#पहला परीक्षण
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trendingwatch · 2 years ago
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ऑस्ट्रेलिया ने पहले टेस्ट में दक्षिण अफ्रीका को 2 दिनों के अंदर रौंद दिया
ऑस्ट्रेलिया ने पहले टेस्ट में दक्षिण अफ्रीका को 2 दिनों के अंदर रौंद दिया
ऑस्ट्रेलिया के गेंदबाजों ने लगातार दूसरे दिन दक्षिण अफ्रीका की भंगुर बल्लेबाजी लाइनअप की धज्जियां उड़ा दीं क्योंकि मेजबान टीम ने पहले टेस्ट में छह विकेट से जीत के साथ तीन टेस्ट मैचों की श्रृंखला की शुरुआत की, जिसमें दो दिनों के भीतर 34 विकेट गिर गए। गेंदबाजों के लिए भरपूर सहायता प्रदान करने वाली हरी, घास वाली पिच पर, रविवार को गाबा में फिर से विकेट गिरे क्योंकि ऑस्ट्रेलिया दूसरे दिन लंच से कुछ…
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latestnewsandjokes · 1 month ago
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उत्तर कोरिया ने परमाणु प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए आईसीबीएम परीक्षण किया, अमेरिका ने इसकी आलोचना की
उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग उन, बीच में, ह्वासोंग-17 अंतरमहाद्वीप��य बैलिस्टिक मिसाइल के पास चलते हुए (एपी फ़ाइल फोटो) उत्तर कोरिया एक नई अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल लॉन्च की (आईसीबीएम) गुरुवार को, लगभग एक वर्ष में इसका पहला परीक्षण। एक ऐसे हथियार का प्रक्षेपण जो संभावित रूप से अमेरिका की मुख्य भूमि तक पहुंच सकता है, अमेरिकी चुनाव से कुछ ही दिन पहले आता है, एक ऐसा समय जिसने वाशिंगटन और उत्तर…
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yashodaivffertilitycentre · 4 months ago
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HSG टेस्ट: जानें कैसे यह जांच बढ़ा सकती है आपकी गर्भधारण की संभावना (HSG test in hindi)
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आज हम एक महत्वपूर्ण मेडिकल परीक्षण, HSG टेस्ट के बारे में जानेंगे। HSG का पूरा नाम ह्यूस्टेरोसल्पिंगोग्राफी है। यह एक एक्स-रे परीक्षण है जो महिलाओं के गर्भाशय और फैलोपियन ट्यूब की स्थिति और स्वास्थ्य की जांच करता है। इस ब्लॉग में, हम HSG टेस्ट के बारे में विस्तार से जानेंगे, जैसे कि यह क्या होता है, कैसे होता है, और इसके लाभ और जोखिम क्या हैं।
HSG टेस्ट क्या होता है? What is HSG test?
HSG टेस्ट, यानी ह्यूस्टेरोसल्पिंगोग्राफी, एक प्रकार की एक्स-रे प्रक्रिया है जो महिलाओं के गर्भाशय और फैलोपियन ट्यूब की जांच के लिए की जाती है। इस टेस्ट की मदद से डॉक्टर यह पता लगा सकते हैं कि क्या फैलोपियन ट्यूब में कोई रुकावट है या गर्भाशय में कोई असामान्यता है, जो बांझपन का कारण बन सकती है।
HSG टेस्ट क्यों किया जाता है? Why is HSG test done?
HSG टेस्ट का मुख्य उद्देश्य बांझपन (infertility) के कारणों का पता लगाना है। यह टेस्ट डॉक्टर को यह जानने में मदद करता है कि फैलोपियन ट्यूब और गर्भाशय स्वस्थ हैं या नहीं। इसके अलावा, यह टेस्ट अन्य समस्याओं का भी पता लगा सकता है जैसे कि गर्भाशय में फाइब्रॉएड, पॉलीप्स, या आसंजन।
HSG टेस्ट कैसे होता है? How is HSG test done?
HSG टेस्ट के दौरान, डॉक्टर एक पतली कैथेटर का उपयोग करते हैं जो गर्भाशय ग्रीवा (cervix) के माध्यम से गर्भाशय में डाला जाता है। इसके बाद एक रंगीन डाई (dye) गर्भाशय और फैलोपियन ट्यूब में डाली जाती है। फिर एक्स-रे लिया जाता है जो दिखाता है कि डाई कैसे फैलोपियन ट्यूब और गर्भाशय में प्रवाहित हो रही है। अगर ट्यूब में कोई रुकावट है, तो डाई वहां नहीं पहुंचेगी और यह एक्स-रे में दिखाई देगी।
HSG टेस्ट की प्रक्रिया HSG test procedure
तैयारी: परीक्षण से पहले, डॉक्टर आपको परीक्षण की प्रक्रिया के बारे में बताएंगे और किसी भी सवाल का जवाब देंगे। आपको मासिक धर्म चक्र के 5-10 दिन के बीच परीक्षण के लिए बुलाया जाएगा।
प्रक्रिया का आरंभ: परीक्षण के दौरान, आपको एक्स-रे टेबल पर लेटाया जाएगा। डॉक्टर आपके गर्भाशय ग्रीवा में एक स्पेकुलम (speculum) डालेंगे ताकि कैथेटर को आसानी से डाला जा सके।
डाई का प्रवाह: कैथेटर के माध्यम से डॉक्टर गर्भाशय और फैलोपियन ट्यूब में डाई डालेंगे। यह डाई एक्स-रे में दिखाई देती है।
एक्स-रे: डाई के प्रवाह के बाद, एक्स-रे लिया जाएगा जो गर्भाशय और फैलोपियन ट्यूब की स्थिति को दिखाएगा।
प्रक्रिया का अंत: प्रक्रिया के बाद, स्पेकुलम और कैथेटर को हटा दिया जाएगा और आपको आराम करने के लिए कहा जाएगा।
HSG टेस्ट के दौरान दर्द Pain during HSG test
HSG टेस्ट के दौरान थोड़ा असुविधा और हल्का दर्द हो सकता है। यह दर्द मासिक धर्म के दौरान होने वाले दर्द की तरह हो सकता है। परीक्षण के बाद कुछ महिलाओं को पेट में हल्का दर्द या ऐंठन महसूस हो सकता है, लेकिन यह आमतौर पर सहनीय होता है। डॉक्टर आपकी सुविधा के लिए प्रक्रिया से पहले पेनकिलर लेने की सलाह दे सकते हैं।
HSG टेस्ट के लाभ Benefits of HSG test
HSG टेस्ट के कई लाभ हैं जो इसे बांझपन के निदान के लिए एक महत्वपूर्ण परीक्षण बनाते हैं:
फैलोपियन ट्यूब की जांच: HSG टेस्ट फैलोपियन ट्यूब में किसी भी रुकावट का पता लगाने में मदद करता है। अगर ट्यूब में कोई रुकावट है, तो डाई वहां नहीं पहुंचेगी और यह एक्स-रे में दिखाई देगी।
गर्भाशय की जांच: HSG टेस्ट गर्भाशय में किसी भी असामान्यता का पता लगाने में भी मदद करता है, जैसे कि फाइब्रॉएड, पॉलीप्स, या आसंजन।
त्वरित परिणाम: HSG टेस्ट के परिणाम जल्दी मिल जाते हैं, जिससे डॉक्टर तुरंत निदान कर सकते हैं और उचित उपचार की योजना बना सकते हैं।
नॉन-इनवेसिव: यह परीक्षण नॉन-इनवेसिव है और इसमें ज्यादा समय नहीं लगता। परीक्षण के बाद आप तुरंत घर जा सकते हैं।
बांझपन का निदान: HSG टेस्ट बांझपन के निदान के लिए पहला कदम है और यह कई महिलाओं के लिए गर्भधारण की समस्या को समझने में मदद करता है।
HSG टेस्ट के बाद क्या उम्मीद करें? What to expect after HSG test?
