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04.01.2025, लखनऊ | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के पूर्व संरक्षक, महाकवि और गीतों के दरवेश पद्मभूषण (डॉ०) गोपाल दास नीरज जी के जन्मशती वर्ष के अवसर पर "यह नीरज की प्रेम सभा है" कार्यक्रम का भव्य आयोजन हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा उत्तर प्रदेश साहित्य सभा के संयुक्त तत्वावधान में संत गाडगे प्रेक्षा गृह, संगीत नाटक अकादमी, लखनऊ में किया गया । मुख्य अतिथि के रूप में श्री दिनेश शर्मा जी, माननीय सांसद एवं पूर्व उप मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश ने कार्यक्रम में शिरकत की | जबकि विशिष्ट अतिथि में श्री मुकेश शर्मा जी, माननीय सदस्य, विधान परिषद, उत्तर प्रदेश, श्री पवन सिंह चौहान जी, माननीय सभापति, वित्तीय एवं प्रशासनिक विलम्ब समिति, विधान परिषद, उत्तर प्रदेश, श्री राजेश पांडे जी, रिटायर्ड आईपीएस, नोडल अधिकारी, यूपीडा की गरिमामयी उपस्थिति रही । कार्यक्रम की अध्यक्षता आदरणीय श्री अशोक कुमार जी, माननीय न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) एवं अध्यक्ष, राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उत्तर प्रदेश ने की | अतिथियों को प्रतीक चिन्ह व अंगवस्त्र से सम्मानित किया |
“यह नीरज की प्रेम सभा है” कार्यक्रम के अंतर्गत हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा उत्तर प्रदेश साहित्य सभा द्वारा साहित्य एव संगीत जगत मे अपना अलग मुकाम बनाने वाले 6 प्रबुद्धजनों को सम्मानित किया गया, साथ ही अखिल भारतीय कवि सम्मेलन, नीरज जी के गीतो पर बांसुरी वादन तथा नृत्य की प्रस्तुति भी की गयी |
कार्यक्रम का शुभारंभ राष्ट्रगान से हुआ, तत्पश्चात मुख्य अतिथि श्री दिनेश शर्मा जी, कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे माननीय न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) श्री अशोक कुमार जी, विशिष्ट अतिथि श्री मुकेश शर्मा जी, श्री पवन सिंह चौहान जी, श्री राजेश पांडे जी, उत्तर प्रदेश साहित्य सभा के प्रमुख श्री सर्वेश अस्थाना, श्री मिलन प्रभात 'गुंजन' (नीरज जी के पुत्र), श्री पल्लव नीरज (नीरज जी के पौत्र), हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल और न्यासी डॉ॰ रूपल अ��्रवाल द्वारा दीप प्रज्ज्वलन तथा नीरज जी के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर किया गया |
कार्यक्रम मे मुख्य अतिथि माननीय श्री दिनेश शर्मा जी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि, “मैं हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा उत्तर प्रदेश साहित्य सभा को कार्यक्रम "यह नीरज की प्रेम सभा है" आयोजित करने के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं | आज हम उस महान कवि और व्यक्तित्व को याद कर रहे हैं, जिन्होंने न केवल अपनी काव्य रचनाओं से हमें समृद्ध किया, बल्कि अपनी सादगी, विनम्रता और गहन संवेदनशीलता से हमारे जीवन को प्रेरित किया । महाकवि गोपाल दास 'नीरज' जी बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे । उनकी कविताएँ मानवीय भावनाओं का गहन चित्रण करती थीं । इतने बड़े साहित्यिक व्यक्तित्व के बावजूद, वे अत्यंत साधारण और सहज जीवन जीते थे । मुझे याद है, जब मैं छोटा था, तब अपने पिता जी के साथ नीरज जी को एक कवि सम्मेलन में सुनने गया था । उनकी कविताएँ न केवल मंच पर नई ऊर्जा का संचार करती थीं, बल्कि उन्होंने कवि सम्मेलनों को एक नया स्वरूप भी प्रदान किया । एक बार, मैं गोखले मार्ग स्थित एक घर में उन्हें लेकर स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी जी से मिलने गया । वह एक अविस्मरणीय क्षण था । लगभग पौने दो घंटे तक हमने नीरज जी और अटल जी की कविताएँ सुनीं । यह दो महान आत्माओं का संगम था । आगे चलकर अटल जी हमारे देश के प्रधानमंत्री बने, लेकिन नीरज जी ने 'कवि हृदय के प्रधानमंत्री' के रूप में हमेशा हमारे दिलों पर राज किया । नीरज जी का जीवन हमें यह सिखाता है कि चाहे आप कितने ही ऊँचे मुकाम पर क्यों न पहुँच जाएँ, सादगी और विनम्रता ही आपके व्यक्तित्व की सच्ची पहचान है । उनकी कविताएँ आज भी हमें जीवन के गहरे अर्थ समझाने के साथ-साथ आगे बढ़ने की प्रेरणा देती हैं ।“
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे माननीय न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) श्री अशोक कुमार जी ने कहा कि, ”आज हम महाकवि गोपाल दास 'नीरज' जी को याद कर रहे हैं, जिनके गीतों में अद्भुत कशिश और गहराई थी । उनका गीत "इतने बदनाम हुए हम तो इस जमाने में, तुमको लग जाएँगी सदियाँ हमें भुलाने में" सिर्फ एक गीत नहीं, बल्कि एक भावना है, जो यह बताती है कि सच्चे कलाकार और उनकी कला को भुलाना आसान नहीं होता । नीरज जी के शब्दों में जीवन का यथार्थ, प्रेम, पीड़ा और मानवीय संबंधों का गहन चित्रण था । वे जब मंच पर अपनी रचनाएँ गाते, तो ऐसा लगता था मानो शब्दों में जान आ गई हो । उनकी कविताएँ हमें सिखाती हैं कि साधारण शब्द असाधारण प्रभाव डाल सकते हैं । आइए, उनकी स्मृतियों को सहेजें और उनकी प्रे��णा को अपनी ज़िंदगी में उतारें ।"
श्री राजेश पांडे जी ने कहा कि, “इलाहाबाद विश्वविद्यालय में पढ़ाई के दौरान नीरज जी से मेरी पहली मुलाकात हुई । उस एक मुलाकात से जो रिश्ता जुड़ा, वह उनके जीवन के अंत तक बना रहा । नीरज जी के साथ समय बिताना ऐसा लगता था, मानो शब्दों और संवेदनाओं का समंदर हमारे सामने बह रहा हो । उनकी बातों में, उनकी कविताओं में, और उनके व्यक्तित्व में वह जादू था, जो हर किसी को अपना बना लेता था । नीरज जी का जीवन यह सिखाता है कि रिश्ते शब्दों से नहीं, बल्कि दिल से बनाए जाते हैं । उनकी सादगी, उनकी संवेदनशीलता और उनकी काव्य रचनाओं ने हर किसी को प्रभावित किया । चाहे मंच पर उनकी कविताएँ हों या उनके व्यक्तिगत संबंध, हर जगह उन्होंने एक अमिट छाप छोड़ी । उनकी रचनाओं की खासियत यह थी कि वे मानवीय भावनाओं, प्रेम, पीड़ा और जीवन के यथार्थ को इतनी गहराई से व्यक्त करते थे कि हर व्यक्ति खुद को उनसे जुड़ा महसूस करता था । आइए, आज हम नीरज जी की कविताओं और उनके जीवन से प्रेरणा लें । उनके दिखाए मार्ग पर चलें और उनके रिश्तों की तरह अपने जीवन में मधुरता और गहराई लाएँ ।“
हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने अपने संबोधन में कहा कि, “नीरज जी ने अपने गीतों और मानवतावादी दृष्टिकोण से भारतीय साहित्य में अमिट छाप छोड़ी । उनकी पंक्तियां "एक मज़हब कोई ऐसा भी चलाया जाए, जिसमें इंसान को इंसान बनाया जाए ।" हमें आज भी प्रेरित करती हैं । नीरज जी का ट्रस्ट से जुड़ाव हमारी सांस्कृतिक यात्रा का अमूल्य हिस्सा है । उनके आशीर्वाद और मार्गदर्शन ने हमें अनेक साहित्यिक व सामाजिक अभियानों में प्रेरित किया । श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा "गोपाल दास नीरज स्मृति पुरस्कार योजना" के लिए माननीय मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी और आदरणीय डॉ. दिनेश शर्मा जी का आभार व्यक्त किया । हमारा निवेदन है कि "गोपाल दास नीरज स्मृति पुरस्कार” का वितरण मुख्यमंत्री जी के कर कमलों से किया जाए । यह केवल नीरज जी का नहीं, बल्कि उनके प्रेम, मानवता के संदेश और साहित्य जगत का सम्मान होगा । श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने सभी से अपील करी कि ट्रस्ट को निरंतर सहयोग दें ताकि नीरज जी की स्मृति में और भव्य आयोजन निरंतर किए जा सकें ।“
उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष श्री उदय प्रताप सिंह जी ने कहा कि, “हरिवंश राय बच्चन जी के बाद यदि कोई कवि सबसे लोकप्रिय और प्रभावशाली हुआ, तो वह गोपाल दास 'नीरज' जी थे । उनकी ग़ज़लें, भजन और कव्वालियां देखकर यह स्पष्ट होता है कि उनके पास भाषाओं के कितने रंग और विविधता थी । नीरज जी ने हिंदी भाषा की सेवा में अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया । उन्होंने हिंदी को नए आयाम दिए और जन-जन तक पहुँचाया । बावजूद इसके, उनके व्यक्तित्�� में कभी अहंकार नहीं आया । उनकी सादगी और विनम्रता आज के कवियों के लिए एक बड़ी सीख है । आइए, हम उनके योगदान को नमन करें और उनके जीवन से प्रेरणा लें ।"
नीरज जी के पुत्र श्री मिलन प्रभात "गुंजन" ने कहा कि, “पापा का हर लेख, हर विचार जीवन के उन अनकहे पहलुओं को उजागर करता था, जो आमतौर पर हम नहीं देख पाते । उनकी रचनाओं की विशेषता यह थी कि उन्होंने शब्दों के माध्यम से जीवन की गहराई को हमारे सामने रखा । वे जानते थे कि सच्ची भावनाएँ शब्दों में नहीं, बल्कि दिल की गहराइयों में होती हैं । यही कारण था कि उनकी लिखाई न केवल समझने में आसान थी, बल्कि वह दिलों को छूने वाली थी । आज हम उनका आदर करते हैं क्योंकि उन्होंने हमें यह सिखाया कि असली कला वह होती है, जो सरलता से दिलों तक पहुँच जाए । आइए, हम उनकी शिक्षाओं को अपने जीवन में उतारे और अपनी लेखनी, विचार और भावनाओं को ऐसी सादगी और गहराई से व्यक्त करें, जैसे उन्होंने किया ।“
नीरज जी के पौत्र श्री पल्लव नीरज ने अपने संबोधन में कहा कि, “बाबा की कविताओं का पाठ करना एक अद्भुत अनुभव था । उनकी रचनाओं में गहराई और सरलता का अद्भुत सामंजस्य था । वे छोटी-छोटी बातों को याद रखते थे और उन्हें अपनी कविताओं में हम तक पहुँचाते थे, जो उनके जीवन जीने के तरीके को दर्शाता है । नीरज जी का व्यक्तित्व और उनकी कविताएँ हमारे दिलों में आज भी जीवित हैं । उनके साथ बिताए हर एक पल की यादें हमेशा हमारे साथ रहेंगी । वे हमारे पास उनके शब्दों और आदर्शों के रूप में हमेशा हैं ।“
विशिष्ट अतिथि श्री मुकेश शर्मा जी, श्री पवन सिंह चौहान जी तथा उत्तर प्रदेश साहित्य सभा के प्रमुख श्री सर्वेश अस्थाना जी ने भी अपने-अपने विचार व्यक्त किए |
कार्यक्रम के अंतर्गत हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा उत्तर प्रदेश साहित्य सभा द्वारा साहित्य एव संगीत जगत मे अपना अलग मुकाम बनाने वाले 6 प्रबुद्धजनों श्री उदय प्रताप सिंह (उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष), डॉ हरिओम (आईएएस), श्री आलोक राज (आईपीएस), श्री सूर्यपाल गंगवार (आईएएस), श्री अखिलेश मिश्रा (आईएएस), श्री पवन कुमार (आईएएस) को प्रतीक चिन्ह व अंगवस्त्र से सम्मानित किया गया |
अखिल भारतीय कवि सम्मेलन मे डॉ. विष्णु सक्सेना (हाथरस), डॉ. प्रवीण शुक्ल (दिल्ली), श्री दिनेश रघुवंशी (फरीदाबाद), डॉ. सोनरूपा विशाल (बदायूं), श्री बलराम श्रीवास्तव (मैनपुरी), श्री यशपाल यश (फिरोजाबाद), डॉ. राजीव राज (इटावा), श्री सर्वेश अस्थाना (लखनऊ) ने अपनी कविताएँ प्रस्तुत की :
डॉ. विष्णु सक्सेना जी : “शाख रिश्तों की अगर टूट के झुक जायेगी, प्यार की बहती हुई ये नदी रुक जायेगी, फेंकियेगा ना अगर पास हो पानी गंदा, प्यास चाहे ना बुझे आग तो बुझ जायेगी |"
डॉ. प्रवीण शुक्ल जी : "स्वर तो मौन हुआ है बेशक, पर धुन अब भी गूँज रही है, गीत भवन में काव्य-कामिनी, अपना प्रियतम ढूँढ़ रही है, वो लगते थे बड़े अलग से, कहते थे वो ��ारे जग से, बूँद-बूँद रस के झरने से पूरा घड़ा भरा करता है, कुछ साँसों के रुक जाने से नीरज नहीं मरा करता है |”
श्री दिनेश रघुवंशी जी : “मैं हूँ सौभाग्यशाली प्यार जो पाया बुज़ुर्गों का, मुझे ऊँचाइयों तक प्यार ही लाया बुज़ुर्गों का, मेरे ईश्वर मेरी चाहत नहीं इसके सिवा कुछ भी, मेरे सर पर हमेशा ही रहे साया बुज़ुर्गों का |”
डॉ. सोनरूपा विशाल जी : “नैन को रूप की ज़रूरत है, प्यास को कूप की ज़रूरत है, बर्फ़ पिघला सके दिलों की जो, अब तो उस धूप की ज़रूरत है |”
श्री बलराम श्रीवास्तव जी : "घुला जब दर्द पानी में तो आंसू हो गए खारे, ढुलक कर आ गए बाहर हुए हैं नैन से न्यारे, तुम्हारे आंसुओं की भक्ति और अनुरक्ति के आगे, तुम्हारी जीत होती है सदा रहते हैं हम हारे ll”
श्री यशपाल यश जी : “हो जाता हर दर्द हवा है, बन जाता हर गीत दवा है, यहाँ वासना प्रतिबंधित है, यह नीरज की प्रेम सभा है |”
डॉ. राजीव राज जी : "जो साधना से हीन से संगीत नहीं है, सद्भावना विह��न है वो मीत नहीं है, आँसू न जिसका शब्द शब्द चूमने लगे, शब्दों की व्यवस्था है मगर गीत नहीं है ।“
श्री सर्वेश अस्थाना जी : "रिश्तों में तकरार बहुत है, लेकिन इनमें प्यार बहुत है, सारी दुनिया खुश रखने को, बस अपना परिवार बहुत है |”
अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का संचालन कवि श्री सर्वेश अस्थाना (लखनऊ) ने किया । श्री राजीव वत्सल ने नीरज जी के गीतो पर बांसुरी वादन प्रस्तुत कर सभी श्रोताओं के दिल मे नीरज जी की यादों को ताजा कर दिया तथा श्रीमती स्नेहा ने नीरज जी के गीतो पर नृत्य कर समा बांध दिया |
कार्यक्रम में विशेष अतिथियों के रूप में श्रीमती मालविका हरिओम श्री मिलन प्रभात 'गुंजन' (नीरज जी के पुत्र), श्री पल्लव नीरज (नीरज जी के पौत्र), कवि श्री सुरेश श्रीवास्तव, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की आंतरिक सलाहकार समिति के सदस्य श्री महेंद्र भीष्म, श्री पंकज अवस्थी, डॉ अल्का निवेदन, डॉ ऋतु चक्रबोरती, डॉ शिखा श्रीवास्तव, डॉ राधा बिष्ट एवं लखनऊ शहर के गणमान्य व्यक्तियों की गरिमामयी उपस्थिति रही |
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पद्मभूषण (डॉ०) गोपाल दास नीरज | जन्मशती | यह नीरज की प्रेम सभा है | श्री बलराम श्रीवास्तव
04.01.2025, लखनऊ | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के पूर्व संरक्षक, महाकवि और गीतों के दरवेश पद्मभूषण (डॉ०) गोपाल दास नीरज जी के जन्मशती वर्ष के अवसर पर "यह नीरज की प्रेम सभा है" कार्यक्रम का भव्य आयोजन हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा उत्तर प्रदेश साहित्य सभा के संयुक्त तत्वावधान में संत गाडगे प्रेक्षा गृह, संगीत नाटक अकादमी, लखनऊ में किया गया । मुख्य अतिथि के रूप में श्री दिनेश शर्मा जी, माननीय सांसद एवं पूर्व उप मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश ने कार्यक्रम में शिरकत की | जबकि विशिष्ट अतिथि में श्री मुकेश शर्मा जी, माननीय सदस्य, विधान परिषद, उत्तर प्रदेश, श्री पवन सिंह चौहान जी, माननीय सभापति, वित्तीय एवं प्रशासनिक विलम्ब समिति, विधान परिषद, उत्तर प्रदेश, श्री राजेश पांडे जी, रिटायर्ड आईपीएस, नोडल अधिकारी, यूपीडा की गरिमामयी उपस्थिति रही । कार्यक्रम की अध्यक्षता आदरणीय श्री अशोक कुमार जी, माननीय न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) एवं अध्यक्ष, राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उत्तर प्रदेश ने की | अतिथियों को प्रतीक चिन्ह व अंगवस्त्र से सम्मानित किया |
