनांक: 6-8 फरवरी 2025
🔹 स्थान: 11 सतलोक आश्रम
🔹 विशेष आयोजन:
✅ अमर ग्रंथ साहेब का अखंड पाठ
✅ मोहन भंडारा (शुद्ध देशी घी से)
✅ रक्तदान शिविर – जीवन बचाने का पुनीत कार्य
✅ दहेजमुक्त विवाह (रमैनी विवाह)
आइए और इस दिव्य महासमागम का हिस्सा बनकर परमात्मा की कृपा प्राप्त करें!
#निमंत्रण_संसारको_सम्मानकेसाथ
4Days Left For Nirvan Diwas
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मातृ उद्बोधन आध्यात्मिक केन्द्र द्वारा किया गया कंबल वितरण
जितेन्द्र कुमार सिन्हा, पटना , 24 जनवरी ::”मनुष्य के प्रति दयालु होना ही ईश्वर के प्रति दयालु होना होता है, क्योंकि ईश्वर प्रत्येक व्यक्ति में निवास करते हैं। इसीलिए कहा भी जाता है कि जीव सेवा से बेहतर कोई सेवा नहीं है। असहाय एवं लाचार लोगों की मदद करने से बढ़कर कोई दूसरा पुनीत कार्य नहीं हो सकता।” उक्त उद्गार मातृ उद्बोधन आध्यात्मिक केन्द्र, पटना के संस्थापक ठाकुर अरुण कुमार सिंह ने बाढ़ अनुमंडल…
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ग़रीब के चेहरे पर मुस्कान लाने का प्रयास सराहनीय
जमानियां। स्थानीय हिंदू स्नातकोत्तर महाविद्यालय में ग्राम सभा बरूईन निवासी एवं श्री आदित्य इंटर कॉलेज, दाउदपुर के शिक्षक किशलय कांत सिंह ने अपने पिता कैलाश सिंह की पुण्यतिथि पर एक वृहद कंबल वितरण कार्यक्रम का आयोजन किया। इस अवसर पर महाविद्यालय परिसर में लगभग 250 कंबल वितरित किए गए। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि महाविद्यालय के पूर्व छात्र मन्नू सिंह ने अपने संबोधन में किशलय कांत सिंह के इस पुनीत कार्य…
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"जन्में जहाँ थे रघुपति, जन्मी जहाँ थीं सीता,
श्रीकृष्ण ने सुनाई, वंशी पुनीत गीता,
गौतम ने जन्म लेकर, जिसका सुयश बढ़ाया।
जग को दया दिखाई, जग को दिया दिखाया।
वह युद्धभूमि मेरी, वह बुद्धभूमि मेरी,
वह जन्मभूमि मेरी, वह मातृभूमि मेरी!"
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पुनीत सुपरस्टार ने सैफ अली खान को किया एक्पोज, कहा, मेड के साथ चल रहा था अफेयर, बॉयफ्रेंड ने किया हमला
Puneet Superstar On Saif Ali Khan: बॉलीवुड अभिनेता सैफ अली खान का मुंबई के लीलावती अस्पताल में इलाज चल रहा है। अभिनेता के घर में घुसकर उनपर हमला हुआ है। हाई सिक्योरिटी के बीच हुए इस हादसे से हर कोई हैरान तो इसी बीच सोशल मीडिया पर कई थ्योरी वायरल हो रही हैं। तमाम थ्योरी के बीच अपने बेबाक अंदाज को लेकर मशहूर पुनीत सुपरस्टार ने अपने ही अंदाज में सैफ अली खान को एक्सपोज किया है। पुनीत सुपरस्टार का…
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*महिला बंदियों के लिए आयोजित किया मेडिकल कैंप मीरा शाखा का सराहनीय कैंप*
भारत विकास परिषद मीरा शाखा की अध्यक्ष ऋतु मित्तल ने बताया कि रीजनल सचिव शशी चुग महिला एवं बाल विकास एवं भारत विकास परिषद मीरा शाखा की डॉ. दीप्ति वाहल के नेतृत्व में , पार्षद पुनीत शर्मा के सहयोग से बीछवाल महिला जेल में महिला बंदियों के लिए एक विशेष मेडिकल कैंप का आयोजन किया गया। इस कैंप का उद्देश्य महिला कैदियों के स्वास्थ्य की देखभाल करना और उनकी चिकित्सा जरूरतों को पूरा करना था। डॉ. दीप्ति वाहल…
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jamshedpur kambal seva : कंबल सेवा के जरिये ठंड से राहत पहुंचा रही सामाजिक संस्था लोक समर्पण, बिरसानगर क्षेत्र के आदिवासी डुमरी टोला में सैकड़ों जरूरतमंदों के बीच किया कंबल वितरण
जमशेदपुर : लौहनगरी जमशेदपुर में ठंड के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए सामाजिक संस्था लोक समर्पण की ओर से जरूरतमंदों के बीच कंबल वितरण का पुनीत कार्य किया गया. संस्था के अध्यक्ष एवं युवा समाजसेवी ललित दास के नेतृत्व में बिरसानगर के जोन नंबर 2 स्थित आदिवासी डुम���ी टोला में सैकड़ों जरूरतमंद लोगों के बीच कंबल वितरित किए गए. इस सेवा क���र्य के दौरान 500 से अधिक लोगों को कंबल प्रदान कर उन्हें ठंड से राहत…
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"जन्में जहाँ थे रघुपति, जन्मी जहाँ थीं सीता,
श्रीकृष्ण ने सुनाई, वंशी पुनीत गीता,
गौतम ने जन्म लेकर, जिसका सुयश बढ़ाया।
जग को दया दिखाई, जग को दिया दिखाया।
वह युद्धभूमि मेरी, वह बुद्धभूमि मेरी,
वह जन्मभूमि मेरी, वह मातृभूमि मेरी!"
अपनी कालजयी कविताओं के माध्यम से युवाओं में राष्ट्रीय चेतना जागृत करके उनमें देश-भक्ति की भावना भरने वाले महान कवि तथा राष्ट्रकवि की उपाधि सहित पद्मश्री से अलंकृत सोहनलाल द्विवेदी जी की पुण्यतिथि पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि ।
#SohanLal_Dwivedi
#राष्ट्रकवि
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www.helputrust.org
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'3 दिनों में कोई एफआईआर नहीं': दिल्ली के कारोबारी के रिश्तेदार ने आत्महत्या मामले की जांच में पुलिस पर ढिलाई का आरोप लगाया |
आत्महत्या से मरने वाले पुनीत खुराना के परिवार के एक सदस्य ने पुलिस पर जांच में ढिलाई बरतने का आरोप लगाया है। पुनीत के रिश्तेदार उसकी पत्नी और ससुराल वालों द्वारा उत्पीड़न का दावा करते हैं, जिसका समर्थन उसकी मृत्यु से पहले बनाए गए एक वीडियो से होता है। नई दिल्ली: उत्तर-पश्चिम दिल्ली के मॉडल टाउन में अपने आवास पर आत्महत्या करने वाले व्यवसायी पुनीत खुराना के परिवार के एक सदस्य ने पुलिस जांच में…
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