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#पश्चिमी रेलमार्ग
tiwariproduction · 2 years
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Funny: रेलवे स्टेशन जिनके नाम से आपको हंसी आएगी
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रेलवे स्टेशन हमारे जीवन का एक अभिन्न हिस्सा हैं, और हमें कई स्टेशनों के नाम मिलते हैं जो अद्वितीय और दिलचस्प हैं। जबकि कुछ स्टेशनों के नाम उन शहरों या कस्बों के नाम से लिए गए हैं जहां वे स्थित हैं, कुछ का नाम प्रसिद्ध हस्तियों के नाम पर रखा गया है। लेकिन कुछ रेलवे स्टेशन ऐसे भी हैं जिनके नाम एकदम फनी हैं और यकीनन ये आपको गुदगुदाएंगे। इस ब्लॉग पोस्ट में, हम कुछ ऐसे रेलवे स्टेशनों पर नज़र डालेंगे जिनके नाम आपको हँसा देंगे। उबाऊ स्टेशन अमेरिका के ओरेगन में स्थित बोरिंग स्टेशन कुछ भी हो लेकिन उबाऊ है। स्टेशन का नाम इसके संस्थापकों, विलियम एच. बोरिंग और उनके परिवार के उपनाम का एक संदर्भ है। स्टेशन एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है, और आगंतुक पुरानी ट्रेनों की सवारी कर सकते हैं जो क्षेत्र के माध्यम से चलती हैं। नर्क स्टेशन नॉर्वे में स्थित, हेल स्टेशन दुनिया के सबसे प्रसिद्ध और मनोरंजक रेलवे स्टेशनों में से एक है। स्टेशन का नाम पुराने नॉर्स शब्द "हेलिर" से लिया गया है, जिसका अर्थ है "ओवरहांग" या "चट्टान गुफा।" अपने नाम के बावजूद, स्टेशन एक शांतिपूर्ण और सुरम्य स्थान है, जो आश्चर्यजनक प्राकृतिक दृश्यों से घिरा हुआ है। दुर्घटना स्टेशन दुर्घटना स्टेशन मैरीलैंड, संयुक्त राज्य अमेरिका में स्थित है, और इसका नाम उस शहर के नाम पर रखा गया है जहां यह स्थित है। यह नाम अशुभ लग सकता है, लेकिन कहा जाता है कि शहर का नाम "दुर्घटना" नामक एक स्थानीय व्यक्ति से आया है जो एक रेल सर्वेक्षण में शामिल था। 1800 के दशक में क्षेत्र में। आज, स्टेशन पश्चिमी मैरीलैंड दर्शनीय रेलमार्ग के लिए एक पड़ाव के रूप में कार्य करता है। इसे भी पढ़ें: Mini Bullet Train Delhi Gurugram : दिल्ली, गुरुग्राम और अलवर को जोड़ेगी मिनी बुलेट ट्रेन इंटरकोर्स स्टेशन इंटरकोर्स स्टेशन पेंसिल्वेनिया, संयुक्त राज्य अमेरिका में स्थित है, और इसका नाम पास के इंटरकोर्स शहर के नाम पर रखा गया है। शहर का नाम कई चुटकुलों और भ्रांतियों का विषय रहा है, लेकिन यह वास्तव में पुरानी अंग्रेजी शब्द "एंटरकोर्स" से लिया गया है, जिसका अर्थ है "व्यावसायिक व्यवहार" या "सामाजिक संपर्क"। सुस्त स्टेशन सुस्त स्टेशन स्कॉटलैंड में स्थित है, और इसका नाम क्षेत्र के शांत और शांतिपूर्ण परिवेश का एक संदर्भ है। अपने नाम के बावजूद, स्टेशन एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है और पास के लोच ताई और ट्रॉसाक्स नेशनल पार्क के प्रवेश द्वार के रूप में कार्य करता है। बैटमैन स्टेशन बैटमैन स्टेशन तुर्की में स्थित है और इसका नाम पास