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#न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी)
todaypostlive · 2 years
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किसानों की आय दोगुनी होने के बजाय और कम हुई: आभा सिन्हा
किसानों की आय दोगुनी होने के बजाय और कम हुई: आभा सिन्हा
रांची ।  झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी की प्रवक्ता आभा सिन्हा ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने किसानों की आय दोगुनी करने का वादा किया था लेकिन असलियत यह है कि किसानों की आय बढ़ी नहीं बल्कि कम हुई है।उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फरवरी 2016 में वादा किया था कि 2022 तक किसानों की आय दोगुनी की जाएगी लेकिन किसान की आय दोगुना होने के बजाय घटी है। इस दौरान…
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narmadanchal · 8 days
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सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा सोयाबीन एमएसपी बढ़ाने संबंधी फर्जी पत्र
भोपाल। मध्यप्रदेश सरकार ने साफ कर दिया है कि सोयाबीन की खरीद 4892 रुपए प्रति क्विंटल की दर से ही की जाएगी। इस संबंध में सचिव, किसान कल्याण तथा कृषि विकास एम. सेल्वेंद्रन नेसोशल मीडिया पर वायरल एक पत्र को भ्रामक और फर्जी बताया और ऐसे लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने को कहा है। सोयाबीन पर न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाने के संबंध में भ्रामक समाचार फैलाने वालों के विरूद्ध कानूनी कार्रवाई की जायेगी।…
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dainiksatik · 21 days
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ओलंपियन पहलवान विनेश फोगट किसानों के विरोध प्रदर्शन में शामिल हुईं; कहा सरकार की प्राथमिकता उनकी समस्याओं का समाधान करना होनी चाहिए
ओलंपियन पहलवान विनेश फोगट किसानों के विरोध प्रदर्शन में शामिल हुईं; कहा सरकार की प्राथमिकता उनकी समस्याओं का समाधान करना होनी चाहिए ओलंपिक पहलवान विनेश फोगट शनिवार (31 अगस्त, 2024) को पंजाब के शंभू गांव में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर उनकी फसलों की खरीद की कानूनी गारंटी सहित उनकी लंबे समय से लंबित मांगों के समर्थन में चल रहे 200 दिनों के किसानों के विरोध प्रदर्शन में शामिल हुईं। किसानों के…
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indiaepost · 2 months
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एमएसपी ने बदल दी हरियाणा प्रदेश की राजनीति
IEP Chandigarh हरियाणा में अब 24 फसलों की खरीद एमएसपी ( न्यूनतम समर्थन मूल्य) पर होगी। ऐसा करने वाला वह देश का पहला राज्य बन गया है। यह फैसला भाजपा सरकार के लिए मास्टर स्ट्रोक साबित हो सकता है। जिसका असर तीन महीने बाद होने जा रहे विधानसभा चुनाव में साफ तौर से नजर आएगा। मुख्यमंत्री नायब सैनी ने 4 अगस्त को कुरुक्षेत्र में आयोजित विजय शंखनाद रैली में इसका एलान किया तो विपक्ष अपनी भाषण की स्क्रिप्ट…
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livenews24x7hindi · 2 months
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हरियाणा: विधानसभा चुनाव से पहले उप सरकार का बड़ा दांव, सभी फसलों को MSP पर खरीदने का ऐलान
हरियाणा के किसानों के लिए राज्य सरकार ने अपना खजाना खोल दिया है। विधानसभा चुनाव से पहले सीएम ने एक रैली में घोषणा की है कि अब उनकी सरकार किसानों से सभी फसलें एमएसपी पर खरीदेगी। कुरुक्षेत्र: हरियाणा के किसानों के लिए बड़ी खबर आ रही है, यहां की राज्य सरकार ने घोषणा की है कि राज्य में सभी फसलों को न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी पर खरीदा जाएगा। यह घोषणा हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने…
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100newsup · 3 months
