#ट्विटर हेट पोस्ट
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34 वर्षीय सिंगापुरी ने भारतीय प्रवासी श्रमिकों के खिलाफ आक्रामक ट्वीट्स का आरोप लगाया
34 वर्षीय सिंगापुरी ने भारतीय प्रवासी श्रमिकों के खिलाफ आक्रामक ट्वीट्स का आरोप लगाया
(प्रतिनिधि छवि: रायटर)
ज़ैनल ने कथित तौर पर 11 अक्टूबर, 2019 को हैंडल @ sharonliew86 के तहत एक ट्वीट पोस्ट किया, जिसमें कहा गया था कि विभिन्न शैक्षणिक धाराओं में मलय के छात्र अपने चीनी समकक्षों के समान स्तर पर नहीं थे।
PTI सिंगापुर
आखरी अपडेट: 2 जुलाई, 2020, 12:22 PM IST
34 वर्षीय सिंगापुरी आदमी पर गुरुवार को अदालत में भारतीय प्रवासी श्रमिकों के खिलाफ ट्विटर पर आपत्तिजनक सामग्री पोस्ट करने…
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#आकरमक#आरप#क#खलफ#टवटस#ट्विटर ��ेट पोस्ट#द्वेषपूर्ण भाषण#न#परवस#भरतय#भारतीयों के प्रति भेदभाव#लगय#वरषय#शरमक#सगपर#सिंगापुर#सिंगापुर में भारतीय कामगार
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स्टॉप एशियन हेट पर बीटीएस का ट्वीट 2021 में सबसे ज्यादा रीट्वीट किया गया
स्टॉप एशियन हेट पर बीटीएस का ट्वीट 2021 में सबसे ज्यादा रीट्वीट किया गया
यह कोई रहस्य नहीं है कि बीटीएस का प्रभाव सिर्फ संगीत की दुनिया से कहीं आगे तक फैला हुआ है। सेप्टेट: जुंगकुक, जिन, जिमिन, जे-होप, सुगा, आरएम और वी, और एआरएमवाई नामक इसके वैश्विक प्रशंसक जातिवाद और आत्म-प्रेम जैसे महत्वपूर्ण सामाजिक मुद्दों में अपने अनुयायियों को शामिल करने में कामयाब रहे हैं। इस साल, बीटीएस की अपील एशियन हेट को रोकने के लिए ट्विटर की सूची में मंच पर सबसे अधिक रीट्वीट किए गए पोस्ट…
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ट्विटर ला रहा नया फीचर, जल्द पोस्ट को शेड्यूल कर सकेंगे यूजर, इसकी लंबे समय से डिमांड हो रही थी
ट्विटर ला रहा नया फीचर, जल्द पोस्ट को शेड्यूल कर सकेंगे यूजर, इसकी लंबे समय से डिमांड हो रही थी
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कुछ डेस्कटॉप यूजर्स को मिला नए फीचर का विकल्प
हेट स्पीच-ट्रोलिंग को रोकने के लिए भी नए फीचर की टेस्टिंग
दैनिक भास्कर
May 09, 2020, 10:51 AM IST
नई दिल्ली. दिग्गज सोशल नेटवर्किंग कंपनी ट्विटर जल्द ही अपने यूजर्स के लिए एक नया फीचर ला सकती है। इस फीचर के तहत यूजर अपनी पोस्ट को आगे के किसी भी समय या तारीख के लिए शेड्यूल कर सकेंगे। यूजर इस फीचर की लंबे समय से डिमांड कर रहे थे।
��ेट…
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फैक्ट चेकः जस्टिस मुरलीधर को कांग्रेसियों का करीबी बताने वाली पोस्ट है फर्जी - Fact check delhi high court justice s muralidhar viral post congress social media
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फैक्ट चेकः जस्टिस मुरलीधर को कांग्रेसियों का करीबी बताने वाली पोस्ट है फर्जी - Fact check delhi high court justice s muralidhar viral post congress social media
दिल्ली हिंसा मामले में पुलिस को फटकार लगाने वाले दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस एस मुरलीधर इन दिनों काफी चर्चा में हैं. इसी क्रम में सोशल मीडिया पर कुछ लोग उनपर सवाल भी खड़े कर रहे हैं. सोशल मीडिया पर एक पोस्ट के जरिये दावा किया जा रहा है कि जस्टिस मुरलीधर कांग्रेस नेताओं के करीबी हैं, इसलिए उन्होंने सिर्फ बीजेपी नेताओं के बयान पर ही सवाल उठाए.
