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🔅 पवित्र क़ुरआन में वर्णित ऐन सीन काफ़ और पवित्र गीता जी में वर्णित ओम तत सत में क्या संबंध है?
जानने के लिए अवश्य पढ़िए पवित्र पुस्तक मुसलमान नहीं समझे ज्ञान क़ुरआन।
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#TheLastProphet_SantRampalJi
पवित्र क़ुरआन में वर्णित ऐन सीन काफ़ और पवित्र गीता जी में वर्णित ओम तत सत में क्या संबंध है?
जानने के लिए अवश्य पढ़िए पवित्र पुस्तक मुसलमान नहीं समझे ज्ञान क़ुरआन।
Most Merciful Allah Kabir
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#GodMorningWednesday
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#आदिगणेश_सर्व_देवों_का_स्वामी
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#सत_भक्ति_संदेश
*सतगुरु शरण में आने से आई टले बला!जै मस्तक में सूली हो, कांटे में टल जा!!*
*सतगुरु जो चाहे सो करहिं, 14 कोटि दूत जम डरहिं! ऊत भूत जम त्रास निवारे,चित्रगुप्त के कागज़ फ़ारे!!*
*सत्संग की आधी घड़ी, तप के वर्ष हजार ! तो भी बराबर है नहीं, कहै कबीर विचार !!*
*राम बुलावा भेजिया,दिया कबीरा रोए! जो सुख है सत्संग में,बैकुंठ में ना होए!!*
*केहरि नाम कबीर का विषम काल गजराज! दादू भजन प्रताप से, भागे सुनत आवाज़!!*
*कबीर,और ज्ञान सब ज्ञानड़ी, कबीर ज्ञान सो ज्ञान!*
*जैसे गोला त���ब का, करता चले मैदान!!*
*अनंत कोटि ब्रह्मांड का, एक रति नहीं भार! सतगुरु पुरुष कबीर हैं, कुल के सृजनहार!!*
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1🎈 अवश्य जानिए गणेश और आदि गणेश में कौन हैं जो सम्पूर्ण सृष्टी के विघ्नहर्ता हैं।
अधिक जानकारी के लिए पढें पवित्र पुस्तक ज्ञान गंगा।
2🎈गौरी पुत्र गणेश जी को तो सब जानते हैं लेकिन वह आदि गणेश कौन है? जो सर्व सृष्टि का रचनहार है, असंख्यों ब्रह्मांडों का स्वामी व पूर्ण मोक्ष दाता है।
जानने के लिए देखें Sant Rampal Ji Maharaj YouTube Channel
3🎈धार्मिक मान्यता अनुसार प्रत्येक काम आरम्भ करने से पहले गणेश जी की वंदना करते हैं। पर शास्त्रों के अनुसार आदि गणेश अर्थात पूर्ण परमात्मा की भक्ति करनी चाहिए जिससे पूर्ण लाभ प्राप्त हो सके।
अधिक जानकारी के लिए देखें Sant Rampal Ji Maharaj YouTube Channel
4🎈क्या श्री गणेश जी की भक्ति से हमारा मोक्ष हो सकता है।
मोक्ष प्राप्ति के लिए आदि गणेश अर्थात कबीर परमात्मा की भक्ति जरूरी है।
अधिक जानकारी के लिए देखें Sant Rampal Ji Maharaj YouTube Channel
5🎈आदि गणेश मनाऊँ, गण नायक देवन देवा।
चरण कमल ल्यौ लाऊ , आदि अंत करूँ सेवा।।
संत गरीबदासजी की अमर वाणी में आदि गणेश (पूर्ण परमात्मा) का जिक्र आता है जो सबके उत्पत्तिकर्ता हैं।
जाने कौन हैं आदि गणेश, देखें Sant Rampal Ji Maharaj YouTube Channel
6🎈 अवश्य जानिए कि गणेश जी के जन्म से पहले से विद्यमान आदि गणेश कौन है?
जिसका धर्मशास्त्रों में वर्णन है।
अधिक जानकारी के लिए देखें Sant Rampal Ji Maharaj YouTube Channel
7🎈 गणेश और आदि गणेश का क्या संबंध है और क्या अंतर है?