HSG टेस्ट के बाद कुछ दिनों तक हल्की ऐंठन या असुविधा महसूस हो सकती है। योनि से हल्का रक्तस्राव या चिपचिपा स्राव भी हो सकता है। ये लक्षण कुछ दिनों के भीतर ठीक हो जाते हैं। अगर दर्द या असुविधा बनी रहती है, तो डॉक्टर से परामर्श करें।
HSG टेस्ट के बाद की सावधानियाँ
आराम करें: परीक्षण के बाद कुछ घंटे आराम करें और भारी कामों से बचें।
दर्द निवारक: अगर दर्द हो रहा है, तो डॉक्टर द्वारा सुझाए गए दर्द निवारक दवाओं का उपयोग करें।
संक्रमण से बचाव: योनि से असामान्य स्राव, बुखार, या तेज दर्द हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
यौन संबंध: परीक्षण के बाद कुछ दिनों तक यौन संबंध बनाने से बचें ताकि संक्रमण का खतरा कम हो सके।
HSG टेस्ट के जोखिम Risks of HSG test
HSG टेस्ट आमतौर पर सुरक्षित होता है, लेकिन कुछ दुर्लभ जटिलताएं हो सकती हैं:
कंट्रास्ट डाई से एलर्जी: कुछ महिलाओं को कंट्रास्ट डाई से एलर्जी हो सकती है। अगर आपको एलर्जी है, तो डॉक्टर को पहले से सूचित करें।
संक्रमण: गर्भाशय या फैलोपियन ट्यूब में संक्रमण हो सकता है। अगर बुखार, ठंड लगना, या तेज दर्द हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
गर्भाशय का छिद्र: यह एक बहुत ही दुर्लभ जटिलता है, लेकिन कैथेटर गर्भाशय की दीवार को छिद्र कर सकता है।
असामान्य रक्तस्राव: परीक्षण के बाद हल्का रक्तस्राव सामान्य है, लेकिन अगर यह कुछ घंटों से अधिक समय तक रहता है और मासिक धर्म से अधिक भारी है, तो डॉक्टर से परामर्श लें।
HSG टेस्ट के परिणाम HSG test results
HSG टेस्ट के परिणामों की व्याख्या डॉक्टर द्वारा की जाती है। सामान्य परिणा�� बताते हैं कि फैलोपियन ट्यूब और गर्भाशय सामान्य हैं और कोई रुकावट नहीं है। अगर परिणाम असामान्य हैं, तो आगे के परीक्षणों की आवश्यकता हो सकती है।
सामान्य परिणाम
सामान्य HSG टेस्ट रिपोर्ट यह दिखाती है कि फैलोपियन ट्यूब में कोई रुकावट नहीं है और गर्भाशय में कोई असामान्यता नहीं है। डाई आसानी से फैलोपियन ट्यूब और गर्भाशय में प्रवाहित हो जाती है और एक्स-रे में यह स्पष्ट रूप से दिखाई देती है।
असामान्य परिणाम
असामान्य HSG टेस्ट रिपोर्ट यह संकेत देती है कि फैलोपियन ट्यूब में रुकावट है या गर्भाशय में कोई असामान्यता है। अगर ट्यूब में रुकावट है, तो डाई वहां नहीं पहुंचेगी और यह एक्स-रे में दिखाई देगी। गर्भाशय में असामान्यता जैसे कि फाइब्रॉएड, पॉलीप्स, या आसंजन भी एक्स-रे में दिखाई दे सकते हैं।
HSG टेस्ट से गर्भधारण की संभावना Possibility of pregnancy through HSG test
कुछ मामलों में, HSG टेस्ट अप्रत्यक्ष रूप से गर्भधारण की संभावना को बढ़ा सकता है। ऐसा माना जाता है कि प्रक्रिया के दौरान उपयोग की जाने वाली कंट्रास्ट डाई (आयोडीन) श्लेष्म या अन्य कोशिका मलबे को साफ करने में मदद कर सकती है जो फैलोपियन ट्यूब को अवरुद्ध कर सकती है और गर्भधारण को रोक सकती है। यह प्रक्रिया के बाद लगभग 3 महीने तक गर्भधारण की संभावना को बढ़ा सकती है।
HSG टेस्ट के विकल्प HSG test options
HSG टेस्ट के अलावा अन्य प्रक्रियाएं भी हैं जो गर्भाशय और फैलोपियन ट्यूब की जांच के लिए की जा सकती हैं:
लैप्रोस्कोपी (Laparoscopy): यह एक सर्जिकल प्रक्रिया है जिसमें पेट में एक छोटा सा चीरा लगाकर एक कैमरा डाला जाता है। इससे डॉक्टर सीधे फैलोपियन ट्यूब और गर्भाशय को देख सकते हैं।
हिस्टेरोस्कोपी (Hysteroscopy): इस प्रक्रिया में एक पतला कैमरा गर्भाशय ग्रीवा के माध्यम से गर्भाशय में डाला जाता है। इससे गर्भाशय की आंतरिक दीवार को देखा जा सकता है और किसी भी असामान्यता का पता लगाया जा सकता है।
निष्कर्ष
HSG टेस्ट महिलाओं के गर्भाशय और फैलोपियन ट्यूब की जांच के लिए एक महत्वपूर्ण परीक्षण है जो बांझपन के कारणों की पहचान करने में मदद करता है। यह प्रक्रिया आमतौर पर सुरक्षित और सहनीय होती है, लेकिन इसमें कुछ असुविधा और जोखिम हो सकते हैं। HSG टेस्ट के बाद, आपको कुछ दिनों तक हल्की ऐंठन या असुविधा महसूस हो सकती है, लेकिन यह सामान्य है।
हमने इस ब्लॉग में HSG टेस्ट के बारे में विस्तार से जानकारी दी है, जो आपके लिए समझने में आसान है। यदि आपके मन में कोई सवाल हो या आपको अधिक जानकारी चाहिए, तो कृपया Yashoda IVF Centre, मुंबई से संपर्क करें। यह केंद्र बांझपन के इलाज में विशेषज्ञता रखता है और आपकी स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं को समझने और सही समाधान देने में मदद कर सकता है।
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gyanlele · 4 months ago
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Bank Po कैसे बनें?
बैंक पीओ (प्रोबेशनरी ऑफिसर) का पद भारतीय बैंकों में सबसे प्रतिष्ठित और आकर्षक पदों में से एक है। यह पद स्थिरता, उच्च वेतन और सम्मान के लिए जाना जाता है। यदि आप भी बैंक पीओ बनने का सपना देख रहे हैं, तो यह लेख आपके लिए है। यहाँ हम बैंक पीओ बनने की पूरी प्रक्रिया, योग्यता, तैयारी के टिप्स और कैरियर के अवसरों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
1. योग्यता और पात्रता
शैक्षणिक योग्यता
बैंक पीओ पद के लिए उम्मीदवार के पास किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री होनी चाहिए। इसमें न्यूनतम अंकों की आवश्यकता होती है, जो बैंक और परीक्षा बोर्ड के अनुसार भिन्न हो सकती है। कुछ बैंक विशेष डिग्री धारकों को प्राथमिकता देते हैं, लेकिन सामान्यत: किसी भी विषय में स्नातक होना पर्याप्त है।
आयु सीमा
अधिकांश बैंकों में बैंक पीओ के लिए न्यूनतम आयु सीमा 20 वर्ष और अधिकतम आयु सीमा 30 वर्ष होती है। हालांकि, आरक्षित वर्ग (SC/ST/OBC) के उम्मीदवारों को आयु सीमा में छूट मिलती है। इसके अतिरिक्त, विकलांग (PWD) और पूर्व-सैनिकों के लिए भी विशेष छूट का प्रावधान होता है।
2. परीक्षा प्रक्रिया
बैंक पीओ बनने के लिए उम्मीदवारों को एक प्रतियोगी परीक्षा पास करनी होती है। यह परीक्षा तीन मुख्य चरणों में विभाजित होती है:
प्रारंभिक परीक्षा (Preliminary Exam)
