#पवित्र संबंध
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#कादर_अल्लाह_कबीरBaakhabar Sant Rampal Ji#पवित्र कुरान में किस अल्लाह के संबंध में कहा गया है जानकारी प्राप्त करने के लिए पुस्तक पढ़ें मु
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#TheLastProphet_SantRampalJi
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🔅 पवित्र क़ुरआन में वर्णित ऐन सीन काफ़ और पवित्र गीता जी में वर्णित ओम तत सत में क्या संबंध है?
जानने के लिए अवश्य पढ़िए पवित्र पुस्तक मुसलमान नहीं समझे ज्ञान क़ुरआन।
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#TheLastProphet_SantRampalJi
पवित्र क़ुरआन में वर्णित ऐन सीन काफ़ और पवित्र गीता जी में वर्णित ओम तत सत में क्या संबंध है?
जानने के लिए अवश्य पढ़िए पवित्र पुस्तक मुसलमान नहीं समझे ज्ञान क़ुरआन।
Most Merciful Allah Kabir
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#GodMorningWednesday
#WednesdayMotivation
#WednesdayThought
#आदिगणेश_सर्व_देवों_का_स्वामी
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#सत_भक्ति_संदेश
*सतगुरु शरण में आने से आई टले बला!जै मस्तक में सूली हो, कांटे में टल जा!!*
*सतगुरु जो चाहे सो करहिं, 14 कोटि दूत जम डरहिं! ऊत भूत जम त्रास निवारे,चित्रगुप्त के कागज़ फ़ारे!!*
*सत्संग की आधी घड़ी, तप के वर्ष हजार ! तो भी बराबर है नहीं, कहै कबीर विचार !!*
*राम बुलावा भेजिया,दिया कबीरा रोए! जो सुख है सत्संग में,बैकुंठ में ना होए!!*
*केहरि नाम कबीर का विषम काल गजराज! दादू भजन प्रताप से, भागे सुनत आवाज़!!*
*कबीर,और ज्ञान सब ज्ञानड़ी, कबीर ज्ञान सो ज्ञान!*
*जैसे गोला तोब का, करता चले मैदान!!*
*अनंत कोटि ब्रह्मांड का, एक रति नहीं भार! सतगुरु पुरुष कबीर हैं, कुल के सृजनहार!!*
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#आदिगणेश_ये_है
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#आदिगणेश_सर्व_देवों_का_स्वामी
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1🎈 अवश्य जानिए गणेश और आदि गणेश में कौन हैं जो सम्पूर���ण सृष्टी के विघ्नहर्ता हैं।
अधिक जानकारी के लिए पढें पवित्र पुस्तक ज्ञान गंगा।
2🎈गौरी पुत्र गणेश जी को तो सब जानते हैं लेकिन वह आदि गणेश कौन है? जो सर्व सृष्टि का रचनहार है, असंख्यों ब्रह्मांडों का स्वामी व पूर्ण मोक्ष दाता है।
जानने के लिए देखें Sant Rampal Ji Maharaj YouTube Channel
3🎈धार्मिक मान्यता अनुसार प्रत्येक काम आरम्भ करने से पहले गणेश जी की वंदना करते हैं। पर शास्त्रों के अनुसार आदि गणेश अर्थात पूर्ण परमात्मा की भक्ति करनी चाहिए जिससे पूर्ण लाभ प्राप्त हो सके।
अधिक जानकारी के लिए देखें Sant Rampal Ji Maharaj YouTube Channel
4🎈क्या श्री गणेश जी की भक्ति से हमारा मोक्ष हो सकता है।
मोक्ष प्राप्ति के लिए आदि गणेश अर्थात कबीर परमात्मा की भक्ति जरूरी है।
अधिक जानकारी के लिए देखें Sant Rampal Ji Maharaj YouTube Channel
5🎈आदि गणेश मनाऊँ, गण नायक देवन देवा।
चरण कमल ल्यौ लाऊ , आदि अंत करूँ सेवा।।
संत गरीबदासजी की अमर वाणी में आदि गणेश (पूर्ण परमात्मा) का जिक्र आता है जो सबके उत्पत्तिकर्ता हैं।
जाने कौन हैं आदि गणेश, देखें Sant Rampal Ji Maharaj YouTube Channel
6🎈 अवश्य जानिए कि गणेश जी के जन्�� से पहले से विद्यमान आदि गणेश कौन है?