अधिक जानकारी के लिए अवश्य देखें साधना चैनल शाम 07:30 बजे।
8🎈 जानिए सिर्फ पूर्ण सतगुरु ही गणेश और आदि गणेश के बीच का भेद बता सकता है।
अधिक जानकारी के लिए देखें Sant Rampal Ji Maharaj YouTube Channel
10🎈रिद्धि सिद्धि के दाता गणेश जी को तो सब जानते हैं लेकिन वह आदि गणेश कौन है जिनकी भक्ति साधना से सर्व सिद्धियां, ��र्व सुख तथा पूर्ण मोक्ष प्राप्त होता है। देखें Sant Rampal Ji Maharaj YouTube Channel
11🎈 गणेश जी को प्रसन्न करने का वास्तविक मंत्र क्या है?
जानने के लिए देखें Sant Rampal Ji Maharaj YouTube Channel
12🎈 वह आदि गणेश कौन है जिसे पाने के बाद हमारा जन्म-मरण का रोग सदा के लिए समाप्त हो जाएगा तथा हमें शाश्वत स्थान मिलेगा।
अधिक जानकारी के लिए देखें Sant Rampal Ji Maharaj YouTube Channel
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Kolhapur - कोल्हापूर Meena Bajpai @ms_yatra wrote : #🌹🙏# भरत जी #🙏🌹 भूमिजा - रमण - पदकंज - मकरंद - रस - रसिक - मधुकर भरत भूरिभागी । भुवन - भूषण, भानुवंश - भूषण, भूमिपाल - मणि रामचंद्रानुरागी ॥ 💐श्रीभरतजीकी जय हो, जो जानकीपति श्रीरामजीके चरण - कमलोंके मकरन्दका पान करनेके लिये रसिक भ्रमर हैं । जो संसारके भूषणस्वरुप, सूर्यवंशके विभूषण और नृप - शिरोमणि श्रीरामचन्द्रजीके पूर्ण प्रेमी हैं ॥💐 भरत जी न केवल भगवान राम के एक प्रमुख भक्त हैं, बल्कि रामायण के सबसे आराध्य और पवित्र चरित्र हैं।भरत चरित का निरंतर जप भगवान राम के करीब आने में मदद करता है, जीवन से सभी बाधाओं को दूर करता है और परिवार के सदस्यों के बीच संबंध को बढ़ाता है। #kolhapur #maharashtra #2april #2018 #monday #laxmitemple # #kolhapurcity #mahalakshmi #🙏🙏 #mandirdiaries🙏 #msyatra #bharat #ancienttemple #indiantemple #templetourism #templeofindia #architecture #myyatra #389 #templearchitecture #🌹🌹 (via Instagram: Meena Bajpai @ms_yatra)
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#GodMoringTuesday
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पवित्र क़ुरआन में वर्णित ऐन सीन काफ़ और पवित्र गीता जी में वर्णित ओम तत सत में क्या संबंध है?
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#TheLastProphet_SantRampalJi
पवित्र क़ुरआन में वर्णित ऐन सीन काफ़ और पवित्र गीता जी में वर्णित ओम तत सत में क्या संबंध है?
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ऐन सीन काफ़ का रहस्य !
पवित्र कुरआन में वर्णित ऐन सीन काफ़ और पवित्र गीता जी में वर्णित ओम तत सत में क्या संबंध है?
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🔅 पवित्र क़ुरआ�� में वर्णित ऐन सीन काफ़ और पवित्र गीता जी में वर्णित ओम तत सत में क्या संबंध है?
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नर्मदेश्वर शिवलिंग क्यों चुनें?
TOPIC Covered
परिचय
महत्व और इतिहास
नर्मदेश्वर शिवलिंग की कीमत क्या है?
आध्यात्मिक संबंध
कीमत को प्रभावित करने वाले कारक
मूल्य निर्धारण सीमा
मूल्य निर्धारण सीमा
परिचय
नर्मदेश्वर शिवलिंग (Narmadeshwar shivling price), हिंदू धर्म में एक पवित्र प्रतीक, आध्यात्मिक प्रथाओं और अनुष्ठानों में गहरा महत्व रखता है। इसके इतिहास, प्रकार और आध्यात्मिक संबंधों के दिलचस्प पहलू इसे अत्यधिक आकर्षण का विषय बनाते हैं।
महत्व और इतिहास
नर्मदेश्वर शिवलिंग(Narmadeshwar shivling price )का सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व सदियों पुराना है, जिसकी जड़ें हिंदू परंपराओं में गहराई से जुड़ी हुई हैं। ऐतिहासिक पृष्ठभूमि की खोज से इसकी पवित्र प्रमुखता के विकास के बारे में अंतर्दृष्टि मिलती है।
नर्मदेश्वर शिवलिंग की कीमत क्या है?