“यह नीरज की प्रेम सभा है” कार्यक्रम के अंतर्गत हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा उत्तर प्रदेश साहित्य सभा द्वारा साहित्य एव संगीत जगत मे अपना अलग मुकाम बनाने वाले 6 प्रबुद्धजनों को सम्मानित किया गया, साथ ही अखिल भारतीय कवि सम्मेलन, नीरज जी के गीतो पर बांसुरी वादन तथा नृत्य की प्रस्तुति भी की गयी |
कार्यक्रम का शुभारंभ राष्ट्रगान से हुआ, तत्पश्चात मुख्य अतिथि श्री दिनेश शर्मा जी, कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे माननीय न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) श्री अशोक कुमार जी, विशिष्ट अतिथि श्री मुकेश शर्मा जी, श्री पवन सिंह चौहान जी, श्री राजेश पांडे जी, उत्तर प्रदेश साहित्य सभा के प्रमुख श्री सर्वेश अस्थाना, श्री मिलन प्रभात 'गुंजन' (नीरज जी के पुत्र), श्री पल्लव नीरज (नीरज जी के पौत्र), हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल और न्यासी डॉ॰ रूपल अग्रवाल द्वारा दीप प्रज्ज्वलन तथा नीरज जी के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर किया गया |
कार्यक्रम मे मुख्य अतिथि माननीय श्री दिनेश शर्मा जी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि, “मैं हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा उत्तर प्रदेश साहित्य सभा को कार्यक्रम "यह नीरज की प्रेम सभा है" आयोजित करने के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं | आज हम उस महान कवि और व्यक्तित्व को याद कर रहे हैं, जिन्होंने न केवल अपनी काव्य रचनाओं से हमें समृद्ध किया, बल्कि अपनी सादगी, विनम्रता और गहन संवेदनशीलता से हमारे जीवन को प्रेरित किया । महाकवि गोपाल दास 'नीरज' जी बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे । उनकी कविताएँ मानवीय भावनाओं का गहन चित्रण करती थीं । इतने बड़े साहित्यिक व्यक्तित्व के बावजूद, वे अत्यंत साधारण और सहज जीवन जीते थे । मुझे याद है, जब मैं छोटा था, तब अपने पिता जी के साथ नीरज जी को एक कवि सम्मेलन में सुनने गया था । उनकी कविताएँ न केवल मंच पर नई ऊर्जा का संचार करती थीं, बल्कि उन्होंने कवि सम्मेलनों को एक नया स्वरूप भी प्रदान किया । एक बार, मैं गोखले मार्ग स्थित एक घर में उन्हें लेकर स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी जी से मिलने गया । वह एक अविस्मरणीय क्षण था । लगभग पौने दो घंटे तक हमने नीरज जी और अटल जी की कविताएँ सुनीं । यह दो महान आत्माओं का संगम था । आगे चलकर अटल जी हमारे देश के प्रधानमंत्री बने, लेकिन नीरज जी ने 'कवि हृदय के प्रधानमंत्री' के रूप में हमेशा हमारे दिलों पर राज किया । नीरज जी का जीवन हमें यह सिखाता है कि चाहे आप कितने ही ऊँचे मुकाम पर क्यों न पहुँच जाएँ, सादगी और विनम्रता ही आपके व्यक्तित्व की सच्ची पहचान है । उनकी कविताएँ आज भी हमें जीवन के गहरे अर्थ समझाने के साथ-साथ आगे बढ़ने की प्रेरणा देती हैं ।“
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे माननीय न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) श्री अशोक कुमार जी ने कहा कि, ”आज हम महाकवि गोपाल दास 'नीरज' जी को याद कर रहे हैं, जिनके गीतों में अद्भुत कशिश और गहराई थी । उनका गीत "इतने बदनाम हुए हम तो इस जमाने में, तुमको लग जाएँगी सदियाँ हमें भुलाने में" सिर्फ एक गीत नहीं, बल्कि एक भावना है, जो यह बताती है कि सच्चे कलाकार और उनकी कला को भुलाना आसान नहीं होता । नीरज जी के शब्दों में जीवन का यथार्थ, प्रेम, पीड़ा और मानवीय संबंधों का गहन चित्रण था । वे जब मंच पर अपनी रचनाएँ गाते, तो ऐसा लगता था मानो शब्दों में जान आ गई हो । उनकी कविताएँ हमें सिखाती हैं कि साधारण शब्द असाधारण प्रभाव डाल सकते हैं । आइए, उनकी स्मृतियों को सहेजें और उनकी प्रेरणा को अपनी ज़िंदगी में उतारें ।"
श्री राजेश पांडे जी ने कहा कि, “इलाहाबाद विश्वविद्यालय में पढ़ाई के दौरान नीरज जी से मेरी पहली मुलाकात हुई । उस एक मुलाकात से जो रिश्ता जुड़ा, वह उनके जीवन के अंत तक बना रहा । नीरज जी के साथ समय बिताना ऐसा लगता था, मानो शब्दों और संवेदनाओं का समंदर हमारे सामने बह रहा हो । उनकी बातों में, उनकी कविताओं में, और उनके व्यक्तित्व में वह जादू था, जो हर किसी को अपना बना लेता था । नीरज जी का जीवन यह सिखाता है कि रिश्ते शब्दों से नहीं, बल्कि दिल से बनाए जाते हैं । उनकी सादगी, उनकी संवेदनशीलता और उनकी काव्य रचनाओं ने हर किसी को प्रभावित किया । चाहे मंच पर उनकी कविताएँ हों या उनके व्यक्तिगत संबंध, हर जगह उन्होंने एक अमिट छाप छोड़ी । उनकी रचनाओं की खासियत यह थी कि वे मानवीय भावनाओं, प्रेम, पीड़ा और जीवन के यथार्थ को इतनी गहराई से व्यक्त करते थे कि हर व्यक्ति खुद को उनसे जुड़ा महसूस करता था । आइए, आज हम नीरज जी की कविताओं और उनके जीवन से प्रेरणा लें । उनके दिखाए मार्ग पर चलें और उनके रिश्तों की तरह अपने जीवन में मधुरता और गहराई लाएँ ।“
हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने अपने संबोधन में कहा कि, “नीरज जी ने अपने गीतों और मानवतावादी दृष्टिकोण से भारतीय साहित्य में अमिट छाप छोड़ी । उनकी पंक्तियां "एक मज़हब कोई ऐसा भी चलाया जाए, जिसमें इंसान को इंसान बनाया जाए ।" हमें आज भी प्रेरित करती हैं । नीरज जी का ट्रस्ट से जुड़ाव हमारी सांस्कृतिक यात्रा का अमूल्य हिस्सा है । उनके आशीर्वाद और मार्गदर्शन ने हमें अनेक साहित्यिक व सामाजिक अभियानों में प्रेरित किया । श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा "गोपाल दास नीरज स्मृति पुरस्कार योजना" के लिए माननीय मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी और आदरणीय डॉ. दिनेश शर्मा जी का आभार व्यक्त किया । हमारा निवेदन है कि "गोपाल दास नीरज स्मृति पुरस्कार” का वितरण मुख्यमंत्री जी के कर कमलों से किया जाए । यह केवल नीरज जी का नहीं, बल्कि उनके प्रेम, मानवता के संदेश और साहित्य जगत का सम्मान होगा । श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने सभी से अपील करी कि ट्रस्ट को निरंतर सहयोग दें ताकि नीरज जी की स्मृति में और भव्य आयोजन निरंतर किए जा सकें ।“
उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष श्री उदय प्रताप सिंह जी ने कहा कि, “हरिवंश राय बच्चन जी के बाद यदि कोई कवि सबसे लोकप्रिय और प्रभावशाली हुआ, तो वह गोपाल दास 'नीरज' जी थे । उनकी ग़ज़लें, भजन और कव्वालियां देखकर यह स्पष्ट होता है कि उनके पास भाषाओं के कितने रंग और विविधता थी । नीरज जी ने हिंदी भाषा की सेवा में अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया । उन्होंने हिंदी को नए आयाम दिए और जन-जन तक पहुँचाया । बावजूद इसके, उनके व्यक्तित्व में कभी अहंकार नहीं आया । उनकी सादगी और विनम्रता आज के कवियों के लिए एक बड़ी सीख है । आइए, हम उनके योगदान को नमन करें और उनके जीवन से प्रेरणा लें ।"
नीरज जी के पुत्र श्री मिलन प्रभात "गुंजन" ने कहा कि, “पापा का हर लेख, हर विचार जीवन के उन अनकहे पहलुओं को उजागर करता था, जो आमतौर पर हम नहीं देख पाते । उनकी रचनाओं की विशेषता यह थी कि उन्होंने शब्दों के माध्यम से जीवन की गहराई को हमारे सामने रखा । वे जानते थे कि सच्ची भावनाएँ शब्दों में नहीं, बल्कि दिल की गहराइयों में होती हैं । यही कारण था कि उनकी लिखाई न केवल समझने में आसान थी, बल्कि वह दिलों को छूने वाली थी । आज हम उनका आदर करते हैं क्योंकि उन्होंने हमें यह सिखाया कि असली कला वह होती है, जो सरलता से दिलों तक पहुँच जाए । आइए, हम उनकी शिक्षाओं को अपने जीवन में उतारे और अपनी लेखनी, विचार और भावनाओं को ऐसी सादगी और गहराई से व्यक्त करें, जैसे उन्होंने किया ।“
नीरज जी के पौत्र श्री पल्लव नीरज ने अपने संबोधन में कहा कि, “बाबा की कविताओं का पाठ करना एक अद्भुत अनुभव था । उनकी रचनाओं में गहराई और सरलता का अद्भुत सामंजस्य था । वे छोटी-छोटी बातों को याद रखते थे और उन्हें अपनी कविताओं में हम तक पहुँचाते थे, जो उनके जीवन जीने के तरीके को दर्शाता है । नीरज जी का व्यक्तित्व और उनकी कविताएँ हमारे दिलों में आज भी जीवित हैं । उनके साथ बिताए हर एक पल की यादें हमेशा हमारे साथ रहेंगी । वे हमारे पास उनके शब्दों और आदर्शों के रूप में हमेशा हैं ।“
विशिष्ट अतिथि श्री मुकेश शर्मा जी, श्री पवन सिंह चौहान जी तथा उत्तर प्रदेश साहित्य सभा के प्रमुख श्री सर्वेश अस्थाना जी ने भी अपने-अपने विचार व्यक्त किए |
कार्यक्रम के अंतर्गत हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा उत्तर प्रदेश साहित्य सभा द्वारा साहित्य एव संगीत जगत मे अपना अलग मुकाम बनाने वाले 6 प्रबुद्धजनों श्री उदय प्रताप सिंह (उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष), डॉ हरिओम (आईएएस), श्री आलोक राज (आईपीएस), श्री सूर्यपाल गंगवार (आईएएस), श्री अखिलेश मिश्रा (आईएएस), श्री पवन कुमार (आईएएस) को प्रतीक चिन्ह व अंगवस्त्र से सम्मानित किया गया |
अखिल भारतीय कवि सम्मेलन मे डॉ. विष्णु सक्सेना (हाथरस), डॉ. प्रवीण शुक्ल (दिल्ली), श्री दिनेश रघुवंशी (फरीदाबाद), डॉ. सोनरूपा विशाल (बदायूं), श्री बलराम श्रीवास्तव (मैनपुरी), श्री यशपाल यश (फिरोजाबाद), डॉ. राजीव राज (इटावा), श्री सर्वेश अस्थाना (लखनऊ) ने अपनी कविताएँ प्रस्तुत की :
डॉ. विष्णु सक्सेना जी : “शाख रिश्तों की अगर टूट के झुक जायेगी, प्यार की बहती हुई ये नदी रुक जायेगी, फेंकियेगा ना अगर पास हो पानी गंदा, ��्यास चाहे ना बुझे आग तो बुझ जायेगी |"
डॉ. प्रवीण शुक्ल जी : "स्वर तो मौन हुआ है बेशक, पर धुन अब भी गूँज रही है, गीत भवन में काव्य-कामिनी, अपना प्रियतम ढूँढ़ रही है, वो लगते थे बड़े अलग से, कहते थे वो सारे जग से, बूँद-बूँद रस के झरने से पूरा घड़ा भरा करता है, कुछ साँसों के रुक जाने से नीरज नहीं मरा करता है |”
श्री दिनेश रघुवंशी जी : “मैं हूँ सौभाग्यशाली प्यार जो पाया बुज़ुर्गों का, मुझे ऊँचाइयों तक प्यार ही लाया बुज़ुर्गों का, मेरे ईश्वर मेरी चाहत नहीं इसके सिवा कुछ भी, मेरे सर पर हमेशा ही रहे साया बुज़ुर्गों का |”
डॉ. सोनरूपा विशाल जी : “नैन को रूप की ज़रूरत है, प्यास को कूप की ज़रूरत है, बर्फ़ पिघला सके दिलों की जो, अब तो उस धूप की ज़रूरत है |”
श्री बलराम श्रीवास्तव जी : "घुला जब दर्द पानी में तो आंसू हो गए खारे, ढुलक कर आ गए बाहर हुए हैं नैन से न्यारे, तुम्हारे आंसुओं की भक्ति और अनुरक्ति के आगे, तुम्हारी जीत होती है सदा रहते हैं हम हारे ll”
श्री यशपाल यश जी : “हो जाता हर दर्द हवा है, बन जाता हर गीत दवा है, यहाँ वासना प्रतिबंधित है, यह नीरज की प्रेम सभा है |”
डॉ. राजीव राज जी : "जो साधना से हीन से संगीत नहीं है, सद्भावना विहीन है वो मीत नहीं है, आँसू न जिसका शब्द शब्द चूमने लगे, शब्दों की व्यवस्था है मगर गीत नहीं है ।“
श्री सर्वेश अस्थाना जी : "रिश्तों में तकरार बहुत है, लेकिन इनमें प्यार बहुत है, सारी दुनिया खुश रखने को, बस अपना परिवार बहुत है |”
अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का संचालन कवि श्री सर्वेश अस्थाना (लखनऊ) ने किया । श्री राजीव वत्सल ने नीरज जी के गीतो पर बांसुरी वादन प्रस्तुत कर सभी श्रोताओं के दिल मे नीरज जी की यादों को ताजा कर दिया तथा श्रीमती स्नेहा ने नीरज जी के गीतो पर नृत्य कर समा बांध दिया |
कार्यक्रम में विशेष अतिथियों के रूप में श्रीमती मालविका हरिओम श्री मिलन प्रभात 'गुंजन' (नीरज जी के पुत्र), श्री पल्लव नीरज (नीरज जी के पौत्र), कवि श्री सुरेश श्रीवास्तव, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की आंतरिक सलाहकार समिति के सदस्य डॉ. राजेंद्र प्रसाद, श्री महेंद्र भीष्म, श्री पंकज अवस्थी, डॉ अल्का निवेदन, डॉ ऋतु चक्रबोरती, डॉ शिखा श्रीवास्तव, डॉ राधा बिष्ट एवं लखनऊ शहर के गणमान्य व्यक्तियों की गरिमामयी उपस्थिति रही |
#YeNeerajKiPremSabhaHai #पद्मभूषण #गोपालदासनीरज #Geeton_Ke_Darvesh
#NarendraModi #PMOIndia
#YogiAdityanath
#UttarPradeshSahityaSabha
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#MilanPrabhatGunjan #PallavNeeraj
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#DrRajeevRaj #DrSonRoopaVishal #YashpalYash #DrPraveenShukla
#DineshRaghuvanshi #DrSuresh #YogiYogeshShukla #DrHariOm
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पद्मभूषण (डॉ०) गोपाल दास नीरज | जन्मशती | यह नीरज की प्रेम सभा है | श्री बलराम श्रीवास्तव
04.01.2025, लखनऊ | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के पूर्व संरक्षक, महाकवि और गीतों के दरवेश पद्मभूषण (डॉ०) गोपाल दास नीरज जी के जन्मशती वर्ष के अवसर पर "यह नीरज की प्रेम सभा है" कार्यक्रम का भव्य आयोजन हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा उत्तर प्रदेश साहित्य सभा के संयुक्त तत्वावधान में संत गाडगे प्रेक्षा गृह, संगीत नाटक अकादमी, लखनऊ में किया गया । मुख्य अतिथि के रूप में श्री दिनेश शर्मा जी, माननीय सांसद एवं पूर्व उप मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश ने कार्यक्रम में शिरकत की | जबकि विशिष्ट अतिथि में श्री मुकेश शर्मा जी, माननीय सदस्य, विधान परिषद, उत्तर प्रदेश, श्री पवन सिंह चौहान जी, माननीय सभापति, वित्तीय एवं प्रशासनिक विलम्ब समिति, विधान परिषद, उत्तर प्रदेश, श्री राजेश पांडे जी, रिटायर्ड आईपीएस, नोडल अधिकारी, यूपीडा की गरिमामयी उपस्थिति रही । कार्यक्रम की अध्यक्षता आदरणीय श्री अशोक कुमार जी, माननीय न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) एवं अध्यक्ष, राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उत्तर प्रदेश ने की | अतिथियों को प्रतीक चिन्ह व अंगवस्त्र से सम्मानित किया |
“यह नीरज की प्रेम सभा है” कार्यक्रम के अंतर्गत हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा उत्तर प्रदेश साहित्य सभा द्वारा साहित्य एव संगीत जगत मे अपना अलग मुकाम बनाने वाले 6 प्रबुद्धजनों को सम्मानित किया गया, साथ ही अखिल भारतीय कवि सम्मेलन, नीरज जी के गीतो पर बांसुरी वादन तथा नृत्य की प्रस्तुति भी की गयी |
कार्यक्रम का शुभारंभ राष्ट्रगान से हुआ, तत्पश्चात मुख्य अतिथि श्री दिनेश शर्मा जी, कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे माननीय न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) श्री अशोक कुमार जी, विशिष्ट अतिथि श्री मुकेश शर्मा जी, श्री पवन सिंह चौहान जी, श्री राजेश पांडे जी, उत्तर प्रदेश साहित्य सभा के प्रमुख श्री सर्वेश अस्थाना, श्री मिलन प्रभात 'गुंजन' (नीरज जी के पुत्र), श्री पल्लव नीरज (नीरज जी के पौत्र), हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल और न्यासी डॉ॰ रूपल अग्रवाल द्वारा दीप प्रज्ज्वलन तथा नीरज जी के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर किया गया |
