#निकाह
Explore tagged Tumblr posts
Text
#Marriage_In_17Minutesदहेज नहीं तो निकाह नहीं#दहेज से किया जा रहा है बेटियों का मोल।वहीं संत रामपाल जी महाराज जी के आशीर्वाद से हो रहे है
0 notes
Text
दहेज नहीं तो निकाह नहीं, दहेज से किया जा रहा है बेटियों का मोल।
वहीं संत रामपाल जी महाराज जी के आशीर्वाद से हो रहे हैं अंतर्जातीय दहेज मुक्त विवाह। धर्म और जाति की बेड़ियों को तोड़कर कर रहे हैं
#दहेज नहीं तो निकाह नहीं#दहेज से किया जा रहा है बेटियों का मोल।वहीं संत रामपाल जी महाराज जी के आशीर्वाद से हो रहे हैंMarriage_ln_
1 note
·
View note
Text
#Marriage_In_17Minutesदहेज नहीं तो निकाह नहीं#दहेज से किया जा रहा है बेटियों का मोल।वहीं संत रामपाल जी महाराज जी के आशीर्वाद से हो रहे है
0 notes
Text
दहेज नहीं तो निकाह नहीं, दहेज से किया जा रहा है बेटियों का मोल।
वहीं संत रामपाल जी महाराज जी के आशीर्वाद से हो रहे हैं अंतर्जातीय दहेज मुक्त विवाह। धर्म और जाति की बेड़ियों को तोड़कर कर रहे हैं बेटियों का जीवन खुशहाल।
#Marriage_In_17Minutesदहेज नहीं तो निकाह नहीं#दहेज से किया जा रहा है बेटियों का मोल।वहीं संत रामपाल जी महाराज जी के आशीर्वाद से हो रहे है
1 note
·
View note
Text
अपने ही पति की मां बनी महिला! शौहर ने दिया तलाक फिर ससुर से निकाह…फिर देवर से रिश्ता..,सुनें महिला की कहानी
अपने ही पति की मां बनी महिला ! नई दिल्ली : सोशल मीडिया पर फिर से एक पुराना वीडियो फिर से वायरल हो गया है। इसमें एक महिला निकाह के नाम पर अपने साथ हुई हैवानियत बता रही है, जिसे सुनकर आप सन्न रह जाएंगे। 2.13 मिनट के वीडियो को इस्कॉन के प्रवक्ता राधारमण दास ने शेयर किया है। इस वीडियो में महिला कहती है, ‘पहले मैं अपने शौहर के साथ निकाह होकर गई। उसके बाद मुझे तलाक दिया गया। फिर मेरे ससुर ने मुझसे…
View On WordPress
#अपने#अपने ही पति की मां बनी महिला! शौहर ने दिया तलाक फिर ससुर से निकाह…फिर देवर से रिश्ता..#अपराध#एक्सक्लूसिव#कहानी#की#तलाक#दिया#दिल्ली#देवर#निकाह…फिर#ने#न्यूज़#पति#फिर…#बनी#ब्रेकिंग#महिला#मां#राज्य#रिश्ता..#सुने��#शौहर#ससुर#सुनें महिला की कहानी#से#ही
0 notes
Text
मुआविया ज़फ़र ग़ज़ाली मुस्तफ़ाई एक मनमोहक अति सुंदर व आकर्षक व्यक्ति हैं, अगर बात करें इनकी विशेषता की तो ये एक दार्शनिक, एक स्वतंत्र लेखक, एक कार्यकर्ता, एक प्रेरक वक्ता, एक समाज सुधारक, एक प्रभावशाली व्यक्ति, एक समाजवादी, एक स्वतंत्र लेखक, एक शोधकर्ता, एक भावुक कवि, एक उपन्यासकार, एक नाटककार, एक निबंधकार, एक पटकथा लेखक, एक लघु कहानी लेखक, एक कानूनी अध्ययन अनुसंधान केंद्र में शोधकर्ता एवम् मिस्र व ईरान के विश्व इस्लामी केंद्र से स्वतंत्र शोधकर्ता हैं। इसके अलावा क़ुरैश और क़ुरैशी सादात के महान भव्य सुनहरा एवम् पवित्र परिवार से संबंधित हैं तथा पवित्र व्यक्तित्व इब्ने शाकिर-उल्लाह हुज़ूर सेठ शाह हाजी बरकतउल्लाह क़ुरैश क़ुरैशी नक़्शबंदी अलैहिर्रहमा बॉम्बे महाराष्ट्र के पोते हैं।
इनके कुछ छंद अति लोक प्रिय हुए हैं जैसे....