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नर्मदेश्वर...
Narmadeshwar Shivling ओरिजिनल...
रेटिंग
5 में से 4.2 स्टार 103 समीक्षाएँ
5 में से 4.2 स्टार 36 समीक्षाएँ
कीमत
₹999.00
₹498.00
विक्रेता
PANDIT NM SHRIMALI
NARMADESHWAR SHIVLING
मटीरियल
पत्थर
पत्थर
आध्यात्मिक संबंध
नर्मदेश्वर शिवलिंग (Narmadeshwar shivling price) से जुड़ी मान्यताओं के साथ-साथ ध्यान और पूजा पद्धतियों में गहराई से जाने से इसके गहन आध्यात्मिक संबंध का पता चलता है। कई लोगों को इसकी उपस्थिति में सांत्वना और ज्ञान मिलता है।
कीमत को प्रभावित करने वाले कारक
नर्मदेश्वर शिवलिंग की कीमत (Narmadeshwar shivling price) को प्रभावित करने वाले कारकों की खोज से इन पवित्र कलाकृतियों को प्राप्त करने से जुड़ी जटिलताओं का पता चलता है। आकार, वजन, गुणवत्ता और प्रामाणिकता समग्र मूल्य निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
मूल्य निर्धारण सीमा
सभी के लिए सुलभ प्रवेश स्तर के विकल्पों से लेकर प्रीमियम और कलेक्टर संस्करण तक, नर्मदेश्वर शिवलिंग की मूल्य सीमा विविध दर्शकों की जरूरतों को पूरा करती है। स्पेक्ट्रम को समझने से संभावित खरीदारों को सूचित निर्णय लेने में मदद मिलती है।
नर्मदेश्वर शिवलिंग की कीमत को कौन से कारक प्रभावित करते हैं?
नर्मदेश्वर शिवलिंग (Narmadeshwar shivling price)का आकार, वजन, गुणवत्ता और प्रामाणिकता इसकी कीमत निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। कलेक्टर के संस्करण और अनूठी विशेषताएं भी समग्र लागत में योगदान कर सकती हैं।
क्या नर्मदेश्वर शिवलिंग के रखरखाव के लिए कोई विशेष सुझाव हैं?
हां, नर्मदेश्वर शिवलिंग(Narmadeshwar shivling price) की पवित्रता बनाए रखने में सरल सफाई और रखरखाव युक्तियाँ शामिल हैं। कठोर रसायनों से बचें और इसके आध्यात्मिक सार को संरक्षित करने के लिए इसे सावधानी से संभालें।
शिवांश नर्मदेश्वर शिवलिंग को संग्रहणीय वस्तु क्यों बनाती है?
शिवांश नर्मदेश्वर शिवलिंग(Narmadeshwar shivling price) को अक्सर इसकी अनूठी विशेषताओं, दुर्लभ विशेषताओं और आध्यात्मिक रूप से महत्वपूर्ण कलाकृतियों को प्राप्त करने में बढ़ती रुचि के कारण संग्रहकर्ता की वस्तु माना जाता है।
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नेक्रोफिलिक या साधु; शवों के साथ संबंध बनाते है अघोरी, मान्यताओं देते है चुनौती; जानें पूरा मामला
Naga sadhu life: प्रयागराज में महाकुंभ की तैयारियाँ तेजी से चल रही हैं, जो हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण अवसर है। इस पवित्र समय पर संगम में स्नान करने से भक्तों के सभी पाप धुल जाते हैं और उन्हें मोक्ष की प्राप्��ि होती है। कौन होते हैं अघोरी साधु अघोरी साधु भगवान शिव के भक्त होते हैं। अघोर भगवान शिव के पांच रूपों में से एक है, और ये साधु अपनी ज़िंदगी को शिव की भक्ति और तंत्र साधना के लिए समर्पित…
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Maha Kumbh Mela 2025: All You Need To Know
Introduction
Maha Kumbh Mela 2025 : ऐसा कहा जाता है कि पश्चिम ने दुनिया को विज्ञान दिया तो भारत ने अध्यात्म का ज्ञान. वह अध्यात्म जो जीवन की गुत्थियों का सुलझाने में बहुत मददगार साबित होता है. यही वजह है कि दुनियाभर के लोगों के लिए भारत हमेशा से अध्यात्म का केंद्र रहा है. अगर अध्यात्म की बात करें तो भारत का इससे बहुत पुराना संबंध है. विविधता के बीच एकता की बुनावट और बनावट के चलते दुनिया भर से लोग भारत आते हैं. कई लोग ऐसे हैं जो अध्यात्म की खोज में भारत पहुंचे और यहां से बहुत कुछ लेकर विदा हुए और कुछ तो यहीं के होकर रह गए. वहीं, दूसरी ओर भारत देश विभिन्न संस्कृतियों का संगम भी कहलाता है. आधुनिक विचारों को अपनाने के साथ-साथ भारत देश अपनी समृद्ध संस्कृति और विरासत को भी बनाए रखे हुए है.