यह पहला चरण है और इसमें आमतौर पर निम्नलि��ित विषय शामिल होते हैं:
अंग्रेजी भाषा: व्याकरण, शब्दावली, वाचन कौशल आदि।
संख्यात्मक अभियोग्यता (Numerical Ability): अंकगणित, डेटा इंटरप्रिटेशन, सरलीकरण आदि।
तर्कशक्ति (Reasoning): बैठने की व्यवस्था, रक्त संबंध, दिशा जाँच, कोडिंग-डिकोडिंग आदि।
मुख्य परीक्षा (Main Exam)
यह दूसरा चरण है और इसमें निम्नलिखित विषय शामिल होते हैं:
तर्कशक्ति और कंप्यूटर योग्यता (Reasoning and Computer Aptitude): तर्कशक्ति के साथ कंप्यूटर के बुनियादी ज्ञान का परीक्षण।
सामान्य/अर्थव्यवस्था/बैंकिंग जागरूकता (General/Economy/Banking Awareness): सामान्य ज्ञान, आर्थिक और बैंकिंग संबंधित प्रश्न।
अंग्रेजी भाषा (English Language): उच्च स्तर की अंग्रेजी।
डेटा विश्लेषण और व्याख्या (Data Analysis and Interpretation): आंकड़ों का विश्लेषण और व्याख्या।
साक्षात्कार (Interview)
मुख्य परीक्षा के बाद सफल उम्मीदवारों को साक्षात्कार के लिए बुलाया जाता है। यह अंतिम चरण होता है जिसमें उम्मीदवार के व्यक्तित्व, संचार कौशल और ज्ञान का मूल्यांकन किया जाता है।
3. तैयारी के टिप्स
अध्ययन सामग्री
पुस्तकें: बैंक पीओ परीक्षा की तैयारी के लिए बाजार में कई पुस्तकें उपलब्ध हैं। इनमें से कुछ प्रमुख पुस्तकें हैं:
आर.एस. अग्रवाल की "अंकगणित" (Quantitative Aptitude)
लुसेंट की "सामान्य ज्ञान" (General Knowledge)
वर्मा और शर्मा की "तर्कशक्ति" (Reasoning)
ऑनलाइन संसाधन: इंटरनेट पर कई वेबसाइटें और यूट्यूब चैनल हैं जो बैंक पीओ परीक्षा की तैयारी के लिए उत्कृष्ट सामग्री प्रदान करते हैं।
मॉक टेस्ट
नियमित मॉक टेस्ट देना बहुत महत्वपूर्ण है। इससे न केवल आपकी तैयारी का मूल्यांकन होता है बल्कि परीक्षा के समय प्रबंधन में भी मदद मिलती है। मॉक टेस्ट से आप अपने कमजोर क्षेत्रों को पहचान सकते हैं और उन पर काम कर सकते हैं।
समय प्रबंधन
प्रत्येक विषय के लिए समय निर्धारित करें और उसका पालन करें। कठिन विषयों पर अधिक समय दें लेकिन सरल विषयों को भी नजरअंदाज न करें। समय प्रबंधन में कुशलता प्राप्त करने के लिए टाइम टेबल बनाएं और उसे सख्ती से फॉलो करें।
साक्षात्कार की तैयारी
साक्षात्कार की तैयारी के लिए आत्मविश्वास बहुत जरूरी है। इसके लिए आप मॉक इंटरव्यू का सहारा ले सकते हैं और विशेषज्ञों से फीडबैक प्राप्त कर सकते हैं। अपने व्यक्तित्व को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करने की कला को सीखें और अपने संचार कौशल ��ो निखारें।
4. आवेदन प्रक्रिया
आवेदन पत्र
बैंक पीओ परीक्षा के लिए आवेदन करने के लिए उम्मीदवारों को संबंधित बैंक या परीक्षा बोर्ड की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर ऑनलाइन आवेदन करना होता है। आवेदन पत्र में सभी आवश्यक जानकारी सही-सही भरें और सभी आवश्यक दस्तावेज संलग्न करें।
परीक्षा शुल्क
आवेदन पत्र के साथ उम्मीदवारों को परीक्षा शुल्क का भुगतान भी करना होता है, जो बैंक और वर्ग के अनुसार भिन्न हो सकता है। शुल्क का भुगतान ऑनलाइन माध्यम से किया जा सकता है।
5. कॅरियर के अवसर
प्रोबेशन पीरियड
बैंक पीओ बनने के बाद उम्मीदवारों को एक निर्धारित अवधि के लिए प्रोबेशन पर रखा जाता है। इस अवधि के दौरान उनके कार्य प्रदर्शन का मूल्यांकन किया जाता है। प्रोबेशन पीरियड के दौरान उम्मीदवारों को बैंकिंग के विभिन्न पहलुओं की ट्रेनिंग दी जाती है।
प्रमोशन
प्रोबेशन पीरियड के बाद उम्मीदवार नियमित ऑफिसर बन जाते हैं और समय-समय पर प्रमोशन के लिए पात्र होते हैं। एक बैंक पीओ के पास सीनियर मैनेजर, चीफ मैनेजर, जनरल मैनेजर आदि पदों तक पहुंचने का अवसर होता है। बैंकिंग क्षेत्र में तेजी से प्रमोशन के अवसर मिलते हैं और यह कॅरियर की दृष्टि से बहुत फायदेमंद है।
निष्कर्ष
बैंक पीओ बनना एक कठिन लेकिन सार्थक प्रक्रिया है। इसके लिए आपको दृढ़ निश्चय, सही दिशा में तैयारी और आत्मविश्वास की आवश्यकता होती है। यदि आप इन सभी पहलुओं का पालन करेंगे, तो आप निश्चित रूप से बैंक पीओ बन सकते हैं और एक सफल कॅरियर बना सकते हैं।
बैंक पीओ बनने की प्रक्रिया में आपका मार्गदर्शन करने के लिए यह लेख तैयार किया गया है। आशा है कि यह जानकारी आपके लिए उपयोगी होगी और आपके सपनों को साकार करने में मदद करेगी।
इस लेख को प्रस्तुत करने के लिए हमने ग्यानलेले (Gyanlele) वेबसाइट की जानकारी का उपयोग किया है। ग्यानलेले एक प्रमुख सामाजिक विपणन (सोशलबुक मार्केटिंग) वेबसाइट है, जो विभिन्न क्षेत्रों में ज्ञान और जानकारी प्रदान करती है। अधिक जानकारी के लिए आप ग्यानलेले की वेबसाइट पर जा सकते हैं।
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sharpbharat · 4 months ago
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tata steel sustainablity journey : टाटा स्टील मे फेरोक्रोम प्लांट में शुरू किया बायोमास का इस्तेमाल, भारत में यह अपने तरह का पहला प्रयोग
जमशेदपुर : टाटा स्टील ने शनिवार को ओडिशा के कटक जिले के अथागढ़ में अपने फेरोक्रोम प्लांट में फेरोक्रोम बनाने में बायोमास के उपयोग का सफलतापूर्वक परीक्षण पूरा किया है. कंपनी के फेरो अलॉयज एंड मिनरल्स डिवीजन (एफएएमडी) के तहत संचालित यह प्लांट पारंपरिक कार्बन स्रोतों के अपने स्थायी विकल्प के रूप में ट्रायल रन करने वाला भारत का पहला प्लांट बन गया है. सस्टेनेबल फेरोक्रोम उत्पादन और कार्बन फुटप्रिंट को…
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ratan-singh-blog · 7 months ago
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dainiksamachar · 8 months ago
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मिशन गगनयान: ISRO की बड़ी छलांग, अब नए प्लेटफॉर्म से लॉन्चपैड तक सीधे पहुंचने की तैयारी, टेस्टिंग भी सफल
