#जा��ा द्वीप
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#सत्संग_निमंत्रण
#SantRampalJiMaharaj
#SantRampalJi_AvataranDiwas
कबीर, सात द्वीप नौ खण्ड में, गुरु से बड़ा ना कोय।
गत गुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज के 74वें अवतरण दिवस पर 6 से 8 सितंबर 2024 तक, संत गरीबदास जी महाराज जी की अमर वाणी का तीन दिवसीय अखंड पाठ, विशाल भंडारा, नि:शुल्क नाम दीक्षा, रक्तदान शिविर, दहेज मुक्त विवाह और आध्यात्मिक प्रदर्शनी का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें आप सभी को सादर आमंत्रित किया जाता हैहै.. 🚩🙏🙇♂️👈
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#विशाल_भोजन_भंडारा
कबीर,सात द्वीप नौ खण्ड में,गुरु से बडा ना कोय।
करता करे ना कर सकै,गुरु करे सो होय।।
संत रामपाल जी महाराज के अवतरण दिवस पर 6 से 8 सितंबर 2024 को किया जा रहा है। जिसमें आप सभी को सादर आमंत्रित किया जाता है।
Bhandara Invitation To The World
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#विशाल_भोजन_भंडारा
अवतरण दिवस पर आमंत्रण
कबीर, सात द्वीप नौ खण्ड में, गुरु से बड़ा ना कोय।
करता करे ना कर सकै, गुरु करे सो होय।।
जगत गुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज के 74वें अवतरण दिवस पर 6 से 8 सितंबर 2024 तक, संत गरीबदास जी महाराज जी की अमर वाणी का तीन दिवसीय अखंड पाठ, ���िशाल भंडारा, नि:शुल्क नाम दीक्षा, रक्तदान शिविर, दहेज मुक्त विवाह और आध्यात्मिक प्रदर्शनी का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें आप सभी को सादर आमंत्रित किया जाता है।
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#SantRampalJi_AvataranDiwas #socialreformer #SelflessServices #indian #sanatandharma #charity #meditation #god #jaishreeram #SantRampalJiMaharaj #सत्संग_निमंत्रण अवतरण दिवस पर आमंत्रण कबीर, सात द्वीप नौ खण्ड में, गुरु से बड़ा ना कोय। करता करे ना कर सकै, गुरु करे सो होय।। जगत गुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज के 74वें अवतरण दिवस पर 6 से 8 सितंबर 2024 तक, संत गरीबदास जी महाराज जी की अमर वाणी का तीन दिवसीय अखंड पाठ, विशाल भंडारा, नि:शुल्क नाम दीक्षा, रक्तदान शिविर, दहेज मुक्त विवाह और आध्यात्मिक प्रदर्शनी का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें आप सभी को सादर आमंत्रित किया जाता है।
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अगर द्वीप सतलोक अजब महबूब है (अनमोल वाणी)😱🔥
#wednesdaymotivation
#WednesdayThought
☀संत रामपाल जी महाराज☀ के सानिध्य में मनाया जा रहा है 💫संत गरीबदास जी का बोध दिवस 19 से 21 मार्च 2024💫 महासमागम पर महा विशाल भंडारे में परमात्मा की सभी प्यारी आत्माएं आमंत्रित हैं !
👉🏽यह विशाल महासमागम संत रामपाल जी के सभी सतलोक आश्रमों में मनाया जाएगा !
👉🏽दासी इस बार सतलोक आश्रम धनाना धाम, सोनीपत,हरियाणा जाएगी !
🙏आप सबका भी स्वागत है !
🙏सभी सुविधा नि:शुल्क प्राप्त होगी!