जिसका धर्मशास्त्रों में वर्णन है।
अधिक जानकारी के लिए देखें Sant Rampal Ji Maharaj YouTube Channel
7🎈 गणेश और आदि गणेश का क्या संबंध है और क्या अंतर है?
अधिक जानकारी के लिए अवश्य देखें साधना चैनल शाम 07:30 बजे।
8🎈 जानिए सिर्फ पूर्ण सतगुरु ही गणेश और आदि गणेश के बीच का भेद बता सकता है।
अधिक जानकारी के लिए देखें Sant Rampal Ji Maharaj YouTube Channel
10🎈रिद्धि सिद्धि के दाता गणेश जी को तो सब जानते हैं लेकिन वह आदि गणेश कौन है जिनकी भक्ति साधना से सर्व सिद्धियां, सर्व सुख तथा पूर्ण मोक्ष प्राप्त होता है। देखें Sant Rampal Ji Maharaj YouTube Channel
11🎈 गणेश जी को प्रसन्न करने का वास्तविक मंत्र क्या है?
जानने के लिए देखें Sant Rampal Ji Maharaj YouTube Channel
12🎈 वह आदि गणेश कौन है जिसे पाने के बाद हमारा जन्म-मरण का रोग सदा के लिए समाप्त हो जाएगा तथा हमें शाश्वत स्थान मिलेगा।
अधिक जानकारी के लिए देखें Sant Rampal Ji Maharaj YouTube Channel
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Kolhapur - कोल्हापूर Meena Bajpai @ms_yatra wrote : #🌹🙏# भरत जी #🙏🌹 भूमिजा - रमण - पदकंज - मकरंद - रस - रसिक - मधुकर भरत भूरिभागी । भुवन - भूषण, भानुवंश - भूषण, भूमिपाल - मणि रामचंद्रानुरागी ॥ 💐श्रीभरतजीकी जय हो, जो जानकीपति श्रीरामजीके चरण - कमलोंके मकरन्दका पान करनेके लिये रसिक भ्रमर हैं । जो संसारके भूषणस्वरुप, सूर्यवंशके विभूषण और नृप - शिरोमणि श्रीरामचन्द्रजीके पूर्ण प्रेमी हैं ॥💐 भरत जी न केवल भगवान राम के एक प्रमुख भक्त हैं, बल्कि रामायण के सबसे आराध्य और पवित्र चरित्र हैं।भरत चरित का निरं��र जप भगवान राम के करीब आने में मदद करता है, जीवन से सभी बाधाओं को दूर करता है और परिवार के सदस्यों के बीच संबंध को बढ़ाता है। #kolhapur #maharashtra #2april #2018 #monday #laxmitemple # #kolhapurcity #mahalakshmi #🙏🙏 #mandirdiaries🙏 #msyatra #bharat #ancienttemple #indiantemple #templetourism #templeofindia #architecture #myyatra #389 #templearchitecture #🌹🌹 (via Instagram: Meena Bajpai @ms_yatra)
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#GodMoringTuesday
#noidagbnup16
पवित्र क़ुरआन में वर्णित ऐन सीन काफ़ और पवित्र गीता जी में वर्णित ओम तत सत में क्या संबंध है?
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#TheLastProphet_SantRampalJi
पवित्र क़ुरआन में वर्णित ऐन सीन काफ़ और पवित्र गीता जी में वर्णित ओम तत सत में क्या संबंध है?
जानने के लिए अवश्य पढ़िए पवित्र पुस्तक मुसलमान नहीं समझे ज्ञान क़ुरआन।
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#TheLastProphet_SantRampalJi
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#SantRampalJiMaharaj
ऐन सीन काफ़ का रहस्य !
पवित्र कुरआन में वर्णित ऐन सी�� काफ़ और पवित्र गीता जी में वर्णित ओम तत सत में क्या संबंध है?
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#TheLastProphet_SantRampalJi
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🔅 पवित्र क़ुरआन में वर्णित ऐन सीन काफ़ और पवित्र गीता जी में वर्णित ओम तत सत में क्या संबंध है?
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नर्मदेश्वर शिवलिंग क्यों चुनें?