के शहर बैटमैन के नाम पर रखा गया है। शहर के नाम का कैप्ड क्रूसेडर से कोई लेना-देना नहीं है, बल्कि यह इस क्षेत्र के प्राचीन नाम, बाटमाना से लिया गया है। वाई नॉट स्टेशन Wye Knot स्टेशन मैरीलैंड, संयुक्त राज्य अमेरिका में स्थित है, और इसका नाम पास की Wye नदी के नाम पर रखा गया है। स्टेशन का नाम शब्दों पर एक नाटक है, क्योंकि नाम में "गांठ" एक नदी में एक प्रकार के मोड़ को संदर्भित करता है, जबकि "क्यों नहीं" एक आलंकारिक प्रश्न है जो सुझाव देता है कि कुछ किया जाना चाहिए। मूस फैक्टरी स्टेशन मूस फैक्ट्री स्टेशन ओंटारियो, कनाडा में स्थित है, और इसका नाम पास के शहर मूस फैक्ट्री के नाम पर रखा गया है। शहर का नाम अजीब लग सकता है, लेकिन वास्तव में इसका नाम उस मूस के नाम पर रखा गया है जो एक बार क्षेत्र में आम था और 17 वीं शताब्दी में फर व्यापार स्थापित किया गया था। दुनिया भर के रेलवे स्टेशनों में कुछ सबसे अनोखे और मनोरंजक नाम हैं जो निश्चित रूप से आपके चेहरे पर मुस्कान ला देंगे। चाहे आप ट्रेन से यात्रा कर रहे हों या बस एक अच्छी हंसी की तलाश में हों, ये रेलवे स्टेशन अपने अजीबोगरीब और मजाकिया नामों से आपका मनोरंजन करने के लिए निश्चित हैं। follow us : google news Read the full article
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its-axplore · 4 years
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राज्य में बाढ़ की स्थिति लगातार गंभीर होती चली जा रही है। मुजफ्फरपुर जिले के तिरहुत मुख्य नहर के साथ लखनदेई, बाया और कदाने नदी के टूटे तटबंधों से लगातार नए क्षेत्रों में पानी फैल रहा है। सारण में गंडक बराज से लगातार पानी डिस्चार्ज किए जा रहे है। लिहाजा यहां बाढ़ का कहर है। वहीं, सीवान में दरौली क्षेत्र में सरयू नदी ने 22 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। नदी उफान पर है।
सूबे में बाढ़ का दायरा 16 जिलों की 1165 पंचायतों तक फैल गया है। मधेपुरा और सहरसा दो नए बाढ़ प्रभावित जिले हैं। आपदा प्रबंधन विभाग के अपर सचिव एम.रामचंद्रु डू ने बुधवार को बताया कि बाढ़ से राज्य में 66 लाख लोग प्रभावित हैं। 24 घंटे पहले तक राज्य में बाढ़ प्रभावित लोगों की संख्या 59.70 लाख थी। अपर सचिव ने बताया कि अब तक 375547 परिवारों के बीच प्रति परिवार 6-6 हजार रुपए के हिसाब से ग्रेच्युटस रिलीफ के रूप में 255 करोड़ रुपए बांटे गए हैं।
एनडीआरएफ और एसडीआरएफ के जवानों ने नावों के जरिए अब तक 4.80 लाख लोगों को निकाल कर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया है। अपर सचिव ने बताया कि गोपालगंज में 2, खगड़िया में 1 और समस्तीपुर में 5 राहत शिविर चलाए जा रहे हैं। इनमें 12000 लोग शरण लिए हुए हैं। इसके अलावा 1379 कम्युनिटी किचेन में प्रतिदिन 9.57 लाख लोग भोजन कर रहे हैं। बाढ़ ग्रस्त इलाकों में जरूरतमंद लोगों को पॉलिथीन सीट्स उपलब्ध कराए गए हैं।