कार्यक्रम मे मुख्य अतिथि माननीय श्री दिनेश शर्मा जी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि, “मैं हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा उत्तर प्रदेश साहित्य सभा को कार्यक्रम "यह नीरज की प्रेम सभा है" आयोजित करने के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं | आज हम उस महान कवि और व्यक्तित्व को याद कर रहे हैं, जिन्होंने न केवल अपनी काव्य रचनाओं से हमें समृद्ध किया, बल्कि अपनी सादगी, विनम्रता और गहन संवेदनशीलता से हमारे जीवन को प्रेरित किया । महाकवि गोपाल दास 'नीरज' जी बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे । उनकी कविताएँ मानवीय भावनाओं का गहन चित्रण करती थीं । इतने बड़े साहित्यिक व्यक्तित्व के बावजूद, वे अत्यंत साधारण और सहज जीवन जीते थे । मुझे याद है, जब मैं छोटा था, तब अपने पिता जी के साथ नीरज जी को एक कवि सम्मेलन में सुनने गया था । उनकी कविताएँ न केवल मंच पर नई ऊर्जा का संचार करती थीं, बल्कि उन्होंने कवि सम्मेलनों को एक नया स्वरूप भी प्रदान किया । एक बार, मैं गोखले मार्ग स्थित एक घर में उन्हें लेकर स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी जी से मिलने गया । वह एक अविस्मरणीय क्षण था । लगभग पौने दो घंटे तक हमने नीरज जी और अटल जी की कविताएँ सुनीं । यह दो महान आत्माओं का संगम था । आगे चलकर अटल जी हमारे देश के प्रधानमंत्री बने, लेकिन नीरज जी ने 'कवि हृदय के प्रधानमंत्री' के रूप में हमेशा हमारे दिलों पर राज किया । नीरज जी का जीवन हमें यह सिखाता है कि चाहे आप कितने ही ऊँचे मुकाम पर क्यों न पहुँच जाएँ, सादगी और विनम्रता ही आपके व्यक्तित्व की सच्ची पहचान है । उनकी कविताएँ आज भी हमें जीवन के गहरे अर्थ समझाने के साथ-साथ आगे बढ़ने की प्रेरणा देती हैं ।“
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे माननीय न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) श्री अशोक कुमार जी ने कहा कि, ”आज हम महाकवि गोपाल दास 'नीरज' जी को याद कर रहे हैं, जिनके गीतों में अद्भुत कशिश और गहराई थी । उनका गीत "इतने बदनाम हुए हम तो इस जमाने में, तुमको लग जाएँगी सदियाँ हमें भुलाने में" सिर्फ एक गीत नहीं, बल्कि एक भावना है, जो यह बताती है कि सच्चे कलाकार और उनकी कला को भुलाना आसान नहीं होता । नीरज जी के शब्दों में जीवन का यथार्थ, प्रेम, पीड़ा और मानवीय संबंधों का गहन चित्रण था । वे जब मंच पर अपनी रचनाएँ गाते, तो ऐसा लगता था मानो शब्दों में जान आ गई हो । उनकी कविताएँ हमें सिखाती हैं कि साधारण शब्द असाधारण प्रभाव डाल सकते हैं । आइए, उनकी स्मृतियों को सहेजें और उनकी प्रेरणा को अपनी ज़िंदगी में उतारें ।"
श्री राजेश पांडे जी ने कहा कि, “इलाहाबाद विश्वविद्यालय में पढ़ाई के दौरान नीरज जी से मेरी पहली मुलाकात हुई । उस एक मुलाकात से जो रिश्ता जुड़ा, वह उनके जीवन के अंत तक बना रहा । नीरज जी के साथ समय बिताना ऐसा लगता था, मानो शब्दों और संवेदनाओं का समंदर हमारे सामने बह रहा हो । उनकी बातों में, उनकी कविताओं में, और उनके व्यक्तित्व में वह जादू था, जो हर किसी को अपना बना लेता था । नीरज जी का जीवन यह सिखाता है कि रिश्ते शब्दों से नहीं, बल्कि दिल से बनाए जाते हैं । उनकी सादगी, उनकी संवेदनशीलता और उनकी काव्य रचनाओं ने हर किसी को प्रभावित किया । चाहे मंच पर उनकी कविताएँ हों या उनके व्यक्तिगत संबंध, हर जगह उन्होंने एक अमिट छाप छोड़ी । उनकी रचनाओं की खासियत यह थी कि वे मानवीय भावनाओं, प्रेम, पीड़ा और जीवन के यथार्थ को इतनी गहराई से व्यक्त करते थे कि हर व्यक्ति खुद को उनसे जुड़ा महसूस करता था । आइए, आज हम नीरज जी की कविताओं और उनके जीवन से प्रेरणा लें । उनके दिखाए मार्ग पर चलें और उनके रिश्तों की तरह अपने जीवन में मधुरता और गहराई लाएँ ।“
हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने अपने संबोधन में कहा कि, “नीरज जी ने अपने गीतों और मानवतावादी दृष्टिकोण से भारतीय साहित्य में अमिट छाप छोड़ी । उनकी पंक्तियां "एक मज़हब कोई ऐसा भी चलाया जाए, जिसमें इंसान को इंसान बनाया जाए ।" हमें आज भी प्रेरित करती हैं । नीरज जी का ट्रस्ट से जुड़ाव हमारी सांस्कृतिक यात्रा का अमूल्य हिस्सा है । उनके आशीर्वाद और मार्गदर्शन ने हमें अनेक साहित्यिक व सामाजिक अभियानों में प्रेरित किया । श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा "गोपाल दास नीरज स्मृति पुरस्कार योजना" के लिए माननीय मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी और आदरणीय डॉ. दिनेश शर्मा जी का आभार व्यक्त किया । हमारा निवेदन है कि "गोपाल दास नीरज स्मृति पुरस्कार” का वितरण मुख्यमंत्री जी के कर कमलों से किया जाए । यह केवल नीरज जी का नहीं, बल्कि उनके प्रेम, मानवता के संदेश और साहित्य जगत का सम्मान होगा । श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने सभी से अपील करी कि ट्रस्ट को निरंतर सहयोग दें ताकि नीरज जी की स्मृति में और भव्य आयोजन निरंतर किए जा सकें ।“
उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष श्री उदय प्रताप सिंह जी ने कहा कि, “हरिवंश राय बच्चन जी के बाद यदि कोई कवि सबसे लोकप्रिय और प्रभावशाली हुआ, तो वह गोपाल दास 'नीरज' जी थे । उनकी ग़ज़लें, भजन और कव्वालियां देखकर यह स्पष्ट होता है कि उनके पास भाषाओं के कितने रंग और विविधता थी । नीरज जी ने हिंदी भाषा की सेवा में अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया । उन्होंने हिंदी को नए आयाम दिए और जन-जन तक पहुँचाया । बावजूद इसके, उनके व्यक्तित्व में कभी अहंकार नहीं आया । उनकी सादगी और विनम्रता आज के कवियों के लिए एक बड़ी सीख है । आइए, हम उनके योगदान को नमन करें और उनके जीवन से प्रेरणा लें ।"
नीरज जी के पुत्र श्री मिलन प्रभात "गुंजन" ने कहा कि, “पापा का हर लेख, हर विचार जीवन के उन अनकहे पहलुओं को उजागर करता था, जो आमतौर पर हम नहीं देख पाते । उनकी रचनाओं की विशेषता यह थी कि उन्होंने शब्दों के माध्यम से जीवन की गहराई को हमारे सामने रखा । वे जानते थे कि सच्ची भावनाएँ शब्दों में नहीं, बल्कि दिल की गहराइयों में होती हैं । यही कारण था कि उनकी लिखाई न केवल समझने में आसान थी, बल्कि वह दिलों को छूने वाली थी । आज हम उनका आदर करते हैं क्योंकि उन्होंने हमें यह सिखाया कि असली कला वह होती है, जो सरलता से दिलों तक पहुँच जाए । आइए, हम उनकी शिक्षाओं को अपने जीवन में उतारे और अपनी लेखनी, विचार और भावनाओं को ऐसी सादगी और गहराई से व्यक्त करें, जैसे उन्होंने किया ।“
नीरज जी के पौत्र श्री पल्लव नीरज ने अपने संबोधन में कहा कि, “बाबा की कविताओं का पाठ करना एक अद्भुत अनुभव था । उनकी रचनाओं में गहराई और सरलता का अद्भुत सामंजस्य था । वे छोटी-छोटी बातों को याद रखते थे और उन्हें अपनी कविताओं में हम तक पहुँचाते थे, जो उनके जीवन जीने के तरीके को दर्शाता है । नीरज जी का व्यक्तित्व और उनकी कविताएँ हमारे दिलों में आज भी जीवित हैं । उनके साथ बिताए हर एक पल की यादें हमेशा हमारे साथ रहेंगी । वे हमारे पास उनके शब्दों और आदर्शों के रूप में हमेशा हैं ।“
विशिष्ट अतिथि श्री मुकेश शर्मा जी, श्री पवन सिंह चौहान जी तथा उत्तर प्रदेश साहित्य सभा के प्रमुख श्री सर्वेश अस्थाना जी ने भी अपने-अपने विचार व्यक्त किए |
कार्यक्रम के अंतर्गत हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा उत्तर प्रदेश साहित्य सभा द्वारा साहित्य एव संगीत जगत मे अपना अलग मुकाम बनाने वाले 6 प्रबुद्धजनों श्री उदय प्रताप सिंह (उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष), डॉ हरिओम (आईएएस), श्री आलोक राज (आईपीएस), श्री सूर्यपाल गंगवार (आईएएस), श्री अखिलेश मिश्रा (आईएएस), श्री पवन कुमार (आईएएस) को प्रतीक चिन्ह व अंगवस्त्र से सम्मानित किया गया |
अखिल भारतीय कवि स���्मेलन मे डॉ. विष्णु सक्सेना (हाथरस), डॉ. प्रवीण शुक्ल (दिल्ली), श्री दिनेश रघुवंशी (फरीदाबाद), डॉ. सोनरूपा विशाल (बदायूं), श्री बलराम श्रीवास्तव (मैनपुरी), श्री यशपाल यश (फिरोजाबाद), डॉ. राजीव राज (इटावा), श्री सर्वेश अस्थाना (लखनऊ) ने अपनी कविताएँ प्रस्तुत की :
डॉ. विष्णु सक्सेना जी : “शाख रिश्तों की अगर टूट के झुक जायेगी, प्यार की बहती हुई ये नदी रुक जायेगी, फेंकियेगा ना अगर पास हो पानी गंदा, प्यास चाहे ना बुझे आग तो बुझ जायेगी |"
डॉ. प्रवीण शुक्ल जी : "स्वर तो मौन हुआ है बेशक, पर धुन अब भी गूँज रही है, गीत भवन में काव्य-कामिनी, अपना प्रियतम ढूँढ़ रही है, वो लगते थे बड़े अलग से, कहते थे वो सारे जग से, बूँद-बूँद रस के झरने से पूरा घड़ा भरा करता है, कुछ साँसों के रुक जाने से नीरज नहीं मरा करता है |”
श्री दिनेश रघुवंशी जी : “मैं हूँ सौभाग्यशाली प्यार जो पाया बुज़ुर्गों का, मुझे ऊँचाइयों तक प्यार ही लाया बुज़ुर्गों का, मेरे ईश्वर मेरी चाहत नहीं इसके सिवा कुछ भी, मेरे सर पर हमेशा ही रहे साया बुज़ुर्गों का |”
डॉ. सोनरूपा विशाल जी : “नैन को रूप की ज़रूरत है, प्यास को कूप की ज़रूरत है, बर्फ़ पिघला सके दिलों की जो, अब तो उस धूप की ज़रूरत है |”
श्री बलराम श्रीवास्तव जी : "घुला जब दर्द पानी में तो आंसू हो गए खारे, ढुलक कर आ गए बाहर हुए हैं नैन से न्यारे, तुम्हारे आंसुओं की भक्ति और अनुरक्ति के आगे, तुम्हारी जीत होती है सदा रहते हैं हम हारे ll”
श्री यशपाल यश जी : “हो जाता हर दर्द हवा है, बन जाता हर गीत दवा है, यहाँ वासना प्रतिबंधित है, यह नीरज की प्रेम सभा है |”
डॉ. राजीव राज जी : "जो साधना से हीन से संगीत नहीं है, सद्भावना विहीन है वो मीत नहीं है, आँसू न जिसका शब्द शब्द चूमने लगे, शब्दों की व्यवस्था है मगर गीत नहीं है ।“
श्री सर्वेश अस्थाना जी : "रिश्तों में तकरार बहुत है, लेकिन इनमें प्यार बहुत है, सारी दुनिया खुश रखने को, बस अपना परिवार बहुत है |”
अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का संचालन कवि श्री सर्वेश अस्थाना (लखनऊ) ने किया । श्री राजीव वत्सल ने नीरज जी के गीतो पर बांसुरी वादन प्रस्तुत कर सभी श्रोताओं के दिल मे नीरज जी की यादों को ताजा कर दिया तथा श्रीमती स्नेहा ने नीरज जी के गीतो पर नृत्य कर समा बांध दिया |
कार्यक्रम में विशेष अतिथियों के रूप में श्रीमती मालविका हरिओम श्री मिलन प्रभात 'गुंजन' (नीरज जी के पुत्र), श्री पल्लव नीरज (नीरज जी के पौत्र), कवि श्री सुरेश श्रीवास्तव, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की आंतरिक सलाहकार समिति के सदस्य डॉ. राजेंद्र प्रसाद, श्री महेंद्र भीष्म, श्री पंकज अवस्थी, डॉ अल्का निवेदन, डॉ ऋतु चक्रबोरती, डॉ शिखा श्रीवास्तव, डॉ राधा बिष्ट एवं लखनऊ शहर के गणमान्य व्यक्तियों की गरिमामयी उपस्थिति रही |
#YeNeerajKiPremSabhaHai #पद्मभूषण #गोपालदासनीरज #Geeton_Ke_Darvesh
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पद्मभूषण (डॉ०) गोपाल दास नीरज | जन्मशती | यह नीरज की प्रेम सभा है | श्री बलराम श्रीवास्तव
04.01.2025, लखनऊ | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के पूर्व संरक्षक, महाकवि और गीतों के दरवेश पद्मभूषण (डॉ०) गोपाल दास नीरज जी के जन्मशती वर्ष के अवसर पर "यह नीरज की प्रेम सभा है" कार्यक्रम का भव्य आयोजन हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा उत्तर प्रदेश साहित्य सभा के संयुक्त तत्वावधान में संत गाडगे प्रेक्षा गृह, संगीत नाटक अकादमी, लखनऊ में किया गया । मुख्य अतिथि के रूप में श्री दिनेश शर्मा जी, माननीय सांसद एवं पूर्व उप मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश ने कार्यक्रम में शिरकत की | जबकि विशिष्ट अतिथि में श्री मुकेश शर्मा जी, माननीय सदस्य, विधान परिषद, उत्तर प्रदेश, श्री पवन सिंह चौहान जी, माननीय सभापति, वित्तीय एवं प्रशासनिक विलम्ब समिति, विधान परिषद, उत्तर प्रदेश, श्री राजेश पांडे जी, रिटायर्ड आईपीएस, नोडल अधिकारी, यूपीडा की गरिमामयी उपस्थिति रही । कार्यक्रम की अध्यक्षता आदरणीय श्री अशोक कुमार जी, माननीय न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) एवं अध्यक्ष, राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उत्तर प्रदेश ने की | अतिथियों को प्रतीक चिन्ह व अंगवस्त्र से सम्मानित किया |
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कार्यक्रम का शुभारंभ राष्ट्रगान से हुआ, तत्पश्चात मुख्य अतिथि श्री दिनेश शर्मा जी, कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे माननीय न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) श्री अशोक कुमार जी, विशिष्ट अतिथि श्री मुकेश शर्मा जी, श्री पवन सिंह चौहान जी, श्री राजेश पांडे जी, उत्तर प्���देश साहित्य सभा के प्रमुख श्री सर्वेश अस्थाना, श्री मिलन प्रभात 'गुंजन' (नीरज जी के पुत्र), श्री पल्लव नीरज (नीरज जी के पौत्र), हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल और न्यासी डॉ॰ रूपल अग्रवाल द्वारा दीप प्रज्ज्वलन तथा नीरज जी के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर किया गया |
कार्यक्रम मे मुख्य अतिथि माननीय श्री दिनेश शर्मा जी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि, “मैं हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा उत्तर प्रदेश साहित्य सभा को कार्यक्रम "यह नीरज की प्रेम सभा है" आयोजित करने के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं | आज हम उस महान कवि और व्यक्तित्व को याद कर रहे हैं, जिन्होंने न केवल अपनी काव्य रचनाओं से हमें समृद्ध किया, बल्कि अपनी सादगी, विनम्रता और गहन संवेदनशीलता से हमारे जीवन को प्रेरित किया । महाकवि गोपाल दास 'नीरज' जी बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे । उनकी कविताएँ मानवीय भावनाओं का गहन चित्रण करती थीं । इतने बड़े साहित्यिक व्यक्तित्व के बावजूद, वे अत्यंत साधारण और सहज जीवन जीते थे । मुझे याद है, जब मैं छोटा था, तब अपने पिता जी के साथ नीरज जी को एक कवि सम्मेलन में सुनने गया था । उनकी कविताएँ न केवल मंच पर नई ऊर्जा का संचार करती थीं, बल्कि उन्होंने कवि सम्मेलनों को एक नया स्वरूप भी प्रदान किया । एक बार, मैं गोखले मार्ग स्थित एक घर में उन्हें लेकर स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी जी से मिलने गया । वह एक अविस्मरणीय क्षण था । लगभग पौने दो घंटे तक हमने नीरज जी और अटल जी की कविताएँ सुनीं । यह दो महान आत्माओं का संगम था । आगे चलकर अटल जी हमारे देश के प्रधानमंत्री बने, लेकिन नीरज जी ने 'कवि हृदय के प्रधानमंत्री' के रूप में हमेशा हमारे दिलों पर राज किया । नीरज जी का जीवन हमें यह सिखाता है कि चाहे आप कितने ही ऊँचे मुकाम पर क्यों न पहुँच जाएँ, सादगी और विनम्रता ही आपके व्यक्तित्व की सच्ची पहचान है । उनकी कविताएँ आज भी हमें जीवन के गहरे अर्थ समझाने के साथ-साथ आगे बढ़ने की प्रेरणा देती हैं ।“