TOPIC Covered
परिचय
महत्व और इतिहास
नर्मदेश्वर शिवलिंग की कीमत क्या है?
आध्यात्मिक संबंध
कीमत को प्रभावित करने वाले कारक
मूल्य निर्धारण सीमा
मूल्य निर्धारण सीमा
परिचय
नर्मदेश्वर शिवलिंग (Narmadeshwar shivling price), हिंदू धर्म में एक पवित्र प्रतीक, आध्यात्मिक प्रथाओं और अनुष्ठानों में गहरा महत्व रखता है। इसके इतिहास, प्रकार और आध्यात्मिक संबंधों के दिलचस्प पहलू इसे अत्यधिक आकर्षण का विषय बनाते हैं।
महत्व और इतिहास
नर्मदेश्वर शिवलिंग(Narmadeshwar shivling price )का सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व सदियों पुराना है, जिसकी जड़ें ��िंदू परंपराओं में गहराई से जुड़ी हुई हैं। ऐतिहासिक पृष्ठभूमि की खोज से इसकी पवित्र प्रमुखता के विकास के बारे में अंतर्दृष्टि मिलती है।
नर्मदेश्वर शिवलिंग की कीमत क्या है?
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यह प्रोडक्ट Shivansh Narmadeshwar shivling
नर्मदेश्वर...
Narmadeshwar Shivling ओरिजिनल...
रेटिंग
5 में से 4.2 स्टार 103 समीक्षाएँ
5 में से 4.2 स्टार 36 समीक्षाएँ
कीमत
₹999.00
₹498.00
विक्रेता
PANDIT NM SHRIMALI
NARMADESHWAR SHIVLING
मटीरियल
पत्थर
पत्थर
आध्यात्मिक संबंध
नर्मदेश्वर शिवलिंग (Narmadeshwar shivling price) से जुड़ी मान्यताओं के साथ-साथ ध्यान और पूजा पद्धतियों में गहराई से जाने से इसके गहन आध्यात्मिक संबंध का पता चलता है। कई लोगों को इसकी उपस्थिति में सांत्वना और ज्ञान मिलता है।
कीमत को प्रभावित करने वाले कारक
नर्मदेश्वर शिवलिंग की कीमत (Narmadeshwar shivling price) को प्रभावित करने वाले कारकों की खोज से इन पवित्र कलाकृतियों को प्राप्त करने से जुड़ी जटिलताओं का पता चलता है। आकार, वजन, गुणवत्ता और प्रामाणिकता समग्र मूल्य निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
मूल्य निर्धारण सीमा
सभी के लिए सुलभ प्रवेश स्तर के विकल्पों से लेकर प्रीमियम और कलेक्टर संस्करण तक, नर्मदेश्वर शिवलिंग की मूल्य सीमा विविध दर्शकों की जरूरतों को पूरा करती है। स्पेक्ट्रम को समझने से संभावित खरीदारों को सूचित निर्णय लेने में मदद मिलती है।
नर्मदेश्वर शिवलिंग की कीमत को कौन से कारक प्रभावित करते हैं?
नर्मदेश्वर शिवलिंग (Narmadeshwar shivling price)का आकार, वजन, गुणवत्ता और प्रामाणिकता इसकी कीमत निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। कलेक्टर के संस्करण और अनूठी विशेषताएं भी समग्र लागत में योगदान कर सकती हैं।
क्या नर्मदेश्वर शिवलिंग के रखरखाव के लिए कोई विशेष सुझाव हैं?
हां, नर्मदेश्वर शिवलिंग(Narmadeshwar shivling price) की पवित्रता बनाए रखने में सरल सफाई और रखरखाव युक्तियाँ शामिल हैं। कठोर रसायनों से बचें और इसके आध्यात्मिक सार को संरक्षित करने के लिए इसे सावधानी से संभालें।
शिवांश नर्मदेश्वर शिवलिंग को संग्रहणीय वस्तु क्यों बनाती है?