#PowerOfTrueWorship
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🙏कलयुग केवल नाम अधारा | सुमर सुमर नर उतरे पारा
#gita #shiva #krishna #Ram #sanatandharma #Bhakti #truestory
👑Supreme God Kabir👑
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✨️कबीर परमेश्वर चारों युगों में आते हैं।✨️
परमेश्वर कबीर साहिब जी चारों युगों में आते हैं और अच्छी आत्मा को मिलते हैं अपना ज्ञान समझा कर वापिस सतलोक ले जाते हैं।
यही प्रमाण वेदों में मिलता है
पवित्र यजुर्वेद अध्याय 29 मंत्र 25 -
समिद्धोऽअद्य मनुषो दुरोणे देवो देवान्यजसि जातवेदः।
आ च वह मित्रामहश्चिकित्वान्त्वं दूतः कविरसि प्रचेताः।।25।।
जिस समय भक्त समाज को शास्त्रविधी त्यागकर मनमाना आचरण (पूजा) कराया जा रहा होता है। उस समय कविर्देव (कबीर परमेश्वर) तत्व ज्ञान को प्रकट करता है।
कबीर परमेश्वर जी नानकदेवजी के गुरु थे जो नानक जी को बेई नदी पर मिले तथा मुक्ति का मार्ग बताया। दादू जी, धर्मदास जी, अब्राहम सुल्तान अधम सुल्तान आदि को कबीर साहेब ने ही दीक्षा दी। प्रमाण नानक जी व गरीबदास जी महाराज की वाणी में भी है
गरीब, हम सुल्तानी नानक तारे, दादू को उपदेश दिया। जात जुलाहा भेद न पाया, काशी माही कबीर हुआ।।
एक बार दिल्ली के बादशाह सिकंदर लोधी को एक असाध्य (जलन) रोग था। वह जलन का रोग किसी भी मुल्ला, काजी नीम-हकीम की दवा और जंत्र-मंत्र से ठीक नहीं हुआ था। उस रोग को कबीर परमेश्वर ने आशीर्वाद मात्र से ठीक कर दिया था। जिसके बाद सिकंदर लोधी ने कबीर परमेश्वर को अपना गुरु बनाया।
कबीर परमेश्वर ने अपनी वाणियों के माध्यम से बताया है
अवधु अविगत से चल आए, कोई मेरा भेद मर्म नहीं पाया।
न मेरा जन्म न गर्भ बसेरा, बालक हो दिखलाया।
काशी नगर जल कमल पर डेरा, वहाँ जुलाहे ने पाया।। मात-पिता मेरे कुछ नाहीं, ना मेरे घर दासी (पत्नी)। जुलहा का सुत आन कहाया, जगत करें मेरी हाँसी।। पाँच तत्व का धड़ नहीं मेरा, जानुं ज्ञान अपारा।
सत्य स्वरूपी (वास्तविक) नाम साहेब (पूर्ण प्रभु) का सोई नाम हमारा।।
अधर द्वीप (ऊपर सत्यलोक में) गगन गुफा में तहां निज वस्तु सारा।
ज्योत स्वरूपी अलख निरंजन (ब्रह्म) भी धरता ध्यान हमारा।।
हाड़ चाम लहु ना मेरे कोई जाने सत्यनाम उपासी।
तारन तरन अभय पद दाता, मैं हूँ कबीर अविनाशी।।
सभी ग्रंथों में प्रमाणित है फिर भी उसे कवि या संत, भक्त या जुलाहा कहते हैं। परन्तु वह पूर्ण परमात्मा ही होता है। उसका वास्तविक नाम कविर्देव है। वह स्वयं सतपुरुष कबीर ही ऋषि या संत रूप में होता है। परन्तु तत्व ज्ञानहीन ऋषियों व संतों गुरूओं के अज्ञान सिद्धांत के आधार पर आधारित प्रजा उस समय अतिथि रूप में प्रकट परमात्मा को नहीं पहचानते क्योंकि उन अज्ञानी ऋषियों, संतों व गुरूओं ने परमात्मा को निराकार बताया होता है।
#SantRampalJiMaharaj
#GodKabir_Appears_In_4_Yugas
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संत रामपाल जी महाराज जी से निःशुल्क नाम उपदेश लेने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जायें।
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Download करें
पवित्र पुस्तक "कबीर परमेश्वर"
https://bit.ly/KabirParmeshwarBook
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दुनियाभर में यहूदियों पर मंडरा रहा खतरा…श्रीलंका के बाद अब इस देश में हमले की रची जा रही साजिश
दुनिया के कई देशों में इजराइली नागरिकों और यहूदियों पर खतरा मंडरा रहा है. श्रीलंका के बाद अब थाईलैंड में इजराइली नागिरकों पर हमले का डर सता रहा है. रिपोर्ट्स के मुताबिक थाई पुलिस ने कथित तौर पर 15 नवंबर को कोह फांगन के हॉलीडे द्वीप पर फुल मून पार्टी में एक आतंकी साजिश की चेतावनी दी है. यह चेतावनी ऐसे समय में आई है जब श्रीलंका में इजराइली पर्यटकों पर ईरान समर्थित साजिश के आरोप लगाए जा रहे हैं.…
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#हिन्दूसाहेबान_नहींसमझे_गीतावेदपुराणPart106 के आगे पढिए.....)
📖📖📖
#हिन्दूसाहेबान_नहींसमझे_गीतावेदपुराणPart107
हम काल के लोक में कैसे आए?