इस लेख में हम बात करेंगे 12 वर्षों में लगने वाले महाकुंभ की, जिसे दुनिया का सबसे बड़ा मेला भी कहा जाता है. करोड़ों श्रद्धालु कुंभ मेले के दौरान पवित्र नदी में आस्था की डुबकी लगाते हैं. मान्यता है कि इस पवित्र स्नान से मनुष्य के पापों का क्षय होता है और वह मोक्ष की ओर अग्रसर होते हैं. ऐसी मान्यता है कि देवता और असुर में 12 दिनों तक अमृत को हासिल करने के लिए भीषण युद्ध हुआ. इसके बाद से 12 दिन मनुष्य के 12 साल के समान होते हैं. यही वजह है कि हर 12 साल बाद महाकुंभ का आयोजन होता है.
Table of Content
देश का सबसे बड़ा धार्मिक उत्सव
कब से शुरू होगा महाकुंभ 2025
क्यों लगता है कुंभ मेला
कब होता है महाकुंभ मेले का आयोजन ?
महाकुंभ 2025 कब-कब होगा शाही स्नान
जानिये महाकुंभ की अहम बातें
कैसे पहुंचें महाकुंभ मेला स्थल पर ?
देश का सबसे बड़ा धार्मिक उत्सव
महाकुंभ हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण धार्मिक उत्सव है और इसका आयोजन 12 साल में किया जाता है. इसे सामान्य तौर पर कुंभ मेला भी कहा जाता है. महाकुंभ का आयोजन भारत की 4 पवित्र नदियों और 4 तीर्थ स्थानों पर ही होता है. इस लिहाज से महाकुंभ का आयोजन सिर्फ प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में ही होता है. जानकारों का कहना है कि हरिद्वार में गंगा नदी, उज्जैन में शिप्रा, नासिक में गोदावरी और प्रयागराज में संगम (गंगा, जमुना और पौराणिक सरस्वती का संगम) पर ही कुंभ मेले का आयोजन होता है. गंगा, यमुना और सरस्वती नदी के तट पर लग��े वाला महाकुंभ 12 वर्ष में एक बार ही आयोजित होता है.
कब से शुरू होगा महाकुंभ 2025
हिंदू पंचांग के अनुसार, वर्ष 2025 में प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) में 13 जनवरी से महाकुंभ की शुरुआत होगी, जबकि इसका समापन 26 फरवरी, 2025 को होगा. इस दौरान स्नान के लिए 6 तिथियां स्नान-दान के लिए बेहद शुभ मानी जा रही है. वैसे तो हर साल प्रयागराज में माघ मेला लगता है, लेकिन अर्ध कुंभ और महाकुंभ मेला विशेष धार्मिक महत्व रखता है. धार्मिक मान्यता है कि महाकुंभ में स्नान करने से सारे पाप धुल जाते हैं.
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क्यों लगता है कुंभ मेला
कुंभ मेला क्या है और यह 12 साल बाद ही क्यों लगता है? इसक��� पीछे एक कहानी है. ऐसी मान्यता है कि समुद्र मंथन के दौरान समुद्र से अमृत का एक कलश भी निकला था. इस कलश का अमृत जिसने भी पिया वह सदा के लिए अमर हो गया. यह जानकारी जैसी ही देवों और असुरों को हुई तो इस अमृत के इस कलश के लिए एक-दूसरे से भिड़ गए. मामला बिगड़ता देखकर भगवान विष्णु को मोहिनी अवतार लेना पड़ा. वह चालाकी सें अमृत कलश अपने साथ ले गईं. अमृत कलश ले जाने के दौरान कुछ बूंदें हरिद्वार, इलाहाबाद (अब प्रयाग), नासिक और उज्जैन में गिरीं. यही वजह है कि इन चारों जगहों हरिद्वार, प्रयागराज, नासिक और उज्जैन में कुंभ मेला आयोजित किया जाता है.