शिवांश नर्मदेश्वर शिवलिंग(Narmadeshwar shivling price) को अक्सर इसकी अनूठी विशेषताओं, दुर्लभ विशेषताओं और आध्यात्मिक रूप से महत्वपूर्ण कलाकृतियों को प्राप्त करने में बढ़ती रुचि के कारण संग्रहकर्ता की वस्तु माना जाता है।
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गप्पा विथ बप्पा :एक नई शुरुआत
हर साल, जैसे-जैसे मानसून की बारिश हमारे दैनिक जीवन की धूल धोती है, हवा में पूर्वानुमान की भावना भर जाती है। सड़कें सजी हुई सी कुछ जीवंत हो उठती हैं और ढोल की थाप कहीं-कहीं सड़कों पर गूंजती सुनाई देती है। यह फिर से वह समय है, जब भगवान गणेश, जिन्हें प्यार से बप्पा कहा जाता है, अपनी दिव्य उपस्थिति ��े हमारे घरों और दिलों को सुशोभित करते हैं। लेकिन क्या आपने कभी रुककर सोचा है कि बप्पा साल-दर-साल क्यों लौटते हैं?
उत्तर सरल लेकिन गहन है। बप्पा लौट आते हैं क्योंकि वह समझते हैं, वह जानते हैं कि जीवन थका देने वाला हो सकता है, हम अक्सर अपने आप को अपने दैनिक अस्तित्व के बोझ से दबा हुआ पाते हैं। वह हमें यह याद दिलाने आते हैं कि विपरीत परिस्थितियों में भी हम अकेले नहीं हैं।
जब बप्पा अपने मूर्ति स्वरूप में हमारे साथ आते हैं, तो हम उनके लिए अपना दिल खोल देते हैं। हम उनकी देखभाल करते हैं, उनकी पूजा करते हैं, और उन्हें प्रेम और भक्ति के साथ साथ स्वादिष्ट प्रसाद का आस्वाद भी देते हैं। उन्हीं क्षणों में, हम एक पवित्र संबंध बनाते हैं, सांसारिक और दिव्यता के बीच एक पुल जैसा। जो कई अनुष्ठानों और समारोहों से कहीं अधिक संतुष्टिदायक हैं; इसका अर्थ बहुत ही गहरा हैं क्यूंकि साक्षात ईश्वर आपके समक्ष हैं, और वो भी आपके अनुसार आपके दिये गए स्थान पर विराजित हैं।
उन संक्षिप्त लेकिन अनमोल दिनों के दौरान जब बप्पा हमारे साथ रहते हैं, वह हमारे जीवन के मूक पर्यवेक्षक बन जाते हैं। वह हमें अपनी दैनिक दिनचर्या करते हुए देखते है, वह हमारे विचारों को सुनते है, और समस्याओं को देखते हैं ,हमारे द्वारा चुने गए हर प्रयत्न व विकल्पों के साक्षी बनते है। बप्पा भी हमारी दुनियां में डूब जाते हैं, हमारी खुशियों का अनुभव करते हैं और हमारी चुनौतियों में हिस्सा लेते हैं और यहीं से बप्पा हम पर अपना आशीर्वाद देना शुरू करते हैं। वह हमारे संघर्षों, हमारी सीमाओं और हमारी आकांक्षाओं को फिर से समझ जो चुके होते हैं, फिर से अपने दिव्य ज्ञान से, वह हमें संयमित और पूर्णता के मार्ग पर ले जाते हैं। बप्पा का आशीर्वाद विशेषाधिकार प्राप्त कुछ लोगों के लिए आरक्षित नहीं है; वे हर उस व्यक्ति के लिए हैं जो अपना हृदय उसके सामने खोलता है।
बप्पा हमारा विश्वास हैं, वह हमें सिखाते हैं कि विश्वास मानवीय सीमाओं से परे है। ये दिखाता है कि प्रतिकूल परिस्थितियों में भी आशा है। वह हमें याद दिलाते हैं कि हमारी समस्याएं अजेय नहीं हैं, और विश्वास और दृढ़ संकल्प के साथ, हम अपने रास्ते में आने वाली किसी भी बाधा को दूर कर सकते हैं।
आइएं हम उनके आगमन के वास्तविक सार को याद रखें। बप्पा हमारी भलाई के लिए, हम पर अपने दिव्य आशीर्वाद बरसाने के लिए और हमारा मार्गद��्शन करने के लिए यहां ��ैं। वह हमारी जीवन यात्रा को आसान बनाने, जीवन की जटिलताओं से निपटने में हमारी मदद करने के लिए आते है।
तो इस साल, जब बप्पा एक बार फिर आ रहे हैं, आइए हम उनके लिए अपना दिल पहले की तरह खोलें। आइए हम बप्पा से संवाद करें, अपने विचार, अपनी आशाएँ और अपने सपने साझा करें।