पोस्ट में दो तस्वीरों का एक कोलाज है. पहली तस्वीर जस्टिस मुरलीधर की है, वहीं दूसरी तस्वीर में वे सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी एक अन्य व्यक्ति के साथ किसी कार्यालय में दिख रहे हैं. इस तस्वीर के साथ दावा किया गया है कि यही जस्टिस मुरलीधर सोनिया गांधी का चुनावी पर्चा भरवाने उनके साथ जाया करते थे और इस तस्वीर में भी वो यही कर रहे हैं. साथ ही पोस्ट में ये भी कहा गया है कि जज बनने से पहले जस्टिस मुरलीधर 10 साल तक कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी के सहायक भी थे.
हाल ही में दिल्ली हिंसा मामले में पुलिस की कार्यशैली को देखते हुए हाईकोर्ट के जस्टिस एस मुरलीधर ने सख्त टिप्पणी की थी. कोर्ट ने पुलिस अधिकारियों से पूछा था कि भड़काऊ भाषण देने पर कपिल मिश्रा सहित अन्य नेताओं के खिलाफ एफआईआर क्यों नहीं दर्ज की गई. इस सुनवाई के बाद खबर आई कि जस्टिस मुरलीधर का तबादला पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में कर दिया गया.
इंडिया टुडे के एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) ने अपनी पड़ताल में पाया कि तस्वीर के साथ किया जा रहा दावा भ्रामक है. तस्वीर में सोनिया गांधी के साथ दिख रहे व्यक्ति जस्टिस मुरलीधर नहीं, बल्कि कांग्रेस के कानूनी सलाहकार और सुप्रीम कोर्ट वकील केसी कौशिक हैं. ये तस्वीर उस समय की है, जब सोनिया गांधी ने पिछले साल राय बरेली से अपना चुनावी नामांकन दाखिल किया था. ये बात भी गलत है कि एस मुरलीधर मनीष तिवारी के सहायक रहे हैं.
इस भ्रामक पोस्ट को V K SHARMA नाम के एक ट्विटर यूजर सहित कई लोगों ने ��ेयर किया है.
तस्वीर शेयर करते हुए V K SHARMA ने कैप्शन में लिखा है- “एक तथ्य सामने आया है वो जज मुरलीधरन कभी कांगेस के मनीष तिवारी के एसिस्टेंट थे व इको सिस्टम में हाईकोर्ट के जज बने, पहले सोनिया गांधी का पर्चा भरवाने साथ जाया करते थे, इसीलिए वो सिर्फ बीजेपी नेताओं की स्पीच उन्हें हेट स्पीच लगी, नीचे माननीय का खुद का फोटो व परचा भरवाने का लगा है”.
V K SHARMA को ट्विटर पर पीएम मोदी सहित कई दिग्गज बीजेपी नेता फॉलो करते हैं. ये पोस्ट सोशल मीडिया पर हजारों लोगों तक पहुंच चुकी है. हालांकि V K SHARMA अब ये ट्वीट डिलीट कर चुके हैं.
वायरल पोस्ट की पड़ताल के दौरान हमें न्यूज 24 के पत्रकार प्रभाकर मिश्रा की एक पोस्ट मिली. प्रभाकर के मुताबिक तस्वीर में सोनिया गांधी के साथ दिख रहे व्यक्ति सुप्रीम कोर्ट वकील केसी कौशिक हैं. जानकारी को पुख्ता करने के लिए हमने केसी कौशिक से संपर्क किया.