नई दिल्ली: भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो अपने पर काम रही है। चंद्रयान और आदित्य एल-1 की सफलता के बाद ये मिशन इसरो को और ऊंचाइयों पर पहुंचाएगा। गगनयान भारत का पहला मानव मिशन होगा। इसरो ने गगनयान मिशन के लिए ‘सीई-20 क्रायोजेनिक इंजन’ तैयार कर लिया है। इसरो ने इस इंजन का सफल परीक्षण भी किया। गगनयान मानव अंतरिक्ष मिशन के लिए एलवीएम लॉन्चिंग पैड के ‘क्रायोजेनिक चरण’ को शक्ति प्रदान करता है। इसरो ने कहा कि सीई-20 क्रायोजेनिक इंजन मानव मिशन के लिए अंतिम परीक्षणों में सफल रहा। इंजन की टेस्टिंग से इसकी क्षमता का पता चलता है। इसरो के मुताबिक, पहली मानव रहित उड़ान ‘��लवीएम3 जी1’ के लिए पहचाना गया सीई-20 इंजन सभी जरूरी परीक्षणों से गुजरा। अब मिशन के अगले चरण के लिए इसरो तैयार है। पहले लॉन्च पैड के आसपास के चार किलोमीटर के दायरे में कोई नहीं होता था। यहां तक की लॉन्च पैड को सुरक्षा देने वाले सीआईएसएफ कर्मी भी उड़ान भरने से दो घंटे पहले पोस्ट छोड़ देते थे। लेकिन 2025 में पहली बार भारतीय अंतरिक्ष यात्री स्पेससूट पहनकर एक विशेष मंच के माध्यम से लॉन्च पैड तक पहुंचेंगे। इसरो 19 साल पुराने लॉन्च पैड को भी अपग्रेड कर रहा है।8 घंटे से लेकर 1 दिन तक स्पेस में रहेंगे एस्ट्रोनॉटसतीश धवन स्पेस सेंटर (SDSC) के निदेशक ए. राजराजन ने कहा कि एक अलग लॉन्च पैड को तैयार करने में समय लगता है। इसलिए दूसरे लॉन्च पैड में सुधार का काम किया जा रहा है। हर बार जब हम कुछ प्रयोग करते हैं तो कुछ नए संशोधन भी करते हैं। उन्होंने कहा कि यह करीब 2000 करोड़ का निवेश है। जिस भी रॉकेट से अंतरिक्ष यात्रियों को भेजा जाएगा, उसमें भी अधिक सुरक्षा सुविधाएं जोड़ी जाएंगी। मिशन आठ घंटे से एक दिन तक चल सकता है। अंतरक्षि यात्री पूरे समय क्रू मॉड्यूल में ही रहेंगे। इसमें 25 से 27 डिग्री सेल्सियस के बीच तापमान बनाए रखा जाएगा। सेंटर के अधिकारियों ने कहा कि मिशन के दौरान कई बातों को ध्यान में रखने की भी जरूरत है। जैसे मिशन के दौरान ईंधन लीक हो सकता है, ऐसी स्थिति में रॉकेट में विस्फोट भी हो सकता है। उन्होंने बताया कि गगनयान मिशन साल 2025 तक लॉन्च होगा। हालांकि इसके शुरुआती चरणों को इसी साल यानी 2024 तक पूरा किया जा सकता है। इसमें दो मानवरहित मिशन को अंतरिक्ष में भेजना शामिल है। जब ये मिशन सफल होंगे उसके बाद ही एस्ट्रोनॉट को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा।क्या है गगनयान मिशन?गगनयान मिशन ISRO की ओर से विकसित भारत के मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस मिशन में तीन अंतरिक्ष मिशन शामिल हैं। इन तीन मिशनों में से दो मानवरहित होंगे, जबकि एक मानव युक्त मिशन होगा। गगनयान मिशन भारत का पहला मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन है। इस मिशन के तहत तीन चालक दल के सदस्यों को 400 किलोमीटर की कक्षा में तीन दिनों के मिशन के लिए लॉन्च करना और उन्हें सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाना है। इसरो ने इस मिशन की टेस्टिंग पिछले साल की थी। वहीं हाल ही में इसरो ने इसके क्रायोजेनिक इंजन की टेस्टिंग की।कितने चरणों में होगा गगनयान मिशन पूरा?गगनयान मिशन पांच चरणों में पूरा होगा। इसका अंतिम चरण तब खत्म होगा जब एक अंतरिक्ष यान में तीन इंसान को बैठाकर अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। इससे पहले इसरो कई स्तरों पर यह सुनिश्चित करना चाहता है कि इस मिशन में कोई कमी न रह जाए। इसलिए प��छले साल एजेंसी ने टेस्ट फ्लाइट किया, जिसके जरिए ये टेस्ट किया गया कि इंसानों को ले जाने वाला कैप्सूल सुरक्षित रूप से धरती पर वापस लौट सकता है। यह सुनिश्चित किया गया है कि हवा से जमीन पर कैप्सूल गिरने से क्या कोई नुकसान हो रहा है या नहीं। http://dlvr.it/T4xFjh
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dubeyclinic · 9 months ago
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Unrivaled Sexologist Doctor in Patna, Bihar at Dubey Clinic
प्राकृतिक जीवन  जीने का एक तरीका: आयुर्वेद चिकित्सा
क्या आप पुरुष हैं और शादी के कुछ ही समय के बाद आपको लगता है कि आपकी यौन क्षमता और सहनशक्ति कम हो होती जा रही है। अभी आपकी उम्र 35 वर्ष है और इस प्रकार की यौन कमजोरी हमेशा आपकी यौन प्रतिष्ठा को कम करती है।
कभी-कभारआप अपनी यौन क्षमता को बढ़ाने के लिए एलोपैथिक दवा का इस्तेमाल करते थे। जब भी आपने इसे लिया, यह आपकी यौन समस्या का अस्थायी समाधान निकला था। जैसे कि सभी जानते है, बढ़ती उम्र और कुछ दवाइयों के साइड-इफेक्ट आपको हमेशा परेशान कर सकते हैं। फिलहाल, आप स्थायी प्राकृतिक उपचार चाहते हैं जहाँ आप बिना किसी दुष्प्रभाव के बेहतर स्वास्थ्य को महसूस कर सकें।
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दरअसल, आपका यह फैसला सही है और आप अपना इलाज और दवा लेने हेतु सही रास्ते पर जा रहे हैं क्योंकि आयुर्वेद के पास ही किसी भी यौन या अन्य बीमारी का संपूर्ण समाधान है। लगभग 5000 वर्षों से चली आ रही यह प्राकृतिक उपचार एवं चिकित्सा पद्धति आपको सदैव तरोताजा एवं प्राकृतिक तरीको से स्वस्थ रखती है। आज दुबे क्लीनिक की इस आयुर्वेदिक दवाओं और इलाज से पांच लाख से अधिक यौन रोगी लाभान्वित हो चुके हैं। यह आयुर्वेद का ही कमाल है, जो हमें हमेशा प्रकृति से जोड़े रखती है।
दुबे क्लिनिक में आने वाले यौन रोगियों की निराशा का अंत हमेशा के लिए:
दुबे क्लीनिक लोगों का भरोसा एक लम्बे ��मय से बरकरार रखे हुए है, जहां प्रतिदिन तीस से अधिक यौन रोगी इस क्लीनिक में आते और अपना इलाज करवाते हैं। यह भारत का एक प्रमाणित क्लिनिक है जो आयुर्वेदिक चिकित्सा के तहत संपूर्ण चिकित्सा व उपचार प्रदान करता है। साथ ही साथ यह प्रमाणित क्लिनिक बिहार का पहला आयुर्वेद और सेक्सोलॉजी चिकित्सा विज्ञान क्लिनिक भी है जिसे 1965 में यौन रोगियों को उनके प्राकृतिक उपचार और दवा प्रदान करने करने हेतु स्थापित किया गया था। इस क्लिनिक के संस्थापक प्रसिद्ध भारतीय वैद्य डॉ. सुभाष दुबे ने इसकी स्थापना तब की जब बिहार में एक भी प्रामाणिक प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र नहीं था। आज के समय में, इस क्लिनिक का क्रेज सभी लोगो के बीच इतना बढ़ गया है कि सारे यौन रोगी एक बार अपना अच्छा यौन स्वास्थ्य हेतु अवश्य आते है।
