#नाग पंचमी कितने तारीख को है
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क्या होता है कुंभ, कितने समय बाद लगता है अर्द्ध कुंभ मेला? विस्‍तार से जानिए
कुम्भ परिचय- 2019 अर्द्ध कुंभ मेला आस्था, विश्वास, सौहार्द एवं संस्कृतियों के मिलन का पर्व है “कुम्भ”। ज्ञान, चेतना और उसका परस्पर मंथन कुम्भ मेले का वो आयाम है जो आदि काल से ही हिन्दू धर्मावलम्बियों की जागृत चेतना को बिना किसी आमन्त्रण के खींच कर ले आता है। कुम्भ का अर्थ और इतिहास कुम्भ पर्व किसी इतिहास निर्माण के दृष्टिकोण से नहीं शुरू हुआ था अपितु इसका इतिहास समय द्वारा स्वयं ही बना दिया गया। वैसे भी धार्मिक परम्पराएं हमेशा आस्था एवं विश्वास के आधार पर टिकती हैं न कि इतिहास पर। यह कहा जा सकता है कि कुम्भ जैसा विशालतम् मेला संस्कृतियों को एक सूत्र में बांधे रखने के लिए ही आयोजित होता है।
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2019 अर्द्ध कुंभ मेला- हिन्दू धर्म में कुंभ मेला बहुत ही महत्वपूर्ण मेला है. ऐसी मान्यता है कि इस दौरान पावन गंगा नदी में स्नान करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं. कुंभ का अर्थ होता है कलश. कुंभ मेला हर 12 साल में आता है. दो बड़े कुंभ मेलों के बीच एक अर्धकुंभ मेला भी लगता है. इस बार साल 2019 अर्द्ध कुंभ मेला, अर्धकुंभ ही है. लेकिन जिस प्रकार से इस अर्धकुंभ मेले की तैयारियां चल रही हैं, उसे देखकर यह कहा जा सकता है कि यह पूर्ण कुंभ मेला ही है. 2019 अर्द्ध कुंभ मेला 14 जनवरी से 4 मार्च 2019 तक प्रयागराज में चलेगा है। इस बार के 2019 अर्द्ध कुंभ मेला में काफी चीजें खास तौर पर होंगी जो पहले कभी नहीं हुई हैं।
कुम्भ का अर्थ और इतिहास- 2019 अर्द्ध कुंभ मेला कुम्भ का शाब्दिक अर्थ है कलश और यहाँ ‘कलश’ का सम्बन्ध अमृत कलश से है। बात उस समय की है जब देवासुर संग्राम के बाद दोनों पक्ष समुद्र मंथन को राजी हुए थे। मथना था समुद्र तो मथनी और नेति भी उसी हिसाब की चाहिए थी। ऐसे में मंदराचल पर्वत मथनी बना और नाग वासुकी उसकी नेति। मंथन से चौदह रत्नों की प्राप्ति हुई जिन्हें परस्पर बाँट लिया गया परन्तु जब धन्वन्तरि ने अमृत कलश देवताओं को दे दिया तो फिर युद्ध की स्थिति उत्पन्न हो गई। तब भगवान् विष्णु ने स्वयं मोहिनी रूप धारण कर सबको अमृत-पान कराने की बात कही और अमृत कलश का दायित्व इंद्र-पुत्र जयंत को सौपा। कुम्भ का अर्थ और इतिहास अमृत-कलश को प्राप्त कर जब जयंत दानवों से अमृत की रक्षा हेतु भाग रहा था तभी इसी क्रम में अमृत की बूंदे पृथ्वी पर चार स्थानों पर गिरी- हरिद्वार, नासिक, उजैन और प्रयागराज।
प्रयागराज कुम्भ 2019 में विशेष स्नान दिवस- 2019 अर्द्ध कुंभ मेला कुम्भ का अर्थ और इतिहास कुंभ मेला हिन्दू तीर्थयात्राओं में सर्वाधिक पावन तीर्थयात्रा है। प्रयागराज कुंभ में अनेक कर्मकाण्ड सम्मिलित हैं और स्नान कर्म कुंभ के कर्मकाण्डों में से सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। करोड़ों तीर्थयात्री और आगंतुक दर्शकगण कुंभ मेला स्नान कर्म में प्रतिभाग करते हैं। 2019 कुंभ मेले की शाही स्नान की तारीख त्रिवेणी संगम पर पवित्र डुबकी लगायी जाती है। 2019 अर्द्ध कुंभ मेला महत्त्व पवित्र कुंभ स्नानकर्म इस विश्वास के अनुसरण में किया जाता है कि त्रिवेणी संगम के पवित्र जल में डुबकी लगाकर एक व्यक्ति अपने समस्त पापों को धो डालता है, स्वयं को और अपने पूर्वजों को पुनर्जन्म के चक्र से अवमुक्त कर देता है और मोक्ष को प्राप्त हो जाता है।