केसी कौशिक ने हमें बताया कि वायरल पोस्ट में किया जा रहा दावा गलत है. उन्होंने हमें यह स्पष्ट किया कि तस्वीर में सोनिया गांधी के साथ दिख रहे व्यक्ति वो खुद हैं. ये तस्वीर पिछले साल की है जब लोकसभा चुनाव के लिए सोनिया ने रायबरेली से अपना पर्चा भरा था. उस वक्त कानूनी सलहाकार के तौर पर केसी कौशिक सोनिया गांधी के साथ मौजूद थे. इस पर कई मीडिया संस्थाओं ने खबर भी की थी.
हमें पिछले साल का एक वीडियो भी मिला जिसमें अमेठी में केसी कौशिक, राहुल गांधी के वकील के तौर पर पत्रकारों से बात करते दिख रहे हैं. केसी कौशिक भारत के एडिशनल सॉलिसिटर जनरल भी रहे हैं.
youtube
पोस्ट में ये भी दावा है कि जस्टिस मुरलीधर कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी के सहायक रहे हैं. इस दावे का खंडन खुद मनीष तिवारी ने ट्विटर पर किया है. तिवारी ने वायरल पोस्ट का एक स्क्रीन शॉट ट्वीट करते हुए लिखा है कि ये सरासर झूठ है कि जस्टिस मुरलीधर जज बनने से पहले उनके ऑफिस में काम करते थे. उन्होंने लिखा कि जस्टिस मुरलीधर को न तो वो जानते हैं और ना ही कभी उनसे मिले हैं.
Fake News being circulated by Troll Armies of Right Wing that Justice Dr. S. Muralidhar had worked in my Law office before being elevated to the Bench.COMPLETE LIE.Neither do I know Judge Muralidhar nor have I ever met him.Saw him only once arguing a Fake Encounter matter in SC. pic.twitter.com/vtBjThAWpE
— Manish Tewari (@ManishTewari) February 29, 2020
दिल्ली हाईकोर्ट की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक, जस्टिस एस मुरलीधर ने सितंबर 1984 में चेन्नई से वकालत शुरू की थी. जस्टिस मुरलीधर ने 1987 में सुप्रीम कोर्ट और दिल्ली हाईकोर्ट में वकालत शुरू कर दी थी. साल 2006 में उन्हें दिल्ली हाईकोर्ट में जज नियुक्त किया गया. जस्टिस मुरलीधर दो बार सुप्रीम कोर्ट की लीगल सर्विस कमेटी के सक्रिय सदस्य रहे हैं. 1984 में हुए सिख दंगों में शामिल रहे कांग्रेस नेता सज्जन कुमार के मामले में भी जस्टिस मुरलीधर फैसला सुनाने वालों में से एक थे.
यहां पर ये बात साफ होती है कि वायरल पोस्ट झूठी है. जस्टिस मुरलीधर न तो वायरल तस्वीर में सोनिया गांधी के साथ हैं, और ना ही वे मनीष तिवारी के सहायक रहे हैं.
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Economy News In Hindi : 90 companies, including Hindustan Unilever, stopped advertising on social media, Facebook lost the most revenue | हिंदुस्तान यूनिलीवर सहित 90 कंपनियों ने सोशल मीडिया पर विज्ञापन को बंद किया, फेसबुक को सबसे ज्यादा रेवेन्यू का नुकसान
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Economy News In Hindi : 90 companies, including Hindustan Unilever, stopped advertising on social media, Facebook lost the most revenue | ह��ंदुस्तान यूनिलीवर सहित 90 कंपनियों ने सोशल मीडिया पर विज्ञापन को बंद किया, फेसबुक को सबसे ज्यादा रेवेन्यू का नुकसान
विज्ञापन रोकने की खबर से फेसबुक का शेयर 8.3 प्रतिशत गिरा