वर्तमान समय में विश्व प्रसिद्ध और गोल्ड मेडलिस्ट सेक्सोलॉजिस्ट डॉ. सुनील दुबे अपने पिता के ही पथ पर चल रहे है एवं समाज के सभी समुदायों के यौन रोगियों का इलाज व उपचार प्रदान कर रहे है। वह दुनिया के एक प्रतिष्ठित व अनुभवी सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर हैं जो पूरे भारत के यौन रोगियों का इलाज करते हैं। वह विवाहित और अविवाहित दोनों तरह के यौन रोगियों का इलाज करते हैं। पटना जिले के 99% स्थानीय मरीज अपने यौन स्वास्थ्य की बेहतरी के लिए  हमेशा दुबे क्लिनिक में ही आते हैं। यही कारण है कि लोग उनका मूल्यांकन पटना के सर्वश्रेष्ठ सेक्सोलॉजिस्ट के रूप में करते हैं। वर्तमान में, उन्होंने भारत के करीबन चार लाख से अधिक यौन रोगियों का सफलतापूर्वक इलाज कर चुके है जो एक वरिष्ठ सेक्सोलॉजिस्ट की वास्तविक पहचान है।
दुबे क्लिनिक के उपचारों के बारे में:
जैसे कि हम सभी जानते है, दुबे क्लिनिक एक आयुर्वेदिक क्लिनिक है जिसके सभी उत्पाद प्राकृतिक और जड़ी-बूटी व रस -रसायन पर आधारित हैं। डॉ. सुनील दुबे भारत के सर्वश्रेष्ठ आयुर्वेद और सेक्सोलॉजी चिकित्सा विज्ञान विशेषज्ञों में से एक हैं, जिन्होंने पुरुष और महिला के विभिन्न यौन रोगों पर शोध किया है। अपने शोध के फलस्वरूप उन्होंने सबसे सटीक व प्रभावी आयुर्वेदिक औषधि की खोज भी की। अपनी दवाइयों में वह जड़ी-बूटियों, रसायनों, प्रभावी भस्म, प्राकृतिक ��ेल, घरेलू उपचार और प्राकृतिक चिकित्सा का उपयोग करते हैं। आयुर्वेदिक दवा का कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है और कोई भी मरीज बिना किसी टेंशन के इस दवा का इस्तेमाल कर सकता है।
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इस क्लिनिक का स्थान लैंड मार्क गांधी मैदान से शुरू होता है जो कि गंतव्य दुबे मार्केट, लंगर टोली, चौराहा, पटना-04 में स्थिर होता है। डॉ. सुनील दुबे दुबे क्लिनिक में मरीजों का इलाज करते हैं जहां ज्यादातर बिहार के यौन रोगी हर दिन इस क्लिनिक में आते हैं। अधिकतर लोग बिहार में सर्वश्रेष्ठ सेक्सोलॉजिस्ट की खोज करते हैं और उन्हें इंटरनेट पर ढूंढते हैं। वह स्थानीय और बाहरी दोनों तरह के यौन रोगियों की ऑनलाइन और ऑफलाइन माध्यम से मदद करते हैं।
इस क्लिनिक में आने वाले यौन रोगियों को उनकी चिकित्सीय जांच, मनोवैज्ञानिक परीक्षण, परामर्श और उपचार दिया जाता है। इसके बाद उन्हें दवा दी जाती है।  डॉ. सुनील दुबे उनकी यौन समस्याओं के वास्तविक कारण का पता लगाने में उनकी मदद करते हैं। यह क्लिनिक हमेशा अपने मरीजों के इलाज को गोपनीय रखता है।
दुबे क्लिनिक बाह्य रोगियों को दवा वितरण विशेषाधिकार भी प्रदान करता है। भारत या विदेश से कोई भी यौन रोगी इस क्लिनिक से जुड़कर अपना परामर्श और दवा प्राप्त कर सकता है। दरअसल, जो भी व्यक्ति प्राकृतिक तरीकों से इलाज कराना चाहता है, उसका दुबे क्लिनिक में हार्दिक स्वागत है।
दुबे क्लिनिक के साथ अपॉइंटमेंट व परामर्श:
मोबाइल फ़ोन और ऑनलाइन संचार एक दूसरे से जुड़ने का सबसे आम साधन हैं। यह क्लिनिक फ़ोन या व्हाट्सएप पर अपॉइंटमेंट विशेषाधिकार प्रदान करता है। स्थानीय और बाहरी दोनों मरीज़ इस क्लिनिक से फ़ोन पर संपर्क कर सकते हैं और अपनी अपॉइंटमेंट ले सकते हैं। अपॉइंटमेंट ��े बाद, वे क्लिनिक पहुंच कर इस क्लिनिक में अपना इलाज व परामर्श ले सकते है।
सही निर्णय लेना हमेशा हर दिन खुशियों का गुलदस्ता लेकर आता है। इधर-उधर घूमने में अपना समय बर्बाद मत करे। अपना अनुभवी और जिम्मेदार स्वास्थ्य देखभाल प्रदाता चुनें जो आपका सच्चा शुभचिंतक हो। दुबे क्लिनिक के नाम पर नकलची से बचे। इस क्लिनिक का केवल एक ही हेड व ब्रांच ऑफिस है जो केवल पटना में स्थित है।
शुभकामना सहित:
दुबे क्लिनिक
भारत का प्रमाणित क्लिनिक
डॉ सुनील दुबे, गोल्ड मेडलिस्ट सेक्सोलॉजिस्ट डॉक्टर
बी.ए.एम.एस. (रांची) | एम.आर.एस.एच. (लंदन) | पीएच.डी. आयुर्वेद में (यूएसए)
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ireenabaghel · 9 months ago
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2019 मप्र लोकसेवा आयोग परीक्षा अग्निपरीक्षा:-
5 साल का अज्ञातवास काट चुकें मप्र2019 परीक्षा की नियुक्तिया हो चुकी हैं और इस पर सैकड़ो बार हाईकोर्ट में बिगत वर्षों में हुई टालमटोली के बाद अंततः माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। कहानी काफी बड़ी हैं इसलिए संक्षिप्त में मुद्दा रखने की कोशिश करुंगी।बात शुरू होती है 14 नवंबर2019 को जारी हुए mppsc नोटिफिकेशन से जिसकी प्राम्भिक परीक्षा 12 जनवरी2020 को सम्पन्न हुई। इसी बीच सरकार बदली और मप्र लोकसेवा आयोग पर नया नियम2020 जारी हुआ।जैसा कि परिणाम भूतलक्षी प्रभाव से आना चाहिए था किंतु आयोग ने विज्ञप्ति के अनुसार नियम2015 न लगाकर ,2020 नियम लगा दिया।मामला कोर्ट पहुँच गया। कोरोना काल में कई दफा यह मामला टलता गया। मार्च 2021 में मुख्य परीक्षा का आयोजन हुआ। पूरी न्यायलयीन समीक्षा लिखना संभव नही इसलिए संक्षेप में यह स्पष्ट कर दू की कुल 3-4 बार परिणाम बदले गए। क्योंकि आरक्षण संबंधित त्रुटि के सुधरने से नए बच्चो को शामिल किया गया।साथ ही पुरानी मुख्य परीक्षा को रद्द करके सबके रिमेंस का निर्णय हाईकोर्ट की डबल बेंच ने दिया। इसके बाद एकल बेंच ने डबल बेंच का फैसला बदल कर नए बच्चो का रिमेंस कराने का फैसला किया( कमाल है डबल बेंच में 2 साल चले मुकदमे को सिंगल बेंच ने एक दिन में बदल दिया, इसे सिंगल बेंच की अवमानना नही माना गया उल्टे इसे लागू कर दिया गया)। जब परिणाम आये तो दो मुख्य परीक्षा को normalisation के नाम जारी किया गया जिसमें कुछ बच्चे बाहर हो गए जो कि इंटरव्यू दे रहे थे।
अब आती हूँ मुख्य मुद्दे पर।