फ़िरौन का अंदाज़-ओ-लहजा हम को ना दिखाना
शाह हमने हर इक दौर के जाबिर से बगावत की है
नूर ही नूर के क़ुरआन से चेहरे पे वो नूरी आँखें
उनकी इंजील सी पलकों में खुली ज़बूरी आँखें
मैं हज़रत-ए-अ'ब्बास का नौकर हूँ
और सैय्यद-ए-हुसैन मेरे मालिक हैं
शाह टकरा गया वो मुझ से ईमान के लिए
फिर मिरे ईमां से उसका कुफ्र बिख़र गया
ग़ज़ाली बस यूँ तिरी याद में दिन-रात मगन रहता है
अल्लाह दिल धड़कना तिरी वहदत की सदा लगता है
शाह दिल ठंडा है अल्लाह के ज़िक्र से मिरा
सो देख इस बर्फ़ ने क्या आग लगा रक्खी है
इक अल्लाह है जो दिल में बसा रहता है
शाह ये ईमान है जो तन्हा नही होने देता
दिल में बुग्ज-ए-फ़ातिमा और ज़ुबां पर मुस्तफ़ा मुस्तफ़ा
तमाम इबादत को खा जाएगी इक शिक़ायत-ए-फ़ातिमा
दूर वाला भी हो अहले सुन्नत तो अपना भाई
घर में कोई गुस्ताख़ तो उसकी मैय्यत छोड़ दे
मेरे क़ल्ब पे बोझ रहा ज़हन भी परेशां हुआ
बुतपरस्तों को देखकर मेरा बड़ा नुक़्सा हुआ
जिस्म सस्ते है बोहोत ही सस्ते
इतने सस्ते की निकाह महंगे हैं
हमे फिर मिटाने की ज़ालिम साज़िश कर रहे हैं
अपनी औकात से बाहर की ख़्वाइश कर रहे हैं
ग़ज़ाली हमे ज़माने में ढूंढने वाले
एक दिन ज़माने में हम को ढूंढेंगे
शाह जाता है ख़ून उजले परों को समेट कर
ज़ख़्मों को अब गिनूँगा मैं कर्बल पे लेट कर
ना हुक़ूमत कभी मत उलझना ख़ुदाई ��े
ख़ुदाई बादशाहों से हुक़ूमत छीन लेती है
इसके अलावा आपने अपनी तन्हाई का इक अनोठा तथा अनोखा परिचय समाज को दिया था की,
मेरे साथ मेरी दुनियाँ में मेरी सबसे पुरानी साथी रहती है, मैं जब भी जहाँ से वापस आता हूँ या ख़ुद के अंदर से वापस आता हूँ, तो वो मेरा इस्तकबाल करती है मुझे गले लगाती है मुझे लाड करती है मुझे प्यार करती है इतना ही नही बल्कि घंटो-घंटो मेरे साथ बैठ कर मुझ से बाते करती है, क्या आपने नही देखा कितनी अनोखी है मेरी तन्हाई॥
इस जानकारी की पुष्टि अल्लामा हसन अली की किताब हुस्ने क़ायनात के करम नामे, हाफ़िज़ मख़दूम हुसैन के रिसाले हक़िकत के फैज़ नामे, मौलाना अबुल फ़ज़ल इमाम की किताब तिब्बियात के अहसान नामे, प्रोफेसर सीएनआर राव की किताब इंदजीत के शुभचिंतक पृष्ठ तथा सोलह अन्य पुस्तकों आदि से की गई है तथा यहां मुआविया ज़फ़र ग़ज़ाली मुस्ताफ़ाई का पूर्ण जीवन परिचय नही बताया गया है अनेकों जानकारी गुप्त रखी गई है। धन्यवाद॥