समस्तीपुर : तीन रेलखंडों में रेलवे ट्रैक एवं रेल पुलों के निकट पहुंचा बाढ़ का पानी
समस्तीपुर में स्पेशल ट्रेनों का परिचालन बाधित है। इस मंडल के समस्तीपुर-दरभंगा, दरभंगा-सीतामढ़ी एवं सहरसा-मानसी रेलखंडों पर स्थित 6 रेलपुलों के निकट बाढ़ का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर आ जाने के कारण पूर्व मध्य रेल द्वारा सुरक्षात्मक कदम उठाते हुए इन रेलखंडों पर चलायी जा रही स्पेशल ट्रेनों को परिवर्तित मार्ग से चलाया जा रहा है। कुछ ट्रेनों का आंशिक समापन/ प्रारंभ कर भी परिचालन हो रहा है। सीपीआरओ ने बताया कि स्थिति सामान्य होते ही सभी ट्रेनें अपने पूर्व निर्धारित मार्ग से चलने लगेंगी। समस्तीपुर-दरभंगा मुख्य रेलमार्ग के बीच 3 रेलपुल तथा दरभंगा-सीतामढ़ी रेलमार्ग पर कमतौल और जोगियारा स्टेशन के बीच एक रेलपुल पर बाढ़ का पानी खतरे के निशान से ऊपर बह रहा है। सहरसा-मानसी रेलखंड पर कोपरिया से बदला घाट के बीच 2 रेलपुलों के निकट भी बाढ़ का जलस्तर खतरे के निशान को पार कर चुका है।
सारण : गंडक बराज से 1.5 लाख क्यूसेक पानी डिस्चार्ज, 10 नए गांवों में भी आई बाढ़
सारण तटबंध से सटे आठ प्रखंडों में बाढ़ का कहर है। अभी 350 गांव के साढ़े तीन लाख आबादी प्रभावित है। बुधवार को मढ़ौरा,मकेर और मशरक के 10 गांवों में बाढ़ का पानी घुस गया। अब तक 20 हजार हेक्टेयर से अधिक फसल बर्बाद हो चुका है। तरैया प्रखण्ड में बाढ़ की तबाही का मंजर ऐसा है कि 10 दिनों से बाढ़ की पानी से घिरे होने के कारण गरीबों के झोपड़ीनुमा मकान अब सर गल कर उजड़ने लगे है। अर्धपक्के मकान ध्वस्त होने लगे है।
सीवान : खतरे के निशान से 68 सेमी ऊपर बह रही सरयू, गांवों में घुसा बाढ़ का पानी
दरौली क्षेत्र में सरयू नदी ने 22 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। तीन दिनों से लगातार हो रही जलस्तर में वृद्धि के कारण नदी उफान पर है। इसके कारण दरौली के पश्चिमी भाग से आबादी वाले इलाके में पानी घुस गया है। बुधवार की सुबह वार्ड 7 और 8 के करीब 20 घरों में अफरातफरी मच गई। नदी के पानी से एक दर्जन से अधिक गांवों के सैकड़ों एकड़ में खेती बर्बाद हो चुकी है। तीन दिनों में करीब ढाई फीट पानी बढ़ा है।
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Flood situation in the state became even more severe, 16 districts vulnerable; 66 million people affected
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onlinekhabarapp · 5 years
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बेल्ट रोड पहल र चिनियाँ चासो
बेल्ट र सडक पहल -बीआरआई) भनेको चीन सरकारको विश्वव्यापी विकास रणनीति हो । चिनियाँ सरकारले १५२ देशहरूमा पूर्वाधार विकास र लगानी गर्न अघि सारेको यो रणनीतिमा एसिया, युरोप, अफ्रिका, एसिया प्रशान्त मध्य पूर्व र अमेरिका जस्ता अन्तर्राष्ट्रिय सङ्गठनहरु संलग्न छन् ।