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केंद्रीय मंत्रिमंडल ने विपणन सत्र 2024-25 के लिए खरीफ फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में वृद्धि को दी मंजूरी
दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आज विपणन सत्र 2024-25 के लिए सभी आवश्यक खरीफ फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में वृद्धि को मंजूरी दे दी है। सरकार ने विपणन सत्र 2024-25 के लिए खरीफ फसलों के एमएसपी में वृद्धि की है, ताकि उत्पादकों को उनकी उपज के लिए लाभकारी मूल्य सुनिश्चित किया जा सके। पिछले वर्ष की तुलना में एमएसपी में सबसे अधिक वृद्धि तिलहन…
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todaymandibhav · 3 months
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Kharif MSP 2024-25: मोदी सरकार ने खरीफ फसलों के MSP मूल्य में 983 रुपए तक की बढ़ोतरी की , यहाँ देखें एमएसपी की नई लिस्ट
नई दिल्ली : प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आज बुधवार 19 जून को आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने विपणन सत्र 2024-25 के दौरान सभी स्वीकृत खरीफ फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में बढ़ोतरी को मंजूरी दे दी है। खरीफ विपणन वर्ष 2024-25 के लिए धान, कपास/ नरमा, ज्वार, बाजरा, मक्का, अरहर, मूंग, उड़द, मूंगफली, सोयाबीन, तिल इत्यादि फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य…
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deshbandhu · 7 months
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किसानों का दिल्ली कूच आज, पुलिस ने किए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
किसान आंदोलन-2 का आज 6 मार्च को 23वां दिन है। फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी पर कानून बनाने की मांग को लेकर पंजाब के किसान एक बार फिर से दिल्ली कूच की तैयारी में हैं।
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dainiksamachar · 7 months
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भारत का विरोध करना पड़ा भारी, थाईलैंड के राजदूत की WTO मीटिंग से क्यों हुई वापसी, जानें इनसाइड स्टोरी
नई दिल्ली : में भारत की चावल खरीद लेकर टिप्पणी करने वाली थाईलैंड की राजदूत पिमचानोक वॉनकोर्पोन पिटफील्ड को आखिरकार भारी पड़ गया। थाईलैंड ने पिटफील्ड को विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) 13वें मंत्रिस्तरीय सम्मेलन (एमसी-13) से हटाकर वापस थाईलैंड आने के लिए कहा है। अब इस बैठक में थाईलैंड के विदेश सचिव ने उनका स्थान लिया है। विश्व व्यापार सगंठन की यह मंत्रिस्तरीय वार्ता पांचवें दिन प्रवेश कर गई। थाईलैंड की राजदूत ने कहा था कि भारत की सार्वजनिक वितरण प्रणाली के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर चावल खरीद का कार्यक्रम लोगों के लिए नहीं, बल्कि निर्यात बाजार पर कब्जा करने के लिए है। भारत ने इस मुद्दे पर कड़ा विरोध दर्ज कराया था। इसके बाद ही पिटफील्ड को वापस बुलाया गया। ऐसे तैयार हुई वापसी की भूमिका इस पूरे मामले में भारतीय अधिकारियों ने थाई प्रतिनिधि की मौजूदगी वाली मंत्रिस्तरीय बैठक का बहिष्कार किया था। साथ ही सरकार ने इस मामले को थाईलैंड के साथ भी उठाया था। वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने अपने अमेरिकी और यूरोपीय संघ के समकक्षों के साथ-साथ संयुक्त अरब अमीरात के व्यापार मंत्री थानी बिन अहमद अल जायौदी और डब्ल्यूटीओ प्रमुख न्गोजी ओकोन्जो-इवेला के साथ मीटिंग के दौरान इस मुद्दे पर बात की थी। भारतीय प्रतिनिधिमंडल कृषि व्यापार में सुधार, विशेष रूप से सार्वजनिक वितरण प्रणाली के लिए खाद्यान्न की खरीद के लिए सरकार को लचीलापन प्रदान करने पर एक बंद दरवाजे की बैठक की। इस मीटिंग के दौरान भारत पिटफील्ड के हस्तक्षेप वाले आक्रामक स्वर से नाराज था। इसके अलावा, अमीर देशों के कुछ प्रतिनिधियों ने थाई राजदूत के बयान की सराहना की। भारत ने इसे अधिकारियों ने तथ्यात्मक रूप से गलत बताया। एक अधिकारी ने बताया कि उन्होंने सरकार पर पीडीएस के