2 notes
·
View notes
Text
#husband #wife #couple #marriedlife #relationshipgoals #weddingday #married
दहेज नहीं तो निकाह नहीं, दहेज से किया जा रहा है बेटियों का मोल।
वहीं संत रामपाल जी महाराज जी के आशीर्वाद से हो रहे हैं अंतर्जातीय दहेज मुक्त विवाह। धर्म और जाति की बेड़ियों को तोड़कर कर रहे हैं बेटियों का जीवन खुशहाल।
2 notes
·
View notes
Text
#MarriageIn17Minutes
दहेज नहीं तो निकाह नहीं, दहेज से किया जा रहा है बेटियों का मोल।
वहीं संत रामपाल जी महाराज जी के आशीर्वाद से हो रहे हैं अंतर्जातीय दहेज मुक्त विवाह। धर्म और जाति की बेड़ियों को तोड़कर कर रहे हैं बेटियों का जीवन खुशहाल।
Dowry Free Marriages
2 notes
·
View notes
Text
#MarriageIn17Minutes
दहेज नहीं तो निकाह नहीं, दहेज से किया जा रहा है बेटियों का मोल।
वहीं संत रामपाल जी महाराज जी के आशीर्वाद से हो रहे हैं अंतर्जातीय दहेज मुक्त विवाह। धर्म और जाति की बेड़ियों को तोड़कर कर रहे हैं बेटियों का जीवन खुशहाल।
Dowry Free Marriages
2 notes
·
View notes
Text
Exploring Mirza Ghalib: 10 Interesting Facts You Must Know
Introduction
10 interesting things about Mirza Ghalib: ‘हुई मुद्दत कि ‘ग़ालिब’ मर गया पर याद आता है, वो हर इक बात पर कहना कि यूं होता तो क्या होता’ मिर्जा गालिब को महान शायर बताने के लिए उनकी गजल का यह शेर ही काफी है. 200 साल बाद भी गालिब की शायरी सुनाई और गुनगुनाई जाती है. शायरी बदली, कहने का अंदाज बदला, वक्त बदला और सदियां बदल गईं, लेकिन मिर्जा गालिब की गजलों और नज्मों का जादू अब भी बरकरार है. उनकी गजलों के शेर जिंदगी का फलसफा हैं, जो लोगों के दिल को सुकून देते हैं. उन्होंने सिर्फ 11 साल की उम्र से ही कविताएं लिखनी शुरू कर दी थीं. एक कवि होने के साथ-साथ मिर्जा गालिब एक बेहतरीन पत्र लेखक भी थे.
खूबसूरत शब्दों में लिपटे उनके खत भी लाजवाब होते थे. उनकी नज्मों और गजलों की बात की जाए तो ये जीवन के दर्शन का लिबाज ओढ़े हुए हैं. यही वजह है कि हर उम्र के लोग उनकी शायरी को पसंद करते हैं. मिर्जा गालिब भले ही भारत में जन्में और शायरी की, लेकिन उनकी दीवानगी पूरे दक्षिण एशिया में है. इस स्टोरी में हम बताने जा रहे हैं मिर्जा गालिब की जिंदगी और शायरी से जुड़े अनसुने किस्से.