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महाकुंभ मेले का आयोजन कब होता है?
महाकुंभ मेले का आयोजन कब से हो रहा है? इसकी सही-सही जानकारी तो उपलब्ध नहीं है, लेकिन प्रयागराज कुंभ मेले का सबसे पहला उल्लेख वर्ष 1600 ईस्वी में मिलता है. जानकारों का कहना है कि कुंभ मेले का आयोजन कई शताब्दियों से किया जाता रहा है. वहीं, प्रयागराज कुंभ मेले का सबसे पहला उल्लेख वर्ष 1600 ईस्वी में मिलता है. यह भी कहा जाता है कि नासिक, हरिद्वार और उज्जैन में कुंभ मेले की शुरुआत 14वीं शताब्दी में ही हो गई थी.
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महाकुंभ 2025 कब-कब होगा शाही स्नान
13 जनवरी : महाकुंभ 2025 का पहला शाही स्नान 13 जनवरी, 2025 को होगा. इस दिन पौष पूर्णिमा भी है. इस तारीख से ही महाकुंभ मेले की शुरुआत मानी जाएगी.
14 जनवरी : मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर भी शाही स्नान का भव्य आयोजन किया जाएगा.
29 जनवरी : 29 जनवरी को मौनी अमावस्या है. इस दिन भी शाही स्नान आयोजित किया जाएगा.
3 फरवरी : 03 फरवरी के दिन बसंत पंचमी के मौके पर शाही स्नान है. इस दिन यहां पर भारी भीड़ होने की संभावना है.
12 फरवरी : माघ पूर्णिमा के शुभ मौके पर भी शाही स्नान किया जाएगा.
26 फरवरी : महाशिवरात्रि के मौके पर भी शाही स्नान किया जाएगा.
जानिये महाकुंभ की अहम बातें
हर 12 साल बाद महाकुंभ का मेला लगता है.
प्रयागराज, हरिद्वार, नासिक के अलावा उज्जैन में महाकुंभ का आयोजन होता है.
प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ के दौरान 10 करोड़ श्रद्धालु पवित्र संगम में डुबकी लगाने आएंगे.
प्रयागराज कुंभ मेला 2025 13 जनवरी से शुरू होकर 26 फरवरी तक चलेगा.
वर्ष 2013 में प्रयागराज में महाकुंभ लगा था.
संगम पर स्नान करने वालों को डूबने से बचाने के लिए जल पुलिस के साथ ही अंडरवाटर ड्रोन भी तैनात रहेंगे.
ऐसे ड्रोन 300 मीटर के दायरे में किसी भी डूबते व्यक्ति को खोजने में सक्षम होंगे.
यह ड्रोन 1 मिनट में डेढ़ किलोमीटर की दूरी तय कर सकेगा.
महाकुंभ में भीड़ नियंत्रित करने के लिए पार्किंग व्यवस्था शहर से बाहर रहेगी. इससे मेला स्थल पर वाहन नजर नहीं आएंगे.
प्रयागराज में इस बार साढ़े तीन करोड़ से ज्यादा श्रद्धालुओं के रोडवेज बसों से पहुंचने का अनुमान है.
��हाकुंभ 2025 के मद्देनजर रेलवे द्वारा इस बार 3000 स्पेशल ट्रेनों के साथ 13000 से अधिक रेलगाड़ियों का संचालन करेगा.
पहली बार छोटी दूरी के लिए बड़ी संख्या में मेमू ट्रेन चलेंगीं.
कैसे पहुंचें महाकुंभ मेले में ?
13 जनवरी से शुरू होने वाले महाकुंभ को लेकर भारतीय रेलवे ने भी खास इंतजाम किए हैं. प्रयागराज यानी महाकुंभ मेला स्थल पर आप बस के अलावा ट्रेन और हवाई जहाज से भी पहुंच सकते हैं. प्रयागराज की सबसे बड़ी खूबी यही है कि यह रेल मार्ग से देश के सभी बड़े शहरों से वेल कनेक्टेड है. देश की राजधानी दिल्ली की बात करें तो यहां प्रयागराज (महाकुंभ मेला स्थल) पहुंचने में 9-10 घंटे का समय लगता है.