ट्वीटर पहले से ही फैक्ट चेक करने वाले लेबल का ले रहा है सहारा
दैनिक भास्कर
Jun 27, 2020, 05:59 PM IST
मुंबई. अमेरिका में श्वेत श्याम (ब्लैक एंड व्हाइट) का मुद्दा पूरी दुनिया में छाया है। अब सोशल मीडिया का रेवेन्यू इसकी चपेट में है। करीबन 90 कंपनियों ने सोशल मीडिया पर अपने एडवर्टाइज बंद कर दी हैं। इसमें सबसे ज्यादा नुकसान फेसबुक को हुआ है। सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक के आलोचक हमेशा निंदा करते रहते हैं कि यह घृणास्पद माहौल को टालने में विफल रहा है।
शुक्रवार को एक जबरदस्त समर्थन उन्हें मिला। दुनिया के सबसे बड़े एडवर्टाइजर्स एचयूएल ने कहा कि अब फेसबुक की प्रॉपर्टीज पर विज्ञापन देना वह बंद कर रहा है।
विज्ञापन रोकने की खबर से फेसबुक के मार्केट वैल्यू में 56 अरब डॉलर की कमी
डव साबुन और हेलमन मेयोनेज़ जैसे प्रमुख कंज्यूमर निर्माता द्वारा फ़ेसबुक पर विज्ञापन का बहिष्कार करने के फैसले का अन्य ब्रा��ड भी पालन करने को आगे आए हैं। इसे लेकर फेसबुक के निवेशकों की प्रतिक्रिया भी देखने को मिली है। यह खबर फैलते ही इसका शेयर 8.3 प्रतिशत गिर गया। इसके मार्केट वैल्यू में 56 अरब डॉलर का नुकसान हुआ। यूनिलीवर के इस कदम ने अन्य बड़ी कंपनियों पर तत्काल दबाव बनाया और फेसबुक के कारोबार के समक्ष चुनौती पेश कर दिया है।
कोकाकोला ने भी सोशल मीडिया पर रोका विज्ञापन
उधर शुक्रवार को ही कोका कोला ने कहा कि यह अब सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अगले 30 दिन तक कोई विज्ञापन नहीं देगी। इसके अलावा होंडा मोटर कंपनी और कई अन्य छोटे ब्रांड्स ने भी इस तरह के बहिष्कार का समर्थन किया है। फेसबुक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी मार्क जुकरबर्ग ने शुक्रवार को कर्मचारियों के साथ लाइव सवाल-जवाब सत्र में विज्ञापनदाताओं की चिंताओं को दूर करने का प्रयास किया। उन्होंने कंपनी की विज्ञापन और सामग्री नीतियों में कुछ बदलावों की घोषणा की। लेकिन उनका यह कदम शिकायत करनेवालों के गुस्से को शांत नहीं कर पाया।
ट्वीटर से कम एक्शन लेता है फेसबुक
विज्ञापन बहिष्कार का आयोजन करने वाले सिविल राइट्स समूहों ने बयान जारी कर कहा कि हम फेसबुक को पहले से ही जानते हैं। पहले भी इसने ऐसी कई बार क्षमा याचनाएं की है। हालांकि ठोस कार्रवाई करने में यह बुरी तरह विफल रहा है। अब वह वक्त आ गया है जब इस पर लगाम लगना चाहिए। यह सोशल नेटवर्किंग साइट ट्विटर से कम आक्रामक रहा है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी कई बार भड़काने वाले ट्वीट करते रहते हैं। वह काफी वायरल भी होता रहता है।
इन कंपनियों में से फेसबुक भी रिस्क में है। पहले से ही न्याय विभाग और फेडरल ट्रेड कमीशन से एंटी ट्रस्ट की जांच का सामना कर रहा है।
फेसबुक पर रेगुलटर की कार्रवाई का खतरा
विज्ञापन देने वालों की चिंता की तुलना में फेसबुक पर अब रेगुलेटरी कार्रवाई का खतरा ज्यादा मंडरा रहा है। EMarketer के अनुसार पूरे अमेरिका के डिजिटल एडवर्टाइजिंग का 30 प्रतिशत हिस्सा फेसबुक को जाता है। इसके तीन अरब से अधिक यूजर्स हैं। फेसबुक के लिए ऐसे विवाद कोई नए नहीं है परंतु फिर भी यह सभी को दरकिनार कर लगातार आगे बढ़ता रहा है। अकाउंट डिलीट करने और बॉयकॉट की धमकियों के बावजूद इसके विज्ञापन रेवेन्यू में 2019 में 27 प्रतिशत से अधिक वृध्दि हुई और इसने 69.7 बिलियन डॉलर का रेवेन्यू प्राप्त किया।