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे माननीय न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) श्री अशोक कुमार जी ने कहा कि, ”आज हम महाकवि गोपाल दास 'नीरज' जी को याद कर रहे हैं, जिनके गीतों में अद्भुत कशिश और गहराई थी । उनका गीत "इतने बदनाम हुए हम तो इस जमाने में, तुमको लग जाएँगी सदियाँ हमें भुलाने में" सिर्फ एक गीत नहीं, बल्कि एक भावना है, जो यह बताती है कि सच्चे कलाकार और उनकी कला को भुलाना आसान नहीं होता । नीरज जी के शब्दों में जीवन का यथार्थ, प्रेम, पीड़ा और मानवीय संबंधों का गहन चित्रण था । वे जब मंच पर अपनी रचनाएँ गाते, तो ऐसा लगता था मानो शब्दों में जान आ गई हो । उनकी कविताएँ हमें सिखाती हैं कि साधारण शब्द असाधारण प्रभाव डाल सकते हैं । आइए, उनकी स्मृतियों को सहेजें और उनकी प्रेरणा को अपनी ज़िंदगी में उतारें ।"
श्री राजेश पांडे जी ने कहा कि, “इलाहाबाद विश्वविद्यालय में पढ़ाई के दौरान नीरज जी से मेरी पहली मुलाकात हुई । उस एक मुलाकात से जो रिश्ता जुड़ा, वह उनके जीवन के अंत तक बना रहा । नीरज जी के साथ समय बिताना ऐसा लगता था, मानो शब्दों और संवेदनाओं का समंदर हमारे सामने बह रहा हो । उनकी बातों में, उनकी कविताओं में, और उनके व्यक्तित्व में वह जादू था, जो हर किसी को अपना बना लेता था । नीरज जी का जीवन यह सिखाता है कि रिश्ते शब्दों से नहीं, बल्कि दिल से बनाए जाते हैं । उनकी सादगी, उनकी संवेदनशीलता और उनकी काव्य रचनाओं ने हर किसी को प्रभावित किया । चाहे मंच पर उनकी कविताएँ हों या उनके व्यक्तिगत संबंध, हर जगह उन्होंने एक अमिट छाप छोड़ी । उनकी रचनाओं की खासियत यह थी कि वे मानवीय भावनाओं, प्रेम, पीड़ा और जीवन के यथार्थ को इतनी गहराई से व्यक्त करते थे कि हर व्यक्ति खुद को उनसे जुड़ा महसूस करता था । आइए, आज हम नीरज जी की कविताओं और उनके जीवन से प्रेरणा लें । उनके दिखाए मार्ग पर चलें और उनके रिश्तों की तरह अपने जीवन में मधुरता और गहराई लाएँ ।“
हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने अपने संबोधन में कहा कि, “नीरज जी ने अपने गीतों और मानवतावादी दृष्टिकोण से भारतीय साहित्य में अमिट छाप छोड़ी । उनकी पंक्तियां "एक मज़हब कोई ऐसा भी चलाया जाए, जिसमें इंसान को इंसान बनाया जाए ।" हमें आज भी प्रेरित करती हैं । नीरज जी का ट्रस्ट से जुड़ाव हमारी सांस्कृतिक यात्रा का अमूल्य हिस्सा है । उनके आशीर्वाद और मार्गदर्शन ने हमें अनेक साहित्यिक व सामाजिक अभियानों में प्रेरित किया । श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा "गोपाल दास नीरज स्मृति पुरस्कार योजना" के लिए माननीय मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी और आदरणीय डॉ. दिनेश शर्मा जी का आभार व्यक्त किया । हमारा निवेदन है कि "गोपाल दास नीरज स्मृति पुरस्कार” का वितरण मुख्यमंत्री जी के कर कमलों से किया जाए । यह केवल नीरज जी का नहीं, बल्कि उनके प्रेम, मानवता के संदेश और साहित्य जगत का सम्मान होगा । श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने सभी से अपील करी कि ट्रस्ट को निरंतर सहयोग दें ताकि नीरज जी की स्मृति में और भव्य आयोजन निरंतर किए जा सकें ।“
उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष श्री उदय प्रताप सिंह जी ने कहा कि, “हरिवंश राय बच्चन जी के बाद यदि कोई कवि सबसे लोकप्रिय और प्रभावशाली हुआ, तो वह गोपाल दास 'नीरज' जी थे । उनकी ग़ज़लें, भजन और कव्वालियां देखकर यह स्पष्ट होता है कि उनके पास भाषाओं के कितने रंग और विविधता थी । नीरज जी ने हिंदी भाषा की सेवा में अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया । उन्होंने हिंदी को नए आयाम दिए और जन-जन तक पहुँचाया । बावजूद इसके, उनके व्यक्तित्व में कभी अहंकार नहीं आया । उनकी सादगी और विनम्रता आज के कवियों के लिए एक बड़ी सीख है । आइए, हम उनके योगदान को नमन करें और उनके जीवन से प्रेरणा लें ।"
नीरज जी के पुत्र श्री मिलन प्रभात "गुंजन" ने कहा कि, “पापा का हर लेख, हर विचार जीवन के उन अनकहे पहलुओं को उजागर करता था, जो आमतौर पर हम नहीं देख पाते । उनकी रचनाओं की विशेषता यह थी कि उन्होंने शब्दों के माध्यम से जीवन की गहराई को हमारे सामने रखा । वे जानते थे कि सच्ची भावनाएँ शब्दों में नहीं, बल्कि दिल की गहराइयों में होती हैं । यही कारण था कि उनकी लिखाई न केवल समझने में आसान थी, बल्कि वह दिलों को छूने वाली थी । आज हम उनका आदर करते हैं क्योंकि उन्होंने हमें यह सिखाया कि असली कला वह होती है, जो सरलता से दिलों तक पहुँच जाए । आइए, हम उनकी शिक्षाओं को अपने जीवन में उतारे और अपनी लेखनी, विचार और भावनाओं को ऐसी सादगी और गहराई से व्यक्त करें, जैसे उन्होंने किया ।“
नीरज जी के पौत्र श्री पल्लव नीरज ने अपने संबोधन में कहा कि, “बाबा की कविताओं का पाठ करना एक अद्भुत अनुभव था । उनकी रचनाओं में गहराई और सरलता का अद्भुत सामंजस्य था । वे छोटी-छोटी बातों को याद रखते थे और उन्हें अपनी कविताओं में हम तक पहुँचाते थे, जो उनके जीवन जीने के तरीके को दर्शाता है । नीरज जी का व्यक्तित्व और उनकी कविताएँ हमारे दिलों में आज भी जीवित हैं । उनके साथ बिताए हर एक पल की यादें हमेशा हमारे साथ रहेंगी । वे हमारे पास उनके शब्दों और आदर्शों के रूप में हमेशा हैं ।“
विशिष्ट अतिथि श्री मुकेश शर्मा जी, श्री पवन सिंह चौहान जी तथा उत्तर प्रदेश साहित्य सभा के प्रमुख श्री सर्वेश अस्थाना जी ने भी अपने-अपने विचार व्यक्त किए |
कार्यक्रम के अंतर्गत हेल्प यू एजुकेशनल एंड च���रिटेबल ट्रस्ट तथा उत्तर प्रदेश साहित्य सभा द्वारा साहित्य एव संगीत जगत मे अपना अलग मुकाम बनाने वाले 6 प्रबुद्धजनों श्री उदय प्रताप सिंह (उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष), डॉ हरिओम (आईएएस), श्री आलोक राज (आईपीएस), श्री सूर्यपाल गंगवार (आईएएस), श्री अखिलेश मिश्रा (आईएएस), श्री पवन कुमार (आईएएस) को प्रतीक चिन्ह व अंगवस्त्र से सम्मानित किया गया |
अखिल भारतीय कवि सम्मेलन मे डॉ. विष्णु सक्सेना (हाथरस), डॉ. प्रवीण शुक्ल (दिल्ली), श्री दिनेश रघुवंशी (फरीदाबाद), डॉ. सोनरूपा विशाल (बदायूं), श्री बलराम श्रीवास्तव (मैनपुरी), श्री यशपाल यश (फिरोजाबाद), डॉ. राजीव राज (इटावा), श्री सर्वेश अस्थाना (लखनऊ) ने अपनी कविताएँ प्रस्तुत की :
डॉ. विष्णु सक्सेना जी : “शाख रिश्तों की अगर टूट के झुक जायेगी, प्यार की बहती हुई ये नदी रुक जायेगी, फेंकियेगा ना अगर पास हो पानी गंदा, प्यास चाहे ना बुझे आग तो बुझ जायेगी |"
डॉ. प्रवीण शुक्ल जी : "स्वर तो मौन हुआ है बेशक, पर धुन अब भी गूँज रही है, गीत भवन में काव्य-कामिनी, अपना प्रियतम ढूँढ़ रही है, वो लगते थे बड़े अलग से, कहते थे वो सारे जग से, बूँद-बूँद रस के झरने से पूरा घड़ा भरा करता है, कुछ साँसों के रुक जाने से नीरज नहीं मरा करता है |”
श्री दिनेश रघुवंशी जी : “मैं हूँ सौभाग्यशाली प्यार जो पाया बुज़ुर्गों का, मुझे ऊँचाइयों तक प्यार ही लाया बुज़ुर्गों का, मेरे ईश्वर मेरी चाहत नहीं इसके सिवा कुछ भी, मेरे सर पर हमेशा ही रहे साया बुज़ुर्गों का |”
डॉ. सोनरूपा विशाल जी : “नैन को रूप की ज़रूरत है, प्यास को कूप की ज़रूरत है, बर्फ़ पिघला सके दिलों की जो, अब तो उस धूप की ज़रूरत है |”
श्री बलराम श्रीवास्तव जी : "घुला जब दर्द पानी में तो आंसू हो गए खारे, ढुलक कर आ गए बाहर हुए हैं नैन से न्यारे, तुम्हारे आंसुओं की भक्ति और अनुरक्ति के आगे, तुम्हारी जीत होती है सदा रहते हैं हम हारे ll”
श्री यशपाल यश जी : “हो जाता हर दर्द हवा है, बन जाता हर गीत दवा है, यहाँ वासना प्रतिबंधित है, यह नीरज की प्रेम सभा है |”
डॉ. राजीव राज जी : "जो साधना से हीन से संगीत नहीं है, सद्भावना विहीन है वो मीत नहीं है, आँसू न जिसका शब्द शब्द चूमने लगे, शब्दों की व्यवस्था है मगर गीत नहीं है ।“
श्री सर्वेश अस्थाना जी : "रिश्तों में तकरार बहुत है, लेकिन इनमें प्यार बहुत है, सारी दुनिया खुश रखने को, बस अपना परिवार बहुत है |”
अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का संचालन कवि श्री सर्वेश अस्थाना (लखनऊ) ने किया । श्री राजीव वत्सल ने नीरज जी के गीतो पर बांसुरी वादन प्रस्तुत कर सभी श्रोताओं के दिल मे नीरज जी की यादों को ताजा कर दिया तथा श्रीमती स्नेहा ने नीरज जी के गीतो पर नृत्य कर समा बांध दिया |
कार्यक्रम में विशेष अतिथियों के रूप में श्रीमती मालविका हरिओम श्री मिलन प्रभात 'गुंजन' (नीरज जी के पुत्र), श्री पल्लव नीरज (नीरज जी के पौत्र), कवि श्री सुरेश श्रीवास्तव, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की आंतरिक सलाहकार समिति के सदस्य डॉ. राजेंद्र प्रसाद, श्री महेंद्र भीष्म, श्री पंकज अवस्थी, डॉ अल्का निवेदन, डॉ ऋतु चक्रबोरती, डॉ शिखा श्रीवास्तव, डॉ राधा बिष्ट एवं लखनऊ शहर के गणमान्य व्यक्तियों की गरिमामयी उपस्थिति रही |
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Jamshedpur tulsi bhawan : तुलसी भवन में वसंत पंचमी पर धूमधाम से आयोजित हुई मां सरस्वती की पूजा, संस्थान की पत्रिका तुलसी प्रभा का नया अंक भी किया गया लोकार्पित, संस्था के पदाधिकारियों, साहित्यकारों व बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने की शिरकत
जमशेदपुर : सिंहभूम जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन/तुलसी भवन में वसंत पंचमी के अवसर पर सोमवार को मां सरस्वती की पूजा आयोजित की गई. इस अवसर पर पुरोहित पं सुजीत द्विवेदी ने पूरे विधि-विधान के साथ पूजा सम्पन्न कराई. पूजा में संस्थान के अध्यक्ष सुभाष चन्द्र मूनका तथा साहित्य समिति के सचिव डॉ अजय कुमार ओझा यजमान रहे. मौके पर संस्थान के मुखपत्र ‘तुलसी प्रभा’ का नवीन अंक भी मां सरस्वती के चरणों में अर्पित…
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डॉ भीमराव अम्बेडकर का जीवन परिचय
डॉ. भीमराव अंबेडकर भारतीय समाज सुधारक, विचारक, न्यायवादी, और भारतीय संविधान के मुख्य निर्माता के रूप में प्रसिद्ध हैं। उनका जीवन संघर्ष, सामाजिक न्याय के प्रति उनकी प्रतिबद्धता और भारतीय समाज के कमजोर वर्गों, खासकर दलितों, के लिए उनके योगदान के कारण प्रेरणादायक है। Let us discuss about डॉ भीमराव अम्बेडकर का जीवन परिचय
प्रारंभिक जीवन:
पूरा नाम: भीमराव रामजी अंबेडकर
जन्म तिथि: 14 अप्रैल 1891
जन्म स्थान: महू, मध्य प्रदेश, भारत (जो उस समय ब्रिटिश भारत का हिस्सा था)
डॉ. अंबेडकर का जन्म एक महार जाति में हुआ था, जिसे समाज में अछूत माना जाता था। उनका बचपन बहुत कठ���न था, क्योंकि उन्हें जातिवाद और अस्पृश्यता का सामना करना पड़ा। वे समाज के शोषित और बहिष्कृत वर्ग से थे, और उनका जीवन शुरू से ही भेदभाव और असमानता से भरा हुआ था।
शिक्षा:
भीमराव अंबेडकर का शिक्षा जीवन अत्यधिक प्रेरणादायक था। उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा भारत में प्राप्त की और बाद में उच्च शिक्षा के लिए कोलंबिया विश्वविद्यालय, न्यूयॉर्क गए, जहां से उन्होंने अर्थशास्त्र में मास्टर डिग्री प्राप्त की। इसके बाद वे लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स गए और वहां से उन्होंने डॉक्टरेट की डिग्री प्राप्त की।
वह पहले भारतीय थे जिन्होंने धार्मिक अध्ययन और विधि में डॉक्टरेट की डिग्री हासिल की। अंबेडकर के लिए शिक्षा एक सशक्तिकरण का माध्यम थी, और उन्होंने हमेशा इस बात पर जोर दिया कि शिक्षा के बिना समाज में समानता और स्वतंत्रता असंभव हैं।
संघर्ष और समाज सुधार:
डॉ. अंबेडकर का जीवन समाज में सुधार और दलितों के अधिकारों के लिए संघर्ष का प्रतीक है। उन्होंने जातिवाद और अस्पृश्यता के खिलाफ लड़ा। अंबेडकर ने कई आंदोलनों का नेतृत्व किया, जिनमें प्रमुख थे:
चवदार तालाब सत्याग्रह (1927): अंबेडकर ने महाराष्ट्र के चवदार तालाब में पानी पीने के अधिकार के लिए संघर्ष किया। यह घटना अस्पृश्यता और जातिवाद के खिलाफ उनके संघर्ष का एक प्रतीक बन गई।
महाड़ सत्याग्रह (1927): उन्होंने महाड़ नगर में दलितों के लिए सार्वजनिक पानी के स्त्रोतों का अधिकार हासिल करने के लिए आंदोलन किया।
लाहौर में भारतीय धार्मिक अधिवेशन (1930): इस अधिवेशन में उन्होंने भारतीय समाज में धार्मिक और सामाजिक सुधार के लिए कई महत्वपूर्ण विचार साझा किए।
भारतीय संविधान का निर्माण:
डॉ. अंबेडकर का सबसे महत्वपूर्ण योगदान भारत के संविधान की रचना में था। उन्हें भारतीय संविधान का मुख्य शिल्पकार माना जाता है। 1947 में स्वतंत्रता के बाद भारतीय संविधान बनाने के लिए एक संविधान सभा गठित की गई थी, और अंबेडकर को संविधान निर्माण समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। भारतीय संविधान में उन्होंने समानता, स्वतंत्रता, न्याय और सामाजिक न्याय के सिद्धांतों को स्थापित किया। इसके अंतर्गत अस्पृश्यता का उन्मूलन और जातिवाद के खिलाफ ठोस कदम उठाए गए।
भारतीय राजनीति में भूमिका:
डॉ. अंबेडकर ने भारतीय राजनीति में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वे भारत के पहले कानू�� मंत्री बने। इसके बाद उन्होंने आर्थिक समानता, राजनीतिक अधिकार, और सामाजिक अधिकार के लिए कई योजनाओं का समर्थन किया। उन्होंने दलितों के राजनीतिक प्रतिनिधित्व के लिए कई विधायिकों की स्थापना की।
बौद्ध धर्म की ओर रुख:
डॉ. अंबेडकर ने हिंदू धर्म में व्याप्त जातिवाद और असमानता के कारण 1956 में अपने अनुयायियों के साथ बौद्ध धर्म अपनाया। इस कदम से उन्होंने सामाजिक सुधार की दिशा में एक और बड़ा कदम उठाया। उनका यह निर्णय दलित समुदाय के लिए एक नया जीवन देने वाला था।
निधन:
डॉ. भीमराव अंबेडकर का निधन 6 दिसंबर 1956 को हुआ। उनके निधन के बाद, उन्हें भारत रत्न जैसे सर्वोच्च सम्मान से सम्मानित किया गया। उनकी शिक्षाएं और उनका दृष्टिकोण आज भी भारतीय समाज में जीवित हैं और समाज के विभिन्न वर्गों को प्रेरित करते हैं।
उनकी धरोहर:
डॉ. अंबेडकर का योगदान केवल भारतीय संविधान तक सीमित नहीं था, बल्कि उन्होंने भारतीय समाज को जातिवाद, असमानता और धार्मिक भेदभाव से मुक्त करने के लिए जीवनभर संघर्ष किया।
आज भी उनकी जन्मतिथि 14 अप्रैल को अंबेडकर जयंती के रूप में मनाई जाती है, और यह दिन दलित समुदाय के लिए एक प्रेरणा का स्रोत है।
डॉ. भीमराव अंबेडकर ने भारतीय समाज को एक नया दृष्टिकोण दिया, जिसमें सभी नागरिकों को समान अधिकार मिलते हैं। उनका जीवन एक संघर्ष का प्रतीक है, जो यह सिखाता है कि शिक्षा और समानता के द्वारा समाज में सुधार संभव है।
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बजट 2025-26: किराये पर दी गई संपत्ति से होने वाली आय पर टीडीएस की सीमा बढ़ाई गई?