आइए हम बप्पा के साथ "गप्पा" करें, शायद यहीं से हमारे आने वाले कल की एक सुदृढ शुरूआत होती हैं। ये संपूर्ण गणेशोत्सव ही बप्पा हमसे रूबरूं होते हैं और जब वह प्रस्थान करते हैं, अपने पीछे सकारात्मकता, प्रगत सोच और विश्वास का भंडार छोड़ जाते हैं जो हमें आने वाले वर्ष की चुनौतियों तक का सामना करने में हमारी मदद करती हैं। उनकी दिव्य उपस्थिति को खुली बांहों से स्वीकार करें, और उनकी कृपा से आपके जीवन को प्यार, खुशी और प्रचुरता से भरने दें।
बप्पा आ रहे हैं, सिर्फ एक मूर्ति के रूप में नहीं, बल्कि आशा के प्रतीक के रूप में, हमारे जीवन में प्रकाश की किरण के रूप में। उनका स्वागत करें और उनकी उपस्थिति को संजोए���।
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छठ पूजा गीत
**छठ पूजा: सूर्य देवता की आराधना और भारतीय संस्कृति में इसका महत्व**
**परिचय**
छठ पूजा हिंदू धर्म का एक प्रमुख पर्व है, जिसे विशेष रूप से बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड और नेपाल के तराई क्षेत्र में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। यह पर्व सूर्य देवता की पूजा का पर्व है, जिसमें श्रद्धालु सूर्य देवता और उनकी बहन छठी मइया की पूजा करते हैं। यह पर्व शुद्धता, तात्त्विकता और सूर्य के प्रति श्रद्धा का प्रतीक है। छठ पूजा का आयोजन कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को किया जाता है। इस दिन सूर्योदय और सूर्यास्त के समय विशेष पूजा होती है। इस पूजा में व्रति (व्रत रखने वाले) अपनी संतान की सुख-समृद्धि, आरोग्य और दीर्घायु के लिए सूर्योदय और सूर्यास्त के समय जल में खड़े होकर पूजा करते हैं।
**छठ पूजा का इतिहास और उत्पत्ति**
छठ पूजा का इतिहास बहुत पुराना है, लेकिन इसकी उत्पत्ति के बारे में कई अलग-अलग मान्यताएं प्रचलित हैं। एक मान्यता के अनुसार, यह पूजा सूर्य देवता की आराधना से संबंधित है, जिसे हिंदू धर्म में 'आदि देवता' के रूप में पूजा जाता है। छठ पूजा की शुरुआत महाभारत काल में मानी जाती है, जब पांडवों ने सूर्य देवता की आराधना की थी। उस समय सूर्य देवता ने उन्हें आशीर्वाद दिया और उनका राज्य पुनः प्राप्त करने में मदद की थी। इसके बाद से यह पूजा विशेष रूप से पांडवों द्वारा की जाती थी, और समय के साथ यह पूजा विभिन्न समुदायों में लोकप्रिय हो गई। कुछ अन्य कथाओं के अनुसार, छठ पूजा का संबंध राजा कीर्तिवर्मा और उनकी पत्नी से भी जुड़ा हुआ है, जिन्होंने इस पूजा के माध्यम से अपने पुत्र को मृत्यु से बचाया। हालांकि, इसकी वास्तविक उत्पत्ति के बारे में निश्चित रूप से कुछ कहना मुश्किल है, लेकिन यह कहा जा सकता है कि यह पूजा सूर्य देवता की अनंत कृपा और उनकी ऊर्जा का प्रतीक है।
**छठ पूजा का महत्व**
छठ पूजा का महत्व शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक शुद्धता से जुड़ा हुआ है। इस पूजा में सूर्य देवता और उनकी बहन छठी मइया की पूजा की जाती है, जो जीवन के उत्थान और समृद्धि के प्रतीक माने जाते हैं। इस पूजा का उद्देश्य न केवल व्यक्तिगत कल्याण है, बल्कि पूरे समाज के कल्याण की भी कामना की जाती है। यह पर्व एकता, भाईचारे, और समाज की समृद्धि को बढ़ावा देने वाला है। छठ पूजा के दौरान व्रति (व्रत रखने वाले) अपने जीवन में शुद्धता बनाए रखते हैं और कई प्रकार के मानसिक और शारीरिक संयम का पालन करते हैं। यह पूजा न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह एक सांस्कृतिक और पारंपरिक महत्व भी रखती है।
**छठ पूजा की तैयारी**
छठ पूजा की तैयारी कई दिन पहले से शुरू हो जाती है। इस पूजा का सबसे अहम हिस्सा है 'व्रत'। जो लोग व्रत करते हैं, वे पूरे दिन उपवासी रहते हैं, और सन्नाटे में अपना समय बिताते हैं। यह पूजा पूरी तरह से शुद्धता और संयम पर आधारित है, इसलिए पूजा की तैयारी में ध्यान, स्वच्छता, और साधना का विशेष स्थान होता है। व्रति घर की सफाई करते हैं, और घर में कोई भी अशुद्धता या गंदगी नहीं रहने देते। इसके अलावा, पूजा के लिए आवश्यक सामग्री जैसे कि ठेकुआ (एक प्रकार की मिठाई), फल, गुड़, नारियल, दीपक, और पूजा की थाली तैयार की जाती है।