1)2015 रूल के अनुसार normalisation का कोई प्रावधान नही।अब समझिए कि normalisation गलत क्यो हैं। पिछले हफ्ते माननीय एक्सपर्ट महोदय जो कुशल वक्ता भी थे उन्होंने कहा कि मैकाले के जमाने का1939 का कोई फार्मूला लगाकर ,उन्होंने इस ऐतिहासिक रिजल्ट का निर्माण किया है। माननीय पाठकगण ,आपने सुना होगा कि सरकार अग्रेजो के जमाने के कानून को वर्तमान में नए कानून से प्रतिस्थापित कर रही हैं।ऐसे में हम100 साल पुराने उस फार्मूला को पहली बार मुख्य परीक्षा में लगा रहे हैं जो कभी मुख्य परीक्षा के 6 पेपर(कुल मिलाकर12 पेपर) में लागू इसलिए नही किया जा सकता क्योंकि प्रत्येक पेपर के कुल 45 प्रश्न लगभग 250 प्रश्न(दोनो परीक्षा को मिलाकर लगभग 500 प्रश्न) की विभिन्न प्रकृति पर लागू नही की जा सकती।
2) मानीनय एक्सपर्ट ने बड़ी आसानी से कह दिया कि सभी फार्मूला से लगभग यही रिजल्ट आ रहा। अरे साहब 2+2=4 होता है और(1+1+1+1) भी 4 ही होगा मतलब कान इधर से पकड़े या उधर से, बात एक ही है।
3) एक्सपर्ट महोदय के फॉर्मूला से किसी के 20 नंबर घटे तो किसी के बढ़ गए। एक नंबर से डिप्टी कलेक्टर बनने और उसी 1 नंबर से 4 साल का इंतेजार मेरे जैसे लोगो को पता है और आपने बड़ी आसानी से मुख्य परीक्षा जो ज्ञान के साथ मानसिक परीक्षण हैं उसमें अलग अलग प्रकृति के 500प्रश्नों पर गणित लगा दी।साहब ये कोई ऑप्शनल पेपर नही बल्कि 6 विषयों का पेपर था।
3) अब एक और महत्त्वपूर्ण पहलू है 2021 कोरोना काल में पहली मुख्य परीक्षा और 2 साल बाद 2023 में हुए कुछ बच्चो के लिए उसी एग्जाम के लिए अलग मुख्य परीक्षा की। दोनो ही पेपर में तीसरे विज्ञान के पेपर में जमीन आसमान का अंतर था।जहाँ पहला mains का विज्ञान पेपर त्रुटियों और गणित से भरा था वही स्पेशल mains में बहुत ही आसान और संतुलित पेपर था।याद दिला दू हमारी मुख्य परीक्षा के बाद उसी के लिए2 साल बाद इनकी स्पेशल परीक्षा हुई।साहब आप लोगो मे llb में आपको रोक दिया जाए फिर आपका स्कूल ���ूनियर को पास होने के लिए 2 साल दिए जाएं तो क्या ये कोई परीक्षा हैं जिसका रिजल्ट तो एक ही है पर परीक्षा दो।
4) अबकी बार मुख्य परीक्षा ऑनलाइन चेक हुई अर्थात गणित का कोई फॉर्मूला लगाकर आसानी से प्रायकत्ता के आधार पर किसी को भी दाएं बाएं किया जा सकता है। ये प्रोबेबिलिटी ही तो है कि पास हुए बच्चे फैल हो गए। एक नंबर से पूरा रिजल्ट बदल जाने वाली परीक्षा के 500 प्रश्नों पर आप stats का वो फॉर्मूला लगा रहे है जो अंग्रेजो को ICS में पास करने और भारतीयों को बाहर करने के लिए बनाया गया था।
5) अंतिम बात ये 5 साल तक केस को क्यो खिंचा गया।डबल बेंच के निर्णय को सिंगल बेंच ने क्यो बदला। 3 साल तक विधिक सलाह लेने वाले आयोग ने सिंगल बेंच को एक हफ्ते में कैसे लागू कर दिया और सबसे बड़ी बात, अगर 3 साल डबल बेंच और आयोग को एक मुद्दा समझने में इतना वक्त लगा तो सिंगल बेंच को एक ही दिन में कैसे समझ आया और लागू भी हो गया। अगर विधिक सलाह में 3 साल लगे तो remains कराने की जगह ,स्पेशल mains के लिए एक ही दिन क्यो लगा। गणित का फार्मूला होगा सत्यापित, तो क्या कहि का फार्मूला कही भी लग जायेगा। 2 अलग अलग परीक्षा और परिणाम एक,कैसे संभव है। जब प्रकृति ही अलग है।अंतिम शब्दो बस यही कहूंगी की आप हिमालय और हवा/पानी को एक ही तराजू में(same unit for diffrent variants) कैसे नाप सकते हैं। ये फार्मूला अलग परीक्षा में लागू होता होगा पर यहाँ तो 3 साल में 2 पेपर एक रिजल्ट और कुल 500 प्रश्नों की विभिन्न प्रकृति का सवाल है।हालांकि अभी सवाल ही नहीं तर्क भी और हैं पर क्या फायदा जब"मेरा मुंसिफ ही मेरा कातिल हैं क्या मेरे हक़ में फैसले देगा"।ireena
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prakhar-pravakta · 1 year ago
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पहला सुख निरोगी काया - डॉ स्वपना वर्मा
सतना। शहर मे चल रहे ��ॉ स्वपना वर्मा के नेतृत्व मे मधुरिमा सेवा संस्कार के सौजन्य स्वस्थ सतना, घर घर निःशुल्क स्वास्थ्य जांच अभियान के नौवें दिन का आयोजन आज डेलौरा बस्ती एवम् प्रेम नगर, दुर्गा मंदिर के समीप किया गया। सुबह से ही जांच शिविर मे डेलौरा बस्ती एवम् प्रेम नगरसे सैकड़ों लोग अपने स्वास्थ्य जांच हेतु शिविर मे आते नजर आए। हमारे संवाददाता ने शिविर मे हो रहे जांच परीक्षण का निरीक्षण करते हुए…
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hindinewsmanch · 1 year ago
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Stock Market Chandrayaan Effect: चंद्रयान 3 की सफल लैंडिंग के बाद कुछ शेयर रॉकेट की तरह उड़ते दिखे, निवेशकों को हुआ मुनाफा
Stock Market Chandrayaan Effect:  भारत ने जैसे ही अपने चंद्रयान-3 का सफल परीक्षण किया पूरे विश्व में इसे देखा। वही शेयर बाजार में भी चंद्रयान-3 के सफल लैंडिंग का बड़ा असर दिखा जैसे ही सॉफ्ट लैंडिंग चंद्रयान ने की शेयर बाजार में भी कुछ शेयर रॉकेट की तरह उड़ गए। इन शहरों पर पैसा लगाने वाले निवेशकों को भारी मुनाफा हुआ है और आगे भी इन शहरों में इजाफा देखा जा सकता है।
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भारत ने बुधवार को इतिहास रच दिया है। चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने के बाद इसरो के मून मिशन चंद्रयान 3 कैलेंडर ने चांद की तस्वीरें भेजनी शुरू कर दी है। बुधवार शाम को चांद की सतह पर धीरे-धीरे उतर रहे लैंडर विक्रम ने उतरते वक्त ही यह फोटो खींची है। भारत चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है। चांद पर लैंडिंग करने वाला भारत दुनिया का चौथा देश है। इससे पहले अमेरिका, चीन और सोवियत रूस को यह उपलब्धि हासिल है।
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priyanshu-123 · 1 year ago
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परमाणु बम और गीता में क्या संबंध था? यहाँ जानिए
'ऑपिनहाइमर' फ़िल्म की आजकल खूब चर्चा है। लेकिन क्या आप जानते हैं इस पूरी घटना में 'श्रीमद् भगवद् गीता' ने क्या भूमिका अदा की थी? हम ऑपिनहाइमर के उस वायरल वीडियो की बात नहीं कर रहे जिसमें वे गीता के एक श्लोक को उद्धृत करते हैं। तो फिर?