जिस समय क्षर पुरुष (ज्योति निरंजन) एक पैर पर खड़ा होकर तप कर रहा था। तब हम सभी आत्माऐं इस क्षर पुरुष पर आकर्षित हो गए। जैसे जवान बच्चे अभिनेता व अभिनेत्री पर आसक्त हो जाते हैं। लेना एक न देने दो। व्यर्थ में चाहने लग जाते हैं। वे अपनी कमाई करने के लिए नाचते-कूदते हैं। युवा-बच्चे उन्हें देखकर अपना धन नष्ट करते हैं। ठीक इसी प्रकार हम अपने परमपिता सतपुरुष को छोड़कर काल पुरुष (क्षर पुरुष) को हृदय से चाहने लग गए थे। जो परमेश्वर हमें सर्व सुख सुविधा दे रहा था। उससे मुँह मोड़कर इस नकली ड्रामा करने वाले काल ब्रह्म को चाहने लगे। सत पुरुष जी ने बीच-बीच में बहुत बार आकाशवाणी की कि बच्चो तुम इस काल की क्रिया को मत देखो, मस्त रहो। हम ऊपर से तो सावधान हो गए, परन्तु अन्दर से चाहते रहे। परमेश्वर तो अन्तर्यामी है। इन्होंने जान लिया कि ये यहाँ रखने के योग्य नहीं रहे। काल पुरुष (क्षर पुरुष = ज्योति निरंजन) ने जब दो बार तप करके फल प्राप्त कर लिया तब उसने सोचा कि अब कुछ जीवात्मा भी मेरे साथ रहनी चाहिए। मेरा अकेले का दिल नहीं लगेगा। इसलिए जीवात्मा प्राप्ति के लिए तप करना शुरु किया। 64 युग तक तप करने के पश्चात् परमेश्वर जी ने पूछा कि ज्योति निरंजन अब किसलिए तप कर रहा है? क्षर पुरुष ने कहा कि कुछ आत्माएं प्रदान करो, मेरा अकेले का दिल नहीं लगता। सतपुरुष ने कहा कि तेरे तप के बदले में और ब्रह्माण्ड दे सकता हूं, परन्तु अपनी आत्माएं नहीं दूँगा। ये मेरे शरीर से उत्पन्न हुई हैं। हाँ, यदि वे स्वयं जाना चाहते हैं तो वह जा सकते हैं। युवा कविर् (समर्थ कबीर) के वचन सुनकर ज्योति निरंजन हमारे पास आया। हम सभी हंस आत्मा पहले से ही उस पर आसक्त थे। हम उसे चारों तरफ से घेरकर खड़े हो गए। ज्योति निरंजन ने कहा कि मैंने पिता जी से अलग 21 ब्रह्माण्ड प्राप्त किए हैं। वहाँ नाना प्रकार के रमणीय स्थल बनाए हैं। क्या आप मेरे साथ चलोगे? हम सभी हंसों ने जो आज 21 ब्रह्माण्डों में परेशान हैं, कहा कि हम तैयार हैं। यदि पिता जी आज्ञा दें, तब क्षर पुरूष (काल), पूर्ण ब्रह्म महान् कविर् (समर्थ कबीर प्रभु) के पास गया तथा सर्व वार्ता कही। तब कविरग्नि (कबीर परमेश्वर) ने कहा कि मेरे सामने स्वीकृति देने वाले को आज्ञा दूँगा। क्षर पुरूष तथा परम अक्षर पुरूष (कविरमितौजा) दोनों हम सभी हंसात्माओं के पास आए। सत् कविर्देव ने कहा कि जो हंसात्मा ब्रह्म के साथ जाना चाहता हैं, हाथ ऊपर करके स्वीकृति दें। अपने पिता के सामने किसी की हिम्मत नहीं हुई। किसी ने स्वीकृति नहीं दी। बहुत समय तक सन्नाटा छाया रहा। तत्पश्चात् एक हंस आत्मा ने साहस किया तथा कहा कि पिता जी मैं जाना चाहता हूँ। फिर तो उसकी देखा-देखी (जो आज काल(ब्रह्म) के इक्कीस ब्रह्माण्डों में फँसी हैं) हम सभी आत्माओं ने स्वीकृति दे दी। परमेश्वर कबीर जी ने ज्योति निरंजन से कहा कि आप अपने स्थान पर जाओ। जिन्होंने तेरे साथ जाने की स्वीकृति दी है, मैं उन सर्व हंस आत्माओं को आपके पास भेज दूँगा। ज्योति निरंजन अपने 21 ब्रह्माण्डों में चला गया। उस समय तक यह इक्कीस ब्रह्माण्ड सतलोक में ही थे।