**छठ पूजा का व्रत और विधि**
छठ पूजा के मुख्य रूप से दो दिन होते हैं -
1. **पहला दिन - नहाय-खाय**:
इस दिन व्रति गंगा या किसी अन्य पवित्र नदी में स्नान करके, शुद्ध होकर अपने घर लौटते हैं। इस दिन व्रति विशेष प्रकार का भोजन करते हैं, जिसे 'नहाय-खाय' कहा जाता है। यह भोजन पूरी तरह से शाकाहारी होता है, जिस���ें कद्दू-चिउड़ा, चावल, दाल और साग होते हैं। इस दिन का उद्देश्य शरीर को शुद्ध करना और मानसिक रूप से पूजा के लिए तैयार होना होता है।
2. **दूसरा दिन - खट्टी-चढ़ाई**:
यह दिन व्रति के लिए विशेष रूप से कठिन होता है। इस दिन व्रति केवल फलाहार करते हैं और पूरे दिन उपवासी रहते हैं। वे सूर्य देवता की उपासना के लिए पवित्र जल में स्नान करते हैं और छठी मइया को सम्मानित करने के लिए पूजा करते हैं। इस दिन के अंत में व्रति ठेकुआ और अन्य पकवानों का प्रसाद छठी मइया को अर्पित करते हैं।
3. **तीसरा दिन - सूर्यास्त पूजा**:
यह दिन विशेष महत्व रखता है। सूर्यास्त के समय व्रति नदियों या तालाबों के किनारे खड़े होकर सूर्य देवता की पूजा करते हैं। इस दौरान व्रति पूरी तरह से ध्यान केंद्रित कर सूर्य देवता से अपनी इच्छाएं पूरी करने की कामना करते हैं। यह पूजा सूर्य देवता को अर्घ्य देने की प्रक्रिया में होती है, जिसमें जल में खड़े होकर अर्घ्य दिया जाता है। सूर्य देवता की पूजा के बाद व्रति ठेकुआ और अन्य पकवानों का प्रसाद सभी को वितरित करते हैं।
4. **चौथा दिन - सूर्योदय पूजा (अर्घ्य दान)**:
यह दिन पूजा का अंतिम दिन होता है। इस दिन सूर्योदय के समय व्रति सूर्य देवता को अर्घ्य प्रदान करते हैं। इस दिन के बाद व्रति का व्रत समाप्त होता है और वे प्रसाद ग्रहण करते हैं। इस दिन के बाद व्रति का शरीर और मन पूरी तरह से शुद्ध हो जाता है, और वे अपने जीवन में शांति और सुख-समृद्धि की प्राप्ति का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
**छठ पूजा में पर्यावरण का महत्व**
छठ पूजा में प्रकृति और पर्यावरण का बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। इस पूजा के दौरान नदी, तालाब या जलाशयों में स्नान करना और सूर्य देवता की पूजा करना, यह प्रदूषण और जलवायु संरक्षण का संदेश देता है। व्रति जल में खड़े होकर न केवल सूर्य देवता की पूजा करते हैं, बल्कि वे जल की शुद्धता और इसके महत्व को भी समझते हैं। छठ पूजा के दौरान नदियों के किनारे साफ-सफाई पर विशेष ध्यान दिया जाता है, जिससे पर्यावरण को नुकसान न पहुंचे।
**समाप्ति**
छठ पूजा न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह हमारे जीवन में संयम, शुद्धता, और आस्था को भी बढ़ावा देती है। सूर्य देवता की आराधना के माध्यम से हम अपने जीवन में समृद्धि, सुख और शांति की कामना करते हैं। यह पर्व समाज में भाईचारे, सहयोग और सामूहिकता की भावना को प्रगाढ़ करता है। जो लोग इस पूजा को श्रद्धा और विश्वास से करते हैं, उनका जीवन एक नई दिशा की ओर बढ़ता है, और वे हर कठिनाई को पार करने के लिए मानसिक रूप से सशक्त हो जाते हैं। इस प्रकार, छठ पूजा हमारे समाज में न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि यह हमारे जीवन के विभिन्न पहलुओं को संतुलित करने का एक माध्यम भी है।
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Sadhna TV Satsang || 01-11-2024 || Episode: 3073 || Sant Rampal Ji Mahar...