Table Of Content
मदिरापान के साथ गालिब को था ��ुआ खेलने का शौक
पंडित ने लगाया था गालिब के माथे पर टीका
वाह रे बड़े मियां, बर्फी हिंदू और इमरती मुसलमान
नहीं थी कोई संतान
बचपन में ही खो दिया था माता-पिता को
13 साल की उम्र में शादी
11 वर्ष की उम्र में शुरू कर दिया था लिखना
मिले थे कई पुरस्कार
गधे भी आम नहीं खाते
बल्लीमारान से गालिब का रिश्ता
मदिरापान के साथ गालिब को था जुआ खेलने का शौक
पंडित ने लगाया था गालिब के माथे पर टीका
वाह रे बड़े मियां, बर्फी हिंदू और इमरती मुसलमान
नहीं थी कोई संतान
मिर्जा गालिब का पूरा नाम मिर्ज़ा असद-उल्लाह बेग ख़ां उर्फ ‘गालिब’ था. 27 दिसंबर, 1797 आगरा में जन्में गालिब को पूरी जिंदगी इस बात का मलाल रहा कि उनकी कोई औलाद नहीं थी. बीवी उमराव ने कई बच्चों को जन्म तो दिया लेकिन कोई भी संतान जी नहीं सकी. मिर्जा गालिब को पूरी जिंदगी औलाद की कमी खलती रही. गालिब की 7 संतानें हुईं, लेकिन उनमें से कोई भी कुछ महीनों से ज्यादा जिंदा नहीं रह पाईं. उनका यह दर्द उनकी गजलों और नज्मों में भी नजर आता है.
बचपन में ही खो दिया था माता-पिता को
बेशक हर मोहब्बत करने वाला आशिक मिर्जा गालिब की शायरी को जरूर पढ़ता है. जिंदगी की धुन गुनगुनानी हो तो उनकी शायरी कमाल है. बचपन में ही गालिब ने पिता को खो दिया. उनके पिता 1803 में एक युद्ध में शहीद हो गए. इसके बाद मामा ने उन्हें पालने की कोशिश की, लेकिन 1806 में हाथी से गिरकर उनकी भी मौत हो गई. मां के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है, लेकिन कहा जाता है कि उनकी मृत्यु भी जल्दी ही हो गई थी.
यह भी पढ़ें: मौत के वक्त बाबा साहेब के पास थी कितनी किताबें? जानिये संविधान निर्माता के बारे में 15 रोचक बातें
13 साल की उम्र में शादी
बताया जाता है कि सिर्फ 13 वर्ष की उम्र में मिर्जा गालिब का निकाह हो गया. 1810 में नवाब इलाही बक्श की बेटी उमराव बेगम से गालिब का निकाह हुआ. मोहब्बत से लबरेज गालिब को अपनी पत्नी से बहुत लगाव था लेकिन उनका रिश्ता कभी मोहब्बत की दहलीज को पार नहीं कर पाया. गालिब ने अपने खतों में लिखा था कि शादी दूसरी जेल की तरह है यानी वह शादी से खुश नहीं थे. उन्होंने लिखा है- पहली जेल जिंदगी ही है जिसका संघर्ष उसके साथ ही खत्म होता है.
यह भी पढ़ें: वह शख्स जिसकी जिंदगी के रहस्यों को नहीं जान पाई दुनिया, 20 साल बाद भी अनसुलझी है मौत की मिस्ट्री
11 वर्ष की उम्र में शुरू कर दिया था लिखना
मिर्जा गालिब का पूरा नाम मिर्जा असदुल्लाह बेग खां था. उनका जन्म 27 दिसंबर, 1797 में उत्तर प्रदेश के आगरा में हुआ. उनके पिता क��� नाम अबदुल्ला बेग और माता का नाम इज्जत उत निसा बेगम था. गालिब के पिता उज्बेकिस्तान से भारत आए थे. गालिब की उर्दू, पर्शियन और तुर्की तीनों भाषाओं पर अच्छी पकड़ थी. कहा जाता है कि उन्होंने 11 साल की उम्र में लिखना शुरू कर दिया था. उन्हें हिन्दी और अरबी की भी जानकारी थी.
यह भी पढ़ें: अमृता प्रीतम का इमरोज-साहिर से था कैसा रिश्ता ? आखिर क्यों अधूरा रह गया मोहब्बत का अफसाना
मिले थे कई पुरस्कार
गधे भी आम नहीं खाते
ऐसा कहा जाता है कि मुसलमान होने के बावजूद गालिब ने कभी रोजा नहीं रखा था. शायद यही वजह है कि वह खुद को आधा मुसलमान कहते थे. एक बार एक अंग्रेज अफसर ने पूछा तो उन्होंने बताया था कि मैं शराब पीता हूं, लेकिन सूअर नहीं खाता हूं. ऐसे में आधा मुसलमान हूं. गालिब महान शायर होने के साथ हाजिर जवाब इंसान भी थे. वह जवाब देने में जरा भी ��ेर नहीं लगाते थे. कहा जाता है कि गालिब एक बार आम खा रहे थे.