तत्पश्चात् पूर्ण ब्रह्म ने सर्व प्रथम स्वीकृति देने वाले हंस को लड़की का रूप दिया परन्तु स्त्री इन्द्री नहीं रची तथा सर्व आत्माओं को (जिन्होंने ज्योति निरंजन (ब्रह्म) के साथ जाने की सहमति दी थी) उस लड़की के शरीर में प्रवेश कर दिया तथा उसका नाम आष्ट्रा (आदि माया/प्रकृति देवी/दुर्गा) पड़ा तथा सत्यपुरूष ने कहा कि पुत्री मैंने तेरे को शब्द शक्ति प्रदान कर दी है। जितने जीव ब्रह्म कहे आप उत्पन्न कर देना। पूर्ण ब्रह्म कर्विदेव (कबीर साहेब) ने अपने पुत्र सहज दास के द्वारा प्र��ृति को क्षर पुरूष के पास भिजवा दिया। सहज दास जी ने ज्योति निरंजन को बताया कि पिता जी ने इस बहन के शरीर में उन सब आत्माओं को प्रवेश कर दिया है, जिन्होंने आपके साथ जाने की सहमति व्यक्त की थी। इसको वचन शक्ति प्रदान की है, आप जितने जीव चाहोगे प्रकृति अपने शब्द से उत्पन्न कर देगी। यह कहकर सहजदास वापिस अपने द्वीप में आ गया।
युवा होने के कारण लड़की का रंग-रूप निखरा हुआ था। ब्रह्म के अन्दर विषय-वासना उत्पन्न हो गई तथा प्रकृति देवी के साथ अभद्र गतिविधि प्रारम्भ की। तब दुर्गा ने कहा कि ज्योति निरंजन मेरे पास पिता जी की प्रदान की हुई शब्द शक्ति है। आप जितने प्राणी कहोगे मैं वचन से उत्पन्न कर दूँगी। आप मैथुन परम्परा शुरू मत करो। आप भी उसी पिता के शब्द से अण्डे से उत्पन्न हुए हो तथा मैं भी उसी परमपिता के वचन से ही बाद में उत्पन्न हुई हूँ। आप मेरे बड़े भाई हो, बहन-भाई का यह योग महापाप का कारण बनेगा। परन्तु ज्योति निरंजन ने प्रकृति देवी की एक भी प्रार्थना नहीं सुनी तथा अपनी शब्द शक्ति द्वारा नाखुनों से स्त्राी इन्द्री (भग) प्रकृति को लगा दी तथा बलात्कार करने की ठानी। उसी समय दुर्गा ने अपनी इज्जत रक्षा के लिए कोई और चारा न देखकर सूक्ष्म रूप बनाया तथा ज्योति निरंजन के खुले मुख के द्वारा पेट में प्रवेश करके पूर्ण ब्रह्म कविर् देव से अपनी रक्षा के लिए याचना की। उसी समय कर्विदेव (कविर् देव) अपने पुत्र योग संतायन अर्थात् जोगजीत का रूप बनाकर वहाँ प्रकट हुए तथा कन्या को ब्रह्म के उदर से बाहर निकाला तथा कहा ज्योति निरंजन आज से तेरा नाम ‘काल‘ होगा। तेरे जन्म-मृत्यु होते रहेंगे। इसीलिए तेरा नाम क्षर पुरूष होगा तथा एक लाख मानव शरीर धारी प्रणियों को प्रतिदिन खाया करेगा व सवा लाख उत्पन्न किया करेगा। आप दोनों को इक्कीस ब्रह्माण्ड सहित निष्कासित किया जाता है। इतना कहते ही इक्कीस ब्रह्माण्ड विमान की तरह चल पड़े। सहज दास के द्वीप के पास से होते हुए सतलोक से सोलह शंख कोस (एक कोस लगभग 3 कि.मी. का होता है) की दूरी पर आकर रूक गए।
विशेष विवरण:- अब तक तीन शक्तियों का विवरण आया है।
पूर्णब्रह्म जिसे अन्य उपमात्मक नामों से भी जाना जाता है, जैसे सतपुरूष, अकालपुरूष, शब्द स्वरूपी राम, परम अक्षर ब्रह्म/पुरूष आदि। यह पूर्णब्रह्म असंख्य ब्रह्माण्डों का स्वामी है तथा वास्तव में अविनाशी है।
परब्रह्म जिसे अक्षर पुरूष भी कहा जाता है। यह वास्तव में अविनाशी नहीं है। यह सात शंख ब्रह्माण्डों का स्वामी है।
ब्रह्म जिसे ज्योति निरंजन, काल, कैल, क्षर पुरूष तथा धर्मराय आदि नामों से जाना जाता है जो केवल इक्कीस ब्रह्माण्ड का स्वामी है।
अब आगे इसी ब्रह्म (काल) की सृष्टि के एक ब्रह्माण्ड का परिचय दिया जाएगा जिसमें तीन और नाम आप��े पढ़ने में आयेंगेः- ब्रह्मा, विष्णु तथा शिव।
ब्रह्म ��था ब्रह्मा में भेद -