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भगवान कृष्ण के गोपी और राधा के साथ संबंध का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व क्या है?
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सुनिए जगतगुरु तत्त्वदर्शी संत रामपाल जी
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#अवश्य_जानिये...
✓✓✓ दीपावली मनाने का सहीं तरीका क्या हैं ?
🌼🪔🌼🧨🌼🪔🌼🧨🌼🪔🌼🧨🌼🪔🌼
💠💠💠 दिवाली हिन्दू धर्म का सबसे बड़ा त्योहार माना जाता है इस दिन लोग माता लक्ष्मी की उपासना करते हैं। कहते हैं कि इस दिन श्री रामचंद्र जी 14 साल के वनवास के बाद लौटे थे।
💠💠💠 रामायण के मुताबिक, भगवान श्रीराम जब लंकापति रावण का वध करके माता सीता और भाई लक्ष्मण के साथ अयोध्या वापस लौटे तो उस दिन पूरी अयोध्या नगरी दीपों से सजी हुई थी। कहते हैं कि भगवान राम के 14 वर्षों के वनवास के बाद ��योध्या आगमन पर दिवाली मनाई जाती हैं लेकिन जब 2 वर्ष बाद जब सीता ��ाता को घर से निकाल दिया गया था उसके पहचात दशहरा, दीवाली मनाना सब बंद हो गया था क्योंकि राजा और रानी ही भिन्न भिन्न हो गए तो खुशी किस बात की।
इस संबंध में और अधिक जानकारी के लिए पढ़े पुस्तक ज्ञान गंगा।
सबसे बड़े भगवान सत्यपुरूष ने अपने सुक्ष्मवेद की अमृतवाणी में बताया हैं कि..
सदा दीवाली संत की, बारह माह बसंत *
प्रेम (राम नाम) रंग जिन पर चढ़े,उनके रंग अनंत **
सदा दिवाली संत की,आठों पहर आनन्द *
अकल मता कोई उपजे,गिने इंद्र को रंक **
दीपावली पर्व के विषय में हमारे पवित्र शास्त्रों में क्या बताया गया हैं, यह जानने के लिए सपरिवार अवश्य देखिए हमारा यह स्पेशल वीडियो डिबेट का प्रोग्राम...