सन् २०१३ मा इन्डोनेसिया र कजकिस्तानको आधिकारिक भ्रमणका क्रममा जनवादी गणतन्त्र चीनका नेता सी जिनपिङलेे घोषणा गरेका थिए । यसलाई २०१६ सम्म वान बेल्ट वान रोड (ओबीओआर) रेशम रोड आर्थिक बेल्ट र २१औँ शताब्दीको सामुद्रिक मार्ग भनिन्थ्यो । बेल्टले सडक र रेल यातायातका लागि जमिनमाथिको मार्गहरूलाई जनाउछ भने रोडले सामुदि्रक मार्गहरू र २१औँ शताब्दीको सामुदि्रक सिल्क रोडलाई जनाउँछ ।
चिनियाँ चासो चिनियाँ चासो खुला रहस्य हो, भन्ने कुरामा कुनै शङ्का छैन । चिनियाँ राष्ट्रपति सीले पश्चिम पहाड हुदै रेलमार्ग, ऊर्जा, पाइपलाइन, राजमार्ग र सुव्यवस्थित सीमा पार गर्ने विशाल नेटवर्क निर्माण गर्ने सोच राखेका छन् । पूर्व सोभियत गणतन्त्र र दक्षिण, पाकिस्तान, भारत र दक्षिणपूर्व एसियाको बाकी भागलाई (चिनियाँ जर्नलमा प्रकाशित ) बीआरआई मार्फत एउटै सन्जालको विस्तार गर्दै चिनियाँ आन्तरिक प्रयोगको अलवा चिनियाँ मुद्रा आरएमबी) विस्तार भएर आर्थिक लाभ लिन नयाँ पूर्वाधारले ‘एसियाली कनेक्टिभिटीमा कोशेढुङ्गा साबित गर्नेछ । एसियाली विकास बैङ्कको अनुमान अनुसार यस क्षेत्रले पूर्वाधार बिकास गर्न लाग्ने वाषिर्क लगभग ८०० अर्ब अमेरिकी डलर वित्तीय अभावको सामना गरिरहेको छ। भौतिक पूर्वाधारको अतिरिक्त, १९८० मा नेता देङ स्याओफिङको नेतृत्वमा आर्थिक सुधारका क्रममा सुरु गरिएको सेन्जेन विशेष आर्थिक क्षेत्रको नमुना जस्तँ राष्ट्रपति सीले ‘पचास विशेष आर्थिक क्षेत्रहरू’ निर्माण गर्ने योजना बनाएका छन ।
केरुङ चीनदेखि काठमांडौ र केरुङ –पोखरा–भैरहवासम्म रेलमार्ग निर्माणका लागि नेपाल र चीनबीच भएको द्विपक्षीय सहमति आधुनिक नेपालको प्रमुख ऐतिहासिक उपलब्धि हो
सुदीप सुवेदी
चिनियाँ सरकारले अघि सारेको बीआरआइमा अहिलेसम्म ६० भन्दा बढी देशहरू हस्ताक्षर गर्नमा रुचि देखाइसकेका कारण विश्वको दुई तिहाइ जनसंख्या समाहित भइसकेको छ । समग्रमा २०० अर्ब डलर खर्च गरिसक्दा, चीन पाकिस्तान आर्थिक कोरिडोरका लागि मात्रै ६८ अर्ब डलर खर्चिसकेको छ, जुन अरब सागरमा पाकिस्तानको ग्वादर बन्दरगाहमा चीनलाई जोड्ने परियोजनाहरुको संग्रह होे ।
मोर्गन स्टेनली अमेरिकी बहुराष्ट्रिय लगानी बैङ्कको भविष्यवाणीले बीआरआई लागु हुने समय ०२७ सम्म कुल खर्च बढेर १२ -१३ खरब डलर पुग्न सक्नेछ । द्रुत गतिमा भएको कार्यसम्पादनले कुल लगानी सकिँदासम्म पूर्वाधार विकासमा आश्चर्यजनक परिवर्तन ल्याउने छ भने राष्ट्रपति सीले एसिया, युरोप, मध्यपूर्वी अफ्रिका र अमेरिका समेतलाई बीआरआई जोड्ने कुरामा जोड दिएका छन् ।
चीनले गरेको आशा बीआरआई पहलको पछाडि चीनको भौगोलिक र आर्थिक दुवै स्वार्थ हुनु स्वाभाविक छ । राष्ट्रपति सीले एक चीन नीतिप्रती छिमेकी र अन्य देश लगायत अन्तर्राष्ट्रिय सङ्गठनसँग स्पस्ट अडान खोजेका छन ,जसका कारण विकासमा मात्र केन्द्रित भई दिगो विकास लक्ष हसिल गर्न सजिलो होस् । अहिलेको जस्तो औसत विकास र अधिक औद्योगिक क्षमताको कारणले देशको नेतृत्वलाई नया बजार खोज्ने दबाव नहोस् । जसले चीनसरकारलाई नयाँँ लगानीका अवसरहरू विकास गर्न, निर्यात बजार वृद्धि गर्न र घरेलु आम्दानी र घरेलु खपतलाई बढावा दिन पनि सहयोग पुर्‍याउँछ ।