इसके साथ ही प्रयागराज और उसके आसपास के 8 रेलवे स्टेशन पर अपने शहरों से ट्रेन से पहुंच सकते हैं. ये स्टेशन प्रयागराज जंक्शन, प्रयागराज रामबाग, प्रयागराज संगम, प्रयाग जंक्शन, नैनी जंक्शन, प्रयागराज छेओकी, फाफामऊ जंक्शन, झूंसी और सूबेदारगंज. दिल्ली से प्रयागराज की दूरी लगभग 690-742 किलोमीटर है. अगर आप सड़क मार्ग से यहां आना चाहते हैं तो आपको 11 से 12 घंटे लग सकते हैं.
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Kumbh Mela: Aastha Shakti Aur Mithkon ka Adbhut Sangam
कुंभ, दुनिया में सबसे बड़ा लगने वाला धार्मिक मेला है जिसमें विश्वभर से लोग इस उत्सव को देखने और इसका अनुभव करने आते हैं। कल्पना से परे एक ऐसी जगह जहां लाखों लोग एकत्रित होते हैं। भक्ति और आध्यात्मिकता का संगम कुंभ को विशेष बनाता है। पवित्र नदी के किनारे दुनिया की सबसे महत्वपूर्ण आध्यात्मिक सभा का आयोजन होता है। यह वह समय होता है जब जीवन और मृत्यु के चक्र से मुक्ति पाने के लिए लोग मोक्ष प्राप्ति की कामना से कुंभ मेले में एक साथ आते हैं। भगवान के सामने अपना सब कुछ न्योछावर करते हुए मुक्त होने की इच्छा रखते हुए इस मेले में एकत्रित होकर भक्ति भाव के साथ इस उत्सव में शामिल होते हैं।
कुंभ मेला संभवत इस बात का सबसे अच्छा उदाहरण है जहां कथा- कहानियां, मिथकों, आस्था और ज्योतिष एक साथ संबंध बनाते हैं ऎसे में इस मेले के बारे में जानना काफी रोमांचक बनाता है। ये एक त्यौहार से कहीं ज़्यादा है जिसमें मनुष्य खुद की वासनाओं से ऊपर उठते हुए कुछ अलग पाने की इच्छा रखता है।
कुंभ मेला सिर्फ़ एक आध्यात्मिक समागम से कहीं ज़्यादा है। यह संतों साधुओं की संस्कृति का उद्गम स्थल भी है। यहां अखाड़ा संस्कृति का जन्म हुआ है। आध्यात्मिकता को मार्शल आर्ट के साथ जोड़ने वाले साधु सन्यासी मठवासी हिंदू धर्म की शक्ति और विशालता का एक मज़बूत प्रमाण भी है। आदि शंकराचार्य जैसे संतों के ज्ञान और तप के प्राचीन सिद्धांतों पर आधारित अखाड़े धर्म के सिद्धांतों की रक्षा के लिए अनुशासन, एकता और साहस के मूल्यों का प्रतिनिधित्व करते हैं। यह सिर्फ़ भक्ति नहीं है बल्कि हिंदू संस्कृति का सार भी है जिसका प्रतिनिधित्व साधु संत, भिक्षु कुंभ मेले के दौरान करते हैं।
Source URL: https://www.vinaybajrangi.com/blog/kumbh-mela-aastha-shakti-aur-mithkon-ka-adbhut-sangam
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तंत्र विद्या में महारत पाने के लिए शवों के साथ संबंध बनाते है अघोरी साधु, जानें क्या है मान्यताएं
Aghori Sadhu Relation With Dead Bodies: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में कुछ ही दिनों में महाकुंभ की शुरुआत होने वाली है. हिंदू धर्म में महाकुंभ का बेहद महत्व होता है. मान्यताओं के अनुसार महाकुंभ में जो कोई भी पवित्र स्नान कर लेता है. उसके सारे पाप मिट जाते हैं. इस बार होने वाले महाकुंभ में देश-विदेश से करोड़ों श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है. इसके साथ ही इस महाकुंभ में बहुत से साधु संत भी…
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Ishwar TV Satsang | 02-12-2024 | Episode: 2591 | Sant Rampal Ji Maharaj ...
क्या आप जानते हैं?
भगवान कृष्ण के गोपी और राधा के साथ संबंध का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व क्या है?
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सुनिए जगतगुरु तत्त्वदर्शी संत रामपाल जी
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क्या ओम नमः शिवाय का जाप करने से मनुष्य की आत्मा का शिव जी के साथ संबंध स्थापित होता है?
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