अब जबकि अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव महज 4 महीने दूर हैं ऐसे में फेसबुक अपने आप ��ो कल्चरल युद्ध के केंद्र में पाता है।
फेसबुक को कोरोना से एडवर्टाइजिंग रेवेन्यू के नुकसान की आशंका थी
फेसबुक ने पहले ही चेतावनी दी थी कि विज्ञापनदाता कोरोनावायरस महामारी के परिणामस्वरूप कम खर्च कर रहे हैं। अब लागत में कटौती और समाज में नस्लीय अन्याय के बारे में जनता की चिंताओं का दबाव है। सिविल राइट्स ग्रुप ने फेसबुक को बेहतर तरीके से हेट स्पीच से निपटने के लिए विज्ञापन बहिष्कार का आयोजन किया। इस पर कंपनियों ने समर्थन भी किया।
मार्क जुकरबर्ग कर रहे थे लापरवाही
एनएएसीपी के अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी डेरिक जॉनसन ने एक बयान में कहा कि यह स्पष्ट है कि फेसबुक और उसके सीईओ मार्क जुकरबर्ग लापरवाही कर रहे थे। अब वे हमारे लोकतंत्र को नुकसान पहुंचाने के बावजूद गलत सूचनाओं के प्रसार से संतुष्ट हैं। फेसबुक ने परदे के पीछे बहिष्कार को दबाने की कोशिश की है। विज्ञापनदाताओं तक पहुंच कर उसने संकेत दिया है कि उसे नफरत और गलत सूचना से लड़ने की परवाह नहीं है।
हेट स्पीच को पहचनाने वाले सॉफ्टवेयर में हो रहा है सुधार
अपने एडवर्टाइजिंग पार्टनर को एक ईमेल कर फेसबुक ने कहा है कि इसका वह सॉफ्टवेयर जिसके जरिए हेट स्पीच को डिटेक्ट किया जाता है उसमें सालों साल से सुधार आ रहा है। इसके जरिए आने वाले चुनावी दिनों में सिर्फ सही सूचनाएं ही प्रसारित की जा सकेंगी। कर्मचारियों के साथ सवाल जवाब के दौरान जुकरबर्ग एक कदम आगे निकल गए। उन्होंने कहा कि कंपनी मतदान से संबंधित सभी पदों पर वोटिंग हब का लिंक डाल देगी।
न्यूज जैसी सामग्री है तभी पोस्ट होगी
फेसबुक के नियमों का उल्लंघन करने वाले पोस्ट की पहचान करना भी शुरू कर देगा। अगर वे न्यूज योग्य हैं तो पोस्ट बना रहेगा। वे नियम कंटेंट पर निर्णय लिए बिना कार्रवाई करने के लिए फेसबुक कवर देते हैं। कई हफ्ते पहले जब ट्रम्प ने ट्वीट किया था कि मेल-इन वोटिंग से फ्रॉड होगा, तो ट्विटर ने इस पोस्ट को फैक्ट-चेक करने के लिए लेबल किया था। जुकरबर्ग ने इसी पोस्ट को फेसबुक पर अकेला छोड़ दिया था। लेकिन अब अगर सभी मतदान से संबंधित कंटेंट पर एक लिंक है तो सीईओ को अपने सही होने के बारे में विवादास्पद निर्णय नहीं करना होगा।
फेसबुक पहले से ही भेदभाव वाले विज्ञापन पर प्रतिबंध लगाता रहा है
फेसबुक पहले से ही भेदभाव वाले विज्ञापन पर प्रतिबंध लगाता है। शुक्रवार को इसने अपनी नीतियों को और सख्त बताते हुए कहा कि अगर कोई विज्ञापन किसी दूसरे धर्म जाति या कम्युनिटी को नीचा दिखाने की कोशिश करेगा तो उसे नहीं दिखाया जाएगा। जुकरबर्ग ने कहा कि आज यहां मैं जिन नीतियों की घोषणा कर रहा हूं उनमें से किसी में ��ी राजनेताओं के लिए कोई अपवाद नहीं हैं।