बीआरआईलाई विज्ञहरूले मेड इन चाइना २०२५ आर्थिक विकास रणनीतिको साथ चिनियाँ राज्यको कार्यहरुमध्ये मुख्य योजनाका रूपमा हेर्छन् । बीआरआईमार्फत चीनले अमेरिकी सेनाको प्रभाब सन्तुलन कायम राख्दै मध्य एसिया र मध्यपूर्वबाट दीर्घकालीन ऊर्जा र आपूर्तिका लागि विशेष गरी ऐतिहासिक रूपमा बेवास्ता गरिएको पश्चिमी प्रान्त झिनजियाङमा आर्थिक विकासको प्रवर्द्धन गरी पृथकतावादी हिंसा नियन्त्रण गर्ने लक्ष लिएको छ ।
राष्ट्रपति सीका लागि, बीआरआईले अमेरिकन नीति ‘एसियाको उदयमान राष्ट्रलाई सन्तुलनमा राखौ को विरुद्ध गतिलो जबाफ हो । अमेरिकाले २०११ मा ओबामा प्रशासनले आरम्भ गरेको एसियामा अमेरिकाको नव केन्द्रित प्रभावप्रति चिनियाँँ प्रतिक्रियाका रूपमा बुझेको छ । बेइजिङका धेरैले यसलाई दक्षिण पूर्वी एसियामा अमेरिकाले आर्थिक सम्बन्ध विस्तार गर्दै चीनलाई समेट्ने प्रयासको रूपमा बुझेका थिए ।
चाइनिज काउन्सिल अन फोरेन रिलेसनका अनुसार २०१५ को भाषणमा सेवानिवृत्त चिनियाँ जनरल किआओ लियङ बीआरआईले ‘अमेरिकाको पूर्ववर्ती चालको विरुद्ध हेज रणनीति’ भनेर वर्णन गरे ,यसअर्थमा, सीको आक्रामक दृष्टिकोण देङ स्याओफिङको “आफ्नो शक्ति लुकाउनुहोस आफ्नो समयको रक्षा गर्नुहोसू भन्ने हुबहु अनुसरण गरेका उनी भन्दा अगाडिका राष्ट्रपतीहरु भन्दा धेरै माथिल्लो स्तरको कुरा हो ।
चाइनिज काउन्सिल अन फोरेन रिलेसनका अनुसार सीएफआरको एलिजाबेथ सी एकोनोमी लेख्छ, चीनले अब सक्रियताका साथ अन्तर्राष्ट्रिय मान्यता र आकारको खोजी गर्न थालेको छ । विश्वव्यापी मञ्चमा आफ्नो उपस्थिति जबरजस्त देखाएको छ भने सुदूरपूर्वी आर्थिक समीक्षाका पूर्वसम्पादक नयन चन्दले बीआरआईलाई २१औँ शताब्दीमा चीनको शक्तिको महत्वाकांक्षा भनेका छन् ।
विश्वको भू-राजनैतिक शक्ति सन्तुलन कायम राख्दै छिमेकीहरुलाई आर्थिक तवरमा सहयोग गरी आÏनो छवि सुधार हुने बेइजिङको लक्ष्य रहेको छ ।
चिनियाँ नेताहरू कथित अधिक मध्यम आयको पासोबाट बच्न अर्थव्यवस्थाको पुनँसंरचना गर्न कटिवद्ध छन् । चाइनाले सन् १९६० देखि मध्यम आय भएका देशहरूको प्रतिनिधित्व गरिरहेको छ भने मजदुरहरूको संख्या बढेको छ र कम गुणस्तरको उत्पादन बढ्दै जाँदा जीवनको गुणस्तरमा औसत सुधार त आएको छ । तर, निर्यातमा कठिनाइ पर्न गएकाले उच्च मूल्यका सामान र सेवाहरू उत्पादन गर्न कठिन सङ्घर्ष झेलिरहको छ ।
चिनियाँ एकेडेमी अफ सोसियल साइन्सेजका झाङको तर्कमा बीआरआईले अर्थव्यवस्थाको विकासलाई प्रोत्साहित गर्ने गरी उच्च गुणस्तरका सामग्री उत्पादन गर्न नया उत्पादन श्रृखलाहरू बढाउदै गुणस्तरीय निर्यातका विकल्पहरू दिनेछ ।
नेपालले लिन सक्ने फाइदा नेपालका तत्कालीन प्रधानमन्त्री पुष्पकमल दाहाल (प्रचण्ड) २०१७, मार्च २७ मा राष्ट्रपति सीसँगको भेटमा ‘बेल्ट रोड’ परियोजनाको संयुक्त रूपमा निर्माणमा सहयोग गर्न सहमत भए । त्यसबेलादेखि चीनसँगको द्वीपक्षीय सहयोगको माग बढ्दो छ ।