AIN NEWS 1: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी, 2025 को पेश किए गए बजट 2025-26 में एक अहम प्रस्ताव रखा, जो मकान मालिकों के लिए राहतकारी साबित हो सकता है। इस बजट में किराये पर दी गई संपत्ति से होने वाली आय पर टीडीएस (स्रोत पर कर कटौती) की वार्षिक सीमा को बढ़ाने का ऐलान किया गया है। इसके तहत, अब किराये पर दी गई संपत्ति से अर्जित आय पर टीडीएस की कटौती की सीमा 2.4 लाख रुपये से बढ़ाकर छह लाख रुपये प्रति वर्ष करने का प्रस्ताव रखा गया है। यह कदम छोटे करदाताओं और मकान मालिकों को राहत देने के लिए उठाया गया है। क्या है टीडीएस की सीमा में बदलाव? फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण ने बजट पेश करते हुए कहा कि, "किराये पर टीडीएस की सीमा को बढ़ाकर 6 लाख रुपये किया जा रहा है।" इसका उद्देश्य टीडीएस के लिए उत्तरदायी लेन-देन की संख्या को कम करना है, ताकि छोटे भुगतान प्राप्त करने वाले करदाताओं को अधिक राहत मिले। इससे करदाताओं के लिए अनुपालन की प्रक्रिया आसान हो जाएगी और उन्हें कम कर कटौती का सामना करना पड़ेगा। क्यों यह बदलाव महत्वपूर्ण है? आयकर अधिनियम की धारा 194-आई के तहत, किराये पर दी गई संपत्ति से मिलने वाली आय पर आयकर कटौती तब होती है जब यह राशि एक वित्तीय वर्ष में 2.4 लाख रुपये से अधिक हो। बजट 2025-26 में इसे बढ़ाकर 6 लाख रुपये करने का प्रस्ताव किया गया है। इसका सीधा लाभ उन मकान मालिकों को मिलेगा, जो 50,000 रुपये तक का किराया प्राप्त करते हैं, क्योंकि उन्हें अब टीडीएस कटौती से छूट मिल जाएगी। किराये पर दी गई संपत्ति से आय पर नया प्रस्ताव वित्त मंत्री के अनुसार, अगर किराये की आय 50,000 रुपये प्रति माह से अधिक होती है, तो उस पर टीडीएस कटौती लागू होगी। इससे पहले, इस सीमा का निर्धारण 2.4 लाख रुपये वार्षिक था, जो अब बढ़कर 6 लाख रुपये किया गया है। यह प्रावधान व्यक्तिगत करदाताओं और अविभाजित हिंदू परिवारों के लिए लागू नहीं होगा, बल्कि व्यापारिक और पेशेवर उद्देश्यों से किराये पर दी गई संपत्तियों पर लागू होगा। विशेषज्ञों का क्या कहना है? डेलॉयट इंडिया में साझेदार आरती रावते ने इस बदलाव पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि इस प्रावधान से छोटे और मझोले करदाताओं को लाभ मिलेगा। यदि किसी व्यक्ति ने जमीन, मशीनरी, या अन्य संपत्तियों को किराये पर लिया है और किराया 50,000 रुपये प्रति माह से अधिक है, तो उसे टीडीएस कटौती से गुजरना होगा। इसके अलावा, क्रेडाई-एमसीएचआई के अध्यक्ष डॉ. डोमिनिक रोमेल का मानना है कि इस सीमा में बढ़ोतरी से छोटे मकान मालिकों को राहत मिलेगी और अनुपालन का बोझ भी कम होगा। बजट 2025-26 में सरकार ने किराये पर दी गई संपत्ति से होने वाली आय पर टीडीएस कटौती की सीमा बढ़ाने का प्रस्ताव किया है, जो मकान मालिकों के लिए एक बड़ी राहत है। यह कदम छोटे करदाताओं को राहत प्रदान करेगा और उन्हें कम कर कटौती का सामना करना पड़ेगा। इससे आयकर भुगतान की प्रक्रिया में सरलता आएगी, और टैक्स की दरें अधिक न्यायसंगत बनेंगी। Read the full article
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SEBI को जल्द मिलेगा नया चीफ, सरकार ने मांगे आवेदन; जानें कब खत्म होगा माधबी पुरी बुच का कार्यकाल
#News SEBI को जल्द मिलेगा नया चीफ, सरकार ने मांगे आवेदन; जानें कब खत्म होगा माधबी पुरी बुच का कार्यकाल
SEBI New Chief: सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) को जल्द ही नया चेयरपर्सन यानी अध्यक्ष मिलने वाला है। भारत सरकार ने SEBI के चेयरपर्सन पद के लिए आवेदन मंगाए हैं। आवेदन जमा करने की आखिरी तारीख 17 फरवरी, 2025 है। फिलहाल SEBI की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच हैं, जिनका कार्यकाल 28 फरवरी 2025 को समाप्त हो रहा है। माधबी पुरी बुच ने 2 मार्च 2022 को तीन साल के कार्यकाल के लिए SEBI चीफ का पद…
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पद्म पुरस्कारों में पीएम मोदी का झूठ उजागर, मोदी ने संविधान बदलवाने वाले अपने चाणक्य को दिया पद्मभूषण
मूकनायक मीडिया ब्यूरो | 26 जनवरी 2025 | जयपुर : प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी-पीएम) ने अपने अध्यक्ष बिबेक देबरॉय के हाल के उस विचार लेख से खुद को अलग कर लिया है, जिसमें उन्होंने एक अखबार में भारत के लिए नए संविधान की मांग की थी। देबरॉय ने अपने लेख में लिखा था, ‘हम लोगों को खुद को एक नया संविधान देना होगा‘ पद्म पुरस्कारों में पीएम मोदी का झूठ उजागर, मोदी ने संविधान बदलवाने वाले अपने…
#पद्म पुरस्कारों में पीएम मोदी का झूठ उजागर#मोदी ने संविधान बदलवाने वाले अपने चाणक्य को दिया पद्मभूषण
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नायब सैनी ने की रिपोर्ट तलब
जिला बनाने की जिद विधायक विमला ने जिला निर्माण कमेटी अध्यक्ष मंत्री पंवार से की मुलाकात पटौदी क्षेत्र की जनता की तरफ से न्यू गुरुग्राम जिला बनाने का सोपा मांग पत्र जिला निर्माण कमेटी सदस्य महिपाल ढाँडा से भी जिला के संदर्भ में की बात नया जिला न्यू गुरुग्राम का मुख्यालय पटौदी शहर में ही बनाया जाए फतह सिंह उजाला पटौदी । हरियाणा प्रदेश में डबल इंजन की दूसरी और तीसरी सरकार के कार्यकाल में…
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दिनांक 05 से 07 मार्च 2024, लखनऊ। एमिटी यूनिवर्सिटी, लखनऊ ने वसुधैव कुटुंबकम पर आधारित अपने वार्षिक उत्सव "एमिफोरिया 2024" का तीन दिवसीय आयोजन एमिटी यूनिवर्सिटी, लखनऊ कैंपस, मल्हौर, लखनऊ में किया | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट ने "एमिफोरिया 2024" के आयोजन में अपना सहयोग प्रदान किया |
06 मार्च 2024, दूसरे दिन | मुख्य अतिथि आदरणीय श्री मुकेश शर्मा, माननीय सदस्य, विधान परिषद, उत्तर प्रदेश तथा विशिष्ट अतिथि पद्मश्री मालिनी अवस्थी के करकमलों से उद्घाटन हुआ | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के संरक्षक भजन सम्राट पद्मश्री अनूप जलोटा, डॉ प्रभा श्रीवास्तव तथा श्रीमती शुचिता पांडे द्वारा सुर संध्या की प्रस्तुति, मिस्टर एंड मिस एमिटी, एमिटी आइडल सीजन 5 का आयोजन किया गया |
वसुधैव कुटुंबकम की भावना के साथ तीन दिवसीय वार्षिक उत्सव "एमीफोरिया 2024" के दूसरे दिन भजन सम्राट पदम श्री अनूप जलोटा जी ने अपने भजनों से लोगों को भाव विभोर कर दिया | "काशी बदली, अयोध्या बदली, अब मथुरा की बारी है", "दुनिया चले ना श्री राम के बिना", "ऐसी लागी लगन, मीरा हो गई मगन", "मेरे मन में राम, तन में राम" गाकर लोगों के हृदय को भक्ति भाव से भर दिया तथा साथ ही "मैं शायर तो नहीं, मगर ए हसीन" गीत गाकर श्रोताओं के जहन में प्रख्यात गायक शैलेंद्र सिंह जी की याद ताजा कर दी | अनूप जलोटा जी ने अपने प्रिय मित्र एवं प्रख्यात गजल गायक पंकज उधास जी का मशहूर गीत "चिट्ठी आई है, आई है, चिट्ठी आई है" गाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी | डॉ प्रभा श्रीवास्तव ने "तुमको देखा तो यह ख्याल आया" और श्रीमती सुचिता पांडे ने "कभी राम बनके, कभी श्याम बनके" गाकर अनूप जलोटा जी के साथ मंच साझा किया |
इस अवसर पर पद्मश्री मालिनी अवस्थी ने अपने विचार साझा करते हुए कहा कि "हमें भजन सम्राट पदम श्री अनूप जलोटा जी जैसी विभूतियों के जीवन से सीखने का प्रयास करना चाहिए | आज का भारत नया भारत है जिसका भविष्य युवाओं के हाथ में है, उन्हें परिश्रम के साथ संपूर्ण राष्ट्र को परिवार मानकर आगे बढ़ना चाहिए तथा वसुधैव क��टुंबकम का अनुसरण करके संपूर्ण पृथ्वी के लोगों के साथ समन्वय स्थापित करना चाहिए |"
विंग कमांडर डॉ अनिल कुमार तिवारी ने कहा कि, "आज "एमीफोरिया 2024" के दूसरे दिन भजन सम्राट पदम श्री अनूप जलोटा और पद्मश्री मालिनी अवस्थी की उपस्थिति ने वार्षिक उत्सव में सांस्कृतिक समृद्धि और ग्लैमर का स्पर्श जोड़ दिया है |"
इनके अलावा छात्र छात्राओं द्वारा संगीत और नृत्य, गेमिंग, नाटक, फोटोग्राफी, क्विज़ जैसी अन्य मनोरंजक प्रतियोगिताओं का भी आयोजन किया गया | छात्र-छात्राओं ने मिस्टर एंड मिस प्रतियोगियों में रैंप पर जोश और उत्साह दिखाया | प्रतियोगिता में कई दौर में छात्र-छात्राओं ने नृत्य प्रस्तुतियों से सभी का दिल जीत लिया |
एमिफोरिया 2024 में एमिटी लखनऊ परिसर के 7000 से अधिक छात्र और पूर्व छात्रों के साथ-साथ प्रबंधन, तकनीकी और रचनात्मक क्षेत्रों से बड़ी संख्या में विशेषज्ञों, विभिन्न संस्थानो और विश्वविद्यालयो ने भाग लिया ।
एमिटी यूनिवर्सिटी, लखनऊ कैंपस के प्रो वाइस चांसलर, विंग कमांडर (डॉ.) अनिल कुमार तिवारी (सेवानिवृत्त), डीन एवं अध्यक्ष, एमिफोरिया 2024 प्रोफेसर डॉ. मंजू अग्रवाल, लखनऊ कैंपस के डीन, निदेशक, प्रोफेसर, अभिभावको आदि के साथ, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबन्ध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की न्यासी डॉ रूपल अग्रवाल, शहर के सम्मानित, प्रतिष्ठित एवं गणमान्य अतिथियों की गरिमामयी उपस्थिति रही |
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पद्मभूषण (डॉ०) गोपाल दास नीरज | जन्मशती | यह नीरज की प्रेम सभा है | श्री बलराम श्रीवास्तव
04.01.2025, लखनऊ | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के पूर्व संरक्षक, महाकवि और गीतों के दरवेश पद्मभूषण (डॉ०) गोपाल दास नीरज जी के जन्मशती वर्ष के अवसर पर "यह नीरज की प्रेम सभा है" कार्यक्रम का भव्य आयोजन हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा उत्तर प्रदेश साहित्य सभा के संयुक्त तत्वावधान में संत गाडगे प्रेक्षा गृह, संगीत नाटक अकादमी, लखनऊ में किया गया । मुख्य अतिथि के रूप में श्री दिनेश शर्मा जी, माननीय सांसद एवं पूर्व उप मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश ने कार्यक्रम में शिरकत की | जबकि विशिष्ट अतिथि में श्री मुकेश शर्मा जी, माननीय सदस्य, विधान परिषद, उत्तर प्रदेश, श्री पवन सिंह चौहान जी, माननीय सभापति, वित्तीय एवं प्रशासनिक विलम्ब समिति, विधान परिषद, उत्तर प्रदेश, श्री राजेश पांडे जी, रिटायर्ड आईपीएस, नोडल अधिकारी, यूपीडा की गरिमामयी उपस्थिति रही । कार्यक्रम की अध्यक्षता आदरणीय श्री अशोक कुमार जी, माननीय न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) एवं अध्यक्ष, राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उत्तर प्रदेश ने की | अतिथियों को प्रतीक चिन्ह व अंगवस्त्र से सम्मानित किया |
“यह नीरज की प्रेम सभा है” कार्यक्रम के अंतर्गत हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा उत्तर प्रदेश साहित्य सभा द्वारा साहित्य एव संगीत जगत मे अपना अलग मुकाम बनाने वाले 6 प्रबुद्धजनों को सम्मानित किया गया, साथ ही अखिल भारतीय कवि सम्मेलन, नीरज जी के गीतो पर बांसुरी वादन तथा नृत्य की प्रस्तुति भी की गयी |
कार्यक्रम का शुभारंभ राष्ट्रगान से हुआ, तत्पश्चात मुख्य अतिथि श्री दिनेश शर्मा जी, कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे माननीय न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) श्री अशोक कुमार जी, विशिष्ट अतिथि श्री मुकेश शर्मा जी, श्री पवन सिंह चौहान जी, श्री राजेश पांडे जी, उत्तर प्रदेश साहित्य सभा के प्रमुख श्री सर्वेश अस्थाना, श्री मिलन प्रभात 'गुंजन' (नीरज जी के पुत्र), श्री पल्लव नीरज (नीरज जी के पौत्र), हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल और न्यासी डॉ॰ रूपल अग्रवाल द्वारा दीप प्रज्ज्वलन तथा नीरज जी के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर किया गया |
कार्यक्रम मे मुख्य अतिथि माननीय श्री दिनेश शर्मा जी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि, “मैं हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा उत्तर प्रदेश साहित्य सभा को कार्यक्रम "यह नीरज की प्रेम सभा है" आयोजित करने के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं | आज हम उस महान कवि और व्यक्तित्व को याद कर रहे हैं, जिन्होंने न केवल अपनी काव्य रचनाओं से हमें समृद्ध किया, बल्कि अपनी सादगी, विनम्रता और गहन संवेदनशीलता से हमारे जीवन को प्रेरित किया । महाकवि गोपाल दास 'नीरज' जी बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे । उनकी कविताएँ मानवीय भावनाओं का गहन चित्रण करती थीं । इतने बड़े साहित्यिक व्यक्तित्व के बावजूद, वे अत्यंत साधारण और सहज जीवन जीते थे । मुझे याद है, जब मैं छोटा था, तब अपने पिता जी के साथ नीरज जी को एक कवि सम्मेलन में सुनने गया था । उनकी कविताएँ न केवल मंच पर नई ऊर्जा का संचार करती थीं, बल्कि उन्होंने कवि सम्मेलनों को एक नया स्वरूप भी प्रदान किया । एक बार, मैं गोखले मार्ग स्थित एक घर में उन्हें लेकर स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी जी से मिलने गया । वह एक अविस्मरणीय क्षण था । लगभग पौने दो घंटे तक हमने नीरज जी और अटल जी की कविताएँ सुनीं । यह दो महान आत्माओं का संगम था । आगे चलकर अटल जी हमारे देश के प्रधानमंत्री बने, लेकिन नीरज जी ने 'कवि हृदय के प्रधानमंत्री' के रूप में हमेशा हमारे दिलों पर राज किया । नीरज जी का जीवन हमें यह सिखाता है कि चाहे आप कितने ही ऊँचे मुकाम पर क्यों न पहुँच जाएँ, सादगी और विनम्रता ही आपके व्यक्तित्व की सच्ची पहचान है । उनकी कविताएँ आज भी हमें जीवन के गहरे अर्थ समझाने के साथ-साथ आगे बढ़ने की प्रेरणा देती हैं ।“
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे माननीय न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) श्री अशोक कुमार जी ने कहा कि, ”आज हम महाकवि गोपाल दास 'नीरज' जी को याद कर रहे हैं, जिनके गीतों में अद्भुत कशिश और गहराई थी । उनका गीत "इतने बदनाम हुए हम तो इस जमाने में, तुमको लग जाएँगी सदियाँ हमें भुलाने में" सिर्फ एक गीत नहीं, बल्कि एक भावना है, जो यह बताती है कि सच्चे कलाकार और उनकी कला को भुलाना आसान नहीं होता । नीरज जी के शब्दों में जीवन का यथार्थ, प्रेम, पीड़ा और मानवीय संबंधों का गहन चित्रण था । वे जब मंच पर अपनी रचनाएँ गाते, तो ऐसा लगता था मानो शब्दों में जान आ गई हो । उनकी कविताएँ हमें सिखाती हैं कि साधारण शब्द असाधारण प्रभाव डाल सकते हैं । आइए, उनकी स्मृतियों को सहेजें और उनकी प्रेरणा को अपनी ज़िंदगी में उतारें ।"
श्री राजेश पांडे जी ने कहा कि, “इलाहाबाद विश्वविद्यालय में पढ़ाई के दौरान नीरज जी से मेरी पहली मुलाकात हुई । उस एक मुलाकात से जो रिश्ता जुड़ा, वह उनके जीवन के अंत तक बना रहा । नीरज जी के साथ समय बिताना ऐसा लगता था, मानो शब्दों और संवेदनाओं का समंदर हमारे सामने बह रहा हो । उनकी बातों में, उनकी कविताओं में, और उनके व्यक्तित्व में वह जादू था, जो हर किसी को अपना बना लेता था । नीरज जी का जीवन यह सिखाता है कि रिश्ते शब्दों से नहीं, बल्कि दिल से बनाए जाते हैं । उनकी सादगी, उनकी संवेदनशीलता और उनकी काव्य रचनाओं ने हर किसी को प्रभावित किया । चाहे मंच पर उनकी कविताएँ हों या उनके व्यक्तिगत संबंध, हर जगह उन्होंने एक अमिट छाप छोड़ी । उनकी रचनाओं की खासियत यह थी कि वे मानवीय भावनाओं, प्रेम, पीड़ा और जीवन के यथार्थ को इतनी गहराई से व्यक्त करते थे कि हर व्यक्ति खुद को उनसे जुड़ा महसूस करता था । आइए, आज हम नीरज जी की कविताओं और उनके जीवन से प्रेरणा लें । उनके दिखाए मार्ग पर चलें और उनके रिश्तों की तरह अपने जीवन में मधुरता और गहराई लाएँ ।“
हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने अपने संबोधन में कहा कि, “नीरज जी ने अपने गीतों और मानवतावादी दृष्टिकोण से भारतीय साहित्य में अमिट छाप छोड़ी । उनकी पंक्तियां "एक मज़हब कोई ऐसा भी चलाया जाए, जिसमें इंसान को इंसान बनाया जाए ।" हमें आज भी प्रेरित करती हैं । नीरज जी का ट्रस्ट से जुड़ाव हमारी सांस्कृतिक यात्रा का अमूल्य हिस्सा है । उनके आशीर्वाद और मार्गदर्शन ने हमें अनेक साहित्यिक व सामाजिक अभियानों में प्रेरित किया । श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा "गोपाल दास नीरज स्मृति पुरस्कार योजना" के लिए माननीय मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी और आदरणीय डॉ. दिनेश शर्मा जी का आभार व्यक्त किया । हमारा निवेदन है कि "गोपाल दास नीरज स्मृति पुरस्कार” का वितरण मुख्यमंत्री जी के कर कमलों से ��िया जाए । यह केवल नीरज जी का नहीं, बल्कि उनके प्रेम, मानवता के संदेश और साहित्य जगत का सम्मान होगा । श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने सभी से अपील करी कि ट्रस्ट को निरंतर सहयोग दें ताकि नीरज जी की स्मृति में और भव्य आयोजन निरंतर किए जा सकें ।“
उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष श्री उदय प्रताप सिंह जी ने कहा कि, “हरिवंश राय बच्चन जी के बाद यदि कोई कवि सबसे लोकप्रिय और प्रभावशाली हुआ, तो वह गोपाल दास 'नीरज' जी थे । उनकी ग़ज़लें, भजन और कव्वालियां देखकर यह स्पष्ट होता है कि उनके पास भाषाओं के कितने रंग और विविधता थी । नीरज जी ने हिंदी भाषा की सेवा में अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया । उन्होंने हिंदी को नए आयाम दिए और जन-जन तक पहुँचाया । बावजूद इसके, उनके व्यक्तित्व में कभी अहंकार नहीं आया । उनकी सादगी और विनम्रता आज के कवियों के लिए एक बड़ी सीख है । आइए, हम उनके योगदान को नमन करें और उनके जीवन से प्रेरणा लें ।"
नीरज जी के पुत्र श्री मिलन प्रभात "गुंजन" ने कहा कि, “पापा का हर लेख, हर विचार जीवन के उन अनकहे पहलुओं को उजागर करता था, जो आमतौर पर हम नहीं देख पाते । उनकी रचनाओं की विशेषता यह थी कि उन्होंने शब्दों के माध्यम से जीवन की गहराई को हमारे सामने रखा । वे जानते थे कि सच्ची भावनाएँ शब्दों में नहीं, बल्कि दिल की गहराइयों में होती हैं । यही कारण था कि उनकी लिखाई न केवल समझने में आसान थी, बल्कि वह दिलों को छूने वाली थी । आज हम उनका आदर करते हैं क्योंकि उन्होंने हमें यह सिखाया कि असली कला वह होती है, जो सरलता से दिलों तक पहुँच जाए । आइए, हम उनकी शिक्षाओं को अपने जीवन में उतारे और अपनी लेखनी, विचार और भावनाओं को ऐसी सादगी और गहराई से व्यक्त करें, जैसे उन्होंने किया ।“
नीरज जी के पौत्र श्री पल्लव नीरज ने अपने संबोधन में कहा कि, “बाबा की कविताओं का पाठ करना एक अद्भुत अनुभव था । उनकी रचनाओं में गहराई और सरलता का अद्भुत सामंजस्य था । वे छोटी-छोटी बातों को याद रखते थे और उन्हें अपनी कविताओं में हम तक पहुँचाते थे, जो उनके जीवन जीने के तरीके को दर्शाता है । नीरज जी का व्यक्तित्व और उनकी कविताएँ हमारे दिलों में आज भी जीवित हैं । उनके साथ बिताए हर एक पल की यादें हमेशा हमारे साथ रहेंगी । वे हमारे पास उनके शब्दों और आदर्शों के रूप में हमेशा हैं ।“
विशिष्ट अतिथि श्री मुकेश शर्मा जी, श्री पवन सिंह चौहान जी तथा उत्तर प्रदेश साहित्य सभा के प्रमुख श्री सर्वेश अस्थाना जी ने भी अपने-अपने विचार व्यक्त किए |
कार्यक्रम के अंतर्गत हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा उत्तर प्रदेश साहित्य सभा द्वारा साहित्य एव संगीत जगत मे अपना अलग मुकाम बनाने वाले 6 प्रबुद्धजनों श्री उदय प्रताप सिंह (उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष), डॉ हरिओम (आईएएस), श्री आलोक राज (आईपीएस), श्री सूर्यपाल गंगवार (आईएएस), श्री अखिलेश मिश्रा (आईएएस), श्री पवन कुमार (आईएएस) को प्रतीक चिन्ह व अंगवस्त्र से सम्मानित किया गया |
अखिल भारतीय कवि सम्मेलन मे डॉ. विष्णु सक्सेना (हाथरस), डॉ. प्रवीण शुक्ल (दिल्ली), श्री दिनेश रघुवंशी (फरीदाबाद), डॉ. सोनरूपा विशाल (बदायूं), श्री बलराम श्रीवास्तव (मैनपुरी), श्री यशपाल यश (फिरोजाबाद), डॉ. राजीव राज (इटावा), श्री सर्वेश अस्थाना (लखनऊ) ने अपनी कविताएँ प्रस्तुत की :
डॉ. विष्णु सक्सेना जी : “शाख रिश्तों की अगर टूट के झुक जायेगी, प्यार की बहती हुई ये नदी रुक जायेगी, फेंकियेगा ना अगर पास हो पानी गंदा, प्यास चाहे ना बुझे आग तो बुझ जायेगी |"
डॉ. प्रवीण शुक्ल जी : "स्वर तो मौन हुआ है बेशक, पर धुन अब भी गूँज रही है, गीत भवन में काव्य-कामिनी, अपना प्रियतम ढूँढ़ रही है, वो लगते थे बड़े अलग से, कहते थे वो सारे जग से, बूँद-बूँद रस के झरने से पूरा घड़ा भरा करता है, कुछ साँसों के रुक जाने से नीरज नहीं मरा करता है |”
श्री दिनेश रघुवंशी जी : “मैं हूँ सौभाग्यशाली प्यार जो पाया बुज़ुर्गों का, मुझे ऊँचाइयों तक प्यार ही लाया बुज़ुर्गों का, मेरे ईश्वर मेरी चाहत नहीं इसके सिवा कुछ भी, मेरे सर पर हमेशा ही रहे साया बुज़ुर्गों का |”
डॉ. सोनरूपा विशाल जी : “नैन को रूप की ज़रूरत है, प्यास को कूप की ज़रूरत है, बर्फ़ पिघला सके दिलों की जो, अब तो उस धूप की ज़रूरत है |”
श्री बलराम श्रीवास्तव जी : "घुला जब दर्द पानी में तो आंसू हो गए खारे, ढुलक कर आ गए बाहर हुए हैं नैन से न्यारे, तुम्हारे आंसुओं की भक्ति और अनुरक्ति के आगे, तुम्हारी जीत होती है सदा रहते हैं हम हारे ll”
श्री यशपाल यश जी : “हो जाता हर दर्द हवा है, बन जाता हर गीत दवा है, यहाँ वासना प्रतिबंधित है, यह नीरज की प्रेम सभा है |”
डॉ. राजीव राज जी : "जो साधना से हीन से संगीत नहीं है, सद्भावना विहीन है वो मीत नहीं है, आँसू न जिसका शब्द शब्द चूमने लगे, शब्दों की व्यवस्था है मगर गीत नहीं है ।“
श्री सर्वेश अस्थाना जी : "रिश्तों में तकरार बहुत है, लेकिन इनमें प्यार बहुत है, सारी दुनिया खुश रखने को, बस अपना परिवार बहुत है |”
अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का संचालन कवि श्री सर्वेश अस्थाना (लखनऊ) ने किया । श्री राजीव वत्सल ने नीरज जी के गीतो पर बांसुरी वादन प्रस्तुत कर सभी श्रोताओं के दिल मे नीरज जी की यादों को ताजा कर दिया तथा श्रीमती स्नेहा ने नीरज जी के गीतो पर नृत्य कर समा बांध दिया |
कार्यक्रम में विशेष अतिथियों के रूप में श्रीमती मालविका हरिओम श्री मिलन प्रभात 'गुंजन' (नीरज जी के पुत्र), श्री पल्लव नीरज (नीरज जी के पौत्र), कवि श्री सुरेश श्रीवास्तव, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की आंतरिक सलाहकार समिति के सदस्य डॉ. राजेंद्र प्रसाद, श्री महेंद्र भीष्म, श्री पंकज अवस्थी, डॉ अल्का निवेदन, डॉ ऋतु चक्रबोरती, डॉ शिखा श्रीवास्तव, डॉ राधा बिष्ट एवं लखनऊ शहर के गणमान्य व्यक्तियों की गरिमामयी उपस्थिति रही |
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पद्मभूषण (डॉ०) गोपाल दास नीरज | जन्मशती | यह नीरज की प्रेम सभा है | श्री बलराम श्रीवास्तव
04.01.2025, लखनऊ | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के पूर्व संरक्षक, महाकवि और गीतों के दरवेश पद्मभूषण (डॉ०) गोपाल दास नीरज जी के जन्मशती वर्ष के अवसर पर "यह नीरज की प्रेम सभा है" कार्यक्रम का भव्य आयोजन हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा उत्तर प्रदेश साहित्य सभा के संयुक्त तत्वावधान में संत गाडगे प्रेक्षा गृह, संगीत नाटक अकादमी, लखनऊ में किया गया । मुख्य अतिथि के रूप में श्री दिनेश शर्मा जी, माननीय सांसद एवं पूर्व उप मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश ने कार्यक्रम में शिरकत की | जबकि विशिष्ट अतिथि में श्री मुकेश शर्मा जी, माननीय सदस्य, विधान परिषद, उत्तर प्रदेश, श्री पवन सिंह चौहान जी, माननीय सभापति, वित्तीय एवं प्रशासनिक विलम्ब समिति, विधान परिषद, उत्तर प्रदेश, श्री राजेश पांडे जी, रिटायर्ड आईपीएस, नोडल अधिकारी, यूपीडा की गरिमामयी उपस्थिति रही । कार्यक्रम की अध्यक्षता आदरणीय श्री अशोक कुमार जी, माननीय न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) एवं अध्यक्ष, राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उत्तर प्रदेश ने की | अतिथियों को प्रतीक चिन्ह व अंगवस्त्र से सम्मानित किया |
“यह नीरज की प्रेम सभा है” कार्यक्रम के अंतर्गत हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा उत्तर प्रदेश साहित्य सभा द्वारा साहित्य एव संगीत जगत मे अपना अलग मुकाम बनाने वाले 6 प्रबुद्धजनों को सम्मानित किया गया, साथ ही अखिल भारतीय कवि सम्मेलन, नीरज जी के गीतो पर बांसुरी वादन तथा नृत्य की प्रस्तुति भी की गयी |
कार्यक्रम का शुभारंभ राष्ट्रगान से हुआ, तत्पश्चात मुख्य अतिथि श्री दिनेश शर्मा जी, कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे माननीय न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) श्री अशोक कुमार जी, विशिष्ट अतिथि श्री मुकेश शर्मा जी, श्री पवन सिंह चौहान जी, श्री राजेश पांडे जी, उत्तर प्रदेश साहित्य सभा के प्रमुख श्री सर्वेश अस्थाना, श्री मिलन प्रभात 'गुंजन' (नीरज जी के पुत्र), श्री पल्लव नीरज (नीरज जी के पौत्र), हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल और न्यासी डॉ॰ रूपल अग्रवाल द्वारा दीप प्रज्ज्वलन तथा नीरज जी के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर किया गया |
कार्यक्रम मे मुख्य अतिथि माननीय श्री दिनेश शर्मा जी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि, “मैं हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा उत्तर प्रदेश साहित्य सभा को कार्यक्रम "यह नीरज की प्रेम सभा है" आयोजित करने के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं | आज हम उस महान कवि और व्यक्तित्व को याद कर रहे हैं, जिन्होंने न केवल अपनी काव्य रचनाओं से हमें समृद्ध किया, बल्कि अपनी सादगी, विनम्रता और गहन संवेदनशीलता से हमारे जीवन को प्रेरित किया । महाकवि गोपाल दास 'नीरज' जी बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे । उनकी कविताएँ मानवीय भावनाओं का गहन चित्रण करती थीं । इतने बड़े साहित्यिक व्यक्तित्व के बावजूद, वे अत्यंत साधारण और सहज जीवन जीते थे । मुझे याद है, जब मैं छोटा था, तब अपने पिता जी के साथ नीरज जी को एक कवि सम्मेलन में सुनने गया था । उनकी कविताएँ न केवल मंच पर नई ऊर्जा का संचार करती थीं, बल्कि उन्होंने कवि सम्मेलनों को एक नया स्वरूप भी प्रदान किया । एक बार, मैं गोखले मार्ग स्थित एक घर में उन्हें लेकर स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी जी से मिलने गया । वह एक अविस्मरणीय क्षण था । लगभग पौने दो घंटे तक हमने नीरज जी और अटल जी की कविताएँ सुनीं । यह दो महान आत्माओं का संगम था । आगे चलकर अटल जी हमारे देश के प्रधानमंत्री बने, लेकिन नीरज जी ने 'कवि हृदय के प्रधानमंत्री' के रूप में हमेशा हमारे दिलों पर राज किया । नीरज जी का जीवन हमें यह सिखाता है कि चाहे आप कितने ही ऊँचे मुकाम पर क्यों न पहुँच जाएँ, सादगी और विनम्रता ही आपके व्यक्तित्व की सच्ची पहचान है । उनकी कविताएँ आज भी हमें जीवन के गहरे अर्थ समझाने के साथ-साथ आगे बढ़ने की प्रेरणा देती हैं ।“
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे माननीय न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) श्री अशोक कुमार जी ने कहा कि, ”आज हम महाकवि गोपाल दास 'नीरज' जी को याद कर रहे हैं, जिनके गीतों में अद्भुत कशिश और गहराई थी । उनका गीत "इतने बदनाम हुए हम तो इस जमाने में, तुमको लग जाएँगी सदियाँ हमें भुलाने में" सिर्फ एक गीत नहीं, बल्कि एक भावना है, जो यह बताती है कि सच्चे कलाकार और उनकी कला को भुलाना आसान नहीं होता । नीरज जी के शब्दों में जीवन का यथार्थ, प्रेम, पीड़ा और मानवीय संबंधों का गहन चित्रण था । वे जब मंच पर अपनी रचनाएँ गाते, तो ऐसा लगता था मानो शब्दों में जान आ गई हो । उनकी कविताएँ हमें सिखाती हैं कि साधारण शब्द असाधारण प्रभाव डाल सकते हैं । आइए, उनकी स्मृतियों को सहेजें और उनकी प्रेरणा को अपनी ज़िंदगी में उतारें ।"
श्री राजेश पांडे जी ने कहा कि, “इलाहाबाद विश्वविद्यालय में पढ़ाई के दौरान नीरज जी से मेरी पहली मुलाकात हुई । उस एक मुलाकात से जो रिश्ता जुड़ा, वह उनके जीवन के अंत तक बना रहा । नीरज जी के साथ समय बिताना ऐसा लगता था, मानो शब्दों और संवेदनाओं का समंदर हमारे सामने बह रहा हो । उनकी बातों में, उनकी कविताओं में, और उनके व्यक्तित्व में वह जादू था, जो हर किसी को अपना बना लेता था । नीरज जी का जीवन यह सिखाता है कि रिश्ते शब्दों से नहीं, बल्कि दिल से बनाए जाते हैं । उनकी सादगी, उनकी संवेदनशीलता और उनकी काव्य रचनाओं ने हर किसी को प्रभावित किया । चाहे मंच पर उनकी कविताएँ हों या उनके व्यक्तिगत संबंध, हर जगह उन्होंने एक अमिट छाप छोड़ी । उनकी रचनाओं की खासियत यह थी कि वे मानवीय भावनाओं, प्रेम, पीड़ा और जीवन के यथार्थ को इतनी गहराई से व्यक्त करते थे कि हर व्यक्ति खुद को उनसे जुड़ा महसूस करता था । आइए, आज हम नीरज जी की कविताओं और उनके जीवन से प्रेरणा लें । उनके दिखाए मार्ग पर चलें और उनके रिश्तों की तरह अपने जीवन में मधुरता और गहराई लाएँ ।“
हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने अपने संबोधन में कहा कि, “नीरज जी ने अपने गीतों और मानवतावादी दृष्टिकोण से भारतीय साहित्य में अमिट छाप छोड़ी । उनकी पंक्तियां "एक मज़हब कोई ऐसा भी चलाया जाए, जिसमें इंसान को इंसान बनाया जाए ।" हमें आज भी प्रेरित करती हैं । नीरज जी का ट्रस्ट से जुड़ाव हमारी सांस्कृतिक यात्रा का अमूल्य हिस्सा है । उनके आशीर्वाद और मार्गदर्शन ने हमें अनेक साहित्यिक व सामाजिक अभियानों में प्रेरित किया । श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा "गोपाल दास नीरज स्मृति पुरस्कार योजना" के लिए माननीय मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी और आदरणीय डॉ. दिनेश शर्मा जी का आभार व्यक्त किया । हमारा निवेदन है कि "गोपाल दास नीरज स्मृति पुरस्कार” का वितरण मुख्यमंत्री जी के कर कमलों से किया जाए । यह केवल नीरज जी का नहीं, बल्कि उनके प्रेम, मानवता के संदेश और साहित्य जगत का सम्मान होगा । श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने सभी से अपील करी कि ट्रस्ट को निरंतर सहयोग दें ताकि नीरज जी की स्मृति में और भव्य आयोजन निरंतर किए जा सकें ।“
उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष श्री उदय प्रताप सिंह जी ने कहा कि, “हरिवंश राय बच्चन जी के बाद यदि कोई कवि सबसे लोकप्रिय और प्रभावशाली हुआ, तो वह गोपाल दास 'नीरज' जी थे । उनकी ग़ज़लें, भजन और कव्वालियां देखकर यह स्पष्ट होता है कि उनके पास भाषाओं के कितने रंग और विविधता थी । नीरज जी ने हिंदी भाषा की सेवा में अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया । उन्होंने हिंदी को नए आयाम दिए और जन-जन तक पहुँचाया । बावजूद इसके, उनके व्यक्तित्व में कभी अहंकार नहीं आया । उनकी सादगी और विनम्रता आज के कवियों के लिए एक बड़ी सीख है । आइए, हम उनके योगदान को नमन करें और उनके जीवन से प्रेरणा लें ।"
नीरज जी के पुत्र श्री मिलन प्रभात "गुंजन" ने कहा कि, “पापा का हर लेख, हर विचार जीवन के उन अनकहे पहलुओं को उजागर करता था, जो आमतौर पर हम नहीं देख पाते । उनकी रचनाओं की विशेषता यह थी कि उन्होंने शब्दों के माध्यम से जीवन की गहराई को हमारे सामने रखा । वे जानते थे कि सच्ची भावनाएँ शब्दों में नहीं, बल्कि दिल की गहराइयों में होती हैं । यही कारण था कि उनकी लिखाई न केवल समझने में आसान थी, बल्कि वह दिलों को छूने वाली थी । आज हम उनका आदर करते हैं क्योंकि उन्होंने हमें यह सिखाया कि असली कला वह होती है, जो सरलता से दिलों तक पहुँच जाए । आइए, हम उनकी शिक्षाओं को अपने जीवन में उतारे और अपनी लेखनी, विचार और भावनाओं को ऐसी सादगी और गहराई से व्यक्त करें, जैसे उन्होंने किया ।“