लिए खरीदे गए चावल का 40% निर्यात करने का आरोप लगाया था। विकसित देशों ने मिलकर रचा मामला? एक अन्य अधिकारी ने कहा, ऐसा प्रतीत होता है कि पूरा मामला कुछ विकसित देशों के साथ मिलकर रचा गया है। जिनेवा में डब्ल्यूटीओ की बैठकों के दौरान कुछ देशों ने इसी तरह का शोर मचाया था, सरकार ने भी इसे एक कहानी बनाने के प्रयास के रूप में देखा। इसके अनुसार भारत की तरफ से वैश्विक बाजारों में सब्सिडी वाले चावल की बाढ़ ला दी गई है, जो वैश्विक व्यापार नियमों के अनुरूप नहीं है। सरकारी अधिकारी के अनुसार हकीकत यह है कि उनके तथ्य गलत थे, क्योंकि सरकार खाद्य सुरक्षा प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिए धान की उपज का केवल 40 प्रतिशत ही खरीदती है। उन्होंने बताया कि बाकी हिस्से को सरकारी स्वामित्व वाली एजेंसियां नहीं खरीदती हैं। इसे भारत से बाजार कीमतों पर निर्यात किया जाता है। चावल का बड़ा निर्यातक है भारत सरकार ने हाल ही में घरेलू कीमतों को कम करने के लिए गैर-बासमती चावल के निर्यात को प्रतिबंधित कर दिया है। भारत सब्सिडी सीमा के मुद्दे का समाधान तलाश रहा है, जिसकी गणना 1986-88 के स्तर पर तय कीमतों पर की गई है। इसमें 10% की सीमा का उल्लंघन किया है। भारत की तरह थाईलैंड भी एक प्रमुख चावल एक्सपोर्ट करने वाला देश है। विभिन्न मंचों पर कुछ विकसित और विकासशील देशों ने आरोप लगाया है कि भारत की तरफ से चावल जैसी जिंसों का सार्वजनिक भंडारण वैश्विक बाजार में रेट खराब कर देता है। भारत 2018 से 2022 तक दुनिया का सबसे बड़ा चावल एक्सपोर्ट करने वाला देश था। उसके बाद थाईलैंड और वियतनाम का स्थान था। http://dlvr.it/T3Vnjz
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icnnetwork · 7 months
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#FarmersProtest2024 किसान नेताओं ने केंद्र के एमएसपी प्रस्ताव को खारिज कर दिया, बुधवार से ‘दिल्ली चलो’ मार्च फिर से शुरू होगा!
#RakeshTikaitBKU #OfficialBKU #PMOIndia #icnewsnetwork #MSP #bhartiyakisanunioun
#PMShri #BKU
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gaange · 7 months
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किसानों की 10 मांगें क्या है ?
ट्रैक्टरों का काफिला दिल्ली कूच के लिए रफ्तार पकड़ चुका है , किसानों को रोकने के लिए आंसू गैस, लाठी डंडे, नुकीली तारे और बॉडीगार्ड किट के साथ फोर्स तैनात है। एक और किसानों का जत्था है तो दूसरी ओर पुलिस का पूरा दलबल दोनों के बीच जबरजब्त सर्घष देखने को मिल रहा है । कटीले तार, ड्रोन से आंसू गैस कीले बंदूके और सड़कों पर सीमेंट वाली, बैरिकेड्स सब कुछ इंतजाम कर दिया गया है और इंतजाम इसलिए ताकि किसानों का कोई भी जत्था देश की राजधानी में एंट्री ना ले सके। सिर्फ लोहे और सीमेंट की ही बेरिकेटिंग नहीं की गई है बल्कि कंक्रीट की दीवारों को रातोंरात खड़ा कर दिया है, इसका मकसद सिर्फ यही है की किसान किसी तरह दिल्ली ना पहुँच सके। पुलिस जितनी तैयारी का दम भर रही है, किसान भी उतनी ही दमदारी से आगे बढ़ रहे। किसानों ने इस बार आंदोलन को चलो दिल्ली मार्च का नाम दिया है। लेकिन इस बार किसान आंदोलन टू पॉइंट जीरों यानी दूसरा आंदोलन भी कहा जा रहा है किसानों का इस बार का आंदोलन 2020 - 21 में हुए किसान आंदोलन से कितना अलग है ? और इस बार किसानों की मांग क्या हैं ? असल में ये किसान आ क्यों रहे हैं? आइयें इन सभी सवालो का जबाब जानते हैं । किसानों की 10 मांगें क्या है ? देश में जब भी इस तरह का आंदोलन होता हैं तो कुछ लोग इसके विरोध में खड़ा होते है। तो कुछ लोग इसका समर्थन करते हैं। हमारा कहना है की आप एक बार किसानों की मांगो को जान लीजिए, उसके बाद विरोध करना है या असमर्थन अपना फैसला आप खुद कीजिए। पिछला किसान आंदोलन कृषि कानूनों के खिलाफ़ था लेकिन इस बार अब ऐसा कोई कानून ही नहीं बना फिर भी किसान आंदोलन क्यों कर रहे हैं । 2024 आखिर फिर किसान आंदोलन क्यों कर रहे हैं? पॉइंट वाइज किसानों की 10 मांगें क्या है ?
2024 आखिर फिर किसान आंदोलन क्यों कर रहे हैं?