नेपाल जटिल र चुनौतीपूर्ण भूगोलसहितको हिमाली देश हो । आर्थिक विपन्नता, राजनीतिक अस्थिरता, जटिल सामाजिक जीवन र भ्रष्टाचार र सुस्त नोकरशाही कार्य प्रणालीको चुनौतीलाई पार गर्नका लागि कठिन सङ्घर्ष भोगिरहेको छ । सम्पूर्ण विश्वलाई जोड्ने बीआरआई जस्तो बृहत पारीयोजना नेपाली जनताका लागि आशाको किरण हाे । अप्रिल २०१६ मा नेपाली सीमानाबाट ३८६ किलोमिटर टाढा लान्जाउदेखि सिगात्सेसम्म २४३१ किलोमिटर पार गर्ने चिनियाँ कार्गो रेलको आगमनलाई नेपालीहरूले स्वागत गरे ।
केरुङ चीनदेखि काठमांडौ र केरुङ -पोखरा-भैरहवासम्म रेलमार्ग निर्माणका लागि नेपाल र चीनबीच भएको द्वीपक्षीय सहमति आधुनिक नेपालको प्रमुख ऐतिहासिक उपलब्धि हो । यी परियोजनाहरूले पक्कै पनि नेपालको विकास र समृद्धिमा ठूलो योगदान पुर्‍याउन सक्छन् । यो समयमा एकल देशीय परनिर्भरता अन्त्यको सेतु हो । जसले आÏनो राजनैतीक आर्थिक तथा सामाजिक गतिविधिहरुका लागि स्वतन्त्र रहन मद्दत गर्न सक्छ । यस्ता ठूला आयोजनाहरू निर्माण भएमा नेपालको आर्थिक अवस्थामा परिवर्तन भई उत्तरी क्षेत्रले सोचेको विकास हासिल गर्न सक्नेछ ।
नेपाल चीनद्वारा आरम्भ गरिएको एसियाली पूर्वाधार लगानी बैङ्क (एआईआईबी) का संस्थापक सदस्य हो । एआईआईबी आफैं बीआरआईको कार्यान्वयनका लागि एक मानार्थ संस्था हो । यस फोरममार्फत पनि नेपालले यसको विकास र यसका स्रोतहरूको अधिकतम उपयोगका लागि लाभ लिन सक्छ ।
नेपाल र चीनबीचको दुईदेशीय सम्बन्ध सुधार हुँदै नागरिक तहसम्म सम्बन्ध विस्तार हुन पुगी नेपाली विद्यार्थी र चिनिया सोधकर्ता निर्विवाद आवत-जावत गर्न अझ सझिलो पर्ने छ । साना तथा मझौलास्तरका व्यवसाय रेस्टुरेन्ट र होटेलबाटमाथि उठ्दै राष्ट्रिय गौरवका आयोजना, औद्योगिक क्षेत्र र हाइड्रो पावर जस्ता महत्त्वपूर्ण संरचना निर्माण गर्न ठूलो चिनियाँ लगानी नेपाल भित्रिने छ । चिनियाँ विदेश मन्त्री वाङ यीको नेपाल भ्रमण र आसन्न राष्ट्रपति सी जिन पिङको नेपाल भ्रमणले पनि नयाँ फड्को मर्ने छ । चिनियाँ लगानीकर्ताले सेप्टेम्बर ७ , २०१९ मा काठमाण्डौ मा लगानी सेमिनार र ८ सेप्टेम्बर ,२०१९ मा भरतपुर महानगरपालिका मा लगानी गोष्टी गरेर चितवनको शक्तिखोर क्षेत्रको निरीक्षण गर्दै औद्योगिक क्षेत्र निर्माणमा सहयोग गर्ने बचन वद्घता प्रकट गरे ।
प्राकृतिक सम्पदासहितको सानो देशका रूपमा नेपाल पर्यटनका लागि उत्तम विकल्प हो । प्रमुख हिमालयन चुचुरोहरूको मातृभूमिको मालिकका रूपमा, यसले गएको शताब्दीदेखि गर्दै आएको सेवा सम्पूर्ण विश्वका पर्यटकहरूलाई मौलिक र परीसकृत रुपले आकषिर्त गर्न सक्नेछ ।
तर, बीआरआई परियोजना र चीनसँगको नजिक र सुमधुर सम्बन्धका कारण नेपालले चिनियाँ जनतालाई पर्यटकका रूपमा स्वागत गर्नेछ र छिट्टै चीन नेपालमा पर्यटनको प्रमुख स्रोत हुनेछ ।
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