नीरज जी के पौत्र श्री पल्लव नीरज ने अपने संबोधन में कहा कि, “बाबा की कविताओं का पाठ करना एक अद्भुत अनुभव था । उनकी रचनाओं में गहराई और सरलता का अद्भुत सामंजस्य था । वे छोटी-छोटी बातों को याद रखते थे और उन्हें अपनी कविताओं में हम तक पहुँचाते थे, जो उनके जीवन जीने के तरीके को दर्शाता है । नीरज जी का व्यक्तित्व और उनकी कविताएँ हमारे दिलों में आज भी जीवित हैं । उनके साथ बिताए हर एक पल की यादें हमेशा हमारे साथ रहेंगी । वे हमारे पास उनके शब्दों और आदर्शों के रूप में हमेशा हैं ।“
विशिष्ट अतिथि श्री मुकेश शर्मा जी, श्री पवन सिंह चौहान जी तथा उत्तर प्रदेश साहित्य सभा के प्रमुख श्री सर्वेश अस्थाना जी ने भी अपने-अपने विचार व्यक्त किए |
कार्यक्रम के अंतर्गत हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा उत्तर प्रदेश साहित्य सभा द्वारा साहित्य एव संगीत जगत मे अपना अलग मुकाम बनाने वाले 6 प्रबुद्धजनों श्री उदय प्रताप सिंह (उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष), डॉ हरिओम (आईएएस), श्री आलोक राज (आईपीएस), श्री सूर्यपाल गंगवार (आईएएस), श्री अखिलेश मिश्रा (आईएएस), श्री पवन कुमार (आईएएस) को प्रतीक चिन्ह व अंगवस्त्र से सम्मानित किया गया |
अखिल भारतीय कवि सम्मेलन मे डॉ. विष्णु सक्सेना (हाथरस), डॉ. प्रवीण शुक्ल (दिल्ली), श्री दिनेश रघुवंशी (फरीदाबाद), डॉ. सोनरूपा विशाल (बदायूं), श्री बलराम श्रीवास्तव (मैनपुरी), श्री यशपाल यश (फिरोजाबाद), डॉ. राजीव राज (इटावा), श्री सर्वेश अस्थाना (लखनऊ) ने अपनी कविताएँ प्रस्तुत की :
डॉ. विष्णु सक्सेना जी : “शाख रिश्तों की अगर टूट के झुक जायेगी, प्यार की बहती हुई ये नदी रुक जायेगी, फेंकियेगा ना अगर पास हो पानी गंदा, प्यास चाहे ना बुझे आग तो बुझ जायेगी |"
डॉ. प्रवीण शुक्ल जी : "स्वर तो मौन हुआ है बेशक, पर धुन अब भी गूँज रही है, गीत भवन में काव्य-कामिनी, अपना प्रियतम ढूँढ़ रही है, वो लगते थे बड़े अलग से, कहते थे वो सारे जग से, बूँद-बूँद रस के झरने से पूरा घड़ा भरा करता है, कुछ साँसों के रुक जाने से नीरज नहीं मरा करता है |”
श्री दिनेश रघुवंशी जी : “मैं हूँ सौभाग्यशाली प्यार जो पाया बुज़ुर्गों का, मुझे ऊँचाइयों तक प्यार ही लाया बुज़ुर्गों का, मेरे ईश्वर मेरी चाहत नहीं इसके सिवा कुछ भी, मेरे सर पर हमेशा ही रहे साया बुज़ुर्गों का |”
डॉ. सोनरूपा विशाल जी : “नैन को रूप की ज़रूरत है, प्यास को कूप की ज़रूरत है, बर्फ़ पिघला सके दिलों की जो, अब तो उस धूप की ज़रूरत है |”
श्री बलराम श्रीवास्तव जी : "घुला जब दर्द पानी में तो आंसू हो गए खारे, ढुलक कर आ गए बाहर हुए हैं नैन से न्यारे, तुम्हारे आंसुओं की भक्ति और अनुरक्ति के आगे, तुम्हारी जीत होती है सदा रहते हैं हम हारे ll”
श्री यशपाल यश जी : “हो जाता हर दर्द हवा है, बन जाता हर गीत दवा है, यहाँ वासना प्रतिबंधित है, यह नीरज की प्रेम सभा है |”
डॉ. राजीव राज जी : "जो साधना से हीन से संगीत नहीं है, सद्भावना विहीन है वो मीत नहीं है, आँसू न जिसका शब्द शब्द चूमने लगे, शब्दों की व्यवस्था है मगर गीत नहीं है ।“
श्री सर्वेश अस्थाना जी : "रिश्तों में तकरार बहुत है, लेकिन इनमें प्यार बहुत है, सारी दुनिया खुश रखने को, बस अपना परिवार बहुत है |”
अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का संचालन कवि श्री सर्वेश अस्थाना (लखनऊ) ने किया । श्री राजीव वत्सल ने नीरज जी के गीतो पर बांसुरी वादन प्रस्तुत कर सभी श्रोताओं के दिल मे नीरज जी की यादों को ताजा कर दिया तथा श्रीमती स्नेहा ने नीरज जी के गीतो पर नृत्य कर समा बांध दिया |
कार्यक्रम में विशेष अतिथियों के रूप में श्रीमती मालविका हरिओम श्री मिलन प्रभात 'गुंजन' (नीरज जी के पुत्र), श्री पल्लव नीरज (नीरज जी के पौत्र), कवि श्री सुरेश श्रीवास्तव, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की आंतरिक सलाहकार समिति के सदस्य डॉ. राजेंद्र प्रसाद, श्री महेंद्र भीष्म, श्री पंकज अवस्थी, डॉ अल्का निवेदन, डॉ ऋतु चक्रबोरती, डॉ शिखा श्रीवास्तव, डॉ राधा बिष्ट एवं लखनऊ शहर के गणमान्य व्यक्तियों की गरिमामयी उपस्थिति रही |
#YeNeerajKiPremSabhaHai #पद्मभूषण #गोपालदासनीरज #Geeton_Ke_Darvesh
#NarendraModi #PMOIndia
#YogiAdityanath
#UttarPradeshSahityaSabha
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#MilanPrabhatGunjan #PallavNeeraj
#UdayPratapSingh #DrVishnuSaxena #BalramShrivastava
#DrRajeevRaj #DrSonRoopaVishal #YashpalYash #DrPraveenShukla
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पद्मभूषण (डॉ०) गोपाल दास नीरज | जन्मशती | यह नीरज की प्रेम सभा है | श्री बलराम श्रीवास्तव
04.01.2025, लखनऊ | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के पूर्व संरक्षक, महाकवि और गीतों के दरवेश पद्मभूषण (डॉ०) गोपाल दास नीरज जी के जन्मशती वर्ष के अवसर पर "यह नीरज की प्रेम सभा है" कार्यक्रम का भव्य आयोजन हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा उत्तर प्रदेश साहित्य सभा के संयुक्त तत्वावधान में संत गाडगे प्रेक्षा गृह, संगीत नाटक अकादमी, लखनऊ में किया गया । मुख्य अतिथि के रूप में श्री दिनेश शर्मा जी, माननीय सांसद एवं पूर्व उप मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश ने कार्यक्रम में शिरकत की | जबकि विशिष्ट अतिथि में श्री मुकेश शर्मा जी, माननीय सदस्य, विधान परिषद, उत्तर प्रदेश, श्री पवन सिंह चौहान जी, माननीय सभापति, वित्तीय एवं प्रशासनिक विलम्ब समिति, विधान परिषद, उत्तर प्रदेश, श्री राजेश पांडे जी, रिटायर्ड आईपीएस, नोडल अधिकारी, यूपीडा की गरिमामयी उपस्थिति रही । कार्यक्रम की अध्यक्षता आदरणीय श्री अशोक कुमार जी, माननीय न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) एवं अध्यक्ष, राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उत्तर प्रदेश ने की | अतिथियों को प्रतीक चिन्ह व अंगवस्त्र से सम्मानित किया |
“यह नीरज की प्रेम सभा है” कार्यक्रम के अंतर्गत हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा उत्तर प्रदेश साहित्य सभा द्वारा साहित्य एव संगीत जगत मे अपना अलग मुकाम बनाने वाले 6 प्रबुद्धजनों को सम्मानित किया गया, साथ ही अखिल भारतीय कवि सम्मेलन, नीरज जी के गीतो पर बांसुरी वादन तथा नृत्य की प्रस्तुति भी की गयी |
कार्यक्रम का शुभारंभ राष्ट्रगान से हुआ, तत्पश्चात मुख्य अतिथि श्री दिनेश शर्मा जी, कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे माननीय न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) श्री अशोक कुमार जी, विशिष्ट अतिथि श्री मुकेश शर्मा जी, श्री पवन सिंह चौहान जी, श्री राजेश पांडे जी, उत्तर प्रदेश साहित्य सभा के प्रमुख श्री सर्वेश अस्थाना, श्री मिलन प्रभात 'गुंजन' (नीरज जी के पुत्र), श्री पल्लव नीरज (नीरज जी के पौत्र), हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल और न्यासी डॉ॰ रूपल अग्रवाल द्वारा दीप प्रज्ज्वलन तथा नीरज जी के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर किया गया |
कार्यक्रम मे मुख्य अतिथि माननीय श्री दिनेश शर्मा जी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि, “मैं हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा उत्तर प्रदेश साहित्य सभा को कार्यक्रम "यह नीरज की प्रेम सभा है" आयोजित करने के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं | आज हम उस महान कवि और व्यक्तित्व को याद कर रहे हैं, जिन्होंने न केवल अपनी काव्य रचनाओं से हमें समृद्ध किया, बल्कि अपनी सादगी, विनम्रता और गहन संवेदनशीलता से हमारे जीवन को प्रेरित किया । महाकवि गोपाल दास 'नीरज' जी बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे । उनकी कविताएँ मानवीय भावनाओं का गहन चित्रण करती थीं । इतने बड़े साहित्यिक व्यक्तित्व के बावजूद, वे अत्यंत साधारण और सहज जीवन जीते थे । मुझे याद है, जब मैं छोटा था, तब अपने पिता जी के साथ नीरज जी को एक कवि सम्मेलन में सुनने गया था । उनकी कविताएँ न केवल मंच पर नई ऊर्जा का संचार करती थीं, बल्कि उन्होंने कवि सम्मेलनों को एक नया स्वरूप भी प्रदान किया । एक बार, मैं गोखले मार्ग स्थित एक घर में उन्हें लेकर स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी जी से मिलने गया । वह एक अविस्मरणीय क्षण था । लगभग पौने दो घंटे तक हमने नीरज जी और अटल जी की कविताएँ सुनीं । यह दो महान आत्माओं का संगम था । आगे चलकर अटल जी हमारे देश के प्रधानमंत्री बने, लेकिन नीरज जी ने 'कवि हृदय के प्रधानमंत्री' के रूप में हमेशा हमारे दिलों पर राज किया । नीरज जी का जीवन हमें यह सिखाता है कि चाहे आप कितने ही ऊँचे मुकाम पर क्यों न पहुँच जाएँ, सादगी और विनम्रता ही आपके व्यक्तित्व की सच्ची पहचान है । उनकी कविताएँ आज भी हमें जीवन के गहरे अर्थ समझाने के साथ-साथ आगे बढ़ने की प्रेरणा देती हैं ।“
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे माननीय न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) श्री अशोक कुमार जी ने कहा कि, ”आज हम महाकवि गोपाल दास 'नीरज' जी को याद कर रहे हैं, जिनके गीतों में अद्भुत कशिश और गहराई थी । उनका गीत "इतने बदनाम हुए हम तो इस जमाने में, तुमको लग जाएँगी सदियाँ हमें भुलाने में" सिर्फ एक गीत नहीं, बल्कि एक भावना है, जो यह बताती है कि सच्चे कलाकार और उनकी कला को भुलाना आसान नहीं होता । नीरज जी के शब्दों में जीवन का यथार्थ, प्रेम, पीड़ा और मानवीय संबंधों का गहन चित्रण था । वे जब मंच पर अपनी रचनाएँ गाते, तो ऐसा लगता था मानो शब्दों में जान आ गई हो । उनकी कविताएँ हमें सिखाती हैं कि साधारण शब्द असाधारण प्रभाव डाल सकते हैं । आइए, उनकी स्मृतियों को सहेजें और उनकी प्रेरणा को अपनी ज़िंदगी में उतारें ।"
श्री राजेश पांडे जी ने कहा कि, “इलाहाबाद विश्वविद��यालय में पढ़ाई के दौरान नीरज जी से मेरी पहली मुलाकात हुई । उस एक मुलाकात से जो रिश्ता जुड़ा, वह उनके जीवन के अंत तक बना रहा । नीरज जी के साथ समय बिताना ऐसा लगता था, मानो शब्दों और संवेदनाओं का समंदर हमारे सामने बह रहा हो । उनकी बातों में, उनकी कविताओं में, और उनके व्यक्तित्व में वह जादू था, जो हर किसी को अपना बना लेता था । नीरज जी का जीवन यह सिखाता है कि रिश्ते शब्दों से नहीं, बल्कि दिल से बनाए जाते हैं । उनकी सादगी, उनकी संवेदनशीलता और उनकी काव्य रचनाओं ने हर किसी को प्रभावित किया । चाहे मंच पर उनकी कविताएँ हों या उनके व्यक्तिगत संबंध, हर जगह उन्होंने एक अमिट छाप छोड़ी । उनकी रचनाओं की खासियत यह थी कि वे मानवीय भावनाओं, प्रेम, पीड़ा और जीवन के यथार्थ को इतनी गहराई से व्यक्त करते थे कि हर व्यक्ति खुद को उनसे जुड़ा महसूस करता था । आइए, आज हम नीरज जी की कविताओं और उनके जीवन से प्रेरणा लें । उनके दिखाए मार्ग पर चलें और उनके रिश्तों की तरह अपने जीवन में मधुरता और गहराई लाएँ ।“
हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने अपने संबोधन में कहा कि, “नीरज जी ने अपने गीतों और मानवतावादी दृष्टिकोण से भारतीय साहित्य में अमिट छाप छोड़ी । उनकी पंक्तियां "एक मज़हब कोई ऐसा भी चलाया जाए, जिसमें इंसान को इंसान बनाया जाए ।" हमें आज भी प्रेरित करती हैं । नीरज जी का ट्रस्ट से जुड़ाव हमारी सांस्कृतिक यात्रा का अमूल्य हिस्सा है । उनके आशीर्वाद और मार्गदर्शन ने हमें अनेक साहित्यिक व सामाजिक अभियानों में प्रेरित किया । श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा "गोपाल दास नीरज स्मृति पुरस्कार योजना" के लिए माननीय मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी और आदरणीय डॉ. दिनेश शर्मा जी का आभार व्यक्त किया । हमारा निवेदन है कि "गोपाल दास नीरज स्मृति पुरस्कार” का वितरण मुख्यमंत्री जी के कर कमलों से किया जाए । यह केवल नीरज जी का नहीं, बल्कि उनके प्रेम, मानवता के संदेश और साहित्य जगत का सम्मान होगा । श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने सभी से अपील करी कि ट्रस्ट को निरंतर सहयोग दें ताकि नीरज जी की स्मृति में और भव्य आयोजन निरंतर किए जा सकें ।“
उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष श्री उदय प्रताप सिंह जी ने कहा कि, “हरिवंश राय बच्चन जी के बाद यदि कोई कवि सबसे लोकप्रिय और प्रभावशाली हुआ, तो वह गोपाल दास 'नीरज' जी थे । उनकी ग़ज़लें, भजन और कव्वालियां देखकर यह स्पष्ट होता है कि उनके पास भाषाओं के कितने रंग और विविधता थी । नीरज जी ने हिंदी भाषा की सेवा में अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया । उन्होंने हिंदी को नए आयाम दिए और जन-जन तक पहुँचाया । बावजूद इसके, उनके व्यक्तित्व में कभी अहंकार नहीं आया । उनकी सादगी और विनम्रता आज के कवियों के लिए एक बड़ी सीख है । आइए, हम उनके योगदान को नमन करें और उनके जीवन से प्रेरणा लें ।"
नीरज जी के पुत्र श्री मिलन प्रभात "गुंजन" ने कहा कि, “पापा का हर लेख, हर विचार जीवन के उन अनकहे पहलुओं को उजागर करता था, जो आमतौर पर हम नहीं देख पाते । उनकी रचनाओं की विशेषता यह थी कि उन्होंने शब्दों के माध्यम से जीवन की गहराई को हमारे सामने रखा । वे जानते थे कि सच्ची भावनाएँ शब्दों में नहीं, बल्कि दिल की गहराइयों में होती हैं । यही कारण था कि उनकी लिखाई न केवल समझने में आसान थी, बल्कि वह दिलों को छूने वाली थी । आज हम उनका आदर करते हैं क्योंकि उन्होंने हमें यह सिखाया कि असली कला वह होती है, जो सरलता से दिलों तक पहुँच जाए । आइए, हम उनकी शिक्षाओं को अपने जीवन में उतारे और अपनी लेखनी, विचार और भावनाओं को ऐसी सादगी और गहराई से व्यक्त करें, जैसे उन्होंने किया ।“
नीरज जी के पौत्र श्री पल्लव नीरज ने अपने संबोधन में कहा कि, “बाबा की कविताओं का पाठ करना एक अद्भुत अनुभव था । उनकी रचनाओं में गहराई और सरलता का अद्भुत सामंजस्य था । वे छोटी-छोटी बातों को याद रखते थे और उन्हें अपनी कविताओं में हम तक पहुँचाते थे, जो उनके जीवन जीने के तरीके को दर्शाता है । नीरज जी का व्यक्तित्व और उनकी कविताएँ हमारे दिलों में आज भी जीवित हैं । उनके साथ बिताए हर एक पल की यादें हमेशा हमारे साथ रहेंगी । वे हमारे पास उनके शब्दों और आदर्शों के रूप में हमेशा हैं ।“
विशिष्ट अतिथि श्री मुकेश शर्मा जी, श्री पवन सिंह चौहान जी तथा उत्तर प्रदेश साहित्य सभा के प्रमुख श्री सर्वेश अस्थाना जी ने भी अपने-अपने विचार व्यक्त किए |
कार्यक्रम के अंतर्गत हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा उत्तर प्रदेश साहित्य सभा द्वारा साहित्य एव संगीत जगत मे अपना अलग मुकाम बनाने वाले 6 प्रबुद्धजनों श्री उदय प्रताप सिंह (उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष), डॉ हरिओम (आईएएस), श्री आलोक राज (आईपीएस), श्री सूर्यपाल गंगवार (आईएएस), श्री अखिलेश मिश्रा (आईएएस), श्री पवन कुमार (आईएएस) को प्रतीक चिन्ह व अंगवस्त्र से सम्मानित किया गया |
अखिल भारतीय कवि सम्मेलन मे डॉ. विष्णु सक्सेना (हाथरस), डॉ. प्रवीण शुक्ल (दिल्ली), श्री दिनेश रघुवंशी (फरीदाबाद), डॉ. सोनरूपा विशाल (बदायूं), श्री बलराम श्रीवास्तव (मैनपुरी), श्री यशपाल यश (फिरोजाबाद), डॉ. राजीव राज (इटावा), श्री सर्वेश अस्थाना (लखनऊ) ने अपनी कविताएँ प्रस्तुत की :
डॉ. विष्णु सक्सेना जी : “शाख रिश्तों की अगर टूट के झुक जायेगी, प्यार की बहती हुई ये नदी रुक जायेगी, फेंकियेगा ना अगर पास हो पानी गंदा, प्यास चाहे ना बुझे आग तो बुझ जायेगी |"
डॉ. प्रवीण शुक्ल जी : "स्वर तो मौन हुआ है बेशक, पर धुन अब भी गूँज रही है, गीत भवन में काव्य-कामिनी, अपना प्रियतम ढूँढ़ रही है, वो लगते थे बड़े अलग से, कहते थे वो सारे जग से, बूँद-बूँद रस के झरने से पूरा घड़ा भरा करता है, कुछ साँसों के रुक जाने से नीरज नहीं मरा करता है |”
श्री दिनेश रघुवंशी जी : “मैं हूँ सौभाग्यशाली प्यार जो पाया बुज़ुर्गों का, मुझे ऊँचाइयों तक प्यार ही लाया बुज़ुर्गों का, मेरे ईश्वर मेरी चाहत नहीं इसके सिवा कुछ भी, मेरे सर पर हमेशा ही रहे साया बुज़ुर्गों का |”