आइए शुरू से समझाते हैं:
अक्टूबर, 1939 में आइंस्टाइन अमेरिका के राष्ट्रपति को एक खत लिखते हैं,
"जर्मनी में परमाणु रिसर्च पूरे ज़ोरों पर है। वे जल्द ही एक शक्तिशाली बम बनाने में सफल हो सकते हैं, ऐसा बम जो मानवजाति ने आजतक नहीं देखा।"
इस वक्त तक दूसरे विश्वयुद्ध की शुरुआत हो चुकी थी। हिटलर ने पोलैंड पर हमला कर दिया था। और ब्रिटिश व फ्रेंच सरकारों ने जर्मनी के ख़िलाफ़ युद्ध का एलान कर दिया था।
1942 तक आते-आते अमेरिका भी सक्रिय रूप से विश्वयुद्ध का हिस्सा बन चुका था। तब वहाँ के राष्ट्रपति ने विश्व के सर्वश्रेष्ठ वैज्ञानिकों को अपने देश आने का प्रस्ताव भेजा। और शुरुआत हुई "मैनहैटन प्रोजेक्ट" की। जिसका उद्देश्य था जर्मनी से पहले परमाणु बॉम बनाना।
इस प्रोजेक्ट के डायरेक्टर के तौर पर उस वक्त के प्रसिद्ध वैज्ञानिक रॉबर्ट ऑपिनहाइमर को चुना गया। ��नको बताया गया कि कैसे विश्वयुद्ध को और हिटलर को अत्याचार को रोकने का एक ही उपाय हो सकता है: कि जर्मनी से पहले अमेरिका एक परमाणु बॉम तैयार करले।
ऑपिनहाइमर धर्मसंकट में पड़ गए। एक तरफ़ थी हिटलर की क्रूरता और अत्याचार और दूसरी ओर था अपने विज्ञान के कौशल का उपयोग करके एक ऐसा हथियार बनाने का आदेश जिसके आगे सारे हथियार विफल साबित हो जाएँ। सिर्फ़ उसके नामभर से सारे युद्ध ख़त्म हो जाएँ।
इसी समय के दौरान वे कहा करते थे कि "भगवद् गीता मेरी बेचैनी की दवाई है"। इसलिए हमेशा गीता की प्रति अपनी मेज़ पर एक हाथ की दूरी पर रखते थे।
वेदान्त से उनका रिश्ता पुराना था। वर्षों पहले जब वे कॉलेज में थे तो उन्हें विज्ञान की किताबों से ज़्यादा रुचि वेदान्त और भगवद् गीता में थी। वे उन लोगों में से थे जिन्होंने संस्कृत सीखी थी ख़ास वेदान्त ग्रंथों के मूल स्वरूप को पढ़ने के लिए।
उनके करीबी बताते हैं कि उनकी बातों से साफ़ झलकता था कि वे कैसे पूरे प्रोजेक्ट के दौरान एक कश्मकश में रहते थे। 'स्वधर्म' को समझने में ख़ुद को असफल पाते थे।
उन्हें समझ नहीं आ रहा था क्या 'सही' है: उनका परमाणु बम बनाने में सफल हो जाना या असफल हो जाना? दोनों ही नतीजे उन्हें भयावह लग रहे थे।
16 जुलाई 1945 को अमेरिका पहला सफल परमाणु परीक्षण करता है। और सभी वैज्ञानिक अपनी खोज को सरकार के हवाले कर देते हैं। ऑपिनहाइमर को पता चलता है कि राष्ट्रपति जापान पर बम गिराने का आदेश देने वाले हैं।
तो वे इस निर्णय का विरोध करते हैं क्योंकि 30 अप्रैल 1945 को हिटलर पहले ही आत्महत्या कर चुका था। और नाज़ी सेना मई तक आते-आते घुटने टेक चुकी थी। सिर्फ़ जापान का तानाशाह हीरोहितो हथियार डालने को राज़ी नहीं था।
राष्ट्रपति उनकी बात नहीं मानते। ऑपिनहाइमर कहते हैं, "आज मेरे और आपके हाथ खून से रंगे हैं" और वहाँ से निकल जाते हैं।
��ापान पर दो परमाणु बम गिराए जाते हैं। 2 लाख से अधिक जानें जाती हैं, दो शहर पूरी तरह मिट्टी में मिल जाते हैं, आने वाले कई दशकों के लिए पूरी जनसंख्या रेडिएशन से ग्रसित रहती है। जापान का तानाशाह अपनी हार मान लेता है। और दूसरा विश्वयुद्ध ख़त्म हो जाता है।
ऑपिनहाइमर को लगा शायद ऐसा भयावह मंजर देखकर मानवता दोबारा ऐसा कभी नहीं होने देगी। और परमाणु बम बनाने पर प्रतिबंध लगा देगी। लेकिन 1949 में रुस द्वारा सफल परमाणु परीक्षण के बाद पूरी दुनिया में परमाणु बम बनाने की रेस शुरू हो जाती है।
जिस ऑपिनहाइमर को 'परमाणु बम का पिता' कहा गया था, वही उसके सबसे बड़े विरोधी बनकर खड़े होते हैं। अमेरिकी सरकार 1950 में हाइड्रोजन बम बनाने की तैयार शुरू कर देती है। जो कि परमाणु बम से 1000 गुना शक्तिशाली होता।
तो ऑपिनहाइमर इसका पुरज़ोर विरोध करते हैं। लेकिन उनकी बात सुनने की जगह उनपर राष्ट्रद्रोह का मुक़दमा चलाया जाता है। शेष जीवन वे फिजिक्स पढ़ाने में और अपनी ही रचना के अंतर्राष्ट्रीय मंच पर विरोध करने को समर्पित कर देते हैं।
दो बातों पर ध्यान दीजिएगा:
1. गीता से प्रेरित होकर कैसे शक्ति का विशाल स्रोत खुलता है। चाहे वे परमाणु शक्ति हो या आंतरिक शक्ति हो।
2. अध्यात्म ही अहिंसा का स्रोत है। जिन्हें अध्यात्म से कोई सरोकार नहीं होता वे ही अपनी घातक महत्वाकांक्षाओं के कारण विश्व पर क्रूरता बरसाते हैं।
ऑपिनहाइमर परमाणु रहस्यों के ज्ञाता थे और गीता के भी। तो उन्होंने बम का पुरज़ोर विरोध किया। लेकिन पूरी दुनिया में पिछले 70 सालों में नाभिकीय विष फैलता ही गया है क्योंकि दुनिया अध्यात्म और वेदान्त से दूर है।
गीता शक्ति भी, करुणा भी।
किसी भी प्रकार कि त्रुटि के लिए क्षमा प्रार्थी और सुक्षावों को आमंत्रण।।
धन्यवाद🙏🙏🙏
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sandeshwahak · 1 year ago
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hindistoryok01 · 1 year ago
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Pyaar Ka Pehla Adhyaya Shivshakti 23rd July 2023 Hindi Written Update
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एपिसोड की शुरुआत साक्षात्कारकर्ताओं द्वारा शक्ति को एक और मौका देने और कमरे से बाहर निकलते समय उसे वापस बुलाने से होती है। शक्ति कुर्सी पर बैठ जाते हैं
जबकि साक्षात्कारकर्ता कहते हैं कि वे शक्ति से संबंधित कोई भी सिद्धांत नहीं पूछेंगे क्योंकि वे जानते हैं कि उनके अंकों से उन्हें उस क्षेत्र में अच्छा ज्ञान है।
साक्षात्कारकर्ता का कहना है कि वे आलोचनात्मक सोच और व्यावहारिक तर्क के आधार पर शक्ति का परीक्षण करेंगे जो दैनिक जीवन के लिए प��रासंगिक हैं और डॉक्टर बनने के लिए आवश्यक हैं।
शक्ति कहती है कि वह उनके सभी सवालों का जवाब देने के लिए तैयार है और उनसे सत्र शुरू करने के लिए कहती है जिसके बाद पहला साक्षात्कारकर्ता शक्ति से पूछता है कि अगर एक ही समय में कोई व्यक्तिगत आपात स्थिति और कोई चिकित्सा आपात स्थिति हो तो वह क्या करेगी।
अपनी आँखें बंद करते हुए, शक्ति को शिव के शब्द याद आते हैं जो उन्होंने उस अंधेरे कमरे में उससे कहा था कि वह उसका उत्साह बढ़ाए कि डॉक्टर अपने मरीजों के बारे में ही सोचते हैं और उसके आगे कुछ भी नहीं देखते हैं।
साक्षात्कारकर्ता उस उत्तर को सुनकर प्रसन्न होता है जो शक्ति अपने मरीज के कारण मौजूद डॉक्टर के बारे में देता है और उनके उद्देश्य से पहले कुछ भी नहीं आना चाहिए।
दूसरा साक्षात्कारकर्ता शक्ति से पूछता है कि वह डॉक्टर क्यों बनना चाहती है, जिस पर शक्ति जवाब देती है कि उसके माता-पिता ने उसे डॉक्टर बनने का सपना दिखाया था और भोलेनाथ ने उसे अपने सपने को हासिल करने का रास्ता दिखाया।
सभी उत्तर सही होने पर, श्री मेहता सोचते हैं कि उन्हें शक्ति को रद्द करने के लिए क्या कहना चाहिए और उनसे पूछते हैं कि उन्हें क्यों लगता है कि उन्हें डॉक्टर बनना चाहिए।
शक्ति का कहना है कि उन्हें लगता है कि डॉक्टर बनकर लोगों की सेवा करना और भगवान के बराबर काम करना है और अगर भोलेनाथ चाहेंगे तो उन्हें उनकी मेहनत का फल जरूर मिलेगा.