पीछले बार किसान जीते थे और सरकार झुकीं थी किसानों की वजह से नरेंद्र मोदी सरकार को अपने तीनो कृषि कानून वापस लेनेपड़े थे। किसानों का अब आरोप है कि पिछले आंदोलन के समय सरकार ने एमएसपी पर जो गारंटी देने का वादा किया था उस वादे को सरकार ने पूरा नहीं किया । एमएसपी के साथ बाकी मु्द्दे को भी पूरा नहीं किया , इसलिए किसान फिर से आंदोलन कर रहे हैं। पिछली बार ये किसानों ने अपने आंदोलन को संयुक्त किसान मोर्चा के तले ये आंदोलन किया था। लेकिन इस बार आंदोलन अलग अलग किसान संगठन एक साथ आकर कर रहे थे। वैसे आपको बता दें पिछले आंदोलन से सीखते हुए इस बार किसान अपने साथ ट्रैक्टर ट्रॉली और राशन साथ लेकर आ रहे हैं। यानी पिछली बार की तरह इस बार भी किसानों का प्लान लंबे समय तक दिल्ली के अलग अलग बॉर्डर पर धरना देने वाले हैं ।
पॉइंट वाइज किसानों की 10 मांगें क्या है ?
किसानों की जो सबसे अहम है न्यूनतम समर्थन मूल्य हैं यानी Msp के लिए कानून बने । स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश को लागू किया जायें । दिल्ली आंदोलन के दौरान जान गवाने वाले किसानों और उनके परिवारों को मुआवजा दिया जाए और एक सदस्य को सरकारी नौकरी दिया जायें । किसानों और 58 साल से अधिक उम्र की खेतिहर मज़दूरों के लिए प्रतिमा पेंशन। आंदोलन में शामिल किसान कृषि ऋण माफ़ करने की मांग कर रहे हैं । लखीमपुर खीरी हिंसा के जो पीड़ित हैं उन्हें जल्द से जल्द न्याय मिले। कृषि वस्तुओं दुग्ध उत्पादों फल, सब्जियों और मांस के आयात शुल्क को कम करने के लिए भत्ता बढ़ाया जाए। नकली बीज कीटनाशकों और उर्वरक बेचने वाली कंपनी पर सख्त कार्रवाई हो । मिर्च , हल्दी और बाकी के सुगंधित फसलों की खेती को बढ़ावा देने के लिए एक राष्ट्रीय आयोग की स्थापना । • विद्युत संशोधन विधेयक, 2020 को रद्द किया जाए। Read the full article
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wnewsguru · 1 year
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खाद्य मंत्रालय द्वारा न्यूनतम मूल्य पर खरीफ की फ़सल की खरीद शुरू
खाद्य मंत्रालय के अनुसार, सरकार ने धान की खरीद शुरू कर दी है और अब तक न्यूनतम समर्थन मूल��य (एमएसपी) पर किसानों से लगभग 12.21 लाख टन अनाज खरीदा गया है। मंत्रालय ने गुरुवार को एक बयान में कहा कि तमिलनाडु, पंजाब और हरियाणा में 99, 675 किसानों से एमएसपी पर 2, 689.77 करोड़ रुपये … Read more
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satyanewshindi · 1 year
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भारत के किसान एक बार फिर केंद्र सरकार से हुए नाराज हरियाणा मे एमएसपी msp (न्यूनतम समर्थन मूल्य) के मुद्दे ने ....
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khalihannews · 1 year
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https://khalihannews.com/archives/7087
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erchandanprasad · 2 years
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खुशहाल किसान, नए भारत की पहचान! खरीफ मार्केट सीजन 2022-23 के लिए अभी तक कुल 700 लाख मीट्रिक टन से अधिक धान की खरीद हो चुकी है। वहीं किसानों को लगभग 1.45 लाख करोड़ रुपये के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) का भुगतान किया गया है। https://bjpsrl.in/p/YoYp https://www.instagram.com/p/CpAKLyGhtzu/?igshid=NGJjMDIxMWI=
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marketingstrategy1 · 2 years
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Up :राकेश टिकैत बोले- एमएसपी गारंटी कानून बनाने के लिए देश में फिर होगा बड़ा किसान आंदोलन - Rakesh Tikait Said - There Will Be A Big Farmer Movement Again In The Country To Make Msp Guarantee Law
राकेश टिकैत प्रयागराज पहुंचे। – फोटो : अमर उजाला विस्तार माघ मेले में आयोजित किसान सम्मेलन में हिस्सा लेने पहुंचे भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) देश में एक बड़ा मुद्दा है। एमएसपी को लेकर देश में एक बड़ा आंदोलन चलाया जाएगा। पिछली बार हुए 13 महीने के आंदोलन से बड़ा आंदोलन किया जाएगा। एमएसपी से किसानों को काफी नुकसान हो रहा है।   माघ…
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