शुक्रवार को देर रात फेसबुक ने दी जानकारी
शुक्रवार देर रात विज्ञापनदाताओं को दूसरे ईमेल में, ग्लोबल मार्केटिंग सॉल्यूशन्स की उपाध्यक्ष कैरोलिन एवरसन ने जुकरबर्ग द्वारा की गई घोषणाओं का सारांश दिया। कंपनी द्वारा पहले से ही नफरत फैलाने वाले भाषण को खोजने और हटाने के लिए उठाए गए कई कदमों को बताया। एवरसन ने कहा कि फेसबुक अपनी तिमाही रिपोर्ट के लिए ऑडिट की मांग करेगा जिसमें यह है कि वह अपने कम्युनिटी स्टैंडर्ड को कैसे लागू करता है।
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महाराष्ट्र सरकार कोरोना वायरस के साथ ही सोशल मीडिया पर अफवाह, हेट स्पीच और फेक न्यूज के खिलाफ भी सख्त रुख अपनाए हुए है। देश में कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित महाराष्ट्र में वायरस को फैलने से रोकने के लिए लॉकडाउन शुरू होने के बाद से सोशल मीडिया पर फेक न्यूज, अफवाह और हेट स्पीच की बाढ़ आ गई थी। इसके बाद यहां लॉकडाउन में कोरोना के साथ ही पुलिस ने सोशल मीडिया पर फेक न्यूज, अफवाह और हेट स्पीच फैलाने वालों के खिलाफ भी मुहिम छेड़ रखी है।
राज्य में लॉकडाउन शुरू होने के बाद से अब तक सोशल मीडिया पर फेक न्यूज, अफवाह और हेट स्पीच फैलाने के आरोप में 218 केस दर्ज हो चुके हैं, जिनमें से 210 मामले संज्ञेय और 8 गैर संज्ञेय धाराओं में दर्ज हुए हैं। इन मामलों में अब तक 45 अभियुक्त गिरफ्तार किए जा चुके हैं, जबकि 160 की पहचान की जा चुकी है। गिरफ्तार किए गए आरोपियों में से 8 पर सीआरपीसी की धारा 107 के तहत कार्रवाई की गई है। बाकि आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस को त्वरित कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं।
इस बीच बीते 7 दिनों में हेट स्पीच की घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है। दर्ज केसों में से 115 केस सोशल मीडिया पर हेट स्पीच से जुड़े हैं। जबकि कोरोना को लेकर अफवाह और फेक न्यूज के 75 और दुष्प्रचार के आरोप में 24 केस दर्ज हैं। इनमें से व्हॉट्सएप के जरिये समाजविरोधी पोस्ट फैलाने के 102 केस, फेसबुक से 71 केस, टिकटॉक के जरिये 3 केस और ट्विटर के जरिये ऐसा करने के आरोप में 3 केस दर्ज किए गए हैं। पुलिस की ओर से सोशल मीडिया के सभी संबंधित प्लेटफॉर्म्स को इस तरह की पोस्ट हटाने के लिए नोटिस भी जारी किए गए है, जिसके बाद अब तक 32 पोस्ट हटाई जा चुकी हैं।
गौरतलब है कि अभी हाल ही में सोशल मीडिया और एक न्यूज चैनल से फैलाई गई फेक न्यूज के कारण मुंबई के बांद्रा रेलवे स्टेशन के पास लॉकडाउन होने के बावजूद हजारों प्रवासी मजदूरों की भीड़ जमा हो गई थी। ये सभी मजदूर भरतीय रेल द्वारा यात्री ट्रेन शुरू किए जाने की खबर फैलने के बाद घर जाने के लिए वहां जमा हुए थे। बाद में काफी मुश्किल से इन सभी मजदूरों को समझा-बुझाकर वापस भेजा जा सका। बाद में इस मामले में पुलिस ने एक स्थानीय चैनल के पत्रकार को गलत खबर दिखाने और एक शख्स को सोशल मीडिया पर ऐसी ही खबर फैलाने के आरोप में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।
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