डॉ. सोनरूपा विशाल जी : “नैन को रूप की ज़रूरत है, प्यास को कूप की ज़रूरत है, बर्फ़ पिघला सके दिलों की जो, अब तो उस धूप की ज़रूरत है |”
श्री बलराम श्रीवास्तव जी : "घुला जब दर्द पानी में तो आंसू हो गए खारे, ढुलक कर आ गए बाहर हुए हैं नैन से न्यारे, तुम्हारे आंसुओं की भक्ति और अनुरक्ति के आगे, तुम्हारी जीत होती है सदा रहते हैं हम हारे ll”
श्री यशपाल यश जी : “हो जाता हर दर्द हवा है, बन जाता हर गीत दवा है, यहाँ वासना प्रतिबंधित है, यह नीरज की प्रेम सभा है |”
डॉ. राजीव राज जी : "जो साधना से हीन से संगीत नहीं है, सद्भावना विहीन है वो मीत नहीं है, आँसू न जिसका शब्द शब्द चूमने लगे, शब्दों की व्यवस्था है मगर गीत नहीं है ।“
श्री सर्वेश अस्थाना जी : "रिश्तों में तकरार बहुत है, लेकिन इनमें प्यार बहुत है, सारी दुनिया खुश रखने को, बस अपना परिवार बहुत है |”
अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का संचालन कवि श्री सर्वेश अस्थाना (लखनऊ) ने किया । श्री राजीव वत्सल ने नीरज जी के गीतो पर बांसुरी वादन प्रस्तुत कर सभी श्रोताओं के दिल मे नीरज जी की यादों को ताजा कर दिया तथा श्रीमती स्नेहा ने नीरज जी के गीतो पर नृत्य कर समा बांध दिया |
कार्यक्रम में विशेष अतिथियों के रूप में श्रीमती मालविका हरिओम श्री मिलन प्रभात 'गुंजन' (नीरज जी के पुत्र), श्र��� पल्लव नीरज (नीरज जी के पौत्र), कवि श्री सुरेश श्रीवास्तव, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की आंतरिक सलाहकार समिति के सदस्य डॉ. राजेंद्र प्रसाद, श्री महेंद्र भीष्म, श्री पंकज अवस्थी, डॉ अल्का निवेदन, डॉ ऋतु चक्रबोरती, डॉ शिखा श्रीवास्तव, डॉ राधा बिष्ट एवं लखनऊ शहर के गणमान्य व्यक्तियों की गरिमामयी उपस्थिति रही |
#YeNeerajKiPremSabhaHai #पद्मभूषण #गोपालदासनीरज #Geeton_Ke_Darvesh
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पद्मभूषण (डॉ०) गोपाल दास नीरज | जन्मशती | यह नीरज की प्रेम सभा है | श्री बलराम श्रीवास्तव
04.01.2025, लखनऊ | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के पूर्व संरक्षक, महाकवि और गीतों के दरवेश पद्मभूषण (डॉ०) गोपाल दास नीरज जी के जन्मशती वर्ष के अवसर पर "यह नीरज की प्रेम सभा है" कार्यक्रम का भव्य आयोजन हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा उत्तर प्रदेश साहित्य सभा के संयुक्त तत्वावधान में संत गाडगे प्रेक्षा गृह, संगीत नाटक अकादमी, लखनऊ में किया गया । मुख्य अतिथि के रूप में श्री दिनेश शर्मा जी, माननीय सांसद एवं पूर्व उप मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश ने कार्यक्रम में शिरकत की | जबकि विशिष्ट अतिथि में श्री मुकेश शर्मा जी, माननीय सदस्य, विधान परिषद, उत्तर प्रदेश, श्री पवन सिंह चौहान जी, माननीय सभापति, वित्तीय एवं प्रशासनिक विलम्ब समिति, विधान परिषद, उत्तर प्रदेश, श्री राजेश पांडे जी, रिटायर्ड आईपीएस, नोडल अधिकारी, यूपीडा की गरिमामयी उपस्थिति रही । कार्यक्रम की अध्यक्षता आदरणीय श्री अशोक कुमार जी, माननीय न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) एवं अध्यक्ष, राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उत्तर प्रदेश ने की | अतिथियों को प्रतीक चिन्ह व अंगवस्त्र से सम्मानित किया |
“यह नीरज की प्रेम सभा है” कार्यक्रम के अंतर्गत हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा उत्तर प्रदेश साहित्य सभा द्वारा साहित्य एव संगीत जगत मे अपना अलग मुकाम बनाने वाले 6 प्रबुद्धजनों को सम्मानित किया गया, साथ ही अखिल भारतीय कवि सम्मेलन, नीरज जी के गीतो पर बांसुरी वादन तथा नृत्य की प्रस्तुति भी की गयी |
कार्यक्रम का शुभारंभ राष्ट्रगान से हुआ, तत्पश्चात मुख्य अतिथि श्री दिनेश शर्मा जी, कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे माननीय न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) श्री अशोक कुमार जी, विशिष्ट अतिथि श्री मुकेश शर्मा जी, श्री पवन सिंह चौहान जी, श्री राजेश पांडे जी, उत्तर प्रदेश साहित्य सभा के प्रमुख श्री सर्वेश अस्थाना, श्री मिलन प्रभात 'गुंजन' (नीरज जी के पुत्र), श्री पल्लव नीरज (नीरज जी के पौत्र), हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल और न्यासी डॉ॰ रूपल अग्रवाल द्वारा दीप प्रज्ज्वलन तथा नीरज जी के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर किया गया |
कार्यक्रम मे मुख्य अतिथि माननीय श्री दिनेश शर्मा जी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि, “मैं हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा उत्तर प्रदेश साहित्य सभा को कार्यक्रम "यह नीरज की प्रेम सभा है" आयोजित करने के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं | आज हम उस महान कवि और व्यक्तित्व को याद कर रहे हैं, जिन्होंने न केवल अपनी काव्य रचनाओं से हमें समृद्ध किया, बल्कि अपनी सादगी, विनम्रता और गहन संवेदनशीलता से हमारे जीवन को प्रेरित किया । महाकवि गोपाल दास 'नीरज' जी बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे । उनकी कविताएँ मानवीय भावनाओं का गहन चित्रण करती थीं । इतने बड़े साहित्यिक व्यक्तित्व के बावजूद, वे अत्यंत साधारण और सहज जीवन जीते थे । मुझे याद है, जब मैं छोटा था, तब अपने पिता जी के साथ नीरज जी को एक कवि सम्मेलन में सुनने गया था । उनकी कविताएँ न केवल मंच पर नई ऊर्जा का संचार करती थीं, बल्कि उन्होंने कवि सम्मेलनों को एक नया स्वरूप भी प्रदान किया । एक बार, मैं गोखले मार्ग स्थित एक घर में उन्हें लेकर स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी जी से मिलने गया । वह एक अविस्मरणीय क्षण था । लगभग पौने दो घंटे तक हमने नीरज जी और अटल जी की कविताएँ सुनीं । यह दो महान आत्माओं का संगम था । आगे चलकर अटल जी हमारे देश के प्रधानमंत्री बने, लेकिन नीरज जी ने 'कवि हृदय के प्रधानमंत्री' के रूप में हमेशा हमारे दिलों पर राज किया । नीरज जी का जीवन हमें यह सिखाता है कि चाहे आप कितने ही ऊँचे मुकाम पर क्यों न पहुँच जाएँ, सादगी और विनम्रता ही आपके व्यक्तित्व की सच्ची पहचान है । उनकी कविताएँ आज भी हमें जीव�� के गहरे अर्थ समझाने के साथ-साथ आगे बढ़ने की प्रेरणा देती हैं ।“
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे माननीय न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) श्री अशोक कुमार जी ने कहा कि, ”आज हम महाकवि गोपाल दास 'नीरज' जी को याद कर रहे हैं, जिनके गीतों में अद्भुत कशिश और गहराई थी । उनका गीत "इतने बदनाम हुए हम तो इस जमाने में, तुमको लग जाएँगी सदियाँ हमें भुलाने में" सिर्फ एक गीत नहीं, बल्कि एक भावना है, जो यह बताती है कि सच्चे कलाकार और उनकी कला को भुलाना आसान नहीं होता । नीरज जी के शब्दों में जीवन का यथार्थ, प्रेम, पीड़ा और मानवीय संबंधों का गहन चित्रण था । वे जब मंच पर अपनी रचनाएँ गाते, तो ऐसा लगता था मानो शब्दों में जान आ गई हो । उनकी कविताएँ हमें सिखाती हैं कि साधारण शब्द असाधारण प्रभाव डाल सकते हैं । आइए, उनकी स्मृतियों को सहेजें और उनकी प्रेरणा को अपनी ज़िंदगी में उतारें ।"
श्री राजेश पांडे जी ने कहा कि, “इलाहाबाद विश्वविद्यालय में पढ़ाई के दौरान नीरज जी से मेरी पहली मुलाकात हुई । उस एक मुलाकात से जो रिश्ता जुड़ा, वह उनके जीवन के अंत तक बना रहा । नीरज जी के साथ समय बिताना ऐसा लगता था, मानो शब्दों और संवेदनाओं का समंदर हमारे सामने बह रहा हो । उनकी बातों में, उनकी कविताओं में, और उनके व्यक्तित्व में वह जादू था, जो हर किसी को अपना बना लेता था । नीरज जी का जीवन यह सिखाता है कि रिश्ते शब्दों से नहीं, बल्कि दिल से बनाए जाते हैं । उनकी सादगी, उनकी संवेदनशीलता और उनकी काव्य रचनाओं ने हर किसी को प्रभावित किया । चाहे मंच पर उनकी कविताएँ हों या उनके व्यक्तिगत संबंध, हर जगह उन्होंने एक अमिट छाप छोड़ी । उनकी रचनाओं की खासियत यह थी कि वे मानवीय भावनाओं, प्रेम, पीड़ा और जीवन के यथार्थ को इतनी गहराई से व्यक्त करते थे कि हर व्यक्ति खुद को उनसे जुड़ा महसूस करता था । आइए, आज हम नीरज जी की कविताओं और उनके जीवन से प्रेरणा लें । उनके दिखाए मार्ग पर चलें और उनके रिश्तों की तरह अपने जीवन में मधुरता और गहराई लाएँ ।“
हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने अपने संबोधन में कहा कि, “नीरज जी ने अपने गीतों और मानवतावादी दृष्टिकोण से भारतीय साहित्य में अमिट छाप छोड़ी । उनकी पंक्तियां "एक मज़हब कोई ऐसा भी चलाया जाए, जिसमें इंसान को इंसान बनाया जाए ।" हमें आज भी प्रेरित करती हैं । नीरज जी का ट्रस्ट से जुड़ाव हमारी सांस्कृतिक यात्रा का अमूल्य हिस्सा है । उनके आशीर्वाद और मार्गदर्शन ने हमें अनेक साहित्यिक व सामाजिक अभियानों में प्रेरित किया । श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा "गोपाल दास नीरज स्मृति पुरस्कार योजना" के लिए माननीय मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी और आदरणीय डॉ. दिनेश शर्मा जी का आभार व्यक्त किया । हमारा निवेदन है कि "गोपाल दास नीरज स्मृति पुरस्कार” का वितरण मुख्यमंत्री जी के कर कमलों से किया जाए । यह केवल नीरज जी का नहीं, बल्कि उनके प्रेम, मानवता के संदेश और साहित्य जगत का सम्मान होगा । श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने सभी से अपील करी कि ट्रस्ट को निरंतर सहयोग दें ताकि नीरज जी की स्मृति में और भव्य आयोजन निरंतर किए जा सकें ।“
उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष श्री उदय प्रताप सिंह जी ने कहा कि, “हरिवंश राय बच्चन जी के बाद यदि कोई कवि सबसे लोकप्रिय और प्रभावशाली हुआ, तो वह गोपाल दास 'नीरज' जी थे । उनकी ग़ज़लें, भजन और कव्वालियां देखकर यह स्पष्ट होता है कि उनके पास भाषाओं के कितने रंग और विविधता थी । नीरज जी ने हिंदी भाषा की सेवा में अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया । उन्होंने हिंदी को नए आयाम दिए और जन-जन तक पहुँचाया । बावजूद इसके, उनके व्यक्तित्व में कभी अहंकार नहीं आया । उनकी सादगी और विनम्रता आज के कवियों के लिए एक बड़ी सीख है । आइए, हम उनके योगदान को नमन करें और उनके जीवन से प्रेरणा लें ।"
नीरज जी के पुत्र श्री मिलन प्रभात "गुंजन" ने कहा कि, “पापा का हर लेख, हर विचार जीवन के उन अनकहे पहलुओं को उजागर करता था, जो आमतौर पर हम नहीं देख पाते । उनकी रचनाओं की विशेषता यह थी कि उन्होंने शब्दों के माध्यम से जीवन की गहराई को हमारे सामने रखा । वे जानते थे कि सच्ची भावनाएँ शब्दों में नहीं, बल्कि दिल की गहराइयों में होती हैं । यही कारण था कि उनकी लिखाई न केवल समझने में आसान थी, बल्कि वह दिलों को छूने वाली थी । आज हम उनका आदर करते हैं क्योंकि उन्होंने हमें यह सिखाया कि असली कला वह होती है, जो सरलता से दिलों तक पहुँच जाए । आइए, हम उनकी शिक्षाओं को अपने जीवन में उतारे और अपनी लेखनी, विचार और भावनाओं को ऐसी सादगी और गहराई से व्यक्त करें, जैसे उन्होंने किया ।“
नीरज जी के पौत्र श्री पल्लव नीरज ने अपने संबोधन में कहा कि, “बाबा की कविताओं का पाठ करना एक अद्भुत अनुभव था । उनकी रचनाओं में गहराई और सरलता का अद्भुत सामंजस्य था । वे छोटी-छोटी बातों को याद रखते थे और उन्हें अपनी कविताओं में हम तक पहुँचाते थे, जो उनके जीवन जीने के तरीके को दर्शाता है । नीरज जी का व्यक्तित्व और उनकी कविताएँ हमारे दिलों में आज भी जीवित हैं । उनके साथ बिताए हर एक पल की यादें हमेशा हमारे साथ रहेंगी । वे हमारे पास उनके शब्दों और आदर्शों के रूप में हमेशा हैं ।“
विशिष्ट अतिथि श्री मुकेश शर्मा जी, श्री पवन सिंह चौहान जी तथा उत्तर प्रदेश साहित्य सभा के प्रमुख श्री सर्वेश अस्थाना जी ने भी अपने-अपने विचार व्यक्त किए |
कार्यक्रम के अंतर्गत हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा उत्तर प्रदेश साहित्य सभा द्वारा साहित्य एव संगीत जगत मे अपना अलग मुकाम बनाने वाले 6 प्रबुद्धजनों श्री उदय प्रताप सिंह (उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष), डॉ हरिओम (आईएएस), श्री आलोक राज (आईपीएस), श्री सूर्यपाल गंगवार (आईएएस), श्री अखिलेश मिश्रा (आईएएस), श्री पवन कुमार (आईएएस) को प्रतीक चिन्ह व अंगवस्त्र से सम्मानित किया गया |
अखिल भारतीय कवि सम्मेलन मे डॉ. विष्णु सक्सेना (हाथरस), डॉ. प्रवीण शुक्ल (दिल्ली), श्री दिनेश रघुवंशी (फरीदाबाद), डॉ. सोनरूपा विशाल (बदायूं), श्री बलराम श्रीवास्तव (मैनपुरी), श्री यशपाल यश (फिरोजाबाद), डॉ. राजीव राज (इटावा), श्री सर्वेश अस्थाना (लखनऊ) ने अपनी कविताएँ प्रस्तुत की :
डॉ. विष्णु सक्सेना जी : “शाख रिश्तों की अगर टूट के झुक जायेगी, प्यार की बहती हुई ये नदी रुक जायेगी, फेंकियेगा ना अगर पास हो पानी गंदा, प्यास चाहे ना बुझे आग तो बुझ जायेगी |"
डॉ. प्रवीण शुक्ल जी : "स्वर तो मौन हुआ है बेशक, पर धुन अब भी गूँज रही है, गीत भवन में काव्य-कामिनी, अपना प्रियतम ढूँढ़ रही है, वो लगते थे बड़े अलग से, कहते थे वो सारे जग से, बूँद-बूँद रस के झरने से पूरा घड़ा भरा करता है, कुछ साँसों के रुक जाने से नीरज नहीं मरा करता है |”
श्री दिनेश रघुवंशी जी : “मैं हूँ सौभाग्यशाली प्यार जो पाया बुज़ुर्गों का, मुझे ऊँचाइयों तक प्यार ही लाया बुज़ुर्गों का, मेरे ईश्वर मेरी चाहत नहीं इसके सिवा कुछ भी, मेरे सर पर हमेशा ही रहे साया बुज़ुर्गों का |”
डॉ. सोनरूपा विशाल जी : “नैन को रूप की ज़रूरत है, प्यास को कूप की ज़रूरत है, बर्फ़ पिघला सके दिलों की जो, अब तो उस धूप की ज़रूरत है |”
श्री बलराम श्रीवास्तव जी : "घुला जब दर्द पानी में तो आंसू हो गए खारे, ढुलक कर आ गए बाहर हुए हैं नैन से न्यारे, तुम्हारे आंसुओं की भक्ति और अनुरक्ति के आगे, तुम्हारी जीत होती है सदा रहते हैं हम हारे ll”
श्री यशपाल यश जी : “हो जाता हर दर्द हवा है, बन जाता हर गीत दवा है, यहाँ वासना प्रतिबंधित है, यह नीरज की प्रेम सभा है |”
डॉ. राजीव राज जी : "जो साधना से हीन से संगीत नहीं है, सद्भावना विहीन है वो मीत नहीं है, आँसू न जिसका शब्द शब्द चूमने लगे, शब्दों की व्यवस्था है मगर गीत नहीं है ।“
श्री सर्वेश अस्थाना जी : "रिश्तों में तकरार बहुत है, लेकिन इनमें प्यार बहुत है, सारी दुनिया खुश रखने को, बस अपना परिवार बहुत है |”
अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का संचालन कवि श्री सर्वेश अस्थाना (लखनऊ) ने किया । श्री राजीव वत्सल ने नीरज जी के गीतो पर बांसुरी वादन प्रस्तुत कर सभी श्रोताओं के दिल मे नीरज जी की यादों को ताजा कर दिया तथा श्रीमती स्नेहा ने नीरज जी के गीतो पर नृत्य कर समा बांध दिया |
कार्यक्रम में विशेष अतिथियों के रूप में श्रीमती मालविका हरिओम श्री मिलन प्रभात 'गुंजन' (नीरज जी के पुत्र), श्री पल्लव नीरज (नीरज जी के पौत्र), कवि श्री सुरेश श्रीवास्तव, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की आंतरिक सलाहकार समिति के सदस्य डॉ. राजेंद्र प्रसाद, श्री महेंद्र भीष्म, श्री पंकज अवस्थी, डॉ अल्का निवेदन, डॉ ऋतु चक्रबोरती, डॉ शिखा श्रीवास्तव, डॉ राधा बिष्ट एवं लखनऊ शहर के गणमान्य व्यक्तियों की गरिमामयी उपस्थिति रही |
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Tata steel new club house : टाटा स्टील के कदमा ग्रीन इंक्लेव में तैयार हुआ नया क्लब हाउस, यह है अत्याधुनिक सुविधाएं
जमशेदपुर : टाटा स्टील के जमशेदपुर के कदमा स्थित कर्मचारियों के फ्लैट ग्रीन इंक्लेव में नये क्लब हाउस को तैयार किया गया है. इसका विधिवत उदघाटन टाटा वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष संजीव चौधरी टुन्नु ने किया. इस मौके पर टाटा स्टील के एस्टेट विभाग के सीनियर मैनेजर अनुज कुमार सिंह के अलावा टाटा वर्कर्स यूनियन के उपाध्यक्ष राजीव चौधरी, सहायक सचिव नितेश राज, सहायक सचिव अजय चौधरी, सहायक सचिव श्याम बाबू समेत…
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