यह भी पढ़ें: अमरीश पुरी ने क्यों मारा था थप्पड़ ? पत्नी सुनीता ने किसके साथ पकड़ा था गोविंदा का अफेयर?
बल्लीमारान से गालिब का रिश्ता
मिर्ज़ा ग़ालिब दरअसल, गली कासिम जान बल्लीमारान (चांदनी चौक) के जिस घर में रहा करते थे उसको मूल स्वरूप में संरक्षित और पुनःस्थापित कराया गया है. वर्तमान में इस घर में गालिब के जीवन के विभिन्न पहलुओं को प्रदर्शित करने के लिए एक संग्रहालय है. 27 दिसंबर 2000 को मिर्जा गालिब की जयंती पर इसका उद्घाटन किया गया था और इसे जनता के लिए भी खोला गया. आधिकारिक जानकारी के अनुसा, सोमवार और राजपत्रित अवकाशों को छोड़कर स्मारक सभी दिन (सुबह 11:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक) आम जनता के लिए खुला रहता है. मिर्जा गालिब की जयंती पर प्रत्येक वर्ष गालिब मेमोरियल में उत्सव मनाया जाता है.
Conclusion
मिर्जा असदुल्लाह खान, जिन्हें मिर्जा गालिब के नाम से भी जाना जाता है दरअसल, वर्तमान युग के सबसे महान, कामयाब और सबसे मशहूर उर्दू शायरों में से एक हैं. गम हो, खुशी हो या फिर जिंदगी की बात, हर मूड की गजलें शायर मिर्जा गालिब ने लिखी हैं. ग़ालिब के समकालीन और भी कई शायर थे, जिन्होंने उम्दा नज़्में और ग़ज़लें लिखीं, लेकिन ग़ालिब जैसी कामयाबी किसी दूसरे शायर को नहीं मिली. आलोचकों और उर्दू साहित्य के बारे में जानने वालों का कहना है कि फ़ारसी कविता के प्रवाह को हिंदुस्तानी जुबा�� में लोकप्रिय करवाने का श्रेय भी इनको दिया जाता है.
यह भी पढ़ें: मोहम्मद रफी का सुरैया से क्या था खास कनेक्शन? क्यों दिया था अपना कमरा ? पढ़ें सिंगर के 10 अनसुने किस्से
Follow Us On: Facebook | X | LinkedIn | YouTube | Instagram
0 notes
Text
इस्लाम में अपनाने पर जो इज्जत और सम्मान मिला वो हिन्दू धर्म में नहीं, संभल की संध्या बहन ने चार साल पहले किया था धर्म परिवर्तन
इस्लाम में अपनाने पर जो इज्जत और सम्मान मिला वो हिन्दू धर्म में नहीं, संभल की संध्या बहन ने चार साल पहले किया था धर्म परिवर्तन #News #RightNewsIndia
Viral News: हिंदू समाज से ताल्लुक रखने वाली संध्या बहन ने चार साल पहले इस्लाम धर्म अपनाया और एक नया जीवन शुरू किया। उनका कहना है कि इस्लाम धर्म ने उन्हें वह इज्जत और समानता दी, जो वे पहले महसूस नहीं कर पाई थीं। संध्या ने बताया, “इस्लाम में आने का फैसला मेरा खुद का था, और मैंने इसे अपने निकाह से पहले ही स्वीकार कर लिया था। यह निर्णय पूरी तरह मेरा था, और मैंने इसे अपने अनुभवों और सोच-समझ के आधार…
0 notes
Text
दूल्हा बनकर आया, 200 बाराती भी लाया, रोटी खाई फिर तोड़ दिया निकाह…थोड़ी देर बाद दूसरी दुल्हन से कर ली शादी