एक ब्रह्माण्ड में बने सर्वोपरि स्थान पर ब्रह्म (क्षर पुरूष) स्वयं तीन गुप्त स्थानों की रचना करके ब्रह्मा, विष्णु तथा शिव रूप में रहता है तथा अपनी पत्नी प्रकृति (दुर्गा) के सहयोग से तीन पुत्रों की उत्पत्ति करता है। उनके नाम भी ब्रह्मा, विष्णु तथा शिव ही रखता है। जो ब्रह्म का पुत्र ब्रह्मा है, वह एक ब्रह्माण्ड में केवल तीन लोकों (पृथ्वी लोक, स्वर्ग लोक तथा पाताल लोक) में एक रजोगुण विभाग का मंत्री (स्वामी) है। इसे त्रिलोकिय ब्रह्मा कहा है तथा ब्रह्म जो ब्रह्मलोक में ब्रह्मा रूप में रहता है, उसे महाब्रह्मा व ब्रह्मलोकिय ब्रह्मा कहा है। इसी ब्रह्म (काल) को सदाशिव, महाशिव, महाविष्णु भी कहा है।
श्री विष्णु पुराण में प्रमाण:-
चतुर्थ अंश अध्याय 1 पृष्ठ 230-231 पर श्री ब्रह्मा जी ने कहाः- जिस अजन्मा सर्वमय विधाता परमेश्वर का आदि, मध्य, अन्त, स्वरूप, स्वभाव और सार हम नहीं जान पाते। (श्लोक 83)
जो मेरा रूप धारण कर संसार की रचना करता है, स्थिति के समय जो पुरूष रूप है तथा जो रूद्र रूप से विश्व का ग्रास कर जाता है, अनन्त रूप से सम्पूर्ण जगत् को धारण करता है। (श्लोक 86)
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आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। Sant Rampal Ji Maharaj YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
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#गगनमंडल_की_सैर_करले...
गगन मंडल की सैर कर ले,बहुरि ना ऐसा दांव हैं *
चल हंसा सत्यलोक पठाऊं,भवसागर नहीं आव हैं **
कबीर,जप तप संयम साधना,सब सुमिरन के माहीं *
कबीरा जाने राम जन,सुमिरन सम कछु नाहिं **
गरीब,सोहम जाप अजाप हैं, बिन रसना होय धुन्न *
सतगुरू द्वीप समीप हैं, नहिं बस्ती नहिं शुन्न **
✓✓✓ काल लोक / भवसागर से पार होकर परमात्मा के सनातन परमधाम अर्थात् अमरलोक #सत्यलोक कैसे जाया जा सकता हैं ?
इस विषय पर यथार्थ अध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करने के लिए "Sant Rampal Ji Maharaj" YouTube channel पर देखिए "संपूर्ण सृष्टि रचना"
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#सत्संग_निमंत्रण
अवतरण दिवस पर आमंत्रण
कबीर, सात द्वीप नौ खण्ड में, गुरु से बड़ा ना कोय।
करता करे ना कर सकै, गुरु करे सो होय।।
जगत गुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज के 74वें अवतरण दिवस पर 6 से 8 सितंबर 2024 तक, संत गरीबदास जी महाराज जी की अमर वाणी का तीन दिवसीय अखंड पाठ, विशाल भंडारा, नि:शुल्क नाम दीक्षा, रक्तदान शिविर, दहेज मुक्त विवाह और आध्यात्मिक प्रदर्शनी का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें आप सभी को सादर आमंत्रित किया जाता है।
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#सत्संग_निमंत्रण
कबीर, सात द्वीप नौ खण्ड में, गुरु से बड़ा ना कोय।
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#विशाल_भोजन_भंडारा
कबीर,सात द्वीप नौ खण्ड में,गुरु से बडा ना कोय।
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संत रामपाल जी महाराज के अवतरण दिवस पर 6 से 8 सितंबर 2024 को किया जा रहा है। जिसमें आप सभी को सादर आमंत्रित किया जाता है।
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#सत्संग_निमंत्रण
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अवतरण दिवस पर आमंत्रण
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