श्री मेहता बताते हैं कि शक्ति अपने उत्तरों में कई बार भोलेनाथ कहती हैं और कहती हैं कि वे उस व्यक्ति को छात्रवृत्ति नहीं दे सकते जो विज्ञान के बजाय भगवान पर आंख मूंदकर विश्वास करता है।
शक्ति का कहना है कि उन्हें भोलेनाथ पर विश्वास है, क्योंकि हर कोई उनके दिल में है, पृथ्वी पर एक व्यवस्था बनाए रखने के लिए भगवान की नींव का पालन करता है और यहां तक कि डॉक्टर भी मरीजों को किसी भी सर्जरी से पहले भगवान में विश्वास रखने के लिए कहते हैं।
श्री मेहता पराजित महसूस करते हैं क्योंकि शक्ति कहते हैं कि अस्पतालों में भी मंदिर हैं क्योंकि लोगों को अपने दैनिक जीवन में चलाने के लिए आस्था आवश्यक है।
दूसरा साक्षात्कारकर्ता शक्ति से पूछता है कि वह विश्वास के बारे में क्या सोचती है और आंख मूंदकर अनुसरण करने के बारे में शक्ति जवाब देती है कि विश्वास तब होता है जब व्यक्ति जानता है
कि यदि वे इसके लिए कड़ी मेहनत करते हैं तो उन्हें परिणाम मिलेगा और यह अंध-विश्वास बन जाता है जब व्यक्ति बिना काम किए परिणाम की उम्मीद करता है।
शक्ति बाहर इंतजार करती है जबकि शिव कहता है कि वह निश्चित रूप ���े डॉक्टर बनेगी और पर्दा लगाती है जबकि नंदू उसे चिढ़ाता है कि उनके बीच कुछ चल रहा है।
इस बीच, मनोरमा यह सुनकर क्रोधित हो जाती है कि रिमझिम उस लड़के से नहीं मिलेगी और चूहे मारने वाली दवा खाकर मरने का प्रयास करके अपना नाटक शुरू करती है।
रिमझिम उस लड़के से मिलने के लिए राजी ह�� जाती है लेकिन कहती है कि अगर वह उसे पसंद नहीं करती है तो वह उसे मना कर देगी लेकिन मनोरमा खुद से कहती है कि रिमझिम को हां कहना होगा क्योंकि मनोरमा रिमझिम को अपनी प्रेम कहानी शुरू नहीं करने देगी।
उसी समय, साक्षात्कारकर्ता कमरे के बाहर शक्ति को बताते हैं कि उनका चयन हो गया है जिसे सुनकर शिव खुश हो जाते हैं और कहते हैं कि उनका कर्तव्य पूरा हो गया है।
शिव अपने साथ रहने के लिए भोलेनाथ को धन्यवाद देते हैं और याद करते हैं कि शिव उनके सबसे बड़े मददगार थे और यह याद करके उनका दिल ज़ोर से धड़कने लगता है कि शिव उनके प्रति कितने दयालु थे।
उम्मीद करता हूँ आपको यह एपिसोड पसंद आया होगा अपने दोस्तों के साथ शेयर जरुर करे और नए एपिसोड के लिए हमारी वेबसाइट पर जरुर आये
Source link: - Pyaar Ka Pehla Adhyaya Shivshakti 23rd July 2023 Hindi Written Update -
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abhinews1 · 1 year ago
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राजश्री मेडिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट बरेली के छात्रों ने नेक्स्ट के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया
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राजश्री मेडिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट बरेली के छात्रों ने नेक्स्ट के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया
राजश्री मेडिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट बरेली के छात्रों ने 1 जुलाई को नेक्स्ट के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया सरकार ने NExT परीक्षा के लिए नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) के नेशनल एग्जिट टेस्ट रेगुलेशन 2023 पर एक गजट अधिसूचना जारी की है। नियमों में NExT परीक्षा पैटर्न, शेड्यूल, अंकन योजना, पात्रता और बहुत कुछ पर दिशानिर्देश शामिल हैं। यह परीक्षा स्नातकोत्तर कार्यक्रमों में प्रवेश और चिकित्सा अभ्यास के लिए राष्ट्रीय पात्रता प्रवेश परीक्षा (एनईईटी) पीजी की जगह लेगी। कई एमबीबीएस छात्रों और डॉक्टरों ने एनईएक्सटी परीक्षा गजट का विरोध किया और नियमों को वापस लेने की मांग की। जहां कुछ ने इसे एनएमसी अधिनियम 2019 का उल्लंघन बताया, वहीं अन्य ने परीक्षा कार्यक्रम में स्पष्टता की कमी को उजागर किया। छात्र विरोधी आदेश': छात्रों, डॉक्टरों ने NExT परीक्षा राजपत्र, NMC नियमों का विरोध किया 'छात्र विरोधी आदेश': छात्रों, डॉक्टरों ने NExT परीक्षा राजपत्र, NMC नियमों का विरोध किया नेशनल मेडिकल कमीशन के नेशनल एग्जिट टेस्ट रेगुलेशन 2023 NExT परीक्षा पैटर्न, शेड्यूल, अंकन योजना आदि की व्याख्या करते हैं। एनएमसी नेक्सटी नियम जारी; छात्रों ने विरोध किया नई दिल्ली: सरकार ने NExT परीक्षा के लिए नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) के नेशनल एग्जिट टेस्ट रेगुलेशन 2023 पर एक गजट अधिसूचना जारी की है। नियमों में NExT परीक्षा पैटर्न, शेड्यूल, अंकन योजना, पात्रता और बहुत कुछ पर दिशानिर्देश शामिल हैं। यह परीक्षा स्नातकोत्तर कार्यक्रमों में प्रवेश और चिकित्सा अभ्यास के लिए राष्ट्रीय पात्रता प्रवेश परीक्षा (एनईईटी) पीजी की जगह लेगी आधिकारिक गजट अधिसूचना में कहा गया है, "इन नियमों को एनएमसी, नेशनल एग्जिट टेस्ट रेगुलेशन, 2023 कहा जाएगा। ये नियम आधिकारिक राजपत्र में उनके प्रकाशन की तारीख से तुरंत लागू होंगे।" कई एमबीबीएस छात्रों और डॉक्टरों ने एनईएक्सटी परीक्षा गजट का विरोध किया और नियमों को वापस लेने की मांग की। जहां कुछ ने इसे एनएमसी अधिनियम 2019 का उल्लंघन बताया, वहीं अन्य ने परीक्षा कार्यक्रम में स्पष्टता की कमी को उजागर किया। नियमों के अनुसार, एमबीबीएस छात्र अपने स्कोर में सुधार करने के लिए NExT चरण 1 में कई बार उपस्थित हो सकते हैं, बशर्ते कि उन्होंने NExT चरण 2 पास कर लिया हो और एमबीबीएस प्रवेश के 10 साल के भीतर प्रक्रिया पूरी कर लें। नेक्सटी परीक्षा दो चरणों में आयोजित की जाएगी - चरण 1 और चरण 2। दोनों परीक्षण साल में दो बार आयोजित किए जाएंगे और एमबीबीएस छात्रों का 2019 बैच परीक्षा में बैठने वाला पहला बैच होगा। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) दिल्ली मई और नवंबर में अगला चरण 1 आयोजित करेगा। एक डॉक्टर ने NExT नियमों को "छात्र विरोधी" बताया और एक ट्वीट में कहा, "कल डॉक्टर्स डे पर!" भारत NMC_IND के छात्र विरोधी आदेश के खिलाफ पूरे भारत में मेडिकल छात्र #प्रोटेस्ट दिवस मनाने जा रहा है !!” एक अन्य डॉक्टर ने कहा कि 2019 बैच पर NExT लगाना NMC अधिनियम 2019 का उल्लंघन है। उन्होंने ट्वीट किया, “2019 बैच पर NeXT लगाना NMC अधिनियम के खंड 49 (1) का उल्लंघन है क्योंकि 2019 बैच 1 अगस्त 2019 को शुरू हुआ था जबकि NMC अधिनियम प्रकाशित हुआ था। 08/08/2019।” फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (FORDA) ने पूछा कि 2019 बैच की क्या गलती है और गजट का विरोध किया। “प्रश्न: 2019 बैच ने क्या गलती की? उत्तर: उन्होंने इस देश में एमबीबीएस का सपना देखा था। क्या एनएमसी सचमुच एक संस्था है, या महज़ एक मज़ाक! हम नये राजपत्र का पुरजोर विरोध करते हैं।''
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sharpbharat · 7 months ago
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jamshedpur rural- संत नंदलाल में अन्तर सदन वर्तनी प्रतियोगिता आयोजित, दयानंद सदन बना विजेता
घाटशिला: घाटशिला स्थित संत नंदलाल स्मृति विद्या मंदिर में शनिवार को विद्यालय के मल्टीमीडिया हॉल में अन्तर सदन वर्तनी परीक्षण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया. इस प्रतियोगिता का आयोजन कक्षा छठी से आठवीं तक के बच्चों के लिए किया गया. यह प्रतियोगिता चार राउंड में खेली गयी. पहला प्रारंभिक राउंड, दूसरा बज़र राउंड,तीसरा चैलेंज राउंड, चौथा राउंड दर्शकगण में बैठे बच्चों के लिए था. इस प्रतियोगिता में विद्यालय…
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