2019 अर्द्ध कुंभ मेला की शाही स्नान की तारीख- 2019 अर्द्ध कुंभ मेला की शाही स्नान की तारीख ��ा पहला स्नान 14-15 जनवरी 2019: मकर संक्रांति (पहला शाही स्नान)
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21 जनवरी 2019: पौष पूर्णिमा
31 जनवरी 2019: पौष एकादशी स्नान
2019 कुंभ मेले की शाही स्नान की तारीख का दूसरा स्नान 04 फरवरी 2019: मौनी अमावस्या (मुख्य शाही स्नान, दूसरा शाही स्नान)
2019 कुंभ मेले की शाही स्नान की तारीख का तीसरा स्नान 10 फरवरी 2019: बसंत पंचमी (तीसरा शाही स्नान)
16 फरवरी 2019: माघी एकादशी
19 फरवरी 2019: माघी पूर्णिमा
04 मार्च 2019: महा शिवरात्रि
प्रयागराज कुम्भ का महत्त्व
2019 अर्द्ध कुंभ मेला प्रयागराज कुम्भ का महत्त्व प्रयागराज में ‘कुम्भ’ कानों में पड़ते ही गंगा, यमुना एवं सरस्वती का पावन सुरम्य त्रिवेणी संगम मानसिक पटल पर चमक उठता है। पवित्र संगम स्थल पर विशाल जन सैलाब हिलोरे लेने लगता है और हृदय भक्ति-भाव से विहवल हो उठता है। प्रयागराज कुम्भ का महत्त्व श्री अखाड़ो के शाही स्नान से लेकर सन्त पंडालों में धार्मिक मंत्रोच्चार, ऋषियों द्वारा सत्य, ज्ञान एवं तत्वमिमांसा के उद्गार, मुग्धकारी संगीत, नादो का समवेत अनहद नाद, संगम में डुबकी से आप्लावित हृदय एवं अनेक देवस्थानो के दिव्य दर्शन प्रयागराज कुम्भ का महिमा भक्तों को दर्शन कराते हैं। प्रयागराज कुम्भ का महत्त्व यहाँ केवल तीर्थयात्रियों की सेवा करने से भी व्यक्ति को लोभ-मोह से छुटकारा मिल जाता है। 2019 अर्द्ध कुंभ मेला उक्त क��रणों से अपनी पारंपरिक वेशभूषा में सुसज्जित सन्त- तपस्वी और उनके शिष्यगण एक ओर जहाँ अपनी विशिष्ठ मान्यताओं के अनुसार त्रिवेणी संगम पर विभिन्न धार्मिक क्रियाकलाप करते हैं तो दूसरी ओर उनको देखने हेतु विस्मित भक्तों का तांता लगा रहता है।
पेशवाई (प्रवेशाई)- 2019 अर्द्ध कुंभ मेला के आयोजनों में पेशवाई का महत्वपूर्ण स्थान है। प्रयागराज कुम्भ 2019 के मुख्य आकर्षण ‘‘पेशवाई’’ प्रवेशाई का देशज शब्द है जिसका अर्थ है शोभायात्रा जो विश्व भर से आने वाले लोगों का स्वागत कर कुम्भ मेले के आयोजन को सूचित करने के निमित्त निकाली जाती है। प्रयागराज कुम्भ 2019 के मुख्य आकर्षण पेशवाई में साधु-सन्त अपनी टोलियों के साथ बड़े धूम-धाम से प्रदर्शन करते हुए कुम्भ में पहुँचते हैं।
शाही स्नान- 2019 अर्द्ध कुंभ मेला के मुख्य आकर्षण शाही स्नान का कुंभ मेले में काफी महत्व होता है शाही स्नान सबसे पहले अखाड़े के साधु ��रते हैं इनके बाद ही आम आदमी पवित्र गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम पर स्नान कर सकते हैं। 2019 कुंभ मेले की शाही स्नान की तारीख इसके लिए आम लोग सुबह 3 बजे से ही लाइन लगा लेते हैं और साधुओं के स्नान के बाद नहाने जाते हैं। इस बार पहला शाही स्नान 15-15 जनवरी, दूसरा 4 फरवरी और तीसरा 10 फरवरी को है।
2019 अर्द्ध कुंभ मेला
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