हमने शादी विवाह में अक्सर देखा है कि कई बार खाना खिलाने में देरी हो जाती है. इस बात पर बाराती नाराज भी हो जाते हैं. हाल ही में उत्तर प्रदेश के मुगलसराय भी ऐसा ही एक मामला सामने आया है. हालांकि शादी में खाने में देरी होने पर बाराती नहीं बल्कि दूल्हा ही भड़क गया. साथ ही दूल्हे ने शादी करने से भी मना कर दिया. जानकारी के मुताबिक मुगलसराय कोतवाली अंतर्गत औद्योगिक नगर चौकी अंतर्गत एक गांव में बारातियों…
View On WordPress
0 notes
Text
#बिन_फेरे_हम_तेरे
#DowryFreeMarriages
#दहेज_मुक्त_भारत
#SantRampalJiMaharaj
#vishwaguru
#marriage #dowryfreeindia #hinduism #indian #sanatandharma #meditation #god #jaishreeram #wedding #Ramainiदहेज नहीं तो निकाह नहीं, दहेज से किया जा रहा है बेटियों का ��ोल।
वहीं संत रामपाल जी महाराज जी के आशीर्वाद से हो रहे हैं अंतर्जातीय दहेज मुक्त विवाह। धर्म और जाति की बेड़ियों को तोड़कर कर रहे हैं बेटियों का जीवन खुशहाल।
0 notes
Text
#बिन_फेरे_हम_तेरे
दहेज नहीं तो निकाह नहीं, दहेज से किया जा रहा है बेटियों का मोल।
वहीं संत रामपाल जी महाराज जी के आशीर्वाद से हो रहे हैं अंतर्जातीय दहेज मुक्त विवाह। धर्म और जाति की बेड़ियों को तोड़कर कर रहे हैं बेटियों का जीवन खुशहाल।
#DowryFreeMarriages
#SantRampalJiMaharaj
0 notes
Text
दहेज नहीं तो निकाह नहीं, दहेज से किया जा रहा है बेटियों का मोल।
वहीं संत रामपाल जी महाराज जी के आशीर्वाद से हो रहे हैं अंतर्जातीय दहेज मुक्त विवाह। धर्म और जाति की बेड़ियों को तोड़कर कर रहे हैं बेटियों का जीवन खुशहाल।
#viral #trending #hindu
#SantRampalJiQuotes #SantRampalJiMaharaj #SatlokAshram #KabirIsGod
✰किसी भी ���ीव को मनुष्य जीवन कैसे मिलता है?✰
अवश्य पढ़ें पवित्र सद्ग्रंथों पर आधारित संत रामपाल जी महाराज द्वारा लिखित पुस्तक *ज्ञान गंगा*।
निःशुल्क पुस्तक प्राप्त करने हेतु अपना नाम, पूरा पता, और मोबाइल नंबर हमें व्हाट्सएप करें : +91 7496801825
0 notes
Text
दहेज नहीं तो निकाह नहीं, दहेज से किया जा रहा है बेटियों का मोल।
वहीं संत रामपाल जी महाराज जी के आशीर्वाद से हो रहे हैं अंतर्जातीय दहेज मुक्त विवाह। धर्म और जाति की बेड़ियों को तोड़कर कर रहे हैं बेटियों का जीवन खुशहाल।
💰मानव समाज में आज दहेज प्रथा के कारण गरीब से गरीब व्यक्तियों को जीवन जीने में परेशानी हो रही है।
वहीं दूसरी तरफ संत रामपाल जी महाराज जी के शिष्य बिना दहेज रमैनी(शादी )करके सुखमय जीवन जी रहे हैं।
संत रामपाल जी महाराज जी के सानिध्य में बन रहा है दहेज मुक्त भारत।
#बिन_फेरे_हम_तेरे
#DowryFreeMarriages
#दहेज_मुक्त_भारत
#दहेज_मुक्त_भारत
#Dowry #DowryFreeIndia #DowryFreeMarriages #bride #indianbride
#viralvideos #weddingphotography
#viral #trending #hindu
#SantRampalJiQuotes #SantRampalJiMaharaj
0 notes