https://www.facebook.com/share/v/H5Z9VehyQPDQJMFp/?mibextid=oFDknk
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गौ: विश्व से मातरम् – गौ माता: विश्व के सभी प्राणियों की माता
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गाय को हिन्दू संस्कृति में सदियों से 'गौ माता' कहा जाता है, जिसे केवल एक प्राणी के रूप में नहीं, बल्कि संपूर्ण जीव-जगत की माता के रूप में पूजा जाता है। गव्यवेद के सिद्धांतों में भी गौ माता का विशेष स्थान है। यह एक ऐसी धरोहर है जो न केवल आध्यात्मिक बल्कि पर्यावरणीय और सामाजिक दृष्टिकोण से भी अमूल्य है।
गौ सेवा: नमन उन निस्वार्थ सेवकों को
आज जब आधुनिकता के दौर में लोग अपने व्यस्त जीवन में खोते जा रहे हैं, तब भी कुछ समर्पित लोग ऐसे हैं जो अपने परिवार सहित गौ सेवा में लगे हुए हैं। यह सेवक सच्चे गौ भक्त हैं, जो निस्वार्थ भाव से सेवा करते हुए हमारी परंपरा को जीवित रखे हुए हैं। उनका कार्य सराहनीय और प्रेरणादायक है, और हमें गर्व है कि गव्यवेद इन सेवकों को सम्मानित करता है और उनके कार्यों को समाज के समक्ष प्रस्तुत करता है।
शिवालिक की पवित्र भूमि: गौच�� के लिए उपयुक्त स्थान
शिवालिक पहाड़ियों की तलहटी में स्थित दानी क्षेत्र, जहाँ गौ माता स्वतंत्र रूप से विचरण करती हैं, अपने आप में एक पवित्र भूमि है। यह क्षेत्र प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है और यहाँ की हरियाली गौ माता के लिए आदर्श गौचर भूमि प्रदान करती है। इस क्षेत्र में बहने वाली पावन जलधाराएँ, जिन्हें "पांच कुला" संबोधित किया जाता है, क्षेत्र के जलस्रोतों को समृद्ध करती हैं।
इन जलधाराओं के आसपास के वन क्षेत्र और गोचर भूमि में गौ माता स्वतंत्र रूप से विचरण करती हैं। इन स्थानों का शांत वातावरण और समृद्ध जैवविविधता उन्हें जीवन के सभी आवश्यक तत्व प्रदान करती है। यहाँ के प्राकृतिक संसाधन न केवल गायों के लिए, बल्कि अन्य वन्य जीवों और पर्यावरण के लिए भी अत्यंत लाभकारी हैं।
गौ माता और गव्यवेदा का अटूट संबंध
गव्यवेदा ब्रांड में विश्वास रखने वाले सभी लोग जानते हैं कि गाय के प्रति हमारा समर्पण केवल व्यवसाय तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हमारे जीवन का मूल आधार है। गव्यवेदा के उत्पादों में पंचगव्य का उपयोग इस बात का प्रमाण है कि हम केवल प्राकृतिक और शुद्ध चीज़ों को महत्व देते हैं। पंचगव्य का शास्त्रों में विशेष महत्व है और यह गाय के विभिन्न उत्पादों से मिलकर बना होता है – दूध, घी, दही, गोमूत्र और गोबर। यह न केवल स्वास्थ्य वर्धक है, बल्कि आत्मिक और आध्यात्मिक शुद्धि का भी माध्यम है।
निष्कर्ष
गौ माता केवल एक पशु नहीं हैं, वे हमारी संस्कृति की रीढ़ हैं और समस्त जीवों की पालनकर्ता मानी जाती हैं। उनका संरक्षण, उनकी सेवा और उनके प्रति श्रद्धा हमें न केवल शारीरिक, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक लाभ भी देती है। गव्यवेद इसी परंपरा का वाहक है और हमें गर्व है कि हम गाय के महत्त्व को पुनः समाज में स्थापित करने के लिए प्रयत्नशील हैं।
आइए, हम सब मिलकर गौ माता की सेवा और संरक्षण के इस महायज्ञ में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करें।
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केरल के कन्नूर में है कुत्तों का बेहद पवित्र मंदिर, विधि विधान के साथ की जाती है पूजा; जानें मंदिर का इतिहास
#DogTemple #Kerala केरल के कन्नूर में है कुत्तों का बेहद पवित्र मंदिर, विधि विधान के साथ की जाती है पूजा; जानें मंदिर का इतिहास
Dog Temple Kerala: केरल के कन्नूर जिले में पारसिनी मदप्पुरा श्री मुथप्पन मंदिर मानव और अन्य जीवित प्राणियों के बीच में एक संबंध स्थापित करता हुआ नजर आता है। वलपट्टनम नदी के तट पर बसे इस मंदिर की सबसे बड़ी पहचान उसके दरवाजे के बाहर खड़ीं कुत्तों की दो कांस्य की मूर्तियों से होती है। यह मंदिर भगवा�� मुथप्पन का है, भगवान मुथप्पन को भक्त भगवान शिव और विष्णु का अवतार मानते हैं। भक्तों का मानना है कि…
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